Thursday, April 10, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरे गावं का प्यार

FUN-MAZA-MASTI


मेरे गावं का प्यार

यह बात तब की है जब मैं अपने मामा की शादी में गया था |
मेरे मामा के घर के बगल वाले घर में एक लड़की रहती थी, उसका नाम नाजनीन था, 19 साल की उम्र होगी, छोटे-छोटे चूचे, मस्त गांड और गोरा चिट्टा शारीर |
जब से मैं शादी मै गया था वो मुझे बार बार देखती रहती थी। दो दिन तक ऐसा ही चला । फिर उसके आगले दिन मुझसे रहा नहीं गया और मेने उसे इशारा कर के आकेले मै बुलाया |
वो आ गई।
वो आई तो मैंने पूछा- तुम मुझे बार बार क्या देखती रहती हो?
उसने कहा- तुम मुझे अच्छे लगते हो और मै तुम्हे पसंद करती हु इसी लिए !
मैंने भी कहा- मैं भी तुझे पसंद करता हूँ, इसी लिए तुम्हे यहाँ पे बुलाया ।
मैंने तभी मोका देख के एकदम से उसे पकड़ कर चूम लिया। उसने भी मुझे चूमा और नीचे भाग गई।
शादी से एक दिन पहले की रात को करीब दस बजे सब सो चुके थे, मुझे और मेरे एक दोस्त को निचे सोने की जगह न मिलने के कारण हम दोनों छत पे चले गए |
छत पर जा के देखा तो, छत भी पूरी भरी हुई थी , और सब लोग सोए । मेरे दोस्त को तो जगह मिल गई, पर मुझे जगह नहीं मिली | तो मै यहाँ वह जगह धुदने लगा , तो मुझे कही से आवाज़ आई देखा तो, बगल वाली छत से आवाज आई- जगह नहीं mil रही हें तो हमारी छत पर आ जाओ।
वो आवाज नाजनीन के पापा की थी।
तो मैं अपना बिस्तर लेकर उनकी छत पर चला गया, एक अच्छा सा जगह देख कर बिस्तर डाल कर सो गया।
कुछ ही देर मैं मुझे हल्की सी नींद आ गयी और मै हल्का सा सो गया | तभी मुझे लगा कि मेरे बगल में भी कोई है जिसका पैर मेरे पैर से बार बार लग रहा था।
मैंने देखा तो वो और कोई नहीं नाजनीन थी। मेने ध्यान से देखा तो वो सो रही थी |फिर मेरे मन मै मोका देख के चोका मरने का मन हुआ और मेने मौके का फायदा उठा कर उसकी चूची पर हाथ रख दिया। उसने सलवार-कमीज पहना हुआ था। मैंने उसके कमीज़ में हाथ डाल दिया, तो मेरा हाथ सीधा उसके चेंडू को छु गया, मुझे लगा की ब्रा पे लगेगा मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
मैं उसकी चूची दबाते दबाते मेने उसका सलवार का नाड़ा खोल दिया। उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी। उस रात को मुझे झटके पे झटके मिल रहे they |
मैं चूत पर हाथ फेरने लगा, और उसे जगाने की कोशिः कर रहा था ।
उसके मुँह से अचानक आवाज निकलने लगी तो मैं समझ गया कि वो जाग रही है और मुझे चुतिया बना रही थी तबसे ।
मैंने हलके से एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो चीख उठी । मैं उस समय चड्डी - बनियान मै था । उसने मेरा कच्छा खोल दिया और मेरा लंड निकाल कर हिलाने लगी |
मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी और अपनी ऊँगली को हिलाने लगा , फिर दो उंगलियाँ अन्दर डाल दी। कोई देख न ले इसलिए मैंने अपने ऊपर से चादरडाल दिया था ।
अब वो उठ कर पलट गयी और मेरे पैर की तरफ सर करके लेट गई और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा |
कुछ देर बाद उसने अपना पानी मेरे मुह पे छोड़ दिया और मैंने अपना पानी उसे पिला दिया और वो मस्त वाला पि भी गयी एक बूँद भी उसने बहार नहीं निकला |
वो फिर से पलट गयी और सीधी लेट गई और मैं अब उसकी चेंडू को मुँह में लेकर चूसने लगा। थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से फूल गया । मुझे सारा काम आराम आराम से करना था ताकि किसी को शक न हो । अब वो मेरी तरफ पीठ करके लेट गई, मेने उसे पीछे से उसे गले लगाया और उसके पीठ को चूमने लगा, वो धीरे धीरे गरम होने लगी, फिर मैंने अपना लंड पीछे से उसकी चूत पर रखा और धीरे से धक्का दिया।
मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत के अंदर हल्का सा चला गया। मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख लिया ताकि उसकी आवाज न निकल पाए । फिर मैंने एक ही झटके में अपना पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसके बाद मैंने अपना काम चालू किया, आराम-आराम से धक्के लगाने लगा। खतरे का काम था इसी लिए आराम से करना पड़ रहा था क्यों की , सावधानी हटी दुर्घटना घटी ये तो सब हें जानते हें |
चोदते-चोदते मैं उसकी चेंडू दबा रहा था। १५ मिनट बाद मैंने उसकी चूत में ही अपना पानी निकाल दिया।
फिर हम आराम से एक दुसरे के ऊपर लेट गए। थोड़े देर के बाद उसने अपने कपड़े ठीक किये। मैंने भी अपने कपड़े पहने। जाते जाते उसने मुझे एक लम्बा सा चुम्मा दिया और थोड़ी दूर मै जाके सो गयी |
सुबह जब आँख खुली तो देखा वो नहीं थी |
मैं भी सुबह उठ कर नहा-धोकर शादी की तयारी में लग गए। बारात वापिस आ गई।
सभी औरतें दुल्हन देखने आई, वो भी अपनी मम्मी के साथ आई। सभी औरते दुल्हन के साथ थी तो मैंने उसे यानि नाजनीन को अपने पास आने का इशारा किया। वो मेरे पास आई, तो फिर मैंने उसे खेत की तरफ शाम को आने को कहा।
वो मान गई।
धीरे धीरे शाम हो गई, मैं मस्त मै खेत की तरफ निकल पड़ा, वो भी मुझे देखकर छुपती-छुपती आ रही थी। खेत से थोड़े दूर पर एक आम का बाग़ था तो हम वही चले गए।
वह पहुचते हें मेने उसको कास के पकड़ा और अपने हॉट उसके होतो के ऊपर रख दिया |पाँच मिनट चूमने के बाद मैंने उसे कहा- कल रात अँधेरा था इसी लिए तुझे आचे से छोड़ नहीं पाया, अज तो मै तुझे पूरा नंगा कर के मस्त वाला चोदुंगा | इतना सुनते हें वो शर्मा के  पीछे को घूम गयी |मेने अपना लंड उसके गांड के बिच मै सेट किया और उसे चूमने लगा | फिर उसके बाद मेने अपने कपडे उतर दिए और उसके भी | अब हम एक दम आदि मानव लग रहे थे | जंगल जेसे माहोल मै हम दोनों नंगे | मेने उसे फिर से पकड़ कर उसके चेंडू दबाने लगा | वो धीरे धीरे गरम हुई और फिर निचे बैठ कर मेरे लंड को अपने मुह मै ले लिया और उसे गजब का चूसने लगी, थोड़े देर के बाद मै उसी के मुह मै अपना पानी निकल दिया |
थोड़े देर के बाद जब मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा तब मैंने घुटनों के बल बैठ कर उसकी एक टांग अपने कंधे पर रखी और उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चुत चाटते चाटते मेने अपनी एक ऊँगली उसके गांड मै डाल दी | वो ऊँगली डालने के पाँच मिनट में ही पानी छोड़ने लगी। फिर वो पेड़ का पकड़ कर घोड़ी बन गई और मैंने अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया।
चूत मारते मारते मैंने उससे कहा- मुझे तेरी गांडमै भी अपना लंड डालना है।
वो मना करने लगी। मैं जिद करने लगा लेकिन वो मानी नहीं, न पे न बोले जा रही थी ।
मैंने भी अपना दिमाग लगाया कि घी सीधी ऊँगली से नहीं निकलने वाली |
मैं उसकी चुत मरते मरते एकदम से उसकी चूत से अपना लंड निकाला और गांड की छेद पर बिना देर किये एक जोरदार झटका दिया। वो दर्द से इतनी तेज चिल्लाई कि उसकी आवाज पूरे बाग़ में गूंज गई, वो दर्द के मारे रोने लगी और मेरा लंड हटा दी और बैठ गयी |
मैंने उसे समझाया कि थोडा दर्द होगा फिर ठीक हो जायेगा |
मैं उसकी चूची सहलाने लगा, कभी उसकी जांघें सहलाता ताकि उसका दर्द कम हो जाये । उसका दर्द जब कम हुआ तो मैंने एक और झटका दिया और पूरा का पूरा लंड उसकी गांड में घुसा दिया। वो अपनी आँखों के पानी से जमीं गीली करने लगी । उसकी गांड फट गई थी। उसकी गांड से खून निकल रहा था, मुझे भी दर्द हो रहा था शायद मेने अपना जादा ही दिमाग लगा दिया था |
फिर धीरे धीरे उसका दर्द कम हुआ तो मैंने अपना काम चालू किया। करीब दस मिनट और चोदने के बाद मैं उसकी गांड में ही अपना पानी निकल दिया | वो भी थोड़े देर के बाद झड गयी |
मैंने खून साफ़ करने के लिए अपना रुमाल निकला और उसका खून साफ़ किया अपना लंड भी साफ़ किया। फिर दोनों ने एक दुसरे को कपडे पहनाये | उससे दर्द शायद जादा हो रहा था, क्यों की उससे ठीक से उठा भी नहीं जा रहा था, ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
वो कहने लगी- तुम बहुत गंदे हो ! मैंने मना किया था, फिर भी पीछे डाल दिया।
मैंने कहा- कल मैं जा रहा हूँ इसलिए अज हें सारे काम करने थे, बाद में मौका मिले न मिले इसी लिए ।
उसने जेसे हें सुना की मै जाने वाला हु तो वो और रोने लगी |मेने उसे दिलासा दिया और जाते जाते उसे एक मजेदार चुम्मा भी दिया।
उसने कहा कि वो मुझे और मेरे प्यार को कभी नहीं भूलेगी। मैंने भी कहा कि मैं भी उसे कभी नहीं भूल पाउँगा ।
फिर हम अलग अलग हो कर घर चले गए। सुबह मैं जाने लगे। मैंने पीछे मुड़ कर देखा, देखा तो वो भी मुझे देख रही थी, उसकी आँखों में आँसू थे।
मैंने अपने दिल पे पत्थर रख कर एक ही बार उसकी तरफ देखा और फिर दूसरी बार उसकी तरफ देख नहीं पाया |
आज भी वो मुझे याद आती है। उसदिन के बाद तो मै अभी तक गॉव नहीं गया | जब जाऊंगा तो उसे जरुर मिलूँगा







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