raj sharma stories
मज़ेदार अदला-बदली--8
गतांक से आगे..........................
अब मेरी जवानी को ढंकने वाला अंतिम कड़ी मेरे तन पर थी जो मुझे पता था कि किसी भी क्षण मेरा साथ छोड़ने वाली थी...............
और फिर पिंकी के हाथ मुझे पूर्ण नग्न करने के लिए आगे बड़ा........
उसने खींच कर मेरी चड्डी नीचे खिसका दी...........जैसे ही मेरी आखरी ढाल मेरी शरीर से हटी.....मिंटू ने फिर से मुझे जोर का भींच लिया........
अब उसका केले जैसा लम्बा लंड बिना किसी बाधा के मेरे चूत कि दरार पर फँस सा गया.........
अब वो मेरे शरीर से खेलने लगा.........कभी पीठ पर मालिश करता ...कभी चूतड भींचता....और उसके लंड का टोपा ठीक मेरे दाने के ऊपर चूत के होंठ के उपरी खांचे में फंसा हुआ था.......हिलने डुलने पर वो लगातार मेरे दाने की मालिश कर रहा था........
अब उसने मुझे पलटा दिया और अपने दोनों घुटने मोड़ के मेरे दोनों जांघो पर दबा दिए और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथो को आधी कोहनी मोड़ के पकड़ लिया और फिर मुझे स्थिर करके वो मेरी जवानी को नज़दीक से देखने लगा.......मेरे बड़े बड़े मम्मे उसको ललचा रहे थे.............
ना चाहते हुवे भी मेरी नज़र एकबारगी उसके तने लंड की और गई.......... मुझे तो वो केले जैसा महसूस हुआ था......परन्तु ये तो एकदम भुट्टे जैसा था.......बहुत मोटा...
पिंकी अब मेरे सर के ऊपर की तरफ आ गई....वो तो बस उस भुट्टे को एकटक निहार रही थी.......अब तक उसका एक हाथ उनकी चड्डी में पहुँच चूका था.....और वहां आप समझ जाओ क्या कर रहा होगा...
मिंटू, जैसे अब सब कुछ उसके कण्ट्रोल में था......वो बड़े आराम से मेरे मम्मो को आँखों से पी कर पिंकी कि और मुखातिब हुआ......
मिंटू: हे पिंकी, तुने मेरा सबकुछ देख लिया......अपना भी सबकुछ दिखा ना......फिर मैं तेरे को एक जोरदार चुदाई दिखता हूँ................
पिंकी तो जैसे तैयार ही थी.........झट से उसने अपना स्किर्ट ढीला किया......सर्र से वो निचे....एक झटके में चड्डी भी जमीन पर........
और उससे भी ज्यादा तेज़ी से टॉप हवा में उड़ा दिया और फिर ब्रा भी ......
उसके लंड ने एक जोरदार झटका लिया......
अब वो दोनों के बदन बारी बारी से देख रहा था............
मिंटू: वाह रे पिंकी, तू तो अन्दर से बहुत खूबसूरत है रे....तुने कभी बताया नहीं मुझे पहले.
पिंकी: (थोडा शर्माते हुवे) नहीं देख दीदी तो मुझसे भी ज्यादा सुन्दर है.....मम्मे कितने बड़े और कसे हुवे हैं..
मिंटू: चल इधर आ मेरी थोड़ी मदद कर ताकि तेरी दीदी कि खूबसूरती को महसूस कर सकूं......ले इसके दोनों हाथ पकड़ ले.
और वो मेरे सर के इर्द अपने घुटने मोड़ कर बैठ गई और झुक कर मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए.....
उसकी छूट मेरे सर को छू रही थी....मिंटू के दोनों हाथ अब आज़ाद हो चुके थे ....तुरंत उसके हाथ मेरे मम्मो पर आ गए...
अब वो मेरे दोनों मम्मों को मसलने लगा.....पिंकी थोडा और ऊपर खिसकी तो उसकी छूट मेरी पर जा टिकी....उसकी चूत की गर्मी महसूस हो रही थी...उसकी चूत गीली हो चुकी थी और उसकी खुशबू मेरे नासारंध्र में घुलने लगी........
अचानक मिंटू झुका और मेरे एक मम्मे को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा....अपने पैर उसने लम्बे कर लिए तो उसका लंड फिर मेरी चूत पर सेट हो गया.....
अब वो बेतहाशा मेरे मम्मो को चूस रहा था .....उसकी ये चुसाई ने मेरे प्रतिरोध को काफी ढीला कर दिया और मेरे अन्दर भी न चाहते हुवे भी काम उर्जा भरने लगी.....फलस्वरूप मेरी चूत में रसस्राव शुरू होगया.
मिंटू अब अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर रगड़ने लगा.......मेरे चिकने रस ने उसका काम थोडा आसान कर दिया....
अब लंड को अन्दर डालने के लिए उसने मेरे बोबे छोड़े और जैसे ही सर ऊपर किया अपने ठीक सामने पिंकी का मुंह पाया......बिना देर किये उसने अपने होंठ से पिंकी के होंठ भींच लिए
और फिर एक जबरदस्त चुम्बन....पिंकी और मिंटू के होंठ मिले....मिंटू ने अपने दोनों हाथों से पिंकी का मुंह पकड़ा और पूरा मुंह उसके मुंह में घुसेड दिया....पिंकी ने भी आवेश में आकर कब मेरे हाथ छोड़ कर मिंटू का सर पकड़ लिया उसे पता ही नहीं चला.........मैं अब तक काफी गरम हो चुकी थी और लगभग भूल सी गई थी कि मैं इस चुदाई से अपने को बचा रही थी....मेरे हाथ आज़ाद होते ही मैंने अपना मुंह का कपड़ा खोला....जान में जान आई.....उधर वो दोनों अपने घुटनों पर एक आगे और एक मेरे पीछे....तल्लीनता से चूमा चाटी में लगे हुवे थे.....मेरे ठीक सामने मिंटू का भुट्टा लहरा रहा था......पता नहीं क्या हुआ मैंने अपने दोनों हाथों से उस झूलते भुट्टे को थम लिया.........जैसे ही मिंटू को महसूस हुआ उसने पिंकी को छोड़कर नीचे देखा.....मेरे हाथ उस भुट्टे की खाल को मसल रहे थे......उसने पिंकी को इशारा किया कि देख नीचे का नज़ारा.....पिंकी ख़ुशी से चिल्लाई .....ओ दीदी....हाँ तुम भी मज़े लो, देखो मिंटू का कितना मस्त है....और फिर पिंकी ने जोश में मिंटू का सर खींच कर अपने मम्मों पर भींच लिया....अब मिंटू एक जोड़ी नए कलमी आमों की चुसाई का आनंद लेने लगा और पिंकी की तेज़ आहें और कराहें फिजां में गूंजने लगी.......पिंकी की चूत से निकलने वाली मादक खुशबू मेरे अन्दर वासना का ज्वार उठा रही थी...मैंने मिंटू के लंड को छोड़ा और पिंकी के दोनों कुलहो पर हाथ रख कर उसे थोडा नीचे खींच और अपना मुंह थोडा सा उठा कर पिंकी कि चूत में घुसेड दिया......वो रस से सराबोर थी.....मैं अपनी जीभ से उसे चाटने लगी....पिंकी के थोडा नीचे होने से उसके बोबे मिंटू के मुंह से निकल गए....उसने देखा कि मैंने पिंकी की चूत पर आक्रमण कर दिया है तो वो भी तमतमा गया और नीचे की और खिसक कर अपना लंड मेरी चूत के छेद पर टिका दिया.......अब वो मेरी फिसलन भरी चूत में लंड घुसाने लगा.......दर्द से मेरे मुंह से आह निकली तो वो पिंकी से बोला कि मेरे होंठो को अपने होंठो से कस के दबा ले ताकि चिल्लाने कि आवाज़ बाहर न जाने पाए.....पिंकी ने थोडा पीछे खिसक के अपने होंठो से मेरे होंठो को जकड लिया...मैंने अपने दोनों हाथों से पिंकी के मम्मों को थाम लिया और उनसे अठखेलियाँ करने लगी.....
इधर नीचे मिंटू ने अपना आधा लंड जैसे ही मेरे अन्दर किया मैं जोर से चिल्लाई परन्तु चीख पिंकी के होंठो से घुट गई....अगले दो मिनट मेरे लिए बहुत दर्दनाक थे ....मिंटू पुर लंड पेल कर घस्से मरने लग था....कुछ ही देर में मेरा दर्द आनंद में बदलने लगा......और फिर मैं भी चुदाई का आनंद लेने लगी......और १० मिनट की चुदाई के बाद मुझे अपने पहले चरमोत्कर्ष की झलक मिली......वो मेरी ज़िन्दगी का सबसे आनंददायी क्षण था......इधर मिंटू भी मेरे अन्दर ही झड गया.....
मैं झडने के बाद एकदम लुस्त पड़ गई.....अब जैसे जैसे चरमानंद के आगोश से बाहर आ रही थी वैसे वैसे मेरी चूत में तेज़ जलन और दर्द महसूस होने लगा......फिर थकान की वजह से तुरंत ही निद्रा में लीं हो गई.......
अचानक ऐसा लगा कि कोई मुझे झिंझोड़कर उठा रहा है.......आँख खुली तो देखा मिंटू कपडे पहन रहा है और पिंकी एक गहरी मुस्कान के साथ मुझे उठा रही थी......
मैं: क्या हुआ.......
पिंकी: तुम तो एकदम घोड़े बेच कर सो गई थी....हमारी उठापटक में तुम्हारी नींद जरा भी नहीं खुली क्या दीदी...
मैं: क्या उठापटक........
पिंकी (शरारती लहजे में): वैसी ही जैसी कुछ देर पहले आपके और मिंटू के बीच चल रही थी........
मेरे चेहरे पास एक मुस्कान तैर गई......ये देख कर पिंकी मुझसे लिपट गई और बेतहाशा चूमने लगी.....मुझे भी उसपर बहुत प्यार आया और मैंने भी उसको अपने ऊपर खींच कर होंठो पर चूमने लगी......
मिंटू: अरे चलो यार बहुत देर हो गई.......अब ये काम तो तुम अपने रूम पर चाहे जब कर सकते हो......पर हाँ मुझे भूल मत जाना.......
हम दोनों उसकी इस बात पर हंसने लगी और फिर फटाफट कपडे पहन कर अपने होस्टल की और चल पड़ी................
"पी पीप पी "......कार के हार्न की लगातार तेज़ आवाज़ से मैं अतीत से वर्तमान में लौट आई.......सामने पिंकी का घर आ चूका था और रवि सामने कार पार्क करने के लिए वहां खड़ी कुछ गायों को हटाने के लिए होर्न मार रहा था...............
मैं: अरे........आ गए पिंकी के घर.............
रवि: अरे तुम उठ गई...........कितनी गहरी नींद में सो रही थी.................
मैं मुस्कुरा उठी ......अब मैं नोर्मल फील कर रही थी, मेरे पहले आर्गौस्म की स्मृति में खो कर.......हम उतरे और पिंकी के घर के अन्दर चले गए....
पिंकी के घर की घंटी बजा कर हम दरवाज़ा खुलने का वेट करने लगे........
रवि पिंकी को देखने के लिए मरा जा रहा था कि शादी के तीन महीनो में चुद चुद कर क्या वो और सेक्सी हो गई होगी, पता नहीं रवि को पिंकी की चुदाई का मौका मिल भी पता है कि नहीं, फिर भी वो बहुत रोमांचित था..... मेरी शादी के एक महीने बाद से ही रवि ने पिंकी की चुदाई शुरू कर दी थी... रवि पिंकी का दीवाना था और एक रात में चार चार बार चोद कर भी नहीं थकता था..... पिंकी भी रवि से खूब मज़े ले ले कर चुद्वाती थी...........हम अक्सर तीनो मिल कर रात रात भर सेक्स करते थे....और जब भी मौका मिलता, मिंटू भोपाल से इंदौर हमारी पार्टी में शामिल होने पहुँच जाता था.....
जब कुछ समय दरवाज़ा नहीं खुला तो मैंने रवि को आँखों ही आँखों में जरा सब्र करने का इशारा किया क्योंकि वो बहुत हडबडा रह था........दरवाज़ा खुला और रवि का मुंह पिंकी को देख कर खुला का खुला रह गया......पिंकी भी हमारी इस सरप्राइज़ विज़िट पर हैरान रह गई.....दोनों जीजा साली बस एकदूसरे को एकटक देखे ही जा रहे थे.....पिंकी शादी के बाद बहुत ही ज्यादा सेक्सी हो गई थी...मैं मुस्कुरा कर उसे हग करने आगे बड़ी.....तब उसका ध्यान मेरी ओर गया......मैंने रवि को कोहनी मारी कि इस तरह से पिंकी को ना देखो.....कहीं उसका पति अमित ने देख लिया तो........मैं इधर उधर देख कर अमित को ढून्ढ रही थी......परन्तु ये क्या...... पिंकी ने दरवाज़ा बंद किया और एकदम लपक के रवि के ऊपर छलांग लगाकर उसको दबोच लिया और अपने दोनों पैर उसकी कमर पर लिपटा लिए.....रवि हडबडा कर अपना बैलेंस बनाने लगा कि कहीं गिर न पड़े......लेकिन संभालते संभालते भी वो पीछे दो तीन कदम हुआ और फिर वहां रखा दीवान उसके पैर के पीछे लगा और वो पिंकी को साथ लिए बिस्तर पर पीठ के बल गिर पड़ा....मैं दौड़ कर उनके पास गई और पिंकी के कान में धीरे से बोला....ऐ अमित ऐसे देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी.......पर वो हटने के बजे रवि को खिसका कर पलंग पर सीधा करने लगी और जब वो एकदम ठीक से पलंग पर लेट गया तो फिर उस पर कूद पड़ी और ऐसे दबोच लिया कि कहीं वो उसे छोड़ कर कहीं चला ना जाये.....और उसके मुंह पर अनगिनत किस करने लगी....अपने पुरे शरीर को उसके शरीर पर रगड़ रही थी....मैं डर के मरे इधर उधर देख रही थी कि कहीं अमित बैठक में ना आ जाये......मैं बहुत डर रही थी.........
उधर अमित भी डर की वजह से पिंकी की हरकतों का कोई जवाब नहीं दे पा रहा था और अवाक् सा बस पड़ा हुआ था...............कुछ देर बाद पिंकी ने हम दोनों कि हालत देखि तो जोर से हंस पड़ी....मैं बोली- तू अपने जीजू को देख कर शायद पागल हो गई है वरना तुझे अमित का कोई डर नहीं.......तो वो बोली- दीदी अमित से डर तो तब लगेगा ना जब वो घर पर होगा........आज उसकी नाईट शिफ्ट है तो वो अब सुबह ५ बजे ही वापिस आएगा.......और फिर वो हंसने लगी..........
क्रमशः........................ ........
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अब मेरी जवानी को ढंकने वाला अंतिम कड़ी मेरे तन पर थी जो मुझे पता था कि किसी भी क्षण मेरा साथ छोड़ने वाली थी...............
और फिर पिंकी के हाथ मुझे पूर्ण नग्न करने के लिए आगे बड़ा........
उसने खींच कर मेरी चड्डी नीचे खिसका दी...........जैसे ही मेरी आखरी ढाल मेरी शरीर से हटी.....मिंटू ने फिर से मुझे जोर का भींच लिया........
अब उसका केले जैसा लम्बा लंड बिना किसी बाधा के मेरे चूत कि दरार पर फँस सा गया.........
अब वो मेरे शरीर से खेलने लगा.........कभी पीठ पर मालिश करता ...कभी चूतड भींचता....और उसके लंड का टोपा ठीक मेरे दाने के ऊपर चूत के होंठ के उपरी खांचे में फंसा हुआ था.......हिलने डुलने पर वो लगातार मेरे दाने की मालिश कर रहा था........
अब उसने मुझे पलटा दिया और अपने दोनों घुटने मोड़ के मेरे दोनों जांघो पर दबा दिए और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथो को आधी कोहनी मोड़ के पकड़ लिया और फिर मुझे स्थिर करके वो मेरी जवानी को नज़दीक से देखने लगा.......मेरे बड़े बड़े मम्मे उसको ललचा रहे थे.............
ना चाहते हुवे भी मेरी नज़र एकबारगी उसके तने लंड की और गई.......... मुझे तो वो केले जैसा महसूस हुआ था......परन्तु ये तो एकदम भुट्टे जैसा था.......बहुत मोटा...
पिंकी अब मेरे सर के ऊपर की तरफ आ गई....वो तो बस उस भुट्टे को एकटक निहार रही थी.......अब तक उसका एक हाथ उनकी चड्डी में पहुँच चूका था.....और वहां आप समझ जाओ क्या कर रहा होगा...
मिंटू, जैसे अब सब कुछ उसके कण्ट्रोल में था......वो बड़े आराम से मेरे मम्मो को आँखों से पी कर पिंकी कि और मुखातिब हुआ......
मिंटू: हे पिंकी, तुने मेरा सबकुछ देख लिया......अपना भी सबकुछ दिखा ना......फिर मैं तेरे को एक जोरदार चुदाई दिखता हूँ................
पिंकी तो जैसे तैयार ही थी.........झट से उसने अपना स्किर्ट ढीला किया......सर्र से वो निचे....एक झटके में चड्डी भी जमीन पर........
और उससे भी ज्यादा तेज़ी से टॉप हवा में उड़ा दिया और फिर ब्रा भी ......
उसके लंड ने एक जोरदार झटका लिया......
अब वो दोनों के बदन बारी बारी से देख रहा था............
मिंटू: वाह रे पिंकी, तू तो अन्दर से बहुत खूबसूरत है रे....तुने कभी बताया नहीं मुझे पहले.
पिंकी: (थोडा शर्माते हुवे) नहीं देख दीदी तो मुझसे भी ज्यादा सुन्दर है.....मम्मे कितने बड़े और कसे हुवे हैं..
मिंटू: चल इधर आ मेरी थोड़ी मदद कर ताकि तेरी दीदी कि खूबसूरती को महसूस कर सकूं......ले इसके दोनों हाथ पकड़ ले.
और वो मेरे सर के इर्द अपने घुटने मोड़ कर बैठ गई और झुक कर मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए.....
उसकी छूट मेरे सर को छू रही थी....मिंटू के दोनों हाथ अब आज़ाद हो चुके थे ....तुरंत उसके हाथ मेरे मम्मो पर आ गए...
अब वो मेरे दोनों मम्मों को मसलने लगा.....पिंकी थोडा और ऊपर खिसकी तो उसकी छूट मेरी पर जा टिकी....उसकी चूत की गर्मी महसूस हो रही थी...उसकी चूत गीली हो चुकी थी और उसकी खुशबू मेरे नासारंध्र में घुलने लगी........
अचानक मिंटू झुका और मेरे एक मम्मे को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा....अपने पैर उसने लम्बे कर लिए तो उसका लंड फिर मेरी चूत पर सेट हो गया.....
अब वो बेतहाशा मेरे मम्मो को चूस रहा था .....उसकी ये चुसाई ने मेरे प्रतिरोध को काफी ढीला कर दिया और मेरे अन्दर भी न चाहते हुवे भी काम उर्जा भरने लगी.....फलस्वरूप मेरी चूत में रसस्राव शुरू होगया.
मिंटू अब अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर रगड़ने लगा.......मेरे चिकने रस ने उसका काम थोडा आसान कर दिया....
अब लंड को अन्दर डालने के लिए उसने मेरे बोबे छोड़े और जैसे ही सर ऊपर किया अपने ठीक सामने पिंकी का मुंह पाया......बिना देर किये उसने अपने होंठ से पिंकी के होंठ भींच लिए
और फिर एक जबरदस्त चुम्बन....पिंकी और मिंटू के होंठ मिले....मिंटू ने अपने दोनों हाथों से पिंकी का मुंह पकड़ा और पूरा मुंह उसके मुंह में घुसेड दिया....पिंकी ने भी आवेश में आकर कब मेरे हाथ छोड़ कर मिंटू का सर पकड़ लिया उसे पता ही नहीं चला.........मैं अब तक काफी गरम हो चुकी थी और लगभग भूल सी गई थी कि मैं इस चुदाई से अपने को बचा रही थी....मेरे हाथ आज़ाद होते ही मैंने अपना मुंह का कपड़ा खोला....जान में जान आई.....उधर वो दोनों अपने घुटनों पर एक आगे और एक मेरे पीछे....तल्लीनता से चूमा चाटी में लगे हुवे थे.....मेरे ठीक सामने मिंटू का भुट्टा लहरा रहा था......पता नहीं क्या हुआ मैंने अपने दोनों हाथों से उस झूलते भुट्टे को थम लिया.........जैसे ही मिंटू को महसूस हुआ उसने पिंकी को छोड़कर नीचे देखा.....मेरे हाथ उस भुट्टे की खाल को मसल रहे थे......उसने पिंकी को इशारा किया कि देख नीचे का नज़ारा.....पिंकी ख़ुशी से चिल्लाई .....ओ दीदी....हाँ तुम भी मज़े लो, देखो मिंटू का कितना मस्त है....और फिर पिंकी ने जोश में मिंटू का सर खींच कर अपने मम्मों पर भींच लिया....अब मिंटू एक जोड़ी नए कलमी आमों की चुसाई का आनंद लेने लगा और पिंकी की तेज़ आहें और कराहें फिजां में गूंजने लगी.......पिंकी की चूत से निकलने वाली मादक खुशबू मेरे अन्दर वासना का ज्वार उठा रही थी...मैंने मिंटू के लंड को छोड़ा और पिंकी के दोनों कुलहो पर हाथ रख कर उसे थोडा नीचे खींच और अपना मुंह थोडा सा उठा कर पिंकी कि चूत में घुसेड दिया......वो रस से सराबोर थी.....मैं अपनी जीभ से उसे चाटने लगी....पिंकी के थोडा नीचे होने से उसके बोबे मिंटू के मुंह से निकल गए....उसने देखा कि मैंने पिंकी की चूत पर आक्रमण कर दिया है तो वो भी तमतमा गया और नीचे की और खिसक कर अपना लंड मेरी चूत के छेद पर टिका दिया.......अब वो मेरी फिसलन भरी चूत में लंड घुसाने लगा.......दर्द से मेरे मुंह से आह निकली तो वो पिंकी से बोला कि मेरे होंठो को अपने होंठो से कस के दबा ले ताकि चिल्लाने कि आवाज़ बाहर न जाने पाए.....पिंकी ने थोडा पीछे खिसक के अपने होंठो से मेरे होंठो को जकड लिया...मैंने अपने दोनों हाथों से पिंकी के मम्मों को थाम लिया और उनसे अठखेलियाँ करने लगी.....
इधर नीचे मिंटू ने अपना आधा लंड जैसे ही मेरे अन्दर किया मैं जोर से चिल्लाई परन्तु चीख पिंकी के होंठो से घुट गई....अगले दो मिनट मेरे लिए बहुत दर्दनाक थे ....मिंटू पुर लंड पेल कर घस्से मरने लग था....कुछ ही देर में मेरा दर्द आनंद में बदलने लगा......और फिर मैं भी चुदाई का आनंद लेने लगी......और १० मिनट की चुदाई के बाद मुझे अपने पहले चरमोत्कर्ष की झलक मिली......वो मेरी ज़िन्दगी का सबसे आनंददायी क्षण था......इधर मिंटू भी मेरे अन्दर ही झड गया.....
मैं झडने के बाद एकदम लुस्त पड़ गई.....अब जैसे जैसे चरमानंद के आगोश से बाहर आ रही थी वैसे वैसे मेरी चूत में तेज़ जलन और दर्द महसूस होने लगा......फिर थकान की वजह से तुरंत ही निद्रा में लीं हो गई.......
अचानक ऐसा लगा कि कोई मुझे झिंझोड़कर उठा रहा है.......आँख खुली तो देखा मिंटू कपडे पहन रहा है और पिंकी एक गहरी मुस्कान के साथ मुझे उठा रही थी......
मैं: क्या हुआ.......
पिंकी: तुम तो एकदम घोड़े बेच कर सो गई थी....हमारी उठापटक में तुम्हारी नींद जरा भी नहीं खुली क्या दीदी...
मैं: क्या उठापटक........
पिंकी (शरारती लहजे में): वैसी ही जैसी कुछ देर पहले आपके और मिंटू के बीच चल रही थी........
मेरे चेहरे पास एक मुस्कान तैर गई......ये देख कर पिंकी मुझसे लिपट गई और बेतहाशा चूमने लगी.....मुझे भी उसपर बहुत प्यार आया और मैंने भी उसको अपने ऊपर खींच कर होंठो पर चूमने लगी......
मिंटू: अरे चलो यार बहुत देर हो गई.......अब ये काम तो तुम अपने रूम पर चाहे जब कर सकते हो......पर हाँ मुझे भूल मत जाना.......
हम दोनों उसकी इस बात पर हंसने लगी और फिर फटाफट कपडे पहन कर अपने होस्टल की और चल पड़ी................
"पी पीप पी "......कार के हार्न की लगातार तेज़ आवाज़ से मैं अतीत से वर्तमान में लौट आई.......सामने पिंकी का घर आ चूका था और रवि सामने कार पार्क करने के लिए वहां खड़ी कुछ गायों को हटाने के लिए होर्न मार रहा था...............
मैं: अरे........आ गए पिंकी के घर.............
रवि: अरे तुम उठ गई...........कितनी गहरी नींद में सो रही थी.................
मैं मुस्कुरा उठी ......अब मैं नोर्मल फील कर रही थी, मेरे पहले आर्गौस्म की स्मृति में खो कर.......हम उतरे और पिंकी के घर के अन्दर चले गए....
पिंकी के घर की घंटी बजा कर हम दरवाज़ा खुलने का वेट करने लगे........
रवि पिंकी को देखने के लिए मरा जा रहा था कि शादी के तीन महीनो में चुद चुद कर क्या वो और सेक्सी हो गई होगी, पता नहीं रवि को पिंकी की चुदाई का मौका मिल भी पता है कि नहीं, फिर भी वो बहुत रोमांचित था..... मेरी शादी के एक महीने बाद से ही रवि ने पिंकी की चुदाई शुरू कर दी थी... रवि पिंकी का दीवाना था और एक रात में चार चार बार चोद कर भी नहीं थकता था..... पिंकी भी रवि से खूब मज़े ले ले कर चुद्वाती थी...........हम अक्सर तीनो मिल कर रात रात भर सेक्स करते थे....और जब भी मौका मिलता, मिंटू भोपाल से इंदौर हमारी पार्टी में शामिल होने पहुँच जाता था.....
जब कुछ समय दरवाज़ा नहीं खुला तो मैंने रवि को आँखों ही आँखों में जरा सब्र करने का इशारा किया क्योंकि वो बहुत हडबडा रह था........दरवाज़ा खुला और रवि का मुंह पिंकी को देख कर खुला का खुला रह गया......पिंकी भी हमारी इस सरप्राइज़ विज़िट पर हैरान रह गई.....दोनों जीजा साली बस एकदूसरे को एकटक देखे ही जा रहे थे.....पिंकी शादी के बाद बहुत ही ज्यादा सेक्सी हो गई थी...मैं मुस्कुरा कर उसे हग करने आगे बड़ी.....तब उसका ध्यान मेरी ओर गया......मैंने रवि को कोहनी मारी कि इस तरह से पिंकी को ना देखो.....कहीं उसका पति अमित ने देख लिया तो........मैं इधर उधर देख कर अमित को ढून्ढ रही थी......परन्तु ये क्या...... पिंकी ने दरवाज़ा बंद किया और एकदम लपक के रवि के ऊपर छलांग लगाकर उसको दबोच लिया और अपने दोनों पैर उसकी कमर पर लिपटा लिए.....रवि हडबडा कर अपना बैलेंस बनाने लगा कि कहीं गिर न पड़े......लेकिन संभालते संभालते भी वो पीछे दो तीन कदम हुआ और फिर वहां रखा दीवान उसके पैर के पीछे लगा और वो पिंकी को साथ लिए बिस्तर पर पीठ के बल गिर पड़ा....मैं दौड़ कर उनके पास गई और पिंकी के कान में धीरे से बोला....ऐ अमित ऐसे देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी.......पर वो हटने के बजे रवि को खिसका कर पलंग पर सीधा करने लगी और जब वो एकदम ठीक से पलंग पर लेट गया तो फिर उस पर कूद पड़ी और ऐसे दबोच लिया कि कहीं वो उसे छोड़ कर कहीं चला ना जाये.....और उसके मुंह पर अनगिनत किस करने लगी....अपने पुरे शरीर को उसके शरीर पर रगड़ रही थी....मैं डर के मरे इधर उधर देख रही थी कि कहीं अमित बैठक में ना आ जाये......मैं बहुत डर रही थी.........
उधर अमित भी डर की वजह से पिंकी की हरकतों का कोई जवाब नहीं दे पा रहा था और अवाक् सा बस पड़ा हुआ था...............कुछ देर बाद पिंकी ने हम दोनों कि हालत देखि तो जोर से हंस पड़ी....मैं बोली- तू अपने जीजू को देख कर शायद पागल हो गई है वरना तुझे अमित का कोई डर नहीं.......तो वो बोली- दीदी अमित से डर तो तब लगेगा ना जब वो घर पर होगा........आज उसकी नाईट शिफ्ट है तो वो अब सुबह ५ बजे ही वापिस आएगा.......और फिर वो हंसने लगी..........
क्रमशः........................
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