Friday, February 17, 2012

मेरी बहन-मेरी पत्नी पार्ट -२

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

मेरी बहन-मेरी पत्नी पार्ट -२
गतांक से आगे...................................
दोस्तों मैंने आपको बताया की किस तरह मेरे और मेरी सगी बहन के बीच में
हमारे प्यार की शुरुआत हुई थी और किस तरह धीरे-धीरे हम दोनों एक दुसरे के
करीब आते गए | यूँ तो लगभग दो साल से भी ज्यादा समय से हम दोनों एक दुसरे
के साथ शारीरिक सुख का मजा ले रहे थे मगर फिर भी मुझे कभी भी अपनी बहन कि
चूत मारने की इजाजत नहीं मिली थी |आज मै आपको अपना वो अनुभव बता रहा हूँ
जब मैंने पहली पहली बार अपनी बहन की चूत मारी थी |

जैसा की मैंने आपको अपने पहले लेख में बताया था की एक दिन मैंने एक
सेक्सी फिल्म देखी थी और उत्तेजना में अमृता से मुठ मारने की जिद करने
लगा था मगर अमृता ने मम्मी के डर से मेरी मुठ नहीं मारी थी और मै नाराज
हो गया था | लेकिन उसी रात अमृता ने मेरी नाराजगी को दूर करने के लिए
अपने सारे कपडे उतरकर अपना नंगा बदन मुझे सौंप दिया था और मै अपनी नंगी
बहन को अपने बिस्तर पर बिछा देखकर बेकाबू होते हुए उस पर टूट पड़ा था |
यहाँ तक की मै उसके कपडे फाड़ने लगा था | मगर उस रात मै उसकी चूत नहीं
मार सका था और सिर्फ उसकी चूत को चूस चूस कर ही मैंने उसे झाड दिया था |
शायद आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैंने उस रात को अपनी बहन को बक्श कैसे
दिया और उस रात को ही उसकी चूत मार क्यों नहीं ली? लेकिन इसका कारण मै
आपको बताता हूँ- उस रात मैं उसकी चूत इसलिए नहीं मार सका था क्योकि उस
दिन- सबसे पहले तो मैंने टॉयलेट में मुठ मारी थी, उसके बाद दूसरी मुठ
मुझे अमृता ने मार कर दी थी जब मै उस से नाराज था और तीसरी बार की मुठ
अमृता ने तब मार दी थी जब हम दोनों नंगे बदन अपने बिस्तर पर थे और मैंने
चूत चूस चूस कर अमृता को झाडा था | उस दिन मै तीन बार झड चूका था इसलिए
मेरे लंड में हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था और मै थक भी गया था | यही
वजह थी की उस रात अमृता के नंगे बदन को जी भर के प्यार करने के बावजूद भी
मै उसकी चूत नहीं मार सका और थक कर सो गया था | लेकिन कहते है जो होता है
वो अच्छे के लिए ही होता है | उसके अगली सुबह मुझे जो सुकून मिला उसका एक
अलग ही मानसिक एहसास था | शारीरिक सुख तो मुझे मेरी बहन से अनेकों बार
मिल चुका है लेकिन जो मानसिक सुख मुझे अगली सुबह मिला था वो एक अलग ही
एहसास था |
सुबह होने पर सबसे पहले तो मेरी बहन के चेहरे पर एक अलग ही संतुष्टि के
भाव थे | उस रात हम दोनों ने सुहागरात तो नहीं मनायी थी मगर अमृता को देख
कर ऐसा लग रहा था मनो कोई लड़की सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ
रही हो और उसे अपनी सुहागरात से वो सब मिला हो जो उसने कभी सपने में सोचा
हो या उससे भी कही ज्यादा | सच तो ये था कि चाहे मैंने उस रात अमृता कि
चूत नहीं मारी थी मगर मैंने उसको संतुष्ट करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी
थी | उस रात जब मै उसकी चूत को चूस रहा था तो अमृता का हाल बहुत बुरा था
- वो कभी तो उत्तेजना के कारण मेरे सिर को जोर जोर से अपनी चूत पर दबाती
ताकि मै और भी जोर से उसकी चूत को चूसूं और कभी बालों से पकड़ कर मेरा सिर
पीछे खीचती थी ताकि मै उसकी चूत को और न चूस सकूँ |उसको इस तरह से तड़पता
देख कर मेरे अंदर के पुरुष को बहुत संतुष्टि मिल रही थी | इसलिए मै भी
उसकी चूत को बुरी तरह चूसता ही रहा | वो जितना तड़पती थी, जितना उछलती
थी, मेरे अंदर के पुरुष तो उतनी ही संतुष्टि मिलती थी | इसलिए उस रात
मैंने अमृता को इस हद तक तडपाया था और उसको इतनी संतुष्टि मिली थी कि वो
रात उसके लिए सुहागरात न होते हुए भी किसी सुहागरात से कम नहीं थी |
दुसरे शब्दों में कहूँ तो मैंने उस रात उसे अपनी जीभ से चोद दिया था |
इसलिए अगली सुबह जब अमृता ने बिस्तर छोड़ा तो ऐसा ही लग रहा था कि मानो
कोई लड़की अपनी सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ रही हो |
उस रात तो जो होना था वो हो चुका था लेकिन उस रात का असर दिखना अभी बाकी था -
सुबह नाश्ते की मेज पर अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर मुझे किस्स दिया
(हवा में )| मै हैरान था क्योकि आज तक मै ये सब हरकतें किया करता था और
अमृता हमेशा मेरी ऐसी हरकतों से नाराज हो जाती थी क्योकि उसे मम्मी से
बहुत डर लगता था | लेकिन आज सुबह सुबह खुद अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर
मुझे किस्स किया था | उस दिन अमृता ने कॉलेज की छुट्टी कर ली और इस लिए
मै भी कॉलेज नहीं गया |

उस दिन तो अमृता जैसे पहले वाली अमृता ही नहीं रही | उस दिन से पहले तक
मै अमृता को अकेला देख कर दबोचने की कोशिश करता था - मौका मिलते ही उसको
कोने में ले कर किस्स कर देता था, कभी उसकी चूची दबा देता था, या फिर
अपने लंड पर उसका हाथ रगड़ देता था मगर वो हमेशा इस बात पर गुस्सा हो
जाती थी और डरती थी कि कही मम्मी न देख लें | मगर मुझे ऐसा करने में बहुत
मजा आता था | लेकिन उस दिन खुद अमृता बार बार मौका देख कर मुझे किस्स कर
रही थी, कभी मेरे लंड को रगड़ देती थी और खुद मेरे हाथ को अपनी चुचियो पे
रख कर दबवा रही थी और जैसे ही मम्मी के आने का डर होता एक दम से अलग हो
जाती थी | बल्कि एक बार तो उसने कमाल ही कर दिया - मम्मी रसोई में थीं और
अमृता मेरे साथ कमरे में अकेली थी उसने मौके का फायदा उठाते हुए मेरी
पेंट की चैन खोलकर मेरा लंड निकला और दो-तीन बार मुह में भी ले लिया |
अभी तक तो मै अमृता की फाड़ता था मगर उस दिन वो मेरी फाड़ रही थी और मुझे
बार बार मम्मी का डर सता रहा था | लेकिन फिर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था |
आज तक मुझे अपनी बहन से शारीरिक सुख तो बहुत बार मिला था मगर आज पहली बार
मानसिक सुख भी मिल रहा था | आज पहली बार मुझे अमृता के एक पूर्ण स्त्री
होने का या सच सच कहूँ तो - अपनी बीबी होने का एहसास हो रहा था |
वो पूरा दिन मस्ती में गुजर गया और वो पल आ गए जिसका हम दोनों को बेसब्री
से इन्तजार था.............अब रात हो चुकी थी |हम दोनों भाई-बहनों ने
खाना खाया और जल्दी से सोने की तैयारी करने लगे | मै जानता था कि जब दिन
इतना हसीन था तो रात का आलम क्या होगा ? मुझे पूरा एहसास था कि आज कि रात
मेरी जिंदगी कि सबसे यादगार रात साबित होने वाली है और आज रात मुझे अमृता
मेरी बहन कि जगह मेरी बीबी के रूप में मिलने वाली है | इसलिए खाना खाते
ही हम दोनों भाई बहन बिना मम्मी-पापा के सोने का इन्तजार करे ही अपने
कमरे में सोने चले गए | (हमारे सभी कमरों में एसी होने के कारण हम अपने
दरवाजे बंद करके ही सोते थे |)
कमरे में जाते ही हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे कि बाँहों में समाकर बिस्तर
पर गिर पड़े |हम जानते थे कि अभी मम्मी पापा जाग रहे है इसलिए अभी हम
दोनों ने एक दुसरे के कपड़ो के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं करी और कपड़ों में ही
एक दुसरे को किस्स करते हुए बिस्तर पर गिर गए | उस रात अमृता मुझ पर भारी
पड़ रही थी | वो मुझे पागलों कि तरह किस्स किये जा रही थी और मेरे होंठ
चूसे जा रही थी | हम दोनों का पलंग तो जैसे जंग का मैदान बन गया था- कभी
अमृता मेरे ऊपर होती तो कभी मै अमृता के ऊपर |हम दोनों में तो जैसे किस्स
करने और होंठ चूसने कि प्रतिस्प्रधा चल रही थी | थोड़ी देर के बाद जब हमे
लगा कि अब मम्मी-पापा सो गए होंगे, अमृता मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गयी |मेरे
लंड के ऊपर बैठ कर उसने मेरे दोनों हाथ फैला कर अपने हाथो से ऐसे पकड़ लिए
जैसे वो मेरा बलत्कार करने वाली हो |
उसके बाद धीरे धीरे अपना चेहरा मेरे चेहरे के करीब ले कर आयी और पूछने लगी-
अमृता -"कुछ चाहिए क्या ?"
मै - "हाँ "
अमृता -क्या ?
मै- चूत (मैंने बिना कोई संकोच किये और बिना कोई पल गवाए साफ़ साफ़ शब्दों में कहा )
अमृता- कल तो दी थी | जी भर के चूसी आपने | अब क्या करोगे?
मै- मारूँगा (अमृता ने पूरे दिन जो मेरा हाल किया था, उसके बाद मुझे ये
सब कहने में न तो कोई संकोच हो रहा था और न ही शर्म आ रही थी )
अमृता -क्या? चूत मारोगे ? अपनी सगी बहन की?
मै- (गाली देते हुए) बहन की लोड़ी अब भी कुछ बाकी बचा है क्या ?

अमृता की आँखों में चमक साफ़ दिखाई दे रही थी | ऐसा लग रहा था की वो खुद
भी यही सब सुनना चाहती है और सिर्फ मुझे परेशान करने के लिए नाटक कर रही
है |
मगर अमृता अभी और शरारत के मूड में थी, इसलिए बड़ी अदा के साथ बोली -
अमृता- अगर ना दूँ तो ?

मेरे अंदर की हवस बुरी तरह भड़क चुकी थी |अमृता के मुहं से ना सुनकर मै
हिंसक हो गया और उसे धक्का देते हुए उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गया और उसी
अंदाज में उसके हाथ पकड़ डाले जिस अंदाज में उसने मेरे हाथ पकडे हुए थे |

मै अमृता को गाली देते हुए बोला- बहन की लोड़ी नहीं देगी तो जबरदस्ती ले
लूँगा | इस समय मै मन ही मन यही सोच रहा था की अगर आज ये कुतिया मुझे
इनकार करेगी तो इसका रेप कर डालूँगा मगर आज इसको नहीं छोडूंगा |

मगर अमृता तो खुद आज किसी और ही मोड़ में थी | वो तो सिर्फ मुझे छेड़ने
और उकसाने के लिए ये सब कह रही थी |मुझे परेशान देखा कर उसे मजा आ रहा था
| फिर वो मेरे लंड को अपने हाथ से रगड़ते हुए मुस्कुराकर बोली- और अगर
खुद ही दे दूँ तो ?

मै ख़ुशी और वासना से पागल होते हुए बोला - जिन्दगी भर तेरी गुलामी
करूँगा .......................बस एक बार अपनी चूत दे दे |
अमृता फिर से मुस्कुरायी और मेरे लंड को रगदते हुए ही मेरे होंठों को
अपने होंठो से चूसते हुए बोली -
तो ले लो ना रोका किसने है ?

बस फिर क्या था ? मेरे ऊपर तो वासना का भूत सवार हो गया था |
अपनी बहन के मुहं से ये सुनने के बाद कि ले लो न तुम्हे चूत मरने से कौन
रोक रहा है ? मेरा अपने ऊपर से पूरी तरह से नियंत्रण खत्म हो चुका था और
मै किसी बलात्कारी की तरह अपनी बहन के ऊपर टूट पड़ा | यूँ तो अमृता ने
खुद ही मुझे चूत मरने की इजाजत दे दी थी , मगर मै अपने होश-ओ-हवास खो
चुका था | मै किसी बलात्कारी की तरह उसके कपडें नोचने लगा | आज फिर से मै
उसके कपडे उतरने का सब्र नहीं कर पा रहा था | मै कल की ही तरह उसके कपडे
उतार कम रहा था और फाड़ ज्यादा रहा था | मगर आज अमृता ने मुझे ऐसा करने से
भी नहीं रोका | बल्कि आज तो वो खुद भी मेरे कपडे लगभग फाड़ ही रही थी | उस
समय न तो मुझे ही कपडे फट जाने पर मम्मी का डर सता रहा था और न ही अमृता
को | बस हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे को नंगा देखने के लिए इतने उतावले हो
रहे थे की सब्र नहीं कर पा रहे थे | और होते भी क्यों
नहीं............आखिर सालों के प्यार के बाद आज हम पूरी तरह से एक दुसरे
के होने वाले थे |
केवल कुछ ही पलों में मैंने अपनी बहन के बदन से एक-एक करके सारे कपडे नोच
डाले और नोच नोच कर पलंग से नीचे फैंक दिए थे (क्योकि आधे से ज्यादा तो
कपडे मैंने फाड़ ही डाले थे )| हमारे पलंग के दोनों तरफ हम दोनों के फटे
हुए कपडे पड़े थे | अगर कोई उस द्रश्य को देखता तो यही सोचता की यहाँ रेप
हुआ होगा, क्योकि जो हाल हमारे कमरे का उस समय हो रहा था उसे देख कर तो
ऐसा ही लगता |लेकिन ये रेप नहीं था | जो कुछ भी हो रहा था वो मेरी बहन की
मर्जी से ही हो रहा था | मेरी बहन एक बार फिर से मेरे बिस्तर पर पूरी तरह
नंगी बिछी हुई थी और वो भी मेरे लिए |

क्रमशः........


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