Monday, October 31, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ बेईमान दिल

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

बेईमान दिल

लेखिका : मोनिषा बसु
दोस्तो,
आज मैं अपने जीवन की एक और मीठी याद आप के साथ बाँट रही हूँ। मैं अपने
कॉलेज के जमाने से ही बहुत स्पष्ट और बेबाक लड़की थी, अपनी पढ़ाई पूरी
करते-करते तीन लड़कों से सम्बन्ध बना चुकी थी। लड़के-लड़कियों की चुदाई की
व्यस्क कहानियाँ पढ़ना, ब्ल्यू फ़िल्में देखना मेरे लिये मामूली बात थी और
मैं इस तरह की चीज़ों में बहुत रस लेती थी। इन्टर्नेट ने तो मेरी जैसी
अच्छी घरों की लड़कियों को चुदक्कड़ बनाने का काम और दिल बहलाने का काम और
भी आसान कर दिया था।
बात अभी कोई डेढ़ साल पहले ही की है। मेरा एक चचेरा भाई साहिल हमारे घर
आया हुआ था। मेरे भाभी-भैया गणपति उत्सव के लिये अपने कोकण जा रहे थे।
साहिल भी सभी के साथ घुलमिल कर हंसी-मजाक करता था। पर वो सबकी नजर बचाकर
जिस तरह मुझे देख रहा था, उसकी नीयत समझने में मुझे देर नहीं लगी। एक बार
वो हॉल में वो अकेले अखबार पढ़ रहा था कि मैं भी हॉल में पहुँच कर उसके
सामने उसकी तरफ़ पीठ करके झुक कर सोफ़े के नीचे से गिरे पेन को निकाल रही
थी तो मैंने झटके से अपना सर घुमा कर उसे पीछे देखा। वो अखबार की जगह
मेरे पीछे के चूतड़ों को एकटक घूर रहा था। उठते हुए मैंने उसके पजामे में
से उभरते हुए उसके लण्ड के उभार को भी स्पष्ट देखा। उसके उभरते हुए लण्ड
को देख कर मैं मुस्करा दी। मुझे यह सब बुरा नहीं लगा बल्कि अच्छा ही लगा।
आखिर वो भी एक मर्द ही था।
मेरी भारी-भरकम गाण्ड को देख कर उसके लण्ड का खड़ा होना मेरे लिये तो गर्व
की बात थी। वो समझ गया था कि मैंने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया है। मेरी
कंटीली मुस्कान से उसकी हिम्मत और भी बढ़नी ही थी। मैं भी पजामे के ऊपर से
ही उसके लण्ड का एक्स-रे कर ही चुकी थी। इतने में मम्मी आ गई। साहिल ने
अखबार से अपने लण्ड के ऊपर परदा कर लिया।
अब हम एक घर में रहते हुए एक दूसरे को बड़ी हसरत से देखते थे। हमारे बीच
पक रही खिचड़ी से सभी अनजान थे। साहिल के सामने नजर आते ही मेरी चाल और
मतवाली और मस्तानी हो गई थी। "हिप्स नेवर लाई !" औरत के चूतड़ कभी झूठ
नहीं बोलते। खासकर जब सामने वाले की दावत कबूल हो तब तो पंख लग जाते हैं।
खैर मम्मी तो ऑफ़िस के काम से पुणे चली गई थी और भाई और भाभी अपने बेटे के
साथ और साहिल भी जाने को निकल पड़ा था। साहिल भाई और भाभी को रेलगाड़ी में
बैठा कर स्वयं भी नासिक के लिये रवाना होने वाला था। अभी मैं घर में अपने
कुछ निजी कामों के रहते अकेली रह गई थी। मैं मायूस थी क्योंकि साहिल ने
मेरे दिल में आग लगा दी थी और यूं ही निकल गया था। मुझे यकीन भी नहीं हो
रहा था कि साहिल इतनी लाईन मारने के बाद मुझे चोदे बिना कैसे जा सकता था,
जबकि अच्छे अच्छे हीरो लड़के मेरे पीछे लण्ड अपने हाथ में लिये हिलाते हुए
घूमते थे।
यही सब सोचते हुए शाम हो गई थी। बाहर तेज बरसात होने लगी थी। भैया गाड़ी
में से मुझे फोन कर के बताते जा रहे थे कि वो कहां तक पहुंचे है, और
कितनी देर और लगेगी घर पहुंचने मे। तभी मेरे दरवाजे की घण्टी बजी। मैंने
दरवाजा खोला तो सामने साहिल खड़ा था। अपना एयरबैग उसने मुझे थमाया और मेरी
ओर बढ़ते हुए मुस्कराया।
"तुम… तुम गए नहीं…?" मेरे मुख से निकला और बैग लेकर मैं अन्दर मुड़ी।
"मेरी गाड़ी छूट गई !" वो मुस्करा कर बोला।
हम अन्दर आ चुके थे। दरवाजा बन्द करते हुए मैंने कहा,"सच में गाड़ी छूट गई
या जानबूझ कर छोड़ दी?"
"तुम्हें क्या लगता है?" वो तौलिए से सर पोंछता हुआ बोला।
मैं जवाब में आँखे मटकाते हुए मुस्काई। मेरी टांगों के बीच बैठी हुई डायन
एक नये दमदार लण्ड को निगलने के लिये मचल रही थी। उसके पजामे का उभार मैं
देख चुकी थी। लण्ड के आकार का अन्दाजा मुझे हो चुका था। बस अब मुझे उसकी
अगली हरकत का इन्तज़ार था।
एक तो घर में बस हम दोनों, उस पर हसीन रात में जोरदार बारिश, दो युवा
जिस्म, चुदाई के लिये मस्त मौसम था। मैं अब ज्यादा शरीफ़ों वाले नखरे दिखा
कर वक्त बरबाद करने के मूड में नहीं थी। साहिल जानकर ही मेरे सामने अपने
गीले वस्त्र उतारने लग गया था। केवल एक छोटा से अन्डरवियर पहने था फिर
अन्दर जाकर अपने गीले कपड़े बाथरूम में लटका दिये। मैं भी उसका
आत्मविश्वास देख कर मस्त थी क्योंकि वो वैसे बड़े आराम से अपने बैग में से
लुंगी निकाल रहा था।
उसने मेरी तरफ़ देखा तो मैंने कटाक्ष किया,"बड़े बेशरम हो ! एक लड़की के
सामने नंगे खड़े हो?" मैंने उसके नीचे लण्ड के उभार को निहारते हुए कहा।
तब वो मुस्कराया और बोला,"क्यों अन्डरवियर तो है, क्या यह काफ़ी नहीं है?"
उसने धीरे से अपनी एक आँख दबा दी और शरारत से मुस्कराया।
"अगर काफ़ी है तो ठीक है, फिर यह लुंगी क्यों पहन रहे हो?" मेरी नजर अभी
भी उसके अन्डरवीयर में से जोर लगाते हुए लण्ड पर टिकी थी।
"तुम कहो तो नहीं पहनता !" कहते हुए उसने मेरी आँखों में झांका।
"हर काम मेरे कहने से करोगे क्या?" मैंने उसके नजदीक आते हुए अपनी आँखे
उसकी आँखों से उलझा दी।
कहकर जैसे ही मैं पीछे मुड़ी, अचानक मेरा सर लुंगी से ढक गया। मैंने लुंगी
हाथ से खींच कर अपने चेहरे से हटा दी। सामने फिर से वही मात्र अन्डरवियर
में साहिल मुझे देख कर मुस्करा रहा था। पर इस बार उसका लण्ड फ़ूल चुका था।
उसका उभार अब जैसे उसकी अन्डरवियर को हटा कर बाहर आ जाना चाहता था। मैं
कभी उसकी आँखें देखती तो कभी उसके उभरे हुए लण्ड को देखती। वो मुझे देख
कर मुस्कराया, जवाब में मैं भी मुस्कराई और शरमा गई।
अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने फ़ूले हुए उभार पर यानि लण्ड पर रख दिया।
मेरा दिल मचल गया। मैं खुद को उसके लण्ड को दबाने के लालच से रोक नहीं
पाई। आखिर मुझे भी तो ऐसे ही प्यारे लण्ड की तलाश थी। उसने मेरी आँखों
में झांका और हाथ बढा कर मेरी काम वासना से बेबस चूचियों पर रख दिया।
मेरी सांसें जैसे रुक सी गई फिर मेरे हृदय में चूचियां दबाने से एक मीठी
सी हूक उठ गई। मैंने भी उसकी छोटी सी अन्डरवियर में हाथ घुसा कर उसके
लण्ड को पूरा ही मुठ्ठी में कस लिया। उसकी आँखों का इशारा समझ कर मैं
झुकने लगी और लण्ड को बाहर से ही उसे चूम लिया। फिर जाने कैसे अपने आप ही
मेरे हाथ उसकी अन्डरवियर को नीचे खींचने लगे और नीचे तक खींच कर उसे नग्न
कर दिया।
अब उसका शानदार लण्ड मेरे मुख के सामने था- आह ! गोरा सा, तना हुआ सुपारा
जोश से लाल सुर्ख हो रहा था। हाय क्या चीज़ बनाई है ऊपर वाले ने ! और
दूसरे ही पल उसका लाल सुपारा मेरे नाजुक होंठों के बीच दब गया।
"हाय चूस … ओह्ह्ह्… आह्ह्ह्…… मेरी जान… ले … मेरा … लण्ड ले ले … मस्त
चूसती है रे तू !"
वो मेरी लण्ड चुसाई से मस्त हो रहा था। अपना मस्त लण्ड चुसा कर फिर उसने
मुझे खड़ा कर के मुझे एक झटके में नंगी कर गोदी में उठा लिया। दस सेकण्ड
बाद ही मैं बिस्तर पर थी। उसने मेरी टांगें चौड़ी कर दी और मेरी चूत को
मस्ती से चाटने लगा।
अब मैं भी अन्ट सन्ट बकने लगी थी,"ओह माई डियर … लूट ले मुझे… आह चूस ले
साले… डाल दे अपना लौड़ा मेरी चूत में !"
अब वो मेरे ऊपर छा गया। उसने अपना सात इन्ची लण्ड मेरी चूत से टकरा दिया।
चूत को पूरी गीली हो कर लसलसी सी चिकनी हो गई थी। मेरा शरीर सनसना उठा ।
फ़चाक से पूरा ही लण्ड मेरी चूत में उतर गया।
"आह्ह्ह्ह्ह … स्स्स्सीऽऽऽऽऽऽऽ कैसे मर्द हो … तुम मेरे भैया ?" मैं
मस्ती में चहकी।
"चुप साली, मैं तेरा भाई नहीं हूँ।" साहिल ने कहा।
"सगा ना सही, पर दूर के तो हो ना, कहीं का नहीं छोड़ा मुझे, आह्ह्ह, चोद
के ही छोड़ा ना मुझे !" मैंने उसे उकसाया।
"हाय, तुम तो जैसी सती सावित्री हो … ले खाले मेरा लौड़ा, वैसे ही
तुम्हारा नखरा भी मस्त है।" उसने ताना दिया। उसकी बातों से मैं तो शरमा
भी नहीं सकी। शर्माती भी कैसे … मजा जो जम कर आ रहा था। साहिल मेरी
चूचियाँ दोनों हाथों से मसलते हुए अपने लण्ड के हर धक्के से मेरी चूत की
गहराई नापने के साथ मेरे अन्दर की छिनाल औरत को अपनी औकात पर आने के लिये
उकसा रहा था। मैं चुदक्कड़ सी बनती जा रही थी, अपनी चूत को उछाल उछाल कर
उसका साथ दे रही थी।
हाय मेरी जान, क्या खूब चुदाती हो डार्लिंग … तुझे तो छिनाल, पूरी रात
चोदूं … साली !" वो बड़बड़ाया।
मैं भी कम कहाँ थी … मस्ती में मैं भी उसे सुना रही थी,"चोद डालो जानू,
फ़ाड़ दो इस चूत को…जानू … आज की रात लूट लो मुझे, मेरे राजा … जोर से चोद
डालो !"
फिर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ दबा दिये और उसे कचकचा कर चूसा और काट लिया।
चूत में मोटा लौड़ा लेकर अपने होंठ चुसवाने का मजा कुछ ओर ही होता है, यह
तो वो ही जानती है जो इस तरह से कभी चुदी हो, खास करके जब मौका देख कर
चौक्का मारा गया हो तो क्या कहने। वो चुदाई ही क्या जिसमे नीति नियमों की
मां ना चुदी हो। आह्ह्ह मेरी चूत भी तभी फ़चफ़चा कर झड़ गई। शायद इसी मजे के
लिये पैसे वालों की लड़कियाँ भी रांड बन जाती हैं।
थोड़ी देर के बाद उसने अपना लण्ड निकाल लिया, मैंने उसे प्रश्नवाचक दृष्टि
से देखा। उसने अपना लम्बा लण्ड मेरी दोनों चूचियों के बीच में रख दिया …
फिर दोनों बोबे को को हाथों से दबा कर लण्ड को मध्य में भींच कर आगे पीछे
रगड़ने लगा। अचानक ही उसके लण्ड से एक तेज पिचकारी छूटी, जो सीधे मेरे
चेहरे को भिगोने लगी। फिर उसने हाथ से अपने लम्बे मोटे लण्ड को पकड़ कर
मेरे लबों से अपना लाल सुपारा छुआ दिया। उफ़्फ़्फ़, मेरा मुख तो खुला हुआ था
उसने अब अपना लण्ड निचोड़ा और बची हुई कुछ वीर्य की बूंदे मेरे खुले मुख
में टपका दी। मैंने उसे तिरछी नजरों से मुस्करा कर देखा और उसे ऐसा बताया
कि जैसे मुझे बहुत स्वाद आया हो। वो मुस्कराता हुआ सुपाड़े को मेरे होंठो
से रगड़ रहा था। मैंने उसका वीर्य गले से नीचे उतार लिया और फिर अपनी साफ़
सुथरी जीभ बाहर निकाल कर उसे दिखाई।
अब वो मेरे चेहरे से वीर्य को लण्ड से उठा उठा कर मेरी जीभ पर लगाने लगा
और मैं मुस्कराती हुई उसे चाट चाट कर उसका उत्साह बढ़ाने लगी। अन्त में
मैंने उसका लण्ड मुख में लेकर उसे पूरा चूस कर साफ़ कर वीर्य को गले से
नीचे उतार लिया। यह देख कर उसने मुझे चूम लिया।
"मान गया मेरी जान, मेरा अन्दाजा सही निकला !"
"कैसा अन्दाजा?" मैंने पूछा।
वो मुस्कराया,"तुम्हे पहली नजर देख कर मुझे लगा था तुम में एक हाई फ़ाई
रण्डी छुपी हुई है, बिल्कुल मेरे लायक !"
मैंने दोनों हाथों से उसे गले से पकड़ कर उसे अपनी तरफ़ खींचा और उसके
होंठों को चूम लिया।
मेरी हरकत पर वो बोला,"वाह मेरी रण्डी मजा आ गया।"
मैं इठलाते हुए बोली,"अगर तुम मुझे बाहर कहीं रण्डी कह कर बुलाते तो जवाब
में मैं तुम्हारा मुंह तोड़ देती, मगर चूत में लण्ड डाल के रण्डी कहा तो
मुँह चूम के इनाम ही दूंगी ना?"
"मुंह क्यों, लण्ड चूम ना छिनाल !" कह कर फिर उसने अपना मस्त लण्ड मेरे
मुंह में डाल दिया। लण्ड कैसे चूसना है ये मैं बखूबी जानती थी। वैसे मैं
चुसाई में महारथी हूँ, बस पी एच डी की डिग्री नहीं ली है। जैसे जैसे उसका
लण्ड चूसती गई उसका लण्ड मेरे मुंह में ही फ़ूलने लगा। हम दोनों बिस्तर से
उठ गए और बाथरूम चले। पेशाब करके अगला राऊण्ड भी तो खेलना था। वापस आकर
मैं बिस्तर पर लेटी ही थी कि उसने मेरे बोबे सहलाते हुए मेरी कमर को पकड़
कर पलटने का इशारा किया।
मैं पेट के बल आ गई। खूब समझ रही थी मैं उसकी मंशा।
अब वो मेरे चूतड़ों को कस कस कर मसलने लगा। मेरी गाँड को चीर कर उसने उसे
अपनी अंगुली से खूब रगड़ा।
"कैसा लग रहा है जानू?"
"ओह्ह, इरादा क्या है?" मैंने पूछा।
जवाब में उसने चूतड़ पर जोर से चपत लगाई।
मैं सेक्स से कराह उठी।
"आह, बड़े जालिम हो, ऐसे मारते है क्या ? समझते क्या हो खुद को?"
"मैं, आह्ह्… राण्डों का दीवाना समझता हूँ" उसने मुस्कराते हुए कहा और एक
फ़्लाईंग किस दिया।
"यानि तुम्हारी नजर में मैं …" मैंने बात अधूरी छोड़ कर स्माइल दिया।
"मेरी नजर छोड़ो, अपना नजरिया बताओ, तुम क्या हो, मेरी जान?"
वो ही जो तुम्हारी नजर में है … राण्ड !" मैंने आँखें मटकाते हुए कहा।
"हाय मेरी राण्ड, कहाँ है तेरी गाण्ड? आज तो मार के रहूँगा।" कहते हुए
उसने मेरे भारी चूतड़ मसलना शुरू कर दिया।
अब उसने मेरी गाण्ड को थोड़ा सा उठा कर घोड़ी बना दिया। मैंने भी मस्ती में
भर कर अपनी टांगों को फ़ैला कर तान कर अपनी गाण्ड को तबियत से उभारा। उसने
मेज पर रखा तेल थोड़ा सा हथेली पर लेकर अपनी अंगुली डुबा डुबा कर मेरी
गाण्ड के कसे छेद को नरम और चिकना बनाने लगा। अब उसने अपने सख्त लौड़े पर
तेल को रगड़ा और उसे मेरी गाण्ड पर रख दिया और धीरे से अन्दर सरकाया।
"उईईईई … ईईईईई …" मैंने सिसकी भरी,"धीरे से आह्ह्ह रे … ओह्ह्ह्ह, धीरे
जानू…" मैंने बेड के आईने में अपना मुख देख कर और भी मुँह बना लिया।
मेरे चेहरे को देखकर मजा लेते हुए उसने मेरी कमर पकड़ कर जोर से शॉट मार
कर अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में फ़ंसा दिया। मैं आगे को झुकी, पर वो भी
मेरी कमर को पकड़े हुए मेरे साथ ही झुका। मैंने अपनी गाण्ड मछली जैसे
फ़ड़फ़ड़ाई, पर क्या मजाल थी कि गाण्ड से उसका मोटा लण्ड निकल पाता ! साले ने
मजबूत सेटिन्ग की हुई थी। उसने घुड़सवारी के अन्दाज में कस कस कर कई मस्त
धक्के लगा कर उसने मेरी गाण्ड को चोदा।
मैं घोड़ी की तरह हिनहिनाई,"आह … मार डाला रे, हाय राम, साले ने मेरी गाण्ड चोद दी।"
लेकिन वो तो अपना काम किसी रोबोट की तरह करता रहा … जैसे मेरी भाषा उसे
समझ में नहीं आ रही हो।
चोदते चोदते जब दर्द कुछ हल्का हुआ … मैंने खुद को ढीला छोड़ दिया और उसका
साथ देने लगी।
"अब कैसा लग रहा है… मेरी राण्ड? ले और खा मेरा लण्ड, ले साली ले मेरा
लण्ड मस्ती से खा ले !"
वो तो मेरी गाण्ड इस तरह से बजा रहा था जैसे कि मैं सचमुच की राण्ड हूँ
और कोई दलाल ढेर सारे पैसे दे कर उसके हवाले कर गया हो और वो मेरी फ़ाड़ कर
अपना दिया हुआ माल वसूल कर रहा हो।
खैर जी, अब तो मैं भी मस्ती से मजा ले रही थी।
कुछ ही देर में वो बदहवास सा धक्के पर धक्के मारने लगा, मैं समझ गई कि वो
झड़ने के करीब है। अचानक उसने अपना लण्ड बाहर खींचा, मैं भी शराफ़त छोड़ कर
एक राण्ड की तरह पलटी और अपना मुँह लण्ड के ठीक नीचे बल्कि लण्ड के बहुत
पास ले आई। उसने एक लम्बी आह भरी और अपनी सांस छोड़ते हुए पच पच करके अपना
वीर्य छोड़ने लगा, मेरे मुंह में वो वीर्य गिराने लगा। मैं तो जैसे नशे
में सराबोर हो गई।
"लूट किया ना मैंने तुम्हें, तेरी इज्जत को साली, फ़ाड़ दिया ना तेरी
गाण्ड, बोल मेरी जान।" साहिल बोला।
"हुंह … तुमने मुझे लूट के मेरी इज़्ज़त और भी बढ़ा दी है… सही सलूक किया है
मेरे साथ !" मैं बड़ी अदा से मुस्कराई।
"अब क्या इरादा है? और फ़ड़वाओगी मेरी रण्डी बहना? मिस छिनाल इण्डिया !"
"अब तुम मेरे मेहमान हो, रात भी पूरी पड़ी है … चाहो तो फ़ाड़ते रहो इस
राण्ड की गाण्ड को और चूत को !" मैंने भी इतरा कर गाण्ड मटका कर जवाब
दिया।
साहिल एक बार फिर मुझ पर टूट पड़ा। मेरे दोनों टांगें फिर से चौड़ी हो गई
और लण्ड की धार एक बार फिर मेरे शरीर को चीरती हुई मेरी चूत में घुस पड़ी।
इस बार मैंने अपनी मस्ती नहीं रोकी और जोर से मस्ती से चीख चीख कर चुदाने
लगी।
मोनिषा बसु


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