Saturday, May 31, 2014

FUN-MAZA-MASTI कामुक संध्या--7

FUN-MAZA-MASTI

 कामुक संध्या--7

 अमन- सरदार इसी के चुची चूसने से हम लोग क्यों मान जाये की किसकी चुची बेहतर है किसकी नहीं क्यों न कुछ अलग किया जाये
चंदर- क्या
अमन- अब चूचियां मैं चूस के बताता हूँ
चंदर- ठीक है पर ए कुत्ते चल अपनी जोरू की चुची तो चूस और तू अमन इसकी बहन से शुरुआत कर
(किशोर ने आगे बढ़के रागिनी की चुचियों पर मुह रख दिया और अमन ने किरण की चुचियों पर किशोर यह देखके हैरान था की रागिनी उसे बड़े उत्साह के साथ सपोर्ट कर रही थी और उधर किरण ने एक दो बार कुछ नखरे दिखने की कोशिश की ताकि डाकुयों को लगे की वो ही हवेली की बेटी है)
चंदर - ऐसा कर अमन इस कुत्ते की औलाद के हाथ खोल दे
अमन- ठीक है सरदार उससे क्या होगा?
चंदर- जैसा तू इस मादरचोद की बहन के साथ करेगा वो ही काम ये साला अपनी जोरू से करेगा ऐसा लगेगा जैसे हम लोग शीशे में चुदाई देख रहे हो ऐसा माहौल बन जाये तो मज़ा आ जायेगा
अमन- ऐसा ही होगा
अमन- देख साले कुत्ते जो मैं तेरी बहन के साथ करू वैसा नहीं किया तो तेरी माँ को मेरे सभी साथी चोद डालेंगे
किशोर- नहीं नहीं जैसा बोलोगे वैसा ही करूँगा
(मन ही मन - हरामियों क्या पता तुमहे की बीबी चोदोगे या बहन कुत्तों तुम्हे मेरी बीवी के दिमाग का पता ही नहीं , या यह सब रागिनी की चाल है चलो बाद में पूछूंगा अभी जाये तो सही ये कमीने चूत मारने वाले कुत्ते)
इधर किशोर रागिनी की ओर बढ़ जाता है और अमन किरण की तरफ रागिनी किशोर को अपनी ओर आता देख के और भी गरमा जाती है और उधर किरण अमन का लंड का ख्याल लेके गीली हो जाती है
किशोर रागिनी की चूची के निप्पल को दांत से चुभलाता है और उधर अमन कुछ ऐसा ही किरण की मादक जवानी के साथ कर रहा है अमन किरण को रागिनी समझ रहा है


किशोर- (धिरे से) यह क्या है रागिनी तू किरण बनी हुई है और वो साली रागिनी बनके चुद रही है
रागिनी- भैया आप मेरे साथ मस्ती करो यह राज सिर्फ भाभी को पता है मैं तो उसका साथ दे रही हूँ
किशोर- ठीक है
चंदर- कोई साला बातचीत नहीं करेगा और तू कुत्ते क्या बाते कर रहा है अपनी जोरू से कभी चुदाई में बाते नहीं की क्या
अमन- सरदार एक आईडिया दूँ क्या
चंदर- बोल अमन
अमन- मैं इसकी बहन पर चढने वाला हूँ क्यों ना यह साला खुद अपनी बहन चोदे
चंदर- कैसे
अमन- अपनी जोरू को बहन समझ के जोर से बोल बोल के
चंदर- सुना तूने कुत्ते तू अपनी जोरू को अपनी बहन समझ के बोल बोल के चोद और हम सब इस अनोखी चुदाई का मज़ा लूटेंगे देखेंगे तेरी जोरू तेरी बहन बनके कैसे चुदती है तेरे से
रागिनी- क्या मैं इनको अपना भाई बोलूंगी हाय राम
चंदर- साली सब भेद खोलू क्या क्या करती है रातों में दिन में इसे सिर्फ भैया बोलने में दिक्कत है तू कर तो अगर मस्ती नहीं आई तो मेरा नाम बदल दियो तू
किशोर- जो बोल रहे है वो करो नहीं तो हमारी दुर्गति कर देंगे ‘
रागिनी- ठीक है
रागिनी- आआआआअह्ह्ह भैया थोडा धीरे चुसो मेरी चूची दर्द होता है
किशोर- हाय रागिनी इसमें मज़ा भी तो आता है है न मेरी जान
रागिनी- हाँ भैया फिर भी प्यार से दबाओ मेरे ठोस अनारों को
किशोर- रागिनी तेरी जवानी पर मेरी बहुत दिनों से नज़र थी मैं सोच ही रहाथा की कौन होगा जो तेरी कुंवारी चूत में लौड़ा डालेगा काश यह किस्मत मेरी होती और देख मुझे मौका मिल ही गया अपनी ही जवान बहन की चूत मारने का
रागिनी – भैया तुम्हारा लंड बड़ा मस्त गर्म हो रहा है हाय राम बहुत चोदु हो तुम तो मेरी चूत फाड़ ही डालोगे
किशोर ने लौड़े को रागिनी की गरम चूत के ऊपर सटा दिया उसके सुपदे की गर्मी से रागिनी के शरीर में झुरझुरी दौड़ने लगी वो साली कुतिया अपनी जिंदगी का पहला पहला लंड जो ले रही थी
चंदर- साली हरामजादी ऐसे एक्टिंग कर जैसे अपना कुंवारापन दे रही हो अपने भाई को या फिर मैं आके चोदु साली कुतिया
रागिनी- (डर के साथ) नहीं नहीं मैं जो बोलोगे वो ही करुँगी
किशोर- आआआआअह्ह्ह रागिनी मेरी बहन तेरी चूत मस्त टाईट है रे साली किसी का लंड नहीं खाई क्या तू आज तक
रागिनी- नहीं भैया लंड क्या होता है यह मैंने नज़दीक से आज पहली बार देखा है
किशोर – साली मस्त है तू आ मेरे जिस्म से अपना अनछुआ जिस्म रगड़ आह रागिनी तू मेरे लंड को चूत में लेने से पहले ही झाड देगी लगता है
रागिनी अपने जिस्म को किशोर के साथ और मस्ती में डूब के रगडती है इधर सभी डाकुयों के लौड़े यह माहौल देख के तन जाते है वो अपनी अपनी मुठ मारने लगते है उनको लंड मसलते देख के रागिनी, किरण और सभी नौकरानिया पूरी तरह गीली हो जाती है
चंदर – सालो यहाँ से कोई प्यासा नहीं जायेगा जिसका मन हो वो उस रंडी को चोद ले चलो साथियों एक एक नौकरानी पर चार चार पांच पांच चढ़ जाओ लगा दो मेला चुदाई का
किशोर- अरे तुमने तो कहा था
चंदर- चुप साले तो तेरा मतलब है हम सब इतने मस्त दृश्य को ऐसे ही छोड़ दे तेरा लंड खड़ा होता और सामने चूत होती तो तू बता तू खुद क्या करता . इतनी मस्त चिकनी और चुदासी चूतों को छोड़ के भाग जाता चलो साथियों जो कहा है वो करो चोद डालो हर एक गर्म चूत को मरो सालियों की बुर गांड और मुहं भी चोद दो
किशोर- प्लीज प्यार से
चंदर- (हँसते हुए) ऐसा होता है चल तू बोला तो , साथियों थोडा प्यार मुहब्बत से पेश आना बाकि चोदना जी भर के और हाँ कोई भी अपना वीर्य किसी के अन्दर नहीं डालेगा वो सारा मुझे इस मेज पर चाहिए
लगभग सभी समझ गए की क्या होना है और हवेली में मस्त चुदाई का मेला लग गया सभी डाकुयों ने नौज्रानियों को दबोच लिया इधर किरण और रागिनी पर अमन और किशोर चड़े थे चंदर ने आगे बढ़ के किशोर की माँ के मुंह के आगे अपना लौड़ा लहरा दिया.








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FUN-MAZA-MASTI कामुक संध्या--6

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 कामुक संध्या--6

 राज ने ऋतु को अपनी गोदी मे बैठा लिया और उसके दोनो चुःसियों को अपनी मुट्ठी मे कुचलते हुए
बोला

राज- आजा साली अब मैं तेरी छूट का भरपूर मज़ा लूँगा आ कुटिया तुझे मस्त छोड़ता हूँ तेरी पनियाई हुई छूट का पूरा मज़ा लूँगा इस बार मेरा वीर्या तेरी बच्चेड़नी मे गिरा के तुझे मस्त कोंगा

ऋतु- आआआअहह मेरी जान तूने बोल दिया बस मैं चुड गयी मेरे राजा पूरा पेलना बाकछेड़नी तक हाए रे इतना मस्त मोटा लूडा मेरी छूट मे जाएगा तो मस्त पानी छ्होएडगी मेरी कमसिन छूट

इतना कहके ऋतु खुद उचक के राज के मस्त लॉड पर चाड गयी और खुद ही उपर नीचे होने लगी राज को ज़्यादा ज़ोर नही लगान पड़ा उसका लंड ऋतु की छूट की गहराई मे घुस चुका था उसने ऋतु के उरोज मरोड़ने शुरू किए इससे ऋतु चुड भी रही थी और कामुक सिसकारी भी मार रही थी

ऋतु- आआहह आआआआआआआआअ हह साले और छोड़ मेरी घोड़ी को अपने मस्त घोड़े के लंड का मज़ा दे मेरी घुड़सवारी कर मेरे घोड़े आओ अजय बाबू मेरी गंद मार लो

अजय- तू ना भी बोलती तो इस पोज़ मे मैं तेरी पिच्छली घोड़ी को छोड़ने वाला ही था तुझे पता ही है तेरे मालकिन की गंद भी मैं बहुत बजता हूँ

ऋतु- हाँ मुझ एपटा हिया मालकिन अक्सर ज़िकरा करती है आपसे गंद मरवाई का मैं उनकी गोरी गोरी गंद पर कई बार तेल मालिश भी करती हूँ मालकिन तो राज बाबू का भी ज़िक्र करती है बिल्ती है राज बाबू मस्त मर्द है जिस रंडी को चाहे छोड़ डालते है रंडियों के बीच राज साहेब के लॉड के चर्चे बहुत है

अजय- अक्चा साली तेरा मालकिन से इतना याराना है तेरे से बर लंड की बातें करती है ले तेरे गंद मे उसके मर्द का लॉडा

ऋतु- आआआआआहह प्यार से छोड़ो मलिक उँचुड़ी और उनतुकी लौंडिया हूँ

राज- साली अब तो तू चुड चुकी है फॉर क्यों ऐसा बोल रही है

ऋतु- हाए मेरे मर्दो पहली पहली बार दो दो लौड़ों को ले रही हूँ आदि होने मे समय तो लगेगा ही

अजय& राज- ठीक है हरमज़ड़ी तेरा मान है जैसे मर्ज़ी चुड साली

ऋतु- आआआअहह हाँ और छोड़ो मेरे कामुक छूट को मरने वालो छोड़ो अपनी ऋतु को

मैं झरने वाली हूँ आआआहह

राज- रुक जा साली मैं साथ मे भी अपना माल उदेलूँगा तेरी छूट मे

(राज ने ऋतु की चुचियों को बहुत ज़ोर से उमेटा और उसकी छूट मे अपना वीर्या गिरने लगा इधर ऋतु की छूट भी पानी फेक गयी ऋतु को राज ने फिर सामने पड़ी काँच की मेज पर ऋतु को बैठा दिया ऋतु की लाल पद गयी छूट से पानी की धार और राज की गढ़ी मलाई मिक्स होकर मेज पर फैलने लगी इधर अजय ने भी मूठ मार मार कर अपना वीर्या भी मेज पर गिरा दिया उसके बाद दोनो के ऋतु को इशारा किया ऋतु मुस्कुरा के झुकी और अपनी छूट से पानी के साथ साथ दोनो मर्दों की मलाई चाटने लगी. इतनी देर की चुदाई के बाद तीनो बुरी तरह तक गये थे ऋतु सारी मलाई छत के उठी और बाहर जाने लगी

राज- कहाँ जा रही है मदारचोड़ हम दोनो को छ्चोड़ के

ऋतु- कहीं नही राजा पूरी रत मस्ती लेनी है बस मूतने जा रही थी

राज- तो तू उसके लिए वहाँ कहाँ जा रही है इधर आ मेरे मूह को इस कम मे ला

ऋतु- हाए रे आब तुम मेरा मूत पियोगे

राज- मूत कहाँ रानी 18 साल की कामुक काली का मूत शराब होता है आ इधर आ साली

(ऋतु कमर मतकती हुई आई और राज के मूह पर छूट रख के बैठ गयी उसकी मस्त छूट से च्छुल च्छुल करके राज के मूह मे मूतने लगी और राज उसकी इस नशीली शराब को मस्त होके पीने लगा)

राज- आआअहह आजा अजय इस कुटिया की छूट की शराब पीके देखना साली विस्की से भी ज्यदा नशीली है

अजय- हाँ राज इसकी अगली शराब मेरे गले मे होगी और इसे क्यों ना देसी का मज़ा दिया जाए

ऋतु- देसी??

राज- हाँ साली हमारे मूत का

ऋतु- कैसे अब मेरे मूह मे लॉडा पेल के या ग्लास मे दल के

राज- नही ऐसा किया तो राज का रंडियों के पास जाना बेकार है तुझे नये तैरके से मूत पिलायुंगा

ऋतु- कैसे

राज- तेरी ही छूट से

ऋतु- क्य्ाआआआअ

राज- हाँ इधर आ साली

ऋतु राज के पास आई और राज ने उसे पीठ के बाल लिटा दिया और परों को मोड़ के उसके घुटने उसीके कंधे के पास इतना नज़दीक ले गया की उसकी छूट लगभग उसके मूह के पास आ गयी ऋतु राज के द्वारा दिए गये इस आसान से मुकुराई और उसके अपने मूह को अमृतपान के लुए खोल दिया राज ने अपने लंड को रातू की छूट मे इस तरह फिराया जैसे आत्म मे कार्ड फिरते है और उसने अपने लॉड से मुतना शुरू किया तो धार सीधी ऋतु के मूह मे गिरी उसने भी चुड़ैल रंडी की तरह राज का मूत का कटरा बेकार नही होने दिया और सारा मूत पी गयी और राज के बाद अजय आयेज बड़ा और अपना लॉडा ऋतु की छूट मे दल दिया और मूतने लगा जब ऋतु की छूट मूत से भर गयी तो उसने लॉडा बाहर खींचा और अपना बचा हुआ मूत ऋतु के मूह ने डाला ऋतु ने पहले तो अजय का मूत लंड की धार से पिया और फिर अपनी छूट को मूह से सता के अजय का बाकी मूत पी गयी.

ऋतु-आ मज़ा आ गया वाकई तुम दोनो मर्दों ने मेरी जवानी की पायस भुझा दी

किशोर- तो यह थी तेरी पहली चुदाई देखा किरण कैसे इस हरमज़ड़ी की चुदाई की हमारे दाद ने

किरण- हाँ जी मस्त चुदाई की उन्होने

किशोर- ई कुटिया ऋतु अब तू तय्यार है मेरा मस्त लॉडा अपनी छूट मे लेने को

ऋतु- हाँ मलिक आओ मेरी छूट मे लॉडा दल के उसे धान्या कर दो मैं आप का वीर्या अपनी बाकछेड़नी मे दल के उसे आपके गरम वीर्या से नहलौंगी

किशोर- साली कुटिया तुझे छोड़ के तेरी मालकिन किरण को धीखना है की इस हवेली की नौकरानिया कितनी मस्त होके मालिकों का लंड चुस्ती है और उनके साथ जवानी के हर खेल को खेल सकती है

ऋतु- मैं तय्यार हूँ मेरे मलिक आप मेरी छूट जैसे चाहे वैसे मार सकते है

किशोर ने ऋतु को अपने ही बिस्तेर पर ननगी लिटाया और उसकी छूट मे लंड घुसेड़ने लगा यह देख के किरण की आँखें फट गयी उसे विस्वास ही नही हुआ की उसका पति उसी के सामने हवेली की नौकरानी की छूट छोड़ सकता है इधर सरवन ने किरण को पूरी तरह ननगा कर दिया था वो उसकी जांघों पर हाथ फिरा रहा था जिससे उत्तेजित होके किरण की छूट पनिया गयी थी सरवन की इतनी हिम्मत नही थी की वो मलिक के सामने मालकिन की छूट मे उंगली भी दल सके और यहाँ किरण मस्ता भी गयी थी वो आगे बड़ी और किशोर के मूह के सामने छूट रख दी

किरण- छाती मेरी जवानी के मलिक अपनी रानी की छूट चतो देखो तेरे नौकर ने इसे कितना चिकना और द्राविभूत कर दिया है साली यह कुटिया जैसी फूल गयी है इसे चूस के आयार इसे छोड़ के अपना मर्दो वाला धर्मा निभाओ मेरे सरताज

किशोर ने अपना मूह आयेज बदाया और किरना की छूट चाटने लगा और कमर हिला के ऋतु की छूट छोड़ने लगा

किशोर- सरवन इधर आ साले तेरा लॉडा खड़ा हो गया है तो आ ऋतु की गंद मे पेल

सरवन- हाँ मलिक अभी छोड़ता हूँ साली की गंद

किशोर- आ मेरे साथ अपनी जोरू का मस्त गांग बंग करे

सरवन- यह क्या होता है मलिक

किशोर- इसमे कई लोग मिलके एक ही छूट मरते है

सरवन- पर यहाँ तो सिर्फ़ हम दो है

किशोर- तू चिंता मत कर इसकी छूट मरने को मैं अकेला ही काफ़ी हूँ हाँ बाकी मस्ती लेने को तुम सब नौकर हो ना सभी को कोमों रूम मे बुलाओ तो ज़रा

किरण- क्या करोगे अब क्या इस मस्त चिड़िया को कोमों रूम मे छोड़ोगे

किशोर- तू देखती जा

किशोर के कहने पर सरवन ने अपने पास का मोबाइल निकाला और हवेली के पाँच नौकरो को कोमों रूम मे आने को बोला और यह भी बोला की सब आ जाए तो उसे फोन करें

सरवन- बोल दिया मलिक सारे 15 मीं मे कोमों रूम मे होंगे

किशोर किरण की छूट छत रहा था किरण ने मस्ती मे आके चूतड़ हिलने शुरू किए और किशोर ने ऋतु की छूट मे ज़ोर ज़ोर से झटके मरने शुरू किए ऐसा लग रहा था किशोर को ऋतु की घोड़ी पर सवारी करने की बहुत जल्दी हो वो रेस को तुरंत जितना चाहता था और उधर ऋतु भी अपनी कक़ची और कसी हुई घोड़ी को किशोर के घोड़े के लंड के आयेज नाचा नाचा के मस्ती लूट रही थी

ऋतु- आआअहह मलिक मेरी छूट पानी फेकने वाली है आओ मलिक अपना गरम वीर्या मेरी छूट मे डालो मेरे मलिक आआआआआआआआहह

किशोर- रुक साली इतनी जल्दी क्या है अभी घोड़े की सवारी मे और टाइम दे

ऋतु- मलिक आआआआआआआआआअ हह आआआआआआआआअ आप बहुत ज़बरदस्त छोड़ेटे हो आपके आयेज तो कोई रंडी भी 10 – 15 मीं से ज़्यादा नही रुक पाएगी मेरी तो औकात ही क्या है आआआआआआआअ मलिक छोड़ो और ज़ोर से छोड़ो आआआआआअ मैं झाड़ रही हूँ मलिक आआआआआआआआ हह

इतना कह के ऋतु की छूट ने अपना पानी छ्चोड़ दिया ऋतु की छूट मे पानी की धार को बहता महसूस करके किशोर ने भी उस कुटिया की छूट मे अपना वीर्या उदेलना शुरू किया

किशोर- ले मदारचोड़ तू नही मनती तो ले मेरे वीर्या से अपनी बाकछेड़ली को नहला दे साली हरमादी कुटिया की औलाद ले अपनी छूट मे मेरा सला माल

इधर किरण की छूट छाते छाते वो इतनी गरम हो चुकी थी उसने भी अपनी धार किशोर के मूह पर मार दी

किरण- हाए राजा मैं भी च्छुत गयी कमाल की छूट चत्ते हो हाए रीईईईईईई झाड़ गयी मैं तो

किशोर- हाँ रानी आजा आब इसके बाद तेरी इस छूट और गंद को मारूँगा आज तेरी गंद की नाथ उतरई करूँगा

किरण- जो मर्ज़ी हो वो करो मेरे सरताज सब कबूल है तुम्हारी इस दासी को

किशोर- सरवन वो सब कुत्ते आए या नही

सरवन- मलिक सब आ गये है और कोमों रूम मे आपके आदेश का इंतज़ार कर रहे है

किशोर- ठीक है ई ऋतु

ऋतु- हाँ मलिक

किशोर- चल जा उठ के न्नगी जा कोमों रूम मे तुझे प्यार से सहलाने के लिए 5 लंड इंतज़ार कर रहे ही आज इस हवेली मे तेरे छूट का जस्न होना चाहिए और साली अगर इस रत की बात की भनक किसी को भी लगी तो मेरे से बुरा कोई नही होगा

ऋतु- नही मलिक कैसे लगेगी बड़े मलिक और मालकिन तो बाहर गये है छ्होटे मलिक शहर मे रहते है और रागिनी मेंसब् तो उपर फर्स्ट फ्लोर पर कब की सो चुकी होंगी अपनी नींद की डॉवा लेके

(रागिनी ने अपना नाम सुना तो वो सिहर गयी उसे दर लगा की कहीं किसी नौकर या ऋतु या उसके भाई भाभी ने उसे देख लिया तो उसकी बुरी दूरगत ना हो एक पल को उसका हवेली का खून काहूला की नौकर और नौकरानियों की तो वो खुद भी मा छोड़ डालेगी रही भाई और भाभी की बात जो होगा देखा जाएगा उसे यह मस्त ससेकने देखते रहना चाहिए इधर किशोर ने ऋतु को नंगी ही कोमों रूम की तरफ भेज दिया और सरवन को बोला की वो उसके लिए दारू का ग्लास बनाए और खुद खिड़की के पास जाके देखने लगा की बाकी के नौकर कैसे ऋतु की छूट बजाते है किरण भी उसके साथ न्नगी की खिड़की के पास खड़ी हो गयी सरवन ने जब उसकी दारू का इंतज़ाम कर दिया तो किशोर ने उसे भी निर्देश दिया की वो भी जाके ऋतु के गंद बंग या मस्त सामूहिक छोड़न प्रक्रिया मे बाकी नौकरो का साथ दे सकता है सरवन खुखूसी वहाँ से चला गया क्योंकि अगर वो रूम मे रहता तो उसे ऋतु की छूट मे हिस्सा नही मिल पता और बाकी नौकर उसकी बीवी की छूट को मस्त होके छोड़ते क्योंकि उसे पता था की ऋतु की जवानी पर सारे नौकरों की निगाह थी और सब ऋतु को छोड़ने लो लालआयाइत रहते थे)

धर ऋतु नंगी ही कोमों रूम की तरफ आई ऋतु को मस्त आलमास्त नंगी देख के नौकरों के लॉड खड़े हो गये एक नौकर ने पुचछा

पिंकू- हाए ऋतु यह क्या हो गया हवेली मे पूरी नंगी होके घूम रही है बहुत चुदसी हो गयी है क्या. सरवन के लॉड से प्यास नही भुजती क्या

ऋतु- (कामुकता के साथ) हाए राजा जो मज़ा तेरे लॉड मे है वो सरवन मे कहाँ आजा मेरी जवानी का मज़ा लेना है तो तुम सब सालो नंगे होके आ जाओ मैदान मे मैं देखती हूँ कितना भूखार है तुम लोगो के लॉड मे

बाबू- साली तेरी छूट का भुर्ता ना बांडूं तो मेरा नाम बाबू नही दिन भर रसोई मे साथ कम करती है जी होता है वहीं पटक के छोड़ दूं तेरी छूट छत छत के छोड़ूँगा तुझे मेरी किचन की चिकनी छूट

राजा- बता तो साली इतनी रत गये नंगी घूमती फिर रही है किसने आग लगाई तेरे छूट मे रोज़ घूमती है या आज कोई स्पेशल त्योहार है तेरी छूट का

ऋतु- (चटखारे लेके) यह तो तुम लोग सोचो सालो दिन मे मेरी छूट मरने की सोचते हो रत मे अपनी अपनी बीवियों को मेरा नाम ले लेके छोड़ते हो हरमियों मुझे सब पता है मेरी छूट के कितने दीवाने हो

तीनो नौकर- हाए रे कसिए पता

ऋतु- सालो कुत्टो तुनहरी वो कुटियाएँ मुझे सब बताती है कैसे उनके मूह मे मेरा नाम लेके अपना वीर्यपत करते हो

नरेश- मैं तो अभी कुँवारा हूँ मेरी शादी कहाँ हुई मैं तो तेरी छूट मरने के सपने लेके मूठ मरता रहता हूँ मेरी तमन्ना आअज पूरी होगी

ऋतु- (नरेश के कन मे) हाँ राजा पर तू जो इनकी बीवियों को च्छूप च्छूप के छोड़ता है वो राज बतौ क्या राजा और बाबू को दोनो तेरी गंद मार लेंगे

नरेश- - (ऋतु की च्चती को सहलाते हुए) नही मेरी जान मुझे माफ़ कर साले बड़े मोटे लॉड वेल है मैं मार जवँगा तू जैसे बोलेगी तेरा साथ दूँगा

राजेश- क्या फुसफुसा रहे हो तुम दोनो इधर आ ऋतु जान तेरी जवान च्चती का मज़ा मैं भी लूँगा साली तू तो हमारी मंडली की प्रिया भाभिजी हो जिसकी छूट के दीवाने सारे नौकर है आओ आज तुझे छोड़ के अपनी अपनी पुरानी साध पूरी कर लें

ऋतु- (कामुकता से) हाँ आओ मर्दों मेरे असली वेल मर्द के आने से पहले मेरे हर एक च्छेद को अपने लॉड से भर दो छोड़ डालो मुझे जी भर के ऋतु की जवानी पर राज करो मेरे राजाओ आओ छोड़ो मेरी नशीली और कामुक छूट को मेरी मस्त टाइट गंद को एक मेरे मूह मे लौद अदलो और दो मर्द मेरी जवान तनी हुई च्चती से खेलो मैं तुम सबके लॉड को मसलूंगी खेलूँगी कहूँगी और मस्त चुड़ूँगी सब लोग मिलके जहड़ना मेरे मूह मे सबकी मलाई कहूँगी आज

ऋतु की इतनी कामुक बाते सुनते ही सभी नौकरों ने अपने कपड़े उतार दिए 5 मोटे मूसल लंड ऋतु की जवानी की ऊवार बड़े और उसके नंगे जिस्म से लिपट गये ऋतु ने भी तीन लुंडो को अपने च्छेदों मे डाला और दो लुंडो लो मूठ मरने के लिए हाथों मे जाकड़ लिया

ऋतु – आओ राजा छोड़ो अपनी जवान और न्नगी ऋतु को मुझे प्यासा मत छ्चोड़ना कसम है जो कोई भी लॉडा आज मेरी गरम छूट से बच के गया तो तू क्या सोच रहा है रे नरेश

नरेश- हाए मेरी जान आज सचसी मे तेरी छूट मरने को मिलेगी भगवान से आज और भी मननगा होता तो शायद मिल जाता

ऋतु- क्या माँगा था तूने

नरेश- आज रत को मूठ मार के सोते समय यही सोचा था की काश तू छोड़ने को मिल जाए तो रत मस्त गुजर जाए अगर पता होता तो..........

ऋतु- (नरेश को अपनी च्चती की ऊवार खींच के उसके कन मे ) तो किसकी बर छोड़ने की माँगता बता ना साले तेरी प्यारी चुदसी भाभी हूँ

नरेश- (ऋतु के कन मे) तो रागिनी मेंसब् की बर माँगता री कम से कम आज रत तो कई रोज उस कामिनी की कामुक जवानी के बारे मे सोच के मूठ मारी है जैसे तू आज मिली काश किसी दिन वो भी न्नगी होके मेरे लॉड के नीचे आ जाए तो जिंदगी बन जाए

इधर रागिनी खिड़की के पास खड़ी ती उसे सुनाई दे गया और उधर किरण की खिड़की तक यह संवाद नही पहुँचे रागिनी का मूह लाल पद गया उसे जब उसकी ही हवेली का कुँवारा नौकर छोड़ना चाहता है तो इसका मतलब है की सारे नौकर उसकी जवानी को चूसना चाहते होंगे उसकी बर ने लसलसा के और पानी छ्चोड़ दिया वो समझ गयी जो मूली वो किचन से चुरा के लाई थी उसे कम मे लाना होगा काहिर वो चुदाई का अगला नज़ारा देखने लगी


इधर ऋतु अपनी छूट गंद और मूह के साथ साथ दोनो हाथों मे लंड पकड़े हुई थी और मस्त चुदाई का मज़ा ले रही थी उसकी कामुक जवानी को पाँच जवान लॉड मस्ल रहे थे और उसकी सिसकारी कमरे मे गूँज रही थी

नरेश- धीरे धीरे मचल साली कोई सुन लेगा

ऋतु- (झूठ बोलते हुए)कोई नही है साले आज इस हवेली मे नौकरों को छ्चोड़ के सब साहेब और मेमसाहेब लोगो को मैं खुद शादी के लिए छ्चोड़ के आई हूँ सालो अपनी अपनी मर्दानगी का ज़ोर लगाओ और छोड़ डालो ऋतु को

बाबू- साली तू चूड़ना च्चती है तो और ज़ोर से चिल्ला और बता किस तरह से हम पाँचो तेरी कामुक जवानी को उधेड़ डाले साली इसीलिए आज न्नगी घूम रही है हवेली मे ताकि पाच पाँच लॉड तेरी छूट का बाज़ा बाज़ा सके

ऋतु- सालो तुम पाँच छोड़ुव को बताना पड़ेगा मेरे हर च्छेद मे अपनी मलाई दल दो मुझे इस मेज पर अपनी अपनी मलाई गिरा के चटवओ मेरी गंद का छेड़ चतो उसे उंगली से चौड़ा करो इतना चौड़ा की मेरे पति कल छोड़े तो जान जाए की तुम लोगो मे मेरी गंद और बर दोनो मारी है

सभी- ले कुटिया तेरे उपर मलाई तो अभी गिरते है फिर करते है तेरी चुदाई का नया रौंद शुरू

इतना बोलके सबने अपने अपने लॉड से वीर्या गिरना शुरू किया

नरेश- आआआअहह रागिनी तेरी छूट बड़ी मस्त है साली कुटिया की तरह चुड एक बार ना तेरे को मस्त घोड़े की तरह छोड़ा तो मेरा नाम नरेश नही तेरे साथ 5 काइलामीटर तक गुड्दौड़ करूँगा

ऋतु- साले मैं ऋतु हूँ और यह 5 काइलामीटर की घुड़दौड़ का मतलब क्या है

नरेश- पता है जान अब रागिनी नही तो तुझे ही रागिनी समझ के तेरी छूट मे झाड़ रहा हूँ ऐसा लगा रहा है वो कुटिया खुद उचक उचक के छुड़वा रही है

ऋतु- (नरेश के कन मे) साले जब उसका भाई तेरी गंद मरेगा तो

नरेश- कसम से ऋतु रानी अगर रागिनी की छोड़ने को मिले तो किशोर से गंद भी मरवा लूँगा

ऋतु- देखूँगी साले जब गंद मे बेलन जाएगा तो मा चुड जाएगी तेरी यह 5 काइलामीटर की घुड़दौड़ का मतलब तो बता

नरेश- साली जब मैं किसी की छूट मरता हूँ तो उस छूट को घोड़ी समझ के और अपने लॉड को घोड़ा मान लेता हूँ और फिर उस घोड़ी मे घोड़ा तब तक फसाता हूँ जब तक एक नॉर्मल घोड़ा 5-7 काइलामीटर की दुआदा लगा ले और मेरा दावा है हर चुदसी घोड़ी इतनी देर मे पानी फेक देती है तो रागिनी की क्या बिसात वो मासून काली तो देखना 2-3 काइलामीटर की दौड़ मे पानी छ्चोड़ देगी या हो सकता है मेरा घोड़ा देख ले पानी फेक दे.

ऋतु- (ऐथते हुए) हाँ साले मैं तोझड़ी अब तुम लोगो का क्या हाल है मेरे घोड़ो

सब- हम तो झड़ने की कगार पर है तो बता कहाँ झाडे मलाई को छूट मे डलवाएगी या मेज पर डाले

ऋतु- सब अपना अपना वीर्या मेज पर गिरयो मैं मिक्स मलाई खयुंगी

सभी नौकरो ने अपने अपने लॉड को सहलाते हुए इरया को मेज पर गिरा दिया जिसे इस कामिनी ऋतु ने रंडी की तरह झुक के चाटना शुरू किया और सेसएंड़ो मे सारी मलाई छत गयी

नरेश- वा भाभी तुम तो ऐसे मलाई खा गयी जैसे किचन मे दूध के उपर की मलाई छत लेती हो

ऋतु- नही साले वो मलाई तो पूछ बाबू से कुच्छ खाती हूँ और कुछ इसकी नज़ारे बचा के अपनी छूट पर माल लेती हूँ ताकि यह छूट मस्त बनी रहे सालो आओ मेरी छूट गंद और मूह को छोड़ो और अपनी पोज़िशन बदल लो जो हस्त मैथुन का स्वाद ले रहे थे वो मेरे गंद और मूह पे आ जाओ और इस नरेश को कुत्ते की तरह मेरी छूट मरने को छ्चोड़ दो.

बाबू – क्यों

ऋतु- सला कुँवारा है ना रोज़ रोज़ छूट नही मिलती है ना और मस्त जवान घोड़ी मिली है तो छोड़ने दे ना साले घोड़े को

नरेश- (ऋतु के कन मे) इस बार टुजेह रागिनी बनके छोड़ूँगा मेरी भाभी

ऋतु- जो मर्ज़ो कर चाहे किरण समझ के छोड़ या रागिनी मैं दुबारा तेरे घोड़े की घुड़सवारी को तय्यार हूँ मेरे नये मर्द

नारश- नही किरण नही सिर्फ़ नंगी और कामुक चुदसी रागिनी साली की नाथ उतरने को मिले तो कसम से जान डेडुन

ऋतु- हाए इतना उसकी छूट का प्यासा है

नरेश- हाँ मेरी भाभी अगर कुच्छ बात बनने की उम्मेड हो तो बता

ऋतु- साले मैं कोई दलाल हूँ लंड मे दूं है तो उपर फर्स्ट फ्लोर पे सो रही है जाके छोड़ दे साली को और उसकी कक़ची छूट को मर्द का स्वाद दे दे

नरेश- रहने दे भाबी तेरी छूट से ही कम चला लेता हूँ अभी तो पर अगर मौका लगा तो साली को घोड़ी ज़रूर बनौँगा

इधर रागिनी ने सारी नरेश और ऋतु की बाते सुनी उसकी छूट मे पानी भर आया वो अपने रूम मे पहुँच के मूली से ठंडी हयी किरण ने किशोर के लॉड से प्यास भुझाई और ऋतु ने पंक्च मर्दो का फिर से वीर्या चखा और मुस्कुराते हुए अपने रूम की ऊवार चली गयी क्योंकि उसे विस्वास था की उसकी डबल गांग बंग के बाद किशोर ने किरण को जी भर के छोड़ा होगा.

चंदर- (बाहों मे फाँसी किरण की चुही मसलता हुआ) बड़ी मस्त चुड्ती है तेरे भाबी घर की नौकरणीयाँ की इतनी गरम है या तूने सिर्फ़ मेरे मान रखने को मस्त कहानी नमक मिर्च दल के सुनाई है

किरण- क्या मतलब है तेरा मैं झूठ बोली क्या

चंदर – यह तो अभी पता चल जाएगा

किरण- कैसे

चंदर- तू देखती जा मैं कैसा मेला लगवाता हूँ यहाँ पे

किरण- (गले मे कुच्छ फास्टे हुए) क्य्ाआआआ ( वो दर गयइ की उसका रागिनी बनने का भेद अब खुल जायगा) 
 





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FUN-MAZA-MASTI कामुक संध्या--5

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 कामुक संध्या--5

ऋतु- मलिक मैं तय्यार हूँ आप जो चाहे मेरे साथ कर सकते हो मैं अफ भी नही करूँगी हाँ एक बात बता दूं मैं अभी तक उँच्छुई और उँचुड़ी छूट हूँ इसलिए तोड़ा प्यार से करना

राज- (बेदर्दी से ऋतु के उभरे हुए उरोज मसलता हुआ जैसे कोई आता गूँथ रहा हो) साली लंड लेने का टाइम आएगा तो प्यार से छुड़वाने की जगह ना उच्छल उच्छल के मेरे लॉड से चुडवाया तो मेरा नाम राज नही आज मैं ऋतु का राज बनके रहूँगा

ऋतु- हाँ आओ मेरे मलिक मेरी कक़ची जवानी पर अपने मूसल लॉड का राज चलाओ

राज- (ऋतु के गुलाबी चुचियों को मसल मसल के लाल करते हुए) एक बात और है मेरी जान मुझे मैल्क नही अपना ख़सम बना मेरी गरम जोरू बनके चुड अब तू मेरे लिए मेरी जोरू शालिनी की जगह चुदाई का समान है मैं तुझे शालिनी मान के छोड़ूँगा और अपनी एक कुत्सित इक्चा पूरी करूँगा

ऋतु- कौन सी

राज- मेरी एक तमन्ना थी की शालिनी को मेरा यार अजय छोड़ता उसे आज पूरा करूँगा तेरी नंगी जवानी को अजय के सामने धकेलुँगा और बोलूँगा की आजा यार मेरी गरम जोरू के जिस्म मे अपना मोटा मूसल लंड दल ले

ऋतु- कोई बात नही जान आप मुझे छोड़ो चाहे शालिनी मान के या ऋतु जानके मैं अपनी जवानी के पहले अभिसार के लिए तय्यार हूँ

राज- (ऋतु की चुचि को मुँह मे भरते हुए और उसके ताने हुए निप्पल को जीभ से टटोल कर खड़ा करते हुए) अभी पूरी तरह कहाँ तय्यार हो जान अभी तो तुझे लहनगा नोंच के न्नगी करूँगा और फिर तेरा नग्न नृत्या देखना है

ऋतु- आओ राजा मेरी जवानी से यह आख़िरी वस्त्रा भी हटा दो हाए राजा और ज़ोर से मस्लो मेरी जवान च्चातियों को मैं कुछ मर्दन का हर सुख भोगना चाहती हूँ मेरे नरम और जवान जिस्म की महक को लुटो मेरे राजा.

(ऋतु के लहंगे को पकड़ के उपर उठता है ऋतु की मुनिया देखता है. ऋतु की छूट पर एक भी बाल नही था. बिल्कुल चुकनी और पानी मे दुबई छूट ऐसे लग रही थी जैसे चुहिया के मूह मे पानी भर आया हो. राज ने अपनी एक उंगली उसकी छूट पर फिराई)

ऋतु- सस्सीसीीसीसीसिसीसी आआआआहह राजा क्या कर रहे को

राज- यह तेरी जवानी का आत्म है मैं इसमे अपना कार्ड स्वीप कर रहा हूँ जान इसमे से नोटो की जगह छूट का कमरस बहेगा

ऋतु- र्रज़ा प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मेरी छूट को आत्म बनाओ तो लॉड को स्वीप करो प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ राआआआजजजज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज आआआआआअहहााआआ (कहके ऋतु की छूट ने पानी गिरना शुरू कर दिया)

राज- अभी से पानी फेक रही है साली तो आयेज जाके क्या करेगी

ऋतु- सिर्फ़ पाई छ्चोड़ा है मस्ती की उम्मेड नही छ्चोड़ी मेरा वादा है आप दोनो के लॉड को पूरा ठंडा करके ही आराम करेगी ऋतु.

राज- अच्छा देखता हू आज रत तू आराम करती है या हम दोनो के लॉड से अपनी छूट को कुटवती है

ऋतु एक बात और बोलू

ऋतु- हाँ बोलो जान

राज- मुझे गंदी गंदी गली देके छोड़ने का शौक है क्योंकि मैं रंडियों के पास जाता रहता हूँ और वो सभी साली मदारचोड़ होती है बिना गली के उनकी छूट मे पानी ही नही आता

ऋतु- मैने बोल दिया ना आपके सामने अधनंगी हूँ लहनगा उतरती हूँ और मुझे नंगी ऋतु को जैसे मर्ज़ी जो मर्ज़ी बोलके पूरी रत छोड़ो आज मालकिन घ रपे नही है इसलिए अजय बाबू भी मेरी जवानी का भोग लगा सकते है

(इतना कहके ऋतु ने अपने हाथों से अपना लहनगा खोला और नीचे सरका दिया. ऋतु दोनो मर्दो के सामने पूरी नंगी खड़ी थी उसने अपनी च्चती मे हवा भारी और अपनी तनी हुई चुचियों को अपनी ही मुट्ठी मे दबोच के दोनो की ऊवार छल्लंगे की निगाह से देखा की कौन सा मर्द उस पर पहले टूटेगा)

(ऋतु का यह रूप देख के अजय और राज दोनो के लौड़ों ने ज़ोर का तुनका मारा और दोनो लपक के ऋतु की ऊवार झपते और उसके हाथो को अपनी ऊवार खिंढ के उसकी नरम नरम गोल और जवान च्चत्तियों को नंगा कर दिया और अपने अपने तीखे दाँत उसकी चुचि पर गाड़ा दिए)

ऋतु- आआहह आओ मेरी कामुक जवानी के लुटेरों आओ अपनी कामुक और चुदसी ऋतु की न्नगी जवानी तुम दोनो के हाथों मे है इसे जी भर के चूसो मेरे कामुक मर्दों आओ मुझे छोड़ डालो

राज- (ऋतु की चुचि को अपनी बलिष्ठ मुट्ठी मे उमेत्ते हुए और मरोदते हुए ) साली कुटिया नंगी हो गयी है और अपने याअर का लॉडा नही निकाला इसे मेरी पंत से बाहर निकल साली नही तो तेरी मा छोड़ दूँगा

ऋतु- (अजय और राज के लॉड को पंत के उपर से सहलाती हुई) हाँ मेरे मर्दों तुम्हे मैं अपनी चिकनी त्वचा के रग़ाद लगा लगा के कामसुख दूँगी और तुम दोनो अपने इस मोटे मूसल लंड के मेरी कक़ची और छ्होटी सी छूट को छोड़ के रतिसुख देना

अजय- साली एक बात बता तू 3 साल से मेरे यहाँ कम कर रही है तेरे अंदर इतनी ही चुदस भारी थी तो आज से पहले क्यों नही मेरे लॉड के नीचे क्यों नही आई क्या अपने व्यस्क होने का इंतज़ार कर रही थी या कोई और खास बात है

ऋतु- ऐसा कुच्छ नही है मलिक एक तो मैं खुद बालिग नही थी आप मुझे जब चाहे छोड़ सकते थे पर मालकिन के दर से आप ऐसा नही करते थे और दूसरा मैं खुद अपनी जवानी को तभी लुटवाना चाहती थी जब मेरा हर एक आंग भरपूर जवान हो जाता और मर्दों के लायक हो जाता यानी की मैं पूर्णतया व्यस्क हो जाओं और लो अब मैं 18 साल की मस्त लौंडिया बन चुकी हूँ मुझे छोड़ के अपनी प्यास भुझाओ मलिक आज मालकिन भी नही है अक्चा मौका है आपके पास अपनी ऋतु की जवानी का प्रथम उपयोग करने का आओ मलिक मेरी छूट मार के मेरी नाथ उतरो और मेरे जिस्म का कामुक उपभोग करो

अजय, राज- हन रंडी ऋतु आज हम दोनो मर्द अपने मस्त मोटे लॉड से तेरी नरम छूट को कुटेंगे और तेरे उरजो को मसल मसल के लाल कर देंगे और तेरी गंद भी मरेंगे

ऋतु – आओ मेरे पहले मर्दो मेरी जवानी से अपनी कामुक और मनचाही कंतृप्ति हासिल करो.

(अजय और राज अपने जिस्म से कपड़ो को उतार फेकटे है और दोनो भी मदरजात नंगे होके फिर से ऋतु के न्नगी जवानी से लिपट जाते है उनके लॉड के शरीर से टच होते ही ऋतु की छूट पानी से भर जाती है)

ऋतु- आआआहह कितने मस्त है तुम दोनो के लॉड आओ राजा मेरी जवानी को अपने लॉड के रस से गीला कर दो मेरे हर आंग मे लॉडा उतार दो मैं भरपूर चुदसी बन चुकी हूँ हाए मेरी फॅंटेसी पूरी करो मेरे मर्दों

राज – (ऋतु की गीली छूट मे उंगली फेरता हुआ) साली हरंजड़ी माल तो तू कसा हुआ है लगता है की तेरी किसी भी घोड़े ने घुड़सवारी नही की है आज तो तुझे छोड़ने मे मज़ा ही आ जाएगा क्या फॅंटेसी है तेरी

अजय- (ऋतु की गंद मे उंगली फसाते हुए) साली कुटिया माल तो तू पिच्छाले च्छेद से भी कुँवारी है आज हम दोनो एक नयी निकोर छूट छोड़ेंगे बता हरज़ादी क्या सोचती है चुदाई के लिए तू

ऋतु –(दोनो के लॉड का सूपड़ा खोल के) आओ मर्दो तुम्हारे लॉड को चूस के छूट और गंद के लिए तय्यार कर दूं मेरी फॅंटेसी है की तुम दोनो मर्द मेरी छूट और गंद एक साथ छोड़ो मेरे दोनो च्छेदों की नाथ उतरई एक साथ एक ही समय मे हो

ऋतु अजय और राज के लॉड को चूस के और टन देती है इधर दोनो हरमज़ड़ो की तरह ऋतु की गोल और ठोस चुचि को दबा दबा के उसे चुदाई के लिए मस्त कर देते है

ऋतु- आआआआआअहह जान प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ प्यार से मस्लो मेरी च्चातियों को मैं चुदाई के लिए तय्यार हूँ मेरी छूट मे पानी भर गया है आओ राज और अजय प्ल्ज़ मेरी छूट और गंद मे अपना अपना गरम सूपड़ा उतार दो

अजय- सोच ले साली एक साथ दोनो का लॉडा लेगी तो मार जाएगी

ऋतु- कोई बात नही आप दोनो एक साथ मेरे दोनो छेड़ो का उद्घाटन करो प्ल्ज़ मलिक

राज- तेरी इतना ही मान है तो चल साली कुटिया बन जा हम दोनो एक साथ तेरी बर और गंद मरेंगे

इतना बोलते ही ऋतु ने कुटिया की पोज़िशन लेलेई और अजय ने नीचे लेट के उसकी कुँवारी छूट पर लंड को टीकाया और राज ने पिच्चे से उक्सी चिकनी गंद पर और राज के एक जोरदार धक्का लगते ही

ऋतु- आआआआआआआहह मार गयी रे सालो क्या दल दिया मेरी बर और गंद मे कुत्टो हट जाओ मेरे उपर से मैं मार जवँगी

राज- अब साली याद आई बहुत बड़ी रंडी बन रही थी रुक मदर छोड़ तेरी बहन छोड़ता हूँ आज मैं

ऋतु अपनी छूट को उपर करती है तो राज का लंड उसकी गंद मे घुसने लगता है और नीचे करती है तो अजय का लंड उसकी नाथ उतरने को उतावला है वो बेबस हो जाती है उसकी आँखों मे आँसू आ जाते है वो बोलती है

ऋतु- मलिक ग़लती हो गयी मैं सोचती थी चुदाई बड़ी मस्त चीज़ होती होगी प्ल्ज़ आप अपने अपने लॉड को हटा लो मुझे नही चूड़ना है

अज़ैई- साली कुटिया तू मस्त न्नगी मेरे लॉड के उपर लेती हुई है तुझे छोड़े बिना छ्चोड़ा तो नमार्द काहलौँगा आज तेरी कक़ची जवानी के गोस्त को हम दोनो शिकारी खाएँगे आज तेरी मा भी आ जाए तो तुझे हम दोनो के लॉड से नही बचा सकती है

इतना कहके अजय ने अपने लॉड को उसकी छूट मे और डाला उपर से राज ने उसकी गंद मे तेल लगाया और फिर लंड पेलना शुरू किया

ऋतु- हाए रे मार गयी सालो मेरी जवानी पर रहम खाओ

राज- तू कुटिया की औलाद मेरा लॉडा खा टुजेह तेरी गंद का डूबा हुआ लॉडा खिलता हूँ अपनी ही टट्टी का स्वाद चखेगी तो तोड़ा शांत होगी ले मदर छोड़ मूह खोल के मेरा लॉडा छत

ऋतु मारती क्या ना करती वाली हॉल्ट मे थी उसने अपनी ही गंद मे घुसा लंड चूसना शुरू किया

इदहर् अजय ने उसकी सील तोड़ दी और उसकी नरम छूट को भकभक छोड़ने लगा उधर ऋतु को अपनी छूट की चुदाई का आनंद आना शुरू हो चुका था उसने मूह से लंड निकाला और बोली

ऋतु- छोड़ो मेरे मलिक मेरी जवान सिने के अनरो को पकड़ के मेरी छूट मरो आआआआअ हह अब मज़ा आने लगा है अब पता चला

अजय- क्या पता चला साली

ऋतु- की मालकिन क्यों हर रत न्नगी हिके आपके लॉड को अपनी छूट मे उतरती है

अजय- साली वो छूट मे नही उतरती है वो इस घोड़े से अपनी घोड़ी की घुड़ दौड़ करवाती है और रोज़ मेरा घोड़ा उसकी घोड़ी को छोड़ता है और घुड़दौड़ जीत जाता है आ तेरी कक़ची घोड़ी को अपने मोटे घोड़े से घुड़दौड़ करवा दूं

इतना कहके अजय ने ऋतु के सिने के अनरो को मुट्ठी मे भरा और उसे ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगा इधर ऋतु के मूह ने राज का लूडा था और वो उसे हर धक्के के साथ चुस्ती जा रही थी

राज- साली मेरे लॉड का रस पीना है क्या तेरे को या रुक पहले तेरी गंद मरता हूँ तब चूसना तू मेरा लॉडा

राज ने वापस अपना घोड़े जायदा लंड ऋतु की गंद के छेड़ पर फिर टीकाया और धक्का मारा इस बार लॉडा काफ़ी अंदर तक घुसा

ऋतु- हहाआआाआआइईईईईई साले फाड़ दी मेरी गंद

राज- चुप रंडी जयदा बोलेगी तो सच्ची मे गंद फाड़ दूँगा

ऋतु- बहुत दर्द है निकालो बाहर

राज- चुप्प रह मदर छोड़ अभी तेरी गंद का दर्द दूर करता हूँ

इतना बोल के राज ने लगातार ऋतु की गंद पर लंड का प्रहार करना शुरू किया इससे ऋतु की गंद का च्छेद छुड़ा होता गया और उसे भी गंद चुदाई मे आनेंड आने लगा वो अब रंडी की तरह मस्त मज़ा लेने लगी छूट मे अजय का लंड और गंद मे राज का लॉडा वो अपने आपको स्वर्ग की रंडी समझ रही थी

ऋतु- हाँ आब छोड़ो सालो कुत्टो मुझे कुटिया बना रखा है तो तुम दोनो मेरी छूट मरने वेल कुत्ते हो छोड़ो ज़ोर लगा के और मरो मेरी बर और गंद दोनो मस्त मज़ा आने लगा है और छोड़ो

ऋतु इसी तरह आँत शांत बकने लगी और चुदाई का मज़ा लूट रही थी अजय और राज उसकी छूट और गंद का बाज़ा बजाने मे लगे थे दोनो ने ऋतु की चुचियों को नोंचा और मरोड़ा ऋतु के नरम और मस्त गुदज उरोज दोनो के लॉड को तूफान बना रहे थे दोनो को लगा की वो अब झड़ने वेल है तो दोनो ने अपने अपने लॉड को ऋतु की बुए और गंद से निकल लिया ऋतु हाँफती हुई सोफे पर बैठी देखने लगी की अब क्या होगा इधर दोनो ने अपने आप को मूठ मारना शुरू किया और सामने पड़ी काँच की मेज पर वीर्या गिरने लगे

ऋतु- हाए मेरे राजा क्या कर रहे हो मेरी किस्मत की मलाई बेकार कर रहे हो

राज- चुप कुटिया यह तेरी मलाई अभी मिलेगी तुझे रुक एक मिनिट को

राज ने अपनी उंगली से दोनो के वियरा को मिक्स किया

राज- ले हरमज़ड़ी छत हम दोनो का वीर्या और मेज बिल्कुल साफ नही हुई तो तेरी मा को यहीं बुला के उसके सामने तुझे छोड़ूँगा

ऋतु- अभी साफ करती हूँ मेरी जान यह मलाई मुझे बड़ी पसंद है

ऋतु ने मेज पर पड़े वीर्या को जैसे ही चटा एक बार मे जीभ फिरते ही उसे केक की क्रीम और वीर्या के टेस्ट मे समानता महसूस हुई उसने नज़र उठे के देखा तो अजय और राज दोनो मंद मंद मुस्कुरा रहे थे

ऋतु- यह तो

अजय- हाँ साली उस केक मे भी हम दोनो का वीर्या था

ऋतु- अगर मैं नही चुड्ती तो तुम दोनो अपनी फॅंटेसी पहले ही पूरी कर चुके थे

राज- हाँ जान हम दोनो ने सोचा की तू चूड़ेगी नही तो हुमारा वीर्या तो खा ही चुकी होगी आ मेरे पास आ अब मैं तेरे च्चती मसल मसल के तुझे फिर जवान करता हूँ और तेरे कोमल छूट मारूँगा

ऋतु आयेज बड़ी और मुस्कुराते हुए राज की गोदी मे आके बैठ गयी

ऋतु- लो जानू मेरी जवानी पूरी नंगी तेरे सामने है इसे जैसे मर्ज़ी उसे करो और मेरी कोमल छूट को अपने घोड़े जैसे लॉड से छोड़ दो











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FUN-MAZA-MASTI कामुक संध्या--4

FUN-MAZA-MASTI

 कामुक संध्या--4


चंदर- आजा साली कुतिया मेरा लोडा पैंट से बाहर निकाल और उसे सहला के मस्त कर तेरी भाभी की चूत मरने के लिए
किरण- राजा फिर मेरी चूत को क्या प्यासा छोड़ देगा
चंदर- नही मेरी जान तेरी चूत पर तो मैं अपनी सारी फौज छोडूंगा. मेरे सारे साथी तेरी चूत का रास्पान करेंगे और तुझे जी भर के चोदेंगे
रागिनी यह सुनके सिहर गयी की उसकी भाभी को 20 डाकू चोदेंगे और वो समझ गयी की किरण की चूत का बुरा हाल हो जाएगा पर अब कुछ नही हो सकता था दोनो इस खेल मे इतनी दूर तक आ गयी थी की अब सच्चाई पता लगती तो डाकू का सरदार उन दोनो की चूतों का भुर्ता बना देता, अपने साथियों के साथ उन दोनो की भयानक चुदाई करके.
चंदर- तू एक बात और जान ले मेरी रंडी
किरण- क्या बोलो ना मेरे मर्द राजा
चंदर- तेरी यह चुदाई बड़ी अनोखी और अजब होगी
किरण- कैसे भला
चंदर- तू देखती जा पहले बता तेरा भाई तेरी इस मादक चुदासी भाभी को कैसे चोदता है
किरण- हाए राजा एक रात मैं उन दोनो के बेडरूम के बाहर खड़ी थी और वो दोनो एक हफ्ते की जुदाई के बाद वासना का मिलन करने वाले थे मुझे पता था की आज इस हवेली की बहू की चूत हवेली का लंड चोड़ेगा ले तू उस मादक चुदाई को मेरे मूह से सुन
किशोर- हाए रानी बड़ी मस्त लग रही है
किरण- हाँ राजा आज दोपहर से चूत मे पानी भरा हुआ है और इतनी रात गये तेरा लंड लेने का मौका आया है
किशोर- क्या करूँ सब लोग बाहर बैठे टीवी देख रहे थे किसी को यह भी ध्यान नही की एक हफ्ते के तौर से लौटा हूँ मेरा लंड और तेरी चूत दोनो प्यासी होगी
किरण- तुनमे दोपहर मे फोन पर जब मेरी चूत चूमि थी तभी से इस साली मे पानी भरा है आओ इसे चूस और मस्त चुदाई करके इसका मान मर्दन कर दो
किशोर- ऐसे कैसे पहले मैं अपनी मादक किरण को पूरी तरह न्नगी करूँगा उसकी ठोस चुचियाँ मसलूँगा फिर उसकी चूत का नंबर आएगा वो भी तब जब वो मचल के मेरे मस्त ताने हुए लोडे को चुसेगी और उसका मीठा वीर्या पिएगी
किरण- आओ मेरे मर्द तेरे लोडे को चूस के तेरे लंड का अपनी चूत के द्वार पर स्वागत करूँगी
किशोर- किरण एक और मस्त कामुक इच्छा है जो तू पूरी कर दे
किरण- कौन सी
किशोर- आज तू अपनी गांड का स्वाद देदे
किरण- कोई बात नही मेरे राजा मेरी चूत चोदने के बाद तू मेरी गांड का द्वार अपने लंड से खोल लेना
किशोर- Thankyou किरण आओ मैं तुझे अपने लोडे की सैर करवाता हूँ
किरण- हाए रीईईईईई धीरे मस्लो मेरी चुचियों को
किशोर- साली सिसकार मार फोन पे तो ऐसे कर रही थी जैसे कोई तेरा यार तेरी चूत मार रह हो और मुझे अपनी आवाज़े सुना रही थी
किरण- वो तो मैं मज़ाक कर रही थी और तुझे पता है की इस हवेली मे कोई लोडा मुझे चोदने नही आ सकता है.
किशोर- वो तो मुझे पता है पर तू एक बात बता
किरण- क्या
किशोर- यहाँ हवेली की कौन सी नौकरानी तुझे पसंद आई
किरण- सभी ठीक है मेरी खूब सेवा करती है
किशोर- साली सेवा के लिए नही चूत मरवाने के लिए पुच्छ रहा हूँ कौन सी हरमज़ड़ी तुझे पसंद है बता उसे आज बुला लूँगा तेरी चूत मालिश को
किरण- हाए रे क्या ऐसा हो सकता है
किशोर- क्यों नही साली सभी इस हवेली की जिंदगी भर की गुलाम है तू बोल तो सही तेरे साथ साथ वो मेरे लोडे की भी सेवा ना करे तो मेरा नाम किशोर नही
किरण- वो है ना अपने नौकर सरवन की जोरू
किशोर- ओह वो ऋतु तू भी ना साली माल तो तगड़ा चुना तूने
किरण- क्या ऐसा हो पाएगा की ऋतु मेरी सेवा करे और हम दोनो को रति सुख प्रदान करे
किशोर- हाँ क्यों नही मेरी जान तू देखती जा
किरण- ऋतु किसी को बोल तो नही देगी अपने पति को या हमारे पिताजी को
किशोर- नही तू चिंता मत कर और आज तू ऋतु से रतिसुख की कल्पना को साकार होते देख देखना मैं भी क्या हाल करता हूँ साली ऋतु का ना न्नगी करके कुतिया की तरह उपभोग किया. साली को रंडी बना दूँगा रातों की रंडी. देखना दिन मे सरवन की बीवी और रात मे तेरी और मेरी पर्सनल दासी बनके रहेगी
 
किशोर ने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और सरवन का नंबर डाइयल किया
किशोर- सरवन कहाँ है तू रे
सरवन- याहूं घर मे मलिक हुकुम करो क्या सेवा करूँ
किशोर- तेरी बीवी वो कहाँ है
सरवन- यहीं मेरे पास ही
किशोर- एक कम करो तुम दोनो तुरंत मेरे पास आओ और एक बात बतो, पिताजी या छ्होटे ने तो कोई आदेश तो नही दिया
सरवन- नही मलिक
किशोर- तो तुम दोनो तुरंत हमारे रूम पर आओ तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ मई और अपनी जोरू को साथ लेके आना छ्होटी मालकिन बुला रही है उसे.
सरवन- अभी हाज़िर हुआ मलिक
किशोर- देखा अभी आएगा सला अपनी करारी जोरू के साथ फिर हम दोनो उसकी बीवी का मज़ा लूटेंगे
किरण- क्या सच मे ऐसा होगा और सरवन होने देगा
किशोर- देखती जाओ जान सला खुद अपने हाथों से ऋतु की चूत हो चौड़ा करके मेरे लोडे के आयेज लाके ना बोले मलिक इसे चोद दो तो मेरा नाम बदल देना
किरण- वाउ क्या ऐसा होगा
किशोर- हाँ पर जो मैं बोलू वो करती जाना
तभी सरवन अपनी बीवी ऋतु के साथ रूम मे आता है
सरवन- मलिक आपने याद किया
किशोर- हाँ रे मुझे और मालकिन के शायर मे दर्द हो रहा है ज़रा हमारी मालिश कर्दे
सरवन अभी लो मलिक मैं आपकी और यह ऋतु मालकिन की मालिश करके आप डोड़नो के शरीर को ताज़गी से भर देंगे
इतना बोलके सरवन ने ऋतु को देखा. उसने हामी मे सिर हिलाया. इधर किशोर और किरण दोनो कॉन्फोर्ट कपड़ो मे थे किरण ने निघट्य डाली हुई थी तो किशोर लूँगी मे था सरवन ने टेबल से तेल की शीशी उतही और ऋतु को पकड़ते हुए बोला
सरवन- ले ऋतु तू मालकिन की टाँगों की मालिश कर्दे और मैं मलिक के पैर अबता हूँ फिर मालिश करूँगा
किशोर- आओ दोनो लोग यहाँ बेड के उपर आके करो
सरवन और ऋतु बेड पर चाड जाते है और किशोर और किरण की मालिश का डुआर शुरू होता है ऋतु ने किरण की निघट्य घउटें तक उपर कर दी और तेल लगाने लगी और इधर किशोर ने भी लूँगी घुटने तक उठा दी दोनो थोड़ी देर तो मालिश करते रहे फिर किशोर बोल उठा
किशोर- सरवन आजा पूरे शरीर की मालिश कर दे देखक कई दिन से लौटा हूँ पूरा शरीर दर्द करता है यही हाल तेरी मालकिन का है
इतना कहके उसने अपनी लूँगी उतार दी उसके नीचे उसने पारदर्शी ब्रीफ पहना हुआ था उस ब्रीफ के अंदर उसके मान की भावना का उद्गार उसका लिंग अरधरप से कहदा हुआ था. इधर किरण ने भी किशोर की देखा देखी अपनी नाइट उतार दी वो सिर्फ़ पर्धारषी ब्रा और पनटी मे थी. दोनो नौकर और नौकरानी समझ गये उन्हे क्या करना है
सरवन- मलिक आआआप्प्प्प्प्प अगली मालिश मुझ से नही मेरी इस हरमिण जोरू ऋतु से कारवओ तो ज़्यादा आनंद आएगा साली मालिश ऐसी करती है की मलिक को नशा आ जाएगा क्योंकि यह हरमज़ड़ी मालिकों की सेवा बचपन से ही करती आ रही है इसकी नाथ बड़े मलिक ने ही उतरी है
किशोर आआअजाआ ऋतु तू आके मेरी तेल मालिश कर और सरवन मालकिन की सेवा करेगा
इधर सरवन ने तेल मे हाथ डुबोय और किरण की जांघों पर हाथ फेरने लगा. किरण के शरीर मे झुरजुरी दौड़ गयी उसे एक कामुक अहसास होने लगा उसे ऐसा लगा की उसकी टाँगों पर साँप रेंग रहा हो और वो साँप उसकी गीली चूत की ऊवार बढ़ रहा हो. इधर किशोर के लिए ऋतु मुस्कुराती हुई बढ़ी और बोली
ऋतु- आओ मलिक मैं आपके मान की इच्छयों को चार चाँद लगा दूं आइए मलिक आप मालकिन को भोगने के लिए पूरी तरह से टायर हो जाइए
किशोर- आ ऋतु पहले मेरे बदन का दर्द दूर कर फिर मैं तेरी मालकिन को चोद के उसकी प्यास भुजौंगा
ऋतु- मलिक आइए मैं आपकी टाँगों की तेल मालिश कर देती हूँ
ऋतु ने तेल मे हाथ डुबो कर किशोर की झंघों पर फेरा तो उसका लंड फड़फदा उठा उसने आयेज बढ़ के ऋतु के मस्त चुचे पकड़ लिए.
किशोर- साली तू अभी जवान कुतिया है आज तेरी मालकिन के साथ तेरी चूत का भी रस पीना पड़ेगा
ऋतु- मलिक यह मेरा सायभाग्या होगा जो आप मुझ पर सवारी करेंगे. आप जैसा बोलेंगे मैं करती जाओंगी
 
किशोर- आओ ऋतु मेरे लोडा को इसकी क़ैद से बाहर निकालो देखो तेरे मस्त नरम हाथों मे आने को कैसे मचल रहा है
ऋतु- हाँ मलिक अभी इस तोते को मैना के लिए तय्यार कर देती हूँ
किशोर- साली इस तोते के होंठ चूम कुतिया
ऋतु ने आयेज बढ़के किशोर का ब्रीफ उतरा और ताने हुए लोडे का सूपड़ा अपने होंठ से लगा लिया
किशोर- साली मदारचोद इस लोडे को पूरा अंदर तक धकेल के चूस जैसे तू मेरे बाप का लोडा चुस्ती है और अपने हाथों से मेरे आंडों से खेल अगर लोडे के तनाव मे कमी आई तो तेरी चूत मे जलती सिग्रते घसेद दूँगा महीनो तक कोई भी लंड नही ले पाएगी
ऋतु ने अपने मुँह को तेज़ी से लोडे पर चलन शुरू किया और हाथों से किशोर के आंडों को सहलाने और मसालने लगी यह देख के किरण की आँखें चौड़ी हो गयी उसे इस हवेली मे आए 15 दिन ही तो हुए थे यहाँ यह खेल भी हॉट आहिया उसे विश्वास नही हुआ. इधर सरवन ने उसकी झंघों पर हाथ फिरा फिरा के उसकी चूत को पानी से लबालब भर दिया वो अपने शरीर को ऐतने लगी तो किशोर बोल उठा
किशोर- सरवन हटा ना अपनी मालकिन की चड्धि देख कितना पनिया गयी है इसकी चूत और ऋतु तू साली क्या कपड़ो मे रहेगी इधर आ तेरे जिस्म से कपड़े नोंछता हूँ
इतना कहके किशोर ने ऋतु को अपने पास खींच लिया और उसकी कुरती को फाड़ने लगा उसने वाकई मे ऋतु की कुरती फादा और पेटीकोआट का नडा तोड़ दिया दोनो कपड़े ुआरते ही मस्त चुदसी ऋतु सिफ एक नर्माल कच्ची मे किशोर के सामने काहदी थी उसने ब्रा नही पहनी थी लेकिन साली के मस्त टन चुचे यह एहसास दिला रहे थे की ऋतु एक जवान कुतिया है जो उसका मज़ा लूटेगा वो कॉलेज गर्ल की कमसिन जवानी भी भूल जाएगा साली के जिस्म पर एक भी बाल नही थे और बदन मे चिकनाहट बहुत थी
किशोर- ऋतु तू अभी भी उतनी ही चिकनी है जितनी पन्नच साल पहले जब मेरे बाप ने पहली बार तेरी चूत मारी थी और तू उस समय कितने साल की थी
ऋतु- मलिक उसी दिन 18 साल की हुई थी बड़े मलिक ने जवानी मे पैर रखते ही चोद दिया था उस रत की याद मत दिलाओ आज भी चूत पानी से भर उठती है
किशोर- ई ऋतु अपनी नयी मालकिन के लिए बता ना तेरी नयी निकोर चूत को कैसे मर्द के लौदे का स्वाद चखया गया कुआ हुआ था उस रात जब तेरी नरम और चुकनी चूत मेपहली पहली बार लौदा उतरा गया
ऋतु- बिल्कुल मलिक आइए आपका लोडा चूस्ते हुए अपनी पहली चुदाई की दास्तान बताती हूँ की किस किसने उस रात मेरी नयी निकोर चूत का रस पिया और किस किस तरह से मेरे कामुक बदन का स्वाद लिया
किरण- क्या मतलब है तेरा
ऋतु- मालकिन उस रात मेरी चुदाई नही जी भर के लुटाई हुई थी मैं इस हवेली की एकमत्रा जवान कुँवारी नौकरानी थी उस रात बड़े मलिक और उनके दोस्त ने मेरे जिस्म से हर वो खेल खेला जिसकी वो कल्पना करते थे और मुझे जी भर के उपयोग किया हर कामुक और विक्रत तमन्ना पूरी की क्या आप सुनना चाहोगी
किशोर- यह ना भी करे तो सुना साली हरमज़ड़ी मेरी दासी होके चाय्स पूछती है कुतिया साली घोड़ी बनके चोड़ूँगा तब लओुदा भी गांड मे लेगी और कहानी भी सुनयगी सुना मदाचोद जाबमेरा मन्हाई तो उस रात की हर बात बता हम हवेली के मलिक है जिस भी नौकरी को चाहे जैसे मर्ज़ी चोद या छुड़वा सकते है समझ गयी ना तू या तुझे अपने अंदाज मे समझाओ डालु डंडा तेरी गांड मे
ऋतु- मलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीइीिकककककककक अभी बताती हूँ आप मुझे माफ़ करो प्ल्ज़
किशोर- अब आई ना साली लाइन पे ई सरवन आ इस रंडी की चूत को अपने हाथ से फैला के मेरे लोडे को पकड़ के उस पे रख के बोल लो मलिक मेरी जोरू की चूत मरो आज इसकी यही सज़ा है की इसका खुद का मर्द इसकी चूत को दूसरे लोडे से चुडवाए तब इस कुतिया की औलाद को पता चलेगा की हवेली के मर्दो की बात अनसुना करने का अंजाम क्या होता है
सरवन- ठीक है मलिक
सरवन आयेज बढ़के एक हाथ से ऋतु की चूत के दरवाजे खोलता है और दूसरे हाथ सेकिशोर का लोडा पकड़ के उसका सूपड़ा पिच्चे खींच के उसे ऋतु की चूत के मूह पे रखके बोलता है
सरवन- आओ मलिक ऋतु की गरम गर्म चूत मे अपना मस्त लोडा डालो मेरी मलिक और इसे चोद डालो
किशोर ऋतु की चूत पे लोडा च्छुवता है और फिर लोडे को अंदर ना डालके हटा लेता है
किशोर- चल आख़िरी बार माफ़ किया अगली बार हमारी इच्छा के खिलाफ गयी तो इससे बुरी सज़ा दूँगा
ऋतु किशोर के लंड को हाथों से मसलते हुए
ऋतु- आपका एहसान नही भूलूंगी मलिक आप मुझे मेरे मर्द के सामने चोद के जिंदगी भर के लिए हम दोनो को जलील कर सकते थे पर आपने ऐसा नही किया आपका बहुत बहुत धन्यवाद मलिक मैं मालकिन और आप सबको अपनी पहली ठुकाई की दास्तान सुनती 
 
 
हवेली मे अजय और उसका दोस्त राज दोनो शराब का सेवन कर रहे है और दोनो की बातों का केन्द्र एक ही है वो है ऋतु की जवानी

अजय- क्या हुआ राज आज शराब पिए हुए इतना खामोश क्यों है क्या सोच रहा है तू

राज- तुझे पता ही है अजयकी मेरी बीवी मधु मुझे छोड़ के क्यों चली गयी

अजय- वो तो 7 साल हो गये उस बात को आज भी उसे क्यों याद करता है और मुझे पता है उसने तेरे से क्यों तलाक़ लिया था क्योंकि तू अपनी काम वासना की तृप्ति नही कर पता था वो नाज़ुक काली तेरे मोटे हतुयार् से पीस जाती थी और तू एक हवासी लुटेरे की तरह रोज़ अपनी काली जैसी मासूम बीवी को बिस्तेर पे मसल देता था वो तेरी कामुक और पाशविक सेक्स की भावना को पूरा नही कर पति थी

राज- हाँ रे और इसीलिए मैं अब तक अपनी कांवासना मिटाने के लिए कुच्छ खास ही रंडियों के पास जाता हूँ हर एक साली मेरी धार सहन नही कर पति है
अजय- इस बात का अभी क्या मतलब
राज- मुझे अपनी प्यास बुझाए 10 दिन हो गये है मेरा लॉडा बुरी तरह एक छूट की माँग कर रहा है और इस कम मे तू ही मेरी मदद कर सकता है
अजय- क्या मतलब हे तेरा मैं और रणडिबाज़ी मे मदद
राज- नही रे रंडी के पास मत जा बस मेरी एक मदद कर दे
अजय- बोल
राज – ऐसे नही पहले हाँ बोल फिर
अजय- ऐसे कसिए हाँ करूँ कहीं तू अपनी भाभी को माँग बैठा तो
राज- चल तेरी फॅमिली का कोई नही अब तो हाँ है तेरी
अजय- देख सिर्फ़ मदद करूँगा
राज – और क्या तेरा मान कर तो तू शामिल होना नही तो मैं अकेला ही
अजय- ठीक है अगर मेरे बस की बात हुई तो पूरी तरह से मादा कृंगा
राज- देख सिर्फ़ तेरे बस की बात है
अजय- ओक की मदद बोल क्या करना है
राज- वो वो वो यार अजय वो
अजय- क्या वो वो लगा रखी है अब बोल खुल के
राज- वो तेरी नौकरानी ऋतु दिला दे
अजय- कययययययययययययययययययययययाआआआआआआआआआआआअ तुझे पता है तू का माँग रहा है
राज- क्यों क्या हुआ कोई ग़लत बोल गया
अजय- वो अभी 18 की भी नही हुई साले देख ले ऐसी पड़ेगी की बाकचू जैल मे पुलीश गंद तोड़ देगी
राज- सब मंजूर है जब से उसे देखा है साली की छूट मे लॉडा उतरने का मान है
अजय- देख सिर्फ़ छूट तक ही साथ दूँगा उससे आयेज नही
राज- उससे आयेज क्या करूँगा मैं
अजय- तू जान तू कैसे अपनी बीवी को छोड़ छोड़ के पार्शन करता था वो क्यों भागी तेरे को छ्चोड़ के
राज- वो तो मैने उससे एक दिन अपनी छूट मे मेरा मूत भर के पीने को बोला था
अजय- फिर
राज- छ्चोड़ उसे तू इस कामिनी ऋतु की बात बता दिलवाएगा इसकी नरम मुलायम छूट
अजय- साली कोरी है मेरा भी बड़ा मान है इसकी कुँवारी छूट मे लॉडा पेलने का पर तेरी भाभी की वजह से रुका हूँ
राज- डरता है क्या जोरू से
अजय- नही रे सारी जयदाद उसी की है अलग हो गयी तो रोड पे आ जौंगा
राज- सो तो है पर अब क्या करेगा ऋतु को मुझेसे चूड्ता देखेगा
अजय- क्यों नही आज तेरी भाभी हवेली पर नही है अगर ऋतु मान गयी तो हम तीनो रत भर ऐश करेंगे और साली के मज़े लूटेंगे
राज- फिर देर किस बात की है बुला साली को उसकी करारी जवानी का नज़ारा किया जाए और मस्ती के सागर मे डूबा जाए
अजय- ठीक है .... ईई ऋतु इधर आ
ऋतु- आऐ मलिक
अजय- देख हम दोनो के लिए फ्रिड्ज से विस्की और कुछ नमकीन लेके आ जल्दी से
ऋतु – आऐ मलिक
अजय- देखना साली लहँगे चोली मे कितनी मादक और मस्त दिखती है
(तभी ऋतु अंदर आती है उसने लहनगा चोली और दुपट्टा लिया हुआ है उसकी मस्त जवानी 18 साल को टच करती है और श्रीर किसी 22 साल की अलहाल जवान लौंडिया से कम नही है)
राज- इधर आके हुमारा गिलास बना और एक बात बता
ऋतु- क्या मालिक
राज- तेरी उमर क्या है
ऋतु- अभी एक हफ्ते पहले ही वोट देने की उमर हुई है बापू बोले थे
राज- ओहो तो हमारी ऋतु 18 की हो गयी है और हमें पता नही तेरा तो बर्तडे मनाया जाना चाहिए
ऋतु- हम ग़रीबों का क्या बीथड़े और अलग दिन सब दिन एक जैसे होते है
राज- नही आस्सा नही होगा जा जाके बाज़ार से एक केक लेके आ अपनी पसंद का ले पसीए मुझसे ले जा
ऋतु- सच मलिक आप मेरा बर्तडे मनाओगे
राज- हाँ मैं झूठ नही बोला
(ऋतु पैसे लेक जाती है)
अजय- यह क्या है मैं समझा नही
राज- हाए मेरे भोले राजा अब सब रत को साली के बदन से खेलोगे ना तो सब समझ जाओगे
अजय- ऐसा क्या करेगा तू देख कहीं उल्टा सीधा मार करियो

राज- सीधा कुच्छ खास नही और उल्टा कुच्छ ज़्यादा नहीं बस तेरा जब तक मान करे साथ देना बाकी मुझ पे छ्चोड़ देना हाँ इस कुटिया की रज़ामंदी से करूँगा यह जान ले और साली कई कम खुद बोल बोल के करवाएगी ऐसे ही नही तेरी भाभी को 5 साल तक छोड़ा मैने

अजय- तू जान यार मैं तो सिर्फ़ इसका उपर से रास्पान कोंगा

राज वो तुझे मिलेगा बाकी इस बोतल की एक एक घूँट पियुंगा साली कुँवारी ही नही उँचुड़ी और भोली भेद है है और ऐसा माल छोड़ने का नशा ही कुच्छ और है

अजय- लगता है आ गयी ऋतु

ऋतु- लो मलिक मैं केक लाई हूँ वाइट क्रीम से साजवा के

राज- तू अपने रूम मे जाके मूह हाथ धोके फ्रेश होके 10 मीं मे आजा

ऋतु- ठीक है मैं जाती हूँ

अजय- अब क्या करेगा तू

राज पंत खोल के लॉडा निकल लेता है और मूठ मारना शुरू करता है

अजय- यह क्या छोड़ने से पहले ही

राज- चुप कर मुझे इस केक पर अपना माल गिरना है

अजय- ऊऊऊऊओह मैं भी क्या

राज- हाँ तू भी गिरा दे

दोनो मिलके केक की उपरी सतह पर थोड़ी देर मे माल गिरते है और चम्मच से उसे फैला देते है अभी सिर्फ़ उन दोनो को पता है केक मे लॉड का माल मिला है तभी ऋतु आती है मूह हाथ ढोने से चेहरे पर निखार और जवानी मे रौनक आ जाती है

राज- आओ ऋतु मेरे पास बैठो

ऋतु – नही मैं आपेक साथ कैसे बैठूँगी मैं तो नौकरानी हूँ

और वो नीचे बैठ जाती है उसकी चोली से उसके दोनो संतारो का उभर दिखें लगता है जो राज को उत्तेजित करता है वो आयेज बड़के उसकी पीठ पर हाथ फिरता है उसे अहसास हो जाता है की ऋतु मूह हाथ ढोने के समय अपनी ब्रा उतार आई है उसे अंदाज़ा हो जाता है की चिड़िया को दाना चुज्ने मे टाइम नही लगेगा.

राज – ऋतु चल केक काट

ऋतु चाकू उठा के केक कटती है और उसका टुकड़ा दोनो को और बड़ाती है राज उसकी नर्म नाज़ुक कलाई को थम के उस केक का रुख़ उसके मूह की आयार मोदता है

राज- नही मेरी ऋतु को आज केक खुद खाना होगा और एक कम और करना पड़ेगा

ऋतु- बोलो मलिक आपने पहली बार हमे मेरी ऋतु बोला है आज आप जो कहोगे सब करूँगी

राज- सच्ची मेरी जा.. ऋतु

ऋतु- हाँ मलिक सब कुच्छ आप कुच्छ और बोलने वेल थे

राज- नही नही कुच्छ नही तू केक खा और इस केक के उपर की सारी क्रीम छत जा

ऋतु जीभ निकल के केक के उपर की क्रीम खाती है उस टेस्ट अलग लगता है पर बिना किसी शक के वो सारी क्रीम छत जाती है अजय और राज ला लंड यह देख के तनटानने लगता है की एक नयी लौंडिया उनके लॉड का माल ख रही है राज ऋतु की पीठ पर हाथ फिरता रहता है और बोलता भी है

राज- हाँ ऋतु खा ऐसे ही खा बड़ी सुंदर लगती है तू केक खाती हुई इसकी सारी क्रीम अपनी जीभ से छत बड़ी मस्त लाल जीभ है लाओ मैं इसे चूम लूँ

राज झुक के ऋतु की जीभ चूसने लगता है ऋतु उससे लिपट जाती है

ऋतु- मलिक क्या कर रहे है आप

राज- चुप छाप होने दे जो हो रह है तुझे जवानी का मस्त नशे का सुख दे रहा हम तू क्रीम छत और बता क्या टेस्ट है

ऋतु- इसका स्वाद कुच्छ अलग है सब्से अलग पर सबसे टेस्टी भी

राज- बहुत बाड़िया मेरी जान आजा अब मेरी गोद मे बैठ जा

ऋतु उपर उठके राज की गोद मे आ जाती है राज उसके होंठो से अपना ग्लास लगा देता है

राज – मेरी कसम जो ना की तूने

ऋतु- मलिक आपकी कसम मैं जिंदगाई मे कभी ना टूटने दूं

ऋतु कड़वा ग्लास भारी विस्की को पी जाती है

राज ऋतु के होंठो से बाहर बहती हुई विस्की चूस्ता है

राज- मेरी जान तुएँ शराब को भी नशीला बना दिया आजा आज तुझे तेरी जवानी का अनमोल तोहफा दूं

ऋतु- कौन सा मलिक मैं समझी नही

राज- इतनी भी नादान मत बन आज मैं तेरी नाथ उतरूँगा और तुझे लड़की से औरत बनौँगा पर अपने अंदाज मे

ऋतु – हाए रे मलिक आपका कौन सा अंदाज है

राज- तू देखती जा और यह तेरा मलिक भी देखेगा की मेरा छूट मरने का अंदाज क्या है तुझे पता है मैने अपनी बीवी को तलाक़ क्यों दिया

ऋतु- नही मलिक

राज- क्योंकि वो कुटिया चुदाई के समय मेरा कहना नही मनती थी

ऋतु- कैसा कहना

राज- जैसे मेरा बहुत मान होता है की जिसकी छूट मरूं उसके गले मे वीर्या उतार दूं वो साली मूह मे लौद अलेटी नही थी, गंद मरवाने मे दुखी करती थी, लंड चूसना नही छाती थी साली के उपर मूत्ो तो रोटी थी लंड को पकड़ के नंगी नाचना और ऐसे कम तू करेगी मेरे साथ

ऋतु – हाँ मलिक मैं तय्यार हूँ मैने आपकी कोई बात टली तो मेरा आपकी कम दासी होना बेकार

राज – आजा मेरी जान तू मेरी दासी नही आज रत की मेरे लॉड की मालकिन है देख आज तेरी मालकिन भी नही है तो तू अपने मलिक को भी खुश करेगी तो मैं तेरी छूट को नोटो से भर दूँगा

ऋतु- हाए रे तो क्या मलिक मालकिन के होते हुए भी मुझे छोड़ेंगे

राज- तू देखती जा तेरी नाथ तो यही उतरेंगे मैं तुझे फिर बाद मे मस्त छोड़ूँगा जा आयेज बाद और अपने मलिक का लॉडा उसके अंडरवेर से बाहर निकल के उसका सूपड़ा च्चिल के लॉडा खड़ा कर और केक को उसके लंड पर मसल के खा

ऋतु आयेज बड़ी और अजय का लॉडा राज की इच्छा के अनुरूप बेर निकल कर उस पर केक माला और उसने लंड को मूह मे भर लिया

अजय- आआआआहह ऋतु प्यार से साली तेरी मालकिन को लंड मे खरॉच भी दिखी तो तेरी छूट की शामत आ जाएगी

ऋतु- मालिकक्ककककककककककक आपका लॉडा बड़ा मस्त है मालकिन तो चुड के निहाल हो जाती होगी आप मेरी छूट मरो मेरे दाता

अजय ने अहत बड़ा के ऋतु के जोबन को थम लिया 18 साल की जवान युवती की च्चती छूटे ही उसका लॉडा 2 इंच और फूल गया ऋतु लंड को मूह मे लिए चूस रही थी लंड पर पड़ा असर उसकी छूट मे पानी की नयी लहर लेके आया उसने और जोश से लंड चूसना शुरू किया इधर राज ने तब तक अपने हाथों से ऋतु के चिकान्य और जवान शरीर को सहलाना शुरू किया उसकी भाषा खुल के गंदी होती चली गयी उसे पता था अब ऋतु उससे चुड़े बिना नही लौटेगी और ना ही किसी को बाथ्ेगी की अजय और राज ने उसकी छूट का भेदन किया है

ऋतु- मलिक आआआआअहह आपके हाथों मे जादू है मेरे शरीर मे एक नयी आग का संचार हो रहा है मेरा मान कर रहा है

राज- कैसा मान मेरी जान

ऋतु- की मैं अपनी चोली उतार दूं

राज- आओ ऋतु यह मैं खुद अपने हाथों से तेरी च्चती पकड़ के तेरे जिस्म से चोली उतार देता हूँ

ऋतु- पर मलिक मैने ब्रा नही डाली हुई है

राज- वो तो मेरे कामीने हाथों से तेरी पीठ पर पहली बार मे ही फेर के पता लगा लिया था तू फ़िक्र मत कर आज रत इस हवेली मे हम तीनो के सिवा कोई नही है चिंता मत कर तू न्नगी भी घूमेगी तो कोई नही देख पाएगा और हम दोनो का मस्त माँॉआंजन हो जाएगा

ऋतु- मनोरंजन कैसे

राज- तू देखती जा तेरी छूट को छोड़ के चित्तोड़गर्ह नही बनाया और मलिक ने तेरी चुचियों का सितार नही बजाया तो मेरा नाम बदल डियो

ऋतु- हाए रे इतना ज़्यादा छोड़ोगे

राज- नही रे मेरी जान तू तो घबरा रही है कुच्छ नही होगा सिर्फ़ तुझे मदरजात नंगी करके तेरा नाच देखेंगे और लंड का तनाव तेरी छूट मे लॉडा पेल के दूर करेंगे तू दर मत

ऋतु- तब ठीक है मैं ती सोची की आपकी मालकिन नही है की 7 साल की प्यास मेरे नरम गोस्त से मिटाओगे

राज- नही री उसके लिए तो मैं रंडियों के पास जाता रहता हूँ पर जब कोई तेरे जैसे उँच्छुई काली मिल जाती है तो उसे रत भर छोड़ के अपनी कुच्छ हसरतें पूरी करता हूँ

ऋतु – मलिक लो मेरा जवान चिकना नरम और जवानी के जोश से भरपूर गरम जिस्म आपके सामने परोस दिया है मुझे आप जैसे मर्ज़ी छोड़ो आओ मलिक अपनी सभी हसरतें पूरी करो

राज ने हाथ बढ़के ऋतु की चुचि के उपर चोली कासके पकड़ी और उसे सामने से फाड़ दिया

राज- साली तुझे मदरजात न्नगी करके छोड़ूँगा देखना तू हम दोनो यारों की मस्त रंडी बनेगी पूरी रत के लिए 
 
 





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