Tuesday, June 26, 2012

सेक्स कथाओ में ऐसा क्यों होता है?



हिंदी सेक्सी कहानियाँ

रेलवे सेक्स कथाओ में ऐसा क्यों होता है?
ऑफिस सेक्स कथाओ में ऐसा क्यों होता है?
झांट और अनुभव का सम्बन्ध



Key-hole से छिपछिप के अन्यों को सेक्स करते देखने की वार्ता (voyeur)
पढके मेने जाना की...
  1. जब नायक दरवाजे के की-होल से किसी को चोदते देखता है तो वो कपल हरेक आसन और पोजिशन बिलकुल नायक को दरवाजे के की-होल से साफ साफ दिखाई दे उसी प्रकार चुदाई करते है.
  2. कभी कोई कम्बल, रजाई ओढके, ट्यूबलाईट बंध कर के सेक्स करता ही नही!
  3. अगर वो कपल अचानक से दरवाजा खोल दे और नायक को पकड़ ले तो हो-हल्ला न करते हुए, हीरो को भी ग्रुप सेक्स में निमंत्रित करता है वो भी बिना कंडोम की मगजमारी किए!
  4. अगर हीरो अपनी माँ को चोदते देख ले तो ज्यादातर चुदाई करने वाला मरद उसका बाप नही बल्कि मामा, चाचा या पडोस का अंकल ही होता है.
  5. अगर हीरो भाभी या आंटी को की-होल के जरिए चोदते देख ले तो उसमे उसका पति उसे बिना संतुष्ट किये ही शीघ्रपतित हो जाता है.
माँ-बहिन की पारिवारिक सेक्स कथाए (incest)
को पढकर मैंने जाना की...
  1. यदि हीरो अपनी माँ / बहिन या बेटी के साथ होटल में जाता है तो कभी उसे अलग कमरा/पलंग नही मिलता. अपने घर की महिला सदस्य के साथ एक ही पलंग में सोने पर सेक्स अपने आप हो जाता है. रेलवे कोच में भी कुछ ऐसा ही होता है.
  2. घर की ओरत बीमार हो तो उसके पैर दबाते वक्त या मालिश करते वक्त, वो सेक्स के लिए अपने आप उत्तेजित हो जाती है और उससे चुदाई करले तो वो कभी विरोध नही करती.
  3. बेटे/भाई/बाप का हाथ फ्रेक्चर हो जाता है तो माँ/बहेंन/बेटी उसकी देखभाल करती है, और सेक्स अपने आप शुरू हो जाता है.
  4. जब माँ, बहिन, चाची, मामी,भाभी या आंटी नौजवान और अल्लड नायक को हस्तमैथुन करते देख लेती है तो उसे धमकाने या चुपचाप चले जाने की वजय वो नायक को रात को अपने कमरे में अकेले आने का आमंत्रण दे, उसे 'सेक्स' की तालीम देती है.
  5. हीरो जब कम्पयूटर पे ब्ल्यू फिल्म देखते वक्त या नंगी किताब पढते पढते मुठ मारता है तो अक्सर रूम का दरवाजा बंध करना भूल जाता है.
  6. यदि कोइ बहेन/माँ अपने हीरो-भाई/बेटे को नंगा नहाते, या सोते देख लेती है तो एकाद दो paragraphs के बाद उस के साथ अवश्य चुदवाती है!
  7. जब माँ/भाभी या बेटी बहिन हस्तमैथुन कर रही हो तो वो अक्सर रूम की लाईट भी चालू रखती है और दरवाजा भी खुला रखती है. घर से सभी सदस्य सो जाए, बाद में रजाई ओढके छिप-छिप के चुतमें ऊँगली डालना उन्हें कायरता का काम लगता है!
  8. जब बाप अपनी बेटी की चुदाई कर रहा हो तब यदि परिवार का अन्य कोई सदस्य (माँ, बेटा, साली) आ जाए तो उसे विरोध न करते हुए तुरंत ग्रुप सेक्स में शामिल हो जाता है.
  9. अगर बेटी अपने बाप से चुदवा लेती है तो अगली बार के लिए वो अपनी दो-तीन कुँवारी सहेलियो को भी ले आती है और वे भी अपनी मर्जी से खुशी खुशी बिना कंडोम के अंकल-जी से चुदवा लेती है!



भाभी और आंटी चुदाई की कहानिया
पढके मेने जाना की...
  1. गेरमर्दों से चुदवाते वक्त भाभी कभी भी कंडोम के साथ सेफ सेक्स का आग्रह नही रखती, क्योकि हर भाभी रजनीकांत की चचेरी बहेन है, चाहे किसी भी अनजान लोंडे से किधर भी चुदवाले उसे कभी गुप्तरोग या एड्स तो हो ही नही सकता!
  2. हरेक आंटी और भाभी अपने पति से असंतुष्ट होती है और प्राय: आसपडोस का कोई नौजवान, अल्लड और कुँवारा लोडा मिल जाए उसी तलाश में रहेती है. और उसका गंडू पति को भी कभी वियाग्रा खरीदने का आइडिया नही आता.
  3. कहानी में शादीशुदा मर्दों का लंड हमेशा छोटा, कमजोर और शीघ्र-स्खलित हो जाता है.
  4. हरेक भाभी केवल अपने देवर या पडोस के लड़के या वेकेशन में टूर /हिलस्टेशन या रेलवे कोच में मिले किसी अजनबी से ही प्रेगनेंट होना पसंद करती है. क्योकि टेस्ट-ट्यूब बेबी, artificial insemination, वगेरा मेडिकल ट्रीटमेंट में उन्हें पैसा बर्बाद करना पसंद नही.
  5. आंटी या भाभी का बेटा या पति या घर का कोई भी पुरुष सदस्य कभी उन्हें चुदाई करते पकड़ता नही, ज्यादा से ज्यादा उनकी बेटी या छोटी बहन पकड़ लेती है तो वो भी बिना विरोध या हो हल्ला किया ग्रुप सेक्स में शामिल हो जाती है!
  6. भाभी अपनी गांड हमेशा गेर-मर्द के लिए बचा के रखती है, और वो तब तक एकदम 'टाईट' रहे उस वास्ते न तो कभी उसने खुद अपनी गांड में ऊँगली डाली है न कभी पति को अपने गांड मारने दी है.
  7. हरेक भाभी, आंटी,माँ, बहेंन, साली और बेटी 'bi-sexual' होती है. माने की उन्हें मर्दों के साथ भी सेक्स में मजा आता है और ओरतो के साथ भी. इसलिए कहानी के किसी भी प्लोट में यदि नायक अन्य महिला के साथ पकड़ा जाता है तो वो महिला भी ग्रुपसेक्स में शामिल हो जाती है.
  8. यदि कोलेज की लड़किया पिकनिक में जाती है तो प्राय: लेस्बो सेक्स अवश्य करती है.
  9. कोई भी नायिका कभी कभी भी लौडा मुँह में लेने से मना नही करती. वार्ता की हरेक महिला पात्र, मुखमैथुन में अव्वल नम्बर का माहिर खिलाडी होती है फिर चाहे तो अक्षतयोनी वाली कुँवारी लड़की ही क्यों न हो!
  10. आंटी और भाभी चुदाई की कहानी की बाद, अपना मोबाईल नम्बर और इमेल आईडी देना बहोत ही जरूरी है. क्योकि भारतवर्ष की सभी सन्नारीया ऐसे इंटरनेट पे रेंडमली मिली कहानियो के अज्ञात लेखकों से चुदवाने के लिए बेताब होती है!

गांड चुदाई
  1. यदि हीरो ने महिला की गांड बिना कंडोम के मारी हो तो भी थोड़ीदेर बाद वे जब चुदाई का दूसरा सेशन शुरू करे तो महिला, बिना धोए या साफ किये उस गंदे-लोडे को चूस लेती है, बिना विरोध किये.
  2. घी या खाने का तेल लगाके गांड चुदाई करते वक्त चादर, पलंग या फर्श बिगड़ने का कोई खतरा नही होता.
  3. बिना कंडोम के गांड चुदाई करने में एड्स या गुप्तरोग का कोई खतरा नही होता.
  4. अगर हीरो ओरत की निपल्स या चुत या गांड पर शहद (honey) लगाके उसे चाट ले और बाद में दोनों सेक्स करके बिना साफ सफाई किए ही सो जाते है. उन्हें कभी चींटियाँ या मख्खियाँ परेशान नही करती.

ऑर्गेजम:
  1. हर औरत ऑर्गेजम के वक्त ढेरसारा पानी छोडती है लेकिन चद्दर पलंग या फर्श कभी भी गीला या गंदा नही होता. और नही कभी उसे साफ करने की जंजट!
  2. वार्ता में नायक-नायिका प्राय: एकसाथ ही झड़ते है.
  3. नायक के झड़ने से पहेले वो कम से कम तीन बार नायिका को ऑर्गेजम अवश्य देता है. केवल भाभी का पति ही उसे ऑर्गेजम देने में असफल रहेता है और शीघ्रपतित हो जाता है किन्तु फिर भी वो कभी भी वियाग्रा का इस्तेमाल या अच्छे डॉक्टर से अपने नामर्दानगी का इलाज नही करवाता.

शिक्षक:
  1. यदि कोई शिक्षिका ट्यूशन करवाती है तो वो अपने छात्रों से चुदवाती अवश्य है! और ऐसा करवाने के बाद वो किसी दूसरे शहर चली जाती है, और नायक के लिए केवल 'यादे' रहे जाती है!
  2. यदि कोई शिक्षक ट्यूशन करवाता है तो वो एकाद छात्रा को अलग से बुलाकर अवश्य चोदता है और वो लड़की कभी भी विरोध नही करती, न ही अपने परिवारवालो को बताती और मास्टर-जी के बिना कंडोम चुदाई के पश्चात भी कभी गर्भवती नही होती!
कामवाली, मकान मालकिन और भिखारन:
  1. कामवाली बाई ओ के साथ बिना कंडोम चुदाई में एड्स का कोई खतरा नही, भले ही वो चार ओर घर में काम क्यों न करती हो, क्योकि वो केवल आपही से चुदवाती है बाकि अडोस-पडोस के घरों में सिर्फ काम ही करती है, किसी दुसरे शेठ या लड़के से कभी नही चुदवाती!
  2. कामवाली बाई का मरद (पति) अक्सर शराबी, और नामर्द ही होता है.
  3. कामवाली बाई शाइनी-आहूजी के माफिक कभी आप पर रेप-केस नही करती, न ही आपको ब्लेकमेल करके पैसे एंठने की कोशिश करती.
  4. कामवाली चुदाई के पुरे ही सीन में आपके मम्मी-डेडी या बीवी conveniently बाहर अन्य शहर में घूमने या किसी काम से गए होते है!
  5. मकान मालकिन कभी अकेले नही चुदवाती, एकाद दो चेप्टर के बाद वो अपनी बेटी को भी ग्रुप सेक्स में अवश्य शामिल करवाती है! कभी कभी तो वो आपको उसकी बेटी से शादी करने को भी कहेती है और पूरा मकान आपके नाम लिख देती है!
  6. कोई भी भिखारन आपसे पैसों के लिए चुदवाने आपके घर आ जाती है और नहाने के बाद तुरत एकदम रापचिक माल लगती है. और चुदवाने के बाद वो आपको पोलिस-केस की धमकी दे के ओर पैसे कभी भी नही उगलवाती! और उसे भी बिना कंडोम के चोद ने पर किसी गुप्त रोग या एड्स का खतरा नही होता, क्योकि वो एकदम शरीफ भिखारन है, पैसे के लिए कभी किसी से नही चुदवाती. वो तो बस आपके लिए उसने अपने उसूलों में समजोता कर लिया था!

अन्य सामान्य बाते
  1. नायक केवल देख कर ही महिलाओ के बोबे की साइज़ बता सकता है! और वो अपनी वार्ता की शुरुआत महिला का नाम, उम्र और बोबों की साइज़ लिखकर करता है.
  2. वार्ता में अधेड उम्र के अंकल को केवल १८ साल की कुँवारी छोकरी ही मंगती है (और मिल भी जाती है) और अधेड उम्र की भाभी या आंटी को केवल २०-२२ साल का गबरू और नौसिखिया जवान लौंडा ही मंगता है. मैंने आजतक् ऐसी कथा नही पढ़ी जिसमे अधेड उम्र के अंकल को अधेड उम्र की आंटी की इच्छा हो!
  3. यदि कहानी की पहेली १० लाइनों में किसी महिला पात्र का वर्णन हो तो समज लीजिए आज नही तो कल, किसी न किसी चेप्टर में वो चुदेगी जरूर!
  4. यदि नायक ग्रुप सेक्स करने जाता है तो हमेशा अन्य मर्द पात्रो से उसका लंड ज्यादा मोटा और तगड़ा होता है और वो ज्यादा देर तक चुदाई कर सकता है.

नायक के परम मित्र की पत्नी हमेशा अपने पति से असंतुष्ट ही होती है

नायक के पड़ोसन का पति पैसे कमाने में इतना व्यस्त रहेता है की वो भूल जाता है की उसकी एक पत्नी भी है. उपरवाले की कृपा से तभी नायक वहा पहुचकर उसे संतुष्ट कर देता है.

नायक के मौसी की लड़की अचानक से जवान होकर इतनी सेक्सी लगने लगती है की उस पर से नज़र हटाना मुश्किल हो जाए

किसी पड़ोसन या सहकर्मी के साथ कार में जाते वक्त नायक की कोहनी उनकी जांघ या तो स्तनों पर अवश्य रगड़ खाएगी.

नायक का लिंग उसकी पड़ोसन के पति के लिंग से हमेशा ही बड़ा होगा. पड़ोसन के संग सेक्स के दौरान वो इस बात की पुष्टि भी करेगी

कहानी के स्त्री पात्रो की योनी हमेशा गीली ही रहेती है

स्त्री पात्रो की योनी के बाल या तो सफाचट होंगे या तो घना जंगल होगा. मध्यम कद के जाँटो के लिए कभी कोई अवकाश नहीं होता.

सेक्स के दौरान पड़ोसन ये ज़रूर कहेगी की "आज से पहेले मुझे इतना अधिक मज़ा कभी नहीं आया"

और ये भी कहेगी की "मेंने आजतक अपने पति के अलावा किसी को भी अपना बदन छूने तक नहीं दिया" जैसे नायक तो कामदेव का अवतार हो....जिसे देखते ही लडकिया खड़े खड़े जड़ जाती हो..!!

किसी भी पोर्न फिल्म की तरह..लड़की पहेले मुह में लेगी और फिर योनी में. ये सिलसिला कहानी दर कहानी बरकरार रहेता है.

स्त्री/लड़की सेंकडो दफा सम्भोग करवा चुकी हो फिर भी हमेशा चिल्लाती है "प्लीज़ बहार निकालो...बहोत दर्द हो रहा है" इस के लिए नायक के मुसल छाप लिंग को दोषी ठहराया जाएगा

नायक को कमसिन कच्ची कलिया आसानी से मिल जाती है. अगर कोई शादीशुदा औरत भी मीले तो उसकी योनी बहोत टाईट ही होती है...फिर क्यों न उसके ४ बच्चे हो...कारण यह दिया जाएगा की उसका पति उसे पिछले कई सालो से कामसुख नहीं दे पाने के कारण उसकी योनी इतनी टाईट है.

बस में आगे कड़ी आंटी की जिसके पिछवाड़े नायक अपना लिंग घिसता है...वो पलट कर मुस्कुराएगी और घिसते रहने के लिए मूक-सन्मति भी देगी. पता नहीं हमने ऐसे क्या पाप किये है जो हमारे साथ ऐसा कभी नहीं होता. वास्तविक जीवन में इसका परिणाम कुछ और ही आता है..!!

एक बार के सम्भोग से नायक/नायिका कभी संतुष्ट नहीं होते. अलग अलग आसनों में कम से कम तीन बार सम्भोग होता है.

नायक के पास कहेने के लिए हमेशा कुछ न कुछ बच जाता है...जो वो अगली कहानी में बताने का वादा करता है

कहानी के स्त्रीपात्र...सम्भोग के २ महीने में..दुसरे शहर चले जाते है. पता नहीं क्यों..!!

वो दुसरे शहर न भी चली जाए....फिर भी नायक दूसरी लड़की/आंटी/भाभी की तलाश जारी रखता है

नायक के साथ सफ़र कर रही सहकर्मी/रिश्तेदार/सहयात्री आसानी से होटल के एक ही रूम में साथ रहने को राजी हो जाती है.

नायक का वीर्य उसकी गर्लफ्रेंड को किसी रसीले फल के ज्यूस से भी ज्यादा स्वादिष्ट लगता है. इसी लिए वो हर बार ख़ुशी ख़ुशी वीर्य को आखरी बूंद तक...चटकारे लेते हुए...चाट जाती है. क्यों न फिर वो पहेली बार ही ये कर रही हो...!!

नायक हमेशा ६ फुट लंबा...मजबूत गठीले शरीर वाला...हेंडसम होता है...जिसके पीछे लडकिया मर रही हो और फिर भी उन पर ज़रा भी ध्यान नहीं देता

कोलेज की सबसे खुबसूरत लड़की के पीछे सेंकडो लड़के दीवाने होने के बावजूद वो सिर्फ नायक के साथ ही बातें करती है...

रेलवे-प्रवास सेक्स कथाए (Travel story) पढके मेने जाना की,
  1. रेलवे में जब नायक रात को सब के सो जाने के बाद, किसी अंजान आंटी या भाभी की चुदाई कर रहा हो, तो अन्य कोई भी मुसाफिर पानी पिने या पेशाब करने जागता नही.
  2. रेलवे के टोइलेट बहुत ही मोटी साइज़ के और एकदम आपके घर के ड्राइंग रूम जेसे साफ सुथरे होते है. इसलिए नायक उसमे भाभी जी को बड़ी आसानी से ले जाके चुदाई करता है. भीनी फर्श पे पैर फिसलने का, बिना धोएले संडास के टब में साडी का पल्लू खराब हो जाने के कोई डर नही होता!
  3. रेलवे में यदि कोई भाभी प्रवास के लिए आती है तो वो प्राय: अकेली ही होती है. ज्यादा से ज्यादा उसकी रिश्तेदार महिला/आंटी/बहिन होती है तो उस केस में वो भी चुदवाने आ जाती है. लेकिन कभी भी, भाभी अपने पति,या भाई या घर के पुरुष सदस्य के रेलवे प्रवास नही करती, सिवाय के वो देवर-भाभी की चुदाई कथा हो!
  4. रेलवे प्रवास करने वाली आंटीओं को अपने मुकाम पे पहोंचने से ज्यादा interest, सफर में मिले अंजान और नौसिखिए लोंडो को बिना कंडोम के सेक्स की तालीम देने में होता है, वो भी बिना फ़ीस लिए!
  5. रेलवे प्रवास में निकले नायक-नायिका को कभी पैसा मांगने वाले हिजड़े,टिकिट चेकर, हारमोनियमवाले भिखारी,चाय-बिस्कुट शिंग-चना बेचनेवाले परेशान नही करते.
  6. अगर कोई महिला, अपनी टिकट, सामान पर्स भूल जाए, और नायक किन्ही प्रकार से उसकी मदद करे तो वो महिला एहसान अपने माथे पर नही रखती और अपना स्टेशन आने से पहेले ही चुदाई करवाके हिसाब बरोबर कर लेती है.

किरायेदार-मकानमालकिन वाली कहानियो में प्राय: मकानमालकिन का पति अमरीका या दुबई में काम करता है.
और घर का रूम कुंवारे और नौजवान लडको को किराये पर दिए जाने में उसे कोई एतराज भी नही होता (या फिर शायद उसे पता ही नही होता!)

यदि भैया या अंकल किसी अन्य शहर में काम से गए हो तब आप रात को सोती हुई भाभी या आंटी के कमरे में जाके उसके साथ सो जाए तो वो आपको अपना पति समज के नींद में ही अपने आप चुदवा लेती है और उसे शक भी नहि होता!

नींद की गोली देकर भाभी चुदाई की कथाओ में नायक उस महिला की चुत में ही स्खलित हो जाता है और फिर भी सुबह जब वो महिला जागती है तो न ही उसको चुत में कुछ अजीब-सा चिपचिपापन महसूस होता है ना वो प्रेगनेंट होती है. यहाँ तक की साहब ऐसी बेहोश महिला की बिना तेल लगाके गांड भी मार ले, तो सुबह उठकर उसे दर्द नहि होता!


Office sex stories पढके मेने जाना की
  1. ऑफिस के टॉयलेट, स्टोररूम और जेरोक्ष मशीन के पास कभी कोई आयाजाया नहि करता. केवल बोस और कर्मचारी छिपछिपके सेक्स करने ही वहाँ जाते है! और हमारे भ्रष्ट-नेताओ की माफिक कभी पकड़े नहि जाते.
  2. यदि ऑफिस के काम के सिलसिले में बोस के साथ दूसरे शहर जाना पड़े तो प्राय: होटल में अलग कमरा नहि मिलता और , महिला बोस या सेक्रेटरी एक ही पलंग पे नायक के साथ सोने में राजी हो जाती है, क्योकि उसका उस दूसरे शहर में कोई सहेली या रिश्तेदार नहि जिसके घर जाके वो महिला 'सुरक्षित' रूप से सो सके! जेसा की हमने पहेले देखा एक ही पलंग पर सोने से सेक्स अपने आप हो जाता है!
  3. यदि कोई प्रोजेक्ट की deadline नजदीक आ रही हो तो बोस सभी कर्मचारियो को नहि रोकता, केवल जिसके साथ सेक्स करना हो उसी पात्र को ऑफिस hours के बाद ओवर-टाइम करने के लिए रोकता है!
  4. ऑफिस में काम करने वाली लड़किया कभी स्कर्ट के नीचे पेंटीज नहि पहेनती और उनकी चुत बिना झांट वाली होती है, जो की वो अपने बोस व सहकर्मचारियों को दिखाने वास्ते उत्सुक होती है!
  5. जेसे पोश-ऑफिस में काम करने वाले white-collar मर्दों के लिए दाढ़ी शेव करके आना जरूरी है, वैसे शायद महिलाओ के लिए झांठे साफ करके जाने का नियम है.
  6. यदि नायक ऑफिस का कर्मचारी हो और बोस महिला हो तो उसके उम्र,कपडो और झांटो के बारे में बात अध्याहार में छोड़ दी जाती है.
  7. (हम नहि जान पते की उस महिला बोस की झांटे केसी थी, किन्तु कोमन-सेन्स की बात है, चूँकि वो बोस हें अत: वो आंटी है, अत: उसकी भोस पे घना जंगल है!)
  8. अगर नायक बोस हो तो ओफिस की सभी महिलाए उससे चुदवाती है. किन्तु यदि नायक बोस न हो, तो ऑफिस की महिलाए उस बोस से नहि चुदवाती केवल सहकर्मचारी-नायक से ही चुदवाती है. नायक-बोस की मनपसंद सेक्रेटरी ग्रुप सेक्स करे तो भी चुत में वीर्यपतन तो केवल नायक-बोस से ही करवाती है. किन्तु यदि नायक-सहकर्मचारी हो और महिला-सेक्रेटरी तथा पुरुष-बोस के साथ ग्रुपसेक्स करे तो उस केस में महिला-सेक्रेटरी नायक-सहकर्मचारी से ही चुत में वीर्यपतन करवाती है!
  9. ऑफिस में काम करने वाले हर महिला और पुरुष का नाम दो या तीन अक्षरों वाला ही होता है (ताकि बार बार टाइपिंग करने में टाइम ना बिगड़े)
  10. ऑफिस कथा में इतने पात्र जोड़ दिए जाते है की कोन किस पोस्ट पर है, और किसका एफेर किस के साथ चल रहा है वो पांच-छ: अंक के बाद याद ही नहि रहे पाता. केवल page scroll down करके सीधा सेक्स-सीन पे ही जाना पड़ता है.
  11. ऑफिस सेक्स कथाओ के सेक्स सीन में केवल पहेले दो-तीन अंको में ही अकेले अकेले सिंगल-सिंगल कपल चुदाई करते है,
  12. बाकि की पीछे के सभी अंको में ग्रुप सेक्स ही चलता है और ग्रुप सेक्स में भी, कोन किसको चोद रहा है, कोन किसका चूस रहा है किसका लंड किसकी चुत में झड रहा है ये जानने के लिए तो पूरा सीन कम से कम पांच:छे बार पढ़ना पड़ता है.
  13. ऑफिस सेक्स में कभी किसी के पति या पत्नी को भनक नहि लगती. आप अपनी सेक्रेटरी की दिन में बिना कंडोम के गांड चुदाई कर के घर जाओ, और लंड को बिना धोए वापस बीवी से चुसवाओ या चढ़ जाओ तो भी उसे जरा भी भनक नहि लगती!
  14. ऑफिस की सेक्रेटरी ही चुदक्कड होती है, बोस की खुद की बीवी नहि. अर्थात: बोस (नायक) दिन में तीन बार सेक्रेटरी चोद के घर जाए, तो भी उसकी बीवी कभी चुदाई के लिए आग्रह नहि करती. शायद बोस-नायक की गेरहाजरी में वो भी पडोस के लौंडे से चुदवा रही हो!?
  15. ५-६ एपिसोड के बाद, किसी ना किसी 'client' को business-deal से पहेले खुश करने के लिए, बोस अपनी सेक्रेटरी को भेजता है.
  16. उस क्लायंट को भी ब्लेकमेलिंग, स्टिंग ऑपरेशन या गुप्तरोग/एड्स का खतरा नहि हॉता.
  17. यदि बोस कथा का नायक हो और बिजनेस मीटिंग के वक्त ही क्लायंट (पुरुष) को रिजाने के लिए सेक्रेटरी के साथ ग्रुपसेक्स चालू किया जाये तो उस क्लायंट का लंड हमेशा नायक-बोस के लंड से थोडा छोटा और कमजोर ही होता है. किन्तु फिर भी वो 'guilty' फिल नहि करता, और मजे से सेक्स करने के बाद, कोंट्राक्ट नायक-बोस को ही देता है. उसी प्रकार नायक-सहकर्मचारी का लंड पुरुष-बोस के लंड से मोटा होने के बावजूद पुरुष-बोस ग्रुप-सेक्स के दौरान गिल्टी नहि फिल करता, नायक-सहकर्मचारी का बोनस-प्रमोशन-पगार नहि रोकता!
एकदम अंदर जाके वीर्यपतन
नायक जब चुत या गांड में वीर्यपतन करता है तो
Quote:
"एक जोर से धक्का मारा और एकदम अंदर जाके (चुत या गांड) में झड गया"
कभी धक्का आगे पीछे मारते वक्त, चुत या गांड के एकाद दो इंच में पतन नहि होता. एकदम 'अंदर १०-१२* इंच तक जाके' ही पतन होता है.
*१०-१२ इंच इसलिए क्योकि ५-६ इंच के लंड वाले 'आम-आदमी' तो कभी नायक बन ही नहि सकते.
यहाँ तक की अंग्रेजी कथाओ में भी
ऐसा दावा जरूर होता है.

झांटे और चुदाई के अनुभव के बिच का सम्बन्ध
  • जो आंटीया अनुभवी होती है, उनके बम-भोसड़े पर घना जंगल होता है.
  • जो भाभियो की शादी को अभी अभी तीन-चार साल ही हुए हो, उनकी चुत एकदम साफ और बिना बालो वाली होती है, ये जताने के लिए की शादी के बाद भी उनका पति अभी तक उन्हें संतुष्ट नहि कर पाया इसलिए भाभी की चुत अभी भी कुँवारी लड़कीयो जेसी बिना बालो वाली है.
  • अर्थात बिन-अनुभवी लड़किया और अनचुदी भाभियाँ ही अपने झांटे प्रतिदिन साफ करती है.
  • आंटीयो को भोसड़े पर shaving या waxing करने में उतना ही परहेज है जितना हमारे नेताओ को इमानदारी से.
  • या फिर ये की आंटीयो को आसपडोस के नौसिखए जवानो को सेक्स की 'तालीम' देने से फुरसद मिले तो जाके शेविंग करे ना!
  • या फिर वो भाभी जानबुज कर रोज अपनी चुत के बाल साफ करती है अपने पति को 'ताना' मारने के लिए की "देख तेरी वजह से मुझे अपनी झांटे बढाने नहि मिलती!"
भोसड़ा चटाई में ओरत के झांटे टूटकर दांतों में नहि फंसते.

ये तो आप किसी अनुभवी अंकल से ही पूछे, की जब कोई आंटी के बम-भोसडे एकदम घने जंगल जेसी झांटे हो तो चाटते वक्त क्या होता है? अरे भाई उसमे से झांट के कुछ बाल चुसाई करते वक्त गिर जाते है आपके मुँह में और दांत में फंस, जीभ पे, मुँह के उपर के तलवे पर चिपक जाते है. आप अपने ही कुछ बाल काटके मुँह में डाले फिर पता चलेगा की उन्हें बाहर निकालने में कितनी दिक्कत होती है! लेकिन अपने नायक को ऐसा कभी नहि होता.

कंडोम पहेनने के बाद निकाला नहि जाता
आंटी चुदाई में तो कंडोम-पहेनना निषेध है, ये बात तो हम जानते है ठीक लेकिन
यदि नायक भाभी-चुदाई में भी कंडोम पहेने और पतित हो जाए, तो बस भाभी से लिपट कर, बिना कंडोम निकाले ही सो जाता है. और बीस मिनट बाद वापस शुरू हो जाता है.
इस बिच, लंड ढिल्ला होने पर अपने आप कंडोम में से फिसल के बाहर आ जाएगा, और भाभी की 'टाईट' चुत में फँसे कंडोम मे से वीर्य 'मेगी पिचकू सोस' की तरह पिचक कर पलंग या चद्दर गंदा कर देगा,ऐसा खतरा नहि होता.

Girls hostel
  1. गर्ल्स हॉस्टल में रेगिंग प्राय: लेस्बियन सेक्स के जरिये ही होता है, और अंत में फ्रेशर स्टूडेंट को मजा ही आता है वो कभी हॉस्टल वोर्डन (गृहमाता) से जाके फरियाद नहि करती.
  2. प्राय: हॉस्टल वोर्डन भी 'अनुभवी आंटी' ही होती है, जो तीन-चार प्रकरणों बाद खुद भी लेस्बो चुदाई में सम्मिलित होने आ जाती है!
  3. और हाँ, उसकी भोस पर भी जंगल होता है, क्योकि वो हॉस्टल वोर्डन बाद में पहेले एक अनुभवी आंटी है, और आंटीओ को झांट शेविंग की मनाई है!
  4. लेकिन उन गर्ल स्टुडेंट्स को अपनी पढाई-परीक्षाओ के बावजूद भी चुत के बाल साफ करने का टाइम मिल जाता है अत: हर एपिसोड में उनकी चुत बिना बालोवाली और एकदम साफ होती है!

Self-contradiction:
जिसे खुद ही अनुभव नहि वो तालीम दे रहा है!

मित्रों ये बात तो हम सब जानते है की भाभी / आंटी का पति नामर्द होता है और भाभी ने अपने पति (और हीरो) के अलावा किसी ओर से नहि चुदवाया, फिर भी वो नायक को मुठ मारते पकड़ ले तो अपने कमरे में बुलाके कहेती है की
मै तुम्हे सेक्स की तालीम दूँगी.

भाई ये तो ऐसी ही बात हुई, जिसे जुम्मा जुम्मा चार दिन हुए कार-ड्राइविंग सीखे, वो ही driving instructor बन गया! जो ओरत की खुद की ही चुत (चार बच्चे जनने के बाद भी) अनचुदी है और इसलिए एकदम कसी हुई और टाईट है वो भला किसी अल्लड नौजवान को सेक्स की तालीम केसे दे सकती है?


निशानेबाज नायक
अँधेरे में भी यदि नायक जिंदगी में पहेली बार चुदाई कर रहा हो तो भी, उसका निशाना नहि चुकता और वो एक ही धक्के में अपना पूरा लंड चुत में समा देता है.
यदि नायक अँधेरे में गलती से चुत की जगह गांड में डाल दे तो केवल पहेली दो-तीन मिनट ही महिला विरोध करती है किन्तु बाद में उसे मजा आ जाता है!












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