हिंदी सेक्सी कहानियाँ
सेक्सी मेघा
प्रेषक : संजय
हेलो दोस्तो, पिछले कुछ दिनों से मैं हिंदी सेक्सी कहानियाँ की कहानियाँ
रोज़ पढ़ने लगा हूँ।
इन कहानियों को पढ़कर मैंने सोचा मुझे भी अपना अनुभव आपको बताना चाहिए।
मैं पहली बार कोई कहानी लिखने जा रहा हूँ। अगर कोई गलती हो तो मुझे माफ़ करना।
मेरा नाम है संजय, उम्र 21 साल। मैं वैसे तो राजस्थान का रहने वाला हूँ।
लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मैंने अपने 4 साल नागपुर में बिताये।
अपनी इंजीनियरिंग ख़त्म करने के बाद मुझे हॉस्टल छोड़ना पड़ा लेकिन मुझे
कुछ दिन नागपुर में ही रहना था तो मुझे अपने चचेरे भैया के यहाँ रहना
पड़ा। वहाँ सिर्फ भैया, भाभी और उनका दो साल का बेटा ये तीन लोग ही रहते
थे। अभी मुझे 2-3 दिन ही हुए थे कि भैया की साली आने वाली थी और भैया कोई
काम की वजह से स्टेशन नहीं जा पा रहे थे तो उन्होंने मुझे स्टेशन जा कर
मेघा (भैया की साली) को लाने के लिए कहा।
मैंने मेघा को पहले कभी नहीं देखा था तो भैया ने मुझे उसका मोबाइल नंबर
दे दिया। साथ ही मेघा को भी फ़ोन कर दिया कि मैं उसे लेने आने वाला हूँ।
खैर मैं स्टेशन पहुँचा, कुछ ही देर में ट्रेन आई, मेघा ने मुझे मोबाइल पर
कोच नंबर दिया। मैं वह पहुँचा।
जब मैंने मेघा को देखा तो देखता ही रह गया। वो बहुत ही सुन्दर लड़की थी,
उसकी उम्र होगी करीब बीस साल, कद लगभग साढ़े पाँच फ़ीट, लम्बे बाल, तीखी
आँखें, गुलाबी होंठ, और उसके चूचों का तो कहना ही क्या, तराशे हुए थे, 36
के होंगे। पतली सी कमर देख कर तो मैं हैरान रह गया। वो क्या मस्त दिख रही
थी, किसी हिंदी पिक्चर की हिरोइन लग रही थी।
उसने पीला टीशर्ट और नीली जींस पहन रखी थी। टीशर्ट से उसके उभारों के बीच
की गली दिख रही थी। उसको देख कर किसी का भी दिल डोल जाये। मैं बस उसकी
ख़ूबसूरती में खोया था कि वो मेरे पास आई और हेलो कहा।
मैं एकदम से होश में आया और उसको जवाब दिया। फिर मैंने उसका बैग उठाया और
हम दोनों गेट की तरफ चल पड़े। वो आगे आगे जा रही थी, मैं पीछे पीछे उसके
चूतड़ों को देखते हुए चल रहा था। क्या सेक्सी लग रही थी वो।
हम घर आये, वो अपनी दीदी यानि मेरी भाभी से मिलकर बहुत खुश हुई। मैं अपने
काम से बाहर चला गया। फिर मैं रात को ही लौटा। रात में सब खाना खाने बैठे
थे तो मेरी उससे थोड़ी बहुत बात हुई। उसने इन्टीरीयर डिजाईन का कोर्स किया
था और वो जॉब के सिलसिले में नागपुर आई थी।
फिर सभी सोने चले गए।
अगले दिन भी हमारी थोड़ी बहुत बात-चीत ही हुई। मैं तो बस उससे बात करने का
मौका ही देखते रहता था। मैं जब भी बात करता था तब मेरी नज़र उसके वक्ष पर
ही रहती थी। शायद वो भी इस बात को समझ चुकी थी। धीरे धीरे हम दोनों में
काफी अच्छी दोस्ती हो गई। मैं उसे पसंद करने लगा था पर उसको बताने से
डरता था। हम दोनों कभी कभी साथ में घूमने भी जाया करने लगे थे। लेकिन कभी
भी हिम्मत नहीं हुई कि उसको कुछ दिल की बात बोलूँ।
मैं रातों में उसके नाम की मुठ मरने लगा था। फिर भी मुझे शांति नहीं
मिलती थी। शायद उसकी भी यही हालत थी। हम दोनों ही एक दूसरे से कहने में
डरते थे।
फिर एक दिन मुझे कहीं काम से बाहर जाना था, तो उसने मुझे एक जगह छोड़ने को
कहा तो मैंने उसको हाँ कर दिया। वो बाइक के पीछे बैठी, वो दोनों पैर एक
तरफ करके बैठी लेकिन मैंने उसे लड़कों के जैसे बैठने के लिए कहा। वो मान
गई।
फिर हम दोनों चल दिए। उसके और मेरे बीच में थोड़ी दूरी थी। मेरे शैतानी
दिमाग ने कुछ करने की सोची। मैं जानबूझ कर गड्ढों में से बाइक चलाने लगा।
जिससे वो मेरे से सट कर बैठ गई। उसका जिस्म मेरी पीठ से लगा हुआ था। मुझे
बहुत ही मजा आ रहा था। उसके स्तन मेरी पीठ पर रगड़ खा रहे थे। मुझे बहुत
ही मजा आ रहा था। शायद वो भी मजे ले रही थी।
फिर रास्ते में मैंने जोर से ब्रेक लगाया, वो झटके से मेरी पीठ पर चिपक
गई। मेरा लण्ड पैंट फ़ाड़ कर बाहर आने को आतुर हो रहा था। फिर मैंने उसको
छोड़ दिया और अपने काम से निकल गया। जाते हुए उसको बोल दिया- मैं तुम्हें
वापिसी में ले लूँगा।
हम फिर रोज़ ऐसे ही आना-जाना करने लगे थे। हम रोज़ बाइक पर एक दूसरे के
जिस्मों के साथ खिलवाड़ करने लगे थे।
एक दिन हम वापस आ रहे थे, रात के लगभग 8 बज चुके थे, अचानक बारिश आने लगी
थी तो हम दोनों काफी भीग गए थे लेकिन बारिश बहुत तेज़ हो चुकी थी। मेरा
बाइक चलाना नामुमकिन सा हो गया था तो मैंने बाइक एक तरफ खड़ी कर दी और एक
पेड़ के नीचे खड़े हो गए।
वो भीग कर और भी सेक्सी हो गई थी, उसके कपड़े शरीर से चिपक कर उसको और भी
सेक्सी बना रहे थे। उसकी ब्रा साफ़ नज़र आने लगी थी, उसके निप्पल भी साफ़
दिख रहे थे।
वो ठण्ड से कांप रही थी, मेरे से रहा न गया, मैंने उसको गले लगा लिया। वो
भी मुझे कस कर पकड़ कर खड़ी रही। मैं तो यही चाहता था, हम दोनों एक दूसरे
के जिस्मों को गरमी प्रदान कर रहे थे। मेरा दिल जोर से धड़क रहा था, वो
मेरे सीने से लिपटी हुई थी। उसके चूचे मेरे सीने से रगड़ खा रहे थे, उसका
दिल भी जोर से धड़क रहा था, वो मेरी आँखों में देखने लगी। पता नहीं कब
हमारे होंठ मिल गए, हम एक दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे।
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल
दी और अंदर फिराने लगा। फिर उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, मैं
उसकी जीभ को अपने होंठों से चूसने लगा। मुझे लगा वक़्त यहीं रुक जाये और
हम दोनों ऐसे ही चूमते रहे एक दूसरे को। कभी वो मेरे होंठ चूसती कभी मैं
उसके।
फिर अचानक ही मेरे हाथ उसके वक्ष पर चले गए। उसके शरीर में जैसे बिजली सी
दौड़ गई, वो सिहर उठी। उसने झटके से मेरा हाथ हटा दिया और कान में बोली-
यहाँ नहीं, यहाँ कोई देख लेगा।मैंने कहा- ठीक है।
वैसे वहाँ कोई नहीं था। फिर भी मैंने सुरक्षा के लिए आगे बढ़ना ठीक नहीं
समझा। फिर कुछ देर चूमने के बाद मैंने उसकी आँखों में देखा और उसको "आई
लव यू " बोला, वो शरमा कर नीचे देखने लगी और फिर उसने भी हिम्मत कर के
'आई लव यू टू बोला'। बारिश रुक चुकी थी। हम बाइक से घर की ओर निकल पड़े।
घर में भैया भाभी को टेंशन हो रही थी। हमें देख कर वो खुश हुए। मैंने
कपड़े बदले, हाथ मुँह धोकर खाना खाने बैठे।
वो भी तब तक आ चुकी थी, वो डायनिंग टेबल पर ठीक मेरे सामने बैठी थी। हम
दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्करा रहे थे। मुझे शरारत सूझी। मैं अपने पैर
से उसके पैर छूने लगा। उसको भी मजा आने लगा।
फिर मैं अपने पैरों को धीरे धीरे ऊपर करने लगा, उसके पजामे के ऊपर से ही
मैंने अपने पैरों से उसके घुटने सहलाने लगा। उसको मजा आने लगा। वो बीच
बीच में अपनी आँख बंद कर रही थी। लेकिन किसी को पता न चले इसलिए वो जल्दी
से अपना खाना ख़त्म करके उठ गई। मैं तो बस वासना की आग में जल रहा था।
फिर भैया-भाभी अपने सोने के लिए अपने कमरे में चले गए। मैं हाल में सोता
था और वो भैया के कमरे के बगल वाले कमरे में।
वो भी अपने कमरे में चली गई। पर हम दोनों की आँखों में नींद कहाँ थी, हम
तो वासना की आग में जल रहे थे।
मैं सोने की कोशिश करने लगा लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी।
अचानक रात में उसके कमरे का दरवाजा खुला, वो पानी पीने के लिए रसोई में
गई।मुझसे रहा न गया। मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया। उसको पता ही नहीं
चला।
मैंने पीछे से जाकर उसको कस कर पकड़ लिया। वो चिल्लाती, उससे पहले मैंने
अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा।
वो अचानक हुए इस हमले के लिए तैयार नहीं थी और छूटने की कोशिश करने लगी,
लेकिन मेरी पकड़ मजबूत थी। मैंने चूमते हुए उसकी कमर कस कर अपने से सटा
दी। अब उसकी सांसें भी तेज़ हो चुकी थी, वो भी मेरा साथ देने लगी, हम
दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूसने लगे।
फिर अचानक मेरा हाथ उसके उरोजों पर चला गया, मैं उनको दबाने लगा, वो
सिसकारियाँ लेने लगी। उसके निप्पल कठोर हो गए थे। फिर मैं उसके होंठों को
छोड़ उसके गालों, गले, कान पर चूमने लगा।
वो बहुत ही गरम हो गई थी, उसके मुँह से धीमी धीमी सिसकारियाँ निकल रही
थी। मैं नाइटी के ऊपर से उसके चूचे जोर जोर से मसलने लगा।
मेरे पजामे का तम्बू बन गया था। मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और सहलाने लगा।
वो बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी। और थोड़ी जोर से सिसकारियाँ भरने लगी।
मैंने उसको गोद में उठाया और उसके बेडरूम में ले गया। उसको बिस्तर पर पटक
कर मैं भी उस पर कूद गया और पागलों की तरह उसके बदन को चूमने-चाटने लगा।
फिर मैंने उसकी नाइटी उतार फेंकी।
तब वो सिर्फ काली ब्रा-पैन्टी में थी। मेरा तो लंड उछाले ले रहा था। मैं
उस पर लेट गया और उसके होंटों को चूसने लगा। वो भी पागलों की तरह मेरी
जीभ चूस रही थी। फिर मैंने उसकी ब्रा उतार फेंकी। उसके कबूतर देख कर मैं
और भी पागल हो गया।
मैं उसके स्तन चूसने लगा। उसके स्तन मेरे हाथों से फिसले जा रहे थे, इतने
कोमल चूचे थे उसके।
फिर मैं उसके निप्पल पर जीभ फेरने लगा, चूसने का जो आनंद मुझे मिल रहा
था, वो शायद जिंदगी में कभी नहीं मिला था। उसकी आँखें बंद थी और वो भी इस
असीम आनन्द के मजे लूट रही थी। उसकी सिसकारियाँ मुझे और पागल कर रही थी
और कभी कभी मैं उसके निप्पल चबा देता तो उससे उसके शरीर में सिहरन दौड़
जाती थी।
वो बोली- थोड़ा धीरे करो न, मैं अब तुम्हारी हूँ। जो करना है करो, मगर
धीरे और प्यार से।
लेकिन मैं कहाँ सुनने वाला था। करीब आधे घंटे तक मैं उसके चूचों को चबा,
मसल, चूसता रहा था।
वो बोली- अब रहा नहीं जा रहा, प्लीज़ मेरी चूत को लंड से भर दो।
उसके मुँह से इन शब्दों को सुन कर मैं और भी उत्तेजित हो गया। फिर मैं
धीरे धीरे उसके पेट को चूमते हुए उसकी नाभि तक पहुँचा। उसकी गोल और गहरी
नाभि में मैंने अपनी जीभ घुसा दी तो वो और जोर से सिसकारने लगी।
वो मछली की तरह छटपटा रही थी- आ आह ऊ उई ईई ईई म्म म्म म्मह की आवाजों से
कमरा गूंज रहा था।
उसका पेट ठीक मर्डर मूवी के गर्म सीन में मल्लिका शेरावत की तरह कांप रहा
था। वो तड़प रही थी। उसकी नाभि का रसपान कर मैं नीचे की ओर बढ़ने लगा, वो
अपनी जांघें बंद करने लगी।
मैं उसकी जाँघों पर चूमते हुए उसकी पैंटी पर पहुँचा। वो पूरी तरह से गीली
हो चुकी थी। उसकी चूत रह रह कर पानी छोड़े जा रही थी। मैंने धीरे से उसकी
पेंटी निकल कर अलग कर दी और खुद भी नंगा हो गया। अब हम दोनों पूरे नंगे
थे। मैंने उसकी चूत पर जीभ लगा दी। वो तड़प उठी। वो इतना जोर से चिल्लाई
कि मुझे लगा भैया भाभी उठ जायेंगे। वो आआ आअह उई ईई ईईइ आआ करने लगी।
मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत की फ़ांकों को अलग किया और अपनी जीभ से
चूसने लगा। उसकी अंगुलियाँ मेरे बालों में फ़िरने लगी और अपनी चूत उठा-उठा
कर मुझसे चुसवाने लगी। मैं उसकी चूत का एक एक कोना अपनी जीभ से चाटने
लगा। वो रह रह कर पागलों की तरह सिसकारियाँ भर रही थी। अचानक ही मेरी जीभ
उसकी चूत के दाने से मिल गई। मैं उसको चूसने लगा, चबाने लगा।
वो बहुत जोर जोर से आआ अह आ आह करने लगी, उसकी चूत सिकुड़ने लगी। वो
बिस्तर पर इधर उधर होने लगी और उसका शरीर अकड़ने लगा, वो झटके खाने लगी
और आहें भरते हुए झड़ने लगी। उसकी चूत से रस निकलने लगा, मैंने सारा रस
चाट लिया। लगभग 30-40 सेकंड तक वो कांपते हुए झड़ती रही फिर निढाल होकर
बिस्तर पर पड़ी रही।
ऐसा लग रहा था कि उसके शरीर में जान ही न हो। मैं उठ कर उसके पास आया।
उसने मुझे अपनी छाती से लगाते हुए कहा- तुमने आज मुझे इतना आनन्द दिया कि
मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूल सकती, अब मैं तुम्हारी हो चुकी हूँ।
इतना कहते हुए परस्पर ही हमारे होंठ मिल गए और हम एक गहरे चुम्बन में
लिप्त हो गए। चूँकि मेरा लंड अभी भी खड़ा था, उसके हाथ अचानक मेरे लंड पर
पड़ गए, वो मेरा लंड सहलाने लगी।
मेरा लंड उसके हाथ लगने से उछाले मारने लगा, मुझे लगा कि मेरा लंड फट जायेगा।
चुम्बन के बाद मैंने उससे कहा- मेघा, प्लीज़ मेरा लंड चूसो न। यह कहानी
आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।
उसने ख़ुशी से कहा- क्यों नहीं।
मैं खड़ा हुआ। वो घुटनों के बल बैठ गई और मेरे लंड पर अपनी जीभ फेरने
लगी। फिर उसने मेरा लंड लॉलीपोप की तरह मुँह में भर लिया और जोर जोर से
चूसने लगी।
अब सिसकारियाँ मेरी निकल रही थी, मैंने उसका सिर पकड़ रखा था, 5 मिनट
चूसने के बाद मुझे लगा कि मेरा छुटने वाला है, मेरी पकड़ उसके सिर पर
मजबूत हो गई। मैं आगे-पीछे होने लगा। मेरा लण्ड उसके गले तक जा रहा था।
फिर अचानक ही मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं छुट गया। मेरा लंड वीर्य की
पिचकारी मारने लगा। मैं झटके खाने लगा और ठंडा पड़ गया और बिस्तर पर लेट
गया।
वो भी मेरे बगल में लेट गई। कुछ देर बाद हम दोनों फिर से एक दूसरे के
शरीर से खेलने लगे। वो फिर से गर्म हो गई, सिसकारने लगी, वो बोली- अब
मुझसे रहा नहीं जा रहा। प्लीज़ मुझे चोद दो अब।
मैंने तकिया उसके कूल्हों के नीचे रखा और अपना लंड चूत में डालने के लिए
बढ़ गया। मैंने अपना लंड हाथ में लिया और उसकी चूत पर फिराने लगा। वो तड़प
रही थी। वो अपनी जांघें ऊपर नीचे कर रही थी।
वो बोली- प्लीज़ मुझे मत तड़पाओ, डाल दो न अब।
"मैं भी जोश में था, मैंने झटके से लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो दर्द
से चीख उठी, उसकी झिल्ली फट गई और उसकी चूत से खून बहने लगा।
मैं कुछ देर ऐसे ही थमा रहा। उसकी आँखों से आँसू निकल आये, मैंने उसके
आँसू पी लिए और अपने होंठ उसके होंठों से मिला दिए। उसका दर्द कुछ कम हुआ
तो मैं धीरे धीरे ऊपर-नीचे होने लगा। उसको अभी भी दर्द हो रहा था लेकिन
दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा था। दोस्तो, जब सेक्स के दौरान लड़की को मज़ा और
दर्द दोनों आएँ तो उसके चेहरा बहुत सेक्सी लगता है। मैंने अपनी स्पीड
थोड़ी बढ़ा दी।
अब उसका दर्द जाता रहा और वो भी मेरा साथ देने लगी। वो अपनी गांड उठा उठा
कर मेरा साथ देने लगी। साथ ही वो सेक्सी आवाजें भी निकाल रही थी- आअह
हिस्स हम्म आह हाहा कर रही थी।
मेरा लंड बड़ी तेज़ी के साथ उसकी चूत को चोदे जा रहा था। अचानक उसकी चूत
में मेरे लंड पर दबाव बना लिया और उसकी सिसकारियाँ चीखों में बदल गई- और
जोर से ! और जोर से ! फाड़ दो मेरी चूत को। आ अह। उई ईइ मा आ आ अह मैं झड़
रही हूँ ! मैं आ रही हूँ।
वो सीत्कार भरते हुए मुझसे लिपट गई और निढाल होकर पस्त हो गई। मैं अभी भी
उसको जोर जोर से चोद रहा था। मेरे सीने से उसके स्तन पिसे जा रहे थे।
मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ।
वो फिर से झड़ने को तैयार हो गई। अब मेरा अपने पर कोई कण्ट्रोल नहीं था।
मैं उसके होंठों को चबाने लगा। फिर अचानक ही हम दोनों एक साथ झड़ गए, वो
मेरे से लिपटी हुई, सीत्कार भरते हुए झड़ी जा रही थी तो इधर मैं भी उसकी
चूत में पिचकारियाँ छोड़े जा रहा था। और आखिर में हम दोनों पस्त हो गए।
मेरा वीर्य और उसका रस उसकी चूत में समां नहीं पा रहा था, वो उसकी चूत से
होता हुआ बिस्तर पर टप टप गिरने लगा।
मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में था। हम दोनों हांफने लगे। मैं उसकी छाती पर
ही सो गया। हमें चुदाई करते लगभग दो घंटे हो गए थे। मुझे पता नहीं कब
नींद लगी। थोड़ी देर बाद हम उठे।
4 बज चुके थे। बिस्तर पर हमारे प्यार के रस के निशान थे। फिर हमने कपड़े
पहने, उसने बिस्तर की चादर बदली, मैंने उसे चूमा और बाहर आकर अपने कमरे
में सो गया।
फिर तो हम रोज़ ही चुदाई करने लगे थे।
दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी। यह बिल्कुल सच्ची कहानी है। अपनी राय दीजिएगा।
No comments:
Post a Comment