हिंदी सेक्सी कहानियाँ
गांड मेरी, लंड तेरा [पार्ट १]
दोस्तों, मेरा नाम सोमेश है और मैने कुची समय पहले १८ साल का हुआ हु |
मुझे बचपन से ही, लडकियों के कपड़े पहनने का शौक था और नाखुनो पर
नेलपोलिश और होठो सुर्ख लाल लिपिस्टिक लगाने मे बड़ा मज़ा आता था | जब भी
मुझे मौका मिलता था, तो मै मम्मी की अलमारी मे से उनकी चुनरी निकल लेता
था और मेकप करके शीशे के सामने खड़ा होकर खुद को निहारा करता था | जब मै
छोटा था, तब तक तो सब ठीक था और मेरे मम्मी-पापा और दुसरे घर वाले मेरी
इस हरकत पर बहुत ही खुश होते थे | लेकिन, जैसे-जैसे मै बड़ा होने लगा और
ऐसा कुछ करता था, तो मुझे बड़ी डांट पड़ती थी | मुझे जब आदमी, औरत, लंड,
चूत, गांड के बारे मे पता लगा, तो मुझे लगने लगा की मै लड़के के शरीर मे
कैद एक लड़की हु और उसने मेरे १८ साल का होते-होते पुरे रंग दिखाने भी
शुरू कर दिए | मेरी चाल लडकियो वाली हो चुकी थी और मेरी गांड गोल और कमर
पतली और कर्व मे आ गयी थी और मेरे नाक-नक्श भी लडकियों की तरह होने लगे
थे |
मेरे शरीर के ये सब हाल-ढाल देखकर गली-मोहहले के लडको ने मेरी लिए सीटिया
बजानी शुरू कर दी और मेरी निकलते ही मुझे छेड़ भी देते | मुझे ये सब
अच्छा लगता था और कभी-कभी मै उनके साथ मस्ती कर लेता था | ये सब देखकर
मुझे मेरे मम्मी-पापा ने मुझे मेरी मौसी के पास भेज दिया | वो तलाकशुदा
थी और अकेले रहती थी और डाक्टर थी | नयी जगह पर मुझे रमने मे कुछ समय तो
लगा, लेकिन बड़े कॉलेज और बड़ी जगह मे मुझे मेरी तरह के लोगो को चाहने
वाले लोग मिलने लगे | एक दिन, मै और मौसी खाना खाने बाहर गये थे और मौसी
मुझे लडको वाली हरकत सिखा रही थी और मेरी नज़रे मेरी मौसी के पीछेवाली
टेबल पर बैठे हुए एक मस्त ताकतवर लड़के से मिल रही थी |
उसके शरीर का कसाव मुझे पहले ही नज़र मे पसंद आ गया था और वो भी मेरी
शरीर, मेरी गांड और मेरी टाँगे अपनी तीखी नज़र से छलनी कर रहा था | हम
दोनों कुछ बात करने का कोई मौका धुंद रहे थे, लेकिन कुछ नहीं हो पा रहा
था |
अचानक से मौसी का फ़ोन आ गया और वो बात करने के लिए होटल से बाहर चली गयी
| हम दोनों की नज़रे मिली हुई थी और मेरी मुस्कान से उसको मेरी हाँ मिल
चुकी थी | उसने अपने हाथ का इशारा करके मुझसे मेरा फ़ोन नंबर माँगा,
लेकिन मैने डर के मारे, अपनी गर्दन हिलाके मन कर दिया | फिर, उसने अपना
नंबर एक टिशुपेपर पर लिखा और मेरे पास फेंक दिया और मुझे रात मे कॉल करने
के लिए बोला | मैने जल्दी से पेपर लेकर अपनी जेब मे रख लिया, तब तक मौसी
भी आ चुकी थी | उनको तुरंत कहीं जाना था, तो हम बिल देकर चले गये | मौसी
ने मुझे घर छोड़ दिया और अगले दिन सुबह आने के लिए बोलकर चली गयी, उस दिन
उनको हस्पताल मे रात की शिफ्ट करनी थी | रात गहराने लगी थी, मै अपने
अन्तरंग कपड़ो मे लेता हुआ, अपनी गांड हिलाता, हुआपेपर हो घुर रहा था,
लेकिन फ़ोन करने की हिम्मत नहीं हो रही थी | थोड़ी सी हिम्मत करके, मैने
उस नंबर पर हेल्लो का समस भेजा, उधर से एकदम जवाब आया, मेरा नाम अमित है
और मै तुम्हारे ही फ़ोन था इंतज़ार कर रहा था, क्या मै तुम्हे कॉल कर
सकता हु | मेरे दिल की धड़कने बदने लगी थी, मैने बड़ी ही देर मे हाँ
लिखकर भेजा, मै उसके फ़ोन का इंतज़ार कर रहा था, लेकिन उसका कोई फ़ोन
नहीं आया |
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