Thursday, June 21, 2012

सेक्सी कहानियाँ जीजा जी से चुदवाया--31

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
जीजा जी से चुदवाया--31
गतांक से आगे.......................
उनकी कमर एक रिदम के साथ चल रही थी बस एक समय पर अन्दर और दुसरे समय पर
बाहर लंड ने अपनी जगह चूत में बना ली थी बस वो अपने रस्ते पर आ और जा रहा
था मुझे बहुत आनंद रहा था पर जीजाजी निर्विकार भाव से अपना काम कर रहे थे
में समझ गई थी की वे अपने दिमाग को कंट्रोल में रख रहे थे ताकि उनका
जल्दी नहीं छुट जाये मेरी आहो और कराहों आया..ऊऊ..ह्ह्ह..का उनपे कोई असर
नहीं था बस जेसे किसी ऋषि की तरह जेसे अपनी समाधी में लीं थे मुझे आचार्य
रजनीश की पढ़ी हुई वो किताब याद आ गई "सम्भोग से समाधी की और" बस जेसे
आचार्य जी ने बताया वेसे ही निर्विकार भाव से अपने मन में सेक्स को आने
ही नहीं दे रहे थे और मुझे निरंतर चोद रहे थे मेरे अन्दर आनंद की सरिता
चल रही थी मुझे पता ही नहीं चला कब मेने अपने मुह से कम्बल हटा कर दूर
फेंक दिया था और में कह रही थी अब मुझे जोर जोर से चोदो अरे पडोसी जी आप
तो मेरे पति से भी अच्छा चोदते हो में उसे रोज़ फिल्म में भेज दूंगी और
दरवाज़ा खोल कर आपका इंतजार करुँगी आप तो साक्षात् काम देव हे मुझे आज तक
इतना आनंद नहीं आया था आपने ही दिया हे अब आप मेरे ऊपर चढ़ जाओ और मेरी
सवारी करो !

जीजाजी ने ये सुनकर अपना लंड मेरी चूत से बाहर खींच लिया जो मेरी सूजी
हुई चूत से 'पक' की आवाज़ के साथ बाहर आ गया जेसे शीशी से कार्क हटा
हो!वे जब तक घुटनों के बल बेठ कर मेरी टांगो के बीच आते मेने उत्तेजना के
मारे अपनी अपनी टांगे अपने सर के पास कर दी थी और अपने हाथो से अपने
जन्घो को सहारा देकर चूत को जीजाजी के सामने परोस दिया ठोकने के लिए
!जीजाजी ने भी मन स्थिति को देखते हुए देर नहीं की और फटाफट अपना लंड फिर
से मेरी सूजी हुई चूत में फंसा दिया और मुझे जोर जोर से रगड़ने लगे अभी
मुझे उनका ८० किलो का वजन भी फुल की तरह लग रहा था हालाँकि उनका पूरा बोझ
मेरे ऊपर नहीं था !वे जोर जोर से मुझे उचक उचक कर चोद रहे थे कमरे में
चुदाई का मधुर संगीत बज रहा था फक फक. फच फच.सट सट.और मेरे मुह से
aaaaahhhhhhhhh मज़ा आ रहा हे बस चोदते रहो मेरे पानी छूटने वाला हे पर आप
चोदते रहना मेरे लम्बे समय तक छुटेगा !जीजाजी बोले तुम चिंता मत करो जब
तक चाहे में तुम पर कूदता रहूँगा में तो अब अपना पानी नहीं निकालूँगा
वर्ना सुबह वाली स्थिति हो जाएगी अब मेरा पानी तो शाम को तेरी दीदी ही
निकलेगी में तो बस तेरी सुखी चुनाई ही करूँगा ! अब मेरे पानी के ज्वार
भाटे चालू हो गए थे मेने जीजाजी को झकड़ लिया था उनकी पीठ में मेरे नाख़ून
धंस रहे थे वे जबरदस्ती ऊँचे होकर फिर अपना लंड धकेल रहे थे फिर मेने
उन्हें कहा में तो तृप्त हो गई उन्होंने अपना लंड निकाला और मेरे बराबर
में लेट गए उनका लंड अपने पूर्ण आकर में छत को देख रहा था और ठुमके लगा
रहा था वे अपनी सांसे सही कर रहे थे

थोड़ी देर जीजाजी सीधे सीधे लेते रहे अपनी सांसे व्यवस्थित की !फिर बोले
यार तू मेरे लिए जेसे बच्चे के लिए उस टोफ्फी की तरह हे जिसे वो ख़त्म हो
जाने के डर से खाता नहीं और सिर्फ चाट के रख देता हे इसलिए में मेरा
जबरदस्त मन होने के बाद भी में अपना पानी नहीं निकालता हु कही अब तू जो
१-२ घंटे तक साथ उस में फिर मेरा वापिस उठेगा या नहीं क्यूंकि अब मुझे
पता चल गया मेरा बुढ़ापा आ गया हे पहले एक रात में ही ५-६ बार पानी निकल
देता था अब तो २४ घंटे में ४-५ बार ही निकाल पाता हु!मेने उन्हें दिलासा
देते हुए कहा आप अपनी उम्र के हिसाब से तो अभी भी जवान हो आप ४६-४७ साल
के हो इस उम्र के पुरुष तो रोजाना सेक्स करले वो ही बड़ी बात हे ४-५ बार
और वो भी मेराथन चुदाई २०-२५ मिनिट तक करना उनके बस की बात नहीं हे आप तो
चुदाई के मामले में तो ३०-३२ साल के मेरे पति को भी पीछे रख रहे हो ! आप
से कोई भी लड़की या ओरत चुदेगी चुदने के बाद उसके मन में आपकी तारीफ ही
आएगी आप इतने शानदार मर्द हो!मेरी ये बात सुनकर जीजाजी बहुत खुश हो गए और
फिर से उनके हाथ मेरे स्तनों पर जम गए फिर मेने कहा में बहुत थक गई हु अब
और अब हमे होटल भी छोड़ना पड़ेगा तो आप अबकी बार छोड़ो जब अपना पानी भी
निकाल लेना प्लीज में अब और सहन नहीं कर सकती!जीजाजी बोले साली नाटक करती
हे जब चुदती हे तो मज़े लेती हे और अभी कह रही हे थक गई हु मेने कहा वो
तो आपके हाथो में जादू हे जो इतना थके हुए भी मज़ा फिर से आजाता हे पर
पानी छूटने के बाद मेरी हालत ख़राब हो जाती हे !

वे बोले ऐसा करते हे यहाँ आज आज और रह जाते हे कल तू अपने रूम पर चली
जाना और में गाँव !मेने कहा नहीं आपकी मांग बढती जा रही हे मेरे आज रूम
पर जाना जरूरी हे शाम को मेरे अंडर काम करने वालियों को बुलाया हे इसलिए
आप १२ बजे तक मुझे बस स्टेसन छोड़ दो प्लीज!जीजाजी शरारत से बोले फिर उनमे
कोई अच्छी हो तो मेरा काम बना दे !मेने हंस के कहा ठीक हे में आपके सेट
करवा दूंगी पर आपको मेरा पीछा छोड़ना पड़ेगा! क्यूंकि किसी की झूठन में
नहीं खाती !जीजाजी बोले मेरी जान में मजाक कर रहा था तेरे लिए सब रिजेक्ट
हे तुम्हे तो में सारी जिंदगी नहीं छोडूंगा बुढ़ापे में भले ही मेरा सामान
काम नहीं करेगा पर सेक्सी बाते तो करूँगा ही भले ही बहार हमारे पोते पोती
खेले और अपने मुह दांत गिर जाने के बाद पोपले हो जाये !में खिलखिला कर
हंस पड़ी और बोली वह क्या भविष्य की योजनाये हे बुढ़ापे में सेक्सी बाते
करनी जरुरी हे क्या परमात्मा का नाम लेकर जो पाप किया हे उसकी माफ़ी मंगनी
हे हमें तो!जीजाजी बोले ये सब परमात्मा ने ही करवाया हे तो कोई पाप नहीं
हे समझी और अब ये अध्यात्मिक बाते बंद कर कोका पंडित को याद कर उसका आसन
काम लेते हे तू खड़ी होजा!मेने कहा खड़ी कर चोदोगे क्या?वे बोले हा खड़ी
खड़ी को चोदेंगे फिर तुम्हे गोद में उठा कर चोदेंगे अब अपनी मेराथन चुदाई
शुरू करेंगे इसमें ४-५ आसन तो चेंज करेंगे ही!में भी मुस्कुरा कर पलंग से
उतर कर अलमारी के पास खड़ी होगी मुझे पता था जब ये मुझे अपनी गोद में उठा
कर चोदेंगे तो में सारा अपना बोझ उनपर नहीं डालना चाहती थी और में अपने
हाथो से अलमारी का टॉप पकड़ का अपना कुछ बोज़ अपने हाथो पर रखना चाहती
थी!जीजाजी का लंड तो वेसे ही फनफना रहा था!

अलमारी की तरफ पीठ कर में खड़ी हो गई उससे पहले मेने अलमारी की कुण्डी
लगा दी कही धक्कमपेल में अलमारी न खुल जाये !फिर जब सामने जीजाजी खड़े हो
गए तो मेने एक टांग सीधे रखे हुए दूसरी टांग को थोडा तिरछा करते हुए मेने
थोडा उठाया ये आसन मेरे पति ने कई बार किया था इसलिए मुझे पता था की मुझे
क्या करना हे!जीजाजी मुस्कुरा कर मेरी उठी हुई टांग अपनी कमर के पीछे
लपेटते हुए अरे ये तो पहले से ही ट्रेंड हे लगता ही साढू जी गोद में लेकर
बहुत चुदाई की हे!मेने हंस के कहा जिसकी बीबी दुबली पतली हो 50 किलो के
आसपास बजन हो तो उसे हवा में उठा कर चोदने में क्या जोर आएगा! जीजाजी
बोले तेरी दीदी ६०-७० किलो की हे में तो उसे भी कई बार गोद में लेकर चोदा
हु ये तो आदमी वज़न उठाने के स्टेमिना की बात हे !मेने अपनी चूत को जो एक
टांग नीची और एक उठा लेने की वजह से बिलकुल संकरी हो गई थी उसे अपनी
अंगुलियों से चोडा कर उनके लंड के सुपारे को अपने चूत के छेद पर टिकते
हुए बोली हा आप तो हमाल{बोरिया उठाने वाले मजदूर} ही हो मुझे पता हे अब
इस बोरी को भी उठालो !वे बोले ये बोरी नहीं ये तो कट्टा ही हे और मेरे
पीछे गांड पर हाथ रख कर अपने लंड को मेरी चूत में ठेला फंसा फंसा लंड कुछ
अंडर सरक गया वे ज्यादा लम्बे थे करी ५ फीट ११ इंच के और में ५ फीट ४ इंच
की ही थी और टांग तिरछी करने से मेरी लम्बाई और कुछ कम हो गई थी इसलिए
जीजाजी को मुझे खड़े खड़े चोदने में परेशानी आ रही थी वे अपनी लम्बाई मेरे
बराबर एडजस्ट करें के लिए अपने पांवो को चौड़ा कर रहे थे इसमें उनके
घुटने दर्द करने लगे थे!

अब तक उन्होंने ५-६ धक्के लगा दिए थे इसलिए उनका लंड मेरे चूत में पूरा
गुस गया था इसलिए वे बोले अब तुम मेरी गोद में आ जाओ और ऐसा कह कर
उन्होंने मेरे कुलहो के नीचे हाथ दे कर मुझे अधर उठा लिया मेरी एक टांग
तो पहले ही जीजाजी के कमर के पास थी ही अब दूसरी टांग भी उनके कमर पर आ
गई यही और मेने दोनों टांगो को उनकी कमर के दोनों तरफ लिपटा लिया था उनकी
दोनों हथेलिया मेरे दोनी कुल्हे के ऊपर थी उनके मुह के पास मेरे स्तन
पहुँच गए थे अब वे भी सीधे खड़े हो गए थे मेने भी अपने हाथ ऊपर कर पीछे से
अलमारी का टॉप पकड़ लिया था और अपना काफी वज़न अपने हाथो पर कर लिया था
जीजाजी अभी सीधे खड़े होकर इतनी देर से तिरछे हुए गुटनो के दर्द से रहत पा
रहे थे और मेने उन्हें आश्चर्यचकित करते हुए अपने हाथो के बल पर में ऊपर
नीचे होने लगी मेरे टंगे उनकी कमर को पकडे हुए थी और उनका लंड मेरे ऊपर
नीचे होने से मेरी चूत में अंदर बाहर होने लगा हालाँकि में जब नीचे हाकर
अपनी चूत को उनके खड़े अकड़े लंड पर दबा रही थी और उसके लिए में अलमारी को
ऊपर की और धकेल कर जोर कर रही थी तो मेरी टाईट और सूजी हुई चूत में एक
टीस से उठ रही थी पर मुझे पता हे खरबूजा छूरी पर गिरे या छूरी खरबूजे पर
काटना खरबूजे को ही हे !अब ओरत के रूप में जन्म हो गया हे तो भले बाद में
मज़ा आये या नहीं पहले तो चुदाई का दर्द सहन करना ही पड़ेगा क्यूंकि लंड
घुसने पर मर्द को भले ही मज़ा आये गुस्ते गुस्ते तो ओरत को थोडा दर्द होता
ही हे !

४-५ बार ऊपर नीचे होने से मेरी चूत चिकनी हो कर अपने प्यारे को अपने अंदर
पूरी तरह सम्माहित कर लिया था !अब जीजाजी ने मोर्चा संभल लिया था जो गाड़ी
अभी २० की स्पीड से चल रही थी उनके चलते ही ६० की स्पीड पर पहुँच गई थी
वे ही असली ड्राइवर थे में खलासी की तरह थोडा गाड़ी को इधर उधर ले रही थी
हाइवे पर स्पीड से दोड़ाना तो ड्राइवर के बस की ही बात होती हे सो अब वे
गाड़ी को मोटर चेम्पियन की तरह भगा रहे थे !उन्होंने मेरे जो हथेलिया
दोनों कुलहो के नीचे दे रखी थी उनसे मेरे कुल्हे जकड कर तेज तेज ऊपर नीचे
कर रहे थे और ऊपर नीचे से ज्यादा वो मुझे अपनी और खींच कर अपने लंड पर
पटक रहे थे उनका लंड इस आसन में पूरा मेरी चूत में जा रहा था में जेसे
उनके खूंटे पे टंगी हुई थी में भी उन्हें सहायता करने के लिए अलमारी का
टॉप पकड़ कर ऊपर नीचे हो रही थी वे बारी बारी से मेरे दोनों स्तनों को
अपने मुह में भर रहे थे और मुझे उनकी इस चुदाई का आनंद आ रहा था मेरे मुह
से आआआआआआ...ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.......ssssssssssss............. अरे दुखे
रे......अब मने नीचे उतर दो रे में जेसे किसी बच्चे को कोई सजा देते हे
और वो माफ़ करने के लिए कहता हे कुछ वेसे ही में वासना में डूबी हुई बोल
रही थी!

मेरी आवाज़े चीखो जेसी निकल रही थी जिससे जीजाजी को बहुत आनंद आ रहा था
वे दुने जोश से मुझे अपने खूंटे जेसे लंड पर पटक रहे थे !में अरे बाप रे
दुखे रे अरे मने ओ कुन चोदे रे म्हारा धणी{पति}तू कठे हे रे देख थारी
लुगाई{पत्नी}ने ओ कुन मच्कावे{चोदे}मने आयर छुड़ा रे !और फिर में जीजाजी
से मुताखिब हो कर बोली अरे बाबजी मने छोड़ दे रे म्हारे भोष्यो{चूत}दुखे
रे ओ कई डाँडो घाल दियो दे अबे कोई गलती नहीं करू रे मने माफ़ कर दे रे
मने अब हेटे{नीचे}उतर दे रे दुष्मी {दुश्मन}क्यों म्हारे लारे
{पीछे}पड्यो हे अय्ये माँ ये तू म्हणे पैदा क्यों करी ये सगळा ही मने
डंडा सु ठोके भगवन मने छोरी{लड़की} नहीं और छोरो बनता तो में भी किनेही ऍन
ही ठोकती!मेरी ये अनर्गल वासना भरी बाते चालू थी जीजाजी की ट्रेन सुपर
फास्ट स्पीड से दौड़ रही थी उनका चेहरा लाल हो गया था और वे मेरे स्तन को
बड़ी बेदर्दी से चूस रहे थे मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था

उनके लंड पर मेरी चूत जब गिरती तो वे भी अपनी गांड को दबा कर कुछ उचकते
और उनका लौड़ा मेरी चूत में झड तक पहुँच जाता और उनका सुपारा मेरी बच्चे
दानी से टकराता और मेरी कराह निकल जाती वे भी मेरी अनर्गल बाते सुनकर खुद
भी मुझे मस्ती में गलिया दे रहे थे अरे सालीईईईइ...तू थारा धणी ने बुलाय
कई करेली पाछे बीरो लंड कई गांड में लेवेली मादरचोद थारी तो गांड तोड़
देवू मादर चोद थारो मन हेवे जना चुदावे नहीं तो बेटी अंगूठो दिखाय देवे
आज तू म्हारे कब्जे ने आयोडी हे अबे तो थाने इत्ती चोदु की तू कई दिन
बांकी बांकी चाली!में भी अब झड़ने के करीब थी इसलिए में भी उन्हें पूरा
जबाब दे रही थी ले चोद और चोद म्हारे कई बिगड़े मादरचोद थारो ही लंड
घसिजी !सडक को कई बिगड़ी चलण वालो ही थाकी! अब में भी खूब उनके लंड पर
कूद रही थी बस मेरा ये ध्यान था की जोश में ज्यादा ऊँची नहीं हो जाऊ की
उनका लंड मेरी चूत से बाहर नहीं निकाल जाये वर्ना उनके खूंटे से मेरी चूत
के और गांड के बीच की चमड़ी क्षतिग्रस्त ना हो जाये फिर तो मज़े में दर्द
हो सकता था!

अपनी बहे उनके गले में डाल दी थी मेरे स्तनों को इतना उनके मुह में दबा
दिया था की उन्हें साँस आना भी मुस्किल हो गया था पर अनुभवी जीजाजी समझ
गए की मेरा काम तमाम हो रहा हे इसलिए अब वे मुझे अपनी हथेलियों में उछाल
उछाल कर चोद रहे थे और जब तक मेरी आखिरी बूंद झड़ी तब तक उछालते रहे फिर
मुझे धीरे से नीचे उतार दिया और अपना लंड बाहर खींच लिया मेरे भरे हुए
स्थान से जो जगह खाली हुई थी वो थोड़ी देर तक खुली ही रही और मुझे उसमे
ठंडी हवा लगने का अह्शाश हुआ !मेने जीजाजी का लंड देखा वो मेरे चूत का
पानी पीने के बाद ज्यादा हिंस्र दिखाई दे रहा था उसके ऊपर मेरे पानी की
चिकनाई चमक रही थी जीजाजी भी अपनी सांसे सही कर रहे थे मुझे पता चल गया
अभी इस डंडे से मार और खानी पड़ेगी !मेने हंस कर और मोहित नजरो से देखते
हुए कहा "कामदेव जी अब बोलो कोनसा आसन करोगे ?"जीजाजी हँसे और बोले लो अब
में काम देव गया गया?मुझे तो अपना जीजा ही रहने दे जो आधी घरवाली को पूरी
घरवाली बना रहा हे
क्रमशः.......................


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