मेरी बहन-मेरी पत्नी पार्ट -5
गतांक से आगे...................................
अमृता चलती कार में मेरे लंड पे झुकरकर उसे चूस रही थी| पहले तो मुझे लगा
कि वो सिर्फ दो बार चूस कर मेरा लंड छोड़ देगी मगर जब वो लगातार मेरा लंड
चूसने लगी तो मैंने भी उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए | उधर वो मेरा लंड
चूसने लगी और इधर मै उसके बूब्स दबाने लगा | थोड़ी देर चूसने के बाद अमृता
मुस्कुराते हुए उठी और बोली- "बस भईया अब तो खुश ? अब तो नाराज नहीं हो न
मुझसे? "
मैंने भी खुश होते हुए कहा- तुझसे नाराज हो कर जी सकता हूँ? तू तो जान है मेरी |
उसके बाद मै बिना अमृता को छोड़ कर कार चलाने लगा |मगर मैंने कार घर कि
तरफ लेने कि बजाये एक रेस्टुरेंट में रोक दी | मै अमृता को ले कर उस
रेस्टुरेंट में गया और हम दोनों किसी बॉय फ्रेंड- गर्ल फ्रेंड कि तरह
वहां बहुत देर तक बैठे रहे |वहां हम दोनों ने कोल्ड-ड्रिंक पी और बीच बीच
में एक दुसरे का हाथ पकड़ते तो कभी किसी प्रेमी जोड़े कि तरह एक दुसरे कि
आँखों में आँखे डाल कर देखते रहते |
वहां बैठ कर जब हम दोनों प्यार कि बाते कर रहे थे, तब अमृता ने कहा कि
उसने आज तक कोई भी अडल्ट फिल्म नहीं देखि है, इसलिए मम्मी कि गैर-मौजूदगी
में वो ये फिल्म मेरे साथ देखना चाहती है |और मैंने अमृता को कुछ पैसे
देते हुए कहा कि मै उसे काले रंग कि सेक्सी ब्रा-पेंटी में देखना चाहता
हूँ, इसलिए वो २-३ सेक्सी सी ब्रा-पेंटी खरीद कर ऑटो से घर पहुँच जाए
(क्योकि हमारी उम्र उस समय बहुत कम थी इसलिए हम लोग पति-पत्नी नहीं लगते
थे | इसलिए अमृता को अकेले ही ये खरीददारी करनी थी ) और मै उसके लिए
अडल्ट फिल्म कि कैसेट (उस समय मेरे घर में वी सी आर था ) खरीदने चला गया
|
रस्ते में आते समय मैंने लगभग दस बीयर कि बोतले भी खरीद लीं क्योकि मै इन
पंद्रह दिनों में वो सब कर लेना चाहता था जो अगले पंद्रह सालों के लिए एक
याद बन कर रहे |
जब मै घर पहुंचा तो अमृता मुझसे पहले ही घर आ चुकी थी | अमृता ने दरवाजा
खोला तो अमृता को देखते ही (सिर्फ ये सोच कर कि अब पंद्रह दिनों के लिए
मै दिन रात इसकी चूत मारने वाला हूँ) मेरा लंड खड़ा हो गया |अमृता की नजर
भी हमेशा की तरह मेरे लंड पर गयी और मेरी फूली हुई पेंट को देखकर
मुस्कुराते हुए उसने मेरे होंठों पे किस्स करते हुए मेरा स्वागत किया |
मेरे हाथ में बीयर कि बोतले और कैसेट होने के कारण मै अमृता को बाहों में
नहीं भर सकता था जिसका अमृता ने खूब फायदा उठाया और दरवाजे पर ही घुटनों
के बल बैठ कर मेरे लंड को पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी | ये मेरी जिंदगी
का पहला एहसास था कि मेरी बहन दरवाजा खोलते ही मेरे लंड से खेल रही थी
मगर मै सामान हाथ में होने के कारण उसे बाहों में भी नहीं भर पा रहा था |
अमृता इस मौके का फायदा उठा रही थी और कार में जो मैंने उसे सताया था
उसका बदला ले रही थी |मै बेबस सा खड़ा हुआ सिर्फ उसे गाली दे रहा था और
बार बार अनुरोध कर रहा था कि मुझे एक बार अंदर आ जाने दे और सामान रख
लेने दे | मगर अमृता ने तो मेरा लंड ही बहार निकल लिया और मुह में ले कर
चूसना शुरू कर दिया |मेरी सिसकियाँ निकलने लगी, मै जोर जोर से उसे गलियां
देने लगा |लेकिन मै उतना ही बेबस था जितना एक लड़की रेप के समय होती है और
अमृत मेरे लंड से खेलती रही |
थोड़ी देर के बाद वो उठी और शरारतभरी मुस्कुराहट के साथ मेरी आँखों में
आँखें डाल कर बोली- "क्या हाल चाल है भईया? कैसा लगा? मजा आया?"
मैंने कहा- "मजा तो मै तुझे अभी चखाता हूँ | मुझे जरा सामान रखने दे फिर
देख मजा क्या होता है? अभी बिस्तर पर डालता हूँ तुझे और बताता हूँ मजा
क्या होता है ? "
अमृता ने फिर से शरारत भरे अंदाज में (लिप्स-टू-लिप्स करते हुए और हाथ से
लंड सहलाते हुए ) कहा- "अच्छा...................सच में? "और मै बिना उसे
बाहों में भरे ही लिप्स-टू-लिप्स करने लगा |
मैंने सारा सामान रखने के बाद अमृता को बाहों में भरा और एक बहुत जोर से
लिप्स-टू-लिप्स करते हुए कहा-
"अपनी जिंदगी का पहला हनीमून मुबारक हो मेरी जान"
अमृता ने भी मेरे लंड को हाथ से सहलाते हुए मुझे लिप्स-टू-लिप्स किया और कहा-
"आपको भी भईया "
अमृता जानती थी कि मुझे सबसे ज्यादा पागलपन तब चड़ता है जब वो मेरा लंड
हाथ ले लेकर (या सेक्स करते समय) बहुत प्यार से मुझे भईया बुलाती है |
अमृता के मुहे से इस समय भईया सुनकर (जब वो मेरा लंड हाथ में लेकर सहला
रही थी) मै उतावला हो गया और उसी समय उसे नंगा करके उसकी चूत मारने के
लिए उसके ऊपर भूखे भेडिये कि तरह टूट पड़ा |मगर अमृता ने मुझे रूक दिया
और कहा-
"भईया हमे पंद्रह दिन साथ रहना है और मै चाहती हूँ कि ये पंद्रह दिन
हमारे जीवन के सबसे ज्यादा यादगार दिन रहे | हम दोनों इंटरकोर्से (अथार्त
सम्भोग ) तो रोज ही करते है, इन पन्दरह दिनों में ज्यादा से ज्यादा प्यार
करे | इसलिए अपने पर थोडा सा नियंत्रण रखो और अभी से उतावलापन मत दिखाओ |
मै तो आपकी ही हूँ जब चाहो टांग उठा लेना (और ये कहते हुए थोडा सा शरमा
भी गयी) मगर मै चाहती हूँ कि हम दोनों ज्यादा से ज्यादा समय तक एक दुसरे
को किस्स करें, एक दुसरे के बदन के साथ खेलें, एक दुसरे को बाहों में भर
के प्यार करें और ज्यादा से ज्यादा समय एक दुसरे की बाहों में बिताएं |
इसलिए अभी से मुझे बिस्तर पर मत ले जाना | "
मुझे भी अमृता का सुझाव अच्छा लगा और मैंने भी अमृता से कहा तो फिर तुझे
भी मेरी एक शर्त माननी पड़ेगी- तू भी मेरे लंड से इतनी छेड़-छाड़ नहीं
करेगी कि मै झड जाऊं | तू मेरे लंड से खेल ले मगर इसे इतना मत सह्लाइयो
कि ये पानी छोड़ दे | तभी मै मेरे बदन से सारा दिन खेल सकूँगा (वैसे तो
रात होने में सिर्फ कुछ ही घंटे बाकी थे)|
अमृता ने भी वादा किया कि वो भी मेरे लंड को सिर्फ इतना ही सहलाएगी कि
सिर्फ सुरूर बना रहे , इतना नहीं कि मै झड जाऊं |
मैंने अमृता को फिर से बाहों में भर कर किस्स करना शुरू कर दिया | कभी मै
उसके होंठ पीता तो कभी उसके बूब्स दबाता | कभी मै अमृता के गालों को
चूमता तो कभी उसकी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसकी नंगी कमर का एहसास
लेता|
अमृता भी मेरे बदन के साथ खेल रही थी- वो भी कभी मेरे होंठ पीती तो कभी
मेरा लंड सहलाने लगती और कभी मेरे ऊपर आ जाती तो कभी मेरे नीचे |
मैंने अमृता को नंगा करना चाहा मगर अमृता ने कपडे उतरवाने से मन कर दिया
और बोली कि अगर मैंने उसके कपडे उतर दिए तो मै फिर से बेकाबू हो जाऊंगा
और उसकी चूत मार कर ठंडा हो कर लेट जाऊँगा जबकि वो अभी और प्यार करना
चाहती है |
अमृता कि चूत मारते हुए तो मुझे दो साल होने वाले थे इसलिए मुझे भी उसकी
चूत मारने की कोई जल्दी नहीं थी और साथ ही मुझे पता था कि अब पंद्रह
दिनों तक तो और कुछ होना भी नहीं है सिवाए चूत मारने के| इसलिए मैंने भी
सोचा कि आज थोडा सा मजा सिर्फ किस्स करने का और उसे सहलाने का ही ले लिया
जाए |इस तरह से अमृता भी खुश हो जायेगी और मुझे भी मजा तो मिल ही रहा था
|
उन तीन या चार घंटों में, (जब तक रात होती और हम दोनों बिस्तर पर जाते )
मैंने अमृता के साथ सारे मजे लिए- कभी तो मै उसे सोफे पर लेटा कर किस्स
करता, कभी नीचे जमीन पर ही लेटाकर उसपे चढ़ जाता, कभी खड़े-खड़े ही बाहों
में ले कर चूसने लगता तो कभी उसकी स्कर्ट उठा कर उसके कुल्ल्हे सहलाने
लगता |
अमृता भी पूरे मूड में थी- कभी तो वो मेरा लंड पेंट के ऊपर से ही सहलाने
लगती, कभी किस्स करने लग जाती , कभी लिप्स टू लिप्स करती तो कभी लंड पेंट
में से बहार निकल कर दो-तीन चुसके मार लेती और वापिस अंदर कर देती |
इस तरह पूरी शाम हम दोनों भाई बहन ने मस्ती करते हुए गुजारी मगर दोनों ने
इस बात का पूरा-पूरा ख़याल रखा कि न तो हम दोनों में से कोई झड सके और न
ही सुरूर ख़तम हो सके |इसलिए हम दोनों एक दुसरे के साथ बातें भी करते
रहते और बीच बीच में उतेजित हो कर प्रेम भी करने लगते |
रात का टाइम हुआ तो अमृता रसोई में खाना बनाने गयी | रसोई में अमृता को
काम करता देख कर मेरा दिल बार बार कर रहा था कि काश मेरी अमृता से ही
शादी हो सकती होती और अमृता जीवन भर मेरे लिए ऐसे ही खाना बनती और मै उसे
ऐसे ही निहारता रहता |
मैंने अमृता से अपने दिल की बात कही जिसे सुनकर उसका भी मन मेरी तरह
अशांत हो गया और माहोल कुछ ग़मगीन सा होने लगा | माहोल को बदलने के लिए
मैंने अमृता से कहा-
अमृता आज तक मैंने तुझे सिर्फ अपने ही कमरे में प्यार किया है, आज मै
तुझे यही रसोई में ही प्यार कर लूँ? मगर अमृता ने उसके लिए भी मन कर दिया
और कहा कल कर लेना (शादी की बात से अमृता का मूड अभी भी ख़राब हो रहा था)
|
मैंने कहा -अच्छा चूत मत दे मगर मजा तो ले लेने दे- ये कहते हुए मै अमृता
को पीछे से बाहों में भर कर उसके बूब्स दबाने लगा |और इस तरह मै अमृता का
मूड बदलने की कोशिश करने लगा |अमृता भी मेरा सहयोग करने लगी और पीछे
मुड़कर बीच बीच में किस्स देने लगी | मै भी खाना बनती हुई अमृता को कभी
तो किस्स करने लगता, कभी उसकी चुचिया दबाने लगता तो कभी उसकी गांड से
अपना लंड रगड़ने लगता |इस तरह मैंने अमृता के साथ रसोई में वो मजा ले लिया
जो एक पति अपनी नयी नवेली दुल्हन के साथ लेता है |खाना बनाने के बाद
अमृता ने अपने हाथों से मुझे खाना खिलाया और मैंने उसे अपने हाथों से |
रात हो चुकी थी अब समय बिस्तर पर जाने का था | अमृता ने कहा कि वो सोने
से पहले अडल्ट फिल्म देखना चाहती है मेरे साथ इसलिए मैंने फिल्म चला दी
और मै बीयर कि बोतल लेकर उसके बराबर में लेट गया |
मैंने अमृता से कहा कि उसने जो ब्रा और पेंटी खरीदीं है वो उन्हें पहन ले
और फिर मेरे साथ बैठ कर फिल्म देखे |मगर अमृता ने हँसते हुए कहा-
"भईया आप मेरे बदन पे अब कोई कपडा छोड़ोगे भी ये फिल्म देखने के बाद ?
जितना समय मुझे कपडे बदलने में लगेगा उतने समय से पहले तो आप मेरे बदन से
सारे कपडे उतर कर शुरू हो जाओगे |"
मुझे भी अमृता की बात सही लगी और मै जानता था कि पूरे दिन बरदाश्त करने
के बाद मै अब और बरदाश्त नहीं कर सकूँगा | मुझे भी पता था कि बीयर पीने
के बाद और अडल्ट फिल्म देखने के साथ साथ मै अमृता के बदन पर एक भी कपडा
बरदाश्त नहीं कर सकूँगा और चाहे चूत मारने में जल्दबाजी करूँ या न करूँ
मगर उसे नंगा करने के लिए तो उतावला ही रहूँगा | और हुआ भी ठीक ऐसा ही |
अभी मैंने फिल्म लगायी ही थी मुश्किल से दो-तीन मिनट हुए थे कि मैंने
अमृता को नंगा करना शुरू कर दिया था | अमृता भी जानती थी कि इस समय मुझे
रोकना बेकार होगा इसलिए वो भी चुप-चाप मेरा सहयोग कर रही थी | मै बीयर
पीता जा रहा था और एक एक करके उसके कपडे नोचता जा रहा था |उधर अमृता भी
मेरे कपडे उतरती जा रही थी |कुछ ही पलों में हम दोनों भाई बहन बिस्तर पर
हमेशा की तरह नंगे थे | अमृता का नंगा बदन मुझे हमेशा बेसुध कर देता है |
उसकी खुली हुई गोल-गोल चूचियां, गोल-गोल चुचियों पे हलके से ब्राउन रंग
के निप्पल,गोरा-गोरा बदन, चूत पर थोड़े-थोड़े बाल सब कुछ पागल बना देता
है | सबसे बड़ी बात ये है कि अमृता को पता है कि मुझे उसकी चूत पर बाल
अच्छे लगते है, इसलिए वो कभी भी उन्हें साफ़ नहीं करती है बस कैंची से
काटती रहती है |मुझे ना तो बहुत ज्यादा बालों वाली चूत पसंद है और न ही
चिकनी चूत | मुझे बस ऐसी ही चूत पसंद है जैसी मेरी बहन अमृता की है |
क्रमशः........
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