Friday, January 28, 2022

घरेलू चुदाई समारोह -5

FUN-MAZA-MASTI

घरेलू चुदाई समारोह -5


कोमल भी उसके लण्ड का शोरबा पीने के लिये इतनी उतावली थी कि इतनी आसानी से उस मोटे लण्ड को अपने मुँह से बाहर छूटने नहीं दे सकती थी। उसने अपने होंठ उस फैलते हुए लण्ड पर कस लिये और जोर से चूसते हुए अपने मुँह में बाढ़ की तरह प्रवाहित होते हुए स्वादिष्ट वीर्य को निगलने लगी।

कर्नल सोफ़े पर अपनी बगल में गिर गया पर कोमल ने उसका लण्ड अपने होंठों से छोड़ा नहीं।

उसके स्वादिष्ट वीर्य को अपने हलक में नीचे गटकते हुए कोमल और अधिक वीर्य छुड़ाने के प्रयास में कर्नल के टट्टों को भींचने लगी। “मुझे और दो कर्नल… रुको नहीं… मुझे और वीर्य चाहिये…” कोमल उसके लण्ड को सुपाड़े तक ऊपर चूसते हुए बोली और वीर्य की आखिरी बूँदें चूसती हुई ‘चप-चप’ की तृष्णा भरी आवजें निकलने लगी। कर्नल को आखिर में उस प्रचंड औरत को अपने लण्ड से परे ढकेलना पड़ा।

“झड़ने के बाद मेरा लण्ड काफी नाज़ुक हो जाता है कोमल जी…” वो बोला।

“नहीं… ऐसे नहीं चलेगा…” कोमल फुफकारी क्योंकी उसकी भीगी चूत की प्यास तृप्ति की माँग कर रही थी- “ये लण्ड मेरी चूत को चोदने के लिये जल्दी ही तैयार हो जाना चाहिये। पर तब तक तुम अपनी बड़ी अंगुलियां मेरी चूत में घुसेड़ो…” कोमल ने कर्नल को सोफ़े पर एक तरफ खिसकाया ताकि वो खुद कर्नल की बगल में लेट सके। कोमल ने कर्नल का हाथ पकड़कर अपनी जलती हुई चूत पर रख दिया, और बोली- “डालो अपनी अंगुलियां मेरी चूत में… कर्नल…” कोमल पर व्हिस्की का नशा अब तक और भी चढ़ गया था और वोह वासना और नशे में लगभग चूर थी।

कर्नल मान की मोटी अंगुली जब कोमल की दहकती चूत को चीरती हुई अंदर घुसी तो कोमल को वो अंगुली किसी छोटे लण्ड की तरह महसूस हुई। कोमल ने उस अंगुली को अपनी चूत में चोदते हुए कर्नल का हाथ थाम लिया कि कहीं वो अपनी अंगुली बाहर न निकाल ले, और बोली- “और अंदर तक घुसेड़कर चोद मेरी चूत चूतिये…” जब इतने से कोमल को करार नहीं मिला तो वो अपने हाथ से भी अपनी क्लिट से खेलने लगी। कर्नल की अंगुली और अपने हाथ की दोहरी हरकत से जल्दी ही विस्फोट के कगार पर पहुँच गयी।

“ओह कर्नल… हरामी साले…” कोमल सिसकी जब उसकी चूत झटके खाने लगी। “मैं तेरे लण्ड के लिये रुकना चाहती थी… पर अब मैं खुद को झड़ने से नहीं रोक सकती। कस के ठूंस अपनी अंगुली मेरी चूत के अंदर… चोद मुझे अंगुली से… मैं आयीईई… मादरचोद, चोद मुझे उस अंगुली से… हाय लण्ड जैसी लग रही है तेरी अंगुली… हरामी कुत्ते… मैं झड़ी रे… आंआंआंआंईईईईईई…”

जब अपने शरीर में उठते विस्फोट से कोमल काँपने लगी तो उसकी चूत ने कर्नल की अंगुली जकड़ ली और कोमल कर्नल की बाँह पकड़कर खींचने लगी। अपने दूसरे हाथ से कोमल पागलों की तरह जोर-जोर से अपनी क्लिट रगड़ रही थी। सोफ़े पर जोर से फ़ुदकती हुई कोमल की चूचियां भी जोर-जोर से काँपने लगी और कोमल एक धमाके के साथ झड़ गयी, और सिसकी- “और अंदर घुसेड़ ऊँऊँऊँहहहहह…”

कर्नल मान ने सोचा कि कुछ समय के लिए तो अब ये गरम गाण्ड वाली चुदक्कड़ औरत संतुष्ट हुई। लेकिन कर्नल गलत था। जैसे ही कोमल का झड़ना समाप्त हुआ उसी क्षण वो कर्नल के लण्ड की ओर लपकी। “इसे फिर से खड़ा कर न… प्यारे चोदू… तेरी अंगुली से तो मज़ा आया पर मुझे तेरे इस मूसल लण्ड से अपनी चूत चुदवानी है… खड़ा कर इसे… मादरचोद खड़ा कर इसे…”

कर्नल का हलब्बी लण्ड कोमल की हरकतों से जल्दी ही फैल कर सख्त होने लगा। कोमल नशे में थी और बहुत ही बेरहमी से कर्नल के लण्ड पर अपनी मुट्ठी चला रही थी। कोमल ने उसे इतना कस के अपनी अंगुलियों में तब तक जकड़े रखा जब तक ऐसा लगने लगा कि उसका फूला हुआ सुपाड़ा कसाव के कारण फट जायेगा। कर्नल के बड़े टट्टे भी कोमल की थिरकती जीभ के जवाब में सख्त होकर झटकने लगे।

“और सख्त… भोंसड़ी के और सख्त… मुझे अपनी चूत में ये किसी बड़ी स्टील की राड की तरह लगना चाहिए…” कोमल के निर्दयी हाथ कर्नल के लण्ड को उत्तेजना से जला और धड़का रहे थे जिससे कर्नल वेदना से हँफने लगा।
कर्नल ने कहा- “बस ठीक है कोमल… अब ले ले इसे अपनी चूत में… मेरा लण्ड चोदने के लिए तैयार है…”

“हाँ… तैयार तो है…” कोमल उत्तेजना में बोली और कर्नल के बदन पर छा गयी और अपनी टपकती चूत में उसके विशाल लण्ड को घुसेड़ने के लिये अपना हाथ नीचे ले गयी। कोमल ने उसके विशाल लण्ड को पकड़ा और उसपर बैठने के पहले रक्त से भरपूर सुपाड़े को अपनी चूत की फाँकों के बीच में रगड़ने लगी, और कहा- “मुझे इस राक्षसी लण्ड पर बैठकर चोदने में बहुत मज़ा आयेगा…”

“अब जल्दी से अंदर तो डालो…” कर्नल गुर्राया जब कोमल विलंब करने लगी। कर्नल का लण्ड उत्तेजना के मारे जल रहा था और उसके टट्टों में वीर्य का मंथन चल रहा था। उसके लण्ड के सुपाड़े पर कोमल की चूत के होंठों की छेड़छाड़ उसे पागल बना रही थी।

“जैसे एक असली मर्द किसी गर्म औरत से चुदाई के लिए कहता है… वैसे मुझसे बोल। मैं कोई तेरी स्टूडेंट नहीं हूँ कर्नल… ये शालीन भाषा मेरे साथ मत बोलक्ष तू मुझसे क्या चाहता हैक्ष मुझे ऐसे बता जैसे किसी रंडी से कहा जाता है। मुझसे सिर्फ अश्लील गंदी भाषा में बात कर…” कोमल ने खुद को महज इतना ही नीचे किया जिससे कि सिर्फ सुपाड़े का अग्र भाग ही उसकी चूत में प्रविष्ट हुआ। वोह कर्नल को तड़पाने के लिये इसी स्थिति में थोड़ी सी हिलती हुई उसके लण्ड पर दबाव डालने लगी।

“बैठ जा इस पर, छिनाल… चल साली कुतिया… चोद मेरे लौड़े को। अब किस बात का इंतज़ार है… मुझे पता है कि मुझसे ज्यादा तू तड़प रही है मेरा लौड़ा अपनी चूत में खाने के लिये। बैठ जा अब इस पर राँड… चोद अपनी गीली चूत पूरी नीचे तक मेरे लण्ड की जड़ तक…”

“ये ले… साले हरामी…” कोमल बोली और उस मोटे लण्ड को जकड़ने के लिये उसने अपनी चूत नीचे दबा दी- “हाय… कितना बड़ा और मोटा महसूस हो रहा है, विशाल सख्त लौड़ा… अपना लण्ड मेरी चूत में ऊपर को ठाँस… चोदू, मुझे पूरा लण्ड दे दे… मैंने अपनी चूत में कभी कुछ भी इतना बड़ा नहीं लिया। ऐसा लग रहा है जैसे ये लौड़ा मेरी चूत को चीर रहा है…”

कोमल सच ही बोल रही थी। ये अदभुत ठुँसायी जो इस समय उसकी चूत में महसूस हो रही थी, इसकी कोमल ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसे लग रहा था कि उसकी तंग चूत इतनी फैल जायेगी कि फिर पहले जैसी नहीं होगी। फिर भी बोली- “मुझे पूरा चाहिये… बेरहमी से चोद मुझे कर्नल… मेरी चूत में ऊपर तक ठाँस दे… चीर दे मेरी चूत को, इसका भोंसड़ा बना दे…”

कर्नल को हैरानी हो रही थी कि इस उछलती और चिल्लाती औरत ने उसका पूरा लण्ड अपनी चूत में ले लिया था। उसने पहले जितनी भी औरतों को चोदा था, कोई भी उसका लण्ड आधे से ज्यादा नहीं ले सकी थी। उसे खुशी थी कि आखिर उसे ऐसी औरत मिल गयी थी जिसने न सिर्फ़ उसका पूरा लण्ड अपनी चूत में ले लिया था बल्कि और माँग कर रही थी। वो कोमल की झुलती चूचियों को मसलते हुए बोला- “चोद इसे… भारी चूचियों वाली राँड…”

“ओह… हाँ… वही तो मैं हूँ, दो-टके की राँड… चोद अपनी बड़ी चूचियों वाली राँड को अपने इस गधे के लण्ड से, ठूंस दे मेरी चूत अपने लण्ड से… बना दे मेरी चूत का भोंसड़ा…” कोमल बोली और जब उत्तेजना और जोश में उसका शरीर थरथराने लगा तो वो अपनी आँखें बंद करके अपना सिर आगे-पीछे फेंकने लगी। अपनी दहकती चूत की दीवारों पर मोटे लौड़े का घर्षण महसूस करती हुई कोमल अपना हाथ नीचे लेजाकर अपनी सख्त हुई क्लिट रगड़ने लगी। कोमल को विश्वास हो गया था कि अगर भविष्य में उसे गधे या घोड़े से चुदवाने का मौका मिला तो वो छोड़ेगी नहीं क्योंकी कर्नल का लण्ड भी किसी गधे-घोड़े के लण्ड से कम नहीं था।

जब कर्नल ने कोमल की चूचियों को एक साथ मसला और उसके निप्पलों पर चुटकी काटी तो कोमल को चरम सीमा पर पहुँचाने के लिये यही काफी था। ,उसका बदन ऊपर उठा जब तक कि सिर्फ सुपाड़ा ही उसकी तंग चूत में रह गया था। जब सनसनाती आग उसकी चूत में धधकने लगी तो कोमल उसी तरह एक लंबे क्षण के लिये स्थिर हो गयी। फिर जितनी जोर से हो सकता था, कोमल ने उतनी जोर से अपनी चूत उस भीमकाय लण्ड पर दबा दी और जब तक उसका परमानंद व्याप्त रहा तब तक बहुत जोर-जोर से अपनी चूत उस लण्ड पर ऊपर-नीचे उछालती रही।


“लौड़ा… गधे का चोदू लौड़ा…” कोमल चिल्लायी और फिर भक से झड़ गयी। कोमल की अँगुलियों ने उसकी भिनभिनाती क्लिट पर चिकोटी काटी। उसकी चूत उस मोटे लण्ड पर सिकुड़ गयी और उसके निप्पल कर्नल की चिकोटी काटती अंगुलियों में जलने लगे। कोमल चिल्लाई- “मुझे अपना वीर्य दे मादरचोद… इससे पहले कि मैं झड़ना बंद करूँ, अपना गाढ़ा वीर्य मेरी चूत में छोड़ दे। प्लीज़… छोड़ अपना वीर्य… अबबब… आआआहहह… आँआँआँ… ओंओंओं…”

“ये ले मेरा रस… छूट रहा है तेरी चूत में कुतिया… साली मर्दढ़ोर…” कोमल की दहकती चूत में अपने वीर्य की बाढ़ बहाते हुए कर्नल गुर्राया।

“हाँ मेरे चोदू… हाँ…” कोमल उछलती हुई बोली। कर्नल के लण्ड की आखिरी बूँद अपनी भूखी चूत से निचोड़कर सुखा देने के बाद तक कोमल का परमानंद बना रहा। जब वो कर्नल के ऊपर, आगे को गिरी तो कोमल ने अपनी जीभ कर्नल के मुँह में ठेल दी। उसे गर्व था कि उसने कर्नल को एक असली मर्द की तरह व्यवहार करने में मदद की थी और ये भी कि कर्नल ने अपने अदभुत लौड़े से उसकी चूत की सेवा की थी।

कर्नल मान कोमल के चूतड़ों को भींचता हुआ बोला- “अब तो तुम सजल को वापिस हमारे कालेज में भेजने के बारे में पुनः विचार करोगी… कोमल…”

कोमल ने हँसते हुए कर्नल के होंठों को फिर से चूम लिया- “नहीं… यह तय हो चुका है कि सजल इसी शहर में पढ़ेगा…” कर्नल की जीभ को चूसने के बाद कोमल फिर से बोली- “पर तुम जब चाहे मुझे चोदने के लिये आ सकते हो कर्नल…”

मनीषा ने कोमल को तैयार होकर अपने घर से निकलते हुए देखा। इसका मतलब था कि सुनील अब अकेला था। सजल को जाते हुए वह पहले ही देख चुकी थी। मनीषा सात साल से कोमल की पड़ोसन थी। इन सालों में उसकी कोमल से दोस्ती न के बराबर हुई थी। न ही उसे इसकी कोई इच्छा थी। हाँ, पर वह सुनील को अच्छे से जानने को बेहद उत्सुक थी। पर अभी तक सुनील ने उसे कभी लिफ्ट नहीं दी थी। पर पिछले कुछ दिनों में आये बदलाव को वह महसूस कर रही थी और उसे लग रहा था कि उसकी इच्छा-पूर्ति का समय आ गया था। आज शनिवार था और सुनील धूप सेंकने के लिये बाहर आने ही वाला होगा।

उसने अपने जिश्म और कपड़ों का मुआयना किया। उसने ब्रा नुमा छोटा सा ब्लाउज़, और हल्के नीले रंग की शिफान की साड़ी पहनी हुई थी और साथ ही काले रंग के बहुत ही ऊँची एंड़ी के सैंडल पहने हुए थे।

मनीषा का पति उसे चार साल पहले छोड़कर चला गया था। और उसे दूसरा ऐसा कोई नहीं मिला था जिसको वो अपनाना चाहती - सुनील को छोड़कर। वो बेचैनी से सुनील का इंतज़ार करने लगी। जिन थोड़े मर्दों से उसने इन चार सालों में सम्बंध स्थापित किये थे वो बिल्कुल ही बकवास और बेदम निकले थे। उसे उम्मीद थी कि सुनील उसके मापदंड पर खरा उतरेगा।

जब उसने सुनील को बाहर निकलते देखा तो उसके दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं और चूत गरमाने लगी। उसकी चूचियां भी तनकर खड़ी हो गईं। मनीषा ने सुनील को थोड़ा समय दिया और फिर वो भी अपने आँगन में उतर गई।

“हेलो, सुनील…”

“ओह हेलो मनीषा…” पर उसने खास ध्यान नहीं दिया।

मनीषा को बहुत तेज़ गुस्सा आया। पर आज उसने अपने आपको समझाया- “क्या तुम मेरी थोड़ी मदद करोगे, सुनील…”

“कहो, क्या करना है…”

“क्या तुम अंदर आओगे…”

इस बार सुनील ने उसे नज़र भरकर देखा। उसकी आंखें मनीषा के छोटे से ब्लाउज़ में से झाँकती चूचियों पर कुछ देर रुकी भी।

जब सुनील अंदर आ गया तो मनीषा ने उससे पूछा- “सुनील क्या तुम मेरे साथ एक ठंडी बीयर पियोगे… अभी काम करने के लिये मौसम बहुत गर्म है। या तुम्हें डर है कि कोमल ने तुम्हें यहाँ देख लिया तो झमेला खड़ा कर देगी…”

“नहीं, वो तो खैर दिन भर नहीं आने वाली। पर…”

“पर क्या… फिर तो चिंता की कोई बात ही नहीं है…” यह कहते हुए मनीषा उसे अंदर खींच ले गई।

कुछ ही देर में दोनों ने तीन-तीन बोतल बीयर चढ़ा लीं थीं और सुनील काफ़ी खुल गया था। उसकी नज़र अब बार-बार मनीषा के ब्लाउज़ से झाँकते सुडौल उरोजों पर ठहर रही थी। मनीषा को तो ऐसा लग रहा था कि वो उसी समय कपड़े उतारकर उस आकर्षक आदमी से चुदवाना शुरू कर दे। पर वह पहले माहौल बनाना चाहती थी और फिर अपने शयनकक्ष में चुदवाने का आनंद ही और था।

“मुझे माफ़ करना, पर क्या तुम मेरा एक और काम कर सकते हो, प्लीज़…” मनीषा ने अपना जाल फेंका।

“तुम बोलो तो सही…”

“मेरे बैडरूम की एक दराज़ खुलती नहीं है। उसमें मेरी कुछ जरूरी चीज़ें रखी है। क्या तुम…”

उसकी बात खत्म होने से पहले ही सुनील उठकर शयनकक्ष की ओर जाने लगा- “बिलकुल, अभी लो…”

“क्या सोचते हो, खुल पायेगा…”

“पता नहीं, यहाँ अंधेरा बहुत है, सारे पर्दे क्यों गिराये हुए हैं… कुछ दिखता ही नहीं…”

“तुम्हें जो करना है उसके लिये बहुत अच्छे से देखने की जरूरत नहीं है, सुनील…” मनीषा ने हल्के से अपने ब्लाउज़ का बटन खोलते हुए कहा। इससे पहले कि उस बेचारे आदमी को अपने आपको संभालने का मौका मिलता, उसकी आंखों के सामने कुदरत के दो करिश्मे दीदार हो गये। मनीषा ने अपना ब्लाउज़ उतार फेंका और अपने सीने को सामने किया और तान दिया।

सुनील के तो छक्के ही छूट गए।

“अब मुझे छोड़कर भागना नहीं, सुनील… जब से रितेश मुझे छोड़कर गया है मैं प्यासी हूँ… मुझे एक मर्द चाहिये… मैनें कई मर्दों के साथ सम्बंध बनाये पर कोई मुझे संतुष्ट नहीं कर पाया। मुझे तुम्हारी बेहद जरूरत है सुनील। मैं जानती हूँ कि तुम एक अच्छे चुदक्कड़ हो। मेरा मन कहता है कि तुम मेरी प्यास मिटा सकोगे। तुम्हें भी मेरी जरूरत है… कोमल तुम्हारा ध्यान जो नहीं रखती…” यह कहते हुए मनीषा ने अपने रहे-सहे कपड़े भी उतार फेंके। मनीषा अब सिर्फ़ ऊँची एंड़ी के सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी खड़ी थी और उसे उम्मीद थी की उसकी जवान नंगी काया को देखने के बाद सुनील का संयम टूट जायेगा।

सुनील तो जैसे सकते में था। वह उस शानदार नंगे बदन पर से अपनी आंखें नहीं हटा पा रहा था। उसकी चूत पर गिनती के बाल थे जिससे कि वह दूर से ही चमचमा रही थी- “अगर मैंने तुम्हारे साथ कुछ किया तो कोमल मुझे मार डालेगी। यह तुम भी भली-भांति जानती हो। तुम दोनों की वैसे भी पटती नहीं है…”

“मुझे कोमल से दोस्ती करने का कोई शौक नहीं है न ही ऐसी कोई मंशा है… मैं तो सिर्फ़ तुमसे दोस्ती करना चाहती हूँ… दोस्ती से कुछ ज्यादा…”

यह कहते हुए मनीषा आगे बढ़ी और सुनील की पैंट के बाहर से उसके लण्ड को मुट्ठी में लेने की कोशिश की, और बोली- “अब बेकार में समय मत गंवाओ सुनील… मैं तुम्हारी हूँ। अगर तुम मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ आज ही चोदना चाहते हो और फिर कभी नहीं तो मुझे यह भी मंज़ूर है। मैं वादा करती हूँ कि कोमल को कभी पता नहीं चलेगा। आओ, मैं बहुत गर्म हूँ, मेरी चूत तो ऐसे जल रही है जैसे उसमें आग लगी हो…”

अपनी बात सिद्ध करने के लिये मनीषा ने सुनील का हाथ पकड़कर अपनी लपलपाती चूत पर रख दिया- “तुम अपने आप देख लो कि तुमने मुझे कितना गरमाया हुआ है। तुम मुझे ऐसे छोड़कर तो जाओगे नहीं। है न सुनील… तुम नहीं चाहोगे कि मैं तुम्हारे होते हुए किसी ठंडे वाइर्बेटर का सहारा लूं…”

सुनील ने अपने हाथ को हटाने की कोई कोशिश नहीं की। कुछ सोचे बिना उसकी एक उंगली मनीषा की चूत में धीरे से जा समाई- “तुम वाकई बहुत गर्मी में हो…” कहते हुए सुनील ने अपनी उंगली को थोड़ा और अंदर घुसाया और अपनी एक बांह मनीषा की कमर में डाल दी।

मनीषा ने झुकते हुए सुनील के पैंट की ज़िप खोल दी- “देखूं सुनील तुम्हारे पास मेरे लिये क्या है… देखूं तो तुम्हारा लण्ड कितना बड़ा है…”

“ठीक है, जान अगर तुम्हें इतनी बेसब्री है तो मैं भी तुम्हें तब तक चोदूंगा जब तक तुम मुझे रुकने के लिये मिन्नतें नहीं करोगी… मैनें तुम्हें कई बार आंगन में अधनंगी फुदकते हुए देखा है। अगर मुझे कोमल की फ़िक्र न होती तो मैं कब का तुम्हें चख चुका होता… पर अब मैं नहीं रुकूंगा…”

“मैं भी यही चाहती हूँ कि रुकने के लिये मुझे मिन्नतें करनी पड़ें… पर मैं तुम्हें बता दूँ कि यह इतना आसान नहीं होगा। एक बार तुमने मेरी चूत और गाण्ड का स्वाद चख लिया तो इसके दीवाने हो जाओगे। इनके बिना फिर जी नहीं पाओगे…”

जैसे ही सुनील ने अपने कपड़े उतारना समाप्त किया मनीषा ने अपने घुटनों के बल बैठते हुए उसका लण्ड अपने हाथ में लेकर झुलाना शुरू कर दिया, और बोली- “मैं तुम्हें बता नहीं सकती कि कितनी बार सपनों में मैने यह लण्ड चूसा है…” मनीषा ने हसरत भरी निगाहों से उस शक्तिशाली लौड़े को देखते हुए कहा।

“चूसो इसे मनीषा, आज तुम्हारा सपना साकार हो गया है…”

मनीषा को तो जैसे मलाई खाने का लाइसेंस मिल गया। उसने लपक कर सुनील का लण्ड अपने मुँह में भर लिया। उसके नथुनों में लण्ड की महक समा गई- “हूँउंउंह, और…”

सुनील- “पता नहीं मैं इस मौके को इतने सालों तक क्यों छोड़ता आया…”

मनीषा- “क्योंकी तुम बेवकूफ थे, पर अब तुम होशियार हो गये हो। अब तुम्हें पता है कि तुम्हारे पड़ोस में हलवाई की ऐसी दुकान है जो मुफ्त में जब चाहो मिठाई खिलाने को तैयार है…”

“चूसो मुझे मनीषा, चूसो और मेरे रस को पी जाओ…” कहते हुए सुनील ने अपना लण्ड मनीषा के छोटे से मुँह में जड़ तक पेल दिया और धकाधक अंदर-बाहर करने लगा - ऐसे जैसे कि वो मुँह नहीं चूत हो।

मनीषा की वर्षों की इच्छा थी कि वो सुनील के लण्ड का रस जी भरकर पिये। और अब जब वह मौका उसके हाथ में था तो उसे लग रहा था कि वो खुशी से बेहोश न हो जाये। लण्ड के फूलने से उसे यह तो पता लग गया कि उसको थोड़ी ही देर में अपना पेट भरने को माल मिलने वाला है।

“मनीषा, मनीषा, मनीषा…” सुनील ने दोहराया और फ़िर उसने मनीषा का मुँह अपने रस से भर दिया- “पी अब, बड़ी प्यासी थी न तू… अब जी भरकर पी… और ले… और…”

मनीषा ने भी बिना सांस रोके, पूरा का पूरा वीर्य पी लिया, और कहा- “खाली कर दो अपने टट्टों का पानी मेरे मुँह में…” जब मनीषा ने जी और पेट भर लिया तो उसने सुनील का हाथ पकड़ा और बिस्तर की ओर ले गई और उसे बिस्तर पर गिरा दिया। फिर उसने अपनी गर्मागर्म पनियाई हुई चूत को सुनील के मुँह पर रख दिया। उसे तब ज्यादा खुशी हुई जब बिना बोले ही सुनील ने अपनी जीभ को उसकी चूत के संकरे रास्ते से अंदर डाल दिया और लपलपाकर चूसने लगा।

“चोद मुझे अपने मुँह से…” मनीषा ने अपने बड़े मम्मों को अपने हाथों से मसलते हुए और सुनील के मुँह पर अपनी चूत को जोर से रगड़ते हुए चीख मारी।

सुनील को चूत चूसने से कोई परहेज़ नहीं था। कोमल की चूत तो वो सालों से चूस ही रहा था, पर उसने और भी कई घाटों का पानी पिया था। उसे इस बात का बड़ा अचरज था कि हरेक का स्वाद अलग रहा था। कोमल की चूत मनीषा से ज्यादा मीठी थी, पर पानी मनीषा ज्यादा छोड़ रही थी।

“मेरी गाण्ड भी चाटो…” मनीषा फिर चीखी और उसने अपने शरीर को थोड़ा सा आगे सरकाया जिससे कि सुनील को आसानी हो। फिर बोली- “हाँ ऐसे ही, तुम वाकई हर काम सही तरीके से करते हो…”

जब सुनील अपने काम में व्यस्त था।

मनीषा ने अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया। एक बार पहले भी वह इस तरह से झड़ी थी और आज तक उसे वह दिन याद था। उसे उम्मीद थी कि सुनील अपना मुँह उसकी गाण्ड पर से हटायेगा नहीं। वो बोली- “रुकना नहीं सुनील… अपनी जीभ मेरी गाण्ड के अंदर डालने की कोशिश करो। मुझे एक बार यूं ही झड़ाओ। मुझे यह बहुत अच्छा लगता है। मैं भी तुम्हारे साथ ऐसा ही करूंगी बाद में…” और जब सुनील की जीभ उसकी गाण्ड में गई तो मनीषा तो बेकाबू हो गई।

उसने अपनी चूत को बेहताशा नोचना शुरू कर दिया- “मैं झड़ी रे… खा जा मेरी गाण्ड… तू क्या चुदक्कड़ है रे… वाह झड़ गई रे… न जाने कितने दिन हो गये इस तरह झड़े हुए… तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद सुनील…” जब उसका शरीर काबू में आया तो मनीषा ने नीचे उतरकर सुनील का एक गहरा चुम्बन लिया।

सुनील- “मैं फिर आऊँगा, पर कोमल को इस बारे में पता नहीं चलना चाहिये…”

मनीषा ने अपना मुँह फिर से सुनील के लण्ड की ओर बढ़ाया- “मुझे खुशी है कि तुम मुझे फिर से चोदने के लिये आओगे। पर हम अभी पूरी तरह से फ़ारिग कहाँ हुए हैं… अभी तो मुझे यह जानदार लौड़ा अपनी चूत में अंदर डलवाना है…” यह कहते हुए सुनील का लण्ड मनीषा ने वापस अपने मुँह में डाल लिया।

“यह क्या कर रही हो…” सुनील ने पूछा।

“तुम्हारे लौड़े को वापस से सख्त कर रही हूँ… ज़रा सोचो, इसके बाद मैं तुम्हें इस बल्लम को अपनी चूत में घुसाने दूंगी… पर मुझे पहले इस कड़ा करना है। क्योंकी उसके बाद ही मुझे उस तरह से चोद सकोगे जैसा कि मैं इतने सालों से चाहती हूँ। बोलो, तुम जबरदस्त तरीके से चोदोगे न मुझे…”











राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator