पापा का दोस्त --2
गतान्क से आगे..................
पोलीस को बुला कर तुम्हे क्या मिल जाय गा? अब ये तुम्हारे उपर है के तुम
पोलीस को बुलाओ या यहा माज़े कर लो फ़ैसला तुम्हारे हाथ मे है. टिकेट
चेकरर वसीम की बात सुनकर उसको देखने लगा फिर उसने मेरे जिस्म को देखा और
मूड गया . दरवाज़े के पास पोहन्च कर उसने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और
लॉक कर दिया. फिर जब वो मुड़ा तो उसके चेहरे पर मुस्कराहट थी. टिकेट
चेकरर को मुस्करता हुआ देख कर वसीम भी मुस्करा दिया. फिर वो बोला, मेरे
दोस्त तुम ने बिल्कुल सही फ़ैसला किया है आओ अब दोनो मिल कर माज़े करते
हैं. टिकेट चेकरर अपनी पॅंट उतारता होवा बोला, आप सही कह रहे हैं पोलीस
को बुला कर मुझे किया मिल जाय गा क्यूँ ना मैं भी कुछ माज़ा ले लूँ काफ़ी
दिनो से किसी लड़की को चोदा नही है अब ऐक कुँवारी लड़की मिल रही है तो
मैं खुद को केसे रोक लूँ. टिकेट चेकरर की बात सुनकर मेरे पैरों तले ज़मीन
निकल गई. कहा मैं उसे अपना मसीहा समझी थी कहा वो ऐक लूटेरे के साथ लूटेरा
बन कर मेरी बची कूची इज़्ज़त लूटना चाहता था. फिर जब मैं ने टिकेट चेकरर
का लंड देखा तो मेरा साँस मेरे हलक़ मे अटक गया क्यूँ उसका लंड भी वसीम
के लंड से कम नही था. थोड़ी देर मे ही टिकेट चेकरर का लंड फुल अकड़ गया
था. वसीम कहने लगा, दोस्त पहले तुम इसकी गंद फाडो फिर हम दोनो मिल कर इसे
चोदे गे. वसीम की बात सुनकर टिकेट चेकरर मेरे पास आगेया. वसीम ने मुझे
बुरी तरहा से बाँधा था और मैं ज़रा सी भी हिल नही सकती थी. टिकेट चेकरर
ने मेरी दोनो टांगे उठा कर उसने मेरे कंधो से लगा दी. फिर वो मेरे पैरों
को पकड़ कर मेरे उपर झुक गया . इस पोज़िशन मे मेरी गंद घूम कर उपर उठ गई
थी और अब वो टिकेट चेकरर के लंड से टकरा रही थी. टिकेट चेकरर ने झुके
झुके ही अपना लंड मेरी गंद के सुराख मे फँसाया. मेरी गंद का सुराख बोहत
छोटा था और उसका लंड बोहत मोटा. काफ़ी मूसखिल से उसने अपना लंड मेरी गंद
के सुराख मे फिट किया. लंड की टोपी फिट करने मे ही मेरी गंद का हाल खराब
होगया था. मैं सोच रही थी के मेरी गंद मे अभी इतना दर्द है तो गंद फ़ाटने
के बाद कितना होगा. टिकेट चेकरर ने ज़ोरदार झटका मारा और मेरी जान उछल कर
मेरे हलक़ मे आगाई. शदीद दर्द की वजा से मेरे जिस्म मे झिर झिरी सी दौड़
गई. टिकेट चेकरर का लंड 1 इंच मेरी गंद मे घुस्स चुक्का था. उसने फिर
झटका मारा और उसका लंड 2 इंच मेरी गंद मे चला गया . दर्द के मारे मैं फिर
तदपि. टिकेट चेकरर वसीम से बोला, साहिब इसकी गंद तो बोहत टाइट है. वसीम
मुस्काराया और बोला, दोस्त टाइट चूत और टाइट गंद ही तो माज़ा देती है तुम
लगे रहो और इसकी गंद फाड़ डालो. वसीम की बात सुनकर टिकेट चेकरर ने ऐक
ज़ोरदार झटका और मारा. मुझे यू महसूस होरहा था के मेरी जान अब निकली के
तब निकली. मेरी गंद का दर्द मेरी बर्दाश्त से बाहर होरहा था. मैं तड़पना
चाहती थी मगर तड़प नही पा रही थी रोना चाह रही थी पर रो नही पा रही थी.
ट्रेन के पूरे कॉमपार्टमेट मे मेरे मुँह से निकलने वाली ग्ग्गूऊऊओ
गगगगगगगघूऊऊऊऊऊऊ की आवाज़े गूँज रही थी. टिकेट चेकरर का लंड 4 इंच तक
मेरी गंद फाड़ चुक्का था. फिर टिकेट चेकरर ने अपने पूरे जिस्म की ताक़त
लगा कर ऐक बोहत ही ज़ोरदार झटका मारा. अब उसका लंड मेरी गंद को बोहत बुरी
तरहा से फाड़ता हुआ जड़ तक अंदर घुस्स गया . मुझे उसके टटटे अपने चूतरो
पर टकराते हुए महसूस हुए. टिकेट चेकरर का ये झटका इतना ज़ोरदार था के मैं
ये झटका बर्दाश्त नही कर पाई और दर्द के मारे बेहोश हो गई. मगर मेरी ये
बेहोशी कुछ देर की थी क्यूँ के अगले ही लम्हे दर्द की ऐक और तेज़ लहर ने
मुझे बोहोशि के दलदल से वापिस खींच लिया. ये टिकेट चेकरर का ऐक और शानदार
झटका था जिस की वजा से मेरा जिस्म दर्द से बहाल होगया था. अब टिकेट चेकरर
ने अपना पूरा वज़न मेरे उपर डाल दिया था और वो मेरी टाँगों को कस कर
पकड़ा हुआ खूब ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहा था. टिकेट चेकरर का लंड बुरी
तरहा से मेरी गंद को छील रहा था. मैं ने अपनी ज़िंदगी मे कभी भी नही सोचा
था के मुझे इतने बुरे दौर से गुज़रना पड़े गा. मैं दुवा माँग रही थी के
काश मुझे मोत आ जाए और मुझे ये दर्द सहना ना पड़े मगर मुझे मोत नही आराही
थी और मेरा दर्द बढ़ बढ़ कर मेरे पूरे जिस्म को तडपाए जा रहा था. टिकेट
चेकरर ने पूरे 20 मिनिट तक मेरी बुरी तरहा से गंद मारी फिर वो मेरे उपर
से उतर गया . मैं ने शूकर अदा किया के शायद उसे मुझ पर रहम आगेया है.
वसीम कहने लगा, किया हुआ मेरे दोस्त तुम रुक क्यूँ गये क्या थक गये हो.
टिकेट चेकरर मुस्कराता हुआ बोला, नही साहिब थका नही हूँ मुझे आप का ख़याल
बार बार आरहा था के मैं आप का हक़ मार रहा हूँ और खुद माज़े कर रहा हूँ.
टिकेट चेकरर की बात सुनकर मैं ने दिल ही दिल मे उसे गाली दी और बोली,
भद्वे को वसीम के हक़ का ख़याल होरहा है पर मेरे दर्द का एहसास नही है.
टिकेट चेकरर की बात सुनकर वसीम हंसा और बोला, अरे यार कोई बात नही मुझे
तो देख कर भी बोहत माज़ा आरहा था. टिकेट चेकरर बोला, हा साहिब साली की
गंद बड़ी टाइट है मा कसम इतनी टाइट गंद मुझे आज तक नही मिली. वसीम ज़ोर
से हंसा और बोला, यार ये कुँवारी गंद है तुम ने अभी तक खोली होई गंद मारी
होगी. वसीम की बात सुनकर टिकेट चेकरर भी हंसा और बोला, साहिब आप की बात
सच है चले अब दोनो मिल कर इसे चोदते हैं. फिर वो दोनो मेरे पास आगाये.
मैं दिल मे डरने लगी के अब मेरा पता नही किया हाल होने वाला है. वसीम ने
मुझे उठा कर खड़ा कर दिया. मेरे पैरों मे बिल्कुल भी जान नही बची थी. मैं
गिरने लगी तो टिकेट चेकरर ने मुझे थाम लिया. फिर वसीम ने मुझे घूमा कर
उसने मुझे थोड़ा झुकाया और फिर उसने पीछे से अपना लंड मेरी गंद मे झटके
से घुस्सा दिया. मैं झटके के ज़ोर से आगे गिरने लगी तो टिकेट चेकरर ने
फिर मुझे थामा. फिर वसीम ने अपना लंड मेरी गंद मे डाले हो ही मुझे सीधा
कर दिया. अब टिकेट चेकरर ने आगे से मेरी दोनो टाँगे उठाई तो वसीम ने कस
कर मुझे कमर से पकड़ लिया. टिकेट चेकरर ने मेरी दोनो टाँगों को उठा कर
अपना कंधो पर रख लिया. अब मैं वसीम और टिकेट चेकरर के सहारे हवा मे झूल
रही थी. अब टिकेट चेकरर ने आगे से अपना लंड मेरी चूत मे ऐक झटके से डाल
दिया. फिर दोनो ने मुझे कस कर पकड़ लिया और दोनो झटको पर झटके मार कर
मुझे चोदने लगे. दोनो के ज़ोरदार झटको से मैं उन दोनो के बीच मे पीसी जा
रही थी और मेरे दोनो सुराखों मे दर्द इतना था के जो मुझे से बर्दाश्त नही
होरहा था. वो दोनो कुत्तों की तरहा बड़ी बेदर्दी से मुझे चोद रहे थे.
चुदवा चुदवा कर मेरी चूत और गंद सूज गई थी और फोडे की तरहा दुख रही थी. 2
घंटे पूरे 2 घंटे तक वो दोनो ज़ालिम बने हुए मुझे कुत्तों की तरहा चोदते
रहे. फिर जब वो दोनो फारिग हो तो टिकेट चेकरर ने तो अपने लंड की मॅनी
मेरे बूब्स पर निकाल दी जब के वसीम ने मुझे लिटा कर मेरे मुँह मे फँसा
हुआ मेरा ब्रेज़ियर मेरे मुँह से निकाला और अपना लंड जड़ तक मेरे मुँह मे
घुस्सा दिया. मैं बुरी तरहा से तदपि मगर उसने कस कर मेरा सर पकड़ लिया.
फिर वसीम ने अपने लंड की सारी मानी मेरे हलक़ मे निकाल दी. मुझे उबकाई तो
बोहत आई मगर जब तक उसके लंड की सारी मनी मेरे पेट मे ना उतर गई उसने मुझे
छोड़ा नही. जब वसीम मुझे छोड़ कर हटा तो मैं अपनी किस्मत पर रोने लगी.
मुझे रोता देख कर वसीम हँसने लगा. 2 घंटे की चुदाई के बाद वो दोनो थक गये
थे इसलिए वो दोनो बैठ गये. टिकेट चेकरर वसीम से कहने लगा, साहिब किसी को
चोदने मे आज तक इतना माज़ा नही आया जितना आज आया है और ये सब आप की वजा
से हुआ है. वसीम हंसा और बोला, ऊय यारा मैं ने किया किया है जितनी मेहनत
तुम ने करी है उतनी मेहनत मैं ने भी करी है. टिकेट चेकरर बोला, साहिब ये
सब आप की ही बदोलत हुआ है अगर आप मुझे समझते नही तो मैं इतना मज़ा केसे
ले पाता. वसीम मुस्काराया और बोला, अरे इस मे मेरा कोई एहसान नही है मेरा
काम था सही और ग़लत बताना अगर तुम ने मेरी बात को समझ लिया तो इस मैं
मेरा क्या एहसान हुआ. टिकेट चेकरर बोला, जो कुछ भी है मगर मैं आप का बोहत
शूकर गुज़ार हूँ के आप की वजा से मैं ने अपनी ज़िंदगी का सब से बड़ा
माज़ा हासिल किया है. ये कह कर वो उठ कर खड़ा होगया और बोला, साहिब मुझे
बोहत देर हो गई है मैं अब चलता हूँ. ये कह कर वो अपनी पॅंट पहनने लगा.
वसीम बोला, यार तुम अभी से जा रहे हो अभी तो काफ़ी सफ़र बाकी है दोनो मिल
कर रास्ते भर इसे मिल कर चोदेन्गे.
टिकेट चेकरर मुस्काराया और बोला, नही साहिब मुझे अभी सब के टिकेट भी चेक
करने हैं मैं 2 घंटो से गायब हूँ ऐसा ना हो मेरी ढूँढ पड़े इस लिए मैं
चलता हूँ अब मैं इस कॉमपार्टमेंट मे किसी को नही आने दूँगा अब आप बेफिकर
होकर माज़े करे. इतना कह कर टिकेट चेकरर चला गया . टिकेट चेकरर के चले
जाने के बाद वसीम मुझे देख कर मुस्कराने लगा. मैं ने नफ़रत से अपना मुँह
मोड़ लिया कुछ कहना उस से बेकार था इस लिए मैं चुप ही रही. मेरी चूत और
गंद मे अभी तक दर्द होरहा था इस लिए मैं ने अपनी आँखे बंद करली. अभी मुझे
सकून से लेते हो 20 मिनिट ही हो होंगे के ऐक दम से मेरे जिस्म पर बोझ आ
गिरा. मैं ने घबरा कर आँखे खोल दी. मैं ने देखा के वसीम मेरे उपर लेटा
हुआ है और वो मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मैं रोते हो बोली,
प्लीज़ अब तो मुझे माफ़ कर दो रहम करो मेरे उपर मैं ने तुम्हारा किया
बिगाड़ा है तुम क्यूँ मुझ पर ये ज़ुलाम कर रहे हो. तुम ने 2 घंटे तक
टिकेट चेकरर के साथ मिल कर मुझे कुत्तों की तरहा चोदा है किया अब भी
तुम्हारा दिल नही भरा. मेरी बात सुनकर वसीम ने हस्ते हुए अपने होन्ट मेरे
होंटो से मिला दिए. फिर वो मेरा ऐक तवील बोसा लेकर बोला, अभी कहा मेरी
जान अभी मेरा दिल कहा भरा है तुमने तो पूरे रास्ते मुझ से चुदवाना है अभी
से तुम क्यूँ रो रही हो अपनी किस्मत पर मातम इस सफ़र के बाद करना क्यूँ
के जब तक मैं इस कॉमपार्टमेंट मे हूँ तुम्हे चोद्ता ही रहू गा. ये हसीन
मोका मैं ज़ाया करना नही चाहता फिर ये मोका मुझे मिले ना मिले इस लिए
मेरी जान-ए-मन पूरे रास्ते तुमने अपनी चूत और गंद मर्वानी है. मैं फिर उस
से माफी तलफी करने लगी मगर उसने मेरी ऐक ना सुनी. उसका लंड अब तक अकड़
चुक्का था इस लिए उसने लेटे लेटे ही अपना लंड मेरी चूत मे घुस्सा दिया और
खूब ज़ोर-ओ-शोर से झटके मारने लगा. मेरी सूजी हुई चूत फिर दर्द करने लगी
और बुरी तरहा से चीखने लगी. वसीम ने मेरे चीखने की बिल्कुल भी परवाह नही
करी. ऐक तो ये VईP कॉमपार्टमेंट था और बंद था मेरी चीखे बाहर जा भी रही
होंगी तो ट्रेन के शोर मे दब रही होंगी. फिर वसीम पूरे रास्ते ज़ालिम बना
हुआ कुत्तों की तरहा मुझे चोद्ता रहा. ये 12 घंटो का सफ़र मेरी ज़िंदगी
का सब से भयानक सफ़र था. अब हयदेराबाद करीब आरहा था इसलिए वसीम ने मुझे
छोड़ दिया और उसने नहा कर अपने कपड़े पहन लिए. मैं अभी तक नंगी बँधी हुई
नीचे पड़ी होई थी. मैं रोते हो उस से बोली, प्लीज़ अब तो मेरे हाथ पावं
खोल दो और प्लीज़ मेरा बेग मुझे वापिस करदो अभी मेरे जिस्म पर कपड़ों के
नाम पर ऐक धज्जी भी नही है मैं घर किस तरहा जाउ गी. वसीम मेरी बात सुनकर
हँसने लगा और बोला, वाह क्या अछा सीन होगा जब तुम नंगी ट्रेन से उतरॉगी.
वो सीन तो देखने वाला होगा फिर देखना किस तरहा लोग तुम पर टूटते हैं मुझे
तो अभी से ये सोच कर माज़ा आरहा है जब ऐक हजूम तुम्हे चोदने के लिए बेताब
होरहा होगा. वसीम की बात सुनकर मैं बुरी तरहा से डर गई और उसकी मिन्नताईं
करने लगी और गिड गिदाने लगी. मेरे रोने और गिड गिदाने पर वसीम हंसता हुआ
कॉमपार्टमेंट से बाहर चला गया . मैं सोचने लगी के अगर वसीम वापिस नही आया
तो मेरा क्या हाल करेंगे लोग. मुझे तो लेने के लिए अब्बू आएँगे मैं किस
तरहा सामना करूँगी उनका इस हालत मे. मैं अभी इन्ही सोचो मे गुम थी के
कॉमपार्टमेंट का दरवाज़ा खुला और वसीम मेरा बेग लिए अंदर दाखिल होवा.
उसने मेरा बेग पता नही कहा जाकर रखा था मगर ये मेरे सोचने की बात नही थी
मैं इस बात पर शूकर गुज़ार थी के मुझे अब पहनने के लिए कपड़े मिल जाएँगे.
वसीम ने फिर मेरे हाथ पैर भी खोल दिए और बोला, पता नही क्यूँ मुझे तुम पर
रहम आगया है. मैं चाहता तो ऐसे ही चला जाता और फिर तुम्हारा जो भी हाल
होता उसके बारे मे तुम सोच भी नही सकती. मैं दिल का बुरा नही हूँ इसलिए
तुम्हे खोल कर जा रहा हूँ मेरा ये एहसान है तुम्हारे उपर जो तुमने सारी
ज़िंदगी याद रखना है. ये कह कर वसीम चला गया . वाकई ये वसीम का मुझ पर
एहसान था के उसने मुझे मेरा बेग दे दिया अगर ना देता तो मैं उसका किया
बिगाड़ लेती. नंगी हालत मे तो मैं अब्बू का सामना कभी भी नही कर पाती. अब
ट्रेन आहिस्ता होनी शुरू हो गई थी यानी स्टेशन आगेया था. मैं उठी तो मुझे
से खड़ा नही होया गया . मेरी टाँगों से जान निकली जा रही थी और मेरे
जिस्म का जोड़ जोड़ दुख रहा था. मैं हिम्मत कर के खड़ी होगआई फिर जब मैं
ने अपनी चूत को देखा तो मेरी आँखों मे आँसू आगाये. मेरी चूत सूज कर डबल
रोटी की तरहा फूल गई थी मेरी चूत के सुराख के चारों तरफ ज़ख़्म भी होरहे
थे काफ़ी जगहों से चूत कट चुक्की थी जिस से खून रस रहा था. मैं ने अपनी
चूत पर हाथ रखा तो तकलीफ़ की वजा से मेरी सिसकारी निकल गई. मैं ने अपने
बेग से कपड़े निकाले और्र बड़ी मुश्किल से चलते हुई वॉशरूम मे चली गई.
मैं जेसे तेसे कर के नहाई और कपड़े पहन कर बाहर आगाई. मैं ने सोच लिया था
के मैं अपने रेप के बारे मे किसी को नही बताउ गी क्यूँ के इस मैं मेरी ही
बदनामी थी. मैं ट्रेन से उतर कर अब्बू को ढूँढने लगी, मेरी हालत बोहत
बुरी थी पर मैं ने खुद पर कंट्रोल किया हुआ था, थोड़ी देर बाद अब्बू मुझे
किसी से बाते करते हो नज़र आ गये. जिस आदमी से अब्बू बाते कर रहे थे उसकी
मेरी तरफ पीठ थी. फिर जब अब्बू ने मुझे देख कर खुशी से पूछा "सोनिया बेटी
केसी हो केसा रहा तुम्हारा सफ़र?" तो उस आदमी ने पलट कर मेरी तरफ देखा.
फिर जो शकल मुझे नज़र आई मैं सदमे और हेरात से पागल होगई क्यूँ के वो
शक्स कोई और नही वसीम था. अब्बू ने मेरी बिगड़ती हुई केफियत को नोट नही
किया और वो मुझे बोले, अछा सोनिया इन से मिलो ये हैं मेरे बोहत अच्छे
दोस्त वसीम, ये अपने किसी काम के सिलसिले मे हयदेराबाद आए हैं और जब तक
ये यहा हैं हमारे घर ही ठहरेंगे
क्रमशः.................................
Papa Ka Dost --2
gataank se aage..................
Police ko bula kar tumhe kiya mil jaay ga? Ab ye tumhare upar hai ke
tum Police ko bulao ya yaha maazay kar lo faisla tumhare hath may hai.
Ticket checker Waseem ki baat sunkar usko dekhnay laga phir usne mere
jism ko dekha aur mor gaya . Darwaze ke pass pohanch kar usne darwaza
andar se band kar diya aur lock kar diya. Phir jab wo mora to uskay
chehre par muskarahat thi. Ticket checker ko muskarata howa dekh kar
Waseem bhi muskara diya. Phir wo bola, mere dost tum ne bilkul sahi
faisla kiya hai aao ab dono mil kar maazay kartay hain. Ticket checker
apni pant utaarta howa bola, aap sahi keh rahay hain Police ko bula
kar mujhe kiya mil jaay ga kyun na main bhi kuch maaza le loon kafi
dino se kisi ladki ko choda nahi hai ab aik kunwari ladki mil rahi hai
to main khud ko kese rok loon. Ticket checker ki baat sunkar mere
pairon talay zameen nikal gaee. Kaha main usay apna Maseeha samjhi thi
kaha wo aik looteray ke sath lootera ban kar meri bachi kuchi izzat
lootna chahta tha. phir jab main ne Ticket checker ka lund dekha to
mera saans mere halaq may atak gaya kyun uska lund bhi Waseem ke lund
se kam nahi tha. Thodi dair may hi Ticket checker ka lund full akad
gaya tha. Waseem kehnay laga, Dost pehle tum iski gand phaado phir hum
dono mil kar isay chodain gay. Waseem ki baat sunkar Ticket checker
mere pass aagaya. Waseem ne mujhe buri tarha se bandha tha aur main
zara see bhi hil nahi sakti thi. Ticket checker ne meri dono tangain
utha kar usne mere kandho se laga dee. Phir wo mere pairon ko pakad
kar mere upar jhuk gaya . Is position may meri gand ghoom kar upar uth
gaee thi aur ab wo Ticket checker ke lund se takra rahi thi. Ticket
checker ne jhukay jhukay hi apna lund meri gand ke suraakh may
phansaya. Meri gand ka suraakh bohat chota tha aur uska lund bohat
mota. Kafi muskhil se usne apna lund meri gand ke suraakh may fit
kiya. Lund ki topi fit karnay may hi meri gand ka haal kharab hogaya
tha. main soch rahi thi ke meri gand may abhi itna dard hai to gand
phaatnay ke baad kitna hoga. Ticket checker ne zordaaar jhatka maara
aur meri jaan uchal kar mere halaq may aagai. Shadeed dard ki waja se
mere jism may jhir jhiri si dod gaee. Ticket checker ka lund 1 inch
meri gand may ghuss chukka tha. usne phir jhatka maara aur uska lund 2
inch meri gand may chaala gaya . Dard ke maaray main phir tadpi.
Ticket checker Waseem se bola, Sahib iski gand to bohat tight hai.
Waseem muskaraya aur bola, Dost tight choot aur tight gand hi to maaza
deti hai tum lage raho aur iski gand phaad dalo. Waseem ki baat sunkar
Ticket checker ne aik zordaar jhatka aur maara. Mujhe yu mehsoos
horaha tha ke meri jaan ab nikli kay tab nikli. Meri gand ka dard meri
bardasht se bahar horaha tha. main tadapna chahti thi magar tadap nahi
paa rahi thi rona chah rahi thi par ro nahi paa rahi thi. Train ke
puray compartmetn may mere mou se nikalnay wali ggghhhooooooo
gggggggghhoooooooooooooo ki awaazain gonj rahi thi. Ticket checker ka
lund 4 inch tak meri gand phaad chukka tha. phir Ticket checker ne
apnay puray jism ki taqat laga kar aik bohat hi zordaar jhatka maar.
Ab uska lund meri gand ko bohat buri tarha se phaadta howa jad tak
andar ghuss gaya . Mujhe uskay tattay apnay kohlon par takratay howe
mehsoos howe. Ticket checker ka ye jhatka itna zordaar tha ke main ye
jhatka bardasht nahi kar paee aur dard ke maaray behosh hogai. Magar
meri ye behoshi aarzi thi kyun ke aglay hi lamhe dard ki aik aur tez
lehar ne mujhe bohoshi ke daldal se wapis kheench liya. Ye Ticket
checker ka aik aur shaandar jhatka tha jis ki waja se mera jism dard
se behaal hogaya tha. ab Ticket checker ne apna pura wazan mere upar
daal diya tha aur wo meri tangon ko kas kar pakda howa khub zor zor se
jhatkay maar raha tha. Ticket checker ka lund buri tarha se meri gand
ko cheel raha tha. main ne apni zindagi may kabhi bhi nahi socha tha
ke mujhe itnay buray dor se guzarna paday ga. Main duwa maang rahi thi
ke kash mujhe mot aajay aur mujhe ye dard sehna na paday magar mujhe
mot nahi aarahi thi aur mera dard badh badh kar mere puray jism ko
tadpaay jaraha tha. Ticket checker ne puray 20 minute tak meri buri
tarha se gand maari phir wo mere upar se utar gaya . Main ne shukar
aada kiya ke shayed usay mujh par reham aagaya hai. Waseem kehne laga,
kiya howa mere Dost tum ruk kyun gaay kiya thak gaay ho. Ticket
checker muskarata howa bola, nahi Sahib thaka nahi hoon mujhe aap ka
khayal baar baar aaraha tha ke main aap ka haq maar raha hoon aur khud
maazay kar raha hoon. Ticket checker ki baat sunkar main ne dil hi dil
may usay gali di aur boli, bhadway ko Waseem ke haq ka khayal horaha
hai par mere dard ka ehsaas nahi hai. Ticket checker ki baat sunkar
Waseem hansa aur bola, array yaar koi baat nahi mujhe to dekh kar bhi
bohat maaza aaraha tha. Ticket checker bola, ha Sahib Sali ki gand
badi tight hai Maa kasam itni tight gand mujhe aaj tak nahi mili.
Waseem zor se hansa aur bola, yaar ye kunwari gand hai tum ne abhi tak
kholi hoi gand maari hogi. Waseem ki baat sunkar Ticket checker bhi
hansa aur bola, Sahib aap ki baat sach hai chaalain ab dono mil kar
isay chodtay hain. Phir wo dono mere pass aagay. Main dil may darnay
lagi kay ab mera pata nahi kiya haal honay wala hai. Waseem ne mujhe
utha kar khada kar diya. Mere pairon may bilkul bhi jaan nahi bachi
thi. Main girnay lagi to Ticket checker ne mujhe thaam liya. phir
Waseem ne mujhe ghooma kar usne mujhe thoda jhukaya aur phir usne
pichay se apna lund meri gand may jhatkay se ghussa diya. Main jhatkay
ke zor se aagay girnay lagi to Ticket checker ne phir mujhe thaama.
Phir Waseem ne apna lund meri gand may daalay howe hi mujhe seedha kar
diya. Ab Ticket checker ne aagay se meri dono tangain uthaee to Waseem
ne kas kar mujhe kamar se pakad liya. Ticket checker ne meri dono
tangon ko uthaa kar apna kandho par rakh liya. ab main Waseem aur
Ticket checker ke saharay hawa may jhool rahi thi. Ab Ticket checker
ne aagay se apna lund meri choot may aik jhatkay se daal diya. Phir
dono nay mujhe kas kar pakad liya aur dono jhatko par jhatkay maar kar
mujhe chodnay lagay. Dono ke zordaar jhatko se main un dono ke bich
may peesi jarahi thi aur mere dono suraakhon may dard itna tha ke jo
mujhe se bardasht nahi horaha tha. Wo dono kutton ki tarha badi
bedardi se mujhe chod rahay thay. Chodwa chodwa kar meri choot aur
gand sojh gaee thi aur phoday ki tarha dukh rahi thi. 2 ghantay puray
2 ghantay tak wo dono zalim banay howe mujhe kutton ki tarha chodtay
rahay. Phir jab wo dono farig howe to Ticket checker ne to apnay lund
ki maani mere boobs par nikal di jab ke Waseem ne mujhe lita kar mere
mou may phansa howa mera brazier mere mou se nikaala aur apna lund jad
tak mere mou may ghussa diya. Main buri tarha se tadpi magar usne kas
kar mera sar pakad liya. phir Waseem ne apnay lund ki sari maani mere
halaq may nikal dee. Mujhe ubkaee to bohat aai magar jab tak uskay
lund ki saari mani mere pait may na utar gai usne mujhe chora nahi.
Jab Waseem mujhe chor kar hata to main apni kismat par ronay lagi.
Mujhe rota dekh kar Waseem hansnay laga. 2 ghantay ki chodai ke baad
wo dono thak gaay thay isliye wo dono beth gay. Ticket checker Waseem
se kehne laga, Sahib kisi ko chodnay may aaj tak itna maaza nahi aaya
jitna aaj aaya hai aur ye sab aap ki waja se howa hai. Waseem hansa
aur bola, ooy yaara main ne kiya kiya hai jitni mehnat tum ne kari hai
utni mehnat main nay bhi kari hai. Ticket checker bola, Sahib ye sab
aap ki hi badolat howa hai agar aap mujhe samjhatay nahi to main itna
maaza kese le pata. Waseem muskaraya aur bola, array is may mera koi
ehsaan nahi hai mera kaam tha sahi aur galat batana agar tum ne meri
baat ko samajh liya to is main mera kiya ehsaan howa. Ticket checker
bola, jo kuch bhi hai magar main aap ka bohat shukar guzaar hoon ke
aap ki waja se main ne apni zindagi ka sab se bada maaza hasil kiya
hai. ye keh kar wo uth kar khada hogaya aur bola, Sahib mujhe bohat
dair hogai hai main ab chalta hoon. Ye keh kar wo apni pant pehannay
laga. Waseem bola, yaar tum abhi se jarahay ho abhi to kafi safar baki
hai dono mil kar rastay bhar isay mil kar chodain gay.
Ticket checker muskaraya aur bola, nahi Sahib mujhe abhi sab ke
ticket bhi check karnay hain main 2 ghanto se gaib hoon aesa na ho
meri dhond paday is liye main chalta hoon ab main is compartment may
kisi ko nahi aanay donga ab aap befikar hokar maazay karain. Itna keh
kar Ticket checker chala gaya . Ticket checker ke chalay janay ke baad
Waseem mujhe dekh kar muskaranay laga. Main ne nafrat se apna mou mor
liya kuch kehna us se bekaar tha is liye main chup hi rahi. Meri choot
aur gand may abhi tak dard horaha tha is liye main ne apni aankhain
band karlee. Abhi mujhe sakoon se letay howe 20 minute hi howe hongay
ke aik dam se mere jism par boj aagira. Main ne ghabra kar aankhain
khol dee. Main ne dekha ke Waseem mere upar leta howa hai aur wo mere
boobs ko zor zor se dabanay laga. Main rotay howe boli, please ab to
mujhe maaf kar do reham karo mere upar main ne tumhara kiya bigara hai
tum kyun mujh par ye zulam kar rahay ho. Tum ne 2 ghantay tak Ticket
checker ke sath mil kar mujhe kutton ki tarha choda hai kiya ab bhi
tumhara dil nahi bhara. Meri baat sunkar Waseem ne hastay howe apnay
hont mere honto se mila diye. Phir wo mera aik taveel bosa lekar bola,
abhi kaha meri jaan abhi mera dil kaha bhara hai tumne to puray rastay
mujh se chodwana hai abhi se tum kyun ro rahi ho apni kismat par matam
is safar ke baad karna kyun ke jab tak main is compartment may hoon
tumhe chodta hi rahon ga. Ye haseen moka main zaya karna nahi chahta
phir ye moka mujhe mile na mile is liye meri jan-e-man puray rastay
tumne apni choot aur gand marwani hai. main phir us se maafi talafi
karnay lagi magar usne meri aik na suni. Uska lund ab tak akad chukka
tha is liye usne letay letay hi apna lund meri choot may ghussa diya
aur khub zor-o-shor se jhatkay maarnay laga. Meri soji hoi choot phir
dard karnay lagi aur buri tarha se cheekhnay lagi. Waseem ne mere
cheekhnay ki bilkul bhi parwah nahi kari. Aik to ye VIP compartment
tha aur band tha meri cheekhain bahar jabhi rahi hongi to Train ke
shor may dab rahi hongi. Phir Waseem puray rastay zalim bana howa
kutton ki tarha mujhe chodta raha. Ye 12 ghanto ka safar meri zindagi
ka sab se bhayanak safar tha. ab Hyderabad kareeb aaraha tha isliye
Waseem ne mujhe chor diya aur usne naha kar apnay kapday pehan liye.
Main abhi tak nangi bandhi hoi nichay padi hoi thi. Main rotay howe us
se boli, please ab to mere hath paon khol do aur please mera beg mujhe
wapis kardo abhi mere jism par kapdon ke naam par aik dhajji bhi nahi
hai main ghar kis tarha jaon gi. Waseem meri baat sunkar hansnay laga
aur bola, wah kiya acha scene hoga jab tum nangi train se utro gee. Wo
scene to dekhnay wala hoga phir dekhna kis tarha log tum par toottay
hain mujhe to abhi se ye soch kar maaza aaraha hai jab aik hajoom
tumhe chodnay ke liye betaab horaha hoga. Waseem ki baat sunkar main
buri tarha se dar gaee aur uski minnatain karnay lagi aur gid gidanay
lagi. Mere ronay aur gid gidanay par Waseem hansta howa compartment se
bahar chala gaya . Main sochnay lagi ke agar Waseem wapis nahi aaya to
mera kiya haal karain gay log. Mujhe to lenay ke liye Abbu aain gaay
main kis tarha saamna karon gi unka is halat may. Main abhi inhi socho
may gum thi ke compartment ka darwaza khola aur Waseem mera beg liye
andar dakhil howa. Usne mera beg pata nahi kaha jakar rakha tha magar
ye mere sochnay ki baat nahi thi main is baat par shukar guzaar thi ke
mujhe ab pehannay ke liye kapdain mil jaain gay. Waseem ne phir mere
hath pair bhi khol diye aur bola, pata nahi kyun mujhe tum par reham
aagaya hai. main chahta to aese hi chala jata aur phir tumhara jo bhi
haal hota uskay baray may tum soch bhi nahi sakti. Main dil ka bura
nahi hoon isliye tumhe khol kar jaraha hoon mera ye ehsaan hai tumhare
upar jo tumne sari zindagi yaad rakhana hai. ye keh kar Waseem chala
gaya . Wakaeee ye Waseem ka mujh par ehsaan tha ke usne mujhe mera beg
de diya agar na deta to main uska kiya bigaad leti. Nangi halat may to
main Abbu ka samna kabhi bhi nahi kar pati. Ab Train ahista honi shuru
hogai thi yani Station aagaya tha. main uthi to mujhe se khada nahi
hoya gaya . Meri tangon se jaan nikli jarahi thi aur mere jism ka jod
jod dukh raha tha. main himmat kar ke khadi hogai phir jab main ne
apni choot ko dekha to meri aankhon may aansu aagay. Meri choot sojh
kar double roti ki tarha phol gaee thi meri choot ke suraakh ke charon
taraf zakham bhi horahay thay kafi jaghon se choot kat chukki thi jis
se khon ras raha tha. main ne apni choot par hath rakha to takleef ki
waja se meri siskari nikal gaee. Main ne apnay beg se kapday nikalay
aurr badi mushkil se chalet hoi washroom may chali gai. Main jese tese
kar ke nahaee aur kapday pehan kar bahar aagaee. Main ne soch liya tha
ke main apnay Rape ke baray may kisi ko nahi bataon gi kyun ke is main
meri hi badnami thi. Main train se utar kar Abbu ko dhondnay lagi,
meri halat bohat buri thi par main nay khud par control kiya howa tha,
thodi dair baad Abbu mujhe kisi se baatain kartay howe nazar aagay.
Jis aadmi se Abbu baatain kar rahe thay uski meri taraf peeth thi.
Phir jab Abbu ne mujhe dekh kar khushi se pocha "Sonia Beti kesi ho
kesa raha tumhara safar?" to us aadmi ne palat kar meri taraf dekha.
Phir jo shakal mujhe nazar aai main sadmay aur heirat se pagal hogaee
kyun ke wo shaks koi aur nahi Waseem tha. Abbu ne meri begadti hoi
kefiyat ko note nahi kiya aur wo mazeed bolay, Acha Sonia in se milo
ye hain mere bohat achay dost Waseem, ye apnay kisi kaam ke silsilay
may Hyderabad aay hain aur jab tak ye yaha hain hamare ghar hi
thaharenge
kramashah.................................
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