Monday, May 23, 2011

पापा का दोस्त --1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
पापा का दोस्त --1
हेल्लो दोस्तो मेरा नाम सोनियाँ है मैं आपको आज ऐक इंटरस्टिंग स्टोरी
सुनाने जा रही हूँ मैं हयदेराबाद की रहने वाली हूँ और अपने वल्डाइन की
इक्लोटी ओलाद हूँ. इस वक़्त मैं लाहोर यूनिवर्सिटी से मास्टर्स कर रही
हूँ. ये कहानी जब की है जब मैं छुट्टियाँ गुज़ारने के लिए अपने घर जा रही
थी. मैं जिस ट्रेन से जा रही थी उस के बारे मे मैं ने घर मे इतला दे दी
थी के मैं कल शाम तक पोहन्च जाओं गी. ट्रेन मे मैं इस वक़्त अपने
कॉमपार्टमेंट मे अकेली थी इसलिए मैं ने अपनी ऐक किताब निकाली और पढ़ने
लगी. ये फर्स्ट क्लास कॉमपार्टमेंट था और ये कॉमपार्टमेंट 4 लोगो के लिए
रिजर्व था. अभी ट्रेन चली नही थी और फिर थोड़ी देर बाद कॉमपार्टमेंट मैं
ऐक आदमी आकर बैठ गया . वो कोई 60 साल का होगा वो आदमी लंबा और सेहत मंद
था. मैं ने ऐक नज़र उसकी तरफ देखा और दोबारा अपनी किताब पढ़ने लगी. वो
आदमी मेरी तरफ आया और मेरी तरफ हाथ बढ़ा कर बोला, हेलो स्वीट गर्ल मेरा
नाम वसीम है. मैं ने ऐक नज़र उस के बढ़े हो हाथ को देखा और मुँह बना कर
वापिस किताब पढ़ने लगी. मेरे मुँह बनाने पर उस को गुस्सा आगेया और वो
जाकर अपनी सीट पर बैठ गया और मुझे घूर घूर कर देखने लगा. मैं ने उसे
इग्नोर कर दिया और अपनी किताब पढ़ने लगी. अब ट्रेन चल पड़ी थी. थोड़ी देर
बाद मुझे पीशाब लगा तो मैं उठ कर साथ बने हो बाथरूम मे आगाई. अभी मैं
कामोट पर बैठी पीशाब ही कर रही थी के बाथरूम का दरवाज़ा ऐक दम से खुला और
वसीम अंदर आगेया. मैं ऐक दम से घबरा गई और फिर गुस्से से बोली, ये किया
बट्तमीज़ी है. वो बेशर्मी से मुस्काराया और बोला, ये बट्तमीज़ी नही है
मेरी जान मैं तो पीशाब करने आया हूँ. मैं फिर गुस्से से बोली, तुम ज़रा
सी भी तमीज़ नही है किया? देख नही रहे के मैं पहले से ही यहा मोजूद हूँ.
वो हंसा और बोला, तुम यहा हो जब ही तो मैं आया हूँ. मैं ने गुस्से से कुछ
कहने के लिए अपना मुँह खोला ही था के उसने ऐक दम से अपनी पॅंट की ज़िप
खोली और अपना लंड पॅंट से बाहर निकाल लिया जो 9 इंच लंबा और 2 इंच मोटा
था. फिर फॉरन ही उसके लंड से पीशाब की ऐक बोहत तेज़ धार निकल कर मेरे
चेहरे से टकराई और मेरे खुले मुँह से काफ़ी सारा पीशाब मेरे हलक़ से नीचे
उतर गया . पीशाब का टेस्ट कड़वा सा था और मुझे उबकाई आगाई. मैं ने अपने
दोनो हाथो से अपने चेहरे को बचाने की कोशिश करी तो उसने अपने पीशाब से
मुझे पूरा भीगो दिया. मेरे सारे कपड़े पीशाब से खराब होगे थे. पीशाब करने
के बाद वो हंसता हुआ बाहर चला गया . वो गया तो मेरी शिकल रोने वाली हो गई
और मुझे गुस्सा भी आने लगा. मैं बाहर आई तो पीसाब से पूरी तरह भीगी हुई
थी और वो मुझे देख कर फिर हँसने लगा. मैं गुस्से से अपनी सीट पर गई ताक़ि
मैं अपने बेग से दोसरा सूट निकालू पर वाहा मेरा बेग नही था. मैं गुस्से
से वसीम की तरफ मूडी और बोली, ये तुम ने मेरा बेग क्यूँ लिया है. वो फिर
हंसा और बोला, तुम्हारा बेग मैं क्यूँ लूँगा क्या तुम्हे अपना बेग मेरे
पास नज़र आरहा है? मैं ने देखा तो वाकई उसके समान मे मेरा बेग नही था.
मैं फिर गुस्से से बोली, तुम ने ही कही छुपाया होगा चलो जल्दी मेरा बेग
वापिस करो वरना मैं पोलीस मे रिपोर्ट करवा दूँगी. मेरी धमकी सुनकर वो और
ज़ोर से हँसने लगा और बोला, पहले अपना बेग ढूँधो फिर पोलीस मे रिपोर्ट
लिखवा देना. मैं ने पूरे कॉमपार्टमेंट मैं ढूँढ लिया मगर मुझे मेरा बेग
नही मिला. अब मैं रोने लगी थी और मैं उस से बोली प्लीज़ मुझे मेरा बेग दे
दो. देखो मैं तुम्हारी बेटी की उमर की हूँ तुम मेरे साथ ऐसा क्यूँ कर रहे
हो मुझे अपने कपड़े चेंज करने हैं प्लीज़ मुझे मेरा बेग वापिस कर दो. वो
हंसा और बोला, तुम्हे कपड़े चेंज करने की किया ज़रूरत है तुम्हारे ये
कपड़े खराब हो गये हैं तो ये कपड़े उतार दो वैसे भी तुम कपड़ों के बगैर
ज़ियादा अछी लागो गी. उसकी बात सुनकर मैं ने गुस्से से उसे देखा तो वो
हँसने लगा. मैं कुछ देर तो उसे बैठी देखती रही फिर मुझे भी इन ठंडे कपड़ो
मे बैठा नही जराहा था इस लिए मैं उठ कर दोबारा बाथरूम मे आगाई. मैं ने
अपने गंदे कपड़े उतार कर ऐक तरफ फेंक दिए. अब मैं सिर्फ़ ब्रेज़ियर और
पॅंटी मैं थी. मेरी पॅंटी और ब्रेज़ियर मे से भी पीशाब की बदबू आराही थी.
मैं ने वो भी उतार कर फेंक दिए. फिर मैं ने अपने पूरे जिस्म पर अछी तरहा
से पानी बहाया. अब मसला मेरे कपड़ो का था और इस वक़्त मेरे पास अपने
जिस्म पर लिपटने के लिए ऐक टवल भी नही था. मैं कुछ देर तो बाथरूम मे खड़ी
रही मगर मैं कब तक बाथरूम मे रहती इसी लिए मैं वापिस बाथरूम से निकल कर
कॉमपार्टमेंट मे आकर अपनी सीट पर ऐसे ही नंगी बैठ गई. वसीम मुझे नंगा देख
कर मुस्काराया और बोला, मेरी जान तुम अब पहले से ज़ियादा खूबसूरत लग रही
हो. मैं ने गुस्से से उसकी तरफ देखा मगर कुछ नही बोली. फिर वसीम उठ कर
खड़ा होगया और अपनी पॅंट के उपर से ही अपना लंड सहलाता होवा बोला, मेरी
जान मुझे तुम्हारा ये खूबसूरत और सेक्सी बदन बोहत बेचैन कर रहा है तुम
क्यूँ ना मुझे से दोस्ती कर्लो. अगर तुम ने रास्ते भर मुझे खुश किया तो
मैं तुम्हे तुम्हारा बेग वापिस कर दूँगा. मैं गुस्से से घूरा कर बोली,
हरमज़ादे मैं मरती मर जाउन्गि मगर तुझे कुछ नही करने दूँगी. मेरी बात
सुनकर वो ज़ोर से हंसा और बोला, जान-ए-मन मरने की ज़रूरत नही है बस तुम
मुझे खुश करो और यकीन करो इस मे तुम्हे भी बोहत मज़ा आय गा. वसीम ने ये
कह कर अपने कपड़े उतार दिए. मैं ने देखा के उसका 9 इंच लंबा और 2 इंच
मोटा लंड फुल आकड़ा होवा था और बुरी तरहा से झटके खा रहा था. मेरे दिल ही
दिल मे डर रही थी के ये मेरा रेप कर के ही छोड़े गा. फिर वो मेरी तरफ
बढ़ने लगा तो मैं अपनी सीट पर सिमटते हुए बोली, देखो तुम मेरे पास नही
आना वरना मैं शोर मचा दोगि. वो हँसने लगा और बोला, मैं तुम्हे शोर मचाने
के काबिल ही नही छोड़ूँगा. अब वो मेरे पास आगेया था. उसने मेरा हाथ पकड़
कर अपनी तरफ खींचा तो मैं खुद को छुड़ाने लगी. वसीम की गिरफ़्त काफ़ी
मज़बूत थी और मैं अपना हाथ नही छुड़ा सकी उसने दोसरा हाथ मेरी कमर मे डाल
दिया और मुझे खुद से लिपटा लिया और अपने होंटो को मेरे होंटो से मिला कर
मुझे किस करने लगा. मैं बुरी तरहा से अपने हाथ पैर चला रही थी मगर खुद को
उस से छुड़ा नही पा रही थी. मैं बुरी तरह मचल रही थी फिर अचानक ऐक ख़याल
मेरे ज़हन मे आया और मैं ने पूरी ताक़त से अपना घुटना उसकी नाफ़ के नीचे
मार दिया. तकलीफ़ के मारे वो दोहरा होगया और उसके मुँह से ऊऊवगगगगग की
आवाज़ निकली. उसकी गिरफ़ मुझ पर से ढीली हो गई थी इस लिए मैं ने ज़ोर लगा
कर खुद को छुड़ा लिया. मैं दरवाज़े की तरफ भागने लगी तो उसने मेरा पावं
पकड़ लिया. ऐक दम से मुझे झटका लगा तो मैं मुँह के बल नीचे गिर गई. मुझे
काफ़ी चोट लगी थी. अब वसीम गुस्से से खड़ा होगया, तकलीफ़ और गुस्से से
उसका चेहरा काफ़ी भयानक होगया था. वो गुस्से से घुर्रा के बोला, साली
कुट्टिया तो ऐसे नही माने गी. ये कह कर उसने मुझे बालों से पकड़ कर उठा
लिया. तकलीफ़ के की वजह से मेरी चीख निकल गई. उसने मुझे अपनी तरफ घूमाया
और ऐक ज़ोर का थप्पड़ मेरे मुँह पर मारा. उसका थप्पड़ इतना ज़ोरदार था के
मेरा मुँह घूम गया . फिर उसने अपना घुटना ज़ोर से मेरी चूत पर मारा. फिर
मेरे घुटने से जो हाल वसीम का होवा था वो ही हाल मेरा हुआ. शदीद दर्द की
वजह से मैं ऊऊऊवगगगगगगगगग की आवाज़ निकालती हुई धराशाई हो गई. उसने ऐक
वार पर बस नही किया और ऐक घोटना फिर मेरी चूत पर रसीद कर दिया. दर्द की
वजह से मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया . और मैं नीचे गिर पड़ी. वसीम
गुस्से से पागल होरहा था वो गुस्से से बोला, साली हरमज़ड़ी मेरे लंड पर
घुटना मारती है अब देख मैं अपने इसी लंड से तेरी चूत और गंद का किया हाल
करता हूँ. ये कह कर उसने ऐक लात ज़ोर से मेरे पेट पर मारी. तकलीफ़ की वजा
से मैं चीखने लगी और मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे. वसीम मुझे छोड़ कर
बाथरूम चला गया . मुझ मे उठने की हिम्मत नही थी और मैं नीचे ही पड़ी रही
और दर्द की वजा से तड़पति रही. थोड़ी देर बाद जो वसीम बाथरूम से निकला तो
उसके हाथ मे मेरे पीशाब मे भीगे हो कपड़े थे जो मैं बाथरूम मे छोड़ आई
थी. वसीम ने मेरी पीशाब से भीगी होई कमीज़ से मेरे दोनो हाथो को बाँध
दिया. अब मुझ मे अब लड़ने की हिम्मत नही बची थी. मैं रोते हुए बोली, तुम
मेरे साथ आएसा क्यूँ कर रहे हो मैं ने तुम्हारा किया बिगाड़ा है. वसीम ने
मेरे हाथो को बाँधने के बाद उसने मेरी शलवार से मेरे दोनो पावं भी बाँध
दिए. मैं ने फिर उस से इल्तीजा करी, प्लीज़ मुझ पर रहम करो मुझे छोड़ दो
मैं तुमसे माफी मांगती हूँ प्लीज़ मुझे मेरा क़सूर तो बता दो. मेरे दोनो
हाथ पैरों को बाँध देने के बाद उसने मेरा ब्रेज़ियर मेरे मुँह मे ठूंस
दिया. अब मैं हिलने जुलने के साथ साथ बोल भी नही सकती थी. वो मुझे बाँध
कर बोला, पहले शायद मैं तुम्हारा ये हाल नही करता मगर तुम ने मुझ पर वार
कर के खुद ही मुसीबत मोल ली है. और रही बात क़सूर की तो क़सूर तुम्हारी
खूबसूरती का है जिस को देख कर मैं पागल होगया हूँ. अगर तुम खुशी से मेरा
साथ देती तो तुम्हे भी माज़ा आता मगर अब मुझे ये सब ज़बरदस्ती करना पड़े
गा. वसीम ने मुझे सीधा लिटा दिया और झोक कर मेरे बूब्स को चूमने और चाटने
लगा. वो वहशी पने से मेरे दोनो बूब्स को चूस और काट रहा था जिस से मुझे
तकलीफ़ हो रही थी. मैं कुछ बोल तो नही सकती थी मगर मेरी आँखों से मुसलसल
आँसू बह रहे थे. वो बार बार मेरे बूब्स के निपल को काट रहा था और मैं
बुरी तरहा से सिसक रही थी. काफ़ी देर तक मेरे बूब्स को चूसने और काटने के
बाद उसने मेरी चूत पर हमला कर दिया. वो कुत्टो की तरहा बड़ी बेसब्री से
मेरी चूत को नोच और खसोट रहा था. फिर उसने ऐक दम से अपनी 3 उंगलियाँ मेरी
कुँवारी चूत मे घुस्सा दी. तकलीफ़ की वजा से तड़प गई. वसीम वहशी बना
तेज़ी से अपनी उंगलियाँ मेरी चूत मे आगे पीछे कर रहा था. अचानक से मेरे
बदन मे अकराहट पैदा होई और मेरे पूरे बदन की ताक़त जेसे मेरी चूत मे समा
गई. मेरी साँसे ऐक दम से तेज़ हो गई थी और मुझे ऐसा लगा जेसे मेरी जान
मेरी चूत के रास्ते निकल जाय गी और फिर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. ये
मेरा पहला सेक्स सॅटिस्फॅक्षन था और फिर मेरे पूरे बदन मे ऐक सरूर सा
दौड़ गया और मेरी तेज़ साँसे बहाल हो गई. मैं ने अपनी आँखे बंद कर ली.
फिर जब वसीम ने मेरी टाँगे उठाई तो मैं ने आँखे खोल कर देखा. वसीम घोटनो
के बल बैठा हुआ था और उसका आकड़ा हुआ पाइप जेसा लंड मेरी चूत से टकरा रहा
था. मैं समझ गई के अब वो अपना लंड मेरी चूत मे डाल कर मेरी चूत को फाड़ना
चाहता है. आने वाली तकलीफ़ का सोच कर मेरे जिस्म से जेसे जान निकल गई.
वसीम ने अपने हाथ से अपने लंड की टोपी मेरी चूत के सोराख मे फँसैई और ऐक
ज़ोरदार झटका मारा. तेज दर्द की वजह से मैं बुरी तरहा तदपि और चीखी. मेरे
मुँह मे ब्रेज़ियर होने की वजा से मेरे मुँह से चीख की जगा सिर्फ़
ग्घूऊऊऊ की आवाज़ निकली. मेरा जिस्म ज़ोर से तडपा. वसीम का लंड 2 इंच तक
मेरी चूत मे घुस्स चुक्का था. वसीम ने मेरे तद्दपते हुए जिस्म को कस कर
पकड़ा और ऐक ज़ोरदार झटका और मारा. अब उसका लंड 4 इंच तक मेरी चूत मे
घुस्स गया था. मुझे ऐसा लग रहा था जेसे वसीम ने कोई तेज़ धार तलवार मेरी
चूत मे घुसा दी हो. मेरा जिस्म बुरी तरहा से तड़प रहा था. शदीद दर्द की
वजा से मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे. मेरी ये हालत देख कर वसीम
मुस्काराया और बोला, मेरी जान अभी तो मेरा सिर्फ़ 4 इंच लंड अंदर गया है
ये दर्द तो कुछ नही है असली दर्द तो तुम्हे अभी होगा. ये कह कर वसीम ने
ऐक बोहत ही तेज़ झटका मारा. अब की बार उसका 9 इंच लंबा और 2 इंच मोटा लंड
मेरी चूत को बुरी तरहा से फाड़ता हुआ जड़ तक अंदर घुस्स गया . दर्द के
मारे जेसे मेरा साँस रुक गया और मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया . इसी
दौरान वसीम ने ऐक ज़ोरदार झटका और मारा और दर्द के मारे जेसे मैं उछल
पड़ी. वसीम ने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था और वो ज़ोरदार झटके मारने लगा.
वसीम के हर झटके पर मैं दर्द के मारे उछल पड़ती. मुझे ऐसा लग रहा था जेसे
मेरी जान निकल जाय गी. अभी वसीम को मुझे चोदते हुए 5 मिनिट ही हुए होंगे
के ट्रेन के कॉमपार्टमेंट का दरवाज़ा खुला और कोई अंदर आगेया. शायद वसीम
दरवाज़ा अंदर से बंद करना भूल गया था. दरवाज़े खुलने की आवाज़ पर वसीम
घबरा कर मुझ पर से उतर गया . आने वाला टिकेट चेकार था. टिकेट चेकर अंदर
का मंज़र देख कर हेरान रह गया और बोला, ये क्या होरहा है? टिकेट चेकरर को
देख कर मुझे अपने बचने की उमीद नज़र आई और मैं बुरी तरहा से तड़प कर कुछ
कहने की कोशिश करने लगी. मुँह मे ब्रेज़ियर होने की वजा से सिर्फ़
ग्घूऊऊऊ ग्घूऊऊऊ की आवाज़ ही मेरे मुँह से निकल रही थी. मेरी हालत देख कर
टिकेट चेकरर वसीम से बोला, आप इस मासूम का रेप कर रहे हैं मैं अभी जा कर
पोलीस को खबर करता हूँ. टिकेट चेकरर की बात सुनकर वसीम बोला, पोलीस को
खबर करने से पहले मेरी ऐक बात सुनते जाओ. वसीम की बात सुनकर टिकेट चेकरर
सवालिया नज़रों से वसीम को देखने लगा. वसीम ने कहना शुरू किया, पोलीस को
तुम बाद मे बुलाते रहना मगर पहले तुम मेरे लंड की तरफ देखो जो इस लड़की
के खून से लाल हो रहा है. टिकेट चेकर की नज़रों के साथ साथ मेरी नज़रे भी
वसीम के लंड पर गई. वसीम का पूरा लंड खून से लाल हो रहा था. वसीम ने फिर
कहा, ये लड़की कुँवारी थी अभी अभी मैं ने इसकी चूत की सील तोड़ी है मगर
इसकी गंद अभी तक कुँवारी है तुम चाहो तो इस लड़की की कुँवारी गंद मार
सकते हो. देखो इस लड़की का जिस्म देखो कितना खूबसूरत और सेक्सी जिस्म है
किया कोई इतना सेक्सी जिस्म ऐसे छोड़ सकता है? मेरे साथ साथ तुम्हे भी
मोका मिल रहा है इस मोके से फ़ायदा उठाओ.
क्रमशः.................................

PAPA KA DOST

Helllo dosto mera nam sajida hai mai apko aj aik  intersting story
sunane ja raahI hun yeh story meri friend sonia ki hai aur ye kahani
aap Sonia ki zabani sunye. Mera naam Sonia hai aur main Hyderabad ki
rehnay wali hoon aur apnay waldain ki akloti olaad hoon. Is waqt main
Lahore university se masters kar rahi hoon. Ye kahani jab ki hai jab
main chuttiyan guzaarnay ke liye apnay ghar ja rahi thi. Main jis
train se jarahi thi us ke baray may main ne ghar may itlaa de di thi
ke main kal shaam tak pohanch jaon gi. Train may main is waqt apnay
compartment may akeli thi isliye main ne apni aik kitaab nikali aur
padhnay lagi. Ye first class compartment tha aur ye compartment 4
afraad ke liye makhsoos tha. Abhi train chali nahi thi aur phir thodi
dair baad compartment main aik aadmi aakar beth gaya . Wo koi 60 saal
ka hoga wo aadmi lamba aur sehat mand tha. Main ne aik nazar uski
taraf dekha aur dobara apni kitaab padhnay lagi. Wo aadmi meri taraf
aaya aur meri taraf hath badha kar bola, Hello Sweet Girl mera naam
Waseem hai. main ne aik nazar us kay badhay howe hath ko dekha aur mou
bana kar wapis kitaab padhnay lagi. Mere mou bananay par us ko ghussa
aagaya aur wo jakar apni seat par beth gaya aur mujhe ghor ghor kar
dekhnay laga. Main ne usay ignore kar diya aur apni kitaab padhnay
lagi. Ab train chal padi thi. Thodi dair baad mujhe peeshab ki hajat
hoi to main uth kar sath banay howe bathroom may aagai. Abhi main
kamot par bethi hoi peeshab hi kar rahi thi ke bathroom ka darwaza aik
dam se khola aur Waseem andar aagaya. Main aik dam se ghabra gai aur
phir ghussay se boli, ye kiya battamizi hai. wo khaabasat se muskaraya
aur bola, ye battamizi nahi hai meri jaan main to peeshab karnay aaya
hoon. Main phir ghussay se boli, tum zara see bhi tameez nahi hai
kiya? dekh nahi rahay ke main pehle se hi yaha mojood hoon. Wo hansa
aur bola, tum yaha ho jab hi to main aay hoon. Main ne ghussay se kuch
kehnay ke liye apna mou khola hi tha ke usne aik dam se apni pant ki
zip kholi aur apna lund pant se bahar nikal liya jo 9 inch lamba aur 2
inch mota tha. phir foran hi uskay lund se peeshab ki aik bohat tez
dhaar nikal kar mere chehre se takraee aur mere kholay mou se kafi
saara peeshab mere halaq se nichay utar gaya . Peeshab ka test kadwa
sa tha aur mujhe ubkaai aagai. Main ne apnay dono hatho se apnay
chehre ko bachanay ki koshish kari to usne apnay peeshab se mujhe pura
bheego diya. Mere saray kapday peeshab se kharab hogay thay. Peeshab
karne kay baad wo hansta howa bahar chala gaya . Wo gaya to meri
shikal ronay wali hogai aur mujhe ghussa bhi aanay laga. Main bahar
aai to peesab se puri tarha bheegi hoi thi aur wo mujhe dekh kar phir
hansnay laga. Main ghussay se apni seat par gai takay main apnay beg
se dosra suit nikalo par waha mera beg nahi tha. main ghussay se
Waseem ki taraf modi aur boli, ye tum ne mera beg kyun liya hai. wo
phir hansa aur bola, tumhara beg main kyun longa kiya tumhe apna beg
mere paas nazar aaraha hai? main ne dekha to wakaee uskay samaan may
mera beg nahi tha. Main phir ghussa se boli, tum ne hi kahi chupaya
hoga chalo jaldi mera beg wapis karo warna main police may report
karwa dongi. Meri dhamki sunkar wo aur zor se hansnay laga aur bola,
pehle apna beg dhondo phir police may report likhwa dena. Main ne
puray compartment main dhond liya magar mujhe mera beg nahi mila. Ab
main ronay lagi thi aur main us se boli please mujhe mera beg de do.
Dekho main tumhari Beti ki umar ki hoon tum mere sath aesa kyun kar
rahe ho mujhe apnay kapday change karnay hain please mujhe mera beg
wapis kar do. Wo hansa aur bola, tumhe kapday change karnay ki kiya
zaroorat hai tumhare ye kapday kharab hogain hain to ye kapday utaar
do wese bhi tum kapdon ke bagair ziyada achi lago gi. Uski baat sunkar
main ne ghussay se usay dekha to wo hansnay laga. Main kuch dair to
usay bethi dekhti rahi phir mujhe bhi in danday kapdo may betha nahi
jaraha tha is liye main uth kar dobara bathroom may aagai. Main ne
apnay ganday kapday utaar kar aik taraf phenk diye. Ab main sirf
brazier aur panty main thi. Meri panty aur brazier may se bhi peeshab
ki badboo aarahi thi. Main nay wo bhi utaar kar phenk diye. Phir main
nay apnay puray jism par achi tarha se paani bahaya. Ab masla mere
kapdo ka tha aur is waqt mere pass apnay jism par lipatnay ke liye aik
towel bhi nahi tha. main kuch dair to bathroom may khadi rahi magar
main kab tak bathroom may rehti isi liye main wapis bathroom se nikal
kar compartment may aakar apni seat par aese hi nangi beth gaee.
Waseem mujhe nanga dekh kar muskaraya aur bola, meri jaan tum ab pehle
se ziyada khubsurat lag rahi ho. Main ne ghussay se uski taraf dekha
magar kuch nahi boli. Phir Waseem uth kar khada hogaya aur apni pant
ke upar se hi apna lund sehlata howa bola, meri jaan mujhe tumhara ye
khubsurat aur sexy badan bohat bechain kar raha hai tum kyun na mujhe
se dosti karlo. agar tum ne raste bhar mujhe khush kiya to main tumhe
tumhara beg wapis kar donga. Main ghussay se ghuraa kar boli,
haramzaday main marti mar jaaon gi magar tujhe kuch nahi karnay dongi.
Meri baat sunkar wo zor se hansa aur bola, jan-e-man marnay ki
zaroorat nahi hai bas tum mujhe khush karo aur yakeen karo is may
tumhe bhi bohat maaza aay ga. Waseem ne ye keh kar apnay kapday utaar
diye. Main ne dekha ke uska 9 inch lamba aur 2 inch mota lund full
akda howa tha aur buri tarha se jhatkay khaa raha tha. Mere dil hi dil
may darr rahi thi ke ye mera Rape kar ke hi choray ga. Phir wo meri
taraf badhnay laga to main apni seat par simattay howe boli, dekho tum
mere pass nahi aana warna main shoor macha dongi. Wo hansnay laga aur
bola, main tumhe shoor machanay ke kabil hi nahi chooronga. Ab wo mere
pass aagaya tha. usne mera hath pakad kar apni taraf kheencha to main
khud ko choranay lagi. Waseem ki giraft kafi mazboot thi aur main apna
hath nahi chora saki usne dosre hath meri kamar may daal diya aur
mujhe khud se lipta liya aur apnay honton ko mere honton se mila kar
mujhe kiss karnay laga. main buri tarha se apnay hath pair chala rahi
magar khud ko us se chora nahi pa rahi thi. Main buri tarah machal
rahi thi phir achanak aik khayal mere zehan may aaya aur main ne puri
taqat se apna ghutna uski naaf ke nichay maar diya. Takleef ke maaray
wo dohra hogaya aur uskay mou se oooooggggg ki awaz nikli. Uski girf
mujh par se dheeli hogai thi is liye main ne zor laga kar khud ko
chora liya. main darwaze ki taraf bhaagnay lagi to usne mera paon
pakad liya. aik dam se mujhe jhatka laga to main mou ke bal nichay gir
gaee. Mujhe kafi chot lagi thi. Ab Waseem ghussay se khada hogaya,
takleef aur ghussay se uska chehra kafi bhayanak hogaya tha. wo
ghussay se ghurra ke bola, Sali Kuttiya to aese nahi manay gi. Ye keh
kar usne mujhe baalon se pakad kar utha liya. takleef ke ki wajah se
meri cheekh nikal gai. Usne mujhe apni taraf ghooma aur aik zor ka
thappad mere mou par mara. Uska thappad itna zordaar tha ke mera mou
ghoom gaya . Phir usne apna ghutna zor se meri choot par maara. Phir
mere ghutnay se jo haal Waseem ka howa tha wo hi haal mera howa.
Shadeed dard ki waja se main oooooooggggggggg ki awaaz nikalti hoi
dhori hogai. Usne aik waar par bas nahi kiya aur aik ghotna phir meri
choot par raseed kar diya. Dard ki wajah se meri aankhon ke samnay
andhera chah gaya . Aur main nichay gir padi. Waseem ghussay se pagal
horaha tha wo ghussay se bola, Sali Haramzadi mere lund par ghutna
maarti hai ab dekh main apnay isi lund se teri choot aur gand ka kiya
haal karta hoon. ye keh kar usne aik laat zor se mere pait par maari.
Takleef ki waja se main cheekhnay lagi aur meri aankhon se aansu
nikalnay lagay. Waseem mujhe chor kar bathroom chala gaya . Mujh may
uthnay ki himmat nahi thi aur main nichay hi padi rahi aur dard ki
waja se tadapti rahi. Thodi dair baad jo Waseem bathroom se nikla to
uskay hath may mere peeshab may bheegay howe kapday thay jo main
bathroom may chor aai thi. Waseem nay meri peeshab se bheegi hoi
kameez se mere dono hatho ko bandh diya. Ab mujh may mazeed ladnay ki
himmat nahi bachi thi. Main rotay howe boli, tum mere sath aesa kyun
kar rahay ho main ne tumhara kiya bigada hai. Waseem ne mere hatho ko
bandhnay ke baad usne meri shalwaar se mere dono paon bhi bandh diye.
Main ne phir us se ilteeja kari, please mujh par reham karo mujhe chor
do main tumse maafi mangti hoon please mujhe mera qasoor to bata do.
Mere dono hath pairon ko badh denay ke baad usne mera brazier mere mou
may thons diya. Ab main hilnay julnay ke sath sath bol bhi nahi sakti
thi. Wo mujhe bandh kar bola, phele shayad main tumhara ye haal nahi
karta magar tum ne mujh par waar kar ke khud hi museebat mol lee hai.
aur rahi baat qasoor ki to qasoor tumhari khubsurti ka hai jis ko dekh
kar main pagal hogaya hoon. Agar tum khushi se mera sath deti to tumhe
bhi maaza aata magar ab mujhe ye sab zabardasti karna paday ga. Waseem
ne mujhe seedha lita diya aur jhok kar mere boobs ko choomnay aur
chaatnay laga. Wo wehshi panay se mere dono boobs ko choos aur kaat
raha tha jis se mujhe takleef ho rahi thi. Main kuch bol to nahi sakti
thi magar meri aankhon se musalsal aansu beh rahay thay. Wo baar baar
mere boobs ke nipple ko kaat raha tha aur main buri tarha se sisak
rahi thi. Kafi dair tak mere boobs ko choosnay aur kaatnay ke baad
usne meri choot par hamla kar diya. Wo Kutto ki tarha badi besabri se
meri choot ko noch aur khasot raha tha. phir usne aik dam se apni 3
ungliyan meri kunwari choot may ghussa dee. Takleef ki waja se tadap
gai. Waseem wehshi bana tezi se apni ungliyan meri choot may aagay
pichay kar raha tha. achanak se mere badan may akrahat paida hoi aur
mere puray badan ki taqat jese meri choot may sama gai. Meri saansain
aik dam se tez hogai thi aur mujhe aesa laga jese meri jaan meri choot
ke rastay nikal jaay gi aur phir meri choot ne paani chor diya. Ye
mera pehla sex satisfaction tha aur phir mere puray badan may aik
saroor sa dor gaya aur meri tez saansain bahaal hogain. Main ne apni
aankhain band kar lee. Phir jab Waseem ne meri tangain uthaee to main
ne aankhain khol kar dekha. Waseem ghotno ke bal betha howa tha aur
uska akda howa pipe jesa lund meri choot se takra raha tha. main
samajh gai kay ab wo apna lund meri choot may daal kar meri choot ko
phaadna chahta hai. Aanay wali takleef ka soch kar mere jism se jese
roh nikal gai. Waseem ne apnay hath se apnay lund ki topi meri choot
ke soraakh may phansai aur aik zordaar jhatka maara. Shadeed dard ki
wajah se main buri tarha tadpi aur cheekhi. Mere mou may brazier honay
ki waja se mere mou se cheekh ki jaga sirf gghhhhhhhoooooooo ki awaaz
nikli. Mera jism zor se tadpa. Waseem ka lund 2 inch tak meri choot
may ghuss chukka tha. Waseem ne mere taddaptay howe jism ko kas kar
pakda aur aik zordaar jhatka aur maara. Ab uska lund 4 inch tak meri
choot may ghuss gaya tha. mujhe aesa lag raha tha jese Waseem ne koi
tez dhaar talwaar meri choot may ghuss di ho. Mera jism buri tarha se
tadap raha tha. shadeed dard ki waja se meri aankhon se aansu nikal
rahe thay. Meri ye halat dekh kar Waseem muskaraya aur bola, meri jaan
abhi to mera sirf 4 inch lund andar gaya hai ye dard to kuch nahi hai
asli dard to tumhe abhi hoga. Ye keh kar Waseem ne aik bohat hi tez
jhatka maara. Ab ki baar uska 9 inch lamba aur 2 inch mota lund meri
choot ko buri tarha se phaadta howa jad tak andar ghuss gaya . Dard ke
maaray jese mera saans ruk gaya aur meri aankhon ke saamnay andhera
chaa gaya . Isi duraan Waseem ne aik zordaar jhatka aur maara aur dard
ke maaray jese main uchal padi. Waseem ne mujhe kas kar pakda howa tha
aur wo zordaar jhatkay maarnay laga. Waseem ke har jhatkay par main
dard ke maaray uchal padti. Mujhe aesa lag raha tha jese meri jaan
nikal jaay gee. Abhi Waseem ko mujhe chodtay howe 5 minute hi howe
hongay ke train ke compartment ka darwaza khola aur koi andar aagaya.
Shayed Waseem darwaza andar se band karna bhol gaya tha. Darwaze
kholne ki awaz par Waseem ghabra kar mujh par se utar gaya . Aanay
wala ticket checker tha. Ticket checker andar ka manzar dekh kar
heraan reh gaya aur bola, ye kiya horaha hai? Ticket checker ko dekh
kar mujhe apnay bachnay ki umeed nazar aai aur main buri tarha se
tadap kar kuch kehne ki koshish karnay lagi. Mou may brazier honay ki
waja se sirf gghhhhhoooooooo gghhhhhoooooooo ki awaz hi mere mou se
nikal rahi thi. Meri halat dekh kar ticket checker Waseem se bola, aap
is masoom ka Rape kar rahe hain main abhi ja kar police ko khabar
karta hoon. Ticket checker ki baat sunkar Waseem bola, police ko
khabar karnay se pehle meri aik baat suntay jaao. Waseem ki baat
sunkar ticket checker sawaliya nazron se Waseem ko dekhnay laga.
Waseem ne kehna shuru kiya, police ko tum baad may bulatay rehna magar
pehle tum mere lund ki taraf dekho jo is ladki ke khon se laal ho raha
hai. Ticket checker ki nazron ke sath sath meri nazrain bhi Waseem ke
lund par gaee. Waseem ka pura lund khon se laal ho raha tha. Waseem ne
phir kaha, ye ladki kunwari thi abhi abhi main ne iski choot ki seal
todi hai magar iski gand abhi tak kunwari hai tum chaho to is ladki ki
kunwari gand maar saktay ho. Dekho is ladki ka jism dekho kitna
khubsurat aur sexy jism hai kiya koi inta sexy jism aese chor sakta
hai? mere sath sath tumhe bhi moka mil raha hai is mokay se faida
uthaao.
kramashah.................................


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