Tuesday, July 10, 2012

सेक्सी कहानियाँ अनजान हसीना

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

अनजान हसीना

जुलाई का महिना था मैं कोटा से मुंबई जा रहा था सेकंड एसी के
कम्पार्टमेंट में साइड अपर बर्थ थी मैंने हमेशा की तरह कोल्ड ड्रिंक में
शराब मिला रखी थी और थोड़ी थोड़ी पी रहा था तभी अचानक मानो हवा के तेज़
खुश्बुनुमा झोंके की तरह एक ३५ साल की हसीना एक बैग ले के आयी एकदम गोरी
चिट्टी बड़ा ही मादक चेहरा बोलते समय गालो पे डिम्पल पड़ रहे थे बड़ी बड़ी
हिरनी जैसी आखें सुराहीनुमा गर्दन सीने पर बेहद उन्नत वक्ष स्थल मानो
अपने योवन पर इतरा रहे हों पतली कमर गोरे गोरे पेट पर बेहद गहरी खाई नुमा
नाभि मानो थोड़ी नीचे वाली अपनी सहेली की गहराई को नुमाया कर रही हो . और
सबसे खूबसूरत उसके मोटे मोटे नितम्ब जो चलते समय जिस तरह से उपर नीचे हो
रहे थे ट्रेन के सभी यात्रियों के लंड खड़े हो रहे थे किस्मत की बात उसकी
बर्थ मेरे सामने वाली ही थी उसने बिना किसी से बात किये अपनी सीट पर बैठ
गयी और एक किताब निकल कर पड़ने लगी ट्रेन अपनी गति से आगे बड़ने लगी थोड़ी
देर तक मैंने उसके मस्त जिस्म का नज़ारा लेने के बाद जब उधर से कोई
प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैंने भी अपनी ड्रिंक और किताब में ध्यान लगा
दिया लघभग शाम हो चली थी अचानक वो उठी और बाथरूम की तरफ गयी जब वो वापस
आई तो उसका चेहरा काफी थका हुआ था
फिर वो अपनी सीट पर बैठ गयी अचानक उसे जोर से उलटी हुई सारे मुसाफिर एक
तरफ हो गए उसके लगातार उल्टियाँ हो रही थी मगर कोई मुसाफिर आगे नहीं आया
मैं अपनी सीट से कूदा और उसे संभाला उसके लगातार उल्टियाँ हो रही थी
जिससे मेरे कपडे भी ख़राब हो गए सरे मुसाफिर मुझे अचरज से देख रहे थे तभी
वहां टी.टी. आ गया उसने बताया की बस कुछ मिनटों में अगला स्टेशन आने वाला
है . जैसे ही अगला स्टेशन आया टी.टी. दौड़ के स्टेशन पर से किसी डॉक्टर
को ले आया. तब तक उसका मखमली बदन मेरी बाँहों में था वो बिलकुल पस्त हो
गयी थी डॉक्टर ने देख कर कहा की इन्हें तुरंत हॉस्पिटल में दाखिल करना
पड़ेगा . सब लोग उसे नीचे उतरने में मेरी मदद कर रहे थे तभी उसने मेरा हाथ
जोर से पकड लिया और बोली की मैं उसे अकेले छोड़ कर ना जाऊं पता नहीं कौन
से आकर्षण के फलीभूत मैं भी अपना बैग लेकर उसे गाड़ी में ड़ल कर हॉस्पिटल
ले आया. यह कोई छोटा सा शहर था वहां एक ही हॉस्पिटल था डॉक्टर नें चेक
करके बताया की फ़ूड पोइस्निंग हो गयी है तब तक वह बिलकुल बेहोश हो गयी थी
डॉक्टर ने दो चार इन्जेक्शिन दे कर जनरल वार्ड में जाने को कहा तो मैंने
पूछा की कोई प्राइवेट वार्ड है क्या डॉ ने कहा है तो सही मगर वहां कोई
महिला नर्स नहीं है में बोला कोई बात नहीं यह मेरी पत्नी है में संभाल
लूँगा .प्राइवेट वार्ड काफी बड़ा रूम था जिसमे मरीज के बेड के पास एक और
बेड लगा था वों हसीना बेहोश थी नर्स उसके ड्रिप लगा कर चली गयी थी मैंने
अपना और उसका बैग अलमारी में रखा और एक भरपूर नज़र उस पर डाली सोती हुई भी
वोह बड़ी सुन्दर लग रही थी थाभी मेरा ध्यान अपने और उसके कपड़ों पे गया हम
दोनों के कपडे उसकी उलटी से ख़राब हो गए थे में तुरंत बाथरूम में गया हाथ
मुह धो कर अपने कपडे बदले मैं सोच रहा था की इस हसीना को में जानता भी
नहीं हूँ हॉस्पिटल के रजिस्टर में मैंने इसका नाम सुनीता और खुद को इसका
पति लिखवा दिया है कल को जब ये जागेगी तो क्या सोचेगी फिर अपने दिमाग को
एक झटका दिया और बैग में से शराब का पव्वा निकला दो घूँट ही मारे थे तभी
मुझे याद आया की इस हसीना के कपडे भी तो उसकी उलटी मैं सने हुए हैं और
मेरे से भी ज्यादा गंदे हैं समस्या यह थी की प्राइवेट वार्ड मैं कोई
महिला नर्स भी नहीं थी और मैं लड़कियों के मामले मैं कितना भी कमीना सही
मगर कभी किसी की मजबूरी का नाजायज़ फायदा नहीं उठाता था .काफी देर तक मैं
सोचता रहा और घूँट मारता रहा थोड़ी देर मैं पव्वा ख़तम हो गया . मैंने एक
नज़र उस हसीना पर डाली उसकी कुर्ती तो पूरी उलटी मैं सनी हुई थी और उसमें
से बदबू आ रही थी . वोह हसीना तो बेहोश थी इसलिए उसे पता नहीं चल रहा था
. मैंने उसका बैग खोला बैग मैं एक मैक्सी निकाली और एक तौलिया लेकर उसे
अपनी बाँहों का सहारा दे कर थोडा उठाया फिर उसकी चैन खोल कर उसकी कुर्ती
उतार दी वोह थोड़ी कुनमुनाई मगर फिर शांत हो गयी कुर्ती उतारते ही मानो
मैं भोंचक्का रह गया इस अनजान हसीना का क्या बदन था मैंने अपनी जिंदगी
में कई लड़कियों को चोदा था मगर इतना सुन्दर बदन मैंने आज तक नहीं देखा
था गोरा भरा हुआ बदन उस पर अपने योवन की खूबसूरती बढ़ते हुए दो उन्नत
पहाड़ जैसे चूचे एकदन गोरे और काली ब्रा मानो उसकी खूबसूरती में चार चाँद
लगा रही थी . चूचियों के नीचे सपाट पेट पर एक गहरी सी नाभि मानो मुझे बता
रही हो देख मुझे और कल्पना कर की मेरी बड़ी बहन जो मुझसे थोड़ी ही नीचे
बैठी है कैसी होगी . मैंने जैसे तैसे अपने को संभाला और फिर उसकी ब्रा
खोली ब्रा के खुलते ही दो खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी छोचियाँ सामने आ गयी
क्या खूबसोरत नज़ारा था जिस हसीना को मैं पूरी तरह जानता भी नहीं वह मेरी
बाँहों में अर्धनग्न पड़ी है मैंने तौलिया गीला करके उसका बदन साफ़ किया
फिर उस पर अपने बैग से पावडर निकाल कर उसके बदन पर लगा दिया और गीले हाथ
से उसका मुंह भी धो दिया . अब बारी थी नीचे की . मेरी गांड इसलिए भी फट
रही थी की मैं तो भला कर रहा हूँ और अगर यह जाग गयी और हल्ला मचा दिया तो
मैं मारा गया . फिर भी मैंने हिम्मत करके उसकी सलवार उतारी कसम से काया
नज़ारा था गोल गोल मोटी सफ़ेद एकदम चिकनी जांघे इतनी सुन्दर की मुझे लग रहा
था की अगर मैं ठाठ लगाऊंगा तो कहीं मैली न हो जाये .इन खूबसूरत जांघों के
बीच में काली रंग की छोटी सी पैंटी मानो उस खूबसूरत संतरे की दो फांक
जैसी चूत को डाकने का प्रयास कर रही थी . मैंने तुरंत उसकी पैंटी भी उतार
दी अब वह हसीना मादरजात नंगी मेरे सामने थी
. एकदम गोरी पाव रोटी की तरह मोटी चूत उसपर हलके हलके बाल मानो एक दो दिन
अफ्ले ही साफ़ किया हों इसके पहले मेरी नीयत डोल जाती मैंने तुरंत मैक्सी
उसे पहना दी
और कुर्सी पर आ कर बैठ गया हाँफते हुए मैंने बैग खोला शराब निकाली और एक
ही घूँट में एक बड़ा नीट पैग मार लिया . हलक में एक गर्म लहर सी दौड़
गयी. दो मिनट बाद थोडा सा संयत होकर सबसे पहले में बाथरूम में गया मेरा
लौड़ा मानो फटने की कगार पे था मैंने मुठ मारनी शुरू कर दी जैसे ही मेरा
माल निकला मेरी जान में जान आई . अब में काफी संभल चुका था वापस कुर्सी
पर आ कर बैठा और अपने बैग से कुछ खाने को निकला . शराब के पैग के साथ
थोडा खाना खाया फिर एक भरपूर नज़र उस अनजान हसीना पर डाली और पास पड़े बेड
पर सो गया . सचमुच आज का दिन बड़ा अजीब सा गुजरा था
सुबह अचानक ५ बजे मेरी नींद खुली मैंने उसके बेड की तरफ देखा वोह हसीना
जग गई थी और कुनमुना रही थी मैं तुरंत उसके बेड के पास गया उसके सर पे
हाथ फेर कर मैंने तबियत के बारे मैं पूछा तो वो बड़ी कमजोर आवाज़ में
बोली कि तबियत तो ठीक है मगर कमजोरी बहुत आ गयी है . उसे बाथरूम जाना था
मैंने उसे सहारा दे कर जैसे ही उसे उठाना चाहा अचानक उसका ध्यान अपने
कपड़ों पे गया वो बोली मेरे कपडे किसने बदले . मैं बोला कपडे तो मुझे ही
बदलने पड़े क्योंकि आपके कपडे उलटी से गंदे हो गए थे यह सुनते ही उसका हाथ
अपनी चूत पे चला गया . मैं उसकी घबडाहट समझ कर बोला मैडम घबराइए मत मैंने
आपकी मजबूरी का कोई नाजायज़ फायदा नहीं उठाया है न ही मैं इस तरह का आदमी
हूँ.
उसके चेहरे पर एक कमज़ोर सी मुस्कुराहट आ गयी बोली नहीं मैं तो ऐसे ही पूछ
रही थी . मै बोला हालाँकि मैंने आज तक जितनी लड़कियों को देखा है उनमे आप
जैसी सुन्दर कोई नहीं थी . यह सुनकर वोह झेंप गयी .
खैर मैंने उसे सहारा दे कर जैसे ही चलाना चाहा वो कमजोरी कि वजह से नीचे
गिर गयी . बोली कि मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा है और मुझे फ्रेश होना है
बड़ी जोर का प्रेशर लगा है . मैंने उसे गोद में उठाया और जैसे ही बाथरूम
में घुसा उसने अपने कपडे ख़राब कर दिए मैंने कमोड के पास पहुँच कर उसे
नीचे उतारा और कहा कि मैडम आपके कपडे तो ख़राब हो गए साथ में मेरे कपडे
भी अगर आप उचित समझें तो में आपके कपडे उतार दूं उसने नज़रें नीचे किये
हुए हाँ कर दी मैंने उसकी मैक्सी उतार दी मैक्सी उतारते समय उसकी पीठ पर
भी गंदगी लग गयी मेरे बनियान और अंडरवियर पर भी गंदगी लग चुकी थी .में
बोला पहले आप पूरी तरह से अपना पेट खाली कर लें फिर में आपको साफ़ कर
दूंगा उसने आँखों में आंसू भर कर मेरी तरफ देखा और दीवार के सहारे लगे
पाइप को पकड़ कर कमोड पर बैठ गयी .मैंने भी अपना बनियान और अंडरवियर उतारा
फिर उसकी मैक्सी और अपने कपड़ों को साबुन से धोया फिर नंगा ही कपड़ों को
लेकर कमरे में सूखने के लिए डाल आया .
इसके बाद में नंग धडंग उसके पास खड़ा हो गया और पुछा कि मैडम अगर आप फ्री
हो गयी हो तो आपको साफ़ कर दूं उसने नज़रें उठाई एक पल को उसकी नज़रें मेरे
७ इंच के खड़े हुए लंड पर रुकी फिर हाँ बोल दिया में भी बिना कोई शर्म
किये पानी का मग लेकर उसकी गांड धोने लगा गांड धोते समय मैंने अपनी ऊँगली
एक बार उसकी चूत तक पहुंचा दी वो चिहुंक उठी मगर कुछ नहीं बोली . मैंने
अपने हाथ धो कर कहा मैडम आपके पीछे काफी गंदगी लगी थी अब आप चाहें तो में
आपको नहला दूं वैसे मुझे भी नहाना पड़ेगा .
वो बोली आप सही कह रहे हैं मगर मुझसे तो खड़ा ही नहीं हुआ जा रहा है.
मैंने कहा अगर आप बुरा ना माने तो मैं अपनी बाँहों मैं लेकर नहला दूं .
वो बोली अब बुरा मानने की कोई बात बची नहीं है सब कुछ तो बेपर्दा हो चुका
है . मैंने शोवर चालू किया और उसे अपनी बाँहों मैं लेकर नहलाना शुरू कर
दिया उसके नरम बड़े बड़े चूचे मेरी छातियों से चिपके हुए थे मेरा लंड तो
बेकाबू हुआ जा रहा था वैसे भी वो खड़ा होकर उसकी चूत के दरवाजे पे दस्तक
दे रहा था मेरे हाथ उसकी चिकनी पीठ और गोल गोल बड़े बड़े कूल्हों पर
साबुन लगा रहे थे. वो बार बार कुछ कहना चाह रही थी मगर बोल नहीं पा रही
थी मैंने पूछा आप कुछ कहना चाह रही हैं जवाब मैं उसने कहा हाँ और हाथ
नीचे करके मेरे लंड को पकड़ कर साइड मैं कर दिया और बोली आपका यह चुभ रहा
था .
उसके लंड के हाथ लगाते ही मानो लंड नें बगावत कर दी मेरे लिया अब
बर्दास्त करना मुश्किल हो गया था मैंने उसे एक बाहं में पकड़ा और दुसरे से
मुठ मारने लगा. वो एकदम चकित हो गई बोली यह क्या कर रहे हैं मेरी एक बाहं
में वो नंगी खड़ी थी मेरी हथेली में उसकी चूची थी मैंने उसकी चूची पर
थोडा दबाव बनाया और बोला मैडम मैं भी इंसान हूँ इतना सुन्दर बदन किसी को
भी बेईमान कर सकता है मगर मैं किसी की मजबूरी का नाजायज़ फायदा नहीं उठता
हूँ मगर अपने जिस्म को को तो शांत करना पड़ेगा .यह कह कर में तेजी से मुठ
मारने लगा वोह आँखे फाड़ कर मेरे लंड पर मेरा हाथ चलते हुए देख रही थी .
तभी मेरे लंड से लेजी से वीर्य निकलना शुरू हो गया काफी सारा वीर्य
निकलने के बाद मेरा लंड थोडा शांत हुआ . अचानक उसके मुह से निकला इतना
सारा निकल गया लगता है काफी भरे हुए थे . में बोला मैडम आप ही बताइए
कितनी देर से आप नंगी मेरे साथ हैं आपको कुछ होता है या नहीं मुझे नहीं
पता मगर मेरे तो होता है . अब आपको नहला दूं यह कह कर मैंने उसकी चूचियों
पर साबुन लगाना शुरू कर दिया मैंने देखा की उसने अपनी आँखें बंद कर रखी
थी शायद वोह अपने जज़्बात दबाने की कोशिश कर रही थी तभी मैंने साबुन लेकर
उसके चिकने पेट से होते हुए उसकी चूत पर लगाना शुरू कर दिया उसने अपनी
टांगें फैला दी ताकि में अपना हाथ अच्छी तरह से नीचे लेजाकर साफ़ कर सकूं
उसकी फूलो हुई चूत पर साबुन लगाते हुए मैंने अपनी ऊँगली उसके छेद में
डाली तो उसकी चूत का छेद काफी चिकना हो रहा था


मैं समझ गया की मादरचोद गरम तो हो रही है मगर मैंने तुरंत अपने दिमाग को
झटका दिया और अपने को संयत कर लिया उसे नहलाने के बाद मैंने उसे बाँहों
में पकडे पकडे अपने बदन पे साबुन लगाया और जल्दी जल्दी नहाने लगा नहाते
हुए मैंने अपने लंड की चमड़ी पीछे करी और अच्छी तरह साबुन लगा कर साफ किया
वो बोली आप सफाई का बहुत ध्यान रखते हैं मैंने कहा मैडम जरूरी है और
तोलिये से बदन पोंछने लगा अपने बदन पोंछ कर मैंने उसका बदन पोंछा और उसे
बाँहों मैं उठा कर बेद पे लेजाकर लिटा दिया फिर पावडर लेकर उसके बदन पर
लगाया और कपडे पहना दिए तभी वो बोली की आप भी कुछ पहन लीजिये मैं बिलकुल
नंगा ही उसके सामने खड़ा था . मैंने कहा की मैडम क्यों मैं नंगा अच्छा
नहीं लगता क्या मेरी पत्नी तो कहती है की तुम नंगे ही अच्छे लगते हो .
मेरे यह कहने वो झेंप गयी मुह दूसरी तरफ कर के बोली की आप मुझे मैडम मत
बुलाइए मेरा नाम संगीता है .
मैंने कपडे पहन कर उससे उसके पति के बारे मैं पूछा तो उसकी अंकों मैं
आंसू आ गए उसने बताया की उसकी उम्र ३८ साल की है और वोह एक बैंक मैं है
उसकी शादी १५ साल पहले हुई थी मगर वोह मां नहीं बन सकती थी इसलिए उसके
पति ने उसे छोड़ दिया था . तब से वोह मुंबई से दूर कोटा में रहती है और
यहीं उसने अपना ट्रांसफर करवा लिया था यहाँ एक छोटा सा माकन खरीद कर अपने
अकेलेपन को अपना साथी बना लिया था. वो बार बार कह रही थी की कल अगर आप
नहीं होते तो शायद में मर गई होती. हॉस्पिटल आने के बाद भी आने जो कुछ भी
मेरे लिया किया वो तो कोई अपना भी नहीं करता .
वो बहुत भावुक हो गई थी मैं उसके बिस्तर पर जाकर बैठा और उसके चेहरे को
अपने हाथों मैं ले कर उसकी आँखों को चूम लिया उसकी प्यारी प्यारी अंकों
से आसुओं की धर बहती जा रही थी मैंने कहा इन्हें बह जाने दो थोडा मन
हल्का होगा .
तभी डॉक्टर आ गया उसने चेक अप के बाद बताया की इन्हें आज आज और हॉस्पिटल
मैं रहना पड़ेगा और दवा का परचा मुझे दे दिया मुझसे कह की इन्हें कुछ खाने
को दो . मैं तुरंत बाज़ार जा कर उसकी दवाइयां फल और कुछ अपने और उसके लिए
खाने को ले आया . उसने पूछा की आप क्यों इतना खर्चा कर रहे हैं मेरे पर्स
मे पैसे हैं आप ले लीजिये
मैंने अपनी ऊँगली उसके होटों पर रख दी .
फिर हमने नाश्ता किया और सो गए . शाम को हम उठे अब वो थोडा अच्छा महसूस
कर रही थी .खुद उठ कर बाथरूम गई और मेरे बेड पर आ कर बैठ गयी . मैंने
अपने बैग में से शराब निकाली और एक पैग बना कर निगल लिया पैग गले में
जाते ही मुझे तरावट महसूस हुई तभी वो बोली क्या आप रोज पीते हैं मैंने
कहा हाँ और चुप हो गया थोड़ी देर हमारे बीच में चुप्पी छाई रही फिर मैंने
चुप्पी तोड़ी और कहा आपके तलाक को इतना समय हो गया क्या कभी मर्द की जरूरत
महसूस नहीं हुई क्योंकि हमारे शरीर की भी कुछ आवश्यकताएं होती हैं उसने
जवाब दिया की हाँ होती हैं और अकेलेपन में तो और ज्यादा महसूस होती हैं
मेरे पैग चल रहे थे और वो शून्य में देखते हुए बोले जा रही थी की ऐसा
नहीं है की तलाक के बाद कुछ आदमी उसकी जिंदगी में आना चाहते थे मगर पिछली
जिंदगी के कडवे अनुभव के बाद मैंने किसी को अपने पास नहीं आने दिया मुझे
सारे आदमी एक जैसे लगते थे की बस जिस्म की प्यास बुझा लो और कुछ नहीं .
पहली बार मेरी धारणा को आपने बदला आप चाहते तो मेरे साथ कुछ भी कर सकते
थे कितनी देर मेरा नंगा शरीर आपकी बाँहों में था और आपने उतेजित होने के
बाद भी मेरे साथ कुछ नहीं किया आप जैसे लोग बड़ी मुश्किल से मिलते हैं .
यह कह कर वो रोने लगी.
मैंने जल्दी से अपना पैग ख़त्म किया और उसका चेहरा अपने दोनों हाटों में
लेकर उसके आंसू पोंछ दिए और कहा की इश्वर ने हमें मिलाया है हम एक अच्छे
दिसत बनेंगे और पूरी जिंदगी दोस्त बन कर रहेंगे . यह सुन कर उसने आँखें
बंद कर ली मेरा हाथ जोर से पकड़ कर बोली की भगवन करे ऐसा ही हो . मुझे
उसपे अचानक प्यार आ गया मैंने उसके सर पर अपने तपते होंठ रख दिए उसका बदन
सिहर गया उसके हाथों का दबाव मेरे हाथों पर बाद गया हम दोनों की साँसे
बहुत तेज़ चल रही थी दूर दिल भी बहुत तेज़ धड़क रहा था में आगे बड़ा मेरे
होंठ अब उसकी आँखों से होते हुए उसके होठों तक आ गए थे हमारी साँसे एक
दूसरे से टकरा रही थी अचानक उसके होंठ मेरे होठों की गिरफ्त में थे ऐसा
लग रहा था मानो वक़्त थम गया है मेरे और उसके हाथ एक दूसरे के जिस्म पर
फिसल रहे थे और दोनों के होंठ बड़ी बेताबी से एक दूसरे को चूम रहे थे पता
नहीं कब मेरा हाथ फिसलता हुआ उसकी विशाल तानी हुई चूचियों पे आ गया मैंने
जोर से उसकी चूची दबा दी उसके मुंह से जोरदार सिसकारी निकल गयी और उसका
हाथ मेरे बरमूडा के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगा में समझ गया की
लोहा गरम है और अब यह खुद चुदना चाह रही है मैंने तुरंत उसकी मैक्सी निकल
दी अन्दर उसने कुछ पहन ही नहीं रखा था मेरे सामने एक बार फिर वही जिस्म
नंगा था जिसे में पिछले ३६ घंटों में कई बार नंगा देखा चुका था मैंने
तुरंत उसके एक चूचे को मुह में ले लिया और अपनी उँगलियाँ को हलके हलके
उसकी चूत और गांड पर सहलाने लगा अब उसकी चूत पानी छोड़ रही थी उसने अचानक
एक झटके से मुझे अलग किया और मेरे कपड़ों पर टूट पड़ी कुछ ही सेकंड्स में
में भी नंगा था मेरा लंड खड़ा होकर पह्टने की कगार पे था वो घुटने के बल
बैठ गई और अपनी गोरी गोरी हथेलियों में मेरा तन्नाया हुआ लंड पकड़ लिया और
सुपदे का चमड़ा आगे पीछे करने लगी फिर अपना मुंह आगे बढाया और अपने
खूबसूरत से होंठो में उसे पकड़ कर चूसने लगी आज तक कई लड़कियों ने लंड
चूसा है मगर इतनी बेताबी से पहली बार कोई मेरा लंड चूस रही थी ज्यादा देर
मैं भी नहीं टिक पाया और जोर से उसके बालों को पकड़ कर अपने गर्म लावे से
उसका मुंह भर दिया जैसे ही मैंने नोर्मल होने के बाद नीचे देखा तो पाया
की मेरी स्वपन सुन्दरी मेरे घुटनों के पास बैठी है और मेरे लंड का माल
उसके होटों से बह रहा है. उसने कपडे से अपना मुंह पोंछा और बोली कैसा लगा
मैंने जवाब देने की जगह उसे बाँहों मैं भर लिया और कहा एक स्वपन के साकार
होने जैसा
फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पूसे जिस्म को चूमा और चाटना
शुरू कर दिया पैर के अंगूठे से श्हुरु कर उसकी चिकनी जांघो से होते हुए
मैं उसकी नशीली चूत तक पहुंच गया मेरा आशय समझ कर उसने अपनी टाँगे चौड़ी
कर दी अब जन्नत का नज़ारा मेरे सामने था पाव रोटी की तरह सूजी हुई गोरी
चूत उसमें से रस टपक रहा था मैंने भी टपकते हुए रस के नीचे अपनी जीभ लगा
दी और सीधे अंदर डाल दी जैसे ही मेरी जीभ नें उसकी चूत के दाने को छुआ
उसके मुंह से जोरदार सिसकारी निकली मैंने पागलों की तरह उसकी चूत चाटना
शुरू कर दिया और अपना एक हाथ उसकी चूचियों पर ले जा कर उसकी चूचियां
दबानी शुरू कर दी उसने उत्तेजना में अपनी गांड उछालना शुरू कर दिया और
बडबडाना शुरू कर दिया मेरी जान में बरसों की प्यासी हूँ आज मेरी प्यास
बुझा दो मेरे बालों को अपने हाथों में जोर से पकड कर अपनी चूत पे दबा
दिया तभी उसकी चूत से एक जोरदार धार निकली और मेरे मुंह को भिगो गयी में
समझ गया की यह झड गयी वो हाँफते हुए शांत हो गयी मैं भी उसके ऊपर लेट गया
और उसे चूमने लगा उसने अपनी आँखे खोली और प्यार से मेरी तरफ देखा फिर हम
दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे . इतनी देर मैं मेरा लंड दोबारा तैयार
हो गया था मैंने एक कपडे से उसकी चूत पोंछी और उसकी टांगों के बीच बैठ
गया उसकी टांगे चोडी कर के उसकी चूत के मुहाने पे अपने लंड का सुपाडा रख
दिया उसने आने वाली आनंद की कल्पना में अपनी आँखे बंद कर ली और बोली
जल्दी से डाल दो मेरी जान अब और नहीं सहा जाता मैंने भी अपने लंड का दबाव
बनाते हुए धीरे धीरे अपना लंड उसकी कोमल चूत में अन्दर खिसकाने लगा आधा
अन्दर डालने के बाद मैंने एक जोर का झटका मारा उसके मुंह से चीख निकल गयी
मगर मैंने उसकी परवाह किये बैगर अपना पूरा लंड उसकी म्यान में डाल दिया
मैंने देखा की उसकी आँखों में आंसू थे में समझ गया की ये चूत कई बरसों से
नहीं चुदी है इसलिए दर्द तो हुआ ही होगा मैंने अब धमाधम धक्के लगाने शुरू
कर दिए उसने अपने नाख़ून मेरी पीठ में चुभा दिए और अपने टाँगे उठा कर मेरी
कमर के चारों ओर लपेट दी उसके मुंह से अजीब अजीब सी आवाजें आ रही थी मेरी
जान चोदो मुझे जल्दी से फाड़ दो मेरी चूत यह मुझे बहुत परेशान करती है
मेरे सरताज मुझे आज जन्नत दिखा दो अचानक उसने अपने चुतड जोर जोर से
हिलाने शुरू कर दिए उसका बदन ऐंठने लगा एक जोदार धार मेरे लंड पे पड़ी में
समझ गया की ये झड गयी है मैंने भी अपनी स्पीड तेज़ कर दी कुछ देर में में
भी झड गया . थोड़ी देर बाद जब वासना का ज्वर थमा तो हम उठे और बाथरूम में
जाकर एक साथ नहाये. नहाते समय मेरा लंड दोबारा सर उठाने लगा उसने कहा की
क्या इरादा है . मेरी इच्छा तो थी मगर उसकी तबियत के बारे में सोच कर
मैंने उसे चूम कर बाद में करने को कह दिया .
रात हो चली थी हम खाना खा कर सो गए दूसरे दिन हॉस्पिटल से फ्री होकर हम
बॉम्बे चले गए

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