Thursday, July 12, 2018

FUN-MAZA-MASTI बीबी का सरप्राइज==4

FUN-MAZA-MASTI

बीबी का सरप्राइज==4

मैं अब relax हो गया. मैं उसके boobs के साथ खेल रहा था. अब मैं उसके साथ अपने fantasy share कर सकता था.

मैं "रंजना, मेरी 1 wild fantasy है."

रंजना " तुम्हारी सारी wild है. अब क्या fantasy है"

मैं " मैं तुम्हारे साथ building के roof पर घूमना चाहता हूँ"

रंजना smile कर दी. " चलो"

हम दोनो door के पास आ गये. रंजना blouse नही पहनी . वो door खोल क्र जाने लगी.

मैं " तुम blouse नही पहनी"

रंजना " तुम ऐसे ही चाहते हो. right?"

मैं surprize हो गया. " तुम्हे कैसे पता? "

रंजना " मैने तुम्हारे सारे comments पढ़े है"

मैं " पर अगर stairs पर कोई देख लेगा"

रंजना " तुम जो decide करोगे वो मैं करूँगी"

हमारा flat third floor पर था . उसके बाद 4th floor और फिर roof.

मैं " तुम blouse पहन लो".

वो blouse पहने लगी. जब button लगाने लगी तो मैने रोक दिया. फिर वो पल्लू से cover की. net saree था. boobs दिख रहा था. तब मैं उसे केवल 1 button बंद करने के लिए बोला. रंजना ने उपर का 1 button बंद किया और पल्लू से cover कर ली.

मैं उसे देखे जा रहा था. blouse से boobs बाहर आ रहा था. net saree से दिख रहा था.

हम दोनो बाहर आ गये. हम stairs से roof पर जा रहे थे. मैं पीछे था. मैने देखा की रंजना भी excited थी. पीछे से पता नही चल रहा था की उसके blouse का केवल 1 button लगा हुआ था.

हम दोनो roof पर आ गये. मैने उसके blouse का button खोल दिया. उसके boobs बाहर आ गये. फिर हम घूमने लगे. मेरे हाथ उसके hips को सहला रहे थे. थोड़ी देर के बाद मैं उसे blouse उतरने को बोला. वो उतार कर हाथ में ले ली.

मैं बहुत खुश था. मेरी fantasy पूरी हो रही थी. मेरी wife roof पर topless थी.

रंजना " तुम खुश हो ना."

मैं " हाँ . "

मैं उसके पीछे आ गया और उसके दोनो boobs को पकड़ कर दबाने लगा. हम दोनो excited थे.

रंजना "तुम्हारी fantasy पूरी हो रही हैं "

मैं " पूरी तरह से नही . "

रंजना " और क्या "

मैं " तुम railing पकड़ी हो और तुम्हारे boobs बाहर है और तुम नीचे देख रही हो"

रंजना " पागल हो गये क्या. कोइ देख लेगा "

मैं " डर रही हो ? "

रंजना " अगर तुम्हे problem नही तो मैं करूँगी ".

मैं " हाँ . करो. "

रंजना railing के तरफ जाने लगी . मैने उसे रोका और उसके पल्लू को उसके boobs के बीच से निकल दिया. रंजना railing के पास गयी और नीचे देखने लगी . मैं बगल में आ गया. उसका केवल कंधे तक railing के उपर था.

मैं " ऐसे नही . boobs भी railing के उपर दिखना चाहिए

रंजना railing में झुकी. उसके boobs railing के उपर आ गये. थोड़ी और आगे आई. नीचे अगर कोई होता तो उसे रंजना के boobs दिख जाते. रंजना २-३ minutes ऐसे ही रही. मैं enjoy कर रहा था. फिर वो नीचे उतरने लगी. उसका balane बिगाड़ा तो दोनो हाथो से railing पकड़ ली.
मैने उसे संभाला. फिर वो नीचे उतार गयी.

रंजना " अब चले . कोई आ जाएगा"

मैं " हाँ . blouse पहन लो."

रंजना " blouse मेरे पास नही है. "

मैं " मेरे पास भी नही है"

हम दोनो ने search किया. blouse building के नीचे था. जब रंजना balance कर रही थी तब गिर गया. हम दोनो परेशान हो गये. अब नीचे कैसे जाए.

मैं " हम नीचे कैसे जाए "

रंजना " मेरे saree भी ऐसे नही की boobs cover हो जाए. blouse को भी लाना होगा."

मैं " मैं नीचे जा कर ले आता हूँ.

रंजना " नही . कोई आ गया तो मैं क्या करूँगी "

मैं " तब हम नीचे flat तक जाते है . तुम मेरे पीछे रहना. अगर कोई देखेगा तो भी boobs नही देखा पाएगा."

हम नीचे आने लगे. हम बहुत excited थे. मैं पीछे मूड़ कर देखा. रंजना बहुत sexy लग रही थी. हम अपने floor तक आ गये. बहुत excited थे.

हमे कोई मिला नही. जैसे ही अपने floor पर आए तो आपने flat मैं तेज़ी से चले गये.

flat का door बंद करने के बाद हम relax हुए. हम flat के अंदर थे पर ये adventure अच्छा लगा.

मैं " मैं blouse ले आता हूँ"

रंजना " मैं भी चलूंगी."

मैं surprize हो गया . मैं " कोई देख लेगा."

रंजना " हम lift से जाएँगे . अभी कोई आता नही."

मै " अगर कोई आ गया "

रंजना " ऐसे ही fun आता है "

मैं agree हो गया. मैं door खोल कर आया. lift का button press किया. lift खाली था. मैने रंजना को बुलाया. हम दोनो lift में आ गये. हम ground floor जा रहे थे. adventure feel हो रहा था. lift खुला . मैं बाहर आ कर देखा . कोई नही था. मैं तेज़ी से गया और उसका blouse ले लिया. तब तक वो lift मैं खड़ी थी. मैं जब आया तो देखा की उसका पल्लू उसके boobs के बीच से था. मैं रंजना को blouse दिया पर वो मना कर दी.

रंजना " अब कल ही पहूंगी"

हम lift से जाने लगे . रंजना ने पल्लू हटाया और उसे कमर से लपेट लिया. वो पूरी topless हो गयी. और फिर आपने लंबे hair को बाँध कर जूडा सा बना ली. को फिर lift रुका. मेरे बाहर आने के पहले ही वो बाहर आ गयी और flat तरफ़ जाने लगी . मैं पीछे से देख रहा था. मेरी बीवी केवल सारी पहनी थी. कमर के उपर नंगी थी और ऐसे walk कर रही थी जैसे घर पर हो.

मैं आया और door खोला. वो बाहर ही थी. मैं उसे देखा. वो smile की और फिर saree door पर उतार दी. saree को अंदर फेक दी. आब केवल petticoat में थी.

रंजना " मैं roof पर जा रही हूँ "

मैं surprize हो गया. वो stairs से जा रही थी. मैं पीछे से देख रहा था. उसके बड़े बड़े hips sexy लग रहे थे. मेरा cock tight हो गया था.

जब हम last stairs पर थे. तब वो बोली. रंजना " तुम मेरी fantasy जानना चाहते हो ना"

मैं " हाँ"

रंजना " मेरे साथ यान्हा sex करो" कह कर आपनी petticoat उठाई और दोनो हाथो को नीचे रखा और legs को spread कर दी.

मेरी बीवी surprize पर surprize दे रही थी. मैंने भी अपना cock निकाला और उसके pussy पर रखा और ज़ोर का धक्का दिया . उसकी pussy गरम थी. मेरा पूरा cock १ ही बार में चला गया. मैं धक्का दिए जा रहा था. जल्दी ही वो झड़ गयी. मैं भी थोड़ी देर में झड़ गया.

हम दोनों नीचे आ गये. जब हम door खोल रहे थे तभी lift का door खुला. हमारे neighbours बाहर आए . उन्होने रंजना को पीछे से देख लिया . वो shocked हो गये. रंजना को केवल petticoat में देख कर कुछ बोल नही पा रहे. तब तक हम दोनो अंदर आ गये.

मैने रंजना को देखा. वो relaax दी.

मैं " अनिल और उसकी बीवी ने हमे देख लिया"

रंजना " पीछे से देखा ना. relax कुछ नही हुआ"

हम दोनो बेड पर आ गये. मैं " तुम saree नही पहानोगी"

रंजना " नही. आज ऐसे ही रहूंगी"

मैं उसके boobs के साथ खेल रहा था. पर अनिल और उसकी बीवी कुसुम के बारे में सोच रहा था.

रंजना " dont worry. वो दोनो कुछ नही बोलेंगे"

मैं " क्यों?"

रंजना smile के साथ " मैने उन दोनो को roof पर sex करते देखा है"

मैं रंजना के boobs दबाते हुए सो गया. morning में जल्दी जग गया. रंजना सीधी सोई हुई थी. उसके boobs उसके सांस के साथ उपर नीचे हो रहे थे. petticoat उपर आ गया. मैं रंजना के boobs को touch किया. वो जागी नही. फिर हल्के हाथो से दबाया. नही जागी. फिर उसके boobs दबाने लगा. वो गहरी नींद में थी. फिर मैं petticoat को उपर करने लगा. उसका pussy दिखाने लगा. मैने हल्के से उसके pussy को touch किया. वो हल्के से moan की. मैं 1 हाथ से boobs को दबाने लगा और दूसरे हाथ से pussy सहलाने लगा. उसकी नींद नही टूटी पर वो हल्के से moan करने लगी जैसे वो 1 सपना देख रही है. सहलाते सहलते उसकी pussy wet हो गयी. फिर मैने उसके pussy में अपनी 1 finger डाल दी और finger आगे पीछे करने लगा. वो moan करते हुए उठी.

रंजना " aahhaa morning में start कर दिया "

वो उठने लगी. मैने उसे उठाने नही दिया. " लेटी रहो"


मैं उसके boobs दाब रहा था और finger से pussy fuck कर रहा था. फिर उसकी pussy को सहलाने लगा. उसकी pussy गरम हो गयी. उसकी moans तेज़ और loud हो गया. मैं उसका pussy को सहला रहा था और finger fuck कर रहा था.

सहलाते सहलते मैं रुक गया. "रंजना मेरी 1 fantasy और पूरी करो"

रंजना " aahhaa क्क्ययय्या"

मैं " मैं तुम्हे masturabate करतहुए देखना चाहता हूँ."

रंजना "तुम और तुम्हारी weird fantasy"

मैं " please करो ना"

रंजना अपने हाथ से अपना pussy सहलाने लगी . फिर दूसरे हाथ से अपने boobs को दबाने लगी . मैंने उसका petiicoat निकल दिया.

रंजना दोनो हाथो से boobs मसालने लगी. वो boobs मसल रही थे और moan कर रही थी. उसका face का expression बहुत sexy था. boobs मसालते मसालते वो आपने lips को teeth से काट रही थी और eyes बंद खोल रही थी. फिर वो pussy सहलाने लगी. सहलाते सहलते उसने pussy में १ finger डाल दी और finger उपर नीचे करने लगी.

मेरे से रहा नही गया . मेरा cock भी tight हो गया. मैने अपना short उतार दिया और cock को सहलाने लगा.

रंजना 1 हाथ से boobs मसल रही थी और दूसरे हाथ से pussy को finger कर रही थी. उसके देख कर मैने भी masturabate करना start कर दिया.

रंजना का face का expression और उसका moans मुझे पागल किए जा रहा था.

रंजना तेज़ी से pussy को finger fuck करने लगी. मैं भी अपने cock को हिला रहा था. फिर उसका body सीधा होने लगा. मैं समझ गया की वो cum होने वाली है. रंजना pussy को finger fuck कर रही थी और फिर १ loud maon के साथ cum की.

मैं भी तेज़ी से मूठ मार रहा था. तभी रंजना ने मेरा हाथ पकड़ लिया.

रंजना " मैं कर देती हूँ"

रंजना मेरा cock पकड़ ली और मूठ मारने लगी. मैने आपने दोनो हाथ पीछे के तरफ रख दिया. रंजना अब मूठ मार रही थी.

रंजना तेज़ी से मूठ मार रही थी. मेरे मुँह से aahhaa निकल रहा था. फिर उसके मूठ मारते मारते मैं cum होने लगा. वो मूठ मारे जा रही थी. जब मैं cum हो गया तो मैने देखा. मेरा सारा cum उसके body पर था. वो smile कर रही थी.

रंजना " happy."

मैं " हाँ."

रंजना " मैने college के बाद आज masturabate की"

मैं मुस्कुरा दिया. "रंजना तुम जब masturabate रही थी तो तुम अलग दी लग रही थी."

रंजना "अलग क्या?"

मैं "तुम 1 slut लग रही थी"

मैं ये बोल कर उसका reaction देखने लगा. वो फिर भी smile की.

रंजना " तुम 1 slut wife ही चाहते हो. तुम्हे खुश होना चाहिए "

मैं " हाँ. मैं बहुत खुश हूँ"

end












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FUN-MAZA-MASTI बीबी का सरप्राइज==3

FUN-MAZA-MASTI

बीबी का सरप्राइज==3

मैं रंजना के boobs के साथ खेलते हुए सो गया. जब मैं morning में उठा तो मैने रंजना को देखा. उसका पूरा पल्लू हट चुका था. वोसीधी सोई हुई थी उसके boobs उसके छाती के दोनो और लटक रहे थे. उसकी saree घुतनो के उपर आ गयी थी. वो बहुत sexy लग रही थी. मैं उठा और आपने दोनो हाथो से उसके boobs पकड़ लिया और फिर उसके boobs को मसलने लगा. वो उठ गयी और बहुत sexy सी smile की. मैंने जब देखाकी वो कुछ नही बोली तो मैं उसके boobs को और मसलने लगा. थोड़ी देर के बाद उसने मुझे रुकने के लिए कहा और उठ गयी. फिर वो nighty निकली और change करने लगी.

मैं " ऐसे ही रहो"

रंजना " नही. अभी maid आ जाएगी. मैं ऐसे नही रह सकती"

रंजना ने saree उतार दी. वो पेटिकोटमें बहुत sexy लग रही थी. boobs ताने हुए थे. बाल खुले हुए और कुछ आगेथे. मैं उसके पीछे खड़ा हो गया और उसके boobs को मसलने लगा. फिर मैने उसका पेटिकोट खोल कर उसे नंगी कर दिया.

रंजना " अभी जाने भी दो. रात को कर लेना"

रंजना अलमारी से bra-panty निकालने लगी. मैने उसे माना किया " nighty ऐसे ही पहनो"

रंजना " नही. maid को मालूम हो जाएगा"

मैं" मालूम होने दो."

मैने उसे bra-panty नही पहने दिया और वो केवल nighty पहनी. nighty उसकी थोड़ी पतली थी. पता चल रहा था की उसने bra नही पहनी थी. गौर से देखाओ तो पता लग जाता की panty भी नही पहनी.

रंजना " तुम भी ना. maid क्या बोलेगी"

मैं " कुछ नही बोलेगी"

जब मैं shower ले रहा था तब door ring बजी. मैं समझ गया की maid आ गयी. रंजना ने door खोला. मैं shower ले कर आया और office के लिए ready होने लगा. जब मैं kitchen में गया तो रंजना breakfast बना रही थी. मैने देखा की maid उसे बार बार देख रही थी. वो जान गयी की रंजना ने केवल nighty पहन रखा था.

फिर मैं room में आ गया. मुझे दोनो के हसने की आवाज़ सुनाई दी. जब maid चली गयी तो मैने पूछा की किस बात पर हंस रहे थी.

रंजना "मैने बोला था maid को पता चल जाएगा. वो कह रही थी क्या मेरे आने पर ही nighty पहनी और sir shower लेने चले गये."

मुझे हँसी आ गयी. "और क्या बोल रही थी"

रंजना "बोल रही थी की ऐसे मत रहो वरना आज sir office नही जाएँगे"

मैं "मेरे दिल की बात बोल दी"

रंजना "चुपचाप office जाओ"

मैं office चला गया.

मेरा मन office के काम में नही लगा रहा था. मैं believe नही कर पा रहा था की जो हुआ क्या वो सपना तो नही था. मैं घर जाने के लिए मरा जा रहा था और जैसे ही evening हुआ मैं घर के लिए निकल गया.

रंजना ने door खोला. मैने घर में आते ही उसे kiss करने लगा. वो भी मेरा साथ दे रही थी. मैने उसे देखा. आज वो saree पहनी हुई थी. उसने black रंग की saree और blouse पहनी थी. saree उसकी कल से भी ज्यदा transparent थी. blouse भी पतला था. उसकी bra साफ दिख रही थी. black उसके गोरा शरीर की खूबसूरती को बढ़ा रहा था. मैने उसे देखा. उसके face पर naughty smile थी.

मैं " black saree blouse. बहुत सुंदर लग रही हो. पर blouse भी transparent type का है. bra साफ दिख रही है."

रंजना "क्या फ़र्क पड़ेगा?"

मैं "क्यो?"

रंजना "अभी तो ये उतार जाएगा"

मैं उछाल पड़ा. वो मुझे अपना blouse उतरने के लिए बोल रही थी.

मैं "अभी? अभी तो evening है. अगर कोई आ गया?"

रंजना " मैं blouse पहन लूँगी"

फिर रंजना ने naughty smile के साथ कहा " तुम बोलो तो मैं वैसे भी door खोल दूँगी"

मैं " अच्छा . पहले मेरे लिए ही खोला करो"

रंजना "कल आना. कल से मेरे खुले हुए boobs तुम्हारा welcome करेंगे"

मैने उसका blouse उतार दिया. फिर पीछे गया और उसका bra का hook खोल दिया.

मैं " रंजना अगर अभी कोई आया तो तुम केवल blouse पहानोगी. "

रंजना "नही मेरे boobs और nipples दिख जाएगे"

मैं "क्या तुम्हे डर लग रहा है?"

रंजना "अगर ऐसी बात है तो challenge क़बूल है"

मैने उसका bra उतार दिया और उसके boobs को पीछे से दबाने और मसलने लगा. बीच बीच मैं उसके nipples के साथ भी खेल रहा था.

थोड़ी देर के बाद रंजना बोली " अब जाने दो. मैं क्न्हा भागी जा रही हूँ"

मैं उसे छोड़ दिया. फिर उसके सामने आ कर उसे देखा. क्या sexy लग रही थी. black saree उसने लपेट रखा था फिर भी वो उसके बड़े बड़े boobs को छिपा नही पा रहे थे. उसके गोरा शरीर पर केवल saree कहर ढा रही थी.

रंजना "मैं चाय बना लाती हूँ. पर तुम्हे कुछ और भी करना है"

मैं "क्या?"

रंजना ने अपने कमर के तरफ इशारा करके बोला " इसे भी उतार दो"

मैं "क्या saree भी उतार दो. नही इसे रहने दो. तुम ज़्यादा sexy लग रही हो"

रंजना " saree नही . ये"

मैने उसे देखा . फिर मैं झुका और अपने हाथ उसके saree के अंदर ले गया. वो मुझे आपनी panty उतरने के लिए बोल रही थी. मैं उसके panty को पकड़ा और उसे उतार कर निकल दिया.

मैं आपना हाथ फिर उसके saree के अंदर ले गया और उसकी pussy पर रख दिया. फिर उसके pussy को सहलाने लगा. रंजना ने धीरे से moan किया " मैं चाय बना कर लाती हूँ" कह कर किचन मैं चली गयी. मैने उसका blouse, bra-panty उठा लिया और bedroom में रख दिया.


मैं kitchen में गया. वो चाय बना रही थी. मैने पीछे से उसके boobs को पकड़ा और मसलने लगा. फिर मैने अपना हाथ saree के उपर से pussy पर रखा और दबाने चाहा पर दबा नही पा रहा था.

रंजना " क्या करना है?"

मैं फिर दबाने का कोशिश किया.

रंजना "saree के उपर से नही होगा. अंदर से ही होगा"

मैं believe नही कर पा रहा था की मेरी बीवी कल तक traditional wife जैसी थी.

मैने उसका saree उठा लिया और pussy पर हाथ रख दिया. saree उसकी कमर के थोड़े नीचे तक ही थी. मैं उसके pussy को सहलाने लगा. वो हल्के आवाज़ में moan कर रही थी. फिर मैंने उसके pussy में अपना middle finger डाल दिया. रंजना ने moan किया पर finger निकालने के लिए नही बोला. मैं first time उसके pussy में finger डाल रहा था. जब मैने देखा की वो कुछ नही बोल रही तो मैने finger को अंदर बाहर करने लगा. वो ज़ोर से moan की और आपने दोनो हाथाओ को kitchen के platform में रख दी. मैं तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. उसकी मदमस्त आवाज़ मुझे पागल बना रही थी.

रंजना " तुम्हारी ये भी fantasy होगी"

मैं "हाँ. ऐसे ही."

मैने finger उसके pussy में अंदर बाहर कर रहा था.

मैं " मैं first time finger से तुमहरे pussy से खेल रहा हूँ. पर तुमने आज मुझे finger हटाने के लिए नही बोला"

रंजना "मैंने तुम्हे पहले ही बोला था की तुम्हारी हर fantasy को पूरा करने में तुमहरा साथ दूँगी"

थोड़ी देर के बाद रंजना ने मुझे रुकने के लिए बोला "चाय बन गयी है . मैं ले कर आती हूँ"

मैं living room में चला गया. रंजना चाय ले का आई .मैने रंजना को आपने गोद में बैठा लिया. हम दोनो चाय पीने लगे. चाय पीते पीते मैने उसका saree उठा दिया और कमर तक ले आया. उसकी टाँग नंगी हो गयी और pussy दिख रही थी. फिर उसका पल्लू भी गिरा दिया. वो करीब पूरी नंगी हो गयी थी. मैने उसे देखा . वो भी enjoy कर रही थी. मेरा cock भी तना हुआ था.

रंजना " मुझे नंगी देखा तुम्हे पसंद है ना"

मैं "तुम्हे नंगी देखने से ज़्यादा तुम्हे नंगे boobs को देखना ज़्यादा पसंद है"

रंजना " अच्छा . तब आज के बाद तुम घर में जब भी रहोगे मेरे boobs नंगे ही रहेंगे"

मैं उसके boobs और pussy के साथ खेलने लगा. रंजना भी मेरे cock को मेरे pant के उपर से सहला रही थी. थोड़ी देर के बाद उसने chain खोल कर मेरे cock को pant से निकल दिया और सहलाने लगी. हम दोनो moan कर रहे थे.

थोड़ी देर के बाद मैने उसे उठाने का इशारा किया और फिर मैं उसे पकड़ा और उसकी pussy को cock पर रखा और cock उसके pussy में डाल दिया. मेरा पूरा cock 1 बार में ही उसके pussy में चला गया. फिर मेंने उसे कमर से पकड़ कर उपर नीचे करने लगा. थोड़ी देर के बाद मैं रुक गया. वो jump करने वाली थी तो मेने उसे रोक दिया.

रंजना " क्या हुआ? "

मेरा cock रंजना के tight pussy के अंदर था. और मैं पीछे से उसके boobs के साथ खेल रहा था. मुझे ऐसे उसे बैठा कर भी अच्छा लग रहा था.

मैं "इतनी जल्दी क्या है. मुझे ऐसे बहुत अच्छा लग रहा है और मैं इसे जल्दी नही ख़तम करना चाहता"

रंजना " अच्छा तो मुझे भी लग रहा "

हम दोनो थोड़ी देर वैसे ही रहे और फिर मैने उसे उपर नीचे करने लगा. थोड़ी देर के बाद फिर रुक गया. ऐसा हमने 3-4 बार किया. वो बहुत ही ज़्यादा excited हो गयी.

रंजना "ऐसे हम कब तक करते रहेंगे."

मैं "जब तक मेरा मन नही मानेगा"

मैं हर बार उसे extreme में ले कर रोक देता था. उसका body अब twist सा करने लगा था.

रंजना "अब करो भी ना."

मैं "जल्दी क्या है. क्या तुम्हे मज़ा नही आ रहा "

रंजना "आ रहा है. पर मुझे खाना भी बनाना है"

मैं "आज pizza order करते है"

रंजना " ना बाबा ना. "

मैं "क्यों? क्या तुम्हे pizza पसंद नही?"

रंजना "पसंद है पर क्या पता तुम मुझे अभी order करने के लिया बोल दो"

मैने रंजना को देखा . उसके smile को देख कर समझ गया की वो फिर से मुझे surprise दे रही थी.

मैं "wow. क्या idea है? अब तो ऐसे ही तुम order करोगी"

रंजना "मुझे पता था "

रंजना उठ कर mobile ले आई. मैने उसे फिर से अपने cock पर बैठा लिया. फिर उपर नीचे करने लगा. जब वो बहुत excited हो गयी तब मैं रुक गया और उसे call करने बोला.

रंजना call करने लगी. मैने उसे speaker mode पर रखने के लिए बोला. जब call रिसीव हो गया तो मैं फिर से उपर नीचे करने लगा.

pizza boy " how can i help you"

रंजना "aahhaa मुझे pizzaaaa aaha orderrr करना हैं aahaa"

pizza boy " yes madam. क्यों सा pizza order करना है"

रंजना " aahaa non-veggg pizzzaaaa में क्या aahaaa क्या है aahaaa"

मैं उपर नीचे कर रहा था. pizza boy option बताने लगा. रंजना बीच बीच में हल्के आवाज़ में moan कर रही थी.

pizza boy " are you ok madam? "

रंजना " aahhaaa yesss. i am okkk. क्या हुआ? aahhaaa"

pizza boy " आपकी आवाज़ से लगा की आपको बोलने में problem हो रही है"

रंजना " aahaa हाँ मैं ठीक हूँ.aaahhaa exerciseee कर रही हूँ. तुम pizzaaaa mediummm sizeeee और 1 bottle coldddd drink orderrrr में लिखो aahhaa. totalll कितना हुआ? aahaaa"

pizza boy ने total बता दिया और address पूछा. रंजना ने address बता दिया. address बताने में भी उसने बहुत बार moan किया.

जब call cut हो गया. मैं रुक गया. i was so excited.

रंजना "अब रुका नही जा रहा"

मुझे से भी रुका नही जा रहा था.

मैं उसे उठा दिया और bedroom ले गया और bed पर उसे घोड़ी बनाने के लिए बोला. जब वो घोड़ी बन गई तो पीछे से उसके pussy में cock डाल दिया. मैं उसके pizza boy के साथ बाते सुन कर इतना excited था की तेज़ी से करने लगा. वो भी कमर हिला कर साथ दे रही थी. थोड़ी देर के बाद वो झड़ने लगी. मैं तेज़ी से कर रहा था और थोड़ी देर के बाद मैं भी झड़ गया.

हम दोनो bed पर गिर गये. मैने इस से पहले ऐसा sex नही किया था.

थोड़ी देर के बाद door bell बजा. मैं समझ गया की pizza boy आ गया. मैं जब delivery लेने जाने लगा तो रंजना ने मुझे मना किया " मैं लेती हूँ"

रंजना उठी और blouse पहने लगी . मैने उसे देखा की वो bra नही पहन रही थी.

रंजना " मुझे ऐसे क्या देख रहे हो. तुमने ही मुझे bra पहने के लिए मना किया था"

केवल blouse में उसके boobs बहुत visible था. उसके nipples तो साफ दिख रहे थे. उसने saree का पल्लू रखा पर फिर भी उसके pointed nipples visible था.

रंजना ने door खोला और pizza लेने लगी. फिर वो money देने लगी. मैं bedroom में था पर मुझे उनकी बाते साफ सुनाई दे रही थी. जब रंजना money दे रही थी तब उसने कहा "madam, are you ok na? "

रंजना "हाँ मैं ठीक हूँ. क्यों?"

pizza boy " madam , मेरी ही बात हुई थी. तब मुझे लगा की आपको कोई problem है"

मैं ये बाते सुन कर बाहर आ गया. मैने देखा की रंजना का पल्लू 1 तरफ गिरा हुआ था और pizza boy उसके boobs को देखे जा रहा था. उसका cock भी tight हो रहा था.

रंजना "नही . तब मैं exercise कर रही थी. अब ठीक हूँ"

रंजना ने money दे दिया. pizza boy last तक उसके boobs को देख रहा था.

मैं " वो तुम्हारे boobs को देखे जा रहा था"

रंजना " हाँ मुझे पता है. मैंने भी उसे देखने दिया"

फिर रंजना ने अपना blouse खोल दिया और हम दोनो ने साथ में pizza खाया. मैं pizza boy के बारे में सोच कर excited हो गया और उसके boobs के साथ खेलते रहा.

हम दोनो बहुत थक गये. इसलिए खाने के बाद सोने चले गये. जैसे रंजना last night सोई थी. वैसे ही फिर saree में सोने लगी.

मैं उसके boobs से खेलने लगा.

मैं "रंजना मैं तुम्हे traditional समझता था पर तुम तो बहुत अलग हो"

रंजना "नीलेश मैं तुम्हारी fantasy को पूरा करने के लिए कुछ भी करूँगी. अगर तुम बोल देते तो मैं नंगी pizza boy के लिए door खोल देती"

मैं "हाँ पर 2 दिन में इतना change. कैसे?"

रंजना "मैं बता दूँगी. इतना समझ लो की मेरे भी कुछ secrets है और तुम्हारे fantasy से मेरे fantasy भी पूरा हो रहा है"

मैं "सच मैं रंजना . क्या तुम्हारे भी fantasy है"

रंजना "हाँ. और मैं तुम्हारे साथ share भी करूँगी . पर अभी नही"

मैं ये सुन कर बहुत खुश हो गया. मैं relieve हो गया की रंजना मेरी खुशी के लिए ही नही अपनी खुशी के लिए भी कर रही है.

पर मैं अब उसके fantasy के बारे में जानना चाहता था. रंजना अभी और क्या क्या surprise देगी मुझे नही पता पर मुझे ये पता था की अभी बहुत surprises बाकी था.












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FUN-MAZA-MASTI बीबी का सरप्राइज==2

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बीबी का सरप्राइज==2


मैं रंजना के पीछे आ गया और उसके बँधे हुए बाल खोल दिए. उसके लंबे बाल खुल गये जो कमर तक आ गये.

रंजना का figure attractive था. शरीर उसके भरा भरा था. उसके boobs बड़े बड़े थे. कमर पतला था. बाल उसके लंबे और घने थे जो कमर तक आते थे. उसके hips भी न बहुत पतले थे और न बहुत बड़े. saree उसके सुडोल hips पर बहुत अच्छी लगती थी. face उसका बहुत attractive था. खास कर lips जो बहुत sexy थे. रंजना जब भी saree पहन कर चलती लोग उसके hips के तरफ ज़रूर देखते थे. सामने अगर कोई आ रहा होता तो उसके boobs को ज़रूर देखता.

रंजना बर्तन धो रही थी. मैं उसके पीछे खड़ा हो गया. और उसे पीछे से पकड़ कर मैने उसे kiss किया. फिर मैं उसके boobs से खेलने लगा. मैं उसके boobs को मसल रहा था. उसके nipples को रगड़ रहा था. मैं उस से चिपक कर खड़ा था. मेरा cocks जो खड़ा था उसे feel हो रहा था. उसके nipples भी tight हो गया. उसके boobs भारी हो गया था. मैं कोई सपना तो नही देख रहा था. ये सारे fantasies मैने कितनी बार देखी थी पर कभी रंजना से share नही की और आज ये सच हो रहा था.

रंजना बर्तन धो रही थी और मैं उसके boobs से खेल रहा था. मेरी सांस भारी हो गयी थी. उसकी सांस भी भारी हो गयी थी. रंजना ने सारे बर्तन धो दिए और मैं तब भी उसके boobs के साथ खेल रहा था.

रंजना " अब छोड़ो भी. मेरे boobs के साथ कब तक खेलोगे."

मैं " अब तुम्हे कैसे छोड़ दूं. मेरा औज़ार भी खड़ा हो गया और attack करने के लिए ready हैं"

रंजना " तुम्हारा तो कब से ready हैं. मैं उसके attacks का wait कर रही थी." कह कर हँसी

मैं surprise हो गया. वो यान्हा kitchen में sex के लिए बोल रही थी.

मैं " तुम यान्हा पर चाहती हो?"

रंजना "क्यों? क्या ये तुम्हारी fantasy नही हैं?" कह कर 1 naughty smile दी.

मैं " लगता है मेरी सारी fantasies आज पूरी हो जाएगी"

रंजना " सारे आज पूरे नही होंगे पर हो जाएँगे"

मैंने उसके saree को उठा कर कमर तक ले आया. मैने उसकी pussy को touch किया . pussy भी wet था. फिर उसकी pussy को हल्का सा रगड़ा. रंजना ने हल्का सा moan किया और आपने दोनो हाथ आगे रख दिया. मैने आपने पजयमा को loose लिया और आपने cock को बाहर निकाला . फिर मैने आपने 1 finger को उसके pussy में डाला. finger आराम से चला गया. वो ready थी. मैं आपने cock को उसकी pussy पर रखा और 1 ज़ोर का धक्का दिया. मेरे पूरा cock उसके pussy में चला गया. वो ज़ोर से moan की.

मेरी खुशी का ठिकाना नही था. मैं आपने बीवी के साथ kitchen में sex कर रहा हूँ. मेरा पूरा शरीर उतेज़ना से कांप रहा था. मैं तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था और साथ ही साथ उसके boobs से भी खेल रहा था. थोड़ी देर के बाद रंजना का शरीर सीधा होने लगा मैं समझ गया की वो झड़ने वाली है. मैने तेज़ी से कुछ धक्के दिया और वो तेज़ moan और scream के साथ वो झड़ गयी. थोड़ी देर के बाद मैं भी झड़ गया.

हम दोनो exhaust हो गये. मैने उसके pussy से आपना cock निकल दिया. उसके pussy से liquid बाहर आने लगा. वो washroom में जाने लगी. liquid कपड़े में न लगे इसलिय वो saree को उठा कर जाने लगी. wow क्या लग रही थी.

मैं "रंजना तुम बहुत sexy लग रही हो"

रंजना पलट गयी और आपने दोनो legs को हल्का फेला कर बोली " ऐसे ज़्यादा अच्छी लग रही हूँ न"

मैं उसे देखे जा रहा था. उसने आपनी saree कमर तक उठा रखी थी. पल्लू उसके boobs के बीच से जा रहा था. बाल उसके फैले हुए थे जो कंधे और boobs पर आ रहे थे. face पर पसीना के बजाह से अलग glow था. कुछ बाल उसके face पर चिपक गया. उसकी pussy visible थी जिस से liquid टपक रहा था. जबसे ज़्यादा अच्छी उसके face पर smile थी जो मुझे फिर से कुछ करने के लिए invite कर रही थी.

मैं " ये भी मेरी fantasy है पर तुम्हे पता कैसे चला?"

रंजना मेरे पास आई " दो दिन से मैं तुम्हारे सारे comments पढ़ रही हूँ. मुझे अब सारा ideas हो गया तुम्हे क्या पसंद है"

मैं उसे देख रहा था.

रंजना " तुम चाहते हो की मैं 1 slut की तरह behave करूँ"

मैं चुप था.

रंजना थोड़ी मुस्कुराइ " तुम्हारी सारी fantasies पूरी होगी. आज के बाद मैं वो सब करूँगी जिस से तुम्हारी fantasies पूरी हो"

कह कर वो washroom चली गयी.

मैं अभी तक surprised खड़ा था.

रात को जब वो सोने आई तब भी saree में थी. वो रात को सोते वक़्त night suit पहनती है.

मैं " क्या तुम change नही करोगी"

रंजना " नही . मैं आज ऐसे ही रहूंगी. तुम्हे ये पसंद है ना?"

मैं " हाँ. "

रंजना मेरे बगल में आ गयी. मैं उसके boobs के साथ खेलने लगा. फिर मैने उसे गले लगा लिया पर मैं कुछ सोचने लगा.

रंजना " क्या सोच रहे हो?

मैं " आज मैं बहुत खुश हूँ. तुमने मेरी बहुत सारी fantasies पूरी की. पर 1 बात समझ नही आई"

रंजना "क्या?"

मैं " तुम मुझ पर गुस्सा नही हो और मेरी fantasies पूरा करने में साथ दे रही हो. क्यों?"

रंजना " क्योंकि मैं नही चाहती की तुम आपनी इच्छा को दबा कर रखो"

मैं " क्या यही बात है? मुझे पता है की मेरी कुछ fantasies weird है. "

रंजना " कुछ नही सारी की सारी weird ही हैं"

मैं "तब भी तुम पूरा कर रही हो. क्यों?"

रंजना ने मुझे kiss किया और बोली " वजह है पर मैं अभी नही बता सकती पर तुम्हे बाद मैं ज़रूर बता दूँगी."

मैं " अभी क्यों नही बता सकती"

रंजना " अभी तुम enjoy कर रहे हो ना और मैं भी इसे enjoy कर रही हूँ. अगर अभी बता दिया तो तुम इसे enjoy नही कर पाओगे. क्या अब भी तुम्हे जानना है?"

मैं "नही . अगर ऐसे बात है तो मैं अभी नही जानना चाहता हूँ पर तुम मुझे बाद में वजह ज़रूर बताना"

रंजना " i promise. तुम्हे बता दूँगी जब time आएगा"

मैं चुप हो कर उसके boobs और उसके बदन से खेलने लगा. पर अभी भी curious था की मेरी बीवी 2 दिन में traditional wife से slut wife में convert कैसे हो गयी.











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FUN-MAZA-MASTI बीबी का सरप्राइज==1

FUN-MAZA-MASTI

बीबी का सरप्राइज==1



मेरा नाम नीलेश है. ये मेरी और मेरी बीवी रंजना की कहानी है. रंजना अपने माएके 1 week के लिए गयी थी. जब भी रंजना अपने माएके जाती थी मैं मस्ती के mood में आ जाता था. दोस्तो को घर पर बुला कर party करता था. long drive पर जाना, दारू पीना, देर तक party करना. ये सब मेरे hobbies थे. पर मेरे ये सारे hobbies के बारे में रंजना को नही पता था. मैं ये सोचता था की रंजना traditional परिवार से है इसलिए वो ये सब पसंद नही करेगी. मैने 2-3 बार hints भी दिया पर उसने पसंद नही किया . मेरे नज़र में वो एक traditional बीवी थी पर उसका सच कुछ और था.

रंजना जब भी बाहर जाती थी और मैंअकेला रहता था तब मैं adult site भी देखता था. मुझे fetish और kinky बहुत पसंद आता था. मैने adult sites पर account बना रखा था. मेरा favourite fetish outdoor exposure था. specially मुझे सबसे ज़्यादा अच्छा saree fetish लगता था.

रंजना जब भी माएके जाती थी मैं browser history clear नही करता था.adult site पर मेरा account भी auto-login ही रहता था. रंजना के आने के 1 दिन पहले मैं सारे clear करता था. रंजना इस बार 2 week के लिए गयी थी तो मैने 1 दिन पहले तक clear नही किया था. पर रंजना ने इस बार मुझे surprise करने का idea बनाया और 2 दिन पहले ही morning मैं आ गयी. मैं सो कर उठा तो वो घर आ गयी था पर उस दिन मुझे ज़रूरी काम से office जाना था तो मैं office चला गया. जब मैं evening में घर आया तो रंजना upset दिख रही थी. मैंने जब reason पुंच्छातो भड़क गयी. उसने PC में मेरे सारे accounts खोल दिया और सारे browser history खोल दिया . मैं shocked हो गया. मेरी चोरी पकड़ी जा चुकी थी. वो बहुत अपसेट थी. कुछ भी सुनने के मूड में नही थी. मैं बोला की अब नही करूँगा पर वो सुन नही रही थी. मैं PC से history clear करना चाहता था पर उसने मुझे PC touch nahi करने नही दिय.उस रात हम दोनो अलग rooms में सोए. infect वो सारी रात मेरा PC चेक कर रही थी.

Next day भी उसका mood off था . मैं morning में ही office चला गया. रात को late आया. जब आया हुआ था तो बहुत डरा हुआ था. डरते डरते घर के अंदर आया. उसका mood अब पहले से ठीक था. मैने पहले ही सोचा था की उसेआज dinner पर बाहर जाएँगे जिस से उसका गुस्सा शांत हो. मैने आते के साथ उसे sorry बोला वो कुछ reply नही की फिर मैने उसे बोला की आज हम बाहर जा रहे है. पर उसने ना कर दिया. फिर बोली की उसे कुछ बात करना है.

रंजना " ये कब से चल रहा है"
मैं " रंजना मैं ये शादी के पहले भी देखता था. "
रंजना " मैं bf की बात नही कर रही हूँ"
मैं " तब तुम किस की बात कर रही हो"
रंजना " bf तो हर कोई देखता है. पर जो बाकी सब है वो कब से चल रहा है"
मैं "तुम bf से गुस्सा नही हो तो फिर किस बात पर गुस्सा हो और बाकी क्या"
रंजना "तुम्हारी दूसरी fantasies. मैं तुम्हारे सारे साइट चेक किया. तुमने दूसरे को pics को बहुत like किया और बहुत सारे comments किया. तुमने 1 जगह लिखा है की वो आदमी lucky है जिसकी बीवी की pics थी और तुम unlucky हो जिसकी बीवी traditional है.

मैं चुपचाप था.

रंजना " तो तुम unlucky हो क्योंकी तुम्हारी बीवी उन bitches की तरह pics नही देती. तुम्हे नंगी नंगी लड़की देखने की आदत हो गयी और तुम उनके साथ मेरी बराबरी कर रहे हो"

मैं चुप था. मेरे से बोला नही जा रहा था.

रंजना "जबाव दो "

मैं " रंजना वो सबकेवल मेरी fantasies है"

रंजना " मैने तुम्हारी सारी fantasies देख ली और सब कुछ समझ में आ गया. सारी weird fantasies है और तुम खुद को unluckyकहते हो क्योंकी तुम्हारी बीवी ऐसी घटिया fantasies नही करती है"

मैं चुप ही रहा. कुछ भी बोलता तो वो और ज़्यादा भड़कती. फिर मैने उसे sorry बोला

मैं "रंजना अब से मैं कभी भी ऐसी sites पर visit नही करूँगा. और मैं आपने सारे accounts भी delete कर दूँगा. "

वो चुप थी.

मैं " i am sorry. आज हम बाहर खाना खाते है"

रंजना " कोई ज़रूरत नही है. मैं घर पर ही बना देती हूँ. "

ये कह कर वो चली गयी. मैं कुछ relaxed हुआ. फिर मैं आपने room मैं चला गया. और fresh हो कर office का काम करने लगा. 1 hour के बाद उसने मुझे dinner के लिए बुलाया. मैं dinning table पर बैठ गया. मेरे नज़र नीचे ही झुकी थी. खाना table पर था.

रंजना " तुम्हारी 1 fantasy क्या है की तुम्हारी बीवी dinner time पर net saree पहने पर अंदर में bra या blouse ना पहने"

मैं चुपचाप नीचे देख रहा था.

रंजना " जैसे मैं अभी हूँ वैसा ही तुम्हारी fantasy है"

मैने झटके से रंजना के तरफ देखा. वो net saree पहनी हुई थी पर उसके आलवा कुछ भी नही था. उसके बड़े बड़े boobs saree से साफ दिख रहे थे. रंजना के boobs बड़े थे और कसे हुए थे. saree के अंदर वो बहुत ही sexy लग रहे थी. मेरा cock खड़ा होने लगा. मैने रंजना को देखा. उसके face पर 1 naughty smile थी. मैं उठा और उसे पकड़ लिया. फिर उसे kiss करने लगा. वो भी मेरा साथ दे रही थी.

रंजना " तुम्हारी fantasy मैं तुम्हे ये नही लिखा था की तुम अपनी बीवी को kiss भी करोगे"

मैं " तुमने मुझे ऐसा surprise दिया की मैं अपने आप को रोक नही पाया"

रंजना " अभी 1 और surprise बाकी है."

मैं " क्या अभी और भी है"

रंजना मुस्कुरा दी. फिर उसने मुझे कुर्सी पर बैठने के लिए बोला और kitchen में चली गयी. थोड़ी देर के बाद किचन से बाहर आई. again omg. उसके हाथो में 1 tray था. tray उसने ऐसा पकड़ा था की उसके बड़े boobs उस tray पर थे. उसकी saree का पल्लू tray पर fold था. वो किचन से धीरे धीरे आ रही थी. उसका ये रूप देख कर मैं पागल हो रहा था. फिर वो मेरे पास आ गयी.

रंजना " तुम्हारे लिए 1 gift है. "
मैं " क्या है?"

रंजना " tray मैं रखा हैं. देख लो"
मैंने पल्लू उठा कर उसके कंधे पर रखने लगा.

रंजना " नीचे गिरने दो. पहले अपना gift देखाओ"

मैने पल्लू को गिरने दिया और tray में देखा. tray में मुझे कुछ कपड़ा जैसा लगा. मैने उसे उठाया. वो 1 छोटा कपड़ा था. वो रंजना की 1 panties थी. मैं समझ नही पाया. मैने रंजना को देखा. उसके face पर हँसी थी.

मैं " ये तो तुम्हारी panties है"

रंजना " yes"

मैं "तुम मुझे ये क्यों gift कर रही हो"

रंजना " क्योंकि थोड़ी देर पहले ये मेरी शरीर में थी पर जैसा की तुम्हारी fantasy है की बीवी panties भी नही पहनती है."

मैं surprized हो गया .रंजना एक के बाद एक surprise दे रही थी.

रंजना " ये मेरे तरफ से आज तुम्हारा gift है"

मैं चुप था मुझे लग रहा था की मैं सपना देख रहा था.

फिर रंजना मेरे गोद में ही बैठ गयी. उसने 1 plate में ही सारा खाना निकाला.

रंजना " तुम तो अपने हाथ से खाना नही खा पाओगे तो मैं ही तुम्हे खिला देती हूँ"
मैं " मैं खा लूँगा"
रंजना " कैसे खाओग? तुम्हारे दोनो हाथ तो मेरे पर busy रहेंगगे "

कह कर हल्की sexy हँसी.

मैं " नही मेरे हाथ free होंगे"

रंजना " अच्छा. अभी चेक कर लो"

मैने देखा. मेरे दोनो हाथ उसके boobs से खेल रहे थे. वो हँसने लगी और फिर अपने हाथाओ से मुझे खाना खिलाने लगी. मैं उसके boobs के साथ खेल रहा था. कभी press करता कभी मसलता कभी मुँह में ले लेता.

खाना ख़त्म होने के बाद वो जाने लगी. उसका पल्लू नीचे ही था.

रंजना " तुम मेरा पल्लू रखाओ जैसे तुम्हे अच्छा लगे"

मैने उसका पल्लू उठाया और उसे दोनो boobs के उपर रख दिया. फिर मैने उसे देखा और फिर पल्लू हटा दिया और इस बार दोनो boobs के बीच से ले गया. उसके face पर 1 अलग तरह की हँसी थी. फिर मैं उसके back गया और पल्लू को उसके back में tuck कर दिया.

वो फिर किचन में चली गयी. वो ऐसे ही किचन में काम कर रही थी. मैं उसे देख देख कर पागल हो रहा था. ये fantasy मैने कितनी बार देखी और आज ये सच हो रहा था. मेरा cock खड़ा ही था. रंजना ने मुझे देखा और मुझे room में जाने के लिए बोला. पर मैं कैसे जा सकता था.

आज तो मेरी 1 fantasy पूरी हुई है. पर मैं कुछ और सोचने लगा.

रंजना " क्या सोच रहे हो"

मैं " आज तुमने मुझे बहुत surprise किया और मेरी 1 fantasy को पूरा किया"

वो हंस थी. "तुम ये सोच रहे थे"

मैं " नही तुमने 1 पूरा किया है. पर मेरी बहुत सारी है"

रंजना " पता है और क्या पता तुम्हारी सारी fantasies पूरी हो जाए"










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Wednesday, July 11, 2018

FUN-MAZA-MASTI तुस्सी बड़े खराब हो--6

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तुस्सी बड़े खराब हो--6


दो प्रमियों का मिलन

कुछ समय के बाद दोनों होटल के एक आलीशान कमरे के बिस्तर पर लेटे हुए थे अकीरा विक्रांत से लिपटी हुई थी और उसके दिनभर की दास्तान सुन रही थी ।
अकीरा-बहुत थक गए होगे न तुम ? जाओ नहा लो ।
विक्रांत- ठीक है पर अकेले नहीं नहाऊंगा तुम्हें मेरे साथ नहाना होगा ।
अकीरा-बड़े वो हो पर मैं अपने कपड़े खुद नहीं उतारूंगी तुम्हें मेरी हेल्प करनी होगी ।
विक्रांत -हम्म आंखें बंद करो फिर ।
अकीरा ने अपनी आँखें बंद कर ली विक्रांत ने धीरे से उसकी टॉप को उतार दिया अकीरा के गोरे-2 और 38d साइज के मम्में काली रंग की 36d साइज की ब्रा में पिंजरे में कैद कबूतरों की तरह तड़प रहे आज़ाद होने को । "बला की खूबसूरत तुम" विक्रांत ने धीरे से अकीरा के कान में कहा और और उसके होंठों को चूम लिया अकीरा का पूरा बदन काँप गया । विक्रांत ने अपने भी कपड़े उतार दिए अब वो केवल कच्छे में था उसने जानभुझकर कच्छा नहीं उतारा वो चाहता था कि उसके अजगर को अकीरा खुद आज़ाद करे । अकीरा की आँखें अभी भी बंद थीं विक्रांत ने उसे लिटा दिया और उसकी स्किन टाइट जीन्स उतारी । अकीरा की टाँगे पतली मुलायम और किसी साँचे से ढली जान पड़ती थी । उसकी काले रंग की पैंटी उतारने से पहले विक्रांत ने उसकी टाँगों को चुमों से नेहला दिया । अकीरा की चूत बिल्कुल गुलाब की कली थी बेहद छोटी और गदराई हुई मुश्किल से एक इंच से ज्यादा बड़ा गुलाबी रंग का छेद ने विक्रांत के 10 साल के कंट्रोल को तोड़ दिया सब कुछ भूल के उसने पगलों की तरह उसने अपना कच्छे को उतार फेंका और अपने 10इंची अजगर को अकीरा की चूत पे रख ज़ोर का झटका दे मारा...लौड़ा तो चूत में नहीं गया पर इस अचानक हुए हमले से घबराकर अकीरा ने अपनी आँखें खोल ली और विक्रांत के मूसल लन्ड को फटी आंखों से देखती रह गयी ।
अकीरा- हे राम इतना बड़ा । उसका मुँह खुला का खुला रह गया ।
अकीरा की आवाज़ सुनकर विक्रांत को होश आया कि वो क्या करने जा रहा था ।
विक्रांत-मुझे माफ़ कर दो अकीरा तुम्हारे इस अप्सराओं से भी सुंदर रूप ने मुझ पर जादू कर दिया था ।
अकीरा (उठ के घुटनो के बल बैठते हुए )-ओह देखूँ तो शैतान दिखता कैसे है । अकीरा ने अपने छोटे-पतले मुलायम हाथों से विक्रांत के हैवी लन्ड को पकड़ लिया ।"कितना मोटा और लम्बा है तुम्हारा लन्ड ...और इसके टोपे को तो देखो एक दम फुला हुआ टमाटर लग रहा है वो भी आधाकिलो का " अकीरा ने धीरे-2 अपने हाथों को विक्रांत के लन्ड पर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया ।
विक्रांत-आह.. आह...अकू बड़े प्यारे हाथ हैं तुम्हारे आह आह ....
अकीरा-इतना मूसल लौड़ा है थक गई मैं तो ....
विक्रांत-आह आह ...अब मत रुकना प्लीज ...आह आह...वो आँखें बंद किये हुए बोला
अकीरा का यह पहला अनुभव था ऊपर से इतने हैवी लन्ड की मुठ मारते-2 वो सच में थक गई थी । पर वो विक्रांत का मज़ा खराब नहीं करना चाहती थी इसिलए वो नीचे झुकी और अपना पूरा मुँह खोल के लन्ड को मुँह में ले लिया पर सिर्फ टोपे से उसका मुँह भर गया । मुँह की गर्मी विक्रांत से बर्दाश्त न हुई और एक लंबी आह के साथ उसने अकीरा के मुँह में ही झड़ना शुरू कर दिया । अकीरा का मुँह वीर्य से भर गया होंठ वीर्य से लथपथ हो गए उसने खाँसते हुए लन्ड मुँह से निकाल दिया लन्ड ने मुँह से बाहर आते ही एक के बाद एक उटियाँ करनी शुरू कर दी और अकीरा लगभग सारी विक्रांत के वीर्य से नहा गयी । विक्रांत ने आंखें खोली तो अकीरा को वीर्य लथपथ पाया ।
विक्रांत-ओह गॉड तुम तो पूरी भीग गयी ।
अकीरा-ऐसा भी कोई करता है क्या ? देख़ो तो क्या हालत कर दी है तुमने और तुम्हारे इस उल्टी महाराज ने । पर तभी उसकी नज़र विक्रांत के लन्ड पर पड़ी और उसकी हँसी छूट गयी।
विक्रांत-क्या हुआ अभी नाराज़ हो रही थी और हँस रही हो ।
अकीरा- नीचे देखो ....जनाब अभी भी तने हुए है खुद को गंदा कर लिया है।
विक्रांत ने देखा तो सच में उसका लन्ड वीर्य से बुरी तरह लथपथ था और अभी भी कड़क था । और ऐसे लग रहा था जैसे वो मक्खन से लथपथ हो । वो हँस पड़ा । विक्रांत लन्ड साफ करने के कपड़ा खोजने लगा पर अकीरा ने उसे रोक दिया ।"इसे साफ न करूँ?"
अकीरा- इतनी अच्छी लुब्रिकेशन और कँही मिलेगी ? अकीरा ने अपनी टाँगे खोल के अपनी चूत दिखाते हुए कहा ।
विक्रांत- इसे मत दिखो यार तुम्हारी चूत को देखते ही मुझे कुछ होने लगता है ।
अकीरा-क्यों अच्छी नहीं लगी मेरी चूत?
विक्रांत-अच्छी नहीं मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी में इससे प्यारी और चूत नहीं देखी ।
अकीरा- तुमने बहुत सी लड़कियों की देखी हैं क्या ?
विक्रांत- अकीरा शायद तुम्हें अच्छा न लगे पर सच यही है ...मैंने 100 से ज्यादा औरतों के साथ संभोग किया है । सच बात तो यह है मुझसे ज्यादा ये रूपाली को पसंद था उसे सेक्स करने से ज्यादा मुझे दूसरी औरतों के साथ सेक्स करते हुए देखना पसंद और यह उसकी सनक थी ।पर सच में तुमसे सुंदर न कोई लगी और न किसी चूत तुम्हारी चूत जैसी थी ।
अकीरा-पता है रूपाली दीदी की यह आदत मुझ में भी है । कभी -2 मैं भी सोचती हूँ कि तुम्हे किसी और के साथ सेक्स करते देखना कितना रोमांचक होगा ।
विक्रांत ने अकीरा को बाँहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पे रख उसके फूलों से मीठे होंठो को चूसना शुरू कर दिया ...धीरे धीरे वो अकीरा पर चढ़ता गया उसने अकीरा को लिटा दिया और खुद भी उसके ऊपर आ गया उसने अकीरा की ब्रा को खोल दिया अकीरा के मम्में ब्रा में भी खूबरसूरत लग रहे थे पर अब तो उसके 38d आकार के गोल-2 सुडौल और दूध से सफेद मंम्मों पर एक-एक इंच के गहरे गुलाबी रंग की चुचियाँ वैनिला आइसक्रीम पे स्ट्राबेरी जैसी लग रही थी । "तुम इतनी टाइट ब्रा क्यों पहनती हो ?" उसने अकीरा मंम्मों पर हाथ फेरते हुए पूछा ।
"टाइट ब्रा न पहनूँ तो सब घूरते ही रहें " अकीरा ने जवाब दिया ।
विक्रांत ने अपने होंठ अकीरा बड़े और कड़े निप्पल पर रख दिये और मंम्मों को दबाते हुए चूसना शुरू कर दिया ....घने-गाड़े मीठे दूध से उसका मुँह भर गया । वो काफी देर तक चूस्ता ही रहा । फिर एक हाथ से उसने अपने लौड़े को अकीरा की चूत पर सेट किया और मंम्मों को चूसते हुए लन्ड को अकीरा की चूत पर रगड़ने लगा । अकीरा के बदन में हल्की हल्की अकड़न आने लगी और हर गुज़रते पल के साथ अकीरा की आहें तेज़ और तेज़ होती जा रही थी । विक्रांत समझ गया कि अभी नहीं तो कभी नहीं । उसने अपने लौड़े को अकीरा की कमसिन चूत की फांको पे सेट करके ज़ोरदार शॉट लगा दिया
अकीरा- "आह....माँ.... मार दिया ..."
विक्रांत -बहुत दर्द हो रहा है
अकीरा -नहीं हँसी आ रही है ....किसी का होता है इतना बड़ा? लन्ड है या खम्बा? अकीरा ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा । अकीरा ने गर्दन उठाकर देखा तो अभी केवल टोपा ही अंदर जा पाया था और कंहाँ वो सोच रही थी कि इतना दर्द हो रहा है तो पूरा ही चला गया होगा ।
विक्रांत ने अपने दोनों हाथों से अकीरा के खरबूजों जैसे मम्में पकड़ लिए और अपनी पूरी ताकत से धक्का लगाया । अकीरा की की जोरदार चीख पूरे कमरे में गूँज गयी । अकीरा की आँखें दर्द के कारण ऊपर चढ़ गईं ।विक्रांत ने नीचे देखा तो सफ़ेद चादर खून के लाल रंग से नहा चुकी थी पर आधा लन्ड अभी भी बाहर था । विक्रांत ने आँखे बंद कर ली और एक के बाद एक शॉट पेलता चला गया जब तक कि लन्ड अकीरा की कसी हुई चूत में पूरा न समा गया । चूत इतनी टाइट थी कि उसे लग रहा था कि उसका लन्ड निचड़ जाएगा । उसे चर्म सुख का अनुभव हो रहा था उसने आँखें खोली तो अकीरा ने अपने दोनों हाथों से अपना मुँह कस के बंद किया हुआ था और उसका पूरा चेहरा आँसुओं से भीगा हुआ था । दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और विक्रांत ने अकीरा को अपनी बाहों में भर लिया ।
अकीरा-ई लव यू विक्रांत ।
विक्रांत- लव यू टू , और बहुत बहुत शुक्रिया मेरे लिए इतना दर्द सहने के लिये । उसका लन्ड अभी चूत में ही फंसा हुआ था और वो कसाव महसूस कर रहा था ।
अकीरा -(विक्रांत को चूमते हुए) तुम्हारे लिए कुछ भी । मैं ठीक हूँ तुम कर सकते हो ।
अकीरा ने अपनी टाँगे विक्रांत की हिप्स पर कस ली और बाजुओं से उसे अपने आगोश में ले लिया । विक्रांत ने हल्के-2 झटके लगाना शुरू किया और अकीरा की कामुक आहों से पूरा कमरा संगीतमयी हो उठा "आह ...आह... आह... ओह माँ ......उम्म...विक्रांत.. विक्रांत... आह..आह..." उसके नाखून विक्रांत की पीठ में जगह जगह गड गए । विक्रांत की रफ्तार बढ़ती ही जा रही थी वो किसी पागल घोड़े की तरह अकीरा को पेलते जा रहा था । और अकीरा की चूत का मंथन करता जा रहा था ...इतने ज़बरदस्त मंथन के आगे अकीरा ज्यादा देर टिक न पाई अचानक उसने अपने नाखून बुरी तरह विक्रांत की पीठ में गाड़ दिए और एक लंबी आह के साथ भरभरा के झड़ना शुरू कर दिया और काफी देर तक झड़ती चली गयी पूरा बिस्तर उसके पानी से गीला हो गया ।
अकीरा(झड़ने के बाद थक के निढाल होते हुए ) -आज तो जान ही निकाल दी तुमने ,कैसा लन्ड है तुम्हारा पूरा बदन दर्द कर रहा है पर मजा भी स्वर्ग जैसा आया ।तुम्हारी फैन तो थी है मैं पर तुम्हारे अजगर कि तो गुलाम हो गईं हूँ दिखाओ तो इतनी मेहनत के बाद कैसे लग रहे हैं अजगर महाराज ।
विक्रांत(लौड़े को अकीरा की चूत से बाहर निकालते हुए )-लो देख़ो , यह रहा जो सजा देनी है इसे देदो आज बड़ा तंग किया न इसने तुम्हें ।
अकीरा-ओह गॉड इट्स हार्ड इवन नाउ , यार क्या खिलाते हो इसे ? अब इसे कैसे शांत करोगे यह तो और डिमांड कर रहा है ।
विक्रांत -एक राउंड और हो जाये ?
अकीरा (डॉगी पोजीशन में आते हुए)- बिल्कुल तो करें शुरू ।
विक्रांत अकीरा के पीछे आ गया और अकीरा की चूत जो अब सूज गयी थी उसपे अपने लन्ड को सेट करके उसने एक जोरदार झटका मारा और लन्ड चूत के सारे अवरोधों को तोड़ता हुआ जड़ तक समा गया । वो किसी घोड़े की तरह उसपर चढ़ गया और उसके मंम्मों को पकड़ के उसे बुरी तरह चोदना चालु कर दिया ...
अकीरा-"आह आह.... वीक फाड़ दी तुमने आज मेरी ...आह कल तो चल भी नहीं पाऊँगी"
विक्रांत-सब तेरी इस चूत की गलती है ...आह...आह साली हद से ज्यादा टाइट है ...आह...अहह.....वो उसके मंम्मों को निचोड़ते हुए अकीरा की ठुकाई करता जा रहा था । विक्रांत के ज़ोरदार झटकों से अकीरा के नरम मुलायम चूतड़ लाल होने लगे थे । अकीरा ने मजबूती से चादर को पकड़ रखा था पर फिर भी हर शॉट उसे आगे की और धेकेल देता । विक्रांत भी अपने चरम पर आ गया था उसने अब लम्बे-2 घस्से मारना शुरू किए वो अपने मूसल लन्ड को पूरा बाहर निकाल लेता और फिर पूरा एक झटके में पेल देता ...20-25 शॉट्स के बाद दोनों एक साथ झड़ गए ।
विक्रांत और अकीरा की काम लीला न जाने कितने राउंड तक चली पर इस राउंड के बाद उन्होंने वोडका पी और कई बार चर्म सुख का अनुभव करने के बाद दोनों के दूसरे से लिपट के गहरी नींद में डूब गए पर वोदका पीने के बाद क्या हुआ ये विक्रांत को याद नहीं रहने वाला था ।

दो पत्र

सुबह लगभग 8 बजे बेलबॉय के बार बार बेल बजाने पर विक्रांत की नींद खुली ,उसका सिर दर्द कर रहा था और चक्कर आ रहा था ,टेबल एब्सोल्यूट वोडका की खाली बोतल पड़ी थी "यह कब पी हमने मुझे तो कुछ याद नहीं आ रहा और अकीरा कंहाँ हैं " वो सोचने लगा। विक्रांत ने से पूछा तो बेलबॉय ने बताया कि अकीरा उसके लिए ब्रेकफास्ट का ऑडर करके गयी थी । विक्रांत ने ब्रेकफास्ट ले लिया दरवाजे को कुंडी लगा के वापिस आ गया और सोफे पर धम से बैठ गया "तो वो चली गयी बिना गुडबाय कहे ही चली गयी " उसने खुद से कहा ।अकीरा के बारे में सोचते सोचते वो नहाने चला गया और काफी देर तक शावर लेता रहा । कपड़े वैगरह पहन के जब वो फ्रेश हो गया तो उसका ध्यान बिस्तर पर गया जिस पर काफी जगह खून के धब्बे थे ।
"कल फिर मैं आउट ऑफ कंट्रोल हो गया ....इसिलए शायद वो बिना कुछ कहे ही चली गयी ...बुरा मान गयी होगी" उसने खुद से कहा । पर तभी उसे टेबल पर एक कागज़ नज़र आया । अकीरा ने लिखा था ---
"विक्रांत आई लव यू ...कल की रात के लिए थैंक्स मैं अपने प्यार के हाथों ही लड़की से औरत बनना चाहती थी और तुमने यह तोफा मुझे दिया इसके लिए बहुत बहुत प्यार । मुझे एक खुफिया मिशन पर जाना था और 6 बजे की फ्लाइट थी और सोते हुए तुम इतने प्यारे लग रहे थे कि तुम्हें जगाने का मन नहीं हुआ । कल रात तुम घर से बिना बताए ही चले आये थे पर टेंशन मत लेना दिनेश जी से मेरी बात हो चुकी है उन्होंने तुम्हारे घर पर बता दिया है कि तुम्हारा दोस्त बीमार था जिसके कारण तुम्हें जल्दी में घर से निकलना पड़ा । कल तुमने मुझे स्वर्ग सा सुख तो दिया पर आखिरी राउंड में तुम आपा खो बैठे और किसी पागल घोड़े की तरह मुझे चोदते रहे पर इसका बदला अगली बार पूरा कर लूँ गी, और मैंने कल रात की वीडियो रिकॉर्डिंग कर ली थी भेज दूँगी लास्ट की एक घंटे की रिकॉर्डिंग देख लेना तुम्हें सब याद आ जायेगा । मैं जानती हूँ एक बार सेक्स करने के बाद तुम खुद पर काबू नहीं रख पाते इसिलए मैं चाहती हूँ कि जब तक मैं दूर हूँ तुमसे तुम मेरे लिए कुछ करो वो मैं तुम्हें फ़ोन पर बताऊँगी की क्या करना है । तुम्हारे फ़ोन में एक प्राइवेट नंबर वाला सिम डाल के जा रही हूं उसमें मेरा प्राइवेट नंबर भी फीड है । इसका कारण यह है कि जिस मिशन पर हूँ मैं उसमें मुझे किसी से बात करने की इजाज़त नहीं है । अपना ध्यान रखना तुम्हारी और सिर्फ तुम्हारी ...अकीरा । विक्रांत ने फ़ोन उठाया तो उस प्राइवेट नंबर पे अकीरा ने वीडियो भेजी हुई थी । पर उसने वीडियो को ऑफिस में देखने का निश्चय किया और नाश्ता करने लगा ।
विक्रांत की गाड़ी तो पटरी पर आ चुकी थी पर उसकी बेटी रूपिका दुविधा में थी खासकर कल जो हुआ उसके बाद वो कुछ डरी भी हुई थी पर उलझन में ज्यादा थी कि महेश कहीं उसे बेफकूफ तो नही तो नहीं बना रहा था ...क्या वो सच में प्यार करने लगी थी ?...ऐसी कई बातों में वो खोई हुई थी पर कल से उसके अंदर बदलाव हुआ था उसे वो साफ महसूस कर रही थी । आज उसने वेस्टर्न ड्रेस पहनने के बाजए साड़ी पहनना पसंद किया शिफ्फोन कि साड़ी और डीप नेक स्लीव लेस काले ब्लाउज में वो आज किसी ग्रीक देवी की तरह लग रही थी । आफिस आई तो सब मर्दों की नजरें चोरी चोरी उसे ही घूर रहीं थी । आखिर आज उसका तराशा हुआ बदन जो साफ नजर आ रहा था । उसने जूनियर मैनेजर को मैनेजर से कहते सुना "सर कसम से क्या माल है मैडम क्या कातिल फिगर है" और मैनेजर ने भी वैसा ही जवाब दिया था
मैनेजेर- यार कसम क्या बड़े-2 बूब हैं इसके कम से कम 36d साइज होगा और कमर तो देख मुश्किल से 26
जूनियर मैनेजर - सर गाँड़ तो देखो कितनी उभरी हुई है ।कसम से ऐसी बीवी हो किसी की तो काम काज छोड़ के दिनरात चुदाई ही करता रहे ।
आज से पहले रूपिका ने ऐसी बात सुनी होती तो खूब क्लास लेती दोनों कि पर आज उसने इग्नोर कर दिया ।
अपने ऑफिस की कुर्सी बैठी वो फाइल्स को देखने लगी । आधा दिन बिना किसी घटना के बीत गया लगभग 11 बजे चपरासी उसे एक लिफाफा यह कहकर दे गया कि मेहश दे गया है । रूपिका ने धड़कते दिल से लिफाफा खोला और पढ़ना शुरू किया ।
"रिस्पेक्टेड मैम ,
मैं आज सुबह उठा तो देखता हूँ कि आपकी कार मेरे पास नहीं है काफी सोचने की कोशिश की पर शराब के दो पेग के बाद कि कोई घटना मुझे याद न आ सकी ।अगर मुझसे कोई ऐसी वैसी हरकत हो गयी हो या मैंने कुछ गलत या अपमानजनक कह दिया हो तो आप मुझे जो सजा देना चाहें दे सकती हैं । बेहद शर्मिंदा महसूस कर रहा हूँ इसिलए फ़ोन करने की हिम्मत न कर सका ।
आपका सेवक
महेश ।
रूपिका ने पत्र न जाने कितनी बार पढ़ा हर बार पढ़ती तो उसे संतोष और खुशी का एहसास होता । उसने मेहश को मैसेज कर दिया कि कल महेश ने कुछ गलत नहीं किया बस उसने कुछ ज्यादा ही पी ली थी और वो उसे घर छोड़ने के 6.30 बजे आ जाये ।












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FUN-MAZA-MASTI तुस्सी बड़े खराब हो--5

FUN-MAZA-MASTI

तुस्सी बड़े खराब हो--5

नए सदस्य ।

रूपिका लगभग 8 बजे घर पहुँची और सीधे अपने कमरे में चली गई । कुछ देर बाद उसके दरवाजे को किसी ने खटखटाया
रूपिका-कौन है ?
महिला की आवाज़-मालकिन हम हैं रश्मि रामलाल काका की नातिन वो गाँव गए हैं ना तो हमें बुलाया है काम करने के लिए ।
रूपिका ने दरवाजा खोला तो उसके सामने सलवार सूट पहने 18-19 साल की बेहद सुन्दर लड़की खड़ी थी । पहली नज़र में तो उसे लगा जैसे वो आलिया भट को देख रही हो पर लड़की उससे भी सुंदर दी ऊपर से अजंता की किसी मूर्ती से तराशा हुआ बदन । देखते रश्मि उसे अच्छी लगने लगी ।
रूपिका-रश्मी काका ने तुम्हें क्यों बुलाया अभी तो तुम्हारे पढ़ने की उम्र है ।
रश्मी-दीदी काम के तो माँ आई हैं मैंने तो अभी बारहवीं पास की है पढ़ने के लिए माँ के साथ आ गए । हमारे साथ हमारा भाई भी आया है उम्र तो मेरे जितनी ही है पर दिमाग बच्चों जैसा है बीमार है तो आप उसपर गुस्सा मत करना।
रूपिका-ठीक है । रूपिका ने सोचते हुए जवाब दिया वो सोच रही थी कि कितने खुले दिल की और भोली भाली लड़की है ।"इसकी पलविका से खूब जमेगी" उसने मन में सोचा ।
रूपिका और रश्मी जब नीचे पहुँचे तो एक 30-35 साल की भरे बदन की महिला विक्रांत के लिए खाना लगा रही थी । महिला काफी आकर्षक थी गोरा रंग कुछ-2 सोनाली बेंद्रे जैसे नैन नक्श ,काफी उभरी हुई छातियाँ और कुहले । रूपिका ने अंदाज़ा लगया की यही रश्मी की माँ होगी "उम्र तो कम से कम इसकी 45 की होगी पर अभी 30 की भी नहीं लगती" रूपिका ने मन में सोचा ।
रूपिका-गुड इवनिंग पापा ।
विक्रांत- गुड इवनिंग बेटा । तो तुम रश्मी से मिल चुकी हो हम्म ....बड़ी होनहार बच्ची है ट्वेल्थ में टॉप किया है अब इसके एडमिशन की ज़िमेदारी तुम्हारी है ।
रूपिका- जी पापा । मैं पलविका के कॉलेज में ही एडमिशन करवा दूँगी इसका उसी के साथ चली जाया करेगी ।
पलविका-(खुश होते हुए) बिल्कुल हम दोनों तो दोस्त भी बन गए हैं । हैं ना रश्मी ?
रश्मी- जी मालकिन ।
पलविका-(बुरा मानते हुए) अगर तुमने मुझे दोबारा मालकिन कहा न तो मैं कभी तुमसे बात नहीं करूंगी ।
रश्मी- जी दीदी।
रश्मी की माँ- मालिक छोटे मालिक नहीं आये अब तक ।
विक्रांत- रुक्मणी तुमने फिर से इनकी माँ की याद दिला दी । आज लग रहा है कि घर-2 है । और तुम राहुल की टेंशन मत लो जनाब 10-11 बजे से पहले नहीं आने वाले ।
रूक्मणी-मालिक फिर छोटे मालिक खाना कब खाते हैं?
रूपिका- खा के आएगा काकी उसकी चिंता मत करो । (फिर विक्रांत की और देखते हुए) पापा आपकी नई सक्रेटरी काफी स्मार्ट और इंटेलिजेंट है कितनी सैलरी फिक्स की आपने ?
विक्रांत- बेचारी mba है वो भी पंजाब यूनिवर्सिटी से तो 20000 रखी है , कुछ ज्यादा है पर क्या फर्क पड़ता है ।
रूपिका-पापा आप भी न क्या एक दो हज़ार के बारे में सोचते हो बढ़िया लड़की है इतनी सैलरी तो बनती ही है ।
विक्रांत ने जल्दी से खाना खत्म किया क्योंकि उसे अकीरा से बात करनी थी । वो उसकी तरफ चुम्बक की तरह खीचा चला जा रहा था । अकीरा के कई मैसेज आ चुके थे पर बच्चों के सामने वो रिप्लाई नहीं कर सकता था । इसिलए उसे अपने कमरे में आने की जल्दी थी । अपने कमरे में आते ही उसने टीवी ऑन कर न्यूज़ चैनल लगाया और अकीरा को मैसज किया
विक्रांत- हैल्लो
अकीरा-जनाब को टाइम मिल गया ?
विक्रांत- सॉरी पर तुम तो जानती हो मेरे बच्चे हैं वो भी तुम्हारी उम्र के उनके सामने कैसे....
अकीरा- मैंनें तो विक्रांत राठौर के बहादुरी के किस्से सुने थे वो विक्रम राठौर इतना डरपोक कैसे हो गया ।
विक्रांत- तुम कोई जासूस हो क्या ? सब जानती हो कुछ भी करती हो और आज लंच कैसे भिजवाया तुमने ?
अकीरा- जासूस नहीं हूं पर जानती सब हूँ ।
विक्रांत-कैसे ?
अकीरा-लम्बी कहानी है जब मिलोगे तब बताऊँगी ।
विक्रांत - मिलना तो न जाने कब होगा ।
अकीरा- तुम हुक्म करो तो मैं अभी चंडीगढ़ आ जाऊं ?
विक्रांत-हा..हा. हा। तुम भी न कुछ भी कहती हो । दिल्ली से चंडीगढ़ इस समय ? न मुमकिन
अकीरा- अगर आ गयी तो ?
विक्रांत - तुम जो भी कहोगी मैं करूँगा ।
अकीरा- पक्का ? खाओ मेरी कसम की जो भी मैं कहूँगी वो तुम करोगे ।
विक्रांत -(घड़ी पे टाइम देखते हुए ....9 बजे हैं) अगर तुम 12बजे से पहले आ गईं तो आज रात के लिए मैं तुम्हारा गुलाम । उसे लग रहा था कि कितना भी तेज क्यों न कार ड्राइव करे 300 किलोमीटर का सफर तय करने में 4-5 घंटे तो लगेगें ही ।
अकीरा - मुझे मंजूर है। तो टाइम नोट कर लो
विक्रांत-कर लिया । अब क्या कर रही हो ?
अकीरा-कपड़े उतार रही हूँ ?
विक्रांत- क्यों ? आना नहीं है क्या ?
अकीरा- बोड़ाम महाराज कपड़े उतारूँ गी नहीं तो चेंज कैसे करूँगी । अकीरा ने इस मैसेज के साथ अपनी फ़ोटो भी विक्रांत को भेज दी । पतले से गुलाबी रंग के गाउन में उसके बदन एक एक गुमाव और उभार दिख रहा था ऊपर से मासूमियत भरा उसका चेहरा देख विक्रांत फिर से उत्तेजित हो गया । अनजाने में उसका हाथ लन्ड पर चला गया और वो फूल स्पीड मुठ मारने लग पड़ा ।
अकीरा-(वो विक्रांत का मैसेज न आने पर समझ गयी थी कि जनाब कंहाँ बिजी हैं) जनाब हाथ से करने की क्या ज़रूरत है मैं आ तो रही हूँ ।
विक्रांत-(चोंक गया कि इस लड़की को कैसे सब पता चल जाता है ) तुम भगवान हो क्या ?
अकीरा- ऐसा ही समझ लो पर जो भी हूँ बरसों से तुम्हें प्यार करती हूँ ।
विक्रांत-बरसों से कैसे ? हमने तो कुछ हफ्ते पहले एक दूसरे से बात की थी न वो भी ऑनलाइन?
अकीरा- यह सब छोड़ो बोला न मिल के सब बताऊँगी और 11 बजे एयरपोर्ट लेने आ जाना मुझे । 10 मिनट में मेरी फ्लाइट है ।
विक्रांत- तुम...तुम सच में आ रही हो ? पागल हो क्या ...इतनी रात को ? मैंने तो मज़ाक किया था ।
अकीरा- कितनी बार कहूँ तुम्हारे प्यार में मैं सच में पागल हूँ । अब बोर्ड पे हूँ बाई ...लव यू ।
विक्रांत का तो सिर घूम गया एक बार तो उसे लगा कि उसे चक्कर आ रहा है । उसने पानी पिया और पिछले दिनों हुई सब चीज़ों को टटोलना शुरू किया । "मैंने इसे हैंगआउट नहीं किया ....इसने किया था....इसके पास मेरा ईमेल आईडी होना चाहिए.....पहला मैसेज आया था 25 जुलाई को .....25....25.....दिनेश दिल्ली गया था ....क्या काम था उसे......" विक्रांत खुद से ही सवाल कर रहा था और जवाब उसे मिलते जा रहे थे । "दिनेश....दिल्ली... केस....उसके बेटे का केस था ....पुलिस...हेडक्वार्टर.." जवाब उसे मिल चुका था कि अकीरा ने उसे कैसे ढूंढा पर यह थी कौन और उसे कैसे जानती थी ....सवाल पेचीदा था और टाइम कम उसने जल्दी से ब्लू जीन्स और सफेद शर्ट पहनी और घर से बाहर निकल गया उसने अपनी ऑडी A8 स्टार्ट की और एयरपोर्ट की तरफ ड्राइव करना शुरू किया अभी 1 घंटा था उसके पास उसने अपनी रफ्तार धीरे रखी क्योंकि वो एयरपोर्ट पहुंचने से पहले इस अकीरा नाम की पहेली को सुलझा लेना चाहता था ।
"अकीरा....पुलिस हेडक्वार्टर......फ्लाइट से आ रही है....अमीर है....रात को आ रही है कॉन्फिडेंट है....yes... पुलिस ऑफिसर" विक्रांत ने गाड़ी रोक दी और मोबाइल पे गूगल पे सर्च किया 'IPS akira' एक सेकंड के बाद सब कुछ वो समझ चुका था क्योंकि वकीपीडिया पे जानकारी थी
नेम -अकीरा रघुवंशी
ऐज-27
ओक्यूपेशन-आईपीएस
पेरेंट्स- जीवन एंड रूपाली रघुवंशी।
विक्रांत अचानक अपने अतीत में चला गया जीवन उसके ही साथ ऑर्मी में था । लगभग 8-9 साल पहले वो उनके घर गया था तब वो अकीरा से मिला अकीरा और वो घंटो बातें किया करते अकीरा ने अपने प्यार का इज़हार तब भी किया था और विक्रांत को भी वो अच्छी लगती थी पर दोस्त की बेटी फिर उम्र में इतना अंतर जैसी बातों ने उसे रोक लिया और चंडीगढ़ वापिस आ गया और कुछ ही महीनों बाद उसे खबर मिली कि जीवन का पूरा परिवार एक विमान दुर्घटना में मारा गया ।
विक्रांत अपनी यादों के घेरे से बाहर आया और एयरपोर्ट की तरफ चल पड़ा । वो जैसे ही एयरपोर्ट पहुंचा अकीरा का मैसेज आ गया कि वो गेट पे है,और उसका इंतजार कर रही है । विक्रांत का दिल ज़ोर-2 से धड़कने लगा था । उसने दूर से अकीरा को पहचान लिया अकीरा ने हल्के ग्रे रंग की स्किन टाइट जीन्स और फ्लोलर लूज़ टॉप पहनी हुई थी । जिसमें से उसके गोरे सुडोल कंधे साफ नजर आ रहे थे सब मर्द उसे ललचाई नज़रों से घूर रहे थे । विक्रांत यह सोचता हुआ आगे बढ़ रहा था कि गले मिलूँ , हेलो करूँ या सिर्फ हाई से कामचाला लूँ पर उसके कुछ करने से पहले ही अकीरा भाग के आई और उसके साथ लिपट गयी ।
अकीरा-(संभलते हुए) देखा मैंने अपना वादा पूरा कर लिया न ।
विक्रांत-ऑफिसर साहिबा आप कुछ भी कर सकती हैं अब बोलिये गुलाम के लिए क्या हुक्म है।
अकीरा(हैरान होते हुए)- तो तुमने दिनेश जी से बात की ?
विक्रांत -नहीं उसकी जरूरत नहीं पड़ी देश की सबसे छोटी और खूबसूरत ऑफीसर को कौन नहीं जानता ।
अकीरा-ह्म्म्म हैंडसम एंड इंटेलिजेंट मैन ।
विक्रांत - तो कंहाँ चलना है ?
अकीरा- ताज ...रूम बुक है ।
विक्रांत -घर नहीं चलना ?
अकीरा-जब ज्यादा दिनों के लिए आऊंगी तब चलूँगी ।
विक्रांत(अकीरा को उसकी कमर में हाथ डाल के अपनी तरफ खींच लेता है और उसकी आँखों में देखते हुए कहता है )- सुबह जाना है क्या ?
अकीरा- ह्म्म्म पर उसकी बात हम बाद में करेंगे ।
विक्रांत- तो अब क्या करें?
अकीरा-प्यार बस प्यार ।
विक्रांत- यहीं पे? चलो होटल चलें ।
कुछ समय के बाद दोनों होटल के एक आलीशान कमरे के बिस्तर पर लेटे हुए थे अकीरा विक्रांत से लिपटी हुई थी और उसके दिनभर की दास्तान सुन रही थी ।













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FUN-MAZA-MASTI तुस्सी बड़े खराब हो--4

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तुस्सी बड़े खराब हो--4



विक्रांत को आफिस आए हुए तीन घंटे हो चुके और वो कई इंटरव्यू ले चुका था पर अभी तक एक भी ढंग की उम्मीदवार नहीं आई थी । उसने अपने लिए कॉफी मंगवाई और 10 मिनट के लिए किसी को भी अंदर न भेजने के कहा । कॉफी पीते हुए वो सोचने लगा की यह दिनेश ही उस लड़की को भेज देता । उसने दिनेश को फ़ोन करने के लिए मोबाइल उठाया तो अकीरा का मैसेज आया हुआ था-:
"ऑफिस पहुँच गए ?"
विक्रांत-"हाँ"
अकीरा-"क्या कर रहे हो?" .
विक्रांत-"टेकिंग इंटरव्यू फ़ॉर पर्सनल सेक्रेटरी"
अकीरा-"ओह तभी रिप्लाई करने में इतना टाइम लगा दिया "
विक्रांत-"ऐसी बात नहीं है कोई भी अच्छा कैंडिडेट आया ही नहीं थक गया हूँ "
अकीरा-"तो यह बात है ...अच्छा यह बताओ लंच किया या नहीं ?"
विक्रांत-नहीं समय ही नहीं मिला ,फिर आज मेरा बावर्ची भी छुट्टी पे चला गया तो लंचबॉक्स भी मैं ला नही सका
अकीरा-तो मैं भिझवा दूँ?
विक्रांत-दिल्ली से भिझवाओगी? हा.. हा... हा।
अकीरा - तुम बस अपने आफिस का एड्रेस सेंड करो। 10 मिनट में खाना तुम्हारे टेबल पे होगा ।
विक्रांत ने ऑफिस का एड्रेस अकीरा को भेज दिया । और बेलबॉय से अगले उम्मीदवार को भेजने के लिये कहा । तीन चार लड़कियां आई पर कोई भी विक्रांत को जची नहीं पर तभी उसने ईशा को अंदर आते देखा लाल रंग के स्कर्ट और सफेद शर्ट में वो एयर होस्टेस जैसी लग रही थी ऊपर से बला की खूबसूरत।
ईशा- May I come in sir ? ईशा ने अपने बालों की एक लट को सँवारते हुए पूछा ।
विक्रांत- yes plz , kindly have seat .
ईशा-good morning sir .
विक्रांत- Mba हो फिर इस जॉब के लिए क्यों अप्लाई किया ? मेरा मतलब है तुम्हें इससे बेहतर जॉब मिल सकती है।
ईशा-सर फैमिली प्रॉब्लम के कारण मैं पिछले एक साल से जॉब नहीं कर पाई और अब मुझे अपनी प्रोफाइल की जॉब मिल नहीं रही । और फिर जॉब तो जॉब है कुछ भी हो सकती है ।
विक्रांत- मुझे तुम्हारी सही और सच्ची बात अच्छी लगी । अब ये बताओ सैलरी क्या लोगी ।
ईशा- जो भी आप अपनी हार्डवर्किंग सेक्रेटरी को देते ।
विक्रांत- ओह । विक्रांत ने एक सफेद पन्ना लिया और उस पर 20000 लिख दिया और पन्ना ईशा को देते हुए कहा इतनी सैलरी ठीक रहेगी ।
ईशा -बिल्कुल सर । thankyou very much . कब से जॉइन करना है मुझे ?
इससे पहले की विक्रांत ईशा को कोई जवाब देता उसका 'पीए' अंदर आया और उसने विक्रांत से कहा कि किसी ने उसके लंच भिजवाया है ।
पीए-सर लंच ले आऊं ?
विक्रांत-हाँ ।पेमेन्ट कर देना ।
पीए-सर किसी अकीरा चौहान ने पेमेंट कर दी है ।
विक्रांत-'कमाल है ये लड़की भी'। उसने खुद से कहा ।
ईशा- क्या मैं जाऊं सर ?
विक्रांत- नहीं तुम्हें अभी से जॉइन करना है और पहला काम है लंच में मुझे कंपनी देना अगर तुम्हें कोई एतराज न हो तो ।
ईशा- oh not at all sir , it's a great honor for me to have lunch with you ( बिल्कुल नहीं कोई प्रॉब्लम नहीं है बल्कि आपके साथ लंच करना मेरे लिए सम्मान की बात है )
तो दोस्तों इस तरह विक्रांत को अपनी नई सक्रेटरी मिल गयी । पर यह अकीरा कौन है और विक्रांत के पीछे क्यों पड़ी हुई है इसका जवाब विक्रांत के अतीत में है । जो धीरे-2 हमारे सामने आएगा ।


 रूपिका का रहस्य

 शाम हो चुकी थी और सब घर जा चुके थे पर रूपिका अपने ऑफिस में बैठी कुछ सोच रही थी उसके मन में एक काम को लेके एक उलझन थी जिसके कारण वो थोड़ी परेशान थी ।"क्या आज यह सब करना ठीक होगा?" उसके एक मन ने सवाल किया ।
"ठीक गलत कुछ नहीं होता जो कुछ होता है वो है जरूरत" दूसरे मन ने जवाब दिया ।
"यह ठीक नहीं है किसी की मर्ज़ी के खिलाफ ऐसा करना ठीक नहीं" पहले मन ने जवाब दिया ।
"यह सब छोड़ रूपिका मर्द को बस चूत से मतलब होता है उसकी मर्जी कुछ नहीं होती मर्द लन्ड से सोचता है दिमाग से नहीं तुझे लन्ड की जरूरत है और उस दो कौड़ी के ड्राइवर को तुझ से बेहतर चूत नही मिलेगी" उसके दूसरे मन ने जवाब दिया ।
उसके अच्छे मन की आवाज़ को उसके अतृप्त औरत के मन ने दबा दिया । और रूपिका ने झट से फ़ोन उठा लिया और अपने ड्राइवर को फ़ोन लगाया
रूपिका-महेश जल्दी आफिस के नीचे आ जाओ मैं ऑफिस से निकल रही हूं ।
महेश-जी मैडम ।
रूपिका जल्दी से बाथरूम गयी और कपड़े बदल लिए ,उसने जीन्स और शर्ट उतार के एक गहरे गले वाली वन पीस ड्रेस पहन ली जिसमें से उसके सुडोल स्तन काफी साफ नजर आ रहे थे । रूपिका को नए मर्दों की सनक थी जिसके साथ एक बार चुदाई कर लेती उसे दुबारा न देखती और इसके लिए वो चुनती अपने ड्राइवर को । कई ड्राइवर उसकी इस सनक का शिकार हो चुके थे और महेश पन्द्रहवां था ।
वो जब नीचे पहुँची तो महेश कार के पास खड़ा था ,महेश 22-23 साल का मँझोले कद का लड़का था अपनी मालकिन के ऐसे रूप को देखकर वो थोड़ा असहज हो गया । उसने रूपिका के लिए दरवाजा खोला । रूपिका जानभुझकर इसतरह से कार में बैठी की महेश की आँखें उसके मंम्मों पर गढ़ गयी । पर लड़के ने जल्दी ही खुद को संभाल लिया और ड्राइवर सीट पर आ गया ।
महेश-मैडम घर चलना है ?
रूपिका- नहीं पहले मुझे अपने जीरकपुर वाले फार्महाउस जाना है कुछ पेपर्स लेने हैं ।
महेश ने "जी" कहा और कार चलाने लगा ।
रूपिका- महेश कोई गर्लफ्रैंड है तुम्हारी?
महेश-नहीं मैडम हम जैसे गरीब को कौन प्यार करता है ।
रूपिका- आजकल प्यार के लिए बल्कि किसी और चीज़ के लिए गर्लफ्रैंड बनाई जाती है ।
महेश-जी वो तो है।
रूपिका - तो कितनी बार मज़ा ले चुके हो ?
महेश- जी मैडम क्या ? मुझे समझ नहीं आई आपकी बात ।
रूपिका - बड़े भोले हो , मैं पूछ रही थी कितनी बार सेक्स कर चुके हो?
रूपिका की ऐसी बात सुनके महेश तो जैसे सुन ही हो गया । उससे कोई जवाब देते न बना ।
रूपिका- शर्माओ नहीं बोलो भी या अभी तक हाथ से काम चलाते हो ?
महेश- ह...हा... हाथ से ही करते हैं । मैडम फार्महाउस आ गया ।
रूपिका - गाड़ी गेराज में लगा दो , मुझे कुछ सामान भी लेना है इसलिए गाड़ी गेराज में पार्क करके अंदर आ जाना ।
महेश जब बंगले में दाखिल हुआ तो रूपिका एक कमरे में एक फ़ाइल खोले बैठी थी । उसके सामने टेबल पे जॉनी वॉकर की ग्रीन लेबल दारू की बोतल खुली पड़ी थी और दो गिलास थे ।
रूपिका-आओ बैठो महेश मुझे यह रिपोर्ट पढ़नी है थोड़ा टाइम लगेगा । महेश ने चुपचाप टेबल के पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गया । रूपिका ने अपने लिए एक पैग बनाया और पीने लगी पर गिलास को अपने होंठों के पास ले जाकर रुक गयी एक नज़र महेश को देखा और बोली
रूपिका- तुम पीते हो?
महेश-पार्टी वैगरह हो तो पी लेता हूँ ।
रूपिका-आज अपनी मालकिन के साथ पियोगे ? रूपिका ने पूछा , पर इससे पहले महेश जवाब देता उसने एक बड़ा सा पेग बनाके महेश को थमा दिया ।
महेश-मैडम आपके साथ कैसे ....महेश ने गिलास पकड़ते हुए कहा ।
रूपिका-पार्टी में पीते हो आज सोच लो तुम्हारी मालकिन पार्टी दे रही है।
दोनों के गिलास टकराये और रूपिका एक ही गूट में सारा पेग पी गयी । उसे देख महेश ने भी गिलास खत्म कर दिया ...रूपिका ने दूसरा पेग बनाया फिर तीसरा ...महेश पर शराब अपना असर करने लगी थी पर रूपिका बिल्कुल होश में थी उसने तीसरे पेग में वायग्रा की तीन गोलियां चुपके से मिला दी और खुद पेग पीने का बस दिखावा करती रही । कुछ देर बाद मेहश पांच पेग पी चुका था और रूपिका का तीसरा भी अभी खाली नहीं हुआ था ।
रूपिका - काफी हैंडसम हो तुम
महेश- थैंक्यू मैडम । आप भी काफी सुंदर हैं ।
रूपिका- अच्छा ...कितनी सुंदर हुँ मैं?
महेश-आप तो परी हैं जिसके सपने देखते हैं हम ।
रूपिका- कभी सपने में इस परी की चुदाई भी करते हो ?
महेश-मैडम ज़ोर आपके नाम की मुठ मरता हूँ।
रूपिका- झूठ मत बोलो ?
महेश-कसम से मैडम जब भी देखता हूँ आपको लन्ड डंडा बन जाता है मन तो करता है कार में ही चोद दूँ आपको ।
रूपिका-बड़े बदमाश हो । अच्छा ये बताओ मुझे देखके तुम्हारा खड़ा क्यों होता है ।
महेश-मैडम आपको देखते ही छक्के का भी खड़ा हो जाये मैं तो मर्द हूँ ।
रूपिका -चोदना चाहते हो ?
महेश-मैडम आपसे प्यार हो गया है ...माँ कसम आपसी लड़की नहीं देखी एक दम बिंदास ।
रूपिका को इस जवाब कि उम्मीद नहीं थी । महेश की हालत देखकर उसे पता चल चुका था कि पहली बार इसने इतनी पी है और नशे में धुत है । पर उसे खेलने में मज़ा आ रहा था इसलिए उसने और मज़ा लेने की सोची ।
रूपिका-प्यार और मुझसे पता है तुमसे पहले कई मर्दों के साथ सो चुकि हूँ मैं मुझे मर्द प्यार नहीं करते बस चोदते हैं।
महेश-पता है मैडम आफिस में कई लोग आपको ऐसा बोलते हैं यह देखो चोट ये उस कमीने मैनेजर की ठुकाई करते हुए लगी थी कह रहा था.....महेश कहते कहते रुक गया ।
रूपिका-क्या कह रहा था ?
महेश-छोड़ो मैडम क्यों परेशान होती हो
रूपिका-बताओ भी...
महेश-कह रहा था कि मैडम रंडी है हर 15 दिन पे ड्राइव चेंज करती है और उनसे मरवाती है ...कुत्ते के लगाए मैंने दो चार
रूपिका ने उसकी बात सुनी उसका हाथ देखा वो सच में काफी सूजा हुआ था । रूपिका ने मेहश का चेहरा देखा तो वो आंसुओं से भीगा हुआ था । रूपिका को मैनेजर की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था पर इस ड्राइवर ने उसके अंदर की अच्छाई को जगा दिया था ।उसने अपने गुलाब से होंठ महेश के अंगारों से जलते होंठों पर रख दिए और दोनों के होंठ एक हो गए । अपने घमंड के बावजूद न जाने क्यों उसने महेश को उसके घर पहुँचा दिया । वो काफी देर अकेले ही कार चलाती रही एक अजीब सी खुशी थी उसके मन में जिसका कारण वो खुद भी नहीं जानती थी पर इतना जरूर जानती थी कि महेश हो सकता है कि उसके जिस्म की भूख को मिटा न पाए पर अब रूपिका अपना बदन और किसी मर्द को सौंप नहीं पाएगी ।











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FUN-MAZA-MASTI तुस्सी बड़े खराब हो--3

FUN-MAZA-MASTI

तुस्सी बड़े खराब हो--3


दिनेश(वो जानता था कि चाहे उसकी बहु बहाना बना रही है पर बोल सच्ची बात रही है 7 बजे थाने से कोई न कोई ज़रूर आएगा ) ठीक है बहु पर याद रहे साड़ी मत पहनना मैक्सी ही पहन लेना ।
आरुषि -ठीक है पापा मैक्सी ही पहन लूँगी। वो सोच रही थी जान बची लाखों पाए । वो अपने कमरे में गयी मैक्सी पहनी और रसोई में सब्जी काटी और तड़का लगाने लगी । आधा घंटा बीत चुका था दिनेश अपने कमरे में टीवी देख रहा था आरुषि को टीवी की आवाज़ सुनाई दे रही थी । आरुषि ने सब्जी को तड़का लगाके जैसे ही आटा गूंधना शुरू किया दिनेश ने उसे पीछे से जकड़ लिया वो सेल्फ पर झुकी हुई आटा गूँथ रही थी इसिलए खुद को दिनेश की पकड़ से छुड़ा भी न पाई । दिनेश ने उसके मंम्मों को दबाना मसलना शुरू कर दिया ।
आरुषि-क्या कर रहें पापा छोड़िए न आटा गूँथने दो न ।
दिनेश- तुम आटा गुन्थों मैं तुम्हारे ये मोटे-2 मम्में । उसने आरुषि के मोम्मों को मसलते हुए कहा । वो अपनी बहू के स्तनों को बुरी तरह मसल रहा था रौंद रहा था और इसके साथ ही वो उसकी गर्दन चेहरे को चूमता जा रहा था ...
आरुषि की सिसकियाँ निकल रही थी वो आटा बनाते हुए "आह...ओह ...माँ.... ओह पापा .....आह..." वो पागल सी होती जा रही थी । दिनेश ने अपना एक हाथ आरुषि की मैक्सी के अंदर डाल लिया । आरुषि ने उसका हाथ बाहर निकालने की कोशिश की तो दिनेश ने उसका स्तन बेहद बेहरहमी से मसल दिया "आइ.... आ...आ...मर गई" वो चीत्कार कर उठी ।
दिनेश-बहू तुम्हारा आटा बन गया अब चपातियाँ बनाओ बाकी सब मुझपे छोड़ दो । बड़ी प्यारी चूत है तेरी देख कैसे फड़फड़ा रहा है तेरी चूत का दाना ...यह मुझे कह रहा है कि इसे लौड़ा चाहिए ...बहु कस के सेल्फ पकड़ ले ...
आरुषि-पापा प्लीज नहीं ....वो एक आखिरी कोशिश कर रही थी । उसने न चाहते हुए भी सेल्फ को दोनों हाथों से पकड़ लिया । झुकने के कारण उसकी चूत ऊपर की तरफ हो गयी ।
दिनेश ने आरुषि को कमर से पकड़ लिया और लन्ड को चूत वे सेट करके ज़ोर से धक्का लगाया ।"आ...आ...माँ मर गयी मैं ..." आरुषि को लगा जैसे लोहे का मोटा डंडा उसकी बुर में डाल दिया गया हो । दिनेश ने नीचे की तरफ देखा तो लन्ड लगभग आधा अंदर जा चुका था और खून की एक पतली सी धार आरुषि की टाँगों से होती हुई फर्श पे बह रही थी ।"लगता इसकी सच में फट गई है ...टाइट थी बहुत" दिनेश ने अंदाज़ा लगाया पर यह समय रहम खाने का नहीं था उसने पांच-छे शॉट एक के बाद एक पेल दिए जैसे कि कोई ऐक्शन रीप्ले कर रहा हो आरुषि की दर्दनाक चीखों से सारा घर गूंज उठा उसकी टाँगे काँपने लग पड़ी अगर दिनेश अपनी पूरी ताकत लगा के उसे सेल्फ पर न झुकता तो यकीनन वो गिर पड़ती । दिनेश ने अपनी पूरी ताकत से आरुषि को सेल्फ पे दोहरा किया हुआ था उसने अपने दोनों हाथों से आरुषि के चेहरे को सेल्फ पर दबा रखा था आरुषि के स्तन सेल्फ से पिचक रहे थे उसकी साँस रुक रही थी । पर बेरहम बूढ़े को उसकी कोई चिंता नहीं थी उसने आरुषि को इसी पोजीशन में दबाए रखा और पीछे से गस्सों की रेल चला दी आरुषि पसीने से तरबतर हो गयी उसकी जवानी को मसल के रख दिया गया था उसके कानों में गस्सों की ..फच...फच....पट...पट...फच..फच..की आवाज़ गूँज रही थी ...पर कुदरत भी अजीब है लन्ड और चुदाई कैसी भी क्यों न हो औरत की चूत उसके हिसाब से एडजस्ट कर ही लेती है ताकि चर्म सुख का आनंद ले सके और ऐसा ही आरुषि के साथ भी हुआ और धीरे-2 उसका दर्द आंनद में बदलने लगा ...चीखों की जगह कामुक आहों ने लेली "आह ...आह ...आह...ओह ...आह ...उम्म ...उफ्फ ..ओह्ह..अअअअअअअ... हहहहहह" एक लंबी आह के साथ उसका बदन अकड़ा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया । दिनेश ने उसे अपनी पकड़ से आज़ाद कर दिया पर आरुषि निढाल सेल्फ पर ही पड़ी रही ...उसे परमानंद का अनुभव हो रहा था उसके ससुर का घोड़ा लन्ड अभी भी उसकी चूत में था पर अब वो उसे अपने ही बदन का हिस्सा लग रहा था ...लन्ड की गर्मी उसे अच्छी लग रही थी ।
दिनेश-बहु ...आज तूने कामल कर दिया ?
आरुषि- पापा आपने तो पीसकर कर दिया है मुझे मैने क्या कमाल किया है कमाल का तो आपका यह शैतानी लन्ड है ।
दिनेश-आज तो तूने इसे भी फेल कर दिया पूरे तीन बार झडा हूँ और तू बस एक बार इतनी कसी हुई चूत है तेरी की यकीन नहीं होता ।
आरुषि-इतनी जल्दी आप तीन बार झड़ गए ?
दिनेश -पगली जल्दी थोड़े ही पूरे 45 मिनट से चुदाई कर रहा था तेरी ।
आरुषि-इतना टाइम पर मुझे तो लगा कि कुछ ही मिनट हुए हैं । ..अब निकालो लन्ड महाराज को मुझे रोटियां बनानी हैं ।
दिनेश-लन्ड निकालने की क्या ज़रूरत है तू रोटियां बना मैं हल्के हल्के धक्के लगता रहूंगा ...
आरुषि-पूरे चोदू हो आप ...इतनी बुरी गत बना दी है मेरी फिर भी चैन नहीं है आपको ....
दिनेश- मुझे तो चैन ही चैन है पर अपने इस लन्ड का क्या करूँ ?
आरुषि -भागे थोड़े न जा रही हूँ जल्दी -2 रोटियां बनाने दो कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी ।
दिनेश- ठीक है धक्के नहीं लगाऊंगा पर लन्ड अंदर ही रहने दे बड़ा सुख मिल रहा है ।
आरुषि रोटियाँ बनाने लग पड़ी और दिनेश उसके मंम्मों से खेलता रहा बीच-2 में दी चार झटके भी दे देता । "आह ..आहक्या कर रहे हो रोटी टूट जाएगी" वो प्यार से कहती । "अच्छा रोटी टूटने की चिंता है तुझे और जो तेरी इस कसी हुई चूत में मेरा लन्ड टूट रहा है उसका क्या ?'" दिनेश उसकी गाँड़ पर हल्के हाथों से मारते हुए कहता ।
आरुषि-पापा निकालो न देखो देर हो रही है ...कोई आ जायेगा देखो 7 बज गए ।
दिनेश ने टाइम देखा तो सात बज चुके थे उसने अपना लन्ड आरुषि की चूत से बाहर निकाल लिया ।
दिनेश- अब पड़ गयी तुझे ठंडक ले बना ले रोटियां ...मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ ।
दिनेश के चले जाने के बाद सबसे पहले आरुषि ने अपनी मैक्सी ऊपर करके अपनी चूत चेक की उसकी जमा हुआ खून और सूज गयी चूत देख कर बेचारी डर गई "हाय राम कितनी बेहरमी से चुदाई की है कुत्ते ने क्या हाल कर दिया है ...कितनी सूज गयी है " उसने अपने आपसे से कहा और जैसे जैसे उसका बदन ठंडा पड़ता गया असहनीय दर्द फिर से शुरू हो गया । पर बेचारी क्या करती कोई चारा नही था उसके पास उसने किसी तरह रोटियां पकाई और अपने पति के लिए खाना टिफिन बॉक्स में पैक किया । दर्द वक़्त बीतने के साथ साथ बढ़ता जा रहा था उसने पानी हल्का गर्म किया और एक कपड़ा लेकर टाँगों पे लगा हुआ खून साफ किया और फिर अपनी चूत को साफ करने लगी गर्म पानी से उसे जलन हो रही थी पर आराम भी मिल रहा था । आरुषि रसोई के फर्श पर ही दीवार का सहारा लेकर बैठ गयी ..वो अपने ससुर के सामने नहीं जाना चाहती थी बेचारी थक चुकी थी कब उसकी आँख लग गयी उसे पता ही चला । वो लगभग एक घण्टे तक सोती रही और कांस्टेबल ने जब डोरबेल बजाई तो उसकी आँख खुली । आरुषि बड़ी मुश्किल से दीवार का सहारा लेकर खड़ी हो सकी किसी तरह उसने टिफिन उठाया और दरवाजा खोल के कांस्टेबल को दिया और दरवाजा बंद कर दरवाजे के सहारा लेकर ही खड़ी हो गयी क्योंकि चल पाने की शक्ति अब उसमें न थी । "नहीं...." अचानक अपने सामने दिनेश को देखकर वो चिल्लाई ...और जैसे हिरण शिकार होने से पहले पूरी ताकत लगाकर शेर से दूर भागता है वो भी भागने लगी । दिनेश उसके पीछे भागा ....वो लॉबी में सोफ़े के दाईं तरफ होती दिनेश बांई तरफ से उसका रास्ता रोक लेता ..."बहु क्यों डर रही है ...चल आ मेरे पास" दिनेश उसे बहलाने के लिए कहता । वो बाईं तरफ होती दिनेश दाईं तरफ से सामने आ जाता ..आरुषि छत की सीढ़ियों की तरफ भागी वो लॉबी के उत्तरी कोने से ऊपर जाती थीं ...दिनेश उसके पीछे भागा ..उसने अपने शिकार को पकड़ने के हाथ आगे किया आरुषि तो बच गई पर उसकी मैक्सी उसके हाथ में आ गयी और फट गयी ....वो नंगी ही सीढ़ियों की और भागी और सीढ़ियों पे चढ़ने में कामयाब हो गयी ।
दिनेश-(सीढ़ियों के नीचे आते हुए) बहू नंगी ही छत पे जाओगी क्या?
आरुषि-(अपने नंगे बदन को देखते हुए) पापा प्लीज आज और मत करो मैं और सहन नहीं कर पाऊँगी ।
दिनेश-पहले तो शायद तुझे छोड़ देता पर अब जितना भगाया है तूने उसका हर्जाना तो भरना ही होगा न? अब तू नीचे आएगी या मैं ऊपर आऊँ पर अगर मैं ऊपर आया तो ......
आरुषि(नीचे उतरते हुए वो जानती थी इनके इलावा उसके पास कोई चारा नहीं है)-सॉरी पापा आपका लन्ड देख कर डर गई थी मैं प्लीज जाने दो न मुझे ।
दिनेश(आरुषि को पकड़ते हुए)- तुझे मज़ा नहीं आया? बोल
आरुषि-नहीं आपने आज मेरा रेप किया है
दिनेश-(आरुषि की चूत में ऊँगली घूसाते हुए) तू भी तो लन्ड लेना चाहती थी मेरा ।
आरुषि-(उसे उंगली का अंदर बाहर होना अच्छा लग रहा था पर वो खुद को रोक रही थी)यह झूठ है ।
दिनेश-(दिनेश ने उसे सीढ़ियों की ग्रिल के सहारे झुका लिया और अपना लन्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा)अगर झूठ है तो तू मेरे लन्ड को देखकर उंगली क्यों कर रही थी ?
आरुषि- नही...आह...आह... ओह... माँ... प्लीज पापा रुक जाओ ।
दिनेश-झूठ मत बोल ...तेरी आवाज़ बता रही है कि तुझे अभी भी लन्ड चाहिए..तू चाहे न कहे पर तेरी ये चाहत मैं पूरी करूँगा । उसने आरुषि की चूत पर लन्ड रगड़ते हुए कहा और एक जोरदार झटके से लन्ड पूरा पेल दिया ।
"आई माँ मर गई ...." आरुषि जल बिन मछली की भांति करहा उठी । दिनेश ने उसके स्तनों को ज़ोर से भीच लिया और हल्के-हल्के झटके देने शुरू किए । दिनेश उसकी चुचियों को दबा रहा था उसे चूम रहा रहा था और लगातार हल्के हल्के झटके लागए जा रहा था ..आरुषि की चूत लन्ड की गर्मी से पिघलती जा रही थी उसके बदन फिर गर्म हो रहा था दर्द और शर्म की जगह काम सुख ने ली "आह...पापा बड़ा ...मज़ा आ रहा है ...ऐसे ही ....आह...मुझे आपका लन्ड चाहिए... आह..."..
दिनेश- देख आया न मज़ा ...ऐसे ही नाटक कर रही थी ...
आरुषि-उम्म...आह...अब से आप मेरे पति हो ....आह...तेज़ करो फाड़ दो फिरसे मेरी आह ...
दिनेश-हम्म आज से पत्नी हुई तू मेरी...क्या चूत है तेरी...आह ...और नहीं सहन होता
आरुषि-तो कौन रोक रहा है ....बन जाओ घोड़े और मसल दो मुझे...आह...

दिनेश ने अपने झटकों की रफ्तार एक का एक तेज़ कर दी ....फच...फच..की आवाज से एक बार फिर सारा घर गूँजने लगा ....दोनों ससुर बहू की एक लम्बी आह के साथ एक साथ झड़ गए । दिनेश का लन्ड सिकुड़ के अपने आप बाहर आ गया ।
आरुषि-पापा मज़ा आ गया मैं तो फैन हो गयी आपके इस मूसल लन्ड की ।
दिनेश-बहू अभी तो पूरा जलवा कंहाँ देखा है तूने असली फैन तो तू रात खत्म होने पर बनेगी ...अभी सारी रात बाकी है और चुदाई के कई दौर भी ।
आरुषि- अभी और चुदाई करोगे क्या ? कल कॉलेज कैसे जाऊँगी ।
दिनेश- बस तू देखती जा बहू सब ठीक कर दूँगा मैं । तू सोफ़े पर बैठ और टीवी देख मैं तेरे लिये कॉफी बना के लाता हूँ ।
आरुषि- नहीं पापा आप क्यों ? मैं बनाकर लाती हूँ ।
दिनेश- अरे अब क्या औपचारिकता निभानी ? तू आराम कर अभी बड़ी मेहनत करनी है तुझे । यह देख तेरे पापा का लन्ड फिर खड़ा हो गया है ।
आरुषि-हाय राम कितना बड़ा लग रहा है यह तो । बेचारी अपने ससुर के मूसल लन्ड को देख कर घबरा गई थी ...अब उसके ससुर ने लन्ड पे रिंग भी लगा रखी थी । लन्ड खम्बे जैसा लग रहा था ।
दिनेश-बहु मेरी प्यारी राँड़ तू लन्ड से मत घबरा यह तो तेरे मज़े की चाबी है । तू बैठ मैं आता हूँ ।
दिनेश रसोई में चला जाता है आरुषि टीवी ऑन कर लेती है और "भाभीजी घर पर हैं" देखने लगती है । अंगूरी भाभी सुबह -2 कपड़े सुखाने के लिए तार पर डाल रहीं हैं और विभुति अपने गेट से भाभी जी को उछलते हुए देख रहा है ।
विभुति- भाभी जी गुड मॉर्निंग
अंगूरी-गुड़ मॉर्निंग विभुति जी ।
विभुति- भाभी जी क्या कर रहीं हैं ।
अंगूरी-कपड़े सूखा रहें हैं और क्या ।
विभुति(अंगूरी के सुडौल स्तंनो को घूरते हुए)- भाभी जी आज आप कुछ ठीक नहीं लग रहीं हैं ।
अंगूरी- I am suck .
विभूति-suck तो हम करना चाहते हैं आपके इन संतरों को ।
अंगूरी- का बोले?
विभुति - कुछ नहीं भाभी जी suck नहीं sick होता है ।
अंगूरी-सही पकड़े हैं , आज हम कुछो बीमार हैं ।
विभुति-बीमार तो हम हैं और आपका हुस्न एक दवा ।
अंगूरी-का बोले ?
विभुति - भाभी जी मैं कह रहा था कि आप बीमार कैसे हो गईं।
तभी दिनेश कॉफी के दो कप लेकर आ गया और आरूषि को कप देते हुए बोला "बीमार तो हम भी हैं देखो तो बेचारा अभी तक अकड़ा हुआ है "
आरुषि -इसमें मेरा क्या कसूर है
दिनेश-तेरा नहीं पर तेरे इस हुस्न का कसूर है ।
आरुषि-तो आओ इसका इलाज कर देती हूँ ।
दिनेश उसके पास ही सोफ़े पर बैठ गया । आरुषि ने अपने ससुर के लन्ड को एक हाथ से पकड़ लिया और कॉफी पीते हुए मुठियाने लगी ।
दिनेश-बहू बड़ा मस्त माल है तू कॉफी पीते हुए लन्ड का मज़ा लेगी?
आरुषि-पर मुझे तो नाटक देखना है ।
दिनेश-वो तो मैं भी देखूँगा तू आजा मेरी गोद में और चढ़ जा इस अजगर पे फिर देख तीनों चीजों का मज़ा आएगा ।
दिनेश सोफ़े पर पीठ लगा के आराम से बैठ गया ,आरुषि उठी मुँह टीवी और पीठ दिनेश की तरफ करके दिनेश की गोद में बैठने लगी दिनेश ने अपने लन्ड को पकड़ के आरुषि की चूत के नीचे सेट किया ।
आरुषि-ऊई माँ चुभता है ।वो लन्ड पर बैठते हुए बोली । वो जैसे अपना वजन लन्ड पर डालती जा रही थी वैसे-2 लन्ड उसकी फुद्दी में घुसता जा रहा था । "उफ्फ ...आह कितना मोटा है दर्द हो रहा है " वो सिसक उठी ।
दिनेश -तुझे पसंद आया लन्ड ?
आरुषि ने अपना पूरा वजन लन्ड पर डाल दिया और लन्ड सरकता हुआ जड़ तक समा गया "अहह....पसंद है आह...ओह माँ" । दिनेश ने हल्के हल्के झटके देने शुरू किए उसका अजगर जैसा लन्ड आरुषि कि चूत के दाने से रगड़ खाता हुआ अंदर बाहर होने लगा ।आरुषि की आह..आह...पूरे घर में गूँजने लगी ।
दिनेश- बहू तू कॉफी नहीं पी रही बता तो कैसी बनी है ।
आरुषि-आह...अहह...आप इतना उछाल रहे हो कैसे पीऊँ ?
दिनेश-चल ऐसा करते हैं मैं एक झटका दूँगा और तू एक घूँट पीना फिर मैं एक झटका दूँगा तो दूसरा घूँट पीना इतना कह कर दिनेश ने एक भारी झटका मारा उसका लन्ड जोर से आरुषि की बच्चेदानी से जा टकराया उसने लन्ड पीछे नहीं खींचा अंदर ही रहने दिया आरुषि की चूत की कसावट और गर्मी से दिनेश को असीम मज़ा आ रहा था ।
आरुषि(कॉफी पीते हुए)- मस्त है ।
दिनेश-क्या मस्त है मेरी रांड ।
आरुषि-कॉफी और क्या ?
दिनेश-तो मेरा घस्सा मस्त नहीं था अब यह अगला वाला तुझे ज़रूर पसंद आएगा । उसने अपने लन्ड टोपे तक बाहर खींच लिया और फिर एक ज़ोर दर शॉट मारा वैसा ही शॉट जैसा क्रिसगेल क्रिकेट में मरता है । आरूषि चिल्ला पड़ी "आई माँ मर गयी ...बुड्ढे फाडेगा क्या आराम से कर " । दिनेश यह सुनकर दिनेश की वासना चर्म पर पहुँच गयी और उसने बिना रुके 8-10 शॉट मार दिए और फिर आरुषि के मम्में दबाता हुआ बोला " साली मेरी रंडी बहु तू किस काम की जवान है जो बूढे से तेरी फट रही है । सुसर कि गन्दी बातों ने आरुषि की काम इच्छा को बढ़ा दिया वो आरुषि को काफी सदमे दे चुका था पर अब उसकी बारी थी इससे पहले की वो कुछ समझ पाता आरुषि लन्ड को चूत में लिए-2 ही 180 डिग्री घूम गयी उसने अपनी गोरी बाहें अपने ससुर के गले में डाल दीं और फुल स्पीड लन्ड पर उठक बैठक करने लगी । "आह...आह...साली रंडी लन्ड को छीलेगी क्या....आह.... कुतिया आराम से कर ..." दिनेश बेबस होता हुआ बोला । "साले बेटी चोद बूढ़े अब बोल ...तेरे इस अजगर को चूहा न बनाया तो मेरा नाम आरुषि नही " आरुषि मशीन की तरह उछलते हुए बोली , वो अपनी सारी ताकत लगा कर उछल रही थी उसके ससुर का लन्ड उसकी कसी हुई चूत में मछली की तरह फसा हुआ था वो कुछ देर और मुकाबला कर लेती तो जंग जीत जाती पर वो थक गई और कुछ धीरे हो गयी दिनेश बस झड़ने ही वाला था मौका देखकर वो उसपर भूखे शेर की तरह झपट पड़ा उसने आरुषि को सोफ़े पर फेंक दिया और उसपर घोड़े की तरह चढ़ गया उसने आरुषि के गले को पकड़ लिया और ऐ. के47 की तरह ताबड़तोड़ शॉट लगाने शुरू कर दिए । "साली बड़ी चुड़कड बन रही थी न तेरी इस फूल सी चूत का भोसड़ा न बना दिया तो मैं अपने बाप की औलाद नहीं " वो आरुषि को बेहरहमी से पेलते हुए बके जा रहा था । आरुषि की सांसें चढ़ रही थी ...वो भी कभी भी झड़ सकती थी वो पगलों की तरह अपने मंम्मों को मसल रही थी ...चूत पे होते दम हमले उसे पागल कर रहे थे । दिनेश उसे घचा-घच पेल रहा था अचानक दिनेश का बदन अकड़ने लगा उसके झटके स्लो पर भारी हो गए आरुषि का बदन भी चरम पर था और ऐंठ रहा था । एक लंबी चीत्कार के साथ दोनों झड़ गए और थकावट से निढाल गए दिनेश उसपर गिर गया और प्यार से चूमने लगा । दोनों काफी देर वहीं गिरा रहा ।





तो दोस्तों ये थी दिनेश की पिछली ज़िन्दगी का एक किस्सा












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FUN-MAZA-MASTI तुस्सी बड़े खराब हो--2

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तुस्सी बड़े खराब हो--2



प्रोफेसर दिनेश का एक ही बेटा है रोहन , उम्र 32 साल देखने में लम्बा चौड़ा और पुलिस इंस्पेक्टर है पर चुदाई करने में बिल्कुल जीरो पर यह बात दिनेश के लिए बदनामी की जगह एक चूत का जुगाड़ कर गयी । दिनेश की शादी लगभग दो साल पहले हुई आरुषि दिनेश के दोस्त की बेटी थी 25 कि हो चुकी थी देखने में गोरी चिट्टी 5फुट 7 इंच की बदन अजंता की मूर्तियों जैसा तराशा हुआ गोल चेहरा कुछ कुछ काजल अग्रवाल जैसा ।ऊपर से कॉलेज में प्रोफेसर तो दोनों दोस्तों ने अपने बच्चों की शादी करवा दी ।
पर शादी के कुछ दिन बाद ही दिनेश को लगने लगा कि आरुषि और रोहन के बीच में सब कुछ ठीक नहीं है । पति जवान हो अमीर हो और पत्नी हूरों जैसी इसके बाद भी अगर शादी के कुछ दिन बाद ही दोनों उखड़े-2 रहने लगें तो समझ जाना चाहिए मामला गड़बड़ है । दिनेश एक तो ठरकी ऊपर से औरतों को समझने वाला था वो झट से ताड़ गया कि उसका बेटा ही नपुंसक है । पर इससे नाराज या परेशान होने के बजाए उसकी आँखे खुशी से चमक उठी ।आखिर उसे एक कुंवारी चूत मिल सकती थी ।
दिनेश अपना जाल बिछाना शुरू किया । पुलिस में होने के कारण रोहन अक्सर घर से बाहर रहता इसी का फायदा उठा कर उसने आरुषि पर नज़र रखनी शुरू कर दी । वो उसे नहाते हुए कीहोल से देखता और आरुषि की भरी हुई गाँड़ और कसे हुए बड़े-बड़े मंम्मों पर खूब मुठ मरता । पर आरुषि ऐसा कोई काम नहीं कर रही थी जिससे लगे कि वो भी चुदाई के लिए तैयार है या तड़प रही है । दिनेश की वासना दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी पर रिश्ते दारी का मामला होने के कारण वो पहल करने से डर रहा था । पर जल्दी ही वो दिन आ गया जब उसे आरुषि की चूत पेलने का मौका मिला ।
रविवार का दिन था पर रोहन कि ड्यूटी थी थाने में , वो सोमवार शाम से पहले नहीं आने वाला था दिनेश सोच रहा था आज रात को आराम से ओबी बहू को देखेगा की वो उंगली करती है या नही । दिनेश को भी 11 बजे ओल्ड क्लब की मीटिंग में जाना था । यह बात उसने सुबह खाने वक़्त ही आरुषि को बता दी थी ताकि वो दिन का खाना उसके लिए न बनाए ।
दिनेश 11 बजे घर से निकल गया उसे मीटिंग के लिए मोहाली जाना था । पर आधे रास्ते में उसे याद आया कि वो अपना पर्स घर ही भूल आया है । उसने कार घुमाई और घर पहुंच गया । दिन के 12 बज रहे थे वो जल्दी में वो घंटी बजाना भूल गया और गेट खोल के अंदर घुस गया पर घर के अंदर आते ही उसका माथा ठनका "बहनचोद घर का मेन गेट खोल के ये आरुषि कर क्या रही है ?" उसने खुद से कहा । उसे लगा कि पक्का इसने अपने किसी यार को बुला लिया होगा और मज़े कर रही होगी यह सोच कर वो रोमांचित हो गया । वो दबे पांव बहु के कमरे के बाहर पहुंचा उसकी किस्मत अच्छी थी दरवाजा खुला हुआ था । वो दबे अपनी बहू के कमरे की बढ़ने लगा । दरवाजा खुला था और अंदर से आरुषि की हल्की-2 सिसकियों की आवाज़ आ रही थी । उसने छुपके अंदर झाँका तो आरुषि बिल्कुल नंगी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी और चूत में उंगली कर रही थी ।
दिनेश तो नज़ारा देखते ही पागल हो उठा उसका मन कर रहा था कि अभी अंदर चला जाये और अपनी बहू को चोद दे पर वो जनता था कि आरुषि को फसाना इतना आसान नहीं है । इसिलए उसने फटाफट अपना मोबाइल निकाला और आरुषि की वीडियो बना ली । और अपने कमरे में आके उसने कपड़े उतारे एक पतली सी लुंग्गी पहनी और बिस्तर पर लेट गया ताकि आरुषि को कोई शक न हो । एक दो घंटे बाद जब आरुषि को पता चला कि उसका ससुर घर पे ही है तो वो कुछ डर गई कि कहीं उसके ससुर ने उसे वो करते हुए देख न लिया हो । पर अपने ससुर को गहरी नींद में सोता हुआ देख के उसने चैन की सांस ली । वो पलटने ही वाली थी कि अपने ससुर की लुंग्गी में से लटकते लन्ड को देख कर कर वो सन रह गयी सोई हुई हालत में भी लन्ड बेहद लम्बा और मोटा था 'कम से कम 4इंच लम्बा तो होगा ' आरुषि ने मन में सोचा । इतने दिनों के बाद वो असली लन्ड देख रही थी उसका तो मन हुआ कि अभी इस लन्ड को मुंह में लेले और चूस-2 के खड़ा कर दे ।वो कोई 2 मिनट अपने ससुर के लन्ड को घूरती रही । दिनेश का निशाना सही जगह लगा था वो सोने का नाटक करते हुए अपनी बहू की सारी हरकतों को देख रहा था वो अभी आरुषि को पकड़ के चोद सकता था पर वो आरुषि के साथ थोड़ा और खेलना चाहता था । इसलिए सोने का नाटक करता रहा । आरुषि के चले जाने के कोई 10मिनट बाद उसने आरुषि को आवाज़ लगाई 


आरुषि के चले जाने के कोई 10मिनट बाद उसने आरुषि को आवाज़ लगाई
" बहु ...बहु..."
"पापा आई " आरुषि ने जवाब दिया और अपने ससुर के रूम की तरफ चल पड़ी । उसने इस समय हल्के नीले रंग की साड़ी पहन रखी थी।
आरुषि (कमरे में दाखिल होते हुए )-जी पापा ....आप जाग गए ? आरुषि की नज़र सीधी दिनेश की लुंग्गी की तरफ गयी जिसमें वो अभी भी साफ साफ अपने ससुर के लन्ड को देख सकती थी ।
दिनेश- हाँ बहु ..ज़रा तेल गरम करके देदे आज टांग में मोच आ गयी थी बहुत दर्द हो रहा है ।मालिश करके देखता हूँ शायद कोई फर्क पड़े ।
आरुषि- पापा तेल से क्या फर्क पड़ेगा मैं मूव लगा देती हूँ मेरे पास पड़ी है ।
आरुषि अपने कमरे से मूव की ट्यूब ले आयी । दिनेश अपने बिस्तर पर लेट गया ।
आरुषि- पापा कंहाँ दर्द हो रहा है ?
दिनेश- घुटने के थोड़ा ऊपर ।
आरुषि(घुटने के ऊपर छूते हुए)- यहाँ पे ?
दिनेश- नही बहू थोड़ा और ऊपर । दिनेश थोड़ा ऊपर थोड़ा ऊपर करते हुए आरुषि के हाथ को टांग के बिल्कुल ऊपरी हिस्से तक ले आया । आरुषि की नज़रें फिर अपने ससुर के लन्ड पर चली गईं जो इस समय सोते हुए अजगर की भाँति लग रहा था । उसने झट से मुँह घुमा लिया और धीरे-2 टाँग पर मूव लगाने लग पड़ी ।
आरुषि के कोमल हाथों का स्पर्श पाते ही दिनेश काम अग्नि में जलने लग पड़ा और उसके सोये हुए अजगर ने एक अँगड़ाई ली और एक झटके में ही लोहे के सख्त डण्डे जैसा होगा । आरुषि ने मुँह दूसरी तरफ घुमा रखा था और धीरे-2 अपने कोमल नाज़ुक हाथों से उसकी मालिश कर रही थी । दिनेश को तो लग रहा था कि वो ऐसे झड़ जाएगा उसने आँखें बंद कर ली और सोने का नाटक करने लग पड़ा । कुछ देर बाद आरुषि को लगा कि शायद ससुर जी की दूसरी टांग भी दर्द कर रही होगी , पर वो शर्मा रही थी इसलिए उसने पूछना ही ठीक समझा 'पापा दूसरी पे भी मूव लगा दूँ?' पर दिनेश पूरा हरामी था उसने कोई जवाब नहीं दिया और सोने का नाटक करता रहा । जब दो तीन बार पूछने पर भी कोई जवाब न मिला तो आरुषि ने सोचा कि बूढा सो गया होगा पर उसे क्या पता था कि वो इस चालाक ठरकी बूढ़े के जाल में फंसती जा रही है । वो अपने ससुर की तरफ जैसे ही घूमी तो उसकी नजर सीधी बूढ़े के लंम्बे मोटे लन्ड पर पड़ी जो छत की तरफ 90 के कोण पर तना हुआ था । आरुषि की चीख निकलते निकलते रह गयी । उसने झट से मुँह घुमा लिया पर उसके अंदर की औरत उसे लन्ड को दोबारा देखने के मजबूर कर रही थी । 'पापा तो सो रहें हैं एक बार देख लेती हूँ कितना मस्त लन्ड है ' उसने खुद से कहा और इस बार हिम्मत करके वो मंत्रमुग्द हो कर अपने ससुर के लन्ड को देखने लगी ।
'भूरे-गुलाबी रंग का सूपड़ा और उसके पीछे 20 रुपये वाली कोक की बोतल जितना मोटा और 7-7.5 इंच लम्बा लन्ड ....हाय राम कितना मस्त लन्ड है ' ये सब सोचते-2 कब उसका हाथ साड़ी के अंदर चला गया और कब वो अपनी चूत में उंगली करने लग पड़ी उसे पता ही नहीं चला।
दिनेश ये सब चुपके से देख रहा था पर वो कोई हरकत करने से पहले आरुषि को ऐसी हालात में देखना चाहता था जहाँ वो इंकार न कर पाए । और जैसे ही उसे महसूस हुआ कि आरुषि के बदन में हल्की की अकड़न आने लगी है वो उस पर भूखे शेर की तरह झपट पड़ा और इससे पहले की आरुषि कुछ समझ पाती वो फर्श पड़ी थी उसकी साड़ी खुल चुकी थी ,उसका पेटीकोट दूर एक कोने में पड़ा था और उसके तन पर केवल ब्लाउज़ था वो भी ऐसा की उसके भरपूर मोटे स्तंनो को छुपा नहीं पा रहा था और उसका बूढा ससुर उसकि टाँगों के बीच घुटनों के बल बैठा उसकी चूत पर अपना लन्ड सेट कर रहा था ।
"पापा प्लीज़ ऐसा मत करो " वो फुसफुसाई
"क्या न करूँ?" दिनेश उसके साथ खेल रहा था वो उससे गन्दी बातें बुलवाना चाहता था क्योंकि एक औरत सिर्फ उससे ही खुलती है जिसका लन्ड उसकी फुद्दी को खोलता है ।
"यही जो ...आप कर रहे हो" पर अब तक तो दिनेश ने अपना सूपड़ा उसकी चूत के दाने पर रगडना शुरू कर दिया था ।जिसके कारण वो और गर्म होती जा रही थी और उसकी सिसकियाँ निकलनी शुरू हो चुकी थी..."आह....उम्म....नन नहीं अहह"
"क्या न करूँ?" दिनेश ने आरुषि की आंखों में आँखें डाल के पूछा ।
"आह... आह... मत रगड़ो...मैं आपकी बहू हूँ" वो बड़ी मुश्किल से खुद को रोक पा रही थी ।
"क्या न रागडुं?...बहु पहलियाँ मत बुझाओ साफ साफ बोलो कहीं देर न हो जाये " उसने आरुषि की चूत को लन्ड से थपथपाते हुए पूछा ।
"पापा लिंग को मत रगड़ो"
"ये लिंग क्या होता है ?" दिनेश ने उसकि चूत पर गीला पन महसूस करते हुए पूछा ।
"लन्ड...." पर अब तक देर हो चुकी थी दिनेश उसे यहाँ तक ले आया था कि अब और विरोध उसके बस का नहीं था ...."डाल दे....बूढ़े....हरामी ...आह जल्दी कर तेरे बेटे से तो कुछ होता नहीं तू ही कुछ दम दिखा"
आरुषि के यह कहने की देर थी और अगले ही पल दिनेश ने एक ज़ोरदार झटका मारा और उसका मूसल लन्ड आरुषि की कुंवारी और गीली चूत में घुसता चला गया और आधे से ज्यादा अंदर चला गया ।
"आह..... मर गयी ....साले ठरकी बूढ़े कैसा लन्ड है तेरा फाड़ दी मेरी ..." आरुषि चिल्ला पड़ी । घर पर कोई नहीं था इसिलए दिनेश ने उसका मुँह बंद करने की कोशिश नहीं कि । बल्कि वो इस कच्ची कली से और खेलना चाहता था ....
"अब तुझे लन्ड पसंद नहीं आया तो निकाल लेता हूँ " दिनेश अपना खून से सना लन्ड उसकी कसी हुई चूत से बाहर खींच लिया । "अरे तू तो कुंवारी निकली ...छक्का साला मेरा बेटा जो ऐसी चूत का उद्घाटन न कर पाया " ..
पर इस समय आरुषि कुछ सुन नहीं पा रही थी उसे लन्ड चाहिए था जो उसकी चूत की आग को बुझा सकता " छक्के के बाप डाल भी दे अब या तेरे से भी नहीं होगा ?" वो चिल्ला उठी
आरुषि की ये बात सुन के न जाने दिनेश पर क्या भूत सवार हुआ कि उसने खींच के दो चार थपड आरुषि के जड़ दिए और उसका ब्लाउज़ फाड़ के उसकी चुच्ची को मुँह में भर लिया और अपने लन्ड को अभी-2 कली से फूल बनी चूत पर सेट करके ऐसा तगड़ा झटका मारा की इसका लन्ड जाके आरुषि के गर्भशय टकराया ।
"आह मार दिया रे....फाड़ दी मेरी....आह....निकाल बेटीचोद बूढ़े अपना लन्ड मेरी चूत से बाहर ..." आरुषि दर्द से तड़पते हुए बेतहाशा गालियां बके जा रही थी । पर बूढ़े को उस पर कोई तरस नहीं आया और वो उसे फुल स्पीड चोदने लगा । उसके जानदार और तेज़ धक्कों की आवाज़ पूरे घर में गूँज रही थी । बेचारी आरुषि अब पूरी छिनाल बन चुकी थी वो जानती आज के बाद ये बूढा उसे कई बार चोदने वाला था । वो थक कर चूर थी और कई बार झड़ने के बाद उसकी सारी शक्ति निचुड़ चुकी थी ।पर वो संतुष्ट थी इतना मज़ा उसे पहले कभी नहीं आया था ।
आरुषि-पापा आप ने तो जान ही निकाल दी ।
दिनेश-बहु जान नहीं निकाली आज तुझे लड़की से औरत बनाया है । अभी तुझे असली चुदाई का मज़ा दिया कंहाँ है ?
आरुषि-क्या यह नकली चुदाई थी? असली में तो मर जाऊंगी मैं ।
दिनेश- यह तो बस नमूना था अब से तेरा असली पति मैं ही हूँ । देख अपने पापा के इस बूढ़े लन्ड को अभी भी जान बाकी है इसमें और तू जवान होकर भी डर रही है ।
आरुषि- ऐसा मूसल लन्ड देखकर कौन नहीं डरेगी ?
दिनेश - बहु अब क्या मूसल लन्ड जवानी में देखती तू ...
आरुषि-इससे भी बड़ा था क्या ?
दिनेश-और नहीं तो क्या अब तो बेचारा ढंग से खड़ा भी नहीं होता । जा मेरी अलमारी में एक लोहे का कड़ा(रिंग) होगा उसे ले आ तुझे कुछ दिखता हूँ।
आरुषि कपड़े पहनने लगती है पर दिनेश उसे रोक देता है यह कहते हुए कि रात हो रही है अब साड़ी क्या पहननी मैक्सी पहन लेना आरामदायक रहेगी । आरुषि नंगी ही जाके अलमारी से लोहे का कड़ा ले आती है ।
आरुषि- अब इससे मेरी मुँह दिखाई करेंगे पापा ?
दिनेश-इससे तेरी मुँह दिखाई नहीं लन्ड दिखाई करूँगा तू बस आँखें बंद कर और जबतक मैं ना कहूँ खोलना मत ।
आरुषि -अब इसे लन्ड पर पहनेंगे ?
दिनेश-सही समझी बहु , इस उम्र में नसें ढीली पड़ जाती है जिसके कारण ब्लड फ्लो लन्ड तक नहीं पहुंचता और वो पूरा खड़ा नहीं हो पाता और यह रिंग ब्लड फ्लो को लन्ड में रोक लेगी जिससे बेहतर इरेक्शन मिलेगा । दिनेश जो कहा वो सही था पर इस रिंग के साथ एक रहस्य भी जुड़ा था जिसे दिनेश ने छुपा लिया ।
आरुषि ने जब आंखें खोली तो दिनेश के लन्ड को देखकर थोड़ा घबरा गई उसके ससुर का लन्ड और ज्यादा मोटा और कम से कम 2-3 इंच लम्बा लग रहा था नसें उभरी हुईं थीं और लन्ड किसी डंडे की तरह तना हुआ था 120 डिग्री के कौन पर । "हाय राम इतना बड़ा इसका तो टोपा ही क्रिकेट बाल जितना है"
दिनेश-बहु तो हैरान न हो अब यह ही तुझे जन्नत का मज़ा देगा ।
आरुषि(बेचारी लन्ड को देख घबरा गई पहले दिनेश उसकी बुरी गत बना चुका था सोचने लगी अब तो मर जाऊंगी कोई बहाना बनाना होगा ) - पापा रोहन रात का खाना लेने के लिए किसी को भेजते होंगे पहले मैं खाना बना लूँ फिर आपको जो करना होगा कर लेना ।
दिनेश(वो जानता था कि चाहे उसकी बहु बहाना बना रही है पर बोल सच्ची बात रही है 7 बजे थाने से कोई न कोई ज़रूर आएगा ) ठीक है बहु पर याद रहे साड़ी मत पहनना मैक्सी ही पहन लेना ।











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FUN-MAZA-MASTI तुस्सी बड़े खराब हो--1

FUN-MAZA-MASTI

तुस्सी बड़े खराब हो--1


विक्रांत कि नज़र न चाहते हुए भी फिर उसी लड़की पर चली गयी 'साले की नज़र है या एक्सरे' विक्रांत ने खुद से कहा ।
विक्रांत- क्या प्रोफेसर साहब कुछ तो शर्म कीजिये ।
दिनेश -यार राठौर मर्द खुद को कंट्रोल कर सकता है पर बीवी और लन्ड को नही । यार कुछ भी कह पर सामान है कड़क ।
विक्रांत- पर भाई अब तो उम्र हो चुकी है इस उम्र में मुझे तुझे कौन पूछता है ऊपर से बच्चों की टेंशन ।
दिनेश- यार गोयल कह रहा था कि यह उसकी किरायदार है नाम है ईशा,अभी पढ़ रही है और नोकरी चाहिए इसे । तुझे भी तो पर्सनल सेक्रेटरी चाहिए रख ले । दिनेश ने विक्रांत कि बात को अनसुना करते हुए कहा ।
विक्रांत- यार मुझे सेक्रेटरी रखनी है कंपनी लुटानी नहीं है । इसको देखकर लगता नहीं कि मेरे बजट की है ।
दिनेश- यार तू भी न रहेगा कंजूस का कंजूस ही । भेज दूंगा सैलरी डिस्कस कर लेना । और फिर ऐसी सेक्रेटरी हो तो आधे काम आसान हो जाते हैं।
विक्रांत की नज़र अचानक फिर से ईशा की तरफ चली गयी जो इस समय झुककर अपने पांव पकड़ रही थी उसकी मटकों सी गोल-2 बड़ी और भरी-2 गाँड़ देख कर विक्रांत के पूरे बदन में झुरझरी सी दौड़ गयी । उसके लन्ड ने एक अँगड़ाई ली और तन कर तंबू बन गया । उसने एक झटके से नज़र हटा ली और उठकर जाने लगा ।
विक्रांत-चल यार चलता हूँ । काफी टाइम हो गया है और तू ये लौंडो वाली हरकतें बंद कर दे ।
दिनेश- यार तू भी न । तेरी यही बातें मुझे पसंद नहीं है । चल जा पर इसे तो मैं भेजूंगा ज़रूर । लगता है तूने उस साइट पर कहानियां पढ़ी नहीं । वरना इतनी ठंडी बातें न करता ।
विक्रांत- यार कुछ भी हो इस उम्र में भी हिलाने को मजबूर कर देती है ऊपर से किसी महिला लेखिका से बात करने का मौका अलग से ।
दिनेश ने महिला शब्द सुनते ही विक्रांत को पकड़ के दोबारा अपने पास बिठा लिया और आंख मारते हुए बोला " यार बड़ा हरामी है अकेले-2 मज़ा ले रहा है ... बता तो किससे बात हो रही है ?"
विक्रांत - कुछ खास नहीं कोई लड़की है उषा उससे थोड़ी सी बात होती है।
दिनेश- फोटो तो दिखा ।
विक्रांत ने अपने फ़ोन पे एक लड़की की तस्वीर दिनेश को दिखा दी । यही कोई 20-21 की उम्र मासूम सा चेहरा , तराशे हुए होंठ और ऊपर वाला होंठ हल्का सा ऊपर की और उठा हुआ । सुडौल बदन संतरो के आकार के स्तन पतली कमर । फ़ोटो देखते ही दिनेश के मुँह में पानी आ गया ।
दिनेश- यार क्या लौंडिया हाथ आई एक दम चुदासी है । ऐसा फूल जिसे जितना मसलो उतना और निखर जाए । पर देखी-2 लगती है । हां याद आया देखने में बिल्कुल शहनाज़ पद्मशी लगती । इस हीरोइन पर तो कई बार हिलाया है मैंने
विक्रांत -यार अभी बच्ची है । शोक-2 में कहानी लिख दी इसने ।
दिनेश- पर है मस्त माल । इसका बॉयफ्रेंड तो ज़रूर होगा रख के चुदाई करता होगा इसकी । और होंठ तो देख खुदा ने इन्हें बस लन्ड चूसने के लिए ही बनाया है । दिनेश ने अपने लन्ड को खुजाते हुए कहा ।
विक्रांत-कुछ भी बोलता है यार तू तो । तुझे तो औरत में चुदाई के इलावा कुछ सूझता ही नहीं । अभी अभी कॉलेज जाना शुरू किया है तो दूसरों की देखा देखी इसे भी शौक लग गया और क्या इसका मतलब यह तो नहीं कि यह रंडी हो गई ।
दिनेश जो विक्रांत के ज़रिए ईशा की चूत को चोदना चाहता था थोड़ा संभल गया उसे लगा कि बंदा बुरा मान गया । इसिलए बात संभालने के लिए बोला " यार तू भी न मैं तो बस सुंदर चीज़ को सुंदर कह रहा था और क्या तू तो बुरा मान गया "
विक्रांत - नहीं यार मैं तो बस कह रहा था कि हमारी उम्र नहीं है यह सब करने की ।
दिनेश- हाँ वो तो है पर तु ही बोल उम्र हो गयी है पर हमारे अंदर के मर्द तो अभी ज़िंदा है । बस बोल के देख के जी भर लेते हैं ।
विक्रांत- सही कह रहा है दिनेश । कभी कभी तो जी करता कि ऐसी ज़िन्दगी भी क्या ज़िन्दगी ? सेक्स किये सालों हो गए । बस बच्चों के लिए जिये जाओ ।
दिनेश - चल छोड़ यार ये बता इस पटाखे के और भी फ़ोटो हैं तेरे पास?
विक्रांत - एक दो और हैं । देख ले । उसने दिनेश को मोबाइल देते हुए कहा ।
दिनेश ने फ़ोन ले लिया और उषा की एक तस्वीर पे जाके रुक गया जिसमें उसने गुलाबी रंग की टाइट टॉप और शॉर्ट पहनी हुई थी और मन ही मन उसने उषा का सारा बदन नाप लिया था ।
" प्रोफेसर जी क्या सोचने लग पड़े ?..फ़ोटो में ही चोद दोगे क्या " विक्रांत ने दिनेश को फ़ोटो को घूरते देख मज़ाक किया ।
"कसम से बड़े दिनों बाद ऐसी चीज़ देखी है । इसकी टाँगे देख कितनी गोरी और चिकनी हैं गुलाबी रंग की चूत होगी इसकी और कसम कामदेव की 2इंच से छोटी ही होगी इसकी फुद्दी जिसका भी लन्ड जाएगा उसे जन्नत मिल जाएगी । और इसके मम्में तो संतरों की तरह गोल गोल होंगे एक दम टाइट"
विक्रांत दिनेश की बातें सुन के हैरान भी हो रहा था और गर्म भी बरसों से तड़पा हुआ लन्ड इस समय फटने वाला हो रखा था । आज तक उसने खुद पे कंट्रोल रखा था पर अब उसका सब्र जवाब देता जा रहा था । विक्रांत ने टाइम देखा तो आठ बज चुके थे और दस बजे उसे ऑफिस पहुंचना था ।
विक्रांत- चल भाई चलते हैं मुझे ऑफिस जाना है ।
दिनेश-ठीक है जा पर ईशा को भेज दूँ न ?
विक्रांत - भेज देना यार । 


विक्रांत घर आया तो बच्चे ब्रेकफास्ट कर रहे थे और उसका बूढा नोकर रामलाल रूपिका को मिल्कशेक दे रहा था । तीनों बच्चों ने उसे गुड मॉर्निंग कहा । वो तीनो हैरान थे कि पापा आज लेट कैसे हो गए ।
रूपिका- पापा आज आप लेट हो गए । हमें टेंशन होने लगी थी ।
पलविका-पापा मैंने रामु काका को बोला था कि पापा का वेट कर लेते हैं पर काका ने मेरी बात नहीं मानी ।
राहुल- हाँ हाँ ज्यादा मख्खन मत मार इतनी ही फिक्र थी तो खाना नहीं खाती । पापा इसे बस यही आता है मख्खन मरना ।
पलविका- पापा देखो न राहुल हमेंशा मुझे तंग करता है । पापा हम वेट करते हैं आप फ़्रेश होके आ जाओ ।
विक्रांत खामोश खड़ा अपने बच्चों की नोक झोंक देख रहा था । और अचानक उसे ख्याल आया कि उसकी बेटियाँ अब बड़ी हो चुकी है और आज न कल उन्हें शादी करके जाना होगा यह सोचते हुए उसकी आँखों में आँसू आ गए । पर किसी तरह उसने खुद को संभाला और राहुल को हल्की सी डाँट लगाई।
रूपिका- क्या दोनों बच्चों की तरह लड़ते रहते हो ? यु आर ग्रोन उप नाउ ।
विक्रांत-रूपिका रहने दो बेटा कोई तो न समझ भी होना चाहिए न घर में ।
रूपिका- पापा आप की वजह से ही इन दोनों को कोई मैनर्स नहीं है । कैसे लड़ पड़े थे चड्डा अंकल की पार्टी में ।
राहुल - बस दीदी तुम तो रहने ही दो तुम इंसान नहीं बस पैसा छापने की मशीन हो ...कोई फीलिंग्स ही नहीं है तुममें ।
पलविका- सही कहा । दीदी का दिल तो किसी बूढ़ी औरत का दिल है नो बचपना ।
रूपिका को पलविका की बात चुभ गयी अगर रूपिका का घमंड आड़े न आता तो वो रो देती । पर उसने अपनी भावनाओं पर काबू रख लिया और विक्रांत को गुड बाई कह के निकल गयी ।
विक्रांत डाईनिंग टेबल पर ही बैठ गया । वो जनता था कि रूपिका के ऐसे चले जाने से पलविका के बच्चों से मासूम दिल को ठेस लगी होगी इसिलए उसने बात टालने के लिए रूपिका से पूछा " पल्लू तुम्हारी मिनी कूपर तो ठीक चल रही है ना ?"
पलविका -पापा ज्यादा स्मार्ट मत बनो ....देखो न दी मेरी वजह से चली गयी ।
राहुल- अच्छा हुआ चली गई नकचढ़ी कहीं की ।
विक्रांत- पल्लू वो तुम्हारी वजह से नहीं बल्कि इस गधे राहुल की वजह से गयी है । विक्रांत ने राहुल को आँख मारते हुए कहा ।
राहुल- हाँ हाँ पल्लू-बल्लू ऐसा ही है ।
पलविका- देखो न पापा ये मुझे चिड़ा रहा है । पलविका ने मासूमियत से कहा ।
सारे नाश्ते के दौरान ऐसी ही नोक-झोंक चलती रही । नाश्ता खत्म करके दोनों बच्चे जब अपने-2 कॉलेज चले गए तो रामलाल विक्रांत के पास आया ....
रामलाल - मालिक आपसे एक बात कहनी थी
विक्रांत- बोलो क्या बात है ?।
रामलाल- मालिक मेरे छोटे भाई की बेटी की शादी अगले हफ्ते तो 15 की छुट्टी चाहिए थी ।
विक्रांत- रामलाल तुम तो जानते हो तुम्हारे बिना इस घर को संभालने वाला और कोई है नही और बेटियां जवान हैं और किसी पर मुझे भरोसा नही होता ।
रामलाल- मालिक मैंने अपनी बड़ी बेटी को बुला लिया है । बेचारी को उसके पति ने छोड़ दिया है अब इस उम्र में बेचारी कंहाँ जाएगी । और यहां शहर आएगी तो शायद मेरी नातिन पढ़ लिख जाए । इसी साल उसने बारवीं क्लास पास की 80प्रतिशत अंकों से । मालिक बस एक मौका दे दो मेरी बेटी मुझसे भी ज्यादा ख्याल रखेगी इस घर का और बच्चों का ।
विक्रांत - तुमने तो मुझे मुश्किल में डाल दिया है । पर तुम तो बता रहे थे कि तुम्हारी बेटी का बेटा कुछ मंद बुद्धि है अब ये बेटी कंहाँ से आ गयी ?।
रामलाल- मालिक दोनों बच्चे जुड़वां है । मालिक बस एक मौका दे दो ।
विक्रांत - कब आ रही है तुम्हारी बेटी
रामलाल -मालिक वो तो कल ही आगयी थी ।
विक्रांत- ठीक है , शाम का खाना उसी से बनवाना अगर बच्चों को खाना पसंद आ गया तो मुझे कोई दिक्कत नही है । और आने नाती-नातिन को भी बुला लेना बच्चे एक दूसरे से मिल लें यही अच्छा होगा और उनको किराए पे रहने की ज़रूरत नहीं है । पीछे जो दो कमरे नए बनवाये हैं वंहा उनका सामान रखवा देना ।
रामलाल की आंखों में आंसू आ गए । वो विक्रांत के पाँव पे गिर गया । विक्रांत ने उसे संभाला और चाय का ऑर्डर दे कर अपने रूम की तरफ चल पड़ा । विक्रांत ने कमरे में आके अपना वाट्सएप ऑन किया तो उषा के तीन -चार मैसेज आये हुए थे ।
"गुड मॉर्निंग " विक्रांत ने लिखकर जवाब दिया ।
"विकी कंहाँ थे तुम " दूसरी तरफ से रिप्लाई आया ।
विक्रांत-" बिजी था "
उषा - रिप्लाई तो कर सकते थे ।
विक्रांत- सॉरी यार मैं सच में बिजी था ।
उषा - क्या कर रहे थे जो एक रिप्लाई भी नही कर सके ।
विक्रांत जो उषा के लिए विकी था कैसे बताता की वो उसके उम्र के अपने बच्चों का झगड़ा निपटा रहा था । विक्रांत के पास उषा के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था । पर इससे पहले की वो कोई रिप्लाई करता उषा ने अपनी एक फ़ोटो उसे सेंड की इतनी हॉट फोटो उसने आज तक नहीं देखी थी । सिलीवलेस टाइट टॉप और नीचे छोटी सी निक्कर । 'कितने बड़े -बड़े हैं इसके मम्में और इसके निप्पल तो कम से कम एक इंच के होंगे ' विक्रांत के मन में अचानक तस्वीर घूम गयी कि वो इन खूबसूरत स्तंनो से खेल रहा है । उसने अपना लोअर नीचे कर दिया और अपने तने हुए मूसल लन्ड को आज़ाद कर दिया अब खुद को रोक पाना उसके लिए मुश्किल हो पा रहा था । पर वो नही चाहता था कि अपनी बेटी की उम्र की लड़की पर मुठ मारे पर उसके मन के इस विरोध को अगली फ़ोटो ने तोड़ दिया जिसमें उषा थी तो इन्ही कपड़ों में पर पूरी तरह भीगी हुई उसके गोल-2 वॉलीवाल के आकार के मम्में और स्ट्राबेरी के आकार के निप्पल साफ नजर आ रहे थे विक्रांत कुछ और सोच नहीं पाया उसका हाथ अपने आप लन्ड पर चला गया और वो पूरी रफ्तार से मुठ मारने लग पड़ा कितने सालों बाद वो मुठ मार रहा था बाप बनने के बाद तो जैसे वो भूल ही गया था कि वो भी एक मर्द है । 7-8 मिनट में ही उसके लन्ड ने माल उगल दिया । ठंडा होने पर उसने फ़ोन उठाया तो उषा के कई मैसेज आये हुए थे "मिस्टर किधर.....कंहाँ चले गए .....शैगिंग?"
"हम्म्म्म तुमने मजबूर कर दिया था " उसने अपने मन की बात कह दी ।
" यु थिंक मैं हॉट हूँ?" उषा का रिप्लाई आया ।
"इसमें सोचना क्या है तुम तो पत्थर को भी पिघला दो " विक्रांत ने रिप्लाई किया ।
"हा.. हा......अच्छा यह बताओ तुम्हारी उम्र क्या है विक्की?"
"क्यों?"
"बस ऐसे ही पता तो चले कि कौन है जिसे मैं हॉट लगती हूँ"
विक्रांत सोच में पड़ गया ...पर फिर उसे एक आईडिया आया उसने अपनी एक फोटो सेंड कर दी और उषा से पूछा "तुम ही बताओ क्या उम्र होगी मेरी ?"
"ओह वाओ यु हैव ग्रेट बॉडी.....35? " उषा का रिप्लाई आया ।
" नहीं थोड़ी सी ज्यादा है " विक्रांत ने रिप्लाई किया ।
"40?"
" थोड़ी और"
"45?"
"नहीं ....55 रिटार्यड आर्मी ऑफिसर"
"ओह गॉड "
"क्या हुआ?"
"तुम 55 के तो नहीं लगते ...मैरिड?"
" हाँ तीन बच्चे हैं ,वाइफ की डेथ को 10 साल हो गए "
"ओह गॉड....मैं तो कुछ और ही सोची थी"
"बुरा लग रहा है?"
"नहीं बुरा नहीं लग रहा ...बस अजीब लग रहा है "
"अजीब क्यों?" विक्रांत ने सवाल किया ।
"बस ऐसे ही ....पता नहीं।" उषा ने काफी लेट रिप्लाई किया ।
"हम्म बुढ्ढों से कौन बात करेगा "
" प्लीज डोंट टॉक लाइक डिस...."
"फिर बताओ क्यों तुम्हें अजीब लग रहा है "
"रहने दो तुम विश्वास नहीं करोगे?"
" प्रॉमिस मैं विश्वास करूँगा "
" विकी न जाने क्यों तुमसे बात करके मुझे हमेशा लगता था कि मैं एक अलग समय के इंसान से बात कर रही हूँ.... और तुम्हारी बातें मुझे बहुत अच्छी लगती हैं जिसके कारण मैं तुमसे......" उषा ने बात बीच में ही छोड़ दी ।
"मैं तुमसे क्या ?" विक्रांत को लगा कि जैसे वो कहना चाहती हो मैं तुमसे प्यार करती हूँ । काफी देर कोई मेसज नहीं आया ।
" मैं तुमसे कहना चाहती थी कि मेरा नाम उषा नही है ।....मेरा सही नाम है अकीरा "
" ओह ...मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था उषा तुम पर बिल्कुल नहीं जजता"
"क्यों तुम्हारा नाम विकी हो सकता है तो मेरा उषा क्यों नहीं"
"क्योंकि मेरा नाम विकी नही विक्रांत है...विक्रांत राठौर
" बड़े खराब हो राठौड़ जी...."
"अकीरा प्लीज जी मत बोलो "
"अब तो जी बोलना पड़ेगा न मैं 21 की आप 55 " अकीरा ने विक्रांत को छेड़ते हुए कहा ।
"गुड बाई , मुझे आफिस जाना है " विक्रांत ने बुरा मानते हुए कहा ।
" हा हा हा....तुम तो नाराज़ हो गए ...मैं तो मज़ाक कर रही थी । मुझे भी तुम कहना ही अच्छा लगता है आखिर हम दोस्त हैं ? हैं ना?"
" हां दोस्त तो हैं ...अब मुझे आफिस के लिए सच में देर हो रही है ...आफिस पहुँच के रिप्लाई करूँगा "
"ओके ...पर रिप्लाई करना मत भूलना मैं इंतज़ार कर रही हूँ।"










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