Friday, July 22, 2016

FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..56

FUN-MAZA-MASTI

 ठरकी की लाइफ में ..56


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अब आगे
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वो खुशी -2 उसकी गोद से उठी और सबसे पहले उसने अजय के लिए एक और पेग बना कर दिया, ताकि अपना लंड चुस्वाते हुए वो आराम से किसी राजा की तरह सीप भरता हुआ अपनी साली से लंड चुस्वाई का मज़ा ले.

पेग देकर वो अजय के सामने बैठ गयी और उसने निक्कर नीचे करके अजय के शक्तिशाली योद्धा को बाहर निकाला, जो आज ना जाने कितनी जंग लड़कर आया था..

वो थोड़ा ढीला था अभी तक...पर रिया जानती थी की उसे जीवित कैसे करना है...

उसने उसे धीरे से मुँह में लिया और अपनी जीभ और दांतो के बीच दबाकर धीरे-2 चूसने लगी...अजय तो सीसीया उठा... ऐसी चुसाई उसने कहाँ से सीखी ये सोचते हुए उसने अपने हाथ से उसके सिर को सहलाना शुरू कर दिया...वो भी अपने जीजू से प्रोत्साहन पाकर और ज़ोर से उनका लंड चूसने लगी...


अजय ने नोट किया की उसका एक हाथ अपनी चूत पर था...और वो उसे जोरों से रगड़ रही थी...

यानी इस वक़्त वो अगर उसे नंगा करके अपने लंड पर बिठा ले तो वो हंसते-2 अपना कुँवारापन उसे सौंप देती...

पर आगे कुछ होता या ना होता, उससे पहले ही एक बार फिर से अजय की जिंदगी हिल गयी...

क्योंकि बेडरूम का दरवाजा अंदर से खड़कने लग गया था...

और प्राची की आवाज़ भी आ रही थी..

''अजय......अजय.....कहाँ हो तुम....जल्दी से दरवाजा खोलो.....अजय....''


दोनो के चेहरे पत्थर से हो गये....
अजय की ये सोचकर की अगर दरवाजा खुला होता तो उसकी जिंदगी का आज आख़िरी दिन होता
और
रिया ये सोचकर की लिया दिया कुछ नही और ऐसे में पकड़ी जाएगी तो वो पूरी जिंदगी किसी को मुँह दिखाने के काबिल नही रहेगी...

अंदर से दरवाजा खड़के जा रहा था...

रिया ने झट से अपना टॉप वापिस पहन लिया.... और अजय ने अपना लंड अंदर ठूसकर प्राची को जवाब दिया...

"यस ...डार्लिंग....एक मिनट आया....''

बोल तो उसने दिया पर उनके पास एक मिनट भी नही था....

अजय ने सबसे पहले तो रिया को घर से बाहर निकाला.... और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया....
और भागकर उसने ड्रॉयिंग रूम का टीवी ऑन कर दिया.... और अपनी पसंद का इंग्लीश मूवी चैनल लगा दिया...

और फिर भागकर गया और बैडरूम का दरवाजा खोला....

अंदर से बदहवास सी प्राची बाहर निकली

"ये क्या था..... मुझे अंदर बंद करके तुम कर क्या रहे थे....''

उसने चारों तरफ देखते हुए कहा

अजय की तो ज़ुबान अंदर फँस कर रह गयी थी.... उससे कुछ बोला ही नही गया...

प्राची ने टाइम देखा... रात के ढाई बज रहे थे..... अजय ने सबसे पहले तो उसे पानी का ग्लास दिया....शायद पानी पीने के लिए ही वो उठी थी...

और उसे सोफे पर बिठा कर बड़े ही प्यार से बोला : "बैठो....ज़्यादा परेशान ना हो .... मुझे नींद नही आ रही थी... इसलिए मैं बाहर आ गया... और टीवी ओंन करके देखा तो मेरी पसंद की मूवी भी आ रही थी.... सो इसलिए.... दरवाजा बंद कर दिया ताकि तुम डिस्टर्ब ना हो जाओ...''

प्राची ने सारी बातें इत्मीनान से सुनी .... तब तक उसने टेबल पर पड़ा दारु का ग्लास भी देख लिया था...

"वो सब तो ठीक है पर ये क्या टाइम है ड्रिंक करने का.... आज से पहले तो तुमने इतनी लेट कभी ड्रिंक नही किया...''

अब वो क्या बोलता उसे की साली ने पिलाया ही इतने प्यार से था की वो मना ही नही कर पाया..

अजय : "यार....आई नो... बट तुम्हे तो पता है.... आजकल ऑफीस का काम ही इतना रहता है की ड्रिंक का टाइम ही नही मिलता... इसलिए सोचा की जब जाग ही रहा हूँ तो एक ग्लास पी लेता हूँ ...''

प्राची : "पर ये सब तुम सिंप्ली दरवाजा बंद करके भी तो कर सकते थे.... बाहर से कुण्डी क्यो लगाई.... पता है, मुझे कितनी घबराहट हो रही थी ....''

अजय : "ओह्ह माय सॉरी बैबी..... आई एम सॉरी.....''

और इतना कहते हुए उसने उसे अपनी तरफ खींच लिया....और ऐसा करते ही प्राची का हाथ उसके खड़े लंड से आ टकराया

उसके चेहरे पर शरारती स्माइल आ गयी


"आपका तो मैं समझ सकती हूँ की नींद नही आ रही...पर इन महाशय को क्या हुआ है....ये क्यों उठे हुए है....'' उसने अजय के खड़े लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा...

अजय ने बात संभाली : "वो क्या है ना डार्लिंग.... मूवी देखते हुए एक बाथ सीन आ रहा था.... और मुझे अपने हनीमून का वो सीन याद आ गया जब हमने एकदम न्यूड होकर ऐसे ही नहाये थे..''

प्राची जो अभी तक डरी हुई सी बातें कर रही थी, अजय की ऐसी चिकनी बातें सुनकर उसपर भी खुमारी चड़ने लगी...और वो बड़े ही लाड से बोली

''ओले..ओले...तो मेले बेबी को वो शब यादू आ रा है....तभी आपके छोटे सिपाही रात को भी ऐसी मुस्तैदी से खड़े है....ह्ममम.''

अजय मुस्कुरा दिया....

प्राची : "मुझे पता है डार्लिंग, मेरी प्रेगञेंसी की वजह से मैं आपको वो सब नही दे पा रही हूँ जो एक पत्नी को देना चाहिए....बट आई केन हेंडल हिम इन अदर वे...''

इतना कहते हुए उसने अजय को अपने सामने खड़ा किया, उसकी शॉर्ट्स को नीचे खिसका दिया और उसके खड़े हुए लंड को पकड़ कर हिलाने लगी...

अजय : "डार्लिंग.... इट्स ओके .... मुझे कोई प्राब्लम नही है..... (तुम्हारी माँ और बहनें मेरा अच्छे से ख्याल रख रही है...) "

प्राची : "नही, मैं नही चाहती की इस वजह से आपकी नज़र इधर-उधर फिसले... ''

अब वो बेचारी को क्या बोलता, की वो नज़र और लंड तो कब के फिसल चुके हैं...

प्राची ने अपनी जीभ निकाल कर उसके लंड को लिक किया...


ये वही लंड था, जिसे कुछ घंटे पहले तक उसकी माँ और बहन अपने मुँह और चूत में ले चुकी थी ....
और अभी कुछ देर पहले तक उसकी कजिन रिया भी इसे अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.
अब वही लंड घूम-फिरकर वापिस अपनी असली मालकिन यानी प्राची के पास पहुँच चुका था...
और उसके गुलाबी होंठों को देखकर वो किसी पालतू कुत्ते की तरह ऐसे उछलने लगा जैसे अपने खोए हुए मालिक को देख लिया हो...


अजय हंस दिया, क्योंकि उसे खुद ही अपने स्टेमीना पर ताज्जुब हो रहा था....
सुबह से वो एक मजदूर की तरह चुदाई में लगा हुआ था, फिर भी एक नये मौके को देखकर उसका लंड फिर से खड़ा हो गया था... ऐसा लंड मिले तो आदमी को अपने उपर गुमान तो होता ही है...

प्राची ने उसकी गोटियों को हथेली में भरकर उसके लण्ड को हवा में झटके दिए...और अपने चेहरे पर मारती हुई बोली : "बोल मेरे राजा.... क्या करूं तेरे इस शेर के साथ.... खा जाऊं .. पी जाऊं .. या अंदर ले लू....''

इतने लुभावने ऑफरस सुनकर अजय अपने पंजों पर खड़ा हो गया...
उसके हाथ मे अभी तक दारू का ग्लास था...उसने एक ही झटके में उसे खाली किया और बोला : "अभी तो यही करो जो शुरू किया है.... ''

वो अपनी प्रेगञेन्ट बीबी की चूत मारकर उसे ज़्यादा तकलीफ़ नही देना चाहता था...

प्राची ने मुस्कुराते हुए अपने गाउन की डोरियाँ खोल कर उसे निकाल कर फेंक दिया , उसे पता था की अजय को उसके बूब्स कितने पसंद है
अब वो सिर्फ एक काली कच्छी में बैठी अपनी मोटी - 2 छतियाँ अजय के सामने लहरा रही थी

और उसके तने हुए, मोटे-2, कच्चे दूध से भरे मुम्मों को देखकर अजय के मुँह में पानी आ गया.... 


प्रेगनेंसी के बाद उसकी छातियाँ काफ़ी बड़ी हो चुकी थी.... अब तो उसकी ब्रा भी उसे नही आती थी, इसलिए पूरा दिन बिना ब्रा के ही रहती थी...

अपने हाथों से अपने मम्मे उठा कर वो बोली : "ये देखो, तुम्हारे ये बच्चे भी तुम बिन उदास से हो गये हैं....''

अजय ने मुस्कुराते हुए नीचे झुक कर उन्हे चूम लिया... चूम क्या लिया उन्हे चूस लिया.... प्राची भी अपने सपूतों को अजय के हवाले करके ज़ोर से कराह उठी

''आआआआआआआआअहह....... सकककककक इट हाआआाआर्ड अजय....... ज़ोर से चूसो...... उम्म्म्ममममममम''

अजय ने अपने दाँतों से उसके मोटे-2 फालसे के दाने जैसे निप्पल्स को काट लिया.... उसके मोटे मुम्मों को जितना हो सकता था अपने मुँह में लेकर चुभला दिया.... और उसकी इस हरकत से वो जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी...

उसने अजय के लंड को पकड़ा और उसे मुँह में लेकर फिर से चूसना शुरू कर दिया

और इस बार इतनी ज़ोर से सकिंग करी की अजय बुरी तरह से तड़प उठा...

और इस बार इतनी ज़ोर से सकिंग करी की अजय बुरी तरह से तड़प उठा...

''आआआआआआआअहह धीरे करो मेरी जान.... धीरे, अभी इससे पूरी लाइफ काम चलाना है तुम्हे...''

अजय ने उसके तेज दांतों से बचाने के लिए लैंड बाहर निकाल लिया , फिर उसके प्लीस कहने पर ही वापिस अंदर डाला 


प्राची ने अपनी स्पीड धीरे कर दी, पर अपनी पकड़ नही....
वो उसके लंड को उतनी ही ज़ोर से पकड़ कर दबाती रही, चूसती रही... काटती रही...

और अंत में वो वक़्त भी आ गया जब अजय के लंड से खुशियों भरा संगीत, फव्वारा बनकर बह निकला.... और उस रिमझिम पानी को अपने चेहरे और छातियों पर गिराकर प्राची की आत्मा भी तृप्त सी हो गयी... उसने बचा हुआ माल अपने मुँह में लेकर निगल लिया... एक तो पहले ही उसका चेहरा इतना शाइन कर रहा था, इस माल को खाकर वो उसे और भी ज़्यादा चमका देना चाहती थी..


फिर सारी सॉफ-सफाई करके दोनो अपने रूम में आ गये..

और सोते हुए अजय के दिमाग़ में पूरे दिन की पिक्चर चल रही थी.... पहले अपने ससुर द्वारा पकड़ा गया और बाद में प्राची के हाथों भी बाल-2 बचा...वो अगर पकड़ा जाता तो क्या होता,ये उसे बताने की ज़रूरत नही थी..

पर उपर वाला शायद उसके साथ था, इसलिए उसने भगवान का शुकराना किया और सो गया.

अगले दिन ऑफीस का रुटीन काम चलता रहा .. पूरे हफ्ते वो अपने उसी प्रॉजेक्ट में बिज़ी रहा....
इतना बिज़ी की 4-5 दिन तक तो चुदाई ही नही की... हालाँकि उसकी सैक्सी सेक्रेटरी हमेशा उसके सामने थी, पर ऐसा कोई मौका ही नही मिला की वो उसे दोबारा चोद पाता... घर आते-2 भी इतना लेट हो जाता था की अपने ससुराल में जाकर पहले चुदाई करने का टाइम ही नही बचता था...

और इसी तरह पूरा हफ़्ता निकल गया...
अब वो पूरे हफ्ते की कसर दो दिनों में निकालना चाहता था...
क्योंकि अगले हफ्ते उसे उसी प्रॉजेक्ट के सिलसिले में मुंबई जाना था...

और इन दो दिनों में वो इस बात का भी पता लगाना चाहता था की उसकी सास से उसके ससुर की इतनी क्यो फाटती है...


अपना बेग समेट कर अजय गाड़ी की तरफ चल दिया.... और हमेशा की तरह उसकी सेक्रेटरी रचना पार्किंग के सामने वाली केंटिन में उसका इंतजार कर रही थी... अजय ने कार निकाली और रचना को उसमे बिठाकर घर की तरफ चल दिया... आज फ्राइडे था... वो फ्रेश होने के मूड में था... घर जाकर चिल्ड बियर पीकर और अपनी सास या सालियों में से किसी की चूत मारकर वो पूरे हफ्ते की थकान मिटा देना चाहता था..

और दूसरी तरफ रचना का भी यही हाल था... उसे भी पूरे हफ्ते अजय का लंड देखना नसीब नही हुआ था... ऑफीस में बिज़ी रहने के बाद घर जाते हुए वैसे भी लेट हो जाता था... इसलिए उसकी कुंवारी चूत भी बुरी तरह से खुज़िया रही थी इस वक़्त..

रचना : "अजय सर....आजकल आप मेरी तरफ तो ध्यान ही नही देते...''

उसकी इस मासूम सी शिकायत का मतलब वो अच्छी तरह से समझ गया था... वो अपनी चूत पर ध्यान देने की बात कर रही थी...

अजय (मुस्कुराते हुए) : "आई नो डार्लिंग... पर पूरा हफ़्ता तुमने देखा ना कितना काम था... आज थोड़ा रिलेक्स् फील कर रहा हूँ ...''

रचना : "आई नो... पर फिर भी, ऐसे थोड़े ही होता है.... अब आपने जो चस्का मुझे लगवा दिया है,उसके बिना तो एक भी दिन काटना मुश्किल लगता है...आपने तो हफ़्ता निकाल दिया...''

सच में वो इस समय चुदासी में भरकर बुरी तरह से तड़प रही थी...अब उसे किसी भी कीमत में अपनी चूत में अजय का लंड चाहिए था

अजय ने अपना हाथ खिसका कर उसकी जाँघ पर रहा दिया, और उसके बदन की गर्मी महसूस करके वो खुद भी काँप उठा... वो कहते है न की जवान चूत में से जो आग निकलती है, उसमे अच्छे -2 जल जाते है, वही हाल इस वक़्त अजय का भी हुआ, उसका लंड भी एकदम से अकड़ गया... रात के 8 बज रहे थे, अंधेरा बढ़ने के बाद तो जिस्मों की आग और भी ज़्यादा सुलगती है...रचना की आग भी भयानक रूप ले चुकी थी.... उसने अजय के हाथ को पकड़कर सीधा अपनी सुलग रही चूत पर रख दिया..अजय को ऐसा लगा उसकी चूत से निकल रहे गर्म थपेड़ों में उसका हाथ झुलस जाएगा...

वो तड़प कर बोल उठी : "प्लीज़ सर.... कुछ करिए.... ये मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा है....''

अजय : "अभी ???"

रचना : "हाँ सर ... अभी..... वरना मैं कुछ कर बैठूँगी...''

अजय को तो डर सा लग गया की कहीं ये अपनी गली मोहल्ले के किसी लोंडे से ना चुदवा बैठे.... वैसे भी उसने अक्सर बताया था की उसे देखकर गली के लड़के टोन्ट मारते हैं.... ऐसी हालत में उनमे से अगर एक भी लफँडर सामने पड़ गया तो ये खुद उसके लंड को पकड़ लेगी...

यानी उसे उसकी चूत मारनी ही पड़ेगी..रचना की सील आज तोड़नी ही पड़ेगी

अजय बेचारा फँस कर रह गया... वो तो घर जाकर अपनी सास की चूत मारने की सोच रहा था , ये बिन बुलाई चुदाई बीच में कहाँ से आ गयी....
हालाँकि उसे रचना की कुंवारी चूत मारने में अपनी सास से ज़्यादा मज़ा आने वाला था, पर एक प्लान सा बन चुका था उसके दिमाग़ में ..की घर जाएगा...बियर-शियर पिएगा और बाद में सास की चुदाई करेगा...

पर ऐसी हालत में रचना को छोड़ना भी सही नही था.... बेचारी कैसी लालसा भरी नज़रों से उसे देख रही थी..

अजय ने उसकी हालत और अपने खड़े हो चुके लंड पर तरस खाकर गाड़ी को हाइवे की तरफ मोड़ लिया.

वो जानता था की उस हाइवे पर दोनो तरफ घना जंगल है... और उनमें अपनी गाड़ियाँ खड़ी करके कई प्रेमी जोड़े प्यार के खेल खेलते है....आज अजय ने भी उसी एडवेंचर को महसूस करने की सोच ली..आज वो जंगल में मंगल मनाना चाहता था

अजय ने उसका हाथ पकड़ कर अपने खड़े हो चुके लंड पर रख लिया... उसने झट से उसके लंड पर झुककर जीप खोली और लंड को आज़ाद कर लिया...

गाड़ियाँ तेज़ी से निकल रही थी, पर उनकी गाड़ी के अंदर क्या चल रहा था ये कोई नही जानता था..कोई अगर देख भी लेता तो उसे यही लगता की अजय अकेला गाड़ी चला रहा है..

रचना ने अजय के लंड को बाहर निकाला और उसपर अपनी गर्म साँसे छोड़ने के बाद उपर से नीचे तक अपनी जीभ से नाप डाला...उसे तर कर दिया.... चाट डाला उपर से नीचे तक..


अजय के लिए गाड़ी चलना मुश्किल सा हो रहा था... उसने स्पीड कम करके अपनी लेफ्ट में गाड़ी चलानी जारी रखी...

रचना के दोनो मुम्मे उसकी टाँगों पर रगड़ खा रहे थे....अजय ने गियर चेंज करने के बाद अपना हाथ उसकी शर्ट के अंदर डाल कर पीछे से उसकी ब्रा के स्ट्रेप खोल दिए...और अपना हाथ उसकी चिकनी पीठ पर फेरने लगा...

रचना ने उसके लंड को अपने मुँह से बुरी तरह पकड़ रखा था...आज जैसी चुसाई उसने आज तक नही की थी... और ऐसी चुदासी में उसे चूसने में भी बहुत मज़ा आ रहा था..वो अजय के लंड को पूरी तरह से एंजाय कर रही थी...

कुछ देर आगे चलकर अजय को एक पगडंडी अंदर की तरफ जाती दिख गयी....उसने कार अंदर डाल दी...और अंदर लेते ही लेफ्ट मोड़ लेकर एक बड़े से पेड़ के नीचे रोक दी.

ये जगह रोड से ज़्यादा दूर नही थी... वहां से कोई अंदर भी आता तो उन्हे पता चल जाता...

गाड़ी रुकते ही अजय ने रचना को अपनी तरफ़ खींचा और दोनो एक दूसरे पर पागलों की तरह टूट पड़े...

अजय ने आनन फानन में उसकी शर्ट के बटन खोल दिए, उसकी ब्रा तो पहले से ही उतरी हुई थी, शर्ट को बाहर निकालते ही वो उपर से नंगी होकर अजय के सामने थी..

उसके हाथ एक बार फिर से अजय के लंड पर आ टीके...और वो उसे उपर नीचे करते हुए मसलने लगी..


अजय ने नीचे झुककर उसके बूब्स पर अपना मुँह लगा दिया..और उसके निप्पल्स के थ्रू उसकी मस्तियाँ निचोड़कर पीने लगा..

वो जोर से चीख़ी
''आआआआआआआआआआआआआआआआआआहह ओह माय डार्लिंग ........ सिर.......उम्म्म्ममममममममममममममममममम''

अगर वो कार में ना होते तो जंगल के हर जानवर को उसकी चीख सुनाई दे जानी थी....

ऐसी मस्ती भरी लड़की से चुसवाने और चूसने में अलग ही मज़ा मिलता है.

अजय ने अपनी शर्ट उतार फेंकी और पेंट खोलकर उसे भी नीचे खिसका दिया..
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 









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