सेक्सी कहानियाँ
चुदाई का दूसरा रूप--3
गतान्क से आगे.....................
मैने प्यार से उसका हाथ पकड़ा और कहा - देखो सारा........ हम दोस्त हैं.
अगर तुम मुझे कुछ बताना या कहना चाहती हो तो मैं हूँ यहाँ तुम्हारे लिए.
अगर तुम्हे कोई दुख है तो बाँटने से हल्का हो जाएगा.
अचानक, सारा रोने लगी. मैने उसको गले से लगाया और वो मेरे कंधे पर अपना
सिर रख कर लगातार रोए जा रही थी. मैने उसको कुछ देर रोने दिया ताकि वो
हल्का महसूस करे. कई लोग हमारी तरफ देखने लगे थे और सारा ने भी ये महसूस
किया.
स्रो बोली - अगर तुम कुछ देर फ्री हो तो मेरे रूम मे चलते हैं.
मैं - ज़रूर. चलो चलते है.
मैने अपनी मा को मेरे मोबाइल से फोन कर्दिया की मैं अपनी कॉलेज की दोस्त
के साथ हूँ और मुझे घर आने मे थोड़ा वक़्त लगेगा.
हम दोनो उसी होटेल मे, सारा के रूम मे आ गई.
मैं सोफा पर बैठी थी और ये देख कर मुझे आस्चर्य हुआ की सारा ने खुद के
लिए ब्लॅक लेबल का एक पेग बनाया और मुझसे ड्रिंक के लिए पुच्छा. मैने
उससे कहा कि मैं उसका साथ देने के लिए हल्की बियर ले लूँगी. अब वो ठीक थी
और रो नही रही थी. मैं समझ गई थी की वो अपनी शादी से या पति से खुश नही
है. एक दोस्त होने के नाते मैं जो भी संभव हो, उसके लिए करना चाहती थी.
अपना विषकी का पेग और मेरे लिए बीआर ले कर हम पास पास सोफा पर बैठ गयी.
मुझे फिर से आस्चर्य हुआ जब उसने सिगरेट सुलगाई.
मैने सारा के अंदर बहुत बदलाव देखा. सारा, जो कॉलेज मे एक शर्मीली लड़की
थी, जिसको मैं जानती थी, आज वो अलग ही सारा थी. कॉलेज मे सारा एक बहुत
अच्छी, सुंदर, शर्मीली लड़की थी. उसका कोई बाय्फ्रेंड नही था. कई लड़के
उसके पीछे पड़े थे मगर उसने किसी लड़के से दोस्ती नही की. मेरी जो भी
लड़कियाँ कॉलेज मे दोस्त थी, वो हमेशा चुदाई के बारे मे बात करती थी मगर
सारा ने कभी ऐसी बातों मे भाग नही लिया. उस का तो बस एक ही शौक था, वो था
तैरना, स्विम्मिंग. वो अपने मा बाप की पसंद के लड़के के साथ ही शादी करना
चाहती थी, और वो अपनी शादी के समय कुँवारी ही थी, यानी उसने कभी भी, किसी
से नही चुदवाया था. कॉलेज की पढ़ाई ख़तम करने के बाद मैं ज़्यादा उसके
संपर्क मे नही थी.
थोड़ी देर खामोश रहने के बाद सारा ने मुझे अपनी शादीशुदा जिंदगी की भयानक
कहानी सुनाई. मैं वो सब सुनकर दंग रह गई. उसकी कहानी सुनकर मैं कुछ नही
बोल पाई क्यों कि मैं उसके लिए कुछ नही कर सकती थी. उसकी जिंदगी तो एक
नर्क थी. मैं आगे आप को सारा की जिंदगी का कड़वा सच बताने जा रही हूँ जो
मुझे सारा ने बताया था.
ये तो आप समझ ही गये होंगे की सारा उसका असली नाम नही है. ये नाम तो मैं
सिर्फ़ उसके बारे मे लिखने के लिए इस्तेमाल कर रही हूँ.
सारा एक बहुत सुंदर, शर्मीली और लड़कों से हमेश दूर रहने वाली लड़की थी.
उस के पिताजी का ज़मीन जायदाद खरीदने बेचने का धंधा था और वो अपनी सुंदर
बेटी सारा की शादी के लिए किसी अच्छे लड़के की तलाश मे थे. इस तरह सारा
की शादी मुंबई के एक बड़े व्यापारी के सुंदर लड़के के साथ पक्की हो गई.
और फिर जल्दी ही उसकी शादी भी हो गई.
शादी के बाद, दुल्हन बनी सारा, अपने ससुराल, मुंबई मे अपने बिस्तर पर
बैठी, सुहाग्रात के लिए अपने पति का इंतज़ार कर रही थी. वो बहुत खुश थी
और उसे गर्व था की वो अबतक कुँवारी है और वो अपना कुँवारापन अपने पति को
देना चाहती थी. उसका पति भी काफ़ी सुंदर था और ये एक अच्छी जोड़ी थी.
काफ़ी देर हो चुकी थी और वो आधी रात के बाद का वक्त था जब उसके पति कमरे
मे आए. उसने देखा की उसका पति सीधा नही चल पा रहा था, शायद दोस्तों के
बीच मे काफ़ी शराब पी ली थी. सारा पीने के खिलाफ नही थी पर चाहती थी कि
पीने का काम समय और सीमा मे किया जाए तो ठीक है. खैर, जब उसके पति ने देर
से आने और शराब पी कर आने के लिए उस से माफी माँगी तो सारा उसके व्यवहार
से खुश हो गई.
सारा अपनी पीठ के बल नंगी लेटी हुई अपने पति के साथ प्यार और चुदाई का
खेल, अपनी जिंदगी मे पहली बार खेल रही थी. बेडरूम की धीमी रोशनी मे उसने
देखा की उसके पति का लॉडा काफ़ी लंबा और काफ़ी मोटा है. वो अपने उस दर्द
के बारे मे सोचने लगी जब उसके पति का मोटा ताज़ा, लंबा लंड उसकी सफाचत
कुँवारी चूत मे पहली बार घुसेगा. वो अपने पति के लंड से खेलना चाहती थी
पर उसके पति को शायद चोदने की जल्दी थी. उसने अपने मन मे सोचा कि कोई बात
नही, उसके पति का लंड उसका ही तो है, उस से बाद मे भी कभी भी खेल सकती
है. इसलिए उसने अपने पति को, जो सुहाग्रात को उसे जल्दी से जल्दी चोदना
चाहता था, रोका नही और दर्द सहने को तय्यार हो गई. हालाँकि उसकी अपनी चूत
भी थोड़ी गीली हो गई थी पर वो जानती थी की दर्द तो होने वाला है, पर मज़ा
भी आएगा. उसके पति उसकी चौड़ी टाँगों के बीच बैठ कर अपने लंबे और मोटे
लंड को उसकी चूत के दरवाजे पर रखा और थोडा ज़ोर लगाया. सारा ने सॉफ सॉफ
महसूस किया कि उसके पति का लंबा और गरम लंड उसकी चूत मे घुस रहा है. उसके
पति ने अपने लंड का थोड़ा और ज़ोर उसकी चूत मे लगाया तो सारा को अपनी चूत
पर कुछ गरम गरम महसूस हुआ जो सारा समझ नही सकी कि क्या है. उस का पति
नंगी सोई सारा के उपर सो गया और उसने सारा से सॉरी कहा. अब उसके पति का
लंड उसकी चूत मे नही था और फिसल कर बाहर आ गया था. सारा समझ नही सकी कि
उसका पति उस से सॉरी क्यों बोल रहा है. सारा अपना हाथ अपनी चूत पर ले गई
तो उसके हाथ मे उसके पति का नरम पड़ता लंड आया. अपनी चूत पर जब उसने अपने
पति के लंड का पानी महसूस किया तो सारी बात सारा की समझ मे आ गई. उस ने
कहीं पढ़ा था की पहली बार नये नये शादीशुदा जोड़े के बीच ये उत्तेजना की
वजह से हो जाता है. इसमे चिंता की कोई बात नही है. उसने अपने पति का
चुंबन लिया और कहा कि कोई बात नहीं, हम बाद मे चुदाई करने की कोशिश
करेंगे. जल्दी ही उसके पति को नींद आ गई.
अगले दिन सारा अपने नये घर मे आ गई जो उसके ससुरजी ने उसके पति को शादी
के तोहफे मे दिया था ताकि शादी के बाद नया जोड़ा जैसे चाहे वैसे रह सके.
ये तीन बेडरूम का, सारी सुविधाओं के साथ उँची इमारत मे बड़ा और आलीशान घर
था. वहाँ एक नौकरों के लिए भी कमरा था और एक 24 घंटे काम के लिए औरत भी
थी. उस औरत के ज़िम्मे घर के सारे काम थे.
अब, आज उसकी शादी के बाद दूसरी रात थी और इस नये घर मे पहली. उस का पति
शाम को जल्दी घर आया और वो दोनो बाहर खाना खाने गये. दोनो ने अपना हनी
मून का कार्यक्रम खाने की टेबल पर बनाया. अगले साप्ताह वो अपना हनिमून
मनाने ऑस्ट्रेलिया जाने वाले थे. सारा ये सुनकर बहुत खुश हुई. वो दोनो
रात के करीब 10 बजे घर वापस आए और सीधे अपने नये बेडरूम मे गये. सारा
बहुत रोमांचित थी अपनी पहली चुदाई को लेकर. पर वैसा कुछ नही हुआ. उन दोनो
के बीच आज भी कोई चुदाई नही हो सकी क्यों कि आज भी उसका पति उसको चोद नही
पाया. लगातार दो दिनों मे दो कोशिश करने के बाद भी उसका पति उसको चोद नही
पाया. उन दोनो मे प्यार, छेड़ छाड़, लंड पकड़ना, चुचि दबाना आदि कुछ नही
हुआ. उसका पति सीधा उसको चोदना चाहता था और इस बार भी चोदने की कोशिश मे
उसके लंड का पानी निकल गया था. इस बार वो कुछ नही बोला और करवट ले कर सो
गया . और सारा, अपने बिस्तर पर नंगी सोई हुई अपनी जिंदगी के बारे मे सोच
रही थी. वो अभी भी इस विश्वास मे थी की सब ठीक हो जाएगा और सोने की कोशिश
करने लगी. उसका पति तो गहरी नींद सो भी चुका था.
सारा जब अपने पति के साथ हनिमून से वापस आई तो वो अभी तक कुँवारी,
अनचुड़ी थी क्यों की उसका पति अभी तक उसको चोद नही पाया था. उस के पति का
लंबा और मोटा लंड किसी काम का नही था जो की अभी तक अपनी पत्नी को चोद नही
सका था. सारा ने अपने पति को किसी डॉक्टर की सलाह लेने को कहा क्यों कि
वो समझती थी कि सब ठीक हो सकता है. लेकिन उसके पति ने उसकी ये बात नही
मानी और कहा कि उसकी और उसके पिता की समाज मे बहुत इज़्ज़त है और उसके
पिता बहुत बड़े बिज़्नेसमॅन है, इसलिए वो अपनी नमार्दी की बात किसी भी
डॉक्टर को नही बता सकता. लोगों को पता चलने पर उनलोगों की इज़्ज़त मिट्टी
मे मिल जाएगी.
इसी तरह दिन बीत ते रहे. हर रात वो सारा को चोदने की कोशिश करता पर चोद
नही पाता. हमेश ही उसके लंड से पानी निकल जाता था जब वो अपना लंड थोडा सा
ही सारा की चूत मे घुसता था. सारा हर रात असंतुष्ट रह जाती. वो कर भी
क्या सकती थी. वो ये बात किसी को बता भी नही सकती थी.
एक दिन उनकी नौकरानी जमुना ने सारा को उसकी चुदाई के बारे मे पूछा. अपनी
नौकरानी के मूह से ये बात सुनकर सारा को बहुत आस्चर्य हुआ. जमुना ने तब
सारा को बताया कि वो उसके ससुराल मे तीन साल से काम कर रही है और ये
जानती है कि उसका पति चुदाई करने के काबिल नही है, क्यों कि उनकी शादी के
पहले वो उसको पैसे का लालच दे कर चोदने की कई बार कोशिश कर चुका है पर
कभी भी चोद नही पाया. सारा को ये सुनकर बहुत गुस्सा आया. वो एक ऐसी
असंतुष्ट शादीशुदा औरत थी जिसकी प्यास उसका पति बुझाने के बदले रोज़ उसकी
चूत पर अपने लंड का पानी निकाल कर भड़का रहा था.
समय बीत ता गया और अपनी शादी के तीन महीने बाद सारा ने अपनी नौकरानी
जमुना के साथ लेज़्बीयन चुदाई का संभंध बनाया ताकि वो अपनी चूत की आग को
शांत करसाके. जमुना एक सुंदर दिखने वाली, दो साल की शादी के बाद विधवा हो
गई औरत, चुदाई की कला जानने वाली औरत थी जबकि सारा तो चुदाई के बारे मे
बहुत कम जानती थी. जमुना बे- औलाद विधवा थी. सारा उसके साथ खुश रहने लगी
थी. वो दोनो आपस मे रोज़ दोपहर को लेज़्बीयन चुदाई करती थी जब घर मे कोई
नही होता था. वो दोनो एक दूसरी को चुदाई मे संतुष्ट करती और सारा उसको,
उसकी चुदाई के काम के लिए अलग से तोहफे और पैसे भी देती थी.
एक दिन जमुना ने बताया कि उनका ड्राइवर बसंत, सारा को अलग ही नज़रों से
देखा करता है. अगर वो बसंत से चुदवाना चाहती है तो वो बसंत से सारा की
चुदाई के लिए बात कर सकती है. बसंत एक पढ़ा लिका, अच्छे स्वाभव का
ड्राइवर था जो दिन भर पार्किंग मे बैठा रहता था. वो सारा की कार चलाने के
लिए रखा गया था. सारा जब भी बाहर जाती, बसंत गाड़ी चलाता था. हालनी सारा
जमुना के साथ लेज़्बीयन चुदाई से अंतुष्ट थी लेकिन वो लेज़्बीयन नही थी.
हर औरत की तरह वो भी चाहती की कोई मर्द उसको चोद कर संतुष्ट करे. लेकिन
सारा को डर लगता था की अगर उसके पति को पता चल गया की वो ड्राइवर से
चुदवाती है तो क्या होगा. पर जैसे जैसे समय बीत ता गया , सारा की चुदवाने
की चाहत भी बढ़ती गई, और आख़िर एक दिन जमुना ने दोनो की चुदाई का
बंदोबस्त उनके बेडरूम मे कर्दिया. जमुना और बसंत, दोनो ने ही ये बात किसी
को भी ना बताने की कसम खाई थी और सब कुछ ठीक चलने लगा. हालाँकि बसंत का
लॉडा उसके पति के लॉड जैसा लंबा और मोटा नही था, पर वो एक लंड जैसा लंड
था जो किसी औरत की प्यास बुझाने के काबिल था. आख़िर, सारा की चूत का
कुँवारापन बसंत के लंड के हिस्से मे आया. बसंत काफ़ी ग़रीब था और सारा
रुपये पैसे से उसकी सहायता करने लगी. बीच बीच मे वो जमुना के साथ भी
लेज़्बीयन चुदाई कर लेती थी. दो साल तक चुदाई का ये सिलसिला बिना किसी को
पता चले चलता रहा.
एक दिन, जब सारा अपने ड्राइवर बसंत से दोपहर मे अपने बेडरूम मे चुदवा रही
थी तो उसको उसके पति ने रंगे हाथ पकड़ लिया. उस वक़्त उसका पति कुछ
ज़रूरी कागजात लेने के लिए आया था. जमुना भी घर मे नही थी और उसके पति ने
अपने पास की चाबी से घर का दरवाजा खोला था.
उसने सारा को बहुत बुरी तरह मारा था और बसंत को भी मार कर नौकरी से निकाल
दिया. अब सारा के बुरे दिन शुरू हो चुके थे. वो अपने ही घर मे एक कैदी की
तरह रहने लगी. वो किसी से बात नही कर सकती थी और कहीं भी अकेली नही जा
सकती थी. उसका मोबाइल फोन उसके पति ने ले लिया था और घर की सभी टेलिफोन
लाइन कटवा दी गई. घर पर सारा पर नज़र रखने के लिए 24 घंटे गार्ड तैनात
कर्दिये गये थे. वो बाहर जा सकती थी पर अकेली नही. हमेशा एक या दो गार्ड
उसके साथ जाते थे और उसे किसी के भी घर मे जाना मना था. उसका पति अब उस
से कोई बात नही करता था. अब तो उसे जमुना से भी बात करने मे डर लगता था.
करीब 6 महीने बाद, एक शाम को उसका पति उसके बेडरूम मे आया और उस से माफी
माँगी. सारा को अपने कानों पर विस्वास नही हुआ. उसके पति ने कहा की जो भी
पिछले 6 महीने मे हुआ है, वो उस से खुश नही है पर वो इसकी भरपाई करने की
कोशिश करेगा. उसके पति ने उसको ब्लॅक लेबल का एक पेग दिया पर सारा ने
पीने से मना कर्दिया क्यों की वो शराब नही पीती थी. उसके पति ने कहा कि
अब वो अपने काम की कुछ ज़िम्मेदारी सारा को भी देना चाहता है और पीने मे
कुछ ग़लत नही है. उल्टा, पीने पीलाने से सारा को काम के सिलसिले मे बड़े
बड़े लोगों से संभंध बनाने मे और काम निकालने मे आसानी होगी. उसके पति ने
उसको धूम्रपान करने को भी कहा.
सारा पीना और धूम्रपान नही करना चाहती थी पर अपने पति के ज़ोर देने पर,
एक आधुनिक बिज़्नेस वुमन की तरह अपने पति के साथ शराब पीने लगी और
धूम्रपान भी करने लगी. वो अपने पति के साथ कभी कभी ऑफीस भी जाने लगी और
काम समझने की कोशिश करने लगी. पीने और धूम्रपान मे सारा कुछ शांति खोजने
की कोशिश करने लगी. जब भी वो अपने आप को अकेला महसूस करती या चुदाई का मन
होता, वो शराब पीती और धूम्रपान करती, धीरे धीरे वो आदत से एक शराबी और
धूम्रपान की आदि बन गई. दिन रात अपनी गति से बीतने लगे.
कुछ ही दीनो मे सारा पूरी तरह बदल गई. एक दिन जब उसका पति ऑफीस से वापस
आया तो उसके साथ एक जाना पहचाना राज्नीतिग्य लीडर भी था. उसके पति ने
सारा को बताया कि वो नेता उनके साथ शराब पीएगा और रात का खाना भी खाएगा
क्यों कि उसके पति को उस नेता की सहयता की ज़रूरत थी सरकार से अपना एक
काम निकलवाने के लिए.
उसके पति ने जमुना से नेता की पसंद का खाना बनाने को कहा और घर मे बने
बार मे उस नेता के साथ बैठ कर बातें करने लगा. उस ने सारा से भी साथ देने
को कहा. वो दोनो पी रहे थे और धूम्रपान भी कर रहे थे. सारा भी उनका साथ
दे रही थी पर उनकी बातें सारा को समझ मे नही आ रही थी. बीच बीच मे वो
दोनो सारा से भी बात कर्लेते थे. रात का खाना खाने के पहले वो नेता और
सारा का पति अकेले मे कुछ बात करने के लिए कुछ देर बेडरूम के अंदर गये और
धीरे धीरे बातें करने लगे.
रात का खाना खाने के बाद सारा के पति ने जमुना को उसके कमरे मे जाने को
कहा. जमुना के कमरे के दो दरवाजे थे, एक घर के अंदर रसोई मे खुलता था और
दूसरा घर के बाहर खुलता था. जमुना अपने रूम मे गई तो सारा के पति ने घर
के अंदर खुलने वाले दरवाजे को बंद किया ताकि जमुना उस दरवाजे से घर के
अंदर ना आ सके. अगर ज़रूरत हो तो अपने कमरे के दूसरे दरवाजे से बाहर
निकलकर, सारा के घर के मुख्य द्वार से घर के अंदर आ सकती थी. घर मे रहने
वाले गार्ड भी घर भेज दिए गये.
क्रमशः.........................
chudaai Ka Dusara Roop--3
gataank se aage.....................
Maine pyar se uska hath pakda aur kaha - Dekho Sara........ Ham dost
hain. Agar tum mujhe kuch batana ya kahna chahti ho to main hun yahan
tumhare liye. Agar tumhe koi dukh hai to baantne se halka ho jaayega.
Achanak, Sara rone lagi. Maine usko gale se lagaya aur wo mere kandhe
par apna sir rakh kar lagataar roye jee rahi thi. Maine usko kuch der
rone diya taki wo halka mahsoos kare. Kai log hamari taraf dekhne lage
the aur Sara ne bhi ye mahsoos kiya.
Saro boli - Agar tum kuch der free ho to mere room me chalten hain.
Main - Jaroor. Chalo chalten hai.
Maine apni maa ko mere mobile se phone kardiya ki main apni college ki
dost ke sath hun aur mujhe ghar aane me thoda waqt lagega.
Ham dono usi hotel me, Sara ke room me aa gai.
Main sofa par baithi thi aur ye dekh kar mujhe aascharya hua ki Sara
ne khud ke liye BLACK LABLE ka ek peg banaya aur mujhse drink ke liye
puchha. Maine usse kaha ki main uska sath dene ke liye halki beer le
lungi. Ab Wo thik thi aur ro nahi rahi thi. Main samajh gai thi ki wo
apni shadi se ya pati se khush nahi hai. Ek dost hone ke naate main jo
bhi sambhav ho, uske liye karna chahti thi. Apna wishky ka peg aur
mere liye beear le kar ham paas paas sofa par baith gayi. Mujhe phir
se aascharya hua jab usne cigrate sulgaai.
Maine Sara ke andar bahut badlaaw dekha. Sara, jo college me ek
sharmeeli ladki thi, jisko main jaanti thi, aaj wo alag hi Sara thi.
College me Sara ek bahut achhi, sundar, sharmeeli ladki thi. Uska koi
boyfriend nahi tha. Kai ladke uske peeche pade the magar usne kisi
ladke se dosti nahi ki. Meri jo bhi ladkiyan college me dost thi, wo
hamesha chudai ke baare me baat karti thi magar Sara ne kabhi aisi
baaton me bhaag nahi liya. Us ka to bas ek hi shauk tha, wo tha
tairna, swimming. Wo apne maa baap ki pasand ke ladke ke sath hi shadi
karna chahti thi, aur wo apni shadi ke samay kunwari hi thi, yani usne
kabhi bhi, kisi se nahi chudwaya tha. College ki padhaikhatam karne ke
baad main jyada uske sampark me nahi thi.
Thodi der khamosh rahne ke baad Sara ne mujhe apni shadishuda jindgi
ki bhayanak kahani sunaai. Main wo sab sunkar dang rah gai. Uski
kahani sunkar main kuch nahi bol paayi kyon ki main uske liye kuch
nahi kar sakti thi. Uski jindgi to ek nark thi. Main aage aap ko Sara
ki jindgi ka kadwa sach batane jaa rahi hun jo mujhe Sara ne bataya
tha.
Ye to aap samajh hi gaye honge ki Sara uska asli naam nahi hai. Ye
naam to main sirf uske baare me likhne ke liye istemaal kar rahi hun.
Sara ek bahut sundar, sharmeeli aur ladkon se hamesh door rahne wali
ladki thi. Us ke pitaji ka jameen jaydaad kahreedne bechne ka dhanda
tha aur wo apni sundar beti Sara ki shadi ke liye kisi achhe ladke ki
talash me the. Is tarah Sara ki shadi Mumbai ke ek bade vyapaari ke
sundar ladke ke sath pakki ho gai. Aur phir jaldi hi uski shadi bhi ho
gai.
Shadi ke baad, dulhan bani Sara, apne sasuraal, Mumbai me apne bistar
par baithi, suhaagraat ke liye apne pati ka intzaar kar rahi thi. Wo
bahut khush thi aur use garv tha ki wo abtak kunwari hai aur wo apna
kunwarapan apne pati ko dena chahti thi. Uska pati bhi kafi sundar tha
aur ye ek achhi jodi thi. Kafi der ho chuki thi aur wo aadhi raat ke
baad ka qaqt tha jab uske pati kamre me aaye. Usne dekha ki uska pati
seedha nahi chal paa raha tha, shayad doston ke beech me kafi sharaab
pee li thi. Sara peene ke khilaaf nahi thi par chahti ki ki peene ka
kaam samay aur seema me kiya jaaye to thik hai. Khair, jab uske pati
ne der se aane aur sharaab pee kar aane ke liye us se maafi mangi to
Sara uske vyawahaar se khush ho gai.
Sara apni peeth ke bal nangi leti hui apne pati ke sath pyar aur
chudai ka khel, apni jindgi me pahli baar khel rahi thi. Bedroom ki
dheemi roshni me usne dekha ki uske pati ka lauda kafi lamba aur kafi
mota hai. Wo apne us dard ke baare me sochne lagi jab uske pati ka
mota taza, lamba lund uski safachat kunwari chut me pahli baar
ghusega. Wo apne pati ke lund se khelna chahti thi par uske pati ko
shayad chodne ki jaldi thi. Usne apne man me socha ki koi baat nahi,
uske pati ka lund uska hi to hai, us se baad me bhi kabhi bhi khel
sakti hai. Isliye usne apne pati ko, jo suhaagraat ko use jaldi se
jaldi chodna chahta tha, roka nahi aur dard sahne ko tayyar ho gai.
Halanki uski apni chut bhi thodi geeli ho gai thi par wo jaanti thi ki
dard to hone wala hai, par maza bhi aayega. Uske pati uski chaudi
taangon ke beech baith kar apne lambe aur mote lund ko uski chut ke
darwaje par rakha aur thoda jor lagaya. Sara ne saaf saaf mahsoos kiya
ki uske pati ka lamba aur garam lund uski chut me ghus raha hai. Uske
pati ne apne lund ka thoda aur jor uski chut me lagaya to Sara ko apni
chut par kuch garam garam mahsoos hua jo sara samajh nahi saki ki kya
hai. Us ka pati nangi soyi Sara ke upar so gaya aur usne sara se sorry
kaha. Ab uske pati ka lund uski chut me nahi tha aur phisal kar bahar
aa gaya tha. Sara samajh nahi saki ki uska pati us se sorry kyon bol
raha hai. Sara apna hath apni chut par le gai to uske hath me uske
pati ka naram padta lund aaya. Apni chut par jab usne apne pati ke
lund ka paani mahsoos kiya to sari baat Sara ki samajh me aa gai. Us
ne kahin padha tha ki pahli baar naye naye shadishuda jode ke beech ye
uttejna ki wajah se ho jaata hai. Isme chinta ki koi baat nahi hai.
Usne apne pati ka chumban liya aur kaha ki koi baat nahin, hum baad me
chudai karne ki koshish karenge. Jaldi hi uske pati ko neend aa gai.
Agle din Sara apne naye ghar me aa gai jo uske sasurji ne uske pati ko
shadi ke tohfe me diya tha taki shadi ke baad naya joda jaise chahe
waise rah sake. Ye teen bedroom ka, sari suvidhaaon ke sath unchi
imaarat me bada aur aalishaan ghar tha. Wahan ek naukaron ke liye bhi
kamra tha aur ek 24 ghante kaam ke liye aurat bhi thi. Us aurat ke
jimme ghar ke sare kaam the.
Ab, aaj uski shadi ke baad dusri raat thi aur is naye ghar me pahli.
Us ka pati sham ko jaldi ghar aaya aur wo dono bahar khana khane gaye.
Dono ne apna honey moon ka karyakram khane ki table par banaya. Agle
saptaah wo apna honeymoon manane AUSTRALIA jaane wale the. Sara ye
sunkar bahut khush hui. WO dono raat ke kareeb 10 baje ghar wapas aaye
aur seedhe apne naye bedroom me gaye. Sara bahut romanchit thi apni
pahli chudai ko lekar. Par waisa kuch nahi hua. Un dono ke beech aaj
bhi koi chudai nahi ho saki kyon ki aaj bhi uska pati usko chod nahi
paya. Lagataar do dinon me do koshish karne ke baad bhi uska pati usko
chod nahi paya. Un dono me pyar, chhed chhad, lund pakadna, chuchi
dabana aadi kuch nahi hua. Uska pati sidha usko chodna chahta tha aur
is baar bhi chodne ki koshish me uske lund ka paani nikal gaya tha. Is
baar wo kuch nahi bola aur karwat le kar so gaya . Aur Sara, apne
bistar par nangi soi hui apni jindgi ke baare me soch rahi thi. Wo
abhi bhi is vishwaas me thi ki sab thik ho jayega aur sone ki koshish
karne lagi. Uska pati to gahri neend so bhi chuka tha.
Sara jab apne pati ke sath honeymoon se wapas aayi to wo abhi tak
kunwari, anchudi thi kyon ki uska pati abhi tak usko chod nahi paya
tha. Us ke pati ka lamba aur mota lund kisi kaam ka nahi tha jo ki
abhi tak apni patni ko chod nahi saka tha. Sara ne apne pati ko kisi
doctor ki salah lene ko kaha kyon ki wo samajhti thi ki sab thik ho
sakta hai. Lekin uske pati ne uski ye baat nahi maani aur kaha ki uski
aur uske pita ki samaj me bahut izzat hai aur uske pita bahut bade
businessman hai, isliye wo apni namardi ki baat kisi bhi doctor ko
nahi bata sakta. logon ko pata chalne par unlogon ki izzat mitti me
mil jaayegi.
Isi tarah din beet te rahe. Har raat wo Sara ko chodne ki koshish
karta par chod nahi pata. Hamesh hi uske lund se paani nikal jaata tha
jab wo apna lund thoda sa hi Sara ki chut me ghusata tha. Sara har
raat asntusht rah jaati. Wo kar bhi kya sakti thi. Wo ye baat kisi ko
bata bhi nahi sakti thi.
Ek din unki naukarani Jamuna ne Sara ko uski chudai ke baare me
poocha. Apni naukarani ke muh se ye baat sunkar Sara ko bahut
aascharya hua. Jamuna ne tab Sara ko bataya ki wo uske sasuraal me
teen saal se kaam kar rahi hai aur ye jaanti hai ki uska pati chudai
karne ke kaabil nahi hai, kyon ki unki shadi ke pahle wo usko paise ka
lalach de kar chodne ki kai baar koshish kar chuka hai par kabhi bhi
chod nahi paya. Sara ko ye sunkar bahut gussa aaya. Wo ek aisi
asntusht shadishuda aurat thi jiski pyas uska pati bujhne ke badle roz
uski chut par apne lund ka paani nikaal kar bhadka raha tha.
Samay biit ta gaya aur apni shadi ke teen mahine baad Sara ne apni
naukarani Jamuna ke sath lesbian chudai ka sambhandh banaya taki wo
apni chut ki aag ko shant karsake. Jamuna ek sundar dikhne wali, do
saal ki shadi ke baad vidhwa ho gai aurat, chudai ki kala jaanne wali
aurat thi jabki Sara to chudai ke baare me bahut kam jaanti thi.
Jamuna be- aulaad vidhwa thi. Sara uske sath khush rahne lagi thi. Wo
dono aapas me roz dopahar ko lesbian chudai karti thi jab ghar me koi
nahi hota tha. Wo dono ek dusri ko chudai me santusht karti aur Sara
uako, uski chudai ke kaam ke liye alag se tohfe aur paise bhi deti
thi.
Ek din Jamuna ne bataya ki unka driver Basant, Sara ko alag hi nazron
se dekha karta hai. Agar wo Basant se chudwana chahti hai to wo Basant
se Sara ki chudai ke liye baat kar sakti hai. Basant ek padha lika,
achhe swabhhav ka driver tha jo din bhar parking me baitha rahta tha.
Wo Sara ki car chalane ke liye rakha gaya tha. Sara jab bhi bahar
jaati, Basant gadi chalata tha. Haalani Sara Jamuna ke sath lesbian
chudai se antusht thi lekin wo lesbian nahi thi. Har aurat ki tarah wo
bhi chahti ki koi mard usko chod kar santusht kare. Lekin Sara ko dar
lagta tha ki agar uske pati ko pata chal gaya ki wo driver se chudwati
hai to kya hoga. Par jaise jaise samay biit ta gaya , Sara ki chudwane
ki chahat bhi badhti gai, aur aakhir ek din Jamuna ne dono ki chudai
ka bandobast unke bedroom me kardiya. Jamuna aur Basant, dono ne hi ye
baat kisi ko bhi naa batane ki kasam khayi thi aur sab kuch thik
chalne laga. Halanki Basant ka lauda uske pati ke laude jaisa lamba
aur mota nahi tha, par wo ek lund jaisa lund tha jo kisi aurat ki pyas
bujhane ke kaabil tha. Aakhir, Sara ki chut ka kunwarapan Basant ke
lund ke hisse me aaya. Basant kafi gareeb tha aur Sara rupaye paise se
uski sahayata karne lagi. Beech beech me wo Jamuna ke sath bhi lesbian
chudai karleti thi. Do saal tak chudai ka ye silsila bina kisi ko pata
chale chalta raha.
Ek din, jab Sara apne driver Basant se dopahar me apne bedroom me
chudwa rahi thi to usko uske pati ne range haat pakad liya. Us waqt
uska pati kuch jaroori kagjaat lene ke liye aaya tha. Jamuna bhi gar
me nahi thi aur uske pati ne apne paas ki chabi se ghar ka darwaja
khola tha.
Usne Sara ko bahut buri tarah maara tha aur Basnat ko bhi maar kar
naukari se nikaal diya. Ab Sara ke bure din shuru ho chuke the. Wo
apne hi ghar me ek kaidi ki tarah rahne lagi. Wo kisi se baat nahi kar
sakti thi aur kahin bhi akeli nahi jaa sakti thi. Uska mobile phone
uske pati ne le liya tha aur ghar ki sabhi telephone linen katwa di
gai. Ghar par Sara par nazar rakhne ke liye 24 ghante guard tainaat
kardiye gaye the. Wo bahar jaa sakti thi par akeli nahi. Hamesha ek ya
do guard uske sath jaate the aur use kisi ke bhi ghar me jaana mana
tha. Uska pati ab us se koi baat nahi karta tha. Ab to use Jamuna se
bhi baat karne me dar lagta tha.
Kareeb 6 mahine baad, ek sham ko uska pati uske bedroom me aaya aur us
se maafi maangi. Sara ko apne kaanon par viswaas nahi hua. Uske pati
ne kaha ki jo bhi pichle 6 mahine me hua hai, wo us se khush nahi hai
par wo iski bharpaai karne ki koshish karega. Uske pati ne usko BLACK
LABLE ka ek peg diya par Sara ne peene se mana kardiya kyon ki wo
sharaab nahi peeti thi. Uske pati ne kaha ki ab wo apne kaam ki kuch
jimmedaari Sara ko bhi dena chahta hai aur peene me kuch galat nahi
hai. ulta, peene peelane se Sara ko kaam ke silsile me bade bade logon
se sambhandh banane me aur kaam nikaalne me aasaani hogi. Uske pati ne
usko dhumrapaan karne ko bhi kaha.
Sara peena aur dhumrapaan nahi karna chahti thi par apne pati ke jor
dene par, ek aadhunik business woman ki tarah apne pati ke sath
sharaab peene lagi aur dhumrapaan bhi karne lagi. Wo apne pati ke sath
kabhi kabhi office bhi jaane lagi aur kaam samajhne ki koshish karne
lagi. Peene aur dhumrapaan me Sara kuch shanti khojne ki koshish karne
lagi. Jab bhi wo apne aap ko akela mahsoos karti ya chudai ka man
hota, wo sharaab peeti aur dhumrapaan karti, dheere dheere wo aadat se
ek sharaabi aur dhumrapaan ki aadi ban gai. Din raat apni gati se
beetne lage.
Kuch hi dino me Sara poori tarah badal gai. Ek din jab uska pati
office se wapas aaya to uske sath ek jaana pahchana rajnitigya leader
bhi tha. Uske pati ne Sara ko bataya ki wo neta unke sath sharaab
peeyega aur raat ka khana bhi khayega kyon ki uske pati ko us neta ki
sahayta ki jaroorat thi sarkaar se apna ek kaam nikalwane ke liye.
Uske pati ne Jamuna se neta ki pasand ka khana banane ko kaha aur ghar
me bane bar me us neta ke sath baith kar baaten karne laga. Us ne Sara
se bhi sath dene ko kaha. Wo done pee rahe the aur dhumrapaan bhi kar
rahe the. Sara bhi unka sath de rahi thi par unki baaten Sara ko
samajh me nahi aa rahi thi. Bech beech me wo dono Sara se bhi baat
karlete the. Raat ka khana khane ke pahle wo neta aur Sara ka pati
akele me kuch baat karne ke liye kuch der bedroom ke andar gaye aur
dheere dheere baaten karne lage.
Raat ka khana khane ke baad Sara ke pati ne Jamuna ko uske kamre me
jaane ko kaha. Jamuna ke kamre ke do darweaje the, ek ghar ke andar
rasoi me khulta tha aur dusra ghar ke bahar khulta tha. Jamuna apne
room me gai to Sara ke pati ne ghar ke andar khulne wale darwaje ko
band kiya taki Jamuna us darwaje se ghar ke andar naa aa sake. Agar
jaroorat ho to apne kamre ke dusre darwaje se bahar nikalkar, Sara ke
ghar ke mukhya dwar se ghar ke andar aa sakti thi. Ghar me rahne wale
guard bhi ghar bhej diye gaye.
kramashah.........................
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Saturday, March 23, 2013
चुदाई का दूसरा रूप--4
सेक्सी कहानियाँ
चुदाई का दूसरा रूप--4
गतान्क से आगे.....................
तीनों, सारा, उसका पति और वो नेता, बेड रूम मे सोफा पर बैठ कर सिगरेट
पीने लगे. सारा के पति ने सारा से कहा की लीडर को वो बहुत अच्छी लग रही
है और वो और कुछ देर घर मे रहना चाहता है. शराब के नशे मे सारा अपने पति
की बात का पूरा मतलब नही समझ सकी. वैसे भी वो एक सब का जाना पहचाना नेता
था.
अचानक, उस नेता ने सारा को अपनी बाहों मे जाकड़ लिया तो सारा चौंक गई और
उसने अपने पति की तरफ देखा. उसका पति मुस्करा रहा था. सारा को सारी बात
समझ मे आगाई जो वो अब तक नही समझी थी. उस नेता ने सारा को अपनी बाहों मे
उठा कर बिस्तर पर गिरा दिया. सारा ने फिर अपने पति की तरफ देखा तो उसके
पति ने कहा की नेताजी को खुश करदो. सारा ना कुछ बोल सकी और ना ही कुछ कर
सकी. उसकी आँखों से आँसू निकल आए. उस ने सोच लिया कि वो उस नेता से चुदवा
कर अपने पति के काम मे उसकी मदद करेगी. इस काम मे शराब का भी काफ़ी हाथ
था.
सारा अपने बिस्तर पर पड़ी थी और उसका पति और उसका नेता दोस्त दोनो मिलकर
उसके कपड़े उतारने लगे. जल्दी ही उन दोनो ने सारा को पूरा नंगा कर दिया.
उसके पति ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो कर, सोफा पर बैठ कर
सिगरेट पीने लगा. सारा जान गई कि उसका पति जो नामार्द है, कुछ नही करेगा
और उसका नेता दोस्त उसको चोदेगा और उसका पति सब देखेगा. नेता ने सारा को
कहा की वो उसके कपड़े उतारे. सारा ने नेता के कपड़े उतार कर उसे भी नंगा
किया और उसका बेशरम नमार्द पति सोफा पर बैठा सब देख रहा था.
नेता चुदाई के मामले मे बसंत की तरह एक काबिल मर्द था और काफ़ी दिनों के
बाद सारा को चुदाई मे संतुष्टि मिली थी, पर सारा खुश नही थी क्यों कि
उसके पति ने उसका, उसके बदन का, उसकी चूत का, उसकी चुदाई का अपने धन्दे
मे फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया था.
वो नेता तो सारा को चोद कर चला गया था. उस नेता से चुदवाते हुए सारा ने
देखा था कि उसके पति के लंड का पानी अपने आप ही निकल कर सोफा के पास फैल
गया था. किसी रंडी की तरह, बिना अपने पति की तरफ ध्यान दिए, करवट ले कर
सारा नंगी ही सो गई.
अगले दिन सुबह, जब शराब का नशा नही था, तो सारा को सारी बात अच्छी तरह
समझ मे आई. एक बार उसने सोचा कि उसने बहुत ग़लत काम किया है, पर फिर उसने
सोचा कि उसने जो भी किया, अपने पति के कहने पर किया और उसका पति खुद वहाँ
मौजूद था जब वो नेता उसको चोद रहा था. वैसे भी वो कोई सती सावित्री नही
थी. अपनी खुशी के लिए वो बसंत से चुदवाती थी तो धंधे मे फ़ायदे के लिए एक
बार अपने पति के कहने पर उस नेता से चुदवा लिया तो क्या हो गया . ये
चुदाई की बात तो उन तीनो के बीच ही रहनेवाली है. और अंदर से कहीं वो खुश
भी थी की उसको चुदाई मे संतुष्टि भी मिली है जिसकी वो हक़दार है.
पर जल्दी ही सारा को पता चल गया कि ये उसकी ग़लती थी जो वो अपने पति के
बारे मे अच्छा अच्छा सोचती थी. सारा ने सोचा था कि वो केवल एक बार की बात
थी जो उसे अपने पति की खातिर उस नेता से चुदवाना पड़ा था. वो अपने पति को
ठीक से पहचान नही पाई थी. करीब करीब रोज़ ही शाम को उसका पति अलग अलग
आदमियों के साथ घर आता और सारा को उनसे चुदवाने को कहता. जब कभी भी सारा
ने चुदवाने के लिए ना कहा, उसका पति उसे बुरी तरह मारता था. अब वो समझ गई
थी कि उसके पति की पहुँच बहुत उपर तक थी. उसने कई बार घर से भागने की
कोशिश की पर नाकाम रही और उसके पति ने उसे पीटा था. उस ने पोलीस मे भी
जाने की कोशिश की थी पर उसको पता नही था कि एक बड़ा पोलीस ऑफीसर उसके पति
का दोस्त था और बाद मे उसी पोलीस ऑफीसर ने उसके पति की मौजूदगी मे सारा
को बुरी तरह चोदा था.
सारा की जिंदगी नर्क बनती जा रही थी. अब तो उसका पति उसे दो - तीन
आदमियों से एक साथ ही चुदवाता था. वो एक रंडी की जिंदगी जी रही थी और
उसका अपना पति ही जैसे उसका दलाल / भड़वा बन गया था. सारा को बड़े बड़े
आदमियों से चुदवा कर, अपना काम निकलवा कर, उसके पति ने अपने धन्दे मे
बहुत पैसा कमाया. अलग अलग आदमी सारा को अपनी पसंद के अनुसार अलग अलग
तरीके से चोद्ते थे और सारा चुदवाने के सिवाय कुछ नही कर पाती थी.
और इसी कारण वो एक पक्की शराबी बन गई थी और बहुत धूम्रपान करती थी. सारा
ने अपनी किस्मत से समझौता कर लिया था. अब तो ये हालत थी कि सारा को
चुदवाने की जैसे आदत पड़ गयी थी और वो अब चुदाई के बिना नही रह सकती थी
और उसको रोज़ एक से ज़्यादा मर्द चाहिए चुदवाने के लिए. अब वो अपनी आदत
और मर्ज़ी से एक रांड़ बन चुकी थी. अब उसे किसी तरह की शर्म भी नही आती
थी. वो किसी से भी, कभी भी, कैसे भी चुदवा सकती थी.
मुझे सारा के मूह से उसकी कहानी सुन कर बहुत धक्का लगा और बहुत दुख हुआ.
मगर सारा मुस्कराती रही, शराब पीती रही, धूम्रपान करती रही और अपनी चुदाई
की भयानक कहानी सुनाती गई.
अंत मे सारा ने बताया - मेरा भड़वा पति अपने तीन विदेशी दोस्तों को लाने
के लिए बाहर गया है और आज मैं तीन तीन विदेशियों से एक साथ चुदवाउंगी.
मैं बोली - सारा, ये सब तुम कितनी आसानी से कह रही हो. ये चिंता की बात है.
सारा ने जवाब दिया - नही यार! मेरी जिंदगी मे ये सब आम बात है. मैं खुद
अब इन सब के बिना नही रह सकती.
मैं बोली - सारा ! मेरी दोस्त ! मुझे बताओ कि मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ
कि तुम इस नर्क से बाहर आ जाओ.
सारा - कुछ नही जूली! मुझे अब इसकी आदत पड़ गई है. मैं जो भी कर रही हूँ,
वो अपनी मर्ज़ी से कर रही हूँ. मुझे किसी से कोई शिकायत नही है. मुझे
रोज़ाना चुदवाने के लिए एक नया मर्द चाहिए और जिस दिन मेरे भॅडव पति का
कोई दोस्त नही आता, उस दिन मैं अपने दलाल पति से किसी मर्द का बंदोबस्त
करने को कहती हूँ और वो किसी ना किसी को मुझे चोदने के लिए ले आता है.
मैं अब बहुत खुश हूँ.
पर मैं जानती थी, वो बहुत तो क्या, ज़रा भी खुश नही है. पर मैं उसके लिए
कुछ भी नही कर सकती थी.
शाम के 7.30 बज चुके थे. सारा ने बताया की उसके भदवे पति के, उसके तीन
विदेशी दोस्तों के साथ आने का समय हो गया है. वो तीनो विदेशी मिलकर अब
उसको उसके ही भद्वे पति के सामने चोदेन्गे. मैं उसके पति को भड़वा नही
कहना चाहूँगी क्यों कि भड़वा तो उसके लिए बहुत छ्होटा शब्द है.
मैने भारी मन से सारा से विदाई ली और अपने घर की तरफ रवाना हो गई. मैने
उसी समय सोच लिया था कि मैं ये कहानी अपनी अगली चुदाई की दास्तान मे
ज़रूर लिखूँगी ताकि लोगों को पता चले कि चुदाई का ये भी एक रूप है.
समाप्त
chudaai Ka Dusara Roop--4
gataank se aage.....................
Teenon, Sara, uska pati aur wo neta, bed room me sofa par baith kar
cigret peene lage. Sara ke pati ne Sara se kaha ki leader ko wo bahut
achhi lagrahi hai aur wo aur kuch der ghar me rahna chahta hai.
Sahraab ke nashe me Sara apne pati ki baat ka poora matlab nahi samajh
saki. Waise bhi wo ek sab ka jana pahchana neta tha.
Achanak, us neta ne sara ko apni baahon me jakad liya to Sara chaunk
gai aur usne apne pati ki taraf dekha. Uska pati muskara raha ta. Sara
ko saari baat samajh me aagai jo wo ab tak nahi samjhi thi. Us neta ne
Sara ko apni baahon me utha kar bistar par gira diya. Sara ne phir
apne pati ki taraf dekha to uske pati ne kaha ki netaji ko khush
kardo. Sara na kuch bol saki aur naa hi kuch kar saki. Uski aankhon se
aansu nikal aaye. Us ne soch liya ki wo us neta se chudwa kar apne
pati ke kaam me uski madad karegi. Is kaam me sharaab ka bhi kafi hath
tha.
Sara apne bistar par padi thi aur uska pati aur uska neta dost dono
milkar uske kapde utaarne lage. Jaldi hi un dono ne Sara ko poora
nanga kar diya. Uske pati ne bhi apne saare kapde utaar diye aur nanga
ho kar, sofa par baith kar cigret peene laga. Sara jaan gai ki uska
pati jo naamard hai, kuch nahi karega aur uska neta dost usko chodega
aur uska pati sab dekhega. Neta ne sara ko kaha ki wo uske kapde
utaare. Sara ne Neta ke kapde utaar kar use bhi nanga kiya aur uska
besharam namard pati sofa par baitha sab dekh raha tha.
Neta chudai ke maamle me Basant ki tarah ek kaabil mard tha aur kafi
dinon ke baad Sara ko chudai me santushti mili thi, par Sara khush
nahi thi kyon ki uske pati ne uska, uske badan ka, uski chut ka, uski
chudai ka apne dhande me fayde ke liye istemaal kiya tha.
Wo neta to Sara ko chod kar chala gaya tha. Us neta se chudwate huye
Sara ne dekha tha ki uske pati ke lund ka paani apne aap hi nikal kar
sofa ke paas fail gaya tha. Kisi randi ki tarah, bina apne pati ki
taraf dhayan diye, karwat le kar Sara nangi hi so gai.
Agle din subah, jab sharaab ka nasha nahi tha, to Sara ko sari baat
achhi tarah samajh me aayi. Ek baar usne socha ki usne bahut galat
kaam kiya hai, par phir usne socha ki usne jo bhi kiya, apne pati ke
kahne par kiya aur uska pati khud wahan maujood tha jab wo neta usko
chod raha tha. Waise bhi wo koi sati savitri nahi thi. Apni khushi ke
liye wo Basant se chudwati thi to dhandhe me phayde ke liye ek baar
apne pati ke kahne par us neta se chudwa liya to kya ho gaya . Ye
chudai ki baat to un teeno ke beech hi rahnewali hai. Aur andar se
kahin wo khush bhi thi ki usko chudai me santushti bhi mili hai jiski
wo haqdaar hai.
Par jaldi hi Sara ko pata chal gaya ki ye uski galati thi jo wo apne
pati ke baare me achha achha sochti thi. Sara ne socha tha ki wo kewal
ek baar ki baat thi jo use apne pati ki khatir us neta se chudwana
pada tha. Wo apne pati ko thik se pahchan nahi paayi thi. Kareeb
kareeb roz hi sham ko uska pati alag alag aadmiyon ke sath ghar aata
aur Sara ko unse chudwane ko kahta. Jab kabhi bhi Sara ne chudwane ke
liye naa kaha, uska pati use buri tarah maarta tha. Ab wo samajh gai
thi ki uske pati ki pahunch bahut upar tak thi. Usne kai baar ghar se
bhaagne ki koshish ki par nakaam rahi aur uske pati ne use peeta tha.
Us ne police me bhi jaane ki koshish ki thi par usko pata nahi tha ki
ek bada police officer uske pati ka dost tha aur baad me usi police
officer ne uske pati ki maujoodgi me Sara ko buri tarah choda tha.
Sara ki jindgi nark banti jaa rahi thi. Ab to uska pati use do - teen
aadmiyon se ek sath hi chudwata tha. Wo ek randi ki jindgi jee rahi
thi aur uska apna pati hi jaise uska dalaal / bhadwa ban gaya tha.
Sara ko bade bade aadmiyon se chudwa kar, apna kaam nikalwa kar, uske
pati ne apne dhande me bahut paisa kamaya. Alag alag aadmi Sara ko
apni pasand ke anusaar alag alag tareeke se chodte the aur Sara
chudwane ke siway kuch nahi kar paati thi.
Aur isi kaaran wo ek pakki sharaabi ban gai thi aur bahut dhumrapaan
karti thi. Sara ne apni kismat se samjhauta kar liya tha. Ab to ye
halat thi ki Sara ko chudwane ki jaise aadat pad gayi thi aur wo ab
chudai ke bina nahi rah sakti thi aur usko roz ek se jyada mard
chahiye chudwane ke liye. Ab wo apni aadat aur marzi se ek rand ban
chuki thi. Ab use kisi tarah ki sharm bhi nahi aati thi. Wo kisi se
bhi, kabhi bhi, kaise bhi chudwa sakti thi.
Mujhe Sara ke muh se uski kahani sun kar bahut dhakka laga aur bahut
dukh hua. Magar Sara muskarati rahi, Sharaab peeti rahi, dhumrapaan
karti rahi aur apni chudai ki bhayanak kahani sunaati gai.
Ant me Sara ne bataya - Mera bhadwa pati apne teen videshi doston ko
laane ke liye bahar gaya hai aur aaj main teen teen videshiyon se ek
sath chudwaongi.
Main Boli - Sara, ye sab tum kitni aasaani se kah rahi ho. Ye Chinta
ki baat hai.
Sara ne jawab diya - Nahi yaar! Meri jindgi me ye sab aam baat hai.
Main khud ab in sab ke bina nahi rah sakti.
Main boli - Sara ! Meri dost ! Mujhe batao ki main tumhare liye kya
karun ki tum is nark se bahar aa jaao.
Sara - Kuch nahi Julee! Mujhe ab iski aadat pad gai hai. Main jo bhi
kar rahi hun, wo apni marzi se kar rahi hun. Mujhe kisi se koi
shikayat nahi hai. Mujhe rozana chudwane ke liye ek naya mard chahiye
aur jis din mere bhadwe pati ka koi dost nahi aata, us dim main apne
dalaal pati se kisi mard ka bandobast karne ko kahti hun aur wo kisi
na kisi ko muje chodne ke liye le aata hai. Main ab bahut khush hun.
Par main jaanti thi, wo bahut to kya, jara bhi khush nahi hai. Par
main uske liye kuch bhi nahi kar sakti thi.
Sham ke 7.30 baj chuke the. Sara ne bataya ki uske bhadwe pati ke,
uske teen videshi doston ke sath aane ka samay ho gaya hai. Wo teeno
videshi milkar ab usko uske hi bhadwe pati ke saamne chodenge. Main
uske pati ko bhadwa nahi kahna chahungi kyon ki bhadwa to uske liye
bahut chhota shabd hai.
Maine bhari man se Sara se vidaai li aur apne ghar ki taraf rawana ho
gai. Maine usi samay soch liya tha ki main ye kahani apni agli chudai
ki dastaan me jaroor likhungi taki logon ko pata chale ki chudai ka ye
bhi ek roop hai.
samaapt
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--
Raj sharma
चुदाई का दूसरा रूप--4
गतान्क से आगे.....................
तीनों, सारा, उसका पति और वो नेता, बेड रूम मे सोफा पर बैठ कर सिगरेट
पीने लगे. सारा के पति ने सारा से कहा की लीडर को वो बहुत अच्छी लग रही
है और वो और कुछ देर घर मे रहना चाहता है. शराब के नशे मे सारा अपने पति
की बात का पूरा मतलब नही समझ सकी. वैसे भी वो एक सब का जाना पहचाना नेता
था.
अचानक, उस नेता ने सारा को अपनी बाहों मे जाकड़ लिया तो सारा चौंक गई और
उसने अपने पति की तरफ देखा. उसका पति मुस्करा रहा था. सारा को सारी बात
समझ मे आगाई जो वो अब तक नही समझी थी. उस नेता ने सारा को अपनी बाहों मे
उठा कर बिस्तर पर गिरा दिया. सारा ने फिर अपने पति की तरफ देखा तो उसके
पति ने कहा की नेताजी को खुश करदो. सारा ना कुछ बोल सकी और ना ही कुछ कर
सकी. उसकी आँखों से आँसू निकल आए. उस ने सोच लिया कि वो उस नेता से चुदवा
कर अपने पति के काम मे उसकी मदद करेगी. इस काम मे शराब का भी काफ़ी हाथ
था.
सारा अपने बिस्तर पर पड़ी थी और उसका पति और उसका नेता दोस्त दोनो मिलकर
उसके कपड़े उतारने लगे. जल्दी ही उन दोनो ने सारा को पूरा नंगा कर दिया.
उसके पति ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो कर, सोफा पर बैठ कर
सिगरेट पीने लगा. सारा जान गई कि उसका पति जो नामार्द है, कुछ नही करेगा
और उसका नेता दोस्त उसको चोदेगा और उसका पति सब देखेगा. नेता ने सारा को
कहा की वो उसके कपड़े उतारे. सारा ने नेता के कपड़े उतार कर उसे भी नंगा
किया और उसका बेशरम नमार्द पति सोफा पर बैठा सब देख रहा था.
नेता चुदाई के मामले मे बसंत की तरह एक काबिल मर्द था और काफ़ी दिनों के
बाद सारा को चुदाई मे संतुष्टि मिली थी, पर सारा खुश नही थी क्यों कि
उसके पति ने उसका, उसके बदन का, उसकी चूत का, उसकी चुदाई का अपने धन्दे
मे फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया था.
वो नेता तो सारा को चोद कर चला गया था. उस नेता से चुदवाते हुए सारा ने
देखा था कि उसके पति के लंड का पानी अपने आप ही निकल कर सोफा के पास फैल
गया था. किसी रंडी की तरह, बिना अपने पति की तरफ ध्यान दिए, करवट ले कर
सारा नंगी ही सो गई.
अगले दिन सुबह, जब शराब का नशा नही था, तो सारा को सारी बात अच्छी तरह
समझ मे आई. एक बार उसने सोचा कि उसने बहुत ग़लत काम किया है, पर फिर उसने
सोचा कि उसने जो भी किया, अपने पति के कहने पर किया और उसका पति खुद वहाँ
मौजूद था जब वो नेता उसको चोद रहा था. वैसे भी वो कोई सती सावित्री नही
थी. अपनी खुशी के लिए वो बसंत से चुदवाती थी तो धंधे मे फ़ायदे के लिए एक
बार अपने पति के कहने पर उस नेता से चुदवा लिया तो क्या हो गया . ये
चुदाई की बात तो उन तीनो के बीच ही रहनेवाली है. और अंदर से कहीं वो खुश
भी थी की उसको चुदाई मे संतुष्टि भी मिली है जिसकी वो हक़दार है.
पर जल्दी ही सारा को पता चल गया कि ये उसकी ग़लती थी जो वो अपने पति के
बारे मे अच्छा अच्छा सोचती थी. सारा ने सोचा था कि वो केवल एक बार की बात
थी जो उसे अपने पति की खातिर उस नेता से चुदवाना पड़ा था. वो अपने पति को
ठीक से पहचान नही पाई थी. करीब करीब रोज़ ही शाम को उसका पति अलग अलग
आदमियों के साथ घर आता और सारा को उनसे चुदवाने को कहता. जब कभी भी सारा
ने चुदवाने के लिए ना कहा, उसका पति उसे बुरी तरह मारता था. अब वो समझ गई
थी कि उसके पति की पहुँच बहुत उपर तक थी. उसने कई बार घर से भागने की
कोशिश की पर नाकाम रही और उसके पति ने उसे पीटा था. उस ने पोलीस मे भी
जाने की कोशिश की थी पर उसको पता नही था कि एक बड़ा पोलीस ऑफीसर उसके पति
का दोस्त था और बाद मे उसी पोलीस ऑफीसर ने उसके पति की मौजूदगी मे सारा
को बुरी तरह चोदा था.
सारा की जिंदगी नर्क बनती जा रही थी. अब तो उसका पति उसे दो - तीन
आदमियों से एक साथ ही चुदवाता था. वो एक रंडी की जिंदगी जी रही थी और
उसका अपना पति ही जैसे उसका दलाल / भड़वा बन गया था. सारा को बड़े बड़े
आदमियों से चुदवा कर, अपना काम निकलवा कर, उसके पति ने अपने धन्दे मे
बहुत पैसा कमाया. अलग अलग आदमी सारा को अपनी पसंद के अनुसार अलग अलग
तरीके से चोद्ते थे और सारा चुदवाने के सिवाय कुछ नही कर पाती थी.
और इसी कारण वो एक पक्की शराबी बन गई थी और बहुत धूम्रपान करती थी. सारा
ने अपनी किस्मत से समझौता कर लिया था. अब तो ये हालत थी कि सारा को
चुदवाने की जैसे आदत पड़ गयी थी और वो अब चुदाई के बिना नही रह सकती थी
और उसको रोज़ एक से ज़्यादा मर्द चाहिए चुदवाने के लिए. अब वो अपनी आदत
और मर्ज़ी से एक रांड़ बन चुकी थी. अब उसे किसी तरह की शर्म भी नही आती
थी. वो किसी से भी, कभी भी, कैसे भी चुदवा सकती थी.
मुझे सारा के मूह से उसकी कहानी सुन कर बहुत धक्का लगा और बहुत दुख हुआ.
मगर सारा मुस्कराती रही, शराब पीती रही, धूम्रपान करती रही और अपनी चुदाई
की भयानक कहानी सुनाती गई.
अंत मे सारा ने बताया - मेरा भड़वा पति अपने तीन विदेशी दोस्तों को लाने
के लिए बाहर गया है और आज मैं तीन तीन विदेशियों से एक साथ चुदवाउंगी.
मैं बोली - सारा, ये सब तुम कितनी आसानी से कह रही हो. ये चिंता की बात है.
सारा ने जवाब दिया - नही यार! मेरी जिंदगी मे ये सब आम बात है. मैं खुद
अब इन सब के बिना नही रह सकती.
मैं बोली - सारा ! मेरी दोस्त ! मुझे बताओ कि मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ
कि तुम इस नर्क से बाहर आ जाओ.
सारा - कुछ नही जूली! मुझे अब इसकी आदत पड़ गई है. मैं जो भी कर रही हूँ,
वो अपनी मर्ज़ी से कर रही हूँ. मुझे किसी से कोई शिकायत नही है. मुझे
रोज़ाना चुदवाने के लिए एक नया मर्द चाहिए और जिस दिन मेरे भॅडव पति का
कोई दोस्त नही आता, उस दिन मैं अपने दलाल पति से किसी मर्द का बंदोबस्त
करने को कहती हूँ और वो किसी ना किसी को मुझे चोदने के लिए ले आता है.
मैं अब बहुत खुश हूँ.
पर मैं जानती थी, वो बहुत तो क्या, ज़रा भी खुश नही है. पर मैं उसके लिए
कुछ भी नही कर सकती थी.
शाम के 7.30 बज चुके थे. सारा ने बताया की उसके भदवे पति के, उसके तीन
विदेशी दोस्तों के साथ आने का समय हो गया है. वो तीनो विदेशी मिलकर अब
उसको उसके ही भद्वे पति के सामने चोदेन्गे. मैं उसके पति को भड़वा नही
कहना चाहूँगी क्यों कि भड़वा तो उसके लिए बहुत छ्होटा शब्द है.
मैने भारी मन से सारा से विदाई ली और अपने घर की तरफ रवाना हो गई. मैने
उसी समय सोच लिया था कि मैं ये कहानी अपनी अगली चुदाई की दास्तान मे
ज़रूर लिखूँगी ताकि लोगों को पता चले कि चुदाई का ये भी एक रूप है.
समाप्त
chudaai Ka Dusara Roop--4
gataank se aage.....................
Teenon, Sara, uska pati aur wo neta, bed room me sofa par baith kar
cigret peene lage. Sara ke pati ne Sara se kaha ki leader ko wo bahut
achhi lagrahi hai aur wo aur kuch der ghar me rahna chahta hai.
Sahraab ke nashe me Sara apne pati ki baat ka poora matlab nahi samajh
saki. Waise bhi wo ek sab ka jana pahchana neta tha.
Achanak, us neta ne sara ko apni baahon me jakad liya to Sara chaunk
gai aur usne apne pati ki taraf dekha. Uska pati muskara raha ta. Sara
ko saari baat samajh me aagai jo wo ab tak nahi samjhi thi. Us neta ne
Sara ko apni baahon me utha kar bistar par gira diya. Sara ne phir
apne pati ki taraf dekha to uske pati ne kaha ki netaji ko khush
kardo. Sara na kuch bol saki aur naa hi kuch kar saki. Uski aankhon se
aansu nikal aaye. Us ne soch liya ki wo us neta se chudwa kar apne
pati ke kaam me uski madad karegi. Is kaam me sharaab ka bhi kafi hath
tha.
Sara apne bistar par padi thi aur uska pati aur uska neta dost dono
milkar uske kapde utaarne lage. Jaldi hi un dono ne Sara ko poora
nanga kar diya. Uske pati ne bhi apne saare kapde utaar diye aur nanga
ho kar, sofa par baith kar cigret peene laga. Sara jaan gai ki uska
pati jo naamard hai, kuch nahi karega aur uska neta dost usko chodega
aur uska pati sab dekhega. Neta ne sara ko kaha ki wo uske kapde
utaare. Sara ne Neta ke kapde utaar kar use bhi nanga kiya aur uska
besharam namard pati sofa par baitha sab dekh raha tha.
Neta chudai ke maamle me Basant ki tarah ek kaabil mard tha aur kafi
dinon ke baad Sara ko chudai me santushti mili thi, par Sara khush
nahi thi kyon ki uske pati ne uska, uske badan ka, uski chut ka, uski
chudai ka apne dhande me fayde ke liye istemaal kiya tha.
Wo neta to Sara ko chod kar chala gaya tha. Us neta se chudwate huye
Sara ne dekha tha ki uske pati ke lund ka paani apne aap hi nikal kar
sofa ke paas fail gaya tha. Kisi randi ki tarah, bina apne pati ki
taraf dhayan diye, karwat le kar Sara nangi hi so gai.
Agle din subah, jab sharaab ka nasha nahi tha, to Sara ko sari baat
achhi tarah samajh me aayi. Ek baar usne socha ki usne bahut galat
kaam kiya hai, par phir usne socha ki usne jo bhi kiya, apne pati ke
kahne par kiya aur uska pati khud wahan maujood tha jab wo neta usko
chod raha tha. Waise bhi wo koi sati savitri nahi thi. Apni khushi ke
liye wo Basant se chudwati thi to dhandhe me phayde ke liye ek baar
apne pati ke kahne par us neta se chudwa liya to kya ho gaya . Ye
chudai ki baat to un teeno ke beech hi rahnewali hai. Aur andar se
kahin wo khush bhi thi ki usko chudai me santushti bhi mili hai jiski
wo haqdaar hai.
Par jaldi hi Sara ko pata chal gaya ki ye uski galati thi jo wo apne
pati ke baare me achha achha sochti thi. Sara ne socha tha ki wo kewal
ek baar ki baat thi jo use apne pati ki khatir us neta se chudwana
pada tha. Wo apne pati ko thik se pahchan nahi paayi thi. Kareeb
kareeb roz hi sham ko uska pati alag alag aadmiyon ke sath ghar aata
aur Sara ko unse chudwane ko kahta. Jab kabhi bhi Sara ne chudwane ke
liye naa kaha, uska pati use buri tarah maarta tha. Ab wo samajh gai
thi ki uske pati ki pahunch bahut upar tak thi. Usne kai baar ghar se
bhaagne ki koshish ki par nakaam rahi aur uske pati ne use peeta tha.
Us ne police me bhi jaane ki koshish ki thi par usko pata nahi tha ki
ek bada police officer uske pati ka dost tha aur baad me usi police
officer ne uske pati ki maujoodgi me Sara ko buri tarah choda tha.
Sara ki jindgi nark banti jaa rahi thi. Ab to uska pati use do - teen
aadmiyon se ek sath hi chudwata tha. Wo ek randi ki jindgi jee rahi
thi aur uska apna pati hi jaise uska dalaal / bhadwa ban gaya tha.
Sara ko bade bade aadmiyon se chudwa kar, apna kaam nikalwa kar, uske
pati ne apne dhande me bahut paisa kamaya. Alag alag aadmi Sara ko
apni pasand ke anusaar alag alag tareeke se chodte the aur Sara
chudwane ke siway kuch nahi kar paati thi.
Aur isi kaaran wo ek pakki sharaabi ban gai thi aur bahut dhumrapaan
karti thi. Sara ne apni kismat se samjhauta kar liya tha. Ab to ye
halat thi ki Sara ko chudwane ki jaise aadat pad gayi thi aur wo ab
chudai ke bina nahi rah sakti thi aur usko roz ek se jyada mard
chahiye chudwane ke liye. Ab wo apni aadat aur marzi se ek rand ban
chuki thi. Ab use kisi tarah ki sharm bhi nahi aati thi. Wo kisi se
bhi, kabhi bhi, kaise bhi chudwa sakti thi.
Mujhe Sara ke muh se uski kahani sun kar bahut dhakka laga aur bahut
dukh hua. Magar Sara muskarati rahi, Sharaab peeti rahi, dhumrapaan
karti rahi aur apni chudai ki bhayanak kahani sunaati gai.
Ant me Sara ne bataya - Mera bhadwa pati apne teen videshi doston ko
laane ke liye bahar gaya hai aur aaj main teen teen videshiyon se ek
sath chudwaongi.
Main Boli - Sara, ye sab tum kitni aasaani se kah rahi ho. Ye Chinta
ki baat hai.
Sara ne jawab diya - Nahi yaar! Meri jindgi me ye sab aam baat hai.
Main khud ab in sab ke bina nahi rah sakti.
Main boli - Sara ! Meri dost ! Mujhe batao ki main tumhare liye kya
karun ki tum is nark se bahar aa jaao.
Sara - Kuch nahi Julee! Mujhe ab iski aadat pad gai hai. Main jo bhi
kar rahi hun, wo apni marzi se kar rahi hun. Mujhe kisi se koi
shikayat nahi hai. Mujhe rozana chudwane ke liye ek naya mard chahiye
aur jis din mere bhadwe pati ka koi dost nahi aata, us dim main apne
dalaal pati se kisi mard ka bandobast karne ko kahti hun aur wo kisi
na kisi ko muje chodne ke liye le aata hai. Main ab bahut khush hun.
Par main jaanti thi, wo bahut to kya, jara bhi khush nahi hai. Par
main uske liye kuch bhi nahi kar sakti thi.
Sham ke 7.30 baj chuke the. Sara ne bataya ki uske bhadwe pati ke,
uske teen videshi doston ke sath aane ka samay ho gaya hai. Wo teeno
videshi milkar ab usko uske hi bhadwe pati ke saamne chodenge. Main
uske pati ko bhadwa nahi kahna chahungi kyon ki bhadwa to uske liye
bahut chhota shabd hai.
Maine bhari man se Sara se vidaai li aur apne ghar ki taraf rawana ho
gai. Maine usi samay soch liya tha ki main ye kahani apni agli chudai
ki dastaan me jaroor likhungi taki logon ko pata chale ki chudai ka ye
bhi ek roop hai.
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Raj sharma
चुदाई का दूसरा रूप--2
सेक्सी कहानियाँ
चुदाई का दूसरा रूप--2
गतान्क से आगे.....................
हम दोनो ने चाइ का अपना अपना कप उठाया और हम दोनो नंगे एक दूसरे के सामने
बैठ कर चाइ की चुस्कियाँ लेने लगे. मेरी आँखें चाइ पीते वक़्त भी उनके
बढ़ते हुए, लंबे होते हुए, मोटे होते हुए और खड़े होते हुए लॉड पर जी जमी
रही. हमने अपनी अपनी चाइ ख़तम की और बेडरूम मे तय्यार होने को आ गये.
उन्होने क्रीम रंग की सफ़ारी पहनी और मैने नीले रंग की सारी पहनी. वो
बहुत ही सुंदर लग रहे थे और मैने भी अपने आप को शीशे मे देखा.
मुझे देखकर वो बोले - तुम बहुत सुंदर दिख रही हो जूली जान. दिल तो करता
है कि पार्टी मे जाकर क्या करना है ? क्यों ना हम अपनी निज़ी पार्टी
मनाएँ, बिना कपड़ों के ?
मैं बोली - तुम फिर से शरारत कर रहे हो.
उत्तर मे वो हँसे और हम तय्यार हो कर पार्टी के लिए रवाना हो गये.
ये एक छ्होटी सी पार्टी थी जहाँ ज़्यादा लोग आमंत्रित नही थे. मुझे ये
लिखते हुए बहुत अच्छा लग रहा है कि उस पार्टी मे मैं सब की नज़रों का
केन्द्र थी. मैने उन औरतों की आँखों मे अपने लिए जलन देखी जिनके पति
लगातार मुझे घूरे जा रहे थे. सच कहूँ तो उन औरतों की जलन देख कर मैं खुश
हो रही थी. ये बहुत मज़ेदार पार्टी थी जो देर रात तक चली और जब हम घर
पहुँचे तो रात के 1.30 बजे थे.
हम दोनो ही बहुत थकान महसूस कर रहे थे इसलिए बिना चुदाई किए, कपड़े उतार
कर, नंगे होकर, एक दूसरे को बाहों मे ले कर हम जल्दी ही सो गये.
अगली सुबह, मेरे पति ने मेरी एक फटाफट चुदाई की और ऑफीस चले गये. मैं
कंप्यूटर पर मेरी मैल देख रही थी तो अमेरिका से किसी आदमी की चॅट
रिक्वेस्ट देखी. ज़्यादातर मैं अंजान आदमी की ऐसी रिक्वेस्ट पर ज़्यादा
ध्यान नही देती. पर पता नही क्यों, मैने वो रिक्वेस्ट आक्सेप्ट करली. फिर
मैने अपनी मैल चेक करनी और उनका जवाब देना शुरू किया.
शाम को मेरे पति ने मुझे फोन करके कहा कि उनको आज ऑफीस मे काम ज़्यादा
होने की वजह से आने मे देरी होगी. मेरे पास करने को कुछ खास नही था तो
समय बिताने के लिए मैने कंप्यूटर चालू किया. जैसे ही मैने कंप्यूटर मे
अपनी मैल खोली, अमेरिका का वही व्यक्ति, जिसकी चॅट रिक्वेस्ट मैने सुबह
स्वीकार की थी, वो लाइन पर था. मुझे भी समय बिताना था इसलिए मैं उस से
चतिंग करने लगी.
वो - हेलो जुली.
मैं - हेलो डियर. क्या तुम मुझे जानते हो?
वो - हां. मैं तुम्हे तुम्हारी चुदाई की दास्तान लिखने की वजह से जानता हूँ.
मैं - ओह. मेरे बारे मे तो तुम मेरी कहानी पढ़कर सब जानते ही हो, अपने
बारे मे बताओ.
वो - मेरा नाम राज है मैं ३८ साल का शादी शुदा मर्द हूँ
मैं - बधाई हो.
वो - धन्यवाद जूली. क्या तुम मुझ से सेक्सी चॅट करना पसंद करोगी?
मैं - क्यों नही. इसमे कोई खराबी नही.
वो - क्या तुम्हारे कंप्यूटर मे कॅमरा है?
मैं - नही...... मेरे कंप्यूटर मे कॅमरा नही है. हम बिना एक दूसरे को
देखे भी तो चॅट कर सकते है.
वो - क्यों नही. पर अगर मैं तुम्हारे सामने आऊ तो ? मैं तो तुम्हे नही
देख पाउन्गा पर तुम मुझे देख सकती हो.
मैं - ओके. अगर तुम कमेरे पर आना चाहो तो मुझे कोई ऐतराज़ नही है.
वो - ठीक है, मैं तुम्हे निमंत्रण भेज रहा हूँ, केवल आक्सेप्ट करो, फिर
तुम मुझे देख सकती हो.
मैं - ओके. ठीक है.
उसने मुझे वेब कॅम का इन्विटेशन भेजा जिसे मैने आक्सेप्ट कर लिया तो मैं
उसे सीधा देख पा रही थी. मैने देखा कि एक सुंदर सा लड़का कुर्सी पर बैठा
है. हमने करीब आधा घंटे बात की. वो अब मुझे भाभी कह कर बुला रहा था,
क्यों की मैं उस से बड़ी और शादीशुदा थी. वो बहुत अच्छा लड़का था जिस से
मेरी तुरंत दोस्ती हो गई.
बात करते करते, अचानक उसने पूछा कि क्या मैं उसका लंड देखना चाहती हूँ.
मुझे बहुत आस्चर्य हुआ और कुछ देर तक तो मैं कोई जवाब नही दे सकी. ये
मेरे साथ पहली बार था जब किसी मर्द ने अपना लंड मुझे दिखाने की पेशकश की
थी. मैने कुछ देर तो सोचा और उसको हां कह दी, क्यों कि मैं भी इस खेल के
लिए बहुत रोमांचित थी.
उसने तुरंत ही अपने कपड़े उतार दिए और कमेरे पर मेरे सामने नंगा हो गया .
उस का लॉडा पूरी तरह खड़ा था और उसके लंड के आस पास थोड़ी झाँटें भी थी.
मैने देखा की उसका लंड बड़ा और तनुरुस्त था जो किसी भी लड़की या औरत को
संतुष्ट करने की क़ाबलियत रखता लग रहा था. ये मेरे लिए पहली बार था जब
मैं किसी का चुदाई का औज़ार, लॉडा कमेरे पर सीधा देख रही थी. मैं सॉफ सॉफ
देख पा रही थी कि उसने खुद ही अपने लंड से खेलना शुरू कर दिया था. जल्दी
ही उसने अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए खुद ही मुठया मारना चालू
कर्दिया. वो अपनी मूठ मारने की रफ़्तार बढ़ाता गया तो मेरी चड्डी भी अपनी
चूत से निकलते रस से गीली हो गई. अपने लंड को अपने हाथ मे पकड़ कर वो
ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था. मुझे उसका लंड , मूठ मारता उसका हाथ और
उसके लंड का सूपड़ा मेरे कंप्यूटर पर सॉफ सॉफ दिख रहा था. अचानक मैने
देखा की उसके लंड से, तेज बौच्हार के साथ पानी निकलना शुरू हो गया . उसका
अपना लंड हिलाना चालू था और उसके लंड से सफेद पानी की धार रुक रुक कर
निकल रही थी. फिर उसने मूठ मारना बंद किया और अपनी टेबल पर फैले लंड रस
को सॉफ करने लगा. उसने मुझसे कहा कि उसकी तरफ से ये हमारी पहली मुलाकात
का, एक भाभी को एक देवेर की तरफ से तोहफा है. कुछ देर बाद हमने चाटिंग
बंद की.
मैं अपने गाउन के अंदर चोली और चड्डी ही पहने थी. मेरी चड्डी तो उसको मूठ
मारते देखकर पहले ही मेरे अपने चूत रस से भीग चुकी थी. मैने अपना गाउन
उठाकर अपने पैरों के बीच देखा. मैने अपनी चड्डी उतार दी और सॉफ सॉफ उसे
गीला पाया. मैने अपने परों को चौड़ा किया और कुर्सी के किनारे पर बैठी
ताकि मैं आराम से अपनी प्यारी सी, सॉफ सुथरी और सफाचत चूत मे अपनी उंगली
कर सकूँ. मैं अपनी बीच की उंगली अपनी गीली चूत पर ले गई और अपनी चूत के
दाने की छुआ. मैं उस लड़के को कमरे और कंप्यूटर पर, मेरे लिए मूठ मारने
का सीधा प्रसारण देख कर उत्तेजित हो चली थी. मैं अधिक देर रुक नही सकी और
मैने अपनी चूत मे उंगली घुमानी शुरू करदी. चूत पहले से ही काफ़ी गीली
होने की वजह से उसके बीच मे, दाने पर उंगली घुमाना बहुत ही आसान था. चूत
के दाने को अपनी उंगली से रगड़ते हुए मुझे चुदाई का मज़ा आने लगा. जैसे
जैसे चुदाई का मज़ा बढ़ता गया , वैसे वैसे मेरी उंगली की मेरी चूत मे
रफ़्तार बढ़ती गई. अब मैने अपनी एक उंगली मेरी गीली के अंदर भी घुसा ली
थी ताकि झड़ने का पूरा पूरा मज़ा आए. चुदाई की उत्तेजना के मारे, मज़े के
मारे मेरे मूह से आवाज़ें निकलनी शुरू हो गई और अपने बंद घर के अंदर, मैं
अकेली चुदाई के मज़े मे चिल्लाने को स्वतंत्र थी. मैने अपने मूह से
निकलने वाली आवाज़ों को रोकने की कोई कोशिश नही की और मैं मज़े के पर्वत
की चोटी पर थी. मेरी उंगली मेरी चूत के अंदर और चूत के दाने पर लगातार
घूमती हुई मुझे मेरी मंज़िल की तरफ ले जा रही थी.
अपनी चूत को तेज़ी से रगड़ती हुई, तेज़ी से चूत मे उंगली अंदर बाहर करती
हुई, चूत के दाने को मसल्ति मैं जहाँ पहुँचना चाहती थी वहाँ पहुँच चुकी
थी. मैने अपने पैर भींच लिए और मेरी उंगली अभी भी मेरी चूत मे थी. मेरी
आँखें आनंद से बंद हो गई. ये बहुत ही जोरदार हस्तमैतून था.
रात और दिन अपनी रफ़्तार से बीत रहे थे. मैं बहुत खुश हूँ की मेरे पति
हमेशा ही मुझे चुदाई का मज़ा देते है. हमारे बीच चुदाई होना जिंदगी का एक
ज़रूरी हिस्सा है. वो रोज़ मुझे चोद्ते है और मैं रोज़ उनसे चुदवाती हूँ,
कभी कभी तो दिन मे दो - तीन बार भी. मुझे कोई ऐसी रात या दिन याद नही है
जब मैने नही चुदवाया हो. हम दोनो ही चोद कर और चुदवा कर बहुत खुश है
क्यों कि हम जैसे चाहे, जब चाहे, जितनी चाहे चुदाई करतें हैं और चुदाई का
पूरा सम्मान करतें है.
एक दिन दोपहर को मेरे पिताजी का गोआ से फोन आया कि उनको मेरी सहयता की
ज़रूरत है. काफ़ी सारे आम विदेश भेजने थे और मेरे चाचा और पिता दोनो ही
मेरे बिना परेशान थे. उनको बिज़्नेस मे मेरी ज़रूरत थी. मेरे पापा इस
बारे मे मेरे ससुरजी से और मेरे पति से भी बात कर ली थी. मेरे पति ने
उनको भरोसा दिलाया था की वो मुझे पहले हवाई जहाज़ से गोआ भेज देंगे.
अगले ही दिन मैं गोआ , अपने मा बाप के घर आ गई. मेरे पति फिर से एक बार
देल्ही मे अकेले थे और मैं गोआ मे उनके बिना थी. हम दोनो ही उदास थे
क्यों कि एक प्यार करने वाला जोड़ा, जमकर चुदाई करने वाला जोड़ा जुदा
जुदा थे.
यहाँ, गोआ मे बहुत काम था और मैने अपनी पूरी क़ाबलियत के साथ मेरे पिताजी
की सहायता की और काम को काबू मे किया. काम इतना था कि दिन रात काम करना
पड़ रहा था. हमेशा की तरह, जब भी हम दूर होते है, मैं रात को अपने पति से
बात करती थी और हम दोनो ही अलग अलग बिस्तर पर सोए हुए, फोन पर चुदाई की
बातें करते हुए एक दूसरे को, अपने आप को संतुष्ट करते थे. हम दोनो के ही
पास खुद ही मूठ मारने के अलावा कोई चारा नही था. रोज़ रात को सोने से
पहले मैं अपनी चूत मे उंगली किया करती और मेरे पति वहाँ अपना लंड पकड़कर
मुठिया मारा करते.
एक दिन. शाम को, मैं अपने फार्म हाउस से वापस घर आ रही थी. अब काम काबू
मे आ चुका था और मैं वापस देल्ही , अपने पति के पास जाने का विचार कर रही
थी. रास्ते मे मेरी चाइ पीने की इच्छा हुई तो मैने अपनी कार एक होटेल की
तरफ मोडी. पार्किंग मे अपनी कार पार्क करने के बाद मैं होटेल के अंदर आई
और रेस्टोरेंट मे ऐसी जगह बैठी जहाँ से बाहर स्विम्मिंग पूल नज़र आ रहा
था. कुछ मर्द और कुछ औरतें वहाँ स्विम्मिंग कर रहे थे, कुछ अलग अलग
ड्रिंक पी रहे थे. मैं अपनी टेबल पर चाइ आने का इंतज़ार करती बाहर देखे
जा रही थी तो अचानक मैने एक जाने पहचाने चेहरे को, सेक्सी स्विम्मिंग
बिकिनी पहने देखा. वो सारा थी, मेरे साथ मेरे कॉलेज मे पढ़ती थी. मैं
जानती थी कि उसकी शादी मुंबई मे किसी बिज़्नेसमॅन से हुई थी.मैने सोचा की
वो अपने पति के साथ स्विम्मिंग का मज़ा लेने आई है, पर मैने उसके आस पास
किसी भी मर्द को नही देखा. मैं अपनी चाइ पीते पीते सारा को ही देख रही
थी. अब मुझे पक्का विश्वास हो गया कि वो वहाँ एकेली ही थी जो की एक
कुर्सी पर बैठी बियर पी रही थी. मैने अपनी चाइ ख़तम की और बिल चुकता करने
के बाद स्विम्मिंग पूल की तरफ आई.
मैं उसके सामने जा कर खड़ी हो गई और वो मुझे देखकर पहचाने की कोशिश कर
रही थी. अचानक ही, उसने मुझे पहचाना और करीब करीब चिल्लाई - जुलीईईईई !
जवाब मे मैने मुस्करा कर कहा - हां सारा. ये मैं ही हूँ. इतने दिनों के
बाद, तुम्हे यहाँ देखकर अच्छा लगा सारा, कैसी हो तुम और यहाँ क्या कर रही
हो?
वो बोली - मैं ठीक हूँ जूली, तुम कैसी हो?
मैं - मैं भी अच्छी हूँ. क्या चल रहा है?
सारा - कुछ नही. बस मज़ा ले रही हूँ.
मैं - अकेले ? तुम्हारे पति कहाँ है ?
सारा - वो बाहर गये है. रात को खाने के समय आ जाएँगे. हम इसी होटेल मे रुके हुए है.
मैं - ओके. लेकिन यहाँ तुम्हारा अपना घर है, फिर होटेल मे क्यों रुके हो?
सारा - हां. पर मेरे पति को मेरे पिताजी के घर मे रुकना पसंद नही है.
मैं - खैर कोई बात नही. वो बिज़्नेसमॅन है और वो होटेल का खर्चा करसकते है.
सारा - हां.
मैं - तो........ कैसे चल रही है तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी?
सारा तुरंत जवाब नही दे पाई. मैने उसके चेहरे पर एक दर्द देखा. मैने उसकी
आँखो मे भी पानी देखा.
सारा बोली - मेरी शादीशुदा जिंदगी अच्छी चल रही है. अपनी सूनाओ. तुम भी
तो गोआ मे हो, तुम्हारे पति कहाँ है?
मैं - हां यार. मैं यहाँ पिताजी की काम मे सहायता करने आई हूँ. जल्दी ही
मैं देल्ही अपने पति के पास जा रही हूँ, दो तीन दिन मे.
सारा - तुम को ज़रूर अपने पति की याद आती होगी.
मैं - हां सारा. याद तो बहुत आती है उनकी. वो मुझे और मैं उनको बहुत
प्यार करतें है.
सारा - किस्मत वाली हो जूली.
मैं - हां. लेकिन सारा! तुम खुश नही लग रही हो.
सारा - नहीं. मैं खुश हूँ.
मैने एक बार फिर उसकी आँखों मे पानी देखा.
क्रमशः.........................
chudaai Ka Dusara Roop--2
gataank se aage.............. .......
Ham dono ne chai ka apna apna cup uthaya aur ham dono nange ek dusre
ke saamne baith kar chai ki chuskiyan lene lage. Meri aankhen chai
peete waqt bhi unke badhte huye, lambe hote huye, mote hote huye aur
khade hote huye laude par ji jami rahi. Hamne apni apni chai khatam ki
aur bedroom me tayyar hone ko aa gaye.
Unhone cream rang ki safari pahni aur maine neele rang ki saari pahni.
Wo bahut hi sundar lag rahe the aur maine bhi apne aap ko sheeshe me
dekha.
Mujhe dekhkar wo bole - Tum bahut sundar dikh rahi ho Julee jaan. Dil
to karta hai ki party me jaakar kya karna hai ? Kyon na ham apni nizi
party manaayen, bina kapdon ke ?
Main boli - Tum phir se sharaarat kar rahe ho.
Uttar me wo hanse aur ham tayyar ho kar party ke liye rawana ho gaye.
Ye ek chhoti si party thi jahan jyada log aamantrit nahi the. Mujhe ye
likhte huye bahut achha lag raha hai ki us party me main sab ki nazron
ka kendra thi. Maine un auraton ki aankhon me apne liye jalan dekhi
jinke pati lagataar mujhe ghoore jaa rahe the. Sach kahun to un
auraton ki jalan dekh kar main khush ho rahi thi. Ye bahut mazedaar
party thi jo der raat tak chali aur jab ham ghar pahunche to raat ke
1.30 baje the.
Ham dono hi bahut thakaan mahsoos kar rahe the isliye bina chudai
kiye, kapde utaar kar, nange hokar, ek dusre ko baahon me le kar ham
jaldi hi so gaye.
Agli subah, mere pati ne meri ek fatafat chudai ki aur office chale
gaye. Main computer par meri mail dekh rahi thi to America se kisi
aadmi ki chat request dekhi. Jyadatar main anjaan aadmi ki aisi
request par jyada dhayan nahi deti. Par pata nahi kyon, maine wo
request accept karli. Phir maine apni mail chek karni aur unka jawab
dena shuru kiya.
Sham ko mere pati ne mujhe phone karke kaha ki unko aaj office me kaam
jyada hone ki wajah se aane me deri hogi. Mere paas karne ko kuch khas
nahi tha to samay bitane ke liye maine computer chalu kiya. Jaise hi
maine computer me apni mail kholi, America ka wahi vyakti, jiski chat
request maine subah sweekaar ki thi, wo line par tha. Mujhe bhi samay
bitana tha isliye main us se chating karne lagi.
Wo - Hello Julee.
Main - Hello dear. Kya tum mujhe jaante ho?
Wo - Haan. Main tumhe tumhari CHUDAI KI DASTAAN likhne ki wajah se jaanta hun.
Main - Oh. Mere baare me to tum meri kahani padhkar sab jaante hi ho,
apne baare me batao.
Wo - Mera naam .................. hai. Main 27 saal ka, shadishuda
ladka hun hun aur kuch din pahle hi ek bachhe ka baap bana hun.
Main - Badhaai ho.
Wo - Dhanyawaad Julee. Kya tum mujh se sexy chat karna pasand karogi?
Main - Kyon nahi. Isme koi kharabi nahi.
Wo - Kya tumhare computer me camera hai?
Main - Nahi...... Mere computer me camera nahi hai. Ham bina ek dusre
ko dekhe bhi to chat kar sakte hai.
Wo - Kyon nahi. Par agar main tumhare saamne aaon to ? Main to tumhe
nahi dekh paaonga par tum mujhe dekh sakti ho.
Main - OK. Agar tum camere par aana chaho to mujhe koi aitraaz nahi hai.
Wo - Thik hai, main tumhe nimantran bhej raha hun, kewal accept karo,
phir tum mujhe dekh sakti ho.
Main - OK. Thik hai.
Usne mujhe web cam ka invitation bheja jise maine accept kar liya to
main use seedha dekh paa rahi thi. Maine dekha ki ek sundar sa ladka
kursi par baitha hai. Hamne kareeb aadha ghante baat ki. Wo ab mujhe
BHABHI kah kar bula raha tha, kyon ki main us se badi aur shadishuda
thi. Wo bahut achha ladka tha jis se meri turant dosti ho gai.
Baat karte karte, achanak usne poocha ki kya main uska lund dekhna
chahti hun. Mujhe bahut aascharya hua aur kuch der tak to main koi
jawab nahi de saki. Ye mere sath pahli baar tha jab kisi mard ne apna
lund mujhe dikhane ki peshkash ki thi. Maine kuch der to socha aur
usko haan kahdi, kyon ki main bhi is khel ke liye bahut romanchit thi.
Usne turant hi apne kapde utaar diye aur camere par mere saamne nanga
ho gaya . Us ka lauda poori tarah khada tha aur uske lund ke aas paas
thodi jhaanten bhi thi. Maine dekha ki uska lund bada aur tanurust tha
jo kisi bhi ladki ya aurat ko santusht karne ki kaabliyat rakhta lag
raha tha. Ye mere liye pahli baar tha jab main kisi ka chudai ka
auzaar, lauda camere par seedha dekh rahi thi. Main saaf saaf dekh paa
rahi thi ki usne khud hi apne lund se khelna shuru kar diya tha. Jaldi
hi usne apne lund ko pakad kar hilate huye khud hi muthya maarna chalu
kardiya. Wo apni muth maarne ki raftaar badhata gaya to meri chaddi
bhi apni chut se nikalte ras se geeli ho gai. Apne lund ko apne haath
me pakad kar wo jor jor se muth maar raha tha. Mujhe uska lund , muth
maarta uska hath aur uske lund ka supada mere computer par saaf saaf
dikh raha tha. Achanak maine dekha ki uske lund se, tej bauchhar ke
sath paani nikalna shuru ho gaya . Uska apna lund hilana chalu tha
aur uske lund se safed paani ki dhaar ruk ruk kar nikalrahi thi. Phir
usne muth maarna band kiya aur apni table par faile lund ras ko saaf
karne laga. Usne mujhse kaha ki uski taraf se ye hamari pahli mulakaat
ka, ek bhabhi ko ek dever ki taraf se tohfa hai. Kuch der baad hamne
chatting band ki.
Main apne gown ke andar choli aur chaddi hi pahne thi. Meri chaddi to
usko muth maarte dekhkar pahle hi mere apne chut ras se bheeg chuki
thi. Maine apna gown uthakar apne pairon ke beech dekha. Maine apni
chaddi utaar di aur ssaf saaf use geela paaya. Maine apne paron ko
chauda kiya aur kursi ke kinare par baithi taki main aaraam se apni
pyari si, saaf suthri aur safachat chut me apni ungli kar sakun. Main
apni beech ki ungli apni geeli chut par le gai aur apni chut ke daane
ki chhua. Main us ladke ko camre aur computer par, mere liye muth
maarne ka seedha prasaaran dekh kar uttejit ho chali thi. Main adhik
der ruk nahi saki aur maine apni chut me ungli ghumani shuru kardi.
Chut pahle se hi kaafi geeli hone ki wajah se uske beech me, daane par
ungli ghumaana bahut hi aasaan tha. Chut ke daane ko apni ungli se
ragadte huye mujhe chudai ka maza aane laga. Jaise jaise chudai ka
maza badhta gaya , waise waise meri ungli ki meri chut me raftaar
badhti gai. Ab maine apni ek ungli meri geeli ke andar bhi ghusa li
thi taki jhadne ka poora poora maza aaye. Chudai ki uttejna ke maare,
maze ke maare mere muh se aawajen nikalni shuru ho gai aur apne band
ghar ke andar, main akeli chudai ke maze me chillane ko swatantra thi.
Maine apne muh se nikalne wali aawajon ko rokne ki koi koshish nahi ki
aur main maze ke parvat ki choti par thi. Meri ungli meri chut ke
andar aur chut ke daane par lagataar gumti hui muje meri manzil ki
taraf le jaa rahi thi.
Apni chut ko teji se ragadti hui, teji se chut me ungli andar bahar
karti hui, chut ke daane ko masalti main jahan pahunchna chahti thi
wahan pahunch chuki thi. Maine apne pair bheench liye aur meri ungli
abhi bhi meri chut me thi. Meri aankhen aanand se band ho gai. Ye
bahut hi jordaar hastmaithoon tha.
Raat aur din apni raftaar se beet rahe the. Main bahut khush hun ki
mere pati hamesha hi mujhe chudai ka maza deten hai. Hamare beech
chudai hona jindgi ka ek jaroori hissa hai. Wo roz mujhe chodte hai
aur main roz unse chudwati hun, kabhi kabhi to din me do - teen baar
bhi. Mujhe koi aisi raat ya din yaad nahi hai jab maine nahi chudwaya
ho. Ham dono hi chod kar aur chudwa kar bahut khush hai kyon ki ham
jaise chae, jab chae, jitni chahe chudai karten hain aur chudai ka
poora samman karten hai.
Ek din dopahar ko mere pitaji ka Goa se phone aaya ki unko meri
sahayta ki jaroorat hai. Kafi saare aam videsh bhejne the aur mere
chacha aur pita dono hi mere bina pareshaan the. Unko business me meri
jaroorat thi. Mere papa is baare me mere sasurji se aur mere pati se
bhi baat kar li thi. Mere pati ne unko bharosa dilaya tha ki wo mujhe
pahle hawai jahaj se Goa bhej denge.
Agle hi din main Goa , apne maa baap ke ghar aa gai. Mere pati phir se
ek baar Delhi me akele the aur main Goa me unke bina thi. Ham dono hi
udaas the kyon ki ek pyar karne wala joda, jamkar chudai karne wala
joda juda duda the.
Yahan, Goa me bahut kaam tha aur maine apni poori kaabliyat ke sath
mere pitaji ki sahayata ki aur kaam ko kabu me kiya. Kaam itna tha ki
din raat kaam karna pad raha tha. Hamesha ki tarah, jab bhi ham door
hoten hai, main raat ko apne pati se baat karti thi aur ham dono hi
alag alag bistar par soye huye, phone par chudai ki baaten karte huye
ek dusre ko, apne aap ko santusht karte the. Ham dono ke hi paas khud
hi muth maarne ke alawa koi chara nahi tha. Roz raat ko sone se pahle
main apni chut me ungli kiya karti aur mere pati wahan apna lund
pakadkar muthiya maara karte.
Ek din. Sham ko, main apne farm house se wapas ghar aa rahi thi. Ab
kaam kaabu me aa chuka tha aur main wapas delhi , apne pati ke paas
jaane ka vichar kar rahi thi. Raste me meri chai peene ki ichha hui to
maine apni car ek hotel ki taraf modi. Parking me apni car park karne
ke baad main hotel ke andar aayi aur restaurant me aisi jagah baithi
jahan se bahar swimming pool najar aa raha tha. Kuch mard aur kuch
auraten wahan swimming kar rahe the, kuch alag alag drink pee rahe
the. Main apni table par chai aane ka intzaar karti bahar dekhe jaa
rahi thi to achanak maine ek jaane pahchane chehre ko, sexy swimming
bikini pahne dekha. Wo Sara thi, mere sath mere college me padhti thi.
Main jaanti thi ki uski shadi Mumbai me kisi businessman se hui
thi.Maine socha ki wo apne pati ke sath swimming ka maza lene aayi
hai, par maine uske aas paas kisi bhi mard ko nahi dekha. Main apni
chai peete peete Sara ko hi dekh rahi thi. Ab mujhe pakka vishwaas ho
gaya ki wo wahan ekeli hi thi jo ki ek kursi par baithi beer pee rahi
thi. Maine apni chai khatam ki aur bill chukta karne ke baad swimming
pool ki taraf aayi.
Main uske samne jaa kar khadi ho gai aur wo mujhe dekhkar pahchane ki
koshish kar rahi thi. Achank hi, usne mujhe pahchana aur kareeb kareeb
chillayi - Juleeeeeeeeeeeee !
Jawab me maine muskara kar kaha - Haan Sara. Ye main hi hun. Itne
dinon ke baad, tumhe yahan dekhkar achha laga Sara, Kaisi ho tum aur
yahan kya kar rahi ho?
Wo boli - Main thik hun Julee, Tum kaisi ho?
Main - Main bhi achhi hun. Kya chal raha hai?
Sara - Kuch nahi. Bas maza le rahi hun.
Main - Akele ? Tumhare pati kahan hai ?
Sara - Wo bahar gaye hai. Raat ko khane ke samay aa jayenge. Ham isi
hotel me ruke huye hai.
Main - OK. Lekin yahan tumhara apna ghar hai, phir hotel me kyon ruke ho?
Sara - Haan. Par mere pati ko mere pitaji ke ghar me rukna pasand nahi hai.
Main - Khair koi baat nahi. Wo businessman hai aur wo hotel ka kharcha
karsakte hai.
Sara - Haan.
Main - To........ kaise chal rahi hai tumhari shadishuda jindgi?
Sara turant jawab nahi de paayi. Maine uske chehre par ek dard dekha.
Maine uski aanhon me bhi paani dekha.
Sara boli - Meri shadishuda jindgi achhi chal rahi hai. Apni sunao.
Tum bhi to Goa me ho, tumhare pati kahan hai?
Main - Haan yaar. Main yahan pitaji ki kaam me sahayata karne aayi
hun. Jaldi hi main Delhi apne pati ke paas jaa rahi hun, do teen din
me.
Sara - Tum ko jaroor apne pati ki yaad aati hogi.
Main - Haan Sara. Yaad to bahut aati hai unki. Wo mujhe aur main unko
bahut pyar karten hai.
Sara - Kismat wali ho Julee.
Main - Haan. Lekin Sara! Tum khush nahi lag rahi ho.
Sara - Nahin. Main khush hun.
Maine ek baar phir uski aankhon me paani dekha.
kramashah.........................
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Raj sharma
चुदाई का दूसरा रूप--2
गतान्क से आगे.....................
हम दोनो ने चाइ का अपना अपना कप उठाया और हम दोनो नंगे एक दूसरे के सामने
बैठ कर चाइ की चुस्कियाँ लेने लगे. मेरी आँखें चाइ पीते वक़्त भी उनके
बढ़ते हुए, लंबे होते हुए, मोटे होते हुए और खड़े होते हुए लॉड पर जी जमी
रही. हमने अपनी अपनी चाइ ख़तम की और बेडरूम मे तय्यार होने को आ गये.
उन्होने क्रीम रंग की सफ़ारी पहनी और मैने नीले रंग की सारी पहनी. वो
बहुत ही सुंदर लग रहे थे और मैने भी अपने आप को शीशे मे देखा.
मुझे देखकर वो बोले - तुम बहुत सुंदर दिख रही हो जूली जान. दिल तो करता
है कि पार्टी मे जाकर क्या करना है ? क्यों ना हम अपनी निज़ी पार्टी
मनाएँ, बिना कपड़ों के ?
मैं बोली - तुम फिर से शरारत कर रहे हो.
उत्तर मे वो हँसे और हम तय्यार हो कर पार्टी के लिए रवाना हो गये.
ये एक छ्होटी सी पार्टी थी जहाँ ज़्यादा लोग आमंत्रित नही थे. मुझे ये
लिखते हुए बहुत अच्छा लग रहा है कि उस पार्टी मे मैं सब की नज़रों का
केन्द्र थी. मैने उन औरतों की आँखों मे अपने लिए जलन देखी जिनके पति
लगातार मुझे घूरे जा रहे थे. सच कहूँ तो उन औरतों की जलन देख कर मैं खुश
हो रही थी. ये बहुत मज़ेदार पार्टी थी जो देर रात तक चली और जब हम घर
पहुँचे तो रात के 1.30 बजे थे.
हम दोनो ही बहुत थकान महसूस कर रहे थे इसलिए बिना चुदाई किए, कपड़े उतार
कर, नंगे होकर, एक दूसरे को बाहों मे ले कर हम जल्दी ही सो गये.
अगली सुबह, मेरे पति ने मेरी एक फटाफट चुदाई की और ऑफीस चले गये. मैं
कंप्यूटर पर मेरी मैल देख रही थी तो अमेरिका से किसी आदमी की चॅट
रिक्वेस्ट देखी. ज़्यादातर मैं अंजान आदमी की ऐसी रिक्वेस्ट पर ज़्यादा
ध्यान नही देती. पर पता नही क्यों, मैने वो रिक्वेस्ट आक्सेप्ट करली. फिर
मैने अपनी मैल चेक करनी और उनका जवाब देना शुरू किया.
शाम को मेरे पति ने मुझे फोन करके कहा कि उनको आज ऑफीस मे काम ज़्यादा
होने की वजह से आने मे देरी होगी. मेरे पास करने को कुछ खास नही था तो
समय बिताने के लिए मैने कंप्यूटर चालू किया. जैसे ही मैने कंप्यूटर मे
अपनी मैल खोली, अमेरिका का वही व्यक्ति, जिसकी चॅट रिक्वेस्ट मैने सुबह
स्वीकार की थी, वो लाइन पर था. मुझे भी समय बिताना था इसलिए मैं उस से
चतिंग करने लगी.
वो - हेलो जुली.
मैं - हेलो डियर. क्या तुम मुझे जानते हो?
वो - हां. मैं तुम्हे तुम्हारी चुदाई की दास्तान लिखने की वजह से जानता हूँ.
मैं - ओह. मेरे बारे मे तो तुम मेरी कहानी पढ़कर सब जानते ही हो, अपने
बारे मे बताओ.
वो - मेरा नाम राज है मैं ३८ साल का शादी शुदा मर्द हूँ
मैं - बधाई हो.
वो - धन्यवाद जूली. क्या तुम मुझ से सेक्सी चॅट करना पसंद करोगी?
मैं - क्यों नही. इसमे कोई खराबी नही.
वो - क्या तुम्हारे कंप्यूटर मे कॅमरा है?
मैं - नही...... मेरे कंप्यूटर मे कॅमरा नही है. हम बिना एक दूसरे को
देखे भी तो चॅट कर सकते है.
वो - क्यों नही. पर अगर मैं तुम्हारे सामने आऊ तो ? मैं तो तुम्हे नही
देख पाउन्गा पर तुम मुझे देख सकती हो.
मैं - ओके. अगर तुम कमेरे पर आना चाहो तो मुझे कोई ऐतराज़ नही है.
वो - ठीक है, मैं तुम्हे निमंत्रण भेज रहा हूँ, केवल आक्सेप्ट करो, फिर
तुम मुझे देख सकती हो.
मैं - ओके. ठीक है.
उसने मुझे वेब कॅम का इन्विटेशन भेजा जिसे मैने आक्सेप्ट कर लिया तो मैं
उसे सीधा देख पा रही थी. मैने देखा कि एक सुंदर सा लड़का कुर्सी पर बैठा
है. हमने करीब आधा घंटे बात की. वो अब मुझे भाभी कह कर बुला रहा था,
क्यों की मैं उस से बड़ी और शादीशुदा थी. वो बहुत अच्छा लड़का था जिस से
मेरी तुरंत दोस्ती हो गई.
बात करते करते, अचानक उसने पूछा कि क्या मैं उसका लंड देखना चाहती हूँ.
मुझे बहुत आस्चर्य हुआ और कुछ देर तक तो मैं कोई जवाब नही दे सकी. ये
मेरे साथ पहली बार था जब किसी मर्द ने अपना लंड मुझे दिखाने की पेशकश की
थी. मैने कुछ देर तो सोचा और उसको हां कह दी, क्यों कि मैं भी इस खेल के
लिए बहुत रोमांचित थी.
उसने तुरंत ही अपने कपड़े उतार दिए और कमेरे पर मेरे सामने नंगा हो गया .
उस का लॉडा पूरी तरह खड़ा था और उसके लंड के आस पास थोड़ी झाँटें भी थी.
मैने देखा की उसका लंड बड़ा और तनुरुस्त था जो किसी भी लड़की या औरत को
संतुष्ट करने की क़ाबलियत रखता लग रहा था. ये मेरे लिए पहली बार था जब
मैं किसी का चुदाई का औज़ार, लॉडा कमेरे पर सीधा देख रही थी. मैं सॉफ सॉफ
देख पा रही थी कि उसने खुद ही अपने लंड से खेलना शुरू कर दिया था. जल्दी
ही उसने अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए खुद ही मुठया मारना चालू
कर्दिया. वो अपनी मूठ मारने की रफ़्तार बढ़ाता गया तो मेरी चड्डी भी अपनी
चूत से निकलते रस से गीली हो गई. अपने लंड को अपने हाथ मे पकड़ कर वो
ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था. मुझे उसका लंड , मूठ मारता उसका हाथ और
उसके लंड का सूपड़ा मेरे कंप्यूटर पर सॉफ सॉफ दिख रहा था. अचानक मैने
देखा की उसके लंड से, तेज बौच्हार के साथ पानी निकलना शुरू हो गया . उसका
अपना लंड हिलाना चालू था और उसके लंड से सफेद पानी की धार रुक रुक कर
निकल रही थी. फिर उसने मूठ मारना बंद किया और अपनी टेबल पर फैले लंड रस
को सॉफ करने लगा. उसने मुझसे कहा कि उसकी तरफ से ये हमारी पहली मुलाकात
का, एक भाभी को एक देवेर की तरफ से तोहफा है. कुछ देर बाद हमने चाटिंग
बंद की.
मैं अपने गाउन के अंदर चोली और चड्डी ही पहने थी. मेरी चड्डी तो उसको मूठ
मारते देखकर पहले ही मेरे अपने चूत रस से भीग चुकी थी. मैने अपना गाउन
उठाकर अपने पैरों के बीच देखा. मैने अपनी चड्डी उतार दी और सॉफ सॉफ उसे
गीला पाया. मैने अपने परों को चौड़ा किया और कुर्सी के किनारे पर बैठी
ताकि मैं आराम से अपनी प्यारी सी, सॉफ सुथरी और सफाचत चूत मे अपनी उंगली
कर सकूँ. मैं अपनी बीच की उंगली अपनी गीली चूत पर ले गई और अपनी चूत के
दाने की छुआ. मैं उस लड़के को कमरे और कंप्यूटर पर, मेरे लिए मूठ मारने
का सीधा प्रसारण देख कर उत्तेजित हो चली थी. मैं अधिक देर रुक नही सकी और
मैने अपनी चूत मे उंगली घुमानी शुरू करदी. चूत पहले से ही काफ़ी गीली
होने की वजह से उसके बीच मे, दाने पर उंगली घुमाना बहुत ही आसान था. चूत
के दाने को अपनी उंगली से रगड़ते हुए मुझे चुदाई का मज़ा आने लगा. जैसे
जैसे चुदाई का मज़ा बढ़ता गया , वैसे वैसे मेरी उंगली की मेरी चूत मे
रफ़्तार बढ़ती गई. अब मैने अपनी एक उंगली मेरी गीली के अंदर भी घुसा ली
थी ताकि झड़ने का पूरा पूरा मज़ा आए. चुदाई की उत्तेजना के मारे, मज़े के
मारे मेरे मूह से आवाज़ें निकलनी शुरू हो गई और अपने बंद घर के अंदर, मैं
अकेली चुदाई के मज़े मे चिल्लाने को स्वतंत्र थी. मैने अपने मूह से
निकलने वाली आवाज़ों को रोकने की कोई कोशिश नही की और मैं मज़े के पर्वत
की चोटी पर थी. मेरी उंगली मेरी चूत के अंदर और चूत के दाने पर लगातार
घूमती हुई मुझे मेरी मंज़िल की तरफ ले जा रही थी.
अपनी चूत को तेज़ी से रगड़ती हुई, तेज़ी से चूत मे उंगली अंदर बाहर करती
हुई, चूत के दाने को मसल्ति मैं जहाँ पहुँचना चाहती थी वहाँ पहुँच चुकी
थी. मैने अपने पैर भींच लिए और मेरी उंगली अभी भी मेरी चूत मे थी. मेरी
आँखें आनंद से बंद हो गई. ये बहुत ही जोरदार हस्तमैतून था.
रात और दिन अपनी रफ़्तार से बीत रहे थे. मैं बहुत खुश हूँ की मेरे पति
हमेशा ही मुझे चुदाई का मज़ा देते है. हमारे बीच चुदाई होना जिंदगी का एक
ज़रूरी हिस्सा है. वो रोज़ मुझे चोद्ते है और मैं रोज़ उनसे चुदवाती हूँ,
कभी कभी तो दिन मे दो - तीन बार भी. मुझे कोई ऐसी रात या दिन याद नही है
जब मैने नही चुदवाया हो. हम दोनो ही चोद कर और चुदवा कर बहुत खुश है
क्यों कि हम जैसे चाहे, जब चाहे, जितनी चाहे चुदाई करतें हैं और चुदाई का
पूरा सम्मान करतें है.
एक दिन दोपहर को मेरे पिताजी का गोआ से फोन आया कि उनको मेरी सहयता की
ज़रूरत है. काफ़ी सारे आम विदेश भेजने थे और मेरे चाचा और पिता दोनो ही
मेरे बिना परेशान थे. उनको बिज़्नेस मे मेरी ज़रूरत थी. मेरे पापा इस
बारे मे मेरे ससुरजी से और मेरे पति से भी बात कर ली थी. मेरे पति ने
उनको भरोसा दिलाया था की वो मुझे पहले हवाई जहाज़ से गोआ भेज देंगे.
अगले ही दिन मैं गोआ , अपने मा बाप के घर आ गई. मेरे पति फिर से एक बार
देल्ही मे अकेले थे और मैं गोआ मे उनके बिना थी. हम दोनो ही उदास थे
क्यों कि एक प्यार करने वाला जोड़ा, जमकर चुदाई करने वाला जोड़ा जुदा
जुदा थे.
यहाँ, गोआ मे बहुत काम था और मैने अपनी पूरी क़ाबलियत के साथ मेरे पिताजी
की सहायता की और काम को काबू मे किया. काम इतना था कि दिन रात काम करना
पड़ रहा था. हमेशा की तरह, जब भी हम दूर होते है, मैं रात को अपने पति से
बात करती थी और हम दोनो ही अलग अलग बिस्तर पर सोए हुए, फोन पर चुदाई की
बातें करते हुए एक दूसरे को, अपने आप को संतुष्ट करते थे. हम दोनो के ही
पास खुद ही मूठ मारने के अलावा कोई चारा नही था. रोज़ रात को सोने से
पहले मैं अपनी चूत मे उंगली किया करती और मेरे पति वहाँ अपना लंड पकड़कर
मुठिया मारा करते.
एक दिन. शाम को, मैं अपने फार्म हाउस से वापस घर आ रही थी. अब काम काबू
मे आ चुका था और मैं वापस देल्ही , अपने पति के पास जाने का विचार कर रही
थी. रास्ते मे मेरी चाइ पीने की इच्छा हुई तो मैने अपनी कार एक होटेल की
तरफ मोडी. पार्किंग मे अपनी कार पार्क करने के बाद मैं होटेल के अंदर आई
और रेस्टोरेंट मे ऐसी जगह बैठी जहाँ से बाहर स्विम्मिंग पूल नज़र आ रहा
था. कुछ मर्द और कुछ औरतें वहाँ स्विम्मिंग कर रहे थे, कुछ अलग अलग
ड्रिंक पी रहे थे. मैं अपनी टेबल पर चाइ आने का इंतज़ार करती बाहर देखे
जा रही थी तो अचानक मैने एक जाने पहचाने चेहरे को, सेक्सी स्विम्मिंग
बिकिनी पहने देखा. वो सारा थी, मेरे साथ मेरे कॉलेज मे पढ़ती थी. मैं
जानती थी कि उसकी शादी मुंबई मे किसी बिज़्नेसमॅन से हुई थी.मैने सोचा की
वो अपने पति के साथ स्विम्मिंग का मज़ा लेने आई है, पर मैने उसके आस पास
किसी भी मर्द को नही देखा. मैं अपनी चाइ पीते पीते सारा को ही देख रही
थी. अब मुझे पक्का विश्वास हो गया कि वो वहाँ एकेली ही थी जो की एक
कुर्सी पर बैठी बियर पी रही थी. मैने अपनी चाइ ख़तम की और बिल चुकता करने
के बाद स्विम्मिंग पूल की तरफ आई.
मैं उसके सामने जा कर खड़ी हो गई और वो मुझे देखकर पहचाने की कोशिश कर
रही थी. अचानक ही, उसने मुझे पहचाना और करीब करीब चिल्लाई - जुलीईईईई !
जवाब मे मैने मुस्करा कर कहा - हां सारा. ये मैं ही हूँ. इतने दिनों के
बाद, तुम्हे यहाँ देखकर अच्छा लगा सारा, कैसी हो तुम और यहाँ क्या कर रही
हो?
वो बोली - मैं ठीक हूँ जूली, तुम कैसी हो?
मैं - मैं भी अच्छी हूँ. क्या चल रहा है?
सारा - कुछ नही. बस मज़ा ले रही हूँ.
मैं - अकेले ? तुम्हारे पति कहाँ है ?
सारा - वो बाहर गये है. रात को खाने के समय आ जाएँगे. हम इसी होटेल मे रुके हुए है.
मैं - ओके. लेकिन यहाँ तुम्हारा अपना घर है, फिर होटेल मे क्यों रुके हो?
सारा - हां. पर मेरे पति को मेरे पिताजी के घर मे रुकना पसंद नही है.
मैं - खैर कोई बात नही. वो बिज़्नेसमॅन है और वो होटेल का खर्चा करसकते है.
सारा - हां.
मैं - तो........ कैसे चल रही है तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी?
सारा तुरंत जवाब नही दे पाई. मैने उसके चेहरे पर एक दर्द देखा. मैने उसकी
आँखो मे भी पानी देखा.
सारा बोली - मेरी शादीशुदा जिंदगी अच्छी चल रही है. अपनी सूनाओ. तुम भी
तो गोआ मे हो, तुम्हारे पति कहाँ है?
मैं - हां यार. मैं यहाँ पिताजी की काम मे सहायता करने आई हूँ. जल्दी ही
मैं देल्ही अपने पति के पास जा रही हूँ, दो तीन दिन मे.
सारा - तुम को ज़रूर अपने पति की याद आती होगी.
मैं - हां सारा. याद तो बहुत आती है उनकी. वो मुझे और मैं उनको बहुत
प्यार करतें है.
सारा - किस्मत वाली हो जूली.
मैं - हां. लेकिन सारा! तुम खुश नही लग रही हो.
सारा - नहीं. मैं खुश हूँ.
मैने एक बार फिर उसकी आँखों मे पानी देखा.
क्रमशः.........................
chudaai Ka Dusara Roop--2
gataank se aage.............. .......
Ham dono ne chai ka apna apna cup uthaya aur ham dono nange ek dusre
ke saamne baith kar chai ki chuskiyan lene lage. Meri aankhen chai
peete waqt bhi unke badhte huye, lambe hote huye, mote hote huye aur
khade hote huye laude par ji jami rahi. Hamne apni apni chai khatam ki
aur bedroom me tayyar hone ko aa gaye.
Unhone cream rang ki safari pahni aur maine neele rang ki saari pahni.
Wo bahut hi sundar lag rahe the aur maine bhi apne aap ko sheeshe me
dekha.
Mujhe dekhkar wo bole - Tum bahut sundar dikh rahi ho Julee jaan. Dil
to karta hai ki party me jaakar kya karna hai ? Kyon na ham apni nizi
party manaayen, bina kapdon ke ?
Main boli - Tum phir se sharaarat kar rahe ho.
Uttar me wo hanse aur ham tayyar ho kar party ke liye rawana ho gaye.
Ye ek chhoti si party thi jahan jyada log aamantrit nahi the. Mujhe ye
likhte huye bahut achha lag raha hai ki us party me main sab ki nazron
ka kendra thi. Maine un auraton ki aankhon me apne liye jalan dekhi
jinke pati lagataar mujhe ghoore jaa rahe the. Sach kahun to un
auraton ki jalan dekh kar main khush ho rahi thi. Ye bahut mazedaar
party thi jo der raat tak chali aur jab ham ghar pahunche to raat ke
1.30 baje the.
Ham dono hi bahut thakaan mahsoos kar rahe the isliye bina chudai
kiye, kapde utaar kar, nange hokar, ek dusre ko baahon me le kar ham
jaldi hi so gaye.
Agli subah, mere pati ne meri ek fatafat chudai ki aur office chale
gaye. Main computer par meri mail dekh rahi thi to America se kisi
aadmi ki chat request dekhi. Jyadatar main anjaan aadmi ki aisi
request par jyada dhayan nahi deti. Par pata nahi kyon, maine wo
request accept karli. Phir maine apni mail chek karni aur unka jawab
dena shuru kiya.
Sham ko mere pati ne mujhe phone karke kaha ki unko aaj office me kaam
jyada hone ki wajah se aane me deri hogi. Mere paas karne ko kuch khas
nahi tha to samay bitane ke liye maine computer chalu kiya. Jaise hi
maine computer me apni mail kholi, America ka wahi vyakti, jiski chat
request maine subah sweekaar ki thi, wo line par tha. Mujhe bhi samay
bitana tha isliye main us se chating karne lagi.
Wo - Hello Julee.
Main - Hello dear. Kya tum mujhe jaante ho?
Wo - Haan. Main tumhe tumhari CHUDAI KI DASTAAN likhne ki wajah se jaanta hun.
Main - Oh. Mere baare me to tum meri kahani padhkar sab jaante hi ho,
apne baare me batao.
Wo - Mera naam .................. hai. Main 27 saal ka, shadishuda
ladka hun hun aur kuch din pahle hi ek bachhe ka baap bana hun.
Main - Badhaai ho.
Wo - Dhanyawaad Julee. Kya tum mujh se sexy chat karna pasand karogi?
Main - Kyon nahi. Isme koi kharabi nahi.
Wo - Kya tumhare computer me camera hai?
Main - Nahi...... Mere computer me camera nahi hai. Ham bina ek dusre
ko dekhe bhi to chat kar sakte hai.
Wo - Kyon nahi. Par agar main tumhare saamne aaon to ? Main to tumhe
nahi dekh paaonga par tum mujhe dekh sakti ho.
Main - OK. Agar tum camere par aana chaho to mujhe koi aitraaz nahi hai.
Wo - Thik hai, main tumhe nimantran bhej raha hun, kewal accept karo,
phir tum mujhe dekh sakti ho.
Main - OK. Thik hai.
Usne mujhe web cam ka invitation bheja jise maine accept kar liya to
main use seedha dekh paa rahi thi. Maine dekha ki ek sundar sa ladka
kursi par baitha hai. Hamne kareeb aadha ghante baat ki. Wo ab mujhe
BHABHI kah kar bula raha tha, kyon ki main us se badi aur shadishuda
thi. Wo bahut achha ladka tha jis se meri turant dosti ho gai.
Baat karte karte, achanak usne poocha ki kya main uska lund dekhna
chahti hun. Mujhe bahut aascharya hua aur kuch der tak to main koi
jawab nahi de saki. Ye mere sath pahli baar tha jab kisi mard ne apna
lund mujhe dikhane ki peshkash ki thi. Maine kuch der to socha aur
usko haan kahdi, kyon ki main bhi is khel ke liye bahut romanchit thi.
Usne turant hi apne kapde utaar diye aur camere par mere saamne nanga
ho gaya . Us ka lauda poori tarah khada tha aur uske lund ke aas paas
thodi jhaanten bhi thi. Maine dekha ki uska lund bada aur tanurust tha
jo kisi bhi ladki ya aurat ko santusht karne ki kaabliyat rakhta lag
raha tha. Ye mere liye pahli baar tha jab main kisi ka chudai ka
auzaar, lauda camere par seedha dekh rahi thi. Main saaf saaf dekh paa
rahi thi ki usne khud hi apne lund se khelna shuru kar diya tha. Jaldi
hi usne apne lund ko pakad kar hilate huye khud hi muthya maarna chalu
kardiya. Wo apni muth maarne ki raftaar badhata gaya to meri chaddi
bhi apni chut se nikalte ras se geeli ho gai. Apne lund ko apne haath
me pakad kar wo jor jor se muth maar raha tha. Mujhe uska lund , muth
maarta uska hath aur uske lund ka supada mere computer par saaf saaf
dikh raha tha. Achanak maine dekha ki uske lund se, tej bauchhar ke
sath paani nikalna shuru ho gaya . Uska apna lund hilana chalu tha
aur uske lund se safed paani ki dhaar ruk ruk kar nikalrahi thi. Phir
usne muth maarna band kiya aur apni table par faile lund ras ko saaf
karne laga. Usne mujhse kaha ki uski taraf se ye hamari pahli mulakaat
ka, ek bhabhi ko ek dever ki taraf se tohfa hai. Kuch der baad hamne
chatting band ki.
Main apne gown ke andar choli aur chaddi hi pahne thi. Meri chaddi to
usko muth maarte dekhkar pahle hi mere apne chut ras se bheeg chuki
thi. Maine apna gown uthakar apne pairon ke beech dekha. Maine apni
chaddi utaar di aur ssaf saaf use geela paaya. Maine apne paron ko
chauda kiya aur kursi ke kinare par baithi taki main aaraam se apni
pyari si, saaf suthri aur safachat chut me apni ungli kar sakun. Main
apni beech ki ungli apni geeli chut par le gai aur apni chut ke daane
ki chhua. Main us ladke ko camre aur computer par, mere liye muth
maarne ka seedha prasaaran dekh kar uttejit ho chali thi. Main adhik
der ruk nahi saki aur maine apni chut me ungli ghumani shuru kardi.
Chut pahle se hi kaafi geeli hone ki wajah se uske beech me, daane par
ungli ghumaana bahut hi aasaan tha. Chut ke daane ko apni ungli se
ragadte huye mujhe chudai ka maza aane laga. Jaise jaise chudai ka
maza badhta gaya , waise waise meri ungli ki meri chut me raftaar
badhti gai. Ab maine apni ek ungli meri geeli ke andar bhi ghusa li
thi taki jhadne ka poora poora maza aaye. Chudai ki uttejna ke maare,
maze ke maare mere muh se aawajen nikalni shuru ho gai aur apne band
ghar ke andar, main akeli chudai ke maze me chillane ko swatantra thi.
Maine apne muh se nikalne wali aawajon ko rokne ki koi koshish nahi ki
aur main maze ke parvat ki choti par thi. Meri ungli meri chut ke
andar aur chut ke daane par lagataar gumti hui muje meri manzil ki
taraf le jaa rahi thi.
Apni chut ko teji se ragadti hui, teji se chut me ungli andar bahar
karti hui, chut ke daane ko masalti main jahan pahunchna chahti thi
wahan pahunch chuki thi. Maine apne pair bheench liye aur meri ungli
abhi bhi meri chut me thi. Meri aankhen aanand se band ho gai. Ye
bahut hi jordaar hastmaithoon tha.
Raat aur din apni raftaar se beet rahe the. Main bahut khush hun ki
mere pati hamesha hi mujhe chudai ka maza deten hai. Hamare beech
chudai hona jindgi ka ek jaroori hissa hai. Wo roz mujhe chodte hai
aur main roz unse chudwati hun, kabhi kabhi to din me do - teen baar
bhi. Mujhe koi aisi raat ya din yaad nahi hai jab maine nahi chudwaya
ho. Ham dono hi chod kar aur chudwa kar bahut khush hai kyon ki ham
jaise chae, jab chae, jitni chahe chudai karten hain aur chudai ka
poora samman karten hai.
Ek din dopahar ko mere pitaji ka Goa se phone aaya ki unko meri
sahayta ki jaroorat hai. Kafi saare aam videsh bhejne the aur mere
chacha aur pita dono hi mere bina pareshaan the. Unko business me meri
jaroorat thi. Mere papa is baare me mere sasurji se aur mere pati se
bhi baat kar li thi. Mere pati ne unko bharosa dilaya tha ki wo mujhe
pahle hawai jahaj se Goa bhej denge.
Agle hi din main Goa , apne maa baap ke ghar aa gai. Mere pati phir se
ek baar Delhi me akele the aur main Goa me unke bina thi. Ham dono hi
udaas the kyon ki ek pyar karne wala joda, jamkar chudai karne wala
joda juda duda the.
Yahan, Goa me bahut kaam tha aur maine apni poori kaabliyat ke sath
mere pitaji ki sahayata ki aur kaam ko kabu me kiya. Kaam itna tha ki
din raat kaam karna pad raha tha. Hamesha ki tarah, jab bhi ham door
hoten hai, main raat ko apne pati se baat karti thi aur ham dono hi
alag alag bistar par soye huye, phone par chudai ki baaten karte huye
ek dusre ko, apne aap ko santusht karte the. Ham dono ke hi paas khud
hi muth maarne ke alawa koi chara nahi tha. Roz raat ko sone se pahle
main apni chut me ungli kiya karti aur mere pati wahan apna lund
pakadkar muthiya maara karte.
Ek din. Sham ko, main apne farm house se wapas ghar aa rahi thi. Ab
kaam kaabu me aa chuka tha aur main wapas delhi , apne pati ke paas
jaane ka vichar kar rahi thi. Raste me meri chai peene ki ichha hui to
maine apni car ek hotel ki taraf modi. Parking me apni car park karne
ke baad main hotel ke andar aayi aur restaurant me aisi jagah baithi
jahan se bahar swimming pool najar aa raha tha. Kuch mard aur kuch
auraten wahan swimming kar rahe the, kuch alag alag drink pee rahe
the. Main apni table par chai aane ka intzaar karti bahar dekhe jaa
rahi thi to achanak maine ek jaane pahchane chehre ko, sexy swimming
bikini pahne dekha. Wo Sara thi, mere sath mere college me padhti thi.
Main jaanti thi ki uski shadi Mumbai me kisi businessman se hui
thi.Maine socha ki wo apne pati ke sath swimming ka maza lene aayi
hai, par maine uske aas paas kisi bhi mard ko nahi dekha. Main apni
chai peete peete Sara ko hi dekh rahi thi. Ab mujhe pakka vishwaas ho
gaya ki wo wahan ekeli hi thi jo ki ek kursi par baithi beer pee rahi
thi. Maine apni chai khatam ki aur bill chukta karne ke baad swimming
pool ki taraf aayi.
Main uske samne jaa kar khadi ho gai aur wo mujhe dekhkar pahchane ki
koshish kar rahi thi. Achank hi, usne mujhe pahchana aur kareeb kareeb
chillayi - Juleeeeeeeeeeeee !
Jawab me maine muskara kar kaha - Haan Sara. Ye main hi hun. Itne
dinon ke baad, tumhe yahan dekhkar achha laga Sara, Kaisi ho tum aur
yahan kya kar rahi ho?
Wo boli - Main thik hun Julee, Tum kaisi ho?
Main - Main bhi achhi hun. Kya chal raha hai?
Sara - Kuch nahi. Bas maza le rahi hun.
Main - Akele ? Tumhare pati kahan hai ?
Sara - Wo bahar gaye hai. Raat ko khane ke samay aa jayenge. Ham isi
hotel me ruke huye hai.
Main - OK. Lekin yahan tumhara apna ghar hai, phir hotel me kyon ruke ho?
Sara - Haan. Par mere pati ko mere pitaji ke ghar me rukna pasand nahi hai.
Main - Khair koi baat nahi. Wo businessman hai aur wo hotel ka kharcha
karsakte hai.
Sara - Haan.
Main - To........ kaise chal rahi hai tumhari shadishuda jindgi?
Sara turant jawab nahi de paayi. Maine uske chehre par ek dard dekha.
Maine uski aanhon me bhi paani dekha.
Sara boli - Meri shadishuda jindgi achhi chal rahi hai. Apni sunao.
Tum bhi to Goa me ho, tumhare pati kahan hai?
Main - Haan yaar. Main yahan pitaji ki kaam me sahayata karne aayi
hun. Jaldi hi main Delhi apne pati ke paas jaa rahi hun, do teen din
me.
Sara - Tum ko jaroor apne pati ki yaad aati hogi.
Main - Haan Sara. Yaad to bahut aati hai unki. Wo mujhe aur main unko
bahut pyar karten hai.
Sara - Kismat wali ho Julee.
Main - Haan. Lekin Sara! Tum khush nahi lag rahi ho.
Sara - Nahin. Main khush hun.
Maine ek baar phir uski aankhon me paani dekha.
kramashah.........................
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Raj sharma
चुदाइ का दूसरा रूप--1
सेक्सी कहानियाँ
चुदाइ का दूसरा रूप--1
मैं अपने पति के पास देल्ही आ गई थी गोआ मे 15 दिन रहने के बाद. गोआ मे
रहते हुए मैने अंजू के साथ लेज़्बीयन सेक्स का खेल खेला था. मेरे बहुत से
चाहने वालों ने अपनी मैल मे लिखा है कि चुदाई मे असंतुष्ट औरत को चोद कर
संतुष्ट करना एक समाज सेवा है. मैं तो हमेशा ही चुदाई और चुदाई को प्यार
करने वालों को प्यार करती हूँ.
मैं और मेरे पति अभी अभी साउत आफ्रिका मे फुटबॉल का वर्ल्ड कप देख कर
लौटें हैं. हमारा साउत आफ्रिका का दौरा और मॅच के टिकेट्स मेरे पति को
उनकी ऑफीस की तरफ से हमारी शादी का तोहफा था.
अपने साउत आफ्रिका मे होने के दौरान मैं अपने चाहने वालों को ये नहीं बता
पाई कि वहाँ जाने से पहले क्या क्या हुआ था. अब मैने सोचा है कि आप को
सिलसिलेवार सब बताऊ.
तो....... बात वहाँ से शुरू करती हूँ जहाँ पर हम मेरी पिच्छली कहानी मे थे.
मैं 10 दिन गोआ मे बिताने के बाद अपने पति के पास वापस देल्ही आ गई थी.
गोआ मे मेरा ज़्यादातर समय मेरे ससुराल मे ही बीता था. वहाँ मुझे अंजू के
साथ ज़्यादा चुदाई का मौका नहीं मिला था पर उस दौरान हमने मिलकर और दो
बार लेज़्बीयन चुदाई की थी जब हमको मौका मिला था. अंजू बहुत खुश थी, ये
मैने उसके चेहरे पर सॉफ सॉफ देखा. मुझे अंजू के बारे मे सोच कर बहुत दुख
होता है. वो जवान है, बहुत खूबसूरत है पर उसका पति उसको चोद कर संतुष्ट
नहीं कर पाता. खैर....... ये तो किस्मत की बात है.
गोआ से वापस आने के बाद, एक शाम को मैं मेरे पति का इंतज़ार कर रही थी
क्यों की हमको उनके एक दोस्त की शादी की सालगिरह की पार्टी मे जाना था.
मैं जान बूझ कर तय्यार नहीं हुई थी क्यों की मैं जानती थी कि मेरे पति
तय्यार होने के लिए, शायद मेरे साथ ही शाम का स्नान करना पसंद करेंगे.
ज़्यादातर हम साथ साथ ही नहाते हैं. मैं सिर्फ़ एक गाउन पहने हुए थी
जिसके अंदर मैने कुछ भी नही पहना था. मैं जानती हूँ कि मेरे पति मुझे ऐसे
देखना पसंद करतें है. मैं बताना चाहती हूँ कि हम दोनो ही घर मे चाहे जैसे
रह सकते हैं क्यों की यहाँ हमारे साथ कोई तीसरा नहीं रहता है, सिर्फ़ मैं
और मेरे पति. खिड़कियों पर पर्दे और गहरे रंग के शीशे होने की वजह से हम
घर मे जैसे चाहे रह सकतें हैं, जो चाहे कर सकतें है. बाहर से किसी का भी
हमको देख पाना संभव नहीं है. हम एक 9 मंज़िल की इमारत की तीसरी मंज़िल पर
रहतें हैं.
मेरे पति अपने पास की चाबी से दरवाजा खोल कर घर मे आए तो मुझे तुरंत ही
पता चल गया क्यों कि मैं बाहरी कमरे मे ही बैठ कर टी.वी. देख रही थी.
उनकी तेज आँखों ने तुरंत ही भाँप लिया कि मैं उनके साथ नहाने को तय्यार
हूँ. वो मुस्कराए तो जवाब मे मैं भी मुस्करा पड़ी. वो मेरे नज़दीक आए और
मुझे अपनी बाहों मे भर लिया, जो कि वो हमेशा ही घर आते ही करतें हैं.
मैने भी उनको बाहों मे भरा और हमने एक दूसरे के रसीले होंठ चूस्ते हुए
चुंबन किया.
वो बोले - तय्यार हो नहाने के लिए ?
मैने कहा - हां जान. मैं तय्यार हूँ.
उन्होने जवाब दिया - ठीक है. एक ग्लास पानी मिलेगा पीने के लिए ?
मैं रसोई से उनके लिए पानी का ग्लास ले कर आई तो मैने देखा की उन्होने
अपने सारे कपड़े उतार दिए हैं और सिर्फ़ चड्डी पहने सोफा पर बैठे हैं. जब
मैने उनको पानी का ग्लास दिया तो उन्होने अपने एक हाथ से पानी का ग्लास
पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया.
उन्होने पानी पिया और फिर से मेरे होठों को चूमा. मैं उनके चुंबन का आनंद
लेती हुई उनके बालों मे हाथ फिरा रही थी. प्यार और चुदाई की आग हमारे बीच
भड़कनी शुरू हो चुकी थी.
यहाँ मैं आप को फिर से बता दू कि मैं पिच्छले 15 सालों से चुदवा रही हूँ
जब मैं सिर्फ़ 14 साल की थी तब से. अब मेरी शादी को 7 महीने हो चुके हैं.
शादी के पहले मैं साप्ताह मे 4 या 5 बार चुदवाती थी और अब शादी होने के
बाद चुदवाने की गिनती बढ़ कर दिन मे कम से कम दो बार हो गई है. सबसे
ज़्यादा खुशी की बात तो ये है कि हमेशा ही, जब भी अकेले होते हैं, एक
दूसरे को छुते हैं, चुंबन करतें हैं, मैने पाया है कि चुदाई की गर्मी वही
पुरानी गर्मी जैसी है. मैं बहुत किस्मत वाली हूँ कि मुझे मेरे जैसा ही
चुदाई का साथी मिला है.
हमारा चुंबन ख़तम होने के बाद उन्होने मुझे किसी गुड़िया की तरह अपने
हाथों मे उठाया और मुझे बाथरूम मे ले आए. उस समय 6.30 हुए थे और हमारे
पास पार्टी मे जाने के पहले काफ़ी समय था. उन्होने फव्वारा चालू किया और
हम दोनो भीगने लगे. मैने अपना गीला गाउन उतार कर अपने सेक्सी बदन को
कपड़े से आज़ाद किया. गर्मी का मौसम और फव्वारे का ठंडा ठंडा पानी. लेकिन
वो ठंडा पानी भी हमारी चुदाई की गर्मी को कम नही कर रहा था, बल्कि और
बढ़ा रहा था. मैने उनकी चड्डी भी उतार दी और देखा की उनका खड़ा हुआ लंबा
लॉडा मुझे सलाम कर रहा था. मैने देखा की उनके लंड के आस पास कुछ बॉल उग
आए हैं. मेरी चूत तो बिल्कुल सॉफ, बिना बालों के, चिकनी थी क्यों की मैने
तो दो दिन पहले ही अपनी चूत के बॉल सॉफ किए थे. मैने उनके खड़े हुए,
सख़्त, लंबे और मोटे लंड लो अपने हाथ मे पकड़ा. उनके लंड के नीचे लटकी
गोलियों की थैली पर से होता हुआ पानी नीचे गिर रहा था.
मेरे पति को पता है कि मुझे चूत या लंड पर बाल पसंद नही है, खास कर के
मुख मैथून करते वक़्त. वो तुरंत समझ गये कि मेरी आँखों ने क्या देखा है.
उन्होने तुरंत नीचे के बाल सॉफ करने वाला सामान बाथरूम की छ्होटी आलमारी
से निकाला. मैं फव्वारे के नीचे बैठी उनको देख रही थी जबकि वो फव्वारे के
बरसते पानी से बाहर चले गये. उन्होने अपने खड़े लंड के आस पास, जहाँ जहाँ
बाल थे, और लंड के नीचे लटकी गोलियों की थैली पर भी थोड़ी शेविंग क्रीम
लगाई. हमेशा की तरह मैने उनको अपनी झाँटें सॉफ करने मे मदद की क्यों की
मुझे ये काम पसंद है. जब वो रेज़र से अपने बाल सॉफ कर रहे थे तो मैने
उनका लंड पकड़ रखा था और मैने उनके लंड के नीचे की गोलियों की थैली को भी
इधर उधर कर के वहाँ से बॉल सॉफ करने मे उनकी मदद की. जल्दी ही उनका सुंदर
लंड बिना बालों के, चिकना हो कर मेरी आँखों के सामने था. अब वो भी
फव्वारे के नीचे आ गये थे और उनके लॉड के आस पास लगी साबुन पानी मे बह गई
और उनका लंड चमक उठा. मैने बिना कोई समय बर्बाद किए तुरंत ही नीचे बैठे
बैठे उनका प्यारा सा, खड़ा हुआ, सख़्त, लंबा और मोटा लंड चूसने के लिए
अपने मूह मे ले लिया. वो खड़े थे और उनके हाथ मेरे सिर के बालों मे प्यार
से घूमने लगे जबकि मैं बाथरूम के फर्श पर बैठ कर उनके लंड को चूस रही थी.
आप को मेरे पति की मर्दानगी मालूम ही है की उनके लंड से पानी निकालने मे
काफ़ी वक़्त लगता है और ज़्यादातर उनकी एक चुदाई मे मेरी दो चुदाई हो
जाती है. उनकी ये मर्दानगी हम दोनो के लिए बड़े गर्व की बात है. अब मुझे
उनको अपने हाथ और मूह से ही इतना गरम करना था और इतना आगे ले जाना था की
चोद्ते वक़्त उनके लंड से मेरे खुद के झड़ने के साथ ही पानी निकले.
फव्वारे से बरसता पानी हम को और भी सेक्सी बना रहा था. उन के लंड का मूह
मेरे मूह मे था और निचला हिस्सा मेरे हाथ मे था. मेरी जीभ उनके लंड के
मूह, सूपदे पर घूम रही थी जो उनको पूरा मज़ा दे रही थी. वो हमेशा कहतें
हैं कि मैं बहुत अच्छा लंड चुस्ती और चाट ती हूँ. मैं खुद जानती हूँ की
मैं कितनी क़ाबलियत के साथ लंड चुस्ती हूँ. मैं उनका लंड अपनी हथेली मे
पकड़ कर आगे पीछे करते हुए उनके लंड का सूपड़ा चूस रही थी. उनका लंड
चूस्ते और मूठ मारते हुए मुझे ये अंदाज़ा हो गया था कि मैं उनको आधी दूर
ले आई हूँ और अब हम अपना पसदीदा चुदाई का खेल शुरू कर सकतें हैं. मेरी
चूत तो उनका लंड चूस्ते चूस्ते ही काफ़ी गीली हो चुकी थी और उनका लंड
लेने को तय्यार थी.
हम दोनो पानी बरसाते फव्वारे के नीचे आमने सामने खड़े थे. मेरी चुचियों
और मेरी निपल्स पर से होता हुआ फव्वारे का पानी बह रहा था. उन्होने मेरी
गीली चुचियों को, गीली निपल्स को बहुत ही प्यार से चूसा.
हम दोनो को ही हमेशा अलग अलग पोज़िशन मे चुदाई करना पसंद है. उन्होने
अपने हाथ मेरे पीछे करते हुए मुझे मेरी नंगी गंद पकड़ कर उठा लिया. मैं
जैसे उनकी हथेलियों पर अपनी गंद टीका कर बैठी थी. मैं चुदवाने के लिए
तय्यार थी और मेरी चूत भी उनके लंड का स्वागत करने को तय्यार थी. क्यों
कि मैं उनके दोनो हाथ पर अपनी गंद रख कर बैठी थी और वो खड़े थे, मैने
अपना हाथ नीचे करके, उनके इंतज़ार करते हुए गरम लॉड को पकड़ कर अपनी चूत
के दरवाजे पर लगाया और उन्होने मेरी गंद ज़रा दबाई तो उनका फंफनता हुआ
लंड मेरी चूत मे घुसने लगा. चुदाई की इस पोज़िशन मे मेरे लिए ज़्यादा कुछ
करने को नही था सिवाय चुदवाने के. वो मेरी गंद पकड़े हुए थे और मुझे उपर
नीचे, उपर नीचे कर रहे थे. मेरे हाथ उनकी गर्दन पर लिपटे हुए थे. हमेशा
की तरह उनका लंबा लंड मेरी चूत की गहराइयों मे मज़ा देने वाले स्थान को
खत खता रहा था. वो मेरी गंद पकड़ कर मुझे चोद रहे थे और मैं अपनी गंद
उनके हाथ मे रख कर मज़े से चुदवा रही थी. फव्वारे के बरसते पानी के नीचे
जो जवान नंगे जिस्म जल रहे थे और अपनी चुदाई की गर्मी को कम करने की
कोशिश कर रहे थे. बहते पानी मे भी चुदाई की फ़चा फॅक .. फ़चा फॅक........
फाका फक...... फाका फक हो रही थी. एक बार फिर मुझे लगा कि मैं उनसे कहीं
पहले ही झाड़ जाओंगी. मैं अपने पूरे अनुभव और क़ाबलियत के साथ इस तरह
चुदवा रही थी कि उनको भरपूर मज़ा मुझको चोदने मे आए. अब उनकी चोदने की
रफ़्तार बढ़ गई थी और उनका लंड तेज़ी से और जल्दी जल्दी मेरी गीली चूत मे
अंदर बाहर हो रहा था. हमारी आँखें चुदाई के आनंद के मारे बंद हुई जा रही
थी. चुदाई का पूरा दारोमदार उन पर था और वो मेरी नंगी गंद पकड़ कर धक्के
लगा रहे थे. मैं जोरदार चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी. उनके लॅंड के,
मेरी चूत मे हर धक्के के साथ मेरी चुचियाँ उच्छल रही थी. वो मुझे किसी
गुड़िया की तरह अपने हाथों मे उठाए बाथरूम मे बरसते पानी के नीचे चोद रहे
थे. मुझे उनके तेज होते धक्कों, उनके लंड के मेरी चूत मे आते जाते और
अधिक सख़्त होने से ये पता चल चुका था कि जल्दी ही उनका लंड मेरी चूत मे
अपना लंड रस बरसाने वाला है. मैं तो पहले से ही अपने झड़ने के काफ़ी करीब
थी. अचानक ही उनकी चुदाई की रफ़्तार तूफ़ानी हो गई और मैं उनके हाथों मे
किसी खिलोने की तरह हवा मे उच्छल रही थी. मेरी हवा मे उच्छलती चुचिया कई
बार मेरी खुद की ठुड्डी से टकराई. मैं तो बस पहुँचने ही वाली थी और मेरा
नंगा बदन झड़ने के लिए अकड़ने लगा. उनका लॉडा भी हर धक्के के साथ सख़्त,
और सख़्त होता जा रहा था.
मैं खुद को रोक नही सकी और करीब करीब चिल्लाई - ओह डियर........ मैं तो गई जानू.
वो बोले - रूको जूली........... मैं भी आया.
हम दोनो प्यार और चुदाई के मज़े और उत्तेजना मे बड़बड़ाने लगे.
" लव यू डियर........ ओह डार्लिंग........... जानू......... जान.....
आआहह .... ऊऊहह ...... हाआअन्न्ननणणन्."
अचानक, मैं झाड़ गई और मैने अपने आप को स्वर्ग मे महसूस किया. मेरे हाथ
उनकी गर्दन पर कस गये पर नीचे उनके लंड के तूफ़ानी धक्के मेरी चूत मे
लगातार जारी थे. मुझे पता था कि वो भी जल्दी ही झड़ने वाले हैं. मैं भी
उनको चुदाई की मंज़िल पर पहुँचने मे पूरा साथ दे रही थी. करीब 10 धक्कों
के बाद, उन्होने मेरी नंगी गंद को पकड़ कर अपने लंड पर भींच लिया और उनका
लंड मेरी चूत मे अपना लंड रस बरसाने लगा. उनका लंड किसी पंप की तरह अपना
पानी मेरी चूत की गहराइयों मे नाचता हुआ फेंक रहा था. उन के लंड का इस
तरह नाच नाच कर पानी निकालना मुझे बहुत पसंद है. हम दोनो इसी तरह झड़ने
का मज़ा ले रहे थे और किसी तरह उन्होने मेरी लटकती चुचि को अपने मूह मे
भर लिया और चूसने लगे. मेरे पति को ये अच्छी तरह पता है कि चुदाई मे
ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा कैसे लिया जाता है और कैसे दिया जाता है. अपने
लंड के पानी की मेरी चूत के अंदर अंतिम बौच्हर करके उन्होने मुझे नीचे
उतारा. उनका लंड मेरी चूत से बाहर आ चुका था. मैने देखा की उनका लंड पूरी
तरह गीला था, उनके खुद के लंड से निकले रस से और मेरी चूत के रस से.
फव्वारे से बरसता पानी उनके लंड को सॉफ करने लगा और मेरी चूत से उनका
छ्चोड़ा गया पानी भी मेरे चूत रस के साथ बाहर आने लगा था.
बाथरूम मे, फिर एक बार हमारे बीच एक शानदार चुदाई संपन्न हुई, इस बार तो
मैं चुदाई के समय उनके हाथों मे लटकी हुई थी.
उन्होने मेरी चूत पर शॅमपू लगा कर सॉफ किया और मैने उनके लंड को साबुन
लगा कर सॉफ किया.
अपना अपना नंगा बदन पूंछ कर हम दोनो ही नंगे बाथरूम से बेडरूम मे पार्टी
मे जाने के लिए तय्यार होने को आए.
मेरे पति बोले - डार्लिंग ! एक कप चाइ मिलेगी ?
मैने उत्तर दिया - क्यों नही डियर ! मैं ज़रा गाउन पहन लूँ.
वो बोले - नही जानू. तुम जानती हो कि कपड़े तुम्हारे जिस्म पर अच्छे नहीं
लगते जब हम दोनो घर मे अकेले होते है.
मैं बस इतना ही कह सकी - शरारती कहीं के.
और हम दोनो ही हंस पड़े. मैं चाइ बनाने के लिए किचन मे जाने को घूमी. मैं
पूरी तरह नंगी थी और मेरे पति भी पूरे नंगे थे. हम दोनो को ही एक दूसरे
का नंगा बदन बहुत पसंद है. अब उनका लॉडा शांत था और आराम से जैसे उनकी
गोलियों की थैली पर बैठा हुआ था. मैं रसोई मे नंगी खड़ी हो कर चाइ बना
रही थी और वो बाहर के कमरे मे सोफा पर नंगे बैठ कर टी.वी. देखने लगे.
बाहर का कमरा कुछ इस पोज़िशन मे था की अगर रसोई का दरवाजा खुला हो तो एक
कोने से रसोई मे बाहर के कमरे से देखा जा सकता है. मैने रसोई मे खड़े
खड़े उनको बाहर के कमरे मे बैठा हुआ देखा जबकि चाइ उबल रही थी. मुझे फिर
एक बार अपने चुड़क्कड़ पति और मेरी पसंद पर गर्व महसूस हुआ. एक बहुत ही
अच्छे इंसान, हमेशा दूसरों का ध्यान रखने वाले, सुंदर, गोरे रंग के, लंबे
कद के और मजबूत कसरती बदन के मालिक, और सब से उपर ये की चुदाई के मामले
मे एक बहुत ही मज़बूत मर्द, ऐसे है मेरे पति. उनके पास एक शानदार, लंबा
और मोटा लॉडा है जिसकी मैं दीवानी हूँ. मैं अपने आप को दुनिया की सबसे
खुसकिस्मत औरत मानती हूँ जिसके पास दुनिया का सबसे अच्छा पति है.
चाइ ले कर मैं बाहरी कमरे मे आई और चाइ की ट्रे को टेबल पर रखा. उन्होने
मुझे मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मुझे अपनी नंगी गोद मे बिठा
लिया. उन्होने मुझे मेरे होठों पर चूमा और उनके हाथ मेरी नंगी पीठ सहलाने
लगे. उनके गरमा गरम चुंबन से मैं फिर से गरम होने लगी. मैने अपनी नंगी
गंद के नीचे, उनके पैरों के बीच कुछ हलचल महसूस की. मैं झट से खड़ी हो गई
और देखा की उनका लंड फिर से खड़ा होने लग गया है. ऐसा लग रहा था जैसे
लंबे गुब्बारे मे हवा भर रही हो.
मैने मुस्कराते हुए कहा - हम को पार्टी मे जाने के लिए तय्यार होना है. ठीक?
वो बोले - हां. तुम ठीक कहती हो, पर पार्टी हमारा थोड़ा इंतज़ार कर सकती
है. एक छ्होटी सी, फटाफट चुदाई के बारे मे क्या ख़याल है?
मैने उत्तर दिया - मैं तय्यार हूँ. पर हम को पार्टी मे जाने मे देर हो जाएगी.
उन्होने एक लंबी साँस ली और बोले - ठीक है मेरी रानी. ये तो हमारा खेल है
और हम इसको चाहें जब, चाहे जहाँ खेल सकतें हैं. कोई बात नही, पार्टी के
बाद सही.
क्रमशः.........................
chudaai Ka Dusara Roop--1
Main apne pati ke paas delhi aa gai thi Goa me 15 din rahne ke baad.
Goa me rahte huye maine Anju ke sath lesbian sex ka khel khela tha.
Mere bahut se chahne walon ne apni mail me likha hai ki chudai me
asantusht aurat ko chod kar santusht karna ek samaj seva hai. Main to
hamesha hi chudai aur chudai ko pyar karne walon ko pyar karti hun.
Main aur mere pati abhi abhi South Africa me football ka world cup
dekh kar lauten hain. Hamara South Africa ka daura aur match ke
tickets mere pati ko unki office ki taraf se hamari shadi ka tohfa
tha.
Apne South Africa me hone ke dauraan main apne chahne walon ko ye
nahin bata paayi ki wahan jaane se pahle kya kya hua tha. Ab maine
socha hai ki aap ko silsilewaar sab bataun.
To....... baat wahan se shuru karti hun jahan par ham meri pichhli
kahani me the.
Main 10 din Goa me bitane ke baad apne pati ke paas wapas Delhi aa gai
thi. Goa me mera jyadatar samay mere sasuraal me hi beeta tha. Wahan
mujhe Anju ke sath jyada chudai ka mauka nahin mila tha par us dauraan
hamne milkar aur do baar lesbian chudai ki thi jab hamko mauka mila
tha. Anju bahut khush thi, ye maine uske chehre par saaf saaf dekha.
Mujhe Anju ke baare me soch kar bahut dukh hota hai. Wo jawan hai,
bahut khoobsurat hai par uska pati usko chod kar santusht nahin kar
paata. Khair....... ye to kismat ki baat hai.
Goa se wapas aane ke baad, ek sham ko main mere pati ka intzaar kar
rahi thi kyon ki hamko unke ek dost ki shadi ki saalgirah ki party me
jaana tha. Main jaan boojh kar tayyar nahin hui thi kyon ki main
jaanti thi ki mere pati tayyar hone ke liye, shayad mere sath hi sham
ka snaan karna pasand karenge. Jyadatar ham sath sath hi nahate hain.
Main sirf ek gown pahne huye thi jiske andar maine kuch bhi nahi pahna
tha. Main jaanti hun ki mere pati mujhe aise dekhna pasand karten hai.
main batana chahti hun ki ham dono hi ghar me chahe jaise rah sakte
hain kyon ki yahan hamare sath koi teesra nahin rahta hai, Sirf main
aur mere pati. Khidkiyon par parde aur gahre rang ke sheeshe hone ki
wajah se ham ghar me jaise chahe rah sakten hain, jo chahe kar sakten
hai. Bahar se kisi ka bhi hamko dekh paana sambhav nahin hai. Ham ek 9
manzil ki imaarat ki teesri manzil par rahten hain.
Mere pati apne paas ki chabi se darwaja khol kar ghar me aaye to mujhe
turant hi pata chal gaya kyon ki main bahri kamre me hi baith kar T.V.
dekh rahi thi. Unki tej aankhon ne turant hi bhaamp liya ki main unke
sath nahane ko tayyar hun. Wo muskraaye to jawab me main bhi muskaraa
padi. Wo mere najdeek aaye aur mujhe apni baahon me bhar liya, jo ki
wo hamesha hi ghar aate hi karten hain. Maine bhi unko baahon me bhara
aur hamne ek dusre ke rasile honth chuste huye chumban kiya.
Wo bole - Tayyar ho nahane ke liye ?
Maine kaha - Haan jaan. Main tayyar hun.
Unhone jawab diya - Thik hai. Ek glass paani milega peene ke liye ?
Main rasoi se unke liye paani ka glass le kar aayi to maine dekha ki
unhone apne saare kapde utaar diye hain aur sirf chaddi pahne sofa par
baithe hain. Jab maine unko paani ka glass diya to unhone apne ek hath
se paani ka glass pakda aur dusre hath se mera hath pakad kar mujhe
apni god me bitha liya. Unhone paani piya aur phir se mere hothon ko
chuma. Main unke chumban ka anand leti hui unke baalon me hath phira
rahi thi. Pyar aur chudai ki aag hamare beech bhadkni shuru ho chuki
thi.
Yahan main aap ko phir se batadun ki main pichhle 15 saalon se chudwa
rahi hun jab main sirf 14 saal ki thi tab se. Ab meri shadi ko 7
mahine ho chuke hain. Shadi ke pahle main saptaah me 4 ya 5 baar
chudwati thi aur ab shadi hone ke baad chudwane ki ginti badh kar din
me kam se kam do baar ho gai hai. Sabse jyada khushi ki baat to ye hai
ki hamesha hi, jab bhi akele hoten hain, ek dusre ko chhute hain,
chumban karten hain, maine paaya hai ki chudai ki garmi wahi purani
garmi jaisi hai. Main bahut kismat wali hun ki mujhe mere jaisa hi
chudai ka sathi mila hai.
Hamara chumban khatam hone ke baad unhone mujhe kisi gudia ki tarah
apne hathon me uthaya aur mujhe bathroom me le aaye. Us samay 6.30
huye the aur hamare paas party me jaane ke pahle kafi samay tha.
Unhone fawwara chalu kiya aur ham dono bheegne lage. Maine apna geela
gown utaar kar apne sexy badan ko kapde se aazaad kiya. Garmi ka
mausam aur fawware ka thanda thanda paani. Lekin wo thanda paani bhi
hamari chudai ki garmi ko kam nahi kar raha tha, balki aur badha raha
tha. Maine unki chaddi bhi utaar di aur dekha ki unka khada hua lamba
lauda mujhe salam kar raha tha. Maine dekha ki unke lund ke aas paas
kuch baal ug aaye hain. Meri chut to bilkul saaf, bina baalone ke,
chikni thi kyon ki maine to do din pahle hi apni chut ke baal saaf
kiye the. Maine unke khade huye, sakht, lambe aur mote lund lo apne
hath me pakda. Unke lund ke neeche latki goliyon ki thaili par se hota
hua paani neeche gir raha tha.
Mere pati ko pata hai ki mujhe chut ya lund par baal pasand naji hai,
khas kar ke mukh maithoon karte waqt. Wo turant samajh gaye ki meri
aankhon ne kya dekha hai. Unhone turant neeche ke baal saaf karne wala
saamaan bathroom ki chhoti aalmari se nikaala. Main fawware ke neeche
baithi unko dekh rahi thi jabki wo fawware ke baraste paani se bahar
chale gaye. Unhone apne khade lund ke aas paas, jahan jahan baal the,
aur lund ke neeche latki goliyon ki thaili par bhi thodi shaving cream
lagai. Hamesh ki tarah maine unko apni jhaanten saaf karne me madad ki
kyon ki mujhe ye kaam pasand hai. Jab wo razor se apne baal saaf kar
rahe the to maine unka lund pakad rakha tha aur maine unke lund ke
neeche ki goliyon ki thaili ko bhi idhar udhar kar ke wahan se baal
saaf karne me unki madad ki. Jaldi hi unka sundar lund bina baalon ke,
chikna ho kar meri aankhon ke saamne tha. Ab wo bhi fawware ke neeche
aa gaye the aur unke laude ke aas paas lagi sabun paani me bah gai aur
unka lund chamak utha. Maine bina koi samay barbaad kiye turant hi
neeche baithe baithe unka pyara sa, khada hua, sakht, lamba aur mota
lund chusne ke liye apne muh me le liya. Wo khade the aur unke hath
mere sir ke baalon me pyar se ghumne lage jabki main bathroom ke farsh
par baith kar unke lund ko chus rahi thi. Aap ko mere pati ki
mardaangi maalum hi hai ki unke lund se paani nikalne me kafi waqt
lagta hai aur jyadatar unki ek chudai me meri do chudai ho jaati hai.
Unki ye mardaangi ham dono ke liye bade garv ki baat hai. Ab mujhe
unko apne hath aur muh se hi itna garam karna tha aur itna aage le
jaana tha ki chodte waqt unke lund se mere khud ke jhadne ke sath hi
paani nikle. Fawware se barasta paani ham ko aur bhi sexy bana raha
tha. Un ke lund ka muh mere muh me tha aur nichla hissa mere hath me
tha. Meri jeebh unke lund ke muh, supade par ghum rahi thi jo unko
poora maza de rahi thi. Wo hamesha kahten hain ki main bahut achha
lund chusti aur chaat ti hun. Main khud jaanti hun ki main kitni
kaabliyat ke sath lund chusti hun. Main unka lund apni hatheli me
pakad kar aage peeche karte huye unke lund ka supada chus rahi thi.
Unka lund chuste aur muth maarte huye mujhe ye andaaza ho gaya tha ki
main unko aadhi door le aayi hun aur ab ham apna pasadeeda chudai ka
khel shuru kar sakten hain. Mere chut to unka lund chuste chuste hi
kafi geeli ho chuki thi aur unka lund lene ko tayyar thi.
Ham dono paani barsaate fawware ke neeche aamne saamne khade the. Meri
chuchiyon aur meri nipples par se hota hua fawware ka paani bah raha
tha. Unhone meri geeli chuchiyon ko, geeli nipples ko bahut hi pyar se
chusa.
Ham dono ko hi hamesha alag alag position me chudai karna pasand hai.
Unhone apne hath mere peeche karte huye mujhe meri nangi gand pakad
kar utha liya. Main jaise unki hatheliyon par apni gand tika kar
baithi thi. Main chudwane ke liye tayyar thi aur meri chut bhi unke
lund ka swagat karne ko tayyar thi. Kyon ki main unke dono hath par
apni gand rakh kar baithi thi aur wo khade the, maine apna hath neeche
karke, unke intzaar karte huye garam laude ko pakad kar apni chut ke
darwaje par lagaya aur unhone meri gand jara dabai to unka fanfanata
hua lund meri chut me ghusne laga. Chudai ki is position me mere liye
jyada kuch karne ko nahi tha siway chudwane ke. Wo meri gand pakde
huye the aur mujhe upar neeche, upar neeche kar rahe the. Mere hath
unki gardan par lipte huye the. Hamesha ki tarah unka lamba lund meri
chut ki gaharaaiyon me maza dene wale sthaan ko khat khata raha tha.
Wo meri gand pakad kar mujhe chod rahe the aur main apni gand unke
hath me rakh kar maze se chudwa rahi thi. Fawware ke baraste paani ke
neeche jo jawan nange jism jal rahe the aur apni chudai ki garmi ko
kam karne ki koshish kar rahe the. Bahte paani me bhi chudai ki facha
fach .. facha fach........ faka fak...... faka fak ho rahi thi. Ek
baar phir mujhe laga ki main unse kahin pahle hi jhad jaaongi. Main
apne poore anubhav aur kaabliyat ke sath is tarah chudwa rahi thi ki
unko bharpoor maza mujhko chodne me aaye. Ab unki chodne ki raftaar
badh gai thi aur unka lund teji se aur jaldi jaldi meri geeli chut me
andar bahar ho raha tha. Hamari aankhen chudai ke anand ke maare band
hui jaa rahi thi. Chudai ka poora daaromdaar un par tha aur wo meri
nangi gand pakad kar dhakke laga rahe the. Main jordaar chudai ka
poora maza le rahi thi. Unke land ke, meri chut me har dhakke ke sath
meri chuchiyan uchhal rahi thi. Wo mujhe kisi gudiya ki tarah apne
haathon me utaye bathroom me baraste paani ke neeche chod rahe the.
Mujhe unke tej hote dhakkon, unke lund ke meri chut me aate jaate aur
adhik sakht hone se ye pata chal chuka tha ki jaldi hi unka lund meri
chut me apna lund ras barsaane wala hai. Main to pahle se hi apne
jhadne ke kafi kareeb thi. Achanak hi unki chudai ki raftaar toofani
ho gai aur main unke haathon me kisi khilone ki tarah hawa me uchhal
rahi thi. Meri hawa me uchhalti chuchiya kai baar meri khud ki thuddi
se takraai. Main to bas pahunchne hi wali thi aur mera nanga baban
jhadne ke liye akadne laga. Unka lauda bhi har dhakke ke sath sakht,
aur sakht hota jaa raha tha.
Main khud ko rok nahi saki aur kareeb kareeb chillai - Oh dear........
Main to gai jaanu.
Wo bole - Ruko Julee........... main bhi aaya.
Ham dono pyar aur chudai ke maze aur uttejna me badbadane lage.
" Love you dear........ Oh darling........... jaanu......... jaan.....
Aaaahhhhh .... Oooohhhhhhh ...... Haaaaannnnnnn."
Achanak, main jhad gai aur maine apne aap ko swarg me mahsoos kiya.
Mere hath unki gardan par kas gaye par neeche unke lund ke toofani
dhakke meri chut me lagataar jaari the. Mujhe pata tha ki wo bhi jaldi
hi jhadne wale hain. Main bhi unko chudai ki manzil par pahunchane me
poora sath de rahi thi. Kareeb 10 dhakkon ke baad, unhone meri nangi
gand ko pakad kar apne lund par bheench liya aur unka lund meri chut
me apna lund ras barsaane laga. Unka lund kisi pump ki tarah apna
paani meri chut ki gahraaiyon me naachta hua phenk raha tha. Un ke
lund ka is tarah naach naach kar paani nikaalna mujhe bahut pasand
hai. Ham dono isi tarah jhadne ka maza le rahe the aur kisi tarah
unhone meri latakti chuchi ko apne muh me bhar liya aur chusne lage.
Mere pati ko ye achhi tarah pata hai ki chudai me jyada se jyada maza
kaise liya jaata hai aur kaise diya jaata hai. Apne lund ke paani ki
meri chut ke andar antim bauchhar karke unhone mujhe neeche utaara.
Unka lund meri chut se bahar aa chuka tha. Maine dekha ki unka lund
poori tarah geela tha, unke khud ke lund se nikle ras se aur meri chut
ke ras se. Fawware se barasta paani unke lund ko saaf karne laga aur
meri chut se unka chhoda gaya paani bhi mere chut ras ke sath bahar
aane laga tha.
Bathroom me, phir ek baar hamare beech ek shandaar chudai sampann hui,
is baar to main chudai ke samay unke haathon me latki hui thi.
Unhone meri chut par shampoo laga kar saaf kiya aur maine unke lund
ko sabun laga kar saaf kiya.
Apna apna nanga badan poonch kar ham dono hi nange bathroom se bedroom
me party me jaane ke liye tayyar hone ko aaye.
Mere pati bole - Darling ! Ek cup chai milegi ?
Maine uttar diya - Kyon nahi dear ! Main jara gown pahan lun.
Wo bole - Nahi jaanu. Tum jaanti ho ki kapde tumhare jism par achhe
nahin lagte jab ham dono ghar me akele hoten hai.
Main bas itna hi kah saki - Sharaarti kahin ke.
Aur ham dono hi hans pade. Main chai banane ke liye kitchen me jaane
ko ghumi. Main poori tarah nangi thi aur mere pati bhi poore nange
the. Ham dono ko hi ek dusre ka nanga badan bahut pasand hai. Ab unka
lauda shant tha aur aaraam se jaise unki goliyon ki thaili par baitha
hua tha. Main rasoi me nangi khadi ho kar chai bana rahi thi aur wo
bahar ke kamre me sofa par nange baith kar T.V. dekhne lage. Bahar ka
kamra kuch is position me tha ki agar rasoi ka darwaja khula ho to ek
kone se rasoi me bahar ke kamre se dekha jaa sakta hai. Maine rasoi me
khade khade unko bahar ke kamre me baitha hua dekha jabki chai ubal
rahi thi. Mujhe phir ek baar apne chudakkad pati aur meri pasand par
garv mahsoos hua. Ek bahut hi achhe insaan, hamesha dusron ka dhayan
rakhne wale, sundar, gore rang ke, lambe kad ke aur majboot kasarti
badan ke maalik, aur sab se upar ye ki chudai ke maamle me ek bahut hi
mazboot mard, aise hai mere pati. Unke paas ek shandaar, lamba aur
mota lauda hai jiski main deewani hun. Main apne aap ko duniya ki
sabse khuskismat aurat maanti hun jiske paas duniya ka sabse achha
pati hai.
Chai le kar main bahri kamre me aayi aur chai ki tray ko table par
rakha. Unhone mujhe mera hath pakad kar apni taraf kheencha aur mujhe
apni nangi god me bitha liya. Unhone mujhe mere hothon par chuma aur
unke hath meri nangi peeth sahlaane lage. Unke garma garam chumban se
main phir se garam hone lagi. Maine apni nangi gand ke neeche, unke
pairon ke beech kuch halchal mahsoos ki. Main jhat se khadi ho gai aur
dekha ki unka lund phir se khada hone lag gaya hai. Aisa lag raha tha
jaise lambe gubbare me hawa bhar rahi ho.
Maine muskaraate huye kaha - Ham ko party me jaane ke liye tayyar hona
hai. Thik?
Wo bole - Haan. Tum thik kahti ho, par party hamara thoda intzaar kar
sakti hai. Ek chhoti si, fatafat chudai ke baare me kya khayal hai?
Maine uttar diya - Main tayyar hun. Par ham ko party me jaane me der ho jaayegi.
Unhone ek lambi saans li aur bole - Thik hai meri rani. Ye to hamara
khel hai aur ham isko chahen jab, chahe jahan khel sakten hain. Koi
baat nahi, party ke baad sahi.
kramashah.........................
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चुदाइ का दूसरा रूप--1
मैं अपने पति के पास देल्ही आ गई थी गोआ मे 15 दिन रहने के बाद. गोआ मे
रहते हुए मैने अंजू के साथ लेज़्बीयन सेक्स का खेल खेला था. मेरे बहुत से
चाहने वालों ने अपनी मैल मे लिखा है कि चुदाई मे असंतुष्ट औरत को चोद कर
संतुष्ट करना एक समाज सेवा है. मैं तो हमेशा ही चुदाई और चुदाई को प्यार
करने वालों को प्यार करती हूँ.
मैं और मेरे पति अभी अभी साउत आफ्रिका मे फुटबॉल का वर्ल्ड कप देख कर
लौटें हैं. हमारा साउत आफ्रिका का दौरा और मॅच के टिकेट्स मेरे पति को
उनकी ऑफीस की तरफ से हमारी शादी का तोहफा था.
अपने साउत आफ्रिका मे होने के दौरान मैं अपने चाहने वालों को ये नहीं बता
पाई कि वहाँ जाने से पहले क्या क्या हुआ था. अब मैने सोचा है कि आप को
सिलसिलेवार सब बताऊ.
तो....... बात वहाँ से शुरू करती हूँ जहाँ पर हम मेरी पिच्छली कहानी मे थे.
मैं 10 दिन गोआ मे बिताने के बाद अपने पति के पास वापस देल्ही आ गई थी.
गोआ मे मेरा ज़्यादातर समय मेरे ससुराल मे ही बीता था. वहाँ मुझे अंजू के
साथ ज़्यादा चुदाई का मौका नहीं मिला था पर उस दौरान हमने मिलकर और दो
बार लेज़्बीयन चुदाई की थी जब हमको मौका मिला था. अंजू बहुत खुश थी, ये
मैने उसके चेहरे पर सॉफ सॉफ देखा. मुझे अंजू के बारे मे सोच कर बहुत दुख
होता है. वो जवान है, बहुत खूबसूरत है पर उसका पति उसको चोद कर संतुष्ट
नहीं कर पाता. खैर....... ये तो किस्मत की बात है.
गोआ से वापस आने के बाद, एक शाम को मैं मेरे पति का इंतज़ार कर रही थी
क्यों की हमको उनके एक दोस्त की शादी की सालगिरह की पार्टी मे जाना था.
मैं जान बूझ कर तय्यार नहीं हुई थी क्यों की मैं जानती थी कि मेरे पति
तय्यार होने के लिए, शायद मेरे साथ ही शाम का स्नान करना पसंद करेंगे.
ज़्यादातर हम साथ साथ ही नहाते हैं. मैं सिर्फ़ एक गाउन पहने हुए थी
जिसके अंदर मैने कुछ भी नही पहना था. मैं जानती हूँ कि मेरे पति मुझे ऐसे
देखना पसंद करतें है. मैं बताना चाहती हूँ कि हम दोनो ही घर मे चाहे जैसे
रह सकते हैं क्यों की यहाँ हमारे साथ कोई तीसरा नहीं रहता है, सिर्फ़ मैं
और मेरे पति. खिड़कियों पर पर्दे और गहरे रंग के शीशे होने की वजह से हम
घर मे जैसे चाहे रह सकतें हैं, जो चाहे कर सकतें है. बाहर से किसी का भी
हमको देख पाना संभव नहीं है. हम एक 9 मंज़िल की इमारत की तीसरी मंज़िल पर
रहतें हैं.
मेरे पति अपने पास की चाबी से दरवाजा खोल कर घर मे आए तो मुझे तुरंत ही
पता चल गया क्यों कि मैं बाहरी कमरे मे ही बैठ कर टी.वी. देख रही थी.
उनकी तेज आँखों ने तुरंत ही भाँप लिया कि मैं उनके साथ नहाने को तय्यार
हूँ. वो मुस्कराए तो जवाब मे मैं भी मुस्करा पड़ी. वो मेरे नज़दीक आए और
मुझे अपनी बाहों मे भर लिया, जो कि वो हमेशा ही घर आते ही करतें हैं.
मैने भी उनको बाहों मे भरा और हमने एक दूसरे के रसीले होंठ चूस्ते हुए
चुंबन किया.
वो बोले - तय्यार हो नहाने के लिए ?
मैने कहा - हां जान. मैं तय्यार हूँ.
उन्होने जवाब दिया - ठीक है. एक ग्लास पानी मिलेगा पीने के लिए ?
मैं रसोई से उनके लिए पानी का ग्लास ले कर आई तो मैने देखा की उन्होने
अपने सारे कपड़े उतार दिए हैं और सिर्फ़ चड्डी पहने सोफा पर बैठे हैं. जब
मैने उनको पानी का ग्लास दिया तो उन्होने अपने एक हाथ से पानी का ग्लास
पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया.
उन्होने पानी पिया और फिर से मेरे होठों को चूमा. मैं उनके चुंबन का आनंद
लेती हुई उनके बालों मे हाथ फिरा रही थी. प्यार और चुदाई की आग हमारे बीच
भड़कनी शुरू हो चुकी थी.
यहाँ मैं आप को फिर से बता दू कि मैं पिच्छले 15 सालों से चुदवा रही हूँ
जब मैं सिर्फ़ 14 साल की थी तब से. अब मेरी शादी को 7 महीने हो चुके हैं.
शादी के पहले मैं साप्ताह मे 4 या 5 बार चुदवाती थी और अब शादी होने के
बाद चुदवाने की गिनती बढ़ कर दिन मे कम से कम दो बार हो गई है. सबसे
ज़्यादा खुशी की बात तो ये है कि हमेशा ही, जब भी अकेले होते हैं, एक
दूसरे को छुते हैं, चुंबन करतें हैं, मैने पाया है कि चुदाई की गर्मी वही
पुरानी गर्मी जैसी है. मैं बहुत किस्मत वाली हूँ कि मुझे मेरे जैसा ही
चुदाई का साथी मिला है.
हमारा चुंबन ख़तम होने के बाद उन्होने मुझे किसी गुड़िया की तरह अपने
हाथों मे उठाया और मुझे बाथरूम मे ले आए. उस समय 6.30 हुए थे और हमारे
पास पार्टी मे जाने के पहले काफ़ी समय था. उन्होने फव्वारा चालू किया और
हम दोनो भीगने लगे. मैने अपना गीला गाउन उतार कर अपने सेक्सी बदन को
कपड़े से आज़ाद किया. गर्मी का मौसम और फव्वारे का ठंडा ठंडा पानी. लेकिन
वो ठंडा पानी भी हमारी चुदाई की गर्मी को कम नही कर रहा था, बल्कि और
बढ़ा रहा था. मैने उनकी चड्डी भी उतार दी और देखा की उनका खड़ा हुआ लंबा
लॉडा मुझे सलाम कर रहा था. मैने देखा की उनके लंड के आस पास कुछ बॉल उग
आए हैं. मेरी चूत तो बिल्कुल सॉफ, बिना बालों के, चिकनी थी क्यों की मैने
तो दो दिन पहले ही अपनी चूत के बॉल सॉफ किए थे. मैने उनके खड़े हुए,
सख़्त, लंबे और मोटे लंड लो अपने हाथ मे पकड़ा. उनके लंड के नीचे लटकी
गोलियों की थैली पर से होता हुआ पानी नीचे गिर रहा था.
मेरे पति को पता है कि मुझे चूत या लंड पर बाल पसंद नही है, खास कर के
मुख मैथून करते वक़्त. वो तुरंत समझ गये कि मेरी आँखों ने क्या देखा है.
उन्होने तुरंत नीचे के बाल सॉफ करने वाला सामान बाथरूम की छ्होटी आलमारी
से निकाला. मैं फव्वारे के नीचे बैठी उनको देख रही थी जबकि वो फव्वारे के
बरसते पानी से बाहर चले गये. उन्होने अपने खड़े लंड के आस पास, जहाँ जहाँ
बाल थे, और लंड के नीचे लटकी गोलियों की थैली पर भी थोड़ी शेविंग क्रीम
लगाई. हमेशा की तरह मैने उनको अपनी झाँटें सॉफ करने मे मदद की क्यों की
मुझे ये काम पसंद है. जब वो रेज़र से अपने बाल सॉफ कर रहे थे तो मैने
उनका लंड पकड़ रखा था और मैने उनके लंड के नीचे की गोलियों की थैली को भी
इधर उधर कर के वहाँ से बॉल सॉफ करने मे उनकी मदद की. जल्दी ही उनका सुंदर
लंड बिना बालों के, चिकना हो कर मेरी आँखों के सामने था. अब वो भी
फव्वारे के नीचे आ गये थे और उनके लॉड के आस पास लगी साबुन पानी मे बह गई
और उनका लंड चमक उठा. मैने बिना कोई समय बर्बाद किए तुरंत ही नीचे बैठे
बैठे उनका प्यारा सा, खड़ा हुआ, सख़्त, लंबा और मोटा लंड चूसने के लिए
अपने मूह मे ले लिया. वो खड़े थे और उनके हाथ मेरे सिर के बालों मे प्यार
से घूमने लगे जबकि मैं बाथरूम के फर्श पर बैठ कर उनके लंड को चूस रही थी.
आप को मेरे पति की मर्दानगी मालूम ही है की उनके लंड से पानी निकालने मे
काफ़ी वक़्त लगता है और ज़्यादातर उनकी एक चुदाई मे मेरी दो चुदाई हो
जाती है. उनकी ये मर्दानगी हम दोनो के लिए बड़े गर्व की बात है. अब मुझे
उनको अपने हाथ और मूह से ही इतना गरम करना था और इतना आगे ले जाना था की
चोद्ते वक़्त उनके लंड से मेरे खुद के झड़ने के साथ ही पानी निकले.
फव्वारे से बरसता पानी हम को और भी सेक्सी बना रहा था. उन के लंड का मूह
मेरे मूह मे था और निचला हिस्सा मेरे हाथ मे था. मेरी जीभ उनके लंड के
मूह, सूपदे पर घूम रही थी जो उनको पूरा मज़ा दे रही थी. वो हमेशा कहतें
हैं कि मैं बहुत अच्छा लंड चुस्ती और चाट ती हूँ. मैं खुद जानती हूँ की
मैं कितनी क़ाबलियत के साथ लंड चुस्ती हूँ. मैं उनका लंड अपनी हथेली मे
पकड़ कर आगे पीछे करते हुए उनके लंड का सूपड़ा चूस रही थी. उनका लंड
चूस्ते और मूठ मारते हुए मुझे ये अंदाज़ा हो गया था कि मैं उनको आधी दूर
ले आई हूँ और अब हम अपना पसदीदा चुदाई का खेल शुरू कर सकतें हैं. मेरी
चूत तो उनका लंड चूस्ते चूस्ते ही काफ़ी गीली हो चुकी थी और उनका लंड
लेने को तय्यार थी.
हम दोनो पानी बरसाते फव्वारे के नीचे आमने सामने खड़े थे. मेरी चुचियों
और मेरी निपल्स पर से होता हुआ फव्वारे का पानी बह रहा था. उन्होने मेरी
गीली चुचियों को, गीली निपल्स को बहुत ही प्यार से चूसा.
हम दोनो को ही हमेशा अलग अलग पोज़िशन मे चुदाई करना पसंद है. उन्होने
अपने हाथ मेरे पीछे करते हुए मुझे मेरी नंगी गंद पकड़ कर उठा लिया. मैं
जैसे उनकी हथेलियों पर अपनी गंद टीका कर बैठी थी. मैं चुदवाने के लिए
तय्यार थी और मेरी चूत भी उनके लंड का स्वागत करने को तय्यार थी. क्यों
कि मैं उनके दोनो हाथ पर अपनी गंद रख कर बैठी थी और वो खड़े थे, मैने
अपना हाथ नीचे करके, उनके इंतज़ार करते हुए गरम लॉड को पकड़ कर अपनी चूत
के दरवाजे पर लगाया और उन्होने मेरी गंद ज़रा दबाई तो उनका फंफनता हुआ
लंड मेरी चूत मे घुसने लगा. चुदाई की इस पोज़िशन मे मेरे लिए ज़्यादा कुछ
करने को नही था सिवाय चुदवाने के. वो मेरी गंद पकड़े हुए थे और मुझे उपर
नीचे, उपर नीचे कर रहे थे. मेरे हाथ उनकी गर्दन पर लिपटे हुए थे. हमेशा
की तरह उनका लंबा लंड मेरी चूत की गहराइयों मे मज़ा देने वाले स्थान को
खत खता रहा था. वो मेरी गंद पकड़ कर मुझे चोद रहे थे और मैं अपनी गंद
उनके हाथ मे रख कर मज़े से चुदवा रही थी. फव्वारे के बरसते पानी के नीचे
जो जवान नंगे जिस्म जल रहे थे और अपनी चुदाई की गर्मी को कम करने की
कोशिश कर रहे थे. बहते पानी मे भी चुदाई की फ़चा फॅक .. फ़चा फॅक........
फाका फक...... फाका फक हो रही थी. एक बार फिर मुझे लगा कि मैं उनसे कहीं
पहले ही झाड़ जाओंगी. मैं अपने पूरे अनुभव और क़ाबलियत के साथ इस तरह
चुदवा रही थी कि उनको भरपूर मज़ा मुझको चोदने मे आए. अब उनकी चोदने की
रफ़्तार बढ़ गई थी और उनका लंड तेज़ी से और जल्दी जल्दी मेरी गीली चूत मे
अंदर बाहर हो रहा था. हमारी आँखें चुदाई के आनंद के मारे बंद हुई जा रही
थी. चुदाई का पूरा दारोमदार उन पर था और वो मेरी नंगी गंद पकड़ कर धक्के
लगा रहे थे. मैं जोरदार चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी. उनके लॅंड के,
मेरी चूत मे हर धक्के के साथ मेरी चुचियाँ उच्छल रही थी. वो मुझे किसी
गुड़िया की तरह अपने हाथों मे उठाए बाथरूम मे बरसते पानी के नीचे चोद रहे
थे. मुझे उनके तेज होते धक्कों, उनके लंड के मेरी चूत मे आते जाते और
अधिक सख़्त होने से ये पता चल चुका था कि जल्दी ही उनका लंड मेरी चूत मे
अपना लंड रस बरसाने वाला है. मैं तो पहले से ही अपने झड़ने के काफ़ी करीब
थी. अचानक ही उनकी चुदाई की रफ़्तार तूफ़ानी हो गई और मैं उनके हाथों मे
किसी खिलोने की तरह हवा मे उच्छल रही थी. मेरी हवा मे उच्छलती चुचिया कई
बार मेरी खुद की ठुड्डी से टकराई. मैं तो बस पहुँचने ही वाली थी और मेरा
नंगा बदन झड़ने के लिए अकड़ने लगा. उनका लॉडा भी हर धक्के के साथ सख़्त,
और सख़्त होता जा रहा था.
मैं खुद को रोक नही सकी और करीब करीब चिल्लाई - ओह डियर........ मैं तो गई जानू.
वो बोले - रूको जूली........... मैं भी आया.
हम दोनो प्यार और चुदाई के मज़े और उत्तेजना मे बड़बड़ाने लगे.
" लव यू डियर........ ओह डार्लिंग........... जानू......... जान.....
आआहह .... ऊऊहह ...... हाआअन्न्ननणणन्."
अचानक, मैं झाड़ गई और मैने अपने आप को स्वर्ग मे महसूस किया. मेरे हाथ
उनकी गर्दन पर कस गये पर नीचे उनके लंड के तूफ़ानी धक्के मेरी चूत मे
लगातार जारी थे. मुझे पता था कि वो भी जल्दी ही झड़ने वाले हैं. मैं भी
उनको चुदाई की मंज़िल पर पहुँचने मे पूरा साथ दे रही थी. करीब 10 धक्कों
के बाद, उन्होने मेरी नंगी गंद को पकड़ कर अपने लंड पर भींच लिया और उनका
लंड मेरी चूत मे अपना लंड रस बरसाने लगा. उनका लंड किसी पंप की तरह अपना
पानी मेरी चूत की गहराइयों मे नाचता हुआ फेंक रहा था. उन के लंड का इस
तरह नाच नाच कर पानी निकालना मुझे बहुत पसंद है. हम दोनो इसी तरह झड़ने
का मज़ा ले रहे थे और किसी तरह उन्होने मेरी लटकती चुचि को अपने मूह मे
भर लिया और चूसने लगे. मेरे पति को ये अच्छी तरह पता है कि चुदाई मे
ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा कैसे लिया जाता है और कैसे दिया जाता है. अपने
लंड के पानी की मेरी चूत के अंदर अंतिम बौच्हर करके उन्होने मुझे नीचे
उतारा. उनका लंड मेरी चूत से बाहर आ चुका था. मैने देखा की उनका लंड पूरी
तरह गीला था, उनके खुद के लंड से निकले रस से और मेरी चूत के रस से.
फव्वारे से बरसता पानी उनके लंड को सॉफ करने लगा और मेरी चूत से उनका
छ्चोड़ा गया पानी भी मेरे चूत रस के साथ बाहर आने लगा था.
बाथरूम मे, फिर एक बार हमारे बीच एक शानदार चुदाई संपन्न हुई, इस बार तो
मैं चुदाई के समय उनके हाथों मे लटकी हुई थी.
उन्होने मेरी चूत पर शॅमपू लगा कर सॉफ किया और मैने उनके लंड को साबुन
लगा कर सॉफ किया.
अपना अपना नंगा बदन पूंछ कर हम दोनो ही नंगे बाथरूम से बेडरूम मे पार्टी
मे जाने के लिए तय्यार होने को आए.
मेरे पति बोले - डार्लिंग ! एक कप चाइ मिलेगी ?
मैने उत्तर दिया - क्यों नही डियर ! मैं ज़रा गाउन पहन लूँ.
वो बोले - नही जानू. तुम जानती हो कि कपड़े तुम्हारे जिस्म पर अच्छे नहीं
लगते जब हम दोनो घर मे अकेले होते है.
मैं बस इतना ही कह सकी - शरारती कहीं के.
और हम दोनो ही हंस पड़े. मैं चाइ बनाने के लिए किचन मे जाने को घूमी. मैं
पूरी तरह नंगी थी और मेरे पति भी पूरे नंगे थे. हम दोनो को ही एक दूसरे
का नंगा बदन बहुत पसंद है. अब उनका लॉडा शांत था और आराम से जैसे उनकी
गोलियों की थैली पर बैठा हुआ था. मैं रसोई मे नंगी खड़ी हो कर चाइ बना
रही थी और वो बाहर के कमरे मे सोफा पर नंगे बैठ कर टी.वी. देखने लगे.
बाहर का कमरा कुछ इस पोज़िशन मे था की अगर रसोई का दरवाजा खुला हो तो एक
कोने से रसोई मे बाहर के कमरे से देखा जा सकता है. मैने रसोई मे खड़े
खड़े उनको बाहर के कमरे मे बैठा हुआ देखा जबकि चाइ उबल रही थी. मुझे फिर
एक बार अपने चुड़क्कड़ पति और मेरी पसंद पर गर्व महसूस हुआ. एक बहुत ही
अच्छे इंसान, हमेशा दूसरों का ध्यान रखने वाले, सुंदर, गोरे रंग के, लंबे
कद के और मजबूत कसरती बदन के मालिक, और सब से उपर ये की चुदाई के मामले
मे एक बहुत ही मज़बूत मर्द, ऐसे है मेरे पति. उनके पास एक शानदार, लंबा
और मोटा लॉडा है जिसकी मैं दीवानी हूँ. मैं अपने आप को दुनिया की सबसे
खुसकिस्मत औरत मानती हूँ जिसके पास दुनिया का सबसे अच्छा पति है.
चाइ ले कर मैं बाहरी कमरे मे आई और चाइ की ट्रे को टेबल पर रखा. उन्होने
मुझे मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मुझे अपनी नंगी गोद मे बिठा
लिया. उन्होने मुझे मेरे होठों पर चूमा और उनके हाथ मेरी नंगी पीठ सहलाने
लगे. उनके गरमा गरम चुंबन से मैं फिर से गरम होने लगी. मैने अपनी नंगी
गंद के नीचे, उनके पैरों के बीच कुछ हलचल महसूस की. मैं झट से खड़ी हो गई
और देखा की उनका लंड फिर से खड़ा होने लग गया है. ऐसा लग रहा था जैसे
लंबे गुब्बारे मे हवा भर रही हो.
मैने मुस्कराते हुए कहा - हम को पार्टी मे जाने के लिए तय्यार होना है. ठीक?
वो बोले - हां. तुम ठीक कहती हो, पर पार्टी हमारा थोड़ा इंतज़ार कर सकती
है. एक छ्होटी सी, फटाफट चुदाई के बारे मे क्या ख़याल है?
मैने उत्तर दिया - मैं तय्यार हूँ. पर हम को पार्टी मे जाने मे देर हो जाएगी.
उन्होने एक लंबी साँस ली और बोले - ठीक है मेरी रानी. ये तो हमारा खेल है
और हम इसको चाहें जब, चाहे जहाँ खेल सकतें हैं. कोई बात नही, पार्टी के
बाद सही.
क्रमशः.........................
chudaai Ka Dusara Roop--1
Main apne pati ke paas delhi aa gai thi Goa me 15 din rahne ke baad.
Goa me rahte huye maine Anju ke sath lesbian sex ka khel khela tha.
Mere bahut se chahne walon ne apni mail me likha hai ki chudai me
asantusht aurat ko chod kar santusht karna ek samaj seva hai. Main to
hamesha hi chudai aur chudai ko pyar karne walon ko pyar karti hun.
Main aur mere pati abhi abhi South Africa me football ka world cup
dekh kar lauten hain. Hamara South Africa ka daura aur match ke
tickets mere pati ko unki office ki taraf se hamari shadi ka tohfa
tha.
Apne South Africa me hone ke dauraan main apne chahne walon ko ye
nahin bata paayi ki wahan jaane se pahle kya kya hua tha. Ab maine
socha hai ki aap ko silsilewaar sab bataun.
To....... baat wahan se shuru karti hun jahan par ham meri pichhli
kahani me the.
Main 10 din Goa me bitane ke baad apne pati ke paas wapas Delhi aa gai
thi. Goa me mera jyadatar samay mere sasuraal me hi beeta tha. Wahan
mujhe Anju ke sath jyada chudai ka mauka nahin mila tha par us dauraan
hamne milkar aur do baar lesbian chudai ki thi jab hamko mauka mila
tha. Anju bahut khush thi, ye maine uske chehre par saaf saaf dekha.
Mujhe Anju ke baare me soch kar bahut dukh hota hai. Wo jawan hai,
bahut khoobsurat hai par uska pati usko chod kar santusht nahin kar
paata. Khair....... ye to kismat ki baat hai.
Goa se wapas aane ke baad, ek sham ko main mere pati ka intzaar kar
rahi thi kyon ki hamko unke ek dost ki shadi ki saalgirah ki party me
jaana tha. Main jaan boojh kar tayyar nahin hui thi kyon ki main
jaanti thi ki mere pati tayyar hone ke liye, shayad mere sath hi sham
ka snaan karna pasand karenge. Jyadatar ham sath sath hi nahate hain.
Main sirf ek gown pahne huye thi jiske andar maine kuch bhi nahi pahna
tha. Main jaanti hun ki mere pati mujhe aise dekhna pasand karten hai.
main batana chahti hun ki ham dono hi ghar me chahe jaise rah sakte
hain kyon ki yahan hamare sath koi teesra nahin rahta hai, Sirf main
aur mere pati. Khidkiyon par parde aur gahre rang ke sheeshe hone ki
wajah se ham ghar me jaise chahe rah sakten hain, jo chahe kar sakten
hai. Bahar se kisi ka bhi hamko dekh paana sambhav nahin hai. Ham ek 9
manzil ki imaarat ki teesri manzil par rahten hain.
Mere pati apne paas ki chabi se darwaja khol kar ghar me aaye to mujhe
turant hi pata chal gaya kyon ki main bahri kamre me hi baith kar T.V.
dekh rahi thi. Unki tej aankhon ne turant hi bhaamp liya ki main unke
sath nahane ko tayyar hun. Wo muskraaye to jawab me main bhi muskaraa
padi. Wo mere najdeek aaye aur mujhe apni baahon me bhar liya, jo ki
wo hamesha hi ghar aate hi karten hain. Maine bhi unko baahon me bhara
aur hamne ek dusre ke rasile honth chuste huye chumban kiya.
Wo bole - Tayyar ho nahane ke liye ?
Maine kaha - Haan jaan. Main tayyar hun.
Unhone jawab diya - Thik hai. Ek glass paani milega peene ke liye ?
Main rasoi se unke liye paani ka glass le kar aayi to maine dekha ki
unhone apne saare kapde utaar diye hain aur sirf chaddi pahne sofa par
baithe hain. Jab maine unko paani ka glass diya to unhone apne ek hath
se paani ka glass pakda aur dusre hath se mera hath pakad kar mujhe
apni god me bitha liya. Unhone paani piya aur phir se mere hothon ko
chuma. Main unke chumban ka anand leti hui unke baalon me hath phira
rahi thi. Pyar aur chudai ki aag hamare beech bhadkni shuru ho chuki
thi.
Yahan main aap ko phir se batadun ki main pichhle 15 saalon se chudwa
rahi hun jab main sirf 14 saal ki thi tab se. Ab meri shadi ko 7
mahine ho chuke hain. Shadi ke pahle main saptaah me 4 ya 5 baar
chudwati thi aur ab shadi hone ke baad chudwane ki ginti badh kar din
me kam se kam do baar ho gai hai. Sabse jyada khushi ki baat to ye hai
ki hamesha hi, jab bhi akele hoten hain, ek dusre ko chhute hain,
chumban karten hain, maine paaya hai ki chudai ki garmi wahi purani
garmi jaisi hai. Main bahut kismat wali hun ki mujhe mere jaisa hi
chudai ka sathi mila hai.
Hamara chumban khatam hone ke baad unhone mujhe kisi gudia ki tarah
apne hathon me uthaya aur mujhe bathroom me le aaye. Us samay 6.30
huye the aur hamare paas party me jaane ke pahle kafi samay tha.
Unhone fawwara chalu kiya aur ham dono bheegne lage. Maine apna geela
gown utaar kar apne sexy badan ko kapde se aazaad kiya. Garmi ka
mausam aur fawware ka thanda thanda paani. Lekin wo thanda paani bhi
hamari chudai ki garmi ko kam nahi kar raha tha, balki aur badha raha
tha. Maine unki chaddi bhi utaar di aur dekha ki unka khada hua lamba
lauda mujhe salam kar raha tha. Maine dekha ki unke lund ke aas paas
kuch baal ug aaye hain. Meri chut to bilkul saaf, bina baalone ke,
chikni thi kyon ki maine to do din pahle hi apni chut ke baal saaf
kiye the. Maine unke khade huye, sakht, lambe aur mote lund lo apne
hath me pakda. Unke lund ke neeche latki goliyon ki thaili par se hota
hua paani neeche gir raha tha.
Mere pati ko pata hai ki mujhe chut ya lund par baal pasand naji hai,
khas kar ke mukh maithoon karte waqt. Wo turant samajh gaye ki meri
aankhon ne kya dekha hai. Unhone turant neeche ke baal saaf karne wala
saamaan bathroom ki chhoti aalmari se nikaala. Main fawware ke neeche
baithi unko dekh rahi thi jabki wo fawware ke baraste paani se bahar
chale gaye. Unhone apne khade lund ke aas paas, jahan jahan baal the,
aur lund ke neeche latki goliyon ki thaili par bhi thodi shaving cream
lagai. Hamesh ki tarah maine unko apni jhaanten saaf karne me madad ki
kyon ki mujhe ye kaam pasand hai. Jab wo razor se apne baal saaf kar
rahe the to maine unka lund pakad rakha tha aur maine unke lund ke
neeche ki goliyon ki thaili ko bhi idhar udhar kar ke wahan se baal
saaf karne me unki madad ki. Jaldi hi unka sundar lund bina baalon ke,
chikna ho kar meri aankhon ke saamne tha. Ab wo bhi fawware ke neeche
aa gaye the aur unke laude ke aas paas lagi sabun paani me bah gai aur
unka lund chamak utha. Maine bina koi samay barbaad kiye turant hi
neeche baithe baithe unka pyara sa, khada hua, sakht, lamba aur mota
lund chusne ke liye apne muh me le liya. Wo khade the aur unke hath
mere sir ke baalon me pyar se ghumne lage jabki main bathroom ke farsh
par baith kar unke lund ko chus rahi thi. Aap ko mere pati ki
mardaangi maalum hi hai ki unke lund se paani nikalne me kafi waqt
lagta hai aur jyadatar unki ek chudai me meri do chudai ho jaati hai.
Unki ye mardaangi ham dono ke liye bade garv ki baat hai. Ab mujhe
unko apne hath aur muh se hi itna garam karna tha aur itna aage le
jaana tha ki chodte waqt unke lund se mere khud ke jhadne ke sath hi
paani nikle. Fawware se barasta paani ham ko aur bhi sexy bana raha
tha. Un ke lund ka muh mere muh me tha aur nichla hissa mere hath me
tha. Meri jeebh unke lund ke muh, supade par ghum rahi thi jo unko
poora maza de rahi thi. Wo hamesha kahten hain ki main bahut achha
lund chusti aur chaat ti hun. Main khud jaanti hun ki main kitni
kaabliyat ke sath lund chusti hun. Main unka lund apni hatheli me
pakad kar aage peeche karte huye unke lund ka supada chus rahi thi.
Unka lund chuste aur muth maarte huye mujhe ye andaaza ho gaya tha ki
main unko aadhi door le aayi hun aur ab ham apna pasadeeda chudai ka
khel shuru kar sakten hain. Mere chut to unka lund chuste chuste hi
kafi geeli ho chuki thi aur unka lund lene ko tayyar thi.
Ham dono paani barsaate fawware ke neeche aamne saamne khade the. Meri
chuchiyon aur meri nipples par se hota hua fawware ka paani bah raha
tha. Unhone meri geeli chuchiyon ko, geeli nipples ko bahut hi pyar se
chusa.
Ham dono ko hi hamesha alag alag position me chudai karna pasand hai.
Unhone apne hath mere peeche karte huye mujhe meri nangi gand pakad
kar utha liya. Main jaise unki hatheliyon par apni gand tika kar
baithi thi. Main chudwane ke liye tayyar thi aur meri chut bhi unke
lund ka swagat karne ko tayyar thi. Kyon ki main unke dono hath par
apni gand rakh kar baithi thi aur wo khade the, maine apna hath neeche
karke, unke intzaar karte huye garam laude ko pakad kar apni chut ke
darwaje par lagaya aur unhone meri gand jara dabai to unka fanfanata
hua lund meri chut me ghusne laga. Chudai ki is position me mere liye
jyada kuch karne ko nahi tha siway chudwane ke. Wo meri gand pakde
huye the aur mujhe upar neeche, upar neeche kar rahe the. Mere hath
unki gardan par lipte huye the. Hamesha ki tarah unka lamba lund meri
chut ki gaharaaiyon me maza dene wale sthaan ko khat khata raha tha.
Wo meri gand pakad kar mujhe chod rahe the aur main apni gand unke
hath me rakh kar maze se chudwa rahi thi. Fawware ke baraste paani ke
neeche jo jawan nange jism jal rahe the aur apni chudai ki garmi ko
kam karne ki koshish kar rahe the. Bahte paani me bhi chudai ki facha
fach .. facha fach........ faka fak...... faka fak ho rahi thi. Ek
baar phir mujhe laga ki main unse kahin pahle hi jhad jaaongi. Main
apne poore anubhav aur kaabliyat ke sath is tarah chudwa rahi thi ki
unko bharpoor maza mujhko chodne me aaye. Ab unki chodne ki raftaar
badh gai thi aur unka lund teji se aur jaldi jaldi meri geeli chut me
andar bahar ho raha tha. Hamari aankhen chudai ke anand ke maare band
hui jaa rahi thi. Chudai ka poora daaromdaar un par tha aur wo meri
nangi gand pakad kar dhakke laga rahe the. Main jordaar chudai ka
poora maza le rahi thi. Unke land ke, meri chut me har dhakke ke sath
meri chuchiyan uchhal rahi thi. Wo mujhe kisi gudiya ki tarah apne
haathon me utaye bathroom me baraste paani ke neeche chod rahe the.
Mujhe unke tej hote dhakkon, unke lund ke meri chut me aate jaate aur
adhik sakht hone se ye pata chal chuka tha ki jaldi hi unka lund meri
chut me apna lund ras barsaane wala hai. Main to pahle se hi apne
jhadne ke kafi kareeb thi. Achanak hi unki chudai ki raftaar toofani
ho gai aur main unke haathon me kisi khilone ki tarah hawa me uchhal
rahi thi. Meri hawa me uchhalti chuchiya kai baar meri khud ki thuddi
se takraai. Main to bas pahunchne hi wali thi aur mera nanga baban
jhadne ke liye akadne laga. Unka lauda bhi har dhakke ke sath sakht,
aur sakht hota jaa raha tha.
Main khud ko rok nahi saki aur kareeb kareeb chillai - Oh dear........
Main to gai jaanu.
Wo bole - Ruko Julee........... main bhi aaya.
Ham dono pyar aur chudai ke maze aur uttejna me badbadane lage.
" Love you dear........ Oh darling........... jaanu......... jaan.....
Aaaahhhhh .... Oooohhhhhhh ...... Haaaaannnnnnn."
Achanak, main jhad gai aur maine apne aap ko swarg me mahsoos kiya.
Mere hath unki gardan par kas gaye par neeche unke lund ke toofani
dhakke meri chut me lagataar jaari the. Mujhe pata tha ki wo bhi jaldi
hi jhadne wale hain. Main bhi unko chudai ki manzil par pahunchane me
poora sath de rahi thi. Kareeb 10 dhakkon ke baad, unhone meri nangi
gand ko pakad kar apne lund par bheench liya aur unka lund meri chut
me apna lund ras barsaane laga. Unka lund kisi pump ki tarah apna
paani meri chut ki gahraaiyon me naachta hua phenk raha tha. Un ke
lund ka is tarah naach naach kar paani nikaalna mujhe bahut pasand
hai. Ham dono isi tarah jhadne ka maza le rahe the aur kisi tarah
unhone meri latakti chuchi ko apne muh me bhar liya aur chusne lage.
Mere pati ko ye achhi tarah pata hai ki chudai me jyada se jyada maza
kaise liya jaata hai aur kaise diya jaata hai. Apne lund ke paani ki
meri chut ke andar antim bauchhar karke unhone mujhe neeche utaara.
Unka lund meri chut se bahar aa chuka tha. Maine dekha ki unka lund
poori tarah geela tha, unke khud ke lund se nikle ras se aur meri chut
ke ras se. Fawware se barasta paani unke lund ko saaf karne laga aur
meri chut se unka chhoda gaya paani bhi mere chut ras ke sath bahar
aane laga tha.
Bathroom me, phir ek baar hamare beech ek shandaar chudai sampann hui,
is baar to main chudai ke samay unke haathon me latki hui thi.
Unhone meri chut par shampoo laga kar saaf kiya aur maine unke lund
ko sabun laga kar saaf kiya.
Apna apna nanga badan poonch kar ham dono hi nange bathroom se bedroom
me party me jaane ke liye tayyar hone ko aaye.
Mere pati bole - Darling ! Ek cup chai milegi ?
Maine uttar diya - Kyon nahi dear ! Main jara gown pahan lun.
Wo bole - Nahi jaanu. Tum jaanti ho ki kapde tumhare jism par achhe
nahin lagte jab ham dono ghar me akele hoten hai.
Main bas itna hi kah saki - Sharaarti kahin ke.
Aur ham dono hi hans pade. Main chai banane ke liye kitchen me jaane
ko ghumi. Main poori tarah nangi thi aur mere pati bhi poore nange
the. Ham dono ko hi ek dusre ka nanga badan bahut pasand hai. Ab unka
lauda shant tha aur aaraam se jaise unki goliyon ki thaili par baitha
hua tha. Main rasoi me nangi khadi ho kar chai bana rahi thi aur wo
bahar ke kamre me sofa par nange baith kar T.V. dekhne lage. Bahar ka
kamra kuch is position me tha ki agar rasoi ka darwaja khula ho to ek
kone se rasoi me bahar ke kamre se dekha jaa sakta hai. Maine rasoi me
khade khade unko bahar ke kamre me baitha hua dekha jabki chai ubal
rahi thi. Mujhe phir ek baar apne chudakkad pati aur meri pasand par
garv mahsoos hua. Ek bahut hi achhe insaan, hamesha dusron ka dhayan
rakhne wale, sundar, gore rang ke, lambe kad ke aur majboot kasarti
badan ke maalik, aur sab se upar ye ki chudai ke maamle me ek bahut hi
mazboot mard, aise hai mere pati. Unke paas ek shandaar, lamba aur
mota lauda hai jiski main deewani hun. Main apne aap ko duniya ki
sabse khuskismat aurat maanti hun jiske paas duniya ka sabse achha
pati hai.
Chai le kar main bahri kamre me aayi aur chai ki tray ko table par
rakha. Unhone mujhe mera hath pakad kar apni taraf kheencha aur mujhe
apni nangi god me bitha liya. Unhone mujhe mere hothon par chuma aur
unke hath meri nangi peeth sahlaane lage. Unke garma garam chumban se
main phir se garam hone lagi. Maine apni nangi gand ke neeche, unke
pairon ke beech kuch halchal mahsoos ki. Main jhat se khadi ho gai aur
dekha ki unka lund phir se khada hone lag gaya hai. Aisa lag raha tha
jaise lambe gubbare me hawa bhar rahi ho.
Maine muskaraate huye kaha - Ham ko party me jaane ke liye tayyar hona
hai. Thik?
Wo bole - Haan. Tum thik kahti ho, par party hamara thoda intzaar kar
sakti hai. Ek chhoti si, fatafat chudai ke baare me kya khayal hai?
Maine uttar diya - Main tayyar hun. Par ham ko party me jaane me der ho jaayegi.
Unhone ek lambi saans li aur bole - Thik hai meri rani. Ye to hamara
khel hai aur ham isko chahen jab, chahe jahan khel sakten hain. Koi
baat nahi, party ke baad sahi.
kramashah.........................
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