Saturday, March 23, 2013

चुदाई का दूसरा रूप--2

सेक्सी कहानियाँ
चुदाई का दूसरा रूप--2

गतान्क से आगे.....................
हम दोनो ने चाइ का अपना अपना कप उठाया और हम दोनो नंगे एक दूसरे के सामने
बैठ कर चाइ की चुस्कियाँ लेने लगे. मेरी आँखें चाइ पीते वक़्त भी उनके
बढ़ते हुए, लंबे होते हुए, मोटे होते हुए और खड़े होते हुए लॉड पर जी जमी
रही. हमने अपनी अपनी चाइ ख़तम की और बेडरूम मे तय्यार होने को आ गये.

उन्होने क्रीम रंग की सफ़ारी पहनी और मैने नीले रंग की सारी पहनी. वो
बहुत ही सुंदर लग रहे थे और मैने भी अपने आप को शीशे मे देखा.

मुझे देखकर वो बोले - तुम बहुत सुंदर दिख रही हो जूली जान. दिल तो करता
है कि पार्टी मे जाकर क्या करना है ? क्यों ना हम अपनी निज़ी पार्टी
मनाएँ, बिना कपड़ों के ?

मैं बोली - तुम फिर से शरारत कर रहे हो.

उत्तर मे वो हँसे और हम तय्यार हो कर पार्टी के लिए रवाना हो गये.

ये एक छ्होटी सी पार्टी थी जहाँ ज़्यादा लोग आमंत्रित नही थे. मुझे ये
लिखते हुए बहुत अच्छा लग रहा है कि उस पार्टी मे मैं सब की नज़रों का
केन्द्र थी. मैने उन औरतों की आँखों मे अपने लिए जलन देखी जिनके पति
लगातार मुझे घूरे जा रहे थे. सच कहूँ तो उन औरतों की जलन देख कर मैं खुश
हो रही थी. ये बहुत मज़ेदार पार्टी थी जो देर रात तक चली और जब हम घर
पहुँचे तो रात के 1.30 बजे थे.

हम दोनो ही बहुत थकान महसूस कर रहे थे इसलिए बिना चुदाई किए, कपड़े उतार
कर, नंगे होकर, एक दूसरे को बाहों मे ले कर हम जल्दी ही सो गये.

अगली सुबह, मेरे पति ने मेरी एक फटाफट चुदाई की और ऑफीस चले गये. मैं
कंप्यूटर पर मेरी मैल देख रही थी तो अमेरिका से किसी आदमी की चॅट
रिक्वेस्ट देखी. ज़्यादातर मैं अंजान आदमी की ऐसी रिक्वेस्ट पर ज़्यादा
ध्यान नही देती. पर पता नही क्यों, मैने वो रिक्वेस्ट आक्सेप्ट करली. फिर
मैने अपनी मैल चेक करनी और उनका जवाब देना शुरू किया.

शाम को मेरे पति ने मुझे फोन करके कहा कि उनको आज ऑफीस मे काम ज़्यादा
होने की वजह से आने मे देरी होगी. मेरे पास करने को कुछ खास नही था तो
समय बिताने के लिए मैने कंप्यूटर चालू किया. जैसे ही मैने कंप्यूटर मे
अपनी मैल खोली, अमेरिका का वही व्यक्ति, जिसकी चॅट रिक्वेस्ट मैने सुबह
स्वीकार की थी, वो लाइन पर था. मुझे भी समय बिताना था इसलिए मैं उस से
चतिंग करने लगी.

वो - हेलो जुली.

मैं - हेलो डियर. क्या तुम मुझे जानते हो?

वो - हां. मैं तुम्हे तुम्हारी चुदाई की दास्तान लिखने की वजह से जानता हूँ.

मैं - ओह. मेरे बारे मे तो तुम मेरी कहानी पढ़कर सब जानते ही हो, अपने
बारे मे बताओ.

वो - मेरा नाम राज है मैं ३८ साल का शादी शुदा मर्द हूँ
मैं - बधाई हो.

वो - धन्यवाद जूली. क्या तुम मुझ से सेक्सी चॅट करना पसंद करोगी?

मैं - क्यों नही. इसमे कोई खराबी नही.

वो - क्या तुम्हारे कंप्यूटर मे कॅमरा है?

मैं - नही...... मेरे कंप्यूटर मे कॅमरा नही है. हम बिना एक दूसरे को
देखे भी तो चॅट कर सकते है.

वो - क्यों नही. पर अगर मैं तुम्हारे सामने आऊ तो ? मैं तो तुम्हे नही
देख पाउन्गा पर तुम मुझे देख सकती हो.

मैं - ओके. अगर तुम कमेरे पर आना चाहो तो मुझे कोई ऐतराज़ नही है.

वो - ठीक है, मैं तुम्हे निमंत्रण भेज रहा हूँ, केवल आक्सेप्ट करो, फिर
तुम मुझे देख सकती हो.

मैं - ओके. ठीक है.

उसने मुझे वेब कॅम का इन्विटेशन भेजा जिसे मैने आक्सेप्ट कर लिया तो मैं
उसे सीधा देख पा रही थी. मैने देखा कि एक सुंदर सा लड़का कुर्सी पर बैठा
है. हमने करीब आधा घंटे बात की. वो अब मुझे भाभी कह कर बुला रहा था,
क्यों की मैं उस से बड़ी और शादीशुदा थी. वो बहुत अच्छा लड़का था जिस से
मेरी तुरंत दोस्ती हो गई.

बात करते करते, अचानक उसने पूछा कि क्या मैं उसका लंड देखना चाहती हूँ.
मुझे बहुत आस्चर्य हुआ और कुछ देर तक तो मैं कोई जवाब नही दे सकी. ये
मेरे साथ पहली बार था जब किसी मर्द ने अपना लंड मुझे दिखाने की पेशकश की
थी. मैने कुछ देर तो सोचा और उसको हां कह दी, क्यों कि मैं भी इस खेल के
लिए बहुत रोमांचित थी.

उसने तुरंत ही अपने कपड़े उतार दिए और कमेरे पर मेरे सामने नंगा हो गया .
उस का लॉडा पूरी तरह खड़ा था और उसके लंड के आस पास थोड़ी झाँटें भी थी.
मैने देखा की उसका लंड बड़ा और तनुरुस्त था जो किसी भी लड़की या औरत को
संतुष्ट करने की क़ाबलियत रखता लग रहा था. ये मेरे लिए पहली बार था जब
मैं किसी का चुदाई का औज़ार, लॉडा कमेरे पर सीधा देख रही थी. मैं सॉफ सॉफ
देख पा रही थी कि उसने खुद ही अपने लंड से खेलना शुरू कर दिया था. जल्दी
ही उसने अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए खुद ही मुठया मारना चालू
कर्दिया. वो अपनी मूठ मारने की रफ़्तार बढ़ाता गया तो मेरी चड्डी भी अपनी
चूत से निकलते रस से गीली हो गई. अपने लंड को अपने हाथ मे पकड़ कर वो
ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था. मुझे उसका लंड , मूठ मारता उसका हाथ और
उसके लंड का सूपड़ा मेरे कंप्यूटर पर सॉफ सॉफ दिख रहा था. अचानक मैने
देखा की उसके लंड से, तेज बौच्हार के साथ पानी निकलना शुरू हो गया . उसका
अपना लंड हिलाना चालू था और उसके लंड से सफेद पानी की धार रुक रुक कर
निकल रही थी. फिर उसने मूठ मारना बंद किया और अपनी टेबल पर फैले लंड रस
को सॉफ करने लगा. उसने मुझसे कहा कि उसकी तरफ से ये हमारी पहली मुलाकात
का, एक भाभी को एक देवेर की तरफ से तोहफा है. कुछ देर बाद हमने चाटिंग
बंद की.

मैं अपने गाउन के अंदर चोली और चड्डी ही पहने थी. मेरी चड्डी तो उसको मूठ
मारते देखकर पहले ही मेरे अपने चूत रस से भीग चुकी थी. मैने अपना गाउन
उठाकर अपने पैरों के बीच देखा. मैने अपनी चड्डी उतार दी और सॉफ सॉफ उसे
गीला पाया. मैने अपने परों को चौड़ा किया और कुर्सी के किनारे पर बैठी
ताकि मैं आराम से अपनी प्यारी सी, सॉफ सुथरी और सफाचत चूत मे अपनी उंगली
कर सकूँ. मैं अपनी बीच की उंगली अपनी गीली चूत पर ले गई और अपनी चूत के
दाने की छुआ. मैं उस लड़के को कमरे और कंप्यूटर पर, मेरे लिए मूठ मारने
का सीधा प्रसारण देख कर उत्तेजित हो चली थी. मैं अधिक देर रुक नही सकी और
मैने अपनी चूत मे उंगली घुमानी शुरू करदी. चूत पहले से ही काफ़ी गीली
होने की वजह से उसके बीच मे, दाने पर उंगली घुमाना बहुत ही आसान था. चूत
के दाने को अपनी उंगली से रगड़ते हुए मुझे चुदाई का मज़ा आने लगा. जैसे
जैसे चुदाई का मज़ा बढ़ता गया , वैसे वैसे मेरी उंगली की मेरी चूत मे
रफ़्तार बढ़ती गई. अब मैने अपनी एक उंगली मेरी गीली के अंदर भी घुसा ली
थी ताकि झड़ने का पूरा पूरा मज़ा आए. चुदाई की उत्तेजना के मारे, मज़े के
मारे मेरे मूह से आवाज़ें निकलनी शुरू हो गई और अपने बंद घर के अंदर, मैं
अकेली चुदाई के मज़े मे चिल्लाने को स्वतंत्र थी. मैने अपने मूह से
निकलने वाली आवाज़ों को रोकने की कोई कोशिश नही की और मैं मज़े के पर्वत
की चोटी पर थी. मेरी उंगली मेरी चूत के अंदर और चूत के दाने पर लगातार
घूमती हुई मुझे मेरी मंज़िल की तरफ ले जा रही थी.

अपनी चूत को तेज़ी से रगड़ती हुई, तेज़ी से चूत मे उंगली अंदर बाहर करती
हुई, चूत के दाने को मसल्ति मैं जहाँ पहुँचना चाहती थी वहाँ पहुँच चुकी
थी. मैने अपने पैर भींच लिए और मेरी उंगली अभी भी मेरी चूत मे थी. मेरी
आँखें आनंद से बंद हो गई. ये बहुत ही जोरदार हस्तमैतून था.

रात और दिन अपनी रफ़्तार से बीत रहे थे. मैं बहुत खुश हूँ की मेरे पति
हमेशा ही मुझे चुदाई का मज़ा देते है. हमारे बीच चुदाई होना जिंदगी का एक
ज़रूरी हिस्सा है. वो रोज़ मुझे चोद्ते है और मैं रोज़ उनसे चुदवाती हूँ,
कभी कभी तो दिन मे दो - तीन बार भी. मुझे कोई ऐसी रात या दिन याद नही है
जब मैने नही चुदवाया हो. हम दोनो ही चोद कर और चुदवा कर बहुत खुश है
क्यों कि हम जैसे चाहे, जब चाहे, जितनी चाहे चुदाई करतें हैं और चुदाई का
पूरा सम्मान करतें है.

एक दिन दोपहर को मेरे पिताजी का गोआ से फोन आया कि उनको मेरी सहयता की
ज़रूरत है. काफ़ी सारे आम विदेश भेजने थे और मेरे चाचा और पिता दोनो ही
मेरे बिना परेशान थे. उनको बिज़्नेस मे मेरी ज़रूरत थी. मेरे पापा इस
बारे मे मेरे ससुरजी से और मेरे पति से भी बात कर ली थी. मेरे पति ने
उनको भरोसा दिलाया था की वो मुझे पहले हवाई जहाज़ से गोआ भेज देंगे.

अगले ही दिन मैं गोआ , अपने मा बाप के घर आ गई. मेरे पति फिर से एक बार
देल्ही मे अकेले थे और मैं गोआ मे उनके बिना थी. हम दोनो ही उदास थे
क्यों कि एक प्यार करने वाला जोड़ा, जमकर चुदाई करने वाला जोड़ा जुदा
जुदा थे.

यहाँ, गोआ मे बहुत काम था और मैने अपनी पूरी क़ाबलियत के साथ मेरे पिताजी
की सहायता की और काम को काबू मे किया. काम इतना था कि दिन रात काम करना
पड़ रहा था. हमेशा की तरह, जब भी हम दूर होते है, मैं रात को अपने पति से
बात करती थी और हम दोनो ही अलग अलग बिस्तर पर सोए हुए, फोन पर चुदाई की
बातें करते हुए एक दूसरे को, अपने आप को संतुष्ट करते थे. हम दोनो के ही
पास खुद ही मूठ मारने के अलावा कोई चारा नही था. रोज़ रात को सोने से
पहले मैं अपनी चूत मे उंगली किया करती और मेरे पति वहाँ अपना लंड पकड़कर
मुठिया मारा करते.

एक दिन. शाम को, मैं अपने फार्म हाउस से वापस घर आ रही थी. अब काम काबू
मे आ चुका था और मैं वापस देल्ही , अपने पति के पास जाने का विचार कर रही
थी. रास्ते मे मेरी चाइ पीने की इच्छा हुई तो मैने अपनी कार एक होटेल की
तरफ मोडी. पार्किंग मे अपनी कार पार्क करने के बाद मैं होटेल के अंदर आई
और रेस्टोरेंट मे ऐसी जगह बैठी जहाँ से बाहर स्विम्मिंग पूल नज़र आ रहा
था. कुछ मर्द और कुछ औरतें वहाँ स्विम्मिंग कर रहे थे, कुछ अलग अलग
ड्रिंक पी रहे थे. मैं अपनी टेबल पर चाइ आने का इंतज़ार करती बाहर देखे
जा रही थी तो अचानक मैने एक जाने पहचाने चेहरे को, सेक्सी स्विम्मिंग
बिकिनी पहने देखा. वो सारा थी, मेरे साथ मेरे कॉलेज मे पढ़ती थी. मैं
जानती थी कि उसकी शादी मुंबई मे किसी बिज़्नेसमॅन से हुई थी.मैने सोचा की
वो अपने पति के साथ स्विम्मिंग का मज़ा लेने आई है, पर मैने उसके आस पास
किसी भी मर्द को नही देखा. मैं अपनी चाइ पीते पीते सारा को ही देख रही
थी. अब मुझे पक्का विश्वास हो गया कि वो वहाँ एकेली ही थी जो की एक
कुर्सी पर बैठी बियर पी रही थी. मैने अपनी चाइ ख़तम की और बिल चुकता करने
के बाद स्विम्मिंग पूल की तरफ आई.

मैं उसके सामने जा कर खड़ी हो गई और वो मुझे देखकर पहचाने की कोशिश कर
रही थी. अचानक ही, उसने मुझे पहचाना और करीब करीब चिल्लाई - जुलीईईईई !

जवाब मे मैने मुस्करा कर कहा - हां सारा. ये मैं ही हूँ. इतने दिनों के
बाद, तुम्हे यहाँ देखकर अच्छा लगा सारा, कैसी हो तुम और यहाँ क्या कर रही
हो?

वो बोली - मैं ठीक हूँ जूली, तुम कैसी हो?

मैं - मैं भी अच्छी हूँ. क्या चल रहा है?

सारा - कुछ नही. बस मज़ा ले रही हूँ.

मैं - अकेले ? तुम्हारे पति कहाँ है ?

सारा - वो बाहर गये है. रात को खाने के समय आ जाएँगे. हम इसी होटेल मे रुके हुए है.

मैं - ओके. लेकिन यहाँ तुम्हारा अपना घर है, फिर होटेल मे क्यों रुके हो?

सारा - हां. पर मेरे पति को मेरे पिताजी के घर मे रुकना पसंद नही है.

मैं - खैर कोई बात नही. वो बिज़्नेसमॅन है और वो होटेल का खर्चा करसकते है.

सारा - हां.

मैं - तो........ कैसे चल रही है तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी?

सारा तुरंत जवाब नही दे पाई. मैने उसके चेहरे पर एक दर्द देखा. मैने उसकी
आँखो मे भी पानी देखा.

सारा बोली - मेरी शादीशुदा जिंदगी अच्छी चल रही है. अपनी सूनाओ. तुम भी
तो गोआ मे हो, तुम्हारे पति कहाँ है?

मैं - हां यार. मैं यहाँ पिताजी की काम मे सहायता करने आई हूँ. जल्दी ही
मैं देल्ही अपने पति के पास जा रही हूँ, दो तीन दिन मे.

सारा - तुम को ज़रूर अपने पति की याद आती होगी.

मैं - हां सारा. याद तो बहुत आती है उनकी. वो मुझे और मैं उनको बहुत
प्यार करतें है.

सारा - किस्मत वाली हो जूली.

मैं - हां. लेकिन सारा! तुम खुश नही लग रही हो.

सारा - नहीं. मैं खुश हूँ.

मैने एक बार फिर उसकी आँखों मे पानी देखा.
क्रमशः.........................

chudaai Ka Dusara Roop--2

gataank se aage.............. .......
Ham dono ne chai ka apna apna cup uthaya aur ham dono nange ek dusre
ke saamne baith kar chai ki chuskiyan lene lage. Meri aankhen chai
peete waqt bhi unke badhte huye, lambe hote huye, mote hote huye aur
khade hote huye laude par ji jami rahi. Hamne apni apni chai khatam ki
aur bedroom me tayyar hone ko aa gaye.

Unhone cream rang ki safari pahni aur maine neele rang ki saari pahni.
Wo bahut hi sundar lag rahe the aur maine bhi apne aap ko sheeshe me
dekha.

Mujhe dekhkar wo bole - Tum bahut sundar dikh rahi ho Julee jaan. Dil
to karta hai ki party me jaakar kya karna hai ? Kyon na ham apni nizi
party manaayen, bina kapdon ke ?

Main boli - Tum phir se sharaarat kar rahe ho.

Uttar me wo hanse aur ham tayyar ho kar party ke liye rawana ho gaye.

Ye ek chhoti si party thi jahan jyada log aamantrit nahi the. Mujhe ye
likhte huye bahut achha lag raha hai ki us party me main sab ki nazron
ka kendra thi. Maine un auraton ki aankhon me apne liye jalan dekhi
jinke pati lagataar mujhe ghoore jaa rahe the. Sach kahun to un
auraton ki jalan dekh kar main khush ho rahi thi. Ye bahut mazedaar
party thi jo der raat tak chali aur jab ham ghar pahunche to raat ke
1.30 baje the.

Ham dono hi bahut thakaan mahsoos kar rahe the isliye bina chudai
kiye, kapde utaar kar, nange hokar, ek dusre ko baahon me le kar ham
jaldi hi so gaye.

Agli subah, mere pati ne meri ek fatafat chudai ki aur office chale
gaye. Main computer par meri mail dekh rahi thi to America se kisi
aadmi ki chat request dekhi. Jyadatar main anjaan aadmi ki aisi
request par jyada dhayan nahi deti. Par pata nahi kyon, maine wo
request accept karli. Phir maine apni mail chek karni aur unka jawab
dena shuru kiya.

Sham ko mere pati ne mujhe phone karke kaha ki unko aaj office me kaam
jyada hone ki wajah se aane me deri hogi. Mere paas karne ko kuch khas
nahi tha to samay bitane ke liye maine computer chalu kiya. Jaise hi
maine computer me apni mail kholi, America ka wahi vyakti, jiski chat
request maine subah sweekaar ki thi, wo line par tha. Mujhe bhi samay
bitana tha isliye main us se chating karne lagi.

Wo - Hello Julee.

Main - Hello dear. Kya tum mujhe jaante ho?

Wo - Haan. Main tumhe tumhari CHUDAI KI DASTAAN likhne ki wajah se jaanta hun.

Main - Oh. Mere baare me to tum meri kahani padhkar sab jaante hi ho,
apne baare me batao.

Wo - Mera naam .................. hai. Main 27 saal ka, shadishuda
ladka hun hun aur kuch din pahle hi ek bachhe ka baap bana hun.

Main - Badhaai ho.

Wo - Dhanyawaad Julee. Kya tum mujh se sexy chat karna pasand karogi?

Main - Kyon nahi. Isme koi kharabi nahi.

Wo - Kya tumhare computer me camera hai?

Main - Nahi...... Mere computer me camera nahi hai. Ham bina ek dusre
ko dekhe bhi to chat kar sakte hai.

Wo - Kyon nahi. Par agar main tumhare saamne aaon to ? Main to tumhe
nahi dekh paaonga par tum mujhe dekh sakti ho.

Main - OK. Agar tum camere par aana chaho to mujhe koi aitraaz nahi hai.

Wo - Thik hai, main tumhe nimantran bhej raha hun, kewal accept karo,
phir tum mujhe dekh sakti ho.

Main - OK. Thik hai.

Usne mujhe web cam ka invitation bheja jise maine accept kar liya to
main use seedha dekh paa rahi thi. Maine dekha ki ek sundar sa ladka
kursi par baitha hai. Hamne kareeb aadha ghante baat ki. Wo ab mujhe
BHABHI kah kar bula raha tha, kyon ki main us se badi aur shadishuda
thi. Wo bahut achha ladka tha jis se meri turant dosti ho gai.

Baat karte karte, achanak usne poocha ki kya main uska lund dekhna
chahti hun. Mujhe bahut aascharya hua aur kuch der tak to main koi
jawab nahi de saki. Ye mere sath pahli baar tha jab kisi mard ne apna
lund mujhe dikhane ki peshkash ki thi. Maine kuch der to socha aur
usko haan kahdi, kyon ki main bhi is khel ke liye bahut romanchit thi.

Usne turant hi apne kapde utaar diye aur camere par mere saamne nanga
ho gaya . Us ka lauda poori tarah khada tha aur uske lund ke aas paas
thodi jhaanten bhi thi. Maine dekha ki uska lund bada aur tanurust tha
jo kisi bhi ladki ya aurat ko santusht karne ki kaabliyat rakhta lag
raha tha. Ye mere liye pahli baar tha jab main kisi ka chudai ka
auzaar, lauda camere par seedha dekh rahi thi. Main saaf saaf dekh paa
rahi thi ki usne khud hi apne lund se khelna shuru kar diya tha. Jaldi
hi usne apne lund ko pakad kar hilate huye khud hi muthya maarna chalu
kardiya. Wo apni muth maarne ki raftaar badhata gaya to meri chaddi
bhi apni chut se nikalte ras se geeli ho gai. Apne lund ko apne haath
me pakad kar wo jor jor se muth maar raha tha. Mujhe uska lund , muth
maarta uska hath aur uske lund ka supada mere computer par saaf saaf
dikh raha tha. Achanak maine dekha ki uske lund se, tej bauchhar ke
sath paani nikalna shuru ho gaya . Uska apna lund hilana chalu tha
aur uske lund se safed paani ki dhaar ruk ruk kar nikalrahi thi. Phir
usne muth maarna band kiya aur apni table par faile lund ras ko saaf
karne laga. Usne mujhse kaha ki uski taraf se ye hamari pahli mulakaat
ka, ek bhabhi ko ek dever ki taraf se tohfa hai. Kuch der baad hamne
chatting band ki.

Main apne gown ke andar choli aur chaddi hi pahne thi. Meri chaddi to
usko muth maarte dekhkar pahle hi mere apne chut ras se bheeg chuki
thi. Maine apna gown uthakar apne pairon ke beech dekha. Maine apni
chaddi utaar di aur ssaf saaf use geela paaya. Maine apne paron ko
chauda kiya aur kursi ke kinare par baithi taki main aaraam se apni
pyari si, saaf suthri aur safachat chut me apni ungli kar sakun. Main
apni beech ki ungli apni geeli chut par le gai aur apni chut ke daane
ki chhua. Main us ladke ko camre aur computer par, mere liye muth
maarne ka seedha prasaaran dekh kar uttejit ho chali thi. Main adhik
der ruk nahi saki aur maine apni chut me ungli ghumani shuru kardi.
Chut pahle se hi kaafi geeli hone ki wajah se uske beech me, daane par
ungli ghumaana bahut hi aasaan tha. Chut ke daane ko apni ungli se
ragadte huye mujhe chudai ka maza aane laga. Jaise jaise chudai ka
maza badhta gaya , waise waise meri ungli ki meri chut me raftaar
badhti gai. Ab maine apni ek ungli meri geeli ke andar bhi ghusa li
thi taki jhadne ka poora poora maza aaye. Chudai ki uttejna ke maare,
maze ke maare mere muh se aawajen nikalni shuru ho gai aur apne band
ghar ke andar, main akeli chudai ke maze me chillane ko swatantra thi.
Maine apne muh se nikalne wali aawajon ko rokne ki koi koshish nahi ki
aur main maze ke parvat ki choti par thi. Meri ungli meri chut ke
andar aur chut ke daane par lagataar gumti hui muje meri manzil ki
taraf le jaa rahi thi.

Apni chut ko teji se ragadti hui, teji se chut me ungli andar bahar
karti hui, chut ke daane ko masalti main jahan pahunchna chahti thi
wahan pahunch chuki thi. Maine apne pair bheench liye aur meri ungli
abhi bhi meri chut me thi. Meri aankhen aanand se band ho gai. Ye
bahut hi jordaar hastmaithoon tha.

Raat aur din apni raftaar se beet rahe the. Main bahut khush hun ki
mere pati hamesha hi mujhe chudai ka maza deten hai. Hamare beech
chudai hona jindgi ka ek jaroori hissa hai. Wo roz mujhe chodte hai
aur main roz unse chudwati hun, kabhi kabhi to din me do - teen baar
bhi. Mujhe koi aisi raat ya din yaad nahi hai jab maine nahi chudwaya
ho. Ham dono hi chod kar aur chudwa kar bahut khush hai kyon ki ham
jaise chae, jab chae, jitni chahe chudai karten hain aur chudai ka
poora samman karten hai.

Ek din dopahar ko mere pitaji ka Goa se phone aaya ki unko meri
sahayta ki jaroorat hai. Kafi saare aam videsh bhejne the aur mere
chacha aur pita dono hi mere bina pareshaan the. Unko business me meri
jaroorat thi. Mere papa is baare me mere sasurji se aur mere pati se
bhi baat kar li thi. Mere pati ne unko bharosa dilaya tha ki wo mujhe
pahle hawai jahaj se Goa bhej denge.

Agle hi din main Goa , apne maa baap ke ghar aa gai. Mere pati phir se
ek baar Delhi me akele the aur main Goa me unke bina thi. Ham dono hi
udaas the kyon ki ek pyar karne wala joda, jamkar chudai karne wala
joda juda duda the.

Yahan, Goa me bahut kaam tha aur maine apni poori kaabliyat ke sath
mere pitaji ki sahayata ki aur kaam ko kabu me kiya. Kaam itna tha ki
din raat kaam karna pad raha tha. Hamesha ki tarah, jab bhi ham door
hoten hai, main raat ko apne pati se baat karti thi aur ham dono hi
alag alag bistar par soye huye, phone par chudai ki baaten karte huye
ek dusre ko, apne aap ko santusht karte the. Ham dono ke hi paas khud
hi muth maarne ke alawa koi chara nahi tha. Roz raat ko sone se pahle
main apni chut me ungli kiya karti aur mere pati wahan apna lund
pakadkar muthiya maara karte.

Ek din. Sham ko, main apne farm house se wapas ghar aa rahi thi. Ab
kaam kaabu me aa chuka tha aur main wapas delhi , apne pati ke paas
jaane ka vichar kar rahi thi. Raste me meri chai peene ki ichha hui to
maine apni car ek hotel ki taraf modi. Parking me apni car park karne
ke baad main hotel ke andar aayi aur restaurant me aisi jagah baithi
jahan se bahar swimming pool najar aa raha tha. Kuch mard aur kuch
auraten wahan swimming kar rahe the, kuch alag alag drink pee rahe
the. Main apni table par chai aane ka intzaar karti bahar dekhe jaa
rahi thi to achanak maine ek jaane pahchane chehre ko, sexy swimming
bikini pahne dekha. Wo Sara thi, mere sath mere college me padhti thi.
Main jaanti thi ki uski shadi Mumbai me kisi businessman se hui
thi.Maine socha ki wo apne pati ke sath swimming ka maza lene aayi
hai, par maine uske aas paas kisi bhi mard ko nahi dekha. Main apni
chai peete peete Sara ko hi dekh rahi thi. Ab mujhe pakka vishwaas ho
gaya ki wo wahan ekeli hi thi jo ki ek kursi par baithi beer pee rahi
thi. Maine apni chai khatam ki aur bill chukta karne ke baad swimming
pool ki taraf aayi.

Main uske samne jaa kar khadi ho gai aur wo mujhe dekhkar pahchane ki
koshish kar rahi thi. Achank hi, usne mujhe pahchana aur kareeb kareeb
chillayi - Juleeeeeeeeeeeee !

Jawab me maine muskara kar kaha - Haan Sara. Ye main hi hun. Itne
dinon ke baad, tumhe yahan dekhkar achha laga Sara, Kaisi ho tum aur
yahan kya kar rahi ho?

Wo boli - Main thik hun Julee, Tum kaisi ho?

Main - Main bhi achhi hun. Kya chal raha hai?

Sara - Kuch nahi. Bas maza le rahi hun.

Main - Akele ? Tumhare pati kahan hai ?

Sara - Wo bahar gaye hai. Raat ko khane ke samay aa jayenge. Ham isi
hotel me ruke huye hai.

Main - OK. Lekin yahan tumhara apna ghar hai, phir hotel me kyon ruke ho?

Sara - Haan. Par mere pati ko mere pitaji ke ghar me rukna pasand nahi hai.

Main - Khair koi baat nahi. Wo businessman hai aur wo hotel ka kharcha
karsakte hai.

Sara - Haan.

Main - To........ kaise chal rahi hai tumhari shadishuda jindgi?

Sara turant jawab nahi de paayi. Maine uske chehre par ek dard dekha.
Maine uski aanhon me bhi paani dekha.

Sara boli - Meri shadishuda jindgi achhi chal rahi hai. Apni sunao.
Tum bhi to Goa me ho, tumhare pati kahan hai?

Main - Haan yaar. Main yahan pitaji ki kaam me sahayata karne aayi
hun. Jaldi hi main Delhi apne pati ke paas jaa rahi hun, do teen din
me.

Sara - Tum ko jaroor apne pati ki yaad aati hogi.

Main - Haan Sara. Yaad to bahut aati hai unki. Wo mujhe aur main unko
bahut pyar karten hai.

Sara - Kismat wali ho Julee.

Main - Haan. Lekin Sara! Tum khush nahi lag rahi ho.

Sara - Nahin. Main khush hun.

Maine ek baar phir uski aankhon me paani dekha.
kramashah.........................

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