चुद चुद के मस्ती में, जान गवाई सस्ती में
"मम्मी पापा नानी के घर गये हैं कुछ दिन के लिए. घर पे मैं अकेली हूँ. आ
जाओ" जब अंजलि ने प्रकाश को फोन कर के यह बोला तो दोनो की खुशी का ठिकाना
ना रहा. हालाँकि दोनो का अफेर शुरू हुए 1 साल हो गया था लेकिन अंजलि ने
प्रकाश से वादा लिया था के वो सेक्स की बात भी नही करेगा जब तक वो 20 साल
की नही हो जाती. और पिछले हफ्ते अंजलि 20 साल की हो गयी थी. कॉलेज का
अगला एअर कल से शुरू हो रहा था और अंजलि खुश थी कि आज की रात वो प्रकाश
के साथ बिताएगी.
अंजलि एक बेहद खूबसूरत लड़की थी. दूध के रंग जैसी सफेद स्किन, नीली नीली
बड़ी आँखें, गोल चेहरा, तराशा हुआ बदन और बदन की हर सही जगह पे बिल्कुल
सही क़्वालिटी में मास. जो भी अंजलि को एक बार देख लेता, वो बस देखता ही
रह जाता. बला की सी खूबसूरत अंजलि जब अपनी गांद मटका मटका के चलती तो
देखने वाले बस अपना दिल और लंड थाम के रह जाते.हर कोई बस यही सोचता के
कैसे उसे बिस्तर में ले जाया जाए, लेकिन अंजलि किसी के हाथ ना आती.
रोमीयो टाइप के बंदे ऐसे ही उसके आगे पीछे घूमते रहते और उसके काम करते
रहते जबकि थोड़ी अक्ल वाले बंदे उसके नकचड़े स्वाभाव के कारण उसके पास ना
आते. लेकिन किसी से भी पूछ लो के कॉलेज की सबसे सेक्सी लड़की कौन है, तो
वो सिर्फ़ अंजलि का ही नाम लेते.
इसलिए सबको बड़ी हैरानी हुई थी जब अंजलि ने अपना उठना बैठना प्रकाश के
साथ शुरू कर दिया था. प्रकाश ना तो देखने में कुछ ज़्यादा ख़ास लड़का था
और ना ही बोल चाल में. हां पैसा उसके पास बेहद था. सबको लगता के अंजलि बस
पैसे के लिए उसके साथ है. लोग प्रकाश से जलते और उसको ज़्यादातर अवाय्ड
करते. वैसे भी वो ज़्यादातर अंजलि के साथ ही रहता था और जब अंजलि साथ में
है, तो फिर प्रकाश पे ध्यान दे कर कोई अपना टाइम क्यूँ वेस्ट करे. उन
दोनो की जोड़ी पूरे कॉलेज में "लंगूर और अंगूर" के नाम से फेमस थी.
खैर.. आज प्रकाश का लकी डे था. उसने सोच ही लिया था के अब अंजलि से ब्रेक
ऑफ कर लेगा. ऐसे रिलेशन्षिप का क्या फाय्दा जिसमें उसने अपनी गर्ल फ्रेंड
की चूत तो दूर, कभी मम्मे भी ठीक से नही देखे थे. इश्क़-विश्क,
प्यार-व्यार जैसी चीज़ों में प्रकाश विश्वास नही रखता था. उसका केवल एक
ही मान-ना था - एक मर्द सिर्फ़ 2 एमोशन्स दिखा सकता है: भूख का और
उत्तेजना का, इसलिए अगर उसका लंड नही खड़ा है तो इसका मतलब है के वो भूखा
है. वो फटाफट से अपनी कार में बैठा और अंजलि के घर के लिए रवाना हो गया.
रास्ते में उसने कुछ कॉन्डोम भी खरीद लिए. खुशी के मारे वो फूला नही समा
रहा था. उधर अंजलि का भी इंतेज़ार के मारे बुरा हाल था. जिस कुंवारेपन को
उनसे 20 साल तक संभाल के रखा, आज वो इसे किसी अनवॉंटेड बॅगेज की तरह
त्यागने वाली थी. ऐसा नही था के उसको सेक्स कैसे करते हैं नही पता था,
उसने बहुत ब्लू फिल्म्स देखी थी. इनफॅक्ट ब्लू फिल्म्स देखना और उनको
देखते हुए अपनी चूत से खेलना उसका फॅवुरेट टाइम पास था. लेकिन आख़िर असली
लंड तो असली लंड ही होता है. जो मज़ा एक तड़कते भड़कते लंड को अपने अंदर
लेने का है, वो एक मार्कर या उंगली सो तो ज़्यादा ही होगा – ऐसा उसका
सोचना था.
वो अंदर नंगी लेटी थी. तभी दरवाज़े की घंटी बजी. अपनी चूत में से अपनी
उंगली निकाल कर उसने सोचा चलो ऐसे ही जा कर दरवाज़ा खोल दिया जाए, लेकिन
फिर थोड़ी अक्ल लगाई. क्या पता कोई और हो दरवाज़े पे, उसने फटाफट अपनी
टॉप और जीन्स चढ़ाई और दरवाज़ा खोल दिया.
"मेडम वो न्यूसपेपर का बिल ड्यू है इस महीने का" सामने न्यूसपेपर वाला खड़ा था
"ठीक है. रुक 2 मिनिट, देती हूँ" कहती हुई अंजलि मूडी और पैसे लेने चली गयी
दरवाज़े खुलने के साथ जो नज़ारा उस 22 साल के युवक ने देखा वो
हैरतंग्रेज़ था. अंजलि के 2 बड़े बड़े स्तन उसके टॉप के साथ ऐसे लड़ रहे
थे मानो वो सारे बंधन फाड़ के बाहर आना चाहते हो और सारी दुनिया को अपना
दीदार कराना चाहते हो. उसके निपल्स टॉप के उपर से सॉफ दिख रहे थे जिससे
उस लड़की की उत्तेजना सॉफ झलक रही थी. फिर जब वो पीछे मूडी तो उसकी गांद
का भी वही हाल था. जीन्स थोड़ी सी नीचे को थी जिससे अनिल के सामने अंजलि
के गांद की चीर की नुमाइश हो रही थी. अंजलि पैसे ले कर आई और उसके हाथ
में पटक दिए. उसने देख लिया था के अनिल कैसे उसे घूर रहा है और उसे पता
चल गया था के अभी वो किसी हाइ क्लास रंडी जैसी ही दिख रही है. अनिल को
ऐसे घूरते देख उसको गुस्सा नहीं आया बल्कि उसकी उत्तेजना और बढ़ गयी. वो
चलते वक़्त अपने कूल्हे ज़्यादा मटकाने लग गयी जैसे अनिल को दिखा के
चिड़ा रही हो के उसको ऐसा माल कभी नही मिलेगा. अनिल ने पैसे लिए, अपनी
लार और जीभ अंदर करके अपना मूह बंद किया और तब तक दरवाज़ा भी बंद हो गया.
अनिल ने कुछ सोचा और घर के पीछे वाले रास्ते से बाहर जाने के लिए निकल
पड़ा.
तभी दरवाज़े की घंटी बजी. प्रकाश आ गया था. अंजलि ने दौड़ के दरवाज़ा
खोला और प्रकाश से लिपट गयी. उसकी खड़ी चुचियाँ प्रकाश की छाती से टकरा
के और मदमस्त हो गयी. प्रकाश ने उसके बालो में हाथ फेरा और उस के गाल को
हल्के से चूम लिया. दरवाज़ा बंद कर के उसने अंजलि क एक निपल को ज़ोर से
मरोड़ा. अंजलि के आँखों के आगे तारे छा गये. उसे लगा जैसे एक करेंट उसकी
चुचियों से हो कर उसके सारे जिस्म में फैल गया हो. "ओह्ह्ह प्रकाश" कहकर
वो फिर प्रकाश से लिपट गयी. प्रकाश ने अब अंजलि को अपनी बाहों में उठाया
और सीधा उसे बेडरूम में ले गया. दोनो बिस्तर पा बैठ कर एक दूसरे को चूमने
लगे. तभी अंजलि को जाने क्या सूझी और वो खड़ी हो गयी. उसने प्रकाश को
धक्का दे के बिस्तर पे लिटा दिया. अब प्रकाश की टांगे पलंग के नीचे थी और
धड़ पलंग पे. अंजलि ने अपनी दोनो टाँगें प्रकाश की दोनो टाँगों के इर्द
गिर्द रखी और झुक कर अपने होठ उसके होठ से मिला दिए और बेतहाशा उसको
चूमने लग गयी. प्रकाश ने अपना हाथ अंजलि के मुम्मो के नीचे रखा और धीरे
धीरे उन्हे सहलाना लगा. थोड़ी देर में अंजलि ब्रेतलेस हो गयी और साँस
लेने के लिए उसने चुंबन को तोड़ा. प्रकाश ने उसके टॉप को उतारने की कोशिश
करी लेकिन अंजलि ने उसके हाथ पे एक चाँटा मारा.
अंजलि प्रकाश के उपर से उतरी और उसकी जीन्स उतारने लगी. लेकिन पूरी
उतारने की बजाए उसने जीन्स प्रकाश की टाँगो में फसा दी और चड्डी के उपर
से ही उसके लंड को रगड़ने लगी. प्रकाश धीरे धीरे उत्तेजना में अपना
मानसिक संतुलन खो रहा था. एक साल से उसकी अंदर दबी भादास अचानक से ही
सामने आई और उसने अंजलि के बॉल पक्कड़ लिए और खड़ा हो गया. अंजलि ने किसी
तरह से अपने बॉल छुड़ाए और उसे थोड़ी दूर जा कर खड़ी हो गयी और हस्ने
लगी. प्रकाश खड़ा हुआ पर जीन्स पैरों में फसि होने के कारण अंजलि के पीछे
भाग ना सका.
"अंजलि अब मुझे और मत सताओ. आ जाओ यहाँ" उसने अपने पैरों में से जीन्स
उतारते हुए कहा.
"आ के मुझे पक्कड़ लो प्रकाश" कहते हुए अंजलि अपने कूल्हे मतकाते हुए उसे
चिढ़ाने लगी
अब प्रकाश की भी उत्तेजना चरम पे पहुँच गयी थी. उसने अपनी जीन्स उतारी और
भाग के झत्ट से अंजलि को पक्कड़ा और उसे बिस्तर पे फेंक दिया. फिर वो
वहशियों की तरह उसके कपड़े उतारने लग गया. अंजलि का टॉप तो चिथड़े चिथड़े
हो गया. उसने उसकी जीन्स भी उतारी और उठा के साइड में फेंक दी. उसने अपना
सिर उसके दायें मुम्मे के उपर रखा और उसकी चूचियों पे गरम हवा फेंकने
लगा. उसका दूसरा हाथ बायें निपल को पूरी तरह से घूमने में लगा हुआ था. अब
अंजलि के मदहोश होने की बारी थी. उसने ऐसा मज़ा कभी नही किया था. काफ़ी
देर तक उसके मम्मो से खेलने के बाद प्रकाश उसके सारे शरीर को चूमते हुए
धीरे धीरे उसकी टाँगों के बीच पहुँचा. अंजलि के टाँगों के बीच की जगह
एकदम स्मूद थी. उसने आज ही शेव किया था. प्रकाश ने वहाँ पे गरम हवा की
फूँके मारनी शुरू करी. अंजलि बस आआआः और ओह्ह्ह्ह करे जा रही थी. प्रकाश
ने अपनी उंगली से उसकी चूत के चारों और सर्कल बनाना शुरू किए. रह रह कर
वो अपनी उंगली उसके दाने पे मारता जिससे अंजलि और बिलख उठती. अब उसका
दाना गुफा से बाहर झाँकने लगा था मानो जैसे किसी चीज़ को ढूँढ रहा हो.
प्रकाश ने अपनी उंगली की जगह अपनी जीभ यूज़ करनी शुरू करी और अंजलि की
चूत का रस-पास करने लगा. अंजलि ने अपने पैर उठा के प्रकाश के कंधों पे रख
दिए और प्रकाश का सर पक्कड़ के उसको अपनी चूत के पास ही रख दिया. वो
सातवे आसमान पर पहुँच गयी थी और चाहती थी के जल्दी से झाड़ जाए. लेकिन
प्रकाश को यह मंज़ूर नही था. वो थोड़ी थोड़ी देर में अलग जगह पे प्रेम
करता जिससे अंजलि नेक्स्ट लेवेल पे पहुँचती लेकिन झॅड नही पाती
"प्लीज़ प्रकाश. आइ वॉंट टू कम. प्लीज़"
"चुप कर बिल्कुल. एक भी शब्द बोला तो वो हाल करूँगा के रोएगी तू .एक साल
से मुझे तडपा रही है. आज मेरी बारी है" कहते हुए प्रकाश ने अपना लंड अपनी
अंडर वेर से निकाल लिया और अंजलि के योनि द्वार पे उपर नीचे करने लगा –
मानो कोई जानवर बिल बनाने के लिए कोई उपयुक्त जगह ढूँढ रहा हो. अंजलि के
अंदर की आग अब उसके रोम रोम को जलाए जा रही थी. उसे बिल्कुल सहेन नही हो
रहा था. उसकी चूत से पानी झरने की तरह बह रहा था.
"प्रकाश मुझे चोदना शुरू कर. और मत तडपा वरना मार दूँगी तुझे"
"अर्रे तू तो सच मुच कुँवारी है" प्रकाश ने अपने लंड का टोपा हल्का सा
उसकी चूत में डालके बोला."अभी थोड़ा दर्द होगा, सहेन कर लेना" कहते हुए
उसने अपना लंड घुमा के उसकी गीली चूत में मारा. 2-4 धक्कों से लंड पूरा
अंदर घुस गया और अंजलि चीख मारने लगी. उसको अंदाज़ा नही था के इतना दर्द
होगा. फिर धीरे धीरे उसकी चूत की दीवारें अड्जस्ट हो गयी और उसका दर्द एक
मीठे दर्द में बदल गया. उसकी ज़िंदगी का पहले लंड उसको सच मुच बहुत मज़े
दे रहा था. प्रकाश ने भी बहुत तेज़ी में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया
जैसे के उसको कोई इनाम मिलने वाला था जल्दी करने का. घर्षण से अंजलि की
योनि की दीवारें जल उठी और वो बहुत करीब आ गयी झड़ने के.
"आह प्रकाश आइ आम कूम्म्म्मममिंग" कहते हुए वो जैसे ही तैयार हुई, प्रकाश
ने अपना लंड बाहर निकाल दिया और उसको पलट दिया. "इतनी जल्दी नही झड़ने
दूँगा मैं तुझे साली. एक एक दिन का गिन गिन के हिसाब लूँगा". प्रकाश का
लंड अब अंजलि के रस और खून से काफ़ी गीला हो चुक्का था. उसने अपनी दो
उंगलियों पे थूका और उन्हें अंजलि की गांद में डाल दिया और अंदर ही अंदर
उन्हें घुमाने लगा.
"वहाँ नही प्रकाश, बहुत दर्द होगा. तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है. प्ल्ज़ वहाँ नही"
प्रकाश ने अंजलि की गांद थोड़ी उपर उठाई और एक झटके से अपने लंड का टोपा
उसके अंदर डाल दिया. गांद पूरी तरह से तय्यार नही थी और अंजलि को बहुत
दर्द हुआ. "नही प्रकाश. प्ल्ज़ वहाँ नही" अंजलि बिलखती रही लेकिन प्रकाश
कहाँ मानने वाला था. उसने और थूक लगाया और 4-5 धक्कों में अपना लंड पूरा
अंदर घुसा दिया. "बहुत मटकाने की आदत है ना तुझे. देख आज कैसे तुझे
कुतिया की तरह चोद्ता हूँ मैं" प्रकाश बोला और डॉगी स्टाइल में उसकी लेने
लगा. पहले तो अंजलि को बहुत दर्द हुआ पर यह दर्द भी धीरे धीरे मीठा होता
गया. वो चीखती रही पर उसको मज़ा बहुत आ रहा था. प्रकाश ने उसके बॉल पकड़े
और उन्हें खीचा.."वो देख शीशे में कैसे कुतिया की तरह चुद रही है तू
साली." कहते हुए प्रकाश ने उसकी गांद पे खींच खींच के थप्पड़ मारने शुरू
कर दिए. अंजलि ने अपने दोनो दाँत ज़ोर से भीचे और एक इनटेन्स ऑर्गॅज़म
उसको आ गया. ऐसा अनुभव उसे आज तक नहीं हुआ था. उसके शरीर की एक एक नस
जैसे प्रकाश के रिदम पर बज रही थी. थप्पड़ खा खा के उसकी गांद एकदम लाल
हो गयी थी. अचानक से ही प्रकाश ने उसकी गांद में से अपना लंड निकाला और
उसको पलट दिया "खेल मेरे लंड के साथ अपने हाथ से अंजलि. मैं भी बस झड़ने
वाला हूँ". अंजलि लेते हुए, धीरे धीरे उसके लंड के टोपे को घुमाने लगी की
तभी उसका लंड हिचकियाँ ले ले कर सफेद लहू की उल्टियाँ करने लगा. एक
फव्वारे की तरह सफेद लहू निकला और अंजलि के सारे मूह को भिगो दिया. 30-40
सेकेंड प्रकाश का लंड ऐसे ही सफेद उल्टियाँ करता रहा जिससे अंजलि का सारा
चेहरा भर गया. इसी बदहवासी में प्रकाश ने अपने दायें हाथ से अंजलि की चूत
का पानी फिर से निकाल दिया और दोनो थक्क कर निढाल हो कर बिस्तर पर लेट
गये.
हफ्ते भर बाद जब अंजलि के मम्मी पापा वापस घर आए तो उन्होने पाया के घर
का दरवाज़ा बंद है. उनके पास चाबी थी और उन्होने घर खोला. अंदर का नज़ारा
देख कर उनके होश उड़ गये. खून की नदी बह रही थी और बीच में अंजलि पड़ी थी
अपनी कटी हुई कलाई के साथ. उन बेचारों को पता भी नहीं था के यह क्यूँ
हुआ. यह तो बस 2 लोग जानते थे – अंजलि और वो न्यूसपेपर वाला जिसने अंजलि
और प्रकाश के संभोग की वीडियो उतार के इंटरनेट पे "अंजलि कांड" के नाम से
डाली थी. उसको तो कुछ हासिल नही हुआ, पर एक मा-बाप से उनकी औलाद छिन गयी.
वो कभी नही समझ पाए के किसने और क्यूँ उनकी बच्ची की ज़िंदगी के साथ
खिलवाड़ किया. क्या मिला उसको खिलवाड़ करके?? जैसे जैसे टेक्नालजी बढ़ती
जा रही है, उनकी अंजलि जैसी लड़कियों की सेफ्टी को ख़तरा हो रहा है.
जवानी के नशे में जैसे ही उनके कदम बहेकते हैं, संसार के लाखों भूके
भेड़िए उनपे टूट पढ़ते हैं. हवस पूरी करने के बाद भी उनकी प्यास नही
मिट-ती और वो इंटरनेट के ज़रिए उस लड़की और उस के परिवार की ज़िंदगी दूभर
कर देते हैं. क्या यह सिलसिला कभी रुकेगा या हर साल ऐसे ही अंजलि जैसी
हज़ारों लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद होती रहेगी??
दोस्तो क्या हम सब ये नही रोक सकते आप सब भी इस बात के बारे मे सोचो आपका
दोस्त राज शर्मा
Chud Chud ke masti mein, Jaan gavayi sasti mein
"Mummy Papa naani ke ghar gaye hain kuch din ke liye. ghar pe main
akeli hoon. aa jao" jab anjali ne prakash ko phone kar ke yeh bola to
dono ki khushi ka thikaana na raha. halanki dono ka affair shuru hue 1
saal ho gaya tha lekin Anjali ne Prakash se waada liya tha ke wo sex
ki baat bhi nahi karega jab tak wo 20 saal ki nahi ho jaati. aur
pichle hafte anjali 20 saal ki ho gayi thhi. college ka agla year kal
se shuru ho raha tha aur anjali khush thhi ki aaj ki raat wo prakash
ke saath bitayegi.
Anjali ek behad khoobsurat ladki thhi. doodh ke rang jaisi safed skin,
neeli neeli badi aankhein, gol chehra, tarasha hua badan aur badan ki
har sahi jagah pe bilkul sahi quanity mein maas. Jo bhi Anjali ko ek
baar dekh leta, wo bas dekhta hi reh jaata. Bala ki si khoobsurat
Anjali jab apni gaand matka matka ke chalti to dekhne waale bas apna
dil aur lund thaam ke reh jaate.har koi bas yahi sochta ke kaise usse
bistar mein le jaaya jaye, lekin anjali kisi ke haath na aati. romeo
type ke bande aise hi uske aage peeche ghoomte rehte aur uske kaam
karte rehte jabki thodi akkal waale bande uske nakchade swabhaav ke
karan uske paas na aate. Lekin kisi se bhi pooch lo ke college ki
sabse sexy ladki kaun hai, to wo sirf anjali ka hi naam lete.
Isliye sabko badi hairaani hui thi jab anjali ne apna uthna baithna
prakash ke saath shuru kar diya tha. prakash na to dekhne mein kuch
zyada khaas ladka thha aur na hi bol chaal mein. haan paisa uske paas
behadh thha. sabko lagta ke anjali bas paise ke liye uske saath hai.
Log prakash se jalte aur usko zyadatar avoid karte. waise bhi wo
zyadatar anjali ke saath hi rehta thha aur jab anjali saath mein hai,
to fir prakash pe dhyaan de kar koi apna time kyun waste kare. un dono
ki jodi poore college mein "langoor aur angoor" ke naam se famous
thhi.
Khair.. aaj prakash ka lucky day thha. usne soch hi liya tha ke ab
anjali se break off kar lega. aise relationship ka kya faayda jismein
usne apni girl friend ki choot to door, kabhi mamme bhi theek se nahi
dekhe thhe. ishq-vishk, pyaar-vyaar jaisi cheezon mein prakash vishwas
nahi rakhta thha. uska kewal ek hi maan-na tha - ek mard sirf 2
emotions dikha sakta hai: bhookh ka aur uttejna ka, isliye agar uska
lund nahi khada hai to iska matlab hai ke wo bhookha hai. wo fatafat
se apni car mein baitha aur anjali ke ghar ke liye rawaana ho gaya.
raaste mein usne kuch condoms bhi khareed liye. Khushi ke maare wo
phoola nahi samaa raha tha. udhar anjali ka bhi intezaar ke maare bura
haal tha. jis kunwaarepan ko unse 20 saal tak sambhal ke rakha, aaj wo
isse kisi unwanted baggage ki tarah tyaagne waali thi. aisa nahi tha
ke usko sex kaise karte hain nahi pata thha, usne bahuut blue films
dekhi thi. infact blue films dekhna aur unko dekhte hue apni choot se
khelna uska favourite time pass tha. lekin aakhir asli lund to asli
lund hi hota hai. jo mazaa ek tadakte bhadakte lund ko apne andar lene
ka hai, woh ek marker ya ungli so to zyaada hi hoga – aisa uska sochna
tha.
wo andar nangi leti thhi. tabhi darwaze ki ghanti baji. apni choot
mein se apni ungali nikal kar usne socha chalo aise hi jaa kar
darwaaza khol diya jaye, lekin fir thodi akkal lagayi. kya pata koi
aur ho darwaaze pe, usne fatafat apni top aur jeans chadhayi aur
darwaza khol diya.
"madam wo newspaper ka bill due hai iss mahine ka" saamne newspaper
waala khada tha
"theek hai. ruk 2 minute, deti hoon" kehti hui anjali mudi aur paise
lene chali gayi
darwaze khulne ke saath jo nazaara us 22 saal ke yuvak ne dekha wo
hairatangrez tha. anjali ke 2 bade bade stan uske top ke saath aise
lad rahi thhi maano wo saare bandhan faad ke bahar aana chahte ho aur
saari duniya ko apna deedar karaana chahte ho. uske nipples top ke
upar se saaf dikh rahe thhe jisse uss ladki ki uttejna saaf jhalak
rahi thhi. Fir jab wo peeche mudi to uski gaand ka bhi wahi haal tha.
jeans thodi si neeche ko thhi jisse anil ke saamne anjali ke gaand ke
cheer ki numaish ho rahi thhi. anjali paise le kar aayi aur uske haath
mein patak diye. usne dekh liya tha ke anil kaise usse ghoor raha hai
aur usse pata chal gaya tha ke abhi wo kisi high class randi jaisi hi
dikh rahi hai. anil ko aise ghoorte dekh usko gussa nahin aaya balki
uski uttejnaa aur badh gayi. wo chalte waqt apne koolhe zyaada
matkaane lag gayi jaise anil ko dikha ke chida rahi ho ke usko aisa
maal kabhi nahi milega. Anil ne paise liye, apni laar aur jeebh andar
karke apna muh band kiya aur tab tak darwaza bhi band ho gaya. anil ne
kuch socha aur ghar ke peeche waale raaste se bahar jaane ke liye
nikal pada.
Tabhi darwaze ki ghanti baji. Prakash aa gaya tha. Anjali ne daud ke
darwaaza khola aur prakash se nipat gayi. Uski khadi chuchiyan prakash
ki chaati se takra ke aur madmast ho gayi. Prakash ne uske baalo mein
haath fera aur uss ke gaal ko halke se choom liya. Darwaaza band kar
ke usne anjali k ek nipple ko zor se maroda. Anjali ke aankhon ke aage
tare chaa gaye. Use laga jaise ek current uski chuchiyon se ho kar
uske saare jism mein fail gaya ho. "ohhh prakash" kehkar wo fir
prakash se lipat gayi. Prakash ne ab anjali ko apni baahon mein uthaya
aur seedha use bedroom mein le gaya. Dono bistar pa baith kar ek
doosre ko choomne lage. Tabhi anjali ko jaane kya soojhi aur wo khadi
ho gayi. Usne prakash ko dhakka de ke bistar pe lita diya. Ab prakash
ki taange palang ke neeche thi aur dhad palang pe. Anjali ne apni dono
taangein prakash ki dono taangon ke ird gird rakhi aur jhuk kar apne
hoth uske hoth se mila diye aur betahasha usko choomne lag gayi.
Prakash ne apna haath anjali ke mummo ke neeche rakha aur dheere
dheere unhe sehlana laga. Thodi der mein anjali breathless ho gayi aur
saans lene ke liye usne chumban ko toda. Prakash ne uske top ko utarne
ki koshish kari lekin anjali ne uske haath pe ek chaanta maara.
Anjali prakash ke upar se utari aur uski jeans utarna lagi. Lekin puri
utarne ki bajaye usne jeans prakash ki tango mein fasa di aur chaddi
ke upar se hi uske lund ko ragadne lagi. Prakash dheere dheere uttejna
mein apna mansik santulan kho raha tha. Ek saal se uski andar dabi
bhadaas achcanak se hi saamne aayi aur usne anjali ke baal pakkad liye
aur khada ho gaya. Anjali ne kisi tarah se apne baal chudaye aur use
thodi door jaa kar khadi ho gayi aur hasne lagi. Prakash khada hua par
jeans pairon mein fasi hone ke karan anjali ke peeche bhaag na saka.
"anjali ab mujhe aur mat satao. Aa jao yahan" usne apne pairon mein se
jeans utarte hue kaha.
"aa ke mujhe pakkad lo prakash" kehte hue anjali apne kulhe matkate
hue use chidhane lagi
Ab prakash ki bhi uttejna charam pe pahunch gayi thhi. Usne apni jeans
utaari aur bhaag ke jhatt se anjali ko pakkada aur use bistar pe phenk
diya. Fir wo vehshiyon ki tarah uske kapde utaarne lag gaya. Anjali ka
top to chithde chithde ho gaya. Usne uski jeans bhi utari aur utha ke
side mein phenk di. Usne apna sir uske dayein mumme ke upar rakha aur
uski choochiyon pe garam hawa phenkne laga. Uska doosra haath baayein
nipple ko poori tarah se ghumane mein laga hua tha. Ab anjali ke
madhosh hone ki baari thhi. Usne aisa mazaa kabhi nahi kiya tha. Kaafi
der tak uske mummo se khelne ke baad prakash uske saare shareer ko
choomte hue dheere dheere uski taangon ke beech pahuncha. Anjali ke
taangon ke beech ki jagah ekdum smooth thhi. Usne aaj hi shave kiya
tha. Prakash ne wahan pe garam hawa ki phoonke maarni shuru kari.
Anjali bas aaaaah aur ohhhh kare jaa rahi thi. Prakash ne apni ungli
se uski choot ke charon aur circle banana shuru kiye. Reh reh kar wo
apni ungli uske daane pe maarta jisse anjali aur bilakh uthti. Ab uska
daana gufaa se bahar jhaankne laga tha maano jaise kisi cheez ko
dhoondh raha ho. Prakash ne apni ungli ki jagah apni jeebh use karni
shuru kari aur anjali ki choot ka ras-pas karne laga. Anjali ne apne
pair utha ke praksh ke kandhon pe rakh diye aur prakash ka sar pakkad
ke usko apni choot ke pas hi rakh diya. Wo saatve aasman par pahunch
gayi thhi aur chahti thhi ke jaldi se jhad jaye. Lekin prakash ko yeh
manzoor nahi tha. Wo thodi thodi der mein alag jagah pe prem karta
jisse anjali next level pe pahunchti lekin jhadd nahi paati
"please prakash. I want to cum. Please"
"chup kar bilkul. Ek bhi shabd bola to wo haal karunga ke royegi tu
.ek saal se mujhe tadpa rahi hai. Aaj meri baari hai" kehte hue
prakash ne apna lund apni under wear se nikal liya aur anjali ke yoni
dwaar pe upar neeche karne laga – maano koi jaanwar bil banane ke liye
koi upyukt jagah dhoondh raha ho. Anjali ke andar ki aag ab uske rom
rom ko jalaye jaa rahi thhi. Use bilkul sehen nahi ho raha tha. Uski
choot se paani jharne ki tarah beh raha tha.
"prakash mujhe chodna shuru kar. Aur mat tadpaa warna maar dungi tujhe"
"arrey tu to sach much kunwari hai" prakash ne apne lund ka topa halka
sa uski choot mein daalke bola."abhi thoda dard hoga, sehen kar lena"
kehte hue usne apna lund ghuma ke uski geeli choot mein maara. 2-4
dhakkon se lund poora andar ghus gaya aur anjali cheekh maarne lagi.
Usko andaaza nahi tha ke itna dard hoga. Fir dheere dheere uski choot
ki diwaarein adjust ho gayi aur uska dard ek meethe dard mein badal
gaya. Uski zindagi ka pehle lund usko sach much bahut maze de raha
tha. Prakash ne bhi bahut tezi mein andar bahar karna shuru kar diya
jaise ke usko koi inaam milne waala tha jaldi karne ka. Gharshan se
anjali ki yoni ki diwaarein jal uthi aur wo bahut kareeb aa gayi
jhadne ke.
"aah prakash i am cummmmmming" kehte hue wo jaise hi taiyaar hui,
prakash ne apna lund bahar nikal diya aur usko palat diya. "itni jaldi
nahi jhadne dunga main tujhe saali. Ek ek din ka gin gin ke hisaab
lunga". Prakash ka lund ab anjali ke ras aur khoon se kaafi gila ho
chukka tha. Usne apni do ungliyon pe thooka aur unhein anjali ki gaand
mein daal diya aur andar hi andar unhein ghumaane laga.
"wahan nahi prakash, bahut dard hoga. Tumhaara lund bahut bada hai.
Plz wahan nahi"
Prakash ne anjali ki gaand thodi upar uthayi aur ek jhatke se apne
lund ka topa uske andar daal diya. Gaand poori tarah se tayyar nahi
thhi aur anjali ko bahut dard hua. "nahi prakash. Plz wahan nahi"
anjali bilakhti rahi lekin prakash kahan mane waala tha. Usne aur
thook lagaya aur 4-5 dhakkon mein apna lund poora andar ghusa diya.
"bahut matkaane ki aadat hai na tujhe. Dekh aaj kaise tujhe kuttiya ki
tarah chodta hoon main" prakash bola aur doggy style mein uski lene
laga. Pehle to anjali ko bahut dard hua par yeh dard bhi dheere dheere
meetha hota gaya. Wo cheekhti rahi par usko mazaa bahut aa raha tha.
Prakash ne uske baal pakde aur unhein kheecha.."wo dekh sheeshe mein
kaise kuttiya ki tarah chud rahi hai tu saali." Kehte hue prakash ne
uski gaand pe kheench kheench ke thappad maarne shuru kar diye. Anjali
ne apne dono daant zor se bheeche aur ek intense orgasm usko aa gaya.
Aisa anubhav usse aaj tak nahin hua tha. Uske shareer ki ek ek nas
jaise prakash ke rhythm par baj rahi thi. Thappad kha kha ke uski
gaand ekdum laal ho gayi thhi. Achanak se hi prakash ne uski gaand
mein se apna lund nikaala aur usko palat diya "khel mere lund ke saath
apne haath se anjali. Main bhi bas jhadne waala hoon". Anjali lete
hue, dheere dheere uske lund ke tope ko ghumaane lagi ki tabhi uska
lund hichkiyan le le kar safed lahu ki ultiyan karne laga. Ek favvare
ki tarah safedi lahoo nikla aur anjali ke saare muh ko bhigo diya.
30-40 second prakash ka lund aise hi safed ultiyan karta raha jisse
anjali ka saara chehra bhar gaya. Issi badhawaasi mein prakash ne apne
dayein haath se anjali ki choot ka paani fir se nikaal diya aur dono
thakk kar nidhaal ho kar bistar par let gaye.
Hafte bhar baad jab anjali ke mummy papa waapas ghar aaye to unhone
paaya ke ghar ka darwaaza band hai. Unke paas chaabi thhi aur unhone
ghar khola. Andar ka nazaara dekh kar unke hosh udd gaye. Khoon ki
nadi beh rahi thhi aur beech mein anjali padi thhi apni kati hui kalai
ke saath. Un bechaaron ko pata bhi nahin tha ke yeh kyun hua. Yeh to
bas 2 log jaante thhe – anjali aur wo newspaper waala jisne anjali aur
prakash ke sambhog ki video utaar ke internet pe "anjali kaand" ke
naam se daali thhi. Usko to kuch haasil nahi hua, par ek maa-baap se
unki aulaad chin gayi. Wo kabhi nahi samajh paye ke kisne aur kyun
unki bachchi ki zindagi ke saath khilwaad kiya. Kya mila usko khilwaad
karke?? Jaise jaise technology badhti jaa rahi hai, unki anjali jaisi
ladkiyon ki safety ko khatra ho raha hai. Jawani ke nashe mein jaise
hi unke kadam behekte hain, sansar ke laakhon bhooke bhediye unpe toot
padhte hain. Hawas poori karne ke baad bhi unki pyaas nahi mit-ti aur
wo internet ke zariye uss ladki aur uss ke parivaar ki zindagi dubhar
kar dete hain. Kya yeh silsilaa kabhi rukega ya har saal aise hi
anjali jaisi hazaaron ladkiyon ki zindagi barbaad hoti rahegi??
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