Friday, January 28, 2022

घरेलू चुदाई समारोह -4

FUN-MAZA-MASTI


घरेलू चुदाई समारोह -4



“तुम मेरे मुँह में झड़ सकते हो, मेरे राजा बेटे…” उसने अपनी जीभ को लण्ड के द्वार पर लगाए रखा।
“क्या तुम सच कह रही हो मम्मी…” सजल अब रुक नहीं पा रहा था। उसने पूरा दम लगाकर अपनी मम्मी के विशाल मम्मों को खींचा।
“मुझे इस समय दुनिया में और कुछ नहीं चाहिये…”
“तो फ़िर लो… यह मेरा पहली बार है किसी औरत के मुँह में झड़ने की…”
“आ जाओ बेटे, तुम्हारी मम्मी का मुँह तुम्हारे रस को पीने के लिये बेचैन और प्यासा है…”
सजल यही सुनना चाहता था। उसने कोमल के मम्मों को और जोर से भींच डाला। कोमल की चीख निकल गयी। पर अगले ही पल उसको अपनी जीभ पर अमृत की पहली बूंद का स्वाद महसूस हुआ।
“पियो मम्मी…” कहते हुये सजल ने जो पिचकारी मारनी शुरू की तो कोमल का पूरा मुँह वीर्य से भर गया।
यह सोचकर कि कोई बूंद बाहर न गिर जाये कोमल ने वापस अपना मुँह सजल के तने लण्ड पर कस दिया। इस प्रक्रिया में कोमल को लगा कि कुछ हो रहा है जो उसकी समझ के बाहर है… पर क्या… फ़िर उसने जाना कि वो भी तेज़ी के साथ झड़ रही थी, बिना चुदे, बिना अपनी चूत को छुए… और ऐसे बह रही थी कि बस…
“चोद मेरे मुँह को, मेरे लाल… मैं भी झड़ रही हूँ…” जब वासना का ज्वर समाप्त हुआ तो कोमल ने अपने बेटे को अपनी बाहों में भर लिया और सिसकने लगी।
“मम्मी, क्या तुम ठीक हो…”
मम्मी ने अपने बेटे का एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया- “मैं इससे ज्यादा संतुष्ट कभी नहीं हुई, मेरे लाल…”
सजल ने उसकी एक चूची को कचोट कर पूछा- “मम्मी क्या तुम समझती हो कि जो हुआ वो सही था…”
“अब वापस जाने के लिये बहुत देर हो चुकी है… और मैं सोचती हूँ कि जो हुआ अच्छा हुआ। तुम क्या सोचते हो…”
“मुझे इस बारे में कुछ अजीब सा लग रहा है… पर था बहुत अच्छा… बहुत… पर मैं अब पापा से मिलने में थोड़ा परेशान होऊँगा…”
कोमल की मुश्कुराहट गायब हो गई- “हाँ ये दिक्कत रहेगी… पर हम उन्हें बता नहीं सकते। हमें ध्यान देना होगा कि हमारे आचरण से उन्हें कोई शक न हो…”
जब सजल ने हामी भरी तो कोमल बोली- “हमारे पास पूरी रात पड़ी है, प्यारे… और अभी तक मैनें तुम्हारा यह मूसल जैसा लौड़ा अपनी चूत में महसूस नहीं किया है…”
“यहाँ… टब में…” सजल ने पूछा।
“नहीं पागल, मैं चाहती हूँ कि जब तुम मुझे चोदो तो खूब जगह हो जिससे कि मैं जितना घूमना चाहूं, घूम सकूं। मैं जानती हूँ कि जब तुम्हारा यह बल्लम मेरी चूत में घुसेगा तो मैं पागल हो जाऊँगी और तड़प-तड़पकर घूम-घूमकर चुदवाऊँगी… चलो बिस्तर पर चलो…”
उस चुदासी नंगी माँ ने अपने नंगे जवान बेटे का हाथ पकड़ा और सीधे बिस्तर की ओर बढ़ चली। उसने अपने शरीर को सुखाने के बारे में सोचा तक नहीं। बिस्तर पर जाकर पीठ के बल जा लेटी और अपनी टांगें चौड़ी करके बाहें फैलाकर बोली- “आ मेरे बच्चे, अब मुझे चोद…”
“तुमने मुझे चूसा था मम्मी, क्या मैं भी…” सजल ने कोमल की झाँटों में से झलकती, गुलाबी चूत को देखते हुए पूछा। उसने कभी चूत नहीं चाटी थी और वो भी अपनी मम्मी को अपने प्यार की गहराई दिखाना चाहता था।
“हाँ, मेरे प्यारे… तेरा लाख-लाख शुक्र यह सोचने के लिये…” कोमल हाँफ़ती हुई बोली और अपनी चूत की पंखुड़ियों को फ़ैलाने लगी। अंदर का हसीन नज़ारा दिखाते हुए बोली- “अपनी जीभ को यहाँ डाल मेरे लाड़ले…”
जब सजल ने अपना मुँह उसके नज़दीक किया तो चूत की तीखी गंध उसके नथुनों में आ समाई। कोमल ने अपनी चूत की मांस-पेशियों की फैलाया-सिकोड़ा जिससे कि गंध और बढ़ी। पर सजल रुका नहीं। उसने अपने यार-दोस्तों से सुना था कि चूत चाटना बेहद ही वाहियात काम है। पर उसके मन में अपनी मम्मी की फुदकती हुई चूत के लिये ऐसी कोई भावना नहीं थी। जब सजल की जीभ ने चूत की पंखुड़ियों को छुआ तो कोमल की तो जान ही निकल गई। उसने अपना सिर उठाया जिससे कि वह अपनी चुसाई देख सके।
“मेरे प्यारे बच्चे…” वो कुलबुलाई- “अपनी जीभ मेरी चूत में जहाँ तक डाल सकते हो डाल दो… हाँ तुम बहुत अच्छा कर रहे हो…” अगर वो इस रास्ते पर चल ही पड़े थे तो पूरा ही आनंद लिया जाये, उसने सोचा। उस भूखे लड़के को चूत की महक से नशा सा हो चला था। उसे आश्चर्य था कि वह चूत उसकी जीभ पर इतनी तंग क्यों लग रही थी। उसने अपने लण्ड को एक हाथ से पकड़कर रगड़ना शुरू कर दिया।
“चूसो जोर से…” जब सजल ने कोमल की चूत की क्लिट को चबाया तो वह बिल्कुल बेकाबू हो उठी।

सजल को अनुभव तो कम था पर इच्छा तीव्र थी। इसलिये वो एक बेहतरीन काम को अंजाम दे रहा था। उसने तो बस यूं ही चबाया था, क्या पता था कि उसकी मम्मी को इतना अच्छा लगेगा।
कोमल को अपनी चूत से हल्का सा बहाव महसूस हुआ। पर कुछ ही क्षण में वो एक ज्वालामुखी की तरह फ़ट पड़ी। ऐसा पानी छूटा कि बस- “अरे बेटा, मैं झड़ी… झड़ी रे माँआँ मेरी… चूस ले मुझे पी जा मेरा पानी… मेरे लाल… मेरे हरामी बेटे… आआआहह्हह्हह… हाआआआ… आआआआ…”
सजल का चेहरा तो जैसे ज्वालामुखी में समाया हुआ था। कोमल ने अपनी जांघों में उसे ऐसे कसा हुआ था कि उसकी सांस रुकी जा रही थी। पर वो कुछ नहीं कर सकता था। हाँ वो उस स्वादिष्ट पेय को जी भरकर पी सकता था, सो वही कर रहा था।
“तेरे मुँह में तो स्वर्ग है बेटा…” जब कोमल झड़कर निपटी तो बोली।
सजल ने भी चैन की सांस ली जब कोमल की जांघों ने अपनी पकड ढीली की। कोमल कुछ देर के लिये तो संतुष्ट हो गई थी पर कितनी देर के लिये…
“पेल दे अब यह लौड़ा मेरे अंदर, मेरे लाल…” कोमल फुसफुसाकर सजल से बोली।
सजल को तो कुछ करना ही नहीं पड़ा क्योंकी कोमल ने उसे अपने ऊपर खींचा और अपने हाथ से उसका लण्ड अपनी चूत के अंदर डालना शुरू कर दिया।
“मम्मी, यह अंदर जा रहा है…” सजल ने अपने मोटे लण्ड के सुपाड़े को कोमल की गीली चूत में विलीन होते देखकर कहा।
“क्या मेरी चूत तंग है…” कोमल ने पूछा- “क्या तुम्हारे लौड़े के लिये मेरी चूत टाइट है…”
“इतनी टाइट कि दर्द हो रहा है…” सजल ने अपनी मम्मी की चूत में अपने लण्ड को और गहराई तक उतारते हुए कहा। उसका लण्ड चूत में जा रहा था या किसी भट्ठी में…
“शायद इसलिये कि तुम्हारा लण्ड ही इतना बड़ा है। मेरी तो चूत जैसे फ़टी जा रही है…”
“क्या मैं रुक जाऊँ…” सजल ने चिंता से पूछा।
“ऐसा कभी न करना। चोदते समय मेरे साथ कभी सद्व्यव्हार मत करना। मुझे यह मोटा लौड़ा अपनी चूत की पूरी गहराई में चाहिये… पूरा जड़ तक… तुझे मैं सिखाऊँगी कि मुझे कैसी चुदाई पसंद है… मुझे जोरदार और निर्मम चुदाई पसंद है… कोई दया नहीं… वहशी चुदाई… अब रुको मत और एक ही बार में बाकी का लण्ड घुसेड़ दो मेरी चूत में…”
यह सुनकर सजल ने एक जोरदार शाट मारा और पूरा का पूरा मूसल अपनी मम्मी की चूत में पेलम-पेलकर दिया। पर कोमल के लिये यह भी पूरा न पड़ा।
“और अंदर…” वो चीखी।

फिर तो उस जवान लड़के ने आव देखा न ताव और अपने लण्ड से जबरदस्त पेलाई शुरू कर दी। गहरे, लम्बे धक्कों की ऐसी झड़ी लगाई कि कोमल के मुँह से चूं तक न निकल पाई। कोमल जब झड़ी तो उसे लगा कि वो शायद मर चुकी है। उसका अपने शरीर पर कोई जोर नहीं है। उसकी चमड़ी जैसे जल रही है। उसकी चूचियों में जैसे पिन घुसी हुई हों। उसकी चूत की तो हालत ही खस्ता थी। सजल के मोटे लौड़े की भीषण पेलाई ने जैसे उसे चीर दिया था। उसके बाद भी वो मादरचोद लड़का पिला हुआ था उसकी चूत की असीमतम गहराइयों को चूमने के लिये।
उसने अपने होश सम्भालते हुए गुहार की- “दे मुझे यह लौड़ा, पेल दे, पेल दे, पेल दे… भर दे मेरी चूत, भर दे… भर दे इसे अपने लौड़े के पानी से…”
सजल अब और न ठहर सका। और भरभरा कर अपनी मम्मी की चूत में झड़ गया। कोमल अपनी चूत को उसके लण्ड पर रगड़ती जा रही थी।
जब दोनों शांत हुए तो कोमल उसे चूमते हुए बोली- “मेरे शानदार चुदक्कड़ बेटे, काश हम लोग भाग सकते होते तो हम कहीं ऐसी जगह चले जाते जहाँ हम जितनी चाहते, चुदाई कर सकते…”

“तुमने अपना पर्स और सेल फोन रख लिये हैं न…” घर से बाहर निकलते हुए सजल से कोमल ने पूछा। सजल गर्मी की छुट्टियों में घर आया हुआ था। अभी वह अपने दोस्त से मिलने बाहर जा रहा था।
“चिंता मत करो मम्मी… मैं बच्चा थोड़ा ही हूँ…” सजल ने जवाब दिया।

“मेरा ख्याल है मैं तुम्हारा कुछ ज्यादा ही दुलार करती हूँ…” कोमल ने सजल को गले लगाते हुए कहा- “मुझे खुशी है कि तुम छुट्टियों में घर आ गये। मुझे तो लगा जैसे पिछले दो हफ्ते कटेंगे ही नहीं। मुझे यह भी खुशी है कि तुम अब यहीं रहकर इसी शहर में पढ़ोगे…” कोमल ने अपना शरीर सजल के शरीर से कस के सटा दिया। सजल के बड़े लण्ड का उभार कोमल की चूत पे चुभने लगा।

“मेरा ख्याल है कि मुझे अभी अपने दोस्त से मिलने नहीं जाना चाहिए…” सजल बोला जब उसे अपना लण्ड सख्त होता महसूस हुआ। कोमल के ब्लाउज़ के ऊपर के बटन खुले हुए थे और उसकी की चूचियों का नज़ारा सजल के टट्टों में खलबली मचाने लगा था।

“हुम्म्म… अब मुझे उकसाओ नहीं… फिर तुमने अपने दोस्त से मिलने का वादा भी तो किया है… चुदाई के लिये तो अब सारी गर्मियां हैं और अब तो तुम यहीं रहकर पढ़ोगे…” कोमल ने पीछे हटकर सजल को समझाया- “और इससे पहले कि मैं तुम्हें बिस्तर पे खींच लूँ… तुम चले जाओ…” कोमल ने हँसते हुए कामुक अदा से कहा।


सजल के जाने के बाद कोमल ने पिछले दो हफ्तों पर ध्यान दिया। इन दिनों में इतना कुछ हुआ था। उसने प्रेम, एक अजनबी से पहली बार अपनी गाण्ड मरवाई थी। और जिस दिन उसने सजल के साथ अपने नए रिश्ते की शुरूआत की थी, उस रात की बेरोक घनघोर चुदाई आज भी उसे याद थी। उसने सुनील को अब सजल को यहाँ लाने के लिये मना लिया था।

इसके लिये जो परिश्रम उसने किया था उससे उसकी चूत में अब दर्द सा होने लगा था। यही सब सोचते हुए वो नहाने के लिये चली गई। नहाने के बाद कोमल बाथरूम से बाहर आयी और खुद भी बाहर जाने के लिए तैयार होने लगी। हालांकि नहाने के बाद उसके बदन को ठंडक मिलनी चाहिए थी पर कम से कम उसके बदन के अंदर इसका उल्टा ही असर हुआ। उसके निप्पल और क्लिट पानी कि फुहार से उत्तेजित हो गये थे और उसकी चूत भी अंदर से जलने लगी थी।

कोमल को उत्तेजना अच्छी लग रही थी और उसने गर्मी में बाहर जाने का प्रोग्राम रद्द किया और अपनी साड़ी उतार फेंकी और फ्रिज़ में से एक ठंडी बीयर निकालकर सोफ़े पर बैठ गयी। कोमल ने अपने सैंडलयुक्त पैर सामने रखी मेज पर फैला दिये और बीयर पीते हुए एक हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी। कोमल बहुत उत्तेजित हो गयी थी और जल्दी ही सिसकते हुए अपनी तीन अँगुलियां चूत के अंदर-बाहर करने लगी। वोह झड़ने ही वाली थी कि उसे लगा शायद डोरबेल बजी है।

“ओह नहीं… अभी नहीं…” कोमल कराही। वो घंटी की तरफ ध्यान न देती अगर वोह घंटी फिर से दो-तीन बार न बजती। दरवाजे पर जो भी था, उसे कोसती हुई कोमल उठी और जल्दी से अपने नंगे बदन पर रेशमी हाउस-कोट पहनकर गुस्से में अपनी ऊँची एंड़ी की सैंडल खटखटाती हुई दरवाज़े की ओर बढ़ी। अगर ये कोई सेल्समैन हुआ तो आज उसकी खैर नहीं।

“कर्नल मान…” कोमल अचिम्भत होकर बोली, जब उसने दरवाज़ा खोला और सजल के कालेज के प्रिंसिपल को सामने खड़े पाया।

कुछ बोलने से पहले कर्नल मान की आँखों ने कोमल के हुलिये का निरक्षण किया और उसे कोमल के मुँह से बीयर की गंध भी आ गयी।

“मैं क्षमा चाहता हूँ कोमल जी। मैंने अचानक आकर आपको परेशान किया… मुझे आने के पहले फोन कर लेना चाहिए था पर मैं एक मीटिंग के सिलसिले में इस शहर में आया हुआ था और यहाँ पास से ही गुज़र रहा था तो… मैं… मैंने सोचा…”

कोमल इस आदमी को अपने घर आया देखकर विश्मित थी, बोली- “पर हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि हम सजल को आपके कालेज से निकालकर इसी शहर में दाखिला दिला रहे हैं, कर्नल मान। फिर आपको हमसे क्या काम हो सकता है…”

कोमल को कर्नल मान आज हमेशा की तरह निडर और दिलेर नहीं लगा। कर्नल बेचैनी से अपनी टोपी को टटोलता हुआ बोला- “मैं दो मिनट के लिए अंदर आ सकता हूँ… कोमल जी…”

“ज़रूर कर्नल… मैं क्षमा चाहती हूँ… बस आपको अचानक देखकर अचंभित हो गयी थी… प्लीज़ आइये ना… बैठिये…” कोमल ने एक तरफ हटकर सोफ़े की तरफ इशारा करते हुए कहा।

कोमल ने जब कर्नल मान को सोफे की तरफ जाते हुए और बैठते हुए देखा तो वो सोचने लगी कि अपनी वर्दी के बगैर कर्नल का बदन कैसा लगेगा। कोमल का विश्वास था कि वर्दी के नीचे कर्नल का बदन संतुलित और गठीला होने के साथ-साथ किसी भी औरत को भरपूर आनंद देने में सक्षम था। कोमल उसके लौड़े के आकार के बारे में सोचती हुई बोली- “मैं बीयर पी रही थी… आप लेंगे…”

“वैसे मैं व्हिस्की या रम ज्यादा पसंद करता हूँ पर बीयर भी चलेगी…” कर्नल झिझकते हुए बोला।

“आप चिंता न करें कर्नल… आपके लिए व्हिस्की हाज़िर है…” ये कहकर कोमल ने दो ग्लास में बर्फ और व्हिस्की डाली और आकर कर्नल के साथ वाले सोफ़े पर बैठ गयी, और पूछा- “अब कहिए… क्या बात है…”

कर्नल मान ने व्हिस्की का सिप लेते हुए कहा- “कोमल जी… मैं आमतौर से कभी भी पेरेंट्स को मेरे कालेज से अपने लड़कों को न निकालने के लिए इतना जोर नहीं देता हूँ… पर सजल की बात अलग है… सजल में एक अच्छे आर्मी आफिसर बनने के सब गुण हैं… मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे कालेज से र्टेनिंग लेकर सजल आर्मी जायन करके बहुत कामयाब…”

कोमल उसकी बात बीच में ही काटती हुई बोली- “तो इस बात के लिए आप मुझसे मिलने आये थे… कर्नल मान… आपकी बेचैनी देखकर मुझे लगा जैसे आप मुझ पे फिदा होकर आये हैं…” कोमल अपनी बात पर हल्की सी हँसी और एक टाँग आगे करके अपने सैंडल से कर्नल कि जाँघ को छुआ।

कर्नल मान का चेहरा शर्म से लाल हो गया। वोह अपना ड्रिंक पीते हुए बोला- “मैं… उम्म… आप काफी खूबसूरत हैं कोमल जी… और निस्संदेह आप पर कई लोग फिदा होंगे… पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मेरा यहाँ आने का कारण महज कालेज और सजल से संबंधित था…”

“कर्नल…” कोमल अपना ड्रिंक एक ही झटके में पीने के बाद मुश्कुराती हुई बोली- “मैं आपसे दो बातें कहना चाहती हूँ… पहली तो ये कि सजल कि वापस उस कालेज में जाने की कोई संभावना नहीं है। मुझे खुशी है कि आप सजल के लिये यहाँ तक आये और गर्व भी है कि आप सजल की योग्यता से प्रभावित हैं… लेकिन आपको इस बारे में निराश ही लौटना होगा…” सजल के बारे में स्थिति स्पष्ट करने के बाद कोमल ने दूसरा पैग अपने ग्लास में डाला और फिर कर्नल के पास खिसक कर आगे की ओर झुकी। कोमल का हाउस-कोट पहले से ही कुछ ढीला बंधा था और झुकने की वजह से उसके भारी मम्मे और भी ज्यादा बाहर को उभरने लगे।

“दूसरी बात कर्नल यह है कि मेरे ख्याल से सिर्फ सजल ही आपके यहाँ आने का कारण नहीं है। मुझे पता है कि आप मुझे किस तरह से देखते हैं और यह भी पता है कि आपकी इस बाहरी औपचारिकता के पीछे वो आदमी छुपा है जो औरों की तरह ही मेरे लिए बेकरार है…”

यह सुनकर कर्नल की हालत और भी खराब हो गयी- “मैं विश्वास दिलाता हूँ कोमल जी… जैसा मैंने बताया, उसके अलावा मेरा कोई उद्देश्य नहीं था… मेरे दिमाग में कभी ये बात नहीं आयी कि… उम्म…”

कर्नल के विरोध पर कोमल ने अपनी हँसी रोकने की कोशिश की। कोमल पर बीयर और व्हिस्की के साथ-साथ चुदाई का नशा हावी था। कोमल ने आगे बढ़कर कर्नल के कंधे पर अपना हाथ रखा और अपने घुटने उसके घुटनों पे दबा दिये- “कर्नल… मुझे इस बात से बहुत चोट पहुँचेगी कि तुम्हें कभी भी मुझे चोदने का ख्याल नहीं आया। अब तुम इस तरह मेरी भावनाओं को ठेस पहुँचाकर तो नहीं जा सकते। है न… कम से कम इतना तो कबूल करो कि तुम्हारे लिए मैं सिर्फ तुम्हारे स्टूडेंट की माँ नहीं हूँ… बल्कि इससे कुछ ज्यादा हूँ…”

“मेरा मतलब आपको नाराज़ करने से नहीं था… कोमल जी…” कोमल के मुँह से ‘चुदाई’ शब्द सुनकर कर्नल ज़ाहिर रूप से हैरान था।


इस बार कोमल की हँसी छूट गयी- “तुम कितनी औपचारिकता से बोलते हो कर्नल। कभी तुम्हारा मन नहीं करता कुछ खुलकर बोलने का। कुछ अशिष्ट बोलने का… जैसे… ’चुदाई’… मैं दावे से कह सकती हूँ कि तुमने कभी इन्हें ‘चूचियां’ नहीं बोला होगा…” कोमल ने कर्नल का हाथ अपने कोट के ऊपर से अपने मम्मों पर दबा दिया।

“कोमल जी… मैं…” कर्नल हकलाया। वो इस दबंग और बेशरम औरत का सामना नहीं कर पा रहा था।

कोमल ने उसका बड़ा सा हाथ अपने हाथ में लिया- “मैं तुम्हारे ऊपर तुम्हारे जीवन का सबसे बड़ा एहसान करने जा रही हूँ, कर्नल… मैं वो करने जा रही हूँ जो शायद किसी औरत को बरसों पहले कर देना चाहिए था। क्या तुम्हारी बीवी है… कर्नल…”

“नहीं… फौज की नौकरी में मुझे कभी शादी करने का समय नहीं मिला…” कर्नल ने बेचैनी से उत्तर दिया। वो कोमल के हाथ में अपने हाथ को देखने लगा।

“तो मेरा विचार है कि तुम्हें चुदाई का भी ज्यादा मौका नहीं मिला होगा और मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि इस बारे में कुछ किया जाये, कर्नल…” कोमल ने कहा और उस आदमी का हाथ अपनी एक बड़ी चूची पर दबा दिया और कहा- “अपनी अँगुलियों को मेरी चूचियों पर दबाओ और महसूस करो कि तुमने आज तक क्या खोया है…”

कर्नल मान का हाथ कोमल की गर्म चूची पर काँपा पर वो अपनी अँगुलियों को कोमल की भारी चूची पर कस नहीं पाया।

कोमल ने अपने हाउस-कोट का लूप खोल दिया और कर्नल का हाथ अपनी नंगी चूची पर रख दिया।- “अब तुम देख सकते हो कि मेरे पास क्या है… कर्नल, मुझे पता है तुमने कई बार अनुमान लगाया होगा कि मेरी चूचियां कैसी दिखती हैं… तो, अब ये तुम्हारे सामने हैं। कैसी लगीं…”

जब उसने कोई जवाब नहीं दिया तो कोमल ने कर्नल का दूसरा हाथ अपनी दूसरी चूची पर रख दिया। फिर जब कोमल ने अपने हाथ नीचे किये तो वो यह जानकर मुश्कुराई कि कर्नल ने अपने हाथ चूचियों से हटाये नहीं थे। “ये तुम्हारे लिये ही हैं कर्नल… तुम्हारे हाथ मेरी चूचियों पर हैं। मैं खुद को तुम्हें सौंप रही हूँ। कुछ घंटों के लिये सब नियम भूल जाओ। मेरे पति और सजल बहुत समय तक वापिस आने वाले नहीं हैं। हम दोनों घर में अकेले हैं। थोड़ी ज़िंदगी जियो कर्नल… मज़ा करो…”

“ये हुई न बात…” कोमल धीरे से कराही जब आखिर में कर्नल की मज़बूत अँगुलियों ने उसकी चूचियों को भींचा। कोमल उस आदमी को रिझाने में इतनी मशगूल हो गयी थी कि उसे अपनी गर्मी का पूरा एहसास ही नहीं था। कर्नल के स्पर्श से उसकी चूचियां कठोर हो गयी थीं और उसकी चूत से भी रस चूने लगा था।

“मुझे इसमें से आज़ाद होना है…” कोमल फुसफुसायी और फटाफट अपना हाउस-कोट उतार फेंका। सिर्फ काले रंग के ऊँची एंड़ी के सैंडल पहने कोमल अब बिल्कुल नंगी खड़ी थी।

“क्यों कर्नल…” कोमल मुश्कुरायी जब कर्नल उसकी नंगी चिकनी चूत को आँखें फाड़े देखने लगा। फिर बोली- “ठीक से देख लो कर्नल कि तुम्हें क्या मिल रहा है… ज़रा सोचो कैसा लगेगा जब मेरी गीली चूत तुम्हारे विशाल लौड़े को निचोड़ेगी… तुम्हारा लौड़ा बड़ा है।… है ना कर्नल…”

“मैं नहीं जानता कि आपके विचार में बड़ा क्या है… कोमल जी…” कर्नल ने अपना थूक निगलते हुए कहा। उसके हाथ कोमल के मम्मों पर और भी जकड़ गये और उसकी आँखें अभी भी कोमल की चिकनी चूत पर टिकी थीं।

“देखने दो मुझे… फिर बताती हूँ कि मेरे विचार में बड़ा क्या है…” कोमल मुश्कुराती हुई बोली। कर्नल के हाथ कोमल की गर्म चूचियों को भींच रहे थे और कोमल को अपने ऊपर काबू रखना कठिन हो रहा था। हाय रे… कोमल ने लंबी आह भरी जब उसके हाथों ने कर्नल के विशाल लण्ड को नंगा किया। वो उसके लण्ड को पूरा बाहर नहीं निकाल पायी थी क्योंकी उसके लिये कोमल को कर्नल की पैंट नीचे खिसकानी पड़ती, लेकिन जितना भी उसे दिख रहा था उससे कोमल को विश्वास हो गया था कि कर्नल का लण्ड किसी घोड़े के लण्ड से कम नहीं था।


“तुम कहते हो कि मैं ये मान लूँ कि तुम्हें अँदाज़ा नहीं है कि तुम्हारा लण्ड इतना विशाल और भारी है… कर्नल…” कोमल ललचायी नज़रों से उस आदमी के लण्ड के फूले हुए सुपाड़े को घूरने लगी। वो मोटा सुपाड़ा अग्रिम वीर्य-श्राव से चमक रहा था। इसमें कोई संदेह नहीं था कि कर्नल उत्तेजित था। एक बार कोमल ने सड़क के किनारे एक घोड़े की टाँगों के बीच उसका उत्तेजित लण्ड देखा था।

इस समय कोमल के जहन में वही भीमकाय भूरा-लाल लौड़ा घूम रहा था। कोमल ने कई बार अपनी चूत में उस घोड़े के लण्ड की कल्पना की थी। कोमल का मुँह अचानक सूखने लगा और कर्नल के लण्ड के चिपचिपे सुपाड़े को अपने होठों में लेने की इच्छा तीव्र हो गयी।

मेरी मदद करो कर्नल कोमल उत्तेजना में फुसफुसायी और उसने कर्नल को थोड़ा सा उठने के मजबूर किया तकि वो कर्नल कि पैंट उसकी टाँगों तक नीचे खींच सके। फिर बोली “मैं अब तुम्हारा पूरा लण्ड देखे बगैर नहीं रह सकती। तुम्हारे टट्टे भी ज़रूर विशाल होंगे…”

“गाँडू… साले…” अचंभे में कोमल के मुँह से गाली निकली जब उसने कर्नल का संपूर्ण भीमकाय लण्ड और उसके बालदर विशाल टट्टे देखे तो बोली- “किस हक से तुम इसे दुनिया की औरतों से अब तक छुपाते आये हो… तुम्हारे जैसे सौभग्यशाली मर्द का तो फर्ज़ बनता है कि जितनी हो सके उतनी औरतों को इसका आनंद प्रदान करो। क्या तुम्हें खबर है कि तुम्हारा लण्ड कितना निराला है…”

कर्नल ने अपने लण्ड पर नज़र डाली पर कुछ बोला नहीं। वो कोमल की भारी चूचियों को अपने हाथों में थामे कोमल की अगली हरकत का इंतज़ार कर रहा था। उसने स्वयं को कोमल के हवाले कर दिया था ताकि कोमल जैसे भी जो चाहे उसके साथ कर सके।

कोमल ने प्यार से उसके विशाल लण्ड के निचले हिस्से को स्पर्श किया।

“ओहहहह कोमल जी…” कर्नल सिसका जब कोमल की पतली अँगुलियों ने उसके लण्ड के साथ छेड़छाड़ की। उसके हाथ कोमल की चूचियों पर जोर से जकड़ गये।

“हाँ… ऐसे ही जोर से भींचो मेरे मम्मे… डर्लिंग…” कोमल ने फुफकार भरी जब कर्नल की मज़बूत अँगुलियों ने उसकी चूचियों को बेरहमी से मसला। फिर बोली- “मैं तुम्हारे लण्ड को चूसना चाहती हूँ कर्नल… लेकिन पहले मैं इसे निहारना चाहती हूँ। देखो मेरे हाथ में कैसे फड़क रहा है… रगों से भरपूर है ये… मैंने कभी किसी आदमी का इतना बड़ा सुपाड़ा नहीं देखा… पता नहीं मैं इसे अपने मुँह में कैसे ले पाऊँगी…”


कोमल ऐसा कह तो रही थी पर वो जानती थी कि किसी ना किसी तरह वो कर्नल का विशाल सुपाड़ा अपने मुँह में घुसेड़ ही लेगी। इस निराले लौड़े को तो उसे चूसना ही था। उसने अंदाज़ लगाने कि कोशिश की कि ये लौड़ा कितना लंबा था और उसने अनुमान लगाया कि वो लगभग ग्यारह इंच का होगा। विश्वास से कहना मुश्किल था क्योंकी लण्ड मोटा भी काफी था।

“अपने सब कपड़े उतार दो कर्नल… ताकि मैं तुम्हें पूरा मज़ा दे सकूँ…” कोमल फुसफुसायी और कर्नल को वर्दी उतारने में मदद की।

“मम्म्म… मुझे मर्दों की छातियों पर घने बाल बहुत पसंद हैं…” कोमल मुश्कुराई जब उसने कर्नल की छाती को काले-घने बालों से ढके हुए पाया। कोमल के तीखे नाखून कर्नल की छाती को प्यार से खरोंचते हुए लण्ड तक पहुँचे।
कोमल के हाथों की छेड़छाड़ से कर्नल कराहने और थरथराने लगा।

कोमल ने झुक कर उसके लण्ड के सुफाड़े पर अपनी गर्म साँस छोड़ी और इसके जवाब में कोमल ने देखा कि वो विशाल लौड़ा और भी फैल गया। कर्नल के लण्ड के सुपाड़े पर उसका अग्रिम वीर्यश्राव चमक रहा था और कोमल को आकर्षित कर रहा था। उसका स्वाद लेने के लिये कोमल ने अपनी जीभ की नोक से लण्ड के सुपाड़े को स्पर्श किया और बोली- “ऊम्म्म कर्नल… आज सारा दिन हम चुसाई और चुदाई का मज़ा लेंगे…”

“कोमल जी… आपकी जीभ तो…” कर्नल मान हाँफते हुए बोला।

उसने कोमल की चूचियां छोड़ दीं और सोफे पर पीछे टेक लगा ली ताकि ये सेक्सी गाण्ड वाली चुदास औरत जो भी चाहती है वो उसके भारी भरकम लण्ड के साथ कर सके।

“ये तुम्हारा कालेज नहीं है कर्नल…” उसके सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराती हुई कोमल बोली। लण्ड को चूसते हुए कोमल के लाल नेल-पालिश लगे नाखून कर्नल के टट्टों के नीचे प्यार से खरोंच रहे थे।

“इसका कायदे-कानून से कुछ लेना-देना नहीं है… आज तुम खुद को मेरे हाथों में सौंप दो और मैं तुम्हें दिखाती हूँ कि सारे संकोच छोड़कर मज़ा किस तरह लिया जाता है… आज मेरा अंग-अंग तुम्हारे भोगने के लिये है। मैं पूरी तुम्हारी हूँ… मेरी चूत, मेरा मुँह, मेरे मम्मे, मेरा रोम-रोम तुम्हारा है…” इन शब्दों के साथ कोमल ने अपना मुँह खोलकर जितना हो सके अपने होंठ फैलाये ताकि वोह कर्नल का भीमकाय लण्ड अंदर ले सके।

“ऊम्म्म्म्हहह…” कर्नल के सुपाड़े पर अपने होंठ सरकाती हुई वोह गुरार्यी- “अंदर घुस गया…” अपने मुँह में उस सुपाड़े को सोखते हुए कोमल ने बोलने की कोशिश की। फिर कोमल अपने होंठों को उस विशाल लण्ड की छड़ पर और नीचे खिसकाने में लग गयी।

कर्नल ने सिसकते हुए कोमल के लंबे काले बाल उसके चेहरे से हटाये ताकि वो देख सके कि कोमल उसके लण्ड के साथ क्या कर रही है। कर्नल मान को विश्वास नहीं हो रहा था कि कोमल ने अपने छोटे से मुँह में इतना बड़ा लण्ड ले रखा था। जब कोमल ने उसके टट्टों को पकड़ा तो कर्नल ने उत्तेजना में अपने चूतड़ उठाकर अपना लण्ड कोमल के मुँह में ऊपर को पेल दिया।

कर्नल के लण्ड को और अंदर लेने के लिए कोमल अपने घुटनों पे बैठ गयी और उसने कर्नल की जांघें फैला दीं। कोमल ने उसका लण्ड सीधा करके पकड़ा और उसकी गोलियों को चूसने लगी और कोमल ने कर्नल को शामिल करने की कोशिश करते हुए पूछा- “अमृत-रस से भरी हुई हैं न मेरे लिए, कर्नल…” कोमल उसके औपचारिक मुखौटे को उतार फेंकना चाहती थी। कोमल उससे कबूल करवाना चाहती थी कि किसी औरत को चोदने की इच्छा के मामले में वो दूसरे मर्दों से अलग नहीं था।

“कैसा लग रहा है तुम्हें कर्नल…” कोमल ने उसके लण्ड को ऊपर सुपाड़े तक चाटा और फिर वापिस अपनी जीभ लौड़े से नीचे टट्टों तक फिरायी। कोमल ने अपनी मुट्ठी में उसके टट्टों को भींच दिया जिससे कर्नल एक मीठे से दर्द से कराह उठा।

“मुझे… उम्म्म बहुत अच्छा लग रहा है, कोमल जी…” कर्नल ने अपने दाँत भींचते हुए कहा।

“तुम कभी ये औपचारिकता और संकोच छोड़ते नहीं हो क्या… कर्नल, अच्छा होगा अगर तुम मुझे सिर्फ कोमल पुकारो और मुझे और भी खुशी होगी अगर तुम मुझे राँड, छिनाल या कुछ और गाली से पुकारो… खुलकर बताओ कि तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है… क्या तुम्हारा लण्ड मेरे मुँह में फिर से जाने के लिए नहीं तड़प रहा है… क्या तुम्हारे टट्टों में वीर्य उबाल नहीं खा रहा… कहो मुझसे अपने दिल की बात। मुझे एक रंडी समझो जिसे तुमने एक दिन के लिए खरीदा है…”

कोमल ने अपनी बात कहकर कर्नल का लौड़ा अपने मुँह में भर लिया। उसने अपना मुँह तब तक नीचे ढकेलना ज़ारी रखा जब तक कि कर्नल का लौड़ा उसके गले में नहीं टकराने लगा। कर्नल के पीड़ित टट्टे अभी भी कोमल मुट्ठी में बँद थे। कोमल ने कर्नल की नाज़ुक रग दबा दी थी।

कर्नल को लोगों पर अपनी हुकूमत चलाना पसंद था, खास करके औरतों को अपने काबू में रखना क्योंकी औरतों के सामने वो थोड़ी घबड़ाहट महसूस करता था। उसे औरतों की मौजूदगी में बेचैनी महसूस होती थी, इसलिए जब भी हो सके वो उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करता था। “चूस मेरा लौड़ा… साली कुतिया…” वो दहाड़ा और उसने अपने लण्ड पे कोमल के ऊपर-नीचे होते सिर को अपने लौड़े पे कस के नीचे दबा दिया- “खा जा मेरा लण्ड… चुदक्कड़ रांड…”

“उरररर…” कोमल गुरार्यी जब उसने कर्नल के मुँह से अपने लिये गालियां सुनीं। कोमल बड़े चाव से उसका लण्ड चूस रही थी और तरस रही थी कि कर्नल जी भरकर बेरहमी से जैसे चाहे उसका शरीर इश्तेमाल करे। कोमल का मुँह बड़ी लालसा से उस विशाल लण्ड की लंबाई पर ऊपर-नीचे चल रहा था और कर्नल के टट्टों को उबलता हुआ लण्ड-रस छोड़ने के लिये तैयार कर रहा था।

“साली… लण्ड चूसने वाली कुतिया…” कर्नल दहाड़ा और अपने हाथ नीचे लेजाकर उसने कोमल की झुलती हुई चूचियां जकड़ लीं। “खा जा मुझे… चूस ले मेरे लण्ड का शोरबा… साली… कुतिया… साली… रांड… अभी मिलेगा तुझे मेरा लण्ड-रस… ओहह साली कुतिया… रांड… ये आया… मैं झड़ा…” कर्नल इतने वेग से झड़ते हुए सोफ़े पर उछला कि कोमल के मुँह से उसका झड़ता लण्ड छूटते-छूटते बचा।







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