Friday, July 20, 2012

ट्रेन मे भाई से सुहागरात--1

raj sharma stories

ट्रेन मे भाई से सुहागरात--1

मेरा नाम बलविंदर कौर है और घर वाले प्यार से मुझे बिल्लो कहते हैं.भाई
का नाम जसविंदर है और हम उसा जस्सी कह कर पुकारते हैं.
मोम को देल्ही में कुछ ज़रूरी काम था और वो जम्मूतवी ट्रेन से देल्ही जा
रही थी..घूमने के बहाने भाई मोम के साथ हो लिया तो मैं भी जाने की ज़िद
करने लगी तो मोम मान गयी.दर असल जो मज़ा आजकल मुझे भाई की छेड़ खानी मे आ
रहा था उस से मैं महरूम रह जाती.ज़रा सा मौका मिलते ही भाई कभी मेरी चुचि
दबा देता तो कभी चुम्मा ले लेता था.

हम नकली लड़ाई भी लड़ते रहते थे जिसमे कभी वो मेरे उप्पर चढ़ कर फ्रॉक
हटा कर मेरी गांद मे लंड गढ़ाता और चुचियाँ मसलता तो कभी मैं उसके लंड को
भींच देती.जवानी मे कदम रखते ही मज़ा आ रहा था.इसी मज़े की मारी मैं भाई
और मोम के साथ चल पड़ी.मज़े की सुरुआत भाई ने ट्रेन मे चढ़ते टाइम ही
मुझे सहारा देने के बहाने मेरी चुचि दबा कर की.सफ़र का पूरा लुतफ उठाने
के लिए मेने ब्रा पहनी ही नही थी. फिर भाई ने मेरी गांद पे भी चिकोटी काट
ली.मेने गांद को सहलाते हुए भाई को एक हल्का सा मुक्का मारा.मोम हमारे
आगे थी इसलिए उन्हे कुच्छ पता नही था कि पिछे उनके लाड़ले बेटा बेटी क्या
गुल खिला रहे हैं. हम एसी-2 के कॅबिन के अंदर दाखिल हो गये ....प्राइवसी
के लिए भाई ने पर्दे खींच दिए.यहा से 3 बजे के करीब ट्रेन चली .

मोम ने नीचे की बर्त पे पसरते हुए कहा क मुझे रेस्ट करने दो, तुम उपर की
बर्त पे चले जाओ.भाई ने वहीं खड़े हो कर टवल लपेट कर जीन्स उतारी और सफ़र
के लिए एलास्टिक वाला पायज़मा पहन लिया.मेने गौर किया कि जीन्स के साथ
भाई ने अंडरवेर भी उतार दिया था...मुझे लगा कि आज तो मुआ चोद के ही
मानेगा.ये सोच कर ही मेरी चूत गिल्ली हो गयी.मेने मोम को सुनाते हुए भाई
से कहा कि वीर जी थोरी देर के लिए कॅबिन से बाहर जाओ, मेने भी कपड़े चेंज
करने हैं.

मोम बीच मे बोल पड़ी "अरी अब कहाँ जाएगा ये, बेटे जस्सी उधर मूह फेर
ले..बिल्लो कपड़े चेंज कर लेगी.भाई ने दूसरी तरफ मूह कर लिया.मैं सलवार
उतारने लगी लेकिन गोल गाँठ लगने की वजह से मेरी सलवार का नारा नही खुला
तो मैं मोम के नज़दीक गयी और नारा खोलने की रिक्वेस्ट की .मोम ने मूह से
खोलने की नाकाम कोशिश की और थक हार कर लेट गयी और जस्सी से बोली कि बेटे
तेरे दाँत मजबूत हैं,बिल्लो का नारा खोल दे.मैं बोल पड़ी...क्या भैया से
? मोम मेरी बात को अनसुना करके बोली कि कल तक तो तुम्हे इकट्ठा नहलाती थी
अब इतना शरमाती है, और जस्सी को कहा कि बेटे नारा खोलते टाइम तुम आँखें
बंद कर लेना,और बिल्लो अगर तुम्हे ज़्यादा शरम आए तो तू भी आँखे बंद कर
लेना,अब मुझे रेस्ट करने दो. मेने देखा कि भाई की नज़र मेरे सलवार के
नारे पे थी जिसे मैं अभी भी हाथ से पकड़े हुए थी. भाई ललचाई नज़रो से
मुझे देखते हुए सामने के बर्त पे बैठ गया.

मेने देखा कि मोम ने भी दूसरी तरफ मूह फेर लिया था.मैं शरमाती सी आगे
बढ़ी और सलवार के नारे का सिरा भाई को पकड़ा दिया और शर्ट को चुचिओ तक
उपर उठा दिया.भाई ने एक हाथ मेरे हेवी चूतड़ पे रखा और मेरी नाभि को चूम
लिया.फिर भाई जीभ नाभि मे डाल कर घुमाने लगा.मेरे सारे बदन मे करेंट सा
दौड़ने लगा.फिर भाई दांतो से सलवार का नारा खोलने लगा और जल्दी ही सलवार
खुल कर मेरे पैरों मे जा गिरी.भाई ने तेज़ी से मेरी चढ्ढि नीचे खिसका दी
और दोनो हाथ मेरे चूतदों पे लगा कर मेरी फूली हुई चूत का चुम्मा ले लिया.

आज सवेरे ही मेने चूत को साबुन की तरह चिकना बनाया था.मेने मूड कर मोम को
देखा, वो अभी भी दूसरी तरफ मूह करके लेटी हुई थी .जब भाई ने चूत पे जीभ
फेरना शुरू किया तो मेने मूह पे हाथ रख के सिसकारी को रोका. मेने भाई को
कंधा पकड़ कर हिलाया, उसने मेरी तरफ देखा तो मेने उपर वाली बर्त पे चलने
का इशारा किया.फिर मेने भी चढ्ढि और शर्ट उतार कर नाइटी पहन ली, ब्रा तो
मे पहले ही उतार कर चली थी.मोम ने हमारी तरफ देखे बगैर ही पुछा " बेटी
नारा खुल गया क्या ?".मेने कहा कि हाँ मम्मी मेने कपड़े भी बदल लिए
हैं.मोम बोली कि अच्छा बेटी, अब तुम भी रेस्ट कर लो". मैं बोली कि मम्मी
हम उपर वाले बर्त पे लेट जाते हैं . मोम ने कहा कि ठीक है बेटा, जहाँ
तुम्हारा दिल करे , सारे कॅबिन मे हम तीन ही तो हैं.मोम के ठीक उपर वाली
बर्त पे पहले मैं उपर चढ़ि तो भाई ने दोनो हाथों से मेरे कूल्हे पकड़े और
मेरे चूतदों के बीच मूह गढ़ा कर मुझे उपर चढ़ाया.फिर भाई भी उपर आगाया और
साथ लेट कर मुझे बाहों मे भर लिया.

मैं डरती हुई भाई के कान मे फुस्फुसाइ "भैया कहीं मम्मी ने देख लिया तो?
भाई मेरे कान से मूह लगा कर धीमी आवाज़ मे बोला " मम्मी हमारे ठीक नीचे
वाली बर्त पे आँख बंद करके लेटी हुई है, उसे हम नज़र नही आएँगे."फिर तो
हम एक दूजे से लिपट गये, हमारे होंठ जुड़ गये.मेने भाई के मूह मे जीभ डाल
दी तो भाई भी मेरी जीभ चूस्ते हुए नाइटी के अंदर हाथ डाल कर मेरी चुचि
दबाने लगा.उमड़ता हुआ तूफान चूत की तरफ इक्कथा हो रहा था.भाई का लंड खड़ा
होकर मेरी चूत पे गाढ़ने लगा.मेने भाई का पायज़मा नीचे खिसका दिया और गरम
मोटे लॉड को हाथ मे ले लिया.भाई ने भी मेरी नाइटी उपर सरका दी और मेरी
चूत को मुति मे भींच दिया.मैं फुर्ती के साथ नाइटी कमर तक उठा कर भाई के
उपर इस तरह हो गयी कि उसका लंड मेरे मूह के पास था और मेरी चूत उनके मूह
पर.

मेने मोटे लंड का सूपड़ा चाटना शुरू किया तो भाई भी जीभ निकाल कर मेरी
चूत को चाटने लगा..फिर मैं लौदे को गले तक निगल कर मूह को उपर नीचे करने
लगी तो भाई भी चूत के टींट से लेकर गांद के छेद तक चाटने लगा.सफ़र का
बड़ा मज़ा अरहा था.मे 2 मिनिट मे ही खलास हो गयी.भाई चूत से निकला सारा
कुँवारा अमृत पी गया.थोड़ी देर की सुस्ती के बाद मे फिर लंड को चूसने लगी
क्योकि भाई अभी नही झाड़ा था.भाई की जीभ ने फिर कमाल दिखाना शुरू कर
दिया...जीभ की नोक चूत के टिंट को गिट्टार बजाने की तरह छेड़ रही थी.मैं
दुबारा झड़ने लगी तो भाई ने भी नीचे से झटका सा मारा और लंड के पानी की
तेज बोच्चरें मेरे गले से टकरा कर नीचे उतरने लगी. लंड को दबा दबा कर मैं
आखरी बूँद तक चाट गयी. थोड़ी देर के बाद मैं सुसू करने के लिया गई. आगे
के कॅबिन में एक स्मार्ट लड़का था .

उस ने मुझे देखा में ने भी उसे देखा और फिर में टाय्लेट चली गई, वो भी
टाय्लेट के बाहर आ कर खड़ा हो गया, मैं जैसे ही निकली उस ने मुझ से पुछा
आप कहा जा रही हो तो में ने बताया कि में अपनी मोम और भाई के साथ देल्ही
जा रही हूँ, मैं वही खड़ी होकर उस से बातें करने लगी , उस ने बताया कि वो
अपनी सिस्टर को लेकर देल्ही जा रहा है फिर मैं उस की सीट पे बैठ गई और उस
की सिस्टर से बातें करने लगी , में ने ध्यान दिया कि वो लड़का बार बार
मेरी चुचि की तरफ देख रहा है, में ने भी उसे छूट देदी और अपना दुपट्टा
थोड़ा नीचे कर दिया , फिर में ने कहा कि मैं अपनी मोम और भाई से कह कर
आती हूँ कि में यहा बैठी हूँ नही तो मोम परेशान होगी, और मैं अपनी मोम के
पास चली गई और जा कर कहा कि मेरी एक फ्रेंड मिल गई है मैं उसी के पास
बैठने जा रही हूँ, मोम ने कहा ठीक है तुम भैया के साथ चली जाओ, ट्रेन
करीब करीब खाली ही थी कुछ ज़्यादा लोग नही थे , मेरा भाई भी मेरे साथ
आगेया, मेरा भाई और मैं दोनो ही मिलन के लिए मरे जा रहे थे..

ख़ासकर मेरा दिल तो बस भाई से चुदाई के लिए तड़फ़ रहा था .पर हम आपस मे
शरमाते थे.यह अलग बात है के वो भाई का प्यार दिखाने के लिए मुझे बाहों मे
भर लेता,मेरे गाल का चूमा ले लेता और कई बार मेरे चूतादो पर चिकोटी भी
काट लेता पर चुदाई के अरमान हम दोनो के दिल मे ही थे.आज हम बहुत आगे बढ़
चुके थे.मुझे इस बात का पूरा अहसास था कि भाई आज मेरी ज़रूर लेगा . ये तो
हम जानते थे के एक बार बस शुरुआत हो गई तो फिर हम सारी कसर निकाल
देंगे.एक दूसरे से पहल करने की उम्मीद लगाए बैठे थे. हम वाहा पे बैठ कर
बातें करने लगे तो मेरे भाई ने मेरे कान मे कहा कि दीदी वो लड़का
तुम्हारी चुचि को देख रहा है तो में ने कहा हां मुझे मालूम है इसी लिए तो
दिखा रही हूँ ,तुम भी उसकी बेहन को अपना निकाल कर दिखा दो.

हम बातें करते रहे फिर उस लड़के की सिस्टर को सुसू लगी और वो सुसू करने
चली गई, मुझे मोका मिल गया, और में ने उस लड़के से बात करना शुरू कर दिया
उस ने एक किताब ली हुई थी, हम ने अभी बातें शुरू ही की थी कि उस की
सिस्टर वापिस आगाई, और वो उठ कर जाने लगा तो में ने पुछा आप कहा जा रहे
हो तो उस ने कहा में बाथरूम जा रहा हूँ तो में ने कहा कि ज़रा ये बुक
देते जाए तो उस ने कहा नही में ये बुक नही दे सकता, में समझ गई कि ये कॉन
सी बुक है, फिर भी मैने उस के हाथ से बुक लेने की कोशिश की और कहा प्ल्ज़
बुक दीजिए ना जब आप आओगे तो मैं बुक दे दूँगी और झटके से बुक मेरे हाथ
में आगाई , मालूम नही उस ने क्या सोचा और चुप चाप वाहा से चला गया जब में
ने बुक खोला तो उस के अंदर एक बुक थी, जब में ने उस बुक को खोला तो मेरे
शक सही निकला वो एक सेक्सी स्टोरी की बुक थी. मैं और मेरा भाई दोनो ही उस
बुक को पढ़ने लगे हम ने थोड़ी देर में ही सारी स्टोरी पढ़ ली,स्टोरी भाई
बेहन की चुदाई की थी.मेने उस लड़की से पुछा के तुम्हे पता है के तुम्हारा
भाई कैसी किताब पढ़ता है तो उसने कहा इसमे हैरानी की क्या बात है,हम तो
अक्सर दोनो इकट्ठे पढ़ते हैं . आजकल तो भाई बेहन का लव अफेर आम बात
है.क्या तुम अपने भाई से प्यार नही करती?"

मेने कहा के प्यार तो हम भी आपस मे करते हैं पर ये किताब वाला प्यार नही.
इस पर वो बोली के" इसका मतलब है के असली स्वाद तो तुमने अभी चखा ही नही
है, गरम पानी से घर नही जला करते, आग मे डूब कर देखो"और फिर बुक को हाथ
में लेकर बैठ गई थोड़ी देर में वो लड़का वापिस आया, तो में ने उसे बुक
देते हुए कहा इस बुक की कहानी बहुत अच्छी है , इसी बीच उस की सिस्टर उपर
के बर्थ पे सोने चली गई, जब में ने उस से उस बुक की तारीफ की तो वो समझ
गया कि लाइन क्लियर है, तो उस ने मुझ से धीरे से कहा कि अगर आप अपने भाई
को जाने को कहो तो में एक और बुक देता हूँ उस में इस से भी अच्छी कहानी
है तो में ने उस से कहा कि कोई बात नही है मेरा भाई और में एक दम दोस्त
की तरहा है आप हमे बुक दो हम साथ में पढ़ेंगे, तो उस ने इशारे से पुछा की
बुक पढ़ने दूँगा तो कोई फ़ायदा होगा क्या?

तो में ने भी कह दिया रात होने दो कुछ ना कुछ तो फ़ायदा दिलाउन्गि, इस पर
उस ने कहा कि तुम अपने भाई से खुली हो तो उसे भी कुछ फ़ायदा होगा, तो में
ने अपने भाई से कहा क्यू तुम्हे इस से कुछ फ़ायदा होगा और आँख मार दी तो
मेरा भाई ने मेरी चुचि अपने हाथ से दबाते हुए कहा हां होगा, इस पर वो खुश
हो गया और अपने बॅग से एक बुक निकाल कर दिया वो रंगीन बुक थी उस में एक
से बढ़ कर एक फोटो और कई कहानिया थी मेने उस से कहा कि में बुक लेकर अपनी
मोम के पास जा रही हूँ क्योंकि अगर वो यहा पे आगाई तो ग़लत समझेंगी तुम
थोड़ी देर बाद अपनी सिस्टर को मेरे पास भेजना वो मुझे बुलाकर यहा पे ले
कर आएगी तब तक रात भी हो जाएगी और फिर हम सब को फ़ायदा हो जाएगा.इस पर उस
ने कहा ठीक है में ऐसा ही करूँगा, फिर में और मेरा भाई वो बुक लेकर मोम
के पास आए, और फिर में उपर के बर्त पे चली गई और उस में रंगीन फोटो देखने
लगी, थोड़ी देर में भाई भी उपर आया और मेरे साथ फोटो देखने लगा और मेरी
चुचि दबाने लगा, में फोटो देख कर काफ़ी हॉट हो चुकी थी, में ने अपने भाई
का हाथ पकड़ कर सलवार के नारे पर रख दिया.वो समझ गया और धीरे से मेरी
सलवार का नारा खोल कर मेरी बाल रहित योनि के ऊपेर हथेली रख दी.

तवा गरम हो चुका था. मेने उसकी हथेली को अपनी चूत के ऊपेर दबाया तो वो
मेरी चूत को मुति मे भरने लगा ,फिर चूत मे उंगली करने लगा और मेने भी
आहिस्ता से उसका पयज़ामा खोल कर विकराल लंड को थाम लिया. हाए कितना मोटा
और गरम था.मेरे बदन मे मज़े की मद होशी सी छाने लगी.मेने एक बार नीचे
झाँक कर देखा, मोम हमारी बर्त के बिल्कुल नीचे आँखें बंद किए लेटी हुई
थी.बेफिकर हो कर मेने भाई के लंड का चुम्मा लिया.

मैं लंड को मूह मे भरने लगी तो कुच्छ आहट सी हुई.सर उठा कर देखा तो उस
लड़के की बहेन थी .वो मेरी मोम से मिली थोड़ी देर बाद उस ने मुझ से कहा
चलो ना वही पे बैठते है तो मेरी मोम ने कहा की हां हां तुम लोग जाओ अपनी
फ्रेंड के साथ , भाई को भी साथ ले जाओ मगर जल्दी अजाना और खाना खा लेने
फिर खाना खा के चली जाना, हम ने कहा ठीक है, मगर जब हम वाहा पे गये तो वो
लड़का वही पे बैठा था उस ने अपनी सिस्टर को थॅंक्स कहा , और फिर हम बातें
करने लगे, बातो बातो में पता चला कि वो दोनो सगे भाई बहेन है मगर वो भी
आपस में चुदाई का मज़ा लेते है, उस लड़की ने मुझ से खुल कर कहा कि "घर पे
कई दिन से मौका नही मिल रहा था,मैं आज मेरे भाई से चुदवाउन्गि, मुझे खुशी
हुई कि अब कोई डर नही है हम आराम से चुदाई का मज़ा ट्रेन में भी ले सकते
हैं,
क्रमशः.........................

Train Me Bhai Se Suhagraat--1

Mera naam Balwinder Kaur hai aur ghar wale pyar se mujhe Billo kehte
hain.Bhai ka naam Jaswinder hai aur hum usai Jassi keh kar pukarte
hain.
Mom ko delhi mein kuch jaruri kam tha aur wo Jammutawi train se Delhi
ja rahi thi..Ghumne ke bahane bhai mom ke sath ho liya to me bhi jane
ki jid karne lagi to mom maan gayi.Dar asal jo maza aajkal mujhe bhai
ki chher khani me araha tha us se me mehroom reh jati.Jara sa mauka
milte hi bhai kabhi meri chuchi daba deta tau kabhi chumma le leta
tha.

Hum nakli ladai bhi ladte rahte the jisme kabhi wo mere uppar chadh
kar frock hata kar meri gaand me lund gadata aur chuchian masalta tau
kabhi me uske lund ko bhinch deti.Jawani me kadam rakhte hi maza araha
tha.Isi maze ki mari me bhai aur mom ke sath chal padi.Maze ki suruwat
bhai ne train me chadhte time hi mujhe sahara dene ke bahane meri
chuchi daba kar ki.Safar ka poora lutaf uthane ke liye mene bra pehni
hi nahi thi. Phir bhai ne meri gaand pe bhi chikoti kat li.Mene gaand
ko sehlate hue bhai ko ek halka sa mukkaa mara.Mom hamare aage thi
isliye unhe kuchh pata nahi tha k pichhe unke ladle beta beti kya gul
khila rahe hain. hum AC-2 ke cabin ke ander dakhil ho gaye ....Privacy
ke liye bhai ne parde khinch diye.yaha se 3 baje ke karib train chali
.

Mom ne niche ki berth pe pasarte hue kaha k mujhe rest karne do, tum
upar ki berth pe chale jao.Bhai ne wahin khade ho kar towel lapet kar
jeans utari aur safar ke liye elastic wala payzama pehan liya.Mene
gaur kiya k jeans ke sath bhai ne underwear bhi utar diya tha...Mujhe
laga k aaj tau mua chod ke hi manega.ye soch kar hi meri choot gilli
ho gayi.mene mom ko sunate hue bhai se kaha k vir ji thori der ke liye
cabin se bahar jao, mene bhi kapde change karne hain.

Mom bich me bol padi "ari ab kahan jayega ye, bete Jassi udhar muh
pher le..Billo kapde change kar legi.Bhai ne dusri taraf muh kar
liya.Me salwar utarne lagi lekin gol gaanth lagne ki vajah se meri
salwar ka nara nahi khula tau me mom ke najdik gayi aur nara kholne ki
request ki .Mom ne muh se kholne ki nakaam koshish ki aur thak haar
kar let gayi aur Jassi se boli k bete tere daant majboot hain,Billo ka
nara khol de.Me bol padi...Kya bhaiya se ? Mom meri baat ko ansuna
karke boli k kal tak tau tumhe ikktha nahlati thì ab itna sharmati
hai, aur Jassi ko kaha k bete nara kholte time tum ankhen band kar
lena,Aur Billo agar tumhe jyada sharam aye tau tu bhi ankhe band kar
lena,ab mujhe rest karne do. Mene dekha k bhai ki nazar mere salwar ke
nare pe thi jise me abhi bhi hath se pakde hue thi. Bhai lalchai nazro
se mujhe dekhte hue samne ke berth pe baith gaya.

Mene dekha k mom ne bhi dusri taraf muh pher liya tha.Me sharmati si
aage barhi aur salwar ke nare ka sira bhai ko pakra diya aur shirt ko
chuchion tak upar utha diya.Bhai ne ek hath mere heavy chutad pe rakha
aur meri nabhi ko chum liya.phir bhai jibh nabhi me dal kar ghumane
laga.mere sare badan me current sa daurne laga.phir bhai daanto se
salwar ka nara kholne laga aur jaldi hi salwar khul kar mere pairon
me ja giri.bhai ne teji se meri chadhi niche khiska di aur dono hath
mere chutadon pe laga kar meri phuuli hui choot ka chumma le liya.

Aaj savere hì mene choot ko sabun ki tarah cìkna banaya tha.mene mud
kar mom ko dekha, wo abhi bhi dusri taraf muh karke leti hui thi .jab
bhai ne choot pe jibh pherna shuru kiya tau mene muh pe hath rakh ke
siskari ko roka. mene bhai ko kandha pakad kar hilaya, usne meri
taraf dekha tau mene upar wali berth pe chalne ka ishara kiya.phir
mene bhi chadhi aur shirt utar kar nighty pehan li, bra tau me pehle
hi utar kar chali thi.mom ne hamari taraf dekhe bagair hi puchha "
beti nara khul gaya kya ?".mene kaha k han mummy mene kapde bhi badal
liye hain.mom boli k achha beti, ab tum bhi rest kar lo". me boli k
mummy hum upar wale berth pe lait jate hain . mom ne kaha k thik hai
beta, jahan tumhara dil kare , sare cabin me hum tin hi tau hain.Mom
ke thik upar wali berth pe pehle me upar charhi tau bhai ne dono
hathon se mere kulhe pakde aur mere chutadon ke beech muh gada kar
mujhe upar charhaya.Phir bhai bhi upar agaya aur sath lait kar mujhe
bahon me bhar liya.

Me darti hui bhai ke kaan me phusphusai "bhaiya kahin mummy ne dekh
liya tau? Bhai mere kaan se muh laga kar dhimi awaz me bola " mummy
hamare thik niche wali berth pe aankh band karke leti hui hai, usai
hum nazar nahi ayenge."phir tau hum ek duje se lipat gaye, hamare
honth jur gaye.Mene bhai ke muh me jibh dal di tau bhai bhi meri jibh
chuste hue nighty ke ander hath dal kar meri chuchi dabane
laga.Umadta hua tufaan choot ki taraf ikkatha ho raha tha.Bhai ka lund
khada hokar meri choot pe garne laga.mene bhai ka payzama niche khiska
diya aur garam mote laude ko hath me le liya.bhai ne bhi meri nighty
upar sarka di aur meri choot ko muthi me bhinch diya.me furti ke sath
nighty kamar tak utha kar bhai ke upar is tarah ho gayi k uska lund
mere muh ke paas tha aur meri choot unke muh par.

Mene mote laude ka supada chatna shuru kiya tau bhai bhi jibh nikal
kar meri choot ko chatne laga..phir me laude ko gale tak nigal kar muh
ko upar niche karne lagi tau bhai bhi choot ke teent se lekar gaand ke
chhed tak chatne laga.safar ka bada maza araha tha.Me 2 minute me hi
khalas ho gayi.Bhai choot se nikla sara kunwara amrit pi gaya.Thodi
der ki susti ke baad me phir lund ko choosne lagi kyoki bhai abhi nahi
jhada tha.Bhai ki jibh ne phir kamal dikhana shuru kar diya...Jibh ki
nok choot ke tint ko gittar bajane ki tarah chher rahi thi.Me dubara
jhadne lagi tau bhai ne bhi niche se jhatka sa mara aur lund ke pani
ki tej bochharen mere gale se takra kar niche utarne lagi. lund ko
daba daba kar me akhri boond tak chat gayi. thodi der ke baad me susu
karne ke liya gai. aage ke cabin mein ek smart ladka tha .

us ne mujhe dekha mein ne bhi use dekha aur fir mein toilet chali gai,
wo bhi toilet ke bahar aa kar khada ho gaya, mein jaise hi nikli us ne
mujh se puchha aap kaha ja rahi ho to mein ne bataya ki mein apni mom
aur bhai ke sath delhi ja rahi hun, mein wahi khadi hokar us se
baatein karne lagi , us ne bataya ki wo apni sister ko lekar delhi ja
raha hai fir mein us ki seat pe baith gai aur us ki sister se baatein
karne lagi , mein ne dheyan diya ki wo ladka bar bar meri chuchi ki
taraf dekh raha hai, mein ne bhi use chhut dedi aur apna dupatta thoda
niche kar diya , fir mein ne kaha ki mein apni mom aur bhai se keh kar
aati hun ki mein yaha baithi hun nahi to mom pareshan hogi, aur mein
apni mom ke pass chali gai aur ja kar kaha ki meri ek friend mil gai
hai mein usi ke pass baithne ja rahi hun, mom ne kaha thik hai tum
bhaiya ke sath chali jao, train karib karib khali hi thi kuch zyada
log nahi the , mera bhai bhi mere sath aagaya, mera bhai aur mein dono
hi milan ke liye mare ja rahe the..

Khaskar mera dil tau bas bhai se chudai ke liye tadaf raha tha .par
hum apas me sharmate the.Yeh alag baat he ke wo bhai ka pyar dikhane
ke liye mujhe bahon me bhar leta,mere gaal ka chuma le leta aur kai
bar mere chutado par chikoti bhi kat leta par chudai ke arman hum
dono ke dil me hi the.Aaj hum bahut aage barh chuke the.Mujhe is baat
ka pura ahsas tha k bhai aaj meri jarur lega . ye to hum jante the ke
ek bar bas shuruwat ho gai to phir hum sari kasar nikal denge.Ek dusre
se pehal karne ki umeed lagaye baithe the. hum waha pe baith kar
baatein karne lage to mere bhai ne mere kaan me kaha ki didi wo ladka
tumhari chuchi ko dekh raha hai to mein ne kaha haan mujhe malum hai
isi liye to dikha rahi hun ,tum bhi uski behan ko apna nikal kar dikha
do.

hum baatein karte rahe fir us ladke ki sister ko susu lagi aur wo susu
karne chali gai, mujhe moka mil gaya, aur mein ne us ladke se bat
karna shuru kar diya us ne ek kitab li hui thi, hum ne abhi baatein
shuru hi ki thi ki us ki sister wapis aagai, aur wo uth kar jane laga
to mein ne puchha aap kaha ja rahe ho to us ne kaha mein bathroom ja
raha hun to mein ne kaha ki zara ye book dete jaye to us ne kaha nahi
mein ye book nahi de sakta, mein samajh gai ki ye kon si book hai, fir
bhi mein us ke hath se book lene ki koshish ki aur kaha plz book
dijiye na jab aap aaoge to mein book de dungi aur jhatke se book mere
hanth mein aagai , malum nahi us ne kya socha aur chup chap waha se
chala gaya jab mein ne book khola to us ke andar ek book thi, jab mein
ne us book ko khola to mere shak sahi nikla wo ek sexy story ki book
thi. mein aur mera bhai dono hi us book ko padhne lage hum ne thodi
der mein hi sari story padh li,story bhai behan ki chudai ki thi.Mene
us ladki se puchha ke tumhe pata hai ke tumhara bhai kaisi kitab
padhta hai to usne kaha isme hairangi ki kya bat hai,hum to aksar dono
ekathe padhte hain . Aajkal to bhai behan ka love affair aam baat
hai.kya tum apne bhai se pyar nahi karti?"

Mene kaha ke pyar to hum bhi apas me karte hain par ye kitab wala pyar
nahi. Is par wo boli ke" iska matlab hai ke asli swad to tumne abhi
chakha hi nahi hai, garam pani se ghar nahi jala karte, aag me doob
kar dekho"aur fir book ko hanth mein lekar baith gai thodi der mein wo
ladka wapis aaya, to mein ne use book dete hue kaha is book ki kahani
bahut achhi hai , isi bich us ki sister upar ke barth pe sone chali
gai, jab mein ne us se us book ki tarif ki to wo samjh gaya ki line
clear hai, to us ne mujh se dhire se kaha ki agar aap apne bhai ko
jane ko kaho to mein ek aur book deta hun us mein is se bhi achhi
kahani hai to mein ne us se kaha ki koi baat nahi hai mera bhai aur
mein ek dam dost ki tarha hai aap hume book do hum sath mein padhenge,
to us ne ishare se puchha ki book padhne dunga to koi faida hoga kya?

To mein ne bhi keh diya raat hone do kuch na kuch to faida dilaungi,
is par us ne kaha ki tum apne bhai se khuli ho to use bhi kuch faida
hoga, to mein ne apne bhai se kaha kiun tumhe is se kuch faida hoga
aur aankh mar di to mera bhai ne meri chuchi apne hanth se dabate hue
kaha haan hoga, is par wo khush ho gaya aur apne bag se ek book nikal
kar diya wo rangeen book thi us mein ek se badh kar ek photo are kai
kahaniya thi meine us se kaha ki mein ne book lekar apni mom ke pass
ja rahi hun kiun ki agar wo yaha pe aagai to galat samjhengi tum thodi
der bad apni sister ko mere pass bhejna wo mujhe bulakar yaha pe kar
aayegi tab tak raat bhi ho jayegi aur fir hum sab ko faida ho
jayega.is par us ne kaha thik hai mein aisa hi karunga, fir mein aur
mera bhai wo book lekar mom ke pass aye, aur fir mein upar ke berth pe
chali gai aur us mein ki rangeen photo dekhne lagi, thodi der mein
bhai bhi upar aaya aur mere sath photo dekhne laga aur meri chuchi
dabane laga, mein photo dekh kar kafi hot ho chuki thi, mein ne apne
bhai ka hath pakar kar salwar ke nare par rakh diya.Wo samjh gaya aur
dhire se meri salwar ka nara khol kar meri baal rahit yoni ke ooper
hatheli rakh di.

Tawa garam ho chuka tha. Mene uski hatheli ko apni choot ke ooper
dabaya to wo meri chut ko muthi me bharne laga ,phir choot me ungli
karne laga aur meine bhi ahista se uska payjama khol kar vikral lund
ko tham liya. Haye kitna mota aur garam tha.Mere badan me maje ki mad
hoshi si chhane lagi.Mene ek bar niche jhank kar dekha, mom hamari
berth ke bilkul niche ankhen band kiye leti hui thi.befikar ho kar
mene bhai ke lund ka chumma liya.

Me lund ko muh me bharne lagi tau kuchh ahat si hui.sar utha kar dekha
tau us ladke ki behen thi .wo meri mom se mili thodi der baad us ne
mujh se kaha chalo na wahi pe baithte hai to meri mom ne kaha ki haan
haan tum log jao apni friend ke sath , bhai ko bhi sath le jao magar
jaldi aajana aur khana kha lene fir khana kha ke chali jana, hum ne
kaha thik hai, magar jab hum waha pe gaye to wo ladka wahi pe baitha
tha us ne apni sister ko thanks kaha , aur fir hum baatein karne lage,
baato baato mein pata chala ki wo dono sage bhai behen hai magar wo
bhi apas mein chudai ka maza lete hai, us ladki ne mujh se khul kar
kaha ki "ghar pe kai din se mauka nahi mil raha tha,mei aaj mere bhai
se chudaongi, mujhe khushi hui ki ab koi dar nahi hai hum aram se
chudai ka maza train mein bhi le sakte hain,
kramashah.........................


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