Monday, February 25, 2013

सेक्सी कहानियाँ चुदाई यात्रा-5

हिंदी सेक्सी कहानियाँ


चुदाई यात्रा-5

लेखिका : उषा मस्तानी

सतीश एक तरफ मेरी चूचियों का रस नोच नोच कर निकाल रहा था, अमित दूसरी तरफ
गांड लंड से खोद रहा था।

कुछ धक्कों के बाद मेरी गांड का दर्द कम हो गया लेकिन मेरी ठुकाई अच्छी
तरह से हो रही थी, मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे, मेरी गांड चुद चुद कर
चौड़ी हो रही थी, मैं एक रंडी की तरह चुद रही थी। कुछ देर बाद अमित ने
मुझे तिरछा करके लेटा लिया और मेरी जांघें फ़ैला दीं, लंड उसका मेरी गांड
फाड़े हुए था, आगे से सतीश ने बिना देर किए मेरी चूत में लंड घुसा दिया।
अब मैं दोनों के बीच सैंडविच बन गई थी, सतीश ने मेरी चुदाई 10 मिनट तक
करी। अमित भी बीच बीच में धीरे धक्के मार रहा था। अब मैं दो दो लंडों से
चुद रही थी।

इसके बाद दोनों ने अपने वीर्य से मेरी चूत और गांड भर दी। मैं अर्ध बेहोश
सी हो गई थी, थोड़ी देर बाद मैं सो गई।

तीन बजे के करीब शाम को मेरी नींद खुली, मैं लंगडाती हुई बाथरूम गई, मेरी
गांड और चूत के साथ साथ पूरा बदन दुःख रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे
कि मेरी गांड में लंड अब भी आगे पीछे हो रहा है। मैं सबसे नाराज़ थी, भाभी
ने मुझे गर्म दूध पीने को दिया और मुझे समझाने लगीं, बोलीं- शुरू शुरू
में ऐसे दर्द होता है लेकिन दो दिन बाद तेरा ये सब करवाने का बहुत मन
करेगा। अब हम वापस चलकर कानपुर में आराम करेंगे।

पाँच बजे के करीब हमने लखनऊ छोड़ दिया और रात को सात बजे कानपुर पहुँच गए।
आते ही हम लोग सो गए सुबह दस बजे मैं उठी। सिर्फ भाभी घर में थीं,
उन्होंने गर्म पानी से मेरी चूत और गांड की सिकाई कर दी, मुझे बड़ा आराम
मिला।

शाम को भाभी के बच्चे आ गए, अमित दो दिन के टूर पर बाहर चला गया। रात को
अच्छी नींद आई।

अगले दिन सुबह मैं एकदम तरोताजा थी, मेरा गुस्सा भी कम हो गया था। मैंने
अमित और सतीश से फ़ोन पर बात की और उन्हें प्यार से डाँटा भी ! दोनों ने
फ़ोन पर माफ़ी मांग ली, अब मेरा गुस्सा ख़त्म था।

रात को अमित नहीं था, मैं उसके कमरे में सो रही थी, अकेले मुझे नींद नहीं
आ रही थी, एक बार आदमियों के साथ सोने की आदत पड़ जाए तो अकेले नींद भी
नहीं आती। किसी तरह मन मसोस कर सो गई।

सुबह छः बजे उठने पर चूत कुनमुना रही थी और सही बात कहूँ तो लंड मांग रही
थी। मुझे अपने पर गुस्सा भी आ रहा था कि मेरी चूत रांड हो गई है, इतना
चुदने के बाद भी खुजला रही है, पहले तो इतनी नहीं खुजलाती थी। देहली जाकर
पता नहीं बिना चुदे कैसे रह पाएगी।

मैं आज शाम को दिल्ली जा रही थी, मैंने अमित को फोन किया, अमित बोला- शाम
को आ नहीं पाऊँगा, सच कहूँ तो मेरी गांड मारने के बाद वो मुझसे नज़रें
चुरा रहा था।

मैंने कहा- एक बार और नहीं डालोगे?

अमित बोला- भाभी आपके साथ मज़ा बहुत आया, लेकिन कुछ ज्यादती हो गई, मुझे
माफ़ कर देना !

इसके बाद बात खत्म हो गई। मेरा मन थोड़ा सा दुखी हो रहा था, मैं सोच रही
थी कि बेकार इतना डाँटा अमित को, मज़े तो मैंने भी लिए थे।

मैंने अपने सर को झटका और स्कर्ट टॉप पहन कर नीचे आ गई, सुबह के आठ बज़
गए थे। रात को भाई साहब आ गए थे और अखबार पढ़ रहे थे। बच्चे स्कूल चले गए
थे।

भाभी ने मेरी और उनकी चाय बनाई, मैंने जाकर झुक के चाय भाईसाहब को दे दी,
मेरी पूरी चूचियाँ भाईसाहब ने दर्शन कर लीं लेकिन अब मुझे यह सब नया नहीं
लग रहा था। भाईसाहब के कमरे में फर्श पर कुछ कपड़े पड़े थे, मैंने उन्हें
एक एक करके उठाया और बाहर धुलने रख दिया।

मैंने मुड़कर देखा तो भाईसाहब मुझे ऐसे घूर-घूर कर देख रहे थे जैसे मुझे
अभी चोद डालेंगे।

बाहर आकर मैं भाभी के साथ काम करने लगी।

तभी पड़ोस से नीलिमा आ गई, बोली- भाभी, शर्मा जी के यहाँ नहीं चलना उनके
यहाँ लड़का होने की कथा है।

भाभी बोलीं- ओह, मैं तो भूल ही गई थी।

भाभी मुझसे बोली- तू इनको को नाश्ता करा देना। मैं दो घंटे में आ जाऊँगी।

मैंने नाश्ता बना लिया, गर्मी बहुत हो रही थी अपने टॉप के दो बटन खोल
लिए। जब मैं भाईसाहब को नाश्ता दे रही थी तो मेरी चूचियाँ झुकने पर पूरी
नंगी दिख रही थीं।

भाईसाहब मुस्कराते हुए बोले- अर्चना आज तो लग रहा है, दूध पीने को मिलेगा।

मैं समझ गई कि भाईसाहब मेरी चूचियों का मज़ा ले रहे हैं, मैं भी मुस्कराते
हुए बोली- आप दूध पी लेना ! किसका पियेंगे भैस का या किसी और का?

भाईसाहब ने आँख मारी- तुम जो पिला दोगी?

मैंने कहा- पहले आप नाश्ता कर लें, फिर जिसका आप कहेंगे उसका पिला दूंगी।

और मैं भी मुस्करा दी। इसके बाद पीछे मुड़कर मेज पर झुककर अखबार पढ़ने लगी।
मेरी स्कर्ट बहुत छोटी थी जो ऊपर को उठ गई थी। भाईसाहब मेरी नंगी गांड और
उसके नीचे से झांकती चूत का मज़ा नाश्ता करते हुए ले रहे थे। रोज़ की तरह
मैंने चड्डी नहीं पहनी थी, रोज़ अमित से मज़े लेने के लिए नहीं पहनती थी
तो आज पहनना ही भूल गई थी। मुझे इस बात का पता तब चला जब अचानक से किसी
ने मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरा।

मैंने मुड़कर देखा तो भाईसाहब मेरे नंगे चूतड़ सहला रहे थे। अब मुझे पता
चला कि मैं तो अपनी नंगी गांड बार बार उन्हें दिखा रही हूँ इसलिए वो मुझे
चोदने की नज़र से घूर रहे थे।

उनका इस तरह देखना गलत नहीं था।

भाईसाहब ने मेरे चूतड़ों को दबाते हुए मेरी चूत अपने हाथों से सहला दी और
बोले- तुम तो गुरु हो ! इतनी देर से दिखा रही हो, अगर अब भी हाथ न लगाया
तो तुम मुझे नामर्द समझोगी।

मैं एकदम से चौंक गई, मुझे अपनी गलती समझ मैं आ गई, मैं चड्डी पहनना भूल
गई थी। इसके बाद भाईसाहब ने मुझे पीछे से बाँहों में जकड़ते हुए मेरी
चूचियाँ अंदर हाथ डालकर मसलीं और अपना हाथ मेरी स्कर्ट पर सरका कर उसका
एक मात्र बटन खोल दिया। स्कर्ट नीचे गिर गई और उन्होंने अपने हाथ से मेरी
चूत को सहलाते हुए कहा- चूत तो तुम्हारी गीली हो रही है। शर्मा क्यों रही
हो? अकेले हैं, आओ तुम्हारी चूत और चूची दोनों का दूध पीते हैं।

मैं भी पूरी रांड हो गई थी, मैं मुस्करा दी और मैंने चुदने के लिए एक मूक
सहमति दे दी थी। मन में रंडीबाज़ी जाग उठी, जाते जाते एक बार एक और लौड़े
से सही।

भाईसाहब बोले- ऊपर चलते हैं, अमित के कमरे में चोदते हैं।

मैंने अपनी स्कर्ट पहन ली और हम दोनों ऊपर आ गए।

ऊपर आकर भाईसाहब ने मेरी स्कर्ट उतार दी और टॉप भी निकाल दिया। अब मैं
अपने नंगे बदन का मुजरा पेश कर रही थी उन्होंने मुझे अमित के बाहर के
कमरे में लिटा दिया और मेरी दूधों को चूसने लगे।

चूसते हुए भाईसाहब ने मेरी निप्पल कड़ी कर दीं। अब मेरी चूत की बारी थी,
दाने पे मुँह लगते ही मेरी आहें निकलने लगीं। क्या चूसा था !

इसके बाद तो अच्छी से अच्छी औरत भी लंड लंड करने लगेगी, पूरा चूत रस बहने लगा।

पाँच मिनट चूसने के बाद मैं बोली- अब कुछ करिए न ! आह ! बहुत मन कर रहा है।

भाईसाहब ने अपना पजामा कुरता उतार दिया, उनका पाँच इंची लंड मेरी आँखों
के आगे था, मुझे लगा कि आज चुदने में आनन्द कम आएगा लेकिन मेरा सोचना गलत
था। उन्होंने मेरी टांगें उठाकर चूत में लंड घुसा दिया।

आह ! पूरा अंदर चला।

भाईसाहब ने धीरे धीरे मुझे चोदना शुरू कर दिया लेकिन पूरा लंड अंदर-बाहर
कर रहे थे, आराम से मेरी चुदाई चल रही थी, मैं भी धीरे धीरे आहें भर रही
थी। बीच में 2-3 बार चुदाई रोककर लंड अंदर घुसाए घुसाए भाईसाहब ने मेरी
चूचियाँ और होंटों की चुसाई की, चूचियों को कई तरह से दबाया और मसला।

उसके बाद बोले- आसन बदल कर चुदना हो तो बताना !

पूरे प्यार भरे तरीके से मेरी चुदाई हो रही थी, भाईसाहब ने लंड निकाल
लिया और मेरी जाँघों पर अपने हाथों से मालिश करने लगे, मेरी नाभि को
चूमा, गले पर सहलाया और मेरी जीभ निकलवा कर चूसी। उन्होंने मुझे काम रस
में डुबो दिया।

मैं बोली- आपके साथ बहुत अच्छा लग रहा है, एक बार और चोदिये ना !

उन्होंने मुझे चिपका कर अपना लंड घुसा दिया और मुझसे सेक्सी बातें करने
लगे, बोले- तुम्हारी जांघें बहुत गर्म हैं, तुम बहुत सेक्सी हो !

मेरी तारीफ़ करते हुए धीरे धीरे चोदने लगे। मुझे बहुत आनन्द आ रहा था, मैं
भी चुदने में पूरा साथ दे रही थी।

तभी दरवाज़े की घंटी बजी।

मैं हड़बड़ा गई और उठ गई। भाईसाहब बोले- जाली के दरवाजे में से मुँह नीचे
डालकर देखो कौन है।

मैं नंगी उठी और टीशर्ट डालकर खिड़की का दरवाज़ा खोलकर नीचे देखा तो
सब्जी वाला था, बोला- बहनजी, सब्जी !

मैंने कहा- नहीं चाहिए !

वो चला गया।

भाईसाहब मेरे पीछे आ गए और मुस्कराते हुए बोले- ऐसे नहीं घबराते हैं, तुम
खिड़की की जाली से सड़क का नज़ारा देखो मैं तुम्हें पीछे से चोदता हूँ।

मैं दोनों हाथ खिड़की पर रखकर झुक गई और बाहर देखने लगी, भाई साहब ने
प्यार से मेरी कमर पकड़ कर चूत में लंड लगाया और शुरू हो गए। इस बार वो
थोड़े तेज शोटों से चोद रहे थे।

मैं नीचे झांक रही थी और अपनी चुदाई के मज़े ले रही थी।

दो मिनट बाद मुझे शर्म आने लगी और बोली- बिस्तर पर ही करते हैं।

हम लोग बिस्तर पर आ गए। भाईसाहब ने मुझे बिस्तर पर गोद में बैठा लिया और
नीचे से अपना लोड़ा मेरी चूत में लगा दिया। भाईसाहब अब नीचे से धक्के मार
कर चोदने लगे, मैं अपने स्तन उनके सीने से चिपकाए अपनी चुदाई का आनंद ले
रही थी।

कुछ देर बाद उन्होंने अपना पानी मेरी चूत में छोड़ दिया, हम दोनों आपस
में चिपक कर एक दूसरे को चूमने लगे। मुझे चुदाई में प्यार भरा आनन्द आया
था।

मैं भाईसाहब से बातें करने लगी।

भाईसाहब और मैं एक दूसरे के अंगों को छेड़ते हुए बातें कर रहे थे। मैंने
उन्हें कई बार होटों पर चुम्बन किया तो उनका लंड दुबारा टन-टन करने लगा
था, उन्होंने मेरे हाथ में अपना लौड़ा पकड़ा दिया और मेरी गांड में उंगली
घुमाने लगे, मुस्कराते हुए बोले- तुमने 2-3 दिन पहले ही गांड मरवाई है।

मैं बोली- आपको कैसे पता?

हँसते हुए बोले- छेद उंगली डालते ही बड़ा हो रहा है।

मैं चुप रही।

भाईसाहब बोले- मुझसे मरवाओगी?

मैं बोली- दर्द बहुत होता है।

भाईसाहब बोले- दर्द अगर हो जाए तो मेरी जान ले लेना।

मुझे लगा कि भाईसाहब का लंड छोटा है, मज़ा ले लेती हूँ, और इन्होंने मेरी
चूत को अमित और सतीश से ज्यादा मस्त मज़ा दिया है, एक बार गांड मैं और
सही।

मैं बोली- प्यार से मारना।

भाईसाहब बोले- चिंता न करो, अब एक बार मेरा लोड़ा चूस कर थोड़ा कड़क कर दो।

मैंने उनकी जाँघों में लेटकर लौड़ा 10-12 बार चूसा। इसके बाद उन्होंने
मुझे हटा दिया और अपना पर्स उठा कर उसमें से एक कंडोम निकाल कर लंड पर
चढ़ा लिया।

मैंने पूछा- आप पर्स में कंडोम क्यों रखते हैं?

भाईसाहब मुस्कराते हुए बोले- जब भी मैं टूर पर जाता हूँ तो रात को बिना
लड़की के नहीं सोता। पर्स में हमेशा 3-4 कंडोम रखता हूँ, इससे रात को आराम
हो जाता है। एक रात में 2 से 4 बार लड़की को चोदता हूँ। अब ये छोड़ो और
जिस आसन में गांड मरवानी है, लेट जाओ, थोड़ा टांगें फ़ैला कर रखना।

मैं बोली- आप ही लेटा दीजिए न।

भाईसाहब ने मेरे पेट के नीचे दो तकिये रख दिए और मुझे उल्टा लेटा दिया।

भाईसाहब ने मेरी गांड में दोनों हाथों की एक एक उंगली मिलकर आगे पीछे 5-6
बार करी। आह बड़ा मज़ा आया। टाँगे मेरी उन्होंने चौड़ी कर दीं थीं, उनके
लंड का सुपारा मेरी गांड खटखटा रहा था जिसे उन्होंने हाथ से पकड़ कर गांड
में डाल दिया और अपना लंड अंदर घुसाने लगे। थोड़ घुसने के बाद मेरी
चूचियाँ मेरे ऊपर लेटकर हाथों से दबा लीं और बोले- चुदते समय आह ऊह खुलकर
करना, इससे मुझे और तुम्हें दोनों को ख़ुशी मिलेगी।

अब वो धीरे धीरे चोदते हुए लण्ड अंदर डालने लगे। आह ऊह ऊह आह आह ऊह क्या
मज़ा था ! लंड पूरा अंदर जा चुका था।

उन्होंने पूरा घुसने के बाद उसे बाहर खींचा और दुबारा अंदर तक पेल दिया।
मेरी गांड अच्छी तरह से चुदने लगी, उनके टट्टे मेरी गांड पर बार बार छू
रहे थे, मेरी गांड मरनी शुरू हो गई लेकिन कोई दर्द नहीं था। लंड कभी धीरे
और कभी तेज अंदर-बाहर हो रहा था, मैं आह ऊह आह्ह ऊह बड़ा मज़ा आ रहा की
आवाज़ों से मस्तिया रही थी। सच भाईसाहब ने मस्त कर दिया था। मुझे लग रहा
था कि चूत गांड वाकई मज़े की चीज़ें होती हैं बस प्यार से मारने वाला
चाहिए। आज मेरी गांड में गाडी बड़े प्यार से दौड़ रही थी, बहुत मज़ा आ रहा
था।

भाईसाहब ने कुछ देर बाद लंड बाहर निकाल लिया, मेरे से रहा नहीं गया और
बोल पड़ी- और करिए ना ! बड़ा मज़ा आ रहा है।

भाईसाहब ने गले पर पप्पी ली और बोले- अभी तो शुरुआत हुई है, चिंता क्यों करती हो।

भाईसाहब ने मेरे चूतड़ों पर हाथ मारा और बोले- अब उठो और घोड़ी बन जाओ !

भाईसाहब ने मुझे पलंग पर आधा लेटाकर नीचे जमीन पर मेरे पैर चौड़े करवाए और
मुझे घोड़ी बना दिया। इसके बाद भाईसाहब मेरे चूतड़ों पर 6-7 चाटें प्यार
से मारे और मेरी गांड में धीरे-धीरे पूरा लंड घुसा दिया और मुझे पेलने
लगे।

5-6 शोटों के बाद उन्होंने टाँगे मिला दीं, अब मेरा छेद सिकुड़ गया था।
उनका लंड अब कसा हुआ मोटा लग रहा था। उन्होंने ताकत से लौड़ा अंदर-बाहर
किया। मुझे अब दर्द हो रहा था, मेरी आँखों से पानी आ गया, मैं बोल उठी-
बाहर निकालिए, बड़ा दर्द हो रहा है।

उन्होंने झुककर मेरी पप्पी ली और टांगें दुबारा चोड़ी करा दीं, अब लौड़ा
पूरी ईमानदारी से अन्दर-बाहर हो रहा था, मैं ऊह ऊह ऊह आहा की आवाज़ों से
अपना आनंद प्रकट करने लगी थी।

भाईसाहब बोले- मज़ा आ रहा है?

मैं बोली- हाँ बहुत मज़ा आ रहा है, और करो और चोदो।

मेरी गांड में अंदर तक लंड घुसा कर भाईसाहब रुक गए और बोले- अर्चना, अब
आगे पीछे होकर तुम खुद चुदो, उसमें और मज़ा आएगा।

मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर थी, मैंने अपनी गांड को आगे-पीछे करना शुरू कर
दिया और लौड़ा खाने लगी। हर शॉट पर भाईसाहब मेरी चूची पूरी दबा देते थे
औरे मेरी चोटी भी बीच बीच में खींच देते थे। इसके बाद उन्होंने मेरी कमर
को पकड़ लिया, अब वो लोड़ा आगे पेलते तो मैं गांड पीछे पेलती। मस्त होकर
मैं गांड चुदवा रही थी। दस मिनट बाद मैं हांफ गई, भाईसाहब ने मुझे गोद
में उठाकर पलंग पर डाल दिया और कंडोम निकाल कर फेंक दिया और बोले- मैं
झड़ने वाला हूँ, तुम्हारी चूची पर रस डालूं या जमीन पर निकाल दूं !

मैं बोली- मुझे आप अपना रस मुँह में पिलाओ !

और मैंने मुँह में लंड ले लिया और तेज-तेज चूसने लगी। 2-3 चुसाई में लंड
ने पानी छोड़ दिया, मेरा पूरा मुँह वीर्य से भर गया, भाईसाहब का पूरा रस
प्यार से मैं गटक गई।

उसके बाद चिपक कर मैंने उन्हें चूम लिया और बोली- आप बहुत अच्छे हैं,
आपने मुझे बहुत सुख दिया।

5 मिनट बाद चिपक कर हम अलग हो गए, मैं बाथरूम में चली गई।

बारह बज़ गए थे, भाभी एक बजे आईं, हम लोगों ने खाना बना कर खा लिया। इसके
बाद मैं अमित के कमरे में चली गई और अपना सामन सेट करने लगी।

अमित का कमरा भी मैं सेट करने लगी, अमित के पलंग के नीचे मुझे उसका एक
मेल आइ डी और पासवर्ड लिखा दिखा। पहले मैंने उसे नज़रंदाज़ कर दिया लेकिन
फिर कुछ सोचकर मैंने उसे अपने पर्स में एक कागज़ पर लिखकर डाल लिया। उसके
बाद मैं सो गई।

छः बजे उठी, रात को दस बजे मुझे जाना था, 11 बजे मेरी ट्रेन थी, मैंने
अमित को फ़ोन किया, अमित बोला- मैं कानपुर से बाहर हूँ, भाईसाहब से कहना
कि तुम्हें छोड़ दें।

भाईसाहब बच्चों के स्कूल के आने से पहले काम पर चले गए थे। मैं भाभी और
बच्चे ही घर पर थे।

नौ बजे खाने के बाद और बच्चों के सोने के बाद भाईसाहब घर 9:30 पर आए और
हम लोग स्टेशन के लिए निकल पड़े। जाते जाते मैंने भाभी के घर पर पड़ी एक
सरिता किताब अपने बैग मैं रख ली। रास्ते में भाईसाहब ने एक सुनसान जगह
कार खड़ी कर दी। हम दोनों ने दो गहरे चुम्बन लिए और मैंने भाईसाहब का लौड़ा
निकाल कर कार में पूरा रस निकलने तक चूसा।

इसके बाद हम स्टेशन पहुंचे, स्टेशन से 11 बजे मेरी ट्रेन चल दी।मेरी
चुदाई यात्रा समाप्त हो गई थी। सुबह 6 बजे मैं अपने सास-ससुर के पास थी।
अब मैं 4-4 लंडों से खेली खाई औरत थी। दो दिन बाद ही मुझे लंड की चाहत
महसूस होने लगी। भगवान् ने मेरी सुन ली, मेरे पति 5 दिन बाद विदेश से
वापस आने वाले थे।

5 दिन बाद राजीव वापस आ गए, आते ही रात को उन्होंने मेरी 5-6 बार चूत
चोदी और मुझसे पूछा- तुम्हारी गांड में ट्राई करूँ? विदेश में तो गांड
मारना एक सामान्य सी बात है, और मेरे सारे विदेशी दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड
की गांड मार चुके हैं।

मैं हल्के से मुस्करा कर बोली- जैसा आप चाहो !

और उन्होंने मेरी गांड मारने की कोशिश करी। 5-6 बार में थोड़ा सा घुसा पाए
और उसके बाद उनका शेर ढेर हो गया। राजीव मुझे गांड मारने में नए खिलाड़ी
लगे जबकि मैं अब एक खेली-खाई औरत थी लेकिन मुझे अपना लीगल लंड मिल गया
था, मैं खुश थी और रोज़ उनसे चुदने लगी। मेरे सहयोग से वो मेरी गांड
मारना भी सीख गए।

चार दिन बाद मैं राजीव के साथ बाहर होटल में खाना खाने गई। लौटते वक्त
5-6 गुंडों ने हमें घेर लिया और मुझे छेड़ने लगे। उनमें से दो आगे बढ़कर
मेरी चूचियाँ दबाने लगे। राजीव उनसे भिड़ गए। तभी एक बदमाश ने पिस्तौल
निकाल कर राजीव को 2 गोलियां मार दीं और सभी गुंडे वहाँ से भाग गए।

शुरू में डॉक्टर ने राजीव को 2-3 दिन का मेहमान बताया। मैंने दिन-रात
राजीव की सेवा की। इस समय लंड चूत सब भूल गई थी मैं। भगवान् की कृपा से
राजीव 30 दिनों में सही हो गए। इन 30 दिनों में राजीव तो सही हो गए थे
लेकिन मुझे अपने पर शर्म आ रही थी कि मेरे पति मुझ पर मरने को तयार हैं
और मैं उनके पीछे अपने मज़े के लिए लौड़े खाती रही।

एक रात राजीव सो रहे थे, मैं ये सब सोच सोच कर परेशान हो रही थी।मैंने
समय पास करने के लिए कंप्यूटर ऑन कर लिया, तभी मेरे मन में अमित का मेल
देखने का ख्याल आया, मैंने अपने पर्स से उसका मेल आइ डी और पासवर्ड
निकाला और उसका मेल बॉक्स खोल लिया।

ढेर सारे मेल इनबॉक्स और सेंट मेल में थे, मैं बोर हो रही थी मैंने इन
बॉक्स पर क्लिक कर दिया। दसवें मेल का शीर्षक था- आधा आधा कर लेते हैं।

मैंने खोला तो अंदर लिखा था- अमित नाराज़ क्यों होते हो बबलू, सतीश और अजय
ने मुझे कुल साठ हजार रुपए दिए हैं अर्चना के चोदने के बदले मैं। तुम बीस
की जगह आधे ले लेना ! अब घर वापस आ जाओ और यहीं किराए पर रहो।तुम्हारी
भाभी रजनी

मेरा दिमाग घूम गया मुझे समझ में आ गया, दोनों ने मुझे चालाकी से सतीश और
बबलू से सौदेबाज़ी करके एक रंडी की तरह चुदवाया है और माल कमाया है। अब
दोनों हिस्सेदारी कर रहे हैं। लेकिन यह अजय कौन है मुझे समझ में नहीं आ
रहा था।

आगे और मेल मैंने पढ़े, मुझे इतना समझ में और आया कि दोनों लोग मुझे नशे
और कामौत्तेजक गोलियाँ देते रहे जिस कारण से मेरी चूत रोज़ लंड लंड
चिल्लाती थी और मैं बेशर्म होकर चुदवाती थी।

मैं उत्तेजित होकर और मेल पढ़ने लगी। सब कुछ पढ़ने के बाद मुझे इतना और पता
चला कि साठ हजार में से 15 बबलू ने, 30 सतीश ने और 15 अजय ने दिए थे।अमित
कानपुर में ही था जिस दिन मैं वापस देहली आ रही थी। अब मेरे दिमाग में दो
बातें घूम रहीं थीं कि यह अजय कौन है और अमित आखरी दिन कानपुर में होते
हुए भी बाहर क्यों था।

मेरा दिमाग यह सब पढ़ कर ख़राब हो गया, मैं बेचैन हो रही थी, मुझे अपने पर
गुस्सा आ रहा था। मैंने कंप्यूटर बंद कर दिया और पर्स में रखी सरिता
किताब निकाल ली जो मैं भाभी के घर से लाई थी।

मैं किताब के पन्ने पलटने लगी, एक पेज पर मेरे हाथ रुक गए उस पेज में
भाभी, भाईसाहब और उनके दोनों बच्चों की एक फोटो रखी थी लेकिन भाईसाहब उन
साहब से अलग थे जिन्होंने मुझे भाईसाहब बनकर चोदा था।

अब सारी कहानी साफ़ थी सुबह जिन साहब ने मेरी चुदाई करी थी वो मेरे तीसरे
ग्राहक अजय थे और उन्होंने रजनी भाभी का साहब बनकर मुझे चोदा था।

अमित भी उस दिन घर में इसलिए नहीं था ताकि अर्चना रंडी अच्छी तरह से अजय
साहब से बज सके और भाभी भी बहाना बना कर घर से बाहर गई थीं।

अजय भाईसाहब बच्चों के आने से पहले ही गायब हो गए थे। मैं अपनी नज़रों में
गिर गई थी और ठगी सी महसूस कर रही थी।

राजीव सो रहे थे। मैंने दुखी होकर पत्र लिखा- राजीव, मैं ख़ुदकुशी कर रहीं
हूँ ! तुम्हारे पीछे मैंने 4-4 लोगों से चूत की आग के चलते अवैध सम्बन्ध
बनाए, तुम मुझे माफ़ कर देना। अचानक मैंने मुड़ कर देखा तो राजीव मेरे
पीछे थे और रो रहे थे, बोले- अर्चना, तुम्हारा प्यार इतना छोटा है। मुझे
तुम्हारी सेवा से नई जिंदगी मिली है और मैं एक लम्बी जिन्दगी तुम्हारे
साथ जीने की सोच रहा हूँ। तुम एक गलती पर ही हार मान गईं। आगे तो और
गलतियाँ होंगी कुछ मुझसे और कुछ तुमसे और इन संबंधों में जितना तुम्हारा
दोष है, उससे ज्यादा मेरा दोष है, मैं भी तो शादी करके पैसों के लालच मैं
तुम्हें प्यासी दुल्हन बनाकर विदेश चला गया।

राजीव ने रोते हुए कागज़ फाड़कर फेंक दिया और बोले- अब मैं तुम्हें छोड़कर
कभी नहीं जाऊँगा।

हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए, उसके बाद मुझे पता भी नहीं चला कि कब मेरे
कपड़े उतर गए और कब मेरी चूत में राजीव का लिंग घुस गया।

उस रात मुझे चुदते हुए शरीर से ज्यादा आत्मा का आनन्द महसूस हुआ, जो
राजीव के विश्वास का परिणाम था।

अगले दिन सुबह जब मैं उठी तो मुझे लगा अब हमारा रिश्ता पहले से मज़बूत हो
गया है। कुछ दिन बाद मुझे इस रात का ईनाम भी मिल गया, मेरे पाँव भारी हो
गए थे। सच कुछ पल जिन्दगी ख़त्म कर देते हैं तो कुछ पल नया जीवन दे देते
हैं।

थैंक्स राजीव, तुम्हारी महानता के लिए।

अपनी राय mastaniusha@yahoo.com पर भेजिये।







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सेक्सी कहानियाँ चुदाई यात्रा-4

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

चुदाई यात्रा-4

लेखिका : उषा मस्तानी

अगले दिन रात को आठ बजे सतीश और अमित वापस आ गए और आते ही नहाने चले गए।

भाभी और मैं कॉफी बनाकर ले आई। सतीश और अमित ने तौलिया बाँध लिया था,
भाभी ने साड़ी और मैंने सलवार सूट पहन रखा था।

कॉफी पीकर हम लोग बातें करने लगे, सतीश मेरा हाथ सहला रहा था।

सतीश को देखती हुई भाभी बोली- नया माल देखकर हमें तो भूल ही गए?

सतीश बोला- जलन हो रही है? चिंता न करो, आज रात पहले तुम्हें ही बजा देता हूँ।

सतीश उठा और भाभी को गोद में उठा लिया और पलंग पर लिटा दिया और उनकी
साड़ी-पेटीकोट ऊपर तक उठा दी। भाभी की चूत दिखने लगी थी। सतीश का तौलिया
नीचे गिर चुका था उअर उसका तना हुआ लंड हवा में लहरा रहा था।

भाभी उसे धक्का देते हुए बोली- हरामी, कपड़े तो उतार लेने दे, साड़ी ख़राब हो जाएगी !

लेकिन सतीश ने भागने की कोशिश कर रही भाभी को पीछे कमर से पकड़ लिया और
बोला- प्यार में कपड़े उतारने की क्या जरूरत?

उसने पलंग पर भाभी को गिरा कर पीछे से भाभी का पेटीकोट और साड़ी ऊपर कमर
तक उठा कर पीछे से झांकती भाभी की चूत में एक झटके में लंड फिट कर दिया।
सतीश अमित से बड़ा लौड़े का खिलाड़ी था, चूत दिखते ही पल भर में लौड़ा अंदर
घुसा देता था। भाभी की चूत अब चुद रही थी।

8-10 धक्कों के बाद सतीश ने भाभी को छोड़ दिया और बोला- अब कपड़े उतार लो
! यह तो ट्रेलर था।

मैं मुस्करा रही थी, भाभी बोलीं- ट्रेलर इस अर्चना को भी दिखाया करो।

अमित ने मुझे गोद में उठा लिया और बोला- भाभी को मैं ट्रेलर दिखा देता हूँ।

और उसने मुझे पीठ के बल पलंग पर लेटा दिया और मेरे बालों से एक चिमटी
निकाल कर मेरी पजामी में छेद कर दिया और पजामी चूत के पास से फाड़ दी,
तौलिया नीचे गिरा कर अपना लंड मेरी चूत पर लगा दिया। मुझे जब तक कुछ समझ
में आता, मेरी चूत में लंड घुस चुका था।

अमित ने मेरी चूत में 10-12 शोट पेल दिए।

भाभी ताली बजाते हुई बोली- यह हुई न बात।

मेरी पजामी फट गई थी। इसके बाद अमित हट गया, भाभी और मैंने बनावटी गुस्सा
दिखाते हुए अपने कपड़े उतार दिए। हम दोनों पूरी नंगी हो गईं। भाभी बोलीं-
तुम दोनों ने हमें पूरी रंडी बना दिया है। कपड़ों की चुदवाएं इससे अच्छा
है चूत की ही चुदाई करा लें। जितना बजाना है बजा लो, आज रात, कल तो वापस
जाना है।

इसके बाद हम लोगों ने नंगे ही खाना-पीना किया और 9 बजे एक ब्लू फिल्म लगा
दी जिसमें एक लड़की की चुदाई तीन आदमी कर रहे थे।

हम लोगों ने जमीन पर गद्दे बिछा दिए, अमित और सतीश गद्दों पर बैठकर ब्लू
फिल्म देखने लगे। लड़की की चूत, गांड और मुँह में तीन आदमी अलग अलग आसनों
से लंड पेल रहे थे। भाभी और मैं दूसरे कमरे में गए, भाभी ने मेरी चूत और
गांड जेली क्रीम से भर दी और बोली- इससे दर्द कम होगा।

वापस कमरे में आकर हम कुर्सी पर बैठ गए, ब्लू फिल्म देखते देखते अमित और
सतीश के लंड कड़े होते जा रहे थे, वो हमें हलाल करने वाली नज़रों से देख
रहे थे।

भाभी बोली- डाल दो ! ऐसे क्या घूर रहे हो?

अमित अपना लौड़ा सहलाते हुए बोला- सोच रहे हैं कि पहले किसे हलाल करें,
पिक्चर देख कर तो एक साथ चढ़ने का मन कर रहा है।

भाभी कुर्सी से उठीं और बोलीं- पहले तुम दोनों मेरी चोद लो। फिर मैं आराम
से अर्चना की चुदाई देखूंगी।

भाभी की बात सुनने के बाद अमित ने भाभी को अपनी गोद में लेटा लिया और
बोला- यह हुई न अच्छी बात।

सतीश उठकर भाभी की टांगों के बीच बैठकर उनकी चूत चूसने लगा। अमित ने भाभी
का सर घुमाकर अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया। भाभी चूत चुसवाते हुए
अमित का लंड चूसने लगीं।

ये सब देखकर मेरा हाथ चूत खुजलाने लगा था। इसके बाद अमित ने भाभी को घोड़ी
बनाया और उनके चूतड़ों को चौड़ी करवाकर चूत में लंड लगा दिया। सतीश ने अब
आगे से उनके मुँह में लंड डाल दिया। चुदते हुए भाभी चूसने का मज़ा लेने
लगीं, भाभी २-२ लंडों से खेल रही थीं।

मेरी चूत उछाल मार रही थी। मैंने अपनी चूत सहलाते हुए अमित को अपनी चूत
मारने का इशारा किया तो अमित ने भाभी को चोदना छोड़ दिया।

अब सतीश भाभी की चूत में घुसकर उनकी जवानी के मज़े लेने लगा, अमित मेरे
पास आ गया और मुझे कुर्सी से उठा कर अपनी जांघें फ़ैला दीं और मुझे अपने
लौड़े पर बैठा लिया, खड़ा लौड़ा मेरी चूत के दरवाजे से सीधा अंदर तक पहुँच
गया।

आह ! मुझे बहुत मज़ा आया। लौड़ा चूत में लगवाए हुए मैं भाभी की चुदाई
देखने लगी, चुदते हुए चुदाई देखने का मज़ा अलग ही था। हम दोनों की ऊह आह
ऊह की आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थीं। सतीश भाभी की चूत मार रहा था।
कुछ देर चूत मारने के बाद सतीश ने लौड़ा निकाला और भाभी की गांड में घुसा
दिया। सेकंडों में लौड़ा भाभी की गांड के अंदर था। भाभी लौड़ा घुसते समय
'ऊई मर गई मर गई; चिल्ला उठीं लेकिन 5-6 शोटों के बाद भाभी 'ऊह आह आह आहा
! मज़ा आ गया ! और चोद चोद थोड़ा तेज पेल ! पेल, बड़ा मज़ा आ रहा है !'
चिल्लाने लगीं, भाभी गांड के पूरे मज़े ले रही थीं। थोड़ी देर बाद भाभी और
सतीश हट गए। सतीश ने भाभी को अपने ऊपर लेटा लिया और नीचे से उनकी चूत में
लंड घुसा कर अमित को इशारा किया। अमित ने मेरी चूत से लंड निकाला और भाभी
की फटी हुई चमकती गांड में घुसा दिया। अमित का लंड सतीश से ज्यादा मोटा
था, भाभी जोर से चीखीं- उई उई मर गई !

अमित को 2-3 मिनट के करीब अपना पूरा लंड भाभी की गांड में ठोंकने में
लगे। भाभी जोर से चीखी जा रहीं थीं, उसने पूरा लंड अंदर तक पेल दिया और
भाभी को ठोकने लगा।

भाभी की दर्द वाली चीखें अब आह में बदल गई थीं। भाभी अमित और सतीश के बीच
सैंडविच बनी हुई थीं। दो दो लंडों ने भाभी को ठोंकना शुरू कर दिया, भाभी
एक रांड की तरह ऊई आह करते हुए मज़े से दो दो लंडों से ठुकाई का मज़ा ले
रही थीं। मैं मन ही मन सोच रही थी कि मैं दो दो लंड नहीं घुसवाऊँगी।

भाभी इस समय मुझे चूत लंड के खेल की मजी हुई रंडी लग रही थीं। दस मिनट के
बाद दोनों ने अपने लंड भाभी की चूत और गांड में खाली कर दिए। भाभी ने
मुझे बुला लिया और हम चारों एक दूसरे से चिपक कर नंगे बिस्तर पर लेट गए।
रात के बारह बजे थे, अभी मेरी जवानी का रस और दोनों को चूसना था लेकिन
आधे घंटे में तीनों लोग सो गए।

मुझे लगा कि मैं बच गई और मैं भी चुपचाप सो गई।

सुबह आठ बजे के करीब भाभी मेरी चूत चूस रही थीं। मैं जाग गई, अमित और
सतीश सिगरेट पी रहे थे। भाभी ने चूत से मुँह हटाया और बोलीं- तेरी चुदाई
का मुजरा देखे बिना मैं यहाँ से नहीं जाऊँगी, अब तेरी चुदने की बारी है।

दुबारा वो मेरी चूत का दाना चूसने लगीं। थोड़ी देर बाद सिगरेट खत्म होने
के बाद सतीश ने भाभी को अलग कर दिया और मेरी चूत में अपनी जीभ घुसा कर
फिराने लगा, अमित मेरे कूल्हे पकड़ कर दबाने लगा। लौड़े के दोनों
खिलाड़ियों ने मेरी चूत की भट्टी सुबह सुबह गर्म्म कर दी थी। मेरी चूत
पूरी गर्म होकर रस छोड़ने लगी।

भाभी बोली- रंडीरानी, अब जरा पलटी मार लो।

मैं उलट गई। अमित ने मेरा मुँह अपनी गोद में रख लिया उसका लंड मेरे मुँह
पर था, उसने बाल सहलाते हुए अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया और लंड
चुसवाने लगा।

सतीश ने पीछे से आकर मेरे चूतड़ उठाए और मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया
इस बीच भाभी ने मेरे पेट के नीचे दो मोटे तकिये रख दिए अब मैं आराम घोड़ी
बनी हुई थी। पहली बार दो दो लंड मेरी सेवा कर रहे थे। दोनों लंड मेरे
मुँह और चूत में दौड़ रहे थे। मैं भी कामाग्नि में नहाती हुई लपालप लंड
चूस रही थी और दोनों कुत्तों के लौड़ों का मज़ा ले रही थी।

मुझे इस खेल में एक नया मज़ा आ रहा था। अमित मेरे बाल सहलाते हुए बोला-
भाभी मुझसे भी गांड मरवा लो न ! थोड़ा दर्द होगा लेकिन मज़ा पूरा आएगा।

तभी रजनी भाभी बोलीं- इसने रात को मेरी गांड तुम दोनों से चुदते हुए बड़े
मज़े से देखी है, इसकी गांड तो तुम्हें अब मारनी ही पड़ेगी, नहीं तो मुझे
दूसरा कोई मोटे लंड वाला कुत्ता बुलाना पड़ेगा। आज ये भाभी नहीं, अर्चना
रंडी है।

मैं लौड़ा मुँह से निकालते हुए बोल पड़ी- न बाबा न ! अब किसी नए आदमी से
नहीं मरवाऊँगी, मुझे कोई परमानेंट रंडी नहीं बनना। सतीश-अमित तुम्हें जो
करना है, कर लो, जितनी फाड़नी है, फाड़ लो लेकिन प्यार से मारना।

अमित उठकर खड़ा हो गया, चूत में से सतीश ने भी लंड बाहर निकाल लिया, मेरे
चूतड़ों पर हाथ फिराते हुए बोला- रानी, घबराती क्यों हो? दो दो छेदों में
डलवाने का मज़ा शरीफ औरतों को बार बार कहाँ मिलता है, इसमें दर्द तो होता
है लेकिन मज़ा भी बहुत आता है। इस अमित साले ने सीधे तुम्हारी गांड में
डाल दिया तो दर्द ज्यादा होगा, पहले मैं रास्ता बना देता हूँ।

सतीश ने मेरी गांड में अपनी उंगली घुसा कर अंगूठी बनाते हुए मेरी गांड का
मुँह चौड़ा कर दिया। सतीश पहले एक बार मेरी गांड मार चूका था, उसने आसानी
से अपना लंड मेरी गांड में घुसा दिया और मेरी चूचियाँ झुककर पकड़ लीं।
चूचियों को मसलते हुए सतीश मेरी गांड चोद रहा था, मैं बकरी बनी हुई 'मां
मां मर गई' कर रही थी।

गांड चुदाई में मीठा दर्द हो रहा था, मेरी आहें गूँज रही थीं। अमित और
भाभी सिगरेट पीते हुए मेरी गांड चुदाई का आनन्द ले रहे थे। सिगरेट ख़त्म
होने के बाद अमित ने अपना लंड मेरे मुँह के आगे रख दिया और बोला- भाभी
इसे चूसो, अब एक नया मज़ा आएगा !मैंने लंड मुँह में ले लिया। सतीश अब धीरे
धीरे लौड़ा पेल रहा था। गांड मरवाते हुए मैं लौड़ा चूसने लगी, दो दो लंडों
से मेरी जवानी लुट रही थी।

दस मिनट के बाद अमित ने लंड निकाल लिया और पीछे जाकर सतीश को हटा दिया।

अमित मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा और बीच बीच में गांड में भी उंगली कर
रहा था जैसे कि माल को परख रहा हो।

सतीश ने मेरे मुँह के पास आकर अपना कंडोम निकाल कर फेंका और अपना लौड़ा
मेरे मुँह में घुसा दिया। मुँह में डालने के बाद उसने मेरी चुचूकों को कस
कस कर नोच कर घुमाया और 4-5 बार अपना लौड़ा मेरे मुँह में ठोका।

इसके बाद उसने लौड़ा निकाल कर मेरी कमर कस कर पकड़ ली, मैं अब अपने चूतड़
हिला भी नहीं सकती थी। जब तक मैं कुछ समझती, अमित ने अपने लंड का सुपारा
मेरी गांड में लगा दिया, मेरी गांड में 440 वोल्ट का झटका लगा। मैं जोर
से चिल्ला उठी, भाभी ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया। अमित का लौड़ा अंदर
प्रवेश करने लगा था। सतीश ने हाथ कमर से हटा लिए और मेरा मुँह पकड़ लिया,
अमित अब मेरी कमर पकड़ कर अपना मोटा लंड अंदर घुसाए जा रहा था, मैं घुटी
हुई चीखें मार रही थी। अमित का लंड सतीश से दुगना मोटा था। दो मिनट के
बाद अमित का लंड मेरी गांड में पूरा फिट हो गया था। सतीश ने मेरा मुँह
छोड़ दिया, मैं अब चिल्लाते हुए गालियाँ बक रही थी- हरामजादो, रंडी की
औलादो, अपनी माँ की चोदो साले ! हराम के ऐसे कोई चोदता है/

लेकिन ये सब सुनकर कुत्तों का जोश बढ़ रहा था। अमित ने मेरी गांड ठोकनी
शुरू कर दी और बोला- रंडी साली, पहले तो आग लगाती है फिर जलन होती है तो
गाली देती है?

भाभी बोलीं- आराम से मज़े ले ! शुरू में तो सबके दर्द होता है, मैं जब
चुद रही थी तो बड़ा मुस्कुरा रही थी, अब खुद की फट रही है तो रो रही है?
बड़ी सती-सावित्री बन रही है? जब से आई है, लंड-लंड चिल्ला रही है और अब
जब घुस रहा है तो रो रही है।

अमित बोला- मेरी प्यारी कुतिया भाभी, जितनी फटनी थी, उतनी फट गई है, अब
ढीली होकर मज़े ले ! चुदाई इसी का नाम है।

सतीश एक तरफ मेरी चूचियों का रस नोच नोच कर निकाल रहा था, अमित दूसरी तरफ
गांड लंड से खोद रहा था।

कुछ धक्कों के बाद मेरी गांड का दर्द कम हो गया लेकिन मेरी ठुकाई अच्छी
तरह से हो रही थी, मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे, मेरी गांड चुद चुद कर
चौड़ी हो रही थी, मैं एक रंडी की तरह चुद रही थी। कुछ देर बाद अमित ने
मुझे तिरछा करके लेटा लिया और मेरी जांघें फ़ैला दीं, लंड उसका मेरी गांड
फाड़े हुए था, आगे से सतीश ने बिना देर किए मेरी चूत में लंड घुसा दिया।
अब मैं दोनों के बीच सैंडविच बन गई थी, सतीश ने मेरी चुदाई 10 मिनट तक
करी। अमित भी बीच बीच में धीरे धक्के मार रहा था। अब मैं दो दो लंडों से
चुद रही थी।

इसके बाद दोनों ने अपने वीर्य से मेरी चूत और गांड भर दी। मैं अर्ध बेहोश
सी हो गई थी, थोड़ी देर बाद मैं सो गई।

कहानी जारी रहेगी।

अपनी राय mastaniusha@yahoo.com पर भेजिये।









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सेक्सी कहानियाँ चुदाई यात्रा-3

हिंदी सेक्सी कहानियाँ


चुदाई यात्रा-3

लेखिका : उषा मस्तानी

लौड़ा घुसने के बाद सतीश ने तेज धक्कों से मेरी चूत फाड़नी शुरू कर दी थी।
मैं ऊह आह ऊह का हल्ला मचाती हुई चुदवाने लगी।

5 मिनट बाद मेरी चूत वीर्य से नहा गई। इसके बाद हम लोग 5 मिनट तक चिपक कर
नहाए। नहाने के बाद मैंने सिर्फ छोटी स्कर्ट बिना पैंटी के और अमित ने
नेकर पहन ली।

हम लोग कमरे में आ गए, बिस्तर पर लेट कर मैं और सतीश बातें करने लगे।
सतीश मुझे इस समय एक अच्छा आदमी लग रहा था उसने मुझे अपना बना लिया था।
मेरी शर्म पूरी दूर हो गई थी रात के 10 बज रहे थे, भाभी का फ़ोन आया कि
वो लोग आ रहे हैं। भाभी और अमित साढ़े दस बजे आए।

मैंने और भाभी ने एक-एक जाम व्हिस्की का अमित और सतीश के लिए बनाया। मैं
सतीश की जाँघों में और भाभी अमित की जाँघों पर नंगी होकर बैठ गईं। दोनों
ने हमारी चूचियां और जांघें मसलते हुए हमें प्यार से रगड़ा और अपने जाम
ख़त्म किये। हम सब लोगों ने उसके बाद खाना खाया। इसके बाद यह तय हुआ आज
भाभी अमित के साथ और मैं सतीश के साथ सोऊँगी।

12 बजे मैं सतीश के कमरे में आ गई। सतीश से चिपक कर मैं लेट गई सतीश का
नेकर मैंने उतार दिया और उसका लंड अपने हाथों में पकड़ लिया।

सतीश का लंड सहलाने में बड़ा आनन्द आ रहा था। सतीश मेरे बाल सहला रहा था,
मैं चाह रही थी कि वो मेरी चुदाई करे लेकिन सतीश शांत लेटा हुआ था। उसका
लंड पूरा कड़क हो रहा था।

मुझसे रहा नहीं गया, मैं बोली- सतीश चोदो ना मुझे ! मसल दो मुझे।

सतीश मुस्कराया और मेरे को सीधा करके बोला- अर्चना, मेरी एक बात मानोगी?

मैंने पूछा- क्या?

"एक मिनट रुको, मैं बताता हूँ !"

सतीश बाहर गया और एक पतला सा अपने लंड जितना लम्बा और लंड से थोड़ा मोटा
बैंगन लेकर आया, बोला- प्लीज़ इसे अपनी चूत में डाल कर दिखाओ न। छोटेपन
में एक बार मैंने अपनी मामी को चूत में बैंगन करते देखा था तबसे मुझे
अपनी आँखों के सामने औरतों को बैंगन चूत में डलवाते हुए देखने में बड़ा
मज़ा आता है। प्लीज़ करके दिखाओ न।

उसने मेरे हाथ मैं बैंगन पकड़ा दिया और मेरे गले में बाहें डालकर मेरे
होंटों को चूसने लगा।

होंट चूसने के बाद सतीश बोला- रानी, मेरी इच्छा पूरी कर दो न?

मैंने कहा- ठीक है ! लेकिन किसी को बताना नहीं !

उसने हाँ में मुंडी हिलाई।

मैंने अपनी जांघें चौड़ी की और चूत में बैंगन घुसा लिया। पतला 7 इंची
बैंगन बड़े आराम से अंदर तक घुस गया।

मैं अपनी टांगें फ़ैला कर चूत में बैंगन करने लगी, सतीश मुझे बैंगन करते
हुए देख कर अपनी मुठ मारने लगा, उसे देखकर मैं मुस्करा रही थी, मुझे बड़ा
मज़ा आ रहा था।

5 मिनट बाद सतीश ने उठकर बैंगन निकाल कर एक तरफ़ रख दिया और मेरे गालों पर
पप्पियों की बारिश कर दी। मैंने उसे चूत मारने का इशारा किया उसने मुझे
तिरछा लेटा कर मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया और प्यार से मेरे गालों
और चूचियों को सहलाते हुए मुझे चोदने लगा।

मेरी चुदाई यात्रा की गाड़ी अपने अगले पड़ाव की तरफ दौड़ने लगी।

थोड़ी देर बाद पलंग पर सीधा लेटा कर सतीश मुझे चोदने लगा। सतीश अमित से
बड़ा चूत का खिलाड़ी था। एक कुशल खिलाड़ी की तरह वो चोदते हुए मेरे सारे
अंगों से खेल रहा था। मेरी गेंदों की शामत आई हुई थी, सतीश एक हैवान की
तरह मेरे स्तनों की मसलाई, चुसाई कर रहा था, मेरी चूत पानी छोड़ रही थी
और उसका लंड मेरे चूत रस से नहा रहा था, लौड़ा पूरे जोश के साथ मेरी सुरंग
चौड़ी करते हुए उसकी खुदाई चोद-चोद कर कर रहा था।

कुछ देर बाद सतीश लेट गया और मुझे उसने अपने ऊपर लिटा लिया। मैं उसके ऊपर
लेटी हुई थी, मोटा लंड मेरी चूत में अब आराम कर रहा था, शायद अगले हमले
की तैयारी में था। उसका हाथ मेरे चूतड़ों पर घूम रहा था। उसने मेरी गांड
में अपनी दो उँगलियाँ घुसा कर गांड चौड़ी की और साइड में पड़ा हुआ बैंगन
मेरी गांड में डाल दिया।

मुझे तेज दर्द सा हुआ।

सतीश ने मुझे एक हाथ से कसकर दबा रखा था, थोड़ी देर में सात इंची पतला
बैंगन मेरी गांड में घुस चुका था, मेरी आँखों में पानी आ रहा था। मैं
सतीश पर चिल्ला रही थी- कुत्ते ! बाहर निकाल ! दर्द हो रहा है।

लेकिन सतीश ने मुस्कराते हुए मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और तिरछा कर
दिया। बैंगन गांड में, लंड चूत में था। अमित ने लंड बाहर निकाल लिया और
3-4 बार मेरी गांड में बैंगन आगे पीछे किया, इसके बाद उसे बाहर निकाल
लिया और मुझे प्यार करने लगा।

उसका लंड तना हुआ था। उसने 10 मिनट बाद लंड फिर चूत में डाल दिया और मुझे
चोदना शुरू कर दिया, थोड़ी देर में उसने वीर्य मेरी चूत में उड़ेल दिया था,
पूरी चूत वीर्य से नहा गई सतीश का वीर्य मेरी चौड़ी और खुल चुकी चूत से
बाहर बह रहा था। मैं आनन्द से नहा गई, इतने आनन्द की तो मैंने कल्पना भी
नहीं की थी। मैं सतीश से चिपक गई।

उसने दुबारा मेरी गांड में बैंगन आगे पीछे करना शुरू कर दिया। मुझे दर्द
हो रहा था लेकिन उसने मुझे अपनी बाँहों में दबा रखा था। दस मिनट के बाद
उसने मेरा गाण्ड से बैंगन निकाला तो मुझे बड़ी राहत मिली।

सतीश बोला- आओ अब एक एक छोटा पेग व्हिस्की का लेते हैं।

हम दोनों ने एक एक छोटा पेग व्हिस्की का लिया। कुछ देर बाद मैं नशे में थी।

सतीश बोला- एक एक राउंड और हो जाए? तुम मेरा लोड़ा चूस कर खड़ा करो, एक
बार और तुम्हें चोदना है।

सतीश की मर्दानगी में कुछ बात थी, मैं मना नहीं कर पाई और नशे मैं उसका
लौड़ा चूस कर मैंने खड़ा कर दिया। उसने खड़े होकर लौड़े पर तेल लगाया और
मुझे उल्टा कर दिया मुझे लगा पीछे से वो मेरी चूत मारेगा।

सतीश ने मेरे पेट के नीचे दो तकिए रखे और मेरी टाँगें चौड़ी कर मेरी चूत
में अपना लंड घुसा कर 3-4 धक्के मारे। इसके बाद उसने लंड का सुपारा मेरी
गांड के मुँह पर रख दिया। मेरी गांड में उसका लंड छू रहा था, उसने अपने
हाथों से मेरी गांड में अपना सुपारा घुसा दिया। मैं उई करते हुए उछल पड़ी,
उसका लंड फिसल गया। हम दोनों नशे में थे। उसने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर
गिरा दिया और मुझे दबा कर अपना लंड मेरी गांड पर मारा तो लंड का सुपारा
गांड में प्रवेश पा गया।

सतीश औरतों की मारने में खिलाड़ी था। इस बार उसने मुझे उचकने का मौका नहीं
दिया और मेरी पीठ पर अपने हाथों का जोर डाल दिया और चिल्लाते हुए बोला-
रंडी, साली ! मज़े भी करने हैं और रो भी रही है? प्यार से ठोक रहा हूँ तो
नखरे कर रही है? आज तक जिस पर भी चढ़ा हूँ, गांड फाड़े बिना नहीं छोड़ा है
उसे !

और वो पूरी ताकत से अपना लंड मेरी गांड में ठूंसने लगा।

मैं जोर से चिल्ला रही थी- उई मर गई ! मर गई, छोड़ो सतीश, छोड़ो !

लेकिन औरतों की चूत से खेलने वाले खिलाडियों को पता होता है कब मारनी है
और कब प्यार करना है इस समय मेरी मारी जा रही थी, सतीश लंड पेलता जा रहा
था और बोलता जा रहा था- रंडी, साली ! रो क्यों रही है? मज़े कर एक बार
गांड का मज़ा ले लोगी फिर चूत मराने का मन नहीं करा करेगा।

सतीश ने अपना लंड पूरा ठोक कर मेरी गांड में घुसा दिया मेरी आँखों में
आँसू आ गए थे। उसने अब अपने हाथ मेरी पीठ से हटा लिए थे लेकिन अब मेरी
गांड उसके लंड के कब्जे में थी, मैं छुतने की कोशिश कर रही थी लेकिन अब
कोई फायदा नहीं था। उसने मेरे बालों को सहलाया और बोला- अब एक अच्छी औरत
की तरह गांड ढीले छोड़ो, जब गांड चुदेगी तो वैसा ही मज़ा आएगा जैसे कि
चलती गाड़ी में हवा लगती है।

मरती क्या नहीं करती ! मैंने अपनी गांड ढीली छोड़ दी।

सतीश ने मेरी कमर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर गांड में गाड़ी दौड़ानी शुरू
कर दी थी। मेरी चीखें निकल रही थीं, मेरी गांड मारी जा रही थी। कुछ
धक्कों के बाद मुझे मज़ा आ रहा था लेकिन दर्द बहुत हो रहा था। बीच में
सतीश ने मेरे चूचे पकड़ लिए थे और अब वो धीरे धीरे चोद रहा था। मेरी गांड
फट गई थी !

5 मिनट के बाद सतीश ने अपना वीर्य गांड में छोड़ दिया। मेरी गांड की
सुहागरात पूरी हो गई थी। सुबह के 2 बज रहे थे सतीश ने बाँहों में भरा और
बोला- तकलीफ हुई उसके लिए माफ़ी। सुबह उठोगी तो बहुत अच्छा लगेगा।

मैं लेट कर सो गई।

अगले दिन दोपहर एक बजे नींद खुली मेरी गांड बहुत दुःख रही थी। उठकर भाभी
के कमरे में झांक कर देखा तो भाभी और अमित नंगे सो रहे थे।

मैंने भाभी को उठाया, आँख मलते हुए भाभी उठीं, भाभी लंगड़ा रही थीं,
बोली- 4 बजे सो पाई हूँ, अमित ने कल गांड की माँ चोद दी, दो बार चढ़ा
साला ! बड़ा दर्द हो रहा है !

मुझे भी लंगड़ाते हुए देख कर बोलीं- वाह, तेरी गांड की भी सुहागरात मन
गई। सतीश ने तो आज तक जो भी लोंडिया मिली है बिना गांड मारे नहीं छोड़ा
है।

हम लोग बातें करते हुए बाथरूम में आ गई, साथ नहाते हुए हम दोनों ने एक
दूसरे की गांड पर दवाई लगाई।

भाभी बोली- चल अच्छा है, तेरी गांड खुल गई। अब किसी मोटे लंड वाले से
गांड चुदेगी तो दर्द ज्यादा नहीं होगा। यह अमित भी बड़ा हरामी है, तेरी
गांड मारे बिना तुझे दिल्ली नहीं जाने देगा। साले का लंड भी मोटा है। एक
बार अपनी कामवाली की कुंवारी गांड में डाल दिया था, बेचारी बेहोश हो गई
थी, बड़ी मुश्किल से बीस हजार में मामला निपटा था। अब तेरी गांड खुल चुकी
है, अमित का लंड तो घुस जाएगा लेकिन मज़े वाला दर्द भी बहुत होगा। साले को
ठीक से गांड मारनी आती भी नहीं, लेकिन मज़ा अच्छा देता है।

हम दोनों नहाने के बाद अपने कुत्तों के लिए नाश्ता बनाने लगे।

3 बजे नाश्ता खाकर हम लोग बाज़ार घूमने चले गए। बाज़ार से खाना खा पीकर 9
बजे हम लोग लौटे।

पता नहीं अमित और सतीश ने आपस में क्या बात चीत की, कहने लगे कि हम दोनों
को दो दिन के लिए बनारस जाना है। दोनों रात को बनारस चले गए, मैं और भाभी
रात में गहरी नींद सोए, सुबह हम दोनों तरो ताज़ा थी, हम दोनों को बड़ा
अकेला अकेला सा लग रहा था।

मैंने अपनी गांड की सुहागरात की पूरी कहानी भाभी को सुनाई। अगली रात को
चूत कुनमुना रही थी, गांड में भी खुजली हो रही थी, दोनों सहेलियाँ लंड
मांग रही थीं। भाभी और मैं नंगी होकर ब्लू फिल्म देखते एक दूसरे की चूत
और चूचियों से रात 12 बजे तक खेलती रहीं। भाभी ने मुझे 2X2 खेल के लिए
तैयार कर लिया था।

अगले दिन मुझे सतीश और अमित की याद आ रही थी। शाम को दोनों लोगों को वापस
आना था और आज रात हम चारों को एक साथ सेक्स का खेल खेलना था, एक डर सा लग
रहा था लेकिन यह सोचकर कि जब इतनी रंडीबाजी कर ली है तो यह भी सही !
दोबारा मौका मिले या नहीं ! घर जाकर तो गाज़र-मूली ही चूत में डालनी
पड़ेगी।

कहानी जारी रहेगी।

अपनी राय mastaniusha@yahoo.com पर भेजिये।










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सेक्सी कहानियाँ चुदाई यात्रा-2

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

चुदाई यात्रा-2

लेखिका : उषा मस्तानी

5 मिनट में बबलू ने मेरी फाड़ कर रख दी थी, मैंने 2 बार पानी छोड़ दिया
था। इसके बाद वो हट गया। मेरी चूत फट गई थी और दर्द कर रही थी, मैं सीधी
टांगें फ़ैला कर लेट गई। भाभी अपनी चूत चौड़ी करके जमीन पर पड़ी हुई थीं,
बबलू ने कुछ धक्के उनकी चूत में मारे और उसके बाद दोबारा मेरी चूत में
लंड पेल दिया, बोला- अपना वीर्य तो तुम्हारी चूत में ही डालूँगा।

मेरी चूत में 2-3 धक्कों बाद बबलू का पूरा वीर्य मेरी चूत में भर गया।
मेरे पूरे गर्भ में वीर्य की बाढ़ आ गई। अगर मैंने गोली नहीं खाई होती तो
पक्का गर्भ से हो गई होती।

इसके बाद हम दोनों उससे चिपक गए और 15 मिनट तक चिपके रहे। लंड बबलू का
बड़ा और मोटा था लेकिन उसने मुझे आनन्द बहुत दिया। उसने मुझे वास्तव मैं
प्यार से चोदा था।

कुछ देर बाद अमित बाहर से खाना लेकर आ गया हम लोगों ने खाना खाया। रात का
एक बज रहा था। हम लोग लखनऊ के लिए चल दिए।

दो बजे हम भाभी के फ्लैट मैं थे, जाते ही सब लोग सो गए मैं और भाभी साथ साथ सोई।

सुबह 6 बजे अलार्म से सब लोग उठे।

मैं बोली- भाभी अब पेपर देने का मन नहीं कर रहा, अब तो बस लंडों से खेलने
का मन कर रहा है, सुबह से ही चुल उठ रही है, बबलू की याद आ रही है, रात
चुदने में मज़ा आ गया।

भाभी बोली- तुझे और लंड मस्ती चाहिए तो कुछ और करें?

मैंने कहा- कुछ और क्या?

भाभी ने धीरे से कहा- मेरे पति के यार सतीश लखनऊ में हैं, मस्त चोदते
हैं, मेरी उनसे अच्छी यारी है, मैं पहले भी 3-4 बार उनसे चूत और गांड
मरवा चुकी हूँ। तू हाँ करे तो रात को तुझे उनके लंड का का मज़ा और दिला
दूँ। अमित और उनके लंड साथ साथ मुँह चूत, और गांड में डलवाना, दो-दो
लंडों से खेलने में बड़ा मज़ा आएगा।

मैंने कहा- अमित ऐसा करेगा?

भाभी हँसते हुए बोलीं- अमित बहुत हरामी है, उसको मैंने कई लड़कियों की
चूत दिलाई है, बहुत बड़ा चोदू है। एक बार तो उसने अपने दो दोस्तों के साथ
मेरी चोदी थी, तीन तीन लंड एक साथ मेरे मुँह, चूत और गांड में घुस गए थे।
और तू कौन सी उसकी सगी भाभी है। उसकी सगी चाची, जब चाचा के साथ शादी के
बाद आई थीं तो चाची की चोदने को उतावला हो रहा था, मैंने चाचा के रहते
उसे चाची की चूत छुपकर चालाकी से दिलवा दी थी, बात चूत चुदाई की हुई थी
लेकिन कुत्ते ने गांड मारे बिना चाची को नहीं छोड़ा। बस तुझे हाँ करनी
है, तेरी हाँ के बिना मैं तुझे दूसरे आदमी से नहीं चुदवाऊँगी।

तभी अमित आ गया, भाभी बोलीं- अभी 7 बज रहे हैं, जाने से पहले सोच कर बता देना।

भाभी की बातों से मेरे मन में एक तूफ़ान सा आ गया था, दो-दो लंड एक साथ
घुसने की सोच कर ही चूत फड़कने लगी लेकिन एक डर भी लग रहा था। आखिर जीत
भाभी की हुई। जाने से पहले मैंने उनको हाँ बोल दिया। अमित मुझे परीक्षा
भवन में छोड़ आया।

वहाँ मैं पूरे समय यही सोचती रही कि दो दो लंडों से चुदूँगी तो कैसा
लगेगा। सोच सोच कर चूत गीली हो रही थी। वाकई यह तो मेरी हसीन चुदाई
यात्रा थी, रोज़ नई नई तरह के सेक्स का आनन्द मिल रहा था। परीक्षा भवन
में 45 साल के मास्टरजी ड्यूटी दे रहे थे, मेरा मन कर रहा था कि मास्टर
जी से भी चुदवा लूँ। रंडी प्रवृति मेरे ऊपर हावी थी !

किसी तरह पेपर खत्म हुआ, अमित मुझे लेने आ गया। कार मैं बैठकर उसने मेरी
चूचियाँ मसलीं और बोला- भाभी ने मुझे सब बता दिया है, आज रात तुम मस्त हो
जाओगी। सतीश और मैं दो बार पहले भाभी और सतीश की चचेरी बहन को एक साथ चोद
चुके हैं, मस्त मज़ा आता है। तुम्हारे साथ तो मज़ा आ जायेगा।

मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि तुम्हारी गांड नगरी में भी एंट्री
मिलेगी। सेक्सी बातें करते हुए अमित मुझे साथ लेकर भाभी के फ्लैट पर आ
गया।

शाम को 6 बजे सतीश आ गया, भाभी ने सतीश से मुझको मिलवाया। सतीश ने मुझे
बाँहों में भरा और धीरे से मेरे होंठ चूसते हुए बोला- आप बहुत सुंदर हैं।

हम सब लोग आधे घंटे बातें करते रहे, मैं सतीश के पास बैठी थी। नॉन-वेज
बातें शुरु हो गई थीं।

भाभी बोलीं- सतीश को घोड़ी की सवारी बहुत पसंद है।

अमित बोला- सतीश संतरियों का रस पीकर घोड़ी बहुत अच्छी दौड़ाता है।

भाभी हँसते हुए बोलीं- अर्चना के पास दो संतरियाँ रखी हुई है, सतीश जी
उनका जूस निकाल लो।

सतीश ने मेरे स्तनों को ऊपर से दबाते हुए कहा- आपकी संतरियाँ तो बहुत
रसीली लग रही हैं।

मुझसे रहा नहीं गया, मैं बोली- पहले भाभी की पाव रोटी खा लो, पूरी मक्खन
से गीली कर रखी हुई है।

बातें करते करते हम सब गरम हो रहे थे, अमित ने भाभी के पेटीकोट में हाथ
डाल दिया और बोला- रजनी भाभी की पाव रोटी तो मैं खाऊँगा।

सतीश मेरी चूत ऊपर से सहलाते हुए बोला- आपकी पाव रोटी पर मक्खन हम लगा देंगे।

भाभी बोलीं- अब तू जाकर नहा ले और अपनी पाव रोटी गर्म कर, उसके बाद मक्खन
सतीश से लगवा लेना, यह अच्छा लगाता है।

सतीश मेरी पजामी के ऊपर से मेरी चूत सहला रहा था, मुझसे बोला- आओ नहाते हैं।

भाभी बोलीं- तू सतीश के साथ नहा ले, तब तक मैं और अमित बाहर घूम कर आते हैं।

भाभी और अमित के जाने के बाद सतीश ने मुझे बाँहों मैं भर कर एक बड़ा
लम्बा चुम्बन मेरे होंटों पर लिया और बोला- आप बहुत अच्छी लग रही हैं।

मैं थोड़ा संकुचा रही थी, सतीश बोला- आप और हम साथ नहाते हैं, इससे हमारे
आपके बीच की दूरी मिट जाएगी।

मैं राज़ी हो गई अमित ने अपने कपड़े उतार दिए थे, अब वो सिर्फ एक चड्डी में
था। उसने मेरी कमर में हाथ डाला और मेरा कुरता पजामा उतरवा दिया।

अब मैं उसके सामने एक पारदर्शी ब्रा और पैंटी मैं थी। उसने मेरी ब्रा के
ऊपर से चूचियों पर हाथ फिराते हुए कहा- आपके कबूतर बहुत सुंदर हैं, आपकी
आज्ञा हो तो इन्हें आजाद कर दूँ?

और उसने मेरी ब्रा का हूक खोल कर मेरे दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया,
फड़फड़ा कर दोनों कबूतर बाहर निकल आए।

सतीश ने दोनों कबूतरों की चोचें मुँह में लेकर उनको एक एक बार चूसा। मेरी
चूत लसलसी होने लगी थी। हम दोनों बाथरूम में आ गए, सतीश ने शावर चला दिया
और मुझे बाँहों में भर लिया, हम दोनों शावर में नहा रहे थे, हमारे बीच का
अजनबीपन दूर होता जा रहा था। मेरे स्तन सतीश के सीने को छू रहे थे, वो
नीचे झुका और मेरी नाभी चूसते हुए मेरी पैंटी पर आ गया। उसने अपने हाथों
से मेरी पैंटी नीचे कर दी और बोला- अमृत का स्वाद तो ले लेने दो रानी !

और वो मेरी गीली चूत को चाटने लगा। मैं गर्म हो रही थी, ऊपर से ठंडे पानी
ने मुझे गर्म कर दिया था, मुझे भाभी की बात सही लग रही थी। हर मर्द का
मज़ा अलग होता है। मैं काम रस में नहाने लगी थी, मैंने अपने को हिला कर
पैरों मैं पड़ी पैंटी अलग कर दी थी।

सतीश अब सीधा हो गया। उसने अपना अंडरवीयर उतार दिया। मेरी आँखों के सामने
एक पतला लम्बा लंड खड़ा था। मेरी पीठ से चिपक कर मेरी संतरियों का मसल मसल
कर रस निकाल रहा था। उसका नंगा लंड मेरी गांड से सटा हुआ था मेरी आह ऊह
की आवाजें धीरे धीरे निकल रही थीं। सतीश ने मेरे चुचूक नोचते हुए पूछा-
आगे से प्यार करवाना है या ऐसे ही अच्छा लग रहा है?

मैं बोली- अब लंड डालो, बड़ी प्यास लग रही है।

मुझे सतीश ने सीधा किया, बाँहों में भर लिया और कस कर भींच लिया। अब उसका
लंड मेरी चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। मैं भी उससे कस कर चिपक गई
थी।

उसने मुझे अपने पैरों पर खड़ा कर लिया था और मुझे ऊपर की तरफ उठा कर धीरे
धीरे हिल कर लंड मेरी चूत के होंटों में घुमा रहा था, सच में नया मज़ा था।

सतीश अब मेरा यार था। उसने मेरे होंटों पर पप्पी ली और बोला- अंदर डाल
दूं मेरी जान?

मैंने मुस्करा कर आँखें बंद कर लीं।

सतीश ने मुझे चूतड़ों से पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठाया और एक मंझे हुए खिलाडी की
तरह खड़े खड़े ही अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया।

गहरी आह की आवाज़ से मैंने उसका स्वागत किया। मैं सतीश के पैर के ऊपर
आराम से चिपके हुए खड़ी थे और उसका लंड मेरी चूत में घुसा हुआ था। अमित
के लंड से बिल्कुल अलग एक मज़ा था। पतला लंड था लेकिन जिस तरह मेरी चूत
में घुसा हुआ था वो अमित के लंड से कम मज़ा नहीं दे रहा था, साथ ही साथ
मुझे सतीश के साथ आज रात मिलने वाले आनन्द का अहसास करा रहा था। मुझे पता
चल गया था कि औरतें एक से जयादा लंड खाने के बाद लंड की शौकीन क्यों हो
जाती हैं।

सतीश ने 2-3 मिनट बाद लंड निकाल कर मुझे गोद में उठा लिया और नहाने वाले
स्टूल पर बैठ कर दुबारा अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। सतीश ने मेरी
टांगें अपने पीठ पर बांध लीं और नीचे से मेरी चूत को लंड से पेलने लगा।
उसमें अच्छी ताकत थी, बैठे बैठे ही वो मुझे अच्छी तरह चोद रहा था। उसने
मुझे मस्त कर दिया था। मेरे होटों पर होंठ रखे और पूछा- रानी, मज़ा आ रहा
है? दर्द तो नहीं हो रहा?

मैंने उसे भींच लिया और बोली- आपने तो मस्त कर दिया ! आह, बहुत अच्छा लग
रहा है, और चोदो ! आहहा बड़ा मज़ा आ रहा है।

उसने मेरे होटों पर होंठ रख दिये। 5 मिनट की चुदाई के बाद उसने मुझे सीधा
किया और पीछे दीवार से टिककर मेरे को दुबारा लोड़े पर बैठा लिया मेरी
गेंदें अब उसके हाथों में थीं, सामने शीशे में अपनी गेंदों की मसलाई और
चुदाई देख रही थी। लौड़ा मेरी चूत चोद रहा था।

सतीश को शीशे में देखकर मैं मुस्कुराई, उसने अपना लौड़ा बाहर निकाला और
बोला- शीशे में देखो लौड़ा कैसे अंदर घुसता है !

उसने दुबारा मेरी जांघें चौड़ी करके लौड़ा धीरे धीरे से मेरी चूत में
घुसा दिया। शीशे में मेरी फ़ैली हुई टांगों के बीच लौड़ा घुसते देख मैं
उत्तेजित हो गई थी। लौड़ा घुसने के बाद सतीश ने तेज धक्कों से मेरी चूत
फाड़नी शुरू कर दी थी। मैं ऊह आह ऊह का हल्ला मचाती हुई चुदवाने लगी।

5 मिनट बाद मेरी चूत वीर्य से नहा गई। इसके बाद हम लोग 5 मिनट तक चिपक कर
नहाए। नहाने के बाद मैंने सिर्फ छोटी स्कर्ट बिना पैंटी के और अमित ने
नेकर पहन ली।

हम लोग कमरे में आ गए।

कहानी जारी रहेगी।

अपनी राय mastaniusha@yahoo.com पर भेजिये।









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सेक्सी कहानियाँ चुदाई यात्रा-1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

चुदाई यात्रा-1

लेखिका : उषा मस्तानी

प्यासी दुल्हन का अगला भाग चुदाई यात्रा पाठकों के लिए

हम लोग कार से लखनऊ के लिए रात में चल दिए। अगले दिन मेरी परीक्षा थी।
मैंने सलवार कुरता और भाभी ने साड़ी ब्लाउज पहना था।

अमित बोला- तुम दोनों मुझे गाड़ी नहीं चलाने दोगी इसलिए चुपचाप पीछे बैठो।

अमित नेकर और टी शर्ट में था। हम दोनों मुँह बनाते हुए पीछे बैठ गए। भाभी
ने बताया कि उन्होंने अपना फ्लैट सेट करवा दिया है और हम लोग रात को बारह
बजे लखनऊ पहुँच जाएँगे।

भाभी रास्ते में अमित से बोली- अमित, तुम एक बार बता रहे थे कि तुम्हारे
एक दोस्त का लंड 10 इंच लम्बा और ४ इंच मोटा है?

अमित बोला- सच बोल रहा था। उसका घर रास्ते में पड़ता है, अगर विश्वास
नहीं होता तो दर्शन करा देता हूँ।

भाभी बोलीं- अगर छोटा निकला तो?

अमित बोला- पाँच हज़ार की शर्त रख लो।

दोनों मैं शर्त लग गई मेरी चूत उनकी बातें सुनकर मचलने लगी थी, मैंने भी
आज तक 10 इंच लम्बा लंड नहीं देखा था। अमित ने अपने दोस्त को फ़ोन कर
दिया। थोड़ी देर बाद रास्ते में वो मिल गया। गाडी मैं बैठकर हम उसके इंटों
के भट्टे पर पहुँच गए।

भट्टे में एक कमरा बड़ी अच्छी तरह सजा हुआ था। अमित के दोस्त का नाम बबलू
था। हम लोग अंदर बैठ गए।

थोड़ी देर बाद अमित बोला- बबलू, रजनी भाभी को अपना लंड दिखा दे। मेरी शर्त
लगी है कि अगर 10 इंच से कम निकला तो 5000 रुपए भाभी को दूँगा।

बबलू बोला- मैंने आज तक कभी मुठ नहीं मारी ! जब से मेरा खड़ा होना शुरू
हुआ है तब से सिर्फ चूत में ही डाला है। पहले दो साल तक तो अपनी चाची की
चोदता था, उसके बाद तो गाँव की लड़कियों, रंडियों, भाभियों और भट्टे पर
काम करने वाली औरतों की चोदता आ रहा हूँ। एक बार खड़ा हो जाता है तो फिर
बिना चूत में डाले लंड को नहीं बैठाता। अब यह बता दो कि तुम दोनों
डलवाओगी या किसी एक को चोदूँगा। गांड मैं मारता नहीं, और आधे घंटे से कम
चोदता नहीं हूँ।

अमित बोला- भाभी डलवा लो, मज़ा आएगा।

रजनी बोली- मैं तो डलवा लूँगी लेकिन अर्चना को भी घुसवाना पड़ेगा।
कुतुबमीनार देखने का मन तो इसका भी कर रहा है।

मैं झेंप गई, मैं बोल गई- नहीं नहीं मुझे तो बस देखना है मैं नहीं घुसवाऊँगी।

बबलू इतना सुनकर मेरे पीछे आ गया और मेरी कुरती में हाथ डालकर मेरे दोनों
संतरे मसलते हुए बोला- दिखा देंगे, तुझे भी दिखा देंगे, तेरा माल तो देख
लें पहले !

और उसने कुरता ऊपर उठा कर मेरे संतरे मसलने शुरू कर दिए। सामने भाभी
मुस्कराते हुए मेरी चूचियों की मसलाई देख रही थीं।

बबलू ने हाथ हटा कर मेरी पजामी का नाड़ा खोला और पीछे से कुरते की चैन
खोल दी। पज़ामी नीचे सरक गई, बबलू बहुत ताकतवर था, मेरी कुरती भी उसने
उतार दी और मुझे गोद में उठाकर अमित की गोदी में बैठा दिया। मेरे बदन पर
अब सिर्फ पेंटी थी। मेरे नंगे संतरे कमरे की शोभा बढ़ा रहे थे।

अमित मेरी पेंटी में हाथ डालते हुए बोला- मज़े कर लो भाभी ! ऐसा मज़ा
दुबारा नहीं मिलेगा।

बबलू भाभी की तरफ बढ़ा और बोला- अब तेरी चूचियों को देखता हूँ ! बहुत
बड़ी बड़ी लग रही हैं।

ब्लाउज उसने आगे से खींच कर फाड़ दिया, भाभी के मोटे मोटे गोल गोल स्तन आजाद हो गए।

बबलू चिहुंका- वाह, क्या सुंदर पहाड़ हैं रानी !

बबलू ने उन्हें मुँह में ले लिया और चूसने लगा और बाद में पीछे जाकर बबलू
भाभी के स्तनों को भोपूं की तरह बजाने लगा।अब मुस्कराने की बारी मेरी थी।
उसने इस बीच भाभी का पेटीकोट और साड़ी भी उतार दी। भाभी पूरी नंगी हो चुकी
थीं, उनकी चूत के दाने को बबलू रगड़ रहा था। भाभी को नंगी देखकर मेरी
शर्म कम हो गई थी।

भाभी अमित से बोलीं- अर्चना की पेंटी उतार दो न ! मुझे नंगी देखकर यह
रंडी खुश हो रही है।

अमित ने मेरी पेंटी उतार दी। उसके बाद बबलू ने गोदी में उठाकर भाभी को
मेरी बगल में बैठा दिया और बारी बारी से मेरी और भाभी की पप्पी लेता हुआ
बोला- बदतमीज़ी के लिए माफ़ करना ! नंगी बहुत सुंदर लग रही हो।

इसके बाद अमित और बबलू ने अपने कपड़े उतार दिए। मेरी और भाभी की नज़र बबलू
की चड्डी पर थी, उसका लंड चड्डी में से मोटा और बड़ा होने का अहसास करा
रहा था।

अमित और बबलू ने अपनी अपनी चड्डियाँ उतार दी। दोनों के तने लंड बाहर निकल आए।

बाप रे बाप ! बबलू का क्या मोटा और लम्बा लंड था बबलू के सामने अमित का 8
इंची लंड छोटा और पतला लग रहा था।

बबलू ने भाभी को उठाकर अपनी जांघों पर बैठा लिया और लंड हाथ में देता हुआ
बोला- रानी देख लो ! थोड़ी देर में यह तुम्हारी सुरंग में दौड़ेगा।

भाभी बोली- अर्चना, वाह ! क्या लम्बा है ! बाप रे बाप ! यह तो आज चूत
फाड़ कर चूत की भोंसड़ी बना देगा ! जरा स्केल तो निकाल अपने बैग से, आज
तो लग रहा है कि शर्त हार गई।

मैंने अपने बैग से 12 इंची स्केल निकाल लिया। भाभी ने लंड नापा तो १० से
थोड़ा कम था।

भाभी बोलीं- यह तो दस से कम है।

बबलू बोला- कुतिया, अभी तो यह खड़ा हो रहा है, मुँह में डालूँगा तब और
लम्बा होगा लेकिन सोच लेना जो पहले मुँह में लेगी उसकी चूत में बाद में
घुसेगा।

भाभी बोलीं- अर्चना, तुम चूस लो, इसका अगर तुम्हारी चूत में इसने पहले
डाल दिया तो कल पेपर नहीं दे पाओगी, मैं तो पुरानी रांड हूँ, चुदवा कर कल
आराम से सोऊँगी।

बबलू खाट पर बैठ गया, उसने मुझे खींच कर जमीन पर अपनी टांगों के बीच बैठा
लिया और अपना लौड़ा मेरे हाथों में पकड़ा दिया। मैंने उसका लंड हाथ में
पकड़ा तो ऐसा लगा जैसे कोई लोहे की बड़ी रॉड पकड़ ली हो।

बबलू ने बाल सहलाते हुए मेरे मुँह पर लंड रख दिया और बोला- अब जल्दी से
चूस ले। तू मुझे बहुत प्यारी लग रही है, तेरी चूत में भी घुसेगा और प्यार
से तेरी चोदूँगा। प्यार से पूरा अंदर तक डाल कर चूसियो ! अच्छी तरह नहीं
चूसा तो तेरी भाभी से ज्यादा फाड़ दूँगा।

मैंने बबलू का लंड चूसना शुरू कर दिया पूरा मुँह फाड़ के चूसना पड़ रहा था
बबलू भी पूरी हलक तक घुसा देता था । दस-बारह बार चूसने के बाद उसने लंड
बाहर निकाल लिया और भाभी से बोला- ले रांड, अब नाप ! फिर तुझे बताता हूँ
चुदाई क्या होती है।

भाभी भी आश्चर्य से बबलू का लंड देख रहीं थी, अबकी उन्होंने नापा तो लंड
दस इंच से थोडा बड़ा ही था।

भाभी हार गईं थी, अमित उन्हें देखकर मुस्करा रहा था।

बबलू ने भाभी के गले में हाथ डाल कर उनकी गेंदें हिलाईं और बोला- रजनी
डार्लिंग ! आराम से खोलकर मरवाओगी या मैं अपने अंदर के राक्षस को जगाकर
तुम्हारी मारूँ?

भाभी लौड़ा सहलाते हुए बोलीं- प्यार से मरवाने में ही भलाई है कुत्ते !
लेकिन थोड़ा प्यार से मारना, इस जैसा लम्बा-मोटा लंड तो देखने को भी नहीं
मिलता है।

"हैं? ऐसी बात है? तो चुपचाप नीचे गद्दे पर लेट जा !"

भाभी बबलू के इशारे पर उठकर नीचे पड़े गद्दे पर लेट गईं। बबलू ने मेरी तरफ
देखा और बोला- तू अमित से अपनी फुद्दी थोड़ी चौड़ी करवा ले ! जब तेरी
फुद्दी में घुसेगा तो दर्द कम होगा। नई नवेली दुल्हन का माल तो बड़ा
नमकीन होता है। तेरी चूत चोदने मैं तो मज़ा आ जाएगा।

मुझे उठाकर उसने अमित की जाँघों पर बैठा दिया और मेरी दोनों चूचियाँ कस
कर दबा दीं। इसके बाद उसने नीचे झुककर भाभी की टांगें उठाईं और उनकी चूत
में अपना दस इंची लंड घुसा दिया।

भाभी चीख उठीं- ऊ ऊई मर गई ! मर गई !

लेकिन अब वो बबलू के लंड की गुलाम थीं !

बबलू ने भाभी को चोदना शुरू कर दिया, उनकी अच्छी चुदाई हो रही थी, भाभी
की आँखों से पानी आ रहा था, बबलू बीच बीच में तेज़ धक्कों से उन्हें चोद
देता था।

ऊह्ह ऊई आः आहा आह मर गई मर गई जैसी आवाजें कमरे में गूंज रही थीं।

अमित ने भी मुझे अपने खड़े हुए लंड पर बैठा लिया अमित का लंड मेरी चूत में
अंदर तक घुसा हुआ था। मैं भी धीरे धीरे चुदते हुए भाभी की चूत फाड़ चुदाई
का मज़ा लेने लगी।

15 मिनट तक भाभी की लगातार चुदाई बबलू ने करी इसके बाद बबलू ने लंड निकाल
लिया और भाभी को बाँहों में भरकर अपने से चिपका लिया।

भाभी बोलीं- चूत में दर्द तो हो रहा है लेकिन बबलू, मज़ा आ गया ! तीन बार
मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।

बबलू सीधा लेट गया और भाभी को अपना लौड़ा पकड़ा दिया जो पूरा दस इंची हवा
में खड़ा हुआ था। अमित भी मेरी चोद चुका था, अमित ने वीर्य मेरी चूत में
छोड़ दिया था। अमित बोला- मैं बाहर होकर आता हूँ !

अमित बाहर निकल गया, मैं खाट पर बैठी चोर नज़रों से बबलू का लंड देख रही थी।

बबलू बोला- शर्म छोड़ दे ! मज़े से खेल ! ऐसे चोरी चोरी से क्या देख रही है?

उसने मुझे अपने पास खींच लिया और लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया। बबलू अब दो
नंगी औरतों को अपने से चिपका कर उनका शवाब पी रहा था।

मैं धीरे धीरे उसका लंड सहलाने लगी, भाभी बोलीं- अर्चना, एक बार इस सांड
का लंड अंदर घुसवा ले, बड़ा मज़ा आएगा। साला क्या चोदता है।

बबलू मेरे चूतड़ दबाते हुए बोला- अर्चना जी, डाल दूँ? तुम्हारी जवानी तो
मुझे पागल कर रही है।

उसने मेरी चूत में अपनी दो उंगलिया डाल दीं थीं, चूत अमित से चुदी हुई
थी, पूरी वीर्य से नहा रही थी, उँगलियाँ आराम से घुस गईं।

चूत मसलते हुए बबलू बोला- गाड़ी तो तुम्हारी पूरी तैयार है, बस इंजन लगाने
की देर है। चलो घोड़ी बन जाओ पीछे से धीरे धीरे प्यार से अपनी बीवी की तरह
चोदूँगा और चुदते हुए नखरे करे तो रंडी की तरह बजा कर चूत की भोंसड़ी बना
दूँगा। चुदने के बाद अगर मज़ा नहीं आए तो जो चाहे सजा दे लेना।भाभी उठीं
और बोलीं- चल अब घोड़ी बन जा ! इतने प्यार से कह रहा है तो पूरे मज़े भी
देगा।

मैं जमीन पर कोहनी के बल घोड़ी बन गई, बबलू ने अपना लंड पीछे से आकर मेरी
चूत पर कई बार फिराया। मेरी सांसें तेज़ हो गईं, मैं लंड अंदर घुसने का
इंतजार करने लगी। बड़े प्यार से चूत पर सुपाड़े को अपने हाथ से दबाते हुए
बबलू ने अपना लंड मेरी चूत में प्रवेश कराया और मेरी चूचियों और चुचूकों
को मसला।

बबलू अपने लंड को मेरी चूत में चलाना शुरू कर दिया, मेरी चुदाई शुरू हो
गई थी। बबलू धीरे धीरे प्यार से चोद रहा था, लंड उसने पूरा नहीं घुसा रखा
था लेकिन उसकी मोटाई ने मेरी चूत पूरी फाड़ के रख दी थी, मैं एक बकरी की
तरह ऊह आह आह आह कर रही थी लेकिन इंजन अच्छा हो तो सफ़र भी मस्त होता है।

थोड़ी देर में मेरी चुदाई मुझे बड़ा आनन्द देने लगी, अब मैं चुदते हुए आह
ऊह आहा आहा आहा और चोद ! और चोद ! चिल्लाने लगी।

बबलू ने मेरी गेंदें पकड़ी और उन्हें मसलते हुए अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा
दी। लंड अब पूरा अंदर घुस कर मेरी गर्भाशय की दीवारों से टकरा रहा था और
आगे पीछे हो रहा था।

5 मिनट में बबलू ने मेरी फाड़ कर रख दी थी, मैंने 2 बार पानी छोड़ दिया
था। इसके बाद वो हट गया। मेरी चूत फट गई थी और दर्द कर रही थी, मैं सीधी
टांगें फ़ैला कर लेट गई। भाभी अपनी चूत चौड़ी करके जमीन पर पड़ी हुई थीं,
बबलू ने कुछ धक्के उनकी चूत में मारे और उसके बाद दोबारा मेरी चूत में
लंड पेल दिया, बोला- अपना वीर्य तो तुम्हारी चूत में ही डालूँगा।

मेरी चूत में 2-3 धक्कों बाद बबलू का पूरा वीर्य मेरी चूत में भर गया।
मेरे पूरे गर्भ में वीर्य की बाढ़ आ गई। अगर मैंने गोली नहीं खाई होती तो
पक्का गर्भ से हो गई होती।

इसके बाद हम दोनों उससे चिपक गए और 15 मिनट तक चिपके रहे। लंड बबलू का
बड़ा और मोटा था लेकिन उसने मुझे आनन्द बहुत दिया। उसने मुझे वास्तव मैं
प्यार से चोदा था।

कहानी जारी रहेगी।

अपनी राय mastaniusha@yahoo.com पर भेजिये।











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सेक्सी कहानियाँ फ़ौजी

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

फ़ौजी

लेखिका : लक्ष्मी कंवर

मैं जोरावर सिंह, राजस्थान से हूँ... गांव में बरसात ना होने के कारण
हमारे यहाँ से बहुत से जवान फ़ौज में चले गये थे। मेरी पोस्टिंग उन दिनों
राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में थी। बोर्डर पर आतंकवादियों और तस्करों
से निपटने के लिये हमारी एक ना एक टोली हमेशा बोर्डर की गश्त पर रहती थी।
बोर्डर पर तब भी छुटपुट छोटे छोटे गांव थे... वहाँ के लोग कहने को पशु
चराया करते थे जाने वे लोग वहाँ क्यों रहते थे? क्या वे आंतकियों की मदद
करते थे?

एक रात गश्त के दौरान... दूर से हमने देखा कि एक स्थान पर आगजनी हो रही
थी। मैं उस समय सबसे तेज दौड़ने वाला और बलिष्ठ जवानों में से एक था। लीडर
ने मुझे इशारा किया। मैं हवा की तरफ़ दौड़ता हुआ मिनटों में वहाँ पहुंच
गया। एक दो महिला की चीखों की आवाजे आ रही थी। मैंने देख कि एक घर आग की
लपटों से घिरा हुआ था ... एक आवाज तो वहीं से आ रही थी। मैंने हिम्मत
बांधी और उस जलती हुई झोंपड़ी में घुस गया...

अन्दर देखा कि एक कोने में एक युवती के हाथ-पांव बांध कर पटक रखा था।
मैंने तुरन्त उसे खोला और उसे कंधे पर लादा और फिर से रेतीले जंगल में
कूद पड़ा। झाड़ियों में से होते हुए मैं उस युवती को लिये हुये चलता रहा...
फिर थक कर रेत के एक गड्डे में गिर पड़ा और हांफ़ने लगा।

तभी उस युवती की हंसी सुनाई दी।

"अरे, थक गए? मुझे क्यों उठाए भाग रहे हो? मैं कोई लंगड़ी लूली थोड़े ही
हूँ... भली चंगी हूँ... फ़ौजी तो बस मजे..."

"चुप हरामजादी... साली को गोली मार दूंगा... एक तो बचा कर लाया !"

"मेरा मतलब था कि मुझे भी चलना आता है... कब तक मुझे उठा कर चलते...
तुमसे तेज भाग लेती हूँ !

मुझे भी हंसी आ गई... पर इतना समय ही कहाँ था। बस, मेरा तो एक ही लक्ष्य
था। उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाना। कुछ ही समय बाद मैं वो उसके साथ पास
वाले गांव में थे। वहाँ के मुखिया ने हमें बाहर एक झोंपड़ीनुमा घर में
ठहरा दिया। रात के तीन बज रहे थे। मैं बाहर आकर एक रेत के टीले पर बैठ
गया। तभी वो युवती भी आ गई।

मेरा नाम खेरूनिस्सा है...

मैं जोरावर सिंह ... फ़ौजी...

मैंने उसे अब ध्यान से देखा ... वो एक गोरी लड़की थी... पतली दुबली... पर
तेज तर्रार... सुन्दर... शरीर का लोच... जैसे रबड़ की गुड़िया हो ... उसके
स्तन ठीक ठाक थे ... बहुत बड़े नहीं थे ... पर उसके नितम्ब ... अच्छी
गोलाई लिये हुये थे।

"हाय मेरी सलोनी... !"

"क्या कहा?"

"सलोनी ... मेरी पत्नी ... तुम्हारी ही तरह ..."

"बहुत प्यार करते हो उसे...!"

"बहुत ... बहुत ... इतना कि ... बस छ: माह से दूर हूँ ... उसकी याद तड़पा
जाती है।" मैं कहीं दूर यादों में खोता हुआ बोल रहा था।

वो मेरे पास आकर बैठ गई। मैं अभी एक पठानी कुर्ते में था... खेरू भी
पठानी कुर्ते में थी। जो हमें गांव के मुखिया ने दिया था।

"तुम क्या पहलवान हो?"

"नहीं, पर मैं फ़ौज में अपनी मरजी से पहलवानी करता हूँ ... दौड़ का अभ्यास
करता हूँ ... ये मेरे बहुत काम आता है।"

वो मेरे और नजदीक आ गई और अपनी पीठ मेरी छाती से लगा दी और आराम से बैठ
गई। मुझे बहुत सुकून सा मिला। एक नारी के तन का स्पर्श ... बहुत मन को
भाया।

"मैं ऐसे बैठ जाऊँ ... बड़ा अच्छा लग रहा है।" खेरू ने मुझे मुस्करा कर देखा।

"सच... खेरू... तू तो मन को भा गई।"

"अल्लाह रे ... आप तो बड़े गुदगुदे से है ... आपकी गोदी में बैठ जाऊँ
...?" उसके आखों में एक ललाई सी थी।

मुझे बड़ी तेज सनसनी सी लगी। वो अपना कुर्ता ऊपर करके ठीक से मेरी गोदी
में बैठ गई। मेरा पौरुष धीरे धीरे जागने लगा। एक युवती मेरी गोदी में आकर
बैठ जाये तो लण्ड का विचलित होना स्वभाविक ही है।

"जरा सा ऊपर उठो तो ... मेरा कुर्ता फ़ंस रहा है ... ऊंचा कर लूँ ..."
मैंने उससे कहा।

उसने अपनी गाण्ड धीरे से ऊपर कर ली, मैंने कुर्ता ऊपर खींच लिया। मेरी
तरह उसने भी कुर्ते के नीचे कुछ नहीं पहन रखा था। वो सीधे ही मेरे लण्ड
पर बैठ गई।

"अरे... कमाल है तू भी... नीचे कुछ पहना नहीं?"

तिरछी नजर से उसने मुझे देखा, मैं तो घायल सा हो गया।

"खेरू ... बैठी रह ... अच्छा लगे है..."

मेरा लण्ड अब सख्त होने लगा था। उसने मेरे गालों को सहला कर प्यार से चपत
मारी- जानते हो जोरावर ... आप मुझे अच्छे लगने लगे हो...

" तू भी मेरे दिल को भाने लगी है..."

मेरा एक हाथ पकड़ कर उसने चूमा और उसे अपने कोमल से उभरे हुये स्तन पर रख
दिया। उफ़्फ़ ! गरम गरम से... गुदाज और मांसल ... मैंने हल्के से उसे दबा
दिये।

"ऐसे नहीं जी ... जरा जोर से ... दबाइये ... अह्ह्ह्ह"

मेरा लण्ड अब पूरी तरह से कठोर होकर खेरू की चूत को बराबर कुरेद रहा था।
अब तो वो गीला भी हो चुका था। खेरू ने अपनी टांगों को और खोल सा लिया था
... वो मेरी छाती से लिपट गई थी।

उस्स्स ... अल्लाह ... उसने मेरा कुरता जोर से थाम लिया। मेरा सुपारा
उसकी चूत में हौले से प्रवेश कर गया था। मैंने उसे जोर से जकड़ लिया था।
ये किसी तरह का कोई आसन नहीं था ... बस हम दोनों आड़े टेढे से लिपटे हुये
सुख भोग रहे थे।

तभी उसने भी अपने आप को सेट किया और मैंने भी उसे और लिपटा लिया। उसकी
अधखुली आंखे मुझे ही निहार रही थी। लण्ड घुसता ही चला जा रहा था।

"अब्ब्ब्ब ... उह्ह्ह्ह ... मेरे राजा ... ये कैसा लग रहा है ... अम्मी
जान ... अह्ह्ह्ह ..."

"मेरी खेरू ... मेरी जान ... आह्ह्ह्ह्ह ... कितना आनन्द आ रहा है ...।"

मेरा लण्ड पूरा भीतर बैठ गया था। वो तो जैसे अधखुली आँखों से सपने देख
रही थी ... आनन्द की अनूभूतियाँ बटोर रही थी। फिर उसने जैसे नीचे से
हिलना आरम्भ किया... जैसे रगड़ना ... मीठी मीठी सी जलन ... गुदगुदी ... एक
कसक ... बस ऐसे ही हिलते हिलते हम आनन्द के दौर से गुजरने लगे... उसके
थरथराते होंठ अब मेरे होंठो से दब चुके थे... उसके नर्म से कठोर उरोज...
मसले जा रहे थे ... फिर जैसे एक ज्वार सा आया ... हम दोनों उसमें बह
निकले...।

झड़ने के बाद भी हम दोनों वैसे ही वहीं पर गोदी में आनन्द लेते रहे। लण्ड
झड़ कर कबका बाहर फिसल कर निकल चुका था। पर कुछ ही देर में लण्ड तो फिर से
सख्त हो गया। इस बार खेरू ने अपनी मन की कर ही कर ही ली।

वो धीरे से मेरी गोदी से उठी और आगे झुक सी गई ... उसके गोल गोल मांसल
चूतड़ खिल कर चांदनी में चमक उठे। मेरा लण्ड फिर से जोर मारने लगा।

मैंने तुरन्त निशाना साधा और उसकी कोमल गाण्ड में लण्ड का सुपाड़ा घुसा दिया।

वो खुशी से झूम उठी।

मैंने अपना लण्ड धीरे धीरे अन्दर बाहर करते हुये उसे पूरा घुसेड़ दिया।
उसने अपना सर झुका कर रेत के गुबार पर रख दिया। मेरा लम्बूतरा लण्ड उसकी
गाण्ड में मस्ती से चलने लगा था।

बहुत देर तक उसकी कोमल गाण्ड को चोदा था मैंने ... फिर मेरा स्खलन हो
गया। उसकी चूत ने भी इस दौरान दो बार पानी छोड़ा था। फिर कुर्ता ठीक करके
हम दोनो ही गहरी नींद में सो गये थे। सवेरे हमें उसी मुखिया ने जगाया ...
हमने चाय वगैरह पी ... तभी हमारी जीप वहाँ आ गई थी।

मुख्यालय पर जाकर खेरू ने बताया कि बोर्डर से आने वाले आतंकियो को मार कर
उनके हथियार वे लोग छुपा लेते थे ... उसकी निशान देही पर भारी मात्रा में
हथियार की बरामदगी की गई। अब मेरे दिमाग में बोर्डर पर रहने वालों के
लिये दुश्मनी का नहीं आदर का भाव आ गया था। खेरू द्वारा करवाई गई इस
बरामदगी के लिये सराहा भी गया था।

मूल कथा

जोरावर सिंह








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