Tuesday, November 15, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ गर्मी की वो रात पापा के साथ

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

गर्मी की वो  रात पापा के साथ

बात उन दिनों की है जब मैं नयी नयी जवान हुई?.. थी यानी मैं सिर्फ १६ साल
की थी,और तभी मैंने ये जाना की पुरुष के हाथो का स्पर्श कितना प्यारा और
आनंद दाई हो सकता है?हाँ वोही स्पर्श जो मेरे पापा के हाथ कभी मेरी गांड,
कभी मेरी कागजी निम्बू जैसी चुचियो को सहला कर मुझे बेखबर जान कर महसूस
करते थे?.. मेरी सहेलिया  मुझे अक्सर मेरे सामने औरत और मर्द के रिश्तो
की बात करती थी, मैं फिर भी बेखबर थी,जानती ही नहीं थी क़ि  क्यों मैं
ऐसा फील करती हूँ?? क्या कारन है क़ि  मैं सब लड़कियों की चुचियों को,और
सब लडको के पेंट  के उस उभरे हिस्से को मैं इतने लालच से, इतनी गौर से
देखती हूँ??. उस दिन जब पापा बनारस से आये और मुझे पुकारा .. मैं भागी
भागी उनके पास गयी और बोली ..हांजी पापा!! पापा बोले.. अरे बेटा इतनी दूर
क्यों खड़ी  है यहाँ  आ देख मैं तेरे लिए क्या लाया हूँ?? मैं पास आकर
पापा  के पास खड़ी  हो गयी? पापा ने मुझे एक पैकेट  दिया जिसमे दो बहुत
सुन्दर बनारसी साड़ियाँ  थी.. फिर एक और पैकेट  दिया जिसमे शायद साज
सिंगार का सामान था? मैं तो जैसे ख़ुशी से झूँम  उठी?. कैसा लगा ???? ये
कह कर पापा ने मेरे गोल गोल चुतद पर हाथ रख दिए और उन्हें सहलाते हुए
बोले? अपनी माँ से मत कहना नहीं तो अभी जल मारेगी!!!? मैंने चुपचाप अपनी
गर्दन हाँ करते हुए हिलाई लेकिन ध्यान तो उस प्यार से सहलाते  हुए हाथ पर
ही था?. तभी माँ की आवाज आई और पिताजी ने एकदम से हाथ खींच लिया? मैं भी
पैकेट  ले कर वहां से भाग खड़ी  हुई? कमरे में आकर भी मेरे बदन पर वो
प्यारा सा स्पर्श मुझे महसूस हो रहा था  ?.और ठीक उसी रात एक बहुत प्यारा
सा हादसा हुआ जब हम सब छत  पर सो रहे थे?.दरअसल  हम लोग एक मिडिल  क्लास
फॅमिली से है?. घर भी ज्यादा बड़ा नहीं है?..इसलिए अक्सर गर्मी के कारन
हम अक्सर ऊपर छत  पर सो जाया करते थे ?.. जुलाई का महिना था, सब लोग खाना
खा कर सो गए थे लेकिन पता नहीं क्यों मेरी आँखों से तो जैसे नींद गायब
थी..मेरे दिमाग में  तो रह रह कर वो अजीब सी गुदगुदी जो मुझे पिताजी के
सहलाने से हुई थी गूँज रही थी?. तभी माँ जो क़ि  मेरी बराबर में  लेटी
थी धीरे से फुस्फुसयीइ.. ?.कोमल बेटा!!!! मैंने सोचा जरूर पानी वानी
मंगाएगी मम्मी मैं तो चुप चाप ही लेटी  रही?. माँ ने एक आवाज और लगायी और
उठ के बैठ गयी.. मैं फिर भी चुप चाप लेटी  रही.. तभी माँ उठ कर पिताजी के
बिस्तर की तरफ चली गयी.. मैंने सोचा माँ वहां क्यों गयी है?? लेकिन माँ
तो पापा के पास पहुँचते ही उनसे किसी भूखे भेडिये की तरह लिपट गयी?. ये
देखते ही मेरा अंग अंग झंझाना उठा?.. तभी पापा की आवाज आई इतनी देर क्यों
लगा दी?. माँ बोली तुम तो कुछ भी नहीं समझते घर में  जवान बेटी है और एक
तुम्हारी भूख है क़ि  बढती  ही जा रही है!!! पापा बिना कुछ बोले माँ की
बड़ी बड़ी चुचियो को दबाने लगे?. मैं चुप चाप हडबड़ाई  सी पड़े हुए उन्हें
देखने लगी?.चांदनी रात में  मैं तो उन्हें साफ़ देख पा रही थी लेकिन मुझे
नहीं पता के उन्हें मेरी खुली हुई आँखे दिख रही थी या नहीं??? पापा माँ
क़ि  गोल गोल चुचियों को जोर जोर से दबा रहे थे?माँ का  चेहरा  जैसे बदल
सा गया था..मा पापा के पजामे ऊपर से ही पापा के लिंग को सहला रही थी ?
मुझे तो जैसे सब कुछ बर्दास्त के बाहर  लग रहा था? पता नहीं क्यों मेरा
हाथ मेरी  सलवार के अन्दर सरक गया..और मैं अपनी चूत  को धीरे धीरे मसलने
लगी? हयेई?.. क्या मस्त फीलिंग्स आ रही थी? उधर पापा ने माँ का ब्लाउज
खोल कर अलग कर दिया था..माँ भी पापा का लिंग पजामे का नाडा खोल कर बाहर
निकाल  चुकी थी?.. अचानक माँ झुकी और पापा के लिंग को मुंह में लेकर किसी
लोल्लयपोप की तरह चूसने लगी?उधर मेरे हाथ की रगदन मेरी चूत  पर बढती  ही
जा रही थी? अचानक पापा बोले ?जरा नीचे आ जाओ  माँ चुप चाप नीचे लेट गयी
और पापा ऊपर आ गए ?. पापा ने माँ के होंठो  पर एक जबर दस्त चुम्बन लिया
और .. उसके ऊपर लेट गए ..तभी पापा ने माँ की साडी को उनके पेट तक सरका
दिया और अपना लंड  सेट किया और माँ की चूत  में  सरका दिया?. मेरी तो
जैसे सिसकारी  सी निक़ल गयी?. माँ भी कराहने सी लगी? फिर पापा धीरे धीरे
झटके मारने  लगी?.. मैं तो जैसे पागल सी हो गयी थी? पापा जो क़ि  धीरे
धीरे झटके मार रहे थे तभी जोर जोर से धक्के मारने  लगे?. माँ ने अपनी
टांगो को पिताजी के बदन से लपेट लिया ?तभी माँ ने उन्हें जोर से भीच
लिया और धीरे धीरे जैसे उनका शरीर जैसे ठंडा सा पड़ने लगा और वो बिलकुल
बेजान सी हो कर लेट गयी ?.लेकिन पापा अभी भी उसे  जोश से लगे हुए थे ?.
तभी माँ बोली ..बस  करो! अब क्या जान ही निकालोगे ?. पापा बोले ? तू तो
बुढ्ढी हो गयी है अगर मेरे सामने कोई सोलह साल की जवान लड़की भी आ जाये तो
मैं उसको भी नानी याद करा दूं?. मेरे दिमाग में सीटिया सी बजने लगी.. मैं
भी तो सोलह साल की ही हूँ?.. और एक बात जब पापा ये बात बोल रहे थे तो
मुझे लगा की शायद पापा मेरी ही ओर  देख रहे थे.. मैं तो गंगना उठी मेरे
हाथ की ऊँगली मेरी  चूत  में  सरक चुकी थी..मैं तो पागलो की तरह अपने
मस्त हुए पापा की तरफ देख कर जोर जोर से अपनी ऊँगली को अन्दर बाहर  करने
लगी?तभी पापा जी बोले.. बस कोमल की माँ,, थोड़ी देर और बर्दास्त करले मैं
भी झड़ने ही वाला हूँ.. ये सुनकर तो मैं और जोर जोर से हाथ चलाने  लगी?
तभी पापा जी जैसे अकड से गए और उन्होंने माँ को जोर  से बांहों  में
भींच लिया? उधर मुझे भी ऐसा लगा क़ि  जैसे मेरा पिशाब निकल जायेगा?मैं
अपनी ऊँगली को चाह  कर भी न रोक पाई और अचानक  मैंने देखा की पापा के मुह
से एक जोर की सिसकारी  निकली है?.उधर  मैं भी पानी छोड़ चुकी थी मैं और
पापा एक साथ ही झाडे ये सोच कर मैं तो जैसे गंगना उठी?. पापा ने मम्मी को
फिर एक बार जोर से चूमा और अलग हो कर लेट गए?.. मैंने भी अपना हाथ अपनी
सलवार से निकाला और चुपचाप आँखे बंद करली?. मैंने फिर माँ के उठने की
आवाज सुनी जैसे वो पापा की चारपाई से उठ कर फिर से मेरे पास ही लेट गयी
हो? उस रात तो ऐसी नींद आयी  की मुझे अपना  भी होश  नहीं रहा ? सुबह माँ
ने मुझे जोर जोर से हिला कर उठाया ?.कोमल उठ घर का काम  नहीं करना है
क्या ? भंग खा के सोयी थी क्या???? मैं उठ कर जब बाथरूम गयी तो अपनि
सलवार की तरफ देखा वहां पर एक बड़ा सा निशान बन चूका था? मेरे अन्दर तो
एक गुदगुदी सी दौड़ गयी.. मैंने चुप चाप नए कपडे निकाले  और उन्हें लेकर
नहाने के लिए चली गयी..लेकिन रात की बात मुझे जैसे कचोट रही थी? जब मैं
नहा कर निकली तो पापा बहार ही खड़े थे मैं तो जैसे सकपका गयी .. पापा मेरे
पास आये और बोले?. अरे!बेटा आज तो बड़ी जल्दी नहा  ली?? मैंने जवाब दिया
? पापा आज गर्मी बहुत है?. पापा बोले? बेटा जवानी में  गर्मी कुछ ज्यादा
ही लगती है!! ये कह कर उन्होंने एक हाथ मेरे  गाल पर रख दिया ..और एक हाथ
को बेखबरी के साथ मेरी चूची पर टिका कर सहलाने लगे? मैं तो जैसे मस्त सी
हो गयी?.. तभी जैसे कुछ आहट  सी हुई..पापा मुझसे अलग हो गए..मैं भी अपने
कमरे की तरफ चल दी? तभी माँ किचेन  से बाहर  आ गयी?. और मुझे देखते हुए
बोली ?शाबाश बेटा .. रोज जल्दी नहा  ले तो तू अच्छी बच्ची  न बन जाये ?
मैं चुप चाप कमरे में  चली गयी?.

उस समय मुझे मेरी माँ मेरी सबसे बड़ी दुश्मन लग रही थी? मेरा  दिमाग तो
जैसे हर समय पापा के पास जाने को ही मचलता रहता था.. और फिर वो दिन भी
आया जिसका मुझे इंतजार था ?..करीब दस दिन के बाद संदेसा आया की एक हफ्ते
बाद मेरे सबसे छोटे मामाजी की शादी थी? माँ तो बहुत खुश थी ?मुझसे बोली
बेटा मैं तो कल ही चली जाऊंगी तू पापा के साथ शादी से दो दिन पहले पहुँच
जाना.. मैं तुझे भी साथ ले चलती लेकिन यहाँ तेरे पापा का खाना कौन
बनायेगा?. माँ ने उसी रात साड़ी  पैकिंग  करली? सुबह ही माँ की ट्रेन
थी.. अगले दिन सुबह ही माँ ने मुझे जगाया बोली?बेटा मैं जा रही हूँ अपना
और अपने पापा का ख्याल रखना?और मम्मी ने मुझे कुछ रूपये भी दिए.. ये कह
कर माँ पापा के साथ निकल गयी?. मैं घर पर अकेली हूँ ये सोच कर तो जैसे
मेरे सारे बदन में  आग सी लगी हुई थी? मैंने सोच लिया क़ि  आज तो कुछ
करके ही मानूंगी?. मैं उठी और नहा  कर तैयार हो गयी? तभी पापा का फ़ोन
आया?. बेटा कोमल मैं इधर से ही काम पर जा रहा हूँ शाम को जल्दी आ
जाऊँगा.. तू घर का ख्याल रखना!!!! मुझे इतना गुस्सा आया ?मैं तो जैसे जल
भुन सी गयी?. सारा दिन मैंने कैसे गुजरा मुझे ही पता है.. मैंने इतने
प्यार से पापा की लायी हुई साडी पहनी थी .. गुस्से मैं आ कर मैंने वो
साडी उतार  कर  फ़ेंक दी? और पेटीकोट  ब्लाउज में  आ गयी.. दिमाग तो जैसे
ख़राब हो चूका था ?मैं जा कर अपने बिस्तर पर लेट गयी?पता नहीं कब नींद आ
गयी? रात को डोर  बेल की आवाज से मेरी नींद खुली?..देखा ८ बज चुके थे मैं
उठी और जा कर दरवाजा खोला.. देखा पापा आ गये थे..पापा ने मेरी ओर  प्यार
से देखा..और बोले.. क्या बात है साडी नहीं पहनी?मुझे होश आया ..और मैं
अन्दर की ओर  छुप  गयी.. पापा बोले..अरे!! शर्मा क्यों रही है मैं तेरा
बाप हूँ तुझे तब से देखता हूँ जब तू नंगी सारे घर में  घूमती थी.. मैं
धीरे से बोली.. खाना लगा दूं???? पापा बोले ?नहीं मैं तो खा के आया हूँ
.. तू बिस्तर लगा दे मैं आराम करना चाहता हूँ.. मैं बोली?. अच्छा !!! और
खिड़की के पास जा कर खड़ी  हो गयी.. पापा बोले.. क्या हुआ? और मेरे पास
आकर खड़े हो गए.. मैंने खिड़की की तरफ मुंह कर लिया और झुक कर बाहर  झाकते
हुए उनसे बोली ..पापा! बाहर  तो बादल  से हो रहे है .. लगता है बारिश
होगी.. पापा मेरे करीब आ गए और उन्होंने मेरी गंद पर हाथ रख दिया.. और
बोले.. हाँ लगता है आज जम कर बारिश होगी! इतना कह कर पापा मेरी गंद को
धीरे धीरे दबाने लगे?.मैं तो जैसे सरे दिन का गुस्सा भूल कर मदमस्त हो
गयी.. तभी पापा ने मेरी गंद के बीच में  हाथ रखते हुए अपनी ऊँगली ठीक
मेरी गांड के छेद पर दबायी?. मेरे तो सारे बदन में  एक आग सी दौड़ गई ..
पापा मेरी गंद पर हाथ फेरते हुए बोले ? बेटा तेरी माँ कहती है क़ि  तू
जवान हो गयी है .. तेरे लिए लड़का देख  लूं.. आज मैं भी देखूंगा क़ि  तू
कितनी जवान हो गयी है? यह कह कर उन्होंने मेरी ब्लाउज  के ऊपर की खुली
हुई पीठ पर धीरे से एक पप्पी  ले ली? और मुझे छोड़ कर दुसरे कमरे की तरफ
बढ़ गए? मैं भी आकर बिस्तर को लगा ने लगी,मैं दूसरा बिस्तर लगा ही रही थी
क़ि  पापा आ गए और बोले ..अरे.. ये दूसरा बिस्तर किसलिए ?? तू जब छोटी थी
तो मेरे ही पास सोती थी? आज अपने पापा के साथ सोने में डर लगता है
क्या??? मैंने भी चुप चाप अपने बिस्तर को समेट कर रख दिया?. पापा बोले
?बेटा तू लेट जा मैं अभी जरा फ्रेश हा के आता हु  ??? मैं अकेली ही बेड
पर लेट गयी मैंने सोचा ..आज तो जरूर कुछ करने वाले है.. यह सोच कर मैंने
अपने ब्लाउज  ऊपर के दोनों बटन खोल लिए?और अपना पेटीकोट  भी घुटनो तक
चढ़ा कर लेट गयी .. तभी पापा कमरे में  आये ..मुझे देख कर वो
मुस्कुराये..मैं उनकी आँखों में  चमक साफ़ देख सकती थी.. वो मेरे पास आकर
बैठ गए..और बोले.. कोमल बेटा!जरा ऊपर को सरको.. मैं जान्भूझ कर अपने पैरो
को मोड़ कर उठी.. पेटीकोट  ऊपर था इसलिए शायद पापा को मेरी मदमस्त चूत की
एक झलक तो मिल ही गयी हो गी? तभी पापा ने अपना हाथ मेरी टांगो पर रख
दिया? और बोले..कोमल तू तो सच में  काफी बड़ी हो  गयी है मैंने शर्म से
आँखें बंद कर ली.. पापा ने धीरे धीरे  मेरी जांघे  सहलानी शुरू कर दी .
मैं तो जैसे मस्त सी हो गयी.सहलाते सहलाते पापा ने अपना हाथ मेरी चूत  की
तरफ बढ़ा  दिया..मेरी मस्त जांघो  को देख कर वो भी मस्ताये से लग रहे थे?
तभी पापा ने अपना हाथ बड़ा कर मेरी चूत  के ऊपर रख दिया,,मुझे जोर से
करंट  सा लगा? पापा मेरी चूत  को धीरे धीरे सहलाने लगे..मैंने अपनी आँखे
बंद कर ली? तभी पापा ने मेरे पेटीकोट  का नाडा खोल दिया.. और मेरी
पेटीकोट  को नीचे से सरका कर अलग कर दिया ..अब मैं नीचे से बिलकुल नंगी
अपने पापा के सामने थी .


.पापा बोले..कोमल आँखे खोल!!! मैंने  आँखे खोली और पापा की तरफ
देखा..पापा ने झुक कर मेरे होंठो  को चूम लिया?फिर पापा ने मेरे ब्लाउज
को खोलना शुरू किया?.उसे भी उतारने के बाद तो जैसे वो पागल से हो गए और
मुझे पागलो की तरह चूमने लगे..फिर उन्होंने मेरी चुचियो को अपने हाथों
में  भर लिया.. और उन्हें जोर जोर से दबाने लगे मुझे दर्द भी हो रहा था
और मज़ा भी आ रहा था?..तभी पापा नीचे की ओर  सरके और उन्होंने मेरी चूत
पर अपने होंठ  रख दिए? पहले तो धीरे धीरे फिर तेज तेज वो मेरी चूत  को
चूसने लगे..मैंने भी धीरे से अपनी टाँगे चौड़ी कर ली और मस्ती के मारे
अपनी आँखे बंद कर ली? तभी पापा उठे और बोले..कोमल जरा उठ जा.. मैं  उठ कर
बैठ गयी..पापा बोले ले जरा इसे सहला दे.. मैंने अपने हाथों से पापा का
लंड  सहलाना शुरू कर दिया ?फिर पापा ने अपने नाडा खोल दिया और अपने कच्छे
के साथ ही उसको उतार  दिया?.मेरे सामने कमसे कम ७ इंच का तना  हुआ लुंड
था.. मैं सोचने लगी क्या माँ की तरह मैं भी इसे अन्दर ले पओंगी. तभी पापा
बोले.. बेटा कोमल!इसे थोडा सा चूस दे ?. मैं तो चाहती  ही यही थी मैंने
उस प्यारे से लंड  को अपने मूंह में  भर लिया ?.और धीरे धीरे टॉफी  की
तरह चूसने लगी.. पापा के मुंह से सिस्कारियां निकल रही थी?तभी पापा बोले
बेटा जोर जोर से चूस..इसे पूरा अन्दर लेले? मैं कोशिश करने के बाद भी उसे
सिर्फ ४-५ इंच ही अन्दर ले पाई.. फिर मेरा मूंह दुखने  लगा ? मैंने  पापा
की तरफ देखा ..पापा बोले ?चल अब तू लेट जा बेटा? मैं लेट गयी..फिर वो भी
मेरी बगल में  बनियान उतार  कर लेट गए?उनका  नंगा बदन जैसे ही मेरे नंगे
बदन से टकराया मैं तो जैसे काँप सी उठी? फिर पापा ने मेरी चुचियों को
बारी बारी चूसा.. और मेरे होंठो  को चूसने लगे ?.अचानक ही पापा मेरे ऊपर
आ कर लेट गए?. और अपने लंड  का एंगल  मेरी चूत  पर बैठा ने लगे? मैं डर
गयी और बोली?पापा ये तो काफी बड़ा है?. पापा बोले ??अरे! मेरा बच्चा ..तू
रुक बेटा मैं अभी आया ? ये कह कर पापा उठ कर बराबर वाले कमरे में  गए?और
जब आये तो उनके हाथ में  एक तेल की शीशी   थी ? फिर तेल को पहले मेरी चूत
पर लगा कर मसलने लगे और अपनी एक ऊँगली भी अन्दर सरका दी?.पहले एक, फिर
दो उँगलियों को वो मेरी चूत  में  अन्दर बाहर  करने लगे मैं तो जैसे पागल
सी हो गयी थी?. तभी पापा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड  पर रख लिया और
बोले.. कोमल बेटा ले इसपर भी तेल लगा दे.. मैं भी उनके रोड जैसे सख्त लंड
पर तेल लगाने लगी? फिर करीब १० मिनट  बाद पापा फिर से मेरे ऊपर आ गए और
अपने लंड  को  मेरी चूत  से लगाया?.फिर धीरे से उन्होंने मेरी चूत  में
अपना लंड  सरका दिया .. मैं तो हैरान थी इतना बड़ा लंड  इतने प्यार से
मेरी चूत  में  घूसा जा रहा है?. फिर पापा ने धक्के मारने  शुरे किये
?पहले धीरे ?फिर तेज ?मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी थी?पापा ने धक्को  की
स्पीड बढ़ा  दी ?. मैं भी मस्त हो कर पापा से चिपट गयी.. करीब १/२ घंटे
के बाद मैं और पापा एक साथ झाडे,?पापा के गरम गरम वीर्य ने मेरी चूत  को
भर कर रख दिया?. मैं तो जैसे बेहोश सी हो गयी थी? झाड़ते समय ऐसा लग रहा
था जैसे चूत  से पानी नहीं मेरी जान निकल रही थी?? उस रात पापा ने मुझे
पता नहीं कितने एंगल  से चोदा ? और मैंने भी भरपूर सहयोग दिया?. करीब ५
बार हमने चुदाई का प्यारा सा गेम खेला?.. अगले दिन पापा ने छुट्टी
लेली..और फिर से मेरी जम कर चुदाई की??? मम्मी के आने तक तो लगभग रोज़ ये
सिलसिला चला?फिर मम्मी आ गयी तो भी मौका मिलते ही हम एक दुसरे को पूरा
पूरा सुख देते रहे?? आज भी मैं अपने पापा की दूसरी बीवी बन कर उन्हें वो
हर सुख देती हूँ जो वो चाहते है.
दोस्तों कैसी लगी ये मस्त कहानी आप को जरूर बताना

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हिंदी सेक्सी कहानियाँ माँ की तड़प--2

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

माँ की तड़प--2
चाचा- खुजली तुमको हो रही है तुम ही करो.
मोम-अच्छा, खुशा मत करवाना चाहते हो, करो ना. मैं  पागल हो जाऊंगी. चाचा
ने अपना पूरा वजन अपनी दोनों टांगों के पंजो और दोनों हाथ की हथेली पर
रखा और झुक कर मोम की निप्पल  चाटने लगे. हाआअ
क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क् करते भी रहो नाआआ
स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्. चाचा मोम का निप्पल  मुह में लेकर चूसने
लगे और मोम-स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् हाआअ ईईईईईईईए करते क्यों
नहीं. चाचा का पूरा बदन स्टेचू बना हुवा था, मोम के निप्पल  चूसते हुए
चाचा ने जैसे ही अपने पैरों को थोडा सिकोडा उनका लंड  मोम की चूत  से
बाहर  निकल गया. मोम- बड़े कमीनो हो तुम, हां स्स्स्स ह़ा. मोम ने अपने
एक हाथ से चाचा की कमर को ऊपर से कसकर पकड़ा और दुसरे हाथ से उनके लंड  को
बीच से पकड़ कर हहा सस्स्स्सस्स्स्स करते हुए एक जम्प  के साथ अन्दर ले
लिया, अपने हिप्स को वहीँ रोकते हुए उनके लंड  को थोडा और ऊपर से पकड़ते
हुए एक और जम्प  लेते हुए हाआआआ स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् सस
स्स्स्स आधा लंड  अन्दर ले लिया. इसी  पोज  में ऊपर लटके-लटके मोम खुद ही
जम्प  मार -मार  कर हा स्स्स्स हा स्स्स्सस करते हुए मज़ा लेने लगी. मोम
थक गयी थी और चुतद जमीन  पर रखते ही लंड  बाहर  निकल गया.
मोम- कमीने आदमी, क्या हो गया है तुझे (हमेसा तुम बोलती थी), तुझे कसरी
(चाचा की बेटी का नाम) की कसम??
 चाचा-भाभी कसम क्यों दे रही हो और चाचा ने नीचे होकर मोम क़ि  चूत  पर
लंड  को टिकाते  ही जोर का धक्का मारा ल्ल्लल्ले फिर,
 मोम हाआआआआआआआआ आआआआआ चिल्लाई, ये ल्ल्ल्ले, स्स्स्सस्स्स्स हा ये ल्ले,
उईईईई माआआआअ, और ल्ले, स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् मर्र्र्रर गयी, और
करून ल्ल्ल्ले, हा हा, ल्ले, हा, ल्ले, हा हा हा स हां स्स्स्स
हाआआआआआआआअ कमीईने यी ईईए ईईईई और मोम की दोनों थाई काम्पने लगी, गांड
जमीन  से ऊपर, झड़ने के कारण मुह से अब आवाज नहीं आ रही थी.
 चाचा- भाभी, तुमने आज मुझे कमीना बोला और तू तड़ाक से बोला?
मोम-माफ़ कर दो देवर जी, मैं  पागल हो गई थी, अन्दर बहुत जोरों की खुजली
हो रही थी, आज तक कभी नहीं हुयी थी, जी कर रहा था कोई अन्दर जोर-जोर से
रगड़े, माफ़ करदो, मैं  अपने आप में नहीं थी.
 चाचा, कोई बात नहीं भाभी कहते हुए मोम के ऊपर से उतर गए और जैसे ही
उन्होंने अपना कच्छा पहनने के लिए हाथ में लिया मोम ने चौंकते हुए पूछा-
क्या हुवा देवर्जी, माफ़ी मांग तो ली है तब भी नाराज़ हो रहे हो.
चाचा- मैंने कब बोला की नाराज़ हूँ.
मोम-फिर ये (कच्छा) क्यों पहनने लगे, तुम नहीं करोगे.
चाचा-तुम्हारा  हो गया ना भाभी, मैं  तो रात को तुम्हारी  देवरानी की में
पानी निकाल  लूँगा. मोम-बाबा, फिर माफ़ी मांगती हूँ, गलती हो गयी, चाचा से
लिपटे हुए बोली-सोबन की कसम, दोनों बच्चों की कसम मैंने जान बूजकर गाली
नहीं दी, पता नहीं क्या हो गया था मुझ रांड को और अचानक रोने लगी.
चाचा-भाभी, बच्चों की कसम क्यों ले रही हो और रोने क्यों लगी. मोम सुबक
सुबक कर रोने लगी. चाचा ने मोम का मुंह  ऊपर किया और उनके आंसू पौंचते
हुए बोले, तुम्हारी  कसम भाभी मैं  नाराज़ बिलकुल भी नहीं हूँ, सच में.
मोम, सुबकते हुए-फिर कर क्यों नहीं कर रहे हो
चाचा-तुमको मज़ा आ गया है न मुझे तसल्ली हो गयी.
मोम-चलो तुम भी करो
चाचा- रहने दो भाभी, किसी और दिन करेंगे.
मोम-मुझे अभी परसों जैसा मज़ा नहीं आया. उस दिन दूसरी बार बहुत मज़ा आया था.
 चाचा- मैंने तो एक ही बार किया था.
मोम-पता है, अब समझी और मोम उनकी छाती पर मुक्के मारने  लगी, बड़े गंदे हो.
चाचा ने हँसते हुए मोम को बिस्तर पर लिटाया और बगल में अध लेटते हुए मोम
का दूध चूसने लगे और एक हाथ की उँगलियाँ उनकी चूत  पर फेरने लगे. थोड़ी
देर में ही मोम फिर से सिसकारी मारने लगी और जम्प  भी करने लगी. चाचा ने
कटोरी से मोम की चूत  और अपने लंड पर बुट्टर लगाया और चूत  पर रखते ही
करारा  धक्का मारा.
मोम-हाआआआअ चाचा मोम को स्पीड में पेलने लगे और मोम हर धक्के पर मोम की
सस्स्स्सस्स्स्स हाआआआअ निकलने लगी. करीब १० मिनट  के बाद मोम
स्स्स्सस्स्स्स ईईईईईईईईईए ईईईईईए करते  हुए झड गयी, चाचा मर्द का पट्ठा
पेलने में लगा रहा. मोम की चूत  का पानी बाहर  बहने लगा, चाचा का लंड  पर
)जितना हिस्सा अन्दर जा रहा था) सफ़ेद परत जैसी जम गयी थी.
मोम- तुमको क्या हो गया है देवर जी, २ मिनट  रुक जाओ मेरे पेट  में दरद
होने लगा है और चाचा शांत हो गए.
मोम बोली-देवर जी, मेरा दो बार हो गया पर उस दिन वाला मज़ा नहीं आया, पेट
में दरद भी होने लगा है.
चाचा- रुको भाभी, चाचा ने रस्सी पर टंगे कपडे के किनारे को पानी में
डुबोकर पहले अपने लंड  को पौंछा  फिर मोम को नंगे फर्श  पर लिटाकर उनकी
टांगों को चौड़ा करने के बाद उसी  गीले कपडे से उनकी चूत  को अच्छी  तरह
से साफ़ किया, एक ऊँगली में गीला कपड़ा लपेटा और अन्दर डाल कर घुमाया, फिर
एक हाथ की उँगलियों से चूत  की दोनों तरफ की स्किन को फैलाकर लोटे से
उसमे  पानी डाल  कर मोम को टांग चौड़ी कर खड़ा होने को कहा. ये सब करने के
बाद चाचा ने मोम को बिस्तर पर लिटाया और दूध चूसने लगे. थोड़ी देर बाद
चाचा ने अपनी तीन उँगलियों पर थूका और मोम की चूत  पर मला , दो बार ऐसा
करने के बाद दो ऊँगली अन्दर डालकर अन्दर बाहर  करने लगे. मोम का कोई
रेस्पोंसे नहीं मिल रहा था. चाचा का लंड  भी मुरझाया पड़ा था.

चाचा ने मोम की टांगों को चौड़ा किया, एक हाथ के अंगूठे और एक ऊँगली से
उनकी चूत  की स्किन को फैलाया और दुसरे हाथ की ऊँगली को मुह में डालकर
थूक  से गीला करने के बाद चूत  के बीच और छेद  से थोडा ऊपर रगड़ने लगे.
थोड़ी देर रगदने के बाद फिर से ऊँगली अपने मुह में डालते और फिर रगड़ते,
बस अब क्या था, मोम स्स्स्सस्स्स्स स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् करने लगी,
चाचा ने मोम की चूत  की स्किन से हाथ हटाकर एक ऊँगली अपने मुह में देने
के बाद सीधे मोम की चूत  के अन्दर डाल  दी और दुसरे हाथ की ऊँगली से तेजी
से उनकीचूत  के ऊपर रगड़ने लगे. मोम फिर तड़पने लगी, हाआआआआअ देवर जी. इधर
चाचा का लंड  भी तन गया था पर लम्बाई के कारन धनुस के आकर में.
 मोम-देवर जी ब्ब्ब्बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्
स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् हाआआआआअ नहीं नाआआअ. चाचा ने जैसे ही
अपनी ऊँगली चूत  से बाहर निकाली  मोम हाआआआआअ करके उछल  गयी, मोम की गीली
चूत  साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी. चाचा ने मोम के ऊपर लेटते हुए उनकी दोनों
टांगों को मोड़कर चौड़ा करने के बाद एक हाथ से लंड  पकड़ कर मोम की चूत  पर
रखते ही धक्का मारा, मोम उफ्फफ्फ्फ़ करके रह गयी. चाचा ने मोम को पेलना
स्टार्ट किया, पहले तो मोम धीरे धीरे हा  हा  हा  हा  हा  हा  करती  रही
फिर  श्ह्ह्हह हा  स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् हा
स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् स  हा. देवर जी स्स्स्सस्स्स्स
पहली वलीईईईईए हाआआआ खुज्लीईईईईई स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् मर
ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्गयि. ख़्हुज्लीई देवर जी स्स्स्सस्स्स्स हाआआआ.
मेरी आँखें दो जगह टिकी थी, पहली जगह मोम की गांड की लूप लूप पर और दूसरी
क्या आज पूरा लंड  अन्दर घुसेगा. चाचा की साँसे फूलने लगी और हूँ हूऊऊउन
कर चोदने  लगे, उनके तत्टों से पसीना टपक कर कुछ लंड  से बहते हुए मोम की
चूत  में और कुछ चूत  के बाहर  से उनकी गांड में.
मोम- स्सस्स्स्सस्स्स्स हा सस स्स्स्सस स्स्स्सस्स्स्स हाआआ, देवर्जी
रुकूऊऊऊ स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् रुको द्द्द्द्द्द्द्द्द्देवर् जी. चाचा
ने लगातार हांफते-हांफते चोदते हुए पूछा अब क्या हुवा?
मोम-स्स्स्सस्स्स पिशाब  ल्ल्ल्लल्ल्ल्लागा है हाआआआअ
चाचा-ऊऊउह, अभी मज़ा आ रहा है, ऊऊह बाद में कर लेना.
मोम-नाहे यी यी देवर जी स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् बर्दास्त नहीं हो  रहा है
चाचा-भाभी अभी नहीं रुक सकता ऊऊऊओह.
मोम-स्स्स्सस करो फिर जोर्र्र्र्र्र्र्र्र्र् स्सस्स्स्सस्स्स्स हा सस
स्स्स्स हा हां खुजली भीईईई हां स हा सस मर्गेईई सस सस माआआआअ पूरा रा रा
रा दाल्ल्ल्लल्ल्ल्ल स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् स माजीईईईईए
(मोम की गांड के पास की स्किन जबरदस्त तरीके से कांपने  लगी और गांड का
छेद  लूप लूप लूप लूप करने लगा) आआअ ईईईईईईए मेरी माआआआआआआआअ कर कर कर कर
कर क्कक्क्क्कक्क्क्कर कर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्
र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र् र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र् और मोम
ने चाचा की कमर पकड़ कर १०-१२ जोरदार जम्प  मारने के बाद हाआआआआआआआआ
आआआआआअ करते हुए दोनों पैरों की आदियों के सहारे अपने चुतद हवा में उठा
दिए और कांपती आवाज में  चाचा से बोली-देवर्जी जल्दी करो मेरी पिशाब
निकलने वाली है. चाचा ने मोम की दोनों टांगों को फैलाकर ऊपर उठाया और
बिस्तर से खींच कर उनके चुतद नंगे फर्श  पर लेने  के बाद ऊपर उठाने के
बाद मोम को लंड  पकड़कर चूत  पर रखने को बोला. मोम-ये क्या कर रहे हो,
मेरा पिशाब  निकलने वाला है. चाचा-रखो ना भाभी मैं  झड़ने वाला हूँ. मोम
ने चाचा का लंड  पकड़कर अपनी चूत  पर रखा और चाचा पंजों के बल होकर
जोर-जोर से कूदने लगे. मोम चिल्लाई, देवर जी पिशाब ???मोम का पिशाब  निकल
गया, चाचा के जोर के धक्कों के कारण हर धक्के में पुच्चेर्रर्र्र्र
पुच्चेर्र्र्र्र्र्र्र्र् पुच्चेर्र्र्रर्र्र्र करके पिशाब  की
पिचकारियाँ छूटने लगी (इधर मेरी हालत ख़राब होने लगी, हंसी भी आने लगी और
मेरी नूनी में जबरदस्त अकदन होने लगी और गुदगुदी भी)
प्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र् प्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र् की
आवाजे आने लगी. चाचा ने भभीईईईईईई ईईईईईईई चिल्लाते हुए जोर का धक्का
मारा और उनकी गांड भींच गयी.
मोम-बहुत ख़राब हो देवर जी, यहीं मुतवा दिया और अन्दर भी झड दिया.
चाचा-भाभी हिलना नहीं, हाथ जोड़ता हूँ, चाचा ऊपर उठे और फचाक से लंड  मोम
की चूत  में पेला अन्दर से पीले रंग की पिचकारियाँ निकली, ३-४ बार ऐसा
किया, सायद चाचा ने भी मोम की चूत  में धक्के मारते  हुए ही पिशाब  कर
दिया था. (मुझे भी लगा जैसे मेरा भी पिसब निकल गया है वो भी गुदगुदी के
साथ). चाचा ने मोम की टांग चौड़ी रखे -रखे मोम को उनका लंड  पकड़ कर सीधा
रखने को बोला और बाहर  निकालने  के बाद फिर मुतने लगे, मोम की चूत  में
पहले से ही पिशाब  भरा होने के कारन जब ऊपर से पिशाब  की धार  पड़ने लगी
तो ऐसी आवाज आने लगी जैसे भरी बर्तन में किसी ने टोंटी खोल दी हो. चाचा
के पिशाब  की धार पीली थी. चाचा ने मोम की टांगों को आजाद किया, मोम ने
उठकर टांगों को मोदते हुए चौड़ा किया और दोनों हाथों से चूत  की स्किन को
फैलाकर पीला-पीला मुतने लगी. चाचा का पेट और जांघे  गीली हो रही थी.
दोनों मेरे सामने से होते हुए नहाने वाली जगह पर गए और सायद अपना अपना
सरीर धोने लगे (पानी की आवाज आ रही थी). मैंने भी चेक करने के लिए अपनी
नूनी के पार कच्छे  को देखा तो मामूली सा गीला था , पिसाब  नहीं
दोस्तों कहानी कैसी लगी जरूर बताना

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हिंदी सेक्सी कहानियाँ माँ की तड़प--1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
माँ की तड़प--1
मोम की तड़प चाचा से चुदवाने के तीसरे दिन हम भाई बहन स्कूल जा रहे थे ,
मोम ने बोला, बेटा स्कूल  जाते हुए चाचा के घर में बोलते जाना की कल
(सन्डे) घेर (हमारा गोलाकार बड़ा खेत) में हल लगाना है, चाची  और दीदी
(उनकी लड़की) को भी आने को बोलना. मैं  चलते-चलते सोच रहा था की मोम सायद
एक बार फिर चाचा के खच्चर जैसे लैंड का स्वाद लेना चाहती है लेकिन चाची
और उनकी लड़की को भी बुलाया है तो मैंने अपने दिमाग से ये ख्याल निकाल
दिया. घर में चाची मिली मैंने उनको बोला तो वो बोली- तेरी माँ ब्याई
(बच्चा देना) है, पिसर (खीस- भैंस का बच्चा होने के सुरु कागाढ़ा  दूध)
खाने बुलाया है. मैं  पता नहीं का जवाब देकर अपने स्कूल के लिए चल दिया.
दोपहर को हम दोनों भाई बहन घर पहुंचे. अन्दर से बंद दरवाजा खटखटाया तो
मोम ने दरवाजा खोला, मोम एक दम नंगी थी (नहाते हुए उठकर आयी थी), दरवाजा
फिर बंद करने के बाद मोम नहाने लगी और  हमको कपडे  उतारकर अपने पास नहाने
के लिए बुलाया (नहाने की जगह झोपड़ी के जानवर बांधने  वाली साइड बनी थी).
हम दोनों कपडे उतारकर मोम के पास जाकर बैठ गए. मोम नहा चुकी थी पर हमको
नहलाने के लिए नंगी ही बैठी थी. पहले मोम ने सिस्टर को अपने सामने बिठाया
और पानी डालकर अथला (पेड़ की छाल को कूट कर बनाया गया गुच्छा जो साबुन की
तरह झाग देता है, गाँव  में लोग उसी  से नहाते थे , साबुन यूज  नहीं करते
थे ) उसके पुरे बदन पर मला  (कई बार मोम की उँगलियों ने सिस्टर की घेहूँ
की शकल जैसी चूत  को रगडा). उसको नहलाने के बाद मेरा नंबर आया, मैं  उनके
सामने उनकी तरफ मुह करके बैठ गया, मोम ने पानी डाला और मैं  अपनी आँख का
पानी  साफ़ करते-करते छिपी नज़रों से उनकी चूत  देखने की कोसिस करने लगा पर
झांटों और एक खाई (लाइन) के अलावा कुछ दिखाई  नहीं दे रहा था. मोम के
कहने पर मैं  खड़ा हो गया और मोम पत्थर से  मेरे घुटनो और पैर के पंजों पर
जोर जोर से रगड़ने लगी. बीच-बीच में नोनी पर भी रगड़ देती. अब मोम भी खड़ी
हो गयी और मेरे सर के ऊपर से पानी डालने लगी जिसके छींटें मोम के ऊपर भी
पड़  रहे थे  और पानी उनके पेट से सरकता हुवा उनकी झांटों पर अटक जाता,
झांट के बालों से निकल कर कुछ तो बूंदे बन कर टपक जाती और कुछ नीचे सरकता
हुवा दोनों टांगों के ठीक बीच से धार बन कर बह रहा था, लगरहा  था जैसे वो
मूत रही हो. अचानक मोम ने मेरी नोनी का फोरस्किन पीछे किया और लोटे से
पानी डालते हुए उँगलियों से साफ़ कर ने लगी, मेरी नूनी कड़ी हो गयी. मोम,
बदमास कही का बोलते हुए मेरे मुह पर देखने लगी. नहाने के दबाद मोम और मैं
नंगे ही झोपड़ी के दूसरी तरफ आये जहाँ मेरी सिस्टर पहले से ही नंगी बैठी
थी, मोम ने लकड़ी के सन्दुक से हमारे कपडे निकाल कर  दिए और अपना पेटीकोट
निकाल कर  सर के ऊपर से पहनते हुए कमर में नाडा बाँधा , ब्लाउज  पहना और
फिर धोती. खाना खाने के बाद हम तीनो दरवाजे के सामने बिछी दरी (हमेसा
बिछी रहती है) पर सो गए. नेक्स्ट डे मोम जल्दी उठ गयी थी, मुझे भी जल्दी
उठा दिया नास्ता किया और बोली मैं  घेर में जाऊंगी छोटी (सिस्टर) उठेगी
तो नास्ता खिला देना. थोड़ी देर में चाचा, चाची  और उनकी लड़की बैलों को
लेकर आये, मोम ने उनको चाय पिलाई फिर उनके साथ घेर में चली गयी. थोड़ी देर
में सिस्टर उठी, हम दोनों २ नंबर के लिए झोपड़ी के पीछे की तरफ बने खेत
में गए, थोड़ी दुरी बनाकर हम दोनों बैठ गए. मैंने देखा बैठते ही सिस्टर की
नन्ही सी चूत  से लम्बी पिशाब  की धार छुटी और मेरी नोनी से भी. घर  आकर
हमने पानी से साफ़ करने के बाद मैंने छोटी को नास्ता दिया, जूठे बर्तन
धोने के बाद मैंने छोटी को खिड़की के पास बिछे बिस्तर पर बुलाया जिसपर
चाचा ने मेरी मोम को जबरदस्त तरीके से पेला था. मैंने उसको नया खेल खेलने
का बताकर उसको मोम की तरह बिस्तर पर लिटाया (उसने  कच्छी नहीं पहनी
थी-गाँव में कोई पहनता ही नहीं है) और चाचा की तरह उसके ऊपर आकर अपने
ढीले ढाले कच्छे को सर्काकर  अपनी नूनी (जो कड़ी हो गयी थी) पर थूक लगाया
और कुछ थूक  छोटी की चूत  पर लगाने के बाद अपनी नूनी को उसमे घुसेदने की
कोसिस करने लगा, जब जोर लगाया तो छोटी चिल्ला पड़ी- ईईईई भैया  मुझे नहीं
खेलना ये खेल, दरद होता है. मुझे याद आया मोम ने अपनी चूत  के छेद  को
अपने हाथों से चौड़ा कर खोला था सो मैंने उसके ऊपर से हट कर उसकी टांगों
को मोड़कर इधर-उधर फैलाया और उसके दोनों हाथों को पकड़कर उसकी चूत  के पास
लाकर उसकी उँगलियों को उसकी पिद्दी सी चूत  के अगल-बगल की स्किन पर रखा
और उसको खींचने के लिए बोला. अन्दर गुलाबी रंग की स्किन दिखाई  दी, उसको
इसी  तरह पकडे रहने को बोलकर मैंने उसकी टांगों के बीच में आकर अपनी नोनी
पर फिर थूक  लगाया और उसकी चूत  के मुह पर रखते ही धक्का मारा??.वो
चिल्लाई माआआआआआआआआ जी और खिसक कर खड़ी  हो गयी, रोते हुए उसने अपनी
घाघरी ऊपर उठाई, उसकी जांघ  पर खून टपक रहा था, हम दोनों घबरा गए, मैंने
झट से कुछ चीनी मुह में डाली और चबाकर अपनी हथेली पर निकाल कर  उसकी चूत
पर लगायी, खून निकलना  बंद हो गया. मैं  बहुत घबरा गया था और छोटी को
प्यार से समझाने लगा क़ि  मोम को मत बताना और किसी को भी नहीं बताना, ये
गलत खेल होता है और हम दोनों को बहुत मार पड़ेगी. ये भी बताया की ये खेल
आदमी और औरत लोग शादी  के बाद बच्चा  बनाने के लिए खेलते है. रोते-रोते
उसने कसम खायी क़ि  वो किसी को नहीं बताएगी और मेरे से भी कसम दिलाई क़ि
उसके साथ ये खेल कभी नहीं खेलूँगा. दोपहर को मोम, चाची  और उनकी लड़की
घास के गठ्हर लेकर आये, पानी पीने के बाद मोम ने उनको मट्ठा (लस्सी)
पिलाकर खाना खाकर जाने को बोला लेकिन वो नहीं मानी ये बोलकर क़ि  वो सुबह
ही दाल चावल पकाकर आई थी. मोम ने चाचा के आने तक उनको रोकना चाहा , चाची
बोली वो अभी गाद (नदी) में नहायेंगे, दयाल (रस्ते में पड़ने वाले घर का
मालिक) के साथ हुक्का पीकर आयेंगे, तुम्हारे  घर खाना खायेंगे , तब तक
बहुत देर हो जायेगी और दोनों माँ बेटी ने अपना-अपना घास का गठ्हर उठाया
और अपने रास्ते चल दी. मोम ने हम दोनों को खाना खिलाया और आराम से सोने
को बोला. मेरा दिमाग में फिर हलचल मचने लगी, क्या मोम आज भी चुद वाएगी ?,
नहीं-नहीं अगर चुदवाना होता तो चाची  और उनकी लड़की को रोकने की कोसिस
क्यों करती?.. फिर सोचने लगा क़ि  हमको सोने के लिए क्यों बोल रही है.
कभी दिमाग कहता नहीं चुद वाएगी  कभी कहता बिना चुदे  नहीं रहेगी और थोड़ी
देर लेटने के बाद करवट लेकर मैं अपना वही पोज  बनाकर हलकी हलकी सांस लेने
लगा ताकि मोम को पता चल जाये क़ि  मैं  नींद में हूँ. काफी देर के बाद जब
चाचा नहीं आये तो मैंने बहाने से दूसरी तरफ करवट ले ली  (मोम को धोखा
देने के लिए). इस बीच मोम २-3 बार बाहर  गयी और लौटी सायद चाचा को देखने
गयी होगी. जैसे ही बाहर  बैलों की घंटी की आवाज मेरे कानो में पड़ी मैंने
फिर खिड़की की तरफ लगे बिस्तर  की तरफ करवट ली और हिलते हुए अपने पोज  की
अद्जुस्त्मेंट की. मोम भागते हुए अन्दर से घास की एक छोटी सी गद्दी उठाकर
बाहर  गयी, अन्दर  उनकी बातें करने की आवाज आ रही थी पर समझ  में नहीं आ
रहा था. मोम अन्दर आई और दो थालियों में खाना परोसकर चाचा का इंतजार करने
लगी. चाचा अन्दर आये और अपने चिरपरिचित अंदाज़ में बैठे, बैठते ही उनका
मुरझाया हुआ लंड  कच्छे  सेबाहर  लटक गया और जमींन  पर मुड गया.
मोम- तुम इसको संभाल  कर नहीं रख सकते.
 चाचा- कैसे सम्भालूं, पजामा पहनने की आदत नहीं है और कच्छे  में ये
अन्दर रह नहीं पाता. उनके बोलने के साथ ही धीरे-धीरे उनका लंड  नाग के फन
की  तरह उठाने लगा. भाभी डरो मत मुझे परसों की कसम याद है.
मोम-वो बात नहीं है, पर तुम्हे संभल कर बैठना चाहिए, तुम्हारे  घर में
जवान लड़की है. चाचा-अपनी तरफ से कोसिस तो करता हूँ पर बाहर  निकल ही
जाता है.
मोम-मुझे पता है तुम जान बूझ  कर उसको बाहर  निकाल कर  बैठते हो ताकि कोई
औरत उसको देखे और तुम उसका फ़ायदा उठाओ. अब तो चाचा का लंड  पूरी तरह तन
गया था और झटके मारने लगा. मोम ने खाना सुरु किया और उनको भी खाना सुरु
करने को कहा.
चाचा- भाभी एक बार दर्शन तो करवा दो बैठे-बैठे.
मोम- तुम्हे तो सरम लिहाज नहीं है, मुझे तो है, फटाफट खाना खाओ .
चाचा- देखने और दिखाने  की कसम तो नहीं खायी है भाभी.
मोम- देखे बिना मानोगे तो नहीं और मोम ने बैठे-बैठे ही अपना पेतिकोत ऊपर
सरकाया और जमीन   से गांड उठाकर हिप्स से ऊपर खींच कर चाचा की तरह उनके
सामने बैठ कर थाली अपने घुटनों पर रख कर खाना खाने लगी. चाचा मोम की
टांगों के बीच में नज़रे गढा कर  मुस्कराते हुए खाना खा रहा था और उनका
लंड  आधा  मुड़ने के बाद तन्न्न्नन्न्न्न से ऊपर झटके मार रहा था. खाना
खाने के बाद मोम ने उठकर बर्तन इक्कठे किये और धोने  के लिए बाहर  चली
गयी, चाचा ने अपने लंड  की तरफ देखा और एक बार उसकी फोरस्किन खींच कर
उसके सुपदे को देखा और वापस स्किन से धक् कर बैठ गए. पत्ते में तम्बाकू
लपेटकर पीने लगे . मोम ने अन्दर आकर बर्तन संभाले और चूल्हे के पास बैठकर
चाचा से बोली ये (चाचा का लंड ) अभी शांत  नहीं हुवा. चाचा-इतनी जल्दी
शांत  कहाँ होगा, हो जायेगा धीरे धीरे. लम्बी सांस लेते हुए बोले-चलता
हूँ भाभी घर जाकर आराम करूंगा.
मोम-आज बहुत जल्दी लग रही है घर जाकर आराम करने की, अभी खाना खाया है
थोड़ी देर यही सुस्ता लो. चाचा उठकर मेरे पास आकर बैठने ही वाले थे  क़ि
मोम भागते हुए आई और चाचा का हाथ खींचते हुए उसी  बेड  के ऊपर लेजाकर बैठ
गयी जिसपर २ दिन पहले चिल्ला-चिल्ला कर चाचा के लंड  का मज़ा लिया था.
मोम- आज बड़े सरीफ बन रहे हो?..


चाचा-भाभी मैंने तुमको कसम दी है
मोम- कसम तुमने दी  मैंने तो नहीं दी है और मोम ने चाचा की छाती पर हाथ
रखकर उनको धकेलकर लिटा दिया और उनकी बनियान ऊपर सरकाकर  उनकी छाती पर
उग्गे बालों पर उँगलियाँ फेरने लगी और चाचा मोम के ब्लाउज  के ऊपर से
उनके दूध दबाने लगे. मोम अपना दूसरा हाथ चाचा के कच्छे  के अन्दर ले गयी
और चाचा के मुरझाये लंड  को बाहर  निकाल  कर हिलाने लगी. तुरंत ही चाचा
का लंड  तन गया, मोम के चेहरे  पर मुस्कान फिर सरम और कुछ कुछ घबराहट
दिखने  लगी . अब मोम अपने हाथ की मुठियों से चाचा के तने हुए लंड  को
नापने लगी, पहले मोम ने उनके लंड  की जड़ पर अपने एक हाथ की मुठी रखी  और
उसके ऊपर दुसरे हाथ की मुठी, फिर नीचे वाली मुठी हटाकर ऊपर वाली मुठी के
ऊपर रखी  और फिर दूसरी वाली मुठी को फिर पहले वाले हाथ की मुठी के ऊपर,
अब चाचा के लंड  का फोरस्किन बाहर  दिखाई  दे रहा था. हे माआआआआआअ बोलते
हुए मोम ने आधा लेटते हुए चाचा की छाती पर अपना सर रखा और उनके लंड  का
फोरस्किन ऊपर नीचे करने लगी. चाचा मोम के चुतादों के पीछे से अपना हाथ
घुमा कर लाये और मोम का पेटीकोट  खींच कर उनकी चूत  को नंगा कर उनकी
झांटों के ऊपर उँगलियाँ घुमाने लगे. काफी देर तक रगड़ने के बाद चाचा ने एक
ऊँगली मोम की चूत  में घुसाई और अन्दर बाहर करने लगे. एक मिनट  के बाद
मोम कभी-कभी अपनी टांगों को इक्कठा कर स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् करने
लगी. चाचा ने मोम को उनके लंड  पर थूक  लगाने को बोला, मोम अपने पीछे की
तरफ मुड़ी और कटोरी (जिसमे दूध निकालने  से पहले भैंस के थन पर लगाने
वाला मक्खन (बुट्टर) रखा था) से बुट्टर अपनी उँगलियों से निकाला  और चाचा
के लंड  का फोरस्किन खींच कर उसकी गाँठ पर मलने के बाद फोरस्किन को ४-५
बार ऊपर नीचे किया और चाचा से पूछा अब क्या?? चाचा ने लेटे-लेटे  मोम की
एक टांग खींच कर अपने आप उनकी दोनों टांगो के बीच में आ गए फिर उनके
हिप्स के पास से उनकी दोनों थाईस  को अपने दोनों हाथों से ऊपर उठाया और
नीचे से लंड  उनकी चूत  में घुसाने की कोसिस करने लगे. लंड  की लम्बाई
जादा होने के कारण सीधा खड़ा नहीं हो पा रहा था, आधे में मुड  रहा था, मोम
ने अपना एक हाथ पीछे घुमाकर उनके लंड  को पकड़ा और अपनी चूत  पर रखा पर
फिर भी नहीं घुसा. मोम की तड़प मैं  देख रहा था, वो जल्दी से उनके ऊपर से
उतर कर बैठ गयी और कटोरी से बुट्टर निकाल  कर पहले अपनी चूत  के ऊपर रगडा
और फिर एक ऊँगली में बुट्टर लगा कर अपनी चूत के छेद  में डालकर चरों तरफ
घुमाया और उतनी ही जल्दी से फिर से चाचा के ऊपर आ गयी. मोम ने चाचा क़ि
दोनों हथेलियों को पकड़ा और दोनों टांगो के बीचे से लाकर अपने हिप्स ऊपर
उठाये और अपनी चूत  की दोनों साइड में रखकर बोली चौड़ा करो देवर जी. अब
उनकी चूत  के दोनों साइड की स्किन फ़ैल गयी, वहीँ से अपने एक हाथ से चाचा
के लंड  को बीच से पकड़ा और छेद  पर रखते ही नीचे झुकी और एक चौथाई  अन्दर
घुस गया. मोम अपने चुतद ऊपर नीचे करने लगी सायद जैसा वो चाहती थी वैसा
नहीं हो पा रहा था. मोम ने चाचा को हाथ हटाकर अपना लंड  पकड़ने को बोला
और अपने दोनों हाथ चाचा की छाती पर रखकर एक बार फिर कोसिस करने लगी मगर
जादा कामयाबी नहीं मिली सायद और मोम नीचे उतर गयी. चाचा- भाभी क्या हुवा?
मोम-ठीक से नहीं हो  रहा. चाचा उठकर बैठ गए और मोम को अपनी गोदी में
बिठाकर उनके ब्लाउज  के बटनों  खोलने के  बाद उनके दूध दबाने लगे. मोम
बहुत परेसान लग रही थी. चाचा ने मोम को अपनी एक जांघ  पर बिठाया और उनका
दूध चूसने लगे, मोम उछल-उछल कर चाचा से चिपक रही थी
स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् आआआआ
स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् स. चाचा ने पलटते हुए मोम को
बिस्तर पर लिटाया, उनकी टांगों को चौड़ा किया, जैसे ही वो मोम के ऊपर आये
मोम ने बीच में हाथ लाकर उनके लंड  को पकड़ा और अपनी चूत  पर रखते ही ऊपर
उछल गयी पर चाचा का लंड  नीचे को सरक गया. मोम ने फिर से लंड  को अपनी
चूत  पर रखा, दुसरे हाथ से पहले अपनी चूत  की  स्किन को एक तरफ खींचा और
फिर दूसरी तरफ के स्किन को खींचते ही जम्प  किया हाआआआआआअ. चाचा हंसने
लगे तो मोम बोली क्या हुवा.
 चाचा-कुछ नहीं.
मोम- करो ना देवर जी, अन्दर खुजली जैसी हो रही है.

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हिंदी सेक्सी कहानियाँ लव की आत्मकथा-2

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

लव की आत्मकथा-2

प्रेषक : लव कुमार
दिसम्बर का महीना था मैं अपने गाँव गया हुआ था। एक दिन हिंदी सेक्सी
कहानियाँ पर मैंने भाई-बहन की चुदाई की कहानी पढ़ी। अब तक किसी से सेक्स
नहीं किया था मैंने और उस कहानी को पढ़ने के बाद मैं स्वाति के बारे में
सोचने लगा- उसकी हाहाकारी चूचियाँ उसके मांसल चूतड़। मेरा लण्ड उसके शरीर
के कल्पना से ही तन गया।
तभी मेरी मम्मी ने मुझे पुकारा, मैं जैसे नींद से जागा और सोचने लगा- छिः
! मैं अपनी बहन के बारे में यह क्या सोच रहा हूँ?
पर वो कहते हैं कि जब दिमाग में कोइ चीज घुस जाये तो वो आसानी से नहीं
निकलती ! वो भी चोदने का ख्याल- कभी सोच कर देखिएगा।
अब मैं अपनी बहन स्वाति के बारे में सोचने लगा। कभी सोचता- नहीं यह गलत
है ! पर कभी सोचता- इसमें गलत क्या है। मैं इसी अन्तर्द्वद्व में फ़ंसा
था।
एक रात को मेरी एक चचेरी बहन और मेरी दोनों बहनें पढाई कर रहे थे, ठण्ड
काफ़ी थी, मैं एक रजाई ओढ़े लेटा हुआ था और एक रजाई में वो तीनों बहनें पढ़
रही थी।
तभी अदिति और दिव्या, मेरी चचेरी बहन जिसकी उम्र 10 साल थी रजाई को लेकर
खींचातानी करने लगी।
स्वाति ने उस दोनों की नोंकझोंक को रोकने के लिए कहा- तुम दोनों शांत
होकर पढ़ाई करो !
तो दिव्या ने कहा- दीदी, रजाई छोटी है तीनों के लिए !
तो उसने कहा- कोई बात नहीं ! तुम दोनों इसे ओढ़कर पढाई करो, मैं भैया की
रजाई ओढ़ लेती हूँ।
वो लेटकर पढ़ रही थी, उसने मेरे पैर के तरफ़ की रजाई खींचकर ओढ़ ली।
करीब 15 मिनट के बाद मेरा पैर अचानक किसी गुदाज वस्तु से टकराया और मैंने
स्वयं यह कल्पना कर ली कि यह शायद स्वाति की चूची थी।
मेरा लण्ड खड़ा हो गया। अब मेरे मन का चोर जाग उठा था, मैंने धीरे से अपना
पैर थोड़ा सा आगे खिसकाया अब मेरे पैर का अँगूठा उसके चूचियों को छू रहा
था। मैंने अपने पैर का दबाव थोड़ा सा और बढ़ाया, तभी स्वाति ने मेरे पैर के
अँगूठे को पकड़ कर उसे हटा दिया। मैंने नींद में होने का नाटक करते हुए
कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई। स्वाति ने भी शायद यही सोचा और थोड़ा सा खिसक
गई।
मेरी हिम्मत जवाब दे गई लेकिन वो क्या कहते हैं कि जब चुदाई का भूत सवार
होता है तो आदमी को चुदाई के अलावा कुछ नहीं सूझता है। मेरी भी हालत कुछ
ऐसी ही थी।
तभी दिव्या ने मुझे पुकारा- भैया ! भैया !
पर मैं कुछ नहीं बोला।
अदिति ने कहा- भैया शायद सो गये हैं ! क्या बात है?
तो दिव्या ने कहा- सवाल पूछ्ना था !
तो स्वाति ने कहा- लाओ, मैं बता देती हूँ ! भैया थके हुए हैं, उन्हे सोने दो।
मैंने सोचा- सभी सोच रहे हैं कि मैं सोया हुआ हूँ, इसका फ़ायदा उठाया जाये !
पाँच मिनट के बाद मैं थोड़ा सा नीचे की ओर खिसका और धीरे-धीरे अपना पैर
उसकी चूचियों की ओर बढ़ाने लगा। मेरा प्रयास रंग लाया और एक मिनट के बाद
मेरा पंजा उसकी चूचियों पर था। वो थोड़ा सा कुनमुनाई पर उसके और खिसकने के
लिये जगह भी नहीं थी सो वह यूँ ही लेटी रही।
मैंने अपने पैर का दबाव उसकी चूचियों पर थोड़ा सा बढ़ाया, कुछ देर उसी तरह
रहने के बाद मैंने धीरे से अपना दूसरा पैर भी बढ़ाकर उसकी चूचियों से लगा
दिया। वो पेट के बल लेटी हुई थी और मेरे दोनों पैर उसकी दायीं चूची पर
थे। कुछ देर के बाद मैं अपने दाएँ पैर के अँगूठे से उसके चूची के बाहरी
भाग को स्वेटर के ऊपर से सहलाने लगा। उसने ना तो कोई हरकत की और ना ही
कुछ बोली।
मेरी हिम्मत कुछ और बढ़ गई। अब मैंने अपने दाएँ पैर को धीरे धीरे आगे
खिसकाना शुरु किया। उसे भी शायद मज़ा आने लगा था, उसने मेरी इस हरकत का
कोई विरोध नहीं किया।
पर मेरा पैर अब आगे नहीं जा रहा था, कि तभी उसने करवट बदली अब उसकी दोनों
चूचियाँ मेरे पैर की तरफ़ थी। मैंने धीरे से अपने दोनों पैर उसकी दोनों
चूचियों पर लगा दिए।
तभी उसने लेटे-लेटे ही अदिति से कहा- मेरी किताब बंद करके रख दो ! मेरे
पेट में दर्द हो रहा है !
और उसने थोड़ी सी और रजाई खींचकर अपने सिर और मुँह को भी ढक लिया। मेरे
पैर अब उसकी चूचियों का मुआयना कर रहे थे पर उसके स्वेटर पहने होने के
कारण उसकी चूचियों को महसूस करने में ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था।
मैंने थोड़ा हिम्मत करके अपने बांए पैर को उसके स्वेटर के नीचे से घुसा
दिया। स्वाति कुछ नहीं बोली, शायद वो सो गई थी।
मैंने अपनी शंका का समाधान करने के लिए अपने पैर से उसकी चूचियों को जोर
से दबाया पर वह कुछ नहीं बोली।
अब मैं थोड़ा सा बेफ़िक्र हो गया और अपने दोनों पैरों को उसके स्वेटर के
अन्दर घुसा दिया अब मेरे पैर उसकी शमीज के ऊपर से उसकी चूचियों को छू रहे
थे ! क्या मांसल और गुदाज चूचे थे उसके !
अब मैं अपने पैर के पन्जे से उसकी चूचियों को सहला रहा था, वो वैसे ही
लेटी रही। मेरे पैर के पंजे उसकी चूचियों पर थे और धीरे-धीरे मैं अपने
अपने अँगूठे से उसके चुचूक को मसलने लगा। वो थोड़ी सी कुनमुनाई पर मैंने
अपने पैरों का काम जारी रखा।
अब मैं अपने पैरों को उसकी नाभि की ओर बढ़ाने लगा। मेरी हिम्मत धीरे-धीरे
बढ़ रही थी। पैरों को बढ़ाते हुए मैंने उसे उसकी सलवार के अन्दर ले जाना
चाहा पर सलवार का नाड़ा काफ़ी मजबूती से बँधा था। मैं अब उसकी चूचियों को
पंजे और अँगूठे दोनों की मदद से दबा रहा था।
तभी अदिति और दिव्या किताब और लैम्प उठाकर बोली- दीदी, मैं खाना खाने जा रही हूँ।
पर वह कुछ नहीं बोली।
दिव्या बोली- शायद दीदी भी सो गई !
मैंने जल्दी से अपने दोनों पैर वहाँ से हटाए लेकिन दिव्या और अदिति
स्वाति को उठाये बिना खाना खाने चली गई। उनके जाने के मैं खिसककर उसके
बगल में आ गया और उसके समांतर लेट गया। अब मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों
पर रखा। क्या मजा आ रहा था। मैं उसकी चूचियों को स्वेटर के अन्दर से मसल
रहा था उसकी चूचियों के दाने खड़े थे। मैंने अपना पैर उसके पैर पर रख
दिया। अब मैं एक हाथ उसकी शमीज के अन्दर ले गया और उसकी चूचियों को
सहलाने लगा।
कुछ देर इसी तरह सहलाने के बाद मैंने अपने हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल
दिया और हाथ को उसके अन्दर ले गया। मेरा लण्ड बुरी तरह से खड़ा हो चुका था
और उससे लिसलिसा द्रव्य निकल रहा था।
मैं अपने हाथ को उसकी पैंटी पर ले गया, वो चिपचिपी और गीली थी। मैं समझ
गया कि वो जाग रही है और उसे भी मजा आ रहा है। यह जानकारी मुझे
अन्तर्वासना से मिली थी। अब मैं पुरी तरह से बेफ़िक्र हो गया था, मैं समझ
गया था कि वो भी मजा ले रही है।
मैंने अपने हाथ को उसकी पैंटी के अन्दर घुसा दिया। आज से पहले मैंने केवल
इसके बारे में पढ़ा था, आज महसूस कर रहा था।
मेरे हाथ उसकी बुर को छू रहे थे। उसकी बुर पर थोड़े से रेशम जैसे मुलायम
बाल थे, चूत पूरी तरह से गीली थी। मैं उसकी बुर को एक हाथ से टटोलने लगा
और मेरा दूसरा हाथ उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से मसल रहा था।
मैं अपने बाँए हाथ को उसकी पैंटी के अन्दर ही खिसकाकर उसके पीछे गाँड पर
ले गया और अपने शरीर को उसके बदन से चिपका दिया। मेरा लण्ड उसकी जांघों
को छू रहा था। एक हाथ से मैं उसकी चूचियों को दबाये हुए था।
अब मैंने अपने होंठ उसके होंठ से लगा दिए और उसके होंठों को चूसने लगा।
मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह से सटाई तो उसने अपना मुँह खोल दिया। अब वो
भी मेरी जीभ चूसने लगी, शायद वो इतनी गर्म हो चुकी थी कि अपने आप को रोक
नहीं पाई।
मैंने अपना हाथ उसकी गांड से हटाया और पकड़ कर अपने पजामे के अन्दर घुसा
दिया। उसने अपना हाथ झट से हटा लिया, शायद वो मेरा लण्ड पकड़ने में
हिचकिचा रही थी। मैंने फ़िर से उसके हाथ को अपने लण्ड से सटा दिया। अबकी
बार उसने अपना हाथ नहीं हटाया और मेरे लण्ड को पकड़ कर सहलाने लगी।
मैंने उसका चुंबन लेना बन्द किया और अपने मुँह को उसकी शमीज के ऊपर से
उसकी चूचियों से सटा दिया।
वो मेरा लण्ड लगातार सहलाए जा रही थी, मैं भी उसकी चूचियों को उसकी शमीज
के ऊपर से ही चूस रहा था।
उसने तभी कहा- रुकिए !
मैं रुका और बोला- क्या हुआ?
उसने कहा कुछ नहीं और अपनी शमीज का हूक खोल दिया।
मैंने उसे थैंक्यू कहा और उसकी शमीज को नीचे कर दिया और उसकी नंगी
चूचियों को चूसने लगा।
अचानक मम्मी ने आवाज लगाई- बेटा लव, आओ, खाना खा लो।
स्वाति हड़बड़ाकर उठी अपने कपड़े ठीक किये और चली गई।
मैं भी उठा और पजामा ठीक किया पर मेरा लण्ड काफी तना हुआ और फ़ूला हुआ था
जो पजामे के ऊपर से भी महसूस होता था।
मैं तेजी से उठकर बाथरुम गया और हस्तमैथुन किया।
खाना खाने के बाद मैंने सोने जाते समय स्वाति से कहा- सबके सोने के बाद
मेरे कमरे में आ जाना।
उसने मना कर दिया, कहा- नहीं, यह गलत बात है ! हम दोनों भाई बहन हैं !
हमें इस तरह की बात सोचना भी नहीं चाहिए। पता नहीं क्यों मैंने आपको मना
नहीं किया ? हमने जो किया, वो हमें नहीं करना चाहिए था।
यह कह कर वो चली गई।
फिर क्या हुआ ? मैंने स्वाति और फिर अदिति को कैसे चोदा?
यह अपनी कहानी के अगले भाग में !
यह कहानी मेरी अपनी कहानी है और सच्ची है !
आपको कैसी लगी, जरूर बताईयेगा और मुझे मेल करते रहियेगा।
warmluvdesire@gmail.com

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हिंदी सेक्सी कहानियाँ लव की आत्मकथा-1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

लव की आत्मकथा-1

प्रेषक : लव कुमार
हेलो दोस्तो, हिंदी सेक्सी कहानियाँ के सभी मित्रो को मेरा नमस्कार। यह
मेरी पहली और सच्ची कहनी है।
मैं नहीं जानता कि मैंने गलत किया या सही, परन्तु मैंने जो भी किया वो
लिख रहा हूँ। दोस्तो, मेरा फ़ैसला आपके हाथों में है। अब आपको ही निर्णय
करना है कि मैंने सही किया या गलत। ज्यादा बोर न करते हुए मैं अब सीधे
अपनी कहानी पर आता हूँ।
मेरा नाम लव कुमार है। मेरा परिवार एक बड़ा परिवार है। मेरे परिवार में
मेरे अलावा मेरे पापा, मम्मी, दादा, दादी, चाचा, चाची, दो भाई और चार
बहनें है, दो मेरी और दो चचेरी। मैं अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ा हूँ।
मेरी उम्र 24 साल है। मेरी एक बहन 20 की और एक 18 की है। बड़ी का नाम
स्वाति और छोटी का अदिति। मेरे मम्मी पापा की तरह मैं और मेरे सभी भाई
बहन काफ़ी खूबसूरत हैं। मैं बचपन से ही थोड़ा शर्मीले स्वभाव का हूँ इसीलिए
मेरा कोई अच्छा दोस्त नहीं था।
तब मैं ग्यारहवीं में था। जब एक दिन खेलने के लिए जाते समय मुझे रास्ते
में एक किताब मिली उसे पलट के देखने पर मेरे होश ही गुम हो गये क्योंकि
उसमें लड़कियों की नन्गी तस्वीरें और गन्दे शब्दों वाली कहानियाँ थी। उस
समय मैंने पहली बार सेक्स की एक किताब पढ़ी। मुझे ना जाने क्या होने लगा,
मेरा पूरा शरीर एक अनजान सी गर्मी से भर गया। अचानक मेरा ध्यान मेरे अपने
लण्ड पर गया, वो दर्द कर रहा था क्योंकि मैंने जीन्स पहन रखी थी और मेरे
लन्ड को खड़े होने की जगह नहीं मिल रही थी।
मैंने उस किताब को छुपा कर रख दिया। दोस्तो, उस समय मेरी स्थिति का आप
केवल अनुमान कर सकते हैं, मुझे उस समय हस्तमैथुन का कोई ज्ञान नहीं था।
अगले दिन मैंने वो किताब अपने एक साथी को दिखाई। उसने मुझसे वो किताब ले
ली और तालाब के पीछे चला गया जहाँ शाम को इक्का-दुक्का लोग ही आते जाते
हैं। हम सब खेलने में लग गये। अचानक मुझे अन्कित का ख्याल आया जिसे कि
मैंने वो किताब दी थी। मुझे एक शरारत सूझी। सितम्बर की गर्मी थी, शाम के
7 बजे थे, मैं अन्कित को डराने के लिये चुपके से तालाब के पीछे गया। वहाँ
जाते ही मैं दंग रह गया। वो अपने खड़े लण्ड को पकड़ कर आगे-पीछे कर रहा था।
उसे देखकर मुझे जोर की हँसी आई। उसने मुझे देखा और हड़बड़ा कर अपने लण्ड को
अन्दर किया।
मैंने उससे पूछा- क्या कर रहा था?
तो उसने मुझे कहा- कभी मुठ नहीं मारा है क्या?
मैंने पूछा- यह क्या होता है?
तब उसने मुझे हस्तमैथुन करने का तरीका बतलाया।
मैंने कहा- मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता ! ऐसी गन्दी बातें मत करो।
पर अगले दिन जब नहाते समय जब मैं बाथरुम में था तब अचानक मस्तराम की वो
कहानी याद आ गई और मेरा लण्ड खड़ा हो गया। अनायास ही मेरा हाथ मेरे लण्ड
को आगे-पीछे करने लगा। क्या बताऊँ यारो ! क्या मज़ा आ रहा था ! करीब 7-8
मिनट ऐसा करते रहने के बाद अचानक मेरे हाथ की गति एकाएक ही बढ़ गई, मेरा
पूरा शरीर अकड़ने लगा, अचानक मेरी आँखें बन्द हुई और मेरे लण्ड से कुछ
निकला। मेरा पूरा शरीर एक आनन्दमय लहर से भर उठा।
30 सेकंड के बाद जब मैंनें अपनी आँखें खोली तो देखा कि बाथरुम का फ़र्श
उजले गोन्द जैसे चिपचिपे पदार्थ से भरा था। मैं डर गया और शाम में अन्कित
को अकेले में बुलाकर उसे यह सारी बात बतलाई और उससे पूछा- वो सफ़ेद सा
चिपचिपा सा क्या था?
तो उसने बताया- अरे बुद्धु ! वो ही तो वो चीज है जो लड़कियों के पेट में
बच्चा पैदा करता है इसे माल कहते हैं।
फ़िर उस घटना के बाद मैं उससे घुलमिल गया। वो और मैं अक्सर सेक्स की बातें
करने लगे। वो कहीं से मस्तराम की चुदाई वाली किताब लाता था और हम दोनों
उसे साथ बैठकर पढते थे। उसके बाद हस्तमैथुन का दौर चलता था। उसने मुझे
सेक्स के बारे में बहुत कुछ बताया।
जब मैं बारहवीं में था तब हमने होली के दिन ब्लू फ़िल्म देखी और उसी के
बाद से मेरी जिन्दगी में एक नया मोड़ आया। उस दिन अन्कित ने मुझे बतलाया
कि असली मजा तो लड़कियों को चोदने में है।
उसके बाद लड़कियों को देखने का मेरा नजरिया बदल गया।
अब लड़कियों को देखते ही मेरा ध्यान उनकी चूचियों पर जाता था और मेरे
लण्डाधिराज एक जोरदार सलामी ठोकते थे।
बारहवीं के परीक्षा के बाद मैं पटना आ गया और स्नातक की पढ़ाई शुरु कर दी।
कोचिंग पर मेरे बहुत सारे दोस्त बने और उन्होने हमें साइबर ज्ञान दिया और
शुरु हो गया नेट पर ब्लू फ़िल्म, तस्वीरें देखने का सिलसिला। इसी दौरान
मैंने अन्तर्वासना डॉट कॉम के बारे में सुना और उस पर गर्मागर्म कहानियाँ
पढ़ने लगा।
मैंने मोबाईल फ़ोन पर नेट का कनेक्शन ले रखा था और उस पर हिंदी सेक्सी
कहानियाँ  की कहानियाँ पढ़ा करता था।
अब शुरु होती है लव की जिन्दगी का वो पल जिसके बारे में मैंने कभी सोचा भी ना था।
कहानी आगे जारी रहेगी।
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हिंदी सेक्सी कहानियाँ मस्त राधा रानी-4

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

मस्त राधा रानी-4

लेखक : राज शर्मा
हाय दोस्तो ! मैं राधा एक बार फिर अपनी मस्ती के एक और किस्से को लिए राज
के साथ आपके सामने हूँ। आप सभी ने मेरी पिछली कहानियाँ
मस्त राधा रानी-1
मस्त राधा रानी-2
मस्त राधा रानी-3
पढ़ी और बेहद पसंद भी की उसके लिए आप सभी की बहुत बहुत धन्यवादी हूँ।
अब मेरे परिचय की तो जरूरत नहीं है फिर भी मेरे नए पाठकों के लिए बता दूँ
कि मैं अठारह साल की मस्त लड़की हूँ, मस्त चूचियाँ और गोल-मटोल गद्देदार
गांड ! मैं पहले चुद चुकी हूँ, अगर यह जानना चाहते हैं कि मेरी सील किसने
तोड़ी तो "मस्त राधा रानी" पढ़िए !
अब आगे की कहानी : मैं चुद्दकड़ होने लगी....
मामा जब भी आते मुझे चोद जाते। अब तो मैं चुदवाने की इतनी अभ्यस्त हो गई
थी कि लगभग हर आसन में मामा का लण्ड में अब अपनी चूत में ले लेती थी और
मामा के पसीने छुटवा देती थी।
मस्त जिंदगी चल रही थी, बस एक कमी थी कि जब मामा नहीं होते थे तो मैं
चुदवाने के लिए तरसती रहती। मुझे अब चुदवाते हुए लगभग छ: महीने हो चुके
थे।
फिर एक दिन...
मामा आये तो साथ में मोहित और उसकी पत्नी नीलम भी थी। पता चला कि नीलम
गर्भवती है और कुछ दिक्कत होने के कारण वो उसे शहर में चेक करवाने के लिए
लाये थे।
मोहित ने भी बहुत जल्दी बाज़ी मारी यार ? मन में यह बात आते ही मेरी आँखों
के सामने मोहित का वो मोटा लण्ड आ गया जो मैंने मोहित और नीलम की
सुहागरात पर देखा था।
हाय क्या मोटा लण्ड है मोहित का !
सोचते ही मेरी चूत पानी पानी हो गई। मौका देख कर मामा मेरे पास आये और
मेरी चूचियाँ मसलने लगे।
"मामा क्यों आग लगा रहे हो.. जबकि तुम्हें मालूम है कि इतने लोगो में तुम
मुझे चोद नहीं पाओगे आज !"
"मुझे मालूम है राधा रानी ! पर क्या करूँ? तुम्हें देखते ही लण्ड धोती से
बाहर आने को मचल उठता है। तुम्हारे जैसी चूत नहीं मिली थी आज तक !"
"मामा ऐसी बात मत करो ! चूत में चींटियाँ दौड़ने लगी हैं !" कहते ही मेरा
हाथ मेरी चूत पर चला गया तो पाया मेरी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी।
मामा और मैं मस्ती में थे कि हमारी मस्ती उतारने के लिए नीलम ने कमरे में
प्रवेश किया।
नीलम को करीब चार महीने का गर्भ था, अभी पेट दिखना शुरू नहीं हुआ था।
जैसे मैंने अपनी पहली कहानी में भी बताया था नीलम बहुत सुंदर और सेक्सी
है पर मामा की मानें तो मैं नीलम से ज्यादा सुंदर और सेक्सी हूँ।
नीलम आते ही मामा पर भड़क उठी, मैं घबरा कर बाहर जाने लगी तो नीलम ने मेरी
बांह पकड़ ली और बोली "तुम कहाँ जा रही हो ? चुपचाप यही खड़ी रहो, वरना
सबको बोल दूंगी और फिर तुम अपना अंजाम सोच लेना।"
मैं और घबरा गई ! मेरी शक्ल देखने लायक थी, मैं कुछ बोल भी नहीं पा रही
थी बल्कि मुझे तो अब रोना आने को था।
जैसे ही मैंने रोना शुरू किया तो मामा एक दम से हँस पड़े और नीलम से
बोले,"बहू... मजाक की भी हद होती है... रुला दिया ना मेरी राधा रानी को
!"
साथ ही नीलम भी हँस पड़ी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तभी नीलम आगे
बढ़ी और मामा की बाहों में लिपट गई। मामा ने भी बेशर्मी से नीलम के कूल्हे
सहला दिया और दूसरे हाथ से नीलम की मस्त चूची दबा दी।
नीलम भी पीछे नहीं रही और उसने अपने होंठ मेरे मामा यानी अपने ससुर के
होंठों पर रख दिए।
तो क्या मामा नीलम को भी चोदता है ???
यह बात मेरे दिमाग में एकदम से कौंध गई...
मैंने पूछा तो मामा ने साफ़ साफ़ बता दिया। मामा ने बताया कि मोहित की शादी
वाली रात जब सुहागरात पर नीलम को नंगी होकर मोहित से चुदवाते देखा था तभी
से मामा का लण्ड नीलम की चूत में घुसने को बेताब था।
अब मामा अपनी फील्डिंग जमाने लगा नीलम को चोदने के लिए ! नीलम ने भी अपने
ससुर की निगाहों को पहचान लिया था, पर एक शर्म सी थी जिसने नीलम को रोक
रखा था।
फिर एक दिन मोहित और उसकी मम्मी यानि मेरी मामी किसी काम से बाहर गए तो
घर पर नीलम और मामा रोशन लाल अकेले रह गए। मामा ने भी सोचा आज नहीं तो
फिर कभी नहीं।
दोपहर का एक बजा था, फसल कटाई का समय था तो लगभग सारा गांव खाली था। मामा
पानी पीने के बहाने से अंदर आये तो नीलम फर्श पर पौंछा लगा रही थी और
उसने दुपट्टा भी नहीं लिया था। सूट के बड़े से गले में से नीलम की मस्त
जवान चूचियाँ बाहर निकलने को हो रही थी, चूचियों के बीच की घाटी देखने
में इतनी सेक्सी लग रही थी कि नामर्द का भी लण्ड खूंटा हो जाए।
फिर मामा तो पूरा मर्द था।
"नीलम बेटा, बहुत प्यास लगी है ! कुछ पिला दो ना !"
मामा को एकदम से अपने पास देख कर नीलम अपना दुपट्टा तलाश करने लगी पर
दुपट्टा तो वहाँ था ही नहीं।
मामा की निगाहें नीलम की चूचियों पर ही टिकी हुई थी। नीलम ने अपने हाथों
से अपनी जवानी के खरबूजे को छुपाने की कोशिश की पर यह कोशिश नाकाम सी ही
थी।
मामा बोला,"बेटा, कुछ पिला दो ना....."
नीलम जैसे नींद से जागी और दरवाजे से बाहर जाने लगी पानी लाने के लिए। पर
उस दरवाजे पर तो मामा खड़ा था जब नीलम पास से निकलने लगी तो मामा ने एक
हाथ से नीलम की जवानी के खरबूजे को हलके से छू लिया।
क्या मुलायम चूची थी नीलम की !
मामा की तो जैसे अब लाटरी निकलने वाली थी अगर नीलम मान जाती है तो !
कोशिश तो करनी ही पड़ेगी अगर कुछ पाना है तो।
नीलम कुछ देर बाद हाथ में पानी का गिलास लेकर आई। अब तक उसने अपना
दुपट्टा ले लिया था। मामा ने पानी का गिलास नीलम के हाथ से पकड़ने के लिए
अपना हाथ बढ़ाया, पर यह क्या ? मामा ने तो गिलास की जगह नीलम का हाथ पकड़
लिया।
नीलम पूरी की पूरी कांप उठी !
"बाबूजी, यह आप क्या कर रहे हैं ? प्लीज ऐसा मत करो !"
मामा कुछ नहीं बोले, बस नीलम को अपने थोड़ा नजदीक खींच लिया और एक हाथ
नीलम की गदराई जवानी की निशानी पर रख दिया। मामा ने नीलम की चूची अपने
हाथ में ली और पहले हल्के और फिर एकदम जोर से मसल दिया।
नीलम सीत्कार उठी ! उसे दर्द महसूस हुआ था।
उसने अपने आपको मामा की पकड़ से छुडवाने की नाकाम सी कोशिश की। मामा ने
पानी का गिलास नीलम के हाथ से लेकर एक तरफ़ रख दिया और फिर नीलम का
दुपट्टा भी उतार कर रख दिया। नीलम कुछ बोल नहीं पा रही थी, बस अपने आपको
छुड़वाने की हल्की फुल्की कोशिश कर रही थी।
मामा ने नीलम का मुँह सीधा किया और अपने होंठ नीलम के कोमल कोमल और रसीले
होंठों पर रख दिए। नीलम पर मामा के मर्दानगी भरे हाथों का असर होने लगा
था। वो अब बहकने लगी थी। फिर मामा की लाटरी लग ही गई और नीलम ने अपना सब
कुछ मामा के सपुर्द कर दिया। अब वो मामा का पूरा साथ देने लगी थी।
मामा ने कहा,"नीलम जान, तुमने अपनी जवानी दिखा दिखा कर मुझे बहुत तड़पाया
है... आज मैं सारी कसर निकल दूंगा !"
"बाबूजी, कुछ मत बोलो, बस जो करना है वो करो ! वरना मुझे बहुत शर्म आएगी
और मैं आपका खुल कर साथ नहीं दे पाऊंगी !"
मामा भी बातों में वक्त खराब करने के मूड में नहीं था। उसने नीलम के कपड़े
उसके बदन से अलग करने शुरू किये। सबसे पहले मामा ने नीलम का कमीज उतारा
तो सफ़ेद रंग की ब्रा में कसी नीलम की चूचियाँ देख कर लण्ड फटने को हो
गया। मामा ने ब्रा के ऊपर से ही नीलम की चूचियों को चूमना और चाटना शुरू
कर दिया। नीलम की आहें और सीत्कार कमरे में गूंजने लगी थी।
नीलम का हाथ भी अब शर्मो-हया छोड़ कर मामा रोशन लाल का लण्ड तलाश करने लगा
था। तभी मामा का मूसल नीलम के हाथ से टकराया तो नीलम मामा का मोटा मूसल
का एहसास पाकर उछल पड़ी। मोहित का लण्ड बहुत मोटा था पर मामा का लण्ड तो
मोहित के लण्ड से भी ज्यादा मोटा था। मैं तो मामा का लण्ड ले चुकी थी
अपनी चूत में, मुझे मालूम है कि मामा का लण्ड चूत में कहाँ तक घुस जाता
है।
नीलम मामा का लण्ड पकड़ कर सहलाने लगी। लण्ड तो पहले से ही अकड़ कर खड़ा था।
मामा नीलम के कपड़े कम करने में व्यस्त था। कमीज के बाद मामा ने नीलम की
सलवार का नाड़ा खोला तो लाल रंग की पैंटी में कसी चूत मामा के सामने थी।
मामा ने चूत पर हाथ फेरा तो देखा कि चूत पूरी गीली हो चुकी थी। मामा ने
अब देर नहीं की और नीलम की ब्रा पेंटी भी उतार कर एक तरफ़ फेंक दी।
नीलम का नंगा बदन मामा की बाहों में झूल रहा था। मामा ने नीलम को अपनी
गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।
नीलम को लिटाने के बाद मामा ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और खड़ा लण्ड लेकर
नीलम के मुँह के पास गया। मामा को लण्ड चुसाई का मज़ा पहली बार मैंने ही
दिया था। मामा ने लण्ड नीलम के होंठो से रगड़ा तो नीलम ने मुँह खोल कर
मामा का लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मामा के मोटे लण्ड का सिर्फ सुपारा
ही नीलम मुँह में ले पा रही थी। नीलम मामा का सुपारा चूसने और चाटने लगी।
मामा भी नीलम की चूचियों को मसल रहे थे। नीलम की चूचियों के चुचूक अकड़ कर
तन गए थे जिन्हें मामा अपनी उँगलियों में पकड़ पकड़ कर मसल रहा था और नीलम
मस्ती के मारे सीत्कार रही थी।
अचानक मामा का भी दिल किया नीलम की रसीली चूत का रसपान करने का तो वो ऊपर
आकर 69 की अवस्था में आ गए। अब मामा नीलम की चूत को चाट रहे थे और नीलम
मामा के लण्ड को आइसक्रीम बनाए हुए थी। कुछ देर चाटने के बाद दोनों चुदाई
के लिए बेताब हो उठे।
नीलम बोली,"बाबूजी, अब जल्दी से लण्ड डालो इस चूत में ! नहीं मैं मर जाऊँगी।"
"तुम्हें मरने कौन बेवकूफ देगा मेरी जान !"
मामा उठा और अपना लण्ड नीलम की रस से भीगी चूत पर रगड़ने लगा। नीलम मस्ती
के मारे गांड उचका कर लण्ड को अपनी चूत में लेने की कोशिश करने लगी।
"बहनचोद ! अब क्यों तड़पा रहा है घुसेड़ दे ना अपना मूसल...."
"बहन की लौड़ी बहूचोद बोल.." कह कर मामा खी खी करने लगे।
मामा ने भी मस्ती से गाली देते हुए एक करारा धक्का नीलम की चूत पर लगा दिया।
"तेरी माँ को चोदूँ ...बहनचोद रंडी... ये ले अपने बाप का लण्ड अपनी चूत में !"
धक्का इतना करारा था कि नीलम की चूत चरमरा उठी। लण्ड की मोटाई ने चूत को
दो फाड़ कर दिया था। नीलम के लिए सहन करना मुश्किल हो रहा था। नीलम ने
बिस्तर पर पड़े तकियों को अपने हाथों में मजबूती से पकड़ रखा था ताकि वो
मामा के मूसल को अपनी चूत में पूरा उतरवा सके। वैसे तो नीलम चुदी चुदाई
थी पर अभी उसकी सील टूटे समय ही कितना हुआ था, मात्र दो महीने। जिसमें से
करीब बीस दिन तो वो अपने मायके में ही लगा आई थी। अगर मासिक के दिन भी
काट दें तो बस एक महीना ही बचता है।
मामा ने एक और जोर का धक्का लगाया और पूरा लण्ड नीलम की चूत में उतार दिया।
"बाबूजी तुम्हारा लण्ड है या मूसल... मेरी तो चूत उधेड़ डाली इसने !"
"कुछ नहीं हुआ मेरी जान ! बहुत करारी चूत है तुम्हारी... ऐसी चूत तो अगर
दिन-रात भी चुदे तो भी कुछ फर्क न पड़े !"
"आःह्ह्ह्ह्ह्ह.............. बाबूजी.... जोर से मारो धक्के..."
"बहुत दिनों के बाद इतनी करारी चूत चोदने को मिली है आज का दिन हमेशा याद रहेगा.."
"बापू तुम्हारा लण्ड भी बहुत शानदार है..... मेरी चूत का तो बेंड बजा दिया।"
"आह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्ह अह्हह्ह जोर से चोद बहनचोद....बेटीचोद !"
"हुह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह उम्म्म हुन्ह्ह्ह्ह ये ले मेरी जान आह्ह्ह मज़ा आ गया...."
"चोदो बाबूजी ! चोदो अपनी बहु को.. और जोर से चोदो... फाड़ दो आज मेरी चूत
को...आह्ह्ह्ह्ह्ह"
दोनों तरफ से धक्के पर धक्के लग रहे थे। जब मामा लण्ड अंदर डालता तो नीलम
भी अपनी गांड उचका कर मामा का पूरा लण्ड अपनी चूत में समा लेती।
मस्ती का आलम था। कमरे में चारों तरफ सिर्फ मस्ती ही मस्ती।
आहें और सीत्कार...
आह्हह्ह सीईईईईअह्हह्ह.... उम्म्मम्म...
बीस मिनट तक मामा का पिस्टन चलता रहा नीलम की चूत में और नीलम की चूत दो
बार रस फेंक चुकी थी। अब कमरे में फच्च फच्च की आवाज गूँज रही थी।
तभी मामा का शरीर अकड़ने लगा और मामा के लण्ड ने भरपूर मात्रा में वीर्य
नीलम की चूत में भर दिया और नीलम भी तीसरी बार झड़ गई। नीलम किसी लता की
तरह मामा से लिपट गई।
शाम को मामी और मोहित के आने तक मामा और नीलम ने 3-4 बार बिस्तर पर
घमासान किया। इस दौरान मामा के लण्ड ने नीलम की चूत का पुर्जा पुर्जा
ढीला कर दिया। तब से आज तक चुदाई चल रही है......
कहानी आगे जारी रहेगी !

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