Thursday, November 22, 2012

सेक्सी कहानियाँ शारीरिक सुख

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

शारीरिक सुख


मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ, दो वर्ष शादी को हो चुके हैं, इस समय
मेरी आयु सत्ताइस वर्ष है, मेरे पति की आयु उनतीस वर्ष है, वह एक बड़ी
कंपनी में अच्छे पद पर हैं और अपने काम के सिलसिले में महीने में पंद्रह
या बीस दिन शहर से बाहर रहते हैं।

मेरे पति एक सुन्दर और स्मार्ट व्यक्ति हैं, उनका व्यवहार भी अच्छा है।
वे जब भी टूअर से लौटते हैं तो ढेर सारी अन्य चीजों के साथ विभिन्न तरह
के सौंदर्य प्रसाधन आदि ले आते हैं, दरअसल वे एक कामुक व्यक्ति हैं, यौन
में भी उन्हें हर बार कुछ नया ही चाहिये, वे एक ही जैसी क्रियाओं से बोर
हो जाते हैं, उनके नये नये स्टाईलॉ और भांति भांति के आसनों से मुझे भी
काफी आनंद आता है और मैं उनके ऐसे क्रिया कलापों में ऐतराज नहीं करती
हूँ।

मेरे पति ऑफिस गए हुए थे, कल ही वे टूअर से आये थे। आज मेरा छोटा भाई
जिसकी आयु उन्नीस वर्ष है वह आ गया था। शाम का समय था, मैं और मेरा छोटा
भाई बैडरूम में बैड पर बैठ कर टी.वी. देख रहे थे। टी.वी. पर एक हिंदी
फिल्म आ रही थी, मैंने साडी-ब्लाउज पहना हुआ था और मेरा छोटा भाई
पेंट-शर्ट में था। वह बिस्तर के एक कोने पर बैठा था जबकि मैं बैड की
पुश्त से पीठ लगाये दोनों हाथों को सीने पर बांधे बैठी थी।

सात बजने जा रहे थे, तभी कॉल-बेल बजी !

मेरे उठने से पहले ही मेरा छोटा भाई उठा और दरवाजा खोल आया और बैड पर आकर
बैठ गया, वहीं जहां पहले बैठा था।

कौन आया है - मैंने पूछा।

जीजाजी आये हैं ... ..उसने सामान्य स्वर में उत्तर दिया।

मेरे पति बाहर के दरवाजे को लॉक कर के बैडरूम में आकर मेरे निकट बैड पर बैठ गए।

देर नहीं हो गई आज आपको आने में ... ? मैंने अपनी आँखों में कृत्रिम
क्रोध लाकर कहा।

देर वाले काम ही में तो मजा आता है जानेमन ... .! मेरे पति ने मेरे गालों
पर किस करते हुए कहा।

उनका एक हाथ मेरे ब्लाउज के ऊपर पहुँच गया था, ब्लाउज के ऊपर ही से
उन्होंने मेरे स्तन पर चिकोटी काटी तो मेरे होंटों से हल्की सी कराह फ़ूट
पड़ी।
मेरी कराह पर टी.वी. देखते मेरे भाई की दृष्टि मेरी ओर हुई और फिर टी.वी.
की ओर हो गई।

मैंने अपने ब्लाउज से अपने पति का हाथ हटाया और आँखें तरेर कर बोली- आपको
सब्र होना चाहिये ! मेरा भाई भी बैठा है और आप उसकी उपस्थिति में भी ऐसी
हरकतें कर रहें हैं? मेरा स्वर इतना धीमा था कि जो सिर्फ मुझे और मेरे
पति को ही सुनाई दे सकता था।

ओ ... के ... . तुम जाओ और मेरे लिए एक बढ़िया सी चाय बनाओ ! मैं हाथ
मुँह धो कर आता हूँ ... मेरे पति ने इतना कहा और फिर धोखे से मेरे होंठों
को चूम कर मेरे निकट से उठ गये।

मैं बड़बड़ाती हुई उठी, मेरे भाई ने कनखियों से उनकी यह हरकत देख ली थी,
इसी कारण उसके पतले पतले होंठों पर मुस्कान आ गई थी, थोड़ी देर बाद मैं
चाय बना कर ले आई तो पति को बैड पर अपने स्थान पर बैठे पाया, मैंने चाय
का कप उनको पकड़ा दिया और उनके निकट बैठ गई।

टी.वी. पर एक कैबरे गीत आ रहा था, जिसमें नायिका ने काफी कम कपड़े पहन
रखे थे और वह उत्तेजक अंदाज में नाच रही थी।

हाय ... क्या फिगर है ... ! कैसे पतली कमर को झटका देकर देखने वालों को
हार्ट-अटैक दे रही है ये ... ! क्यों जानेमन ... ! क्या ऐसा डांस कर सकती
हो तुम ... ? मेरे पति चाय पीते हुए बोले।

तुम चुप रहोगे या नहीं ... . !!! मैं धीमे स्वर में बोली।

अमां ... साले साब ... ! देख रहे हो तुम्हारी बहन हमें कुछ बोलने ही नहीं
दे रही ... .! अब अगर हमने इस कैबरे डांस की तारीफ़ कर दी तो इसमें क्या
गलत बात हो गई ... .मेरे पति ने मेरे भाई से कहा।

मेरा भाई मुस्करा कर रह गया।

फिर चाय ख़त्म करने तक मेरे पति कुछ नहीं बोले किन्तु उनका हाथ मेरे
ब्लाउज पर आ गया और वो मेरे स्तनों को मसलने लगे। मैं अपने भाई की
उपस्थिति का ख्याल करके उनके हाथ अपने हाथों से हटाने का प्रयास करने लगी
लेकिन फिर भी उन्होंने मेरे ब्लाउज के दो तीन बटन खोल कर मेरे ब्लाउज के
भीतर हाथ डाल दिया और ब्रा के नीचे से मेरे निप्पल को इतनी सख्ती से मसला
कि मैं तीव्र स्वर में कराह उठी।

मेरी कराह ने मेरे भाई का ध्यान हम दोनों की ओर खींचा, वह क्षण भर को हम
दोनों को देखता रहा, उसकी जिज्ञासु दृष्टि मेरे ब्लाउज पर जम गई फिर वह
अपनी आँखें नीची किये बैडरूम से बाहर जाने के लिये मुड़ने लगा तो मेरे
पति ने उसका हाथ पकड़ कर उसे बेड पर अपने नजदीक बैठा लिया और अपना हाथ
बिना मेरे ब्लाउज में से निकाले बोले- अरे यार ... .यह पति पत्नी की
सामान्य नोंक झोंक है, तुम कहाँ चले ! अच्छा मैं तुमसे एक बात पूछता हूँ
! जवाब सही सही देना !
मेरा भाई असमंजस के भाव से कभी उनकी आँखों में देखने लगता तो कभी मेरी
आँखों में, वह कुछ बोल नहीं पाया।

यह बताओ ... क्या तुमने किसी जवान औरत के स्तन देखे हैं आज से पहले? ...
यह कहते हुए उनके हाथ ने मेरे ब्लाउज को थोड़ा और खोल कर मेरा स्तन ब्रा
के कप में से बाहर ही निकाल दिया, मेरा भाई भी स्तब्ध था और मैं भी। हम
दोनों ही इस स्थिति से सर्वथा अपरिचित थे।

मुझे मालूम है ... तुमने न तो अबसे पहले औरत का स्तन देखा है और न ही छुआ
है ... अपना हाथ इधर लाओ ...! मेरे पति उन्मुक्त भाव से उसके हाथ को पकड़
कर मेरे स्तन पर रख कर बोले- लो ... देख लो.. कैसा होता है स्तन ...!
देखा कैसा होता है स्तन ...? शर्माओ मत !

मेरे पति ने मेरे भाई का मुख मेरे बायें स्तन के बिलकुल नजदीक कर दिया और
गहरे गुलाबी रंग का निप्पल उसके होंठों के पास करके बोले- होंठ खोलो और
इसे चूसो ...!

लेकिन मेरे भाई ने होंठ नहीं खोले, वह तो फटी फटी आँखों से यह सब देख रहा
था। तब मेरे पति ने मेरे दायें स्तन को भी मेरे ब्लाउज और ब्रा में से
निकाल दिया और उसके निप्पल को चूसने लगे, मैं उत्तेजना में बहने लगी।

क्या तुम अपने भाई के होंठ नहीं चूम सकती ...? मेरे पति ने मुझसे कहा तो
मेरे मन में विचित्र प्रकार का प्यार उमड़ आया, यह सब मेरे लिये अनोखा
था।

मैंने अपने भाई के गुलाबी होंठों को चूम लिया और उसके होंठों में अपने
बायें स्तन का निप्पल भी दे दिया, अब उसने निप्पल ले लिया, मैंने कहा ...
चूसो इसे !

वह चूसने लगा वो भी इस तरह जैसे कोई शिशु स्तन में दूध खोजता है।

मैं अदभुत आनंद से भरने लगी, मेरे हाथ उसके सर को सहलाने लगे थे, मेरे
दोनों स्तनों को चूसा जा रहा था, मैं उत्तेजित होती जा रही थी, मेरे हाथ
मेरे भाई की पीठ पर होकर उसकी पैन्ट पर पहुँच गये, मैंने उसकी पैन्ट की
जिप खोल दी और उसमें हाथ डाल कर उसके अंडरवीयर के नीचे छिपे उसके अंगड़ाई
भरते लिंग को अंडरवीयर के ऊपर से ही सहलाने लगी। मेरे पति ने मेरी साड़ी
को पेटीकोट सहित मेरे घुटनों से ऊपर कर दिया था और मेरे दायें स्तन को
चूसते चूसते मेरी चिकनी जाँघों को भी सहलाने लगे थे।

उनकी कोशिश देख कर मुझे करवट लेनी पड़ी और मैंने अपनी पीठ उनकी ओर कर ली,
उन्होंने मेरा स्तन छोड़ दिया था, वे अब मेरी साड़ी और पेटीकोट को
नितंबों तक पलट कर मेरे नितंबों को सहलाने लगे थे, मेरे नितंबों पर कसी
पैंटी अभी उन्होंने उतारी नहीं थी, अभी तो वे जांघें सहला सहला कर ही
मुझे उत्तेजित करते जा रहे थे।

मेरे आगे लेटा मेरा छोटा भाई मेरे स्तनों को ही चूसने में व्यस्त था,
उसकी इस क्रिया ने भी मुझे तपा डाला था।
मैंने उसके अंडरवीयर में से उसका सात आठ इंच लंबा लिंग बाहर निकाल लिया
था और उसे सहलाने लगी थी, मेरे भाई का लिंग अभी तक नया ही था, उसकी त्वचा
लिंग-मुंड पर चढ़ी हुई थी, जिसे मैं धीरे-धीरे नीचे को उतार रही थी, मेरा
एक हाथ उसकी पैंट को नीचे सरका चुका था।

अचानक मेरे पति ने मुझसे कहा- आज एक नये किस्म का मज़ा लेते हैं,
तुम्हारे भाई का नया नया लिंग तुम्हारी योनि में नहीं बल्कि तुम्हारी
गुदा (गांड) में डलवाते हैं ... .तुम्हें तो मज़ा आयेगा ही ... तुम्हारे
भाई को भी आनंद आयेगा ... .तुम जानवर की भांति हाथ पांव बेड पर टिका कर
अपने नितंब ऊँचे उठा लो !

मैंने ऐसा ही किया, मेरे नितंब ऊँचे उठ गये तो मेरे पति ने मेरे भाई को
मेरे पीछे खड़ा करके उसके लिंग मुंड पर अपना ढेर सा थूक लगा कर उसे मेरे
नितंबों के बीच जहां मेरी गुदा (गांड) थी, वहाँ टिकाया और मेरे भाई से
कहा- धक्का मारो साले साब ... लेकिन धीरे धीरे !

मेरे भाई ने मेरी कमर को पकड़ कर धक्का मारा तो लिंग ऊपर को फिसल गया,

ओ ... ओफ्फो.. यार ... .रुको ...! दोबारा कोशिश करते हैं ! मेरे पति ने
मेरे भाई से कहा।

मैंने मुद्रा बदल कर करवट ले ली और अपने पति से बोली- ये पहली बार तो
मैथुन (चुदाई) क्रिया कर रहा है और तुम ये उम्मीद कर रहे हो की एक ही बार
में लिंग प्रवेश कर लेगा, वो भी बिना किसी चिकनाई के, जाओ जरा रसोई में
से सरसों का तेल ले आओ, मैं तब तक इसके लिंग को और उत्तेजित करती हूँ !

तुम ठीक कहती हो ... ... मेरे पति ने इतना कहा और चले गये।

मैंने अपने भाई को उसका हाथ पकड़ कर अपने सिरहाने बैठा लिया और उसकी
टांगें फैला कर उसकी मजबूत जांघ पर अपना सर टिका कर उसके तने हुए लिंग की
उपरी त्वचा लिंग मुंड से हटा कर उसे अपने मुंह में ले लिया, मैं उसे
चूसने लगी।

वह मचल उठा, उसके कंठ से कामुक ध्वनि फूटने लगी- उफ..ओह ... मेरे शरीर
में चीटियाँ सी दौड़ रही हैं ... .उफ ... वह टूटते शब्दों में कह उठा।
मैंने उसके हाथों को अपने स्तनों पर टिका दिया और बोली- इनसे खेलते रहो
... और फिर उसके लिंग को अपनी जीभ से चाटने लगी।

मेरे पति एक कटोरी में सरसों का तेल ले आये और मेरी एक टांग को ऊँचा करके
मेरी गुदा (गांड) में तेल लगाने लगे।

अब अपने जीजाजी के पास चले जाओ ... ... ... मैंने अपने मुंह से अपने भाई
का लिंग निकाल कर उससे कहा।

वह यंत्र की भांति चुपचाप मेरे पति के निकट जाकर बैठ गया।

मेरे पति ने मेरे नितंबों के नीचे एक तकिया लगा दिया, अब नितंब ऊँचे भी
हो गए और उनके मध्य की खाई अधिक खुल गई।

तुम लेट जाओ.. मैं तुम्हारे लिंग को ठीक निशानें पर फंसा दूंगा, तुम जोर
का धक्का मारना, और हाँ ... पहली बार में थोड़ा दर्द होता है तुम घबरा मत
जाना ... उसके बाद खूब मजा आता है ! मेरे पति ने मेरे भाई को समझाया।

मेरा भाई मेरे पीछे लेट गया, उसने मेरी बगलों में हाथ डाल कर मेरे पुष्ट
स्तनों को पकड़ लिया, मेरे पति ने उसके लिंग पर तेल लगाया और मेरी टांग
को ऊँचा करके उसके लिंग को मेरी गुदा पर रख दिया, मैंने भी अपने एक हाथ
से लिंग मुंड को गुदा के तंग द्वार में फंसाने में उन दोनों की मदद की और
बोली ... मारो जोर का शाट ! मैं तैयार हूँ ...!
इतना कहते ही मैंने दांत भींच लिए क्योंकि गुदा में मुझे भी थोड़ी पीड़ा
होनी थी, उतनी नहीं होनी थी जितनी पहली दफा में होती है, मेरे पति तो
मेरी गुदा में अक्सर ही लिंग प्रवेश किया करते थे इसलिए मुझे आदत पड़
चुकी थी, उसी दम मुझे पीड़ा हुई और मेरे कंठ से कराह निकल गई।

मेरे भाई ने जोर का धक्का मारा था, उसका लिंग मुंड मेरी गुदा को फैलाता
हुआ उसमें घुस गया था, मेरा भाई भी कराह उठा, वह जरा ज्यादा तड़प रहा था,
उसके लिंग मुंड की सील टूट गई थी और हल्का हल्का सा रक्त स्राव भी हुआ
था, किन्तु मेरे पति द्वारा उसका साहस बढ़ाये जाने पर उसने तड़पते तड़पते
भी एक बार जरा पीछे हट कर एक और धक्का मारा, लिंग का आधा हिस्सा मेरी
गुदा में समां गया।

ओफ ... मुझे बहुत दर्द हो रहा है ... .मैं और आगे नहीं कर सकता, उफ ...
लगता है मेरा लिंग पिस जायेगा, दीदी के कूल्हे तो चक्की के पाट जैसे हैं,
यह कहते हुए मेरे भाई ने अपना लिंग मेरी गुदा से निकाल लिया तो मैं अपने
पति से बोली- गुदा में तुम डाल दो और जल्दी करो, मेरे भीतर की आग अब भड़क
उठी है, इसको मैं योनि का आनंद देती हूँ ! आ जाओ तुम इधर मेरे आगे !

मैंने अपने भाई का हाथ पकड़ कर कहा और उसे अपने आगे लिटा लिया, मैंने
उसका लिंग अपने हाथ में ले लिया और उसे सहलाते हुए अपनी योनि में फंसा कर
कहा- अब धक्का मारो, इसमें दर्द नहीं होगा !

मैंने ऐसा कहा तो उसने डरते डरते हल्का सा धक्का मारा, लिंग मुंड आसानी
से योनि में प्रविष्ट हो गया, वह आस्वस्त हो गया तो और धक्के मारने लगा,
मैं आनन्दित होने लगी और उसके नितंबों को तो कभी उसके सिर को सहलाने लगी,
वह मेरे होंठों को चूमने लगा तो मैंने उसके मुंह में अपने स्तन का निप्पल
डाल कर कहा- इसे चूसो ... !

वह निप्पल चूसते हुए योनि में लिंग का घर्षण करने लगा, उसके मुंह से भी
कामुक ध्वनियाँ फूटने लगी थी तो मेरी भी गर्म साँसें तीव्र होती जा रही
थी।

तभी मेरे पति ने अपना लिंग निकाल कर मेरी गुदा में प्रवेश करा दिया, वे
आहिस्ता आहिस्ता उसे आगे बढाने लगे।
मैं तो काम-सुख का वह चरम पा रही थी कि जिसकी मिसाल नहीं दी जा सकती,
मेरा युवा शरीर दो लिंगों के घर्षण से ऐसा आंदोलित हो उठा कि क्या कहूँ,
ऐसा काम सुख मुझे पहले कभी नहीं मिला था, गुदा और योनि में आग सी लगती जा
रही थी, मैं चरमोत्कर्ष पर पहुंची तो मेरा भाई भी स्खलित हो गया, मैंने
उसका लिंग अपने मुंह में ले लिया और उसे अजीब किस्म का दुलार देने लगी।

वह भावावेश में मेरे शरीर से लिपट गया, मेरे पति ने मेरी गुदा में स्खलित
होकर मुझे बांहों में भर लिया था।

इस तरह उस रात हम तीनों ने खूब शारीरिक सुख भोगा।

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