हिंदी सेक्सी कहानियाँ
सविता भाभी की आग
सभी पाठको (चुत वालियों व लंडवालों) के लिए एक बार फिर कामुकता से भरी कहानी पेश कर रहा हूँ. आशा हैं की आप लोगो को यह सत्य कथा पसंद आएगी. कृपया इस सत्य कथा पर अपने विचार प्रकट करनी की कृपा करे
जैसे की आप जानते हैं जब मैं ५ साल का था तब एक बस दुर्घटना में मेरे माता पिता का देहांत हो गया था हालाँकि मैं में उस दुर्घटना में सामिल था पर इश्वर की कृपा से मैं बच गया था. मेरे पिताजी ने काफी बैंक बैलेंस रखा था इस कारण हमें कोई भी आर्थिक कमी नहीं थी हर महीने बैंक बैलेंस की रकम से करीब २५-३० हजार रूपये ब्याज के रूप में मिलते थे जिस कारण घर खर्च आराम से निकल जाता था. जब अब मैं २8 वर्ष का हो चूका था इसलिए मेरी देख भाल के लिए किसी की जरुरत नहीं थी खाना बनाने के लिए व बर्तन कपडे धोने के लिए २ नौकरानी रखी थी वे सुबह शाम आकर काम निबटा कर अपने अपने घर चली जाती थी. मैंने अब अपना पुराना मकान बेच कर उसी ईमारत में २ बेडरूम, एक हॉल और किचन वाला मकान ले लिया था. मेरे पास ६-७ छोटी छोटी कंपनिया थी जिस का अकाउंट व बिल्लिंग का काम घर पैर लाकर करता था जिस से अतिरित आय भी हो जाती थी और टाइम पास भी | मकान बड़ा होने के कारण मैं ११-११ महीने के लिए पेईंग गेस्ट रखता था मेरे बेड रूम में कंप्यूटर लगा था मेरे बेड रूम के बगल में बाथरूम व टोइलेट था और उसके बगल में एक और बेड रूम था उसके बगल में किचन और हॉल में टी वी सेट इत्यादि थे. पिछले ३ महीने से पेईंग गेस्ट के रूप में पति पत्नी और उनका १ वर्षिय बेटा रहते थे पति की उम्र को ४० के करीब होगी उसका नाम सुनील हैं वो किसी कंपनी में सेल्स मेन नौकरी करता हैं उसकी पत्नी की उम्र ३५-३६ की हैं वो पूर्ण रुपें गृह महिला हैं उसका नाम सविता हैं काफी मन्नते के बाद उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी सविता थोड़ी सांवली रंग की तंदुरस्त कद काठी की महिला हैं उनकी आंखे और होठ काफी खुबसूरत हैं जो उनके तन बदन पर चार चाँद लगा रहे थे पति पत्नी और पुत्र मोनू तीनो मुझसे घुल मिल गए थे सुनील सुबह ९ बजे घर से निकाल जाता था और रात ९ बजे घर लौटता था इसलिए सविता भाभी के संग मेरा काफी समय बीतता था जब वो काम में व्यस्त होती तो मैं उनके पुत्र मोनो को खिलाता था एक तरह से हम एक ही परिवार के सदस्य बन चुके थी सविता भाभी हसमुख स्वाभाव की थी तो सुनील उसके विपरीत स्वाभाव का था वो ज्यादा बात चित नहीं करता था कभी कभी सुनील और मैं जब शराब पीते थे तब सविता भाभी हमें नमकीन इत्यादि लाकर देती थी जब सुनील घर में होता था तब सविता भाभी मेरे से कम बातचीत करती थी पर जैसे ही सुनील जाता था वो बातूनी बन जाती थी | अक्सर दोपहर को सविता भाभी मोनू को लेकर हॉल में टी वी देखने आ जाती थी फिल्म देखते देखते मोनू को दूध पिला कर वहीँ मोनू के पास हॉल में ही सो जाती थी. ४ महीने बीत गए मेरी सविता भाभी के प्रति कोई भी बुरी नजर नहीं थी इन चार महीनो में मैं गौर किया की सविता भाभी पेंटी नहीं पहनती थी क्योंकि उनके नहाने के बाद जब मैं नहाने जाता तो अक्सर उनकी ब्रा ही पड़ी मिलती थी तो मैं समज गया की वो पेंटी नहीं पहनती हैं इसके अलावा जब वो अपने कपडे सुखाती थी उसमे सुनील के अंडर वेअर के अलावा कोई पेंटी नहीं रहती थी
एक दिन दोपहर को मैं सोफे पर लेट कर फिल्म देख रहा था इतने में सविता भाभी काम सलटा कर मोनू को लेकर एक कोने में बैठ कर मोनू को अपने चुचक से दूध पिलाते हुवे फिल्म देखने लगी मुझे फिल्म देखते देखते कब नींद लगी पता नहीं चल पाया जब मैं उठा तो पौने पांच बज चुके थे मैं उठ कर सोफे पर बैठा तो सामने का नजारा देख कर तो पजामे के अन्दर बाबु मोशाय तन कर खड़ा हो चूका था सामने सविता भाभी मेरी और पीठ कर के लेटी थी उनका दाहिना हाथ मोनू के छाती पर था और बायाँ हाथ को मोड़ कर सिर के निचे रखा था उनकी एक चूची बलाउज निकाली हुई थी जो शायद मोनू को दूध पिलाकर चूची को बलाउज से ढकना भूल गयी थी उनका दाहिना पैर घुटनों के बल मोड़ रखा था जब की दूसरा पैर सीधा था उनकी साडी व पेटी कोट कमर तक सरकी हुई थी इस कारण मुझे उनकी सांवली सलोनी मोटी मोटी गांड की घाटी नजर आ रही थी और एक पैड मुडा होने के कारण झांटो युक्त फूली हुई चुत जिसके फांके थोड़े खुले थे जिसमे से गुलाबी रंग की चुत का अन्दर का भाग दिखाई दे रहा था जिसे देख कर मेरा बाबु मोशाय लंड लाल पजामे को फाड़ कर बहार निकल ने के लिए ललायीत हो रहा था. मैं बिना कोई आवाज किये बाथ रूम में गया और सविता भाभी की चुदाई की कल्पना में खो कर मुठ मार के लंड लाल की ज्वाला को शांत किया. और बालकनी में आकर खड़ा होगया एक घंटे के बाद सविता भाभी ने चाय के लिए आवाज दी मैं जब चाय लेने गया तो उनकी नज़ारे झुकी हुई थी मैं समज गया की सविता भाभी ताड़ गयी थी मैंने उनको नग्न अवस्था में देख लिया था इसलिए वो नज़ारे नहीं मिला रही थी २-४ दिन तो वो दोपहर को फिल्म देखने नहीं आई पर इन २-४ दिनों में हमेशा मेरे मनस्पटल पर फूली हुई झांटो युक्त चुत ही चुत घूम रहे थे २-४ दिनों बाद मैं उनके स्वाभाव में पहले की तरह बर्ताव देखा. आखिर एक मर्द में और एक औरत में आकर्षण तो स्वाभाविक है ना। फिर अगर वो मर्द सुन्दर, कम उम्र का हो तो आकर्षण और ही बढ़ जाता है। सविता भाभी की सदैव उनके चेहरे पर विराजती मुस्कान मुझे भाने सी लगी थी। मुझे तो पहले से उसमे आकर्षण नजर आने लगा था।
जब वो काम में व्यस्त होती तो मैं मोनू को लेकर गोद में बैठा कर टी वी देखता तो कभी कभी मोनू रोने लगता था तब सविता भाभी मोनू को मेरे गोद से उठा लेटी थी तब उठाते समय कई बार उनकी हथेली मेरे लंड राज पर पड़ जाती थी. कुछ दिनों बाद सुनील को ३ तीनो के लिए काम के सिलसिले में दुसरे शहर जाना पड़ा तब मोनू मैं और सविता भाभी ही घर में थे सुनील के जाने के बाद सविता भाभी चंचल बन गयी थी और देर रात तक मेरे साथ बैठ थे गप्पे लगा रही थी दुसरे दिन भाभी काम निबटाकर नहाने गयी जब वो नहा कर बहार आये तो मैं उनको ऊपर से नीचे तक निहार रहा था।क्यों की भाभी ने सफ़ेद रंग का बलाउज और पेटी कोट ही पहना था मुझे नहारते देख कर भाभी शरमा गई और भाग कर अपने कमरे में आ गई। मैं भी पीछे पीछे जाकर उनके मटकते हुवे गांड की घाटीओं को नहार्ता हुवा उनके कमरे में गया
-भाभी आप तो गजब की सुन्दर हैं !
-(भाभी का चहेरा शर्म के मारे सुर्ख मयी हो गया था) "तुम उधर जाओ ना, मैं अभी आती हूँ !
भाभी आपकी फिगर काफी अच्छी हैं आप को तो मिस इंडिया में भाग लेना चाहिए
-(मेरे मुख से अपनी तारीफ़ सुन कर भाभी इतरा उठी) "तुमने ऐसा क्या देख लिया मुझमें,
-"गजब के उभार, सुडौल तन, पीछे की मस्त गहराइयाँ ... किसी को भी पागल कर देंगी !"
-धत (कह कर वो नज़ारे झुका कर)अच्छा बाबा हॉल में जाओ ... मुझे शरम आ रही है..."
मैं भाभी को निहारता हुआ वापस हॉल में आ गया।
थोड़ी देर बाद भाभी साडी पहन कर नास्ता लेकर आई मैं सोफे पर था भाभी निचे बैठी थी हम दोनों नास्ता कर ने लगे मैंने जैसे ही नास्ता ख़त्म किया मोनू के रोने की आवाज आई
-दिनु भैया जरा मोनो को लाकर दो ना
मैं भाभी के कमरे में गया तो देखा की पलंग पर सफ़ेद रंग की ब्रा पड़ी थी मैं ब्रा को उठा कर सुंघा को उसमेसे भाभी बे बदन की महक आ रही थी मोनू रोये जा रहा था तो बेबस होकर उसे उठाया और भाभी के गोद में देने लगा तभी मेरे हाथ भाभी के चुचिओं को छू गए तो सविता भाभी मोनू को लेकर मुझे देख कर मुस्कुरा दी और फिर मोनो को चुम्बा और बलाउज से अपना एक उरोज निकाल के गहरे जाम्बुनी रंग के निपल्स को मोनू के मुह में दे कर दूध पिलाने लगी और मैं सोफे पर बैठ कर टी वी देखने लगा पर बार बार मेरी नजर सविता भाभी की बहार निकाली हुई चूची पर जा पड़ती थी सविता भाभी जान गयी की मैं बार बार ललचाई नज़रों से उनके स्तन के गोलाई का रसपान कर रहा हूँ तभी मेरी और सविता भाभी की नज़ारे चार हुई
-क्या ताक रहे हो दिनु
-म म मैं तो मोनू को देख रहा हूँ कैसे चुप हो गया
-ज्यादा होशियार मत बनो मैं साब समजती हूँ की तू क्या घुर रहा हैं, घूरो मत नजर लग जाएगी
-भाभी नजर लगे दुश्मनों को पर यह हैं कितनी आकर्षक
-अरे मैं इस की नहीं मोनू को नजर लग जाएगी कह रही हूँ, अच्छा बता तेरी कोई गर्ल फ्रेंड हैं
-नहीं पर आप से खुबसूरत कोई नहीं हैं इसलिए मैं आप को गर्ल फ्रेंड बनना चाहता हूँ
-धत हट मैं कैसे तेरी गर्ल फ्रेंड बन सकती हूँ मैं तो एक बच्चे के माँ हूँ
-तो क्या हुवा आप बहुत सेक्सी हैं
-(मुस्कुराते हुवे) वो तो हूँ पर अफ़सोस हो रहा हैं की मैं ..........रहने दो मत पूछो
-क्यों क्या हुआ
- की मैंने निक्कमे पति से शादी की तुम्हे एक राज की बात बताती हूँ किसी से कहना मत खाओ मेरी कसम
-कसम खता हूँ मैं किसी से भी नहीं कहूँगा यह राज मेरे साथ मेरे मारने तक रहे गा
-मेरे तेरे दुश्मन तू तो सुन्दर और बलवान हैं तो सुन मेरा पति नामर्द हैं जब से शादी की और सुहाग रात को मैंने जब मुस्किल से उनके गुप्तांगो को उतेजित किया तो रति क्रिया करने से पहले से उनका टायं टायं फ़ीस हो गया
-तो क्या मोनू उनकी औलाद नहीं हैं क्या ?
-नहीं हैं हमने आधुनिक तरीके से मेरे गर्भ में वीर्य डलवा कर मोनू को जनम दिया
-यानि की आप किसी ओर से सम्भोग किया ?
-नहीं रे आज तक मैं सम्भोग से वंचित हूँ, इस क्रिया में कोई मर्द अपना वीर्य दान करता हैं और उस वीर्य को नलिका से गर्भ में धारण करते हैं जिस कारण बच्चे का जनम होता हैं
-ओह अब समजा
-वे तो अपनी हवस पूरी कर लेते हैं और मैं लाचार हो कर रति क्रिया से वंचित रहती हूँ
-पर आप तो बोली की उनके गुप्तांगो में उत्जेना ही नहीं पैदा होती हैं तो वो कैसे हवस पूरी करते हैं
-अरे बुदधू भले उनमे उतेजना नहीं होती हैं पर उनका मन तो करता हैं तब वो मुझसे सहलवा कर चुसवा कर हवस मिटा ते हैं पर उनके सहलवाने से मेरे अंधर एक तूफान मचलता रहता हैं तब अपने ही अंगो को सहला कर शांत होने के सिवा कोई चारा नहीं होता हैं
-वो तो बात सही हैं
-जब से तुम्हारे घर रहने आई तब मैं तुम्हे देख कर ताड़ गयी थी की तुम ही वो मर्द हो जो मेरी काम पिपासा को ठंडक दिला सकों मैंने तुम्हारी आँखों में मेरे बदन की आकर्षकता को देख लिया था
मैं उनके करीब जाकर बैठ गया
-सही में भाभी , आह्ह्ह आप के ये उभार मुझे बहुत भाते हिं , यह तो सिर्फ़ ईश्वर की कलाकृति है ..."
फिर मैंने उनके उरोजो कोए सहला कर जायजा लिया तो भाभी के जिस्म में जैसे हजारों वाट पावर के झटके लग गये। मेरे स्पर्श से मानो सविता भाभी को नशा सा आ गया। गालों पर लालिमा छा गई, बड़ी बड़ी आंखें धीरे से नीचे झुक गई, दिल धड़क उठा, लगा उछल कर हलक में फ़ंस जायेगा।
ओह्ह्ह दिनु "मुझे छोड़ दो मैं मर जाऊंगी... मेरी जान निकल जायेगी ... आह्ह !"
-भाभी आपकी सुन्दरता मुझे आपकी ओर खींच रही है, बस एक बार चूमने दो !"
कह कर मैं सविता भाभी गालों पर बेहताशा चूमने लगा चुमते चुमते उसके होंठो को अपने अपने होठो से चूसने लगा उनकी सांसों की खुशबुओं में मुझे जैसे होश ही नहीं रहा। दोनों खड़े हो गए और सोफे के करीब आकर एक दुसरे को बाँहों में भर कर चुमचाती करने लगा मेरा लण्ड तन कर उसकी योनि को अपनी खुशी का अहसास दिला रहा था। भाभी की वासना भरी गुलाबी आंखें यह बता रही थी कि उसकी चुत कितने बैचेन हैं
मैंने भाभी के ब्लाऊज को खोलने में लगा और उनके दोनों कबूतर को हथेली में पकड़ कर सहलाकर अबोध बालक की तरह उनकी चुचक को चूसने लगा सविता भाभी ने मेरा पजामे के नाड़े को खीच कर खोल दिया और लंड राज को हथेली में पकड़ कर आगे पीछे करने लगी मैंने भी सविता भाभी की साडी और पेटी कोट खोल्ड कर नंग धडंग कर दिया
उसके सुडौल स्तन तन कर बाहर उभर आये। उनकी कठोरता बढ़ती जा रही थी। चुचूक सीधे हो कर कड़े हो गये थे। सविता भाभी को सोफे पर बिठा कर उसके दोनों पैरों को घुटनों के बल मोड़ कर फैला दिया और सोफे के निचे बैठ कर मैं उनके चुत के फानको को जीभ से रगड़ ने लगा उनकी झांटों युक्त चुत से पिसाब व चुत रस की महक आ रही थी जो तन उतेजना पैदा कर रही थी जीभ फिराते फिराते उनकी चुत की दोनों पपड़ी को फैला कर जीभ से चुत चुदाई करने लगा और थोड़ी देर में उनकी चुत में सिकुडन पैदा हुई और वो मेरे मुह में झर गयी फिर मैंने खड़े होकर लंड के सुपाडे को सविता भाभी के होठों पर रगड़ ने लगा भाभी भी अब होठो को खोल कर लंड को चूसने लगी वो लंड चुसाई कर रही थी और मैं उसके चुत की मदन मणी को रगड़ रहा था फिर मैंने लंड को उसके मुह से निकाल कर उसके चुत के मुहाने रह कर उसके चुत में प्रवेश करने लगा सविता भाभी की चुत गीली होने ने कारण आसानी से लंड चुत की गहरी घाटी में अन्दर बहार हो रहा था लण्ड कभी बाहर आता तो चूत उसे फिर से अन्दर खींच लेती। लण्ड चूत का घर्षण तेज हो उठा। भाभी उत्तेजना से सराबौर अपनी चूत लण्ड पर जोर जोर पटकने लगी। मस्ती का भरपूर आलम था। भाभी कहराने लगी थी आह्ह्ह ... मेरा पानी निकल पड़ा ... मैं झड़ने वाली हूँ और दोनों संग संग झड़ गए. जब मैंने उनकी चुत से लंड निकाला तो उनकी चुत से मेरा और भाभी का मिश्रित वीर्य के धरा निकल कर उनकी गांड की ओर बहाने लगी. अब मैं हर दोपहर को भाभी की जम कर चुदाई करने लगा ६-७ महीने बाद वो लोग दुसरे शहर चले गए
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