Monday, December 30, 2013

फिर से ठुकवा बैठी-3

फिर से ठुकवा बैठी-3

उसके बाद मैं नहाई, पर्फ्यूम लगया, लिपस्टिक, ऑय लायनर, शैडो वगैरह लगा कर थोड़ा मेक-अप किया, काले रंग के बहुत ही ऊँची पतली पेंसिल हील के सैंडल पहने और पिंक रंग की माइक्रो ब्रा और जी-स्ट्रिंग पैंटी पहनी। ऊपर से सिल्क की पारदर्शी नाइटी डाल ली। बेडरूम में एक रेशमी चादर बिछा दी। आखिर काफी दिनों बाद मेरी सुहागरात थी, मेरी चूत और गाँड को दो-दो लौड़े मिलने वाले थे।

मूड बनाने के लिये कोकेन की एक डोज़ भी दोनों नाकों में सुड़क ली। अभी से उनके सामने मैं अपनी सारी गंदी लत्तें ज़ाहिर नहीं करना चाहती थी इसलिये उनके आने के पहले ही कोकेन सूँघ ली। सारा माहौल रंगीन और रोमांचक लगने लगा और बहुत ही हल्का महसुस होने लगा। पूरे जिस्म में मस्ती भरी लहरें दौड़ने लगीं।

बार-बार उनके लंड आँखों के सामने आने लगे! दिल कर रहा था कि जल्दी से उनके नीचे लेट जाऊँ पर मैं अकेली ही बिस्तर पर लेट गई, सिगरेट के कश लगाती हुई अपने मम्मों को खुद दबाने लगी और अपनी चूत से छेड़छाड़ करने लगी।

तभी दरवाज़े की घंटी बजी और मैं खुश हो गई।

जल्दी से नाइटी ठीक करके उठी, दरवाज़ा खोला तो वो दोनों मेरे सामने थे, उनके हाथों में खाने का लिफाफा, बीयर की बोतलें थी और चेहरे पर वासना और खुशी की मिली-जुली कशिश थी।

“आओ मेरे बच्चों, तुम्हारी मैडम की क्लास में तुम्हारा स्वागत है!”

“जी मैडम! आज आपने कहा था कि आज आप हमारा टेस्ट लेंगी?”

“हाँ, आ जाओ ! प्रश्नपत्र भी छप चुके हैं और सिटिंग प्लान भी बना लिया है।“

उनके हाथ से लिफाफा लिया, दोनों ने मेरे होंठों को चूमा!

“आओ अंदर! यहाँ कोई देख लेगा!”

“तो दे आये धोखा अपनी अपनी पत्नियों को?”

“क्या करें मैडम जी, आपने हमारा टेस्ट जो रखा है! वो भी तो ज़रूरी है!”

“बहुत कमीने हो तुम दोनों!”

“हाय मैडम, आपकी क्लास लगाने से पहले इतने कमीने नहीं थे! सब आपकी शिक्षा का असर है... पहले तो आपके कमीनेपन के चर्चे ही सुने थे। और गुरु माँ हमें आशीर्वाद दो और अपने इन सच्चे सेवकों को गुरुदक्षिणा देने दो! मौका भी है, नजाकत भी है, दस्तूर भी है!”

“तुम कमरे में जाओ! अभी आई मैं!”

मैं सैंडल खटखटाती रसोई की ओर चली गई, ट्रे में तीन ग्लास, आइस क्यूब और नमकीन वगैरह रख रही थी कि एक ने मुझे पीछे से दबोच लिया और मेरी पीठ और गर्दन पर चुम्बनों की बौछार कर दी। यही औरत का सबसे अहम हिस्सा है जहाँ से सेक्स और बढ़ता है और औरत बेकाबू होने लगती है। और फिर लगाम लगाने के लिए चुदना ही आखिरी इलाज़ होता है।

उसने मुझे बाँहों में उठाया और जाकर गद्दे पर पटक दिया। दूसरे ने नाइटी उतार कर एक तरफ़ फेंक दी। पहले वाला ग्लास वगैराह लेकर आया!

मेरी ब्रा के और पैंटी के ऊपर से ही वो मेरी चूत, गांड सूँघने लगा और कभी कभी अपनी जुबान से चूत चाट लेता!

मैं बेकाबू होने लगी, उसको धक्का दिया और परे किया और खुद उसकी जांघों पर बैठ गई और उसके लोअर का नाड़ा खींच कर उसको उतार दिया। उसके कच्छे के ऊपर से ही उसके लौड़े को सूंघ कर बोली- “क्या महक है!” कोकेन और शराब के मिलेजुले नशे ने मेरी मस्ती कईं गुणा बढ़ा दी थी।

वो बोला- “उतार दो मैडम! अपना ही समझो!”

मैंने जैसे ही उसका कच्छा उतारा, सांप की तरह फन निकाल वो छत की ओर तन गया।

मैं उठी और दूसरे का भी यही काम किया और दोनों के लौड़ों को हाथ में लेकर मुआयना करने लगी, सहलाने लगी।

जीवन लाल के जैसे तो नहीं थे लेकिन अपने आप में एक आम मर्द के हिसाब से उनके लौड़े बहुत मोटे ताजे थे।

“वाह मेरे शेरों, आज की रात तो रंगीन कर दी तुम दोनों ने!”

मैंने एक-एक पेग बनाया और तीनों ने खींच दिया। नशे और चुदास में चूर होकर मैं पागल सी हो चुकी थी और भूखी शेरनी की तरह उनके लौड़े चूसने लगी।

उन्होंने भी मेरी ब्रा और पैंटी निकाल दी और सिर्फ सैंडल छोड़कर मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया। वो दोनों मेरे मम्मों से खेल रहे थे और उंगली गांड में डाल कर कभी चूत में डाल कर मुझे सम्पूर्ण सुख दे रहे थे।

दोनों ने कंडोम का एक पैकेट निकाला, एक ने चढ़ा लिया, मुझे उठाया और बोला- “गोदी में बैठ जा मैडम! लौड़े के ऊपर!”

मैं तो खेली-खायी पूरी खिलाड़ी थी, उसका मतलब समझ गयी।

उसने हाथ से टिकाने पर सेट किया और मैं उसके ऊपर धीरे धीरे बैठने लगी। उसने मेरे दोनों कन्धों को पकड़ा और दबा दिया।

हाय तौबा! फदाच की आवाज़ आई और मेरी चीख सी निकल गई।

उसी पल दूसरे ने अपना लौड़ा मेरे बालों को खींचते हुए मुँह में घुसा दिया- “साली चीख मत!”

मेरे दोनों मम्मे उसकी छाती से चिपके हुए थे, जब मैं उछलती तो घिस कर मेरे सख्त चुचूक उसकी छाती से रगड़ खाते तो अच्छा लगता!

अब मैं पूरी तरह से उसके वार सहने के लायक हो चुकी थी। फिर एक ने मुझे सीधा लिटा लिया और मेरे ऊपर आ गया, दोनों टांगें चौडीं करवा ली और घुसा दिया मेरी चुदी चुदाई फ़ुद्दी में!

जब उसने रफ़्तार पकड़ी तो मैं जान गई कि वो छूटने वाला है और उसने एकदम से मुझे चिपका लिया।

मैंने उसकी कमर को कैंची मार कर पक्का गठजोड़ लगा दिया और उसको निम्बू की तरह निचोड़ दिया।

फिर वो बोला- “मैं खाना देखता हूँ!”
 
इतने में दूसरा शेर मुझ पर सवार हो गया, बोला- “तेरी गांड मारनी है!”

मैं तो पूरे नशे में थी, उसी पल कुत्तिया बन गई और गांड उसकी तरफ घुमा कर कुहनियों के सहारे मुड़ कर देखने लगी।

वो कंडोम लगाने लगा तो मैं तड़पते हुए बोली – “हराम के पिल्ले! साले! गाँड ही तो मारनी है कंडोम से मज़ा क्यों खराब कर रहा है!”

उसने कंडोम का पैकेट एक तरफ फेंक दिया और काफी थूक गांड पर लगाया और धक्का देते हुए मेरी गांड फाड़ने लगा।

मैंने पूरी हिम्मत के साथ बिना हाय कहे उसका आधा लौड़ा डलवा लिया। फिर कुछ पलों में मेरी गांड उसका पूरा लौड़ा अन्दर लेने लगी।

मैं कई बार गांड मरवा चुकी थी। कह लो कि हर बार संभोग करते समय एक बार चूत फिर गांड मरवाती ही थी।

“हाय और पेल मुझे! चल कमीने चोदता जा!”

“यह ले कुतिया! आज रात तेरा भुर्ता बनायेंगे! बहन की लौड़ी बहुत सुना था तेरे बारे में! दिल करता है तेरे स्कूल में बदली करवा लूँ और तेरी लैब में रोज़ तेरा भोंसड़ा मारूँ!”

“साले बाद की बाद में देखना! अभी तो फाड़ गांड!”

“यह ले! यह ले!” करते हुए वो धक्के पे धक्के मारने लगा और जोर जोर से हांफने लगा।

उसने जब अपना वीर्य मेरी गांड में निकाला तो मेरी आंखें बंद होने लगी, इतना स्वाद आया! सारी खुजली मिटा गया!

फिर शुरु हुआ दारु का एक और दौर!

उन दोनों ने तो सिर्फ एक-एक पेग और लगाया और खाना खाने लगे। दोनों इतने में ही काफी नशे में थे पर मैं तो पुरानी पियक्कड़ थी। बोतल सामने हो तो रुका नहीं जाता।

“मैं तो आज तुम्हारे लौड़े ही खाऊँगी!” मैंने खाना खाने से इंकार कर दिया और पेग पे पेग खींचने लगी। मैं बहुत मस्ती में थी क्योंकि जानती थी कि मेरी मईया आज पूरी रात चुदने वाली थी! मैं नशे में बुरी तरह चूर थी। पेशाब के लिये वाशरूम जाने उठी तो दो कदम के बाद ही लुढ़क गयी। इतने नशे में उँची हील की सैंडल में संतुलन नहीं रख पायी। अपने पर बस तो था नहीं - वहीं पर मूत दिया। कोई नई बात नहीं थी, अक्सर मेरे साथ नशे की हालत में ऐसा हो जाता था।

खाना खाकर उन्होंने मुझे फर्श से सहारा देकर उठाया और हलफ नंगी बीच में लिटाया और खुद भी नंगे बिस्तर पर लेट गए। दोनों के मुर्झाये लौड़ों में जान डाली और मेरी लैला पूरी रात चुदी एक साथ गांड में और चूत में! किस किस तरीके से नहीं मारा मेरा भोंसड़ा! जब उन दोनों में बिल्कुल भी ताकत नहीं बची तब जा कर मैंने उन्हें छोड़ा।

उस दिन के बाद थोड़ा बहुत तो मैं वैसे उनसे हर रोज़ ही चुदवा लेती थी और हफ्ते में एक दो बार तो वो रात भर रुकते और पूरी रात रंगीन करते!

लेकिन मेरा दिल अब वर्जिन मतलब जिसने पहले कभी किसी को न चोदा हो ऐसे लड़कों के लिए मचलने लगा था।

इसके लिए मैंने जो दो छोरे चुने और उनको सिखाया कि चुदाई कैसे होती है। उनके सिल्की सिल्की बालों वाले लौड़ों से कैसे खेली! इसके लिए अगली कड़ी का इंतज़ार करो, जल्द लौटूंगी!
 

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