Saturday, October 29, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मि...




हिंदी सेक्सी कहानियाँ

बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां भी……-1

प्रेषक : पप्पू राम
हेल्लो दोस्तो, मेरा नाम सिमरन है। यह मेरे जीवन की वास्तविक कहानी है इसलिये इसे जरूर जरूर पढ़ें और अपने विचार भेज कर मेरी हौंसला-अफ़्जाई करें।
प्यार से मुझे सिम्मू कहते हैं। मेरी उम्र सिर्फ़ 20 साल है लेकिन मेरे गदराये हुए जिस्म कि वजह से मैं भरपूर जवान लगती हूँ। मेरा कद 5 फ़ीट 8 इन्च है। आप मेरी खूबसूरती का अन्दाजा इसी बात से लगा सकते है कि अभी-अभी मैंने मिस कॉलेज का खिताब जीता है। मुझे अन्तर्वासना की कहानियों का पता कैसे चला? और इसके बाद मेरी जिन्दगी मे क्या घटित हुआ? इसकी पूरी जानकारी मैं आपको आगे की कहानी में बताऊँगी।
मेरे पापा का पब्लिकेशन का काम है, उनका ऑफ़िस घर के नीचे ही है। मम्मी हाउस वाइफ़ है। मेरे परिवार में मेरे दो छोटे भाई हैं निक्कू और सन्जू। इनके अलावा हमारे साथ और कोई नहीं रहता है। पापा के ऑफ़िस मे ज्यादा स्टाफ़ नहीं है। एक लड़का आता है जो की निहायत ही सीधा-सादा है और दूसरे मेरे दूर के रिश्ते के अन्कल आते हैं, वो मुझसे बड़े हैं और शादीशुदा हैं लेकिन मुझे उनकी नियत मेरे लिये सही नहीं लगती है। उनकी नजर हमेशा मेरे वक्ष पर ही टिकी रहती थी। वो हमेशा मुझसे अकेले में बात करने की कोशिश करते हैं और कभी कभी मुझे छूने की भी कोशिश करते हैं। मैं रिश्तेदारी का ख्याल करके उनसे कुछ भी नहीं कह पाती हूँ। मगर मुझे उनकी यह हरकत जरा भी अच्छी नहीं लगती है। जब पापा ऑफ़िस मे नहीं होते हैं तो वो इन्टरनेट पर गन्दी गन्दी साइटें देखते रहते हैं। इस बात का पता मुझे तब चला जब एक दिन मैं उन्हें चाय देने अचानक ऑफ़िस चली गई। वहाँ वो नन्गी फ़िल्मों की साइट देख रहे थे। मुझे देखते ही उन्होंने फ़ौरन उसे बन्द कर दिया। हालांकि मैंने सब कुछ देख लिया था लेकिन मैं जानबूझ कर अनजान बन गई और उनसे इधर इधर की बातें करके वापस ऊपर आ गई।
लेकिन मेरे अन्दर अभी भी उथल-पुथल चल रही थी। उस फ़िल्म की सिर्फ़ एक झलक ने मेरे मन में तूफ़ान खड़ा कर दिया था। मेरा मन बार बार उस फ़िल्म को देखने के लिये मचल रहा था, लेकिन उस दिन मुझे इसका मौका नहीं मिल पाया। अब मैं मौके का इंतजार करने लगी। आखिर एक दिन वो मौका आ ही गया।
उस दिन मैं अपने कॉलेज के कुछ नोट्स तैयार करने के लिये पापा के ऑफ़िस में गई। काफ़ी रात हो चुकी थी, पापा मम्मी अपने कमरे में सोने के लिये जा चुके थे और मेरे दोनों भाई भी अपने कमरे में सोने जा चुके थे। मैंने उसी कम्प्यूटर को चालू किया जिस पर अंकल काम करते थे। नोट्स तैयार करने के बाद मैंने इंटरनेट चालू करके मेरे अन्कल की देखी हुई साइट्स को क्लिक करना शुरु किया। वहाँ पर एक से बढ़कर एक चुदाई की फ़िल्में देखकर मैं गर्म हो गई। इसी दौरान मैंने अन्तर्वासना पर मैने ढेर सारी भाई-बहन और चाचा-भतीजी की चुदाई की कहानियाँ पढ़ी। तब ही मैंने सोचा कि अन्कल आखिर मुझे इतना घूरकर क्यों देखते हैं।
खैर चुदाई की कहानियाँ पढ़कर और चुदाई के दृश्य देखकर मेरी चूत में भी पानी आना चालू हो गया। उस दिन तो मैंने जैसे-तैसे अपने को शान्त कर लिया। लेकिन अब मैं भी अन्कल की तरफ़ खिंचती चली जा रही थी। मैं भी इसी मौके में रहती थी कि कब अन्कल मुझे छूएँ। लेकिन हमेशा घर में कोई ना कोई रहता है, इसलिए मेरी और अन्कल की इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी। इधर मैं रोजाना सबके सोने के बाद चुपचाप अपने कमरे से निकल कर चुदाई की फ़िल्मे देखती रहती और अपनी चूत पर हाथ फ़िरा फ़िरा कर और अपने चूचों को अपने ही हाथों से दबा दबा कर मजा लेती रही।
लेकिन जो मजा लड़कों से चुदाई में आता है, उससे मैं अभी अन्जान ही थी। मगर आखिरकार भगवान ने मेरी सुन ही ली।
वैसे तो हम सभी घर वाले अलग अलग कमरों में सोते हैं, पापा-मम्मी सबसे ऊपर वाले कमरे में, मेरे भाई निक्कू और सन्जू घर की दूसरी मन्जिल के आगे की तरफ़ वाले कमरे में सोते थे और मैं सबसे पीछे वाले कमरे में सोती थी। लेकिन अभी सर्दी ज्यादा पड़ रही है तो निक्कू और सन्जू मेरे कमरे में ही सोते हैं। मैं दोनों के बीच में सोती हूँ।
एक दिन मैं जब चुदाई की फ़िल्म देखकर अपने कमरे में आई तो देखा कि सन्जू जाग रहा है।
मुझे देखते ही उसने कहा,"दीदी, मुझे सू-सू करना है, अकेले जाने में डर लग रहा है, प्लीज आप मेरे साथ चलो ना !"
मैं बाथरूम तक उसके साथ चली गई। वहाँ जैसे ही उसने अपनी पैन्ट की जिप खोली, मेरी नजर उसके लण्ड पर पड़ गई। उस समय उसका लण्ड तना हुआ था। सन्जू का साढ़े चार इन्च लम्बा और दो इन्च मोटा लण्ड देखकर मैं दंग रह गई। मैंने आज पहली बार किसी लड़के का लण्ड इतने पास से देखा था।
मैंने मन में सोचा,"वाह ! इतनी सी उम्र में इतना मोटा लण्ड ! मेरे लिए तो इतना काफ़ी है।"
मुझे लगा कि अब मेरा मसला हल हो गया। मेरा मन तो हुआ कि अभी जाकर उसका लण्ड अपने कब्जे में कर लूँ, लेकिन डर भी लगा कि वो मेरा छोटा भाई है, अगर पापा मम्मी को पता चल गया तो?
खैर, उस वक्त तो मैने उसे कुछ नहीं कहा। लेकिन मुनासिब मौके का इन्तजार करने लगी।
एक दिन मैं कॉलेज से आई तो मम्मी पापा और सन्जू घर पर नहीं थे, निक्कू अकेला ही था। वो कमरे में पलंग पर कम्बल ओढ़कर टीवी देख रहा था। मैं भी अपने कपड़े बदल कर पलंग पर बैठ कर टीवी देखने लगी। हम दोनों ने अपने पाँव पर कम्बल डाल रखा था और पास-पास बैठ कर ही फ़िल्म देखने लगे। हालाँकि इस वक्त मुझे सन्जू की बहुत याद आ रही थी, काश ! निक्कू की जगह सन्जू घर पर होता और निक्कू पापा के साथ चला जाता, घर पर मैं और सन्जू होते ! आहहहहहहह ! मैं आज तो अपनी प्यास बुझा ही लेती। कितना मजा आता ! लेकिन मुझे क्या पता कि आज मेरे साथ क्या होने वाला है?
टीवी पर राजा हिन्दुस्तानी फ़िल्म आ रही थी, मेरा और निक्कू का पूरा ध्यान फ़िल्म देखने में था, इतने में टीवी पर आमिर खान और करिश्मा कपूर का "चुम्बन-दृश्य" आ गया। मुझे थोड़ी शर्म आ गई, आखिर वो मेरे बराबरी का भाई था, मैंने हड़बडी में रिमोट ढूढ़ने लिए इधर-उधर हाथ मारा, तो मेरा हाथ सीधे निक्कू की पैन्ट पर लग गया। वहाँ हाथ लगते ही हम दोनों हड़बड़ा गए, उसका लण्ड खड़ा था और गलती से मेरा हाथ उस पर पड़ गया।
उसने कहा," दीदी क्या कर रही हो?!!"
मैंने कहा,"कितना गन्दा सीन आ रहा है, चैनेल बदलने के लिए रिमोट ढूँढ रही हूँ!!!"
इसी बीच वो दृश्य खत्म हो गया और हम फ़िर से पास पास बैठकर फ़िल्म देखने लगे, लेकिन मेरा ध्यान तो फ़िल्म में बिल्कुल ही नहीं लग रहा था और बार बार निक्कू के लण्ड की तरफ़ जा रहा था। मगर मैने पहल करना ठीक नहीं समझा। इसी दौरान टीवी पर फ़िर से एक सेक्सी विज्ञापन आया। लेकिन रिमोट नहीं होने से इस बार हमने चैनेल नहीं बदला। हम दोनों ध्यान से उस विज्ञापन को देखने लगे। मैं तो पहले से ही गर्म हो चुकी थी, मेरा मन तो बहुत हुआ कि निक्कू का लण्ड पकड़ लूँ, लेकिन आज भी मैंने डर के मारे अपने आप पर काबू रखा। उस विज्ञापन को देख कर शायद निक्कू भी गर्म हो गया।
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि निक्कू का हाथ मेरी जांघों पर है और वो धीरे धीरे मेरी जांघों को सहला रहा है। उसके इस स्पर्श से मेरा रोम-रोम खड़ा हो गया। धीरे-धीरे वह अपना हाथ मेरी चूत की तरफ़ ले जाने लगा। मैं अपना सपना सच होते देख उसकी इस हरकत को जानबूझ कर नजर-अन्दाज करके टीवी देखने का नाटक करती रही। निक्कू का हाथ मेरी चूत तक पहुँचने वाला ही था कि अचानक दरवाजे की घण्टी बज उठी। मैंने जाकर देखा तो मम्मी-पापा आ गये।
रात का खाना हम सबने साथ ही खाया, इस दौरान मेरी नजर जब निक्कू से मिलती तो वो हल्के से मुस्कुरा देता, मैं समझ गई कि आज मेरा काम बन गया।
रात को सर्दी की वजह से हम जल्दी सोने चले गये। सन्जू तो जाते ही सो गया और थोड़ी देर बाद मुझे नीन्द भी आने लगी, रात को जब मेरी नींद खुली तो मुझे महसूस हुआ कि मेरे चूतड़ों पर कुछ कड़क चीज चुभ रही है, मैंने धीरे से हाथ लगा कर देखा तो निक्कू का लण्ड था, मुझे उसके लण्ड का स्पर्श बहुत ही अच्छा लगा, मैंने भी अपनी गाण्ड को उसके लण्ड से सटा दिया। फ़िर मुझे लगा कि निक्कू अपना हाथ मेरे पेट पर फ़िरा रहा है, मैं अभी भी अपनी पीठ दूसरी तरफ़ करके सोने का नाटक कर रही थी, धीरे धीरे निक्कू का हाथ मेरे चूचियों की तरफ़ बढ़ने लगा। मेरी धड़कन तेज होती जा रही थी, अब उसका हाथ मेरी चूची पर था, जैसे ही उसने मेरी चूची दबाई, मेरे मुँह से एक मादक सिसकी निकल गई।
उसने हल्के हाथों से मेरी चूचियों की मालिश करनी शुरु कर दी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। अब धीरे धीरे उसका हाथ नीचे सरकने लगा, मै भी अब झिझक छोडकर निक्कू का सहयोग करने लगी और सीधी लेट गई और अपने एक हाथ से उसके लण्ड को पैन्ट के ऊपर से ही दबाना शुरु किया। उसने अपने एक हाथ से मेरे नाइट-सूट का नाडा खोल दिया। मैंने भी उसके लण्ड को पैन्ट से आजाद कर दिया और उसका 6 इन्च लम्बा और 3 इन्च चौडा लण्ड हाथ में लेकर हिलाने लगी और मन ही मन सोचने लगी कि कहाँ तो मैं साढ़े चार इन्च लम्बा लण्ड लेने की सोच रही थी और कहाँ ये तगड़ा तना हुआ 6 इन्च लम्बा और 3 इन्च चौडा लण्ड मिल गया !
लेकिन कमरे में अन्धेरा था इसलिए देख नहीं पाई।
अब निक्कू मेरी पेन्टी के अन्दर हाथ डालकर मेरी चूत को सहलाने लगा। मेरे मुँह से आहहहह ! आहहहह ! स स सी सी !! आऊऊऊ !! की आवाजें आनी शुरु हो गई। मैंने करवट बदलकर निक्कू के होंठों पर चूमना चालू कर दिया, उसने मुझे नीचे गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गया और जमकर मेरे होंठों को चूसा।
अब वो धीरे-धीरे नीचे की तरफ़ बढ़ने लगा और मेरी चूचियों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा। मेरे से अब अपने पर काबू नहीं हो रहा था और मैं आहहह ! आहहाह्ह्ह्ह ! करने लगी। अब निक्कू ने मेरा पजामा उतारा और पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत चूमने लगा। उसने एक झटके से मेरी पैंटी उतार दी और मेरी चूत का दाना अपने मुँह में लेकर चूसने लगा, मेरे मुँह से आआ आआअहहहहह ऊ ऊऊ उहह्ह्ह्हह्ह की आवाज निकलने लगी, जो पूरे कमरे में फ़ैलने लगी।
अचानक, कमरे की बत्ती जली, रोशनी होते ही हम दोनों हड़बड़ा गए, देखा तो सामने सन्जू खड़ा है और हमें आँखें फ़ाड फ़ाड कर देख रहा है,"अरे बाप रे! तुम दोनों नन्गे होकर क्या कर रहे हो? ठहरो! मैं अभी जाकर पापा को कहता हूँ।"
हम दोनों घबरा गए, मै झट से कपड़े ठीक करके उसकी तरफ़ लपकी और उससे विनती करने लगी,"सन्जू रुक ! हम तो ऐसे ही खेल रहे थे, प्लीज, पापा से कुछ मत कहना, तू जो कहेगा, जो माँगेगा वो तुझे दूँगी, प्लीज रुक जा।"
निक्कू भी उससे विनती करने लगा।
सन्जू,"एक शर्त पर मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा।"
हम दोनों एक साथ बोले,"हमें तेरी हर शर्त मन्जूर है।"
सन्जू-"तुम दोनों मेरा हर काम करोगे और जो खेल तुम अभी खेल रहे थे, मुझे भी खेलाओगे, मन्जूर है?"
"थैंक्यू ! सन्जू !" मैंने खुशी के मारे उसे गले लगा लिया और उसके गालों को चूम लिया। मुझे मेरी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था कि आज एक के बजाय दो-दो लण्ड मिलने वाले हैं।
दूसरे भाग में समाप्त !
आपकी चुदासी सखी सिमरन
ram.pappu783@gmail.com




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