Friday, April 11, 2014

FUN-MAZA-MASTI सुरेखा की कमसिन जवानी-4

FUN-MAZA-MASTI

  सुरेखा की कमसिन जवानी-4


मैं सोमवार रात को 10 बजे आया, सुरेखा और दिन की तरह 11 बजे आकर मेरी गोद में नंगी बैठ गई और मुझसे चिपकते हुए बोली- आज तो चोदोगे न? 
मैंने निप्पल उमेठते हुए कहा- क्यों नहीं। 
सुरेखा से मैंने पूछा- तुम्हारी गांड में भी डाल दूँ? तुम बता रही थीं कि अरुण जब ज्यादा नशे में होते हैं तब वो तुम्हारी गांड भी चोद देते हैं। 
सुरेखा बोली- आप का मन है तो मेरी गांड में भी डाल दो ! अरुण तो गांड ज्यादा चोदते हैं चूत कम। 
सुरेखा की चूत गीली हो रही थी, मैंने उसे तकिये के ऊपर लेटाया और उसकी चूत में पीछे से लंड डाल दिया और दोनों चूचियाँ अपने हाथों में दबा लीं और चोदने लगा। 
उह आह की आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था, सुरेखा की चूत में लंड सरपट दौड़ रहा था। सुरेखा को चोदने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। कुछ देर बाद मैंने लंड बाहर निकाल लिया और सुरेखा के चूतड़ों को सहलाते हुए बोला- रानी, ऐसे ही लेटी रहो। 
उसके बाद मैंने कंडोम लंड पर चढ़ा लिया, सुरेखा की गांड में उंगली घुमाते हुए बोला- रानी, जरा अच्छी तरह टांगें फ़ैला कर चूतड़ ऊपर उठाओ। 
सुरेखा समझ गई कि मैं उसकी गांड चोदना चाहता हूँ, उसने अच्छी तरह से अपनी टांगें फ़ैला लीं। मैंने सुरेखा की गांड पर लंड छुला दिया। उह उइ की एक सिसकारी सी उसने भरी, थोड़ी देर में लंड उसकी गांड में घुसने लगा। 
"ऊ ओइ ऊ ओऊ मर गई !" की आवाज़ों से सुरेखा मचलने लगी। थोड़ी देर में ही 7 इंची लोड़ा उसकी गांड में था। सुरेखा की गांड चुदनी शुरू हो गई, कभी धीरे, कभी तेज झटकों से उसकी गांड चुद रही थी। 10 मिनट बाद मेरे लंड ने जवाब दे दिया। 
सुरेखा उठ गई, उसकी गांड फट चुकी थी और वो मुझसे चिपक कर सो गई। सुबह 6 बजे मेरी नींद खुली तो सुरेखा मेरे बिस्तर पर नहीं थी, बाहर से नहाने की आवाज़ सी आ रही थी। मैंने छुपकर देखना शुरू कर दिया। 
सुरेखा अपनी जांघें धो रही थी, उसके स्तन मस्त हिल रहे थे, मैं उसके नग्न स्नान दर्शन का आनंद लेने लगा। 
तीन दिन बाद सपना भाभी का फ़ोन मेरे पास चार बजे आया। उन्होंने बताया की रजनी को होटल में धंधा करने के आरोप में पुलिस ने पकड़ लिया है। तुम्हारे पास कोई जुगाड़ हो तो उसे बचा लो। 
मेरा दिमाग घूम गया। तभी मेरे दिमाग में लड़कियों के दलाल संजीव का नाम आया, मैंने उसे फ़ोन किया और उसे पूरी बात बताई। संजीव ने कहा- चिंता न करो मैं छुड़वाता हूँ। आधे घंटे बाद फ़ोन करो। 
20 मिनट के बाद संजीव का फ़ोन आया, वो बोला- रजनी छूट गई है, आधा घंटे बाद वो मेरे होटल में आ जाएगी। तुम भी इधर आ जाओ। 
मेरे ऑफिस से होटल दूर था, मैं एक घंटे में वहां पहुँच गया, संजीव मुझे एक कमरे में ले गया, वहाँ रजनी बैठी हुई थी। 
संजीव बोला- घबरा गई थी, अब ठीक है। 
मैंने पूछा- क्या बात हो गई थी? 
रजनी बोली- होटल में पुलिस ने मुझे गलती से पकड़ लिया। 
संजीव बोला- रजनी, अब तुम झूठ मत बोलो, मैं लड़कियाँ सप्लाई करता हूँ और इस धंधे में मुझे सच के आगे का भी पता है। इसलिए तुम अपने मुँह से सब सच सच बताओ। राकेश हमारे बहुत बड़े क्लाइंट है हर महीने 30-40 लड़कियां इनकी कम्पनी को सप्लाई होती हैं। आज तुम इनके ही कारण बची हो। 
रजनी बोली- मैं हफ्ते में 1-2 बार धंधा कर लेती थी। मेरे होटल में 8-10 लड़कियाँ रोज़ सेक्स के लिए सप्लाई होती हैं, होटल मालिक जब बाहर होता था तो मैं भी 5000 -7000 रु में ग्राहक पटा लेती थी और उसके साथ सो जाती थी। आज सिर्फ दो लड़कियाँ धंधे पर आइ थीं और आज मालिक भी नहीं था। मैं संजय नाम के ग्राहक के साथ सेक्स कर रही थी, पुलिस ने रेड डाली और दो लड़कियों के साथ साथ मुझे भी पकड़ लिया। 
संजीव बोला- पुलिस ने जब इसे पकड़ा तब ये पूरी नंगी थी और संजय का लंड इसकी चूत चोद रहा था। 
तभी कॉफी लेकर वेटर आ गया, उसने हम तीनों को कॉफी दे दी और वो चला गया। रजनी झेंपी सी बैठी हुई थी। 
संजीव बोला- इसके आगे का सच मैं बताता हूँ। रजनी 6 महीने से इस होटल में फ़ूड मैनेजर का काम कर रही है। होटल में एक कॉल गर्ल कम्पनी का कॉन्ट्रैक्ट है, वो रोज़ 8-10 लड़कियाँ सप्लाई करती है। पहले महीने में ही इसकी कॉल गर्ल्स से दोस्ती हो गई। उसके बाद रजनी भी अपनी मर्जी से महीने में 2-3 धंधे पर जाने लगी, एक रात के 5000 -7000 रु मिलने लगे। 3 महीने तक कोई दिक्कत नहीं थी। 3 महीने के बाद हर शनिवार और इतवार को यह धंधे पर बैठने लगी और महीने में 12-15 बार चुदने लगी। कम्पनी के सुपरवाइजर ने इससे कहा कि हमारी कम्पनी ज्वाइन कर लो। महीने के 50000 रु मिलेंगे लेकिन महीने में 20 दिन कम्पनी जहाँ कहेगी वहाँ जाना पड़ेगा, इसने मना कर दिया और उसके बाद भी यह धंधे पर लगी रही। 
रजनी बोली- मुझसे तो यह बात राजू वेटर ने कही थी, उसकी तो कोई जरा भी इज्ज़त नहीं करता है सब उसे पागल कहते हैं। 
संजीव हँसते हुए बोला- धंधे करने वाली लड़कियों को ये बात पता नहीं होती और जिसे तुम होटल मालिक कह रही हो वो होटल मैनेजर है, उसे सिर्फ होटल का काम देखना है, वो 10 से 5 अपनी नौकरी करता है और शनिवार, रविवार को छुट्टी रखता है। आज होटल मैं कम्पनी ने जान बूझ कर सिर्फ दो लड़कियाँ भेजी थीं, कम्पनी को उन्हें फ़साना था, दोनों ने निजी ग्राहक बना लिए थे साथ ही साथ तुम्हें भी फंसवाना था। संजय ने जब तुम्हें 10000 रुपए ऑफर किए तब तुम आसानी से फंस गईं। दोनों अब सर्टिफाइड रंडियां हो जाएंगी, उसके बाद कम्पनी उनकी जमानत लेगी और उन्हें दुबारा धंधे पर लगा देगी। 
संजीव ने बताया कि कम्पनी अगले दिन सुबह-सुबह ही इन लड़कियों की जमानत ले लेगी किसी को पता भी नहीं चलेगा कि ये धंधा करते पकड़ी गईं हैं। उसके बाद कम्पनी इन्हें अपनी शर्तों पर ज़बरदस्ती धंधे पे लगा देगी और शुरू शुरू में ये रोज़ 3 से 4 बार चुदवाई जाएँगी इस तरह फंसी हुई लड़कियों को 1000 से 3000 रुपए एक चुदाई के मिलते हैं जबकि ग्राहकों से 5 से 20 हज़ार तक लिए जाते हैं। संजय भी कम्पनी का गुंडा है। गनीमत है तुम बच गईं। अगर धंधा करना है तो कोई कॉल गर्ल कम्पनी ज्वाइन कर लो नहीं तो आराम से नौकरी करो और बॉय फ्रेंड बनाकर उनसे चुदो। 
रजनी ने अपने कान पकड़े और बोली- मैं तोबा करती हूँ। 
इसके बाद मैंने रजनी से कहा- आओ चलते हैं। भाभी से बस यह कहना कि पुलिस को ग़लतफहमी हो गई थी, उसने मुझे छोड़ दिया। 
बाइक पर रजनी चिपक कर बैठ गई उसने मुझसे अपने पुराने बर्ताव की माफ़ी मांगी और बोली- अगर आज मैं जेल चली जाती तो सर्टिफाइड रंडी बन जाती। मेरे जीजाजी मुझे चोदते थे इसलिए मुझे चुदने की आदत पड़ गई थी यहाँ चुदाई देखकर मैं चुदवाने लगी थी। महीने में मुझे 60-70 हज़ार की कमाई हो रही थी। बाल बाल बच गई नहीं तो परमानेंट रंडी बन जाती। 
आधे घंटे में हम घर पहुँच गए। भाभी हम दोनों को देखकर बोलीं- रजनी क्या हो गया था? तेरे होटल से फोन आया था, तीन लड़कियाँ धंधा करते हुए पकड़ी गई हैं, उनमें तू भी है। 
राकेश बीच मैं बोल पड़ा- एसा कुछ नहीं था, होटल में दो लड़कियाँ पकड़ी गईं थी, यह बहुत घबरा गई थी इसलिए वहाँ से भाग गई थी और फोन ऑफ कर दिया था। हम दोनों कॉफी पीते हुए आ रहे हैं, सब ठीक है। 
अंदर आकर रजनी अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में चला गया। 

 


आधे घंटे में हम घर पहुँच गए। भाभी हम दोनों को देखकर बोलीं- रजनी क्या हो गया था? तेरे होटल से फोन आया था, तीन लड़कियाँ धंधा करते हुए पकड़ी गई हैं, उनमें तू भी है। 
राकेश बीच मैं बोल पड़ा- एसा कुछ नहीं था, होटल में दो लड़कियाँ पकड़ी गईं थी, यह बहुत घबरा गई थी इसलिए वहाँ से भाग गई थी और फोन ऑफ कर दिया था। हम दोनों कॉफी पीते हुए आ रहे हैं, सब ठीक है। 
अंदर आकर रजनी अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में चला गया। 
सुरेखा से मेरा प्यार बढ़ता जा रहा था, आज रात वो फिर मेरी गोद में नंगी बैठी थी। जब भी अरुण 2-10 और 10-6 की शिफ्ट में होते थे तो सुरेखा अक्सर रात को नंगी होकर मेरी गोदी में बैठ जाती थी और अपनी चूत चुदवाती थी। 
मैंने उसे बताया कि एक स्कूल मैं लाइब्रेरी अस्सिस्टेंट की जरूरत है, उसे एक फॉर्म उसे दे दिया और बोला- तुम इसे भरो, 10000 रुपए वेतन है, तुम बी लिब हो, सलेक्ट हो जाओगी। 
सुरेखा बोली- अरुण को पता चल गया तो बहुत मारेगा। 
मैंने कहा- इसे यहीं भरो, किसी को नहीं पता चलेगा। जब सलेक्ट होगी तब आगे देखेंगे। 
सुरेखा ने मेरी गोद में बैठकर फॉर्म भर दिया। इसके बाद रोज़ की तरह मैं सुरेखा की जवानी का रस पीने लगा। 
रजनी ने नौकरी बदल ली थी। अब उसने एक मल्टीप्लेक्स में स्टोर इंचार्ज की नौकरी ज्वाइन कर ली थी, उसकी एक हफ्ते 8 से 4 और दूसरे हफ्ते 4 से 10 रात तक ड्यूटी रहती थी। 
शनिवार का दिन था सपना भाभी की ननद के यहाँ कोई प्रोग्राम था, सपरिवार सपना वहाँ चली गई थी। सुरेखा को भी साथ ले गई थी। आज रात पहली बार मैं अकेला था। रोज़ सुरेखा की चूत मारने से मेरे लंड की आदत खराब हो रही थी, 10 बजे रात से ही टनकने लगा। बिना चड्डी के पतला नेकर और लंबा कुरता मैंने डाल रखा था। मैं सोने की कोशिश करने लगा तभी फोन बजा 11 बजने वाले थे। 
सपना भाभी का था, बोली- रजनी 11 बजे आती है, दरवाज़ा खोल देना। 
मेरे मन के किसी कोने में रजनी को चोदने का विचार आने लगा। दस मिनट बाद घंटी बजी दरवाज़ा खोला तो सामने रजनी थी, बोली- भाभी नहीं हैं क्या आज? 
मैंने हँसते हुए कहा- आज मेरे सिवा कोई नहीं है, डर लग रहा हो तो मैं भी चला जाऊँ। 
रजनी बोली- अब तो तुम फंस गए आज तो मैं तुम्हें जाने नहीं दूँगी। मज़ा आ गया आज पहली बार खुल कर बातें हो पाएंगी, आओ मेरे कमरे में बैठते हैं। 
मैं रजनी के छोटे से कमरे में आ गया जमीन पर मोटा गद्दा और चद्दर पड़ी थी। पास मैं ही छोटी सी रसोई थी। रजनी दो कप कॉफी बना लाई, हम लोग कॉफी पीने लगे। 
रजनी ने टीवी खोल दिया और अपनी सलवार मेरे सामने ही उतार दी कुरता घुटने तक आ रहा था। उसके बाद अपनी कुर्ती भी ऊपर करके उतार दी। उसने सफ़ेद पारदर्शी ब्रा और काली पैंटी पहन रखी थी। मेरा लोड़ा उसकी कसी चूचियाँ और गदराई जांघें देखकर खड़ा हो गया। 
मैं बोला- आप खुल कर बातें करेंगी या खोल कर? 
अंगड़ाई लेती हुई रजनी ने अपनी ब्रा पीछे से खोल दी, उसकी गोल गोल गदराई हुई दोनों चूचियाँ बाहर निकल आईं। रजनी बोली- आपकी संतरे खाने वाली इच्छा भी तो पूरी करनी है। 
सुंदर सामने को कसी हुई गुलाबी चूचियों और काली निप्पल ने मेरा लोड़ा खड़ा कर दिया था, मेरे से रहा नहीं गया, मैंने आगे बढ़कर उसकी चूचियाँ दबाते हुए मुँह में भर लीं और चूसने लगा। 
रजनी ने मुझे अपने से चिपका लिया, बोली- राकेश जी, चुदने का बड़ा मन कर रहा है, एक महीने से ज्यादा हो गया लंड डलवाए हुए ! अपना लंड मेरी भोंसड़ी में डालिए ना ! 100 से ज्यादा लंड खा चुकी निगोड़ी, अब बिना लंड के नहीं रहा जाता। 
रजनी ने मेरा नेकर उतार दिया था और वो मेरा 7 इंची लंड सहला रही थी। 
रजनी बोली- राकेश जी, चुदने का बड़ा मन कर रहा है। 
उसने मेरा कुरता भी उतरवा दिया और अपनी पैंटी भी उतार दी। नंगी चूत पर नाम मात्र की झांटें थीं। उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और बेकाबू सी होती हुई चूसने लगी। थोड़ी देर बाद वो टांगें फ़ैला कर लेट गई और बोली- राकेश, फक मी ! चोदो अपनी रजनी रांड को चोदो ! अब नहीं रहा जा रहा है। 
मैंने उठकर उसकी चूत पर अपना लंड फिराया और चूत के अंदर घुसेड़ दिया। उह आह से रजनी सिसकारी मारने लगी, उसने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर से बाँध लीं और चुदने में पूरा साथ देने लगी, टट्टे बार बार उसकी चूत के दरवाज़े से टकरा रहे थे, गरम साँसों के बीच दो युवा चुदाई में मग्न थे, होंट एक दूसरे से चिपके जा रहे थे। चुदाई की आह उह पूरे कमरे में गूँज रही थी। 
कुछ देर बाद हम दोनों साथ साथ झड़ गए। इसके बाद रजनी आधा घंटा मुझसे चिपकी रही। रात का एक बज़ रहा था। रजनी बोली- भूख लग रही है, आलू के परांठे खाएंगे? 
मैं भी भूखा था, मैंने हां कर दी। 
रजनी ने उठकर कुरता पहन लिया और मुझे भी सिर्फ कुरता पहनने दिया हम दोनों के कुरते घुटने से नीचे तक आ रहे थे। रजनी परांठे बनाने लगी। रजनी ने 2-2 मोटे परांठे अपने और मेरे लिए बना लिए। परांठे खाकर हम लोग छत पर आ गए। 
मैंने और रजनी ने एक दूसरे की कमर में कुरते के अंदर से हाथ डाल रखा था.चांदनी रात के 2 बज़ रहे थे हवा अच्छी चल रही थी। एक दूसरे के नंगे चूतड़ों पर हमारे हाथ फिसल रहे थे, बड़ा अच्छा लग रहा था। 
हम दोनों छत की मुँडेर पर बैठ गए। 
रजनी बोली- मैंने अपने माँ बाप को शादी के लिए बोल दिया है। 2-3 महीने ममें शादी हो जानी चाहिए। बिना चुदे मुझसे अब रहा नहीं जाता है। जब तक मेरी शादी नहीं हो रही, तब तक महीने में एक दो बार तुम मुझे चोद दिया करो ना। बाहर तो चुदवाने की मेरी हिम्मत अब है नहीं। 
मेरे मन में लड्डू फूट पड़े, मैंने कहा- अँधा क्या चाहे दो आँखें ! तुम्हारी चुदाई से तो मुझे ख़ुशी ही मिलेगी। मेरा तो अभी भी तुम्हे। एक बार और चोदने का मन कर रहा है। 
हम लोग छत की मुंडेर पर बैठ कर ये बातें कर रहे थे। 
रजनी उठी और उसने मुस्करा कर मुझे देखा और जमीन पर बैठते हुए मेरा कुरता ऊपर उठाकर लोड़ा मुँह में ले लिया और एकाग्रता से लोड़ा चूसने लगी। कुछ देर बाद मैंने उसे हटा दिया और मुंडेर पर हाथ रखकर घोड़ी बना दिया। उसने टांगें फ़ैला ली थीं, चूत पीछे से चांदनी रात में साफ़ दिख रही थी। मैंने लोड़ा उसकी चूत के द्वार पर पीछे से लगा दिया, एक जोर का झटका देते हुए उसकी चूत में पेल दिया। आराम से लोड़ा अंदर तक घुस गया, रजनी चुदने लगी। चुदने में वो वो पूरा सहयोग कर रही थी, अपनी गांड आगे पीछे हिलाते हुए चिल्ला रही थी- चोद हरामी चोद। 
मैं भी उत्तेजित होकर एक कुतिया की तरह उसे पेल रहा था और बुदबुदा रहा था- रांडों की रांड ले खा ! याद रखेगी कि किसी चोदू ने तेरी चोदी थी। 
10 मिनट तक इसी तरह वो चुदती रही, उसके बाद बोली.. - थोड़ी गांड भी पेल दे ! पता नहीं फिर कब चुदने का दिन आए 
मैंने लंड बाहर निकाल लिया। 
रजनी बोली- पहले तुम दो तीन उंगली कर रास्ता बना लो, फिर चोदना। 
मैंने एक एक करके 2 उंगलियाँ उसकी गांड में घुसा दीं और 10-12 बार मालिश कर दी अब उसकी गांड चुदने को तैयार थी। 
रजनी ने मुड़कर लंड पर ढेर सारा थूक डाल दिया और हाथों से उसे सुपाड़े पर मल दिया, बोली- अब घुसा दो, धीरे धीरे चोदना, बड़ा दर्द होता है। 
मैं गांड में डालने को उतावला हो रहा था, रजनी फिर झुककर घोड़ी बन गई, दम लगाते हुए मैंने लोड़ा उसकी गांड में घुसाना शुरू कर दिया। ओई उह ओइ ओह की तेज दबी सी आवाज़ निकली। उसकी गांड में अंदर तक लंड घुस चुका था। 
मैंने धीरे धीरे उसकी गांड मारनी शुरू कर दी। सुरेखा मीठे दर्द वाली सिसकारियां भरने लगी। उसकी चूचियों को दबाते हुए मैंने गांड में लंड की स्पीड बढ़ा दी, बड़ा मज़ा आ रहा था। 
रजनी की गांड 5 मिनट तक चुदती रही, इसके बाद वो मेरे वीर्य से भर गई। 
हम दोनों नीचे आ गए और रजनी के कमरे में एक दूसरे से चिपक कर सो गए। रजनी और मैं सुबह सुबह 7 बजे उठे और एक दूसरे की बाहों में चिपक गए, मेरा लंड सुरेखा की फुद्दी में घुस गया। एक दूसरे के बदन को चुमते हुए सुबह की चुदाई का मज़ा लिया, इसके बाद 8 बजे रजनी ने नाश्ता बनाया और मैं खा पीकर ऑफिस चला गया। 
दो दिन बाद सुरेखा का लाइब्रेरी ऑफिसर के लिए इंटरव्यू था। सुरेखा भाभी के साथ इंटरव्यू देने जा रही थी, मैंने कहा- 2-3 फोटो रख लो ! 
सुरेखा अंदर गई, एक प्लास्टिक का बैग ले आई और अपनी फोटो निकालने लगी। तभी मेरी नज़र एक पोस्टकार्ड साइज़ फोटो पर गई जो मैंने 3-4 साल पहले अपनी MBA की पढाई ख़त्म करने के बाद खिंचवाई थी। 
मैंने उससे पूछा- यह कहाँ से आई तुम्हारे पास? 
सुरेखा सकपका गई और बोली- तुम्हारे कमरे से उठा ली थी। 
और वो तेजी से अपनी फोटो निकाल कर वहां से चली गई। 
मैंने सोचा कि मेरे पास तो यह फोटो यहाँ है नहीं, फिर? मैंने सर को झटका दिया और ऑफिस चला गया। 
भाभी की मदद से सुरेखा इंटरव्यू दे आई और सेलेक्ट हो गई। 15 दिन बाद सुरेखा को ज्वाइन करना था। अरुण को जब यह बात पता चली तब अरुण ने दारु पीकर उसकी पिटाई कर दी। 15 दिन निकल गए। 
अरुण ने सुरेखा को नौकरी नहीं करने दी। इस बीच रजनी की शादी तय हो गई और वो चली गई। अरुण दिन पर दिन दारु की लत से कमज़ोर होता जा रहा था। एक दिन उसकी 2-10 बजे की शिफ्ट थी रात को वो घर नहीं आया कोई नई बात नहीं थी, दारु के नशे में कई बार वो अड्डे पर ही सो जाता था। लेकिन अगले दिन भी 2 बजे तक नहीं आया, सबको चिंता हुई पता किया तो पता चला दारु के अड्डे पर जहरीली शराब पीने से 20 लोगों की तबियत खराब हो गई थी सब लोग अस्पताल में भरती हैं। 
जब हम लोग अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि अरुण और 2 लोग मर चुके हैं, उसने ज्यादा ही शराब पी ली थी। 
सुरेखा बेहोश हो गई थी, सुरेखा के घर से कोई नहीं आया था, अरुण के एक मामा आए थे, सब काम 3 दिन में ख़त्म हो गया। 
सुरेखा की तबियत खराब रहने लगी। 
एक दिन उसने मुझसे रोते हुए कहा- मुझे लाइब्रेरी की नौकरी दिला दो। 
मैंने अपने पूरे प्रयास के बाद उसे वो नौकरी दिला दी। सुरेखा की गाड़ी चल निकली। तीन-चार महीने में वो सामान्य हो गई। उसने दुबारा सुबह बेफिक्र होकर नहाना शुरू कर दिया। 
एक साल बाद मेरा ट्रान्सफर प्रमोशन पर पूना हो गया। सपना और सुरेखा दोनों दुखी थे। सुरेखा तो रो रही थी। लेकिन मुझे जाना था। 
मैं पूना आ गया कम्पनी ने फ्लैट दे दिया था लेकिन मेरा मन नहीं लग रहा था। रोज़ रात को लगता कि सुरेखा अभी आएगी और नंगी होकर मेरी गोद में बैठ जाएगी, सुबह 5 बजे ही आँख खुल जाती और मन सुरेखा को नंगी नहाते देखने के लिए मचलने लगता। इसके अलावा दो बातें और मेरे मन में घूम रही थीं, पहली यह कि सुरेखा ने इतने आराम से मुझसे सम्बन्ध कैसे बना लिए जबकि भाभी ने बताया था कि थोड़ा सा छेड़ने पर ही पिछले किराएदार की उसने पिटाई कर दी थी, दूसरी यह कि मेरी 4 साल पुरानी फोटो उसके पास कहाँ से आई। 
एक महीने बाद 2 दिन के लिए मैं घर गया, माँ बोली- अब शादी कर ले ! 
मैंने हँसते हुए कहा- तुम राजश्री से मेरी शादी करवा के मानोगी। 
राजश्री मेरी माँ की सहेली की बेटी थी। 4 साल पहले जब मैं MBA की पढ़ाई में 4 महीने के लिए विदेश गया था तब पिताजी की पोस्टिंग नासिक हो गई थी, राजश्री और उसकी माँ हमारी पड़ोसन थीं। माँ के पैर की हड्डी टूट गई थी, सारा काम दोनों माँ बेटी ने संभाल लिया था। 
मेरे वापस आने से पहले ही मेरे पिताजी ने ट्रान्सफर वापस औरंगाबाद करा लिया था। राजश्री के मां बाप से एक बार मैं भी मिला था लेकिन राजश्री को मैंने कभी नहीं देखा था। 
माँ थोड़ा गंभीर हो गईं और बोलीं- हमारी और रीता आंटी की बहुत इच्छा थी कि तेरी और राजश्री की शादी हो जाए। मैंने तेरी एक फोटो भी उन्हें भेजी थी। लेकिन राजश्री एक टपोरी लड़के के साथ भाग गई और उसने शादी कर ली। भाईसाहब को हार्ट अटेक पड़ गया। रीता ने राजश्री से रिश्ता तोड़ लिया। रीता मन से उसकी याद नहीं निकाल पाई, उसकी याद मैं रीता अब बहुत बीमार रहने लगी है। 
माँ आंसू पोंछती हुई बोली- बेटा समय बदल गया है, तुझे शादी अपने मन से करनी हो तो अपने मन से कर लेना, अगर हम लोगों को तेरी शादी करवानी हो तो हमें बता देना। हम तुझ पर शादी थोंपेंगे नहीं। 
मैंने एक सीटी बजाई और बोला- माँ, तुम तो सेंटी होने लगीं, मैं बाहर घूम कर आता हूँ, फिलहाल शादी बाय बाय। 
मैं वापस पूना आ गया लेकिन सुरेखा की याद दिल से नहीं निकल पाई। एक दिन दिल कड़ा करके मैंने अपनी माँ को बता दिया कि एक लड़की से शादी करना चाहता हूँ, मैंने यह नहीं बताया कि सुरेखा विधवा है माँ ने हाँ भर दी। 
शाम को मैं गाडी से मुंबई पहुँच गया मुझे देखकर सब खुश हो गए। सुरेखा की आँखों में उदासी छा रही थी। मैंने आगे बढ़कर भाभी के सामने उसको बाँहों में जकड लिया और होंट चूस लिए, सुरेखा सकपका गई। 
मैंने भाभी को बता दिया कि मैं सुरेखा से शादी कर रहा हूँ। 24 साल की सुरेखा की आँखों से ख़ुशी के आंसू टपक पड़े लेकिन सुरेखा शादी करने को राजी नहीं थी, सुरेखा बोली- मैं शादी तुमसे तभी करुँगी जब तुम्हारे माँ बाप राजी होंगे। 
मैंने कहा- ठीक है, औरंगाबाद चलो। 
सुबह 7 बजे हम लोग मुंबई से निकले, 3 बजे मैं घर पर था। मैंने सोच रखा था कि मैं माँ को ये नहीं बताऊँगा कि सुरेखा विधवा है। 24 साल की सुरेखा लड़की ही लगती थी। 
मैंने घर की घंटी बजाई, माँ ने दरवाज़ा खोला, लेकिन यह क्या, सुरेखा को देखते ही उन्हें चक्कर आ गया। सुरेखा का भी चेहरा एकदम से सफ़ेद हो गया, सुरेखा ने आगे बढ़कर उन्हें संभाला और बोली- आंटी, मुझे माफ़ कर दो। 
अब दिमाग घुमने की बारी मेरी थी। माँ 5 मिनट बाद संभल गई और बोलीं- राजश्री तेरा मुझ पर बहुत एहसान है लेकिन मेरे घर मैं तू तब ही आना जब तेरी माँ तुझे अपने घर में घुसने दे। 
अब यह सुन कर मेरा दिमाग 5 मिनट के लिए सुन्न हो गया। माँ ने हमें घर में नहीं बैठने दिया। 
मुझे लगा कि यह कहानी सुरेखा के घर जाने पर ही सुलझेगी। मैंने एक टैक्सी किराए पर ली और नासिक की तरफ निकल पड़ा। सुरेखा बुरी तरह से रो रही थी, सुरेखा बोली- मैं तुमसे शादी नहीं करुँगी, मुझे घर नहीं जाना, मेरी माँ बोली थी कि कभी घर आई तो मुझे मार देगी या खुद मर जाएगी। 
मैंने उससे कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा। 
सुरेखा से मैंने कुछ बातें पूछीं उसने बताया कि उसके घर का नाम राजश्री है और जब तुम्हारा रिश्ता आया तब तक उसके शारीरिक सम्बन्ध अरुण से बन गए थे, उसकी कुछ गलत आदतों का भी पता चल गया था। तुम्हारे मम्मी पापा बहुत अच्छे हैं, तुम भी फोटो में बहुत सुंदर लग रहे थे, मन कर रहा था अरुण को छोड़ दूँ लेकिन मन में यह बात बैठी थी कि जिससे सील खुलवा लो, वो ही पति होना चाहिए। मैं अरुण के साथ भाग गई लेकिन तुम्हें मन से नहीं निकाल पाई, तुम्हारी फोटो मेरे पास तभी से है। और जब तुम किराएदार बनकर आए तो मैं अपने को नहीं रोक पाई और तुमसे सम्बन्ध बना बैठी। 
सुरेखा का पूरा आंचल आंसुओं से भीग रहा था। 
मैंने कहा- सील और शक्ल याद करके बने संबंध कुछ दिन के ही होते हैं, असली संबंध तो हम एक दूसरे से मानसिक रूप से कितना जुड़ते हैं, उससे होते हैं और न तुम अरुण को बदल पाईं न अरुण खुद को इसलिए यह संबंध तो स्थायी था ही नहीं। 
राजश्री के घर नासिक हम लोग शाम 8 बजे पहुँच गए। घंटी बजने पर माँ ने दरवाज़ा खोला, माँ बहुत कमजोर हो रही थी, सुरेखा रो पड़ी, वो मुझे पहचान गई और बोली- राकेश तुम? 
मैंने कहा- हाँ मैं ! 
सुरेखा को देखकर उनके भी आंसू आए और बोलीं- मैं इसे घर मैं नहीं आने दूँगी, इसके पापा कितने हंसमुख थे 4 साल पहले, अब तो मुरझा गए हैं, छोटी बहन की भी शादी नहीं हो पा रही है। 
मैंने कहा- मेरी पत्नी को भी अंदर नहीं आने दोगी? 
उनके चेहरे पर असमंजस के भाव आ गए। उन्होंने मुझे और सुरेखा को अंदर बुला लिया सुरेखा उनकी गोद में रोते हुए गिर पड़ी। 
दस मिनट बाद मैंने सारी कहानी उन्हें बता दी। साथ साथ ही साथ यह भी बता दिया कि मेरी माँ तभी सुरेखा को अपनाएगी जब आप उसे अपना लेंगीं।
सुरेखा के पिताजी भी आ गए, मैं थोड़ी देर के लिए घर से बाहर चला गया। मैं 9 बजे वापस आ गया, राजश्री की माँ ने मेरे फ़ोन से रुंधे हुए गले से घर मेरी माँ को फ़ोन किया और रोते हुए सिर्फ एक ही बात बोल पाईं- दीदी, राजश्री को अपने घर में जगह दे दो। 
उसके बाद वो 10 मिनट तक फ़ोन पर रोती रहीं। 
मैंने उनसे फ़ोन ले लिया, मेरी माँ बोली- बेटा, कल हम नासिक आ रहे हैं। 
अगले दिन मेरे माँ बाप आ गए मेरी और सुरेखा की शादी दोनों परिवार की सहमति से हो गई। 
शादी के 15 दिन बाद सब सामान्य हो गया, हम दोनों पूना आ गए। सुरेखा रोज़ रात को पहले की तरह नंगी होकर मेरी गोद में बैठने लगी, सुरेखा से छुपकर मैंने एक कैमरा बाथरूम में लगा दिया ताकि जब वो नहाने जाए तो उसकी नंगी चूचियाँ और चूत नहाते हुए देख सकूं। 
आज तक सुरेखा को यह बात नहीं पता चली कि मैं सुबह उसकी नंगी चूत और चूची के दर्शन करता हूँ। 
कहानी की घटनाएँ, नाम, जगह काल्पनिक हैं, किसी वास्तविक घटना से न जोड़ें।








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