Sunday, June 10, 2012

सेक्सी कहानियाँ मा बेटे के सेक्स की कहानी--1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

मा बेटे के सेक्स की कहानी--1
सावधान........... ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा
समाज मा बेटे और भाई बहन के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः
जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी
ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक मा बेटे के सेक्स की कहानी है


चांग सिंह मेघालय राज्य के एक छोटे से गांव का रहने वाला है. वो अपने माँ
- बाप का एकलौता बेटा है. गांव में घोर गरीबी के चलते उसे 15 साल की ही
उम्र अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर दिल्ली आना पड़ा. दिल्ली आते ही उसे एक
कारखाने में नौकरी मिल गयी. उसने तुरंत ही अपनी लगन एवं इमानदारी का इनाम
पाया और उसकी तरक्की सिर्फ एक साल में ही सुपरवाइजर में हो गयी. अब उसे
ज्यादा वेतन मिलने लगा था. अब वो अपने गाँव अपने माँ - बाप से मुलाक़ात
करने एवं उन्हें यहाँ लाने की सोच रहा था. तभी एक दिन उसके पास उसकी माँ
का फोन आया कि उसके पिता की तबियत काफी ख़राब है. चांग जल्दी से अपने
गाँव के लिए छुट्टी ले कर निकला. दिल्ली से मेघालय जाने में उसे तीन दिन
लग गए. मगर दुर्भाग्यवश वो ज्यों ही अपने घर पहुंचा उसके अगले दिन ही
उसके पिता की मृत्यु हो गयी.

होनी को कौन टाल सकता था. पिता के गुजरने के बाद चांग अपनी माँ को दिल्ली
ले जाने की सोचने लगा क्यों कि यहाँ वो बिलकुल ही अकेली रहती और गाँव में
कोई खेती- बाड़ी भी नही थी जिसके लिए उसकी माँ गाँव में रहती. पहले तो
उसकी माँ अपने गाँव को छोड़ना नही चाहती थी मगर बेटे के समझाने पर वो मान
गयी और बेटे के साथ दिल्ली चली आयी. उसकी माँ का नाम बसंती है. उसकी उम्र
31 - 32 साल की है. वो 15 साल की ही उम्र में चांग की माँ बन चुकी थी.
आगे चल कर उसे एक और संतान हुई मगर कुछ ही दिनों में उसकी मृत्यु हो गयी
थी. आगे चल कर बसंती को कोई अन्य संतान नही हुई. इस प्रकार से बसंती को
सिर्फ एक पुत्र चांग से ही संतुष्टी प्राप्त करना पड़ा. खैर ! चांग उसका
लायक पुत्र निकला और वो अब नौकरी कर के अपना और अपनी माँ का ख़याल रख सकता
था.

चांग ने दिल्ली में एक छोटा सा कमरा किराया पर ले रखा था. इसमें एक किचन
और बाथरूम अटैच था. उसके जिस मकान में यह कमरा ले रखा था उसमे चारों तरफ
इसी तरह के छोटे छोटे कमरे थे. वहां पर लगभग सभी बाहरी लोग ही किराए पर
रहते थे. इसलिए किसी को किसी से मतलब नही था. चांग का कमरे में सिर्फ एक
खिडकी और एक मुख्य दरवाजा था. बसंती पहली बार अपने राज्य से बाहर निकली
थी. वो तो कभी मेघालय के शहर भी नहीं घूमी थी. दिल्ली की भव्यता ने उसकी
उसकी आँखे चुंधिया दी. जब चांग अपनी माँ बसंती को अपने कमरे में ले कर
गया तो बसंती को वह छोटा सा कमरा भी आलिशान लग रहा था. क्यों कि वो आज तक
किसी पक्के के मकान में नही रही थी. वो मेघालय में एक छोटे से झोपड़े में
अपना जीवन यापन गुजार रही थी. उसे उसके बेटे ने अपने कमरे के बारे में
बताया . किचन और बाथरूम के बारे में बताया. यह भी बताया कि यहाँ गाँव कि
तरह कोई नदी नहीं है कि जब मन करे जा कर पानी ले आये और काम करे. यहाँ
पानी आने का टाइम रहता है. इसी में अपना काम कर लेना है. पहले दिन उसने
अपनी माँ को बाहर ले जा कर खाना खिलाया. बसंती के लिए ये सचमुच अनोखा
अनुभव था. वो हिंदी भाषा ना तो समझ पाती थी ना ही बोल पाती थी. वो परेशान
थी . लेकिन ने उसे समझाया कि वो धीरे धीरे सब समझने लगेगी.

रात में जब सोने का समय आया तो दोनों एक ही बिस्तर पर सो गए. चांग का
बिस्तर डबल था. इसलिए दोनों को सोने में परेशानी तो नही हुई. परन्तु चांग
तो आदतानुसार किसी तरह सो गया लेकिन पहाड़ों पर रहने वाली बसंती को
दिल्ली की उमस भरी रात पसंद नही आ रही थी.वो रात भर करवट लेती रही. खैर!
सुबह हुई. चांग अपने कारखाने जाने के लिए निकलने लगा. बसंती ने उसके लिए
नाश्ता बना दिया. चांग ने बसंती को सभी जरुरी बातें समझा कर अपने कारखाने
चला गया. बसंती ने दिन भर अपने कमरे की साफ़ सफाई की एवं कमरे को
व्यवस्थित किया. शाम को जब चांग वापस आया तो अपना कमरा सजा हुआ पाया तो
बहुत खुश हुआ. उसने बसंती को बाजार घुमाने ले गया और रात का खाना भी बाहर
ही खाया.

बसंती अब धीरे धीरे अपने गाँव को भूलने लगी थी. अगले 3 -4 दिनों में
बसंती अपने पति की यादों से बाहर निकलने लगी थी और अपने आप को दिल्ली के
वातावरण अनुसार ढालने की कोशिश करने लगी. चांग बसंती पर धीरे धीरे हावी
होने लगा था. चांग जो कहता बसंती उसे चुप चाप स्वीकार करती थी. क्यों कि
वो समझती थी कि अब उसका भरण - पोषण करने वाला सिर्फ उसका बेटा ही है.
चांग भी अब बसंती का अभिभावक के तरह व्यवहार करने लगा था.

चांग रात में सिर्फ अंडरवियर पहन कर सोता था. एक रात में उसकी नींद खुली
तो वो देखता है कि उसकी माँ बैठी हुई.
चांग - क्या हुआ? सोती क्यों नहीं?
बसंती - इतनी गरमी है यहाँ.
चांग - तो इतने भारी भरकम कपडे क्यों पहन रखे हैं?
बसंती - मेरे पास तो यही कपडे हैं.
चांग - गाउन नहीं है क्या?
बसंती - नहीं.
चांग - तुमने पहले मुझे बताया क्यों नहीं? कल मै लेते आऊँगा.

अगले दिन चांग अपनी माँ के लिए एक बिलकूल पतली सी नाइटी खरीद कर लेते
आया. ताकि रात में माँ को आराम मिल सके. जब उसने अपनी माँ को वो नाइटी
दिखाया तो वो बड़े ही असमंजस में पड़ गयी. उसने आज तक कभी नाइटी नही पहनी
थी. लेकिन जब चांग ने बताया कि दिल्ली में सभी औरतें नाइटी पहन कर ही
सोती हैं तो उसने पूछा कि इसे पहनूं कैसे? चांग ने कहा - अन्दर के सभी
कपडे खोल दो. और सिर्फ नाइटी पहन लो. बेचारी बसंती ने ऐसा ही किया. उसने
किचन में जा कर अपनी पहले के सभी कपडे खोले और सिर्फ नाइटी पहन ली. नाइटी
काफी पतली थी. बसंती का जवान जिस्म अभी 32 साल का ही था. उस पर पहाड़ी औरत
का जिस्म काफी गदराया हुआ था. गोरी और जवान बसंती की चूची बड़े बड़े थे.
गाउन का गला इतना नीचे था कि बसंती की चूची का निपल सिर्फ बाहर आने से बच
रहा था.
बसंती ने गाउन को पहन कर कमरे में आयी और चांग से कहा - देख तो ,ठीक है?
चांग ने अपनी माँ को इतने पतले से नाइटी में देखा तो उसके होश उड़ गए.
बसंती का सारा जिस्म का अंदाजा इस पतले से नाइटी से साफ़ साफ़ दिख रहा था.
बसंती की आधी चूची तो बाहर दिख रही थी. चांग ने तो कभी ये सोचा भी नही था
कि उसकी माँ की चूची इतनी गोरी और बड़ी होगी. वो बोला - अच्छी है. अब तू
यही पहन कर सोना. देखना गरमी नहीं लगेगी. उस रात बसंती सचमुछ आराम से
सोई. लेकिन चांग का दिमाग माँ के बदन पर टिक गया था. वो आधी रात तक अपनी
माँ के बदन के बारे में सोचता रहा. वो अपनी माँ के बदन को और भी अधिक
देखना चाहने लगा. उसने उठ कर कमरे का लाईट जला दिया. उसकी माँ का गाउन
बसंती के जांघ तक चढ़ चुका था. जिस से बसंती की गोरी चिकनी जांघ चांग को
दिख रही थी. चांग ने गौर से बसंती की चूची की तरफ देखा. उसने देखा कि माँ
की चूची का निपल भी साफ़ साफ़ पता चल रहा है. वो और भी अधिक पागल हो गया.
उसका लंड अपनी माँ के बदन को देख कर खड़ा हो गया. वो बाथरूम जा कर वहां से
अपनी सोई हुई माँ के बदन को देख देख कर मुठ मारने लगा. मुठ मारने पर उसे
कुछ शान्ति मिली. और वापस कमरे में आ कर लाईट बंद कर के सो गया. सुबह उठा
तो देखा माँ फिर से अपने पुराने कपडे पहन कर घर का काम कर रही है. लेकिन
उसके दिमाग में बसंती का बदन अभी भी घूम रहा था.

उसने कहा - माँ, रात कैसी नींद आयी?
बसंती - बेटा, कल बहुत ही अच्छी नींद आयी. गाउन पहनने से काफी आराम मिला.
चांग - लेकिन, मैंने तो सिर्फ एक ही गाउन लाया. आगे रात को तू क्या पहनेगी?
बसंती - वही पहन लुंगी.
चांग - नहीं, एक और लेता आऊँगा. कम से कम दो तो होने ही चाहिए.
बसंती - ठीक है, जैसी तेरी मर्जी.

चांग शाम कारखाने से घर लौटते समय बाज़ार गया और जान बुझ कर झीनी कपड़ों
वाली गाउन वो भी बिना बांह वाली खरीद कर लेता आया.
उसने शाम में अपनी माँ को वो गाउन दिया और कहा आज रात में सोते समय यही पहन लेना.
रात में सोते समय जब बसंती ने वो गाउन पहना तो उसके अन्दर सिवाय पेंटी के
कुछ भी नही पहना. उसका सारा बदन उस पारदर्शी गाउन से दिख रहा था. यहाँ तक
कि उसकी पेंटी भी स्पष्ट रूप से दिख रहे थे. उसकी गोरी चूची और निपल तो
पूरा ही दिख रहा था. उस गाउन को पहन कर वो चांग के सामने आयी. चांग अपनी
माँ के बदन को एकटक देखता रहा.

बसंती- देख तो बेटा, कैसा है, मुझे लगता है कि कुछ पतला कपडा है.
चांग - अरे माँ, आजकल यही फैशन है. तू आराम से पहन.

अचानक उसकी नजारा अपनी माँ के कांख के बालों पर चली गयी. कटी हुई बांह
वाली गाउन से बसंती के बगल वाले बाल बाहर निकल गए थे.
चांग ने आश्चर्य से कहा - माँ , तू अपने कांख के बाल नही बनाती?
बसंती - नहीं बेटे, आज तक नहीं बनाया.
चांग - अरे माँ, आजकल ऐसे कोई नहीं रखता.
बसंती - मुझे तो बाल बनाना भी नही आता.
चांग - ला , मै बना देता हूँ.

बसंती आजकल चांग के किसी बात का विरोध नहीं करती थी. चांग ने अपना शेविग
बॉक्स निकाला और रेजर निकाल कर ब्लेड लगा कर तैयार किया. उसने माँ को
कहा- अपने हाथ ऊपर कर. उसकी माँ ने अपनी हाथ को ऊपर किया और चांग ने अपनी
माँ के कांख के बाल को साफ़ करने लगा. साफ़ करते समय वो जान बुझ कर काफी
समय लगा रहा था. और हाथ से अपनी माँ के कांख को बार बार छूता था. इस बीच
इसका लंड पानी पानी हो रहा था. वो तो अच्छा था कि उसने अन्दर अंडरवियर
पहन रखा था. किसी तरह से चांग ने कांपते हाथों से अपनी माँ के कांख के
बाल साफ़ किये. बाल साफ़ करने के बाद बसंती तो सो गयी. मगर चांग को नींद ही
नहीं आ रही थी. वो अपनी माँ के बगले में लेटे हुए अँधेरे में अपने
अंडरवियर को खोल कर अपने लंड से खेल रहा था. अचानक उसे कब नींद आ गयी.
उसे ख़याल भी नहीं रहा और उसका अंडरवियर खुला हुआ ही रह गया. सुबह होने पर
रोज़ कि तरह बसंती पहले उठी तो वो अपने बेटे को नंगा सोया हुआ देख कर चौक
गयी. वो चांग के लंड को देख कर आश्चर्यचकित हो गयी. उसे पता नहीं था कि
उसके बेटे का लंड अब जवान हो गया है और उस पर बाल भी हो गए है. वो समझ
गयी कि उसका बेटा अब जवान हो गया है. उसके लंड का साइज़ देख कर भी वो
आश्चर्यचकित थी क्यों कि उसने आज तक अपने पति के लंड के सिवा कोई और जवान
लंड नहीं देखा था. उसके पति का लंड इस से छोटा ही था. हालांकि उसके मन
में कोई बुरा ख़याल नही आया और सोचा कि शायद रात में गरमी के मारे इसने
अंडरवियर खोल दिया होगा. वो अभी सोच ही रही थी कि अचानक चांग की आँख खुल
गयी और उसने अपने आप को अपनी माँ के सामने नंगा पाया. वो थोडा शर्मिंदा
हुआ लेकिन आराम से तौलिया को लपेटा और कहा - माँ, चाय बना दे न.
बसंती थोडा सा मुस्कुरा कर कहा - अभी बना देती हूँ.
चांग ने सोचा - चलो माँ कम से कम नाराज तो नहीं हुई.
क्रमशः.....................


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