हिंदी सेक्सी कहानियाँ
चुदाई यात्रा-5
लेखिका : उषा मस्तानी
सतीश एक तरफ मेरी चूचियों का रस नोच नोच कर निकाल रहा था, अमित दूसरी तरफ
गांड लंड से खोद रहा था।
कुछ धक्कों के बाद मेरी गांड का दर्द कम हो गया लेकिन मेरी ठुकाई अच्छी
तरह से हो रही थी, मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे, मेरी गांड चुद चुद कर
चौड़ी हो रही थी, मैं एक रंडी की तरह चुद रही थी। कुछ देर बाद अमित ने
मुझे तिरछा करके लेटा लिया और मेरी जांघें फ़ैला दीं, लंड उसका मेरी गांड
फाड़े हुए था, आगे से सतीश ने बिना देर किए मेरी चूत में लंड घुसा दिया।
अब मैं दोनों के बीच सैंडविच बन गई थी, सतीश ने मेरी चुदाई 10 मिनट तक
करी। अमित भी बीच बीच में धीरे धक्के मार रहा था। अब मैं दो दो लंडों से
चुद रही थी।
इसके बाद दोनों ने अपने वीर्य से मेरी चूत और गांड भर दी। मैं अर्ध बेहोश
सी हो गई थी, थोड़ी देर बाद मैं सो गई।
तीन बजे के करीब शाम को मेरी नींद खुली, मैं लंगडाती हुई बाथरूम गई, मेरी
गांड और चूत के साथ साथ पूरा बदन दुःख रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे
कि मेरी गांड में लंड अब भी आगे पीछे हो रहा है। मैं सबसे नाराज़ थी, भाभी
ने मुझे गर्म दूध पीने को दिया और मुझे समझाने लगीं, बोलीं- शुरू शुरू
में ऐसे दर्द होता है लेकिन दो दिन बाद तेरा ये सब करवाने का बहुत मन
करेगा। अब हम वापस चलकर कानपुर में आराम करेंगे।
पाँच बजे के करीब हमने लखनऊ छोड़ दिया और रात को सात बजे कानपुर पहुँच गए।
आते ही हम लोग सो गए सुबह दस बजे मैं उठी। सिर्फ भाभी घर में थीं,
उन्होंने गर्म पानी से मेरी चूत और गांड की सिकाई कर दी, मुझे बड़ा आराम
मिला।
शाम को भाभी के बच्चे आ गए, अमित दो दिन के टूर पर बाहर चला गया। रात को
अच्छी नींद आई।
अगले दिन सुबह मैं एकदम तरोताजा थी, मेरा गुस्सा भी कम हो गया था। मैंने
अमित और सतीश से फ़ोन पर बात की और उन्हें प्यार से डाँटा भी ! दोनों ने
फ़ोन पर माफ़ी मांग ली, अब मेरा गुस्सा ख़त्म था।
रात को अमित नहीं था, मैं उसके कमरे में सो रही थी, अकेले मुझे नींद नहीं
आ रही थी, एक बार आदमियों के साथ सोने की आदत पड़ जाए तो अकेले नींद भी
नहीं आती। किसी तरह मन मसोस कर सो गई।
सुबह छः बजे उठने पर चूत कुनमुना रही थी और सही बात कहूँ तो लंड मांग रही
थी। मुझे अपने पर गुस्सा भी आ रहा था कि मेरी चूत रांड हो गई है, इतना
चुदने के बाद भी खुजला रही है, पहले तो इतनी नहीं खुजलाती थी। देहली जाकर
पता नहीं बिना चुदे कैसे रह पाएगी।
मैं आज शाम को दिल्ली जा रही थी, मैंने अमित को फोन किया, अमित बोला- शाम
को आ नहीं पाऊँगा, सच कहूँ तो मेरी गांड मारने के बाद वो मुझसे नज़रें
चुरा रहा था।
मैंने कहा- एक बार और नहीं डालोगे?
अमित बोला- भाभी आपके साथ मज़ा बहुत आया, लेकिन कुछ ज्यादती हो गई, मुझे
माफ़ कर देना !
इसके बाद बात खत्म हो गई। मेरा मन थोड़ा सा दुखी हो रहा था, मैं सोच रही
थी कि बेकार इतना डाँटा अमित को, मज़े तो मैंने भी लिए थे।
मैंने अपने सर को झटका और स्कर्ट टॉप पहन कर नीचे आ गई, सुबह के आठ बज़
गए थे। रात को भाई साहब आ गए थे और अखबार पढ़ रहे थे। बच्चे स्कूल चले गए
थे।
भाभी ने मेरी और उनकी चाय बनाई, मैंने जाकर झुक के चाय भाईसाहब को दे दी,
मेरी पूरी चूचियाँ भाईसाहब ने दर्शन कर लीं लेकिन अब मुझे यह सब नया नहीं
लग रहा था। भाईसाहब के कमरे में फर्श पर कुछ कपड़े पड़े थे, मैंने उन्हें
एक एक करके उठाया और बाहर धुलने रख दिया।
मैंने मुड़कर देखा तो भाईसाहब मुझे ऐसे घूर-घूर कर देख रहे थे जैसे मुझे
अभी चोद डालेंगे।
बाहर आकर मैं भाभी के साथ काम करने लगी।
तभी पड़ोस से नीलिमा आ गई, बोली- भाभी, शर्मा जी के यहाँ नहीं चलना उनके
यहाँ लड़का होने की कथा है।
भाभी बोलीं- ओह, मैं तो भूल ही गई थी।
भाभी मुझसे बोली- तू इनको को नाश्ता करा देना। मैं दो घंटे में आ जाऊँगी।
मैंने नाश्ता बना लिया, गर्मी बहुत हो रही थी अपने टॉप के दो बटन खोल
लिए। जब मैं भाईसाहब को नाश्ता दे रही थी तो मेरी चूचियाँ झुकने पर पूरी
नंगी दिख रही थीं।
भाईसाहब मुस्कराते हुए बोले- अर्चना आज तो लग रहा है, दूध पीने को मिलेगा।
मैं समझ गई कि भाईसाहब मेरी चूचियों का मज़ा ले रहे हैं, मैं भी मुस्कराते
हुए बोली- आप दूध पी लेना ! किसका पियेंगे भैस का या किसी और का?
भाईसाहब ने आँख मारी- तुम जो पिला दोगी?
मैंने कहा- पहले आप नाश्ता कर लें, फिर जिसका आप कहेंगे उसका पिला दूंगी।
और मैं भी मुस्करा दी। इसके बाद पीछे मुड़कर मेज पर झुककर अखबार पढ़ने लगी।
मेरी स्कर्ट बहुत छोटी थी जो ऊपर को उठ गई थी। भाईसाहब मेरी नंगी गांड और
उसके नीचे से झांकती चूत का मज़ा नाश्ता करते हुए ले रहे थे। रोज़ की तरह
मैंने चड्डी नहीं पहनी थी, रोज़ अमित से मज़े लेने के लिए नहीं पहनती थी
तो आज पहनना ही भूल गई थी। मुझे इस बात का पता तब चला जब अचानक से किसी
ने मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरा।
मैंने मुड़कर देखा तो भाईसाहब मेरे नंगे चूतड़ सहला रहे थे। अब मुझे पता
चला कि मैं तो अपनी नंगी गांड बार बार उन्हें दिखा रही हूँ इसलिए वो मुझे
चोदने की नज़र से घूर रहे थे।
उनका इस तरह देखना गलत नहीं था।
भाईसाहब ने मेरे चूतड़ों को दबाते हुए मेरी चूत अपने हाथों से सहला दी और
बोले- तुम तो गुरु हो ! इतनी देर से दिखा रही हो, अगर अब भी हाथ न लगाया
तो तुम मुझे नामर्द समझोगी।
मैं एकदम से चौंक गई, मुझे अपनी गलती समझ मैं आ गई, मैं चड्डी पहनना भूल
गई थी। इसके बाद भाईसाहब ने मुझे पीछे से बाँहों में जकड़ते हुए मेरी
चूचियाँ अंदर हाथ डालकर मसलीं और अपना हाथ मेरी स्कर्ट पर सरका कर उसका
एक मात्र बटन खोल दिया। स्कर्ट नीचे गिर गई और उन्होंने अपने हाथ से मेरी
चूत को सहलाते हुए कहा- चूत तो तुम्हारी गीली हो रही है। शर्मा क्यों रही
हो? अकेले हैं, आओ तुम्हारी चूत और चूची दोनों का दूध पीते हैं।
मैं भी पूरी रांड हो गई थी, मैं मुस्करा दी और मैंने चुदने के लिए एक मूक
सहमति दे दी थी। मन में रंडीबाज़ी जाग उठी, जाते जाते एक बार एक और लौड़े
से सही।
भाईसाहब बोले- ऊपर चलते हैं, अमित के कमरे में चोदते हैं।
मैंने अपनी स्कर्ट पहन ली और हम दोनों ऊपर आ गए।
ऊपर आकर भाईसाहब ने मेरी स्कर्ट उतार दी और टॉप भी निकाल दिया। अब मैं
अपने नंगे बदन का मुजरा पेश कर रही थी उन्होंने मुझे अमित के बाहर के
कमरे में लिटा दिया और मेरी दूधों को चूसने लगे।
चूसते हुए भाईसाहब ने मेरी निप्पल कड़ी कर दीं। अब मेरी चूत की बारी थी,
दाने पे मुँह लगते ही मेरी आहें निकलने लगीं। क्या चूसा था !
इसके बाद तो अच्छी से अच्छी औरत भी लंड लंड करने लगेगी, पूरा चूत रस बहने लगा।
पाँच मिनट चूसने के बाद मैं बोली- अब कुछ करिए न ! आह ! बहुत मन कर रहा है।
भाईसाहब ने अपना पजामा कुरता उतार दिया, उनका पाँच इंची लंड मेरी आँखों
के आगे था, मुझे लगा कि आज चुदने में आनन्द कम आएगा लेकिन मेरा सोचना गलत
था। उन्होंने मेरी टांगें उठाकर चूत में लंड घुसा दिया।
आह ! पूरा अंदर चला।
भाईसाहब ने धीरे धीरे मुझे चोदना शुरू कर दिया लेकिन पूरा लंड अंदर-बाहर
कर रहे थे, आराम से मेरी चुदाई चल रही थी, मैं भी धीरे धीरे आहें भर रही
थी। बीच में 2-3 बार चुदाई रोककर लंड अंदर घुसाए घुसाए भाईसाहब ने मेरी
चूचियाँ और होंटों की चुसाई की, चूचियों को कई तरह से दबाया और मसला।
उसके बाद बोले- आसन बदल कर चुदना हो तो बताना !
पूरे प्यार भरे तरीके से मेरी चुदाई हो रही थी, भाईसाहब ने लंड निकाल
लिया और मेरी जाँघों पर अपने हाथों से मालिश करने लगे, मेरी नाभि को
चूमा, गले पर सहलाया और मेरी जीभ निकलवा कर चूसी। उन्होंने मुझे काम रस
में डुबो दिया।
मैं बोली- आपके साथ बहुत अच्छा लग रहा है, एक बार और चोदिये ना !
उन्होंने मुझे चिपका कर अपना लंड घुसा दिया और मुझसे सेक्सी बातें करने
लगे, बोले- तुम्हारी जांघें बहुत गर्म हैं, तुम बहुत सेक्सी हो !
मेरी तारीफ़ करते हुए धीरे धीरे चोदने लगे। मुझे बहुत आनन्द आ रहा था, मैं
भी चुदने में पूरा साथ दे रही थी।
तभी दरवाज़े की घंटी बजी।
मैं हड़बड़ा गई और उठ गई। भाईसाहब बोले- जाली के दरवाजे में से मुँह नीचे
डालकर देखो कौन है।
मैं नंगी उठी और टीशर्ट डालकर खिड़की का दरवाज़ा खोलकर नीचे देखा तो
सब्जी वाला था, बोला- बहनजी, सब्जी !
मैंने कहा- नहीं चाहिए !
वो चला गया।
भाईसाहब मेरे पीछे आ गए और मुस्कराते हुए बोले- ऐसे नहीं घबराते हैं, तुम
खिड़की की जाली से सड़क का नज़ारा देखो मैं तुम्हें पीछे से चोदता हूँ।
मैं दोनों हाथ खिड़की पर रखकर झुक गई और बाहर देखने लगी, भाई साहब ने
प्यार से मेरी कमर पकड़ कर चूत में लंड लगाया और शुरू हो गए। इस बार वो
थोड़े तेज शोटों से चोद रहे थे।
मैं नीचे झांक रही थी और अपनी चुदाई के मज़े ले रही थी।
दो मिनट बाद मुझे शर्म आने लगी और बोली- बिस्तर पर ही करते हैं।
हम लोग बिस्तर पर आ गए। भाईसाहब ने मुझे बिस्तर पर गोद में बैठा लिया और
नीचे से अपना लोड़ा मेरी चूत में लगा दिया। भाईसाहब अब नीचे से धक्के मार
कर चोदने लगे, मैं अपने स्तन उनके सीने से चिपकाए अपनी चुदाई का आनंद ले
रही थी।
कुछ देर बाद उन्होंने अपना पानी मेरी चूत में छोड़ दिया, हम दोनों आपस
में चिपक कर एक दूसरे को चूमने लगे। मुझे चुदाई में प्यार भरा आनन्द आया
था।
मैं भाईसाहब से बातें करने लगी।
भाईसाहब और मैं एक दूसरे के अंगों को छेड़ते हुए बातें कर रहे थे। मैंने
उन्हें कई बार होटों पर चुम्बन किया तो उनका लंड दुबारा टन-टन करने लगा
था, उन्होंने मेरे हाथ में अपना लौड़ा पकड़ा दिया और मेरी गांड में उंगली
घुमाने लगे, मुस्कराते हुए बोले- तुमने 2-3 दिन पहले ही गांड मरवाई है।
मैं बोली- आपको कैसे पता?
हँसते हुए बोले- छेद उंगली डालते ही बड़ा हो रहा है।
मैं चुप रही।
भाईसाहब बोले- मुझसे मरवाओगी?
मैं बोली- दर्द बहुत होता है।
भाईसाहब बोले- दर्द अगर हो जाए तो मेरी जान ले लेना।
मुझे लगा कि भाईसाहब का लंड छोटा है, मज़ा ले लेती हूँ, और इन्होंने मेरी
चूत को अमित और सतीश से ज्यादा मस्त मज़ा दिया है, एक बार गांड मैं और
सही।
मैं बोली- प्यार से मारना।
भाईसाहब बोले- चिंता न करो, अब एक बार मेरा लोड़ा चूस कर थोड़ा कड़क कर दो।
मैंने उनकी जाँघों में लेटकर लौड़ा 10-12 बार चूसा। इसके बाद उन्होंने
मुझे हटा दिया और अपना पर्स उठा कर उसमें से एक कंडोम निकाल कर लंड पर
चढ़ा लिया।
मैंने पूछा- आप पर्स में कंडोम क्यों रखते हैं?
भाईसाहब मुस्कराते हुए बोले- जब भी मैं टूर पर जाता हूँ तो रात को बिना
लड़की के नहीं सोता। पर्स में हमेशा 3-4 कंडोम रखता हूँ, इससे रात को आराम
हो जाता है। एक रात में 2 से 4 बार लड़की को चोदता हूँ। अब ये छोड़ो और
जिस आसन में गांड मरवानी है, लेट जाओ, थोड़ा टांगें फ़ैला कर रखना।
मैं बोली- आप ही लेटा दीजिए न।
भाईसाहब ने मेरे पेट के नीचे दो तकिये रख दिए और मुझे उल्टा लेटा दिया।
भाईसाहब ने मेरी गांड में दोनों हाथों की एक एक उंगली मिलकर आगे पीछे 5-6
बार करी। आह बड़ा मज़ा आया। टाँगे मेरी उन्होंने चौड़ी कर दीं थीं, उनके
लंड का सुपारा मेरी गांड खटखटा रहा था जिसे उन्होंने हाथ से पकड़ कर गांड
में डाल दिया और अपना लंड अंदर घुसाने लगे। थोड़ घुसने के बाद मेरी
चूचियाँ मेरे ऊपर लेटकर हाथों से दबा लीं और बोले- चुदते समय आह ऊह खुलकर
करना, इससे मुझे और तुम्हें दोनों को ख़ुशी मिलेगी।
अब वो धीरे धीरे चोदते हुए लण्ड अंदर डालने लगे। आह ऊह ऊह आह आह ऊह क्या
मज़ा था ! लंड पूरा अंदर जा चुका था।
उन्होंने पूरा घुसने के बाद उसे बाहर खींचा और दुबारा अंदर तक पेल दिया।
मेरी गांड अच्छी तरह से चुदने लगी, उनके टट्टे मेरी गांड पर बार बार छू
रहे थे, मेरी गांड मरनी शुरू हो गई लेकिन कोई दर्द नहीं था। लंड कभी धीरे
और कभी तेज अंदर-बाहर हो रहा था, मैं आह ऊह आह्ह ऊह बड़ा मज़ा आ रहा की
आवाज़ों से मस्तिया रही थी। सच भाईसाहब ने मस्त कर दिया था। मुझे लग रहा
था कि चूत गांड वाकई मज़े की चीज़ें होती हैं बस प्यार से मारने वाला
चाहिए। आज मेरी गांड में गाडी बड़े प्यार से दौड़ रही थी, बहुत मज़ा आ रहा
था।
भाईसाहब ने कुछ देर बाद लंड बाहर निकाल लिया, मेरे से रहा नहीं गया और
बोल पड़ी- और करिए ना ! बड़ा मज़ा आ रहा है।
भाईसाहब ने गले पर पप्पी ली और बोले- अभी तो शुरुआत हुई है, चिंता क्यों करती हो।
भाईसाहब ने मेरे चूतड़ों पर हाथ मारा और बोले- अब उठो और घोड़ी बन जाओ !
भाईसाहब ने मुझे पलंग पर आधा लेटाकर नीचे जमीन पर मेरे पैर चौड़े करवाए और
मुझे घोड़ी बना दिया। इसके बाद भाईसाहब मेरे चूतड़ों पर 6-7 चाटें प्यार
से मारे और मेरी गांड में धीरे-धीरे पूरा लंड घुसा दिया और मुझे पेलने
लगे।
5-6 शोटों के बाद उन्होंने टाँगे मिला दीं, अब मेरा छेद सिकुड़ गया था।
उनका लंड अब कसा हुआ मोटा लग रहा था। उन्होंने ताकत से लौड़ा अंदर-बाहर
किया। मुझे अब दर्द हो रहा था, मेरी आँखों से पानी आ गया, मैं बोल उठी-
बाहर निकालिए, बड़ा दर्द हो रहा है।
उन्होंने झुककर मेरी पप्पी ली और टांगें दुबारा चोड़ी करा दीं, अब लौड़ा
पूरी ईमानदारी से अन्दर-बाहर हो रहा था, मैं ऊह ऊह ऊह आहा की आवाज़ों से
अपना आनंद प्रकट करने लगी थी।
भाईसाहब बोले- मज़ा आ रहा है?
मैं बोली- हाँ बहुत मज़ा आ रहा है, और करो और चोदो।
मेरी गांड में अंदर तक लंड घुसा कर भाईसाहब रुक गए और बोले- अर्चना, अब
आगे पीछे होकर तुम खुद चुदो, उसमें और मज़ा आएगा।
मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर थी, मैंने अपनी गांड को आगे-पीछे करना शुरू कर
दिया और लौड़ा खाने लगी। हर शॉट पर भाईसाहब मेरी चूची पूरी दबा देते थे
औरे मेरी चोटी भी बीच बीच में खींच देते थे। इसके बाद उन्होंने मेरी कमर
को पकड़ लिया, अब वो लोड़ा आगे पेलते तो मैं गांड पीछे पेलती। मस्त होकर
मैं गांड चुदवा रही थी। दस मिनट बाद मैं हांफ गई, भाईसाहब ने मुझे गोद
में उठाकर पलंग पर डाल दिया और कंडोम निकाल कर फेंक दिया और बोले- मैं
झड़ने वाला हूँ, तुम्हारी चूची पर रस डालूं या जमीन पर निकाल दूं !
मैं बोली- मुझे आप अपना रस मुँह में पिलाओ !
और मैंने मुँह में लंड ले लिया और तेज-तेज चूसने लगी। 2-3 चुसाई में लंड
ने पानी छोड़ दिया, मेरा पूरा मुँह वीर्य से भर गया, भाईसाहब का पूरा रस
प्यार से मैं गटक गई।
उसके बाद चिपक कर मैंने उन्हें चूम लिया और बोली- आप बहुत अच्छे हैं,
आपने मुझे बहुत सुख दिया।
5 मिनट बाद चिपक कर हम अलग हो गए, मैं बाथरूम में चली गई।
बारह बज़ गए थे, भाभी एक बजे आईं, हम लोगों ने खाना बना कर खा लिया। इसके
बाद मैं अमित के कमरे में चली गई और अपना सामन सेट करने लगी।
अमित का कमरा भी मैं सेट करने लगी, अमित के पलंग के नीचे मुझे उसका एक
मेल आइ डी और पासवर्ड लिखा दिखा। पहले मैंने उसे नज़रंदाज़ कर दिया लेकिन
फिर कुछ सोचकर मैंने उसे अपने पर्स में एक कागज़ पर लिखकर डाल लिया। उसके
बाद मैं सो गई।
छः बजे उठी, रात को दस बजे मुझे जाना था, 11 बजे मेरी ट्रेन थी, मैंने
अमित को फ़ोन किया, अमित बोला- मैं कानपुर से बाहर हूँ, भाईसाहब से कहना
कि तुम्हें छोड़ दें।
भाईसाहब बच्चों के स्कूल के आने से पहले काम पर चले गए थे। मैं भाभी और
बच्चे ही घर पर थे।
नौ बजे खाने के बाद और बच्चों के सोने के बाद भाईसाहब घर 9:30 पर आए और
हम लोग स्टेशन के लिए निकल पड़े। जाते जाते मैंने भाभी के घर पर पड़ी एक
सरिता किताब अपने बैग मैं रख ली। रास्ते में भाईसाहब ने एक सुनसान जगह
कार खड़ी कर दी। हम दोनों ने दो गहरे चुम्बन लिए और मैंने भाईसाहब का लौड़ा
निकाल कर कार में पूरा रस निकलने तक चूसा।
इसके बाद हम स्टेशन पहुंचे, स्टेशन से 11 बजे मेरी ट्रेन चल दी।मेरी
चुदाई यात्रा समाप्त हो गई थी। सुबह 6 बजे मैं अपने सास-ससुर के पास थी।
अब मैं 4-4 लंडों से खेली खाई औरत थी। दो दिन बाद ही मुझे लंड की चाहत
महसूस होने लगी। भगवान् ने मेरी सुन ली, मेरे पति 5 दिन बाद विदेश से
वापस आने वाले थे।
5 दिन बाद राजीव वापस आ गए, आते ही रात को उन्होंने मेरी 5-6 बार चूत
चोदी और मुझसे पूछा- तुम्हारी गांड में ट्राई करूँ? विदेश में तो गांड
मारना एक सामान्य सी बात है, और मेरे सारे विदेशी दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड
की गांड मार चुके हैं।
मैं हल्के से मुस्करा कर बोली- जैसा आप चाहो !
और उन्होंने मेरी गांड मारने की कोशिश करी। 5-6 बार में थोड़ा सा घुसा पाए
और उसके बाद उनका शेर ढेर हो गया। राजीव मुझे गांड मारने में नए खिलाड़ी
लगे जबकि मैं अब एक खेली-खाई औरत थी लेकिन मुझे अपना लीगल लंड मिल गया
था, मैं खुश थी और रोज़ उनसे चुदने लगी। मेरे सहयोग से वो मेरी गांड
मारना भी सीख गए।
चार दिन बाद मैं राजीव के साथ बाहर होटल में खाना खाने गई। लौटते वक्त
5-6 गुंडों ने हमें घेर लिया और मुझे छेड़ने लगे। उनमें से दो आगे बढ़कर
मेरी चूचियाँ दबाने लगे। राजीव उनसे भिड़ गए। तभी एक बदमाश ने पिस्तौल
निकाल कर राजीव को 2 गोलियां मार दीं और सभी गुंडे वहाँ से भाग गए।
शुरू में डॉक्टर ने राजीव को 2-3 दिन का मेहमान बताया। मैंने दिन-रात
राजीव की सेवा की। इस समय लंड चूत सब भूल गई थी मैं। भगवान् की कृपा से
राजीव 30 दिनों में सही हो गए। इन 30 दिनों में राजीव तो सही हो गए थे
लेकिन मुझे अपने पर शर्म आ रही थी कि मेरे पति मुझ पर मरने को तयार हैं
और मैं उनके पीछे अपने मज़े के लिए लौड़े खाती रही।
एक रात राजीव सो रहे थे, मैं ये सब सोच सोच कर परेशान हो रही थी।मैंने
समय पास करने के लिए कंप्यूटर ऑन कर लिया, तभी मेरे मन में अमित का मेल
देखने का ख्याल आया, मैंने अपने पर्स से उसका मेल आइ डी और पासवर्ड
निकाला और उसका मेल बॉक्स खोल लिया।
ढेर सारे मेल इनबॉक्स और सेंट मेल में थे, मैं बोर हो रही थी मैंने इन
बॉक्स पर क्लिक कर दिया। दसवें मेल का शीर्षक था- आधा आधा कर लेते हैं।
मैंने खोला तो अंदर लिखा था- अमित नाराज़ क्यों होते हो बबलू, सतीश और अजय
ने मुझे कुल साठ हजार रुपए दिए हैं अर्चना के चोदने के बदले मैं। तुम बीस
की जगह आधे ले लेना ! अब घर वापस आ जाओ और यहीं किराए पर रहो।तुम्हारी
भाभी रजनी
मेरा दिमाग घूम गया मुझे समझ में आ गया, दोनों ने मुझे चालाकी से सतीश और
बबलू से सौदेबाज़ी करके एक रंडी की तरह चुदवाया है और माल कमाया है। अब
दोनों हिस्सेदारी कर रहे हैं। लेकिन यह अजय कौन है मुझे समझ में नहीं आ
रहा था।
आगे और मेल मैंने पढ़े, मुझे इतना समझ में और आया कि दोनों लोग मुझे नशे
और कामौत्तेजक गोलियाँ देते रहे जिस कारण से मेरी चूत रोज़ लंड लंड
चिल्लाती थी और मैं बेशर्म होकर चुदवाती थी।
मैं उत्तेजित होकर और मेल पढ़ने लगी। सब कुछ पढ़ने के बाद मुझे इतना और पता
चला कि साठ हजार में से 15 बबलू ने, 30 सतीश ने और 15 अजय ने दिए थे।अमित
कानपुर में ही था जिस दिन मैं वापस देहली आ रही थी। अब मेरे दिमाग में दो
बातें घूम रहीं थीं कि यह अजय कौन है और अमित आखरी दिन कानपुर में होते
हुए भी बाहर क्यों था।
मेरा दिमाग यह सब पढ़ कर ख़राब हो गया, मैं बेचैन हो रही थी, मुझे अपने पर
गुस्सा आ रहा था। मैंने कंप्यूटर बंद कर दिया और पर्स में रखी सरिता
किताब निकाल ली जो मैं भाभी के घर से लाई थी।
मैं किताब के पन्ने पलटने लगी, एक पेज पर मेरे हाथ रुक गए उस पेज में
भाभी, भाईसाहब और उनके दोनों बच्चों की एक फोटो रखी थी लेकिन भाईसाहब उन
साहब से अलग थे जिन्होंने मुझे भाईसाहब बनकर चोदा था।
अब सारी कहानी साफ़ थी सुबह जिन साहब ने मेरी चुदाई करी थी वो मेरे तीसरे
ग्राहक अजय थे और उन्होंने रजनी भाभी का साहब बनकर मुझे चोदा था।
अमित भी उस दिन घर में इसलिए नहीं था ताकि अर्चना रंडी अच्छी तरह से अजय
साहब से बज सके और भाभी भी बहाना बना कर घर से बाहर गई थीं।
अजय भाईसाहब बच्चों के आने से पहले ही गायब हो गए थे। मैं अपनी नज़रों में
गिर गई थी और ठगी सी महसूस कर रही थी।
राजीव सो रहे थे। मैंने दुखी होकर पत्र लिखा- राजीव, मैं ख़ुदकुशी कर रहीं
हूँ ! तुम्हारे पीछे मैंने 4-4 लोगों से चूत की आग के चलते अवैध सम्बन्ध
बनाए, तुम मुझे माफ़ कर देना। अचानक मैंने मुड़ कर देखा तो राजीव मेरे
पीछे थे और रो रहे थे, बोले- अर्चना, तुम्हारा प्यार इतना छोटा है। मुझे
तुम्हारी सेवा से नई जिंदगी मिली है और मैं एक लम्बी जिन्दगी तुम्हारे
साथ जीने की सोच रहा हूँ। तुम एक गलती पर ही हार मान गईं। आगे तो और
गलतियाँ होंगी कुछ मुझसे और कुछ तुमसे और इन संबंधों में जितना तुम्हारा
दोष है, उससे ज्यादा मेरा दोष है, मैं भी तो शादी करके पैसों के लालच मैं
तुम्हें प्यासी दुल्हन बनाकर विदेश चला गया।
राजीव ने रोते हुए कागज़ फाड़कर फेंक दिया और बोले- अब मैं तुम्हें छोड़कर
कभी नहीं जाऊँगा।
हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए, उसके बाद मुझे पता भी नहीं चला कि कब मेरे
कपड़े उतर गए और कब मेरी चूत में राजीव का लिंग घुस गया।
उस रात मुझे चुदते हुए शरीर से ज्यादा आत्मा का आनन्द महसूस हुआ, जो
राजीव के विश्वास का परिणाम था।
अगले दिन सुबह जब मैं उठी तो मुझे लगा अब हमारा रिश्ता पहले से मज़बूत हो
गया है। कुछ दिन बाद मुझे इस रात का ईनाम भी मिल गया, मेरे पाँव भारी हो
गए थे। सच कुछ पल जिन्दगी ख़त्म कर देते हैं तो कुछ पल नया जीवन दे देते
हैं।
थैंक्स राजीव, तुम्हारी महानता के लिए।
अपनी राय mastaniusha@yahoo.com पर भेजिये।
Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion |
Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews
| Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance |
India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera |
Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical
| Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting |
Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry |
HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis
| Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad |
New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी
कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स |
सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स |
vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा |
सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी
सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी
सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such
| सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi |
कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult
kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई |
एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre
ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein |
चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain |
चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी
चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा |
सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai |
payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग
कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk |
vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana
ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ |
कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का
तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ |
हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी |
हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट |
chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai
| sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai |
mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन,
यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग,
यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
aunty,stories,bhabhi,choot,chudai,nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic
stories,chudai,chudai ki,hindi stories,urdu stories,bhabi,choot,desi
stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi chudai,desi story,story
bhabhi,choot ki,chudai hindi,chudai kahani,chudai stories,bhabhi
stories,chudai story,maa chudai,desi bhabhi,desi chudai,hindi
bhabhi,aunty ki,aunty story,choot lund,chudai kahaniyan,aunty
chudai,bahan chudai,behan chudai,bhabhi ko,hindi story chudai,sali
chudai,urdu chudai,bhabhi ke,chudai ladki,chut chudai,desi kahani,beti
chudai,bhabhi choda,bhai chudai,chachi chudai,desi choot,hindi kahani
chudai,bhabhi ka,bhabi chudai,choot chudai,didi chudai,meri
chudai,bhabhi choot,bhabhi kahani,biwi chudai,choot stories, desi
chut,mast chudai,pehli chudai,bahen chudai,bhabhi boobs,bhabhi
chut,bhabhi ke sath,desi ladki,hindi aunty,ma chudai,mummy
chudai,nangi bhabhi,teacher chudai, bhabhi ne,bur chudai,choot
kahani,desi bhabi,desi randi,lund chudai,lund stories, bhabhi
bra,bhabhi doodh,choot story,chut stories,desi gaand,land choot,meri
choot,nangi desi,randi chudai,bhabhi chudai stories,desi mast,hindi
choot,mast stories,meri bhabhi,nangi chudai,suhagraat chudai,behan
choot,kutte chudai,mast bhabhi,nangi aunty,nangi choot,papa
chudai,desi phudi,gaand chudai,sali stories, aunty choot,bhabhi
gaand,bhabhi lund,chachi stories,chudai ka maza,mummy stories, aunty
doodh,aunty gaand,bhabhi ke saath,choda stories,choot urdu,choti
stories,desi aurat,desi doodh,desi maa,phudi stories,desi mami,doodh
stories,garam bhabhi,garam chudai,nangi stories,pyasi bhabhi,randi
bhabhi,bhai bhabhi,desi bhai,desi lun,gaand choot,garam aunty,aunty ke
sath,bhabhi chod,desi larki,desi mummy,gaand stories,apni
stories,bhabhi maa,choti bhabhi,desi chachi,desi choda,meri
aunty,randi choot,aunty ke saath,desi biwi,desi sali,randi
stories,chod stories,desi phuddi,pyasi aunty,desi
chod,choti,randi,bahan,indiansexstories,kahani,mujhe,chachi,garam,desipapa,doodhwali,jawani,ladki,pehli,suhagraat,choda,nangi,behan,doodh,gaand,suhaag
raat, aurat,chudi, phudi,larki,pyasi,bahen,saali,chodai,chodo,ke
saath,nangi ladki,behen,desipapa stories,phuddi,desifantasy,teacher
aunty,mami stories,mast aunty,choots,choti choot, garam choot,mari
choot,pakistani choot,pyasi choot,mast choot,saali stories,choot ka
maza,garam stories,,हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा
बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की
कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और
मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर
दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories
,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी
बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी ,kamuk
kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी ,घुसेड दिया
,raj-sharma-stories.blogspot.com ,कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है
,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला
,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास
बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग
,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स
,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ
मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन
,kamuk-kahaniyan.blogspot.com ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल
,कहानियाँ हिन्दी ,चूत ,जीजू ,kamuk kahaniyan ,स्कूल में मस्ती ,रसीले
होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो
,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी
,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे
लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों
के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி
,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा
,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी
,چوت ,
No comments:
Post a Comment