हिंदी सेक्सी कहानियाँ
चुत गांड लंड सब बाकी हैं
दोस्तो,आज मैं जो आपके सामने कहानी बताने जा रही हू वो मेरे जिंदगी की सबसे मीठी याद हैं | जब मैं अपने कॉलेज मैं थी तबसे मैं बहुत ही खुले किस्म की लड़की थी | कॉलेज में रहते रहते मेरा ३ लडको के साथ चक्कर चलने लगा था | लडको लडकियो की चुदाई की कहानिया, ब्लू फिल्म ये सब मेरे लिए एक मामूली सी बात हो चुकी थी | मैं एक अच्छे घर से थी और मुझे एक चुदक्कड लड़की बन्ने में जादा समाये भी ना लगा | अब यही मेरी दिल बहलाने का सामान हो चूका था |यह बात कुछ एक साल पहले की हैं, मेरे घर में मेरे भाई का एक दोस्त आया था और उसका नाम विजय था, उसे में बचपन से जानती थी | मेरे भैया भाभी किसी काम से बहार गए हुए थे | विजय मेरे भैया भाभी और मेरे साथ घुल मिल गया हुआ था और हम सबके साथ मजाक भी किया करता था | पर एक बात थी, वो सबके साथ जेसे रहता था वेसे मेरे साथ भी रहता था मगर वो सबसे नज़र चुरा के जब मुझे देखता था तो उसकी नज़र में कमीना पन जरुर दीखता था | में उसकी नज़र को समझ गयी थी | एक दिन की बात हैं, वो टीवी देख रहा था, में भी उसी कमरे में पहुच गयी और उसी के सामने उसके तरफ पीठ कर के खड़ी हो गयी, फिर मेने जानबुज के अपने हाथ से रुमाल गिरा दिया, और फिर उसे उठाने लगी | उठाते समाये मेने झटके से उसकी तरफ देखा तो मेरी शक सही निकली | वो तब टीवी देखने के बजाये मेरी चुतड को निहार रहा था, और उसी समाये मेने उसके खड़े लंड को भी देख लिया जो उसके कच्छे से बहार आने को बेताब था | मुझे इस बात का बिलकुल भही बुरा नहीं लगा, क्युकी वो एक मर्द हैं इसीलिए |मेरी गांड कोई भी देखे तो उसका लंड खड़ा ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता | उसी तरह मेरी गांड को देख के विजय का भी लंड खड़ा हुआ था | उस वक्त विजय भी समज गया था की वो पकड़ा गया हैं, और उस वक्त जब मेने उसे पकड़ लिया था तब मेने उसे देख मुस्कुरा दिया, जिसके कारण उसकी हिम्मत और बड गयी थी मेरे तरफ आने को | जब तक ये सब चल रहा था तब तक भाभी आ चुकी थी तो विजय ने पास ही पड़े तकिये से अपने लंड को ढक लिया था |आप सब तो जानते ही हैं की जब हम दोनों एक घर में हे तो एक दूसरे को बड़ी हसरत से देखते थे | और हम दोनों के मन में क्या था उसे अब तक तो कोई भी पकड़ नहीं पाया | जब भी में उसके सामने से निकलती मेरी चलने की चल बदल जाती, जिसे विजय बड़ी प्यार से देखता रहता और मेरी चुतड के तब पंख लग जाते थे |एक हफ्ता ऐसा आया की मोम को ऑफिस के किसी काम से गुजरात जाना पड़ा और भैया भाभी अपने घर वापस जाने लगे | उनके साथ विजय को भी जाना था उसी दिन भैया भाभी को छोड के उसके उसदिन वही से अपने लिए दूसरी ट्रेन पकडनी थी | वो भी चला गया, सब चले गए | मैं घर पे अकेली रह गयी, और मैं तो ये सोच सोच के पागल हो गयी की विजय इतनी मेहनत कर के मुझे गरम किया और मुझे बिना चोदे केसे वापस चला गया, और यहाँ एक से एक लकड़े मुझे पेलने के लिए अपना लंड लिए घूमते रहते हैं | और ये विजय की मुझे इतने दिनों तक गरम किया और बिना लंड दिए चला गया |उसके बारे में सोचते सोचते शाम हो आई, भैया मुझे ट्रेन से बार बार फोन क्र क बता रहे थे की अब यहाँ पहुचे है अब यहाँ यही बता रहे थे मुझे | फिर एक बार क्या हुआ की में भैया से बात क्र रही थी की दरवाजे की घंटी बजी, मेने जाके दरवाजा खोला तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी, सामने विजय खड़ा था | उसने मुझे अपना बैग दिया और अंदर घुस आया |मैं – तुमको तो इस वक्त ट्रेन में होना था, यहाँ क्या कर रहे हो ?वो – मुस्कुराते हुए, मेरी ट्रेन छुट गयी |मेने फिर दरवाजा बंद किया और उसे पूछा " ट्रेन छुट गयी या फिर जन बुज के छोड दिए ?वो – जब पता हे तो फिर क्यों पुच रहे हो मुझसेफिर मेने उसकी तरफ़ा उसके आँखों में आंहे डालते हुए मुस्कुरा दिया | मेरे दोनों पेरो के बिच की नागिन को एक नाग की जरुरत थी | मेने फिर उसके पेंट की तरफ देखा तो उसमे मुझे नाग दिख गया और वो कितना बड़ा था वो भी पता चल गया | अब बस मेरी नागिन उस नाग के किसी हरकत के इंतज़ार में थी | मोसम इतना सुहाना था की आप लोगो को क्या बताऊँ | एक तो घर में एक नाग और एक नागिन, उपर से रात का समय और उसपे बारिश का मोसम | बस किस पाल के इंतज़ार में थे, वो बस मेरी नागिन ही जानती थी | कुछ देर के बाड विजय मेरे सामने ही अपने गीले कपडे उतारने लगा | उसने सारे कपडे उतार दिए थे सिर्फ अपनी गीली चड्डी नहीं उतारी | उसकी इस हिम्मत को देख के मेरी नागिन अंदर ही अंदर गीली होने लग गयी थी | वो फिर अपने बैग से अपना टावल निकलने लगा और मेरी तरफ देख रहा था |मेने फिर उसे बड़े ही प्यार भरे अंदाज़ से कहा " तुम तो बड़े बेशर्म हो, जवान लड़की के सामने ही कपडे उतारने लग गए, ये कहते हुए में उसके उभरे हुए लंड को ताक रही थी |वो – ( मुस्कुराते हुए ) क्यों जी आपको मेरी चड्डी नहीं दिख रही हे क्या, या ये काफी नहीं हैं |मैं – अगर चड्डी काफी हे तो फिर कपडे क्यों निकल रहे हो ?वो – ठीक हैं तुम कहती हो तो नहीं पहनुगा |मैं – क्यों हर कम मेरे कहने से ही करोगे क्या ? कुछ काम होते हे जो खुद से करने पड़ते हैं | इतना कहने के बाद में उसके तरफ बड़ी और उसकी आँखों में मेने अपनी आँखे अटका दी | और फिर में जेसे ही [इचे को मुडी उसने अपनी टावल मेरे सर पे रख दी, मेने टावल हटाया तो देखा की विजय मेरे सामने खड़ा हैं और एस बार उसका लंड पहले से काफी जादा फूला हुआ था | मैं कभी उसकी आँखों में देखती तो फिर कभी उसके उभरे हुए लंड को, चड्डी फाड के बहार आने को बेताब था | वो मेरी तरफ बड़ा और मेरे हाथ को अपने लंड पे रख दिया | उसके लंड पे हाथ क्या रखना था की मेरी नागिन एक दम से मचल उठी | मेरा मन तो नहीं था पर मेरी नागिन के कारन में उसके लंड को दबाने से रोक नहीं पी और मेने उसके लंड को अपने हाथो से दबा दिया | मेने उसके लंड को दबा क्या दिया उसके नागराज ने भी अंदर से हरकट क्र दी जिसके कारन वो मेरी तरफ और चिपक गया और अपने हाथो को मेरे प्यासी चुचियो पे रख दिया | उसका हाथ क्या रखना था मेरे चुचियो पे की मेरी सांसे एक पल के लिए रुक सी गयी और फिर जब उसने दबाया तो मेरी मुह से एक मीठी सी अह्ह्ह निकल गयी | मेने भी फिर अपनी नागिन की बात सुनी और उसके चड्डी में हाथ डाल दिया और उसके नागराज को अपने मुठी में भर लिया और अंदर ही मसलने लगी | फिर उसने मुझे आँखों से कुछ इशारा किया और में उसे समझ गयी और फिर उसके लंड को बहार से ही चूम के उसके चड्डी को उतर दिया और उसे नंगा कर दिया |कसम से क्या लंड था उसका…….एक दम मेरे मुह के सामने लटक रहा था, गोरा सा एक दम तना हुआ, उसके लंड का सुपर एक दम लाल हो चूका था | मैं तो यही सोचती रह गयी बनाने वाले ने क्या चीज बने हैं | और यही सोचते सोचते कुछ ही देर में उसका नागराज मेरे नाजुक होते के बिच में आ गया था |अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चूस चूस मेरे लंड को चुस्स्स्स वह क्या चुस्ती हे रे तू अह्ह्ह्ह्ह्हवो मुझसे अपने लंड को चुसवा रहा था और उसे मज़ा भी काफी आ रहा थ | कुछ देर के बाद उसने मुझे खड़ा किया और मुझे एक ही पल में पूरा नंगा कर दिया और फिर मुझे अपनी गोदी में उठा कर बिस्तर पे लेटा दिया | उसके बाद उसने मेरी टांगो को खोल दिया और उसमे अपने मुह को रख दिया और मेरी चुत चाटने लगा | इसके बाद में भी कुछ भी बकने लगी ओह्ह डिअर फक में लुट लो मुझे फाड़ दो मेरी चुत को |अब वो मेरे उपर धीरे धीरे मदहोश होने सा लगा | वो खड़ा हुआ और अपने मोटे नाग को मेरी नागिन के उपर रख दिया | उसने मेरी चुत को चाट चाट के पूरी तरह से गीली क्र दी थी और अब उसपे उसने अपने नाग को रख दिया | फिर उसने अपना नाग को थोडा सा मेरे नागिन पे रगडा और उसके एस रगड़ने के कारन मैं बुरी तरह सनसना उठी, और फिर एक ही बार में फच क्र के उसने अपने नाग को मेरी चुत में उतार दिया |अह्ह्ह्ह्ह ऐईईईइ क्या लंड हे तेरा एक ही बार में मज़ा आ गया………….. ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्हवो – ले खा मेरा लंड, अपनी चुत की भूक प्यास बुझा ले, ले ले और खा मेरा लंड |उसकी एन सब बातो से मुझे शर्म तो आ रही थी मगर में शर्मा ही नहीं प् रही थी, क्यों की मज़ा भी तो मुझे गजब की आ रही थी | क्या लंड था उसका, चुत में घुसते ही मुझे एक लड़की होने का एहसास दिला दिया | उसने फिर मेरी चुचियो को अपने दोनों हाथो में पकड के मसलना शुरू कर दिया और निचे से अपने लंड से मुझे हर ढके पे मज़ा दिए जा रहा था | उसका लंड मेरी चुत की गहराई को अच्छे से नाप रहा था और मेरी नागिन को अपने नाग की तरफ आकर्षित क्र रहा था | उसके सामने में धीरे धीरे रंडी बनती जा रही थी और उसको में अपनी गांड उछाल उछाल के देने लगी थी मैं |वह मेरी जान, क्या मस्त चुदवाती हो तुम………. तुम एसी तरह मेरी साथ दो तो में तुम्हे सारी रात चोदता रहूँगा, उसने कहा |फिर कुछ देर के धक्को के बाद उसने अपने होठ मेरे होठो पे रख दिया और मेरे होठो को चूसने लगा, मैं भी पीछे नहीं रही और कच कच चूसने के बाद मेने उसके होठो को काट लिया और वो अआआया क्र के चिल्ला उठा |होठ पे होठो हो और चुत में मोटा लंड हो तो चुदाई का मज़ा ही कुछ और आता हैं | और यह बात वोही लड़की जानती होगी जो एस तरह कभी चुदी होगी | अह्हह्ह क्या मज़ा आया और मैं झड गयी | झाड़ते वक्त भी क्या मज़ा आता हैं, एसी लिए आमिर बाप की बेटी भी एसी मज़े के लिए रंडी बन जाती हैं | कुछ देर उसने और धक्के लगाये मेरी चुत में और फिर अपना लोडा निकल के मेरे चुचो के बिच में रख दिया और मुझे कहा की अपने चुचो को अपने हाथ से बाजु से दबा | मेने वेसा ही किया और फिर वो मेरे चुचो को पेलने लगा | कुछ १० – १५ झटको के बाद उसके लंड ने पच कर के मेरे मुह गीला कर दिया | फिर उसने अपने लंड को पकड़ क्र मेरे होठो पे रखा और आँख मरी मुझे | मैं खूब समझती थी उसके इशारे और फिर मेने अपनी जीभ निकल के उसके लोड पे लगी मुठ को साफ़ किया और फिर उसके लोड को चूसने लगी | उसने अपने लोड को पकड़ के निचोड़ दिया और उसके लंड के नली में जो बचा कुचा माल था वो मेरे मुह में डाल दियाक्या बात क्या बात मेरी जान, मैं तेरे बारे मई सही सोचता था |क्या सोचते थे मेरे बारे मैं ?यही की तुझमे एक हाई प्रोफाइल रांड छुपी हैं | उसने इतना बोला ही था की मेने उसे पकड़ के अपनी तरफ खीचा और उसे चूम लिया |वो – मुह क्या चूमती हैं जाने मन चूमना हैं तो लंड चूम | इतना बोलते ही वो अपने लंड को पकड़ कर मेरे मुह में दे दिया और मैं उसे चूसने लगी | उसका लंड मेने इतनी कास कास के चूसा की उसका लंड मेरे मुह में ही फूलने लगा | उसने फिर अपने लंड को मेरे मुह से निकला और कहा की चल बाथरूम | मेने पुचा की क्यों ? उसने कहा मुझे पिसब लगी हाई, तू भी चल मिल के करेंगे | फिर हम दोनों उठ क्र बाथरूम गए और पिसब क्र के आये और फिर अगले गेम के लिए तैयार हो गए |फिर हम जब फिरसे बिस्तर में आया और मैं सीधा आके बिस्तर पे लेट गयी, वो आया और मेरे बाजु में बेथ गया और मेरे कमर पे मार्के मुझे पलटने का इशारा किया | मैं फिर पेट के बल लेट गयी और फिर वो मेरे पेरो पे बैठ गया और फिर मेरे चूतडो को मसलने लगा और कुछ देर मसलने के बाद उसने मेरी गांड को चोदी करदी और फिर उसमे अपनी ऊँगली फेरने लगा |मैं – जानू सही क्र रहे हो और करो…… तुम गांड में ऊँगली बहुत अच्छे से करते हो अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म्म |वो – मुझे गांड दिखा के मजे ले रही हैं ? इतना कह के उसने मेरी गांड पे एक थप्पड़ मारा |मैं – बड़े जालिम हो तुम | कोई ऐसे मरता हैं क्या ?वो – अभी तो बस थप्पड़ मारा हैं, थोड़े देर और रुको और क्या क्या मारूंगा वो भ देख लेना |इतना कह क्र उसने मुझे कमर उठाने को कहा | मेने भी अपनी कमरा उठा ली और पेरो को दोनों तरफ फेला दिया और उसके मुह की तरफ अपनी गंद्को खोल दी मेने |वो – हाई रे मेरी रांड, क्या हे तेरी गांड | आज तो एस गांड की गांड मारनी हे मुझे |उसने फिर पास ही राखी तेल की बोटल उठाई और उसमे से तेल ले के मेरी गांड के छेद पे लगा दिया और अपने लंड और ऊँगली पे भी लगा लिया | उसने फिर अपनी एक ऊँगली मेरे गांड में डाली वो चली गयी, फिर उसने मेरे गांड के छेद पे अपने लंड को रखा और धीरे धीरे सरकाने लगा |मैं – उईईईईइ ईईईईईईईईईईईईइ धिरीईईईए अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मार दिया अ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह धीरे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह |उसने मेरी परवाह किये बिना मेरे कमर को पकड़ा और कास के अंदर अपना नाग को मेरी गांड में डाल दिया और उसका लंड अब मेरी गांड में फस गया | मेने अपनी गांड को झट पटाया मगर मेरी गांड में वो दम कहा की उस मोटे लोड को निकल देता | साले ने गजब की सेटिंग की हुई थी मेरी गांड मरने के लिए | उसने फिर अपना लंड हलके से निकाल के फिरसे अंदर दे मारा | काफी देर ढके के बाद उसने अपनी लंड की गति बड़ा दी और मेरी गांड की गांड मार दी |मैं कब से चिल्ला रही थी की अह्ह्ह्ह्ह साले ने गांड फाड़ दी हाई राम कोई मुझे बचाओ | मगर साले के कान में कुछ घुस ही नहीं रहा था, और लगा हुआ था मेरी गांड मारने मैं | फिर काफी देर के बाद जब मेरी गांड का दर्द कम हुआ तो मी अपनी गांड ढीली कर दी और फिर उसके लंड के साथ मज़े लेने लगी |वो – अब केसा लग रहा हाई मेरी रांड ? और खा मेरे लंड को ले ले और ले |मैं - साले रांड तो ऐसे बोल रहा हे जेसे की मई सच में रांड हू और तुने मुझे पेलने के पैसे दिए हैं | कुछ ही देर में उसने अपनी लंड की गति बड़ा दी और मुझे कास कास के पेलने लगा, मैं समझ चुकी थी की अब वो झड जायेगा | और फिर अचानक उसने अपने लंड को बहार निकल लिया और मैंने भी झट से रंडी पांति दिखा के उसके लंड के पास मुह ले आई | विजय ने कास के सांस ली और मेरे मुह अह्ह्ह्ह्ह्ह चिल्ला के मेरे मुह मैं मूठो की बरसात करदी | मैं भी उसके दिए हुए मुठ को पी गयी और फिर उसके लंड को चूस चूस के एक दम साफ़ कर दी |वो – और मेरी छिनाल, और क्या क्या सोचा रखा हैं आगे का ?मैं – तुम मेरे मेहमान हो आज की रात | और सोचना क्या हे रात बाकी हैं, चुत और गांड यही हाई, चाहो तो फाड़ दो इसे आज की रात | जो भी करोगे आज ही करोगे, कल न मिलेगा फिर ये मोका |विजय फिर से एक और बार मुझपे टूट पद, और मैं भी पैर खोल के लेट गयी और उसके बेदर्द लंड ने फिरसे मेरी चुत के दीवारों को फाड दिया और फच फच करने लगा | और एस बार मेने भी अपनी शर्म छोड दी, और चिल्ला चिल्ला के चुदवाने लगी |
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दोस्तो,आज मैं जो आपके सामने कहानी बताने जा रही हू वो मेरे जिंदगी की सबसे मीठी याद हैं | जब मैं अपने कॉलेज मैं थी तबसे मैं बहुत ही खुले किस्म की लड़की थी | कॉलेज में रहते रहते मेरा ३ लडको के साथ चक्कर चलने लगा था | लडको लडकियो की चुदाई की कहानिया, ब्लू फिल्म ये सब मेरे लिए एक मामूली सी बात हो चुकी थी | मैं एक अच्छे घर से थी और मुझे एक चुदक्कड लड़की बन्ने में जादा समाये भी ना लगा | अब यही मेरी दिल बहलाने का सामान हो चूका था |यह बात कुछ एक साल पहले की हैं, मेरे घर में मेरे भाई का एक दोस्त आया था और उसका नाम विजय था, उसे में बचपन से जानती थी | मेरे भैया भाभी किसी काम से बहार गए हुए थे | विजय मेरे भैया भाभी और मेरे साथ घुल मिल गया हुआ था और हम सबके साथ मजाक भी किया करता था | पर एक बात थी, वो सबके साथ जेसे रहता था वेसे मेरे साथ भी रहता था मगर वो सबसे नज़र चुरा के जब मुझे देखता था तो उसकी नज़र में कमीना पन जरुर दीखता था | में उसकी नज़र को समझ गयी थी | एक दिन की बात हैं, वो टीवी देख रहा था, में भी उसी कमरे में पहुच गयी और उसी के सामने उसके तरफ पीठ कर के खड़ी हो गयी, फिर मेने जानबुज के अपने हाथ से रुमाल गिरा दिया, और फिर उसे उठाने लगी | उठाते समाये मेने झटके से उसकी तरफ देखा तो मेरी शक सही निकली | वो तब टीवी देखने के बजाये मेरी चुतड को निहार रहा था, और उसी समाये मेने उसके खड़े लंड को भी देख लिया जो उसके कच्छे से बहार आने को बेताब था | मुझे इस बात का बिलकुल भही बुरा नहीं लगा, क्युकी वो एक मर्द हैं इसीलिए |मेरी गांड कोई भी देखे तो उसका लंड खड़ा ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता | उसी तरह मेरी गांड को देख के विजय का भी लंड खड़ा हुआ था | उस वक्त विजय भी समज गया था की वो पकड़ा गया हैं, और उस वक्त जब मेने उसे पकड़ लिया था तब मेने उसे देख मुस्कुरा दिया, जिसके कारण उसकी हिम्मत और बड गयी थी मेरे तरफ आने को | जब तक ये सब चल रहा था तब तक भाभी आ चुकी थी तो विजय ने पास ही पड़े तकिये से अपने लंड को ढक लिया था |आप सब तो जानते ही हैं की जब हम दोनों एक घर में हे तो एक दूसरे को बड़ी हसरत से देखते थे | और हम दोनों के मन में क्या था उसे अब तक तो कोई भी पकड़ नहीं पाया | जब भी में उसके सामने से निकलती मेरी चलने की चल बदल जाती, जिसे विजय बड़ी प्यार से देखता रहता और मेरी चुतड के तब पंख लग जाते थे |एक हफ्ता ऐसा आया की मोम को ऑफिस के किसी काम से गुजरात जाना पड़ा और भैया भाभी अपने घर वापस जाने लगे | उनके साथ विजय को भी जाना था उसी दिन भैया भाभी को छोड के उसके उसदिन वही से अपने लिए दूसरी ट्रेन पकडनी थी | वो भी चला गया, सब चले गए | मैं घर पे अकेली रह गयी, और मैं तो ये सोच सोच के पागल हो गयी की विजय इतनी मेहनत कर के मुझे गरम किया और मुझे बिना चोदे केसे वापस चला गया, और यहाँ एक से एक लकड़े मुझे पेलने के लिए अपना लंड लिए घूमते रहते हैं | और ये विजय की मुझे इतने दिनों तक गरम किया और बिना लंड दिए चला गया |उसके बारे में सोचते सोचते शाम हो आई, भैया मुझे ट्रेन से बार बार फोन क्र क बता रहे थे की अब यहाँ पहुचे है अब यहाँ यही बता रहे थे मुझे | फिर एक बार क्या हुआ की में भैया से बात क्र रही थी की दरवाजे की घंटी बजी, मेने जाके दरवाजा खोला तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी, सामने विजय खड़ा था | उसने मुझे अपना बैग दिया और अंदर घुस आया |मैं – तुमको तो इस वक्त ट्रेन में होना था, यहाँ क्या कर रहे हो ?वो – मुस्कुराते हुए, मेरी ट्रेन छुट गयी |मेने फिर दरवाजा बंद किया और उसे पूछा " ट्रेन छुट गयी या फिर जन बुज के छोड दिए ?वो – जब पता हे तो फिर क्यों पुच रहे हो मुझसेफिर मेने उसकी तरफ़ा उसके आँखों में आंहे डालते हुए मुस्कुरा दिया | मेरे दोनों पेरो के बिच की नागिन को एक नाग की जरुरत थी | मेने फिर उसके पेंट की तरफ देखा तो उसमे मुझे नाग दिख गया और वो कितना बड़ा था वो भी पता चल गया | अब बस मेरी नागिन उस नाग के किसी हरकत के इंतज़ार में थी | मोसम इतना सुहाना था की आप लोगो को क्या बताऊँ | एक तो घर में एक नाग और एक नागिन, उपर से रात का समय और उसपे बारिश का मोसम | बस किस पाल के इंतज़ार में थे, वो बस मेरी नागिन ही जानती थी | कुछ देर के बाड विजय मेरे सामने ही अपने गीले कपडे उतारने लगा | उसने सारे कपडे उतार दिए थे सिर्फ अपनी गीली चड्डी नहीं उतारी | उसकी इस हिम्मत को देख के मेरी नागिन अंदर ही अंदर गीली होने लग गयी थी | वो फिर अपने बैग से अपना टावल निकलने लगा और मेरी तरफ देख रहा था |मेने फिर उसे बड़े ही प्यार भरे अंदाज़ से कहा " तुम तो बड़े बेशर्म हो, जवान लड़की के सामने ही कपडे उतारने लग गए, ये कहते हुए में उसके उभरे हुए लंड को ताक रही थी |वो – ( मुस्कुराते हुए ) क्यों जी आपको मेरी चड्डी नहीं दिख रही हे क्या, या ये काफी नहीं हैं |मैं – अगर चड्डी काफी हे तो फिर कपडे क्यों निकल रहे हो ?वो – ठीक हैं तुम कहती हो तो नहीं पहनुगा |मैं – क्यों हर कम मेरे कहने से ही करोगे क्या ? कुछ काम होते हे जो खुद से करने पड़ते हैं | इतना कहने के बाद में उसके तरफ बड़ी और उसकी आँखों में मेने अपनी आँखे अटका दी | और फिर में जेसे ही [इचे को मुडी उसने अपनी टावल मेरे सर पे रख दी, मेने टावल हटाया तो देखा की विजय मेरे सामने खड़ा हैं और एस बार उसका लंड पहले से काफी जादा फूला हुआ था | मैं कभी उसकी आँखों में देखती तो फिर कभी उसके उभरे हुए लंड को, चड्डी फाड के बहार आने को बेताब था | वो मेरी तरफ बड़ा और मेरे हाथ को अपने लंड पे रख दिया | उसके लंड पे हाथ क्या रखना था की मेरी नागिन एक दम से मचल उठी | मेरा मन तो नहीं था पर मेरी नागिन के कारन में उसके लंड को दबाने से रोक नहीं पी और मेने उसके लंड को अपने हाथो से दबा दिया | मेने उसके लंड को दबा क्या दिया उसके नागराज ने भी अंदर से हरकट क्र दी जिसके कारन वो मेरी तरफ और चिपक गया और अपने हाथो को मेरे प्यासी चुचियो पे रख दिया | उसका हाथ क्या रखना था मेरे चुचियो पे की मेरी सांसे एक पल के लिए रुक सी गयी और फिर जब उसने दबाया तो मेरी मुह से एक मीठी सी अह्ह्ह निकल गयी | मेने भी फिर अपनी नागिन की बात सुनी और उसके चड्डी में हाथ डाल दिया और उसके नागराज को अपने मुठी में भर लिया और अंदर ही मसलने लगी | फिर उसने मुझे आँखों से कुछ इशारा किया और में उसे समझ गयी और फिर उसके लंड को बहार से ही चूम के उसके चड्डी को उतर दिया और उसे नंगा कर दिया |कसम से क्या लंड था उसका…….एक दम मेरे मुह के सामने लटक रहा था, गोरा सा एक दम तना हुआ, उसके लंड का सुपर एक दम लाल हो चूका था | मैं तो यही सोचती रह गयी बनाने वाले ने क्या चीज बने हैं | और यही सोचते सोचते कुछ ही देर में उसका नागराज मेरे नाजुक होते के बिच में आ गया था |अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चूस चूस मेरे लंड को चुस्स्स्स वह क्या चुस्ती हे रे तू अह्ह्ह्ह्ह्हवो मुझसे अपने लंड को चुसवा रहा था और उसे मज़ा भी काफी आ रहा थ | कुछ देर के बाद उसने मुझे खड़ा किया और मुझे एक ही पल में पूरा नंगा कर दिया और फिर मुझे अपनी गोदी में उठा कर बिस्तर पे लेटा दिया | उसके बाद उसने मेरी टांगो को खोल दिया और उसमे अपने मुह को रख दिया और मेरी चुत चाटने लगा | इसके बाद में भी कुछ भी बकने लगी ओह्ह डिअर फक में लुट लो मुझे फाड़ दो मेरी चुत को |अब वो मेरे उपर धीरे धीरे मदहोश होने सा लगा | वो खड़ा हुआ और अपने मोटे नाग को मेरी नागिन के उपर रख दिया | उसने मेरी चुत को चाट चाट के पूरी तरह से गीली क्र दी थी और अब उसपे उसने अपने नाग को रख दिया | फिर उसने अपना नाग को थोडा सा मेरे नागिन पे रगडा और उसके एस रगड़ने के कारन मैं बुरी तरह सनसना उठी, और फिर एक ही बार में फच क्र के उसने अपने नाग को मेरी चुत में उतार दिया |अह्ह्ह्ह्ह ऐईईईइ क्या लंड हे तेरा एक ही बार में मज़ा आ गया………….. ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्हवो – ले खा मेरा लंड, अपनी चुत की भूक प्यास बुझा ले, ले ले और खा मेरा लंड |उसकी एन सब बातो से मुझे शर्म तो आ रही थी मगर में शर्मा ही नहीं प् रही थी, क्यों की मज़ा भी तो मुझे गजब की आ रही थी | क्या लंड था उसका, चुत में घुसते ही मुझे एक लड़की होने का एहसास दिला दिया | उसने फिर मेरी चुचियो को अपने दोनों हाथो में पकड के मसलना शुरू कर दिया और निचे से अपने लंड से मुझे हर ढके पे मज़ा दिए जा रहा था | उसका लंड मेरी चुत की गहराई को अच्छे से नाप रहा था और मेरी नागिन को अपने नाग की तरफ आकर्षित क्र रहा था | उसके सामने में धीरे धीरे रंडी बनती जा रही थी और उसको में अपनी गांड उछाल उछाल के देने लगी थी मैं |वह मेरी जान, क्या मस्त चुदवाती हो तुम………. तुम एसी तरह मेरी साथ दो तो में तुम्हे सारी रात चोदता रहूँगा, उसने कहा |फिर कुछ देर के धक्को के बाद उसने अपने होठ मेरे होठो पे रख दिया और मेरे होठो को चूसने लगा, मैं भी पीछे नहीं रही और कच कच चूसने के बाद मेने उसके होठो को काट लिया और वो अआआया क्र के चिल्ला उठा |होठ पे होठो हो और चुत में मोटा लंड हो तो चुदाई का मज़ा ही कुछ और आता हैं | और यह बात वोही लड़की जानती होगी जो एस तरह कभी चुदी होगी | अह्हह्ह क्या मज़ा आया और मैं झड गयी | झाड़ते वक्त भी क्या मज़ा आता हैं, एसी लिए आमिर बाप की बेटी भी एसी मज़े के लिए रंडी बन जाती हैं | कुछ देर उसने और धक्के लगाये मेरी चुत में और फिर अपना लोडा निकल के मेरे चुचो के बिच में रख दिया और मुझे कहा की अपने चुचो को अपने हाथ से बाजु से दबा | मेने वेसा ही किया और फिर वो मेरे चुचो को पेलने लगा | कुछ १० – १५ झटको के बाद उसके लंड ने पच कर के मेरे मुह गीला कर दिया | फिर उसने अपने लंड को पकड़ क्र मेरे होठो पे रखा और आँख मरी मुझे | मैं खूब समझती थी उसके इशारे और फिर मेने अपनी जीभ निकल के उसके लोड पे लगी मुठ को साफ़ किया और फिर उसके लोड को चूसने लगी | उसने अपने लोड को पकड़ के निचोड़ दिया और उसके लंड के नली में जो बचा कुचा माल था वो मेरे मुह में डाल दियाक्या बात क्या बात मेरी जान, मैं तेरे बारे मई सही सोचता था |क्या सोचते थे मेरे बारे मैं ?यही की तुझमे एक हाई प्रोफाइल रांड छुपी हैं | उसने इतना बोला ही था की मेने उसे पकड़ के अपनी तरफ खीचा और उसे चूम लिया |वो – मुह क्या चूमती हैं जाने मन चूमना हैं तो लंड चूम | इतना बोलते ही वो अपने लंड को पकड़ कर मेरे मुह में दे दिया और मैं उसे चूसने लगी | उसका लंड मेने इतनी कास कास के चूसा की उसका लंड मेरे मुह में ही फूलने लगा | उसने फिर अपने लंड को मेरे मुह से निकला और कहा की चल बाथरूम | मेने पुचा की क्यों ? उसने कहा मुझे पिसब लगी हाई, तू भी चल मिल के करेंगे | फिर हम दोनों उठ क्र बाथरूम गए और पिसब क्र के आये और फिर अगले गेम के लिए तैयार हो गए |फिर हम जब फिरसे बिस्तर में आया और मैं सीधा आके बिस्तर पे लेट गयी, वो आया और मेरे बाजु में बेथ गया और मेरे कमर पे मार्के मुझे पलटने का इशारा किया | मैं फिर पेट के बल लेट गयी और फिर वो मेरे पेरो पे बैठ गया और फिर मेरे चूतडो को मसलने लगा और कुछ देर मसलने के बाद उसने मेरी गांड को चोदी करदी और फिर उसमे अपनी ऊँगली फेरने लगा |मैं – जानू सही क्र रहे हो और करो…… तुम गांड में ऊँगली बहुत अच्छे से करते हो अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म्म |वो – मुझे गांड दिखा के मजे ले रही हैं ? इतना कह के उसने मेरी गांड पे एक थप्पड़ मारा |मैं – बड़े जालिम हो तुम | कोई ऐसे मरता हैं क्या ?वो – अभी तो बस थप्पड़ मारा हैं, थोड़े देर और रुको और क्या क्या मारूंगा वो भ देख लेना |इतना कह क्र उसने मुझे कमर उठाने को कहा | मेने भी अपनी कमरा उठा ली और पेरो को दोनों तरफ फेला दिया और उसके मुह की तरफ अपनी गंद्को खोल दी मेने |वो – हाई रे मेरी रांड, क्या हे तेरी गांड | आज तो एस गांड की गांड मारनी हे मुझे |उसने फिर पास ही राखी तेल की बोटल उठाई और उसमे से तेल ले के मेरी गांड के छेद पे लगा दिया और अपने लंड और ऊँगली पे भी लगा लिया | उसने फिर अपनी एक ऊँगली मेरे गांड में डाली वो चली गयी, फिर उसने मेरे गांड के छेद पे अपने लंड को रखा और धीरे धीरे सरकाने लगा |मैं – उईईईईइ ईईईईईईईईईईईईइ धिरीईईईए अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मार दिया अ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह धीरे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह |उसने मेरी परवाह किये बिना मेरे कमर को पकड़ा और कास के अंदर अपना नाग को मेरी गांड में डाल दिया और उसका लंड अब मेरी गांड में फस गया | मेने अपनी गांड को झट पटाया मगर मेरी गांड में वो दम कहा की उस मोटे लोड को निकल देता | साले ने गजब की सेटिंग की हुई थी मेरी गांड मरने के लिए | उसने फिर अपना लंड हलके से निकाल के फिरसे अंदर दे मारा | काफी देर ढके के बाद उसने अपनी लंड की गति बड़ा दी और मेरी गांड की गांड मार दी |मैं कब से चिल्ला रही थी की अह्ह्ह्ह्ह साले ने गांड फाड़ दी हाई राम कोई मुझे बचाओ | मगर साले के कान में कुछ घुस ही नहीं रहा था, और लगा हुआ था मेरी गांड मारने मैं | फिर काफी देर के बाद जब मेरी गांड का दर्द कम हुआ तो मी अपनी गांड ढीली कर दी और फिर उसके लंड के साथ मज़े लेने लगी |वो – अब केसा लग रहा हाई मेरी रांड ? और खा मेरे लंड को ले ले और ले |मैं - साले रांड तो ऐसे बोल रहा हे जेसे की मई सच में रांड हू और तुने मुझे पेलने के पैसे दिए हैं | कुछ ही देर में उसने अपनी लंड की गति बड़ा दी और मुझे कास कास के पेलने लगा, मैं समझ चुकी थी की अब वो झड जायेगा | और फिर अचानक उसने अपने लंड को बहार निकल लिया और मैंने भी झट से रंडी पांति दिखा के उसके लंड के पास मुह ले आई | विजय ने कास के सांस ली और मेरे मुह अह्ह्ह्ह्ह्ह चिल्ला के मेरे मुह मैं मूठो की बरसात करदी | मैं भी उसके दिए हुए मुठ को पी गयी और फिर उसके लंड को चूस चूस के एक दम साफ़ कर दी |वो – और मेरी छिनाल, और क्या क्या सोचा रखा हैं आगे का ?मैं – तुम मेरे मेहमान हो आज की रात | और सोचना क्या हे रात बाकी हैं, चुत और गांड यही हाई, चाहो तो फाड़ दो इसे आज की रात | जो भी करोगे आज ही करोगे, कल न मिलेगा फिर ये मोका |विजय फिर से एक और बार मुझपे टूट पद, और मैं भी पैर खोल के लेट गयी और उसके बेदर्द लंड ने फिरसे मेरी चुत के दीवारों को फाड दिया और फच फच करने लगा | और एस बार मेने भी अपनी शर्म छोड दी, और चिल्ला चिल्ला के चुदवाने लगी |
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