Friday, April 11, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरी फ़ूफ़ी मस्त मस्त

FUN-MAZA-MASTI


मेरी फ़ूफ़ी मस्त मस्त

 
हाय दोस्तो,  हमारी फैमिली में हम 5 लोग हैं पापा, मैं और छोटा भाई, हमारी फ़ूफ़ी विधवा थीं उनकी एक बेटी किशोरावस्था में थी तब। 
फ़ूफ़ी के विधवा होने के बाद उनके घर के झगड़े की वजह से वो हमारे घर में रहती थीं और हमारे घर को सम्भालती थी, सारे काम भी करती थीं। 
यग बात तब की है जब मैं 19 साल का था और पढ़ाई कर रहा था। एक बार मम्मी-पापा और भाई हमारे गाँव शादी में गए हुए थे 5-6 दिनों के लिए। मैं नहीं गया क्योंकि मेरी स्कूल की पढ़ाई चल रही थी। 
यूँ तो मेरी फ़ूफ़ी और उनकी बेटी घर में हॉल में ही सोती थी। मेरी फ़ूफ़ी थोड़ी मोटी थी पर बहुत ही मस्त लगती थीं। मेरी हर वक़्त उनके उपर ही नज़र रहती थी। उनका फिगर करीब 36-34-38 था और वो अक्सर पंजाबी ड्रेस पहनती थीं। कई बार उनके बारे में सोच-सोच कर मैं मुठ मार लिया करता था और अपना काम चला लिया करता था और हर वक़्त यह सोचता रहता था कि कब मौका मिले और कब मेरी किस्मत खुलेगी। 
मम्मी-पापा के शादी में जाने के बाद उन्होंने रात को खाना बनाया और हमने साथ ही खा लिया। खाना खाते वक़्त फ़ूफ़ी बोलीं- तुम्हारे कमते में सी-डी प्लेयर है तो मुझे कोई अच्छी पुरानी फिल्म देखने दो। 
मैंने मुगल-ए-आज़म मूवी लगा कर दे दी। मैं बिस्तर पर लेट गया और फ़ूफ़ी नीचे ज़मीन पर ही लेट कर मूवी देखने लगीं। उनकी बेटी को पुरानी फ़िल्मो में कोई रस नहीं था, तो वो हॉल में जल्दी ही सो गई। 
मेरी फ़ूफ़ी को अकेले देख कर मन तो बहुत हुआ कि उनसे सैक्स के बारे में कुछ बात कर लूँ, पर हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि कहीं भड़क ना जाए और मेरी बदनामी हो जाए। मैं भी मूवी देखने लगा। मूवी देखते-देखते रात के 12 बज गए। 
मुझे पता नहीं था कि उनके मन में भी कुछ चल रहा है, क्योंकि रूम में कोई आने वाला नहीं था, सब सो चुके थे। 
मूवी जैसे ही खत्म हुई मैंने टीवी बंद कर दिया तो फ़ूफ़ी बोलीं- टीवी बंद मत करो, मैं देख रहीं हूँ, तुम्हें सोना है तो सो जाओ। 
मैंने कहा- बहुत रात हो गई है सो जाओ। 
उन्होंने कहा- मैं सो जाऊँगी। 
मैंने कहा- अगर जाओ तो प्लीज़ दरवाजा और लाइट बन्द कर के चले जाना और सुबह उठा देना। 
फ़ूफ़ी बोलीं- ठीक है, सो जाओ। 
पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। फ़ूफ़ी के बारे में सोचे जा रहा था और कम्बल ओढ़ कर अपने लंड से खेल रहा था। कुछ देर बाद टीवी की आवाज़ आनी बन्द हो गई। 
मैंने सोचा कि फ़ूफ़ी ने टीवी बंद कर दिया है। मैं पलटा तो फ़ूफ़ी टीवी देख रही थीं पर थोड़ी-थोड़ी देर में उनकी चूत खुजला रही थी, पता नहीं उन्हें खुजली आ रही थी या कुछ सोच कर वो खुजा रही थीं। 
मैंने थोड़ी सी आँख खोल कर टीवी की तरफ देखा तो फ़ूफ़ी इंग्लिश रोमांटिक मूवी देख रही थीं। कोई भी रोमांटिक सीन आता तो फ़ूफ़ी चूत खुजा लेती थीं। तभी मैं समझा ये क्यों खुजा रहीं है पर मेरी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी, फिर मैं भी टीवी देखने लगा, मेरे मन में शैतान सवार था। 
फ़ूफ़ी की जैसे ही मुझ पर नज़र पड़ी तो वो चौंक गईं और बोलीं- तुम सोए नहीं अब तक। 
मैंने कहा- बहुत कोशिश की पर नींद नहीं आ रही। 
फ़ूफ़ी भी बोलीं- मेरी भी नींद पता नहीं उड़ गई है, मुझे भी नींद नहीं आ रही और उन्होंने चैनल बदल दिया। 
मैं हिम्मत करके बोला- क्यों चेंज कर दिया? मूवी अच्छी तो थी ! 
फ़ूफ़ी थोड़ा सा मुस्कुराईं और वही चैनल वापस लगा दिया। फिर कोई रोमांटिक सीन नहीं आया और मूवी भी खत्म हो गई। 
मैंने फ़ूफ़ी से कहा- सो जाओ, अब बहुत रात हो चुकी है। 
उस वक़्त 1.30 बज चुका था। 
फ़ूफ़ी बोलीं- नींद नहीं आ रही ! 
और हम बातों में लग गये। बात करने का मौका देख कर मैंने फ़ूफ़ी से बहुत हिम्मत करके पूछ लिया- आपको पति के बिना अकेलापन लगता होगा न? रात को इसीलिए नींद नहीं आ रही? 
फ़ूफ़ी हल्की सी मुस्कुराईं और बोलीं- शायद ये हो सकता है। 
और फिर मैंने पूछा- तुम्हें सैक्स बिना चल जाता है? 
तो वो एकदम सन्न सी रह गई और कुछ ना बोलीं। 
मैंने कहा- औरत को सैक्स तो चाहिए ही चाहिए नहीं? 
फ़ूफ़ी बोलीं- तुम कैसी-कैसी बातें कर रहे हो? 
मैंने कहा- सही तो है। 
फ़ूफ़ी बोलीं- तुम्हें किस ने बताया कि औरत को सैक्स बिना नहीं चलता? 
मैंने कहा- दोस्तों से सुना है। 
फ़ूफ़ी थोड़ा हिचकिचाते हुए 'ह्म्म्म्म...।' में जवाब दे दिया। 
फिर मैंने पूछा- तुम्हें सैक्स की तमन्ना नहीं होती? 
तो वो कुछ ना बोलीं। फिर मैं भी आगे नहीं बोला। 
कुछ देर बाद मैंने फ़ूफ़ी से पूछा- तुम अभी रोमांटिक मूवी देख रही थीं, तो कैसी लगी? 
फ़ूफ़ी बोलीं- वो तो मैं ऐसे ही देख रही थी। 
मुझे पता लग गया था कि रोमांटिक मूवी फ़ूफ़ी को ज़्यादा अच्छी लगती है शायद, और आज बात भी बन सकती है। 
मैंने कहा- अगर आपको पसंद हो, तो मेरे पास ऐसी ही एक बहुत ही रोमांटिक इंग्लिश मूवी की सी-डी है, अगर देखना हो तो कहो? 
फ़ूफ़ी बोलीं- लगा दो, वैसे भी नींद नहीं आ रही। 
मैंने अपने पर्सनल लॉकर से एक रोमांटिक सैक्सी सीन वाली सी-डी निकाली और चला दी। वो एक सैक्स वीडियो थी। मूवी थोड़ी सी चली तो फ़ूफ़ी उससे बहुत गौर से देखने लगी और कुछ देर बाद में सैक्स सीन आया। फ़ूफ़ी देखते-देखते गर्म होने लगीं। उनका हाथ उनके वक्ष पर आ गया। मैं सब देख रहा था। सोच लिया कि सब्र में ही ज़्यादा मज़ा है। वो मूवी सिर्फ़ आधे घंटे की थी। 
कुछ देर में मूवी खत्म हो गई और फ़ूफ़ी भी बहुत गर्म हो गई। पर फ़ूफ़ी को पता नहीं था कि मैं उन्हें ही देख रहा हूँ। 
इतने में फ़ूफ़ी बोलीं- मैं तुम्हारे रूम में सो जाऊँ? हॉल में बहुत गर्मी लगती है, तुम्हारे रूम में ए-सी की वजह से ठंडक अच्छी है। 
मैंने कहा- और मोहसिना? 
तो वो बोलीं- मैं उसे भी ले आऊँ? 
मैंने कहा- उसे सोने दो, कल से आप दोनों यहाँ रूम में सो जाया करो, जब तक मम्मी-पापा नहीं आ जाते। 
फ़ूफ़ी बोलीं- ठीक है। 
हम सोने लगे तो मैंने नाइट लाइट चालू रखी और लेट गए में बेड पर था। फ़ूफ़ी ज़मीन पर बिस्तर लगा कर सो गये। पर हम इधर-उधर की बातें कर रहे थे। 
मैंने पूछा- आप को खुजली है? 
फ़ूफ़ी बोलीं- नहीं तो। 
मैंने कहा- तो फिर बार-बार नीचे क्यों खुजा रहीं थीं? 
वो चोंक गई और बोलीं- थोड़ी खुजली हो रही थी, तो खुजा लिया। 
मैंने हँसते हुए कहा- ज़्यादा हो तो मैं एक बार खुजा दूँ आपको। पूरी रात खुजली नहीं होगी। 
फ़ूफ़ी बोलीं- पागलों जैसी बातें मत कर और सो जा। 
मैं फिर भी नहीं माना और फिर फोर्स किया। 
तो फ़ूफ़ी बोलीं- तुम बहुत शरारती हो गए हो। 
मैंने कहा- लाओ ना मैं खुजला देता हूँ। 
फ़ूफ़ी थोड़ी शर्मा कर बिना कुछ बोले मेरी तरफ को खिसक आईं, वो मेरे बेड के बिल्कुल बाजू में ज़मीन पर थीं। मैंने उनको हल्के हाथ से उपर से ही खुजलाना शुरू किया और खुजाते-खुजाते नीचे सलवार के उपर से ही हल्की सी उंगली अंदर की। फ़ूफ़ी बहुत ही गर्म हो चुकी थीं। 
उन्होंने कहा- मुझे कुछ हो रहा है। 
उनको भी मज़ा आने लगा। उन्होंने आँखे बंद कर लीं थीं। 
मैंने कहा- बेड पर आ जाओ फिर करता हूँ। वो फट से उठ कर मेरे पास आ गईं। मैंने उनकी सलवार को खोल दिया और पैन्टी के अंदर हाथ डाल कर हाथ फेरने लगा तो उनकी चूत पूरी गीली थी बहुत पानी निकल रहा था और मेरा लंड भी एकदम टाइट हो गया। 
कुछ देर बाद मैं उनके ऊपर आकर उनकी गर्दन पर और होंठ पर किस करने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी। मैंने उनको थोड़ा उपर उठा कर उनकी कमीज़ उतार दी, क्या दुद्दू थे। नीचे सलवार भी सरका दी अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में थीं। उन्होंने ब्लैक-सैट पहना हुआ था। एकदम गोरा बदन और ब्लैक-सैट। बहुत ही सैक्सी लग रहा था। 
मैं तो उनकी पूरी काया को चूमने लगा, चूमते हुए मैं थोड़ा नीचे सरका और उनकी नाभि में ज़ुबान डालने लगा। वो मछली की तरह तड़पने लगीं। मैं नीचे सरका और पेंटी उतार दी, देखा कि उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, एकदम साफ़ थी। मैं उनकी चूत चूसने लगा। 
वो बोलीं- ये क्या कर रहे हो? 
मैं बोला- आज मैं तुम्हें एसा मज़ा दिलाऊँगा कि कभी नहीं मिला होगा। 
और उनकी चूत को थोड़ा सा चौड़ा करके उनकी चूत चाटने लगा और अंदर ज़ुबान डालने लगा। मैं उनकी चूत 20 मिनट तक चूसता रहा उस दौरान वो 2 बार झड़ चुकी थीं। मैं उनका सारा पानी जूस की तरह पी गया और मैं उनकी बगल में आ गया। 
मैंने पूछा- मज़ा आया? 
वो बोलीं- पहली बार ऐसा किया तो मज़ा तो आएगा ही। मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था कि कोई चूत भी चूसता है और इतना मज़ा आता है। 
मैंने कहा- अभी तो बहुत बाकी है। 
वो मेरा लंड पैंट के ऊपर से ही सहला रहीं थीं। 
फिर बोलीं- ये तो निकालो। 
मैंने भी पैंट उतार दी। वो मेरा लंड देखे ही जा रही थीं कि कितना बड़ा और मोटा है, बोली- मैंने तो मेरे शौहर का ही देखा था और वो भी बदन ज़्यादा भारी होने की वजह से छोटा था। 
मैंने कहा- इसे मुँह में भर लो। 
पर उन्होंने मना कर दिया। मेरे बहुत जोर देने के बाद उन्होंने मेरा हेल्मेट (टोपा) मुँह में ले लिया। 
मैंने कहा- रूको ! 
मैंने फ़्रीज़ से चॉकलेट पेस्ट निकाला और अपने लंड पर लगा दिया और कहा अब ये चॉकलेट से भरा लॉलीपॉप चूसो। 
उन्होंने थोड़ा-थोड़ा करके मेरा पूरा लंड अपने मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं। 5 मिनट में ही मैंने अपना सारा पानी उनके मुँह में निकाल दिया और वो सारा माल पी गईं और मैं भी ढीला हो गया। हम दोनों ऐसे ही लेट गए। 
कुछ देर बाद, मैंने फिर से उनके मम्मे चूसना शुरू किए वो फिर से गरम हो गईं और मेरा भी लंड फिर से तन गया। 
वो बोलीं- अब मत तड़पा, जल्दी से डाल। 
मैंने फ़ूफ़ी की टांगें फैला दीं और अपना लंड उनकी चूत पर सैट करके धीरे से धक्का मारा पर अंदर नहीं गया और फ़ूफ़ी की सिसकारी निकल गई 'सस्सस्स...' फिर मैंने झट से वैसलीन की क्रीम अपने लंड पर लगा दी और फ़ूफ़ी की चूत में अंदर तक लगा दी और वापस लंड को सैट कर के धीरे से अंदर धक्का लगाया। 
चिकनाई की वजह से आधा लंड उनकी चूत में घुस गया। वो दर्द के मारे तड़पने लगीं, क्योंकि काफ़ी सालों से कोई लंड नहीं गया था, तो चूत टाइट हो गई थी। मैं आधा लंड डाल कर रुक गया। फ़ूफ़ी का दर्द थोड़ा कम होने पर मैंने एक और धक्का लगाया और पूरा लंड अंदर पेल दिया और मैं ऐसे ही लेट गया क्योंकि फ़ूफ़ी को बहुत दर्द हो रहा था। 
उनका दर्द कम होते ही मैंने धीरे-धीरे से धक्के लगाने शुरू किए। उन्हें भी बहुत मज़ा आने लगा और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और उनके नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा दिए। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा ली और ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगा। 
फ़ूफ़ी की सिसकारियाँ निकलती जा रहीं थीं। 
उउम्म्म्ममम...आअहह... उूउउइई ईईईइ इम्म्म्ममा आआ... आआवर्रर्ररर जोर सीईईईई... बऊऊऊथत मज़्ज़ाआआ आआआअ रहाआआअ हाइईईई...” 
करीब 10 मिनट तक मैं लगातार चोदता रहा, उस दौरान वो 1 बार झड़ चुकी थीं। फिर मैंने उन्हें पलट कर घोड़ी बना दिया और पीछे से चूत में डालने लगा। 
करीब 5 मिनट बाद मैं झड़ने वाला था। 
मैंने कहा- कहाँ निकालूँ? 
वो बोलीं- अंदर ही निकाल दो, बहुत सालों से सूखी है। 
मैंने अंदर ही अपना सारा माल निकाल दिया। 
फ़ूफ़ी बोलीं- ऐसा लग रहा है कि सूखी नदी में अचानक बाढ़ आ गई है, बहुत मज़ा आया है। 
फ़ूफ़ी बोलीं- कहाँ से सीखा? कोई गर्ल-फ़्रेंड है क्या? 
मैंने ना कहीं और कहा- आज पहली बार सैक्स किया है। बस आज तक ब्लू फिल्म देखता था और अपने हाथ से ही काम चला लेता था। 
और हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे, आधे घंटे के बाद मेरा फिर से टाइट हो गया। 
मैंने कहा- क्यों ना एक बार और हो जाए। 
अब तो फ़ूफ़ी भी मेरे साथ खुल गईं थीं। वो फिर से तैयार हो गईं। 
मैंने कहा- इस बार में तुम्हारी गाँड में डालूँगा। 
फ़ूफ़ी ना कहने लगी। 
मैंने कहा- जैसे आगे मज़ा आया है उससे ज़्यादा पीछे मज़ा आएगा। एक बार लेकर तो देखो। 
वो मान गईं। 
मैंने फिर से वैसलीन की क्रीम अपने लंड पर लगा दी और उनकी गाँड में भी अंदर तक भर दी और घोड़ी बना कर अपना लंड गाँड के छेद पर रख दिया। फिर धीरे से धक्का दिया तो आधा अंदर चला गया। वो दर्द के मारे उल्टी ही लेट गईं और उनकी आँखों से पानी निकल गया मैं भी रुक गया और फिर दर्द कम होने पर पूरा अंदर डाल दिया और ऐसे ही उनके ऊपर चढ़ गया और उनकी पीठ पर चुम्बन करने लगा। उनका दर्द कम होने पर मैंने धक्के लगाने शुरु कर दिए और आधे घंटे तक मारता रहा। आधे घंटे के बाद मैंने अपना सारा पानी उनकी गाँड में ही छोड़ दिया। 
सुबह के 5 बज चुके थे। हम बहुत थक गए थे, सो गए। और सुबह आठ बजे उठे देखा तो फ़ूफ़ी नीचे सोई हुई थीं। 
मैंने उन्हें किस किया और फिर उन्होंने बाहर जाकर मोहसिना को भी उठा दिया। जब तक मम्मी-पापा नहीं आए तब तक रोज़ रात को हम चुदाई करते। रोज़ मैं उनकी एक बार चूत मारता और एक बार गाँड भी मारता और सो जाते। आज भी मौका मिलने पर मैं और फ़ूफ़ीजी चुदाई करते हैं। 
आप को मेरी कहानी कैसी लगी?


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