Thursday, October 29, 2015

FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..36

FUN-MAZA-MASTI

 ठरकी की लाइफ में ..36



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अब आगे
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ऑफीस जाते हुए भी उसका दिमाग़ उन्ही बातो में उलझा हुआ था....लेकिन जब ऑफीस पहुँचा तो उसने सभी विचारों को झटक दिया...वो अपने ऑफीस की दिनचर्या इन बातो में खराब नही करना चाहता था...वैसे भी ऑफीस पहुँचकर उसे रचना के एक्सप्रेशन्स भी देखने थे...

वो उसमे आए फ़र्क को देखना चाहता था.

और वो फ़र्क उसे दिख भी गया.

ऑफीस पहुँचने के करीब 10 मिनट बाद जैसे ही अजय की नज़रें रचना से टकराई, उसने धीरे से मुस्कुरा कर उसे हैल्लो बोला...उसके चेहरे की लाली देखते ही बनती थी..आज वो और दिनों से ज़्यादा चमक रही थी...वाइट कलर की शर्ट और टाइट सी ब्लैक स्कर्ट में उसके बदन का हर कटाव नज़र आ रहा था..



अजय भी मुस्कुरा दिया और उसकी बगल से गुज़रता हुआ अपने केबिन में आकर बैठ गया...उसके बदन से आ रही सेक्सी परफ्युम की महक उसे पागल सा कर रही थी..

वो उसके विचारों में खोया ही हुआ था की उसका फ्रेंड अनिल उसके पास आया...अनिल को देखते ही अजय ने रहस्यमयी मुस्कान से उसका स्वागत किया...अजय के मन में रात वाली चुदाई की बातें घूम गयी जब वो उसके घर जाकर उसकी बीबी को चोद आया था..

अनिल : "क्या बात है मेरे चीते....ऐसे मंद-2 मुस्कुरा रहा है...रचना से बातचित हो गयी क्या...''

अजय : "हाँ ...रचना से भी और....''

वो कहना तो चाहता था की रचना से भी और तेरी बीबी से भी...पर बोला नही.

अनिल : "और क्या ??''

अजय : "और ये की इस मुर्गी ने मेरा दाना चग लिया है....और जल्द ही मेरे साथ होगी...''

अजय ने अपना लंड मसलते हुए कहा..

अनिल (हैरान होते हुए) : "ओह्ह्ह तेरी .....क्या बात है...इतना फास्ट हो गया है तू शादी के बाद....सही है बॉस.....बस ....मेरा भी ध्यान रखना ...जब भी ये मिले तो अपने इस दोस्त को ना भूल जइयो....'' अनिल ने आँख मारते हुए कहा...

अजय ने भी हंसकर उसे हाँ कर दी ...वैसे भी ऐसे बोलने में भला उसका क्या जा रहा था...अजय को तो उसके मेलजोल के थ्रू अंजलि भाभी की चुदाई जारी रखनी थी बस...

वो बात कर ही रहे थे की रचना अजय के केबिन में दाखिल हुई....वैसे तो वो दूसरे डिपार्टमेंट में थी और आज तक उसे अजय से कोई काम भी नही पड़ा था इसलिए उसके पास आते हुए वो भी थोड़ा बहुत घबरा रही थी..

अजय तो उसे वहां देखकर उसे ताकता ही रह गया...और अनिल भी...

अनिल को जैसे कुछ एहसास हुआ और वो बोला : "ओके अजय....तुम काम करो..मैं बाद में मिलता हूँ ...''

और उसे आँख मारकर वो रचना को हैलो बोलता हुआ बाहर निकल गया.

अजय ने देखा की रचना उसके सामने खड़ी होकर कुछ ज़्यादा ही सकुचा रही थी.

अजय : "हाय रचना....आओ बैठो....इस तरह से क्यो परेशान हो...कोई प्राब्लम है क्या..''

रचना : "वो....नही सर ...ऐसा कुछ नही....बस...वो कल रात ....''

अजय समझ गया की उसकी कल रात की हरकत की वजह से वो रात भर सो नही पाई है और उसी बारे में बात करने के लिए वो वहां आई है,

अजय के हिसाब से अब यहाँ सिर्फ दो ही बातें हो सकती थी

पहली ये की वो उसके प्रति पूरी तरह से से आकर्षित हो चुकी है

और दूसरी ये की उसे ये सब पसंद नहीं आया और इन सबसे दूर होने की बात सोचकर ही वो ऐसा बिहेव कर रही है..वैसे दूसरी बात का होना थोड़ा मुश्किल था...लेकिन होने को कुछ भी हो सकता था..

रचना : "वो सर ...मैं बस आपको कल रात के लिए थेंक्स बोलना चाह रही थी...''

अजय उसके भोले से चेहरे को देखकर मंद-2 मुस्कुरा उठा...क्योंकि उसकी पहली बात सच हो चुकी थी..

अजय : "अरे ...वो तो तुम कल रात ही बोल चुकी हो...याद है ना...तुम्हारे मॉम-डेड जब अंदर चले गये थे...और तुमने मुझे उस अंधेरी सी गली में थेंक्स बोला था...''

अजय उसे कल रात की टचिंग और वो छोटा सा चुंबन याद दिला रहा था...और शायद रचना को उसकी बात समझ आ गयी..क्योंकि अजय की बात सुनकर उसने शरमाते हुए अपनी नज़रें झुका ली..और कुछ बोली नही..

अजय : "अब अगर तुम सही ढंग से थेंक्स बोलना ही चाहती हो तो मुझे कोई प्राब्लम नही है...पर यहाँ ऑफीस में थोड़ा अजीब लगेगा...है ना...''

रचना ने अपनी चंचल आँखे उपर उठाई और बोली : "सर आप देखने में इतने शरारती नही हो....जितने असल मे हो...''

अजय भी जवाब मे धीरे से मुस्कुरा दिया : "आई नो....मेरे सभी दोस्त भी यही बोलते है....और वैसे भी तुमने मेरी असली वाली शरारते अभी देखी कहाँ है...उन्हे देखकर शायद तुम मुझसे डरकर भागने लगो....''

रचना भी उसके रंग में रंगकर उसका साथ देने लगी, और बोली : "डरना तो मैने आज तक किसी से सीखा ही नही...और वैसे भी शरारतें हमेशा मस्ती भरी होती है, जिसमें किसी का भी नुकसान नही होता बल्कि मज़ा ही आता है...''

अजय (उसके बूब्स को घूरते हुए) : "लगता है तुम इस तरह के काफ़ी मज़े ले चुकी हो...''

रचना : "लिए तो नही है...पर अब मन करने लगा है....कल रात से...''

दोनो एक दूसरे की आँखो में आँखे डाल कर ऐसे बाते कर रहे थे जैसे ऑफीस में नही बल्कि किसी लवर पॉइंट पर बैठे हो....अजय ने हाथ आगे करते हुए अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया तो वो काँप सी गयी...अजय उसके शरीर को छूकर देखना चाह रहा था की वो क्या फील करती है...और जैसा उसने सोचा था ठीक वैसा ही हुआ...उसके रोँये तक खड़े हो गये...जिन्हे अजय सॉफ-2 देख पा रा था...और शायद अंदर के रोँये भी खड़े हो चुके थे उसके...जिन्हे वो बस महसूस कर पाया...देख नही पाया..

अजय : "मेरे साथ फ्रेंडशिप करोगी तो ऐसे बहुत से एक्सपीरियेन्स करवा दूँगा जिन्हे तुम आज तक बस सोच ही सकी हो....''

रचना ने कुछ नही कहा ...बस अपना दोस्ती भरा हाथ आगे करके मुस्कुरा दी..

उसके नर्म हाथ को सहलाते हुए अजय को अब सिर्फ़ एक ही फ़िक्र सता रही थी की ऐसी उम्र में वो कहीं उसके सच्चे प्यार के चक्कर में ना पड़ जाए...क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था की अगर वो उसके साथ मज़े लेने पर आया तो बात काफ़ी आगे तक बड़ जाएगी...और ऐसे में कही वो उसके साथ शादी के सपने ना देखने लग जाए...वैसे तो उसमे कोई बुराई नही थी...देखने में काफ़ी सेक्सी थी..बल्कि प्राची से भी ज़्यादा अच्छी लग रही थी वो उसे...लेकिन शादी तो वो ऑलरेडी कर ही चुका था...और ऑफीस में भी सभी को पता था की वो शादी शुदा है...ऐसे में अगर बीच में जाकर रचना को उसके शादीशुदा होने के बारे में पता चल गया तो उसका खेल तो अधूरा ही रह जाएगा...और उसकी नजरों में वो झूठा कहलायेगा सो अलग , वैसे भी अभी तक दोनो के बीच ऐसी कोई भी बात नही हुई थी जिसमे अजय ने खुद को शादीशुदा बताया हो....और जिस तरह से वो उसके साथ बिहेव कर रही थी,साफ़ पता चल रहा था की वो उसकी तरफ बुरी तरह से अट्रैक्टेड है , उसकी नज़रों में प्यार की झलक साफ़ देखी जा सकती थी.

इसलिए अजय ने सीधा और सच्चा रास्ता ही अपनाना सही समझा...और बोला : "लेकिन इस दोस्ती से पहले मैं तुम्हे एक बात क्लियर करना चाहता हू...''

रचना : "यही ना की तुम शादीशुदा हो....''

उसकी ये बात सुनते ही अजय की आँखे फैल गयी....उसे तो पहले से ही पता था..

अजय : "यानी...तुम्हे पता था की मैं ....''

रचना : "यस मिसटर अजय.....मुझे तो ऑफीस ज्वाइन करने के 5 दिन बाद ही पता चल गया था की आप शादीशुदा हो...मैने अपने डिपार्टमेंट में काम करने वाली रोज़ी से पता करवा लिया था...''

अजय : "ओहो......''


 और फिर कुछ देर चुप रहकर वो एकदम से बोला : "लेकिन तुमने रोज़ी से स्पेशली ये क्यो पूछा....यानी तुम...शुरू से ही....मुझे....''

वो जान बूझकर पूरी बात नही बोल रहा था...और रचना के चेहरे का एक्सप्रेशन देख रहा था..

रचना शर्मा सी गयी...जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो....वो धीरे से बोली : "अब पूरे ऑफीस में सिर्फ़ आप ही इतने हेंडसोमे हो...मेरी टक्कर के....इसलिए....''

इतना कहकर वो मुस्कुरा दी...अजय के साथ साथ उसने बड़ी चालाकी से अपनी भी तारीफ कर ली थी

वैसे सही कहा था उसने....उसके पूरे ऑफीस में ना तो कोई ढंग की लड़की थी और ना ही उसके जैसा स्मार्ट लड़का...रचना के आने के बाद ऑफीस में रोनक सी आ गयी थी...हर कोई उसे घूरकर देखता रहता था...पर लड़कियो को भी हर किसी की नज़रें पसंद नही आती...उन्हे भी स्मार्ट और गुड लुकिंग मर्द पसंद आते है..और ऑफीस में ऐसा मर्द सिर्फ़ अजय ही है..और शायद इसलिए उसने अजय के बारे में ये सब जानकारी निकलवाई होगी...

पर उसकी बातों से ऐसा लग नही रहा था की अजय के शादीशुदा होने से उसे कोई आपत्ति है..

फिर भी अजय ने कन्फर्म करने के लिए पूछ ही लिया

अजय : "यानी...तुम्हे हमारी इस दोस्ती के बीच मेरी शादी कोई रुकावट नही लग रही ....''

रचना : "नही...बिल्कुल नही....इनफॅक्ट मुझे तो ये फ्रेंडशिप ऐसे लग रही है जैसे फ्रेंड्स विद् बेनेफिट...''

अजय भी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया...

सही कहा था उसने, दोनों को ही इस फ्रेंडशिप से अपने-२ हिस्से के बेनिफिट चाहिए थे, अजय को कुंवारी चूत और रचना को पहली चुदाई का एहसास

यानी लोंड़िया पूरी तरह से हर तरह का एक्सपीरियेन्स लेने के लिए तैयार थी...लेकिन वो ऐसा किस हद तक करना चाहती है..और क्यों करना चाहती है...ये सब पूछने के लिए अजय ने शाम का इंतजार करना उचित समझा...उसे वापिस घर ड्रॉप करते हुए वो बाकी की बातें क्लियर कर लेना चाहता था..

अजय ने उसे शाम को ड्रॉप करने की बात कही जो उसने मुस्कुराते हुए मान ली...और ये भी कहा की और भी बहुत सी बाते है जो घर जाते हुए करनी है...अभी ऑफीस का काम कर लेते है..

उसने अजय की बात मान ली और उसे बाय बोलकर अपनी डेस्क पर चली गयी....

अजय का सीना और लॅंड दोनो फूल कर कुप्पा हो गये...एक और लड़की की चूत की खुश्बू उसे आ चुकी थी अब...






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Saturday, October 24, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--22

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बहकती बहू--22


टावर मे पहला कदम रखते ही मदनलाल ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया ! उसके बाद मदनलाल ने कमरे की लाइट जला दी , कामया ने ससुर को देखा तो स्तब्ध रह गई मदनलाल पूरी तरह नंगा खड़ा था और अपने औजार को मसल रहा था !
अब आगे - - -
मदनलाल के फुफ्कार मारते कोबरा को देखकर ही कामया मदहोश होने लगी ! वो आते समय सोच रही थी क़ि बाबूजी को समझा बुझा कर वापसा लौट आउन्गि किंतु मदनलाल का औजार आँख के सामने आते ही उसकी सब समझ हवा हो गई !
वैसे तो बहू बहुत सभ्य और संस्कारी थी किंतु मदनलाल के हथियार को देख कर उसकी सारी समझ और सयानपन गायब हो जाता था ! वो सोचने लगी कितना ज़मीन आसमान का अंतर है सुनील और बाबूजीके अंगों मे ! कहाँ सुनील का पिद्दी सा खिलोना और कहाँ बाबूजी का फौलादी हथियार !उधर बाबूजी के घस्से मारने के कारण सारा खून शिश्ण् मुण्ड मे जमा हो गया था जिससे वो बिल्कुल लाल टमाटर जैसा दिख रहा था ! कामया अपलक बाबूजी के अंग को सम्मोहित सी देखे जा रही थी क़ि तभी मदनलाल ने उसे खींच कर अपनी बाहों मे भर लिया ! अगले ही पल कामया के रसीले होंठ मदनलाल के प्यासे होंठों मे थे और मदनलाल का एक हाथ कामया के चुचे पर था ! वो दोनो बरसों के प्यासे प्रेमियों की तरह एक दूसरे से लिपट गये !मदनलाल कभी एक चुचि दबाता कभी दूसरी चुचि दबाता ,कभी बहू की विशाल चौड़ी गांद सहलाता तो कभी उसकी मांसल चिकनी जांघों को सहलाता ! उसे दो हाथ कम पड़ रहे थे !कामया पर भी अब पूरा खुमार चॅड गया था ! उसका पूरा बदन तपने लगा ,नाक से गरम साँसे निकल रही थी और मुँह से मादक कराहें निकल रही थी जब वासना सीमा से आगे बॅड गई तो उसने अपना हाथ नीचे किया और ससुर के कोबरा का फन पकड़ लिया !अब सिसकने की बारी मदनलाल की थी कामया पूरी ताक़त से कोबरा का गला घोटने लगी और ससुर साहब केवल मुँह खोले रहे गये ! पूरे कमरे मे वासना का तूफान आ चुका था ! जब माहौल संभालना मदनलाल के लिए असंभव हो गया तो उसने कामया को नंगी करने की सोची !
मदनलाल ने धीरे से बहू की मेक्शी उतार दी अंदर से तो वो पहले से ही नंगी थी ! बहू का कोमल ,मलाई सा बदन का स्पर्श पाते ही ससुर बावरा सा हो गया वैसे भी आज तीन दिन बाद बहू के साथ एकांत वास मिला था !मदनलाल बुरी तरह उसकी नाज़ुक काया का मर्दन करने लगा खास कर बहू के नितंबों पर तो वो एकदम जालिम हो जाता ! कामया की कंचन काया से खेलते खेलते अचानक उसने उसकी तर्जनी उंगली को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगा !कुछ देर तक तो कामया को कुछ समझ नही आया किंतु फिर उसे समझ आया क़ि ससुर शायद उसे ब्लो जॉब करने का इशारा कर रहे हैं !ये ध्यान आते ही वो बाबूजी के नंगे मगर कठोर जिस्म का सहारा लेती हुई घुटनो के बल बैठ गई और झट से लॅंड को मुँह मे भर लिया !सूपड़ा बहू के गर्म मुँह मे जाते ही ससुर भी बेसूध होने लगा कामया एक एक्सपर्ट की तरह लॅंड को चूसने लगी !पूरे टावर मे केवल मदनलाल की आहें सुनाई दे रही थी थोड़ी देर तक ससुर बर्दास्त करता रहा फिर उसने उठाकर बहू को वहीं पर लेटा दिया और 69 पोज़िशन बना ली !



अब मुकाबला बराबरी का था ! दोनो एक दूसरे के प्राइवेट अंगों से खेलने लगे दोनो ही एक दूसरे को अधिक से अधिक खुशी देने के लिए जी जान लगा रहे थे ! ठरक जब बॅड गई तो कामया को चूसना छोड़ना पड़ा क्योंकि बाबूजी अब खुद उसके मुँह को चोद रहे थे ! कामया चुपचाप लेटी हुई अपने दोनो तरफ से आनंद बटोर रही थी !उत्तेजना ,वासना और रोमांच मे मदनलाल ये भी भूल गया क़ि वो बहू का मुँह चोद रहा है और उसने बेख़बरी मे बहू के मुँह मे ही सारा माल गिरा दिया ! स्खलन के समय उसने अपना लंबा औजार गहराई तक बहू के गले मे उतार दिया जिससे कामया को भी सारा माल पीना पड़ गया !कुछ देर बाद जब दोनो का खुमार उतरा तो दोनो अलग अलग हुए बहू ने मेक्शी पहनते हुए कहा --
कामया :::: बाबूजी आप बहुत गंदे हो ! आपने हमारी कसम तुड़वा दी ?
मदनलाल ::: क्यों ऐसा क्या किया हमने ?
कामया ::: हमने तय किया था क़ि जब तक आपसे हमारा गर्भ नही ठहर जाता हम आपका पानी नही पिएँगे मगर अपने ज़बरदस्ती पिला दिया !! आप बहुत गंदे हो हम आपसे गुस्सा हैं !! बहू को यों इतलाते देख मदनलाल ने उसका क्यूट चेहरा अपने हाथों मे लिया और बोला -
मदनलाल ::: पगली तू चिंता क्यों करती है ? तू तो कबका पेट से हो गई होगी ! हम एक महीने से मेहनत कर रहे हैं अब काहे चिंता करती है ! अभी कुछ ही दिन मे तू हमे खबर देगी की बाबूजी आप बाप बनने वाले हैं ! बाबूजी के मुख से बाप बनने की बात सुनकर कामया ने शर्म से अपना चेहरा छिपा लिया फिर कुछ देर बाद धीरे से बोली -
कामया ::: आप बाप नही दादा बनेगें ! दुनिया के सामने जो सच है वही रिश्ता रखना पड़ेगा समझे बुद्धू कहीं के
अब दोनो ने एक दूसरे की तरफ चेहरा कर लिया और एक दूसरे को चूमने लगे ! काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे तब कहीं अचानक कामया को ध्यान आया क़ि वो टावर मे है और नीचे सुनील सो रहा है ! उसने जल्दी से अपने को छुड़ाया और कपड़े पहन कर जाने लगी !मदनलाल ने रोकते हुए कहा - -
मदनलाल ::: प्लीज़ थोड़ा और रूको ना !
कामया ::: नो नो एक मिनिट भी नही !नीचे आपके साहबजादे कहीं उठ गये तो ? आपको ठंडा तो कर दिया ना बस अब चुपचाप जाके सो जाइए !
दूसरे दिन सुनील दिन भर घर पर ही रहा जिससे ससुर बहू एक दूसरे का साथ पाने के लिए तरसते रहे तीसरे दिन भी सुनील घर पर ही रहा तो दोनो बहुत परेशान हो गये ! रात को चारों डिनर कर रहे थे की तभी शांति बोली - -
शांति ::: सुनील बेटा तुम्हे तो परसों जाना हैं ना ?
सुनील :: हाँ मम्मी कोई काम है क्या ?
शांति ::: बेटा मैं सोच रही हूँ कल तेरी मौसी के वहाँ हो आते हैं ! वो कई बार कह रही थी क़ि सुनील को तो शादी के बाद से देखा ही नही ! कभी यहाँ आई भी तो सुनील तो मुंबई मे ही रहा ! सुबह आठ बजे चले जाएँगे तो रात आठ बजे तक वापस आ जाएँगे ! क्यों ठीक है ना ??
सुनील :: ठीक है माजी
शांति की बातें सुन मदनलाल और कामया का दिल बल्लियों उछालने लगा दोनो कनखियों से एक दूसरे को देखने लगे और मुस्कराने लगे !
दूसरे दिन सुबह से ही ससुर बहू बहुत खुश दिख रहे थे ! आज वो दिन भर अकेले रहने वाले जो थे ! जब से सुनील आया था दोनो खुल के मिल ही नही पा रहे थे जब भी मिले क्विकि ही हो पा रहा था मदनलाल बिल्कुल भी फोरप्ले नही कर पा रहा था सो आज वो तस्सली से चुदाई के मूड मे था खुद कामया भी बहुत उत्सुकता से इंतज़ार कर रही थी ! आज उसने उठते ही बहुत ही सेक्सी साड़ी पहन ली थी जिसका बेक बहुत ही खुला हुआ था मदनलाल की नज़र सुबह से ही उसकी तराशी हुई बलखाती पीठ पर टिकी थी !



सुबह शांति और सुनील चले गये मदनलाल और कामया भी उन्हे बस मे बैठाने गये ! घर आते ही मदनलाल ने कमरा अंदर से बंद कर दिया ,कामया नहाने के लिए जा ही रही थी क़ि मदनलाल ने उसे पकड़ लिया --
कामया ::: छोड़िए ना पहले हमे नहाना है
मदनलाल ::: क्या करोगी नहा के अभी फिर गंदी हो जाओगी ?
कामया :::: धत कैसी बात करते हो ?
मदनलाल ने आव देखा ना ताव सीधे बहू को गोद मे उठा लिया और ले जाकर उसके बिस्तर मे पटक दिया ! धम्म से गिरी कामया के मुख से कराह निकल गई ! ससुर ने फ़ौरन अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और बहू कनखियों से उसे देखने लगी एक मिनिट मे ही मदनलाल अपने फ़ौजी बदन के साथ बिल्कुल नंगा कामया के साथ खड़ा था ! कामया ने शरम से मुख नीचे कर लिया !ये स्त्री का स्वाभाव ही है क़ि जिससे से चुदने जाती है उससे भी शरमाती रहती है ! अब मदनलाल ने बहू को पकड़ा और उसे भी अपने समान करने लगा ! कामया बस हल्का सा ना नुकुर ही करती रह गई और ससुर ने उसे बिल्कुल निर्वस्त्र कर दिया ! बहू के हाहकारी बदन को देख मदनलाल का लहू कुलाँचे भरने लगा ! वो उसके बुरे बदन को चूमने लगा !वैसे भी मदनलाल को कामया को चोदने से ज़्यादा आनंद उसके सेक्सी बदन के साथ चूमा चाटी करने मे आता था ! वो बारी बारी से बहू के मम्मे पीने लगा जबकि उसके हाथ बहू की उभरी गांद और उसकी गुदाज जांघों के सैर कर रहे थे ! फोर प्ले का असर बहू पर भी तुरंत पड़ने लगा उसके मुँह से मादक कराहें निकालने लगी वो बार बार अपनी जांघों को रगड़ने लगी !कई दिन बाद आज उसके बदन की सही मसाज हो रही थी वो भी ससुर की पीठ सहलाने लगी !जब मदनलाल ने उसकी चुत मे अपनी जीभ लगाई तो बहू का पूरा शरीर झनझना गया ! मदनलाल अब उसके बदन मे आग लगा रहा था ! बेड रूम मे अब बहू की सिसकारियाँ और सांसो का सैलाब आ गया था !वो अपना सिर इधर उधर पटकने लगी लेकिन जब उससे सहन करना मुश्किल हो गया तो शरमाते हुए बोली - -
कामया :::: बाबूजी प्लीज़ अब आ जाइए !!!
मदनलाल ::: आ जाइए मतलब ? हम तो यही हैं !! हालाकी वो समझ गया था क़ि बहू क्या कहना चाह रही है
कामया ::: आइ मीन कम ओवर मी ! आइ वांट टू फील यू इनसाइड मी
मदनलाल :::: ये का इंग्लीश बड़बड़ा रही हो हिन्दी मे बोलो ?
कामया ::: अरे यार प्लीज़ हमारे उपर आइए और अब करिए ना
मदनलाल ::: क्या करें ? बाबूजी की बातों से कामया झल्ला गई और ज़ोर से बोली
कामया ::: चोदिये अपनी बहू को और क्या करोगे !
मदनलाल ::: हाँ तो ऐसे बोलो ना जब बोलॉगी तभी ना करेंगे ! फिर मदनलाल उपर आ गया और बहू की टाँग मोड़ अपने मूसल को सुराख मे फिट कर अक करारा शॉट मार दिया ! पक्क की आवाज़ के साथ मूसल चुत को चीरता हुआ अंदर दाखिल हो गया ! पहले शॉट मे ही आधे से ज़्यादा घुस गया था बाकी का मदनलाल दो और धक्कों मे अंदर कर दिया! अब हथियार जड़ तक अंदर था और बहू मुँह भींचे उसे अड्जस्ट कर रही थी !


फिर मदनलाल ने दनादन बेटिंग चालू कर दी पूरे कमरे मे सेक्स का तूफान आ चुका था दस मिनिट की भीसन चुदाई के बाद मदनलाल ने बेटिंग बंद कर दी जितना रन लेना था वो ले चुका था इसी बीच कामया भी दो बार आउट हो चुकी थी !लगभग दो घंटे दोनो सोते रहे उसके बाद जब कामया उठ के नहाने के लिए जाने लगी तो मदनलाल ने उसका हाथ पकड़ लिया --
कामया ::: अब क्या है ?नहाने जाना है
मदनलाला :::: इतनी जल्दी क्या है आराम से जाना ? हमे भी तो नहाना है
कामया ::: मुझे खाना भी तो बनाना है आपके जैसे फ़ुर्सत मे नही हूँ
मदनलाल ::: जान आज तो हम भी फ़ुर्सत मे नही रहेंगे
कामया ::: क्यों आपको कहीं जाना है क्या ? बहू ने चौंकाते हुए पूछा
मदनलाल ::: जाना तो नही है लेकिन आज दिन भर तुम्हारे साथ मेहनत करनी है
ससुर की बात सुनकर बहू शर्मा गई और उसको जीभ दिखाकर भाग गई
नहा धो के कामया खाना बनाने लगी मगर पूरे समय ससुर उसे छेड़ता रहा और वो भी उसकी हरकतों से एक मिनिट भी शांत नही रह पाई ! सारे समय उसकी जांघों मे गंगा जमुना बहती रही और वो किसी तरह अपने को काबू मे रखे रही ! खाना खाने के बाद मदनलाल उसे गोद मे उठा कर सीधा बेडरूम मे ले गया ! पिछली चुदाई के बाद लगभग चार घंटे हो गये थे और उसका बाबूराव एक बार फिर टनटना गया था ! बेड मे पटकते ही उसने बहू की धुआँधार चुदाई शुरू कर दी एक बार फिर ""मदनलाल निकेतन"" अपनी सेक्सी बहू की कामुक ध्वनियों से गूँज उठा !


बहू गति के तीसरे नियम को सार्थक कर रही थी और बाबूजी के हर धक्के का जवाब उतनी ही ताक़त से विपरीत दिशा मे दे रही थी ! दस मिनिट बाद जब तूफान थमा तो दोनो निढाल हो कर बिस्तर मे सो गये ! दोनो लगभग चार घंटे तक एक दूसरे की बाहें थामे सोते रहे शाम के लगभग पाँच बजे होंगे जब शांति की कॉल से उनकी नींद टूटी !शांति ने बताया क़ि थोड़ी देर बाद वो चलने वाले हैं मतलब अभी लगभग तीन घंटे से उपर बचे थे ! नींद खुलने से मदनलाल को ऐसा लगा जैसे बाहर टॅप टॅप की अव्वाज़ आ रही है वो उठा और बरामदे मे जाकर देखा तो बारिस हो रही थी शाम का हल्का सा अंधेरा था !अंदर आके देखा तो कामया अभी भी नंगी ही पड़ी थी हालाकी उसकी नींद खुल चुकी थी ! अचानक मदनलाल के दिमाग़ मे एक आइडिया आ गया उसने बहू को गोद मे उठाया और सीधा बरामदे मे पहुँच गया ! पानी की बूंदे पड़ते ही कामया ने अपने को छुड़ाने का प्रयास किया लेकिन फ़ौजी की ताक़त के सामने सब बेअसर था ! आख़िर वो जब पूरेई तरह भीग गई तो उसने अपने आप विरोध छोड़ दिया !पानी की बूंदे बहू के मखमली जीश्म पर मोतियों सी चमक रही थी ! पानी मे भीगती बहू गजब की सुंदर और सेक्सी लग रही थी ! बारिस मे भीगती जवानी को भोगना बाबूजी का कई वरसो का सपना था ! उसे ऐसा लग रहा था मानो टॅप टॅप बरसा पानी पानी ने आग लगाई गाने की शूटिंग चल रही है !अपने नंगे भीगे बदन को घूरते देख कामया बोल पड़ी


कामया ::: बाबूजी आपने हमे भिगा दिया अब हमारे बाल नही सूखेंगे तो हम मम्मी को क्या जवाब देंगे ?
मदनलाल ::: अरे कह देना आज हमने शाम को नहाया बस ! आज हम अपना एक सपना पूरा करेंगे
कामया ::: कौन सा सपना बाबूजी ??
मदनलाल ::: बारिस मे भीगती लड़की को चोदने का ! अब हम तुम्हे यहीं बरसते पानी मे पटक के चोदेन्गे समझी !!!
कामया बाबूजी के मुख से पटक के चोदेन्गे सुन कर अवाक रह गई किंतु वो खुद इस अनुभव को पाने के लिए बेकरार हो गई !! मदनलाल ने बहू को बारिस मे ही नीचे लिटा दिया और उसके हसीन जीशम से खेलने लगा ! जब उसने बहू की टाँग चौड़ी की तो ससुर से पहले पानी की बूँद बहू के अंदर जाने लगी ! ठंडी ठंडी बूंदे अंदर जाकर बहू के शरीर मे आग लगा रही थी ! मदनलाल ने अपने को केँची आसान मे फिट किया फिर हल्का सा पुश कर दिया और अगले ही पल कामया के मुख से जोरदार सिसकारी निकल गई जो बारिस की आवाज़ मे कहीं खो गई !बारिश ल्यूब्रिकेशन का काम कर रही थी जिससे मदनलाल और तेज़ी से अपने को अंदर बाहर कर रहा था !खुले बरामदे मे ससुर बहू वासना मे खो गये थे वो तो अच्छा था क़ि आजू बाजू मे कोई लगा हुआ मकान नही था वरना ना जाने कौन कौन शूटिंग देख लेता ! मदनलाल करीब दस मिनिट तक बहू को पेलता रहा इस दरमियाँ उसने बहू को डोगी भी बनाया और आख़िर मे डोगी पोज़ मे ही बहू को भर दिया !
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भाभी की तकलीफ़  

हैलो दोस्तों.. मेरा नाम राज है और में कर्नाटक से हूँ। में फन मजा मस्तीका पाठक हूँ और में अपनी पहली कहानी आपको बताने जा रहा हूँ। में आशा करता हूँ कि आप सबको ये कहानी पसंद आयेगी। अब में सीधा अपनी कहानी पर आ जाता हूँ। ये स्टोरी मेरी और मेरी भाभी की है। उनका नाम शबाना है और उनकी उम्र 23 साल की है और मेरी उम्र 19 साल की है। मेरे घर में सिर्फ़ में भाभी और माँ रहते है। भाई दुबई में काम करते है और पापा भी हमेशा बेंगलोर में रहते है। तो भाभी की शादी के 4 महीने के बाद भैया दुबई चले गये.. तो उसके बाद में और भाभी बहुत अच्छे दोस्त बन गये। एक दिन मेरी माँ बाहर गई हुई थी.. तो में भाभी के रूम में गया.. भाभी सो रही थी। मैंने जाकर उनको उठाया.. तो वो बोली की क्या हुआ राज? में बोला की भाभी कहीं बाहर चलते है.. तो भाभी बोली कि नहीं में नहीं आ सकती। में बोला कि प्लीज.. तो वो नहीं मानी। फिर में अकेला ही बाहर चला गया.. लेकिन तुरंत ही वापस आ गया। में सीधा ही भाभी के रूम में गया.. तो भाभी रो रही थी। मैंने पूछा भाभी क्या हुआ क्यों रो रही हो?
भाभी कुछ नहीं ऐसे ही मन उदास है।
में प्लीज.. बोलो ना क्या हुआ?
भाभी तुमसे बोलने में अजीब लग रहा है।
में में कुछ नहीं बोलूँगा प्लीज.. बोलो।
भाभी मैंने आज नहाते वक़्त
में हाँ भाभी बोलो।
भाभी में नहाते वक़्त अपने नीचे के बाल साफ़ कर रही थी तो
में बोलो क्या हुआ? भाभी
भाभी वहां पर चोट लग गई.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
में बस इतनी सी बात.. में अभी डिटोल लगा देता हूँ।
भाभी नहीं उससे बहुत जलन होती है।
में नहीं भाभी, कुछ नहीं होगा.. मैंने बोला ना कि कुछ नहीं होगा।
भाभी अगर तुम्हारे भैया होते तो मेरा कितना ख्याल रखते.. में तो अब बिल्कुल अकेली हूँ।
में क्यों ऐसा बोल रही हो भाभी.. में हूँ ना आपका ख्याल रखने के लिये। में वहां डिटोल लगा दूँगा।
भाभी बहुत मासूम थी। वो दर्द से बहुत तड़प रही थी.. ये देखते हुये में तुरंत उनके नज़दीक गया और उनकी नाईटी को ऊपर किया.. तो वो शरमा रही थी.. लेकिन में बहुत अच्छे दिल से उनकी मदद कर रहा था.. तो जब में उनकी चोट तक पहुँच गया तो मैंने देखा की चोट ब्लेड लगने से नहीं आई थी.. बल्कि उन्होंने कुछ अपनी चूत के अंदर डाला था इसलिये वो चोट आई थी।
में भाभी आपने अपनी चूत में क्या डाला था?
भाभी – (रोते हुये बोली) सॉरी में आउट ऑफ कंट्रोल हो गई थी।
में लेकिन.. तुमने आख़िर डाला क्या इसमें?
भाभी मैंने टूथ ब्रश डाला।
में लेकिन क्यों भाभी? आप क्यों ऐसा करते हो? ये ग़लत है।
मेरी ये बात सुनते ही वो बहुत उदास हो गई और हल्की सी रोने लगी। मैंने थोड़ा डिटोल उनकी चूत पर लगाया और वहां से निकल गया.. तो दो दिन तक वो बहुत नाराज़ और उदास थी। में सोच रहा था कि भाभी की तकलीफ़ कैसे दूर की जाये.. फिर 3 हफ्ते के बाद मुझे कॉलेज से छुट्टी मिली.. तो में भाभी को उनके गावं लेकर जा रहा था.. उनका गावं 180 किलोमीटर की दूरी पर था.. तो में उनके साथ बस में बैठ गया। थोड़ी देर हमने बातें की और उसके बाद वो मेरे कंधे पर सर रखकर सो गई.. तो उनका हाथ मेरे लंड पर लगा.. फिर मेरा दिमाग़ खराब होने लगा। में बहुत सेक्सी मूड में आ गया.. तो मैंने भाभी की कमर में धीरे से हाथ डाला। वो बुरखे में थी तो हाथ बहुत फिसल रहा था। मैंने उनकी गांड पर धीरे से टच किया और धीरे से दूसरा हाथ बूब्स से टच किया.. तो उसी टाईम बस ने अचानक ब्रेक मारा तो मैंने घबराकर बूब्स प्रेस कर दिया और भाभी नींद से जाग गई।
भाभी क्या हुआ क्या कर रहे हो?
में भाभी वो बस अचानक रुक गई तो मेरा हाथ गलती से वहां चल गया.. सॉरी भाभी।
भाभी कोई बात नहीं।
लेकिन में उन्हे चोदना चाहता था। बस में भीड़ बहुत हो गई। उस वक़्त बारिश का मौसम था और रास्तें में एक संदूर गावं आता है.. वहां पर जंगल जैसा एक बहुत बड़ा पार्क है। मैंने भाभी से पूछा कि हम यहाँ उतरते है और थोड़ा पार्क देखकर गावं जाते है.. तो वो मान गई.. में तारा नगर बस स्टॉप पर उतर गया और ऑटो से पार्क गये और छुट्टियाँ होने के कारण वहां कोई नहीं था। थोड़ा दूर तक चलने के बाद पानी आया तो मैंने भाभी से पूछा कि हम नहाते है यहाँ कोई नहीं है.. तो भाभी बोली कि नहीं। मैंने कहा तुम्हें मेरी कसम.. तो वो मान गई। पहले उन्होंने अपना बुरखा उतार दिया.. फिर में बोला कि भाभी आप साड़ी भी उतार दो.. यहाँ कोई नहीं है। सिर्फ़ ब्रा पेंटी में हो जाओ ना प्लीज.. तो भाभी बोली में नहीं नहा सकती। फिर मेरे बोलने के बाद वो मान गई और अपने कपड़े निकालने लगी। मेरा तो दिमाग़ खराब हो गया.. में भी सिर्फ़ अंडरवेयर में आ गया.. तो हम पानी में चले गये।   
थोड़ी देर बाद में भाभी के नज़दीक गया और धीरे से उनके पीछे पीठ को टच किया.. मेरा लंड सीधा उनकी गांड पर टच हुआ वो बहुत डर गई और मुझे देखने के लिये पीछे पलटी.. तो में बोला भाभी आप बहुत सेक्सी हो में तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ.. तो वो अपनी आँखे बंद किये हुये कुछ नहीं बोल रही थी। में नज़दीक गया और उनके होठों पर किस किया और होंठो को चूसे जा रहा था.. तो भाभी ने मुझे गले से लगाया और किस करने लगी.. अभी भी हम पानी में ही थे। फिर में उन्हे गोद में ले कर थोड़ी झाड़ियाँ थी.. वहां ले कर गया और उनकी ब्रा को थोड़ी नीचे किया और बूब्स को किस करने लगा.. वो मौन कर रही थी। फिर में उनकी पूरी छाती को चाटने लगा वो भी बहुत गर्म हो गई। फिर मैंने धीरे से अपना हाथ चूत पर रखा.. तो वो उछल पड़ी और मैंने उनकी पेंटी उतार दी। मैंने उनकी चूत पर हल्का सा किस किया तो वो मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी.. में पूरे जोश में उनकी चूत चाट रहा था।
फिर में उठा और बैठ गया और मेरा 7 इंच का लंड बाहर निकाला.. तो भाभी ने उसे धीरे से टच किया और नज़दीक आने लगी। में बहुत तड़प रहा था.. वो धीरे से मेरे लंड को किस करने लगी। थोड़ी देर बाद में उठा और वहीं पर भाभी को लेटा दिया और चूत पर थूक लगाने लगा और उसने मेरे लंड पर थूक लगाया और धीरे से लंड चूत में डाला.. तो वो अंदर नहीं जा रहा था.. क्योंकि मेरा पहला सेक्स था.. तो मैंने फिर ट्राई किया। फिर लंड थोड़ा अंदर गया.. तो मैंने एक जोरदार धक्का मारा.. तो भाभी चिल्ला पड़ी और तड़पने लगी.. इस तरह में उनको जोर से चोदने लगा और 20 मिनट बाद बिना बोले उनकी चूत में अपना पानी छोड़ दिया.. तो वो बोली कि ये तुमने क्या किया? में तो अब प्रेग्नेंट हो जाउंगी। मुझे जल्दी मेडिकल ले जाओ.. वरना बहुत बड़ी प्रोब्लम हो ज़ायेगी.. तो मैंने जल्दी अपने कपड़े पहने और भाभी ने भी अपनी साड़ी पहनी। फिर हम पार्क से सीधा सिटी में गये और आई-पिल खरीदी और भाभी को खिलाई। उसके बाद हमने गावं जाकर बहुत मस्ती और खूब सेक्स किया ।।












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