कानून के रखवाले-12
प्रेषक : जोर्डन
आप "कानून के रखवाले" कहानी के ग्यारह भाग पढ़ चुके हैं !
अन्तिम प्रकाशित भाग
कानून के रखवाले-11
में आपने पढ़ा कि :
सोनिया बहुत हैरान थी कि उसने मुस्तफा को इतनी बुरी तरह पीटा उसके बाद
बेहोशी के बाद भी वो वहाँ से निकलने में कामयाब हो गया.. इसका मतलब दो ही
बातें हो सकती थी कि या तो बेहोश होने का नाटक कर रहा था। जिससे सोनिया
कुछ लापरवाह हो जाए और वो मौका देखकर वहाँ से रफूचक्कर हो जाए या फिर
उसके डिपार्टमेंट में से किसी ने उसको निकलने में मदद की है।
सोनिया को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो अगला क्या कदम उठाए मुस्तफा
को पकड़ने के लिए ! क्योंकि समय के साथ-साथ मुस्तफा बहुत घायल और आक्रामक
होता जा रहा था।
अब आगे
हवलदार ने मोना को फोन किया और कहने लगा- मैडम, यहाँ बहुत आपात-स्थिति हो गई है...
मोना- क्यूँ? ऐसा क्या हुआ?
हवलदार- मैडम, अब्बास अपने कमरे में ज़ोर-ज़ोर से चीख रहा है और आपको
ललकार रहा है... और जेल के बाकी क़ैदी भी उसके साथ हैं... जल्दी बताइए कि
हम लोग क्या करें?
मोना- अच्छा फिर ललकार रहा है मुझको..? एक काम करो... उसको टॉर्चर-रूम
में लेकर जाओ... मैं वहीं आती हूँ ... और टॉर्चर-रूम का दरवाजा बाहर से
बंद करके जाना... मेरे कमरे से वहाँ का जो गुप्त रास्ता है.. मैं वहीं से
आती हूँ ..
हवलदार- ठीक है मैडम !
मोना के कहे अनुसार हवलदार ने अब्बास का कमरा खोला और उसको टॉर्चर-रूम
में ले जाने लगा...
पीछे से कुछ क़ैदी अब्बास का मनोबल बढ़ा रहे थे और चीख रहे थे- छोड़ना मत
उसको ! हम सबका बदला तुम को ही लेना है...
अब्बास अभी बहुत गुस्से में दिख रहा था और उसने तो तय कर लिया था कि आज
मोना का बाज़ा बजा-बजा कर अपना बदला पूरा करेगा।
हवलदार अब्बास को टॉर्चर-रूम में छोड़कर वहाँ से चला जाता है और बाहर से
कमरे को ताला लगा देता है।
तभी मोना अपने गुप्त रास्ते से टॉर्चर-रूम में आती है... पर हैरानी की
बात यह होती है कि वो अब वर्दी में नहीं बल्कि अपनी उसी निकर और गुलाबी
टी-शर्ट में होती है... जिसको देख कर अब्बास के चेहरे पर रौनक आ जाती
है... क्योंकि इस रूप में मोना एक एकदम क़यामत ढा रही दिखती है।
इधर मोना और अब्बास दोनों तैयार थे लड़ने के लिए..... जहाँ मोना को अपनी
पिछली जीत का गरूर था.. वहीं अब्बास को अपनी पिछली हार का बदला लेने का
सरूर था।
मोना- बहुत चिल्ला रहा था तू जेल में? अब बता, क्या बक रहा था?
अब्बास- तूने मेरा पिछली बार बहुत बुरा हाल किया था, इस बार मैं तुझसे
ऐसा बदला लूँगा कि तू याद करेगी और मुझे कभी नहीं भूलेगी, मैं तुझे आज
माँ बना कर ही छोड़ूँगा ! तू देखती जा !!!
मोना (गुस्से मे)- जो हाल तेरे गुंडों ने आरती का किया है... उसका बदला
मैं आज तुझसे लूँगी... पिछली बार तो तेरे अंदर डण्डा दिया था... इस बार
तेरा डण्डा ही तोड़ दूँगी...ताकि तू कुछ भी करने लायक ना बचे।
अब्बास- अगर इतना ही घमंड है तो आ लड़.. देखते हैं कौन बदला लेता है और
कौन हारता है !!
यह बोलकर अब्बास लड़ने के लिए आगे बढ़ता है।
एकदम से आगे बढ़कर अब्बास एक जोरदार तमाचा मोना के गाल पर मारता है... और
उसके बाद बिना रुके मोना पर मुक्कों की बरसात करना शुरू कर देता है, उसको
सम्भलने का बिल्कुल मौका दिए बिना अब्बास मुक्के बरसा रहा था और मोना
बिल्कुल ही संभल नहीं पाती।
जैसे ही मोना नीचे की तरफ गिरती है... अब्बास एकदम उसकी टी-शर्ट को पीछे
से फाड़ देता है... और वो हैरान और खुश हो जाता है कि मोना ने अंदर ब्रा
तो पहनी नहीं... उसके मोटे-मोटे स्तन अब्बास को ललचा रहे थे.... पर
अब्बास बिना रुके मोना के दोनों हाथों को पीछे की तरफ घुमा देता है...
मोना अभी भी कुछ समझ नहीं पाती कि तभी उसको को आभास होता है कि अब्बास एक
और तेज तरकीब दिखा चुका होता है... वो एक हाथ से मोना के दोनों हाथों को
पीछे की तरफ कसकर जकड़ लेता है और दूसरे हाथ से उसकी छोटी सी निकर भी
उतार चुका होता है।
अब वो सिर्फ़ अपनी पैंटी में रह जाती है।
हालांकि उसकी निकर और पैंटी में कोई ज्यादा फर्क नहीं होता... पर इस तरह
के अब्बास के तेज वार से मोना बिल्कुल हिल जाती है... वो तो बिल्कुल
मुक़ाबला ही नहीं कर पाती है अब्बास का, लग ही नहीं रहा कि यह लड़ाई का
मुक़ाबला है क्योंकि सिर्फ़ पाँच ही मिनट में अब्बास ने मोना को मार-मार
के आधी नंगी कर दिया....
अब मोना के पास ज्यादा कुछ छुपाने को बचा नहीं था... तो वो अपना हाथ
छुड़ाने की बहुत कोशिश कर रही थी अब्बास से..
पर अब्बास के हाथ ने अभी भी मोना के दोनों हाथों को कसकर जकड़ा हुआ था और
मोना को छूटने का कोई भी मौका नहीं दे रहा था...
अब्बास ने अपने दूसरे खाली हाथ से मोना के बदन पर बचा आखिरी लिबास उसकी
पैंटी को भी नीचे खिसका दिया और जैसे ही मोना की पैंटी नीचे खिसकी.. मोना
के मुँह से एक चीख निकल पड़ी- नहीं !....
अब वो पूरी तरह से नंगी पड़ी थी अब्बास के सामने और उसके दोनों हाथों को
अब्बास अभी भी जकड़े हुए था....
अपनी पूरी जिंदगी में वो कभी ऐसी हालत में नहीं आई थी जहाँ एक मर्द ने
उसको पूरा नंगी कर दिया और उसके दोनों हाथों को जकड़ा हो।
अब अब्बास अपने सीधे हाथ से मोना की गाण्ड को टटोल रहा था... मोना की
सांसें गरम हो रही थी पर वो चीखकर या कराहकर खुद को कमज़ोर नहीं दिखाना
चाहती थी और एकदम चुप रही..
अब्बास के चेहरे पर जीत के भाव साफ़ नज़र आ रहे थे, वो जोर से हंस रहा था
और बोल रहा था मोना से- अरे जेलर साहिबा, तुम तो बड़ी नाज़ुक साबित
हुई... मुक़ाबला लड़ने से पहले ही हार गई? मोना कुछ नहीं बोली, वो जानती
थी कि वो जो बोलेगी उसका जवाब अब्बास के पास ज़रूर होगा क्योंकि अब्बास
बहुत फायदेमंद हालत में था इस वक़्त..
तभी मोना को बहुत गर्म चीज़ उसकी गाण्ड के आस-पास घूमती हुई महसूस हुई..
वो जल्दी ही समझ गई कि अब्बास अब क्या चाहता है... जो अब्बास ने उससे
थोड़ी देर पहले कहा था, वो उनको सच करने जा रहा था.. अब्बास ने कब अपना
पायजामा उतारा और कब अपने लण्ड को मोना के गाण्ड के पास फेरने लगा...
मोना को कुछ खबर ही नहीं हुई.. वो एक बार और अपने हाथों को अब्बास से
छुड़ाने में पूरा ज़ोर लगाने लगी पर पूरी कोशिश करने के बाद भी अब्बास की
पकड़ बिल्कुल भी ढीली नहीं हुई।
जब अब्बास ने अपने होंठों को मोना के होंठों से चिपकाया ... तभी मोना ने
चालाकी से अपने सीधे पैर से उसके के लिंग पर वार करने का सोचा और जिसके
लिए उसने अपना पैर थोडा पीछे किया... अब्बास सचेत था और वो उसके इस वार
को पहले ही समझ गया कि वो क्या करने जा रही है..
लेकिन अब्बास अभी और हाथ ज्यादा जकड़ने जा रहा था कि मोना के दोनों हाथ
अब्बास के मजबूत हाथों से छूट गये ... पर मोना को बिना कोई वापसी का मौका
दिए उसने अपने दोनों हाथों से मोना के दोनों हथेलियों को बहुत ही कसकर
पकड़ा जिससे मोना की चीख तक निकल गई।
हालांकि जब यह मुक़ाबला शुरू हुआ था तो मोना बहुत आत्मविश्वासी थी
क्योंकि पिछली बार उसने अब्बास का इतना बुरा हाल किया था कि अब्बास कोई
उम्मीद ही नहीं कर सकता था कि वो इस बार अपना बदला ले सकेगा... दूसरी तरफ
मोना जो अपनी ननद आरती का बदला लेने आई थी... खुद आरती से भी बदतर हालत
में फंस चुकी थी और उसको ऐसी परिस्थिति से निकलने का कोई तरीका नहीं सूझ
रहा था। हालांकि वो बहुत तरीके आजमा चुकी थी पर उसको किसी तरह की कोई
कामयाबी नहीं मिली थी अब तक।
अब मोना की आँखों में अंगारों की जगह आँसू नज़र आ रहे थे... उसको पता लग
गया था कि वो मुक़ाबला नहीं कर पाएगी और अब्बास इनाम के तौर पर उसकी
इज़्ज़त ही नहीं लेगा बल्कि उसको गर्भवती भी कर देगा वो भी उसके अपने जेल
में...
ना जाने उसके सिपाहियों के बीच में उसकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी... !!!
मोना के दोनों हाथों पर काबू पाने के बाद एक बार फिर अब्बास जोश के साथ
अपने होंठों को इंस्पैक्टर मोना के गुलाबी होंठों पर रख दिए..
वो भी क्या करता? बड़े दिनों से सेक्स का भूखा था और इस प्रसंग का पूरी
तरह से रस लेना चाहता था... और बेचारी मोना अब्बास क नीचे दबी हुई अभी भी
हिम्मत कर रही थी निकलने की... इस बार मोना ने महसूस किया कि अब्बास ने
अपनी टांगों की मदद से मोना की दोनों टांगें खोल दी थी..... और मोना की
घाटी के पास अब एक बेलगाम सा नाग नज़र आ रहा था।
तभी अब्बास ने मोना के अधरों को आज़ाद किया और चेहरा उठाकर मोना की शक्ल
को देखा- क्यूँ डार्लिंग.... इसको पहले मुँह में लेगी या इससे पहले तेरी
सील तोड़ूँ?
मोना कुछ भी नहीं बोली और उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया...
यह देख अब्बास को बहुत गुस्सा आया और उसने झुक कर मोना के दोनों मम्मों
पर अपनी जीभ रगड़ी... इस हमले से मोना के मुँह से मादक कराहें निकलनी शुरू
हुई... मोना ने बोला- नही... ऐसा ... मत...कर !
मोना बेचारी तो कुछ बोल भी नहीं पा रही थी .... अब्बास के इस हमले से
उसके अंदर पहली बार सेक्स की माँग को बढ़ा दिया था... वो मदहोश हो रही
थी... और खुद पर से काबू खोती ही चली जा रही थी.... जिसका पता उसके मुँह
से निकालने वाली मादक कराहों से लग रहा था जबकि अब्बास अभी भी पूरा मज़ा
उठा रहा था... वो अब भी मोना के दोनों बड़े बड़े उभारों को चूसे जा रहा
था और उसे इतना मजा आ रहा था और उसने मोना के हाथों को भी आज़ाद कर दिया
था....
क्योंकि अब मोना वो मोना नहीं थी जो मुक़ाबला कर सके, वो तो एक ऐसी
कुंवारी लड़की थी जो इस वक़्त सेक्स की मदहोशी में पूरी तरह खोना चाहती
थी...
इस मदहोशी के आलम में वो यह भी भूल चुकी थी कि वो लुट रही है और वो भी एक
मुजरिम से...
हाथ खुलते ही उसने अपनी उंगली को अपनी चूत में घुसा दिया... उसकी
सिसकारियाँ और भी ज्यादा तेज़ी से निकलने लगी.... मौके का पूरी तरह से
फ़ायदा उठा कर अब्बास ने उसके नितंबों को बहुत ज़ोर से दबाया और मोना के
मुँह से एक और चीख निकल गई...
पर इस बार उसके मुँह से सिर्फ़ चीख ही नहीं निकली बल्कि उसका होश-ओ-हवास
भी लौट आया... और जब उसने खुद को ऐसी मुद्रा में पाया तो वो चीख उठी-
नहीं... ! यह नहीं हो सकता ! मैं इतनी विवश नहीं हो सकती... !!
अब्बास- डार्लिंग... जिस तरह मैंने आज तुझको देखा है ना.... उस तरह किसी
ने नहीं देखा होगा... तुझमें तो सेक्स की इतनी भरमार है कि पूछ मत... चल
साली अब ज्यादा नखरे और नौटंकी ना कर !चुपचाप अपनी मर्ज़ी से अपनी चूत दे
दे...नहीं तो साली चूत भी मारूँगा... गाण्ड भी मारूंगा.... मुँह में भी
दूँगा... अपना बच्चा भी तुझसे पैदा करवाऊँगा और यहाँ से नंगी तुझको उठाकर
सबके सामने बाहर भी लेकर जाऊँगा.... अपनी मर्ज़ी से सेक्स करेगी तो बस
अपना वादा निभाऊँगा सिर्फ और सिर्फ तेरी चूत मारकर तुझे गर्भवती करके
चुपचाप यहाँ से चला जाऊँगा...
मोना (खुद पर काबू पाने की कोशिश करते हुए)- कुत्ते... मैं औरत ज़रूर हूँ
पर इतनी कमज़ोर नहीं हूँ कि तुझे मनमानी करने दूँ और खुद को तेरे सामने
ऐसे ही सौम्प दूँ... मैं आखरी साँस तक तेरे से मुक़ाबला करूँगी चाहे कुछ
भी हो जाए...
अब्बास हंसते हुए- साली 5 मिनट पहले एकदम नंगी पड़ी थी मेरे सामने अपनी
चूत में उंगली डाल डाल कर हिला कर रही थी ! तब कहाँ गई थी तेरी
हिम्मत...? और उसे पहले तो तेरी वो हालत की थी कि तू एकदम नंगी मेरे नीचे
पड़ी हुई रो रही थी, भीख माँग रही थी मुझसे कि मैं तुझ को छोड़ दूँ... अब
इतनी हिम्मत कहाँ से आ गई तुझमें..?
इस बार मोना ने जवाब देने की जगह एक ऐसा हमला कर दिया जिसका अब्बास सपने
में भी नहीं सोच सकता था... उसने अब्बास को बातों में लगा कर अचानक ही एक
कराटे वाला वार अब्बास के लण्ड पर किया... वो इतनी ज्यादा ज़ोर से चीखा
कि पूरा कमरा उसकी चीख से गूँज उठा... पिछली बार मोना ने उसकी गाण्ड में
डण्डा देकर उसके मुँह से जो चीख निकलवाई थी .. वो तो इस चीख के सामने
एकदम फीकी लग रही थी....
अब अब्बास अपने लिंग को पकड़ कर बैठा हुआ था.... उसको लग रहा कि उसका यह
हिस्सा हमेशा के लिए बर्बाद हो गया है....
इस बार मोना ज़ोर से एक और वार अब्बास के लण्ड पर किया और वो सर के बल
गिर गया ... अब जो वो गिरा तो उठ नहीं सका और वहीं बेहोश हो गया... खून
ही खून बह रहा था चारों तरफ और मोना को अब यकीन हो चला था कि अब्बास अब
किसी को चोद ही नहीं सकेगा...
देर से ही सही.... इतनी ज्यादा सेक्स में मजबूर होने के बाद ही सही पर
अंत यही था कि उसने अब्बास से अपनी आज की दुर्दशा और अपनी ननद के
बलात्कार का बदला ले ही लिया था।
अपनी हालत पर थोड़ा बहुत काबू पाते हुए मोना किसी तरह अपने कमरे तक जाने
के लिए टॉर्चररूम के गुप्त रास्ते से निकली... उसकी हालत वाकयी में काफ़ी
बुरी लग रही थी... हालांकि पिछले हमले में भी वो जीतने में और अपना
कौमार्य बचाने में कामयाब हुई पर जिस बुरी तरह से अब्बास ने उस पर हमला
किया था, उसने ज़रूर उसको झंझोड़ कर रख दिया था... हालांकि अब्बास मोना को
चोद नहीं पाया था पर मोना की हालत देखकर ज़रूर ऐसा लग रहा था कि मानो वो
बड़ी बुरी तरह चुदी होगी... वो लड़खड़ाती हुई अपने कमरे में गई और बिना
समय गंवाए बाथरूम में घुस गई....
जाते ही उसने शावर के नीचे अपना नंगा बदन नहाने के लिए कर दिया.... इस
वक़्त एकदम कमाल लग रही थी वो...।
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