पुष्पा का पुष्प-4
लेखक : लीलाधर
कुछ क्षणों पहले हाथ भी नहीं लगाने दे रही थी। अभी मस्ती में सराबोर है।
मैं और उत्साहित होकर थूथन घुसा घुसाकर उसके गड्ढे को कुरेदता हूँ। उसके
मुँह से कुछ अटपटी ऍं ऑं की सी आवाजें आ रही है। साथी अगर स्वरयुक्त हो
तो क्या बात है ! उसकी कमर की हरकत बढ़ती जा रही है।
अब अगला कदम ! मैं अपने हाथों को स्तनों पर से हटाकर कमर के दोनों तरफ
लाता हूँ और पैंटी की इलास्टिक में उंगलियाँ फँसाकर नीचे खींचता हूँ। वह
धीरे से कमर उठाती है। उसकी सहमति गुदगुदाती है। मैं नीचे हाथ घुसाकर
चूतड़ों पर से पैंटी सरकाता हूँ। हाथ पर चूतड़ों का मांसल गुदगुदा भार बेहद
अच्छा लगता है। उसकी हाँफती साँसों की ताल पर चूत थिरक रही है। मैं
रोमांच में डूबा धीरे धीरे चूत की वेदी पर से पैंटी खिसकाता हूँ। यह एक
बेहद गोपनीय, बेहद महत्वपूर्ण क्षण है। सर्जन के आपरेशन के बीच का क्षण।
कोई बेहद गहरी बात, उसकी और मेरी भी जिन्दगी की।
दोनों उत्सुकता के साथ साथ एक पता नहीं कैसी चिन्ता में भी हैं। मैं जैसे
उसके मन की हर बात किताब की तरह पढ़ ले रहा हूँ। मैं झुककर पैंटी सरकने से
खाली हुई जगह पर हल्के से दाँत गड़ाता हूँ। वह सीत्कार भरकर कमर उचकाती
है। मैं उसके दोनों पाँवों के बीच से निकलकर एक तरफ आ जाता हूँ और फैले
पैरों को दोनों तरफ से उठाकर समेटने की कोशिश करता हूँ। मस्ती में डूबी
होने के बावजूद वह हिचक रही है। मगर ज्यादा नहीं।
मैं पैंटी को खिसकाकर घुटनों पर ले आता हूँ। चूत पर ढोलकी की चमड़ी की तरह
तनी पैंटी घुटनों पर आकर ढीली पड़ गई है। उसकी लुचपुच कोमलता को महसूस कर
मेरा लिंग बेचैन होकर पेट पर सिर के पीछे से धक्के मारता है। मैं पैंटी
की बीच की भींगी पट्टी को मुट्ठी में कस लेता हूँ। छककर इस रस का पान
करुंगा। पुष्पा के पुष्प का शहद!
मैं पैंटी सरकाकर टखनों पर लाता हूँ और उसके छेदों से पाँव बाहर निकालता
हूँ। वह विरोध नहीं करती। वह बेकरार है। मगर अभी मैं उसे तड़पाऊँगा।
मैं नीचे पैरों की तरफ बढ़ जाता हूँ। बारी बारी से उसकी एड़ियाँ चूमता हूँ।
उसके पाँव खिंचे हैं। वह मुझे ऊपर मुख्य केन्द्र पर देखना चाहती है। मगर
मुझे हट गया देखकर उसके पैरों का तनाव घटता है। मैं धीरे धीरे पिण्डलियों
की ओर आता हूँ। उसके त्चचा की एक अलग ही गंध है। जीभ से उसे चाटता हूँ।
हल्का-सा नमकीन स्वाद, हवा में खुश्की के बावजूद गर्म बदन से निकला
पसीना।
मैं चूमते हुए उसके पैरों को एक दूसरे से अलगाता जा रहा हूँ। उसके घुटने
की भीतरी सतह पर गंध और स्वाद दोनों तीव्र हैं। मैं धड़कते हुए ऊपर भीतरी
जांघों की ओर बढ़ता हूँ। उसके पाँव उम्मीद में थरथरा रहे हैं। 'उस जगह' पर
मुँह लगाते ही मानों उछल पड़ेगी। मुझे सावधानी से आगे बढ़ना है। अभी झड़ने
नहीं देना है।
मैं हाथ बढ़ाकर उसके स्तनों पर फिराता हूँ। फुनगियाँ उसी तरह खड़ी हैं।
हथेलियों से उन्हें उनके मांस में दबाते हुए हल्के हल्के सहलाता हूँ।
भीतरी जांघों पर से मेरे होंठ ऊपर सँकरे होते कोण की ओर सफर कर रहे हैं,
वह जांघें फैलाकर मुझे पहुँच दे रही है। वही गंध, किसी उम्दा सेंट की
भीनी खुशबू।
मैं कुत्ते की तरह सूंघता उसकी ओर बढ़ा जा रहा हूँ। ऊपर मेरे दोनों हाथ
उसके स्तनों को लगातार मीठे मीठे मसल रहे हैं। कोण के शिखर के नीचे
चूतड़ों के दबने से उभरे मांस की गद्दी को चूमता हूँ। उनके ऊपर चूत का फूल
रखा है जिसकी डंठल नीचे गुदा की छेद की ओर जाती है।
पुष्पा वहाँ झुके मेरे चेहरे को टटोल रही है- रोकती हुई, और नहीं रोकती हुई।
मैं उसकी संकोच मिली संकोचहीनता पर उस क्षण भी रीझता हूँ।
मैं उसके पैर घुटनों से मोड़कर आखिरी सीमा तक फैला देता हूँ।
उत्कण्ठा से उसकी साँस रुक गई है।
मेरा सिर गंतव्य के सामने है- पुष्पा का पुष्प : अंधेरे में सूरजमुखी के
फूल की तरह खिला हुआ। जांघों के फैले पत्तों के बीच रखा मधु का दोना!
मैं दोने में मुँह लगाने से पहले उसके किनारों को होंठों से टटोलता हूँ।
मधु डबडबा रहा है। मैं दोनों तरफ से अंगूठे से खींचकर दोने को चौड़ा करता
हूँ। जीभ बढ़ाकर उसकी दीवारों को टोहता हूँ। पहले एक तरफ, फिर दूसरी तरफ।
बेहद फिसलनदार, मधु से चिकनी चिपचिपी...
थोड़ा सा स्वाद जैसे मेरी भूख बढ़ा देता है। जीभ चौड़ी करके उस पूरे दोने
ढँकते हुए अंदर उतर जाता हूँ। भीतर की बेहद कोमल जेली जैसी सतह पर जीभ
फिसलती है। मैं रिसते मधु को जीभ पर एकत्र करता हूँ और ऊपर ले जाकर चूत
के बालों में फैला देता हूँ। रास्ते में नन्हीं कली खुरदरी जीभ की रगड़ से
गनगना उठती है। उसके गले से हँक हँक जैसी मोटी आवाज निकलती है। दोनों तरफ
के होंठ रक्त से भरकर फूलकर गए हैं।
पूरी चूत जैसे अपनी ही चाशनी में रसगुल्ले की तरह फूली है। मैं उसे
रसगुल्ले की ही तरह मुँह फाड़कर अंदर लेते हुए चूसता हूँ। मोटे भगोष्ठों
को बारी से मुँह में खींचकर संतरे की फांक की तरह चूसता हूँ। उनमें हल्के
हल्के दांत गड़ाता हूँ। दांत का गड़ाव से दर्द और दर्द पर उमड़ती आनंद की
लहर में वह पछाड़ खा रही है। उसका रस बह बह कर निकल रहा है जिसे मैं
प्यासे की तरह चूसे जा रहा हूँ।
जीभ की नोक नुकीली करके कटाव में घुसकर ऊपर से नीचे तक लम्बाई में जुताई
कर रहा हूँ। भीतर की जेली जैसी सतह को जीभ की खुरदरी सतह से दबा दबा कर
सरेस की तरह रगड़ रहा हूँ। इस कोशिश में जीभ योनि की छेद में घुस घुस जा
रही है। वह पागल हो रही है... आह.... ओऽऽऽऽ.ह... जोर जोर कमर उचका रही
है।
मैंने उसकी हरकत को नियंत्रित करने के लिए उसकी जांघों को अपनी बाहों में
जकड़ लिया है। वह शिखर के करीब पहुँच रही है। मैं उसे जकड़े रखकर उसकी योनि
के छेद पर मुँह जमाता हूँ और जीभ नुकीली करके एकदम घुसा देता हूँ।
"अरे ... "अरे... वह हक्की बक्की सी रह गई है।
जीभ की खुरदरी सतह योनि के अंदर की दीवारों को खुरच खुरचकर उसका रस निकाल
रही हैं। मैं उसे और चकित कर देता हूँ...
उंगली से उसके गुदा का उत्तप्त छेद टटोलता हूँ और उसको गुदगुदाता हूँ।
साथ ही नाक की नोक से कटाव के शिखर पर थरथराती नन्हीं कली को कुचल रहा
हूँ।
उसका ओह ओह ओह ओह का लगातार मूर्ख-सा उच्चारण....
वह झड़ने के एकदम करीब है।
मैं हमला और तेज करता हूँ। योनि पर से मुँह हँटाकर उसकी भगनासा को होंठों
में कस लेता हूँ और योनि में उंगली गड़ा देता हँ और छुरे की तरह बार बार
घुसाकर वार करता हूँ। दूसरे हाथ की उंगली उसकी गुदा के छेद में चुभोए
हूँ। एक साथ इतने सारे हमले से वह हड़बड़ा-सी गई है। तेज उठे आनंद का झोंका
उसे शिखर के पार फेंक देता है। उसे जैसे कोई दौरा पड़ गया है। वह जोर जोर
कमर उचका रही है। उसके हाथ मेरे सिर को जोर से दबा रहे हैं..... पेडू की
हड्डी पर मेरे होंठ कुचल रहे हैं।
मैं आखिरी वार करता हूँ.... उसकी भग्नासा को होंठों में उठाकर हल्के से
चबा लेता हूँ, और वह यह जा वह जा.... ओऽऽह... ओऽऽऽह... आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽह...
मानों उसका बांध टूट पड़ा है, उसे एक दौरा-सा आता है और वह कमर एकदम धनुष
की तरह उठा देती है। .... रस की बरसात।
मैं पागल-सा चूसे जा रहा हूँ, मेरा मुँह, मेरी नाक, मेरी बंद पलकें सभी
उसके हाथों के दबाव के नीचे चूत पर मसल रहे हैं। मेरा दम घुट रहा है।
एक जोर की थरथराहट के बाद वह गिर जाती है और उसका हाथ मेरे सिर पर ढीला
हो जाता है। मैं साँस लेने के लिए ऊपर उठता हूँ। वह झड़ रही है।
किसी खून पिए शेर की तरह सिर उठाकर चमकती ऑंखों से इधर उधर देखता हूँ, वह
निश्चल पड़ी है।
आनन्द का सैलाब उसे बहाकर दूर ले गया है। वापस आने में देर लगेगी।
मुझे एक जीत की सी खुशी होती है। ऐसे आनंद की उसने कल्पना भी नहीं की
होगी। किसी और से सेक्स करने पर भी। मुझे पक्का लगता है इतना तीव्र आनंद
और किसी ने दिया नहीं होगा।
मैं चुप लेटा इंतजार कर रहा हूँ। फिर अजीब तरह से एक फालतू होने का भी
एहसास होता है। पुरुष इससे आगे नहीं जा सकता। वह डूबी है, मैं किनारे ऊपर
बैठा, व्यर्थ। मैं धीरे धीरे उसके एक तरफ आ जाता हूँ।
यही लड़की है, मैं उसे अंधेरे में देखता हूँ। मेरी कामनाओं की ज्वाला,
कितनी लंबी और गहरी आकांक्षों का लक्ष्य। मैं कितनी तीव्रता से इसे भोगने
के सपने देखता रहा हूँ। मैं देख रहा हूँ वह मेरे लिए चाय बनाकर लाई है,
वह दिनभर के काम के बाद थककर आई है और मैंने उसे छककर चोदकर सुला दिया
है..... वह नीचे से एक तरफ से ब्लाउज उठाती है और फूले फूले भूरे काले
चुचूक को बच्चे के मुँह में देकर ऑंचल से ढक देती है..... मेरी बहन से
ननद-भाभी की फुसफुस बातें कर रही है .....
मैं क्या क्या सोच रहा हूँ ! ऐसे समय में ?
विचित्र है। मुझे आश्चर्य हुआ, कब वह मेरी पत्नी संबंधी कल्पनाओं के
केन्द्र में आकर बैठ गई थी?
अभी तक तो मेरा उद्देश्य बस मजे लेने तक का था। लेकिन क्या यह मानेगी?
मुझसे बेहतर स्टेटस की है। मेरी इच्छा हुई कि आज इसे इतना संतुष्ट कर दूँ
कि यह मुझे चाहने ही लगे, पति के रूप में मेरी छवि को ना नहीं कर सके।
मगर क्या यह भी इतनी गम्भीर है? आज सिर्फ मजे के लिए आई है या कोई गहरी
इच्छा भी है?
पता नहीं। छोड़ो, ये सब बातें अभी सोचने का समय नहीं।
कुछ पलों में वह चैतन्य होती है। एक लम्बी साँस की आवाज। सिर घुमाकर मुझे
अंधेरे में ही देखती है और मेरे चेहरे को हाथ में लेकर मेरा मुँह चूम
लेती है। कृतज्ञता में। मेरे मुँह पर उसे अपनी योनि के रस का स्वाद मिलता
है। वह फिर चूमती है। फिर फिर अपने को मेरे मुँह पर चखती है। उसकी
कृतज्ञता मुझे गहरा संतोष दे रही है। क्या उसने पहले खुद को चखा है? हो
सकता है, खुद से हाथ से करती हो, की ही होगी। बेहिचक लड़की है, आजादी पाई
हुई, अपने से करना कौन बड़ी बात है। मुझे इच्छा हुई उस वक्त उसे देखता।
झड़ते वक्त उसका चेहरा कैसा लगता है....
मैं इस वक्त इतना सोच क्यों रहा हूँ?
वह मुझे चूमते हुए ऊपर आ गई है। मेरी छाती पर के नन्हें स्तनाग्रों को
मुँह में लेकर जीभ से गुदगुदा रही है। मेरा ही अनुकरण कर रही है। मुझे
गुदगुदी हो रही हैं। मैं उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरता हूँ। पेट और नाभि पर
उसके चुम्बनों से मुझे और गुदगुदी होती है। मैं उसके बालों में हाथ फेरता
हूँ। मेरे पेट के नीचे उसकी उंगली का नाखून हल्के से गड़ता है और चङ्ढी
नीचे खींचे जाने का एहसास होता है। मैं कमर उठाता हूँ। वह एक एक कर उसे
दोनों पैरों से बाहर निकाल देती है।
उसका हाथ सकुचाता हुआ सा लिंग की ओर बढ़ता है। इतनी देर में वह मुलायम
पड़ने लगा था। मगर अब उत्सुकता में सिर उठाता है। वह उसे उंगलियों की नोक
पर थाम लेती है, घुमाकर मानो अंधेरे में देखती है। उसका हाथ पड़ते ही वह
तेजी से जाग रहा है। वह उसकी जड़ के पास के बालों को हल्के हल्के खींच रही
है। कुछ क्षणों बाद उन बालों में एक गर्म साँस भर जाती है। आसपास चूमने
की सुरसुरी होती है।
क्या यह भी बदला चुकाएगी? मैं उत्सुकता और गुदगुदी से भर जाता हूँ,...
शायद अब लिंग को मुँह में लेगी।
कल जब उसने काँटे को मुँह में ले लिया था तब से उसकी कल्पना मन में घूम
रही है। मगर वह देर कर रही है, शायद हिचक रही है। मन करता है स्वयं पकड़कर
उसके मुँह में घुसा दूँ, मगर उसके लिए इतनी कोमलता का भाव मेरे मन में है
कि उस पर किसी तरह की जबरदस्ती करने की हिम्मत और इच्छा नहीं होती।
वह लिंग को मुट्ठी में कसे ऊपर नीचे सहला रही है...... हर हरकत के साथ
उत्तेजना की तरंग उठती है। वह उसे थपेड़े देती है और वह स्प्रिंग की तरह
बार बार तनकर सीधा खड़ा हो जाता है। वह कुछ बुदबुदा रही है ...
पर मैं आनंद की लहरों में कुछ सुन नहीं पाता। बस एक ही आतुरता है- वह उसे
मुँह में ले ले।
नीचे उतरकर जांघों को चूमती है।
नहीं करेगी?
इतनी खुली लड़की होने के बावजूद उसे उसको मुँह में लेने मे संकोच है?
मेरा लिंग दहाड़ रहा है। मैं उसे चोदने के लिए लिटाना चाहता हूँ। मगर वह
छुड़ाकर उठ जाती है।
''वेट ए लिटिल'' (थोड़ा ठहरो)... पहली बार सुनने की आवाज में बोली।
मैंने गौर किया कि उसकी आरंभिक लज्जा अब जा चुकी है। शायद अपनी योनि को
मेरे मुँह के हवाले करने के बाद उसके पास लजाने के लिए कुछ बाकी नहीं
रहा। वह मेरे लिंग के मुँह की त्वचा को नीचे खींच रही है। खिंचती हुई
चमड़ी दर्द करती है और अंतत: लिंग की गर्दन पर आकर फाँसी की रस्सी की तरह
कस जाती है। लिंग जैसे उसकी बंधन में दम घुटकर धड़क रहा है।
मैं उस दर्द और उत्तेजना की लहर को जज्ब करने की कोशिश कर रहा हूँ। तभी
लिंग के मुँह पर कुछ कोमल गर्म भींगा हुआ-सा टकराता है और 'पुच' की आवाज
सुनाई पड़ती है। अरे! मेरा लिंग चकित-सा खड़ा रह जाता हूँ। अंधेरे में कुछ
दिख नहीं रहा। इस अनुभव को उसने जाना नहीं था। धीरे धीरे कोई गर्म गीली
लिहाफ उस पर सरकती हुई उसे अंदर ले रही है। उसकी तहों के भीतर लिंग जोर
जोर धड़क रहा है; मैं उसकी धड़कन साफ सुन रहा है। हर धड़कन मुझे कहीं और दूर
फेंकती हुई असहाय करती जा रही है। लिंग के नन्हे से मुख पर जीभ फिराने की
गुदगुदी होती है।
धीरे धीरे वह वे तहें उसे अपने में कस लेती हैं, उसे चूसती हैं। यह कहानी
आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मेरा एक हाथ उसकी जांघों और मुड़े पैरों के बीच दबा है जहाँ मेरी खुशी से
उंगलियाँ चपचप भींगी चूत के नए नए परिचित हुए इलाके में भटक रही हैं। मैं
उसकी योनि के अंदर उंगली फँसाकर उसे अपनी ओर खींचता हूँ। वह लिंग को मुँह
के अंदर लिए लिए कमर मेरी ओर सरकाती है फिर कुहनियों पर भार लेकर एक टांग
मेरी छाती पर चढ़ा देती है। मैं उस टांग को खींचकर अपनी दूसरी तरफ रख लेता
हूँ और नितम्बों को पकड़कर छाती के बीच में सेट करता हूँ। उसकी औंधी चूत
मेरी छाती चूम रही है।
अंधेरे में उसका पूरा पृष्ठ भाग मेरे सामने है। नहीं देख पाकर भी कल्पना
में प्रत्यक्ष देख रहा हूँ- मसनद के तने किनारों जैसे गोल, गोरे और चिकने
नितम्ब, उन्हें बाँटती हुई घाटी जो नीचे जाती हुई गहरी हो रही है, फिर और
नीचे जाकर चूत के दबे होठों के बीच पतली होकर खो रही है। रहस्यों को दबाए
बहती नदी।
मैं दोनों गोलाइयों पर हाथ घुमाता हुआ दबाता हूँ। चिकनेपन और गुदगुदेपन
का मांसल पुंज। मैं शरारत से उन पर चपत मारता हूँ। चोट खाते ही वे भिंचकर
मेरी छाती पर दब जाते हैं। नीचे मेरा लिंग उसके मुँह में ऊभ चूभ कर रहा
है। अभी मुझमें थमने की क्षमता है।
मैं सिर के नीचे तकिए को दुहराकर लगाता हूँ और उसकी कमर को अपनी तरफ
खींचता हूँ। वह धीरे धीरे नीचे सरकती है। एक जांघ मेरा गाल छूती है, फिर
दूसरी जांघ। मैं कमर पकड़कर निर्देशित करता हूँ। मेरी नाक गुदा के छेद पर
दस्तक देती है। आज तुम मेरी सर्वांग प्रेमिका हो, आज तुम्हारा कोई अंग
मुझे अप्रिय नहीं।
लिंग पर बरसते प्यार की कृतज्ञता में मेरा रोम रोम डूबा है। मैं हाथों से
दिशा देता हूँ। चूतड़ों के बीच की दरार मेरी नाक की उठान पर सेट हो जाती
है और मेरा मुँह सीधे चूत के मुँह पर आ लगता है, जिसके पल्लों को मैं
दोनों तरफ से अंगूठों से खींचकर फैला देता हूँ। भीतरी कोमल चूत से मेरे
होंठों का संपर्क होते ही वह चूसना छोड़कर ठहर जाती है। कुछ क्षण रुककर
उसके होंठ फिर मेरे लिंग पर कस जाते हैं। मैं उसके कूल्हों को बाँहों में
बांधकर अपने पर दबा लेता हूँ।
आनन्द की इस अवाक् घड़ी में शब्द नाकाफी हैं। गनगनाती लहक में जलते दो तन।
तूफान में पछाड़ खाती नाव में दो सहयात्री।
वह लगभग पूरा भार देकर चूत को मेरे मुँह पर जोत ही रही है और मैं नीचे
उसके भार में कुचल ही रहा हूँ। रस की लसलसी छलछलाती फिसलन में दबकर घुटते
दम के बीच किसी तरह साँसों का जुगाड़ करता हूँ। मेरे लिंग की गर्दन पर
उसके दाँत शेर के जबड़ों में फँसी हिरन की गर्दन की तरह कसे हैं। उसकी
छोटी चिरी हुई मुँह पर से रक्त रिसने लगा है जिसे खुरदरी जीभ कुरेद
कुरेदकर चाट रही है। अब उसके बचने की उम्मीद नहीं। मैं भी अब अपनी लगाम
छोड़ चुका हूँ। अब खुद को रोकना नहीं।
अब दम टूटता है। हिचकियों में प्राण निकल रहे हैं। चिरी हुई मुँह से रक्त
के बलबले छूट रहे हैं। आह.... ऊऽऽह....। गर्म लिहाफ की-सी तहें रक्त गटक
रही हैं। चूत मेरे खुले मुँह पर यूँ ही फिसल रही है, मैं जड़ हूँ। वह जोर
जोर से चूसकर और झड़ने के लिए कोंच रही है। वह जैसे उत्साह में आकर और जोर
लगाकर रस उगलता है, मैं चकित होता हूँ, कितनी देर तक! वह खींच खींचकर
आखिरी बूंद तक निचोड़ लेना चाहती है।
अंत में लिंग के पूरे टयूब को होठों के दबाव से सिसोहती हुई निकल जाती है।
अद्भुत है यह! कभी जाना नहीं था। स्वर्गिक! ओ पुष्पा, आई लव यू। इतनी
गहरी आंतरिकता, इतना आनंद तो मैंने ऋचा के साथ संभोग करके उसका कौमार्य
भंग करके भी नहीं पाया था !
मैं कृतज्ञता से भरकर उसके चूत की खुली कोमल तहों को बार बार चूमता हूँ।
यह पुष्प बेमिसाल है। जीभ घुमा घुमाकर उसके दीवारों से रिसते मधु को
चाटता हूँ।
मेरी इस हरकत से वह फिर गर्म होती है, मैं फिर सक्रिय होता हूँ। योनि में
जीभ घुसाकर गुदगुदी, ठुड्डी की सख्त नोक पर भगनासा की कली की कुचलन, नीचे
दोनों हाथ बढ़ाकर उसके स्तनों को मसलना, चूचियों को चुटकियों में
दबाना.....। इस बार वह थोड़ी देर बाद चरम सुख प्राप्त करती है, पहली बार
की तरह बड़ा नहीं, उससे छोटा, मगर बहा ले जाने लायक काफी। वह जांघें मेरे
गाल पर कस लेती है। मैं अपनी हरकतें तेज कर देता हूँ।
नितम्बों के शिथिल होने पर मैं ठहर जाता हूँ। उसके रस और गंध में डूबा
इंतजार करता हूँ।
वापस लौटने पर वह मुझ पर से खिसक जाती है। मैं गहरी साँसें लेकर दम लेता हूँ।
काफी देर हो गई है। शायद उसे भी समय का होश हुआ है। वह उठती है। बिस्तर
से जाना चाहती है। मैं उसे रोकता हूँ। अभी असली काम तो बाकी है।
पर वह प्यार से ही छुड़ा लेती है,''नहीं, अब जाने दो।''
वह मुझे स्नेह से चूमती है। वीर्य से भींगे होंठों का नमकीन स्वाद और तीखी गंध....
''मगर अभी तो...'' 'संभोग' शब्द मेरी जबान पर अटक जाता है।
"सबकुछ आज ही? उसकी हलकी हँसी जैसे उसके जाने की अनिवार्यता को घोषित कर देती है।
मैं उसे रोक नहीं पाता। वह बाथरूम चली जाती है।
मुझे खाली-सा लगता है। जैसे कहानी बगैर समाप्त हुए ही समाप्त हो गई हो।
अब चली जाएगी। मिलने की यह घड़ी समाप्त हो जाएगी। मेरा मन उमड़ता है, 'फिर
पता नहीं कब...'
अंधेरे में भी वह जाने कैसे कपड़े पहन रही है। मैं उसे टटोलकर उससे सट
जाता हूँ। उसकी हथेली मेरी पीठ पर थपकी देती है। मैं कहना चाहता हूँ, 'आई
लव यू' पर जैसे यह बात कह देने से छोटी हो जाएगी। पता नहीं यह लव है या
सिर्फ वासना! धुंधली छाया में वह मुझे रहस्यमय, बड़ी और इज्जत के लायक
लगती है, यह सब होने के बावजूद। लाख रोकने के बावजूद भीतर से खींचकर
आँखों में एक बूंद इकट्ठी हो जाती है। मैं अपनी भावुकता को डाँटता हूँ।
क्या मैं सचमुच उसे प्यार करने लगा हूँ?
'लेट मी गो।' वह आखिरी चुम्बन लेती है। साँसों में साबुन की ताज़ा गंध है।
दरवाजा खुलता है और उसके फ्रेम में उसकी धुंधली छाया दिखती है फिर गायब
हो जाती है। मैं उसके पार धुंधले कोरे आकाश को देखता रह जाता हूँ।
Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion |
Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews
| Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance |
India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera |
Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical
| Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting |
Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry |
HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis
| Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad |
New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी
कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स |
सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स |
vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा |
सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी
सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी
सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such
| सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi |
कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult
kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई |
एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre
ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein |
चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain |
चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी
चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा |
सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai |
payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग
कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk |
vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana
ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ |
कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का
तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ |
हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी |
हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट |
chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai
| sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai |
mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन,
यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग,
यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
aunty,stories,bhabhi,choot,chudai,nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic
stories,chudai,chudai ki,hindi stories,urdu stories,bhabi,choot,desi
stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi chudai,desi story,story
bhabhi,choot ki,chudai hindi,chudai kahani,chudai stories,bhabhi
stories,chudai story,maa chudai,desi bhabhi,desi chudai,hindi
bhabhi,aunty ki,aunty story,choot lund,chudai kahaniyan,aunty
chudai,bahan chudai,behan chudai,bhabhi ko,hindi story chudai,sali
chudai,urdu chudai,bhabhi ke,chudai ladki,chut chudai,desi kahani,beti
chudai,bhabhi choda,bhai chudai,chachi chudai,desi choot,hindi kahani
chudai,bhabhi ka,bhabi chudai,choot chudai,didi chudai,meri
chudai,bhabhi choot,bhabhi kahani,biwi chudai,choot stories, desi
chut,mast chudai,pehli chudai,bahen chudai,bhabhi boobs,bhabhi
chut,bhabhi ke sath,desi ladki,hindi aunty,ma chudai,mummy
chudai,nangi bhabhi,teacher chudai, bhabhi ne,bur chudai,choot
kahani,desi bhabi,desi randi,lund chudai,lund stories, bhabhi
bra,bhabhi doodh,choot story,chut stories,desi gaand,land choot,meri
choot,nangi desi,randi chudai,bhabhi chudai stories,desi mast,hindi
choot,mast stories,meri bhabhi,nangi chudai,suhagraat chudai,behan
choot,kutte chudai,mast bhabhi,nangi aunty,nangi choot,papa
chudai,desi phudi,gaand chudai,sali stories, aunty choot,bhabhi
gaand,bhabhi lund,chachi stories,chudai ka maza,mummy stories, aunty
doodh,aunty gaand,bhabhi ke saath,choda stories,choot urdu,choti
stories,desi aurat,desi doodh,desi maa,phudi stories,desi mami,doodh
stories,garam bhabhi,garam chudai,nangi stories,pyasi bhabhi,randi
bhabhi,bhai bhabhi,desi bhai,desi lun,gaand choot,garam aunty,aunty ke
sath,bhabhi chod,desi larki,desi mummy,gaand stories,apni
stories,bhabhi maa,choti bhabhi,desi chachi,desi choda,meri
aunty,randi choot,aunty ke saath,desi biwi,desi sali,randi
stories,chod stories,desi phuddi,pyasi aunty,desi
chod,choti,randi,bahan,indiansexstories,kahani,mujhe,chachi,garam,desipapa,doodhwali,jawani,ladki,pehli,suhagraat,choda,nangi,behan,doodh,gaand,suhaag
raat, aurat,chudi, phudi,larki,pyasi,bahen,saali,chodai,chodo,ke
saath,nangi ladki,behen,desipapa stories,phuddi,desifantasy,teacher
aunty,mami stories,mast aunty,choots,choti choot, garam choot,mari
choot,pakistani choot,pyasi choot,mast choot,saali stories,choot ka
maza,garam stories,,हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा
बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की
कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और
मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर
दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories
,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी
बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी ,kamuk
kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी ,घुसेड दिया
,raj-sharma-stories.blogspot.com ,कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है
,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला
,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास
बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग
,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स
,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ
मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन
,kamuk-kahaniyan.blogspot.com ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल
,कहानियाँ हिन्दी ,चूत ,जीजू ,kamuk kahaniyan ,स्कूल में मस्ती ,रसीले
होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो
,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी
,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे
लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों
के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி
,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा
,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी
,چوت ,
No comments:
Post a Comment