Thursday, June 21, 2012

सेक्सी कहानियाँ रज़िया-बानू--2




हिंदी सेक्सी कहानियाँ
रज़िया-बानू--2
3. खेत की खटिया में खेली अम्मीजान के साथ कब्बडी

शोएब भी अब खटिया पे चढ़ गया और उसने अपनी अम्मी रज़िया-बानू की टाँगो को हवा में उठा लिया, इसकी वजह से रज़िया के भोसड़े के साथ उसका गांड का छेद भी बिलकुल साफ़ नज़र आ रहा था, अब वो गौर से अपने अम्मी के पुरे बदन को मन भर के देखने लगा.

रजिया-बानू ने शरमा के अपने चहेरे को अपने हाथ से ढंक दिया.
ये देख के शोएब का लंड तो पुरजोर से एकदम लोहे के सरिये जेसा खड़ा हो गया.
शोएब ने ज्यादा देरी न करते हुए, लंड को चुत के अंदर किया ओर थोडा ऊपर होके चारपाई के दोनों और पैर रख लिए जैसे कोई टट्टी कर रहा हो, रज़िया की दोनों टांगें हवा थी ओर शोएब का लुंड चुत में जाने को बिलकुल तैयार था.

शोएब ने अपनी कमर ऊपर करके लुंड को चुत के अंदर किया, भोसड़ा-चटाई करते वक्त लग शोएब के थूंक और चरम-सुख के कारण निकले रजिया-बानू के पानी के कारण, उनका भोसड़ा एकदम गीला व चुदने के लिए १००% रेडी हो चूका था. जेसे ही शोएब ने अपनी कमर से थोडा जोर लगाया, उसका पूरा का पूरा लंड, रजिया-बानू की भोस में समाँ गया और रज़िया मुँह से आःह्ह्ह्ह निकाल पड़ी.

शोएब अपना छोटा लेकिन उत्तेजित लंड धीरे धीरे अंदर बहार कर रहा था, थोडा नीचे होता ओर लुंड को पूरा अंदर कर देता. रज़िया को चिलाने का मन कर रहा था वो चाहती थी के वो जो महसूस कर रही अपने इस बेटे को चिक्ख चिक्ख कर बताये पर वो खुद संभाल रही थी की कहीं खेत के मजदूर दोडके आ ना जाए.

जब शोएब को लगता की वो झड़ने की कगार पे हें तो वो अपने धक्को की स्पीड धीमी कर देता. ओर कभी कभी तो बिलकुल ही हिलना बंध करके, अपना लंड अम्मी-जान की चुत में रख के, बिना हिले-डुले दो-तीन मिनट आराम कर लेता. उसे ऐसा करने में बड़ा मज़ा आता था क्योकि जेसे ही शोएब हिलना बंध कर देता तो रजिया-बानू अपने कुल्लो को आगे पीछे करके ठुकाई चालू रखती और शोएब की कमर को पकड़ के अपने हाथो से उसे अंदर बाहर करने के लिए, धक्का देती.

एक अनुभवी ओरत की चुदाई करना तो कड़ी धुप में खेतों में काम करने से भी ज्यादा थका देने वाला काम था. शोएब के पसीने और छक्के छूटने लगे. उसने अम्मी-जान को जोर से एक फ्रेंच किस देकर अपना मुँह अम्मी के मुँह पे लोक कर दिया.

शोएब ने अपने धक्को को तेज किया और लंड ऊपर होने वजह से चुत में घुस जाता था ओर फट से दूसरा धक्का लगा जा रहा था रज़िया ने अपने दोनों हाथो से खटिया के दोनों सिरों को पकड़ लिया, बस एक धक्का और जोर से जेसे ही शोएब ने लगाया की उसी वक्त रजिया-बानू की छूट गयी, दो चार धक्के मारने के बाद शोएब ने भी पानी छोड़ दिया.

शोएब बिना संभले रज़िया की चुचियो पर जा गिरा उसकी टांगें सीधी हुई जिसकी वजह से रज़िया की टांगें हवा से नीचे आ कर ज़मीन पर लग गयी दोनों की सांसें बड़ी तेज चल रही थी. रज़िया ने शोएब को अपने ऊपर से हटाया ओर ठंडी हुई उसकी चुत से निकलता काफी सारा पानी उसकी जांघ तक पहुच गया. उसने पास में पड़े को उठा कर अपनी चुत के अंदर कर सारा पानी साफ़ किया ओर कपडे पहनने लगी शोएब वही नंगा पडा उसे देख रहा था ओर अपने लुंड हाथ में लेकर हिला रहा था.

4. अम्मीजान के लिए एक तोहफा

रज़िया ने कपडे पहने ओर शोएब को बोली " कपडे पहें ले खाना खा लियो में जा रही हू "
शोएब: रुको अम्मीजान. आपको एक तोहफा देना है.
रज़िया रुक गयी शोएब ने चारपाई के नीचे पड़े एक डिब्बी को उठाया ओर रज़िया को दिया रज़िया ने डिब्बी को खोला उसमे दो पंजीब (पायल) थी जो काफी सुंदर थी उसे देख कर रज़िया के मुँह में मुस्कान आई.

शोएब: अम्मीजान आप भूल गयी होंगी लेकिन मुझे बखूबी याद है की आज आपका जन्मदिन है!
रजिया: ये पायल तो बहोत बढिया है! शुक्रिया!!
शोएब: इसमें शुक्रिया क्यों बोल रही हो! क्या में तुम्हारा बेटा नहीं हू?
रज़िया कुछ बोली नहीं उसने सोचा के वो क्या बोले अभी तो उसने अपने बेटे से चुदवाया है फिर भी...
रजिया: चल अभी तो में जा रही हू लेकिन तू खाना खा लियो.
शोएब: ठीक है अम्मीजान पर रात को कमरे में आ जाना! आपका जनमदिन खटियाँ में लेटे लेटे धूमधाम से मनाएँगे!

सुन कर रज़िया-बानू रोमांचित भी हो उठी,थोड़ी शरमाँ भी गयी और तेजी से घर की ओर निकल पड़ी.
लेकिन उन्हें कहाँ पता था की शोएब ने जन्मदिन अम्मीजान की गांड-चुदाई करके धूमधाम से मनाने का प्लान बनाया था. अब आगे क्या होगा? देखते रहीए,






काजू -किशमिशवाली खीर, बनाए बेटे को सम्भोग-वीर!

शोएब ने कपडे पहने ओर खाना खा के काम पे लग गया घर में सब आँगन पे बैठे शाम की चाय चल रही थी.
शोएब की छोटी बहिन फिज़ा, किसी रिश्तेदार की शादी की तैयारियो में मदद कराने गयी थी, वापस आई तो उसके हाथो में महेंदी लगी थी.

वो अपनी अम्मी रजिया को महेंदी दिखाने लगी.
फिज़ा: अम्मीजान देखो न केसी लगी है महेंदी!
रजिया: बहोत खूब, बहोत बढिया है!
फिज़ा: वो शाहबानो चाची ने शहेर से खास ब्यूटीपार्लर वाली लड़की को बुलाया है.
रजिया (मुँह बिगाड के): हाँ उनके घर पैसों की नदिया बहेती है,शाहबानो का शौहर पुलिस में जो है. पैसा तो होगा ही, और ऐसे मोको पे जमकर उडाएँगे भी.

रजिया पुराने दिनों की यादो में खो गयी, जब उसे भी निकाह के लिए महेंदी लगाई गयी थी, वो कितनी खुश थी,उसके दिल में कितने अरमान थे. लेकिन सुहागरात को ही उनपर पानी फिर गया, जब सोराबुद्दीन शराब के नशे में चूर चूर, तम्बाकू से बदबू मारते मुँह के साथ, बिना कुछ रोमांस किये, सीधा उसपर चढ़ गया था और आधी मिनट में ही झडकर बेहोश हो गया था.

वो तो रजिया का नसीब अच्छा था की शोएब जेसा समजदार बेटा पैदा हुआ जो उसका ख्याल भी रखता, और हर रूप से 'संतुष्ट' भी करता.

रजिया ने मन में सोचा की वो भी अपनी नई पायल बेटी को दिखाए लेकिन फिर आइडिया केंसल कर दिया, ये सोच के की फिजा भी शोएब से नई पायल, झुमके या चूडियाँ लाने की जिद पकड़ेगी और उनके घर की माली हालत कुछ ठीक नही थी. वैसे तो बापदादा ढेर सारी जमीन, मिल्कियत छोड़ गए थे, लेकिन शोएब के अब्बा सोराबुद्दीन मिंया ने शराब और जुए में सबकुछ उडा दिया था. वो तो अब शोएब बड़ा होके खुद कामकाज देखने लगा, तब जाके परिवार की गाड़ी पटरी पे आई, उन्हों ने जमीन खरीदी, नया बड़ा मकान भी बनाया और ट्रेक्टर भी लिया.

फ़िजा ने रजिया का कंधा हिलाते हुए झकझोरा: अम्मीजान किन ख्यालो में खो गयी? खाना नही बनाना क्या?
रजिया : हाँ हाँ बेटा चलो.

Dinner time

रात के नौ बजने आये थे. अपने जन्मदिन की खुशी में रजिया ने सबके लिए खीर भी बनाई थी. लेकिन शोएब अभी तक खेत से वापस नही आया था. फ़िजा तो खाना खाके अपने कमरे में चली गयी. चूँकि घर में अभी भी टीवी नही था, इसलिए मनोरंजन के नाम पे, फ़िजा केवल छिपछिप के सहेलियों से रोमेंटिक नोवेल्स ले आती और देर रात तक अपने कमरे में पढती, यदि कोई रोमेंटिक प्लोट आ जाए तो पढते पढते अपनी चुत को ऊँगली से सराहती,उसमे उसे एक अजीब सा मजा आता. वैसे वो अभीतक एकदम कुँवारी थी.

रजिया भी रसोई में बाकि काम खत्म कर रही थी. बाहर से सोराबुद्दीन ने आवाज लगाई "में पन्द्रह मिनट में आता हू", ऐसा बोल के वो चला गया.
रजिया भी समजती थी की पन्द्रह मिनट का मतलब अब उसका मिंया पूरी रात अड्डे पे जाके दारू पिएगा और टल्ली होके किसी गटर या झाडियो में गिरके सो जाएगा. घर के सभी सदस्य भी ये ही चाहते की सोराबुद्दीन घर से बाहर ही फिरता रहे. जब भी वो घर पे होता, अक्सर छोटी छोटी बातों पे झगड़ा करना, गालियाँ बकना, मारपिटाई करना ही उसको आता था.

शोएब जब से कमाने लगा, उसने गाँव की सीमा में लगे शराब के अड्डे वाले को बोल दिया था, के मेरे अब्बा आके जितना पीना चाहे पिने देना, और महीने की पहेली तारीख को हिसाब मुझसे कर लेना.
शोएब तो मन ही मन चाहता था की बुढ्ढा कहीं जहरीली शराब पी के मर जाए तो अच्छा, कम से कम सरकार की तरफ से चार-पांच लाख रूपये मिले तो खेती के साथ साथ, छोटी मोटी किराने दुकान शुरू कर दू और बहेन के दहेज का भी इंतजाम हो जाए.

खेर तो अब रजिया बेटे की राह देखते देखते घर के बाहर ही खाट पे बेठी थी.
लगभग साडे नौ बजे शोएब ट्रेक्टर लेके वापस आ गया.

रजिया: बेटा इतनी देर क्यों हो गयी?
शोएब: कोई नही अम्मीजान वो तो जरा ट्रेक्टर खराब हो गया था.
रजिया:चल हाथ मुँह धो ले मेरे तेरे वास्ते खाना लगाती हू.
बाद में शोएब रसोईघर में आया, बैठा, रजिया ने उसकी थाली में परोसना शुरू किया.
रजिया:देख मेने खीर भी बनाई है, तुजे बहोत पसंद है ना?
रजिया ने प्यारभरी आँखों से शोएब की ओर देखा.

शोएब ने मुस्कुराके हाँ कहा. रजिया उठी और एक बोतल में से मुठ्ठीभर के काजू-बादाम-किशमिश-अखरोट उसने शोएब की खीर वाली कटोरी में डाली

शोएब: बस बस अम्मीजान इतना मत डालो!
रजिया:तू खेतों में पूरा दिन इतनी कड़ी महेनत करता हैं ना! खाएगा नही तो ताकत केसे आएगी भला?

वैसे मन ही मन रजिया का इरादा कुछ ओर ही था, इतने सारे काजू बादाम किशमिश उसने खीर में इसलिए मिलाए ताकि शोएब की मर्दाना ताकत ओर उभर के आए और वो रातभर उसकी जमकर, बिना थके ठुकाई कर सके. क्योकि रजिया बानू कोई आजकल की अल्लड लडकियो जेसी नही थी, की बस एकबार की चुदाई में ही टांयटांय फिस्स हो जाए, वो तो बरसो से भूखी थी,आज तो रात में कम से कम तीन से चार बार जमकर चुदवाउंगी ऐसा मन ही मन ठानके रखा था.

शोएब ने खाने लगा, रजिया उसके सामने ही बेठ के उसे प्यार से देखने लगी.
शोएब की नजर अम्मी के पैरों पे पड़ी
शोएब: ये क्या अम्मीजान आपने वो पायल क्यों नही पहेनी? मेरा तोहफा पसंद नही आया क्या?
रजिया:अरे बेटा अब ऐसे सजने-धजने की मेरी नही फ़िजा की उम्र है. उसके निकाह में उसे दे देंगे, ठीक हें ना?
क्या अम्मीजान आप भी. अभी कहाँआपकी उम्र हुई है, बिलकुल परिस्तान की रानी लगती हो. नही नही... मेरा तोहफा तो आपको कबूल करना ही होगा. किधर रखी है पायल?
रजिया:वो अलमारी में.

शोएब खाना छोड़ के अलमारी से वो पायल ले आता है, अपने हाथो से अम्मीजान को वो पायल पहेनाता है. रजिया बहोत ही शरमाँ जाती है, लेकिन उसका पूरा बदन रोमांच से पुलकित हो उठता है "काश तू मेरा शौहर होता"
शोएब अम्मी को बांहों में भर लेता है, होठों पे एक किस देता है और उसके बालो में हाथ फेरते हुए बोलता है : " वो तो मै अभी भी बन सकता हू. जब मियाँ बीवी राजी तो क्या करेगा काजी!"
रजिया, शोएब के चौड़े सिने पे सर रख के आँखे बंध कर लेती है और ये हसीन रात कभी खत्म न हो ऐसी दुआ करती है. थोड़ी देर बाद अपने आप को सम्भालते हुए वो शोएब से अलग होती है: चल बेटे तू अभी खाना खा ले.

शोएब: अम्मीजान चलो अब...(अपने कमरे की ओर इशारा किया)
रजिया: हाँ बाबा आती हू, पहेले ये बचाकुचा खाना बाहर कुत्तों को फेंक दू.
शोएब (मन में) कुत्तों से याद आया, आज तो अम्मीजान की कुत्ता-आसन (doggy-style)में गांड चुदाई करूँगा.
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गांड चुदाई से पहेले किया रोमेन्टिक फॉर-प्ले!

शोएब अपने कमरे में जाता है. कुछ दिनों पहेले वो खेत में फसल के लिए कीटनाशक दवाईया लाने शहर गया था, तभी उसने रजिया-बानू के लिए वो पायल खरीदी थी. साथ ही में वो परफ्यूम की बोतल व रेलवेस्टेशन के बुक-स्टोल से 'आधुनिक कोकशास्त्र' की किताब भी लाया था, जिसमे सेक्स के भिन्न भिन्न आसनों का फोटो के साथ वर्णन किया गया था. काफी देर तक वो किताब के पन्नों को आगे-पीछे करता रहा.
तब छम्म-छम्म करती पायलो की आवाज उसके कानो पर पड़ी. वो उठा और पुरे कमरे में परफ्यूम छिडक दिया.
रजिया-बानू, पहेले बेटी फिज़ा के कमरे की ओर गयी, देखा, कमरे की लाईट बंध है माने बेटी आराम से सो गयी है. अब कोई खतरा नही.
वो दबे पांव शोएब के कमरे में गयी, दरवाजा अंदर से बंध कर दिया.और हल्के से मुस्कुराते-मुस्कुराते शोएब के पलंग की ओर बढ़ी.
शोएब उठा, अपने दोनों हाथो से उसने रजिया के कंधो को पकड़ा और आहिस्ता से पलंग पे बैठाया.
शोएब: माशाल्लाह..आज तो क्या खूबसूरत लगी रही हो अम्मीजान!
रजिया ने नई नवेली दुल्हन की तरह शरमा के अपने दोनों हाथो से चहेरे को ढंक लिया.
शोएब आगे बढा, अपने हाथो से रजिया के हाथो को उसके चहेरे से हटाया, और गाल पे एक पप्पी दी.
और रजिया बानू की दोनों टांगो को जमीन से उपर उठाया और पलंग पर पूरी तरह से उन्हें लेटा दिया.

शोएब ने अपना शर्ट, लुंगी, कच्छा फट से निकाल के जमीन पर फेंक दिया. और पलंग पे बेठ गया.
शोएब भलीभांति जानता था, की ऐसे अम्मीजान सीधे सीधे तो गांड मारने दे उसके चांस बहोत कम है. किन्तु उसने ओरत को राजी करने के टिप्स उसने "आधुनिक कोकशास्त्र" पढे थे. वो समज गया था की धीरे धीरे रोमेंटिक तरीके से आगे बढने में ही समजदारी है, तभी ओरत को मजा आता हें, और वो सामने से बार बार खुद ब खुद पलंग में प्यार पाने के लिए आ जाती है.. दोपहर में खेत में की चुदाई से उसे अम्मीजान की कमजोरी का भी पता चल गया था - यानि की भोसड़ा-चटाई!

रजिया-बानू अभी भी पलंग पे लेटे लेटे मुस्कुरा रही थी, शोएब उनके पैरों के पास गया और उनकी पायलों को चूम लिया.
धीरे धीरे से शोएब अम्मीजान के पैर दबाने लगा.
ये क्या कर रहे हो?
आप पूरा दिन काम करते करते थक गयी होंगी न.. बस कुछ मत बोलिए, ऐसे ही लेट के आराम कीजिए.

शोएब अम्मीजान के पैरों को बड़े प्यार से दबाने लगा...पहेले घुटनों तक, फिर जांघों तक. उसके हाथ धीरे धीरे ओर उपर बढने लगे, अपने दोनों हाथो से उसने रजिया के दोनों मोटे बोबों को जकडा और उन्हें मसलने लगा.

Quote:
"हाय अल्ला" रजिया ने अपने नीचे का होठ दांतों के बिच दबाकर के आँखे बंध कर ली.
ये देख शोएब जोश में आ गया, और लेटी हुई रजिया की जांघों पे बैठ गया और बोबों को जमकर दबाने और मसलने लगा.
थोड़ी देर बाद उसने अपने दांये हाथ से बोबा-दबाई चालू रखी और बांये हाथ को अम्मीजान की दो टांगो के बिच की जन्नत पे रख दिया. बिना गाउन या घाघरा, उतारे या नीचे किए वो ऐसे ही अपने नाखूनों से अम्मीजान की भोस को स्क्रेच करने लगा.
रजिया तो जेसे जन्नत में थी, उसने अपनी उन्ह्कार रोकने के लिए अपनी हथेली होंठो के बिच दबा दी.

शोएब तो खाने बैठा था तब का चुदाई के लिए उत्सुक था, लेकिन उसने खुद पर काबू रखा, की नही आज अम्मीजान का जन्मदिन है तो मजे लेने का उनका हक पहेले बनता है. शोएब ने ऐसे ही अपना फॉर प्ले लगभग आधे घंटे तक जारी रखा. इस बिच रजिया-बानू एकबार झड भी गयी. तब जाकर शोएब को लगा की हाँ अब लोहा गरम हुआ है, हथोड़ा मारने का टाइम आया है.

उसने धीरे से रजिया बानू को धक्का लगा के पेट के बल सुला दिया और उनका गाउन और घाघरा उपर की ओर खिंच दिया.
अब अपने दोनों हाथो से रजिया के मोटे मोटे नितम्बो को दो तरफ पसारा और अम्मीजानके गांड के कसे हुए छेद का निरीक्षण किया.
शादी के बीस साल बाद भी रजिया-बानू की गांड अभी तक अनचूदी-अनछुई थी क्योकि उसके शौहर सोराबुद्दीन मियाँ का फटीचर लंड तो बमुश्किल से चुत में भी घुस पाता था, गांड चुदाई करना तो सोराबुद्दीन मियाँ के लिए जेसे लोकपाल बिल पास करानेजेसा असंभव काम था.

क्या शोएब जेसा एक नौसिखिया और अल्लड खिलाडी, रजिया-बानू की सफलतापूर्वक गांड चुदाई कर पाएगा, या फिर उसका लंड FDI in retail की माफिक बिना जलवा दिखाए ही ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
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