Monday, August 6, 2018

FUN-MAZA-MASTI रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-13

FUN-MAZA-MASTI

रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-13


सुनील :- अपनी बाइक स्टैंड पर लगता है और फिर वार्डो की तरफ चल पड़ता है तभी उसके फोन की बैल बजती है सुनील फोन पर नंबर देखता जो एक अनजान नंबर होता है और सोच में पड़ जाता है की ये अंजना नंबर किसी का है और कुछ देर सोचने के बाद फोन उठता है
सुनील :- हेल्लो ??
अनजान :- हेल्लो
सुनील :- (दूसरी तरफ से एक रसीली आवाज़ में एक लड़की बोलती है ) हेल्लो कौन ??
अनजान :- नहीं पहेचाना ?
सुनील :- जी नहीं
अनजान :- क्या बात है जनाब इतनी जल्दी भूल गये ?
सुनील :- जनाब शब्द सुनते ही ओह्ह तुम हो संगीता तुम को कैसे भूल सकता हूँ ?
संगीता :- हा जनाब वैसे उनको याद किया जाता है जो अपने होते है
सुनील : - नहीं यार तुम तो मेरी सब से अच्छी दोस्त हो तुम को नहीं भूल सकता
संगीता :- चल जूठे अगर मैं तुम्हारी अच्छी दोस्त होती तो तुम मेरे को फोन जरुर करते जैसे मैंने किया मैं तुम से नाराज हो कर तुम्हारे घर से बिना चाय पिए ही आ गयी थी लेकिन जनाब हम को तुम्हारी याद आई तो हम से रुका नहीं गया और तुम को फोन कर लिया
सुनील :- आरे यार ऐसी बात नहीं है हमारे पास तुम्हारा नंबर नहीं था इस लिए तुम को फोन नहीं कर पाए
संगीता :- जनाब कोई किसी को याद करता है तो उसके लिए न जाने क्या कर दे और ये तो नंबर की बात ही क्या है खोजने वाले तो भगवान को भी खोज लेते है फिर नंबर कोई बड़ी चीज नहीं है
सुनील :- ( मन ही मन माँ की चूत बहुत तेज है साली एक ही दिन में इतनी आगे बाद गयी ) ओके बाबा तुम जीती गयी मैं हार गया अब बोलो तुम को मेरा नंबर कहा से मिला ?
संगीता :- चुप कर आया है बड़ा हरने वाला तेरे से मतलब कही से मिला हो और तुम को शायम को मेरे घर आना था मेरे को मैथ में सहायता करने ?
सुनील :- sorry यार मेरे को पिता जी पास हॉस्पिटल में जाना पड़ा इस लिए नहीं आ पाया
संगीता :- ओके कल आओगे ?
सुनील :- कुछ नहीं कह सकता हूँ कल के बारे में
संगीता:- ओके बाद में फोन करती हूँ अभी माँ के साथ बहार जाना है बाय
सुनील :- बाये बोल कर फोन कट देता है और संगीता के बारे में सोचने लगता है की ये कैसी लड़की है अपने आप तो नाराज हो जाती है और अपने आप ही खुश हो जाती है और ये सब सोचते हुए उसको ये भी मालूम नहीं रहता है की जिस वार्ड में उसके पिता जी है वो पीछे रह गया है तभी उसके कानो के आवाज़ आती है भाई

भाई सुनते ही वो पीछे घूम कर देखता है की संगीता उसको बोल रही है और फिर वो ऊपर वार्ड नंबर देखता है तो उसको पता चलता है की जिस वार्ड में पिता जी नही वो तो पीछे छुड गया है और फिर वो वापिस घूम कर पिता जी वाले वार्ड में चल पड़ता है सोनल उसको देख कर बोलती है भाई उधर कहा जा रहे थे
सुनील :- कही नहीं बस चलते चलते ये धयान ही नहीं रहा की पिता जी का वार्ड पीछे रह गया है
सोनल :- ओके

और फिर दोनों बहन भाई अपने पिता जी के वार्ड में आ जाते है और सुनील अपने पिता जी और मम्मा को नमस्ते करता है

राजबीर :- आ गये बेटा ?
सुनील :- हा पिता जी आ गया हूँ
राजबीर :- बेटा खाने को यहाँ रख के पहले सोनल को बहार छोड़ कर आ जल्दी से देख अगर जायदा देर हो गयी तो इसको घर जाने में बहुत प्रॉब्लम हो जाएगी लेकिन तभी सुनील का माम्मा बोलता है
माम्मा :- जीजा जी इस की जरूरत नहीं है सोनल को मैं जाते हुए रस्ते में घर छोड़ दुगा मेरे को भी उधर ही कुछ काम जाना है

राजबीर :- ये ठीक है हमारी भी परेशानी दूर हो जाएगी नहीं तो हम भी ये सोच कर परेशान रहते की सोनल घर गयी है या नहीं बेटा सुनील तुम खाना लगा दो बहुत भूख लगी है हम को
सुनील :- जी पिता जी और फिर वो खाना लगा देता है और राजबीर खाना खाने लगता है तभी सोनल बोलती है

सोनल :- पिता जी अगर मेरा काम ख़तम हो गया है तो हम लोग घर जाये ?
राजबीर :- जाओ बेटी लेकिन देख के जाना रास्ता बहुत ख़राब है
सोनल :- जी पिता जी अब माम्मा जी मेरे साथ है तो मेरे को किसी बात की चिंता है

और फिर सोनल अपने माम्मा रामबीर के साथ घर की तरफ चल पड़ती है
रामबीर एक बहुत ही चालू और लोंडिया बज होता है हर वक़्त कूट के पीछे कुते की तरफ पागल हुआ घुमाता है रामबीर अपनी बहनजी के साथ हॉस्पिटल से निकलते वक़्त सोनाली को बोलता है सोनाली बेटी
सोनाली :- जी माम्मा जी बोलो
रामबीर :- बेटी अगर तुम को जल्दी न हो तो क्या हम पहले मेरा काम कर आते है और उसके बाद मैं भी तुम्हारे साथ घर चलूगा

सोनाली :- अपने माम्मा की बात सुनकर खुश हो जाती है ठीक है माम्मा जी माँ से भी मिल लेना आप
रामबीर :- हा बेटी और फिर वह से बाईक निकल कर सहर से बहार चल पड़ता है और कुछ दूर जाने के बाद वो बोलता हो सोनाली बेटी

सोनाली :- जी माम्मा जी ?
रामबीर बेटी तुम को बाईक चलानी आती है ??
सोनाली :- नहीं माम्मा जी मैंने बहुत बार सुनील को बोल था की मेरे को बाईक चलानी सिख दे लेकिन वो सिखाता ही नहीं
रामबीर :- चल बेटी आज मैं तुम को सिख देता हूँ
सोनाली :- खुश हो कर अपने माम्मा से चिपक जाती है और बोलती है सिखाओगे माम्मा जी

रामबीर :- अपनी भांजी के नरम चूचो की चुभन अपनी कमर पर महसूस करते हुए बोलता है हा बेटी जरुर सिखायेगे मेरे बेटी को बाईक क्या हवाई जहाज सिख दू एक बार बोल के तो देखती बेटी और फिर वो बाईक को सड़क के एक किनारे पर रोक देता है और निचे उतर कर चल बेटी आ जा आगे
सोनल :- खुश होते हुए बाईक का हेंडल पकड के बाईक स्टार्ट करती है और रामबीर उसके पीछे बैठ जाता है और फिर उसको आराम आर्तम से बाईक को आगे बदने के लिए बोलता है

सोनाली राम बीर की बात सुन कर एक दम से बाईक की किलच छोड़ देती है जिस से बाईक बिच में ही बंद हो जाती है रामबीर फिर से सोनाली को बाईक स्टार्ट करने को बोलता है और अब की बार वो पीछे से सोनाली की कमर को पकड लेता है और बोलता है बेटी अब की बार आराम आराम से किलच छोड़ना
सोनाली :- जी माम्मा जी और फिर सोनाली जैसा रामबीर ने बोल था वैसा ही करती है लेकिन अब की बार फिर से बाईक बंद हो जाती है

रामबीर :- अपने दोनों हाथो को सोनाली के हाथो के निचे से निकल कर हेन्दिल को पकडता है और ऐसा कारने से उसकी बाजुए सोनाली के चूचो के साइड में टच करती है और वो सोनल को बोलता है की बेटी अब मेरे हाथो के निचे सेपक्दो और जितना मैं बोलू उतनी ही रेस देना ये बोल कर अपने दोनों पेरो को सोनल के पैरो से चिपका के निचे से बाईक को पहले गियर में डालता है और फिर सोनल को बोलता है की बेटी अब आराम आराम से रेस दे कर किलच छोड़

सोनल :- रामबीर की बात को समझ कर आराम आराम से किलच छोडती है जिस से बाईक सड़क पर चलने लगती है अब रामबीर अपने हाथो को हेंडिल से हटा कर सोनल के पेट के ऊपर सेसोनल को पकड लेता है और उस से एक दम से चिपक के बैठ जाता है और अपना मुह सोनल के सोल्डर पर रख देता है

रामबीर :- सोनल के पेट को पकड के उसको आराम आराम से सहलाने लगता है और बिच बिच में अपने हाथो को सोनल के चूचो को भी टच करता है सोनल अपनी बाईक चलने की मस्ती में थी वो इस सब से अनजान थी की उसका माम्मा उसके साथ क्या कर रहा हैऔर रामबीर सोनल को कुछ बोलता न देख कर उसकी हिमत थोड़ी और बाद जाती है और अपने हाथ को अब वो सोनल की सतलो पर रख देता है और उसको प्रेस करने लगता है ऐसा करते हुए उसका लंड पूरा सकत हो जाता है रामबीर का लंड जब सोनल की गांड में चुब्ने लगता है तो सोनल को उसकी गर्मी महसूस होने लगती है और फिर बोलती है
सोनल :- माम्मा जी आप पीछे क्या ले रहे हो
रामबीर :- कुछ नहीं बेटी क्या हुआ ?
सोनल :- पता नहीं माम्मा जी पीछे कुछ चुभ रहा है
रामबीर :- कुछ नहीं है बेटी तुम बाईक चलने में धयान रखो नहीं तो बाईक कही भीड़ जाएगी
सोनल :- ठीक है माम्मा जी और फिर अपना सारा ध्यान बाईक चलने में लगा देती है
और उधर रामबीर सोनल की साथलो को shalate हुए अपने हाथ को और आगे बड़ा देता है जिस से उसकी उंगलिया सोनल की चूत को टच होने लगती है
सोनल :- रामबीर की उंगलिया चूत पर लगने से उसका पूरा बदन काप उठता है लेकिन वो कुछ नहीं बोलती बस बाईक चलती रहती है और ये सोचती है की ये सब अनजाने में हो रहा है माम्मा जी उसके साथ ऐसा क्यों करेगे

ये सोच कर वो कुछ नहीं बोलती क्यों की उसको भी माम्मा जी की उंगलियों से एक अजीब सा सुख मिल रहा है और वो भी चुप चाप रह कर चूत में होने वाली हलचल का पूरा मजा ले रही थी और माम्मा जी भी अब पुरे गर्म हो गये थे और अब उसको और सहन करना मुस्किल्हो गया था वो नहीं चाहता था की एक दम से वो सोनाली को छोड़ डाले वो सोनाली को पड़े प्यार से और आराम आराम से अपने जल में फ़साना चाहता था इस लिए वो सोनाली को बोलता है
रामबीर :- सोनाली बेटी जरा कही साइड में बाईक लगा के रोक ले
सोनाली :- क्यों माम्मा जी क्या हुआ ??
रामबीर :- कुछ नहीं बेटी मेरे को बड़े जोर की लगी है
सोनाली :- जी माम्मा जी और सोनल बाईक रोक देती है
रामबीर :- जल्दी से बाईक से उतर कर सड़क के किनारे से थोड़ी सी अंदर उगी हुई झाड़ियो में घुस जाता है और अपनी पन्त को निकल कर अपने लंड को हिलाने लगता है और बार बार सोनल का नाम ले कर मुठ मरता है ओह्ग सोनल बेटी क्या चूत है तेरी ओह आआआआआअ



काफी देर होने के बाद जब रामबीर नहीं आता है तो सोनल झाड़ियो के पास जाती है तभी उसको हाआआअ सोनल के आवाज़ सुनाई देती है वो ये सब सुन कर हैरान हो जाती है की ये कौन है जो मेरा नाम ऐसे ले रहा है और ये ही देखने के लिए वो थोडा और आगे बढ जाती है और सामने का नजारा देख कर चौक जाती है की उसका माम्मा उसका नाम लेकर लंड को हिला रहा है



और उसकी समझ में कुछ नहीं अत बस पत्थर के बुत की तरह वही खड़े हो कर देखती है की उसके माम्मा की अब ससे तेज हो गयी है और पूरा बदन अकड़ने लग गया है और वो और जोर जोर से सोनल बेटी इ लव यू ओह बेटी क्या चूत है तेरी ओह आआआआआअ करते करते अपने लंड से देर सारा पानी छोड़ने लगता है



अपने लंड से पानी छोड़ कर राम बीर चैन की सास लेता है और फिर अपनी पेंट पहने लगता है सोनल माम्मा जी को पेंट पहनते देख जल्दी से वह से भाग कर बाईक के पास आ जाती है

सोनाली बाईक के पास आ कर खड़ी तो हो जाती है लेकिन उसकी चूत में एक सुर्सराहट पैदा हो जाती है और फिर वो अपने हाथ को निचा कर के अपनी चूत पर लगाती है तो उसकी उंगलियों को कुछ गीलापन महसूस होता है और तभी रामबीर वह आ जाता है सोनाली रामबीर को देख जल्दी से हाथ को चूत के ऊपर से हटाती है और रामबीर को बोलती है
सोनाली :- माम्मा जी कहा रहगए थे आप इतनी देर लगा दी
रामबीर :- कही नहीं बेटी जरा हमरी पेंट की चैन ख़राब हो गयी थी इस लिए देर लग गयी
सोनाली :- मन ही मन (मैं जानती हु मम्मी जी आप की कौन सी चैन ख़राब हो गयी थी ) अब हो गयी ठीक मामाजी आप की चैन
रामबीर :- हा बेटी हो गयी ठीक
सोनाली :- ओके माम्मा जी अब चले नहीं तो तुम को जिस से मिलना है वो निकल जायेगा अगर हम यहाँ बाते करते रहे तो
रामबीर :- अपनी घडी में टाइम देखता है ओह बेटी ये तो टाइम बहुत जायदा हो गया है अब तो शायद वो न मिले
सोनाली :- फिर क्या करे माम्मा जी ?
रामबीर :- चल बेटी घर चलते है अब मेरे को भी घर जाने में देर हो गयी है
सोनाली :- ठीक है माम्मा जी आज आप घर पर ही रुक जाना
रामबीर :- लेकिन बेटी वह तुम्हारी मम्मी जी और तुम्हारी बहन रजनी घर पर अकेली है
सोनाली :- माम्मा जी उन को फोन कर देना ना
रामबीर :- चल बेटी ठीक है और फिर रामबीर बाईक स्टार्ट करता है तभी
सोनाली :- माम्मा जी आप पीछे ही बैठे बाईक मैं चलाऊगी
रामबीर :- (मन ही मन खुश हो जाता है क्यों की वो घर तक पूरी मस्ती के साथ सोनाली के बदन का मजा ले सकेगा ) ठीक है बेटी चलो
सोनाली :- बाईक का हैंडल पकडती है और बोलती है माम्मा जी आप बैठ जाये मेरे पीछे
रामबीर :- बेटी मैं बैठ गया हु चलो अब आराम आराम से रेस दे कर किलाच को छोडो
सोनाली :- रामबीर जैसा बोलता है वेसे ही करती है और फिर बाईक को ले कर घर की तरफ चल पड़ती है और रामबीर अपने हाथो को फिर से सोनाली की साथलो पर अपना हाथ रख देता है और सोनाली को बोलता है देख के बेटी आराम से चलाओ सोनाली का ध्यान रामबीर की बातो में चला जाता है और उसको सडक के बिच बने हुआ खड़ा दिखाई नहीं देता जिस से बाईक खड़े में घुस जाती है और सोनाली का ब्लंस बिगड़ जाता है और बाईक सडक के किनारे बने हुए जंगल में घुस जाती है जंगल में थोरी सी दूर चलने के बाद वो गिर जाते है और दोनों गिरने के बाद साथ बनी हुयी ढलान में से लुदकते हुए घने जंगले में घुस जाते है लेकिन बाईक जायदा तेज ना होने के कर्ण दोनों को थोड़ी बहुत ही खुरच आई थी वो भी तब जब वो ढलान में से लुदकते हुए निचे घने जंगल; में जाते है
रामबीर अपने आप को संभालता है और फिर उठ कर सोनाली को देखता है लेकिन घन अँधेरा होने के करण उसको सोनाली कही भी नहीं दिखाई देती है और फिर जोर से आवाज़ देता है सोनाली बेटा सोनाली बेटी सोनाली फिर रामबीर को किसी के करहने की आवाज़ सुनाई देती है और रामबीर उधर जाता है जिधर सीवाज़ आ रही थी कुछ दुरी पर चलने पर उसको सोनाली दिखाई देती है जो झाड़ियो में फासी हुयी थी
रामबीर :- सोनाली बेटी
सोनाली :- माम्मा जी
रामबीर :- हा बेटी तुम ठीक हो ना
सोनाली :- हा माम्मा जी बस थोर झाड़ियो में फस गयी हु और आप ठीक हो मम्मा जी
रामबीर :- हा बेटी मैं ठीक हु और फिर वो सोनाली को झाड़ियो में से निकलता है और फिर
सोनाली :- माम्मा जी हम कहा आ गये है
रामबीर :- पता नहीं बेटा कहा आ गये है और यह से तो रोड भी नहीं दिख रहा है बेटी और मोसम भी बहुत ख़राब हो रहा है
सोनाली :- हा मम्मा जी लेकिन अब हम क्या करे ?
रामबीर :- बेटा अब तो सुबह ही यहासे निकल जा सकता है
सोनाली :- लेकिन माम्मा जी घर पर माँ बहुत परेशान हो जाएगी अगर हम घर ना पहुचे तो
रामबीर :- बेटा मैं देखता हूँ अगर फोन में नेटवर्क मिल गया तो मैं घर फोन कर देता हु की रस्ते में बाईक ख़राब हो गयी है इस लिए हम थोडा लेट हो जायेगे अगर मिस्त्री नहीं मिला तो सुबह ही घर आया जायेगा
सोनाली :- ठीक है माम्मा जी
और फिर राम बीर फोन निकलता है लेकिन फोन में नेटवर्क ना होने से वो फोन नहीं कर पते है और फिर अपने फोन की टोर्च जलता है और एक पगडण्डी देखता है और फिर वो पगडण्डी के सहारे जंगल से निकलने की कोशिश करते है लेकिन वो पगडण्डी उन को और घने जंगल में ले जाती है और तभी असमान से बिजली चमकने लगती है और बादल जोर जोर से गरजने लगते है बदलो की गर्जन सुन कर सोनाली डर के अपने माम्मा से चिपक जाती है रामबीर सोनाली को ऐसे चिपके देख वो सोनाली को बोलता है क्या हुआ बेटी ?
सोनाली :- मामा जी मेरे को बहुत डर लग रहा है
रामबीर :- उसकी कमर पर से हाथ फेरते हुए बोलता है बेटी मामा जी तुम्हारे साथ है तो फिर डर किस बात का है और तभी जोर से मुसलाधार बरसात शरु हो जाती है और दोनों बरसात से बचने के लिए एक पेड़ के निचे छिप जाते है लेकिन बरसात इतनी जोर की थी की पेड़ भी उनको भीगने से नहीं बचा पाती है और अब दोनों को ठण्ड लगने लगती है तभी रामबीर बोलता है
रामबीर :- बेटी सोनाली
सोनाली :- हा मामा जी



रामबीर बेटी हम पुरे भीग गये है और यहाँ कब तक खड़े रहेगे अब हम को कोई ऐसा स्थान खोजना होगा झा हम अपने कपडे भी सुख ले और बरसात और ठंडसे भी बच जाये
सोनाली :- आप ठीक बोल रहे हो मामा जी

और दोनों वह से से चल पड़ते है कुछ दूर चलने पर उन को एक मकान दिखाई देता है और दोनों उस मकान में जा कर आवाज़ लगते है कोई है क्या लेकिन अंदर से कोई आवाज़ नहीं आती है
फिर रामबीर सोनाली को बोलता है
रामबीर :- बेटी लगता है कोई नहीं है अंदर
सोनाली :- मामा जी आप आगे बाद कर दरवाजे को नोक करो शायद कोई अंदर सो रहा हो
राम बीर :- ठीक है बेटी और फिर आगे बाद कर जैसे ही दरवाजे को नोक करता है तो दरवाजा उसका हाथ लगते ही अपने आप खुलता चला जाता है ये देख के रामबीर हैरान हो कर सोनाली की तरफ देखता है और फिर वो दरवाजे के अंदर घुस जाता है और वह पर कोई नहीं था बस एक लालटेन थी जो अब भी जल रही थी वो ही उनको ये बता रही थी की यह कुछ देर पहलेतक कोई था लेकिन अब यहाँ कोई नहीं है वह पर कुछ सारिया और एक अंगीठी जल रही थी ये सब देख कर रामबीर को चैन की सास आती है तब उसके फोन की घंटी बजती है तो वो फोन को देख्तःई की पोहों उसकी बहन सुमित्र का था
सुमित्रा :- हेल्लो भैया
रामबीर :- हा सुमित्रा
सुमित्रा :- भाई तुम कहा हो ?
रामबीर :- सुमित्रा मैं सोनाली को लेकर घर ही आरहा था लेकिन मेरे को कुछ काम से सहर से बहार जा रहे हायवे पर जाना पड़ा गया और फिर रस्ते में हमारी बाईक ख़राब हो गयी जिस से हम को आने में देर हो गयी और कोई भी मिस्त्री हम को नहीं मिला तो हमको यहाँ मेरे दोस्त के पास ही रुकना पड़ा
सुमित्रा :- ठीक है भाई लेकिन सोनाली कहा पर है
रामबीर :- येही है बात करोगी उस से
सुमित्रा :- हा भाई करवाओ मेरी बात उस से
तभी रामबीर बहर्जता है और सोनाली को अंदर बुलाता है और बोलता है ये लो बेटी तुम्हारी माँ का फोन है सोनाली फोन अपने मामा से लेती है
सोनाली :- हेल्लो माँ
सुमित्रा :- हा बेटी कैसे हो तुम ??
सोनाली :- माँ मैं ठीक हूँ यहाँ बरसात बहुत जोर से हो रही है इस लिए यहासे निकलने में परेशानी हो रही है
सुमित्रा :- ठीक है बेटी बहुत चिंता हो रही थी की तुम अब तक घर नहीं लोटी हो अब तुम से बात कर ली है तो अब कुछ जा कर शांति मिली है
सोनाली :- चिंता ना करो माँ मेरे साथ मामा जी है ना
सुमित्रा :- हा बेटी वो तो है चल ठीक है अब तुम लोग बरसात रुकने पर आ जाना और ये बोल कर फोन कट देती है सोनाली फोन अपने मामा जी को देते हुए बोलती है
सोनाली :- मामा जी यहाँ तो कोई दिखाई नहीं दे रहा है
रामबीर :- हा बेटी कोई नहीं है लेकिन हमारे लिए तो अच्छा ही है ना की हम को इस जंगले में सर छिपाने की जगह मिल गयी है
सोनाली :- हा मामा जी और ये बोल कर वो अंगीठी के साथ जा कर बैठ जाती है

और तभी रामबीर की नजर सोनाली के बदन पर पड़ती है क्यों की सोनाली के कपडे बरसात में पुरे भीग गये थे और वो उसके बदन को चिपके हुए थे जिस से सोनाली के चूचो के पिंक निप्पल सोनाली की शर्ट में साफ दिख रहे थे



जिस को देख कर रामबीर का लंड फिर से अपनी ओकात के आने लगता है और सोनल पूरी भीगे होने के कर थर थर कप रही होती है तभी रामबीर उसको बोलता है बेटी तुम एक कम करो अपने कपड़ो को उतर के यह पर पड़े हुए कुछ कपड़ो में से कोई एक देख कर पहन लो और अपने कपड़ो को अंगीठी के पास सूखने के लिए दल दो नहीं तो ये ठण्ड तुम को बीमार कर देगी बेटी

सोनाली :- जी मामा जी लेकिन आप यहाँ को तो आप के सामने मैं कैसे अपने कपडे बदलू
रामबीर :- आरे बेटी तुम एक साड़ी को बिच में बांध लो जिस से मेरे को साड़ी के दूसरी तरफ का नहीं दिखेगा और फिर तुम अपने कपडे बादल लेना
सोनाली :- जी मामा जी ये ठीक रहेगा और फिर वो एक साड़ी को कमरे के बीचो बिच बांध लेती है और फिर अपनी shrt को utarti है



और फिर अपनी पेंट को उतरती है











राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ

FUN-MAZA-MASTI रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-12

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रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-12

सुनील :- हेल्लो माम्मा जी

माम्मा जी :- हा बेटा सुनील
सुनील :- हा माम्मा जी बोलो ?
माम्मा जी :- बेटा सुनील तुम सोनल की चिंता मत करना वो मेरे पास यहाँ हस्पताल में है
सुनील :- ठीक है मम्मा जी लेकिन उसको घर तो बता के आना था यहा हम सब कितने परेशान थे उसके न आने से

मम्मा जी :- बेटा वो तो घर ही आ रही थी लेकिन मैंने कुछ काम था इस लिए मैंने उसको सीधा यहाँ आने को बोल था
सुनील :- ओके मम्मा जी अब पिता जी तबोयत कैसे है ?
मम्मा जी :- बेटा उसकी तबियत पहले से अच्छी है अब कुछ दिन में उन को छुट्टी मिल जाएगी और बेटा आज रात को तुम अपने पिता जी के पास आ जाना क्यों की मेरे को गाव में जाना होगा और रात को तुमने ही यहाँ रूकना होगा

सुनील :- ठीक है मम्मा जी मैं आ जाउगा अब मैं घर जा कर माँ को बता देता हूँ की सोनल पिता जी पास हॉस्पिटल में वो भी बहुत चिंतित है सोनल के लिए और ये बोल कर सुनील फोन काट देता है !
और सीधा घर चला जाता है और फिर अपनी मोटर साईकल को खड़ा कर के घर के अंदर आता है तो घर में उसको अपनी माँ सुमित्रा देवी कही भी दिखाई नहीं देती है वो ये sochta है की माँ कही पड़ोस में तो नहीं गयी है ये ही सोच कर अपने रूम में जाने लगता है तभी उसको बाथरूम में से पानी गिरने की आवाज आती है पानी गिरने से वो समझ जाता है की सुमित्रा देवी नाहा रही है और ये मन में आते ही उसकी आखो के सामने उसको वोही दर्शय सामने आ जाता है जब कांता देवी उसकी माँ के साथ सेक्स कर रही थी लेकिन उसके आ जाने से वो कांता के साथ पूरी तरह से मस्ती नहीं कर पाई थी बस फिर क्या था सुनील जल्दी से साथ वाले रूम में घुस जाता है जहा बाथरूम का दूसरा दरवाजा था और उसमे एक छेद था सुनील उस छेद में अपनी आख लगा कर देखने लगता है



सुमित्रा देवी :- बाथरूम के अंदर बिना काछी के और एक पुरे गले की बनियान में है और अपने मोटे चूचो के ऊपर से हाथ फेर रही है और एक हाथ से अपनी चूत को मसल रही थी ऐसा करते हुए उसकी आखे बंद थी जिस से ये पता चल रहा था की इस समय सुमित्रा देवी अपनी एक अलग ही मस्ती में खोयी हुयी है और उसको खा क्याहो रहा है उस से कोई मतलब नहीं है इस समय तो बस उसको अपनी छुट को शांत करने वाला कोई चाहिए ये सब देखते ही सुनील का लंड एक दम से पूरा सकत हो जाता है और वो भी अपने लंड को बहार निकल कर आराम आराम से हिलाने लगता है
और उधर सुमित्रा देवी अब आराम आराम से अपनी बनियान को भी निकल देती है



और अपने मोटे चुचो को देखती है फिर उन पर हाथ फेर कर अपनी जिह्वा को चूचो के निप्पल पर से फेरने लगती है और फिर आईने के सामने खड़ी हो कर मुस्कराती है और अपने हाथ को फिर से आराम आराम से निचे की तरफ le जाती है और अपनी चूत पर रख देती है
उधर सुनील ये सब देख कर पूरा गर्म होता जा रहा था और लंड को दोनों हाथ से पकड के मुठ मरने लगता है



और सुमित्रा अपनी चूत को चूत के लिप्स को खोल कर अपनी ऊँगली से चूत के दन्ने को हिलाने लगती है और एक हाथ से अपनी चुचु को पूरी जोर जोर से मसलती है



और कुछ देर बाद सुमित्रा की आखे बंद हो जाती है और ससे जोर जोर से चलने लगती है और फिर उसका बदन दो चार झटके देता है और उसका देर सारा पानी चूत में से बहाने लगता है पानी निकलने के बाद सुमित्रा अपनी चूत को देखती है और फिर मन ही मन शांति की सास ले कर साबुन उठा कर अपने बदन पर लगाने लगती है और रगद रगद के अपने चूचो को धोती हियो और फिर साबुन को चूत पर लगाती है और चूत को रगड कर साफ कर के अपने तोलिये से अपने बदन को पूछने लगती है



और उधर सुनील अपनी माँ का नाम ले कर अपना हाथ पूरी जोर से हिलाने लगता है और फिर कुछ देर बाद उसका लंड भी पानी छोड़ देता है



और अपने लंड को एक कपडे से साफ़ कर के बहार आ कर होल में बैठ जाता है

और तभी सुमित्रा देवी एक तोलिये को अपने चूचो के ऊपर तक और निचे घुटनों तक लपेट कर और एक तोलिये को अपने भीगे बालो पर लपेट कर बहार आती है बहार आते ही वो वो सुनील को होल में बैठा देखती है



सुमित्रा देवी :- बेटा आ गया ?
सुनील :- अपनी माँ को देखता है की उसकी माँ कितनी सुंदर है वो उसको आज नंगा देखने पर पता चलता है हा माँ आगया और फिर बोलता है माँ सोनाली हॉस्पिटल में है मम्मा जी का फोन आया था की उन्होंने सोनाली को सीधा ही हॉस्पिटल में बुला लिया था इस लिए वो घर नहीं आई

सुमित्रा देवी :- हा बेटा मेरे को मालूम हो गया है तुम्हारे मम्मा जी ने मेरे को भी फोन कर दिया था तुम्हारे मम्मा जी का फोन आने पर ही मैं नहाने गयी थी और बेटा तुम भी जल्दी से तैयार हो जाओ
तुम को अपने पिता जी का खाना लेकर हॉस्पिटल में जाना है

सुनील :- ठीक है माँ और फिर अपने रूम में जाता है और अपने कपडे निकल कर बात रूम में नहाने घुस जाता और बाथरूम का दरवाजा पूरा बंद करने के बजाये थोडा सा ढाल लेता है क्यों की सुमित्रा तो अभी किचन में खाना बना रही इस लिए उसको किसी के आने का डर नहीं होता और नहाने से पहले वो अपने लंड को देखता है और उस पर उगे हुए बालो को देखता फिर सोचता है क्यों न माँ जब तक खाना बनाये तब तक वो अपने बालो को साफ कर ले और ये सोच कर वो अपने बालो को साफ करने लगता है और बल साफ करते हुए उसको कुछ देर हो जाती है तब तक सुमित्रा खाना बना कर सुनील को देखने उसके रूम में आती है क्यों की उसको रूम में घुसे हुए काफी टाइम हो गया था जैसे ही वो रूम का दरवाजा खोलती हैभी उसकी नजर सुनील के कपड़ो पर पड़ती है जिस से वो समझ जाती है की सुनील बाथरूम में नहा रहा है और वो उसका बहार निकलने का इंतजार करने लगती है



और उसके मैले कपड़ो को उठा कर उसके रूम को साफ करने लगती है तभी उसकी नजर सामने आईने पर पड़ती है जिस में से वो सुनील को नंगा देख कर चौक जाती है लेकिन तभी उसकी नजर सुनील के बड़े लंड पर पड़ती है जिस से देख कर वो हैरान हो जाती है की इतना बड़ा लंड इस उम्र में अगर इस उम्र में इतना बड़ा लंड है तो आगे क्या होगा वो सुनील के लंड को देखते देखते गर्म होने लगती है और उसका हाथ उसकी चूत पर चला जाता है उसकी चूत पानी छोड़ने लगती है वो हैरान थी की अभी कुछ देर पहले जिस चूत को उसने मुठ मर के शांत किया था वो फिर से गर्म हो रही है उसकी चूत इतनी जल्दी तो कभी राजबीर का लंड देख के भी गर्म नहीं हुयी जितनी जल्दी से अपने बेटे का लंड देख कर गर्म हो गयी है



और वह वही पर अपनी साड़ी को ऊपर कर के चूत को मसलने लगती है लेकिन उसको ये डर भी सता रहा होता है की कही उसका बेटा न आ जाये और उसको ऐसा करते देख कर क्या सोचेगा ये ख्याल उसके मन में आते ही वो अपने बेटे के रूम से बहार निकल जाती है और फिर अपने बेटेके लिए खाना लगाने लगती है कुछ देर में खाना लगा कर वो फिर से अपने बेटे को बुलाने उसके रूम में जाती और वो बिना ही दरवाजा नोक किये सीधा ही अंदर घुस जाती है और जैसे ही वो अंदर घुसती है तो को सामने का दर्शय देख के एक दम से पत्थर का बुत बन के खड़ी हो जाती है और ये ही हाल सुनील का होता है क्यों की सुनील बिना कपड़ो के एक दम से नंगा खड़ा थावो अपने कपडे पहने की तेयारी में था और तभी सुमित्रा रूम में घुसी थी इस लिए वो एक दुसरे को देख कर चौक जाते है फिर सुनील को होश आता है की वो एक दम से नंगा खड़ा है और जल्दी से तोलिये को उठा कर अपने लंड के सामने लगता है



और जोर से चीखता है
सुनील :- माँ ये क्या है कम से कम दरवाजा नोक कर के आती
सुमित्रा :- अपने बेटे को इस तरह से चीखता देख कर वो भी उस पर गुस्सा हो जाती है और बोलती है क्या तुम दरवाजा बंद कर के कपडे नहीं पहन सकता था जो मेरे ऊपर इतना चीख रहा है

सुनील :- अपने माँ को वापिस अपने ऊपर चीखते देख कुछ नरम होता है और बोलता है सॉरी माँ आगे से ऐसा नहीं होगा
सुमित्रा :- ठीक है जल्दी से निचे आजा तुम्हारा खाना लगा दिया है तुम खाना खा कर अपने पिता जी खाना ले जाना और अपनी बहन सोनल को घर जल्दी से भेज देना और ये बोल कर उसके रूम से निकल जाती है और मन ही मन सोचने लगती है की ये मेरे को क्या होगा था जो अपने बेटे पर ही चीखने लग गयी गलती तो मेरी ही थी जो बिना नोक किये मैं रूम में घुस गयी और उसको अपने ऊपर गुस्सा आने लगता है ये जो हुआ वो सब गलत हुआ है ऐसा नहीं होना था और मैं भी अपने बेटे को नंगा देखती रही और इन्ही सब के बारे में सोचते हुई वो खाने की टेबल पर बैठ के बेटे का इंतजार कर रही थी और तभी सुनील निचे आ कर टेबल पर बैठ जाता है लेकिन उसकी हिम्मत अपनी माँ से नजर मिलाने की नहीं थी क्यों की आज वो सब हो गया जिस का अंदाजा शायद दोनों माँ बेटे में से किसी को भी नहीं था और वो चुप चाप नज़ारे झुकाए टेबल पर बेठा रहता है और सुमित्रा भी अपने बेटे से नज़ारे चुरा कर उसको खाने की पलेट देती है और सुनील खाना खा कर अपने हाथ धोने लगता है और सुमित्रा बिना बोले ही टेबल पर खाने का टिफन रख देती है सुनील टिफिन लेकर हॉस्पिटल चला जाता है !













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FUN-MAZA-MASTI रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-11

FUN-MAZA-MASTI

रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-11

संगीता :- सुनील की बात सुन कर मन ही मन मुस्कराती है और फिर एक चुटी सुनील को कटती है कहा खो गये हो जनाब
सुनील :- एक दम से नींद से जगता है और बोलता है कही नहीं बस ऐसे ही कुछ सोच रहे है और फिर ऊपर से निचे तक देखते हुए बोलता है क्या बात है आज किसी का कत्ल करने का इरादा है?

संगीता :- सुनील को देखते हुए बोलती है है तो किसी के कत्ल का इरादा लेकिन लगता है उसका क़त्ल इतनी आशानी से नहीं होगा
सुनील :- अच्छा तुम को कैसे मालूम की उसका क़त्ल इतनी आशानी से नहीं होगा मेरे को तो लगता है की उसका क़त्ल हो चूका है

संगीता :- अच्छा चलो अच्छी ही बात हैअगर उसका क़त्ल हो गया है तो अब जनाब का दर्द कैसे है ?
सुनील :- अब पहले से अच्छा है कुछ दर्द की गोलिया ली थी उस से आराम है अब तुम जल्दी से चलो मेरे को घर छोड़ दो घर पर सब परेशान हो रहे होगे

संगीता :- चल फिर मैं तेरे को छोड़ कर आती हु उसके बाद मेरे को मेरी फ्रेंड के घर जाना है !
और फिर अपनी माँ को सुनील को उसके घर छोड़ के आने को बोल कर बहार निकल जाती है और अपनी स्कूटी को स्टार्ट करती है और तभी
सुनील :-बहार आता है और उसको स्कूटी को चलते देख उसको बोलता है चल पीछे बैठ मैं चलता हूँ

संगीता :- क्यों क्या पीछे बैठने में शर्म आती है तुम को ?
सुनील :- शर्म तो नहीं आ रही है लेकिन मेरे को डर लगता है कही तुम एक्सीडेंट न करदो अभी तो पैर ठीक भी नहीं हुआ है और तुम कही और से न तोड़ दो

संगीता :- सुनील को देखते हुए तोडुगी लेकिन टांग नहीं कुछ और तोडुगी !
सुनील :- को उसकी बात अच्छी तरह से नहीं सुनी थी बस इतना ही सुन पाया की संगीता कुछ बोल रही है लेकिन क्या बोल रही है उसका उसको नहीं मालूम और वो संगीता को बोलता है की क्या कहा तुमने अभी ?

संगीता:- कुछ नहीं और स्कूटी से निचे उतर जाती है लो जनाब अब चलो
सुनील :- आगे बढ कर स्कूटी को उससे लेता है और संगीता को पीछे बैठने को बोलता है

संगीता :- सुनील के पीछे बैठ जाती है और सुनील स्कूटी को लेकर अपने घर की तरफ निकल पड़ता है रस्ते में जगह जगह खड़े होने के कारण उसको बार बार break मरने पड़ते है जिस से संगीता के मोटे चुचे सुनील की पीठ में गड़ जाते है और संगीता भी इस चीज का फायदा उठा कर सुनील से चिपक के बैठ जाती है ऐसा करने से सुनील को bahut मजा आता है अब तक कोई भी सुनील से ऐसे चिपक के बैठता तो उसका लंड एक दम से पूरा सकत हो जाता है लेकिन संगीता में न जाने क्या बात थी की उसके सपर्श मात्र की वो सुख मिल रहा था जो अब तक कांता और लाली की चुदाई में भी उसको नहीं मिला था

संगीता :- क्या बात है जनाब किस के खयालो में खोये हो कुछ बोलोना
सुनील :- किसी के नहीं यार
संगीता :- तो तुम से एक बात पूछु ?
सुनील :- पूछो
संगीता :- तुम्हारी कोई प्रेमिका है सच सच बताना मेरे को
सुनील :- नहीं यार ऐसी हमारी किस्मत कहा है
संगीता :- मैं नहीं मानती की तुम्हारी कोई प्रेमिका नहीं है
सुनील :- तुम मनो या न मनो लेकिन मेरी कोई प्रेमिका नहीं है
संगीता :- अच्छा तुम किसी को चाहते हो और उसको नहीं पता हो ऐसी कोई है ?
सुनील :- थोडा सा उदास होते हुए नहीं ऐसी कोई नहीं है और अब आप इस बारे में कोई बात न करे तो ठीक रहेगा
संगीता :- ठीक है बाबा नहीं करती लेकिन इस से एक बात का तो पता चल गया है
सुनील :- किस बात का ?
संगीता :- इस बात का की तुम किसी से प्यार करते हो
सुनील :- तुम ये बात कैसे कह सकती हो ?
संगीता :- मैंने तुम से किसी से प्यार करने के बारे में पूछा तो तुम्हारा चहरा पहले से उतर गया है इस बात से अंदाजा लगाया है मैंने
सुनील :- थोडा सा और नाराज होते हुए नहीं ऐसी कुछ बात नहीं है
संगीता :- लगता है तुम मेरे को अपनी दोस्त नहीं मानते हो
सुनील :- नहीं यार मैं तुम को अपना अच्छा दोस्त मानता हूँ
संगीता :- अगर मानते तो मेरे से तुम जरुर बताते
सुनील :- कुछ नहीं बोलता बस उसकी बाते सुनता रहता है तभी उसका घर आ जाता है और स्कूटी रोकता है तो संगीता निचे उतर कर डोर बैल बजती है डोर बैल बजने कुछ देर बढ सुमित्रा दरवाजा खोलती है और दरवाजा खोलते ही प्रश्नों की बरसात कर देती है सुनील के ऊपर

सुनील :- माँ पहले अंदर तो चले फिर मैं तुम्हारे सभी प्रशनो के उतर देता हूँ पहले इस से मिलो ये है कांता आंटी की बेटी संगीता
संगीता:- नमस्ते आंटी
सुमित्रा :- नमस्ते बेटी बहुत बड़ी हो गयी है अब तो तू तेरे को छोटी सी थी तब देखा था चल बेटी अंदर चल के बात करते है
संगीता:- नहीं आंटी अभी मेरे को जाना होगा
सुमित्रा :- नहीं बेटी ऐसे कैसे जा सकती हो इतने दिनों के बढ तो हमारे घर आई हो
संगीता :- आंटी जी मैं फिर कभी आ जाउगी अभी मेरे को मेरी सहेली के घर जाना है
सुमित्रा :- नहीं बेटी ऐसे नहीं जाने दुगी और उसको पकड़ के जबरदस्ती से अंदर ले जाती है
अंदर जाते ही
सुमित्रा :- अच्छा बेटी ये बता क्या करती हो ?
संगीता :- बस आंटी जी अभी मैंने +२ किया है
सुमित्रा :- ठीक है बेटी तुम बैठो मैं चाय बना के लती हूँ और फिर सुमित्रा चाय बनाने रसोई में चली जाती है और सुनील और संगीता होल में सोफे पर बैठ जाते है सुनील संगीता की तरफ देखता है तो संगीता सुनील को मुह बना कर दिखाती है जैसे वो सुनील से बहुत नाराज हो
सुनील :- (मन ही मन क्या हुआ साली को जो अब तक तो अच्छी भली थी और अब मुह बना रही है ) और फिर उसका मन भी कुछ उदास सा हो जाता है और संगीता को बोलता है क्या हुआ तुम को अभी तक तो ठीक थी और अब अपने आप मुह क्यों फुलाए हुए हो
संगीता :- मेरा मुह तेरे को क्या मैं इसको फुलाऊ या बनाऊ तेरे को क्या पड़ी है ?
सुनील :- उसकी बात सुन कर चौक पड़ता है (बेहनचोद साली ये तो मेरे से खुंदक खाए बैठी है ) अरे यार कुछ तो बात हुयी है न जो तुम इस तरह से नाराज हो गयी हो मेरे से
संगीता :- तुम से क्यों नाराज होगी मैं नाराज दोस्तों से हुआ जाता है हर किसी से नहीं
सुनील :- (तेरी माँ को चोदु साली बड़ी तीखी मिर्च है ) क्या हम तुम्हारे दोस्त नहीं है

संगीता :- नहीं तुम दोस्त होते तो अपनी बात मेरे को बताते और फिर जल्दी से बहार निकल जाती है और अपनी स्कूटी को स्टार्ट कर के सुनील के घर से चली जाती है !

सुनील :- उसको रोकना चाहता है लेकिन कुछ बोलने से पहले ही चली जाती है ( माँ की लोडी बहुत नखरे वाली है साली लगता है मेरे बारे में जन कर ही रहेगी ) और तभी सुमित्रा रसोई से चाय बना कर आती है

सुमित्रा :- सुनील बेटा संगीता कहा गयी ?

सुनील :- माँ उसकी फ्रेंड का फोन आया था तो वो जल्दी में थी इस लिए चली गयी

सुमित्रा:- ठीक है बेटा अच्चा ये बता कहा लगी है तुम को चोट

सुनील :- kahi नहीं माँ thoda sa पैर मोड़ गया था

सुमित्रा :- अब कैसा है दिखा कहा से मोड़ा है ?

सुनील :- अपने घुटने को आगे कर के बोलता है यहाँ से

सुमित्रा :- चल बेटा मैं तुम्हारे घुटने को थोड़ी मालिस कर देती हूँ

सुनील :- नहीं माँ रहने दे अब पहले से अच्छा है !

सुमित्रा :- क्या रहने दे चल मैंने कहा है न की मालिस कर दुगी उस से जल्दी ठीक हो जायेगा !

सुनील :- सोच में पद जाता है की माँ तो साली पीछे ही पड़ गयी है इस को क्या मालूम की दर्द कहा हो रहा है ? और फिर उठ कर अपने रूम में चला जाता लेकिन जाते हुए वो अपनी टांगो को खोल कर चलता है क्यों की उसका लंड उसकी पेंट से रगड़ खाता है जिस से उसके लंड में जलन होती है

सुमित्रा :- अपने बेटे को ऐसे चलता देख सोच में पड़ जाती है की दर्द तो पैर में हो रहा है लेर्किन ये चल रहा है दोनों टांगो को खोल कर और फिर अपने बेटे के पीछे पीछे उसके रूम में जाती है

सुनील :- अपनी माँ को अपने रूम में देखता है और बोलता है माँ रहने दोन मैं ठीक हु
सुमित्रा :- आया है माँ रहने दो wala चल जल्दी से पेंट निकल abhi मालिस कर देती हु नहीं तो पेंट kharab हो jayegi

सुनील :- (teri माँ की chut साली आज मेरी गांड फाड़ के रहेगी ) सुनील कुछ नहीं बोलता बस अपने खयालो में ही खोया rhta है की मैं कैसे पांति निकालू साला निचे कच्छा भी नहीं पहन हुवा कैसे बोलू माँ को मैंने निचे कच्छा नहीं पहना है

सुमित्रा :- क्या सोच रहा है बेटा निकल न पेंट ?

सुनील :- माँ अगर तुम नहीं मानती हो तो ऐसे ही मालिस कर दो मैं पेंट को ऊपर कर लेता हु

सुमित्रा :- ठीक है बेटा तू नहीं मानता है तो अपनी पेंट को ऊपर कर ले

सुनील :- अपनी पेंट की एक टांगो को khich कर ऊपर कर लेता है माँ सोनल कहा है ?

सुमित्रा :- अपने बेटे के घुटने को मालिस karte हुए बेटा वो अभी तक स्कूल से कहा आई है

सुनील :- क्या माँ अभी तक नहीं आई है देखो स्कूल की छुट्टी २ बजे हो जाती है और अब तो ३:३० हो गया है और वो अभी तक घर नहीं आई है

सुमित्रा :- बेटा सोच तो मेरे को भी है एक तो तुम्हारे बापू के लिए हॉस्पिटल में खाना ले जाना है और ऊपर से तुम्हारी चोट अब मैं अकेली क्या करू कुछ समझ में नहीं आता और जवान बेटी अभी तक घर नहीं लोटी पता नहीं ये भगवान हमको किस जनम की सजा दे रहा है !

सुनील :- अपनी माँ की बात सुन कर एक दम से खड़ा हो जाता है माँ मैं उसको देख के आता हु तुम चिंता मत करो

सुमित्रा :- बेटा तुम आराम करो तुम को पहले ही चोट लगी है इस हालत में तुम कहा देखने जाओगे उसको

सुनील :- माँ इतनी चोट नहीं है की अपनी बहन को देखने नहीं जा सकता हूँ तुम बापू का खाना बनाओ तब तक मैं सोनल को खोज कर लता हूँ और ये बोल कर रूम से भर आ जाता है और अपनी मोटर साईकल स्टार्ट कर के सोनल के स्कूल की तरफ चल पड़ता है और स्कूल में जा कर देखता है तो स्कूल की छूटती हुए भी काफी टाइम हो चूका होता है और उसको वो स्कूल में नहीं मिलती फिर वो स्कूल के पीछे बने हुए पार्क में जाता है लेकिन वह भी उसको निराशा हिहाथ लगती है इस से सुनील बहुत जायदा परेशान हो जाता है और फिर उसकी कुछ फ्रेंड को फोन करता है लेकिन वो किसी के पास नहीं मिलती और वो थक हार कर घर की तरफ लोटने लगता है तभी उसके फोन की बैल बजती है वो फोन पर नंबर देखता है की फोन उसके माम्मा होता है












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FUN-MAZA-MASTI रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-10

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रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-10

सुनील :- लाली के भागने से अपने लंड की तरफ देखता है जो पूरा विकराल रूप धारण कर रहा होता है

और सुनील उसको हाथ से हिलाने लगता है लेकिन लंड की खाल छिलने से उसमे बहुत दर्द होता है इसलिए वो

उसको अच्छी तरह से हिला भी नहीं पता है और कुछ देर वही खड़ा रहता है और फिर कुछ सोच कर वो सीधा

नंगा ही कांता के रूम में चला जाता है जहा कांता सारी रात की चुदाई से गहरी नींद में सो रही होती है सुनील

कांता को सोते हुए देखता है और फिर आगे बाद कर उसकी nighty को ऊपर कर के उसकी कछी को पकड के

एक झटके के साथ निकल देता है जिस से कांता हडबडा के एक दम से उठती है और फिर सुनील को एक दम

से नंगा देख कर चोक जाती है और अपनी आखो को मसल कर ये यकीन करना चाहती है की कही वो कोई

सपना तो नहीं देख रही है जब उसको ये यकीन हो जाता है की वो कोई सपना नहीं देख रही है तो सुनील से

बोलती है


कांता :- सुनील ये सब क्या है कोई और यह आ गया तो ?

सुनील :- बेड पर चढ़ते हुए चुप साली कुतिया कोई देखता है तो देखने दे मेरे को बस अब चूत चाहिए

और कांता की टांगो को पकड के एक दम से खीच कर उसको लेटा देता है और उसकी टांगों के बिच में आ कर

बैठ जाता है


कांता :- सुनील की तरफ देखती है और फिर सुनील के लंड को अपने कोमल हाथ में पकड के उसको सहलाने

लगती है क्या बात है इतना सकत कैसे हो गया सुबह सुबह ही

सुनील :- साली तेरी नौकरानी ने इसको जगा दिया है अब इस को शांत होने के लिए तेरी चूत का नरम गदा

चाहिए वो साली तो भाग गयी है कुतिया जगा कर

कांता :- सुनील के मुह से लाली की बात सुन कर चौक जाती है क्या बोल रहा है तू क्या तुमने लाली को चोद

डाला


सुनील :- हा चोद दिया साली को लेकिन मेरे लंड को सहने की ताकत उस रंडी में नहीं थी तभी तो बिच में ही

भाग गयी साली

कांता :- वह रे मेरे राजा इस लंड को सहने की ताकत हर किसी में नहीं है ल दे मेरे को मैं शांत करती हु और

फिर सुनील के लंड को अपनी तरफ खीच कर अपने जिह्वा की नोक को लंड के सुपारे पर घुमाने लगती है

गुपोप्प्प्प्प्प्प्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल गप्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितना मस्त है तेरा

लंड सुनील सुनील :- कांता के बालो को पकड के और गांड को थोडा सा पीछे की तरफ कर के पूरी जोर से

कांता के मुह में लंड घुसोता है ये ले कुतिया तेरे हलक तक थोक दालुगा लंड को रंडी भाह्न्चोद

सलिओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और फिर करीबन २ मिनट तक अपने लंड को कांता के मुह में ही घुसोये रखता है जिस

से कांता की आखो में पानी आ जाता है

सुनील :- उसका इशारा समझ जाता है और टागों के बिच आ कर अपने लंड को कांता

की चूत पर रख के रगड़ने लगता है हा अहा अहाहा आहा आहा आह आहा आहा अहा आहा आहा आहा आह

अह साली रंडी क्या चूत है तेरी साली देख अब तेरे को कैसे चोदता हु मादरचोद रांड साली

कांता :- अपनी चूत को आगे बड़ा कर सुनील के लंड को अपने अंदर लेने की koshish करने लगती है और

निचे से गंद को ऊपर उठा उठा कर पटकने लगती है ह हा आहा आहा आहा आहा आह अह अहाआआआआ

राजा अब बाद दे अपना मोटा लंड मेरी चूत में राजा ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआआआआआअ
सुनील :- अपने लंड को चूत के chhed पर रख के और कांता के दोनों चूचो को पकड के

पूरी जोर से धका मरता है ये ले साली कुतिया ह अहा आहा अह आह आहा अह रंडी क्या चूत है तेरी साली ओह

ह अहा आहा आह हा अहाहाअहाह आह आहा आहा अहा आहा अह अ

कांता :- उयीईईईईईईईईईईईई माँ मर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र ग्यीईईईईईईईईईईईइ रॆऎऎऎऎऎए हरामी आराम से कुते सारी रात

चोद चोद कर चूत का भोसड़ा बना दिया ओह ह अह हा आहा अहा हा बहुत दर्द हो रहा है बेटा ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह

हा ह आह ह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़

सुनील :- चुप साली कुतिया और कांता की एक बात न सुनते हुए पूरी ताकत के साथ धक

धक् कर के कांता को छोड़ने लगता है ये ले और जोर से मादरचोद रांड साली ह ह ह हा हा आहा अहा आहा अह

उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ आज तेरी चूत को फाड़ दुगा रंडी ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

कांता :- कुछ देर चुदते रहने के बाद अब उसको भी मजा आ जाता है और वो भी अपने चूचो को मसलते हुए

पूरी जोर जोर से गंद को उठा उठा कर सुनील के लंड से थप मिलाती है ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआआआ

बेटा चोद और जोर से चोद बेटा फाड़ दे मेरी चूत को पूरी ताकत से धका मार बेटा आआआआअ ऐसे ही चोदता

जा बेटा आआआआआआआआआ
सुनील :- ये ले जोर से कुतिया और कांता की हिप्स को जोर जोर से थापर मरते हुए अपने

स्पीड बड़ा देता है और इस्सी तरह से १५ मं बाद सुनील के लंड की नशे पूरी सकत हो जाती है और ४-५ धको

के बाद एक पूरी जोर से धका मरता है और उसके साथ ही सुनील अपने लंड की बरसात कांता की चूत में कर

देता है ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआअ

कुछ देर सुनील के बाद कांता के ऊपर से उठता है और नहाने के लिए बाथरूम में घुस जाता है
फिर कांता भी उठ कर सुनील के साथ बाथरूम में घुस जाती है और दोनों एक दुसरे को साबुन लगा कर और मसल मसल कर नहलाते है और फिर दोनों निचे होल में आ जाते है होल में लाली दोपहर का खाना बनाने के लिए सब्जी कट रही थी तभी लाली की नजर ऊपर से आते हुए सुनील और कांता पर पड़ती है ओर मन ही मन मुस्कराती है कांता उसकी मुस्कारहट को समझ के वो भी लाली की तरफ मुस्कराती है



कांता :- और सोफे पर बैठते हुए लाली दो कप चाय बना कर ले आ आज बदन बहुत दुःख रहा है
लाली :- कांता की बात सुन कर हा मैम साहेब सारी रात जो इतनी महन्त की है आपने
कांता :- लाली की तरफ देख कर हस्ती है और बोलती है मैंने रात को की है तो तुमने भी तो सुबह ही की है
लाली :- हा मैम साहेब क्या करती मैं सुबह सुबह साहेब हो चाय देने गयी तो साहेब का लंड गधे के लंड की तरह से खड़ा था तो उसको देख कर रहा नहीं गया लेकिन मैम साहेब आपने जो महन्त आपने की है उतनी मैंने कहा ही और मैं उतनी नहीं कर सकती ये तो तुम ही थी जो इतनी महन्त कर सकती हो और फिर दोनों हसने लग जाती है फिर लाली चाय बनाने किचन में चली जाती है तभी डोर बैल की आवाज आती है और कांता घडी की तरफ देखती है की २ बज गये है और फिर बोलती है संगीता आ गयी है शायद और उठ कर दरवाजा खोलने चली जाती है उसका अंदाजा ठीक था क्यों की सामने संगीता खड़ी थी
कांता :- आ गयी बेटी
संगीता :- अंदर आते हुए बोलती है हा माँ सुनील कहा है ?
कांता :- बेटी वो होल में बैठ कर टीवी देख रहा है
और फिर वो सीधा अपने रूम में चली जाती है और वह जा कर अपने कपडे बदलने लगती है अपनी शर्ट और टॉप को उतर के वो आईने के सामने खड़ी हो जाती है



और अपने चूचो को देखते है तो कभी अपनी चिकनी चूत के ऊपर से हाथ फेरते हुए अपने पुरे बदन को सहलाती है और फिर अपना फोन निकल कर उसके अपनी फोटो खीचने लगती है और अलग अलग तरीके से फोटो खिच कर अपनी ब्रा को उतारते हुए अपने चूचो के ऊपर से अपना हाथ ferti है jis से usko एक अजीब सा नशा छाने लगता है



और धीरे धीरे अपनी ब्रा को निकल कर एक तरफ फेक देते है और फिर से आइने में अपने आप को देखने लगती है



और अपने दोनों हाथ को ऊपर उठा कर आईने में अपने दोनों चूचो को बहार की तरफ निकलते है





और अपने हाथ से चुचोको सहलाने लगती है और फिर बरी बरी अपनी गर्दन को निचे कर के अपने पिंक निप्पल को जिह्वा लगा कर चाटने लगती है जिस से उसके मुह से सिस्कारी निकलने लगती है




और फिर एक हाथ को वो निचे की तरफ ले जाती है अपनी काछी को थोडासा साइड में कर के अपनी चूत को निहारने लगती है जो उसकी हरकतों से पानी छोड़ने लगती है उसको अपने छोटे छोटे बालो में छुपी हुयी चूत इतनी मस्त लगती है की कभी वो उसको नाख़ून लगा कर कुरेदती है तो कभी चूत के गुलाबी होठो को अपनी उंगलियों में ले कर मसल देती है तो कभी अपने पिंक दाने को ऊँगली रगडती है



संगीता अपनी चूत से खेलने में खो जाती है की उसको ये याद ही नहीं रहता है की निचे सुनील उसका इंतजार कर रहा है तभी उसको किसी के बोलने का अहसास होता है
कांता :- संगीता बेटी कहा हो तुम सुनील को घर जाना है वो तुम्हारा इंतजार कर रहा है
संगीता :- आई माँ और फिर जल्दी से अपने कपडे पहन कर निचे होल में आ जाती है
सुनील :- संगीता को देखता है तो देखता ही रहता है क्यों की संगीता ने काला टॉप और नीली सिकर्ट पहनी हुयी थी जिस में वो सब पर कयामत दहा रही थी



संगीता :- सुनील को ऐसे देखते हुए उसके पास आती है और बोलती है कहा खो गये हो जनाब ??
सुनील :- संगीता में इतना खो जाता हैकि संगीता क्या बोल रही है उसको कुछ नहीं मालूम होता बस उसके मुह में से अपने आप ही कुछ शब्द निकल जाते है
आखो में समाजों इस दिल में रहा करना,
तारो में हँसा करना फूलो खेल करना !
जब से तुम्हे देखा है जब से तुम्हे पाया है ,
कुछ होश नहीं मुझको एक नशा सा छाया है !









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FUN-MAZA-MASTI तुस्सी बड़े खराब हो--7

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तुस्सी बड़े खराब हो--7

कीरा सुबह 9 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुँची । कल रात जो कुछ हुआ था उसे भूल कर अब केवल अपने मिशन के बारे में सोचना था । और अपनी तरफ से वो अपने रिश्ते के लिए जो कर सकती थी कर चुकी थी उसे विश्वास था कि विक्रांत सब समझ जाएगा आखिर वो भी तो ऑर्मी में रह चुका है । 10 बजे उसे हेडक्वार्टर पहुंचना था तो उसने जल्दी से अपने घर के कैब बुक की और कपड़े बदल के हेडक्वार्टर के लिए रवाना हो गयी ।
ऑफिस आते ही उसे बताया गया कि सीनियर अफसर हेंमत कुमार ने उसे बुलाया है । वो हेमंत कुमार के ऑफिस में दाखिल हुई तो हेमंत एक 27-28 साल की कैटरीना कैफ जैसी दिखने वाली एक लड़की से बात कर रहे थे ।
हेमंत - अकीरा इनसे मिलो यह हैं ब्लैक कैट कमांडो मेजर शालिनी सिंह और मेजर शालिनी यह हैं DSP अकीरा देश की बेहतरीन खुफिया ऑफिसर आप दोनों को इस मिशन पर एक साथ काम करना होगा ।
अकीरा और शालिनी ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और दोनों औरतें समझ गयीं की उन्हें हमराज़ बनने में ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा ।
हेमंत-सो लेडीज़ आप दोनों मिशन के बारे जानती हैं कि आपको पुरातन वस्तुयों को चुराने वाले इंटरनेशनल गिरोह जिसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं उसे पकड़ने मध्यप्रदेश जाना होगा ।
अकीरा, शालिनी(एक साथ)- यस सर ,हम जानते हैं ।
हेमंत-लेकिन डिपार्टमेंट ने आपसे एक जानकारी अभी तक छुपा कर रखी थी , मध्यप्रदेश के छोटे से गाँव कामगढ़ में एक प्राचीन मंदिर है ज़मीन के 200 मीटर नीचे जो हीरे -जेवरात और बेशकीमती मूर्तियों से भरा हुआ है । दो महीने पहले वँहा से एक मूर्ति की आँख जो हीरे की बनी हुई थी चोरी हो गयी थी ।
अकीरा-25 अप्रैल को ?
शालिनी-उसी दिन भूकम्प आया था शायद ।
हेमंत- आप दोनों ही ठीक हैं ,हमारे वैज्ञानिकों का यह मानना है कि ये भूकम्प उसी चोरी के कारण आया ।
शालिनी- यह मुमकिन नहीं है ।
हेमंत- ईट्स पॉसिबल ,दे हैव एविडेन्स । और आपको पता लगाना है कि यह चोरी सिर्फ पैसों के लिए की गई थी या गिरोह के पीछे कोई और है जो उस हीरे की शक्तियों को जानता है ।
अकीरा-पर यह तो तभी मुमकिन होगा जब वो दूसरी आँख को भी चुराने की कोशिश करें ।लेकिन वो उस हीरे को अभी तक बेच भी चुके होंगे और हीरा भारत से बाहर जा चुका होगा ।
हेमन्त- अभी उम्मीद बाकी है इंटेलीजेंस रिपोर्ट का कहना है कि दूसरे हीरे को भी चुराने की कोशिश की गई पर नाकाम रही दूसरी आँख तभी निकल सकती है अगर दोनों को एक साथ निकाला जाए । और आज की ट्रेन से ही उस गिरोह का आदमी पहली आँख को लेकर कामगढ़ जा रहा है तुम्हे वो चुरानी होगी ।
शालिनी- आँख की अगर चोरी की गई तो गिरोह को शक हो जाएगा और हम उनके असली मकसद को कभी जान नहीं पाएंगे ।
अकीरा-यह काम हो सकता है अगर हम हीरे को चुरा के वैसा ही एक हीरा वँहा रख दें तो किसी को शक नहीं होगा ।
हेमन्त- बिलकुल सही कहा अकीरा । हेमन्त ने एक लकड़ी का छोटा सा डिब्बा खोला और एक 50 ग्राम का हीरा उनके सामने रखते हुए कहा "यह 100 करोड़ का हीरा है बिल्कुल वैसा ही इससे काम चल जाएगा ।लेडीज़ आपकी नई पहचान यह रही उसने उन दोनों को वोटर कार्ड, आधार कार्ड और एक स्कूल के टीचर की जोइनिंग लेटर्स देते हुए कहा ।
शालिनी- वी गॉट इट सर । लेकिन असली हीरे को कौन ले जा रहा है यह कैसे पता चलेगा ?
हेमन्त- उसकी चिंता मत करो । उस इंसान की डिटेल्स आपके फ़ोन पे भेज दी जाएगी । लेडीज 3 बजे आपकी ट्रेन है इसिलए आपको तयारी शुरू कर देनी चाहिए ।
दोनों लड़कियाँ कपड़े बदल के हेडक्वार्टर से बाहर निकली अकीरा अब पंजाब की रहने वाली सिमरन कौर थी इसिलए उसने पीले और नीले रंग का पटियाला सलवार सूट पहन लिया जो उसके सुडौल बदन को और आकर्षक बना रहा था उसके लंम्बे काले बालों कि लट उसके गोर और मामूम चेहरे पर आभूषण का काम कर रही थी । शालिनी अब दिल्ली की दीपिका शर्मा थी अपनी नई पहचान के हिसाब से उसने टाइट जीन्स और एक शार्ट लूज़ नेक्ड टॉप पहन ली ।
शालिनी -अकीरा इस पटियाला सूट में पूरा पटोला लग रही हो । उसने अपनी ब्रा को एडजस्ट करते हुए कहा उसके 36d के मम्में 34c की ब्रा में तड़प रहे थे ।
अकीरा-यार तुम भी न एक तो सूट टाइट है ऊपर से ब्रा में मेरी जान निकल रही है । और अब दूसरे नाम का ही यूज़ करो ।
शालिनी-सही कहा सिमरन ,मेरा भी यही हाल है । बूब्स बेचारे सांस भी नही ले पा रहे । वैसे साइज क्या है तुम्हारा ?
सिमरन-साइज तो 38dd है ब्रा पहनी है 34d पर क्या करें ?
दीपिका-बड़ी हॉट है यार , कुदरत की मेहरबानी है या बॉयफ्रेंड की ? उसने आँख मारते हुए पूछा
सिमरन-कुदरत ने ही यह मुसीबत मेरे गले बांध दी है ? तेरे क्या बॉयफ्रेंड की कृपा से हैं इतने बड़े?
दीपिका-मेरे केस में दोनों एक था हरामी साला 2-2 घंटे चूसता रहता था ।
सिमरन-तो ब्रेकअप कर लेती ।
दीपिका- ब्रेकअप कर तो लेती पर ऐसी ज़ोरदार चुदाई करता था कि । बोलने के बाद उसे एहसास हुआ कि वो कुछ ज्यादा ही फ्रेंडली हो गयी है "सॉरी यार कुछ ज्यादा ही फ्रैंक हो गयी बुरा तो नहीं लगा पर तु है ही इतनी पहली नज़र में दिल के सारे राज़ खोल देने का मन करता है "
सिमरन - नहीं नहीं मैंने बुरा नही माना बल्की पहली बार लगा कि कोई दोस्त मिली है मुझे । यार भूख लग रही है ।
दीपिका-भूख तो मुझे भी लग रही है यार ।
जितनी देर सिमरन और दीपिका मतलब अकीरा और शालिनी पेट भरते हैं मैं आपको दिल्ली से चंडीगड़ ले चलती हूँ ताकि कहानी जो कुछ कुछ ठंडी हो चली है गर्म हो सके ।

2.मालिक का लन्ड

ईशा शक्ल में दूसरी समांथा थी भोली भाली पर फिगर और काम से थी सन्नी लिओनी । उसकी एक ही सच्ची हॉबी थी और वो थी चुदाई । चोदू मर्द को वो दूर से पहचान लेती थी । और विक्रांत पर वो पूरी तरह लट्टू हो चुकी थी । और आज जो उसने दिन में देखा उसे देखने के बाद उसे विश्वास हो गया था कि ये है असली मर्द । लंच उसने जल्दी ही खत्म कर लिया और सोचा चलो चलकर बॉस पर डोरे डालें जाएं काम बन गया तो चूत और जेब दोंनो खुश । पर जैसे ही वो विक्रांत के ऑफिस में घुसने वाली थी उसने देखा कि विक्रांत फ़ोन पे हेडफोन लगाके कुछ देख रहा है और देखते हुए पैंट के ऊपर से ही अपने लन्ड को सहला रहा है । वो समझ गयी कि विक्रांत पोर्न देख रहा है उसे क्या पता था कि जनाब अपनी ही मूवी देख रहे हैं । इधर विक्रांत रात मज़ा दोबारा ले रहा था ---
विक्रांत सोफ़े पर नंगा बैठा हुआ था और अकीरा भी एक दम नंगी उसकी गोद में उसकी तरफ मुँह कर करके बैठी हुई थी और उसका लौड़ा अकीरा की चूत में पूरा का पूरा घुसा हुआ था जड़ तक । विक्रांत के हाथ में गिलास था जिसमें से दोनों बारी बारी वोदका पी रहे थे । पेग खत्म होता तो विक्रांत अकीरा के मम्मे को मुँह में भर लेता और उसकी चुदाई शुरू कर देता । चुदाई से बेहाल अकीरा उसके गले में बाजू डाल देती और आहें भरने लगती "आह आह....ओह माँ... उम्म...ओह विक्रांत प्लीज ...प्लीज....आह ......जल रही है मेरी " विक्रांत थोड़ा थकता तो चुदाई रोक देता पर लन्ड अकीरा की चूत में ही रहने देता और दूसरा पेग बनाता । दोनों पेग खत्म करते तो अकीरा की ठुकाई का काम फिर चालू कर देता । पूरे पाँच पेग यही सिलसिला चला पाँचवे पेग के बाद वो अकीरा को गोद में उठाये ही खड़ा हो गया और दे दना दन अकीरा को चोदना शुरू कर दिया हर घस्से के साथ अकीरा काफी ऊपर उछल जाती और फिर नीचे आती तो मूसल लन्ड उसकी चूत में जड़ तक समा जाता । "
उधर दरवाजे पर खड़ी ईशा अपने बॉस की हरकतें चुपके से देख रही थी पर जब अचानक विक्रांत ने अपना 10इंची हथियार निकाला तो ईशा की चीख निकलते निकलते रह गयी "बहनचोद साले का लौड़ा है या 2 किलो की लौकी" ईशा ने मन से सोचा ।
विक्रांत अपनी रात की हरकतों को देख के फिर से गर्म हो गया था उसे इस बात का ख्याल ही नहीं रहा कि वो ऑफिस में है और अपनी ही वीडियो देखते हुए मुठियाने लगा
"वो और अकीरा दोनों ही पसीने से लथपथ हो चुके थे वो थक कर बैठ गया और अलगा पेग बनाया उसका लन्ड अभी भी अकीरा की चूत में ही था
अकीरा-वीक निकालो न इसे मुझे जलन हो रही है
वो-कैसे निकालूँ मेरा तो निकल ही रहा खुद तो 4-5 झड़ के मज़ा ले चुकी हो पर मेरा क्या होगा ।
अकीरा- लाओ मैं इसे थोड़ा प्यार करती हूँ शायद इस अजगर को मेरी गिलहरी पे कुछ दया आ जाये
अकीरा खड़ी ही गयी और सोफ़े से उतर कर उसके सामने आ गयी और घुटनों के बल बैठ के उसके लन्ड को दोनों हाथों में थाम लिया और मोटे गुलाबी लन्ड मुंड पर अपने होंठ रख दिये और उसे लॉली पॉप के जैसे चूसने लगी । वो उसका लन्ड चूस रही थी और वो पेग पी रहा था । शराब का नशा उस पर चढ़ता चला गया ऊपर से दुनिया के सबसे प्यारे होंठ उसके लन्ड पर थे जिसे देखकर उससे रहा न गया और उसने अकीरा को बालों से पकड़ लिया और ज़बरदस्ती अपना लन्ड जड़ तक उसके मुँह में गुसेड दिया।
अब जब वो वीडियो देख रहा था तो अकीरा गले में लन्ड का उभार साफ नजर आ रहा था जो उसे और उत्तेजित कर रहा था उसने पूरी रफ्तार से मुठियाना इस नज़ारे को देख ईशा भी गर्म हो चुकी थी उसने इधर उधर देखा तो कोई नहीं था रास्ता साफ देख उसने अपना हाथ स्कर्ट में डाल दिया और उंगली करने लगी ।
"विक्रांत अकीरा को बालों से पकड़ के उसके मुँह को चूत समझ के चोद रहा था उसके गोल्फ बॉल जितने बड़े बड़े टट्टे अकीरा की गर्दन से टकरा रहे थे बेचारी की आँखें साँस न ले पाने की वजह से चढ़ गईं थी अगर 1 मिनट भी विक्रांत और झड़ता तो बेचारी की सांसे अटक जाती । पर विक्रांत ने उसके मुँह में ही भरभरा के झड़ना शुरू कर दिया अकीरा के खोबसूरत चेहरे का एक बार फिर स्पर्म फेसिअल हो गया । झड़ने के बाद विक्रांत थक के बिस्तर पर गिर पड़ा ।
वीडियो खत्म हुई तो विक्रांत को ख्याल आया कि वो ऑफ़िस में है उसने जल्दी से लन्ड को पैंट में डाला जो एक बार फिर उल्टी करने के बाद शांत मुद्रा में आ चुका था । विक्रांत ने नैपकिन से टेबल पर गिरा माल साफ किया और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में घुस गया ।
मौके का फायदा उठा के ईशा ऑफिस में आ गयी ऑफिस में फैली वीर्य की खूशबू ईशा के नथुनों में फैल गयी ईशा को लन्ड लिए काफी समय हो चुका जिसके कारण वो कुछ बेचैनी भरी मदहोश हो रही थी । उसके दिमाग में अभी भी अपने मालिक का मूसल लन्ड घूम रहा था ।
विक्रांत(बाथरुम से बाहर आते हुए )- ईशा तुम कब आयी ?
ईशा- बस अभी आयी सर । कोई काम है मेरे लिए? उसने जानभुझकर थोड़ा झुकते हुए पूछा ।
विक्रांत की नज़र उसके उभरे हुए स्तंनो कि लकीर पर पड़ी "यह औरतें और इनके ये मम्में मुझे काम नहीं करने देंगे ....रंडी कैसे अपने मम्में दिखा रही है और फिर कोई चोद दे तो दुनिया हायतोबा करने लगती है " उसने मन में सोचा । "नहीं अभी कोई काम नहीं है तुम आराम कर सकती हो " उसने ईशा से कहा और अपनी कुर्सी पर बैठ गया । ईशा ने अपनी पीठ कुर्सी पर लगा दी और आँखें बंद कर ली जल्दी ही उसे नींद आ गयी । विक्रांत उसके ऊपर नीचे होते सुड़ौल वक्ष को देख रहा था एक पल के वक्ष ऊपर को उभर आते और ईशा के सांस छोड़ने पर नीचे हो जाते । घुंगराले काले लम्बे बालों की लटें उसके गोरे चेहरे को छेड़ रही थीं उसके तराशे हुए होंठ बेहद आकर्षक लग रहे थे उनमे और अकीरा के होंठों में कुछ एक जैसा था जो विक्रांत को अपनी और खींच रहा था । विक्रांत को अचानक न जाने क्या हुआ उसने अपने मोबाइल से ईशा की कई तस्वीरें खींच ली और उन्हें अकीरा को वाट्सएप कर दिया ।











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Kamukta Stories-कहीं भाई जाग न जाए-5

Kamukta Stories-कहीं भाई जाग न जाए-5



कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेरे लण्ड से लावा निकलने वाला है तो मैंने प्रिया की चुदाई और तेज कर दी।
इधर प्रिया की चूत भी पानी छोड़ने वाली थी, प्रिया भी बोल रही थी- भाई, मेरा भी होने वाला है… और तेज और तेज आआह… आआ… आआऐईईईइ आआअह्ह ह्हह…
और इसके साथ साथ प्रिया ने अपनी चूत में मेरा लण्ड जकड़ लिया और अपनी चूत से पानी छोड़ने लगी, और वो मुझसे ऐसे चिपक गई जैसे दीवार पर छिपकली।
जैसे ही प्रिया की चूत के पानी ने मेरे लण्ड को नहलाया तो मुझसे भी नहीं रहा गया तो मेरे लण्ड अपना सारा लावा उसकी चूत की गहराई में छोड़ दिया।
‘आआअह्ह ह्ह…’ मैं प्रिया की चूत पर जब तक धक्के लगाता रहा जब तक मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में खाली ना हो गया।
फिर मैं भी उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को अपने लबों में दबा कर चूसने लगा।
कुछ देर हम ऐसे ही पड़े रहे, फिर मैंने प्रिया से पूछा- तुमको कैसा लगा?
तो बोली- बहुत मज़ा आया भाई, अगर मुझे पहले पता होता कि इस खेल में इतना मज़ा आता है तो मैं रात को ही आपसे चुद गई होती।
मैंने प्रिया को कहा- चोद तो मैं तुझे रात को ही देता पर रात को घर में सब थे इसलिए तुझे मैंने रात को छोड़ दिया था।
प्रिया ने मुझसे कहा- भाई, अब जल्दी से उठो, सबके आने का समय हो रहा है।
मैंने टाइम देखा तो प्रिया सही कह रही थी, इसलिए मैं उठा और फिर प्रिया को उठाने के लिए अपना हाथ दिया तो प्रिया मेरा हाथ पकड़ कर उठ गई।
उठते ही उसने बिस्तर पर देख तो कुछ खून के धब्बे देखे तो उसने पूछा- भाई, ये क्या है?
तो मैंने उसको बताया- जब कोई लड़की पहली बार चुदती है तो उसकी चूत से कुछ खून निकलता है, पर अब कोई फ़िक्र की बात नहीं है, अब तुम कली से फ़ूल बन गई हो।
मैंने और प्रिया ने देखा कि उसकी चूत से मेरा वीर्य और प्रिया का कामरस और खून तीनों मिक्स हो कर निकल रहा था।
यह देख कर हम दोनों ही मुस्कुरा दिए।
फिर प्रिया की चूत को मैंने अपने रूमाल से साफ़ किया और अपने लण्ड को भी साफ़ किया, फिर मैंने अपने कपड़े पहने और प्रिया ने वो कपड़े न पहन कर सूट सलवार पहने।
उस बिस्तर को प्रिया ने छुपाकर रख दिया जो की हमारी प्रेमलीला की गवाही दे रहा था।
कुछ देर बाद पारुल और मुकेश भी आ गए, प्रिया को कुछ चलने में दिक्कत हो रही थी पर उसने यह महसूस नहीं होने दिया कि उसको कोई दिक्कत है।
मैं उन दोनों के आने से पहले ही टी वी चला कर बैठ गया था और प्रिया खाना गर्म कर रही थी जब वो दोनों आये।
फिर हम चारों ने मिलकर खाना खाया, खाना खाने के बाद प्रिया बर्तन साफ़ करने के लिए नीचे चली गई और पारुल अपनी बुक निकाल कर पढ़ने बैठ गई और साथ में मुकेश को भी पढ़ने के लिए अपने पास बैठा लिया।
मैं भी टीवी बंद करके नीचे प्रिया के पास रसोई में पहुँच गया, प्रिया रसोई में खड़ी होकर सिंक में बर्तन धो रही थी।
मैंने उससे पीछे से पकड़ लिया और उसके बूब्स को दबाने लगा तो प्रिया ने चौंकते हुए पीछे देखा, तो पीछे मैं खड़ा था।
उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा– भाई, अभी कुछ मत करो, मुझे बूब्स में और नीचे दर्द हो रहा है और फिर मम्मी भी आने वाली हैं। अब जो भी करना हो रात को करना, मैं रात को बिल्कुल भी मना नहीं करुँगी।
मुझे भी लगा कि प्रिया सही कह रही है, अगर लड़की की पहली बार चुदाई हुई है तो उसको कुछ समय तक दर्द तो रहता ही है और उसकी चूत सूज भी जाती है।
उस वक़्त सिर्फ मैंने प्रिया के सेब जैसे गाल पर एक चुम्बन किया और उसके पीछे से हट गया और उससे बोला- अगर तुमको ज्यादा तकलीफ हो रही है तो मैं मदद कर देता हूँ काम करवाने में।
इस पर प्रिया हंसती हुई बोली- रहने दो मेरे सजना, मैं खुद कर लूँगी और यह दर्द तो बहुत मीठा मीठा सा है, इस दर्द में भी मुझे मज़ा आ रहा है।
अभी हम बात कर ही रहे थे कि तभी मामी भी आ गई, मैं तो उससे अलग ही था तो कोई ऐसे बात नहीं हुई जिससे उनको जरा सा भी शक होता कि दाल में कुछ काला है।
मामी के आते ही प्रिया ने उनको खाना लगा कर दिया।
मामी खाना कहते हुए मुझसे बात कर रही थी, कुछ घर की तो कुछ बाहर की, बस ऐसे ही समय निकलता चला गया।
शाम को सात बजे तक मामा जी भी आ गए, मामाजी के आने के कुछ देर बाद ही फिर से बारिश शुरू हो गई।
आज की बारिश कल की बारिश से बहुत तेज थी, बारिश के साथ साथ हवा भी चल रही थी जिसके कारण आज शाम को ठण्ड भी क्यों ज्यादा ही हो गई थी।
रात को खाना खाने के बाद मामी ने प्रिया को बोला- आज ठण्ड ज्यादा ही हो गई है, तुम बेड के अन्दर से रजाई निकाल लेना, नहीं तो रात में ठण्ड लगेगी।
प्रिया ने कहा- ठीक है मम्मी, हम रजाई निकाल लेंगे।
इसके बाद मामा और मामी हमें जल्दी सोने के लिए बोल कर अपने कमरे में आज कुछ ज्यादा ही जल्दी अन्दर चले गए।
फिर हम चारों भी ऊपर के रूम में आ गए।
तब तक बारिश भी थम चुकी थी पर हवा अभी भी चल रही थी जिसके कारण हम सभी को ठण्ड भी लग रही थी, इसलिए सबसे पहले प्रिया ने बेड से दो ही रजाई निकाली और हम चारों उन दोनों रजाई में बैठ कर बातें करने लगे क्योंकि अभी 9:30 ही बजे थे।
मुकेश और पारुल एक रजाई में बैठे थे और प्रिया और मैं दूसरी रजाई में।
मेरी जाँघ प्रिया की जाँघ से सटी हुई थी पर न तो प्रिया ने कुछ हरकत रजाई के अन्दर की और न ही मैंने क्योंकि अभी लाईट जल रही थी और हम नहीं चाहते थे कि ऐसी कोई हरकत उन दोनों की नजर में आये जिससे उन्हें कोई भी शक हो।
कुछ देर बात करने के बाद पारुल ने कहा भी- चलो भाई आज अन्ताक्षरी खेलते हैं।
तो मुकेश भी बोल पड़ा- हाँ दीदी, मैं भी खेलूँगा।
फिर सबकी सहमति से हम चारो अन्ताक्षरी खेलने लगे।
हमें अन्ताक्षरी खेलते हुए रात के 10:30 बज चुके थे और ठण्ड भी बहुत हो रही थी इसलिए मुकेश और पारुल अपनी रजाई में लेट चुके थे।
मुकेश और पारुल एक रजाई में बेड के एक कोने में लेट हुए थे, प्रिया भी अब लेटने की तैयारी में थी जो अब तक मेरे साथ रजाई में बैठी थी।
प्रिया ने लेटते हुए मुझसे कहा- भाई, लाईट बंद कर दो, कहीं ऐसा न हो कि हम सो जाएँ और लाईट जलती रहे।
मैं उठा और कमरे की लाईट बंद कर दी, अब कमरे में इतना अँधेरा हो चुका था कि हमें एक दूसरे के चेहरे भी नजर नहीं आ रहे थे।
तब तक प्रिया भी लेट चुकी थी और उसका मुँह पारुल की तरफ था क्योंकि वो करवट लेकर लेटी हुई थी।
मैं फिर से प्रिया की रजाई में घुस गया, जैसे ही मैं रजाई के अन्दर बैठा तो मेरा हाथ प्रिया के चूतड़ से छू गया।
मुझे कुछ अजीब सा लगा तो मैंने उसके चूतड़ को सही से हाथ फेर कर देखा तो पता चला कि प्रिया ने सलवार उतार दी थी, वो नीचे से पूरी नंगी थी।
हम अब भी चारों अन्ताक्षरी खेल रहे थे और मैं बैठा हुआ प्रिया की नंगी चूत को सहला रहा था।
कुछ ही देर में प्रिया की चूत गीली हो गई।
फिर मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी और उसकी चूत को अपनी उंगली से ही चोदने लगा।
कुछ देर बाद प्रिया ने मुझसे कहा- भाई आप भी लेट जाओ।
प्रिया के कहने पर मैं भी उसी रजाई में लेट गया, उसकी गांड अब भी मेरी तरफ थी, तो मैं भी करवट ले कर लेट गया।
मेरा लण्ड प्रिया की गांड से छू रहा था और मैं अपने एक हाथ से प्रिया की चूची दबा रहा था।
प्रिया के बदन पर अभी कमीज बाकी था जिसके कारण मैं उसकी चूची को सही से पकड़ नहीं पा रहा था इसलिए मैंने प्रिया के कमीज को ऊपर की ओर खींचते हुए इशारा किया कि वो अपना कमीज भी उतार दे।
मेरी यह बात प्रिया आसानी से मान गई और वो थोड़ा ऊपर हुई और रजाई के अन्दर ही अपना सूट उतरने लगी।
उसके सूट उतारने मैं मैंने भी उसकी मदद की और कुछ ही पलों बाद उसका कमीज उतर गया।
अँधेरा इतना था कि उसके कमीज उतारने का किसी को कुछ भी पता नहीं चला।
अब प्रिया पूरी नंगी मेरे साथ लेटी थी।
कुछ देर बाद मेरा लण्ड भी पूरी तरह से खड़ा हो गया और अब शायद प्रिया की गांड में चुभ रहा था इसलिए तो प्रिया ने अपना एक हाथ पीछे की ओर किया और मेरे लोअर को पकड़ कर नीचे करने लगी।
हम अभी तक अन्ताक्षरी ही खेल रहे थे और उन दोनों को यह नहीं पता था कि हम अन्ताक्षरी के साथ साथ कुछ और भी खेल रहे हैं।
रजाई के अन्दर की हलचल को वो देख नहीं सकते थे क्योंकि पूरे कमरे में अँधेरा जो था।
मैंने भी प्रिया की मन की बात को समझते हुए अपना लोअर और अपनी टी शर्ट पूरी तरह से निकाल दी।
अब प्रिया और मैं पूरी तरह से नंगे थे।
फिर मैंने अपने हाथ से अपना खड़ा लण्ड प्रिया की चूत से सटा दिया और उसके मम्मे दबाते हुए हम ऐसे ही लेटे हुए हम अन्ताक्षरी खलते रहे थे।
मेरा लण्ड प्रिया की चूत से सटा हुआ था इसलिए प्रिया की चूत और भी गीली हो गई, उसकी चूत से इतना पानी निकला कि मेरा लण्ड भी उसकी चूत के पानी से गीला हो गया।
जब मुझे अपने लण्ड पर गीलेपन का एहसास हुआ तो मैंने उसकी चूची जरा जोर से दबा दी।
जैसे ही मैंने प्रिया की चूची जोर से दबाई, तो वो कुछ ऊपर की तरफ उछल पड़ी पर अपने मुंह से जरा भी आवाज नहीं निकाली और उसी वक़्त मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी नीचे वाली बगल में डाल दिया।
फिर जैसे ही वो नीचे हुई तो मैंने उसकी दूसरी चूची भी पकड ली।
अब मेरे दोनों हाथो में प्रिया के मम्मे थे और उनको मैं धीरे धीरे दबा रहा था।
इधर प्रिया ने अपनी गांड ओर भी पीछे की ओर कर दी और अपना एक हाथ अपनी चूत के नीचे लाकर मेरे लण्ड को पकड़ा ही था।
तभी पारुल ने कहा- मुकेश तो सो गया है तो हम तीनों ही अन्ताक्षरी खेलते हैं क्योंकि मुझे अभी नींद नहीं आ रही।
पारुल की आवाज सुनकर प्रिया ने मेरा लण्ड नहीं छोड़ा बल्कि जो वो कर रही थी वो करते करते रुक जरुर गई थी।
पारुल की बात सुनकर प्रिया ने भी कहा- मुझे भी नींद आ रही है तो तुम दोनों ही खेल लो और इतना कह कर प्रिया ने अपना मुंह भी रजाई में छुपा लिया।
मैंने प्रिया के चूचे दबाते हुए पारुल से कहा- कोई बात नहीं, इनको सोने दो, हम दोनों ही खेलते हैं।
फिर पारुल और मैं अन्ताक्षरी खेलने लगे और रजाई के अन्दर प्रिया अपना काम करने लगी।
प्रिया ने मेरा लण्ड अपनी चूत के छेद पर लगाया और फिर खुद ही अपनी गांड पीछे की ओर कर दी जिससे मेरे लण्ड का टोपा उसकी चूत में घुस गया और वो कुछ पल के लिए रुक गई, फिर प्रिया ने अपना हाथ पीछे ले जाकर मेरे नंगे चूतड़ पर हाथ से इशारा किया की पूरा लण्ड चूत में पेल दो।
प्रिया का इशारा मेरी समझ में आ गया था तो मैंने उसके चूचे को दोनों हाथ से दबाते हुए नीचे अपना लण्ड प्रिया की चूत पर दबा दिया।
मेरा लण्ड अभी आधा ही गया था कि प्रिया ने फिर से मुझे मेरे चूतड़ को पकड़ कर रुकने का इशारा किया तो मैं रुक गया और उसके चूचे दबाते हुए उसकी पीठ पर चुम्बन करने लगा।
तभी पारुल ने अपना गाना ख़त्म किया और बोली- भाई, ‘य’ से गाना है।
मैं प्रिया के मम्मे मसलते हुए गाना सोच रहा था, अभी कुछ ही देर हुई थी कि प्रिया ने फिर इशारा किया कि अब डालो, तभी मुझे भी गाना याद आ गया।
‘याहूऊऊऊऊऊऊऊ’ इतना कहते ही मैंने प्रिया की दोनों चूची को मसलते हुए एक जोर का घक्का उसकी चूत पर मारा और फिर गाना गाने लगा।
मेरा पूरा लण्ड प्रिया की चूत की गहराई में जाकर खो गया था।
प्रिया के मुंह से बस ‘ऊऊह्ह्ह्हूऊऊऊऊ’ की ही आवाज निकल पाई थी क्योंकि उसने अपना मुंह अपने एक हाथ दबा लिया था और जो आवाज निकली भी थी तो वो इतनी तेज नहीं थी कि पारुल उसको सुन सके।
मेरा गाना ख़त्म होने के बाद पारुल मेरे दिए हुए शब्द से गाना सोचने लगी और मैं प्रिया के बूब्स दबाता हुआ उसकी पीठ और गर्दन पर किस कर रहा था।
हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे, न तो प्रिया ने ही अपनी चूत हिलाई और न ही मैंने अपना लण्ड।
बस चूत में लण्ड डाले दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे।
कुछ देर बाद पारुल भी गाना सोचते सोचते वो भी सो गई।
जब काफी देर हो गई तो मैंने प्रिया के बूब्स दबाते हुए पारुल को आवाज दी- पारुल ! पारुल ! पारुल सो गई क्या?
पर पारुल ने कोई जवाब नहीं दिया वो सो चुकी थी।
प्रिया ने मुझसे धीरे से कहा– मेरे सजना, पारुल सो गई है।
यह तो मुझे भी पता चल चुका था इसलिए मैंने पीछे से ही अपने लण्ड को बाहर खींचा और कई धक्के उसकी चूत पर मार दिए।
प्रिया के मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थी पर बहुत धीरे धीरे।
फिर मैंने उसकी चूत से अपना लण्ड निकाला और उसको अपनी ओर घुमा लिया।
अब हमारे चेहरे एक दूसरे के सामने थे।
मैंने प्रिया को अपनी बांहों के आगोश में लेते हुए उसके लबों को चूमने लगा और प्रिया नीचे मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
फिर कुछ देर बाद मैं थोड़ा सा नीचे की ओर सरक गया अब प्रिया के मम्मे मेरे मुंह के सामने थे, मैं उसकी एक चूची को अपने मुंह में लेकर उसके चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को मसल रहा था।
मैं प्रिया की चूची बदल बदल कर चूस और पी रहा था, कभी कभी तो मैं उसकी चूची के निप्पल को अपने दांतों से काट लेता।
बड़ा ही मज़ा आ रहा था प्रिया के दूध पीकर।
मेरे ऐसा करने से उसकी और भी ज्यादा हालत खराब हो गई थी वो अब धीरे धीरे ‘ऊऊह्ह्ह्हूऊऊऊऊ आअह्ह्ह्ह’ कर रही थी।
जब प्रिया से नहीं रहा गया तो वो मेरे लण्ड को अपनी चूत में डालने की कोशिश करने लगी पर इस पोजीशन में मेरा लण्ड प्रिया की चूत के अन्दर नहीं जा रहा था तो प्रिया खुद ही मेरे ऊपर चढ़ गई, मैं उसके दोनों पैरों के बीच में लेटा हुआ था और प्रिया घुटने मोड़ कर मेरे लण्ड के ऊपर बैठी थी।
प्रिया ने अपने एक हाथ से मेरे लण्ड को अपनी चूत के छेद पर लगाया और थोड़ा सा नीचे को बैठने लगी।
मेरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा, जब मेरे लण्ड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया तो वो मेरे ऊपर लेट सी गई और उसने मेरे होंठ को अपने होंठ में दबाकर के जोर का धक्का मेरे लण्ड पर दे मारा।
‘ऊऊईईईईम्म्म्माआआआ!’
मेरा लण्ड उसकी चूत में पूरा समा गया, प्रिया की आवाज मेरे और उसके मुंह के अन्दर ही घुट कर रह गई।
प्रिया की चूची मेरे छाती पर दबी ही थी और मेरे दोनों हाथ उसके चूतड़ को सहला रहे थे।
प्रिया कुछ देर ऐसे ही मेरे ऊपर लेटी रही और फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी।
मैं उसकी जीभ को चूसने लगा और वो अपनी चूची मेरी छाती पर रगड़ने लगी।
कुछ देर बाद उसने अपनी गांड उठाकर मेरे लण्ड पर मारने लगी, एक तो हम दोनों के बदन में आग लगी हुई थी ओर ऊपर से हमारे ऊपर रजाई थी।
रजाई के अन्दर इतनी गर्मी हो गई थी कि हम दोनों को पसीने आ गए।
फ़िर मैं उसकी चूची अपने मुंह में डालकर पीने लगा और साथ ही मैंने उसके चूतड़ को अपने दोनों हाथों से कुछ ऊपर किये और फिर नीचे से उसकी चूत में लण्ड पेलने लगा।
मैं लगातार उसके बूब्स को चूसे जा रहा था और साथ ही मैं उसकी चूत पर नीचे से धक्के लगाये जा रहा था।
कमरे में हमारी चुदाई का मधुर संगीत गूंज रहा था, प्रिया की चूत से इतना पानी निकल रहा था कि जब भी मेरा लण्ड उसकी चूत में अन्दर बाहर होता तो फच फच फच फच की आवाज आती।
हमारी चुदाई के मधुर संगीत को कोई सुनने वाला नहीं था क्योंकि पारुल और मुकेश तो सोये हुए थे।
कुछ देर बाद ही प्रिया मेरे ऊपर लेटे लेटे थक गई तो उसने में कान में धीरे से कहा- भाई, मुझे नीचे लेकर चोदो।
प्रिया मेरे ऊपर से उतर कर नीचे बेड पर लेट गई उसके नीचे लेटते ही मैं उसके पैरों के बीच आया और पहले उसकी चूत को किस किया फिर उसकी चूत को चाटने लगा, अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा।
कुछ देर ऐसे ही चूत चाटने के बाद मैं प्रिया के मुंह की तरफ आया और अपने हाथ से अपना लण्ड उसके होंठों पर रख दिया।
प्रिया ने अपना मुंह खोल कर मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया, मेरे लण्ड के सुपाड़े को अपने होंठों में दबा कर उसको चूसने लगी। मेरा लण्ड चूसते हुए वो अपनी जीभ से मेरे लण्ड के सुपाड़े के छेद को कुरेदने लगी, उसके ऐसा करने से मुझे अपार आनन्द आ रहा था।
मेरा लण्ड प्रिया ने चूस चूस कर अपने थूक से तर कर दिया।
जब मेरा लण्ड प्रिया के थूक से तर हो गया तो मैं फिर से प्रिया के पैरों के बीच आ गया और उसके पैरों को चौड़ा करके अपना लण्ड उसकी चूत पर लगा कर एक जोरदार धक्का उसकी चूत पर दे मारा।
‘ऊऊऊईईम्म्म्माआआअ…’ वो धीरे से चीखी मेरा लण्ड पूरा उसकी चूत में उतर गया।
फिर मैंने उसकी चूची को पकड़ा और जोर जोर से धक्के मारने लगा।
हर धक्के पर उसके मुंह से ‘अऊऊआअय्य्य’ करके आवाज आती।
प्रिया चुदते हुए मेरी कमर को सहलाती तो कभी मेरे चूतड़ों को।
कुछ देर बाद ही मुझे लगा कि मेरा होने वाला है तो मैंने प्रिया को कहा- जान, मेरा होने वाला है।
तो प्रिया भी बोल पड़ी- भाई रुकना नहीं, रुकना नहीं मेरा भी होने वालाआआआआअ है!
और इतना कहते ही उसने मुझे जकड़ लिया, उसकी चूत से काम रस बह निकला जो मेरे लण्ड को तर कर रहा था।
मेरा भी अब होने की कगार पर था, मैंने आठ दस धक्के उसकी चूत पर कस कस के मारे और फिर मेरे लण्ड ने भी प्रिया की चूत में लावा उगल दिया, हम दोनों ही झड़ चुके थे।
मैं प्रिया के ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा जब तक मेरे लण्ड सिकुड़ कर उसकी चूत से बाहर न आ गया।
फिर प्रिया ने मुझे अपने ऊपर से हटने को कहा तो मैं उसके ऊपर से हट कर साइड में लेट गया।
वो उठी और बाथरूम में अपनी चूत को साफ़ करके फिर से मेरे पास आकर लेट गई।
मैंने प्रिया को बोला- कर लिया अपनी चूत को साफ़?
तो वो बोली- हाँ भाई!
तो मैंने कहा- मेरा लण्ड कौन साफ़ करेगा?
तो उसने कहा- सॉरी भाई, मैं भूल गई।
इतना कहने के बाद वो मेरे लण्ड के पास गई और फिर मेरे लण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और उसको अपनी जुबान से चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
मेरा लण्ड साफ़ करने के बाद वो फिर से मेरे पहलू में आकर लेट गई।
प्रिया नंगी ही बाथरूम गई थी जिसकी वजह से उसको ठण्ड लग रही थी, वो मुझसे लिपट कर लेटी हुई थी, वो अब भी कांप रही थी तो उसको मैंने अपने आगोश में पूरी तरह ले लिया।
कुछ देर बाद मेरे शरीर की गर्मी मिलने के कारण उसका बदन भी गर्म हो गया था।
कुछ देर बाद प्रिया ने कहा- भाई, चलो अब कपड़े पहन लेते हैं नहीं तो मुझे आपके आगोश में पड़े हुए बहुत जल्द ही नींद आ जायेगी।
मैंने प्रिया के लबों को चूमते हुए कहा- मेरा मन तेरे साथ नंगे सोने का है।
तो प्रिया ने मुझे समझाते हुए कहा- मेरे सजना, मेरे बलम… मेरी बात मान जाओ, जिद नहीं करते, अगर किसी ने हमको इस हालत में देख लिया तो बहुत मुश्किल हो जायेगी। जब घर में कोई नहीं होगा, तब तुम जो कहोगे, मैं वो सब करुँगी पर अभी खुद भी कपड़े पहन लो और मुझे भी पहने दो।
प्रिया की बात तो सही थी, इसलिए मैंने उसको कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपने कपड़े पहन लिए और प्रिया भी सूट सलवार पहन कर मुझसे चिपक कर लेट गई और मुझसे पूछा- भाई, आप मुझसे नाराज तो नहीं हो न?
तो मैंने कहा- नहीं जान, मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ।
और इतना कह कर हम दोनों एक दूसरे की कोली भर कर सोने की कोशिश करने लगे।

दोस्तो, यह थी मेरी और प्रिया की प्रेमलीला… आपको कैसी लगी।


















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Kamukta Stories-कहीं भाई जाग न जाए-4

Kamukta Stories-कहीं भाई जाग न जाए-4



मैंने उससे कहा- वो तो मुझे दिखाई दे रहा है, ख़ैर छोड़ो इस बात को, अब तो वो सब ही करेंगे जो उस मूवी में वो लड़का और लड़की कर रहे थे।
फिर मैंने प्रिया से कहा- उसके लिए तुमको सारे कपड़े उतारने पड़ेंगे, क्या तुम ऐसा कर लोगी?
इस बार प्रिया ने अपने मुंह से बस इतना ही कहा- इतना सब होने के बाद भी आप पूछ रहे हो?
प्रिया की बात सुनकर इधर मेरा लण्ड फिर से अंगड़ाई लेने लगा था और वो धीरे धीरे खड़ा हो रहा था।
प्रिया मेरे लण्ड को अंगड़ाई लेता हुआ बड़े ही गौर से देख रही थी।
मैंने प्रिया को कहा- तुम कोई पुराने चादर ले आओ इस बेड पर बिछाने के लिए क्योंकि तेल के कारण यह साफ़ चादर खराब न हो जाए।
प्रिया कुछ ही पलों में एक पुरानी सी चादर ले आई, वो मैंने बेड के एक कोने में बिछा दी।
मैं ये सब कर तो रहा था पर मेरे मन में एक शंका हो रही थी !
कहीं मामी न आ जाये और हमारा प्रोग्राम अधूरा न रह जाए।
मैंने प्रिया को यह बात बताई- कहीं तेरी मम्मी आ गई तो बहुत बुरा होगा।
मेरी बात सुनकर प्रिया बोली- भाई, मैं एक मिनट में आई !
और इतना कह कर वो नीचे गई, कमरे से मेरा फ़ोन ले आई और वो बोली- मुझे मम्मी का नम्बर मिला कर दो।
तो मैंने उसको उसकी मम्मी का फ़ोन नम्बर मिला कर दे दिया।
कुछ देर बाद मामी ने फ़ोन उठाया तो प्रिया ने कहा- मम्मी आप कितनी देर में आओगी? क्योंकि भाई को खाना दिया था तो वो बोल रहे है जब मामी आ जाएगी तभी खा लूँगा।
प्रिया की बात सुनकर मामी ने दूसरी तरफ से कहा- तू अपने भाई को खाना खिला दे, मुझे यहाँ पर टाईम लग जाएगा। मैं तो 4 बजे तक ही आ पाऊँगी।
प्रिया ने कहा- ठीक है, मैं भाई को खाना खिला दूंगी।
और यह कह कर प्रिया ने फ़ोन काट दिया।
और फिर उसके बाद मुझे सारी बात बताते हुए प्रिया बोली- मम्मी 4 बजे से पहले नहीं आने वाली ! और पारुल और मुकेश भी 2:30 तक ही आयेंगे।
प्रिया की बात सुनकर अब पूरी तरफ पक्का हो गया कि आज प्रिया की चुदाई पक्की है।
मैंने देखा भाई के लण्ड पर अभी भी कुछ बूंदें माल की उनके लण्ड पर रह गई थी। इसलिए मैंने अपनी जीभ निकली और भाई का लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया क्योंकि मैं अपने भाई का माल बर्बाद नहीं होने दे सकती थी।
मैं साजन- उसके बाद मैंने अपना लोअर ठीक किया और प्रिया से बोला– अब ऊपर चलते है क्योंकि हमें बहुत देर हो गई है।
प्रिया- हाँ भाई, ऊपर चलते हैं बहुत देर हो गई हैं। पर एक बात तो बताओ आप मेरी मसाज कब करोगे?
प्रिया ने कहा- वैसे भाई खाने का भी टाइम हो गया है आप कहो तो पहले खाना लगा दूँ?
मैंने कहा- अभी नहीं, भूख भी नहीं लग रही और फिर पहले यह काम ख़त्म कर लेते हैं, कहीं कोई आ गया तो यह भी अधूरा रह जाएगा।
प्रिया ने कहा- सही कह रहे हो भाई आप !
फिर मैंने प्रिया को तेल लाने को कहा तो प्रिया सरसों के तेल की शीशी ले आई।
मैंने प्रिया को कहा- अब तुम अपने कपड़े उतार कर इस चादर पर लेट जाओ।
मेरी बात सुन कर प्रिया अपने कपड़े उतारने लगी पर उससे कपड़े उतर नहीं रहे थे, अब उसको मेरे सामने शर्म आ रही थी उसे अपने कपड़े उतारते हुए।
मैं प्रिया की उलझन को समझ रहा था, और वैसे भी जब लड़की गर्म होती है और सेक्स के अधीन होती है तो उसकी शर्म गायब हो जाती है पर अब प्रिया को फिर से गर्म करना पड़ेगा तभी यह खुल कर मज़े दे पाएगी, इसलिए मैंने उससे कहा- एक काम करो, तुम मेरे मोबाईल में कोई मूवी देखो, तब तक मैं अपने कपड़े चेंज कर लेता हूँ, नहीं तो ये भी तेल में हो जायेंगे।
मैंने अपने फ़ोन में फिर वही फ़ोल्डर ओपन कर के प्रिया को दे दिया फिर मैं उसके सामने ही अपने कपड़े चेंज करने लगा।
मैंने पहले अपनी टी शर्ट उतारी, फिर मैंने अपना बनियान ऊपर दिया, फिर उसके बाद मैंने अपने लोअर भी उतार भी उतार दिया।
मैं प्रिया के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा था और प्रिया मुझे एकटक देखे जा रही थी।
मैंने प्रिया से कहा- ऐसे क्या देख रही हो? वो जो तौलिया रखा है वो दे दो।
प्रिया मेरे खड़े होते हुए लण्ड को अपनी प्यासी निगाहों से देखते हुए अपने होठों पर अपनी जीभ फिरा रही थी।
जब प्रिया ने मुझे तौलिया नहीं दिया तो मैं नंगा ही उसके सामने पहुँच गया जैसे ही में उसके करीब पहुँचा तो प्रिया ने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया।
मैंने अपने लण्ड को उसके हाथों से छुड़ाते हुए कहा- इसको बाद में पकड़ लेना, पहले मुझे वो तौलिया दो।
तो प्रिया बोली- भाई, आप ऐसे ही अच्छे लग रहे हो, और फिर तौलिया तो आपको उतरना ही पड़ेगा। तो उसे रहने ही दो।
मुझे उसकी बात ठीक लगी।
मैंने प्रिया को देखा, उसकी शर्ट के बटन सारे खुले हुए थे, उसके दोनों बूब्स सही से दिखाई दे रहे थे।
प्रिया के जिस्म पर अभी उसकी शर्ट मौजूद थी और उसका एक पैर दूसरे पैर पर रखा था जिससे उसकी योनि का क्या हाल है यह मुझे नजर नहीं आ रहा था।
प्रिया की गोदी में मेरा फ़ोन रखा हुआ था, मैंने देखा, फ़ोन में उस वक़्त चुदाई का सीन चल रहा था और प्रिया भी अब तक गर्म हो चुकी थी, वो मेरे लण्ड को ऊपर के नीचे अपने हाथ से कर रही थी।
मैंने प्रिया के कंधे पर अपना एक हाथ रखा तो उसका शरीर कांपने लगा।
अब मैं भी ज्यादा देर न करते हुए प्रिया की शर्ट उतारने लगा जिसमें प्रिया ने मेरी मदद की।
जब मैं प्रिया की शर्ट उतार रहा था तो उसने मोबाईल फ़ोन बंद करके एक तरफ रख दिया और फिर उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी।
अब प्रिया ऊपर से पूर्ण रूप से नग्न हो चुकी थी, प्रिया के बूब्स मुझे साफ साफ दिखाई दे रहे थे।
उसके बूब्स तो पहले से ही सख्त थे पर वो अब और भी सख्त दिखाई दे रहे थे, उसके बूब्स की गुलाबी निप्पल तन चुकी थी।
मैंने अपने दोनों हाथ प्रिया के दोनों बूब्स पर रखते ही प्रिया के मुंह से स्स्स्सीईईईइ की आवाज आई।
उसके बाद मैं उसके बूब्स को सहलाने लगा और उनको हल्का हल्का दबाने भी लगा।
कमरे में प्रिया की आवाज ‘ऊउअन्न्हाह्ह्ह’ और भी ज्यादा होने लगी थी।
प्रिया की चूची पर मेरा हाथ लगते ही मेरा लण्ड भी सलामी देने लगा था और काफी हद तक तन गया था जो प्रिया अभी भी प्रिया के हाथों में था।
कुछ देर ऐसे ही प्रिया के बूब्स दबाता रहा, फिर मैंने प्रिया को उस चादर पर चलने के लिए कहा जो कुछ देर पहले ही प्रिया ने बिछाई थी।
अब प्रिया मेरी हर बात को सहजता से मान रही थी उसने अपनी आँखें खोली और उठ कर उस चादर पर जाकर खड़ी हो गई और मेरी तरफ़ देखने लगी जैसे मुझसे पूछ रही हो की उसको कैसे लेटना है।
मैं प्रिया की मौन भाषा को समझ गया और उसको बोला- रुको, पहले तुम्हारे बचे हुए कपड़े निकाल देता हूँ।
प्रिया मेरी बात सुनकर हल्की सी मुस्कुराई और फिर उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
दोस्तो, मैंने उसकी एक बात नोटिस की वो यह कि अब प्रिया मुझसे बात नहीं कर पा रही थी जैसा वो पहले कर रही थी, बस अपनी आँखों के इशारे से ही मुझे बता देती थी।
मैं भी प्रिया के पास पहुँच गया, उसके चेहरे को देखा तो उसकी आँखें बंद थी।
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रखे तो उसकी सांसें थोड़ी ओर जोर से चलने लगी।
फिर मैंने प्रिया के स्कर्ट के हुक को खोल दिया और आहिस्ता आहिस्ता उसकी स्कर्ट को नीचे की ओर सरकने लगा।
जैसे जैसे मैं उसकी स्कर्ट को नीचे कर रहा था वैसे वैसे प्रिया की चूत बेपर्दा हो रही थी।
मुझे यह देखकर हैरानी हुई कि अभी कुछ देर पहले तो उसने पेंटी पहनी हुई थी पर अब उसके जिस्म पर पेंटी नहीं थी।
मैंने प्रिया से पूछा- तुमने पेंटी कब उतार दी?
तो प्रिया शर्माते हुए बोली- भाई, जब नीचे मैं मूवी देख रही थी वो मैंने तभी उतार दी थी।
इतना कह कर वो फिर चुप हो गई और मैं उसकी नंगी चूत देख रहा था।
बड़ा ही मस्त नजारा था उस वक़्त, जब उसकी स्कर्ट पूरी नीचे हो गई तो मैंने प्रिया को कहा- अपना पैर उठाओ, स्कर्ट निकालनी है।
जैसे प्रिया ने मेरी आवाज सुनी तो वो जैसे होश में आई हो, उसने मेरी तरफ देखा और फिर अपनी तरफ देखा और जैसे ही उसने अपने आपको देखा तो उसको अहसास हुआ कि वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी है।
तुरन्त ही उसने अपने एक हाथ से अपने वक्ष को ढक लिया और दूसरे हाथ से अपनी योनि को छुपा लिया जबकि एक एक हाथ से बूब्स और योनि को छुपा पाने में असमर्थ हो रही थी।
उसकी आँखें मुझे ही देख रही थी और मैं तो प्रिया के यौवन को निहार रहा था।
मैंने अब बिना कुछ कहे उसके पैर को अपने एक हाथ से पकड़ा और उसको थोड़ा सा ऊपर उठाने लगा।
अब की बार प्रिया ने अपना पैर थोड़ा सा ऊपर किया तो मैंने उसकी स्कर्ट एक पैर से निकाल दी, फिर वैसा ही मैंने उसके दूसरे पैर को ऊपर किया और पूरी स्कर्ट उसके जिस्म से अलग करके एक तरफ रख दी।
अब वो सम्पूर्ण रूप से मेरे सामने नंगी खड़ी थी अपने यौवन के खजाने को छुपाये हुए।
मेरा लण्ड उतेजना के मारे ऊपर नीचे हो रहा था जोकि उसे साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था क्योंकि मैं तो पहले से ही नंगा हो चुका था।
जैसे प्रिया ने मेरी आवाज सुनी तो वो जैसे होश में आई हो, उसने मेरी तरफ देखा और फिर अपनी तरफ देखा और जैसे ही उसने अपने आपको देखा तो उसको अहसास हुआ कि वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी है।
तुरन्त ही उसने अपने एक हाथ से अपने वक्ष को ढक लिया और दूसरे हाथ से अपनी योनि को छुपा लिया जबकि एक एक हाथ से बूब्स और योनि को छुपा पाने में असमर्थ हो रही थी।
उसकी आँखें मुझे ही देख रही थी और मैं तो प्रिया के यौवन को निहार रहा था।
मैंने अब बिना कुछ कहे उसके पैर को अपने एक हाथ से पकड़ा और उसको थोड़ा सा ऊपर उठाने लगा।
अब की बार प्रिया ने अपना पैर थोड़ा सा ऊपर किया तो मैंने उसकी स्कर्ट एक पैर से निकाल दी, फिर वैसा ही मैंने उसके दूसरे पैर को ऊपर किया और पूरी स्कर्ट उसके जिस्म से अलग करके एक तरफ रख दी।
अब वो सम्पूर्ण रूप से मेरे सामने नंगी खड़ी थी अपने यौवन के खजाने को छुपाये हुए।
मेरा लण्ड उतेजना के मारे ऊपर नीचे हो रहा था जोकि उसे साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था क्योंकि मैं तो पहले से ही नंगा हो चुका था।
मैंने अपना हाथ प्रिया के हाथ पर रख दिया जिस हाथ से उसने अपनी योनि को छुपा रखा था और धीरे धीरे उसके हाथ को सहलाने लगा और फिर मैंने प्रिया का हाथ पकड़ा और उसकी योनि से हटा दिया।
प्रिया ने कोई न नुकुर नहीं की और अपना हाथ अपनी योनि से हटा लिया पर उसने अपनी आँखें जरूर बंद कर ली थी।
अब प्रिया की चूत मेरी आँखों के सामने थी बड़ी ही मस्त लग रही थी योनि के ऊपर हल्के सुनहरी बाल उसकी चूत पर गजब ढा रहे थे।
प्रिया की चूत के दोनों तरफ की पत्ती उभरी हुई थी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसकी चूत से कुछ बूँदें रस की नीचे गिर रही थी और कुछ बूँदें उसकी चूत से निकल कर गिरने वाली थी।
इससे पहले चूत के रस की बूँदें बिस्तर पर गिरती, मैंने अपने मुँह से अपनी जीभ बाहर निकली और प्रिया की चूत पर उस जगह रख दी जहाँ से रस निकल कर बाहर आ रहा था।
मेरी जीभ ने जैसे ही प्रिया की चूत को टच किया ‘स्सस्सस्सीईईईईम्म्माआआआअ’ प्रिया मुंह से सिसकारी निकल गई।
प्रिया की चूत से रस टपकने से पहले ही मैं वो रस चाट गया, बहुत ही अच्छा स्वाद था उसकी चूत के रस का।
फिर मैंने उसकी चूत पर एक लम्बा सा चुम्बन किया।
अब तो प्रिया की हालत ओर भी खराब हो गई थी।
फिर मैं प्रिया की चूत की बीच की लकीर में अपनी जीभ डाल कर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर की ओर करने लगा।
प्रिया की टांगों में कम्पन होने लगा था और अब उसकी चूत ओर भी पानी छोड़ने लगी थी जिसे मैं अपनी जुबान से चाट जाता था।
मैंने प्रिया को इशारे से पैरों को और फैलाने के लिए कहा तो उसने तुरन्त ही अपने पैरों को और फैला लिया।
मैं थोड़ा सा नीचे की तरफ हुआ और उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा।
‘ऊऊऊऊईईईम्म्म्माआआआअ’ प्रिया के मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी और साथ ही उसका एक हाथ मेरे सर पर आ गया और वो मेरे बालों को सहलाने लगी।
इस वक़्त प्रिया बेड पर खड़ी थी और मैं बेड से नीचे जमीन पर खड़ा था।
मैंने भी अपनी पूरी जीभ उसकी चूत में घुसा दी अब तो प्रिया ने मेरे सर के बालों को छोड़ कर अपने दोनों हाथों से अपनी चूची को मसलने लगी।
उस वक़्त प्रिया को बहुत ही आनन्द आ रहा था जिसे वो अपनी सिसकारियों में बयान कर रही थी।
मैं जितना उसकी चूत को छेड़ता, उतना ही वो अपनी चूची को मसलती।
कुछ देर बाद प्रिया झड़ने लगी, उसने मेरा सर अपनी जांघों के बीच दबा लिया, मैं प्रिया की चूत का सारा माल चट कर गया।
जब वो पूरी तरह झड़ गई तो उसने मेरा सर अपनी जांघों से आजाद कर दिया।
अब प्रिया की वो हालत थी की उससे अब खड़ा नहीं हुआ जा रहा था।
फिर मैंने उसको मैंने बेड पर लेटने का इशारा किया और वो मेरा इशारा समझ गई।
वो बेड पर लेट गई।
प्रिया अब मेरे सामने बेड पर पीठ के बल नंगी लेटी हुई थी, उसका सर बेड के किनारे पर था।
प्रिया ने अपनी आँखें बंद की हुई थी और जो मैं अब करने वाला था वो बस अब उसका इंतजार कर रही थी।
मैं प्रिया के सर की तरफ खड़ा था।
फिर मैंने तेल की शीशी उठाई और सबसे पहले मैंने उसकी चूची को पकड़कर उस पर तेल डाला।
दोनों चूचियों पर तेल डालने के बाद मैंने तेल की शीशी एक तरफ़ रख दी और अपने हाथों से उसकी चूची पर तेल मसलने लगा।
जब दोनों चूची पूरी तेल में हो गई तो मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों के बीच में रखे और अपने दोनों हाथ उसके बदन पर रगड़ते हुए नीचे की ओर लाने लगा फिर उसके मम्मों के नीचे से होता हुआ उसकी बगल तक हाथ ले गया फिर अपने दोनों हाथ फिर से ऊपर लाया।
अब मेरे हाथों ने प्रिया के बूब्स को इस तरह से पकड़कर ऊपर उठाये हुए थे कि उसके दोनों बूब्स आपस में मिल गए और फिर हाथ ऊपर ले जाकर एक एक उसकी चूची के ऊपर से लाता हुआ उनको दबा देता।
उसकी चूचियों की अपने दोनों हाथों से इसी तरह से मालिश करने लगा मैं।
प्रिया के बूब्स को मैं कभी कभी बड़ी ही बेदर्दी से मसल देता जिसके कारण प्रिया की मस्ती से डूबी हुई ऊऊऊउईईईईईई सिसकारियाँ निकल जाती।
पूरे कमरे में प्रिया की सिसकारियाँ गूंज रही थी।
फिर मैं उसकी दोनों चूचियों के निप्पल पकड़ कर उसको मसलने लगा।
अब तो प्रिया की और भी हालत और भी ख़राब हो गई थी इसलिए तो वो ‘स्स्स्सीईईईईइ’ करते हुए अपने ही दांतों से अपने होंठ काटने लगी थी।
प्रिया के होंठ और भी गुलाबी और भी सेक्सी हो गए थे।
मैंने भी अपने होठों पर अपनी जीभ फिराई और उसके बूब्स को पूरी ताकत से मसलते हुए मैं थोड़ा सा नीचे की ओर झुका, अपने होंठ प्रिया के होंठों पर रख कर उसके रस भरे होंठों को चूसने लगा।
प्रिया भी मेरा पूरा पूरा सहयोग कर रही थी।
कभी मैं उसके होंठों को चूसता तो कभी वो मेरे होंठों को चूसती और साथ-साथ मैं उसकी चूचियों को भी मसल रहा था।
प्रिया को पूर्ण नग्न करके उसके रसीले होंठों को चूसने का मज़ा ही कुछ अलग था।
प्रिया का तो शायद लाइफ इस तरह का पहला चुम्बन था इसलिए मुझसे ज्यादा मज़ा तो उसको आ रहा होगा।
मैं प्रिया को दोहरा मज़ा दे रहा था किस का और बूब्स के मर्दन का भी।
कुछ देर बाद जब मैं प्रिया से अलग हुआ तो प्रिया के होंठ ऐसे हो गए थे जैसे कि अभी उनमें से खून निकल पड़ेगा।
फिर मैंने प्रिया के पेट पर तेल डाला और उसकी मालिश करने लगा, उसका नाजुक पेट और उसकी गहरी नाभि बड़ी ही मनमोहक लग रही थी।
फिर मैंने अपना हाथ पेट से नीचे ले जाकर उसकी चूत की उभरी हुई पत्तियों की मालिश करने लगा।
मालिश करते हुए मैं अपनी उंगली प्रिया की चूत के अन्दर कर दिया करता जिससे वो उछल पड़ती थी।
प्रिया की चूत फिर से गीली हो चुकी थी, उसकी चूत से रह रहकर पानी निकल रहा था।
कुछ देर मैं ऐसा ही करता रहा, और फिर मैंने उसको पलटने के लिए कहा तो वो पलट कर लेट गई।
उसके लेटने के बाद मैंने कुछ तेल उसकी कमर और गांड के उभरे हुए चूतड़ों और उनकी दरार में डाल दिया।
इससे आगे मेरे हाथ नहीं जा सकते थे, यह बात प्रिया भांप गई और वो खुद ही आगे की ओर सरक गई।
अब उसकी गर्दन बेड से बाहर की ओर निकली हुई थी।
उसके बाद मैंने अपने दोनों हाथ उसके नंगे जिस्म पर रखे और तेल को उसके बदन पर फैलाने लगा।
अब मेरे हाथ उसकी गांड पर से होते हुए चूत पर भी पहुँच रहे थे और उसके चूतड़ों की मालिश करता हुआ मैं प्रिया की चूत भी सहला देता था।
प्रिया का मुंह अब मेरे लण्ड के बहुत ही करीब था तो उसने भी अब अपने हाथों को हरकत दी और उसने अपने एक हाथ से मेरी कमर को पकड़ कर, दूसरे हाथ से मेरा लण्ड धीरे धीरे अपने हाथों से सहलाने लगी।
मेरा लण्ड तो पहले से ही खड़ा हुआ मचल रहा था।
मैंने प्रिया को देखा और उसने मुझे देखा और नजरें मिलते ही वो मुस्कुरा दी और फिर थोड़ा सा आगे की ओर आ गई मेरे लण्ड के और करीब।
उसके ऐसा करने से मुझे भी बहुत आनन्द आ रहा था इसलिए मैं भी अपने दोनों हाथों से प्रिया की कमर को कसकर मसलने लगा, फिर कुछ देर बाद ही प्रिया मेरे लण्ड का टोपा खोलकर उसको अपने नाजुक होंठों के बीच रखकर उसको चूसने लगी।
अब तो मेरी भी हालत और भी खराब होने लगी तो मैं भी प्रिया की गांड के ऊपर अपने हाथ फिराता हुआ उसकी चूत को छेड़ने लगा।
अब प्रिया और मैं दोनों ही मदहोशी के आलम में खोते जा रहे थे, मैं खड़ा था और प्रिया उलटी पेट के बल लेट कर मेरा लण्ड चूस रही थी।
प्रिया की चूत तो इतना पानी छोड़ रही थी मानो वो मूत रही हो और मुझे भी अब लगने वाला था कि मैं कहीं इसके मुंह में ही न झड़ जाऊँ।
इसलिए मैंने उसकी मालिश रोक दी।
मेरे रुकते ही प्रिया ने मेरा लण्ड अपने मुंह से निकाला और मुझसे पूछने लगी- क्या हुआ भाई? आप रुक क्यों गए? बहुत मज़ा आ रहा था।
इतनी देर बाद उसके मुख से ये शब्द निकले जो अभी तक चुप थी।
मैंने प्रिया को कहा- अब टाइम बहुत हो गया है, कहीं ऐसा न हो कोई आ जाये और फिर…?
इतना कह कर मैं चुप हो गया प्रिया ने घड़ी की तरफ देखा और कहने लगी- भाई, अभी तो मम्मी और पारुल को आने में टाइम है।
उसकी आवाज में वासना साफ़ साफ़ झलक रही थी।
मैंने कहा- वो तो ठीक है पर मुझे इतनी ही मालिश आती है, और वो मैंने कर दी। पर तुमसे एक बात पूछूँ?
तो वो बोली- आप बाद में पूछना, पहले आप मेरी मालिश पूरी करो।
तो मैं बोला- हो तो गई, अब क्या बचा है?
तो उसने मेरा लण्ड अपने हाथ में जो अभी तक पकड़ा हुआ था, उसको दबाते हुए बोली- अभी इससे तो आपने कुछ किया ही नहीं।
मैं– मैं कुछ समझा नहीं?
जबकि मैं सब समझ चुका था।
प्रिया– भाई, आपने मेरी इसकी (अपनी चूत पर हाथ रखते हुए बोली) तो मालिश की ही नहीं, अपने इससे (मेरे लण्ड को दबा कर) करो न भाई!
मैं– यह तुमको कैसे पता कि चूत की मालिश लण्ड से होती है।
प्रिया शर्माते हुए- भाई इतना सब कुछ होने के बाद और वो वीडियो देखने के बाद मुझे सब पता चल गया है। भाई, क्यों तड़पा रहे हो अपनी इस छोटी बहन को, पहले इसमें अपना लिंग डाल कर मेरी योनि की भी मालिश कर दो।
कंट्रोल तो मुझसे भी नहीं हो रहा था तो अब मैं भी देर न करते हुए बेड के ऊपर आ गया।
तब तक प्रिया भी सीधी लेट चुकी थी, मैंने प्रिया की चूत पर हाथ फेरा तो प्रिया बोली- भाई, अब जल्दी करो न, पता नहीं मेरी इसमें क्या हो रहा है।
मैंने प्रिया को समझाते हुए बोला- तुमको पता है कि इसको योनि के आलावा और क्या कहते हैं?
तो उसने कहा- हाँ भाई।
मैंने कहा- तो बताओ फिर क्या है ये?
मैंने उसकी चूत में एक उंगली डालते हुए कहा तो वो उछल गई ‘आआह्ह्ह्ह्ह भाई… इसको चूत भी आआह्ह्ह और बुर भी कहते हैं और आपके लिंग को ऊऊम्म्म्म्म लण्ड, लौड़ा कहते हैं।’
प्रिया इतनी उत्तेजित हो गई थी कि अब उसको यह लग रहा था कि कहीं इन बातों में समय न बीत जाए और उसकी चुदाई ही न हो पाए।
मैं भी मौके की नजाकत को समझते हुए प्रिया की दोनों टांगों के बीच आ गया और अपना लण्ड उस नाजुक चूत पर रगड़ने लगा और कहने लगा- जब मैं अपना लण्ड तेरी चूत में डालूँगा तो तुझे थोड़ा दर्द होगा और यह दर्द पहली बार सब को होता है।
प्रिया– भाई, आप डालो न… कुछ भी नहीं होगा ! जो होगा वो मैं सहन कर लूँगी, बस आप डाल दो।
प्रिया को मेरा लण्ड अपनी चूत में लेने की इतनी जल्दी थी कि इतना कहने बाद वो खुद ही अपनी गांड उठा कर अपनी चूत मेरे लण्ड पर दबाने लगी।
फिर क्या था ! मैंने भी अपना लण्ड प्रिया की चूत के छेद पर लगाते हुए उसकी कमर को पकड़ कर एक झटका उसकी चूत पर मारा।
‘आआईई म्म्माआआआआअ मरर गैईईईईईईईई…’ उसकी मुंह से चीख निकल गई मेरे लण्ड उसकी चूत को चीरते हुए उसकी चूत में जाने लगा।पर अभी प्रिया की चूत में मेरे लण्ड का टोपा प्रिया ही अन्दर घुसा था।
प्रिया की चीखे सुनने वाला पूरे घर में नहीं था इसलिए मैं निश्चिंत था।
प्रिया– भाई, धीरे से करो आआआऐईईईईईइ… न बहुत दर्द होता है।
मैं– मैंने तो पहले ही कहा था, तू ही कह रही थी डालो डालो, अब डाल दिया तो कह रही हो धीरे डालो।
प्रिया– हाँ भाई, पर धीरे से करो न !
मैं– ठीक है धीरे धीरे ही करूँगा अब।
मैंने धीरे से अपना लण्ड उसकी चूत में हल्का सा सरका दिया तो वो बोली- हाँ भाई, ऐसे ही करो, ऐसा करने से दर्द कुछ कम होता है।
पर मैं सोच रहा था कि अगर मैं ऐसे ही करता रहा तो हमारी चुदाई पूरी भी नहीं हो सकेगी और जिस हिसाब से यह करने के लिए कह रही है उस हिसाब से तो बहुत टाइम लग जाएगा।
इसलिए मैंने कुछ और ही सोच लिया पर इसके बारे में मैंने प्रिया को नहीं बताया और फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूची पकड़ी और बहुत तेज धक्का प्रिया की चूत पर दे मारा।
‘आआआऐईईईईइ म्मम्मा गईईईईईईईस्सस्सस…’ प्रिया की चीखें पूरे घर में गूंजने लगी।
मैंने भी उसकी चीखों को दबाने की कोशिश भी नहीं की क्योंकि मुझे पता था घर में कोई नहीं है, और मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था उसको चीखते चिल्लाते हुए देखकर।
मेरा आधा लण्ड प्रिया की चूत में समां गया था।
प्रिया को बहुत तेज दर्द हो रहा था और वो मुझे अपने दोनों हाथों से पीछे की ओर धकेल रही थी जिससे मेरा लण्ड उसकी चूत से निकल जाए पर मैंने भी उसको कस कर पकड़ा हुआ था नहीं तो मेरा लण्ड उसकी चूत से निकल गया होता।
वो अभी भी सिसक रही थी पर मैंने उसकी भी परवाह न करते हुए उसके कंधों को अपने दोनों हाथो से मजबूती से पकड़ा और फिर एक धक्का और उसकी चूत पर दे मारा।
‘आऐईईईइ आआऐईईईईईइ माआआअ मार्र्रर्र्र गआआआईईईईईईईइ…’
अबकी बार धक्का इतना तेज था कि वो बेड से कुछ ऊपर उछल गई, अगर मैंने उसको मजबूती से न पकड़ा होता तो यक़ीनन वो अब तक भाग गई होती, पर मैंने उसको हिलने तक नहीं दिया।
प्रिया मुझे बार-बार अपने से अलग करने की हर मुमकिन कोशिश कर रही थी, प्रिया की चूत से खून निकल कर बाहर आ गया था और अबकी बार उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।
प्रिया की सील को मैंने आज तोड़ ही दिया, जिसके कारण मैं तो बहुत खुश था पर इस वक्त प्रिया की हालत बहुत ख़राब हो रही थी।
प्रिया मुझे बहुत कुछ कह रही थी- आप को बोला था, आराम से करो पर तुम तो ऐसा कर रहे हो? आआईईईईईईईईइ जैसे मैं कहीं भागी जा रही थी।
और वो अपनी टांगों से मुझे हटाने की भरपूर कोशिश कर रही थी।
मैं उसके ऊपर लगभग लेट गया और उसके आँसू को अपने हाथ से साफ़ करते हुए बोला- सॉरी यार… पर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और फिर टाइम भी ज्यादा नहीं था।
मैंने प्रिया से कहा- तुम्हें जो दर्द होना था, वो हो गया, अब तुमको भी कुछ देर बाद मज़ा आएगा।
तो प्रिया तुनक कर बोली- अच्छा ठीक है, पर अभी कुछ देर के लिए अपना लण्ड मेरी योनि से बाहर निकाल लो, बहुत दर्द कर रहा है।
मैंने प्रिया को बातों में लगाये रखा और साथ साथ ही उसकी चूचियों को भी सहलाता रहा पर उसकी चूत से अपना लण्ड बाहर नहीं निकाला।
कुछ देर बाद शायद प्रिया को दर्द में आराम हो गया था इसलिए वो अपनी गांड को बार बार हिला रही थी।
जैसे ही मुझे इस बात का एहसास हुआ तो मैंने भी अपना लण्ड चूत से बस इतना ही बाहर निकाला की चूत के अन्दर बस मेरे लण्ड का ही टोपा ही रहे।
क्योंकि पूरा लण्ड तो अभी तक प्रिया की चूत में गया ही नहीं था, कुछ लण्ड बाहर ही रह गया था इसलिए मैंने सोचा कि लण्ड बाहर निकाल कर फिर पूरा लण्ड डाल दूंगा उसकी चूत में।
बस फिर क्या था, जिस गति मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाला था, फिर वापस उसी गति से डाल दिया चूत में !
मैं उसके ऊपर लगभग लेट गया और उसके आँसू को अपने हाथ से साफ़ करते हुए बोला- सॉरी यार… पर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और फिर टाइम भी ज्यादा नहीं था।
मैंने प्रिया से कहा- तुम्हें जो दर्द होना था, वो हो गया, अब तुमको भी कुछ देर बाद मज़ा आएगा।
तो प्रिया तुनक कर बोली- अच्छा ठीक है, पर अभी कुछ देर के लिए अपना लण्ड मेरी योनि से बाहर निकाल लो, बहुत दर्द कर रहा है।
मैंने प्रिया को बातों में लगाये रखा और साथ साथ ही उसकी चूचियों को भी सहलाता रहा पर उसकी चूत से अपना लण्ड बाहर नहीं निकाला।
कुछ देर बाद शायद प्रिया को दर्द में आराम हो गया था इसलिए वो अपनी गांड को बार बार हिला रही थी।
जैसे ही मुझे इस बात का एहसास हुआ तो मैंने भी अपना लण्ड चूत से बस इतना ही बाहर निकाला की चूत के अन्दर बस मेरे लण्ड का ही टोपा ही रहे।
क्योंकि पूरा लण्ड तो अभी तक प्रिया की चूत में गया ही नहीं था, कुछ लण्ड बाहर ही रह गया था इसलिए मैंने सोचा कि लण्ड बाहर निकाल कर फिर पूरा लण्ड डाल दूंगा उसकी चूत में।
बस फिर क्या था, जिस गति मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाला था, फिर वापस उसी गति से डाल दिया चूत में !
‘ऊऊऊऊईईईम्म्म्माआआअ माआआआअ ग्ग्गाआऐईई…’ वो फिर से चीख पड़ी पर अब उसकी चीखो में दर्द के साथ-साथ आनन्द की भी झलक थी।
मैंने उसके होंठों को चूमते हुए कहा- अब कैसा लग रहा है तुमको?
तो वो बोली- भाई, दर्द तो अभी भी हो रहा है पर अब मज़ा भी आ रहा है, करते जाओ।
फिर वो मस्ती में चूर होकर बड़बड़ाने लगी- और लगाओ जोर से धक्का… आज से मैं आपकी हूँ… आज से तुम मेरे साजन भाई हो और मैं आपकी सजनी बहना।
मैंने भी उसकी चूत से अपना लण्ड खींचते हुए फिर से उसकी चूत में लण्ड पलते हुए कहा– हाँ मेरी सजनी बहना। अब तो मैं जब भी आऊँगा यहाँ पर तो मुझसे चुदाई तो करवओगी न?
तो प्रिया बोली– हाँ मेरे साजन भाई, आपका जब मन हो चोद लेना अपनी सजनी बहना को।
प्रिया की बातें सुनते सुनते मुझे और जोश आ गया और फिर मैं पूरी ताकत से उसकी चुदाई करने लगा।
वो मेरे हर धक्के पर चीख उठती- आआआऐईईईईइह य्यूऊओआआआ’
और वो हर धक्के पर कहती- भाई और जोर से…
तो मैं और जोर लगा कर उसकी चूत पर धक्का मारता।












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Kamukta Stories-कहीं भाई जाग न जाए-3

Kamukta Stories-कहीं भाई जाग न जाए-3




प्रिया को देखते ही मुझे रात का वो सीन याद आ गया और मेरे चेहरे पर मुस्कान आई गई।
जब प्रिया नाश्ता बेड पर रख रही थी तो मैंने प्रिया से कहा- ये दोनों भी उठ गए है इनके लिए भी नाश्ता ले आती!
पर मेरी बात का प्रिया ने कोई जवाब नहीं दिया और वो वापस जाने लगी तो मैंने उसको कहा- प्रिया क्या हो गया तुमको? तबियत तो ठीक है न।
मैं उसको यह दर्शाना चाह रहा था कि मुझे रात की घटना के बारे में कुछ नहीं पता।
और मेरी थोड़ी सी कोशिश के बाद उसको विश्वास हो गया कि मुझे रात की बात का कुछ भी नहीं पता, तब जाकर वो नार्मल हुई।
प्रिया- जब मैं साजन भाई के सामने गई तो साजन भाई से नजर नहीं मिलाई जा रही थी। पर भाई की बात से मुझे लगा कि भाई को रात के बारे में कुछ नहीं पता… इसलिए मैं भी अब नार्मल हो गई थी।
फिर मैंने पारुल और मुकेश को भी नाश्ता करवाया, उसके बाद मैंने भाई से पूछा- आपको कहीं जाना तो नहीं है, मम्मी पूछ रही थी तो साजन भाई ने कहा नहीं आज तो मुझे कहीं नहीं जाना।
इतना सुनकर मैं वापस रसोई में मम्मी का हाथ बंटाने आ गई और मम्मी को भी बता दिया कि आज भाई को कही नहीं जाना।
कुछ देर बाद पापा भी अपने ऑफिस निकल गए।
हमें घर का काम खत्म करते करते मुझे 11 बज गए थे और 11:30 पर हमारा घर का सारा काम ख़त्म हो चुका था।
दोपहर में 12 बजे मम्मी ने मुझसे कहा- मैं पड़ोस में जा रही हूँ, 2-3 घंटे में आ जाऊँगी, खाना मैंने बना दिया है, जब भूख लगे खा लेना और अपने भाई को भी खिला देना।
मैंने कहा- ठीक है मम्मी !
और फिर मम्मी तैयार होकर पड़ोस में चली गई।
साजन भाई, पारुल और मुकेश टी वी देख रहे थे।
मुझे रात की बात याद आई और मैं सोचने लगी कि यह अच्छा हुआ, मम्मी पड़ोस में चली गई। आज मैं कोशिश करती हूँ कि किसी तरह से मैं भाई को अपने साथ सेक्स करने के लिए तैयार कर सकूँ। क्योंकि रात को भाई का चूसने के बाद मेरे अन्दर चुदाई का कीड़ा जोर मार रहा था और मैं अभी चाहती थी कि भाई भी मेरी योनि को चूसे, खा जाए और जम कर मेरी चुदाई करे, जब तक भाई यहाँ रहे तब तक हम मौज मस्ती कर सकें।
बस फिर क्या था भाई को रिझाने के लिए मैंने अपने कपड़े चेंज कर लिए।
दिन में इतनी ठंड तो थी नहीं, क्योंकि ठंड अभी रात को ही होती थी, दिन में मौसम नोर्मल ही था अभी, इसलिए मैंने शर्ट और स्कर्ट पहन ली पर शर्ट के नीचे ब्रा नहीं पहनी और स्कर्ट के नीचे गुलाबी रंग की पेंटी जरूर पहन ली थी।
जो स्कर्ट मैंने पहनी थी वो बहुत ही शार्ट थी जिसमें मेरी गोरी टाँगें और आधी से ज्यादा मेरी जांघें दिखाई दे रही थी, और स्कर्ट ने तो बस मेरी पेंटी ही छुपा रखी थी बाकी सब तो ओपन ही था।
ब्रा न पहनने के कारण शर्ट में मेरे बूब्स का आकर सही से नजर आ रहा था।
जब मैं तैयार होकर आईने के सामने आई तो आज मैं खुद को ही बहुत सुन्दर और सेक्सी लग रही थी।
आईने में देखते हुए मैंने अपनी शर्ट के ऊपर के दो बटन भी खोल दिए, शर्ट के दो बटन खुलते ही मेरे बूब्स दिखाई देने लगे।
अब मैं और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी, अब मुझे पूरा यकींन हो गया था कि साजन भाई मेरी मस्त मस्त, गोल गोल चूचियों को देखकर मुझ पर जरूर फ़िदा हो जायेंगे।
शर्ट के नीचे ब्रा तो थी नहीं और ऊपर के दो बटन भी खुले हुए थे, तो मुझे ऐसा लग रहा था कि हवा भी मेरी चूचियों को छेड़ती हुई महसूस हो रही थी।
मैं अपने कपड़े बदल कर भाई के पास पहुँची, जिस कमरे में साजन भाई और मेरे भाई बहन तीनों टी वी देख रहे थे। मैं भी वहीं साजन भाई के सामने कुर्सी पर बैठ गई।
मुकेश और पारुल टी वी के नजदीक आगे की तरफ बैठे थे, अगर मैं कोई भी हरकत करती तो उन दोनों को पता नहीं चल पाता।
मुकेश और पारुल दोनों ही बड़े ध्यान से टी वी देख रहे थे, पर जैसे ही मैं कुर्सी पर बैठी तो साजन भाई का ध्यान मेरी तरफ गया और वो मुझे एकटक देखने लगे और बस देखते ही जा रहे थे।
मेरे इस बदले हुए रूप को शायद ही उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था।
कभी वो मेरे चेहरे को देखते तो कभी वो मेरे बूब्स देख रहे थे जो कि दो बटन खुले होने के कारण कुछ ही ज्यादा बाहर को आ गए थे।
भाई का ध्यान अब मेरे बूब्स में ही अटका हुआ था इसलिए मैंने अपनी सोची समझी हुई दूसरी चाल भी चल दी मतलब यह कि मैंने अपने दोनों पैरो इस तरफ से खोले कि उनको यह महसूस ही न हो कि मैं ये सब जान बूझकर कर रही हूँ।
जैसे ही मैंने अपने दोनों पैर खोले तो साजन भाई की नज़र मेरे बूब्स से होते हुए मेरी टांगों के बीच गई। वहाँ पर उनकी नजर गुलाबी पेंटी से ढकी हुई मेरी अनछुई चूत पर गई।
मेरी गुलाबी पेंटी में मेरी चूत का उभरा हुआ भाग साफ़ साफ़ साजन भाई को दिखाई दे रहा था।
एक पल को तो साजन भाई पलके झपकाना ही भूल गए थे।
मैं साजन- पारुल, मुकेश और मैं कमरे में बैठ हुए टी वी पर फ़िल्म देख रहे थे तभी मेरी नज़र कमरे में आती हुई प्रिया पर पड़ी।
तो उससे देखता का देखता ही रह गया… क्या मस्त और सेक्सी लगी रही थी और उसने आज कपड़े भी बहुत सेक्सी ही पहने थे।
उसने शर्ट और मिनी स्कर्ट पहनी हुई थी।
जब प्रिया कमरे में चलती हुई आई तो उसके बूब्स हवा में उछल रहे थे और प्रिया के शर्ट के दो बटन भी खुले हुए थे जिससे चलते हुए उसके बूब्स बाहर को आ जाते थे।
जो स्कर्ट प्रिया ने पहनी हुई थी वो बस उसके चूतड़ और योनि को ही छुपाये हुई थी।
उसकी चिकनी जाँघ देखकर मेरा लिंग अंगड़ाई लेने लगा था। मुझे उसका यह रूप देखकर अंदाजा हो गया था कि यह क्या चाह रही है।
मुझे तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि रात प्रिया ने मेरा लण्ड चूसा और अब ये सब देखने को मिल रहा है।
आज मुझे लगा कि प्रिया की चूत का मेरे लण्ड से संगम होकर ही रहेगा।
प्रिया कमरे में आकर साइड में रखी हुई कुर्सी पर मेरे सामने बैठ गई, फ़िल्म पारुल और मुकेश की पसंद की आ रही थी कि पारुल और मुकेश ने प्रिया की तरफ ध्यान ही नहीं दिया पर मेरा ध्यान अब टी वी में कहाँ था, अब तो बस मुझे प्रिया ही नजर आ रही थी।
कुर्सी पर बैठ कर वो टी वी देखने लगी और मैं उसके बूब्स को देख रहा था। शर्ट के ऊपर प्रिया के बूब्स की निप्पल मुझे साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी, कुछ देर बाद प्रिया ने अपने पैरों को खोल कर चौड़ा कर लिया।
जैसे ही प्रिया ने अपने पैरों को खोला तो उसकी गुलाबी रंग की कच्छी नजर आने लगी और उस कच्छी से झांकती हुई उसकी चूत के भी दर्शन हो रहे थे जिसे देखकर मेरा लण्ड अंगड़ाई लेने लगा।
कुछ देर बाद ही मेरा लण्ड पूरी तरफ तन कर खड़ा हो गया।
मुझे तो लग रहा था कि प्रिया ये सब जान बूझकर कर रही है।
मैं अपना लण्ड अपने एक हाथ से मसल रहा था और उसकी चूत को अपनी आँखों से ही चोदने की भरपूर कोशिश कर रहा था।
प्रिया मुझे चोर निगाहों से देख रही थी, मेरे लण्ड का तो बहुत बुरा हाल हो गया था।
मैं अपना लण्ड मसलते हुए प्रिया को देख रहा था तो वो थोड़ा सा नीचे की तरफ कुछ इस तरफ से झुकी की उसकी पूरी चूची मुझे साफ़ साफ़ दिखाई दे गई और जब वो ऊपर की तरफ उठी तो मेरी और प्रिया की नजरें आपस में मिली।
मुझसे नजरें मिलते ही वो मुस्कुरा दी और बदले में, मैं भी अपना लण्ड मसलते हुए मुस्कुरा दिया।प्रिया- साजन भाई ने नहाने के बाद वही लोअर पहना हुआ था जो उन्होंने रात को सोते समय पहना था और शायद उन्होंने अब भी लोअर के नीचे भी कुछ नहीं पहना था इसलिए तो मुझे उनके लोअर में उनका लण्ड अंगड़ाई लेता हुआ दिखा दे रहा था।
मैं भाई को चोर नजर से देख रही थी भाई बड़ी बेदर्दी से अपना लण्ड मसल रहे थे और मैं ये देखकर मन ही मन खुश होते हुए सोच रही थी कि अब मंजिल दूर नहीं है।
मैं साजन भाई को तड़पाने के लिए कुर्सी पर कुछ इस तरह से झुकी के उनको मेरी चूची पूरी नजर आ जाए साजन भाई को अपनी चूची दिखने के बाद मैंने एक नजर उनकी तरह देखा तो मैं भाई को देखकर मुस्कुरा दी। साजन भाई मेरी चूत और चूची को देखते हुए अपना लण्ड मसल रहे थे।
मैं- लण्ड मसलते हुए जब मुझे काफी देर हो गई और मुझे लगने लगा कि अगर में ऐसे ही मसलता रहूँगा तो मैं झड़ जाऊँगा और मेरा लोअर भी खराब हो जाएगा। मैं किसी से कुछ भी बिना बोले बाहर निकल आया और नीचे जाने लगा, मामा मामी के बाथरूम में मुठ मारने के लिए…
मैं अभी नीचे पहुंचकर मामा मामी के रूम में घुसने ही वाला था।
प्रिया- भाई को पता नहीं अचानक क्या हुआ वो बिना कुछ बोले बाहर निकल गए।
साजन भाई के कमरे से निकलते ही मैं भी उठकर उनके पीछे कमरे से बाहर निकल आई।
मैंने देखा भाई कमरे से निकल कर नीचे जा रहे है, मैं भी उनके पीछे पीछे हो ली।
भाई मेरे आगे आगे चल रहे थे और मैं उनके पीछे पीछे।
साजन भाई मम्मी पापा के रूम के अन्दर जा रहे थे कि तभी मैंने साजन भाई को आवाज लगाई।
तब तक भाई रूम के अन्दर घुस चुके थे, मेरी आवाज सुनकर वो रुक गए और उन्होंने पलट कर मेरी तरफ देखा तो भाई अभी भी अपने हाथ से अपने लण्ड को मसल रहे थे।
मैं भाई के करीब पहुंची तो उन्होंने अपना हाथ लण्ड से हटा लिया पर भाई का लण्ड खड़ा हुआ मुझे साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था।
भाई मेरी शर्ट के अन्दर से बाहर की ओर निकलते हुए बूब्स देखने लगे।
भाई की आँखों में मुझे कुछ अजीब सा ही नशा नज़र आ रहा था।
मैं साजन- जब प्रिया ने मुझे पीछे से आवाज दी तो मैं समझ गया कि यह लड़की मुझसे चुदना चाह रही है इसलिए तो ये सब ड्रामा कर रही है।
मैंने भी अब सोच लिया कि इससे साफ़ साफ़ बात कर ही लूँ।
इसलिए जब वो मेरे नजदीक आई तो मैंने उसकी चूची को घूरते हुए पूछा- क्या बात है प्रिया?
प्रिया- भाई आप मुझे मसाज वाली वीडियो दिखने वाले थे वो कब दिखाओगे? और क्या आप मेरी मसाज भी कर दोगे?
मैं साजन- अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था मन तो कर रहा था अभी चोद दूँ, पर ऊपर मुकेश और पारुल थे इसलिए मैंने प्रिया को अभी चोदने का विचार छोड़ दिया पर मेरा लण्ड भी बहुत जोर मार रहा था इसलिए मैं उसकी खुली हुई एक चूची पर अपना हाथ रखते हुए बोला- प्रिया बस मसाज ही करवानी है या कुछ और भी?
इतना कह कर मैं चुप हो गया और हल्के हल्के हाथ से उसकी चूची दबाने लगा।
जैसे ही मैंने प्रिया के बूब्स को छुआ तो मुझे एक अलग ही आनन्द आया उसकी नर्म और मुलायम पर सख्त चूची को दबाने में मुझे मज़ा ही आ गया और मेरा लण्ड लोअर में ठुमके मारने लगा।
प्रिया- भाई का हाथ मेरे बूब्स पर पड़ा तो मैं सिहर गई, मेरा बदन कांपने लगा।
साजन भाई के हाथों में पता नहीं क्या जादू था कि मैं उनके और भी करीब आ गई पर जैसे ही मैं साजन भाई के और करीब गई तो उन्होंने मेरी चूची जोर से दबा दी जिस कारण मेरी हल्की सी चीख निकल गई।
पर वो इतनी भी तेज नहीं थी जोकि पारुल और मुकेश को सुनाई दे।
जोर से चूची दबाने से मेरी चूची में हल्का सा दर्द हुआ तो मुझे होश आया और मैं भाई को बोली- साजन भाई, आप यह क्या कर रहे हो?
मैं- तुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूँ पर तुमने अभी तक नहीं बताया जो मैंने पूछा था।
प्रिया- मुझे क्या पता है साजन भाई? और मैं तो बस आपसे मसाज की ही बात कर रही हूँ।
इतना कह कर मैं नीचे भाई के लण्ड को देखने लगी जो बार बार ऊपर नीचे हो रहा था।
मैंने भाई का हाथ अपनी चूची पर से हाथ नहीं हटाया क्योंकि मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था।
मैं- अच्छा बस मसाज की बात कर रही थी। तो ये क्या है?
इतना कहकर मैंने उसके दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथ से पकड़ा और उसको दिखने लगा।
प्रिया- भाई वो वो वो मुझे याद नहीं रहा शर्ट के बटन लगाना।
भाई अब मेरे दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथो से दबा रहे थे।
मैं साजन- मुझे पता है कि तुम झूठ बोल रही हो।
मैंने भी बात को ज्यादा न बढ़ाते हुए उसको साफ़ साफ़ कह दिया क्योंकि अब मेरे लण्ड में उतेजना के कारण बहुत दर्द हो रहा था।
‘प्रिया, मुझे पता है तुमने रात को मेरे साथ क्या क्या किया था तो फिर अब ये सब ड्रामा किस लिए?’
इतना कह कर मैंने उसके दोनों बूब्स को छोड़ कर उसकी पतली कमर पकड़ ली और उसको अपने बदन से चिपका लिया।
प्रिया- जैसे ही भाई ने कहा कि मुझे सब पता है तो मुझे बहुत शरम आई और मैंने अपनी नजरें झुका ली।
फिर भाई ने मुझे अपने बदन से चिपका लिया तो भाई का लण्ड ठीक मेरी चूत सामने आ गया भाई का लण्ड मेरी चूत पर रगड़ता हुआ ऊपर नीचे हो रहा था।
जिस कारण मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी मेरी साँसें तेज होने की वजह से मेरे बूब्स साजन भाई के सीने को रगड़ रहे थे।
मैंने अपनी नजरों को नीचे किये हुए ही धीरे से बोला– भाई जब आपको रात को ही पता चल गया था और आप जाग गए थे तो आपने मुझे क्यों नहीं बताया?
मैं साजन-
प्रिया का चेहरा अपने के हाथ से ऊपर उठाते हुए बोला– प्रिया, मेरी जान !
इतना कह कर मैं उसके होंठ चूमने लगा और प्रिया के नीचे वाले होंठों का रस पीने लगा, तो प्रिया भी मेरा साथ देने लगी और वो भी मेरा ऊपर का होंठ चूसने लगी।
कुछ देर उसके गुलाबी होंठों का रस पीने के बाद मैं प्रिया से बोला– पहले इसका कुछ इलाज कर!
यह कहते हुए उसका एक हाथ पकड़ा और अपने लण्ड पर रख दिया।
और फिर कहा- बहुत देर से मेरा लण्ड खड़ा हुआ है इसलिए इसमें दर्द भी बहुत हो रहा है।
प्रिया- भाई ने अपना लण्ड मेरे हाथ में पकड़ा दिया तो अब कुछ कहने को बचा ही नहीं था।
साजन भाई का लण्ड मेरे हाथ में आते ही भाई का लण्ड और भी सख्त हो गया था।
अब मुझे पता था कि आगे क्या करना है मैंने भाई को मम्मी पापा के बेड पर बैठने का इशारा किया तो भाई मेरा इशारा समझ गए और बेड पर पैर लटका कर बैठ गए।
मैंने साजन भाई के लोअर को अपने हाथो से खोलकर नीचे कर दिया।
अब उनका लण्ड लोअर से बाहर आ गया क्योंकि उन्होंने नीचे तो कुछ पहना ही नहीं था।
मैंने साजन भाई को एक नजर देखा और फिर मैं उनकी टांगों के बीच नीचे घुटनों के बल जमीन पर बैठ गई।
मैं साजन- प्रिया ने मेरे लण्ड को अपने कोमल हाथ में लिया और मेरे लण्ड हिलाने लगी, मुझे उस वक़्त बहुत मज़ा आ रहा था।
फिर प्रिया ने मेरे लण्ड के ऊपर की खाल नीचे कर के मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और फिर उसको चूसने लगी। उस वक़्त मुझे नशा सा होने लगा था।
मुझे लगा कि मैं आकाश में सैर कर रहा था मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं ब्यान नहीं कर सकता था।
प्रिया ने अपने एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड रखा था और दूसरा हाथ मेरी जाँघ पर रखा हुआ था।
प्रिया- मैं अपनी आँखें बंद किये हुए भाई का लण्ड चूस रही थी तो भाई का हाथ मेरे सर पर आया और मेरे सर के बाल को सहलाने लगे, भाई का हाथ मेरे सर पर आया तो मैंने अपनी आँखे खोली और उनका लण्ड चूसते हुए ही भाई को देखा तो उन्होंने अपनी आँखें बंद की हुई थी।
मैंने भाई का लण्ड एक ही बार चूसा था रात में, ओर अब यह दूसरी बार चूस रही थी पर एक बार के चूसने से ही मुझे भाई के लण्ड का स्वाद मुझे इतना भाया कि मन करता है कि बस चूसती ही रहूँ।
मैं भाई के लण्ड का सुपारा बहुत जोर से चूस रही थी और अपने एक हाथ से भाई का लण्ड सहला भी रही थी।
मैंने देखा भाई का लण्ड चूसने से वो मेरे थूक से पूरा गीला हो चुका था, तभी मुझे कुछ याद आया तो भाई का लण्ड मैंने अपने मुंह से निकाला तो भाई ने आँखें खोल कर मुझे देखा।
मैं साजन- क्या हुआ प्रिया? मेरा होने वाला था और जल्दी से चूसो कही कोई आ न जाए।
प्रिया- कोई नहीं आएगा भाई ! पारुल और मुकेश तो टी वी देख रहे हैं… पहले मुझे बताओ तो कि जब आपको रात को ही पता चल गया था और आप जाग गए थे तो आपने मुझे क्यों नहीं बताया, क्यों मुझे तड़पाते रहे अब तक?
मैं- ठीक है बाबा, बताता हूँ, तुम लण्ड चूसती रहो ! मेरा होने वाला है ! पर एक बात का ध्यान रखना तुम अपने होंठो से ही मेरे लण्ड को चूसो क्योंकि तुम्हारे दांत मेरे लण्ड को लगते हैं तो मुझे दर्द होता है।
प्रिया मुस्कुराती हुई- ठीक है भाई !
और फिर भाई के लण्ड को मुठ मारते हुए अपने गुलाबी होंठ भाई के लण्ड पर रखकर उसका टोपा चूसने लगी।
मैं साजन- जब रात को तुमने मेरे लण्ड को छुआ और उसको चूसा तो मैं तभी जाग गया था। अगर उस वक़्त तुमको पता चल जाता कि मैं जाग रहा हूँ तो तुम वो सब नहीं करती जो तुमने रात को किया और जो अब तुम कर रही हो। और फिर जो मज़ा तुमको रात आया वो तुमको कभी नहीं आता !
और एक बात और है, अगर उस वक़्त मैं बता देता कि मैं जाग रहा हूँ तो शायद ही हम एक दूसरे के साथ खुल पाते… आआअह्ह्ह… बस ऐसे ही चूसती रहो।
वैसे रात तुमको मज़ा तो बहुत आया होगा।
प्रिया ने भाई का लण्ड अपने मुंह से निकलते हुए कहा- हाँ भाई, आप सच कह रहे हो, शायद ही हम इतनी जल्दी आपस में खुल पाते।
मैं साजन- अरे अरे… बाहर क्यों निकाल दिया… मेरा होने ही वाला था… चूसो मेरी बहना जल्दी से…
इतना सुनकर प्रिया फिर से मेरा लण्ड चूसने लगी और अपने हाथ से मेरा लण्ड भी हिलती जा रही थी।
कुछ ही देर बाद मेरा माल निकलने को हुआ तो मैंने प्रिया से पूछा- मेरा निकलने वाला है।
तो उसने इशारे से कहा- निकाल दो मेरे मुंह में ही !
और फिर ‘आआअह्ह्हा आआआआअ’ मेरे लण्ड से पानी निकलने लगा।
तभी मैंने प्रिया का सर अपने लण्ड पर दबा दिया जिस की वजह से मेरा आधे से ज्यादा लण्ड प्रिया के गले में उतर गया और तब तक दबाये रखा जब तक कि पूरा लण्ड खाली न हो गया।
प्रिया- जब भाई ने मेरा सर अपने लण्ड पर दबाया तो वो मेरे हलक में आ गया और तभी भाई के लण्ड से पानी निकल कर मेरे गले के अन्दर आने लगा जब भाई का लण्ड खाली हो गया तो भाई के हाथ का दबाव मेरे सर पर कम हुआ तो मैंने भाई का लण्ड अपने मुंह से निकाला और अपनी साँसों को नियंत्रण करती हुई बोली– भाई मारने का इरादा है क्या आज तुम्हारा?
मेरी बात सुनकर बस भाई मुस्कुरा दिए और बोले कुछ नहीं।
फिर मैंने देखा भाई के लण्ड पर अभी भी कुछ बूंदें माल की उनके लण्ड पर रह गई थी। इसलिए मैंने अपनी जीभ निकली और भाई का लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया क्योंकि मैं अपने भाई का माल बर्बाद नहीं होने दे सकती थी।
मैं साजन- उसके बाद मैंने अपना लोअर ठीक किया और प्रिया से बोला– अब ऊपर चलते है क्योंकि हमें बहुत देर हो गई है।
प्रिया- हाँ भाई, ऊपर चलते हैं बहुत देर हो गई हैं। पर एक बात तो बताओ आप मेरी मसाज कब करोगे?
और मैं हँसते हुए- प्रिया, पहली बात तो यह है कि मुझे मसाज करनी नहीं आती, वो मैंने तुमसे झूठ बोला था।
प्रिया- कोई बात नहीं भाई, आप कोशिश करके देखना, मैं आपसे मसाज करवाना चाहती हूँ… चाहे आपको आती हो या न आती हो और मुझे वो मसाज वाली मूवी भी देखनी है, वो कब दिखाओगे आप?
मैं- ठीक है जब घर में कोई नहीं होगा तब मैं मूवी भी दिखा दूँगा और मसाज भी कर दूँगा क्योंकि तुमको पता है इन सब में टाइम ज्यादा ही लगता है।
प्रिया- भाई आप मुझे वो वीडियो दिखा दो ! मैं यही इसी कमरे में देख लेती हूँ। बाकी का काम जब कर देना जब घर पर कोई न हो और आप पारुल और मुकेश के साथ ऊपर ही बैठ जाओ तो उन दोनों को लगेगा मैं नीचे कुछ काम कर रही हूँ।
मेरी बात सुनकर भाई ने अपना मोबाईल फ़ोन निकला और मुझे वही फ़ोल्डर खोल कर मेरे हाथ में मोबाईल पकड़ते हुए कहा कि इसमें बहुत सारी वीडियो हैं, जो तुमको अच्छी लगेगी।
मैंने फ़ोन हाथ में पकड़ा और उसमें मसाज वाली मूवी खोजने लगी।
तब तक भाई ऊपर पारुल और मुकेश के पास जा चुके थे।
मैं बहुत खुश थी जो मैंने सोचा था बिलकुल वैसे ही हो रहा था।
मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था भाई इतनी जल्दी मान जायेंगे और जो अभी हमने किया तो मुझे बहुत अच्छा लगा।
सच में भाई का लण्ड बहुत ही दमदार है।
फिर मैं मसाज वाली मूवी देखने लगी।
अब आगे की स्टोरी जो कुछ भी हमारे बीच हुआ वो साजन भाई आपको बतायेंगे।
मैं- प्रिया को नीचे छोड़ने के बाद मैं ऊपर उस रूम में गया जहाँ पारूल और मुकेश टी वी देख रहे थे, जैसे ही में रूम के पास पहुँचा तो मुझे पारुल की आवाज सुनाई दी।
वो कह रही थी कि मैं अभी कुछ देर में आ रही हूँ जब तक मैं रूम के अन्दर पहुँच गया था वो किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी।
मैंने पारुल से पूछा तो उसने बताया कि उसकी सहली का फ़ोन है और उसको मुझसे कुछ हेल्प चाहिए, इसलिए वो मुझे बुला रही है और इतना कह कर वो तैयार होने लगी।
जब वो तैयार हो गई तो पारुल ने मुझसे पूछा- भाई प्रिया दीदी कहाँ है?
तो मैंने उसको बता दिया कि वो नीचे कमरे में है, शायद कोई काम कर रही है।
मेरी बात सुनकर पारुल ने उसी कमरे से आवाज लगाई- दीदी… प्रिया दीदी !
कई बार पुकारने पर प्रिया ने नीचे से आवाज दी- एक मिनट… अभी आ रही हूँ।
और कुछ देर बाद ही प्रिया ऊपर रूम में आ गई।
प्रिया के आते ही पारुल ने प्रिया को बताया की उसकी सहेली ने उसको बुलाया है तो वो वहाँ पर जा रही है और मम्मी के आने से पहले वापस आ जाएगी।
प्रिया ने कहा- ठीक है, अभी 12:40 हुए हैं, मम्मी दोपहर 3 बजे तक आ जाएगी तो तुम 2:30 बजे तक वापस आ जाना, और हाँ एक काम ओर करना ! मुकेश को भी अपने साथ ले जाना। अगर यह यहाँ रहा तो भाई को परेशान करेगा और मुझे अभी बहुत सारा घर का काम करना है।
पारुल ने कहा- ठीक है दीदी, मैं मुकेश को साथ ले जाती हूँ !
और फिर पारुल ने मुकेश को अपने साथ चलने के लिए कहा तो वो भी तैयार होने लगा।
प्रिया ने मेरे करीब आकर मेरी आँखों में झांकते हुए कहा- मैंने ठीक किया न भाई !
इतना कह कर वो मुस्कुरा दी और मेरे चेहरे पर भी मुस्कान आ गई।
प्रिया की आँखों में एक अजीब सी चमक दिखाई दे रही थी। उसकी आँखें वासना के कारण और भी नशीली हो गई थी।
यह सब उन मूवी का कमाल था जो अभी वो देखकर आई थी।
कुछ देर के बाद ही पारुल और मुकेश चले गए अब हम दोनों को छोड़कर यहाँ और कोई भी नहीं था।
मैं बेड पर बैठा टी वी देख रहा था।
पारुल और मुकेश के जाने के बाद प्रिया घर का मुख्य दरवाजा बंद करके मेरे पास बेड पर मेरे बहुत करीब ही बैठ गई।
वो लगातार मुझे ही देखे जा रही थी।
जब मुझे उसका आभास हुआ तो मैंने उसकी तरफ देखा।
वो मुझे देख कर मुस्कुरा दी, बदले में मैं भी उसको देखकर मुस्कुरा दिया।
फिर मैंने प्रिया से कहा- तुमने वो वीडियो देख लिए जो तुम देखने के लिए कह रही थी?
प्रिया ने कहा- हाँ भाई, वो मैंने देख ली पर वो खाली मसाज की वीडियो नहीं थी उसमें तो वो और भी कुछ कर रहे थे।
मैंने उससे कहा- तुमको कैसी लगी?
तो उसने कहा- बहुत अच्छी लगी पर उसको देखकर मुझे भी कुछ अजीब-अजीब सा हो रहा था। आपके मोबाईल में और भी वीडियो हैं पर पारुल ने बुला लिया नहीं तो वो सभी वीडियो में देख लेती।
मैंने प्रिया से कहा- अब देख लो… अब तो यहाँ कोई नहीं है तेरे और मेरे सिवा।
उसी वक़्त जैसे प्रिया को कुछ याद आया और वो बोली- भाई, अब तो घर में कोई नहीं है, आप मेरी मसाज कर दो न जैसे उस वीडियो में वो लड़का कर रहा था !
मैं प्रिया से बोला- प्रिया बस मसाज ही करनी है न या वो सब भी करवाओगी जो वो लड़का उस लड़की के साथ कर रहा था?
तो वो बोली- हाँ भाई, पूरी मसाज करनी है !
और वो कुछ शरमा कर बोली- जो वो सब कर रहा था, वो भी।











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