Wednesday, September 24, 2014

FUN-MAZA-MASTI अलग-अलग बिस्तर पे

FUN-MAZA-MASTI

  अलग-अलग बिस्तर पे

हाई दोस्तों, ये बात उन दिनों की हे जब में ११ में पड़ता था और ११ के परीक्षा दे चूका था | मेरे घर वाले शहर से बाहर गए हुए थे घूमने के लिए | उन्होंने मुझे भी ले जाना चाह था पर मुझे हल्की हल्की बुखार थी जिसके कारण में नही जा पाया | उस वक्त में अपने आप को कोस्टा था की मुझे बुखार यु हुआ क्यों हुआ, घर वालो के साथ घूमने जाना था मुझे | पर बाद में मुझे पता चला की भागवान जो करते हे अच्छे के लिए ही करते हे | उनके जाने के बाद, दूसरे दिन मेरे पड़ोस में एक आमिर परिवार रहते थे, उनकी एक अकेली बेटी थी और आमिर होने के कारण उस लड़की का उठने बैठने का ढंग ही कुछ अलग था | उसके घर वालो को भी किसी की शादी में जाना था पर वो किसी कारण उसको भी नही ले जा पाए और मेरे घर पे छोड़ के चले गए |

जाने से पहले उसकी माँ ने मुझे बहुत सारे हिदायत दी, जेसे की घर का ख्याल रखना, स्नेह का ख्याल रखना, घर को अच्छे से बंद कर के सोना, एक कमरे पे पर अलग अलग बिस्तर पे सोना | मेने सारी बातें मान ली बस एक को छोड़ के वो बिस्तर वाली |स्नेह का कद करीब ५’६” होगा, रंग तो गोरा था गांड उसकी ३८ होगी और चुचे वो तो सबसे कमाल के थे वो करीब ३४ होगा | उस दिन का दिन तो गुजर गया जेसे ठेस और आब आई रात जो सबसे हसीं होती हे | रात को खाना खा लेने के बाद हम दोनों सोने की तैयारी करने लग गए | उस दिन उसका मुड भी बहुत बदला बदला सा था | मैं दरवाजा बंद करने चला गया और फिर जब वापस आ रहा था तब देखा की सामने रस्ते में स्नेह कड़ी थी में आगे बड़ा और जेसे ही उसके पास पंहुचा बिजली चली गयी | हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब थे, मेरा लंड तो टन चूका था तब तक, अगर बिजली होती तो उसे पक्का दिख जाता पर बिजली नही थी तो नही दिखा | हम दों अब इतने करीब थे की थोडा सा कोई भी हिल रहा तह तो हम दोनों एक दूसरे को छु जा रहे थे |

इतने में हम दोनों को क्या हुआ पता नहीं हम दोनों इन एक दूसरे को किस करने लग गए | वो भी साथ दे रही थी और में भी लगा हुआ था | शायद आज आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी | हम दोनों एक दूसरे को करीब दस मिनट तक चुमते रहे और एक दूसरे के जिस्म पे हाथ फेरते रहे और प्यार भरा मज़ा लिया |हम दोनों फिर अलग हुए और फिर कमरे की तरफ आने लग गए, इसी बिच उसने मुझे फिरसे एक किस किया और किस करते करते ही बिजली आ गयी और फिर वो शर्मा के वहा से भाग गयी | मैं कमरे में आ गया और बत्ती बंद कर दी और उस वक्त स्नेह आईने के सामने थी और अपने आप को दख रही थी | मेने बत्ती बंद कर के कमरे को अँधेरा कर दिया पर बाहर से अंदर हल्की फुलकी रौशनी आ रही थी | मेने उसे अपने बाहों में भर लिया और उसे चूमने लगा | उसने स्कर्ट पहनी हुई थी, और मेने हाफ पेंट, मेने अपनी टांगो को उसके टांगो से चिपका दिया और वो मेरे अंदर सिमट गयी और मुझे कसने लग गयी | हम दोनों अब एक दूसरे के जिस्म पे हाथ फेर रहे थे और में अपने टांगो को उसके पेरो पे रगड रहा था | मेने उसे फिर बिस्तर पे लेटा दिया और उसके उपर लेट गया और उसे चूमने और उसके नरम नरम होठो को चूसने लगा |

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, स्नेह को कितना मज़ा आ रहा था वो तो नही पता पर मुझे उसके होठ चूसने में काफी मज़ा आ रहा था | उसके बाद में सने के बाजू में एट गया और उसे चूमने लगा, उसने अपना एक हाथ निचे की तरफ किया और मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे होले होले मसल रही थी | उसके चुने से मेरे लंड जेसे मानो अभी मेरी चड्डी फाड़ के बाहर आ जायेगा ऐसा लग रहा था |मैं फिर खड़ा हुआ और मेने अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर उसने भी अपने कपडे उतार दिए | हम दोनों कुछ ही पालो में एक दम नंगे हो चुके थे | मेने फिरसे उसे लेटा दिया और फिर उसके उपर चड गया और उसके पुरे जिस्म को चूमने और चाटने लग | मेने फिरसे उसके होठो को करीब दस मिनट तक चूस और फिर चुमते चुमते उसकी चुत के पास आ गया | मुझे उस वक्त शर्म सी आ रही थी क्युकी उसकी चुत एक दम चिकनी थी पर मेरे लंड पे बाल थे | मैं फिर उसकी चिकनी चुत पे मुह रख दिया और उसके चुत को चाटने लगा, उसके चुत से लगातर कुछ पनी जेसा निकल रहा था जिसे मेने चाट चाट के साफ़ कर दिया था, उसका वो पानी मुझे फ़िल्टर के पानी से भी जादा मस्त लगा | उसके मु से अब सिसकिय निकलना शुरू हो चूका था और वो सिसकिय पे सिसकिय भरे जा रही थी अह्ह्ह ह्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ़ हम बहुत अच्छा लग रहा हे और कर और कर ह्म्म्म और कर राजा, मेरे प्यारे राजा और कर | में सोचा ये साला राजा कोन हे, मेरा नाम तो समीर हे, कही राजा कोई और लड़का तो नही जो इसे पेलता हो |में उसके गुलाबी चुचो को धीरे धीरे चूसता रहा और दूसरे हाथ से उसके दूसरे चुचो को मसलता रहा |

वो फिर एक दम से उठ गयी और मुझे धकेल दी और मुझे लेटा दी और फिर मेरे लंड को पकड़ कर उसे चूसने लग गयी | में तो उस वक्त स्वर्ग पे था, क्या मज़ा आ रहा था मुझे | में और कुछ पल उसे चूसने देता तो मैं पक्का झड जाता इसीलिए मेने उसे रोक दिया और उसे लेटा के उसकी चुत चूसने लगा | मेने अब उसकी चुत को कस कस के चूसने लगा और वो थोड़े देर में उसने अपनी चुत से तेज पानी छोड़ दिया | मैं उसकी चुत का पनी पी गया, उसके बाद मेने उसके होठो को चूसना शुरू कर दिया और फिर एक ऊँगली लेके उसकी चुत में डालना लगा और अपनी ऊँगली उसकी चुत में घुमाने लग गया | थोड़े देर के बाद वो पागल सी होने लग गयी और कस कस के बोलने लगी की और नही होता मुझे.डाल दो अपना लंड मेरी चुत में फाड़ दो इसे आज बहुत परेशां करती हे ये मुझे |मेने फिर अपना लंड लिया और उसकी चुत पे टिका दिया, उसकी चुत एक दम कसी हुई थी | मेने फिर क्रीम की डिब्बी ली और उसके चुत पे और अपने लंड पे लगा लिया और धीरे धीरे धक्का लगाने लग गया | उसकी चुत से हल्का हल्का खून आने लग गया पर मेने कुछ किया नही वरना वो डर जाती, इसीलिए मेने कुछ न कहते हुए धीरे धीरे धक्का लगये रखा | वो दर्द से कराहने लग गयी थी और रो रही थी, वो जोर से चिल्लाने लगी थी आआआया माँ मर गयी रुक जाया प्लीज़ अपना लंड निकाल ले बहुत दर्द हो रहा हे निकाल्ल्ल्ल्ल्ल आपने लंड को उईई माँ मर गयी |

वो अब फुट फुट के रोने लग गयी थी, मेने उसके होठो पे अपना होठ रख दिया और उसे चूमने लग गया और निचे धीरे धीरे लंड हिलाए रखा और करीब दस मिनट बाद वो शांत हो गयी तब मेने थोड़ी गति बड़ा दी | अब उसके चेहरे पे कुछ रहत थ और फिर वो अब लंड के झटको के मज़े लेने लग गयी और अब वो उफ़ अह्हह्ह ह्ह्ह्ह्ह्ह करने लग गयी थी | अब वो अपनी गांड को भी उठाने लग गयी थी और मेरे लंड को जल्दी से जल्दी अपनी चुत में लेने लग गयी थी |अब उसने अपने टांगो को मेरे कमर पे बंद दिया और मुझे अपनी तरफ कसने लग गयी थी | वो अब जोर जोर से अह्हह्ह उफ्फ्फ हा ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करने लगी थी और मुझे अपनी तरफ कसते ही जा रही थी | फिर वो बोली की उसे अजीब सा लग रहा हे चुत में शायद कुछ निकलने वाला हे, मेने फिर और गति बड़ा दी और वो फिर एक दम से अपनी चुत से पानी छोड़ दी और मेरे लंड को गीला कर दिया | उसके चुत के रस के कारण अब चुत से पच पच की आवाज़ आने लग गयी और मेरी पूरी झाट गीली हो गयी | वो अब ढीली हो चुकी थी पर में शोट पे शोट दिए जा रहा था और वो चुप चाप लेती हुई थी और फिर कुछ देर के बाद में भी झड गया उसी की चुत में | मैं भी ढीला हो चूका था और फिर उसी के उपर लेट गया और सारी रात पड़ा रहा उसी के चुत में लंड डाल के |उसके बाद मेने सुबह सुबह मेरे घर वालो के आने से पहले उसकी गांड की भी ली वो में आपको अगली कहानी में बताऊंगा |











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FUN-MAZA-MASTI मेरी नई नई मीना भाभी

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मेरी नई नई मीना भाभी

प्रेषक : लकी
मेरा नाम लक्की है, मैं आपके सामने अपनी पहली कहानी पेश करने जा रहा हूँ। सबसे पहले मैं गुरूजी का धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मेरी कहानी को समझा और आप लोगों तक पहुँचाया और उन फड़कती हुई चूतों को भी मेरा सलाम जो हमेशा किसी लण्ड की तलाश में रहती हैं। चूतें हमेशा चुदने के लिए होती हैं !
दोस्तो, बात उस वक्त की है जब मेरे बड़े भाई की नई-नई शादी हुई थी। जब मैंने पहली बार भाभी को देखा तो मैं उन्हें देखता ही रह गया। मेरी भाभी का फीगर 36-28-36 है। वो बहुत ज्यादा सैक्सी लगती हैं। लेकिन कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई। सभी मेहमान शादी के एक-दो दिन तक सभी जा चुके थे। लेकिन मेरी चचेरी बहन नहीं गई थी।
भाभी और मैं आपस में बातें करने लगे। ऐसे ही एक महीना निकल गया। मैं नहीं जानता था कि भाभी भी मुझे पहले दिन से ही पसन्द करने लगी थी। यह भाभी ने मुझे बाद में बताया था।
सर्दी का मौसम था, काफी ठंड थी ! एक दिन वो बीमार पड़ गई। करीब दो हफ़्ते तक मैं उन्हें दवा दिलाने ले जाता रहा। एक दिन अचानक घर पर मेहमान आ गए।
तो जगह कम होने के कारण मैं, भाभी और मेरा छोटा भाई एक साथ सो गए। रात एक बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि भाभी को ठंड लग रही थी।
मैंने भाभी से पूछा- क्या हुआ भाभी? आप इतना कांप क्यों रही हैं?
भाभी ने कहा- मुझे ठंड लग रही है।
तो मैंने अपनी रजाई भी उन्हें औढ़ा दी और मैं भी उनके साथ ही सो गया। अचानक उन्होंने अपना सर मेरी बाजू पर रख दिया। मेरी तो मानो मन की मुराद ही पूरी हो गई। लेकिन आगे कुछ नहीं कर पाया। इसी तरह दो हफ़्ते निकल गए।
मेरी चचेरी बहन अब जा चुकी थी। एक दिन घर पर कोई नहीं था। मैं और मेरी भाभी बातें कर रहे थे।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी, शादी से पहले आपकी फ्रेंडशिप थी?
भाभी ने कहा- नहीं !
तभी भाभी ने कहा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
तो मैंने कहा- है !
तो उन्होंने कहा- तुम उससे मिले भी हो या फ़ोन पर ही बात करते हो?
मैंने कहा- मिल ही नहीं चुका हूँ, मैं कई बार उसके साथ कर भी चुका हूँ !
तभी भाभी बोली- क्या कर चुके हो?
मैं थोड़ा शरमाया।
भाभी बोली- बोलिए ना !
मैंने कहा- मैं सेक्स की बात कर रहा हूँ।
भाभी ने कहा- तुम तो बहुत शैतान हो ! मैं तो तुम्हें बहुत शरीफ समझती थी।
भाभी के ऐसा कहने पर मुझे बहुत शरम महसूस हुई। तभी भाभी नहाने के लिए चली गई । कुछ देर बाद मुझे भाभी के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी तो मैंने दरवाजे के पास जाकर भाभी से कहा- क्या हुआ भाभी?
भाभी ने कहा- मैं गिर गई हूँ।
उन्होंने कहा- मुझसे तो हिला भी नहीं जा रहा !
तब मैंने कहा- मैं अंदर आता हूँ !
जैसे ही मैं अंदर गया, मैंने देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। भाभी उस वक्त सिएफ़ पैंटी और ब्रा में ही थी और फर्श पर पड़ी थी।
मैं भाभी के पास गया और उन्हें सहारा दे कर उठाने लगा, लेकिन उनसे तो हिला ही नहीं जा रहा था। मैंने उन्हें गोद में उठाया और बैडरूम में ले गया।
मेरे सीने से चिपकने के कारण उन्हें मेरे शरीर की गंध आने लगी, जिस कारण वासना उनकी आँखों में चमकने लगी। मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा- मैं तेल से आपकी मालिश कर देता हूँ।
भाभी ने कहा- मैं खुद कर लूंगी !
तो मैंने कहा- एक बार मैं कर देता हूँ, दोबारा आप खुद कर लेना !
तो भाभी ने कहा- ठीक है।
मैं तुरंत तेल ले आया और उनकी टांग पर तेल लगा कर मालिश करने लगा। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली थी। मैं उनकी जांघों तक उन्हें मसलने लगा। कुछ देर में मैं उत्तेजित होने लगा, मेरा लंड पाजामे में ही खड़ा हुआ साफ नजर आने लगा।
मैं अपने काम में लगा था कि मुझे अपने लंड पर कुछ महसूस हुआ। मैंने देखा कि भाभी मेरे लंड को पाजामे के ऊपर से ही सहला रही थी। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। शायद वो मेरे हाथों के अपनी जांघों पर घर्षण के कारण गरम हो चुकी थी। मैं भी मौका न गंवाते हुए मैं उनके ऊपर चढ़ गया और अपने होंठ उनके होंठों पर रख कर फ्रेंच किस करने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी।
इस बीच उन्होंने मेरे कपड़े उतार दिए और मैंने उनकी पैंटी और ब्रा निकाल दी और मैं उनके चूचों को बड़ी बेरहमी से दबा रहा था और चूम रहा था। भाभी बिना कुछ बोले सिसकारियाँ लेती रही। फिर मैंने बिना कुछ कहे अपना लंड उनके मुँह के पास कर दिया और उन्होंने झट से मेरे लंड को मुँह में ले लिया। वो अपने मुँह से मुझे चोदने लगी।
कुछ देर बाद मैंने लंड उनके मुँह से बाहर खींचा और फिर से उनके ऊपर चढ़ कर लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के मुँह पर रखा। ऐसे लग रहा था जैसे आग की भट्ठी हो। मैंने पहला झटका मारा, मेरा लंड चार इन्च अंदर चला गया। दोस्तो, मैं आपको अपने लंड के बारे में तो बताना भूल ही गया, तो दोस्तो, मेरे लंड का साइज नौ इन्च का है।
मीना भाभी को बहुत दर्द हो रहा था। मैं कुछ देर ऐसे ही रहा। उनके होंटों को फिर से मैंने अपने होंटों से चिपका लिया और उन्हें चूमता रहा। अब उनका दर्द खत्म हो चुका था। मौका पाते ही मैंने एक जोरदार झटका मारा, मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में समा चुका था।
उनकी चीख मेरे मुँह में ही दब कर रह गई। उनकी आँखों में आंसू थे। कुछ देर तक मैं ऐसे ही रुका रहा और उन्हें चूमता रहा और एक हाथ से उनके स्तन और दूसरे हाथ से उनके बड़े-बड़े चूतड़ों को सहलाता रहा। कुछ देर बाद भाभी सामान्य हो गई और चुदाई का मजा लेने लगी तो मैंने एक ही बार में पूरा लंड बाहर खींचा और फ़िर से पेल दिया। आधे घंटे की जोरदार चुदाई में भाभी चार बार झड़ चुकी थी और मैं झड़ने वाला था।
मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ ! बाहर निकालूं ?
भाभी ने कहा- नहीं अंदर ही झाड़ दो !
और दो-चार जोरदार झटकों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ने लगे और भाभी मेरे होंठों को चूमने लगी।
इसके बाद मैं रोज मौका देख कर भाभी को चादता था। अब जब भाभी मां बनने वाली है, भाभी वो बच्चा मेरा ही बताती हैं।
दोस्तो, आपको मेरी आप बीती कहानी के रूप में कैसी लगी, मुझे जरूर लिखें !



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FUN-MAZA-MASTI उसको घोड़ी बनाया

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 उसको घोड़ी बनाया

मेरे दोस्त ने एक लड़की से दोस्ती करी हुई थी। उस लड़की के साथ उसकी एक दोस्त आती थी, मुझे उसकी दोस्त बहुत पसंद थी वो बेचारी जब भी उसके साथ आती थी अकेले तरसती रहती थी मन मेरा भी बहुत करता था उससे बोलने के किए।
एक दिन मुझे मौका मिल गया उससे बात करने का। मैंने उसको विश किया। आग उसके अन्दर भी जल रही थी ! जब भी मेरा दोस्त अपनी फ्रेंड के साथ अंदर किस्सिंग कर रहा होता था, वो शोला बन जाती थी।
मैंने उसको लॉन्ग ड्राइव पे साथ चलने के लिए प्रोपोज़ किया। मेरे मन ही मन में लड्डू फूट रहे थे। हम कार में बैठे, कुछ खाने का लिया, वो चाह रही थी मैं उसे स्पर्श करूँ, मैं चाह रहा था वो शुरुआत करे, फिर मैंने सैंडविच निकाले, उसको खिलाने के लिए उसके लिप्स के पास ले गया, मैंने महसूस किया कि वो सैंडविच कम खा रही है, मेरी ऊँगली ज्यादा। बस फिर क्या था मैंने तो उसके लिप्स को चूसना चालू किया वो तड़पने लग। इतनी देर में एक होटल आ गया। हम दोनों कार से उतरे और एक कमरा लिया।
वो तो जाते ही बेड पे आँखे बंद कर के लेट गई मै समझ गया रास्ता साफ़ है। मैं भी उसके उपर लेट गया उसकी टीशर्ट में से उसके बूब्स हाथ में ले के मसलने लग गया। वो सिसकारियाँ भरने लग गई, उसने मुझे अपनी बाहों में कस के पकड़ लिया। उसके सख्त स्तन मुझे चुभने लग गए। कसम खा कर कहता हूँ कि इतने सख्त स्तन मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार देखे थे। और चूचूक तो ऐसे गुलाबी कि पूछो मत, बिल्कुल गुलाबी मैंने जैसे ही मुह में लेकर चूसना शुरू किया वो पागलों की तरह मुझे चूमने लग गई। उसने मेरे कपड़े कब उतार दिए मुझे पता ही नहीं चला।
उसने मेरा सख्त लंड मुँह में ले के चूसना चालू किया। वो पागलों की तरह चूसे जा रही थी मेरा भी मन उसकी गर्मागर्म चूत चूसने का कर रहा था फिर बड़ी मुश्किल से मैंने उसको पोसिशन बदलने के लिए तैयार किया। अब हम ६९ की पोसिशन में थे। मैंने उसकी चूत का रस जैसे ही मुँह में लिया, वो अपनी चूत को मेरे लंड के पास ले आई। मेरा तना हुआ गर्मागर्म लंड अपनी चूत के मुँह पर लगा लिया। चूत इतनी कसी हुई कि लंड छिलने जैसा हो गया वो तड़पने लग गई और बोली- और जोर से ! और जोर से !और जोर से ! बोले जा रही थी। फिर हमने पोसीशन बदली, उसको घोड़ी बनाया, उसको तस्सल्ली से खूब चोदा।
इस बीच मैंने क्या महसूस किया कि वो मेरे लंड को पकड़ के अपनी गांड में डालने की कोशिश कर रही थी। मैंने उसकी मदद की और जोर जोर से धक्के मारना शुरू किया। वो मेरे लंड को एक बार आगे चूत में डाले, एक बार पीछे ले ! ऐसे करते करते वो डिस्चार्ज हो गई अब वो मुझे तृप्त लग रही थी, फिर हम साथ-साथ फ़व्वारे के नीचे नहाए और हल्के नाश्ते के बाद फिर चुदाई का आनंद लिया।
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एक दिन मुझे मौका मिल गया उससे बात करने का। मैंने उसको विश किया। आग उसके अन्दर भी जल रही थी ! जब भी मेरा दोस्त अपनी फ्रेंड के साथ अंदर किस्सिंग कर रहा होता था, वो शोला बन जाती थी।
मैंने उसको लॉन्ग ड्राइव पे साथ चलने के लिए प्रोपोज़ किया। मेरे मन ही मन में लड्डू फूट रहे थे। हम कार में बैठे, कुछ खाने का लिया, वो चाह रही थी मैं उसे स्पर्श करूँ, मैं चाह रहा था वो शुरुआत करे, फिर मैंने सैंडविच निकाले, उसको खिलाने के लिए उसके लिप्स के पास ले गया, मैंने महसूस किया कि वो सैंडविच कम खा रही है, मेरी ऊँगली ज्यादा। बस फिर क्या था मैंने तो उसके लिप्स को चूसना चालू किया वो तड़पने लग। इतनी देर में एक होटल आ गया। हम दोनों कार से उतरे और एक कमरा लिया।
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FUN-MAZA-MASTI घर की बात घर में

FUN-MAZA-MASTI

 घर की बात घर में 


 भाभी की कोई सहेली कुछ दिनों के लिए घर पर आई हुई थी। भाभी की वो हम उम्र थी। कोई ३२-३३ साल की रही होगी। भाभी और मेरे सम्बन्ध वैसे भी मधुर थे। जब भी भाभी की इच्छा होती थी वो, ज्यादातर दिन को, भैया के जाने के बाद मुझसे चुदवा लेती थी। ये सिलसिला चार महीनों से चल रहा था। एक दिन शाम को भाभी मेरे पास आई और बोली,"देवर जी .... मेरी सहेली मन्जू बहुत ही गरम हो रही है .... क्या उसे ठंडी कर सकते हो .... .... ?" भाभी ने बडे ही सेक्सी अन्दाज में पूछा। "पर भाभी .... वो अभी तैयार है क्या .... ?" मुझे एकाएक विश्वास नहीं हुआ और फिर भाभी तो स्वयं एक औरत थी, बजाये उससे मुझे दूर रखने के .... मुझे न्योता दे रही थी .... भाभी को मेरी चिंता कैसे हो गई। "अरे नहीं .... आभी नहीं ! जब गरम हो तो करना .... तुझे नया टेस्ट करने को मिल जायेगा .... !" भाभी ने मुझे तरीका बताया। "आप मदद करें तो मामला बन सकता है .... " मैने भाभी से सहायता मांगी। "कल तुम्हारे भैया काम पर जायें तो ट्राई करते हैं .... " हम दोनों ने योजना बना ली। भाभी ने बताया मंजू को चुदवाये हुये बहुत समय हो गया है अब वो बार बार चुदाई की बातें करती है और उसके साथ लेस्बियन करना चाहती है। भाभी चाहती है कि लेस्बियन से अच्छा तो चुदाई है .... इसलिये वो मुझसे पूछने आई थी। मैं भाभी के इस प्रोपोजल से इतना खुश हो गया कि उनके स्तनों को मसल डाला। वो बस मुसकरा कर उई कह कर रह गई। दूसरे दिन भैया के जाने के बाद भाभी ने मोबाईल पर मिस काल दिया। ये हमारा इशारा था .... मैं कमरे में था। मैने फ़्रिज से कोल्ड ड्रिन्क निकाला और तीन गिलास बना कर भाभी के कमरे में चला आया। "मन्जू जी .... ठन्डा लाया हूँ .... भाभी लीजिये .... !" मैने बैरा स्टाईल में कहा। मुझे लगा कि मन्जू ने पहली बार मुझे गहराई से निहारा। शायद मेरे जिस्म का निरीक्षण कर रही थी। यानि मेरे बारे में कुछ बात हुई है। मन्जू ढीला ढाला काले रंग का पजामा पहने हुई थी और उस पर सफ़ेद रंग का टॉप था। भाभी भी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाऊज में थी .... और मैंने भी अपना सफ़ेद पजामा पहना था। भाभी मेरे पास सोफ़े पर बैठ गई .... और हम तीनों बातों में तल्लीन हो गये। भाभी ने धीरे से अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और दबाने लगी। मै भी उत्तर में हाथ दबाने लगा। मुझे मालूम था कि मन्जू ये सब देख रही थी। अब भाभी ने बातों बातों में हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और सहलाने लगी। मन्जू की अब बैचेनी बढ़ने लगी। वो बराबर हमारी हरकतें नोट कर रही थी। मेरा लन्ड धीरे धीरे खड़ा होने लगा। पजामे में से साफ़ उठा हुआ दिखने लगा था। जैसे ही भाभी के हाथ ने लन्ड को स्पर्श किया। मन्जू का हाथ कांप गया। "मैं अभी बाथरूम हो कर आती हूँ .... " उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। भाभी ने मुझे आंख मारी। मन्जू बाथ रूम में गई तो मैंने जानकर भाभी को चिपका कर चूमने लगा। तब तक चूमता रहा जब तक कि मन्जू ने बाथरूम से निकल कर हमें ये सब करते हुए देख नहीं लिया। फिर हम एकदम से अलग हो गये जैसे कि चोरी पकड़ी गई हो। "क्या मैं फिर से बाथरूम में जाऊं ?" मन्जू की बात सुनते ही भाभी ने शरमाने का नाटक किया। "अरे क्या कह रही हो .... ये तो ऐसे ही प्यार में इस तरह कर देता है .... ?" भाभी ने सफ़ाई देते हुये कहा। "तब तो एक बार मुझे भी ऐसा ही प्यार कर दे ना .... !" मन्जू ने अपनी प्यास भी जता दी .... भाभी ने अपना मुँह छिपा लिया। "कैसा प्यार मन्जू जी .... "मैने बेशर्मी से पूछा। "जैसा अभी किया था भाभी को .... !" मैने भाभी को फिर से एक बार होंठों पर जम कर किस कर लिया, पर इस बार भाभी के बोबे भी दबा डाले। भाभी भी मुझसे चिपक पड़ी। "हाय ! अब बस भी करो ना .... सुमन तुम अब हटो ना .... राजू अब मुझे करो ना .... ! " मन्जू ने सब खुल्लम खुल्ला देखा तो तड़प उठी। वो कब तब सहन करती। मैं खड़ा हो गया और मन्जू का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। मन्जू कटे पेड़ की तरह मेरे हाथों में झूल गई। मैने सबसे पहले मन्जू के बोबे दबा दिये। उसके मुख से सिसकी निकल पड़ी। फिर उसके होंठो से होंठ लगा दिये और एक भरपूर किस लिया। उसके नरम नरम होंठ फ़डक उठे। भाभी ने इतनी देर में उसके चूतड़ों की गोलाईयां दबानी चालू कर दी। "मंजू .... मेरी सहेली .... मजा आया ना .... बडा शरमा रही थी ना राजू से .... अब क्या हुआ .... !" "हटो .... तुम्हारी बेशर्मी ने तो मेरी हिम्मत खोल दी .... मुझे क्या पता था कि राजू तुम्हें इतना प्यार करता है कि तुम्हारे बोबे तक दबा देता है .... !" मन्जू शरारत से बोली। "सुनो .... मेरी जान .... वो तो मुझे चोदता भी है .... कल तुम्हारी हालत देख कर मैने सोचा राजू से तुम्हारी दोस्ती करवा ही दूं, तुम्हारी चूत की प्यास भी बुझ जायेगी।" मैने मन्जू के शरीर को सहलाना और दबाना चालू कर दिया। वो मेरी बाहों में मछली की तरह तड़प उठी। किसी औरत में मैने इतनी प्यास नहीं देखी थी। वो बडी बेशर्मी से अपना सफ़ेद टोप उठा कर अपने बोबे दबवा रही थी । "राजू .... सम्हालो अपनी नई गर्ल फ़्रेन्ड को .... अपने लन्ड का अब कमाल दिखा दो .... .... " भाभी मेरा लन्ड पकड़ती उसके पहले ही मन्जू ने उस पर कब्जा कर लिया। बडी अदा से मेरी तरफ़ देखा और मेरा पजामा नीचे खींच दिया और मेरा लम्बा लन्ड उसने पकड़ कर हिलाया और फिर हम सभी में कपड़े उतारने की जैसे होड़ लग गई। कुछ ही क्षणों हम तीनो नंगे हो चुके थे। मेरा लन्ड तन्ना कर फ़ुफ़कार उठा था। मैं कुछ करता उसके पहले मन्जू ने मेरा लौड़ा पकड कर अपने मुख में डाल लिया और लॉलीपोप की तरह सुपाड़े को खींच खींच कर चूसने लगी। ये स्टाईल मुझे बहुत अच्छी लगी .... लन्ड में तीखी उत्तेजना लगने लगी। भाभी मेरे पीछे से चूतड़ों को मसल रही थी। अब दोनों ने मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया। और भाभी मेरे मुख से सट कर बैठ गई और अपनी चूत की फ़ांके खोल कर मेरे होंटो से चिपका दी .... और मन्जू ने मेरे खड़े लन्ड का फ़ायदा उठाते हुये अपनी चूत का मुँह खोल कर सुपाड़े को उस पर टिका दिया। इधर भाभी की चूत में मेरी जीभ गई और उधर मन्जू ने अपनी चूत में मेरा लन्ड घुसा लिया। दोनों के मुख से सिसकारियां निकल पड़ी। "हाय् .... लन्ड गया रे अन्दर् .... स्स्स्स्सीऽऽऽऽऽ .... " मन्जू सिसक उठी .... भाभी ने भी ऐसी ही सिसकारी भरी और मेरे मुख पर चुदाने जैसा धक्का मार दिया। मन्जू की चूत मेरे लन्ड को लपेट रही थी .... चूत का घर्षण लन्ड पर बड़ा ही सुहाना लग रहा था। उसके धक्के बढ़ते ही जा रहे थे। उसने भाभी के बोबे भींच कर कहा,"भाभी .... प्लीज़ .... हट जाओ ना .... मुझे चुदने दो अभी .... !" भाभी ने पीछे मुड़ कर प्यार से मन्जू को देखा और मेरे मुख पर चूत का हल्का झटका मार कर कहा,"देवर जी .... अब आप मन्जू की चोदो और मेरी छोड़ो .... !" भाभी ने अपना पांव घुमा कर मेरे चेहरे पर से हटा लिया और बिस्तर पर से नीचे आ गई। अब मन्जू ने मुझे बडी कातिल निगाहों से देखा और लन्ड को अपनी चूत में दबा लिया और मेरे ऊपर पसर गई। मैने उसके बोबे अपने हाथो में भर लिये। उसने मेरे शरीर को अपने बाहों में लपेट कर कस लिया और मेरे होंठो को अपने होंठो से दबा लिया। अब उसके चूतड़ बड़ी तेजी से नीचे लन्ड पर चल रहे थे। उसकी कमर का बल खा कर धक्के देना बड़ा सुहा रहा था। अपने होंठ वो बुरी तरह से रगड़ रही थी। हम दोनों के धक्के तेज होने लगे थे .... नशे में आखें बन्द होने लगी थी .... स्वर्ग सा आनन्द आने लगा था। दोनों ओर से से चूतड़ उछल रहे थे .... बराबरी से जवाब मिल रहा था इसलिये आनन्द भी खूब आ रहा था। अचानक उसके मुख एक चीख सी निकली। जिसे मैं बिलकुल नही समझ पाया। "हाय रे .... राजू ये क्या .... .... हाय .... " "क्या हुआ मन्जू रानी .... ? " "हाय .... मेरी गान्ड फ़ट गई रे .... ! " और अति उत्तेजना से मन्जू झडने लगी। "आऽऽऽह .... " फिर एक चीख और .... तभी मेरी नजर भाभी पर गई .... उनके हाथ में डिल्डो था .... मै समझ गया कि भाभी ने मन्जू की गान्ड में डिल्डो फंसा दिया था। और मन्जू उत्तेजना से झड़ गई थी। उसकी चूत लप लप कर रही थी और मेरे लन्ड को लपेट कर झड रही थी। मेरा लन्ड अब पानी भरी चूत में चल रहा था .... चूत ढीली पड चुकी थी अब मजा नहीं आ रहा था। मन्जू साइड में लुढ़क पड़ी। अब भाभी का नम्बर था। बिस्तर छोटा था इसलिये मैने भाभी को घोड़ी बना दिया। "भाभी आज नये छेद का श्री गणेश करें .... .... ?" भाभी ने क्रीम की तरफ़ इशारा किया। मैने भाभी की गान्ड थपथपाई और क्रीम निकाल कर गान्ड के छेद में उंगली घुसाते हुये सब तरफ़ लगा दी। अब तक मन्जू बिस्तर पर से उठ चुकी थी। मेरा कठोर लन्ड अब भाभी की गान्ड के छेद पर टकरा रहा था। मन्जू मुस्करा उठी,"सुमन .... तो आज पिछाड़ी का नम्बर है .... !" "मन्जू .... .... प्लीज़ बड़ी प्यासी है अगाड़ी भी .... .... जरा मदद कर दे .... डिल्डो से मेरी अगाड़ी चोद दे .... " भाभी ने मन्जू से विनती की। मैने अपने लन्ड का जोर लगाया .... मेरा सुपाडा फ़क से गान्ड के छेद में उतर गया। भाभी चिहुंक उठी। फिर एक हाय और निकल पड़ी .... ये डिल्डो था जो मन्जू ने उसकी चूत में घुसा दिया था। मेरा लन्ड उसकी गान्ड की दीवारों को चीरता हुआ अन्दर तक उतरता जा रहा था। ये क्रीम का असर था जिससे ना मुझे लगी और ना ही भाभी को दर्द हुआ। भाभी ने अपनी दोनों टांगें पूरी फ़ैला दी और बिस्तर पर अपनी दोनों हथेलियां टिका दी। मन्जू जमीन पर नीचे बैठ गई और इत्मिनान से उसकी चूत डिल्डो से चोदने लगी। मुझे भी गान्ड चोदते समय उसके डिल्डो का अह्सास हो रहा था। पर मुझे गान्ड के अन्दर लन्ड पर घर्षण से बहुत ही तेज मजा आ रहा था। भाभी भी डबल मजा ले रही थी .... मन्जू भी डिल्डो घुमा घुमा कर चोद रही थी। भाभी की सिसकारियां भी बढ़ती जा रही थी। "दे .... यार .... दे .... चोद दे .... हाय मेरी गान्ड .... साली को चीर दे .... हाऽऽऽऽऽऽऽय रे राजूऽऽऽ .... .... " भाभी दोनों पांव फ़ैलाये मस्ती से अपनी अगाड़ी और पिछाड़ी चुदवा रही थी। मन्जू के बाद भाभी की गान्ड चोदते चोदते अब मैं भी चरमसीमा पर आ चुका था .... और ऊपर से भाभी की टाईट गान्ड .... हाय् .... .... कैसे टाईम बढ़ाऊं .... मेरे शरीर की कसक बढ़ती जा रही थी .... वासना से निहाल हुआ जा रहा था। लन्ड कड़क रहा था .... धार सी छूटने का अह्सास होने लगा था। बस .... .... धक्के मारते मारते और वीर्य रोकते रोकते भी रिसने लगा .... और अचानक ही लन्ड बाहर निकालते ही उसकी गान्ड की गोलाईयों पर तेज धार निकल पडी .... भाभी की गान्ड तर हो उठी .... मेरी पिचकारी तेजी सी निकल रही थी .... भाभी ने भी आखिर दम तोड़ ही दिया .... और सिमट पड़ी.... उसका पानी निकल पड़ा .... और भाभी झड़ने लगी। मन्जू ने डिल्डो निकाल लिया और पास पड़े तौलिए से उसकी चूत और गान्ड रगड़ दी। मेरे लन्ड ने पूरा वीर्य छोड़ दिया था। भाभी अब सीधे खड़ी हो गई थी। मन्जू भाभी की मदद कर रही थी .... ठीक से सारा पौन्छ लिया। "भाभी मजा आया ना .... और मन्जू जी .... आपकी चूत तो बड़ी चिकनी मस्त निकली .... !"मैने मन्जू को अपनी बाहों में भरते हुए कहा। "भाभी को तो देवर जी मिल गये .... जब चाहा फ़ुडवा लिया .... मुझे कौन फ़ोडेगा .... !" भाभी ने हंसने लगी और बोली .... "हां मन्जू जी .... अब फ़ुडवाना हो तो अपनी चूत यहाँ लेकर आ जाईये .... यहां सब कुछ .... फ़्री में फ़ोडा जाता है .... .... अगाड़ी .... पिछाड़ी .... और तीसरा मुख भी !" मन्जू भाभी की भाषा पर शरमा गई। "चलो .... आज इस खुशी में हम लन्च बाहर होटल में करेंगे .... " मन्जू ने सभी को न्योता दिया। सभी तैयार होने लगे .... .... । मैं मन्जू और भाभी को सादगी भरे कपड़ों में देख कर हैरान रह गया .... कौन कह सकता था कि यही दोनों कुछ समय पहले उछल उछल कर चुदवा रही थी और गान्ड मरवा रही थी। .... मैने कार स्टार्ट की और होटल की ओर रवाना हो गये ..


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FUN-MAZA-MASTI कभी आप भी करना

FUN-MAZA-MASTI

 कभी आप भी करना 
  
अब मैं आपको अपने बारे में बता दूँ। मेरा नाम अमित है और मैं 19 साल का हूँ। मेरे घर में 4 सदस्य हैं। मेरी मम्मी और पापा और मैं और मेरी बहन रेखा। यह कहानी मेरे और मेरी बहन के बीच हुए सेक्स की कहानी है। 
अब मैं आपको अपनी बहन के बारे में थोड़ा बता दूँ। वो 20 साल की है और बहुत सेक्सी है। बिलकुल रान्ड लगती है। उसका फ़िगर 34-26-38 है। मैं जब भी उसे देखता हूँ तो मेरा लन्ड फ़ुदकने लगता है। मेरा लन्ड हमेशा उसको चोदने को तड़पता रहता। लेकिन वो मेरी बहन है इसलिये अपने हमेशा मुठ मार के रह जाता। लेकिन जब से मैंने अन्तर्वासना को पढ़ना शुरु किया तो मुझे लगा कि बहनों को चोदने में कोई बुरी बात नहीं है। आखिर वो भी तो लड़की है, उसे भी तो एक लन्ड की जरुरत है, फ़िर चाहे वो लन्ड़ उसके भाई का ही क्यों न हो। 
फिर मैंने अपना मन बदला और अपनी बहन को चोदने का मौका खोजने लगा। इसी बीच मुझे जब मौका मिलता तो मैं रेखा की ब्रा और पैन्टी पहनकर घर में घूमता। ऐसा करने में मुझे बड़ा मजा आता है।) 
एक दिन जब घर पर कोई नहीं था तो मैंने सोचा कि चलो रेखा की ब्रा और पैन्टी पहनते हैं। मैं ब्रा और पैन्टी पहनकर घर में घूम रहा था कि तभी अचानक रेखा आ गई। मैं दो मिनट के लिये स्तब्ध रह गया और मेरे होश उड़ गये थे। रेखा मुझे देखती जा रही थी और मुझे लगा कि अब मेरी पोल खुल गई। लेकिन जैसा मैंने सोचा वैसा हुआ नहीं, रेखा तो जोर जोर से हँस रही थी। 
मुझे थोड़ा अटपटा लगा और मैं कमरे में भाग गया। थोड़ी देर के बाद मैं उसके कमरे में उसकी ब्रा और पैन्टी देने गया। वहा मैंने देखा कि वो अपने कपड़े बदल रही है। रेखा की पीठ बिल्कुल नंगी थी। 
मुझे देखकर उसने कहा- अच्छा हुआ कि तुम आ गये, मुझे मेरी ब्रा और पैन्टी चाहिये थी ! 
फिर उसने मुझ रोका और पूछा- तुम मेरी ब्रा और पैन्टी क्यों पहनते हो? 
मैंने कहा- बस यूँ ही ! मुझे अच्छा लगता है तुम्हारे कपडे पहनना, लेकिन तुम माँ से कुछ मत कहना ! 
रेखा ने कहा- नहीं कहूँगी, लेकिन मुझे एक बात बताओ- क्या तुम्हें सिर्फ़ मेरी ब्रा-पैंटी ही अच्छी लगती है, मैं नहीं? 
मैंने कहा- नहीं ऐसी बात नहीं है, तुम तो मेरी बहन हो, और बहन तो सभी को अच्छी लगती है। 
रेखा ने कहा- अच्छा, तो तुम मेरा एक काम करोगे? 
मैंने कहा- कौन सा काम? 
फिर रेखा काफ़ी देर तक खामोश रही और थोड़ी देर बाद बोली- यह काम तुम कर सकते हो, लेकिन शायद तुम नहीं करोगे ! 
मैंने कहा- तुम कहो तो जरा ! तुम मेरी बहन हो और तुम्हारा हर काम मैं करुंगा, मैं तुम्हारी राखी का फ़र्ज निभाउंगा।
यह कहकर मैंने माहौल को हल्का करने की कोशिश की। लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ जो उसने कहा। 
रेखा ने मुझ से कहा- क्या तुम मुझे चोद सकते हो? अभी ! 
यह सुनते ही अचानक मैं डर गया और मैं रेखा से थोड़ा दूर हो गया। 
मैंने कहा- यह क्या कह रही हो तुम? तुम मेरी बहन हो और कोई भी भाई अपनी बहन को नहीं चोदता है ! 
रेखा हँसते हुए बोली- अपनी बहन की ब्रा और पैन्टी पहनते हुए तो तुम्हें यह ख्याल नहीं आया कि मैं तुम्हारी बहन हूँ? 
मैंने थोड़ा ठण्डे दिमाग से सोचा कि रेखा सही कह रही है और ऐसा मोका मुझे फिर नहीं मिलेगा। फिर भी मैंने यूँ ही कहा कि यह गलत है। 
उसने कहा- इसमें कोई बुराई नहीं है, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, घर में कोई नहीं है, तेरे पास लण्ड है और मेरे पास चूत है ! जल्दी कर मेरे भाई ! लूट ले आज अपनी बहन की इज्जत ! 
रेखा के इतना सब कहने पर भी मैंने उससे कहा- मैं यह नहीं कर सकता, तुम मेरी बहन हो। 
और इतना कहने के बाद मैं अपने कमरे में चला गया और मैं अपने आप को कोसता रहा कि मैंने अपनी बहन को चोदने का सुनहरा मौका खो दिया। लेकिन कुछ देर बाद मेरे कमरे के दरवाजे के नीचे से एक कागज (चिठ्ठी) आया। उस पर कुछ लिखा था, जिसे पढ़कर मुझे बहुत गुस्सा आया। 
उस पर लिखा था- मेरे प्यारे भैया अमित, आज आपने यह साबित कर दिया कि आप कभी किसी लड़की को नहीं चोद सकते, भले ही वो आपकी बहन ही क्यों ना हो ! क्योंकि आप नपुंसक हो। आप में वो ताकत ही नहीं है जिसकी एक लड़की को जरुरत होती है। मुझे यह कहने में ज़रा भी शर्म नहीं कि मेरा भाई नामर्द है। 
यह पढ़कर मेरे अन्दर का भाई मर गया और एक जानवर जाग गया। मैं रेखा के कमरे में गया। रेखा अपने बेड पर लेट कर किताब पढ़ रही थी। मुझे देखकर वो खड़ी हो गई और मुझसे पूछा- तुम वापस क्यों आये? मैंने कहा- मैं तुम्हारी चिठ्ठी का जवाब देने आया हूँ! 
और इतना कहकर मैं रेखा के पास गया और उसके बाल पकड़कर खींचे और जैसे ही वो चिल्लाई तो मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिये। हम दोनों के होंठ आपस में लगभग 10-15 मिनट तक चिपके रहे। हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं अपनी बहन को चूम रहा हूँ और उसके होंठ चूस रहा हूँ। 
थोड़ी देर बाद हमारे हम एक दूसरे से अलग हुए। फिर मैंने उसके पीछे जाकर उसकी शर्ट फाड़ दी, अब उसकी काली ब्रा साफ नजर आ रही थी। इतने में रेखा ने अपना हाथ मेरे लन्ड पर रख दिया, और मेरा लन्ड निकाल लिया। मेरा लन्ड के बाहर आते ही मैंने कहा- यह ले मेरी प्यारी बहन ! देख ले अपने नामर्द भाई का लन्ड ! 
इस पर रेखा बोली- ऐसा मत कहो भाई, मैंने तो सिर्फ़ तुझे उकसाने के लिये ही ऐसा कहा था, ताकि तू अपनी बहन को चोदे और मुझे मेरे भाई का लन्ड चूसने को मिले ! 
मैंने कहा- ठीक है, अब चूस ले जितना चूसना है अपने भाई का लन्ड। 
और रेखा मेरे लन्ड को चूसने लग गई। रेखा मेरे लन्ड को ऐसे चूस रही थी जैसे कोई आइसक्रीम खा रही हो। कुछ देर तक वो मेरा लन्ड ही चूसती रही। थोड़ी देर बाद मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया। नंगे होने के बाद रेखा मुझसे बोली- भैया, मेरी चूत में खुजली हो रही है, मेरी चूत की खुजली मिटाओ ना ! 
मैंने कहा- अभी लो बहना ! 
फिर मैंने उसकी चूत चाटना शुरु किया, आह ! आह क्या मुलायम चूत थी रेखा की ! मजा आ गया अपनी बहन की चूत चाटकर तो। चूत चाटने के बाद मैंने उसके स्तन दबाने शुरु किये और उनको चूसने लगा। जब मैं उसकी चूत चाट रहा था और स्तन दबा रहा था तब वो सिसकियाँ ले रही थी कुछ इस तरह से- आहऽऽ ऊ...ऊ...ऊ......ऊ आह ... आउच... आह...... ऊ... ऊ............आउच ! 
उसकी सिसकियों से पूरा कमरा गूंज रहा था। कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा। लेकिन फिर रेखा बोली- भाई, अब बहुत हो गया चाटना-चटाना, अब असली काम शुरु करो ! 
फिर मैं वो काम करने के लिये तैयार हुआ जो दुनिया का कोई भी भाई करना नहीं चाहता, लेकिन जब आपकी बहन ही आपके सामने अपनी दोनों टांगें खोलकर बैठ जाये तो आप कर ही क्या सकते हैं, इसलिये मैं मजबूर था और मैंने अपना लन्ड डाल दिया अपनी बहन की चूत में ! 
और रेखा जोर चिल्लाई- आह......आउच.........आह............ ...ऊ...। 
फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु किये और वो सिसकियाँ लेने लगी। 
मैंने रेखा से पूछा- मेरी प्यारी बहना, मेरी रन्डी बहना, मजा आ रहा है ना अपने भाई से चुदने में? 
रेखा बोली- हाँ, मेरे बहनचोद भाई, मजा आ रहा है ! 
इसी बीच मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ती जा रही थी और उसकी सिसकियों की भी। 
मैंने रेखा से पूछा- रन्डी रेखा, लगता है तुम्हें चुदने का काफी अनुभव है। कितनों से चुदवा चुकी हो अब तक? 
रेखा बोली- 10 या 15 जनो से चुद चुकी हूँ अब तक ! 
मैंने कहा- 10-15 ? तुम क्या रन्डी बनना चाहती हो? 
रेखा बोली- हाँ भैया, लेकिन ये बातें बाद में करेगे, अभी तो तुम मुझे जोर-जोर चोदो और फाड़ दो मेरी चूत को ॰ 
फिर मैंने अपने धक्कों की गति दोगुनी कर दी और रेखा को जोर-जोर चोदने लगा। रेखा भी जोर-जोर चिल्ला रही थी- चोद, मादरचोद, बहनचोद चोद अपनी बहन को ! आज फाड़ दे अपनी बहन की चूत को, आह... ...आउच......... आह............ ... ऊ... मेरे प्यारे भैया ! चोद, चोद, चोद, फाड दे............ 
फिर लगभग 25-30 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। काफी देर तक हम एक दूसरे से चिपके रहे। थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और हम दोनों ने एक दूसरे को देखा। तभी रेखा हँस पड़ी। रेखा के हँसने से मेरे दिल का बोझ कम हो गया। रेखा ने मेरे होठों पर चूमते हुये कहा- भगवान, मेरे जैसा भाई सभी को दे ! 
लेकिन फिर उसने मुझे उदास देखते हुये कहा- भैया, इस बारे में ज्यादा मत सोचो, ये तो "घर की बात है।" 
फिर मैं भी हँस पडा और बाजार जाकर आई-पिल लेकर आया ताकि वो माँ ना बन जाये। इस तरह हम भाई-बहन की पहली सेक्स कहानी खत्म हुई।



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