Friday, February 17, 2012

मेरी बहन-मेरी पत्नी पार्ट -1

मेरी बहन-मेरी पत्नी पार्ट -1

मेरा नाम अमित है और मै दिल्ली का रहने वाला हूँ | आज मै आपको वह बात
बताने जा रहा हूँ जिसे सुनकर शायद आप यही सोचेंगे की ये सिर्फ एक कहानी
है | मगर सच मानिये ये कोई सेक्सी कहानी नहीं है बल्कि मेरे साथ घटी एक
सच्ची घटना है |

ये बात तब की है जब मै लगभग १९ वर्ष का था और मेरी बहन अमृता लगभग १७
वर्ष की थी | जो भी कुछ हमारे बीच हुआ- वह हुआ तो गलती से था मगर बाद में
हम दोनों को ये एहसास हुआ की जो हुआ वह अच्छा हुआ और हम दोनों धीरे धीरे
उससके आदि हो गए थे |

मै शुरू से ही बहुत सेक्सी वि चारो वाला लड़का रहा हूँ और अपने से बड़ी
उम्र के लडको के साथ रहता था इसलिए लगभग १४-१५ वर्ष की आयु से ही मै
सेक्सी फिल्मे देखने लगा था और तभी से मुठ भी मरने लगा था | लेकिन अभी तक
मेरी ये आदत किसी एक साधारण जवान लड़के के जैसे सिर्फ मुठ मरने तक ही
सीमित थी | इसका मेरी बहिन के साथ कोई सम्बन्ध नहीं था | मै भी एक साधारण
भाई की तरह ही अपनी बहिन को साधारण वाला प्यार करता था |
लेकिन एक दिन (ये बात उस समय कि है जब मै लगभग १७ वर्ष का था और अमृता
लगभग १५ वर्ष कि थी |)मै अपने दोस्तों के साथ वी सी आर पर एक बहुत ही
सेक्सी फिल्म देख कर आया था और मौका न मिल पाने के कारन उस दिन मुठ नहीं
मार सका था | इसलिए पूरा दिन परेशान रहा |मगर पूरा दिन मुझे मुठ मारने का
मौका मिला ही नहीं और मुझे रात को बिना मुठ मरे ही सोना पड़ा |
उसी रात मेरे साथ वह हुआ जो शायद इस समाज की नजरो में गलत होगा मगर अब
मेरी नजरो में गलत नहीं है | मुझे कामुकता के कारण नींद नहीं आ रही थी और
मै करवटे बदल रहा था कि अचानक मेरी नजर मेरे बराबर में सोती हुई मेरी
छोटी बहिन पर पड़ी | (यहाँ मै आपको बता दूँ की शुरू से ही हम दोनों भाई
बहिन एक कमरे में सोते थे और हमारे मम्मी-पापा दुसरे कमरे में सोते थे
|)नींद में बेफिक्र हो कर सो रही मेरी बहन बहुत-बहुत सुंदर लग रही थी |
और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि नींद में सोती हुई मेरी बहिन के बूब्स बाहर
आ रहे थे |पहले तो उसके बूब्स देखते ही मेरे अंदर हवस जाग उठी मगर दुसरे
ही पल मेरे अंदर का भाई भी जाग गया और मैंने खुद पर कण्ट्रोल करते हुए
अपनी करवट बदल ली |
मगर बहुत जयादा देर तक मेरे अंदर का भाई जागा न रह सका और मेरे अंदर का
मर्द जाग गया | मै दिन भर से तो परेशां था ही, अब जयादा देर खुद पर
कण्ट्रोल न कर सका और वापिस करवट बदल कर अपनी ही छोटी बहन के बूब्स देखने
लगा | सच कहता हूँ उस समय मेरे अंदर मिले जुले विचार आ रहे थे | कभी तो
मै अपनी ही बहन के बूब्स देख कर उत्तेजित हो रहा था और कभी खुद पर ग्लानी
महसूस करता था |
मगर फिर भी उसके बूब्स देखने का मौका मै खोना नहीं चाहता था इसलिए उस रात
मै जी भरकर अपनी बहिन के बूब्स देखता रहा मगर उसे छूने कि हिम्मत नहीं कर
सका | लेकिन उसके गोरे-चिट्टे छोटे-छोटे बूब्स ने मेरे लैंड का हाल बुरा
कर दिया था इसलिए मै लेटे-लेटे ही बिना पजामा खोले ही मुठ मारने लगा और
अपनी बहन के बूब्स को निहारने लगा | इस तरह मैंने उस दिन पहली बार अपनी
बहिन के नाम से मुठ मरी थी और वह भी उसके नंगे बूब्स को देखते हुए- उसी
के सामने | सच कहता हूँ मुठ तो मै कई सालो से मार रहा था मगर उस दिन मुठ
मारने से जो संतुष्टि मुझे मिली थी वो उस दिन से पहले कभी नहीं मिली थी |
बस उस दिन के बाद से ही मै अपनी बहन को ही उस नजर से देखने लगा था जिसे
ये समाज तो सेक्स कहता है लेकिंन मै उससे प्यार कहूँगा | उस रात के बाद
से मै जाग-जाग कर अपनी बहन के सो जाने का इन्तजार करने लगा | और साथ ही
इन्तजार करता उसके सोते समय बूब्स के बहार निकल जाने का | कभी कभी तो मै
पूरी पूरी रात जगता रह जाता मगर अमृता के बूब्स बहार ना निकलते और मै डर
के कारण उसे छू नहीं सकता था | अब तो दिन रात मेरे ऊपर मेरी ही सगी बहन
के प्यार का भूत स्वर हो चूका था | मै सेक्सी फिल्म देखता तो मुझे अमृता
नजर आती और अमृता को देखता तो सेक्सी फिल्म कि हिरोइन नजर आती | ये
सिलसिला लगभग एक साल तक चलता रहा और मै ऐसे ही अमृता के नाम कि मुठ मारने
लगा मगर कुछ करने कि हिम्मत नहीं कर सका |बस रात रात भर जाग कर अपनी बहन
के बूब्स बाहर आने का इन्तजार करता |
लेकिन दिन-ब-दिन मेरे अंदर अमृता को पाने कि चाहत बढती जा रही थी | अब
मेरी नजर सिर्फ और सिर्फ अमृता के बूब्स पर ही रूकने लगी थी | मै जाने
अनजाने में सबके सामने भी अमृता के बूब्स ही निहारता रहता था और इस बात
के लिए एक-दो बार मेरे दोस्तों ने मजाक मजाक में टोक भी दिया था, मगर
मैंने उन्हें नाराजगी जताते हुए इस बात के लिए डांट दिया था | लेकिन सच
तो यही था कि अब मै अमृता के प्यार मे पागल हो चूका था और उसको पाने कि
चाहत में अपनी सभी हदे पार करने लगा था |
इसलिए अब रात को जब अमृता के बूब्स बहार नहीं निकलते थे तो मे खुद अपने
हाथ से उन्हें बहार निकालने लगा था | लेकिन बूब्स को बहार निकालते समय मै
इस बात का विशेष ध्यान रखता था कि कही अमृता कि नींद न टूट जाये |
धीरे धीरे मेरी हिम्मत भी बढती जा रही थी और मै रोज ही अमृता के बूब्स
निकल कर धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा , कभी कभी हलके से किस्स कर देता तो
कभी कभी अपना लैंड ही उसके हाथ में दे देता |

ये सब सिलसिला भी लगभग एक-डेड़ साल तक चलता रहा और मेरी उम्र लगभग १९
वर्ष कि हो गयी थी और अमृता भी लगभग १७ वर्ष कि हो गयी थी | उम्र के साथ
साथ अमृता के बूब्स भी भारी होते जा रहे थे और मुझे पहले से भी ज्यादा
पागल करने लगे थे |मै अपनी ही सगी बहन के बूब्स के लिए पागल हुए जा रहा
था और रोज रात को उसके बूब्स बहार निकालकर चूसता, सहलाता और उसके हाथ में
अपना लंड रख कर अपनी सोती हुई बहन से मुठ मरवाता |

एक रात (जब मै १९ वर्ष का हो चूका था ) मेरा पागलपन कुछ ज्यादा ही बढ गया
और मै रोज कि तरह अमृता के बूब्स से खेलने लगा| साथ ही साथ अपना लंड
अमृता के हाथ में दे कर मुठ मरवा रहा था कि अचानक मै अपना कण्ट्रोल खो
बैठा और उत्तेजना में बहुत जोर जोर से अमृता के बूब्स चूसने लगा | अपनी
उत्तेजना में मै ये भूल गया कि मै अपनी ही छोटी बहन को सोते समय प्यार कर
रहा हूँ और अपना लैंड उसके हाथ में दे कर जोर जोर से मुठ मरवाते हुए,
बहुत जोर जोर से उसके बूब्स अपने हाथ से दबाते हुए मै उससे लिप्स टू
लिप्स किस्स करने लगा (और ये सब बहुत जोर जोर से करने लगा था ) कि अचानक
अमृता कि नींद खुल गयी | लेकिन जिस टाइम अमृता कि नींद खुली उस टाइम मेरे
होठ उसके होठो को चूस रहे थे इसलिए वो चिल्ला तो न सकी मगर डर बहुत गयी |
मेरे ऊपर उस समय जैसे शैतान सावार था | मै उस समाया अपनी चरम सीमा के
समीप था | मैंने अमृता के जग जाने कि परवाह नहीं कि और पागलो कि तरह उससे
किस्स करता रहा , जोर जोर से उसके बूब्स दबाता रहा और उसके हाथ में अपना
लंड दे कर जोर जोर से मुठ मरवाता रहा |अमृता इतनी डर चुकी थी कि वो
निष्क्रिय सी मेरे नीचे चुपचाप पड़ी रही | कभी कभी उसके चेहरे पर दर्द के
भाव जरुर आ रहे थे मगर होठों पर मेरे होंठ होने के कारण वो कुछ बोल नहीं
सकती थी | थोड़ी ही देर में (सिर्फ चंद ही मिनटों में )मेरे लंड ने पानी
छोड़ दिया और मेरा सारा वीर्य अमृता के हाथ में था | मगर जैसे ही मेरे लंड
ने पानी छोड़ा और मेरा पागलपन खत्म हुआ - मेरे हाल ख़राब हो गया | मुझे
होश आया तो विचार आया कि अब अमृता मम्मी-पापा को सब बता देगी और अब मेरी
खैर नहीं | बस यही सोच कर मेरी हालत ख़राब हुए जा रही थी | लेकिन अमृता
चुपचाप गुमसुम और सहमी से अपने बिस्तर पर पड़ी हुई थी |
यहाँ तक कि न तो अमृता ने अपना हाथ ही साफ किया था और न ही उसने अपने
बूब्स अंदर करे थे , वो तो जैसे गुमसुम सी हो गयी थी और मै उससे कही
जयादा डर रहा था कि अभी अमृता चीखेगी और मम्मी-पापा को सब बता देगी | मै
एक दम से अमृता के हाथ-पैर जोड़ने लगा और उससे मानाने लगा कि वो
मम्मी-पापा से कुछ न कहे | मै बार बार उससे माफ़ी मांग रहा था कि जो हुआ
वो गलती से हो गया मगर अमृता कि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी | वो बस
चुप चाप सी उसी हालत में पड़ी हुई थी | अंत में मैंने ही उसके बूब्स को
ढँक दिया और उसे सुलाने लगा | जब बहुत देर तक अमृता ने कोई शोर नहीं
मचाया तो मेरे दिल को थोडा सा चैन मिला कि कम से कम आज रात तो वो
मम्मी-पापा को कुछ कहने वाली नहीं है लेकिन सुबह कि सोच का मुझे चिंता
हुए जा रही थी | थोड़ी देर के बाद अमृता के रोने कि आवाज आने लगी | तब
मैंने बार बार उससे माफ़ी मांगी और उससे वादा लिया कि वो मम्मी को कुछ
नहीं कहेगी |जब अमृता ने मुझे वादा किया कि वो किसी को कुछ नहीं कहेगी तब
कही जा कर मेरी जान में जान आई |
यूं तो अमृता ने मुझे वादा किया था कि वो किसी से कुछ नहीं कहेगी मगर सच
तो ये है कि फिर भी मेरी गांड फट रही थी | मगर अगला पूरा दिन शांति से
गुजर गया ,हाँ इतना जरुर था कि पूरे दिन मैं अमृता का विशेष ख्याल रख रहा
था |अगली रात मैंने पूरी शांति के साथ गुजारी और बिना मुठ मरे या बिना
अमृता के बूब्स देखे ही मै सो गया | ये पिछले दो सालो में पहली ऐसी रात
थी की मै बिना अमृता के बूब्स चूसे या बिना उसके हाथ में अपना लंड रखे सो
रहा था |


उसके अगले दिन कुछ कुछ सामान्य सा लगने लगा | अमृता ने अभी तक किसी से
मेरी शिकायत नहीं करी थी इस लिए अब डर कुछ कम हो गया था |उस रात मेरे दिल
में फिर से अपनी छोटी बहन के बूब्स देखने कि इच्छा होने लगी |पिछले दो
सालो में केवल एक ही दिन ऐसा गया था जब मै अमृता के बूब्स देखे बिना सो
गया था | इसलिए मुझे उसके बूब्स देखकर सोते समय मुठ मारने कि इतनी आदत पड
चुकी थी कि मुझे आज नींद ही नहीं आ रही थी | एक बार फिर से मेरा दिल
अमृता के बूब्स को देखने के लिएय बेचैन हो गया था और मै रोज कि तरह अमृता
के सोने का इन्तजार करने लगा था |लेकिन मैंने सोच रखा था कि इस बार मैं
कोई गलती नहीं करूँगा |
रात के लगभग एक बजे जब मुझे लगा कि अब अमृता सो चुकी है तो मैंने फिर से
उसके बूब्स को बाहर निकालें कि कोशिश करी | मगर जैसे ही मैंने अमृता के
बूब्स को हाथ लगाया अमृता जाग गयी और बोली भईया क्या कर रहे हो? एक बार
फिर से मुझे अमृता ने रंगे हाथ पकड़ लिया था | मै एक दम से सक-पका गया और
कोई उत्तर देते न बना | मै कुछ न बोल सका और अपना हाथ अमृता के बूब्स पर
से हटाने लगा |तभी अमृता ने मेरा हाथ पकड़ लिया और वापिस अपने बूब्स पर रख
दिया | इस बार अमृता बहुत शांत दिख रही थी | मुझे कुछ समझ में ना आ रहा
था कि अब क्या होने वाला है ? कमरे में पूरा सन्नाटा छा चूका था कि तभी
अमृता ने सन्नाटा तोड़ते हुए बहुत प्यार से कहा -
"भईया मुझे पता है आप क्या करने वाले थे ? आप मेरे बूब्स के साथ हमेशा कि
तरह खेलना चाहते हो न ?"
उसकी ये बात सुन कर मै सन्न रह गया | मुझसे कोई बोल न बन पड़ा और मै
हैरानी से अमृता को देखने लगा| अमृता फिर बोली- भईया आपको क्या लगता है
आप जो रोज रात को मेरे बूब्स के साथ खेलते हो या मेरे हाथ में अपना वो
(अमृता ने लंड न खेते हुए "वो" कहा था ) दे कर जो करते हो, मुझे उसका पता
नहीं है?
भईया लड़की चाहे कोई भी हो इतनी गहरी नींद कभी नहीं सोती है कि कोई उसके
बूब्स दबाये और उससे पता नहीं चल सके |मै हैरानी से अमृता कि बाते सुन
रहा था और शर्म से पानी पानी हो रहा था | लेकिन जब अमृता ने ये सब बाते
कही तो मै पूछ ही बैठा कि जब उसे ये सब पता था तो उसने आज तक मेरा विरोध
क्यों नहीं किया? मेरी बात सुनकर अमृता मुस्कुराई और बोली भईया जैसे आपको
ये सब अच्छा लगता है मुझे भी तो अच्छा लगता था | वरना आप ही सोचो जिस नजर
से आप मेरे बूब्स देखते थे , क्या मुझे नहीं पता था कि आपकी निगाह कहा पड
रही है ? ये सब कहते कहते अमृता मुस्कुरा रही थी और मेरे हाथ से धीरे
धीरे अपने बूब्स को दबा भी रही थी |
अमृता कि बाते सुन कर मेरे होश उड़ रहे थे मगर साथ ही साथ उत्तेजना से
मेरा लंड भी खड़ा होता जा रहा था | लेकिन तभी मेरे दिमाग में परसों रात
वाली बात याद आ गयी जब मेरी अत्यधिक उत्तेजना के कारण अमृता कि नींद खुल
गयी थी| मेरे पूछने पर अमृता ने बताया कि सच तो ये है इस उस रात वो भी डर
गयी थी क्योकि अभी तक मै उसके साथ सभ्यता से पेश आता रहा था और उस रात मै
अचानक पागलो के जैसे उससे प्यार कर रहा था | अमृता ने बताया कि उसे डर इस
बात से लग रहा था कि कही मै उसका रेप न कर दूँ |
बाद में अमृता ने कहा कि भईया हम दोनों भाई बहन है इसलिए हम दोनों के बीच
में पति पत्नी वाला सम्बन्ध तो कभी बन नहीं सकता , मगर हाँ हम दोनों एक
दुसरे कि जरूरते तो पूरी कर ही सकते है |
सच कहता हूँ दोस्तों शायद आप इस बात का विश्वास करे या नहीं मगर मेरी
ख़ुशी का ठिकाना नहीं था | न ही मै खुद इस बात पर विश्वास कर पा रहा था
कि मेरी छोटी बहन (जो मेरी सगी बहन है ) मेरी शारीरिक जरूरते पूरी करने
कि बात कर रही थी | मेरा लंड ये सोच सोच कर मचल रहा था कि अब उसे अमृता
अपने हाथ से सहलाया करेगी और मै ये सोच सोच कर पागल हुए जा रहा था कि
पिछले दो सालो सो जिन बूब्स के लिए मै पागल था और छुप छुप का उन्हें
देखता था , अब उन्ही बूब्स को मै बेझिझक हो कर मै छू सकूँगा, दबा सकूँगा
और चूस सकूँगा |और जब जब मेरे दिमाग में ये बात आती कि ये सब मै किसी और
लड़की के साथ नहीं बल्कि अपनी सगी बहन अमृता के साथ
करूँगा...................मेरी उत्तेजन और भी बढ जाती |और अपनी इसी
उत्तेजना मे मै एक बार फिर से पागलो कि तरह अपनी बहन पर टूट पड़ा | अब मै
परसों से भी जयादा जोर से अपनी बहन के बूब्स दबाने लगा, परसों से भी
जयादा जोर से उसके होंठ पीने लगा और बिना किसी डर या शर्म के उसका हाथ
पकड़ कर पजामे के ऊपर ही अपने लंड पर रगड़ने लगा |
उस पल का एहसास तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है, शब्दों में बयां नहीं
किया जा सकता है | यूँ तो उसके बाद से हर रात हम दोनों भाई बहन प्यार
करते हुए बिताते है मगर पता नहीं क्यों उस पहली रात में जो बात थी वो कुछ
अलग ही थी | ये भी सच है कि उस पहली रात में अपनी अत्याधिक उत्तेजना के
कारण मै कुछ ही पालो में झड गया था और अमृता मेरे नंगे लंड को अपने हाथ
में ले कर सहला पाती इससे पहले ही मै पजामे में ही झड गया था और अमृता
बहुत जोर जोर से हंसने लगी थी मगर फिर भी उस रात कि बात ही कुछ और थी
|यूँ तो हम दोनों भाई- बहन ने ये तय किया था कि हम दोनों के बीच कभी पति
पत्नी वाले सम्बन्ध नहीं बनेगे और हम दोनों एक दुसरे कि जरुरतो का ख्याल
अपनी मर्यादा में रहते हुए ही करेंगे , मगर जब एक मर्यादा टूट ही चुकी थी
तो भला दूसरी मर्यादा कितने दिन तक रहती ?
समय मिलने पर मै आपको बताऊंगा कि किस तरह हम दोनों भाई बहन के बीच में वो
सब भी हो गया जो एक पति और पत्नी के बीच होता है |
हो सकता है कि आपमें से कुछ लोगों को ये घटना एक कहानी भर लगे - सिर्फ एक
सेक्सी कहानी मगर ये मेरी जिंदगी कि सच्चाई है और सबसे हसीन सच्चाई |
क्रमशः........


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