Friday, March 9, 2012

मेरी मम्मी और गोपाल अंकल

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

मेरी मम्मी और गोपाल अंकल

प्रेषक : खली
दोस्तो,
मेरा नाम चीनू है और अभी मैं इन्जनियरिंग कर रहा हूँ।
यह बहुत पुरानी घटना है, कहानी उदयपुर(राजस्थान) की है जहाँ मेरे नानाजी
भी काम के सिलसिले में ठहरे हुए थे और उनके साथ उनका एक अच्छा दोस्त भी
था जिनका नाम गोपाल था। वो मेरी मम्मी को अच्छी तरह से जानते थे और मेरी
मम्मी भी उनको जानती थी, अक्सर नानाजी के साथ उनसे भी मिलना हो जाता था
पर मैं उनके सम्बन्ध को नहीं जानता था। मेरी यह कहानी मेरी मम्मी और उन
गोपाल अंकल की है।
जब मैं छोटा था तब "संभोग" के बारे में नहीं जानता था लेकिन आज इतना बडा
हो गया हूँ तो सब समझ में आता है कि उस दिन मेरी मम्मी और वो अंकल क्या
कर रहे थे !
सबसे पहले मैं आपको मेरी मम्मी और उन अंकल का परिचय कराता हूँ। मेरी
मम्मी एक घरेलू महिला हैं, गोरा रंग, उस वक्त उम्र 26 साल थी, कद 5 फ़ुट 2
इन्च और अंकल की उम्र करीब 50 और 55 के बीच की रही होगी।
तो अब यहाँ मेरी कहानी शुरु होती है। एक दिन मेरी मम्मी ने मुझसे कहा-
चलो, नानाजी से मिलकर आते हैं।
उनका घर एक घुमावदार टीले पर था और थोड़े कच्चे मकान भी थे आसपास।
जब हम नानाजी के घर पहुंचे तो गोपाल अंकल ने दरवाजा खोला, उन्होंने अन्दर
आने के लिये बोला। मुझे देख कर वो खुश भी हुए और बोले- अरे चीनू भी आया
है !
और उन्होंने मुझे प्यार किया और गोद में उठाया और अन्दर आ गये। मेरी
मम्मी ने नानाजी के बारे में पूछा तो उन्होने कहां वो किसी काम से बाहर
गये हैं।
मैं घर को इधर उधर देखने लगा, वो लोग बातें कर रहे थे पर मुझे उनकी बातों
से क्या मतलब था क्योंकि मैं बहुत छोटा था। वो धीरे धीरे बातें कर रहे
थे, वो दोनों एक बिस्तर पर ही बैठे थे जो एक खटिया जैसी थी।
थोड़ी देर के बाद बात अंकल ने मुझे बाहर खेलने को कहा। मैंने मम्मी की तरफ़
देखा तो उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरी
मौजूदगी से उनको किसी तरह की शर्म आ रही हो।
मैं वहाँ से जाना नहीं चाहता था क्योंकि मैं बहुत छोटा था और जिद्दी भी।
फिर मम्मी ने मुझसे कहा- बेटा तुम थोड़ी देर बाहर जाकर खेलो, हम तुझे आवाज
लगा देंगे।
अब मेरी मम्मी बिस्तर पर लेट गई। ऐसा लग रहा था कि दोनों की रजामंदी
आँखों ही आँखों में हो गई थी पर मैं वहीं एक तरफ़ खडा हो गया, बाहर की तरफ़
देखने लगा और वो एक-दूसरे में ही खो गये। शायद उन्होंने अपना ध्यान मेरी
तरफ़ से हटा लिया था। अब मेरी मम्मी ने अपनी साड़ी ऊपर करने के किये अपने
पैर फ़ैलाए तो उनकी पायल ने मेरा ध्यान खींचा पर वो दोनों मेरी ओर ध्यान
नहीं दे रहे थे।
तब मैंने देखा कि मेरी मम्मी ने अपने एक हाथ से अपनी साड़ी ऊपर की जिससे
मैंने अपनी मम्मी की गोरे-गोरे गदराई हुई जांघों को देखा, मम्मी की
जांघों को देखकर अंकल की आँखों में चमक आ गई और वो अपने होंटों पर जीभ
फेरने लगे जैसे भूखे शेर के सामने गोश्त का टुकड़ा रख दिया हो।
इधर मैं हैरत में पड़ गया कि मेरी मम्मी की इतनी गोरी गोरी टाँगें कैसे
हैं, बाहर से इतनी गोरी तो कभी नहीं दिखती थी।
इतनी देर बाद भी उनका ध्यान मेरी तरफ़ नही गया। उधर अंकल घुटनों क बल
बिस्तर पर खड़े हुए थे। अब मम्मी ने अपनी गदराई हुई टांगों को फ़ैलाया,
अंकल मम्मी को "संभोग" के लिये तैयार होने तक रुके हुए थे।
अब मम्मी ने अपनी साडी के अंदर हाथ डालकर अपनी अंडरवीयर का थोड़ा सा
हिस्सा एक तरफ़ किया पर मैं उसे साफ़ नहीं देख सका। अब मेरी मम्मी अंकल को
अपनी योनि का भोग देने के लिये पूरी तरह से तैयार थी और अंकल का इंतजार
कर रही थी। इधर अंकल ने भी अपनी पैंट का हुक खोला और फिर जिप... और बाद
में अंडरवीयर।
तो मैंने देखा कि दस इंच का काला मोटा लण्ड मेरी मम्मी की योनि भोगने के
लिये बैचेन हो रहा था। अब अंकल धीरे धीरे मेरी मम्मी के ऊपर लेटने लगे और
मेरी मम्मी को पूरा अपने कब्जे में ले लिया और पूरी तरह से मम्मी के ऊपर
चढ़ गये जैसे कोई उनसे मम्मी को छीन न ले।
अब मैंने देखा उनकी वो पैंट का वो खुला हुआ हिस्सा और मम्मी का खुला हुआ
हिस्सा आपस मे मिल रहे हैं, पर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये लोग
कर क्या रहे हैं।
तभी अंकल ने झटका मारा, जिससे पूरी खटिया हिल गया।
तभी उन दोनों का ध्यान मेरी ओर गया और मेरी मम्मी ने मुझे कहा- बेटा, तुम
थोड़ी देर बाहर जाकर खेलो, थोड़ी देर बाद में आना !
तब मुझे बहुत गुस्सा आया कि मुझे बाहर क्यों भेज रहे हैं, लेकिन मैं, इन
सब बातों को समझने के लिये बहुत छोटा था। करीब पांच मिनट बाद मैंने सोचा
कि आखिर ये लोग कर क्या रहे हैं। तो फिर मैं एकदम से अंदर चला गया तो वो
हक्के-बक्के रह गये, शायद वो दोनो गर्म हो चुके थे और मेरे एकदम से आने
के कारन उनके संभोग मे बाधा पड़ गई थी तो अंकल ने मुझे कहा- तुमको कहा ना
कि थोड़ी देर बाहर जाओ, हम तुझे बुला लेंगे। और कहा कि इस गेट को बंद करके
जाना और अब अंदर मत आना।
इस बार अंकल के स्वभाव में थोड़ी नाराजगी थी।
तो मैं फिर बाहर चला गया। फिर मैंने उनको छुप कर देखने की योजना बनाई पर
डर के मारे हिम्मत नहीं हो रही थी। तभी मैंने देखा कि दरवाजे में छोटा सा
छेद है।
मैंने उसमें से अंदर झांका तो सब कुछ साफ़ दिख रहा था। वो आपस में
धीरे-धीरे बात कर रहे थे पर उनकी बातें मुझे समझ में नहीं आई।
फिर मैंने देखा कि अंकल मम्मी को जोर-जोर से झटके मार रहे थे और पूरी
खटिया हिल रही थी। इन झटकों की वजह से मम्मी की पायल भी सुर से ताल मिला
रही थी। मैंने देखा कि अंकल के जबरदस्त झटकों से मम्मी की जांघों के लोथड़
आवाज कर रहे थे और दोनों एक दूसरे से आपस में पैरों को उलझाए हुए थे, साथ
में बात भी कर रहे थे और "संभोग" का भरपूर आंनद ले रहे थे।
पूरा कमरा फ़च...फ़च... की आवाज से गूंज रहा था और एसा लग रहा था कि खटिया
अभी टूट जायेगी अंकल के करारे झटकों से !
उनकी वासना भरी बातें मुझे समझ में नहीं आ रही थी क्योंकि इन सब बातों के
लिये बहुत छोटा था। इधर अंकल हर चार पांच झटकों के बाद एक जोरदार झटका
देते मम्मी को तो मम्मी की चूड़ियाँ और पायल भी बज उठती और अंकल को और जोश
आ जाता। मेरी मम्मी अपने हाथ से उनकी कमर को प्यार से ऊपर से नीचे तक
बच्चे की तरह सहला रही थी और उनको भरपूर यौनसुख दे रही थी।
15 मिनट बाद अंकल का शरीर अकड़ने लगा और नौ-दस झटके मारने के बाद अंकल के
चेहरे से ऐसा लगा वो मेरी मम्मी कि योनि को जी भरकर भोगने के बाद पूरी
तरह से तृप्त हो गये !
दोनो पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे, उनकी सांसें बहुत तेज चल रही थी और
फिर वो मम्मी के स्तनों पर लेट गये और स्तनो को धीरे-धीरे दबाने लगे।
मेरी मम्मी उनके बालों में हाथ डालकर उनको प्यार से सहला रही थी और फिर
बाद में उनके माथे को चूमा, उनको छोटे बच्चों की तरह प्यार देने लगी।
दोनों पसीने से नहाए हुए थे और हांफ़ भी रहे थे। थोड़ी देर मेरी मम्मी और
अंकल एसे ही लेटे रहे, फिर अंकल मेरी मम्मी के उपर से हटकर बगल में लेट
गये।
अब मैंने देखा कि अंकल मेरी मम्मी से उनके कान में कुछ बोल रहे थे, तब
मेरी मम्मी ने अपनी साड़ी ठीक की और अंकल मेरी मम्मी के बराबर से थोड़ा
नीचे सरक गये, मेरी मम्मी अंकल की तरफ़ मुँह करके लेट गई और अंकल मम्मी के
स्तनों के बराबर आ गये। अब मैने देखा कि मेरी मम्मी ने अपना पल्लू अपने
स्तनों से हटाया और अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगी और फिर हाथ पीछे करके
अपनी ब्रा का हुक खोला और अपने कोमल, मुलायम स्तनों को अंकल के सामने
परोस दिया। इधर अंकल नर्म-नर्म स्तनों को देखकर उस पर टूट पडे और मेरी
मम्मी प्यार से उनके बालों में हाथ फ़ेरते हुए बोली- आप तो बहुत भूखे हो !
तो अंकल बोले- पहली बार किसी जवान और दूध वाली स्त्री के स्तनों का भोग
लगा रहा हूँ।
थोड़ी देर के बाद मेरी मम्मी एकदम से चीखी। अंकल ने कहा- क्या हुआ?
धीरे-धीरे पियो, काटो मत ! दुखता है !
फिर पंद्रह मिनट तक मम्मी ने अंकल को अपना दूध पिलाया... इस दौरान अंकल
ने मम्मी के स्तनों काट-काट कर अनार जैसा लाल कर दिया। मम्मी को बहुत
दर्द भी हुआ था।
जब अंकल मम्मी के स्तनों को जी भरकर भोगने के बाद पूरी तरह से सन्तुष्ट
हो गये तब कहीं जाकर मम्मी को राहत मिली और मम्मी ने अपना ब्लाउज बंद
किया।
अंकल का मुँह दूध से भरा हुआ था, तब वो मम्मी से कहने लगे- तुम्हारे
स्तनों का दूध गरम और मीठा है, मैंने आज जी भरकर तुम्हारे स्तनों का भोग
लगाया है।
तब मेरी मम्मी ने उनके बालों में प्यार से हाथ फ़ेरते हुए उनके सर को चूम
लिया और उठकर दरवाजे की ओर आने लगी तो मैं वहाँ से फ़टाफ़ट भाग गया...
मेरी मम्मी दरवाजा खोलते ही मुझे देखने के लिये आई, मैंने वहीं सीढ़ियों
पर खड़े होकर सड़क पर चल रही गाड़ियों को देखने का बहाना बनाया और उनको
एहसास भी नहीं होने दिया कि मैंने सबकुछ देख लिया था। मेरी मम्मी ने मुझे
आवाज लगाई पर मैने कोई जवाब नहीं दिया, मैने देखा कि दूध रिसने के कारण
मेरी मम्मी के ब्लाउज के आगे के हिस्से गीले हो रहे थे।
वो मेरे पास आई, मैं तब भी चुप था, हकीकत में मैं उदास भी था क्योंकि
मुझे डांट कर बाहर जाने के लिये बोला गया था, मैं अपनी मम्मी से नाराज था
क्योंकि उन्होंने भी मुझे जाने से नहीं रोका, मैंने अपनी मम्मी की तरफ़
नहीं देखने की ठान ली। मेरी मम्मी बार-बार मुझे अपनी तरफ़ देखने के लिये
मना रही थी, काफ़ी देर बाद मनाने के बाद मैंने उनकी तरफ़ देखा, तो मेरी
आँखों से आँसुओं की बरसात होने लगी। तब मेरी मम्मी ने मुझे अपने सीने से
लगा लिया और रोने का कारण पूछा।
तो मैंने अंकल के डांटने की वजह बताई, तब मेरी मम्मी ने बहुत प्यार किया
और कहा- अब कोई नहीं डांटेगा, मैं हूँ ना।
और मुझे कमरे में ले गई और मुझे खूब प्यार किया और खाने के लिये चीजें भी
दी, मैं खुश हो गया।
दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है, बिल्कुल सच्ची घटना है। अपने विचार जरूर भेजना।
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हाय राम ! मैं का करूँ?

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

हाय राम ! मैं का करूँ?

लेखिका : नेहा वर्मा
यह कहानी मुझे शर्मीली ने भेजी है, इसे बस थोड़ा सा संवार कर आपके समक्ष
पेश कर रही हूँ।
लोग मुझे क्यों शर्मीली कहते हैं? क्योंकि मैं बिल्कुल इसके विपरीत रही
हूँ ! कुछ लोग एक नन्ही शर्मीली कली को पसंद करते हैं लेकिन कुछ चाहते
हैं कि औरत ही सब सम्भाले ! और मैं हूँ वैसी ही ! आप जैसा चाहेंगे, मैं
वैसे ही करूँगी। और यदि आपको अपना मन बनाने में ज्यादा समय लगता है तो
मैं आपके लिए तय करूंगी कि आप मेरे साथ क्या और कैसे करेंगे, जैसे आप
मुझे मेरे बदन पर कहाँ चूमेंगे या गुदगुदी करेंगे !
मुझे अपने हाथ गन्दे करना भी अच्छा लगता है ! आप समझ रहे होंगे कि मैं
क्या कहना चाह रही हूँ !
मैं सामान लेने से पहले इसे छू कर अच्छी तरह जांचना पसंद करती हूँ इसलिए
अगर मैं आपके उस सख्त पौरूष मांस को पास से देखना, जांचना चाहूँ तो शायद
आप बुरा नहीं मानेंगे।
मुझे पता है कि इसे कहाँ डलवाना है तो चाहे मैं इसे अन्दर लेकर आपको मजा
दूँ या बाहर से ही !
मैं शर्मीली मुम्बई में रहती हूँ। हमारे घर के आस-पास मुहल्ले में एक दम
तंग गलियाँ है, इतनी संकरी कि गली के दूसरी ओर के मकान की बात तक सुनाई
दे जाती है। हमारे इन घरों के नजदीक रेल लाईन भी है। दिन भर लोकल ट्रेन
और बड़ी बड़ी ट्रेने पास से निकलती हैं, चाहे दिन हो या रात। पर हम लोग तो
इसके आदि हो गये हैं। मेरे पति एक मिल में काम करते है और देवर जी पास ही
एक बहुमंजिली कॉम्प्लेक्स में सुरक्षा गार्ड हैं। दोनों की ड्यूटी बदलती
रहती है, कभी दिन में तो कभी रात में।
उन दिनों मैंने एक बार सुना कि हमारे मुहल्ले में किसी गुल्लू नाम के
लड़के ने रमेश की पत्नी को दिन में ही चोद दिया। गुल्लू पकड़ा भी गया। उसकी
थोड़ी सी पिटाई भी हुई। पर कुछ ही समय बाद यह हादसा सभी भूल गये। फिर इसी
तरह का एक हादसा और सुना। कुछ ले देकर मामला निपटा दिया गया। फिर तो
मुहल्ले के जवान लड़कों ने आये दिन वहाँ की जवान लड़कियों को चोदना शुरू कर
दिया। पकड़ा जाने पर ले देकर मामला निपटा दिया जाता था।
ना जाने एक दिन मेरे दिल में भी ख्याल आया कि मेरा देवर राजा भी तो कई
बार रात को मेरे साथ अकेला रहता है, कहीं उसकी बुरी नजर मुझ पर पड़ गई तो।
उन दिनों मेरे दिल में एक अनजान सा डर बैठने लगा। अब मैं राजा से सावधान
रहने लगी। इतनी सावधान कि मैं उसकी हर बारीक से बारीक हरकत पर ध्यान रखने
लगी। इसी के चलते मैं उसकी छोटी छोटी हरकतें भी पकड़ लेती थी। कई बार तो
मैंने उसे बाथ रूम में मुठ भी मारते हुए भी पकड़ लिया था, उसकी और भी
बातें मुझे पता चल चुकी थी। एक बार तो मैंने चुपके से कपड़े बदलते समय उसे
लण्ड पकड़ कर खेलते भी देखा था। उसका लौड़ा खासा मोटा और लम्बा था, मेरे
पति जैसा ही। मेरा दिल भी धड़क उठता था यह सब देख कर। कहीं उसने मुझे
अकेली पाकर चोद दिया तो। उंह, अकेली तो रोज रहती हूँ, उसकी तो कभी हिम्मत
ही नहीं हुई, तो अब क्या होगी।
पर उस पर निगाहें रखते रखते जाने कब मेरा दिल उस पर आ गया था। उसकी हर
अदा अब मुझे भली लगने लगी थी। वो मुझे अब सुन्दर लगने लगा था। उसकी
स्टाईल मुझे मोहने लगी थी। उसकी जवानी मेरे दिल पर छुरी चलाने लग गई थी।
पर मैं उससे सावधान तो अब भी रहती थी।
अब तो मुहल्ले में जवान लड़कियों और औरतों की चुदाई की वारदातें बढ़ने लगी
थी। इसका असर शायद राजा पर भी शायद होने लगा था। रात को कमरे में बस नाम
का अंधेरा रहता था, गली की लाईटों से कमरे में हल्का सा उजाला रहता था।
कमरे की सारी चीजें मुझे रात में भी स्पष्ट आती थी।
मैं बेसुध सी रात को सोई हुई थी। अचानक मुझे कमरे में आहट सुनाई दी और
मेरी नींद खुल गई। कौन होगा, दिल धड़क उठा। उसके कदमों की थाप मेरे बेड के
पास आ कर थम गई। मैंने बिना करवट बदले कनखियों से उसे बिना हिले देखने की
कोशिश की पर वो मुझे नहीं दिखा। उसके हाथ का स्पर्श मेरे कंधो पर हुआ।
कौन था शायद रवि होगा। वही तो मेरा एक आशिक था।
तभी मेरे बेड के चरमराने की आवाज आई और वो धीरे से बैठ गया। मुझे उसका
मंशा मालूम हो गई थी। मुझे जी में आया कि चिल्ला कर राजा को बुला लूं। पर
डर से मन कांपने भी लगा था। वो धीरे से मेरी बगल में लेट गया और धीरे
धीरे मुझसे चिपकने लगा। उसका लण्ड सख्त हो चुका था और मेरे कूल्हों के
आस-पास वो उसे गड़ा भी रहा था। मुझे गुदगुदी सी होने लगी। उसका एक हाथ अब
मेरे भारी पर सुडौल स्तनों पर आ गया। मुझे बिजली जैसा झटका लगा। पर दूसरे
ही पल मुझे होने वाली अनहोनी का अहसास हुआ। मेरे मुख से चीख निकलने को
हुई पर शायद वो उसके लिये तैयार था। उसका हाथ सीने से हट कर मेरे मुख पर
आ गया और उसे बुरी तरह से दबा दिया।
मैं छटपटा उठी उससे छूटने के लिये।
"अरे, भौजाई, चिल्लाना मत, वर्ना गजब हो जायेगा।"
मेरा दिल धक से रह गया। अरे यह तो खुद राजा ही है। दिल का एक बड़ा डर राजा
के होने के कारण से मिट गया। दिल में था कि जाने कौन होगा, मेरी इज्जत को
तार तार कर देगा। तार तार हुंह … अब मुझमें रखा ही क्या है, कई बार तो
चुद चुकी हूँ। फिर मुहल्ले की दूसरी औरतें तो आये दिन चुदती ही रहती हैं।
"ओह, राजा तू है? मैं तो समझी कि जाने कौन मुआ घर में घुस आया है?"
उसका लण्ड मेरी गाण्ड को चीर कर छेद से जा लगा था। उसका हाथ फिर से मेरे
उरोजों पर आ गया था। अब हाय राम मैं का करू … लौड़ा तो मुझे चुदने के लिये
चाहिये ही था।
"भैया, दूर तो हट ! ऐसे क्या चिपका जा रहा है?"
"वो भाभी, कुछ नहीं, बस ऐसे ही, दिल आपके बारे में गन्दे ख्याल आने लगे थे।"
उसका लण्ड जैसे गाण्ड में घुसने को बेताब हो रहा था, लण्ड में बला की
ताकत थी, मरदूद, कंवारा जो था ना ! मैंने हाथ नीचे ले जा कर उसका लण्ड
वहाँ से हटाया।
"तेरी तो शादी कर देनी चाहिये, अब तू जा !"
"भौजाई यहीं सोने दो ना?"
"अच्छा, सो जा, मैं नीचे सो जाती हूँ।"
"समझो ना भौजाई ! मुझे आपके साथ सोना है !"
"क्यों सोना है राजा?"
"ओह भौजाई, बहुत बोलती हो तुम तो !"
कहकर वो मुझसे लिपट गया। उसके हाथों में मेरी चूचियाँ समा गई। वो धीरे से
सरक कर मेरे ऊपर आ गया। ओह, कितना आनन्द दायक दबाव था। उसने मुझे चूमना
शुरू कर दिया। मैं जानकर के घूं-घूं करती रही। अपना चेहरा इधर उधर करके
उससे बचती रही। वो अब मेरे ऊपर सेट हो गया था। मेरी टांगों पर दबाव डाल
कर उसे फ़ैलाने में कामयाब हो गया था। या यूं कहिये कि मैंने खुद ही धीरे
धीरे अपने पांव फ़ैला दिये थे। अब उसका लण्ड उसकी लुंगी के ऊपर से मेरी
चूत पर पेटीकोट के ऊपर ही चिपका हुआ था। गुदगुदी सी होने लगी थी। मन तो
कर रहा था कि उसका लौड़ा चूत में रगड़ लूँ, चूत में भर लूं और जी भर कर
चुदा लूँ। पर देवर की नजरो में मैं तो कहीं की नहीं रहूंगी, साला छिनाल
समझेगा।
हम दोनों के बीच जैसे मल्ल युद्ध सा होने लगा था। उसने मेरा पेटीकोट आखिर
ऊपर कर ही दिया। उसने मुझे अपनी टांगों की कैचीं में फ़ंसा ही लिया। उसने
अब लुंगी हटा कर अपना लण्ड निकाला और हिलाया,"बोलो भौजाई, अब क्या करोगी,
बहुत हाथ पैर चला लिये।"
उसने लौड़ा हिलाते हुये मेरी चूत पर लगा दिया। मेरी चूत तो उसे निगलने के
लिये जैसे तैयार ही थी। साली एकदम पानी छोड़कर चिकनी हो गई थी।
"राजा, मैं तो तेरी भौजी हूँ, छोड़ दे मुझे !" मैंने कहते हुये चूत का
दबाव उसके लण्ड पर डाल दिया।
"मलाई सामने पड़ी है और मैं छोड़ दूँ? भौजाई तू भी खाले ना… ले खा।"
उसने अपना सुपाड़ा धीरे से अन्दर डाला। मेरी चूत का दाना भी रगड़ खाया।
मुझे एक मीठी सी सिरहन हुई।
"देख अब तो तेरे मेरे बीच में झग़ड़ा हो जायेगा।" मैंने ना में अपनी सहमति दर्शाई।
"ना भौजी, तेरे मेरे में नहीं, झगड़ा तो तेरी चूत और मेरे लण्ड में होगा,
मजा आयेगा ना?"
उसने मेरी भारी चूचियाँ दाब दी और एक सधे हुये मर्द की तरह अपना शरीर
अपनी कोहनियों पर लिया और अपने चूतड़ मेरी चूत पर दबा दिये। मेरे मुख से
आनन्द भरी एक सिसकी निकल गई। लण्ड अन्दर बड़े प्यार से सरकता हुआ मेरी चूत
की गहराई में डूबने लगा। उसका भारी बलिष्ठ शरीर मेरे ऊपर आ गया। उसका
भारी शरीर भी मुझे फ़ूल सा लगने लगा था, मन में कसक भरने लगा था।
"तेरी भोसड़ी मारूँ भौजी, तू तो मस्ती से भरी हुई है।"
"राजा, आह्ह्ह्ह, तू बहुत हरामी है रे, तूने मार दी ना मेरी चूत?"
"तेरी मां का भोसड़ा, साली एकदम चिकनी घोड़ी है, कितना मजा आ रिया है तुझे
चोदने में, देख तेरे मस्त पुठ्ठे, साले जानदार हैं !"
"भेनचोद राजा, तुझे जोर आजमाने के लिये भौजाई ही मिली थी क्या? मना करने
पर भी चोद रिया है।"
वो अब मुझे कस कर जकड़ कर अपने चूतड़ धीरे धीरे ऊपर नीचे करके मेरी चूत में
लण्ड अन्दर बाहर कर रहा था। मैंने भी अपनी टांगे चौड़ी करके उसकी कमर से
कैंची लिपटा दी थी। उसकी गले में अपनी बाहें डाल कर उसे चिपका लिया था।
"भौजी, आह्ह्ह बहुत मजा आ रिया है… आह्ह्ह्ह उफ़्फ़्फ़्फ़"
"हां राजा भैया, सच में बहुत मजा आ रिया है, बस किये ही जाओ राजा स्स्स्स्सीईईईईइ""
अब हम सब रिश्ते नाते भूल कर एक दूसरे में समाये हुये, अधरों से अधर को
चिपकाये हुये, एक दूसरे की जीभ का रस लेते हुये रंगीन दुनिया की ओर बढ
चले थे, दोनों के शरीर एक मीठी आग में जल रहे थे, वासना के शोलों में
दोनो लिपटे हुये अनन्त सुख में डूबे हुये थे। मैं तो इसी बीच दो बार झड़
भी गई थी। बड़ी देर बाद राजा के लण्ड ने अपने अन्दर से ढेर सारा माल उगला।
आज तो मैं ना चाहते हुये भी चुद गई थी। पर मन ही मन उसे मैंने चोदने के
लिये धन्यवाद भी दिया। राजा अपनी लुंगी बांधने लगा था। मुझे बहुत खराब लग
रहा था कि बस लौड़ा खड़ा हुआ, चोदा और अपना काम निकाल लिया और जाने लगे।
यानी खाया पिया और मुँह साफ़ करके बाय बाय।
"भौजाई, भैया को मत कहना, अपने तक ही रखना !"
मैंने चुप से सर झुकाये हां में सर हिला दिया। वो चुपचाप चला गया। लेकिन
उसने अपने आप के लिये एक रास्ता खोल लिया था।
मुझे तो मालूम था कि कल रात को वो मुझे चोद गया है तो वो आज भी कोशिश
करेगा। आज तो मैं चुदने के लिये बिल्कुल तैयार थी। नीचे के भीतरी अंगों
में मैंने अच्छी तरह से तेल की मालिश भी कर ली थी। अग्रद्वार, पीछे का
द्वार सभी को अच्छी तरह से तेल लगा कर तैयारी कर ली थी।
जैसा मैंने सोचा था वैसा हुआ ही नहीं। वो काफ़ी रात तक नही आया। यहाँ तक
कि मुझे नींद भी आ गई। रात को मेरी नींद खुली। बाहर बरसात हो रही थी। मैं
उठी और खिड़की बन्द कर ली। मेरी सारी तैयारी धरी की धरी रह गई थी। हाय
राम, कैसा जल्लाद है ये राजा, चूत में आग लगा कर छुप गया है। मैंने चुपके
से झांक कर उसके कमरे में झांका। वो तो बेफ़िकर हो कर अपने पांव पसारे
खर्राटे भर रहा था। मैं दबे पैर उसके पास गई। उसकी लुंगी कमर से ऊपर उठा
दी। उसका मस्त लण्ड एक तरफ़ लुढ़का हुआ सो रहा था। उसे देख कर मेरे मन में
आग भड़क उठी। मैंने अपना पेटिकोट उतार दिया और नंगी हो गई। उसके लण्ड को
देख देख कर मेरी चूत कुलबुल कुलबुल करने लगी।
मैंने उसके सोते हुये लण्ड पर हाथ फ़ेरा। वो धीरे धीरे से लम्बा होने लगा।
जैसे जैसे मैं हाथ से उसे सहलाती, उसका माप बढ़ता ही जाता और सख्त होता
जाता था। मैंने अपना ढीला सा ब्लाऊज़ उतार दिया और पूर्ण नग्न हो गई। मेरे
दिल में आग भड़क उठी थी। मुआ कैसा ढीठ की तरह सो रहा है। कल तो मुझे
जबरदस्ती चोद गया था और आज तो देखो, साला मादर चोद है। शरीर में जैसे
मीठी सी आग सुलगने लगी थी, मेरी चूचियाँ कठोर होने लगी थी, चुचूक कड़े
होकर तन कर फ़ूल कर सीधे हो गये थे। मैं उसके सख्त हुये लण्ड को सहला कर
उसके ऊपर बैठ गई। उसके कड़े होते हुये लण्ड को मैंने अपनी गाण्ड के छिद्र
पर जमा दिया। छिद्र तेल लग कर पहले से ही चिकना था। लण्ड का सुपाड़ा भी तन
कर लाल हो गया था। सुपाड़े के सिरे का गुदगुदापन मुझे गद्देदार लग रहा था।
फिर नरमाई से वो गाण्ड के छेद में उतर गया।
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, शर्मीली लण्ड तो घुस गया।"
"नाम ना लो राजा। भौजाई ही कहो, आज तो बड़ी बेरुखी दिखा रहे हो?"
"ना भौजाई मैं तो कब से तैयार था, पर कल की बात से डर गया था।"
"काहे का डर, भौजाई को चोद कर डर गये, और ये ना सोचा, कि उसका अब रातों
को क्या हाल होगा?"
भैया ने नीचे से जोर लगा कर लण्ड को अन्दर ठेला। बहुत दिनो बाद गाण्ड की
पिलाई हो रही थी, सो बहुत ही अच्छा लग रहा था। जैसे कि नई नई गाण्ड चुद
रही हो। उसका लण्ड धीरे धीरे सरकता हुआ पूरा ही गाण्ड में चला गया। अब बस
मुझे ऊपर नीचे अपनी गाण्ड को चलाना था। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चौड़ी
छाती पर रखे और अपने चूतड़ ऊपर उठाये और धीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगी।
राजा मारे उत्तेजना के कराहने लगा। मेरी गाण्ड में भी हल्की सी मीठी सी
गुदगुदी मचलने लगी। मेरी कसी गाण्ड को वो अधिक देर तक नही सह पाया और
अन्दर ही उसके लण्ड ने अपना माल निकाल दिया। उसका लण्ड मेरी गाण्ड में
अन्दर तक फ़ंसा हुआ था। मैंने अपनी गाण्ड भींच कर ऊपर उठाई ताकि उसके लण्ड
को एक जोरदार रगड़ मिले। वीर्य से मेरी गाण्ड बहुत चिकनी हो गई थी। पर
लण्ड निकालते समय उसके मुख से एक चीख निकल ही गई। लण्ड के निकलते ही उसका
वीर्य मेरी गाण्ड के छेद से टप टप करके निकलने लगा।
"बस बस करो शर्मीली, मैं मर जाऊंगा।"
"शर्मीली मरने देगी तब ना !" मैंने बेचैनी से कहा।
मैंने झुक कर और नीचे सरक कर उसके वीर्य से लथपथ लण्ड को मुख में ले
लिया। धीरे धीरे उसे चाट कर पूरा साफ़ कर दिया। पर इस लण्ड चटाई में उसका
लण्ड फिर जोर मारने लगा था। मुझे भी एक मस्त चुदाई चाहिये थी। उसने मेरी
लटकती हुई चूचियाँ अपने मुख में भर ली और चूसने लगा। मैंने उसका लौड़ा
अपनी चूत पर रगड़ा और भीतर समेट लिया। दोनों की सिसकियां निकल पड़ी। मैं
अपनी जीभ बाहर निकाल कर कुत्ते की तरह उसका मुख चाटने लगी। बार बार मैं
अपनी जीभ तीखी करके उसके मुख में घुसेड़ देती थी। मैं बेरहमी से अपनी चूत
को उसके लण्ड पर पटक रही थी। फ़ट फ़ट और फ़च फ़च की आवाजे कमरे में गूंज उठी।
मैं उसे दबा कर चोद रही थी। वो नीचे दबा हुआ मस्ती में तड़प रहा था।
अब मैंने उसके दोनों हाथ फ़ैला कर दबा लिये थे। उसके लण्ड की पिटाई कर रही
थी, बल्कि यूँ कहिये कि अपनी चूत का भरता बना रही थी। कुछ ही देर में
आवाजें फ़चाक फ़चाक में बदल गई। मेरा रस निकलने लगा था। मैं बेहाल सी अपनी
चूत पटके जा रही थी। फिर मैं निढाल हो कर पस्त सी एक तरफ़ लुढ़क गई। तभी
मुझे लगा कि जैसे राजा ने मुझ पर पेशाब कर दिया हो।
पहले तो उसका वीर्य निकला, फिर उसने मेरे शरीर पर मूतना आरम्भ कर दिया।
मुझे गरम गरम सी धार का आनन्द आया, लगा कि स्नान कर लिया हो। फिर वो
पेशाब करके एक तरफ़ आ गया और खड़ा हो गया।
"आओ भौजाई, बाहर बरसात में नहा लें, तन की आग शान्त हो जायेगी।"
उसने मुझे गोदी में उठाया और बाहर वराण्डे में ले आया। जैसे ही ठण्डी
ठण्डी बूंदें नंगे शरीर पर पड़ी, तन में एक नई ताजगी भरती गई। मैं उसकी
गोदी में ही उससे लिपट गई और उसे चूमने लगी।
"आह भैया, सुख तो राजा की बाहों में ही है।"
हम दोनों बरसात के पानी में जमीन पर लोट लगाने लगे। बरसात में फ़र्श पर
लोट लगाते हुये फिर कई बार चुदी मैं।

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प्यारी पड़ोसन

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

प्यारी पड़ोसन

प्रेषक : प्रशांत पाण्डे
मेरा नाम प्रशांत है, उम्र 25 साल और मैं दिल्ली के करोल बाग में किराये
के मकान में नया नया आया हूँ। मेरे बगल वाले घर में एक मिस्टर शर्मा का
परिवार रहता है। परिवार में कुल पांच सदस्य हैं, शर्मा जी(50 साल) और
उनकी बीवी(45 साल), शर्मा जी का बेटा सुमित(30 साल), बहू रीना(22 साल) और
शर्मा जी की बेटी दिव्या(18 साल)।
वैसे तो शर्मा जी का परिवार मुझसे कोई मतलब नहीं रखता था, लेकिन एक दिन
शर्मा जी के बाथरूम में कुछ काम होना था तो शर्मा जी रात दस बजे मेरे पास
आये और बोले- बेटा, कल से दो दिन के लिए हमें अपना बाथरूम प्रयोग करने
दो, हमारे बाथरूम में प्लंबर का कुछ काम होना है।
मैंने हाँ कर दी क्योंकि मेरे दिमाग में शर्मा जी की सेक्सी बेटी और बहू
का बदन आने लगा जिन्हें सोच सोच कर मैं रोज रात को मुठ मारा करता था।
दोनों एक से बढ़कर एक क़यामत की हद तक खूबसूरत थी, शर्मा जी की बेटी
बारहवीं में पढ़ती थी और वो चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार माल थी। उसकी
चूचियाँ इतनी गोल थी जैसे कि टेनिस की बाल, और उसकी गांड भी इतनी सुडौल
थी कि लगता है जैसे अजंता एलोरा की मूर्तियों की गांड और होंठ इतने रसभरे
कि जो देख ले, जरूर चूसना चाहेगा।
और बहू शिल्पा शेट्टी की डुप्लीकेट लगती थी, उसके लम्बे बाल उसकी गांड तक
आते थे और चूची दिव्या से बड़ी थी।
मैने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख कर किसी तरह से रात बिताई, अगली सुबह
सेक्स की दो तितलियों को इतने पास से देखने का इंतजार जो था।
सुबह चार बजे ही मेरी नींद खुल गई और मेरे दिमाग में एक विचार आया कि
क्यों न अपना वेब कैम बाथरूम में सेट कर दूँ !
और मैंने जल्दी से यह नेक काम कर भी लिया और कंप्यूटर पर सेट्टिंग कर दी
कि अपने आप रिकॉर्ड होता रहे। फिर मैं सो गया।
सुबह करीब साढ़े छः बजे दरवाज़े की घण्टी की आवाज सुन कर नींद खुली तो देखा
कि शर्मा जी और उनकी बीवी थी।
मैंने गुड मोर्निंग बोला और उन्हें बैठने का इशारा किया तो शर्मा जी बैठ
गए और मिसेस शर्मा बाथरूम में चली गई।
फिर शर्मा जी ने कहा- बेटा पढ़ाई में क्या किया है?
तो मैंने बोला- अंकल, मैं मैथ से ऍम एस सी कर रहा हूँ ! और साथ में एक
कंप्यूटर सेण्टर में पढ़ाता भी हूँ !
उनकी तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा कि मैं मैथ और कंप्यूटर दोनों जानता
हूँ, बोले- बेटा, मेरी बेटी दिव्या अभी बारहवीं में है, उसे पढ़ा दिया
करो।
मैंने बोला- ठीक है !
और दोनों फ्रेश होकर चले गए।
करीब आधे घंटे बाद रीना भाभी आई और गुड मोर्निग बोल कर बाथरूम में चली गई।
मैं अब अपने कंप्यूटर पर देखने लगा। सबसे पहले रीना भाभी ने अपनी मेक्सी
उठाई और फिर अपनी अंडरवियर उतार के संडास करने लगी। मेरी नजर उसके
प्यारी, कसी, बिना झांटों वाली चूत से निकल रहे कल कल करते पेशाब पर थी
और हाथ अपने साढ़े नौ इंच लम्बे और मोटे लौड़े पर था।
दोस्तो, मैंने अपने लौड़े पर शुरू से ही ध्यान दिया है, रोज दो बार इसकी
तेल मालिश करता हूँ।
जी तो कर रहा था कि जाकर अभी चोद दूँ, पर हिम्मत नहीं हो रही थी।
फिर रीना भाभी अपनी ब्रा खोल के शॉवर के नीचे खड़ी हो गई। क्या प्यारी
चूचियाँ थी, लगता था कि अभी तक किसी ने हाथ नहीं लगाया है। कभी वो अपनी
चूचियाँ मसल रही थी, कभी अपनी चूत में साबुन लगा कर रगड़ रही थी।
मुझसे रहा नहीं गया, मैं दरवाजे पर जाकर बोला- भाभी, जल्दी खोलो ! बहुत
जोरो से पेशाब लगा है !
उन्होंने कहा- मैंने अभी कपड़े नहीं पहने हैं, रुक जाओ !
मैंने बोला- एक मिनट में कर लूँगा, फिर आप आराम से नहाना !
फ़िर क्या था, भाभी ने तौलिया लपेट कर दरवाजा खोल दिया और मैं पेशाब करने
लगा। लेकिन भाभी जोकि दूसरी ओर मुँह करके खड़ी थी, शीशे में उन्हें मेरा
लौड़ा दिख गया और वो सबकुछ भूल कर मेरे लौड़े को देखने लगी। इतना मोटा और
लम्बा लौड़ा शायद ही उन्होंने कभी देखा हो और मैंने भी देख लिया कि वो
मुझे देख रही हैं।
फिर क्या था, मेरा पेशाब तो जैसे रुक ही गई और लौड़ा और कड़क होने लगा
जैसे अभी फट ही जायेगा। मैं हल्के हाथ से उसे सहलाने लगा कि पेशाब हो
जाये पर एक बूँद भी निकल नहीं रही थी।
पाँच मिनट बीत गए लेकिन मैं बेबस क्या करूँ !
फिर रीना भाभी मुस्कुराते हुए मेरे पास आई तो मैं शर्माने लगा, पर वो
बोली- मैंने सब देख लिया है और मेरे पास एक तरीका है कि तुम्हारा पेशाब
उतर जाये !
और मेरे लौड़े को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी और बोली- यार, इतना
बड़ा लौड़ा तो मैंने अपनी पूरी जिंदगी में नहीं देखा !
और मुझे शॉवर के पास ले जाकर मेरे लौड़े को पानी से धोने लगी- अब कैसा लग रहा है?
मैंने बोला- अच्छा !
वो बोली- अभी और अच्छा लगेगा !
और मेरे सुपारे को अपनी जीभ से चाटने लगी।
फिर क्या था, मैंने भी उनका तौलिया सरका दिया, वो पूरी नंगी हो गई। मैं
अपना लौड़ा उसके मुँह में ठेलने लगा तो वो बोली- मेरे राजा, क्या जान
लोगे ?
मैंने कहा- मेरी रानी, बस अपनी चूत दे दे !
तो वो बोली- वैसे मैंने कभी अपने पति के साथ गलत न करने की सोच रखा था पर
तुम्हारा लौड़ा देख कर लग रहा है कि अगर मैं तुमसे नहीं चुदुंगी तो यह
मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल होगी....
मैं भी रीना भाभी को दीवाल के सहारे खड़ा करके एक हाथ उनकी चूची और एक हाथ
से उनकी गांड पूरी ताकत से दबाने लगा और मेरा लौड़ा उनकी चूत और पेट पर
टक्कर मारने लगा तो उनके मुँह से आह.. आह....मेरे जानू ....मुझे चोद
दो... निकलने लगा।
मैं अब अपने एक हाथ को रीना भाभी की चूत पर फेरने लगा और उनकी सफाचट चूत
में मैंने जैसे ही अपनी दो उंगलियाँ थूक लगा कर डाली तो वो कसमसाने लगी।
फिर मैंने रीना को वहीं बाथरूम में ही नीचे लिटा दिया और उसके दोनों पैरो
के बीच में बैठ कर उनके दोनों पैरो को खोल कर हल्का हल्का पानी छोड़ रही
चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। कसैला सा स्वाद था पर मजा आ गया।
वो मेरे राजा...... अब मत तडपाओ चोद दो !!! नहीं तो कोई आ जायेगा !
मैंने भी पास में रखी सरसों के तेल की बोतल से तेल लेकर उसकी चूत पर डाल
दिया, अपने लौड़े को भी तेल से तर कर लिया और अपने लौड़े को चूत पर
रगड़ते हुए उसके दोनों पैरों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और झुक कर
उसके होटों को चूसते हुए उसके कंधे के नीचे से हाथ ले जाकर उसे कस कर पकड़
लिया ताकि वो मेरे लौड़े को झेल ले।
लौड़ा सेट था ही ! मैंने जैसे उसकी जीभ को चूसा, वैसे ही मैंने अपने
लौड़े को 2-3 इंच अन्दर घुसा दिया। रीना ने चीखना तो चाहा लेकिन उसकी चीख
निकल नहीं पाई, मैं उसके होठों को काटने लगा और अपना लौड़ा 2-3 इंच और
घुसा दिया।
वो बोली- अब और मत घुसाना, नहीं तो मर जाऊँगी !
मैं अब प्यार से उसके होठों को और कान के पास चूसने लगा और इतने में उसकी
चूत पानी छोड़ने लगी। फिर क्या था मैंने बाकी का भी लौड़ा घुसा दिया। और
जैसे ही एक दो धक्के लगाये, वो बोली- बस करो... बस करो... अब और नहीं...
मैंने कहा- भाभी, अभी मेरा पानी नहीं निकला, मैं क्या करूँ? मैं पागल हो जाऊंगा !
वो बोली- मैं अभी लौड़े को चूस कर तुम्हारा पानी निकाल दूँगी। मेरे शेर
.. आज सन्डे है, सब लोग पिकनिक जा रहे हैं, आज मेरे पास टाइम नहीं है, कल
दिन में जी भर के चोदना !
उसने मेरे लौड़े को मुँह में जैसे ही लिया, दरवाज़े पर घण्टी बजने लगी ....
मैंने जल्दी से बाहर की अलमारी से एक लोअर और एक टी-शर्ट पहन कर दरवाजा
खोला, सामने दिव्या खड़ी थी।
आगे क्या हुआ..... फ़िर कभी.....
अपनी राय जरूर लिखें !
prashant.kamdev@gmail.com


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मीना के साथ बिताये रंगीन पल

मीना के साथ बिताये रंगीन पल

प्रेषक : सागर
मेरा नाम सागर है मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 23 साल है।
आज मैं जो आपको सुनाने जा रहा हूँ वो एक सच्ची कहानी है! यह घटना कुछ समय
पहले की है जब हम कॉलेज़ में पढ़ते थे।
यह कहानी मेरी गर्लफ़्रेन्ड मीना की है, उसकी उम्र 21 साल है वो दिखने में
बहुत सुन्दर है उसको देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता है। उसका फिगर
34-32-34 का है उसकी गांड तो बहुत मस्त है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
मैं और मीना एक साथ कॉलेज में पढ़ते हैं। हमने साथ-साथ स्कूल की पढ़ाई भी
की थी, हम एक साथ स्कूल-कॉलेज़ जाते हैं और एक साथ ही आते हैं! मैं उसको
अच्छी नजरों से देखता था। मेरे मन में उसके प्रति कोई गलत सोच नहीं थी,
पर एक दिन क्या हुआ कि बहुत जोर से बारिश हो रही थी और हम दोनों कॉलेज़ जा
रहे थे, उसका बदन पूरा गीला हो गया था, वो भीगे कपड़ों में बहुत सुंदर लग
रही थी। मेरा मन उसको देखते ही फिसल गया था।
उस रात को मैं सो नहीं पाया, बार बार मुझे उसका भीगा हुआ बदन याद आ रहा
था और मैं सोच रहा था कि काश वो मुझे सेक्स करने दे। उस रात मैंने दो बार
मुठ भी मारी और जैसे तैसे करके रात गुजर गई।
जब सुबह हम एक साथ कॉलेज़ जा रहे थे तो मैंने मीना को कहा कि मैं तुम्हें
कुछ कहना चाहता हूँ।
उसने कहा- कहो !
पर मेरे मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी, मैंने उसको कहा- कल बताऊँगा।
तो वो जिद करने लगी।
तो मैंने कहा- कॉलेज़ में बताऊँगा।
फिर उसने कहा- ठीक है !
जब हम कॉलेज़ पहुँच गए तो मेरा मन पढ़ने में बिल्कुल नहीं लगा और जैसे ही
हाफ़ टाइम हुआ तो वो मेरे पास आ गई और बोली- क्या बात थी? अब बताओ।
तो मैंने उसको कहा- तुम अकेली कमरे में आओ !
जब हम दोनों एक कमरे मैं गए तो मैंने उसको कहा- मैं तुमसे प्यार करता हूँ !
तो उसने कहा- मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ !
इतना कहने पर मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा- मैं तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ !
तो उसने कहा- सागर मैं तुम्हें ऐसा नहीं समझती थी !
फिर मैंने कहा- मीना जब कल तुम्हारे कपड़े भीग गए थे तो तुम्हारा बदन बहुत
सुन्दर लग रहा था। मैं तब से ही तुम्हारे साथ सेक्स करने की सोच रहा हूँ।
और कल रात को मुझे नींद भी नहीं आई। उसने कहा- देखो सागर, मैं तुमको एक
अच्छा दोस्त मानती हूँ ! पर तुम तो !
इतना कह कर वो वहाँ से चली गई और मैं अपने कि कोसता रहा कि मैंने ये सब क्या किया।
फिर मैं निराश होकर वहाँ से घर चला गया। फिर दो दिन मैं कॉलेज़ नहीं गया
तो दो दिन बाद उसका कॉल आया, उसने पूछा- तुम कॉलेज़ क्यों नहीं आ रहे हो?
मैंने कहा- तबियत ख़राब है !
तो उसने कहा- तुम्हारी तबियत खराब नहीं, उस दिन की बात से नाराज हो तुम !
मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है !
फिर मैं उस दिन कॉलेज़ जाते समय लेट हो गया और उस दिन मैं अपनी बाईक लेकर कॉलेज़ गया।
मैडम ने पूछा- आज लेट क्यों आए हो ?
मैंने कहा- मैडम, तबियत ख़राब थी !
मैडम ने कहा- ठीक है, अपनी सीट पर जाओ !
फिर जब हाफ टाइम हुआ तो मीना मेरे पास आई उसने कहा- तुम मुझ से नाराज हो क्या?
मैंने कहा- नहीं !
फिर जब कॉलेज़ की छुट्टी हुई तो मैंने मीना को कहा- मैं बाईक लेकर आया हूँ
! हम दोनों बाईक पर चलेंगे !
तो वो मान गई। जब मैं बाईक चला रहा था तो उसकी चूची मेरी पीठ पर लग रही
थी। ऐसे में मेरा लौड़ा खड़ा हो गया और जैसे तैसे मैंने उसके घर के सामने
बाईक रोक दी, वो उतर गई।
मैंने उसको कहा- अब मैं चलूँ?
उसने कहा- घर पर आये हो चाय पी कर जाना !
तो मैंने कहा- ठीक है !
जब हम अन्दर गए तो अंदर कोई नहीं था, मैंने उसको कहा- घर के बाकी लोग कहाँ हैं?
तो उसने कहा- शादी में गए हुए हैं ! तुम अंदर चलो न !
मैं अन्दर जा कर सोफे पर बैठ गया।
उसने कहा- मैं चाय बना कर लाती हूँ !
मैंने कहा- ठीक है !
वो चाय बना कर ले आई और हम दोनों ने चाय पी, फिर मैं बोला- अब मैं चलूँ?
उसने कहा- रुको ना !
मैंने कहा अब क्या हो गया? रूक कर क्या करूंगा?
फिर वो बोली- तुम रुको, मैं अभी आई !
मैंने कहा- कहाँ जा रही हो?
तो उसने कहा- कपड़े बदल कर आती हूँ !
फिर जब वो कपड़े बदल कर आई तो बहुत सेक्सी लग रही थी। उसने टी-शर्ट और
लोअर पहना हुआ था, वो मेरे सामने बैठ गई, उसको देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो
गया। जी कर रहा था कि साली को पकड़ कर अभी चोद दूँ !
फिर हमने इधर-उधर की बातें की, फिर उसने कहा- टीवी चला लो !
जैसे ही हमने टीवी चलाया तो एक लड़का एक लड़की को चूम रहा था। यह सब देख
कर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया और फिर मैंने मीना को पकड़ लिया- मीना, मैं
तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ !
तो मीना ने कहा- यह तुम क्या कर रहे हो? प्लीज़ मुझे छोड़ो !
पर मैंने उसको नहीं छोड़ा और मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और
चूसने लगा। कुछ देर उसने बहुत कोशिश की छुटने की। फिर तो वो भी मेरा साथ
देने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी! मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा और
वो अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह करने लगी।
फिर मैंने उसकी टी-शर्ट को उतार दिया और ब्रा के ऊपर से ही चूचियाँ दबाने
लगा। उसको बहुत मजा आ रहा था, वो कह रही थी- और जोर से दबाओ ! जोर से, और
जोर से !
फिर मैंने उसकी ब्रा को भी निकाल दिया और उसकी चूची चूसने लगा और वो जोर
जोर से ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह की आवाज निकाल रही थी। फिर मैं कम से कम 5 मिनट
तक उसकी चूची चूसता रहा !
फिर मैं उसको उठा कर बैडरूम में ले गया और वहाँ मैंने उसका लोअर उतार
दिया, मैं उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चूसने लगा और वो बस अह्ह
ओह्ह्ह्ह की आवाज निकाल रही थी। फिर मैंने उसकी पैंटी उतार दी और चूत में
ऊँगली करने लगा।
वो कह रही थी- दर्द हो रहा है, प्लीज़ आराम से करो !
मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और चूत को चूसने लगा। कुछ देर बाद
उसकी चूत से पानी निकलने लगा और वो मैं सारा का सारा पानी चाट गया।
फिर मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए और अपना लौड़ा उसके हाथ पर रख दिया और
कहा- लो इसे चूसो इसको !
तो वो मना करने लगी। मैंने ज़बरदस्ती उसके मुँह में अपना लौड़ा दे दिया और
फिर लगा धक्के मारने और करीब 2 मिनट तक मैं उसके मुँह में धक्के मारता
रहा।
फिर मैंने उसको कहा- तुम सीधी लेट जाओ !
और वो लेट गई।
फिर मैं उसके ऊपर आ गया और उसको दोनों टांगो को चौड़ी करके अपना लौड़ा
उसकी चूत पर लगाया, एक हल्का सा धक्का मारा और मेरा लंड का ऊपरी सिरा
उसकी चूत में चला गया और वो कहने लगी- उईईईईईई मर गई ! छोड़ो मुझे !
पर मैंने उसकी नहीं सुनी और अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए और चूसने
लगा। कुछ देर बाद मैंने एक धक्का और मारा जिससे मेरा 3 इंच उसकी चूत में
चला गया। उसने चीखने की कोशिश की पर मैंने आवाज को बाहर नहीं आने दिया और
फिर मैं कुछ देर ऐसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा।
फिर मैंने एक जोर का धक्का मारा तो मेरा पूरा लौड़ा उसकी चूत में चला गया
जिससे उसके मुँह से आवाज आई- गर्रर उईईईईईए !
और उसकी आँखों से आँसू निकल आये और चूत में से खून निकल रहा था। पर मैंने
उसकी परवाह नहीं की और कुछ देर उसकी चूची चूसता रहा और फिर जब उसका दर्द
कम हुआ तो मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा और वो भी पूरे जोश से मेरे
धक्कों का जवाब कमर हिला कर दे रही थी और सेक्सी सेक्सी आवाज निकल रही
थी, कह रही थी- फक्क मी ओह्ह्ह अह्ह्हह्ह ओह्ह अह्हह्ह आह !
फिर मैं उसकी 20 मिनट तक चुदाई करता रहा और फिर उसकी चूत में ही झर गया
वो भी कम से कम दो बार झर चुकी थी।
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा तुम्हें?
तो उसने कहा- बहुत अच्छा लगा !
फिर जब उसने अपनी चूत को देखा तो कहने लगी- यह क्या है?
तो मैंने कहा- पहली बार में ऐसा होता है, तुम डरो मत !
फिर हम उठ कर नहाने चले गए और जब हम वापिस आये तो मेरा लंड फिर से खड़ा हो
गया। तो उसने कहा- यह क्या हो गया इसको? यह तो सो भी नहीं रहा है !
मैंने उसको कहा- तुम सुला दो इसको !
फिर हमने एक बार और सेक्स किया।
इस तरह मैं मीना के साथ बेहतरीन पल बिताता हूँ !
दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी कहानी? मुझे मेल करके बताएँ और मैं अगली
कहानी में बताऊंगा कि कैसे मैंने उसकी गांड मारी !
sagarkumar33@rediffmail.com


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प्यासी औरत

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

प्यासी औरत

प्रेषक : अभय
मैं हिंदी सेक्सी कहानियाँ  का दैनिक पाठक हूँ, यह एक ऐसी जगह है जहाँ
लोग अपने दिलों की अनकही इच्छाएँ व बातें लिख सकते हैं।
मैं 25 साल का जवान युवक हूँ, मेरी लम्बाई 5.6 इंच है, पेशे से मैं एक
कम्प्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर हूँ। मेरा कमरा तीसरी मंजिल पर है और खिड़की
की विपरीत दिशा में मेरा कम्प्यूटर रखा हुआ है
और सामने की छत से कम्प्यूटर की स्क्रीन साफ-साफ दिखती है। मैं रोज उसमें
नग्न तस्वीरें देखता हूँ। सामने की छत पर एक औरत रोज कपड़े सुखाने आती है।
मुझे नहीं पता था कि वो रोज मुझे छुप कर देखती थी।
एक दिन मैंने उसे ऐसा करते देखा लिया, तब से मैं उसे रोज छुप कर देखने
लगा, मुझे वो अच्छी लगने लगी। मैंने उसके बारे में पता किया तो पता चला
कि उसका नाम मीनाक्षी है और वो पेशे से अध्यापिका है और उसका पति एक बड़ा
व्यापारी है लगभग 44-45 साल का। बहुत अमीर लोग थे वो।
मीनाक्षी लगभग 34-35 साल की होगी पर भगवान ने उसे क्या बनाया था, एक-एक
अंग को जैसे सांचे में बनाया हो। उसके बदन का आकार 36-32-36 होगा, उसके
मोमे इतने मोटे थे कि जैसे किसी गंजे आदमी का सर, उसकी ग़ाण्ड ऐसी उठी थी
कि जैसे हिमालय के दो विशाल पर्वत !
जब मैंने उसे पहली बार देखा तो देखता ही रह गया। जब वो साड़ी पहनती थी तो
क्या कयामत लगती थी ! मैं तो बस उसी को चोदने के सपने देखने लगा।
अचानक भगवान ने मेरी सुन ली।
एक दिन उनके घर में बिजली से शॉट सर्किट हुआ और घर का कम्प्यूटर जल गया।
मेरी गली में एक बिजली का काम करने वाला लड़का रहता है, वो मेरा अच्छा
दोस्त है। वो वहाँ गया, उसने बिजली तो ठीक कर दी पर कुछ समान लेने वो
बाजार चला गया बिजली आने के बाद जब कम्प्यूटर चालू नहीं हुआ तो उन लोगों
ने अपने कम्प्यूटर वाले को फोन किया।
इंजीनियर आया, देख कर बोला- कम्प्यूटर तो पूरा जल गया है, इसका कुछ भी
नहीं हो सकता।
इतना सुनते ही मीनाक्षी रोने लगी तो उसके पति ने कहा- मैं दो-तीन
कम्प्यूटर वालों को जानता हूँ !
उसने एक-एक करके सभी को बुलाया पर सबने जवाब दे दिया। मीनाक्षी रोना सा
मुँह लेकर बैठ गई। शाम को मेरा एक दोस्त उनके कम्प्यूटर को देखने आया,
उसने यह सब देखा और कहा- मेरा एक दोस्त कम्प्यूटर ठीक करता है, आप कहें
तो मैं उसे बुलाऊँ?
उसने मुझे फोन किया, मैं उसके घर गया तो वो मुझे देखा हैरान हो गई। पर वो
रोए जा रही थी।
मैंने कम्प्यूटर देखा, पावर सप्लाई, मदरबोर्ड़ की दो आई-सी और हार्डडिस्क
का लॉजिक कार्ड जल चुके थे।
मैं बोला- सब जल गया है, ज्यादा खर्च होगा, आप नया क्यों नहीं ले लेते?
इतना सुनते ही मीनाक्षी रोने लगी।
मैंने पूछा- ऐसा क्या है इस कम्प्यूटर में जो आप इतना परेशान हैं?
मीनाक्षी बोली- मैं एक स्कूल टीचर हूँ और इसमें स्कूल के बच्चों के पेपर
हैं और दो दिन बाद मुझे ये प्रैस में छपने के लिये देने थे। अगर समय से
नहीं छपे तो बच्चे पेपर कैसे देंगे? और मैं अकेली दो दिन में इतने सारे
पेपर तैयार नहीं कर सकती। मुझे तो स्कूल वाले नौकरी से निकाल देंगे।
मैंने कहा- कोई बात नहीं ! मैं देखता हूँ ! आप परेशान मत हों !
मैंने कम्प्यूटर उठाया और नेहरू प्लेस से उसका पावर सप्लाई और मदरबोर्ड
ठीक करवा दिये और कम्प्यूटर को अपने घर ले आया। मेरे पास उसी कंपनी की
वैसी ही एक हार्ड-डिस्क और थी मैंने उसका कार्ड उस खराब हार्ड-डिस्क में
लगा दिया और किस्मत की बात है जो वो कार्ड चल गया और कम्प्यूटर चालू हो
गया। यह सब करने में मुझे रात के दो बज गए थे।
मैंने उसी समय मीनाक्षी को फोन किया- आपकी मशीन ठीक हो गई है।
मीनाक्षी बोली- मुझे यकीन नहीं होता ! इसे तो सबने माना कर दिया था !
मुझे अभी देखना है। आप कम्प्यूटर चालू करो मैं छत पर आती हूँ, छत से
तुम्हारे कमरे का कम्प्यूटर स्क्रीन साफ दिखता है।
वो छत पर आई और अपना कम्प्यूटर चलता देखा बहुत खुश हुई।
मैंने कहा- सुबह मैं आपका कम्प्यूटर दे दूँगा।
रात को मैंने उसकी हार्ड डिस्क का डाटा देखा, मैं तो देख कर हैरान रह
गया, इसमें तो बहुत सारी ब्लू फिल्में थी।
सुबह मैंने उसका कम्प्यूटर दे दिया। उसने उसी समय सारे पेपर प्रैस वाले
को मेल किये और फिर खुश होकर बोली- हाँ तो अभय जी, क्या लेंगे चाय या
कॉफी?
मैंने मन ही मन कहा- मन तो तेरी चूत लेने को कर रहा है, पर भगवान ने मेरी
ऐसी किस्मत नहीं बनाई।
मैंने कहा- जी, कुछ नहीं !
मीनाक्षी ने कहा- आपने इसमें कुछ देखा तो नहीं?
मैंने हँसते हुए कहा- अब मरीज़ डॉक्टर के पास आया है तो डॉक्टर उसे पूरी
तरह देखेगा, तभी तो इलाज होगा न !
उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया, वह बोली- तो आपने वो सारी ब्लू फिल्में देख ली?
मैं- हां !
कुछ देर कमरे में शांति रही और फिर मैंने डरते हुए पूछा- एक सवाल पूछूं?
आप बुरा तो नहीं मानेंगी?
मीनाक्षी बोली- नहीं !
मैं- क्या आप मुझे अपनी छत से रोज़ देखती है जैसे रात देखा था?
मीनाक्षी- हां, और आप रोज़ कम्प्यूटर पर ब्लू फिल्में देखते हैं।
मैं कुछ डर सा गया।
मीनाक्षी- डरो मत, ब्लू फिल्में तो मुझे भी अच्छी लगती हैं और हर इंसान
की अपनी-अपनी पंसद होती है।
कुछ देर बाद मीनाक्षी बोली- आज आपने मेरी नौकरी को बचाया है, बोलिए मैं
आपके लिये क्या कर सकती हूँ? अगर मैं आपके कुछ काम आ सकती हूँ तो मुझे
बहुत खुशी होगी।
मुझे लगा कि किस्मत एक बार फिर वही खेल खेल रही है जो 6 साल पहले खेला
था, मैं अपने आपको फिर दुख नहीं पहुँचाना चाहता था इसलिए मैं गुस्से में
उठा और बाहर चला आया।
उसने मुझे रोकना चाहा पर मैं नहीं रुका।
मैंने कहा- मुझे काम है।
शाम को उसका फोन आया, मैंने नहीं उठाया। फिर अगले दिन उसका फिर फोन आया,
मैंने फोन उठाया।
मीनाक्षी- क्या हुआ? आप ऐसे क्यों चले आए? मुझे पता है कि आपको काम नहीं
था, मेरी कोई बात बुरी लग गई आपको?
मैं- कोई बात नहीं ! मैं कल कुछ उदास था और आपने कहा कि मैं आप के लिये
क्या कर सकती हूँ तो मुझे किसी की याद आ गई।
मीनाक्षी- बहुत प्यार करते थे?
मैं- हां !
मीनाक्षी- अब कहाँ है वो?
मैं- यहीं, इसी शहर में !
मीनाक्षी- क्या वो तुमसे मिलती है?
मैं- नहीं ! वो मुझे मिलना नहीं चाहती।
मीनाक्षी- कोई बात नहीं ! तो तुम किसी और लड़की से दोस्ती कर लो।
मैं- मुझसे कौन दोस्ती करेगा?
मीनाक्षी- तुम उदास मत हो, मैं हूँ ना ! आज से मैं तुम्हारी दोस्त हूँ।
मैं- आपके अपनेपन के लिये शुक्रिया ! पर देवी जी, मुझे एक दोस्त से भी
ज्यादा चाहिए।
मीनाक्षी- इसका जवाब मैं कल दूंगी।
उस रात मैं सो नहीं पाया, भगवान का शुक्रिया करता रहा कि चलो लड़की नहीं
तो औरत तो मिली इतने सालों के बाद।
उसी रात को उसका एस एम एस आया कि तुम्हें एक औरत चलेगी?
मैंने जवाब में इतना लिखा कि दोस्ती और प्यार में उम्र नहीं देखी जाती।
रात को ही उसका फोन आया।
मीनाक्षी- कैसे हो?
मैं- ठीक हूँ, आप कुछ जवाब देने वाली थी? और आपके पति कहाँ हैं?
मीनाक्षी- वो सो रहे हैं। तुम्हें एक बात बताती हूँ, मैं एक गरीब परिवार
से हूँ और पैसे के लिये मैंने इनसे शादी तो कर ली पर ये बूढ़े हो गए हैं
और मैं प्यासी रह जाती हूँ, और आज भी प्यासी हूँ। जब तुमने मुझे कहा कि
तुम्हारी भी एक दोस्त थी जो अब नहीं है तो मुझे लगा कि तुम भी मेरे तरह
प्यासे हो।
मैं- मीनाक्षी, मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी दुखी हो, तुम्हारे आगे तो
मेरा दुख कुछ भी नहीं ! मैं तो नदी से दूर हूँ पर तुम तो नदी में रहकर भी
प्यासी हो ! अगर मैं तुम्हारे लिये कुछ कर सकता हूँ तो बताओ?
मीनाक्षी- ठीक है ! परसों रात को मेरे पति कुछ काम से बाहर जा रहे हैं और
अगले दिन रात को आएँगे, तुम रात में आ जाना, मैं दरवाज़ा खोल दूंगी।
मैं- मीनाक्षी, अब तू दुखी मत हो ! मैं तुम्हें और प्यासा नहीं रहने
दूँगा। अब से तुम्हारे सारे दुखों का अंत हो गया समझो।
मीनाक्षी- मुझे नहीं लगता था कि यह दिन भी आएगा।
तभी अचानक मीनाक्षी का पति उठ कर पानी पीने उठा और मीनाक्षी ने फोन काट दिया।
अगले दिन उसका फोन आया शाम को।
मीनाक्षी- हैलो, क्या हाल है?
मैं- ठीक हूँ, बस आप के ही ख्यालों में जी रहे हैं।
मीनाक्षी- अच्छा, एक खुशखबरी सुनो ! मेरे पति आज ही जा रहे हैं।
मैं- मुबारक हो।
मीनाक्षी- अच्छा, तुम आज ही आ सकते हो?
मैं- ठीक है, कब?
मीनाक्षी- रात में 10 बजे।
मैं- ठीक है।
रात लगभग 9.30 बजे उसका फोन आया और मैं उसके घर के पीछे के दरवाजे से अंदर गया।
अंदर जाकर मैं उसे देख कर हैरान हो गया, उसने काले रंग की साड़ी पहनी थी
और उसका पल्लू आधी छाती को ही छुपा रहा था और उसके दोनों मम्मे लगभग आधे
बाहर थे, मम्मों के ऊपर का हिस्सा क्या कमाल का लगा रहा था, एक दम
गोरे-गोरे !
मैं उसके पास गया और उसके होटों पर एक अपने होटों को रख कर एक जोरदार
चुम्बन लिया। वो मेरी बाहों में झूल गई।
मैं उसे उठा कर कमरे में ले गया, उसने टी वी पर ब्लू फिल्म लगा दी।
फिर उसने मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया। फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक
गए। मैंने उसके होटों पर चूमा, फिर गर्दन पर फिर मैंने ब्लाउज़ उतार दी।
उसने अंदर ब्रा पहनी थी। फिर मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को
दबाया। ऐसी कसी छाती तो मैंने तब तक न ही दबाई और न ही देखी थी।
उसके मुँह से आह-आह की आवाज निकलने लगी, वो बोली- मेरे राजा, आराम से
दबाओ। साल बहनचोद मेरा पति कभी इन्हें छूता भी नहीं है !
फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी, क्या मस्त मम्मे थे उसके !
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने एक को मुँह में लिया और दूसरे को हाथ से
दबाया। फिर मैंने उसका पेटेकोट का नाड़ा भी खोल दिया और अपना एक हाथ
धीरे-धीरे उसके पेट से फिराते हुए उसके पेटीकोट के अंदर डाल दिया और उसकी
जांघों को सहलाने लगा, फिर उसके पेट पर चूमा और उसका पेटीकोट उतार दिया।
अंदर उसने कच्छी पहन रखी थी। मैंने उसकी जांघों पर चूमा और उसकी कच्छी भी
उतार दी। अंदर तो मामला एक दम साफ था, लगता था कि आज ही सफाई की हो !
फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और उसके ऊपर लेट कर उसकी चूत के दाने
को हिलाता रहा। जैसे-जैसे उसकी चूत में उंगली हिलाता, वैसे-वैसे उसके
मुँह से आह-आह की आवाज आ रही थी।
थोड़ी देर मैं मुझे उसकी चूत कुछ गीली-गीली लगी और वो झड़ गई।
अचानक वो बोली- बहन के लौड़े ! क्या तुझे उंगली से चोदने के लिए बुलाया है?
मैं बोला- इंतज़ार करो मेरी रानी ! मैं तुम्हारे पति की तरह नहीं हूँ जो
सिर्फ सपने बारे में ही सोचूँ ! सिर्फ खुद मजे लूँ और तुम्हें प्यासा
रखूँ। असली मज़ा तो आना बाकी है !
फिर मैंने अपने कपड़े उतारे और कच्छे में ही उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी जांघों
को सहलाया और उसकी चूत को चूम कर उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी। उसके
कूल्हों को पकड़ कर अपनी जीभ को अंदर-बाहर करने लगा। चूत का पानी कुछ
नमकीन सा लगा पर मैं उसे पीता चला गया। जैसे-जैसे मैं जीभ को अंदर-बाहर
करता, उसके मुँह से आह-आह की आवाज निकल रही थी।
उसने मेरे सर के बाल इतनी ज़ोर से पकड़ लिए कि शायद कुछ बाल उसके हाथ में
भी आ गए, मैंने मन ही मन सोचा कि शायद शादी के बाद कुछ लोग इसी तरह से
गंजे हो जाते हैं।
थोड़ी देर में ही वो दूसरी बार झड़ गई।
उसने थोड़ी देर आराम किया, फिर बोली- तुमने तो मुझे बिना चोदे ही शांत कर दिया !
मैंने कहा- अभी तो तुम्हें चोदना है ! यह तो तुम्हें गर्म करने के लिए था !
मैंने उसके होठों पर चूमा, उसने अपना हाथ मेरे कच्छे में डाल दिया और
मेरे लण्ड पकड़ लिया। मैंने अपना कच्छा उतार दिया। उसने लौड़े को पकड़ कर
कहा- साला मेरा पति तो कभी इसे पकड़ने ही नहीं देता है ! उसे क्या पता कि
इसे पकड़ने में औरत को वही मज़ा आता है जो मम्मों को पकड़ने में आदमी को आता
है।
फिर उसने मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे एक छोटा
बच्चा लॉलीपोप को चूसता है। क्या मजा आ रहा था, मैं बता नहीं सकता।
फिर मैंने उसे लेटने को कहा, वो लेट गई, मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके
होटों पर चूमते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत में डाल कर हल्का सा झटका
दिया। लण्ड का टोपा ही अंदर गया तो उसे हल्का सा दर्द हुआ, बोली- उनका
लण्ड जल्दी ही झड़ जाता है तो वो ज्यादा अंदर नहीं देते ! इसलिए यह इतनी
कसी है।
मैंने और ज़ोर लगाया तो कुछ अंदर गया, उसे दर्द हो रहा था। मैंने एक
जोरदार मर्दों वाला झटका दिया तो लण्ड पूरा का पूरा चूत में जा चुका था।
उसे दर्द हो रहा था, वो दर्द से तड़प रही थी।
मैंने फिर लण्ड निकाल कर पूरा का पूरा डाल दिया तो इस बार आराम से चला
गया। फिर मैंने अपनी गति बढ़ाई और ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदने लगा। अब उसे भी
मज़ा आने लगा, वह भी गाण्ड उठा उठा कर साथ देने लगी, बोली- मेरे राजा, आज
तक मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया था।
तभी मुझे लगा कि मेरा होने वाला है तो मैंने अपने झटके कम कर दिये और मन
को कहीं और ले गया। इससे मुझे कुछ समय और मिल गया, इतनी देर में वो तीसरी
बार झड़ गई। फिर मैंने अपनी गति बढ़ाई।
कुछ बाद मैं झड़ने लगा तो वह बोली- मेरी चूत में झड़ना ! मुझे तुम जैसा
समझदार बच्चा चाहिए !
मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
कुछ देर हम ऐसे ही रहे। उस रात हमने चार बार सेक्स किया। सुबह उसने मुझसे
कहा- तुम ही मेरे पति हो ! तुमने मुझे सच्चा सुख दिया है। सच में तुम ही
औरत की यौन-भावना को समझ सकते हो।
दोस्तो यह मेरी पहली कहानी है। मुझे मेल करके बताना कि कहानी कैसी लगी।
मुझे इंतजार रहेगा।
आपका अभय
spl_abhay@yahoo.com


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जीजा जी से चुदवाया--7

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

जीजा जी से चुदवाया--7
गतांक से आगे.......................
फिर जीजाजी ने मुझे फिर से सहलाना शुरू कर दिया शायद उनके हाथो में जादू
हे थोड़ी देर में ही मेरी फिर से मेरी सिसकिया निकालनी शुरू हो गई! जीजा
जी को इस बात का पता चल गया था और वे फिर नीचे खिसक कर फिर से मेरी चूत
चाटने लगे मेरे muh से तो आ....आ...की आवाजे आ रही थी और फिर वे थोडा
ऊँचे हुए और अपनी अंगुली से मेरा छेद टटोला और अपना सुपारा छेद पर भिड़ा
दिया मेने भी उनके लंड को अपनी चूत में लेने के लिए अपनी चूत को ढीला
छोड़ा और थोड़ी अपनी गांड को ऊँची की मेरी दोनों टांगे तो पहले से ही ऊँची
थी जीजाजी ने अपने दोनों हाथ मेरे मेरे गांड के नीचे ले जा कर मेरी चूत
को और ऊँचा किया और एक ठाप मारी थूक से और मेरे पानी से गीली चूत में
उनका लंड गप से आधा गुस गया मुझे थोडा दर्द हुआ क्योंको मेरी चूत के
पपोटे कल की चुदाई की वजह से थोडा सूजे हुए थे ! पर जब लंड अन्दर गुस गया
तो फिर मेरा दर्द भी ख़त्म हो गया और मेरे बदन में आनंद की हिलोरे उठने
लगी!


जीजाजी ने हल्का सा लंड पीछे खींचा और फिर जोर से धक्का मारा मुझे सिहरन
आ गई उनका सुपारा मेरी बच्चे दानी से टकरा गया !उनका लंड झड तक मेरी चूत
में गुस चूका था उन्होंने पूरा गुसा कर राहत की साँस ली और मेने अपनी चूत
का संकुचन कर उनके लंड का अपनी चूत में स्वागत किया जिसे उन्होंने अपने
लंड पर महशुस किया जबाब में उन्होंने एक ठुमका लगाया मेने साँस छोड़ कर
उनको उनको स्वीक्रति का सिग्नल दिया और उन्होंने गस्से लगाने शुरू कर दिए
मेने अपनी आँखों पर वही पड़ी अपनी चुन्नी ढक ली और आनंद लेने लगी मुह ढक
लेने से शर्म कम लगती हे!और चुन्नी के अन्दर से उनको कभी कभी चूम भी लेती
थी !उन्होंने कस के १० मिनिट तक धक्के लगाये फिर मेरी टांगे सीधी कर दी
और अपने दोनों पैर मेरे पेरो पर रख दिए और अपने पैर के अंगूठो से मेरे
पैर के पंजे पकड लिए और दबादब धक्के मारने लगे ! दोनों पैर सीधे रखने की
वजह से मेरी चूत बिलकुल चिपक गयी थी और उनका लंड बुरी तरह से फंस रहा था
थोड़ी देर में ही उन्हें पता चल गया इस तरह तो वो जल्दी स्खलित हो जायेंगे
तो उन्होंने फिर से अपने पैर मेरे पेरो से हटा कर बीच में किये और मेरे
कुल्हे पर हलकी सी थपकी दी में उनका मतलब समझ गई और फिर से अपनी टांगे
ऊँची कर दी!

इतनी देर की चुदाई के बाद मेरा पानी निकल गया था और चूत सुख भी गई थी और
फिर उन्होंने अपना लंड फिर से बाहर निकाला और अपनी थूक से भरी जीभ मेरी
चूत पर फिराई! मेने कहा धत्त बड़े गंदे हो अब वहा मुह मत लगाओ तो
उन्होंने कहा पहले लगाया जब ! मेने कहा अब आपका लंड गुस गया हे अब नहीं
लगाना उन्होंने कहा मेने पहले तेरी चूत चाटी अब अपने लंड का भी स्वाद ले
रहा हु पर मेने कहा नहीं अब आप मुझे चूमना मत उन्होंने कहा मुझे तो चोदना
हे चूमने की जरुरत नहीं हे मेने कहा ठीक हे एक बार फिर उन्होंने अपना लंड
मेरी चूत में फंसा दिया सुपारा गुसा तब थोडा दर्द हुआ फिर सामान्य हो गया
अचानक मुझे याद आया और मेने पूछा कंडोम लगाया या नहीं उन्होंने कहा नहीं
मेने उचक कर कहा तो फिर अपना लंड बाहर निकालो और कंडोम पहनो उन्होंने हंस
कर कहा अभी पहन लिया हे चेक कर लो मेने कहा मुझे आपकी बात का विश्वास हे
उन्होंने कहा नहीं चेक करो और चोदते हुए उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मेरी
अंगुलियों से अपने लंड को टच किया उनके कंडोम पहना हुआ था मेरी अंगुली
आड़े लंड को टच कर रही थी और अंगुली से गर्शन करते हुए उनका लंड मेरी चूत
में दबादब जा रहा था ! उन्होंने कहा अपने हाथ से चूत पर पहरा रखो ये
अन्दर क्या गुस रहा हे मेने कहा मेरी हाथ से ये अब गुसने से नहीं रुकेगा
हालाँकि उनके कहने से में हाथ थोड़ी देर अपनी चूत के पास रखा ! फिर मुझे
उनकी बातो से फिर आनंद आने लग गया और मेने उनको कमर से पकड़ लिया !करीब
२०-२५ मिनिट से वो मुझे लगातार छोड़ रहे थे सुपरफास्ट स्पीड से उनके माथे
से पसीना चू रहा था जिसे वो अपनी लुंगी से पोंछ रहे थे पर कमर लगातार चला
रहे थे!मेरी चूत में जलन होने लगी थी और में उन्हें अपना पानी जल्दी
निकाल कर मुझे छोड़ने का कह रही थी ! वे भी मुझे बस दो मिनिट दो मिनिट का
दिलासा दे रहे थे पर उनका पानी छुटने का नाम भी नहीं ले रहा था मेने
उन्हें धक्के देने शुरू किये तो वो बोले अपना पानी निकले बिना तो लंड
बाहर निकालूँगा नहीं और तू ऐसे करेगी तो मुझे मज़ा नहीं आएगा और साडी रात
मेरा पानी नहीं निकलेगा तो में डर गई मेने कहा में क्या करू की आप का
पानी जल्दी निकाल जाये तो वो बोले तुम नीचे से धक्के लगा और झूठमूठ की
सांसे आन्हे भर तो मेरा पानी निकाल जायेगा मरता क्या नहीं करता उनके कहे
अनुसार करने लगी और उन्हें जोश आया और वे तूफानी रफ़्तार से मुझे चोदने
लगे अब वे भी कुछ थक गए थे और अपना पानी निकलना चाहते थे मेरी झुठीमुठी
आन्हे सच्ची हो गई और मुझे फिर से आनंद आ गया और में जोर से झड़ने लगी और
मेने उन्हें जोर से झकड़ लिया उनका सुपारा उत्तेजना से कुत्ते की तरह फुल
गया था और वे बिजली की गति से धक्के लगा रहे थे उनके मुह से आह आह की
आवान्जे आ रही थी और मुझे चोदने के साथ वो मेरी माँ को चोदने की बात भी
कर रहे थे साथ ही कह रहे थे साली आज तेरी चूत फाड़ कर रहूँगा बहुत तडफाया
हे तुने साली बहुत मटक मटक कर चलती थी मेरे सामने आज तेरी चूत लाल कर
दूंगा तुझे और कोई आसिक बनाने की जरुरत ही नहीं हे में ही बहुत हु ऐसी कई
अनर्गल बाते करते हुए उन्होंने एक झटका खाया और मुह से भेंसे की तरह आवाज
निकली मुझे पता चल गया की जिस छेज का में इंतजार कर रही थी आखिर वो हो
गया मेने अपनी इतनी देर रोकी साँस छोड़ी फिर भी उन्होंने धीरे धीरे ८-१०
धक्के और लगाये और मेरे पास में पसर गए और गहरी गहरी सांसे लेने लगे वो
पसीने से तरबतर हो गए थे करीब ३० मिनिट लगातार चुदाई की थी और उनपर अब
उम्र भी असर दिखा रही थी करीब ४६ साल के हे मेरे जीजा जी तो उनको अपनी
उखड़ी सांसे सही करने में ४-५ मिनिट लगे फिर २-३ लम्बी लम्बी सांसे लेकर
वो बाथरूम की तरफ चले गए मुझ से थो उठा ही नहीं जा रहा था मेरा ४-५ बार
पानी निकाल गया था ऐसा लगा की मुझे ४-५ जानो ने मिल कर छोड़ा हे

बाकि बाद में बताउंगी अभी काफी लम्बी कहानी हे जीजा जी के घर केसे चुदी
होटल में केसे चुदी मेरे पीहर में केसे चुदी रिप्लाई करे मेरी आप बीती
केसी लगी और थोडा इन्तजार करे मेरी सत्य कथा का ओके बाय शुभ रात्रि!
क्रमशः.......................


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जीजा जी से चुदवाया--6

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जीजा जी से चुदवाया--6
गतांक से आगे.......................

मेने कमरे में आते ही दरवाजा बंद कर दिया जबकि कल मेने रात को पूरा खोल
रखा था अपनी असुरक्षा की भावना के कारन!और जीजाजी ने जबरदस्ती मेरी चूत
चाटी तब दरवाजा खुला हुआ ही था पर मेरा कमरा एक तरफ आया हुआ था कोई चला
कर आये तभी आ सकता हे !जीजा जी ने जब मुझे पकड़ा तो कमरे की लाइट तो वेसे
भी ऑफ़ थी और रात को २-२.३० बजे थे किसी के देखने का कोई सवाल ही नहीं था
पर जब उन्होंने मुझे चोदना शुरू किया तब उन्होंने गेट को थोडा उढ़का दिया
था!पर आज कोई ऐसी बात नहीं थी इसलिए मेने कमरे में आते ही दरवाजा बंद कर
कुण्डी लगा ली थी जीजा जी उस बिस्तर और दरी पर एक तरफ सोये हुए थे और एक
तरफ में भी सो गई मेने जिंदगी में कभी सेक्स के लिए कभी पहल नहीं की थी
अगर वो चुपचाप रात भर सोये रहते तो भी मेरे कोई फर्क नहीं पड़ता और में
भी आराम से सो जाती मेरी सेक्स जिंदगी को १५ साल हो गए पर मेने अपने पति
से भी कभी पहल नहीं की सेक्स मुझे कभी अच्छा नहीं लगा था हा जब वो छेड़ना
शुरू करते तो उनकी संतुष्टि कराते कराते कभी मुझे भी मज़ा आजाता पर मेरे
लिए ये कोई जरुरी काम नहीं था ! में सीढ़ी सो रही थी की जीजाजी ने मेरी
तरफ करवट ली और मुझे भी अपनी तरफ मोड़ लिया और बांहों में भर लिया !

में थोड़ी कसमसाई फिर मेने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया मुझे पता चल गया था
की अब इनको नहीं रोक सकती जहा में और वोह तन्हाई में हे तो मेरा विरोध
कोई मायने नहीं रखता रात के अँधेरे में जब दो जवान जिस्म पास हो तो सारे
इरादे ढह जाते हे अब मुझे दीदी नहीं दिख रही थी जीजाजी नहीं दिख रहे थे
दिख रहा तो मेरा प्यारा आशिक दिख रहा था जिसने जिंदगी आनंद दिया था जिससे
में अब तक अनजान थी ! जीजाजी मेरे गले गाल और कंधे पर चुम्बनों की बोछार
कर रहे थे उन्होंने कई बार मेरा ओठ भी चुसना चाहा पर मेने उनका मुह पीछे
कर दिया मुझे ओठ चुसना चुसना अच्छा नहीं लगता था एक तो मेरी साँस रुक
जाती थी दूसरा मुझे दुसरे के मुह की बदबू आती थी !जीजा जी मेरे सारे बदन
पर हाथ फेर रहे थे मेने मेक्सी खोली नहीं थी ना ही ब्रेजियर खोला वो ऊपर
से ही मेरे छोटे छोटे नारंगी जेसे स्तन दबा रहे थे मेरे शरीर में बहुत
काम बाल आते हे मेरे साथ वाली लड्किया पूछती हे की मेने हटवाए हे क्या ?
जबकि कुदरती मेरे बाल काम आते हे पेरो पर तो रोयें भी नहीं हे थोड़े से
जहाँ आती हे वो भी ऊपर की तरफ चूत तो वेसे भी मेरी चिकनी रहती हे मेरे
जीजा जी मेरे चिकने बदन की तारीफ करते जा रहे थे और हाथ फेरते जा रहे थे
उनका हाथ मेरे चिकने बदन पर फिसल रहा था मेरी मेक्सी कमर पर आ गई थी उनकी
लुंगी भी फिसल कर हट गई थी सिर्फ चड्डी पहने हुए थे

में अपनी चड्डी बाथरूम से ही पहन के नहीं आई थी मुझे पता था जीजाजी जिस
तरह सारे रास्ते फाड़ खाने वाले अंदाज से घूर रहे थे उस हिसाब से मेरी
चड्डी मेरे बदन पर रहनी ही नहीं थी इसलिए में उसे हाथ में ही लेकर आई थी
और कपड़ों में रख दिया था सुबह पहनने के लिए! सिर्फ मेक्सी ही रखी थी मेरे
शरीर पर मेरा पेटीकोट भी कब का उतार कर सिरहाने की तरफ फेंक दिया था
उन्होंने! अब वो मुझे बुरी तरह से चूम रहे थे उनकी अंगुलिया मेरी सूजी
हुई चूत के फांको पर गूम रही थी ! उनकी एक अंगुली ने मेरा चूत का दाना
ढूंढ़ लिया था उस पर वो अंगुली गोल गोल घुमा रहे थे! मेरे मुह से आ.....ह
आ ...ह की सिस्कारियां निकल रही थी ! मुझे कल रात का मेरी चूत चटाई का
सीन याद आ गया था मुझे जेसे मेरे जीजाजी के आधे उड़े हुए बालो का सर मेरी
चूत के पास महसूस हो रहा था और खयालो में उनके सर को अपनी जन्घो में
भींचने के लिए अपने पैर आपस में रगड़ रही थी !

मेरा मन कर रहा था कि मेरे जीजाजी मेरी चूत को चाटे हल्का हल्का काटे और
अपनी जीभ को गोल करके जितना अन्दर गुसा सकते गुसा ले!मुझे जो ताज़ा ताज़ा
चूत चटाई को जो आनंद कल पहली बार मिला था में वो वापिस पाना चाहती थी !
में शर्म के मारे ये बात कह नहीं पा रही थी और शायद जीजा जी का आज चूत
चाटने का प्लान नहीं था इसलिए वो मुह मेरे मुह और मेक्सी और चोली में ढके
स्तनों से नीचे ही नहीं ले जा रहे थे !फिर वो ऊँचे हुए मेने सोचा शायद
चूत चाटने कि बारी आई पर उन्होंने तो अपनी चड्डी अपनी एक टांग से निकली
वो कभी अपनी चड्डी पूरी नहीं खोले थे एक टांग में पिंडली के पास चड्डी को
रखते थे कि कभी जल्दी से चड्डी पहननी पड़े तो पहन ले!उन्होंने मेरी टांगे
ऊँची की और अपने लंड के सुपारे पर थोडा थूक लगाया और मेरी चूत के मुहाने
पर रख कर झटका लगाने की तैय्यारी करने लगे पर मुझे ये मंजूर नहीं था मेने
उनको हटाने के लिए हल्का सा धक्का दिया और उनका लंड फिसल गया वे चोंके और
बोले "क्या कर रही हो?"
मेने कहा अभी रुक जाओ बाद में करेंगे ओन्होने कहा प्लीज मेने कहा नहीं वो
जबरदस्ती मेरी चूत में घुसाने की कोशिश कर रहे थे साथ हो गिडगिडा भी रहे
थे की करने दो प्लीज मेने कहा अभी नहीं आधी रात के बाद करना अभी मकान में
कई जाग रहे हे उन्हें पता चल जायेगा वो प्लीज प्लीज करते करते मेरी चूत
में अपना लंड डालने की कोशिश भी कर रहे थे और वो थोड़े कामयाब भी हो गए
उनका सुपारा आधा- एक इंच तक मेरी चूत में घुस भी गया था और वो आनंद में
थोड़े ढीले पड़े और मेने उनको जोर का धक्का देकर नीचे गिरा दिया पक की
आवाज के साथ उनका लंड मेरे चूत से निकल गया और फटाक से मेने अपनी मेक्सी
नीचे अपनी पिंडलियों तक करली!

जीजाजी अचानक धक्के से मेरे साइड में गिर गए थे और मेने अब तक उनका लंड
देखा ही नहीं था कमरे में अँधेरे की वजह से शायद कमरे की छत की तरफ मुह
उठाये खड़ा होगा ! वो थोड़ी देर तो जेसे सकते हो वेसे कुछ बोल नहीं पाए
शायद मुझ पर ग़ुस्सा भी हो रहे होंगे पर मुझे पता हे मर्द का गुस्सा
कितना स्थाई रहता हे जब उसका लंड खड़ा हो!फिर वो बोले क्या हुआ मेरा लंड
निकाला क्यूँ मेरी हालत ख़राब हे मेरी जान निकल जाएगी अगर तुमने चुदवाया
नहीं तो मेने कहा मेने कब मन किया हे पर थोडा रुको तो सही कम से कम १२ तो
बजने दो ताकि सब सो जाये फिर अपने पास तो सारी रात पड़ी हे! मेरी बात
सुनकर वो खुश हो गए और बोले ठीक हे अब तुम कहोगी जब ही डालूँगा और फिर से
मुझे बांहों में भर लिया और चूमने लगे एक मिनिट में ही मेरी मेक्सी अपने
पुरानी जगह यानि कमर के पास आ गई थी उनके हाथ मेरी जांघों पिंडलियों और
मेरी छोटी सी चूत के ऊपर फिर रहे थे शायद उन्हें पता चल गया था की में
क्या चाहती हु वो उठे और अपना मुह मेरी चूत में गुसा दिया !मेरी आनंद के
मारे आ..आ..आ. की सिसकारी निकल गई और मेने खुदबखुद अपनी टांगे चोडी कर ली
अब वो बड़े मज़े से मेरी चूत चाट रहे थे बल्कि खा रहे थे!

वो शायद अपना गुस्सा मेरी चूत पर निकल रहे थे पर मुझे बहुत आनंद आ रहा था
! वो कभी मेरी पूरी चूत को अपने मुह में लेने की ट्राई कर रहे थे साँस के
साथ जितना मेरी फांको चूत के दाने और साथ की चमड़ी को भी खींच के मुह में
भर रहे थे और जितनी देर रख सकते थे रख रहे थे मुझे बहुत ही आनंद आ रहा था
मेरी आँखे बंद थी और मुह से सिस्कारिया पर सिस्कारिया छुट रही थी कभी कभी
जब उनके दन्त सीधे चूत में चुभ जाते तो में उछल जाती और वो हाथों से मेरे
हाथ दबाकर मुझे इशारा कर देते की अब ध्यान रखूँगा वो अपने हॉट के पीछे
दांत रख कर मेरे चूत के दाने को चिभला देते और मेरा आनंद बढ़ जाता और अपनी
जीभ को गोल कर मेरी मेरी चूत में गुसा रहे थे और में कह रही थी और अन्दर
डालो वो कहते के इससे ज्यादा जीभ नहीं जा सकती साथ ही अपनी अंगुली को
मोड़कर उसके बीच वाले हिस्से को चूत में गूसाने की कोशिश कर रहे थे इस
कोशिश में उनका अंगुली का हिस्सा मेरे दाने को रगड़ रहा था मेरा बदन कांप
रहा था पुरे शरीर में झुरझुरी सी हो रही थी में झुडी के बुखार की तरह
कांप रही थी मेरा पानी छुट रहा था मेरा पानी दो -तीन मिनट तक छूटता हे
लगातार और में सांसे भरती हु उलजलूल बकती हु और पानी छोडती हु जीजाजी
मेरा सारा पानी चाट रहे थे उनकी लार मेरी चूत पर गिर रही थी और वो लार
बहकर मेरी गांड से होते हुए नीचे बिस्तर को गीला कर रही थी जब में पूरी
तरह से स्खलित हो गई तो मेने उन को रोक दिया और खींच कर अपने से लिपटा
लिया मुझे बहुत आनंद आया था इसलिए में उन्हें चूम रही थी वो भी थोडा शांत
हो गए थे! थोड़ी देर के बाद फिर वो मुझे सहलाने लगे अब में शांत हो कर
उनका सहयोग कर रही थी मेरा आनंद मुझे चूत चटा कर मिल गया था अब में
उन्हें मज़ा देना चाहती थी
क्रमशः.......................

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