Sunday, August 12, 2012

हिंदी सेक्सी कहानियाँ- सानिया बनी मेरे लंड की शिकार

सानिया बनी मेरे लंड की शिकार

हाई दोस्तों, यह कहानी उस पिलपिली चुत की है जो मुझे मेरे पिताजी के
कार्यालय की पार्टी में मिली और किस तरह मेरे लंड की शिकार बन बैठी | उस
लड़की का नाम सानिया था और उसके पिताजी और मेरे पिताजी एक साथ ही कार्यालय
में काम करते थे |

एक दिन शाम को हमें अपने कॉलनी के बड़े से एक कम्युनिटी हॉल में मेरे
पिताजी के कार्यालय की तरफ से निवेदन आया | मेरा जाने का खास मन तो नही
था पर पिताजी के कहने पर जाना पड़ा | मैं वहाँ के प्रोग्राम से बोर होने
लगा तो आगे- पीछे नज़र घुमाई, तभी मेरी नज़र के लड़की पर पड़ी, जो पहले से ही
मुझे देख रही थी | फिर क्या मैंने भी अपनी शकल की सूरत एक मुस्कान में
बदली और उसे निहारने लगा | उसने भी मेरी तरफ देख चुपके से एक मुस्कान दी,
मेरी तो जैसे चांदनी ही लग गयी थी | वो लड़की हमारे कॉलनी के ही विद्यालय
में पढ़ती थी, कद में मुझसे कुछ लंबी, मोटे चुचों वाली और उसकी गांड तो
जैसे किसी गाड़ी की पीछे वाली डिक्की की तरह उठी हुई थी | तभी प्रोग्राम
खतम हुआ और सब खाना खाने के लिए उठ पड़े, इतनी भीड़ में मेरी मोटी चुचों
वाली लड़की तो खो ही गयी थी, मैंने उसे ढूंडा भी पर वो शायद वहाँ से जा
चुकी थी |
एक दिन मैं किसी काम से मार्केट जा रहा था तभी मेरे पीछे स्कूटी पर वही
लड़की आई और स्कॉटी मेरे आगे रोककर कहने लगी,

सानिया – हाई, मेरा नाम सानिया है . . तुम वही होना जो उस दिन पार्टी में आए थे ?
मैं – हाँ जी . .

और मैंने उस अपना नाम बताया, फिर उसके बाद हमने कुछ फोर्मल बातें की और
आखिर में मैंने उसे फ्रेंडशिप के लिए ऑफर किया तो वो झट से मान गयी और
मेरा नो. भी मांग लिया | फिर तो वो एक झलक की मुलाकात जैसे रुकने का नाम
ही नही ले रही थी |
उसने मुझे शाम को कॉल किया और इसी तरह रोज – रोज बातें के कारण वो मुझसे
काफी खुल गयी और मेरी तारीफे करने लगी | जब हमारी बातों को इसी तरह आगे
बढ़ना था तो ठीक, मैं भी कभी – कभी रोमांटिक टोपिक उठा दिया करता जिसपर
वोह मुझे चैलेंज सा करने लगती जिससे मुझे सानिया की प्यास साफ़ ज़ाहिर होती
नज़र आने लगती | धीरे – धीरे मैं उसके टूशन के समय से १५ मिनट पहले मिलने
जाता और हम खूब सारी बातें जिससे हमारी दोस्ती काफी गहरी होने लगी |
एक दिन उसने मुझे वही टूशन समय पर बुलाया और कहा की उसे बड़ी ज़रुरी बात
करनी है | मेरे पहुचने पर पता चला की वो अपना टूशन बंक करके मेरे साथ कुछ
ज्यादा वक्त बिताना चाहती है, ईस पर पर ज्यादा वक्त न बर्बाद करते हुए
उसे मैं ऑटो-रिक्क्षा से सामने की ही पहाड़ी पर ले गया और वहाँ हम एक साथ
बैठ गए | उस दिन वोह कुछ शांत थी, मैंने उसकी इस शान्ति का जवाब माँगा तो
उसने मेरी आँखों में आँखें डाल कहा,

सानिया – आई लव यु . . . मैं तुम्हे पसंद करने लग गयी हूँ |

मैं – आई लव यू टू . . सानिया . . (मौके पर चौका मारते हुए)

मैं तो कब से उस पल इंतज़ार कर रहा था, तभी सानिया ने अपना सर मेरे कंधे
पर रख लिया जिससे उसके दो मोटे – मोटे चुचो के गलियारे साफ धिकाए दे रहे
थे और मेरे नागाबाबा भी जग रहा था | तभी मैंने सानिया के हाथ पर हाथ
फेरने लग गया जिसपर उसने मेरे गले पर एक चुम्मा दिया | तभी मैंने सानिया
के हाथों को चूमा और उसे सहलाते हुए उसके गर्दन को भी चूमने लगा जिससे
उसने शरमाते हुए अपनी नज़र मुड़ा ली | फिर मैंने उसके गले पर एक चुम्मा
देते हुए उसके गालों को अपनी उँगलियों से सहलाया और अपनी आखों को उसकी
नशीली आँखों में दूबों दिया | तभी मैंने अपने होठ उसकी होठों के सामने ला
दिए, उसकी आँख अब शरमाते हुए मेरे लबों को निहार रही थीं तभी मैंने प्यार
से उसके निचले होठ को चूमा और फिर गति को बढ़ाते और हल्का सा झटका देते
हुए उसके दोनों गुलाबी तोते जैसे होटों को चूसना शुरू कर दिया | हमने १०
मिनट तक एक दूसरे को इसी तरह भींचे रखा | ऐसे ही एक दूसरे के होठों को
चूसते रहे तभी बीच में मैंने उसकी कमर को सहलाया और उसके टॉप के अंदर हाथ
डाल उसे सहलाने लग गया | वो हलकी – हलकी गुगुदा रही थी पर मेरे होठों के
रस में डूबी हुए थी, तभी मैंने अपने बाएं हाथ को उसके टॉप के उप्पर ही
उसके चुचों पर फेरा तो वो हलकी सी बिदक उठी पर धीरे – धीरे जब मैंने उसके
होठों को चूसने में तेज़ी बड़ाई तो वो नरमा गयी और मैंने उसके चुचों को
भींचना शुरू कर दिया |

सानिया की कामुकता मुझे बढती हुई नज़र आ रही थी | मैंने उसकी गर्दन को
चुमते हुए उसके चुचों को खूब दबाया जिससे उसके चुचे एक दम कड़क हो गए तभी
मैंने अब अपने हाथ को उसके टॉप के अंदर डाला और उसके ब्रा के उप्पर से
उसके निप्पल पर ऊँगली घुमा रहा था | सानिया की सिसकियाँ बढती जा रही थी,
फिर मैंने उसके टॉप उतारने को कहा तो उसे डर लगने लगा की कोई रास्ते से
देख न ले, तभी मैंने उस समझाया की बड़ी – बड़ी झाडियाँ होने की वजह से हमें
कोई नही देख सकता और झट से उसके टॉप को उप्पर की ओर खींच उतार दिया |
उसने काले रंग का ब्रा पहना हुआ था जिसके अंदर उसके मोटे मोटे चुचे जैस
मुझे घूर रहे थे | मैंने झट से सानिया को अपनी खींचा ओर उसके होठों को
कसके चूसना शुरू कर दिया साथ ही अपने दोनों हाथों से उसके चुचों मसलने
लगा | फिर मैंने उसे अपनी तरफ झुकाया और उसके ब्रा को खोल दिया और उसके
निप्पल को अपनी झीभ से गीला कर उसके दोनों निपाल को बारी – बारी चूसने
लगा जिससे सानिया की सिसकियाँ मुझे और उत्तेजित करने लगीं और मैंने उसके
निप्पल को हलके से अपने दाँतों के नीचे मसला और फिर चूसने लगा गया |

लगभग कुछ १५ मिनट करने के बाद मेरी उसकी स्कर्ट पर पड़ी जिसके अंदर से
उसके मोटी – मोटी जागों का शेप आ रहा था | मैंने तभी एक हाथ उसकी टांगों
के सहलाना शुरू किया, फिर मैं धीरे- धीरे उसकी जागों को सहलाना शुरू कर
दिया साथ मैं उसके चुचों को भी चूस रहा था | सानिया अपनी कामुकता की आग
में जलती अपने होठों को अपने दाँतों तले दबाने लगी | मैंने सानिया के
स्कर्ट के अंदर उसकी जागों को सहलाते हुए अपना हाथ अंदर बढ़ाया और अपनी
हथेली को उसकी पिलपिली मोटी चर्बी वाली चुत की पैंटी के उप्पर से ही
लहराने लगा | सानिया आँख बंद कर अपने होटों को दबोचती हुए सिसकियाँ ले
रही थी | मैंने अपनी एक ऊँगली को उसकी पैंटी पर ही उसकी चुत के चारो को
खूब सहलाया जिससे मुझे उसके चुत के बालों की होने की बात साफ पता चल गयी
| धीरे – धीरे मैंने अपनी दो उँगलियाँ उसकी चुत पर रगड़नी चालू कर दी और
अपने हाथ को लहराता हुए उसकी पैंटी को नीचे खींचने लगा | सानिया तो अपने
अंगों को पहली बार मिले कामुकता के नशे में मुघ्द दी, हालाँकि उसने मुझे
फोन पर कभी बताया की वो कभी – कभी पॉर्न फिल्म्स भी देख लेती है | मैंने
उसकी पैंटी उतारी और उसकी चुत के बालों को सवारते हुए अपनी ऊँगली को उसकी
चुत पर रगड़ने लगा फिर मैंने सानिया को झुकाया और उसकी चुत को सूंघने लगा
| उसकी चुत की गंध में मैं डूब ही गया था तभी मैंने उसकी चुत पर एक हल्का
सा किस किया | फिर धीरे – धीरे मैंने अपनी ऊँगली उसकी चुत में देनी चालू
कर दी जिससे सानिया की सिसकियाँ लंबी होने लगी | फिर मैंने उसके एक चुचे
को दबाते हुए अपनी उँगलियों की संख्या उसकी चुत में बढ़ाना शुरू कर दिया
और च्यूंकि मैंने भी अपना ट्रैक – सुइट(पजामा) खोल दिया था, वो भी मेरी
चड्डी के साथ ही मेरे लंड को पकड़ के मसलने लगी |

दिन ढल सा गया था और हमें घर भी वक्त पर पहुंचना था और मैं जानता था की
यह चांदनी किस्मत वालों की जी मिलती है इसिलए मैंने तेज़ी बडाई और अपनी
चड्डी को निकाल नीचे सानिया को घास में लिटा दिया | फिर मैंने उसके होठों
को चूसा और दूसरे तरफ उसकी चुत में तीन उँगलियाँ आगे – पीछे कर रहा था
जिससे वो पहले भी झड चुकी थी, तभी मैंने अपने लंड को हल्का सा धक्का
दिया, मेरा लंड का टोप्पा ही गया था की वो जोर से चिल्लाई और उसकी आँखों
से आंसूं निकलने लगे | तभी मैंने उसने सहलाते हुए और सके चुचों को भींचते
हुए फ्य्सिकोलोजिकल ढंग से समझाया की यह दर्द पहली बार होता है, जो की
कुंवारी लड़कियों को कुदरत की ही देन है | जैसे बात फिर से सामान्य हुए तो
मैंने फिर अपने लंड का जोश बढाया तो मैंने उसकी होठों को चूसने जारी रखा
और जोर का धक्का उसकी चुत में दे मारा जिससे मेरा पूरा का पूरा लंड उसके
चुत में जा चूका था | सानिया को फिर दर्द बहुत हुआ पर मैंने जब धीरे –
धीरे अपना लंड आगे – पीछे किया तो वो उसे कामुकता की असली मज़े एहसास होने
लग गया और मेरे झटकों को मोरनी के नाच की तरह बल्खाकर और अपनी गांड मचलकर
लेने लग गयी | मैंने सानिया की पिलपिली चुत को करीब २० मिनट चोदा और उसके
होठों को भी खूब चूसा | जैसे ही मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपने लंड को
उसकी चुत के बालों के उप्पर मसलने लग गया और सारा का सारा मुठ उसकी चुत
पर गिरा दिया |
हम दोनों के झड़ते ही हम करीब ५ मिनट तक एक दूसरे से लिपटे रहे और जैसे ही
घर जाने का ख्याल आया तो जल्दी – जल्दी वहाँ से निकल मैंने एक खाली
ऑटो-रिक्क्षा पकड़ी | घर पहुँचने तक मैं ऑटो-रिक्क्षा मैं अँधेरे होने के
कारण सानिया के चुचों को मसलता हुआ गया और वोह मुझे प्यारी सी मुस्कान
देती रही | सानिया अब मन से और तन से मेरी हो चुकी थी | जब भी मेरा मन
करता तो मैंने उसकी पिलपिली चुत को चोदने पहुँच जाता जिससे हमारे संबंधों
में भी गहराई बढती चली गयी |

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