Thursday, October 30, 2014

FUN-MAZA-MASTI होली का असली मजा--26

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 होली का असली मजा--26

नहीं , नहीं , उईइइइइइइइइइइइइइइ ,.... लगता है




छुटकी के होंठों पर वो साथ साथ , अपनी मजे लूटी बुर रगड़ रही थीं।

 किसी तरह वो बोली , : भौजी , झड़ने दो न ,,,,बस , बस करो ना।

लेकिन ननदों को तड़पाने में रीतू भाभी का जवाब नहीं था। उन्होंने पूरी ताकत से दोनों हाथो से उसकी कसी चूत को फैलाया , और लगीं , हचक हचक कर जीभ से चूत चोदने।

छुटकी तड़प रही थी , चूतड़ पटक रही थी।


लेकिन रीतू भाभी , सिर्फ ननद को नहीं नंदोई को भीतड़पा रही थीं।

एक हाथ से उन्होंने उनके शार्ट को कबका उतार के दूर फ़ेंक दिया था।


और जोर जोर से लंड मुठिया रही थीं , खुला सुपाड़ा पागल हो रहा था।


 मैं भी छुटकी के मुंह के पास बैठी थीं।

और अब जब छुटकी रिरयाने लगी , भाभी प्लीज कुछ करो न


तो रीतू भाभी हंस के बोली , " अरे जीजू का इतना मोटा मुस्टंडा लंड है और साली झड़ने के लिए तड़प रही है। ले लो न जीजू का लंड। "



उन्होंने मुझे कुछ इशारा किया , और छुटकी की फैली चूत में इनका सुपाड़ा सटा दिया।

मैं भी भाभी का इशारा समझ गयी थी , छुटकी का प्यार से सर सहलाते हुए उसका मुंह खुलवाया और अपनी मोटी , बड़ी बड़ी चूंची अंदर ठेल दी।



 वो गों गों करती रही। लेकिन मैं उसका पूरा मुंह भर कर के ही मानी , और साथ में उसकी दोनों कलाइयों को भी पकड़ लिया।


रीतू भाभी , छुटकी की गीली पनियाई चूत को एक हाथ से फैला रही थीं और दूसरे हाथ से नंदोई के मस्त मोटे लंड को अंदर घुसेड़ रही थी साथ में ललकार रहीथी ,

" पेल दो साले , साल्ली की फुद्दी में , फाड़ दो रज्जा इसकी चूत "

और वो भी दोनों हाथ से उसकी पतली कमर पकडे हुए थे और उन्होंने करारा धक्का मारा , आधा सुपाड़ा अंदर।




हाथ मेरे कब्जे में थे और उसकी मुंह में मेरी मोटी चूंची घुसी हुयी थी।

बिचारी गों गों करती रही , दर्द से बिलबिलाती रही।
लेकिन ऐसे मौके पे वो दया माया दिखाने वालो में से नहीं थे।



और दिखानी चाहिए भी नहीं

(ये बात मुझसे बढ़कर कौन जानता था )



बल्कि उससे उनका जोश और बढ़ जाता था।

और यहाँ आग में घी डालने वाली , उनका जोश बढ़ाने वाली , रीतू भाभी भी थीं।

अगला धक्का उन्होंने दूने जोर से मारा।

मेरे लाख जोर से पकड़ने के बावजूद उसकी एक कलाई छूट ही गयी , इतनी जोर से छटपटा रही थी वो।

पानी के बाहर मछली की तरह तड़प रही थी, बिचारी छुटकी।

मैंने पूरी ताकत से अपनी चूची उस के मुंह में पेल रखी थी।

तब भी उस के होंठों से चीखें , गों गों की आवाज आ रही थी , वो जोर जोर से अपने चूतड़ पटक रही थी।

उनका मोटा पहाड़ी आलू ऐसा सुपाड़ा अभी भी पूरा अंदर नहीं घुसा था। आलमोस्ट ३/४ अंदर पैबस्त होगया था , बाकी बाहर था।

रीतू भाभी ने ललकारा उन्हें , "अरे नंदोई जी जरा जोर से धक्का मारो , कमर की सारी ताकत , क्या अपने बहनो के साथ पूरी खर्च कर के आये हो। कच्ची कली की चूत है कोई ,मेरी नंनद की ,.... "

रीतू भाभी की अधूरी रह गयी।

उन्होंने छुटकी की कमर एक बार फिर जोर से पकड़ी और , हल्का सा लंड पीछे खींच के पूरे जोर से धक्का मारा।


छुटकी की गों गों की आवाज गूँज रही थी। उस के आँखों से शबनम उतर कर उसके गोरे गुलाबी गालों को गीला कर रही थी। दर्द से उसका पूरा चेहरा डूबा था।





और अब उनका मोटा सुपाड़ा पूरी तरह अंदर पैबस्त हो चूका था।

छुटकी की कच्ची कसी चूत ने उसे कस के दबोच रखा था , जैसे कब के बिछुड़े बालम मिले हों।

लेकिन पिक्चर अभी काफी बाकी थी।

रीतू भाभी ने मुझे इशारा किया की मैं उसके हाथ छोड़ दूँ और चूंची उसके मुंह से निकाल लूँ।

और मैंने वैसा ही किया।

मैं उनका प्लान पूरी तरह समझ रही थी , अब छुटकी लाख चूतड़ पटके , ये मोटा सुपाड़ा टस्स से मस्स नहीं होने वाला था।


अब बिचारी बिना चुदे नहीं बच सकती थी।

छुटकी हलकी हलकी कराह रही थी , लेकिन अब उसकी कुँवारी किशोर चूत को मोटे सुपाड़े की आदत सी पड़ गयी थी।

और ये भी उसकी चूत छोड़ के उसके कच्चे टिकोरों के पीछे पड़ गए थे।


थोड़ी देर तक उसे सहलाते रहे , दबाते रहे मसलते रहे ,फिर होंठों के बीच ले कर हलके हलके उन खटमिठवा कच्ची अमियों का स्वाद लेने लगे। कभी निपल को फ्लिक करते और अचानक उन्होंने उसके बस आते उभरते , निपल्स को काट लिया।
 

चीख निकल गयी छुटकी की।

रीतू भाभी कुछ उनके कान में फुसफुसा रही थीं , और उन्होंने छुटकी की टांगो को दुहरा कर दिया। उनका एक हाथ अब उसके नितम्ब पे था और एक कमर पे। छुटकी की टाँगे , उनके कंधे पे फँसी थी।


उन्होंने थोड़ा लंड बाहर खींचा , छुटकी ने राहत की सांस ली , लेकिन उस बिचारी को क्या मालूम था असली हमला अभी बाकी था।

और फिर पूरी ताकत से खूब हचक के , जोर से पेल दिया।

खूब जोर से चीख निकली , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जान गईइइइइइइइइइइइइइइइ।

झिल्ली फट चुकी थी।

खून की दोचार बूंदे बाहर चुहचुहा उठी थीं।


 
लेकिन अभी रुकने का समय नहीं था , दूसरा , तीसरा , चौथा , एक के बाद एक धक्का , वो मारते गए।

वो तड़पती रही , चीखती रही , चिल्लाती रही।

ओह्ह्ह्ह्ह नहीं जीजू रुक जाओ.

आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जान गईइइइइइइइइइइइइ , दीदीइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ ओह्ह्ह्ह्ह छोडो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

लेकिन उनका बीयर कैन ऐसा मोटा लंड आधे से भी ज्यादा अब धंसा था।




जैसे कोई घुड़सवार , किसी बाँकी भागती , हिरणी का पीछा करे और उसे अपने भाले से बींध दे ,और हिरणी लथपथ गिर पड़े , बार बार अपनी गर्दन मोड़ कर अपने शिकारी की ओर देखे , बस वही हालत छुटकी की थी।

थकी , निढाल, दर्द से डूबी और पूरी तरह फैली जांघो के बीच , खून खच्चर ,…

एक बार तो मैं सहम गयी , लेकिन रीतू भाभी ने मुझे आँख मार के इशारा किया , अरे कच्ची कली की चूत फटी है , वो भी मूसल ऐसे लंड से। ये तो होना ही था। अब नदी पार हो गयी है , घबड़ाना मत।

और सच में , उन्होंने भी अब और चोदना छोड़ कर , छुटकी के प्यारे प्यारे गालों को चूमना शुरू किया , उसके होंठों को अपने होंठो के बीच ले कर चूसने लगे , एक हाथ छुटकी की छोटी छोटी चूंची , दबा सहला रहा था तो दूसरा हाथ उसका सर हलके सहला रहा था।

५-७ मिनट के बाद , उसने आँख खोल दी और टुकुर टुकुर अपने जीजा की ओर देख के हलके से मुस्कराया।

फिर उसने मुझे और रीतू भाभी को देखा और , हलके से उसकी आँखों में ख़ुशी नाच रही थी।


मेरी और रीतू भाभी की आँखों ने हाई फाइव किया।


उन्होंने प्यार से उसके होंठों के बीच अपनी जीभ पेल दी , और लगे उसका मुंह चोदने।

वो भी जैसे लंड चूस रही हो , उनकी जीभ चूस रही थी।

अब बारी थी गीयर बदलने की ,

लेकिन वो भी , हम से ज्यादा उन्हें अपनी साली की चिंता थी।

वो सिर्फ आधे लंड से छुटकी की चूत चोदने लगे , वो भी बहुत हलके।

दर्द उसे अभी भी हो रहा था , लेकिन मजा भी आ रहा था ,

कभी दर्द से कराहती तो कभी मजे से सिसकती।





लेकिन ये आधे लंड की चुदायी , न तो रीतू भौजी को कबूल थी न मुझे।

बांस ऐसे लंड वाले जीजा का क्या फायदा अगर साल्ली , आधे तीहे लंड से चुदे।

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FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--39

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 सौतेला बाप--39

अब आगे
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 विक्की से चुदने का नशा ना होता तो शायद इस समय वो राघव के साथ मज़े ज़रूर कर लेती...पर इसको बाद के लिए छोड़कर उसने अभी सिर्फ़ शॉपिंग करने की ही सोची.

उसने उन दोनों 'सुरक्षा कवर्स' को अपनी ब्रा के अंदर धकेला..और ठीक अपने निप्पल्स के उपर लगा लिया..वो किसी हल्के प्लास्टिक के बने हुए थे जिसके ऊपर मोटे कपडे की लेयर थी ....इसलिए अंदर चुभ भी नही रहे थे..दोनो को लगाने के बाद रश्मि ने फिर से अपने आप को शीशे मे देखा..अब ठीक था...लग ही नही रहा था की उसके मुम्मो पर निप्पल है भी या नही..


 उसने मुस्कुराते हुए राघव को देखा : "थेंक्स राघव...ये ठीक है....अब प्लीज़ तुम बाहर जाओगे...मुझे चेंज करना है..''

राघव शायद सोच रहा था की कुछ तो होकर रहेगा आज ,पर ऐसे एकदम से जब उसे बाहर जाने को बोला रश्मि ने तो वो बाहर निकल आया

और जाने से पहले उसने राघव से दोबारा अपने टॉप की डोरियों को खुलवा लिया...और उसके जाते ही उसने वो स्वीमिंग सूट उतारा और अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गयी..

बाहर आकर रश्मि ने वो स्विम सूट राघव को दिया और कहा की इसको पेक कर दे..

राघव उसे उलट पलट कर देखता रहा और फिर रश्मि से बोला : "मेम वो... वो... निप कवर ..वो कहाँ है...''

रश्मि को एकदम से ध्यान आया की वो तो वहीं चिपके रह गये..अंदर उसने टॉप उतारा था और अपनी ब्रा भी पहन ली..पर अपने निप्पल्स से चिपके कवर्स को उतारना याद ही नही रहा ..

रश्मि (तोड़ा सकुचाते हुए बोली ) : "वो ..वो ...शायद ...वहीं चिपके रह गये...''

राघव : "ओह्ह्ह ....कोई बात नही मेम ....वो वैसे भी हमारे स्टोर की तरफ से कॉम्पलिमेंट्री गिफ्ट है...आप चाहे तो और भी ले सकती है..''

इतना कहकर उसने नीचे से एक और सेट निकाल कर रश्मि को दे दिया..

रश्मि ने उसके बाद एक और स्विम सूट लिया...जो फुल था..और उसके पेट को भी कवर कर रहा था..उसे पहनने की ज़रूरत नही समझी उसने...क्योंकि वो भी देखने मे भले ही छोटा लग रहा था..पर वो भी स्ट्रेचेबल कपड़े का बना था..

फिर वो दोबारा आने का कहकर वहां से निकल आई और सीधा पार्लर गयी...और उसने अपनी टांगे और बाजू वेक्स करवाई...और जब तक वो वापिस घर पहुँची तब तक समीर भी ऑफीस से आ चुका था..काव्या अभी तक नही आई थी..वो शायद श्वेता के घर पर थी .

समीर ने आते ही पूछा की आज वो लड़का आया था क्या...क्या हुआ...कोई बात करी क्या उसके साथ....

रश्मि ने बड़े ही सुलझे हुए तरीके से हर बात का जवाब दिया..और कहा : " हमे इन्हे सोचने-समझने का मौका देना चाहिए..कल वो काव्या को अपने साथ वॉटर पार्क ले जाना चाहता है...मैं भी साथ मे रहूंगी...आपको तो कोई प्राब्लम नही है ना..''

समीर को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...वैसे अपनी प्यारी बेटी के साथ स्वीमिंग पूल मे जाना तो वो भी चाहता था..पर अचानक उसके मन मे आया की अगर ये दोनो घर पर नही होंगे तो कल वो किसी और को तो घर पर बुला सकता है...वैसे भी काफ़ी दिन हो चुके थे...बाहर का खाना खाए हुए..

समीर : "नही...मुझे क्या प्राब्लम हो सकती है...तुम उसकी माँ हो...तुम उसका भला ज़्यादा जानती हो...''

और फिर कुछ और बाते करने के बाद वो अपने रूम मे गया और सीधा अपने दोस्त लोकेश को फोन किया...और अगले दिन के लिए कुछ प्रोग्राम बनाने के लिए कहा..

लोकेश : "यार...तूने बोल दिया..समझ हो गया...कल 12 बजे तक आ जाऊंगा तेरे घर..एक नये पटाखे के साथ...''

और फिर अगले दिन की प्लानिंग करके दोनो ने फोन रख दिया.

अगले दिन संडे था...और रश्मि सुबह से ही किसी आवारा तितली की तरह घर भर मे उड़ती फिर रही थी...काव्या भी अपनी माँ की खुशी देखकर खुश थी..उसने जो आज के लिए प्लान बना रखे थे...अगर सब कुछ वैसा ही चलता रहा तो आज ही उसकी माँ को विक्की के लंड की सेवा मिल जाएगी...और फिर वो भी खुलकर अपनी माँ के पति..यानी समीर पर अपना हक जमा सकती है..


 और फिर जल्द ही तैय्यार होकर दोनो माँ -बेटियाँ निकल पड़ी...उन्होने ड्राइवर को भी साथ नही लिया..काव्या खुद ड्राइव कर रही थी..

और दूसरी तरफ समीर भी उनके जाने की प्रतीक्षा कर रहा था...क्योंकि उनके जाते ही वो लोकेश को फोन करता और उसे जल्द से जल्द आने के लिए कहता..और हुआ भी ऐसा ही...जैसे ही दोनो बाहर निकली, समीर ने लोकेश को फोन खड़का दिया..और उसने भी 1 घंटे मे वहाँ पहुँचने का वादा करते हुए फोन रख दिया..

काव्या ने विक्की को निर्धारित जगह से पिक किया और फिर तीनों अपनी मंज़िल यानी एक्वा वॉटर पार्क की तरफ निकल गये.

विक्की के गाड़ी मे बैठने के साथ ही रश्मि के शरीर के रोँये खड़े से हो गये थे...वो तो ऐसे शरमा रही थी मानों उसकी बेटी नही बल्कि वो खुद विक्की के साथ डेट पर जा रही है..

पीछे बैठा हुआ विक्की कभी काव्या को और कभी रश्मि को देखे जा रहा था..उसे तो अपनी किस्मत पर विश्वास भी नही हो रहा था की दोनो माँ -बेटी के साथ वो वॉटर पार्क जा रहा है..

खैर, एक घंटे में ही वो वहाँ पहुँच गये..वो एक बड़ा सा रिसोर्ट कम वॉटर पार्क था..विक्की सीधा रिसोर्ट के रिसेप्शन पर पहुँचा..वहाँ का मॅनेजर विक्की को अच्छी तरह से जानता था.क्योंकि विक्की अक्सर वहां आता रहता था

मैनेजर : "हैल्लो सर ...कैसे हैं....आज बड़े दिनों के बाद आए..''

उसकी नजरें काव्या और उसकी माँ पर भी थी और शायद यही सोच रहा था की आज तो ये फुल मज़े लेने के मूड में आया है

विक्की : "बस ...ऐसे ही...जल्दी से एक दिन का पैकेज दे दो...''

काव्या विक्की के पास पहुँची और धीरे से बोली : "ये पैकेज किसलिए...हमे तो वॉटर पार्क में जाना है ना..''

विक्की : "स्वीटहार्ट...पैकेज इकॉनॉमिकल रहेगा यहाँ का...इसमे हमे वॉटर पार्क मे एंट्री...लंच एंड स्नेक्स और साथ ही एक रूम भी मिल जाएगा..जिसमें जाकर हम लोग चेंज भी कर सकते हैं और आराम भी...''

रश्मि को उसकी कमिनीपंती का एहसास हो चुका था की क्यों वो रूम ले रहा है...पर वो तो उसके लिए ही अच्छा था...उसकी माँ के साथ तो खुलकर मज़े वहीं ले सकता था वो..

कुछ ही देर में वो तीनो वॉटर पार्क में थे...आज संडे था, इसलिए कुछ ज़्यादा ही भीड़ थी...और सभी जोड़े मे ही आए हुए थे...ज़्यादातर स्कूल-कॉलेज के लड़के-लड़कियाँ थे...और कुछ एक ऑफीस टाइप के लोग भी थे...पता नही अपनी बीबी के साथ थे या किसी और के साथ..

उन्होने पहले साथ ही बने हुए रूम में जाकर चेंज किया ..सबसे पहले विक्की ने कपड़े बदले और अपना स्वीमिंग शॉर्ट पहन कर बाहर निकल आया और पानी मे जाकर उन दोनो परियों का वेट करने लगा..

फिर काव्या ने भी चेंज किया और वो भी बाहर निकल आई...उसने एक शॉर्ट और स्पोर्ट्स ब्रा टाइप का स्विमवीयर पहना हुआ था...बट उसमें भी वो काफ़ी सेक्सी लग रही थी..उसके छोटे-2 बूब्स बिल्कुल चिपक चुके थे..और निप्पल थे की कपड़ा फाड़ कर बाहर आने को अमादा थे..


 विक्की आराम से कमर तक आए पानी मे खड़ा होकर उनका वेट कर रहा था...और दूर से आती हुई काव्या को देखकर पानी के अंदर ही शॉर्ट मे उसका लंड खड़ा हो गया...इतनी सेक्सी जो लग रही थी ...लंबी और चिकनी टांगे...छरहरा बदन ...सपाट पेट..नाभि वाला हिस्सा अंदर की तरफ धंसा हुआ..और उपर उसके छोटे-2 बूब्स..और साथ मे उसका सेक्सी सा चेहरा....और वो विक्की की तरफ मुस्कुराती हुई आई और सीधा पानी मे छलाँग लगा कर अंदर कूद गयी...और कूदने के साथ ही वो एकदम से पानी के अंदर तक घुस गयी...एक ही मिनट मे उसकी साँसे बंद सी होने लगी..क्योंकि उसे तैरना तो आता नही था..बस शो बाजी मे वो विक्की के सामने छलाँग लगा गयी...विक्की ने भी ये मौका अपने हाथ से नही जाने दिया..और उसकी कमर मे हाथ डालकर उसे पानी से बाहर निकाला...अपनी फूली हुई सांसो पर काबू पाने के बाद काव्या को ये एहसास हुआ की उसकी गांड और पूरा शरीर विक्की ने अपने से चिपका रखा है...और उसके लंड वाले हिस्से पर उसकी भरी हुई गांड बुरी तरह से रगड़ खा रही थी.

विक्की का चेहरा उसकी कंधे पर था..वो धीरे से बोला : "तैरना नही आता तो पहले सीख लो मुझसे...अच्छी तरह से सीखा दूँगा..''

और इतना कहकर उसने उसकी नाभि पर ज़ोर से अपने हाथ का दबाव बनाकर उस हिस्से को अपनी मुट्ठी मे भर लिया...काव्या उसकी इस हरकत से सिहर उठी..


और काव्या ने एकदम से अपने आपको उसके चुंगल से छुड़वाया और गहरी साँसे लेते हुए किनारे पर खड़ी हो गयी..मज़ा तो उसको भी बहुत आया था पर ऐसे मज़े के लालच मे वो अपना मिशन नही भूलना चाहती थी.

उसने बात बदलते हुए एकदम से कहा : "मम्मी नही आई अभी तक...पता नही इतनी देर क्यो लग रही है उन्हे..''

और देर लगती भी क्यो ना..काव्या के जाते ही रश्मि एक्ससाइमेन्ट मे एकदम से नंगी हो गयी और अपने बैग से अपना स्विम सूट निकाल कर पहन लिया..पर जैसा उस सेल्सबॉय ने बोला था...उसे पीछे की डोरी बाँधने के लिए किसी की हेल्प लेनी पड़ेगी, और वो हेल्प करने के लिए उस वक़्त वहाँ कोई भी नही था...और रूम से लेकर स्वीमिंग पूल तक वाले एरिया मे जाने मे काफ़ी रिस्क था.....उसकी समझ में नही आ रहा था की करे तो क्या करे..

उसके मोटे-2 मुम्मे बिना ब्रा/स्विमसूट के बुरी तरह से लटक कर सॉफ दिख रहे थे...और ऐसे में वो बाहर कैसे जा सकती थी.

अचानक उसको एक आइडिया आया...उसने एक बड़ा सा टावल उठाया और अपने उपर वाले हिस्से को धक कर छुपा लिया...और बाहर निकल आई...

इसी बीच काव्या को एक बड़ी सी गोल ट्यूब मिल गयी और अपने कूल्हे बीच मे फँसा कर और अपनी टांगे बाहर हवा मे निकाल कर वो उसमें बैठ गयी और बच्चो की तरह पानी मे हाथ मारकर अपनी कश्ती चलाने लगी...और वो ऐसे करती हुई पानी के बीच में पहुँच गयी...

इसी बीच रश्मि किनारे पर पहुँची...ये सोचकर की अपनी ब्रा की डोरी वो काव्या से बँधवा लेगी..पर वो तो पानी के बीचो बीच थी..

विक्की ने जब उसे ऐसे टावल से ढक कर आते हुए देखा तो वो बोला : "अरे आंटी...आप ऐसे टावल लपेट कर क्यों आई हो...पानी मे आओ ना..ये टावल यहीं किनारे पर रखो...देखो कितना मज़ा आ रहा है पानी मे..''

वो सकुचाती हुई सी पानी मे पैर लटका कर बैठ गयी...और धीरे से बोली : "वो..दरअसल...मेरे टॉप की डोरी नही बंध रही...इसलिए ...मैने सोचा की पहले काव्या से बँधवा लू...''

उसने दूर पानी मे मस्ती करती हुई काव्या की तरफ देखा...पर वो तो अपने मे ही मस्त होकर तैरने मे लगी हुई थी..

विक्की तो बस इसी कल्पना मात्र से ही उत्तेजित हो उठा की इस टावल के नीचे रश्मि ने ब्रा की डोरियाँ नही बाँधी...हालाँकि वो नही जानता था की गले वाली डोरी बँधी है...पर उसके कल्पना के घोड़े तेज़ी से भागने लगे थे..

उसने बिना कोई देरी किए रश्मि की कमर मे हाथ डाला और उसे पानी मे खींच लिया..और जब तक रश्मि कोई रिएक्शन दे पाती , वो ठंडे पानी मे विक्की से चिपकी खड़ी थी..और दूर पानी मे मज़े लेती काव्या तिरछी नज़रों से उन दोनो को ऐसे चिपक कर खड़े हुए देखकर खुशी से फूली नही समा रही थी...उसने तो सोचा भी नही था की उन दोनो का एक्शन इतनी जल्दी शुरू हो जाएगा..

विक्की तो ये बात अच्छी तरह से जानता था की रश्मि के मन में उसके लिए क्या है, इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया था..चाहती तो रश्मि भी यही थी पर अपनी बेटी के सामने एकदम से ऐसे नही...वो चिपक तो गयी उसके साथ पर उसकी नज़रें अपनी बेटी की तरफ ही थी...पर उसे दूसरी तरफ मज़े से पानी मे मज़े लेते देखकर वो निश्चिंत हो गयी...और अपने आप को विक्की की बाहों मे खुला छोड़ दिया..

विक्की ने टावल के अंदर हाथ डालकर ब्रा की डोरियाँ खोजी और उन्हे आपस मे बांध दिया...बाँधने के साथ ही उसकी छाती से लगे रश्मि के मोटे-2 मुम्मो के उपर आ रहा कसाव वो सॉफ महसूस कर पा रहा था...और ज़्यादा कसने की वजह से वो तन कर बिल्कुल सामने किसी तोप की तरह तन चुके थे...और गाँठ मारते हुए तो रश्मि के मुँह से एक आह्ह्ह भी निकल गयी..

और जैसे ही वो डोरी बँधी, रश्मि ने किसी फिल्मी अंदाज मे वो टावल निकाल कर किनारे पर फेंक दिया...और अब रश्मि के मोटे-2 मुम्मों को इतनी पास से देखकर विक्की की आँखे फटी रह गयी....ऐसे मोटे और गोरे मुम्मों की कल्पना तो उसने की भी नही थी...वो जानता तो था की वो तगड़ा माल है पर इतना खूबसूरत भी, ये उसने नही सोचा था..




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FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--38

 FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--38

अब आगे
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काव्या के जाते ही रश्मि जल्दी से तैयार हुई और ड्राइवर के साथ मार्केट निकल गयी..क्योंकि उसके पास तो पूल मे पहनने के लिए कोई स्वीमिंग सूट ही नही था..आज उसके मन मे ऐसी खुशी की लहर दौड़ रही थी जैसे वो फिर से जवानी की दहलीज पर पहुँच गयी है..वो अपने इस नये प्रेमी यानी विक्की को पूरी तरह से इंप्रेस कर देना चाहती थी..

वो सीधा एक माल में गयी और एक बड़े से रीटेल शोरुम के अंदर चली गयी..अंदर पूछने पर किसी ने बता भी दिया की फर्स्ट फ्लोर पर स्वीमिंग सूट्स का कलेक्शन है..वो उपर गयी तो वहां हेंगर्स मे लगे सूट्स को देखकर उसकी आँखे खुली रह गयी..ऐसे रंग बिरंगे स्वीमिंग सूट तो उसने मूवीस मे भी नहीं देखे थे..

तभी पीछे से आवाज़ आई

"मेम ...केन आई हेल्प यू..''

रश्मि ने पीछे मुड़कर देखा तो एक नेपाली लड़का खड़ा था..लगभग 22 की उम्र का..उसने टाई लगा रखी थी..वो था बड़ा गोरा चिट्टा और चिकना सा..उसकी स्माइल देखकर रश्मि भी उस पर मोहित हो गयी..

पर अगले ही पल उसे ख्याल आया की वो तो लेडीस सेक्शन है...और ख़ासकर स्वीमिंग सूट के लिए तो कोई लड़की ही होनी चाहिए वहां पर..

रश्मि : "या...पर यहाँ कोई लड़की नही है...इस सेक्शन के लिए..''

उसने एक हेंगर अपने हाथ मे लेकर कहा..

लड़का, जिसका नाम राघव था, बोला : "सॉरी मेम ..यहा जो लड़की है वो आज छुट्टी पर है..बट आई केन हेल्प यू ...''

इतना कहकर उसकी नज़र सीधा रश्मि के वक्षस्थल पर गयी..उसका साइज़ जानने के लिए..और उसके चेहरे पर अजीब सी स्माइल आ गयी..और फिर उसकी नज़रें नीचे उसकी गांड तक गयी...उसको स्केन करते हुए..और अच्छी तरह से अपनी एक्सरे मशीन पर उसको परखने के बाद राघव बोला : "मेम ....आप बॉडी कवर सूट लेना चाहेंगी या टू पीस बिकिनी...''

रश्मि को बहुत शर्म आ रही थी..जब राघव ने उसके शरीर को अपनी नज़रों के इंचीटेप से नापा था..वो अंदर से काफ़ी असहज महसूस कर रही थी..पर साथ ही साथ उसके दिल की धड़कने भी बढ़ गयी थी..

उसके अंदर से आवाज़ आई 'ये हो क्या रहा है रश्मि...आजकल तू कुछ ज़्यादा ही नोटी नही हो रही है क्या......पहले विक्की और अब ये नेपाली लड़का..जवान बेटी की माँ है तू..और तू है की उसी उम्र के लड़को को देखकर तेरा मन मचल रहा है आजकल...'

वो अपने अंतर्मन की आवाज़ सुनकर खुद ही शरमा गयी...उसे ऐसे मंद -2 मुस्कुराते हुए देखकर राघव बोला : "मेम ...प्लीस आप मेरे साथ वहां आइए...आपके साइज़ के स्विमवीयर वहां पर है..''

दोपहर का समय था..और उपर वाले फ्लोर पर ज़्यादा भीड़ भी नही थी..ऐसे मे अपने मचलते हुए अरमानो के साथ वो होले -2 मुस्कुराती हुई राघव के पीछे चल दी.

रश्मि ने नोट किया की उस सेक्शन में उसके साइज़ के ही स्वीमिंग सूट्स थे..और पास ही एक डम्मी भी खड़ी थी,एक लड़की की, जिसपर एक बड़ा ही खूबसूरत सा टू पीस वाला स्वीमिंग सूट लगा हुआ था..

रश्मि ने उसे देखा और वो उसके लिए बोलने ही वाली थी की राघव उसकी मंशा समझ कर बोला : "ये वाला बहुत बाड़िया पीस है मेम ...ये लीजिए..ये रहा..''

  

पतली डोरी से बँधे तिकोने थे बस..जो सिर्फ़ आधे मुम्मे को ही ढक सकते थे..डम्मी के मुम्मे तो लगभग 32 थे पर फिर भी उसकी साइड्स बाहर निकल रही थी...रश्मि का साइज़ तो 38 था...वो तो उसको आधे भी कवर नही कर पाएँगे...

रश्मि धीरे से बोली : "पर ये छोटा लग रहा है...''

राघव : "नही मेम ...ये स्ट्रेचेबल कपड़ा है...ये स्ट्रेच करते हुए पूरी ब्रेस्ट को कवर करेगा...ये देखिए...''

और उसने रश्मि के हाथ से लेकर आगे वाले कपड़े को दोनो हाथो से खींचा..और वो फैलकर लगभग दुगने आकार का हो गया..

राघव : "आप अगर पीछे से ज़ोर से नॉट बाँधेंगी तो ये पूरा कवर करेगा ...ये 36-38 साइज़ के लिए ही है...''

रश्मि समझ गयी की उसने अपनी आँखो से सही से नाप लिया है उसके मुम्मों का..क्योंकि उसका साइज़ 38 ही था

और अचानक उसके मन मे उसके साथ मज़ा लेने की सूझी..

रश्मि : "पर मेरा साइज़ तो 40 है...ये छोटा ही रहेगा...''

राघव एकदम से हड़बड़ा सा गया : "नही..नही मेम ...ये आपके साइज़ का ही है...आपके 40??? लगते तो नही है...''

रश्मि (उसकी आँखो मे देखकर) : "मेरी प्रॉपर्टी है...मुझे अच्छी तरह पता है...''

राघव (थोड़ा शरमाते हुए) : "बट मेम ...इसमे तो 40 साइज़ आता ही नही है...आपको मैं कुछ और दिखाऊ क्या..''

उसे शायद अभी तक विश्वास नही हो पा रहा था की रश्मि का साइज़ 40 है...उसकी पारखी आँखे ऐसे धोखा नही खा सकती थी..

रश्मि ने उसके चेहरे की तरफ देखा और एकदम से उसके मुँह से हँसी निकल गयी : "हा हा ....आई एम सॉरी....मैं तो मज़ाक कर रही थी...तुमने ठीक कहा था..38 ही है ...''

रश्मि की बात सुनकर राघव भी मुस्कुरा उठा.. : "क्या मेम ...आप भी ना ..''

और फिर हंसते हुए उसने नीचे से उस पीस के चार कलर निकाल कर सामने रख दिए ..रश्मि ने रेड और वाइट के कॉम्बो वाला पीस लिया...क्योंकि वो उसके उजली स्किन पर बहुत जंच रहा था..

राघव : "आप चाहे तो एक बार ट्राइ करके भी देख सकती है...नही तो चेंज करने के लिए आना पड़ेगा आपको..''

रश्मि जानती थी की वो अच्छी तरह से आ जाएगा उसके बदन पर...फिर भी थोड़ा और मज़ा लेने के लिए उसने राघव की बात मान ली...वो देखना चाहती थी की विक्की को भी क्या वो ड्रेस पसंद आएगी..क्योंकि राघव की उम्र भी लगभग विक्की के जितनी ही थी..

उसने वो टू पीस बिकनी ली और चेंजिंग रूम की तरफ चल दी..अंदर जाकर उसने अपना सूट और सलवार उतार दी..फिर ब्रा और पेंटी भी...सामने के शीशे मे उसने अपने बदन को बड़े ही गौर से देखा...और तब उसे ख्याल आया की उसे तो हेयर भी रिमूव करने है...टाँगो के..हाथो के...चूत तो उसने कल ही सॉफ कर ली थी घर पर...इसलिए जल्द से जल्द यहाँ से निकल कर उसे पार्लर भी जाना होगा..

उसने जल्दी से वो कच्छी पहनी जो उसके बड़े-2 कूल्हों से बुरी तरह से लिपट कर पूरी तरह से कवर हो गयी..उसने गोर से देखा तो उसे अपनी केमल टो भी सॉफ नज़र आई..और गीली होने के बाद तो ये और भी अच्छी तरह से चमक कर दिखेगी...


 फिर उसने वो उपर वाला पीस भी पहन लिया..पर पीछे हाथ करते हुए वो सही से बाँध नही पा रही थी उसको...ब्रा के हुक तो वो आगे की तरफ खिसका कर लगा लेती थी..पर ये नॉट कैसे बाँधे..क्योंकि गले के पीछे और कमर के पीछे दो जगह नॉट लगानी थी...उसने गले के पीछे वाली तो बांध ली पर पीछे हाथ करके वो कमर वाली नही बाँध पा रही थी...

उसने धीरे से दरवाजा खोला तो देखा की राघव बिल्कुल बाहर ही खड़ा है..जैसे उसके किसी आदेश का इंतजार कर रहा हो..

रश्मि : "ये पीछे वाली नॉट नही बंध रही....''

राघव : "मेम .इसके लिए आपको किसी कि हेल्प लेनी पड़ेगी...अभी के लिए मैं बांध देता हूँ ...''

और वो बिना किसी परमिशन के दरवाजा धकेल कर अंदर ही आ गया..रश्मि ने घबराकर दरवाजा फिर से बंद कर दिया

राघव ने बड़े ही आराम से रश्मि के पीछे जाकर दोनो डोरियो को पकड़ा...और उन्हे पीछे की तरफ खींचा..ऐसा करते ही रश्मि के दोनो थन छोटे से कपड़े के शिकंजे मे आकर कस गये

राघव : "इतना ठीक है या और टाइट करू मेम ...'' उसने ठीक रश्मि के कंधे के पीछे से सिर निकाल कर आगे की तरफ देखा..और उसके कान मे कहा..

रश्मि जानती थी की जिस एंगल से राघव देख रहा है..उसकी क्लीवेज़ के साथ-2 अंदर तक की घाटी भी सॉफ दिख रही होगी उसको...

रश्मि ने जब अपनी नज़रें नीचे करके अपनी छातियों को देखा तो उसने पाया की ज़्यादा उत्तेजना की वजह से उसके दोनो निप्पल बुरी तरह से अकड़ कर सॉफ दिख रहे हैं...

रश्मि : "पर...ये ...इनका इंप्रेशन सॉफ दिख रहा है यहाँ पर...''

रश्मि की उंगली अपने निप्पल पर थी और वो शीशे मे देखकर पीछे खड़े राघव को बोल रही थी..

राघव एकदम से घूमकर आगे आ गया और बड़े ही गौर से रश्मि की छाती पर उगे निप्पल को देखने लगा...रश्मि को तो ऐसा फील हो रहा था की वो एकदम से नंगी खड़ी है उसके सामने..छोटी सी चड्डी और नाममात्र की ब्रा मे तो उसको पता ही नही चल पा रहा था की उसने कुछ पहना भी है या नही..

राघव : "ओहो...ये तो बहुत बड़े हैं...तभी दिख रहे हैं...''

रश्मि की समझ मे नही आया की वो उसके मुम्मों के बारे मे बोल रहा है या उसके लम्बे निप्पल्स के बारे मे..

राघव : "आप चिंता मत करिए मेम ..मेरे पास इसका भी इलाज है..''

इतना कहकर वो बाहर निकल गया..

जब तक वो बाहर था...रश्मि घूम-घूमकर हर एंगल से अपने शरीर को निहार रही थी...कपड़े की फिटिंग सच मे काफ़ी अच्छी थी..और वो कलर भी काफ़ी जंच रहा था...उसके दोनो उरोजों को संभाले हुए वो छोटी सी ब्रा भी काफ़ी सेक्सी लग रही थी..

फिर वो उछल-२ कर देखने लगी की कहीं ज्यादा जोर पड़ने से पीछे वाली डोरी तो नहीं खुल जाएगी, पर जब ऐसा नही हुआ तो वो निश्चिंत हो गयी

वो अपने आप को निहार ही रही थी की दरवाजा फिर से खुला और राघव अंदर आ गया.

उसके हाथ मे दो बड़े सिक्के के आकार की चीज़ थी...जो बीच मे से दबी हुई थी..जैसे कोई छोटी सी उड़न तश्तरी

राघव : "ये लीजिए मेम ...इन्हे अंदर लगा लीजिए..''

रश्मि ने उसे अपने हाथ मे लिया और बोली : "ये क्या है ...''

राघव : "मेम ....ये लगाने के बाद आपके निप्स का इंप्रेशन बाहर नही दिखेगा...इसमें सेल्फ एडहेसिव लगा है जिसकी वजह से एक ही जगह पर चिपका रहेगा ,हिलेगा भी नहीं , अगर आपको वो नही दिखाना तो आप ये लगा लीजिए अंदर...नही तो ऐसे ही रहने दो...आप काफ़ी सेक्सी लग रही है इसमें ...''

राघव की पेंट मे उसका उभार सॉफ दिख रहा था.








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FUN-MAZA-MASTI घर का बिजनिस -20

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 घर का बिजनिस -20

 वो रात मैंने दीदी की चुदाई में गुजारी। सुबह जब मैं उठा तो 10:00 बज चुके थे और मैं इसी तरह बेड पे नंगा ही पड़ा हुआ था। मैं उठा और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया। मैंने नहाकर कपड़े पहन लिए और नाश्ते के लिए बाहर निकला तो देखा कि अरविंद साहब भी आए बैठे थे और दीदी को सोफे पे ही किस कर रहे थे और ऋतु रूम से उन दोनों के लिए शराब लेकर आ रही थी। जो कि उसने टेबल पे रख दी और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा दी और सर झुकाकर वहाँ से चली गई।

ऋतु के जाते ही मैंने किचेन में अम्मी को आवाज दी- “अम्मी प्लीज़्ज़ बहुत भूख लगी है नाश्ता दे दो…”

मेरी आवाज सुनकर अरविंद साहब ने अपना सर उठाया और मेरी तरफ देखकर हँसते हुये बोले- अरे यार, क्या इतनी देर तक सोते रहते हो?

मैंने भी हँसते हुये कहा- “क्या करूं अरविंद साहब? काम ही ऐसा है हमें रात-रात भर जागना पड़ता है…”

अरविंद साहब भी हँस पड़े और बोले- हाँ यार, ये तो है। अच्छा एक बात पूछूं गुस्सा तो नहीं करोगे?

मैं- अरे नहीं सर, आप बोलो क्या बोलना है, मैं भला गुस्सा क्यों करूंगा?

अरविंद- अच्छा, जब तुम अपनी बहनों को इस तरह चुदवाते हुये देखते हो तो क्या तुम्हारा दिल नहीं करता कि तुम भी इनकी चुदाई करो?

मैं- “अरविंद साहब, बात ये है कि अगर दिल करता भी है तो क्या हुआ? हमें पैसे खुद चोदने के लिए नहीं मिलते बलकि आप जैसों से चुदवाने के मिलते हैं…”

अरविंद शराब का पेग दीदी के हाथ से लेकर एक ही सांस में पीते हुये बोला- और अगर मैं कहूं कि तुम मेरे साथ मिल के अपनी बड़ी बहन की चुदाई करो तो?

मैं- नहीं सर, ऐसा किस तरह हो सकता है भला?

अरविंद- यार, तुम सिर्फ़ इतना बताओ, जितना मैं पूछ रहा हूँ बाकी मेरा काम है?

मैं- “ठीक है सर, भला मैं आपको नाराज तो नहीं कर सकता। लेकिन आप ऐसा क्यों चाहते हैं ये समझ में नहीं आ रहा…”

अरविंद- सच तो ये है कि मैं देखना चाहता हूँ कि बहन भाई या खूनी रिश्तों में चुदाई से कितना मजा आता है?
मैं- “ओके सर, आप जब चाहो मैं मना नहीं करूंगा आपको…”

अरविंद मेरी बात सुनकर कुछ सोच में पड़ गये और बोले- “तो ऐसा है कि जब मैं कहूं और जहाँ कहूं तुम अंजली को अपने साथ ले आना और फिर वहाँ इसकी चुदाई करोगे…”

मैं- “ठीक है, मैं तैयार हूँ…” और तब तक मेरा नाश्ता भी आ चुका था और मैं नाश्ता करने में लग गया।

और अरविंद दीदी की चूचियां को मसलने में लग गया। नाश्ता करने के बाद मैं वहाँ से उठ गया और ऋतु के रूम की तरफ चल पड़ा। जैसे ही मैं रूम में दाखिल हुआ तो मुझे अपने रूम में आता देखकर ऋतु थोड़ा घबरा गई और खड़ी हो गई।

मैं- क्या हुआ ऋतु? तुम मुझे देखकर खड़ी क्यों हो गई?

ऋतु- “न…नहीं तो भाई, बस ऐसे ही आओ बैठो…”

मैं ऋतु के पास जाकर बेड पे बैठ गया और ऋतु का हाथ पकड़कर नीचे की तरफ खींचा और बोला- तुम भी बैठो ना खड़ी क्यों हो? ऋतु सर झुकाकर बैठ गई और अपने होंठ काटने लगी। उस वक़्त ऋतु का जिश्म हल्का सा कांप भी रहा था।

मैं- ऋतु मेरी जान, क्या बात है? मेरा यहाँ आना तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या?

ऋतु- नहीं तो भाई, आपने ऐसा क्यों सोचा है?

मैं- “यार, मेरे रूम में आने से तुम घबरा रही हो ना इसलिए पूछ लिया…”

ऋतु- नहीं भाई, ऐसी कोई बात नहीं है। भला मैं क्यों घबराऊँगी आपसे?

मैं- “अच्छा, ऐसा है कि जब तुम्हारा डर खतम हो जाए तो मेरे रूम में आ जाना ओके…” मैं इतना बोलकर वहाँ से उठा और अपने रूम की तरफ चल पड़ा।

जैसे ही मैं ऋतु के रूम से बाहर आया तो पायल ने मुझे देख लिया और मेरा हाथ पकड़कर अपने रूम में ले गई और बोली- हाँ भाई, क्या बात हुई ऋतु से?

मैंने कहा- पहले तुम बताओ, कल वो तुम्हें क्या बोल रही थी?

पायल ने मेरी तरफ देखा और नाराज होते हुये बोली- “भाई जब तक आप नहीं बताओगे मैं भी नहीं बताऊँगी…”

मैंने पायल को अपनी तरफ खींच लिया और अपने सीने से लगाकर बोला- “जान, क्यों नाराज हो रही हो अपने भाई से? चल बताता हूँ…” और जो दीदी और ऋतु के साथ बातें हुई थी सब बता दिया।

पायल मेरी बातें सुनकर सोच में पड़ गई और कुछ देर के बाद बोली- भाई, अगर मैं आपको एक काम कहूं तो आप करोगे क्या?

मैं- हाँ पायल, क्यों नहीं? तुम बताओ तो सही क्या काम है?

पायल- “भाई, आप कसम खाओ… जिससे आप सबसे ज्यादा प्यार करते हो उसकी कसम खाओ कि आप मेरी बात मानोगे…”

मैं- अरे यार, जब मैंने बोल दिया है कि मैं तुम्हारी बात मानूंगा तो फिर कसम कहाँ से आ गई?

पायल- “भाई, आप मेरे इतमीनान के लिए ही कसम खा लो प्लीज़्ज़…”

मैं- “ओके बाबा, और पायल के सर पे ही हाथ रखकर कसम खा ली…” जिससे पायल भी खुश हो गई।

पायल- “थैंक्स भाई, आपने आज ये तो बता दिया कि आप सबसे ज्यादा मेरे साथ प्यार करते हो…” और मेरे साथ और भी ज्यादा लिपट गई और मुझे किस करने लगी।

कुछ देर के बाद मैंने पायल को खुद से अलहदा किया और उसे बेड पे बिठा दिया और कहा- “हाँ, अब बताओ क्या बात थी? जिसके लिए तुमने मुझसे कसम ली है…”

पायल- “भाई, मैं चाहती हूँ कि आप पहली बार खुद करो ऋतु के साथ…”


 मैं हैरानी से पायल की तरफ देखते हुये बोला- पायल, ये क्या बोल रही हो तुम? तुम्हें पता है कि इस काम के लिए घर में कोई भी नहीं मानेगा?

पायल- हाँ भाई पता है, लेकिन आपको उसकी गाण्ड मारने की इजाजत तो मिल ही चुकी है ना उसके बाद अगर मोका मिले तो चोद डालो साली को, बाद में कोई क्या कर सकता है?

मैं पायल की बात सुनकर अंदर से खुश हो गया। क्योंकि बात तो पायल ने ठीक ही कही थी कि जब फुद्दी खुल ही गई हो तो कोई क्या कर सकता है? लेकिन पायल से बोला- लेकिन पायल, तुम ऐसा क्यों चाहती हो?

पायल- “भाई, मैं आपसे कुछ भी नहीं छुपाऊँगी। लेकिन अभी आप मुझसे कुछ नहीं पूछो प्लीज़्ज़…”

मैं- ठीक है पायल, मैं कोशिश करूंगा कि ये काम कर सकूं…” और वहाँ से उठकर सीधा अपने रूम में आ गया।

रूम में आया तो अम्मी ऋतु के साथ मेरे बेड पे बैठी हुई थी। मुझे देखते ही अम्मी ने कहा- “आलोक बेटा, मैं चाहती हूँ कि आज से तुम अपनी छोटी बहन की रोजाना मालिश कर दिया करो ताकि इसका जिश्म भी थोड़ा सेट हो जाए…”

मैंने ऋतु की तरफ देखा जो कि सर को झुकाकर अपनी उंगलियों को मरोड़ रही थी और कहा- “जी अम्मी, जैसे आप कहो। मैं ऋतु की रोजाना मालिश कर दिया करूंगा…”

मेरी बात सुनकर अम्मी मेरे रूम से निकल गई और जाते वक़्त आँख भी मार गई जिससे मैं समझ गया कि अम्मी क्या चाहती हैं। अम्मी के जाने के बाद मैंने ऋतु से कहा- “चलो अलमारी से कोई चादर निकालो और बेड पे बिछा दो ताकि तेल से बेडशीट खराब ना हो जाये…”

ऋतु फौरन उठी और अलमारी से एक चादर निकालकर बेड पे बिछाने लगी और मैं वहाँ खड़ा उसे ये सब करता देखता रहा।

चादर बिछाने के बाद ऋतु अपना सर झुकाकर बेड के पास ही खड़ी हो गई। लेकिन अब मुझे समझ में नहीं आ रहा थी कि मैं क्या करूं? और ऋतु को क्या कहूं? खैर मैंने अपनी हिम्मत बढ़ाई और वापिस मुड़ा और दरवाजा लाक कर दिया और फिर अलमारी से एक चादर निकालकर अपने कपड़े उतार के चादर बाँध ली और ऋतु की तरफ देखे बिना ही लाइट आफ कर दी जिससे रूम में काफी अंधेरा हो गया था। लेकिन खिड़की से आने वाली रोशनी भी इतनी थी कि हम एक दूसरे को देख सकते थे।

मैंने ऋतु से कहा- “चलो अपने कपड़े उतारो और बेड पे लेट जाओ ताकि मैं तुम्हारी मालिश कर दूँ…”

ऋतु ने मेरी बात सुनी लेकिन कुछ नहीं बोली और सर झुकाकर चुपचाप खड़ी रही तो मैं आगे बढ़ा और जाकर ऋतु के कंधों पे अपने हाथ रख दिए और कहा- “देखो ऋतु, तुम बहन हो मेरी और मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूँ। मुझसे इतना क्यों शर्मा रही हो? चलो शाबाश जल्दी से कपड़े उतारो अपने…”

जब ऋतु फिर भी नहीं हिली तो मैंने कहा- “चलो ऐसा करो कि तुम यहाँ अपने कपड़े उतार के अपने ऊपर एक चादर ले लो मैं तब तक बाथरूम से होकर आता हूँ…”

जब मैं बाथरूम से वापिस आया तो देखा कि ऋतु बेड पे उल्टी लेटी हुई थी और उसके ऊपर एक चादर थी जो कि उसने मुझसे शरम की वजह से ओढ़ रखी थी और उसके कपड़े बेड के साथ ही रखी चेयर पे पड़े हुये थे। मैंने बगल से तेल की बोतल उठा ली और ऋतु के पास बेड पे बैठ गया और अपने काँपते हाथों से ऋतु के ऊपर पड़ी चादर को हटाने लगा लेकिन ऋतु ने ऊपर के दोनों किनारे अपने हाथों में पकड़ रखे थे जिससे चादर नीचे नहीं हुई तो मैंने बगल से पकड़कर चादर उसके ऊपर से हटा दी जिससे ऋतु का नंगा और सफेद जिश्म और उसकी सेक्सी गाण्ड मेरी आँखों के सामने बिल्कुल नंगी हालत में आ गई जो कि मुझे पागल कर देने के लिए काफी थी।

अब मैंने अपना हाथ बढ़ा के ऋतु की गाण्ड पे रखा तो मेरी छोटी और मासूम बहन जिसको हम सब घर वाले इस गंदगी में घसीट रहे थे एकदम से काँप गई।

अब मैंने अपना हाथ अपनी बहन की गाण्ड से हटा लिया और तेल की बोतल से तेल उसकी कमर और गाण्ड पे गिराने लगा। क्योंकि तेल हल्का सा ठंडा था जिससे ऋतु के जिश्म में झुरझुरी सी हुई लेकिन फिर से ऋतु आराम से लेट गई।

अब मैं ऋतु की बगल में बैठा अपने हाथों को आजादी से अपनी छोटी बहन की कमर और गाण्ड पे घुमाने लगा और तेल मलने लगा। मेरे इस तरह मालिश करने से ऋतु को अब सकून के साथ मजा भी आ रहा था, जिसका अंदाजा मुझे उसकी हल्की आवाज में निकलने वाली सिसकियों से हो रहा था।

कुछ देर तक इसी तरह तेल मलने के बाद मैं उठा और ऋतु की टाँगों के ऊपर घुटनों के करीब बैठ गया और अपने हाथों से उसकी गाण्ड को अच्छे से मसलने लगा जिससे कभी मेरे हाथ अपनी छोटी बहन की गाण्ड के सुराख को भी छू जाते लेकिन ऋतु अब किसी भी किश्म का ऐतराज नहीं कर रही थी लेकिन हाँ मजा जरूर ले रही थी अपने बड़े भाई के हाथों अपनी गाण्ड की मालिश करवाकर। फिर मैंने अपने हाथ ऋतु की गाण्ड से हटा लिए और उसके कंधों की तरफ बढ़ा दिए, जिसके लिए मुझे भी घुटनों से ऊपर होना पड़ा जिससे मेरा खड़ा और पूरा टाइट लौड़ा अपनी बहन की गाण्ड को छूने लगा तो मैंने अपने लण्ड के ऊपर पड़े कपड़े को हटा दिया। जिससे मेरा लण्ड ऋतु की गाण्ड को सही से छुआ तो हम दोनों बहन भाई के मुँह से एक साथ आअह्ह… की हल्की सी आवाज निकल गई। अब मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा अपनी बहन की गाण्ड के सुराख पे सेट किया और उसकी कमर और कंधों की मालिश करने लगा जिससे ऋतु के साथ मेरा भी मजे से बुरा हाल हो रहा था।


 मैंने अचानक ऋतु से कहा- ऋतु मजा आ रहा है ना मालिश में?

ऋतु ने भी बस- “हाँ भाई, बहुत अच्छा लग रहा है… बस इसी तरह करो, रुको नहीं प्लीज़्ज़…”

ऋतु की बात सुनकर मैं समझ गया कि लौंडिया तैयार है तो मैं थोड़ा पीछे हटा और ऋतु की गाण्ड को अपने दोनों हाथों से थोड़ा खोल दिया और ठीक उसकी गाण्ड के सुराख पे अच्छा खासा थूक फेंक दिया। एक तो तेल और दूसरा थूक लगाकर मैंने फिर से अपने लण्ड को ऋतु की गाण्ड के सुराख पे रख दिया और हल्का सा दबाने लगा।

लण्ड को ऋतु की गाण्ड पे दबाते ही मेरे लण्ड का आधा सुपाड़ा ऋतु की गाण्ड को खोलकर अंदर घुस गया तो ऋतु के मुँह से सस्सीई… की हल्की सी आवाज निकली। लेकिन उसने कुछ बोला नहीं तो मैंने फिर से दबाव बढ़ा दिया। जिससे मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपनी छोटी बहन की गाण्ड को खोलकर घुस गया। सुपाड़े के घुसने के बाद मैं वहीं रुक गया। क्योंकि मैं जानता था कि ऋतु इस वक़्त काफी तकलीफ में होगी। कुछ देर के बाद मैं फिर से अपने लण्ड को जोर देने लगा जिससे मेरा लण्ड फिर से आगे जाने लगा।

और करीब एक इंच और घुसा होगा कि ऋतु के मुँह से- “सस्स्सीई… भाई प्लीज़्ज़… रुको…” की आवाज निकल गई।

जिसे सुनते ही मैं वहीं रुक गया और ऋतु का दर्द खतम होने का इंतेजार करने लगा। कोई एक मिनट के बाद ही ऋतु ने अपने जिश्म को ढीला छोड़ दिया तो मैंने एक हल्का सा झटका दिया जिससे मेरा कोई 3” के करीब लण्ड अपनी बहन की गाण्ड में चला गया। इतना लण्ड घुसते ही ऋतु ने- “आऐ माँ… बस करो भाई… और नहीं करना… प्लीज़्ज़… मैं मर गई… ऊओ बस भाई… अभी निकालो बाहर दर्द हो रहा है…”

मैं अब वहीं रुका रहा और ऋतु के कंधों और कमर पे हाथ घुमाने लगा और कहा- “बस मेरी जान, आज इससे ज्यादा नहीं करूंगा। डरो नहीं बस आज के लिए इतना ही बर्दाश्त कर लो। ठीक है…”

मेरी बात सुनकर ऋतु ने हाँ में सर हिला दिया तो मैंने अपने लण्ड को वहीं जितना अंदर जा चुका था अंदर-बाहर करने लगा जिससे मैं कोई 3 मिनट में ही ऋतु की गाण्ड में ही फारिग़ हो गया, क्योंकि ऋतु की गाण्ड बड़ी टाइट थी और ऐसे लग रहा था कि जैसे वो मेरे लण्ड को भींच रही हो।

फारिग़ होने के बाद ऋतु ने उठकर अपनी गाण्ड को अच्छी तरह साफ किया और अपने कपड़े पहनकर मेरे रूम में से निकल गई।



 कहानी जारी है.

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FUN-MAZA-MASTI घर का बिजनिस -19

FUN-MAZA-MASTI

 घर का बिजनिस -19

 मैं पायल की बात मान गया और वहाँ रखी एक चेयर पे बैठ गया और उन दोनों के लिए शराब बनाने लगा। शराब का एक और पेग लगाने के बाद समीर फिर से पायल के साथ लिपट गया और किस करने लगा और उसकी फुद्दी में उंगली घुसाने लगा।

ये नजारा देखकर मेरा लण्ड जो कि पहले से ही खड़ा था मेरी शलवार को फाड़कर बाहर निकलने के लिए बेचैन होने लगा। कुछ देर की चूमा चाटी के बाद समीर बेड पे लेट गया और पायल को बोला- “चल साली चूस मेरे लौड़े को…” और पायल को पकड़कर उसका सर अपने लण्ड की तरफ दबा दिया।

मेरी बहन ने एक बार आँखें उठाकर मेरी तरफ देखा और हल्का सा मुश्कुरा उठी और समीर के लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी और साथ ही उसकी गोलियों को अपने हाथों से सहलाने लगी। कुछ देर तक समीर पायल के सर के बालों में हाथ फेरता रहा और- “आअह्ह… हाँ… साली उन्म्मह… मजा आ गया…” की आवाज करता रहा।

फिर उसने पायल के मुँह से अपना लण्ड निकाल लिया और पायल को झटके से बेड पे गिरा दिया और मेरी बहन की टाँगों को उठा लिया और उसकी फुद्दी के साथ अपना लण्ड लगाते हुये झटका दिया और पूरा लण्ड मेरे सामने मेरी बहन की फुद्दी में घुसा दिया। समीर का लण्ड भी मेरे लण्ड जितना ही बड़ा और मोटा था जिससे पायल पूरी तरह मजा ले रही थी और- आऐ… उन्म्मह… भाई ऊओ देखो कितना मजा आ रहा है?

मैं अब पूरे मजे से अपनी छोटी बहन को समीर से चुदवाते हुये देख रहा था जो कि समीर के हर झटके के साथ ही आअह्ह… उन्म्मह… और तेज़्ज़ करो… ऊओ… हाँ… अब ठीक है…” की आवाजें कर रही थी और अपनी गाण्ड को समीर के लण्ड की तरफ उछाल रही थी।

अब पायल बुरी तरह समीर से लिपट गई थी और अपनी आँखें बंद किए मजे से चुदवा रही थी और मेरा गला सूख चुका था। अपनी बहन को इस तरह चुदवाते हुये देखकर अचानक मेरे दिल में आया कि क्यों ना एक पेग शराब का ही और लगा लूँ और वहाँ से शराब की तरफ मुड़ा तो मेरी नजर ऋतु पे पड़ी जो कि दरवाजा में खड़ी आँखें फाड़े पायल को इस तरह चुदवाते हुये देख रही थी।

जैसे ही मेरी नजर ऋतु की तरफ गई तो उसने भी इस तरह मुझे अपनी तरफ देखते हुये देख लिया और वो सटपटा गई और वहाँ से भाग गई।

एक बार तो दिल में आया कि मुझे ऋतु के पास जाना चाहिए लेकिन फिर ये सोचकर कि चलो आखिर उसने भी तो एक दिन इसी तरह चुदवाना ही है ना… कोई बात नहीं और वहाँ ही बैठा रहा और पायल की चुदाई देखने लगा। कुछ देर के बाद पायल और समीर फारिग़ हो गये।

तो पायल उठी और बाथरूम में घुस गई तो समीर ने मेरी तरफ देखा और बोला- “यार तेरी बहन है बड़ी गरम माल, साली की फुद्दी में बड़ी गर्मी है…”

उसकी बात सुनकर मैं बस हल्का सा मुश्कुरा दिया और कुछ नहीं बोला। फिर पायल के बाद समीर बाथरूम में गया और पायल अपनी ड्रेस पहनकर घर की तरफ चली गई और मैं समीर को रवाना करने के लिए वहीं रुक गया।

समीर को रवाना करने के बाद जब मैं घर आया तो देखा कि अम्मी और बुआ सोफे पे बैठी हुई मेरा ही इंतेजार कर रही थी। मैंने अम्मी के पास जाकर कहा- ऋतु कहाँ गई है?

अम्मी- अपने रूम में घुस गई है… क्यों कुछ हुआ है क्या?

मैं- अम्मी, वो ऋतु ने वहाँ गेस्टरूम में पायल को करवाते हुये देख लिया है।

अम्मी- ओह्ह्ह… तो इसीलिए भागती हुई आई है। मैं भी कहूं कि इसे हुआ क्या है?

बुआ- भाभी, आओ पता तो करें कि ऋतु ने इस तरह रूम में क्यों बंद होकर बैठ गई है?

अम्मी- नहीं तुम बैठो यहाँ, आलोक को ही उसके पास जाने दो। वो खुद ही बात करेगा। हम इसकी किसी बात में नहीं बोलेंगी।

मैं- लेकिन अम्मी, मैं क्या बात करूंगा ऋतु के साथ और किस तरह?

अम्मी- देखो आलोक हम यहाँ जितनी भी ओरतें हैं, तुम्हारी जिम्मेदारी हैं कि तुम किससे और क्या करवाते हो? ये हमारा काम नहीं है जाओ और देखो कि ऋतु क्या चाहती है?

मैं- ठीक है अम्मी, फिर बाद में मुझे नहीं बोलना कि ये मैंने क्या कर दिया?

अम्मी- हम कुछ नहीं बोलेंगे तुम्हें।

मैं अम्मी और बुआ के पास से उठा और ऋतु के रूम की तरफ चल पड़ा लेकिन सच तो ये था कि मैं खुद भी काफी परेशान था कि आखिर अपनी सबसे छोटी बहन के साथ क्या बात करूंगा? और किस तरह? जब मैं ऋतु के रूम में घुसा तो देखा की रूम में कोई भी नहीं है। तो मैं रूम में बने हुये वाश-रूम की तरफ गया और खटखटाने लगा तो मुझे अंदर से उन्म्मह… की हल्की सी आवाज सुनाई दी। जिसे सुनकर मैं चौंक गया और साथ ही हल्का से जोर दिया जिससे वाश-रूम का दरवाजा खुल गया तो जो नजारा मैंने अपनी आँखों के सामने देखा उससे मेरे होश ही उड़ गये।


 वाश-रूम में उस वक़्त ऋतु बिल्कुल नंगी फर्श पे लेटी अपनी टाँगों को खोलकर अपनी दो उंगलियों को अपनी फुद्दी में अंदर-बाहर कर रही थी और दरवाजा खुलने की वजह से चौंक गई थी।

जैसे ही ऋतु की नजर मुझ पे पड़ी तो उसके मुँह से बस “भाई आप” की आवाज ही निकल सकी। ऋतु की आवाज से मुझे कुछ होश आया लेकिन मैंने अपनी आँखों को उसकी फुद्दी जो कि उसने अपनी रानों में दबा ली थी से नहीं हटाया और वहीं देखता रहा और थोड़ा मुश्कुरा दिया और बोला- “सारी बेटा मुझे नहीं पता था कि तुम यहाँ जरा व्यस्त हो…” और उसकी तरफ एक मुश्कान देता हुआ वापिस हो गया।

ऋतु के रूम से मैं सीधा अपने रूम में आया और आकर बेड पे लेट गया और ऋतु की छोटी और कम उम्र फुद्दी जिसपे हल्के भूरे बाल भी थे, के बारे में सोचने लगा कि क्या वो चुदाई के लिए तैयार है?

मुझे अपने रूम में आए हुये अभी कोई 10 मिनट ही हुये थे कि अम्मी भी मेरे पास ही आ गई और आते ही बोली- आलोक, क्या बात है? बेटा किन सोचों में गुम हो?

मैंने अम्मी को ऋतु के रूम में जो कुछ भी देखा था सब बता दिया तो अम्मी ने एक हूंन की आवाज निकाली और कहा- “लगता है कि ऋतु भी तैयार हो चुकी है… अब उसके लिए भी कोई इंतजाम करना ही पड़ेगा…”

मैंने अम्मी को कोई जवाब नहीं दिया और उठकर पायल के रूम की तरफ चला गया क्योंकि मेरा लण्ड फटने के करीब था और इसे अब मैं अपनी बहन को चोदकर ही ठंडा करना चाहता था। जैसे ही मैं पायल के रूम में आया तो वहाँ पायल के साथ ऋतु भी थी और वो कुछ बातों में लगी हुई थी और मुझे देखते ही चुप हो गई।

पायल ने मेरी तरफ देखा और कहा- हाँ भाई, कहो क्या बात है? कोई काम था क्या?

मैंने हाँ में सर हिला दिया और कहा- “ऐसा करो मेरे रूम में आ जाओ काम है तुम्हारे साथ…”

पायल समझ गई कि मुझे अभी उसके साथ क्या काम हो सकता है इसीलिए फौरन बोल पड़ी- “भाई, आप अभी दीदी से अपना काम करवा लो, मैं थक गई हूँ। मेरे साथ बाद में कर लेना प्लीज़्ज़…”

मैं वहाँ से फिर अपने रूम में आ गया क्योंकि मेरा मूड खराब हो गया था। बाकी का सारा दिन भी गुजर गया और दिन में बुआ और पायल के साथ अम्मी ने भी एक बार चुदवा लिया था।

रात का खाना खाने के बाद दीदी मेरे रूम में आ गई और बोली- “आलोक, कुछ बात करनी है तुमसे…”

मैंने कहा- हाँ दीदी, आओ यहाँ बैठो मेरे पास, बोलो क्या बात है?

दीदी- “भाई, आज पायल ने मुझे बताया है कि ऋतु भी करवाना चाहती है…”

मैं- “अच्छा… तो फिर अच्छी बात है, बापू को बता दूँगा… वो उसका भी कोई इंतजाम कर देंगे…”

दीदी- “नहीं भाई, हम सबने ये सोचा है कि उसे पूरी तरह ट्रैनिंग दें क्योंकि अभी उसकी उम्र काफी कम है और वो जब भी किसी के साथ सोएगी तो उसे पागल कर देगी…”

मैं- ठीक है, जैसे आप लोगों की मर्ज़ी। लेकिन ट्रैनिंग देगा कौन? क्या आप या बुआ?

दीदी- “नहीं भाई, उसे आप ट्रैनिंग दोगे…”

मैं- क्या दीदी? मैं ऋतु को भला कैसे ट्रैनिंग दे सकता हूँ? मुझे क्या पता है कि किस तरह ट्रैनिंग होनी है?

दीदी- “भाई, तुम उसे लण्ड चुसाई का एक्सपर्ट बनाओगे और जरा उसकी मालिश भी कर दिया करोगे…”

मैं- लेकिन दीदी, इस तरह तो अगर मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने ही कुछ कर डाला तो क्या होगा?

दीदी- तुम उसकी गाण्ड मार सकते हो, लेकिन फुद्दी नहीं समझे?

मैं- “ठीक है बाजी, जैसे आप कहो…” और इसके साथ ही दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और बोला- “पहले आप तो मुझे ट्रंड करो ना…”

वो रात मैंने दीदी की चुदाई में गुजारी। सुबह जब मैं उठा तो 10:00 बज चुके थे और मैं इसी तरह बेड पे नंगा ही पड़ा हुआ था। मैं उठा और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया। मैंने नहाकर कपड़े पहन लिए और नाश्ते के लिए बाहर निकला तो देखा कि अरविंद साहब भी आए बैठे थे और दीदी को सोफे पे ही किस कर रहे थे और ऋतु रूम से उन दोनों के लिए शराब लेकर आ रही थी। जो कि उसने टेबल पे रख दी और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा दी और सर झुकाकर वहाँ से चली गई।
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कहानी जारी है







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FUN-MAZA-MASTI घर का बिजनिस -18

FUN-MAZA-MASTI

 घर का बिजनिस -18

 अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- देखो बेटा, ऐसा है कि तुम अभी जाओ अपने रूम में इस पे हम बात करेंगे। लेकिन अभी नहीं ठीक है।

अम्मी की बात सुनकर मैंने हाँ में सर हिला दिया और वहाँ से उठकर अपने रूम में आ गया और एक लूज निक्कर पहन ली और आराम करने के लिए लेट गया। कोई एक घंटे के बाद मेरे रूम का दरवाजा खुला और अम्मी अंदर आ गई और अपने पीछे दरवाजे को भी बंद कर दिया। और मेरे पास आकर बेड पे मेरे साथ ही लेट गईं और मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे बालों में उंगलियां घुमाने लगी।

मैंने कहा- क्यों अम्मी, क्या बात है? आज आप इतने दिनों के बाद मेरे रूम में? खैर तो है ना?

अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- आलोक बेटा, वो मैंने ऋतु के बारे में तुम्हारे साथ बात करनी थी।

इसीलिए सोचा कि आज मैं यहाँ तुम्हारे पास ही सो जाती हूँ और बात भी कर लूँगी।

मैंने कहा- “जी अम्मी, बोलो आप क्या बताना चाहती हो? जब कि मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ कि आप जिसके साथ जो करना चाहती हो या करवाना चाहती हो मुझे कोई ऐतराज नहीं है बस मैं ये चाहता हूँ कि किसी के साथ जोर-जबरदस्ती वाला काम ना हो कि हमें कल को जलील होना पड़े…”

अम्मी ने मेरी पूरी बात सुनी और बोली- आलोक, हम भी ऋतु को ये सब इसीलिए दिखा रहे हैं कि वो जितना इस माहौल को देखेगी, अपने अंदर की गर्मी से मजबूर होकर खुद ही बोल देगी कि वो भी हमारे साथ इस काम में आना चाहती है।

मैंने कहा- अम्मी, अगर ऋतु ने नहीं कहा और वो आपके कहने से भी इस काम के लिए नहीं मानी तो आप क्या करोगी?

अम्मी ने कहा- आलोक, अगर वो नहीं मानी तो फिर हम उसकी शादी करके उसे खुद से दूर कर देंगे, जहाँ उस पे हमारा साया भी ना पड़े।

अम्मी की बात सुनकर मैं शांत हो गया और अम्मी को लिपट गया।

तो अम्मी ने भी मुझे अपने साथ भींच लिया और किस करने लगी और साथ ही मुझे दबाने लगी। मैं भी अम्मी की किस के जवाब में अम्मी की जुबान को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से अम्मी की गाण्ड को दबाने लगा और सहलाने लगा। कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे को किस करते रहे और फिर मैंने अम्मी को पीछे हटा दिया और खुद अम्मी की कमीज को निकाल दिया और साथ ही शलवार को भी तो अम्मी मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा में ही रह गई क्योंकि अम्मी पैंटी नहीं पहनती थी।

और इस वक़्त मेरी माँ जिसने मुझे पैदा किया था मेरे सामने सिर्फ़ एक ब्रा में लेटी मेरी तरफ बड़ी प्यार भरी नजरों से देख रही थी। अम्मी को इस तरह देखता पाकर मैं अम्मी की ब्रा पे झपट पड़ा और एक ही झटके से अम्मी की चूचियों को ब्रा से निकाल दिया और अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। मेरे इस तरह झपटने से अम्मी के मुँह से से की हल्की आवाज निकली और इसके साथ ही अम्मी ने मुझे अपने चूचियों के साथ दबा लिया और बोली- “आअह्ह… बेटा पी लो अपनी माँ का दूध उंनमह…”

अब मैं अम्मी की चूचियों को चूसने के साथ दबा भी रहा था जिससे अम्मी काफी गरम हो रही थी और सिसकियां भर रही थी और मेरे सर को अपनी चूचियां के साथ दबा रही थीं। कुछ देर के बाद मैंने अपना हाथ अम्मी के चूची से हटा लिया और अम्मी की फुद्दी की तरफ बढ़ने लगा और फिर अम्मी की गरम और तपती हुई फुद्दी के ऊपर रख दिया जो कि हल्की से गीली भी हो रही थी। मेरे हाथ लगाते ही अम्मी के मुँह से ऊओ आलोक, उन्म्मह… की आवाज निकल गई।

अम्मी के मुँह से निकालने वाली आवाजें आहिस्ता-आहिस्ता तेज हो रही थीं। मैं अम्मी की चूचियों को छोड़कर सीधा फुद्दी की तरफ आया और अपना मुँह अम्मी की फुद्दी के साथ लगा दिया और अपनी जुबान को बाहर निकालकर अम्मी की फुद्दी में घुमाने लगा जिससे अम्मी मचल उठी। मेरे इस तरह अम्मी की फुद्दी में जुबान घुमाने से अम्मी की हालत और भी बुरी हो गई और वो तड़प के थोड़ा उठी और अपने हाथों से मेरा सर अपनी फुद्दी पे दबा लिया और बोली- “आअह्ह… आलोक, चाट अपनी माँ की फुद्दी को मादरचोद… उन्म्मह… हाँ… बेटा खा जाओ मेरी फुद्दी को ऊओ… आलोक ये क्या कर दिया है तूने हरामी?”

अम्मी के मुँह से इन सिसकियों और गालियों की आवाज़ों ने तो जैसे मुझे दीवाना कर दिया था कि मैं अब अपनी जुबान से अम्मी की फुद्दी को चाटने के साथ अम्मी की फुद्दी में घुसा भी रहा था और साथ ही हल्का सा काट भी लेता जिससे अम्मी और भी ज्यादा तड़प जाती।

अब अम्मी के मुँह से- आअह्ह… आलोक बेटा ऊओ… मैं गई… कमीने खा जा अपनी माँ की फुद्दी को… ऊओाअ… आलोक मैं गई…” और इसके साथ ही अम्मी के जिश्म को जोर का झटका लगा और अम्मी ने मेरे सर को अपनी रानो में दबा लिया और अम्मी की फुद्दी से पानी का सैलाब सा निकला और मेरे मुँह में गया जिसे मैं चाट गया और फिर उठा और अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी के साथ लगा दिया और रगड़ने लगा। अब मैं अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी के ऊपर रगड़ता और हल्का सा दबा के अम्मी की फुद्दी में घुसा देता और फिर बाहर निकाल लेता और रगड़ने लगता।


 अम्मी ने जब देखा कि मैं अंदर नहीं घुसा रहा और बस ड्रामा कर रहा हूँ तो अम्मी ने कहा- “बेटा, क्यों तंग कर रहा है अपनी माँ को? अब घुसा भी दे ना…”

अम्मी की बात सुनते ही मैंने अपनी पूरी ताकत से झटका दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की फुद्दी को खोलता हुआ जड़ तक घुस गया और तभी मैंने अम्मी के घुटनों को अम्मी की कंधों की तरफ मोड़ के पूरी तरह दबा दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की फुद्दी में जड़ तक घुस गया।

लण्ड के इस तरह घुसने से अम्मी के मुँह से- “आऐ आलोक, आराम से करो ये क्या कर रहे हो? मारना है क्या मुझे? बेटा दर्द होता है इस तरह, एक तो तेरा बहुत बड़ा है प्लीज़्ज़… आराम से करो…”

मैंने कोई जवाब नहीं दिया और अम्मी की टाँगों को उसी पोजीशन में रखा और एक बार फिर से अपने लण्ड को सुपाड़े तक बाहर निकाला और फिर से अपने जिश्म का सारा वजन अपने लण्ड पे डाल दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की बच्चेदानी तक टकराया तो अम्मी दर्द की वजह से तड़प उठी।

मेरे इस झटके से अम्मी के मुँह से- “ऊओई आलोक, क्या कर रहा है? फाड़नी है क्या? कमीने, मैं माँ हूँ तेरी… रंडी नहीं जो इस तरह चोद रहा है आअह्ह… प्लीज़्ज़… बेटा आराम से करो…”

मुझे भी अम्मी को इस तरह चोदने में मजा आ रहा था तो मैं भी इस तरह अम्मी की फुद्दी में अपने लण्ड को झटके देता रहा और बोला- “हाँ पता है तू मेरी माँ है, रंडी नहीं है… पर साली तू किसी रंडी से क्या कम है… हाँ…” और बार-बार झटके देता रहा।

अब अम्मी को भी इतना दर्द नहीं हो रहा था बलकि इसकी जगह वो मुझे अपने साथ लिपटा के चुदाई का मजा ले रही थी और साथ ही- “हाँ आलोक, अभी अच्छा लग रहा है बेटा… फाड़ दे अपनी माँ की फुद्दी को… उन्म्मह… ऊओ… आलोक मेरा बच्चा, तू कितना अच्छा है बेटा अपनी माँ का कितना ख्याल रखता है…”

अब मैं अपने अंत पे आ चुका था और अम्मी के ऊपर से थोड़ा ऊपर उठा और तेज झटके लगाने लगा जिससे अम्मी भी जरा ज्यादा सिसकने लगी और- “हाँ आलोक, बस हो गया मेरा… आअह्ह… मैं गई बेटा…” की आवाज के साथ ही अम्मी की फुद्दी में पानी की वजह और मेरे धक्कों की वजह से पिकचाक्क-पीकचाक्क की आवाज आने लगी और इसके साथ ही मैं भी अम्मी की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और वहीं गिर के लंबी-लंबी सांसें लेने लगा।

मैं उस रात अम्मी को एक बार ही चोद के इतना थक गया था िहोश ही नहीं रहा कि मैं कब सो गया। सुबह के 9:00 बजे मेरी आँख खुली तो देखा कि मैं अभी तक नंगा ही पड़ा हुआ सो रहा था और अम्मी अब मेरे रूम में नहीं थी। मैं उठा और अपने रूम में ही बने हुये बाथरूम में घुस गया और नहाकर ड्रेस पहनकर बाहर आया तो बापू और बुआ बैठे बातें कर रहे थे।

मुझे देखते ही बुआ ने कहा- लो भाई जान, आपका बेटा भी उठ गया है।

बापू भी मुझे आता हुआ देख चुके थे और जैसे ही मैं उन लोगों के पास जाकर बैठा बापू ने मुझसे कहा- हाँ भाई आलोक, कैसी गुजर रही है?

मैं बापू की बात से थोड़ा शर्मा गया और बोला- अच्छी गुजर रही है।

बुआ हँसते हुये- अच्छा, तो फिर क्या सोचा है तुमने ऋतु के बारे में?

मैं- बुआ बात ये है कि अगर ऋतु की अपनी मर्ज़ी हो तो अच्छी बात है लेकिन उससे जबरदस्ती नहीं करे कोई।

बापू- हाँ क्यों नहीं, हम भी तो ये ही चाहते हैं कि वो अपनी मर्ज़ी से करे।

बुआ- हाँ आलोक, इसीलिए तो हमने सोचा है कि ऋतु के सामने ज्यादा से ज्यादा फ्री हुआ जाए ताकि वो भी घर के नये माहौल को अच्छी तरह समझ के फैसला करे।

मैं- ठीक है बुआ, जो आप लोगों की मर्ज़ी… लेकिन अभी नाश्ता तो करवा दें बड़ी भूख लगी है।

बुआ- थोड़ा सबर करो, अंजली नाश्ता बना रही है फिर करते हैं।

मैं- क्यों बुआ? आप लोगों ने भी नहीं किया नाश्ता अभी तक?

बुआ- हेहेहेहे क्यों तुम ही रात को देर से सोए थे, क्या हम नहीं सो सकते देर से?

मैं बुआ की बात समझ गया और हँसते हुये बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं? आपका तो हक है देर से सोना। और वो अम्मी और ऋतु कहाँ हैं नजर नहीं आ रहे…”

बापू- वो… तुम्हारी माँ ऋतु को अपने साथ लेकर अभी निकली है। बोल रही थी कि बाजार जाना है लड़कियों के लिए अच्छे कपड़े नहीं हैं।

मैं- लेकिन बापू, अभी तो बाजार पूरी तरह से खुले भी नहीं होंगे?

बुआ- अरे यार, भाभी के जाते तक खुल जायेंगे और वो जो कुछ लाना है लेकर जल्दी वापिस आ जायेंगी।
तभी दीदी भी नाश्ता तैयार होने का बताने के लिए हमारे पास आ गई और बोली- चलो सब लोग पहले नाश्ता कर लो।

फिर हम सब वहाँ से उठे और नाश्ता करने के लिए टेबल पे बैठ गये और खामोशी से नाश्ता करने लगे। नाश्ता करने के बाद बापू को कहीं से काल आई तो वो घर से निकल गये। तो मैं भी उठकर घर से निकल आया और घूमने लगा।

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 क्योंकि इस इलाके में मेरा कोई दोस्त नहीं था और ना ही कोई जानने वाला तो मैं ज्यादा देर बाहर नहीं रहा और घर आ गया। तब तक अम्मी और ऋतु भी आ चुकी थीं। जैसे ही मैं घर में दाखिल हुआ पायल ने मुझे देखकर कहा- “भाई, वो बापू का फोन आया था। बोल रहे थे कि दो बजे तक उनका कोई दोस्त आएगा उसे गेस्टरूम में बिठा देना और जो माँगे मना नहीं करना…”

मैं समझ गया कि कौन सा दोस्त होगा। मैंने हाँ में सर हिला दिया और अपने रूम में चला गया। दो बजे से पहले ही मैं गेस्टरूम में चला गया और उस आदमी का इंतेजार करने लगा। वो आदमी आया तो तब तक 2:15 हो चुके थे और उसने आते ही मेरे साथ हाथ मिलाया और बोला- “जी मुझे किसी ने यहाँ का पता देकर भेजा था और बोला था कि यहाँ मेरा काम हो जाएगा…”

मैंने कहा- जी अगर आपको किसी ने भेजा है तो उसने मुझे भी बता दिया है। क्या आप अपना नाम बतायेंगे मुझे?

उसने मुझे अपना नाम समीर बताया। उसकी उम्र कुछ ज्यादा तो नहीं थी लेकिन 27 साल के करीब तो थी ही। मैंने उसे बिठाया और पूछा- जी अब बतायें कि आप क्या पियोगे?

समीर ने कहा- “जो भी मिल जाए… जिससे जरा मूड बन जाए…”

मैंने उसकी बात को समझा और उसे बैठने का बोलकर घर आ गया और पायल को जो कि पहले से ही तैयार बैठी हुई थी बोला- “तुम जाकर उसके पास बैठो…” और ऋतु की तरफ देखकर कहा- “तुम कुछ देर के बाद अम्मी से एक बोतल और 3 गिलास लेकर आना…”

ऋतु जो कि पहले ही कुछ परेशान नजर आ रही थी मेरी बात सुनकर हकला गई और बोली- “भाई… वा… वो… मैं क…क्या करूंगी वहाँ?

मैंने कहा- “कुछ नहीं, बस जो बोला है लाकर दे जाना…” और बस इतना बोलकर मैं पायल के पीछे ही गेस्टरूम में आ गया जहाँ पायल समीर के साथ लिपट के बैठी हुई थी और समीर उसकी चूचियों को मसल रहा था।

समीर ने जब मुझे देखा तो अपना हाथ पायल की चूचियों से हटा लिया और खामोश होकर बैठ गया। मैं उसकी ये हालत देखकर हँस पड़ा और बोला- “यार लगे रहो, डरो नहीं। अभी तुम्हारे मूड को बनाने के लिए भी सामान आ जाएगा…”

समीर मेरी बात सुनकर फिर से मेरी बहन की चूचियों को दबाने लगा और साथ ही उसे किस भी करने लगा।
तभी ऋतु भी शराब की बोतल और ग्लास लेकर आ गई और पायल को इस हालत में देखकर, और वो भी मेरे सामने, घबरा गई और उसके हाथ काँपने लगे।

मैंने ऋतु को देख लिया और बोला- हाँ ले आओ, शाबाश… यहाँ टेबल पे रख दो और अगर बैठना है तो यहाँ बैठ जाओ मेरे पास आकर।

समीर ने जब ऋतु की कमसिन जवानी को देखा तो बोला- “यार आलोक भाई, अगर नाराज नहीं हो तो क्या मैं इस लड़की के साथ नहीं कर सकता?

मैं उसकी बात सुनकर हँस पड़ा और बोला- “नहीं भाई, ये रंडी नहीं है…” और ऋतु की तरफ देखा जिसका चेहरा पशीना-पशीना हो रहा था और सांस भी तेज चल रही थी।

ऋतु ने जल्दी से बर्तन और शराब को टेबल पे रखा और वहाँ से भाग गई।

तो पायल ने उठकर 3 गिलास शराब बनाई और एक मुझे पकड़ा दिया और एक समीर को पकड़ा के खुद भी शराब पीने लगी। शराब के दो पेग लगाते ही समीर ने पायल को पकड़ लिया और साथ ही बने हुये रूम में चला गया।

मैं बाहर सोफे पे बैठा रहा और रूम से आने वाली पायल और समीर की आवाज़ों को सुनता रहा और अपने लण्ड को मसलता रहा जो कि पायल की सेक्सी और मजे से भरपूर सिसकियों को सुनकर खड़ा हो गया था। समीर के फारिग़ होने के बाद पायल ने मुझे आवाज दी।

जैसे ही मैं रूम में गया पायल ने कहा- “भाई, वो बाहर से शराब तो ला देना जरा…”

मैं पायल की फुद्दी को देखता हुआ बाहर आ गया और शराब की बोतल और गिलास रूम में लाकर रख दिया।
तो पायल ने कहा- “भाई, यहाँ हमारे पास ही बैठ जाओ ना प्लीज़्ज़…”

मैं पायल की बात मान गया और वहाँ रखी एक चेयर पे बैठ गया और उन दोनों के लिए शराब बनाने लगा। शराब का एक और पेग लगाने के बाद समीर फिर से पायल के साथ लिपट गया और किस करने लगा और उसकी फुद्दी में उंगली घुसाने लगा।

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कहानी जारी है





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FUN-MAZA-MASTI घर का बिजनिस -17

FUN-MAZA-MASTI

 घर का बिजनिस -17

 अब मैं उठा और अपने लण्ड को पायल के मुँह में घुसा दिया जिसे वो चूसने लगी। तो बापू ने भी अपने लण्ड को पायल की गाण्ड में आहिस्ता से अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।
बापू का लण्ड जैसे ही पायल की गाण्ड में हिलाने लगा तो पायल ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में से निकाल दिया और बोली- “बापू, आहिस्ता प्लीज़्ज़… आप ने बड़ा दर्द दिया है मुझे आअह्ह…”

तभी बापू ने कहा- बेटी, अब नहीं डरो। अब दर्द नहीं होगा। मैं अपनी बेटी को आराम से ही चोदूंगा और लण्ड को अंदर-बाहर करना जारी रखा। क्योंकि बापू का लण्ड पायल की गाण्ड में पूरा फँसा हुआ था जिसकी वजह से बापू को भी थोड़ा परेशानी हो रही थी। लेकिन बापू आराम-आराम से पायल की गाण्ड को खोलते रहे।

पायल अब मेरे लण्ड को नहीं चूस रही थी क्योंकि उसका सारा ध्यान बापू के लण्ड की तरफ ही लगा हुआ था जो कि अब पायल की गाण्ड में आराम से अंदर-बाहर हो रहा था। क्योंकि पायल की गाण्ड ने बापू के लण्ड को अपने अंदर जगह दे दी थी जिससे बापू को पायल की गाण्ड में आसानी हो गई थी।

अब पायल भी बापू का साथ अपनी गाण्ड को बापू के लण्ड की तरफ दबा के दे रही थी और साथ ही- “आअह्ह… बापू जी… अब अच्छा लग रहा है… उन्म्मह… बापू अभी थोड़ा से तेज करो प्लीज़्ज़… आह्ह… बस बापू… इससे ज्यादा नहीं… उन्म्मह… हाँ अब ठीक है…” की आवाज भी कर रही थी.

पायल की बापू के साथ ये गाण्ड चुदाई इतनी जबरदस्त थी कि मैं पायल के हाथ में लण्ड को पकड़कर हिलाने से ही फारिग़ हो गया और बगल में लेटकर बापू की चुदाई देखने लगा। मुझे लग रहा था कि अब बापू भी अपने अंत पे हैं क्योंकि उनके मुँह से भी अब- “आअह्ह… बेटी, क्या गाण्ड है तेरी… मजा आ गया बेटी… ऊओ… बेटी मैं तो दीवाना हो गया हूँ तेरी गाण्ड का…”

क्योंकि बापू अब झटके भी जरा जोर-जोर से लगा रहे थे जिसकी वजह से पायल के मुँह से- “आअह्ह… बापू जरा आराम से करो प्लीज़्ज़… बापू, आप बहुत अच्छे हो उन्म्मह…” की आवाज करने लगी और साथ ही अपना एक हाथ अपने नीचे घुसाकर अपनी फुद्दी को भी मसल रही थी जिससे पायल भी फारिग़ होने वाली थी।

तभी बापू ने- “आअह्ह… पायल बेटी, मैं गया ऊओ… बेटी, अपने बापू का पानी अपनी गाण्ड में ही ले लो बेटी…” की आवाज के साथ ही बापू पायल के ऊपर ही गिर पड़े और अपनी आँखों को बंद करके लंबी सांसें लेने लगे। बापू के पायल की गाण्ड मारने के बाद मैंने पायल के साथ कुछ भी नहीं किया क्योंकि अभी हमें जाना भी था। फिर पायल उठकर वहाँ से अजीब सी चाल चलते हुये बाथरूम में घुस गई तो बापू भी बाहर वाले वाश-रूम में चले गये और नहाकर वापिस आए।

तभी पायल भी आ गई थी नहाकर।

तो बापू ने कहा- “चलो भाई तैयार हो जाओ अभी हमने जाना है, नया घर में शिफ्ट भी करना है…” बापू की बात सुनकर पायल खुश हो गई और जल्दी से तैयार होकर आ गई।

फिर हम वहाँ से निकल पड़े और अपने पुराने घर आ गये। जहाँ अम्मी, दीदी, ऋतु और बुआ सामान को पैक करने के बाद हमारा इंतेजार कर रही थीं। फिर बापू ने किसी को फोन किया तो कुछ ही देर के बाद एक मिनी ट्रक आ गया और उसके साथ 3-4 मजदूर भी थे, जिन्होंने हमारा सामान ट्रक में लोड किया और हम वहाँ से नये घर की तरफ रवाना हो गये, जो कि एक पाश एरिया में था और वहाँ जरूरत की हर चीज पहले से ही मोजूद थी। इसलिए पुराने घर से लाया गया तकरीबन सारा सामान स्टोर में रखवा दिया गया और उसके बाद सबने अपने लिए रूम पसंद कर लिया और रूम में घुस गये।

फिर बापू ने हम सबको अपने पास बुला लिया और बोले- देखो भाई, अब बात ऐसी है कि हमें फ्लैट की जरूरत नहीं है। क्योंकि यहाँ हमारे पास एक एलहदा से गेस्टरूम हैं जो कि घर से अलहदा हैं और वहाँ हम अपना काम चला लिया करेंगे। क्या ख्याल है तुम लोगों का?

पायल- “लेकिन बापू, इस तरह ऋतु को भी पता चल जायेगा हमारे काम का…”

अम्मी- तो अच्छा है ना… वो भी इस काम में आ जाएगी और जितनी उम्र है उसकी, पैसे भी अच्छे कमा लिया करेगी।

बुआ- भाभी, बात तो आपने सही की है कि अब ऋतु को हमारे साथ आ ही जाना चाहिए। क्योंकि इस तरह कोई बात छुपानी नहीं पड़ेगी।

बापू- क्यों आलोक, तुम्हारा क्या ख्याल है?

मैं- मेरा क्या है बापू? जब आप लोग भी ये ही चाहते हो तो मुझसे क्यों पूछ रहे हो?

अम्मी- नहीं बेटा तुम्हारी बात भी जरूरी है, जो बात दिल में है वो बताओ।

मैं- देखो अम्मी, जब हम कंजर बन ही चुके हैं तो क्या फरक पड़ता है कि हम किसको चुदवा रहे हैं? और किससे? और खुद किसकी चुदाई कर रहे हैं?

मेरी बात सुनकर सब खामोश हो गये और कोई कुछ नहीं बोला। क्योंकि बात जो भी थी सच ही थी। फिर हम लोग वहाँ से उठे और अपने-अपने रूम में आ गये और आराम करने लगे। इसी भाग दौड़ में रात के खाने का टाइम हो गया और पता ही नहीं चला।

बुआ मेरे रूम में आ गई और बोली- अरे आलोक, अभी तक लेटे हुये हो? खाना नहीं खाओगे क्या?


 मैं बुआ की बात सुनकर चौंक गया और टाइम देखा तो रात के 8:00 बज चुके थे। मैं जल्दी से उठा और फ्रेश होकर खाना खाने की टेबल पे आ गया और अम्मी और बुआ किचेन से खाना लाकर रखने लगीं।

तभी अरविंद साहब भी आ गये और आते ही बोले- अहाआ… लगता है कि मैं सही टाइम पे आ गया हूँ क्योंकि बड़ी भूख लग रही है और एक कुर्सी खींचकर दीदी की बगल में ही बैठ गये और दीदी को अपनी तरफ खींचकर एक किस भी कर दी, जिसे ऋतु ने बड़ी अजीब नजरों से देखा और फिर हमारी तरफ देखा। लेकिन जब ऋतु ने देखा कि हम सब नार्मल हैं तो वो भी खामोश हो गई और खाना निकालकर खाने लगी लेकिन उसका ध्यान खाने में कम लेकिन दीदी और अरविंद के बीच होने वाली छेड़-छाड़ में ज्यादा लगा हुआ था।

खाना खाने के बाद हम सब टीवी देखने बैठ गये तो अरविंद साहब ने मेरी तरफ देखा और कहा- यार हमारी दिलवर जानी भी ले आओ इस तरह क्या खाक मजा आएगा?

मैं अरविंद की बात का मतलब समझ गया और पायल की तरफ देखकर बोला- “जाओ बापू के रूम में से एक बोतल निकाल लाओ और साथ में गिलास और बर्फ भी ले आना…”

पायल उठकर चली गई तो ऋतु बड़ी अजीब नजरों से मेरी तरफ देखने लगी, लेकिन बोली कुछ नहीं क्योंकि वो काफी देर से यहाँ घर में जो देख रही थी उसकी समझ में नहीं आ रहा था।

पायल बापू के रूम में से शराब की बोतल निकाल लाई और उसे अरविंद के सामने रखकर किचन की तरफ चल पड़ी तो बुआ जो कि किचेन से ही आ रही थी उसके हाथ में बाकी सामान देखकर फिर से बैठ गई और बुआ ने बाकी सामान भी उनके सामने रख दिया और अरविंद ने दो गिलास में पेग बना लिए और एक दीदी को पकड़ा दिया और दूसरा खुद उठा लिया और पीने लगा।

दीदी को इस तरह सब घर वालों के सामने एक गैर-मर्द के साथ इस तरह चिपक के बैठने और किस करने के बाद अब शराब पीता देखकर ऋतु की आँखें हैरत के मारे फटने के करीब थीं कि वो एक झटके से उठी और अपने रूम की तरफ भाग गई।

ऋतु के वहाँ से जाते ही अम्मी ने और बुआ ने हल्का सा मुश्कुराकर मेरी तरफ देखा और ऋतु की तरफ इशारा कर दिया और पुछा- सुनाओ कैसी रही?

ऋतु के जाने के कुछ ही देर के बाद अरविंद साहब भी दीदी को लेकर उसके रूम में चले गये। तो अम्मी ने कहा- क्यों आलोक, कुछ परेशान हो कोई बात है तो बताओ मुझे।

मैंने अम्मी की तरफ देखा और कहा- अम्मी आप लोग ऋतु को अपने साथ शामिल करने के लिए जो कुछ कर रहे हो, क्या वो सही है?

अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- देखो बेटा, ऐसा है कि तुम अभी जाओ अपने रूम में इस पे हम बात करेंगे। लेकिन अभी नहीं ठीक है।

.
कहानी जारी है.






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