FUN-MAZA-MASTI
रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-10
सुनील :- लाली के भागने से अपने लंड की तरफ देखता है जो पूरा विकराल रूप धारण कर रहा होता है
और सुनील उसको हाथ से हिलाने लगता है लेकिन लंड की खाल छिलने से उसमे बहुत दर्द होता है इसलिए वो
उसको अच्छी तरह से हिला भी नहीं पता है और कुछ देर वही खड़ा रहता है और फिर कुछ सोच कर वो सीधा
नंगा ही कांता के रूम में चला जाता है जहा कांता सारी रात की चुदाई से गहरी नींद में सो रही होती है सुनील
कांता को सोते हुए देखता है और फिर आगे बाद कर उसकी nighty को ऊपर कर के उसकी कछी को पकड के
एक झटके के साथ निकल देता है जिस से कांता हडबडा के एक दम से उठती है और फिर सुनील को एक दम
से नंगा देख कर चोक जाती है और अपनी आखो को मसल कर ये यकीन करना चाहती है की कही वो कोई
सपना तो नहीं देख रही है जब उसको ये यकीन हो जाता है की वो कोई सपना नहीं देख रही है तो सुनील से
बोलती है
कांता :- सुनील ये सब क्या है कोई और यह आ गया तो ?
सुनील :- बेड पर चढ़ते हुए चुप साली कुतिया कोई देखता है तो देखने दे मेरे को बस अब चूत चाहिए
और कांता की टांगो को पकड के एक दम से खीच कर उसको लेटा देता है और उसकी टांगों के बिच में आ कर
बैठ जाता है
कांता :- सुनील की तरफ देखती है और फिर सुनील के लंड को अपने कोमल हाथ में पकड के उसको सहलाने
लगती है क्या बात है इतना सकत कैसे हो गया सुबह सुबह ही
सुनील :- साली तेरी नौकरानी ने इसको जगा दिया है अब इस को शांत होने के लिए तेरी चूत का नरम गदा
चाहिए वो साली तो भाग गयी है कुतिया जगा कर
कांता :- सुनील के मुह से लाली की बात सुन कर चौक जाती है क्या बोल रहा है तू क्या तुमने लाली को चोद
डाला
सुनील :- हा चोद दिया साली को लेकिन मेरे लंड को सहने की ताकत उस रंडी में नहीं थी तभी तो बिच में ही
भाग गयी साली
कांता :- वह रे मेरे राजा इस लंड को सहने की ताकत हर किसी में नहीं है ल दे मेरे को मैं शांत करती हु और
फिर सुनील के लंड को अपनी तरफ खीच कर अपने जिह्वा की नोक को लंड के सुपारे पर घुमाने लगती है
गुपोप्प्प्प्प्प्प्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल गप्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितना मस्त है तेरा
लंड सुनील सुनील :- कांता के बालो को पकड के और गांड को थोडा सा पीछे की तरफ कर के पूरी जोर से
कांता के मुह में लंड घुसोता है ये ले कुतिया तेरे हलक तक थोक दालुगा लंड को रंडी भाह्न्चोद
सलिओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और फिर करीबन २ मिनट तक अपने लंड को कांता के मुह में ही घुसोये रखता है जिस
से कांता की आखो में पानी आ जाता है
सुनील :- उसका इशारा समझ जाता है और टागों के बिच आ कर अपने लंड को कांता
की चूत पर रख के रगड़ने लगता है हा अहा अहाहा आहा आहा आह आहा आहा अहा आहा आहा आहा आह
अह साली रंडी क्या चूत है तेरी साली देख अब तेरे को कैसे चोदता हु मादरचोद रांड साली
कांता :- अपनी चूत को आगे बड़ा कर सुनील के लंड को अपने अंदर लेने की koshish करने लगती है और
निचे से गंद को ऊपर उठा उठा कर पटकने लगती है ह हा आहा आहा आहा आहा आह अह अहाआआआआ
राजा अब बाद दे अपना मोटा लंड मेरी चूत में राजा ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआआआआआअ
सुनील :- अपने लंड को चूत के chhed पर रख के और कांता के दोनों चूचो को पकड के
पूरी जोर से धका मरता है ये ले साली कुतिया ह अहा आहा अह आह आहा अह रंडी क्या चूत है तेरी साली ओह
ह अहा आहा आह हा अहाहाअहाह आह आहा आहा अहा आहा अह अ
कांता :- उयीईईईईईईईईईईईई माँ मर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र ग्यीईईईईईईईईईईईइ रॆऎऎऎऎऎए हरामी आराम से कुते सारी रात
चोद चोद कर चूत का भोसड़ा बना दिया ओह ह अह हा आहा अहा हा बहुत दर्द हो रहा है बेटा ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह
हा ह आह ह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़
सुनील :- चुप साली कुतिया और कांता की एक बात न सुनते हुए पूरी ताकत के साथ धक
धक् कर के कांता को छोड़ने लगता है ये ले और जोर से मादरचोद रांड साली ह ह ह हा हा आहा अहा आहा अह
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ आज तेरी चूत को फाड़ दुगा रंडी ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
कांता :- कुछ देर चुदते रहने के बाद अब उसको भी मजा आ जाता है और वो भी अपने चूचो को मसलते हुए
पूरी जोर जोर से गंद को उठा उठा कर सुनील के लंड से थप मिलाती है ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआआआ
बेटा चोद और जोर से चोद बेटा फाड़ दे मेरी चूत को पूरी ताकत से धका मार बेटा आआआआअ ऐसे ही चोदता
जा बेटा आआआआआआआआआ
सुनील :- ये ले जोर से कुतिया और कांता की हिप्स को जोर जोर से थापर मरते हुए अपने
स्पीड बड़ा देता है और इस्सी तरह से १५ मं बाद सुनील के लंड की नशे पूरी सकत हो जाती है और ४-५ धको
के बाद एक पूरी जोर से धका मरता है और उसके साथ ही सुनील अपने लंड की बरसात कांता की चूत में कर
देता है ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआअ
कुछ देर सुनील के बाद कांता के ऊपर से उठता है और नहाने के लिए बाथरूम में घुस जाता है
फिर कांता भी उठ कर सुनील के साथ बाथरूम में घुस जाती है और दोनों एक दुसरे को साबुन लगा कर और मसल मसल कर नहलाते है और फिर दोनों निचे होल में आ जाते है होल में लाली दोपहर का खाना बनाने के लिए सब्जी कट रही थी तभी लाली की नजर ऊपर से आते हुए सुनील और कांता पर पड़ती है ओर मन ही मन मुस्कराती है कांता उसकी मुस्कारहट को समझ के वो भी लाली की तरफ मुस्कराती है
कांता :- और सोफे पर बैठते हुए लाली दो कप चाय बना कर ले आ आज बदन बहुत दुःख रहा है
लाली :- कांता की बात सुन कर हा मैम साहेब सारी रात जो इतनी महन्त की है आपने
कांता :- लाली की तरफ देख कर हस्ती है और बोलती है मैंने रात को की है तो तुमने भी तो सुबह ही की है
लाली :- हा मैम साहेब क्या करती मैं सुबह सुबह साहेब हो चाय देने गयी तो साहेब का लंड गधे के लंड की तरह से खड़ा था तो उसको देख कर रहा नहीं गया लेकिन मैम साहेब आपने जो महन्त आपने की है उतनी मैंने कहा ही और मैं उतनी नहीं कर सकती ये तो तुम ही थी जो इतनी महन्त कर सकती हो और फिर दोनों हसने लग जाती है फिर लाली चाय बनाने किचन में चली जाती है तभी डोर बैल की आवाज आती है और कांता घडी की तरफ देखती है की २ बज गये है और फिर बोलती है संगीता आ गयी है शायद और उठ कर दरवाजा खोलने चली जाती है उसका अंदाजा ठीक था क्यों की सामने संगीता खड़ी थी
कांता :- आ गयी बेटी
संगीता :- अंदर आते हुए बोलती है हा माँ सुनील कहा है ?
कांता :- बेटी वो होल में बैठ कर टीवी देख रहा है
और फिर वो सीधा अपने रूम में चली जाती है और वह जा कर अपने कपडे बदलने लगती है अपनी शर्ट और टॉप को उतर के वो आईने के सामने खड़ी हो जाती है
और अपने चूचो को देखते है तो कभी अपनी चिकनी चूत के ऊपर से हाथ फेरते हुए अपने पुरे बदन को सहलाती है और फिर अपना फोन निकल कर उसके अपनी फोटो खीचने लगती है और अलग अलग तरीके से फोटो खिच कर अपनी ब्रा को उतारते हुए अपने चूचो के ऊपर से अपना हाथ ferti है jis से usko एक अजीब सा नशा छाने लगता है
और धीरे धीरे अपनी ब्रा को निकल कर एक तरफ फेक देते है और फिर से आइने में अपने आप को देखने लगती है
और अपने दोनों हाथ को ऊपर उठा कर आईने में अपने दोनों चूचो को बहार की तरफ निकलते है
और अपने हाथ से चुचोको सहलाने लगती है और फिर बरी बरी अपनी गर्दन को निचे कर के अपने पिंक निप्पल को जिह्वा लगा कर चाटने लगती है जिस से उसके मुह से सिस्कारी निकलने लगती है
और फिर एक हाथ को वो निचे की तरफ ले जाती है अपनी काछी को थोडासा साइड में कर के अपनी चूत को निहारने लगती है जो उसकी हरकतों से पानी छोड़ने लगती है उसको अपने छोटे छोटे बालो में छुपी हुयी चूत इतनी मस्त लगती है की कभी वो उसको नाख़ून लगा कर कुरेदती है तो कभी चूत के गुलाबी होठो को अपनी उंगलियों में ले कर मसल देती है तो कभी अपने पिंक दाने को ऊँगली रगडती है
संगीता अपनी चूत से खेलने में खो जाती है की उसको ये याद ही नहीं रहता है की निचे सुनील उसका इंतजार कर रहा है तभी उसको किसी के बोलने का अहसास होता है
कांता :- संगीता बेटी कहा हो तुम सुनील को घर जाना है वो तुम्हारा इंतजार कर रहा है
संगीता :- आई माँ और फिर जल्दी से अपने कपडे पहन कर निचे होल में आ जाती है
सुनील :- संगीता को देखता है तो देखता ही रहता है क्यों की संगीता ने काला टॉप और नीली सिकर्ट पहनी हुयी थी जिस में वो सब पर कयामत दहा रही थी
संगीता :- सुनील को ऐसे देखते हुए उसके पास आती है और बोलती है कहा खो गये हो जनाब ??
सुनील :- संगीता में इतना खो जाता हैकि संगीता क्या बोल रही है उसको कुछ नहीं मालूम होता बस उसके मुह में से अपने आप ही कुछ शब्द निकल जाते है
आखो में समाजों इस दिल में रहा करना,
तारो में हँसा करना फूलो खेल करना !
जब से तुम्हे देखा है जब से तुम्हे पाया है ,
कुछ होश नहीं मुझको एक नशा सा छाया है !
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रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-10
सुनील :- लाली के भागने से अपने लंड की तरफ देखता है जो पूरा विकराल रूप धारण कर रहा होता है
और सुनील उसको हाथ से हिलाने लगता है लेकिन लंड की खाल छिलने से उसमे बहुत दर्द होता है इसलिए वो
उसको अच्छी तरह से हिला भी नहीं पता है और कुछ देर वही खड़ा रहता है और फिर कुछ सोच कर वो सीधा
नंगा ही कांता के रूम में चला जाता है जहा कांता सारी रात की चुदाई से गहरी नींद में सो रही होती है सुनील
कांता को सोते हुए देखता है और फिर आगे बाद कर उसकी nighty को ऊपर कर के उसकी कछी को पकड के
एक झटके के साथ निकल देता है जिस से कांता हडबडा के एक दम से उठती है और फिर सुनील को एक दम
से नंगा देख कर चोक जाती है और अपनी आखो को मसल कर ये यकीन करना चाहती है की कही वो कोई
सपना तो नहीं देख रही है जब उसको ये यकीन हो जाता है की वो कोई सपना नहीं देख रही है तो सुनील से
बोलती है
कांता :- सुनील ये सब क्या है कोई और यह आ गया तो ?
सुनील :- बेड पर चढ़ते हुए चुप साली कुतिया कोई देखता है तो देखने दे मेरे को बस अब चूत चाहिए
और कांता की टांगो को पकड के एक दम से खीच कर उसको लेटा देता है और उसकी टांगों के बिच में आ कर
बैठ जाता है
कांता :- सुनील की तरफ देखती है और फिर सुनील के लंड को अपने कोमल हाथ में पकड के उसको सहलाने
लगती है क्या बात है इतना सकत कैसे हो गया सुबह सुबह ही
सुनील :- साली तेरी नौकरानी ने इसको जगा दिया है अब इस को शांत होने के लिए तेरी चूत का नरम गदा
चाहिए वो साली तो भाग गयी है कुतिया जगा कर
कांता :- सुनील के मुह से लाली की बात सुन कर चौक जाती है क्या बोल रहा है तू क्या तुमने लाली को चोद
डाला
सुनील :- हा चोद दिया साली को लेकिन मेरे लंड को सहने की ताकत उस रंडी में नहीं थी तभी तो बिच में ही
भाग गयी साली
कांता :- वह रे मेरे राजा इस लंड को सहने की ताकत हर किसी में नहीं है ल दे मेरे को मैं शांत करती हु और
फिर सुनील के लंड को अपनी तरफ खीच कर अपने जिह्वा की नोक को लंड के सुपारे पर घुमाने लगती है
गुपोप्प्प्प्प्प्प्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल गप्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितना मस्त है तेरा
लंड सुनील सुनील :- कांता के बालो को पकड के और गांड को थोडा सा पीछे की तरफ कर के पूरी जोर से
कांता के मुह में लंड घुसोता है ये ले कुतिया तेरे हलक तक थोक दालुगा लंड को रंडी भाह्न्चोद
सलिओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और फिर करीबन २ मिनट तक अपने लंड को कांता के मुह में ही घुसोये रखता है जिस
से कांता की आखो में पानी आ जाता है
सुनील :- उसका इशारा समझ जाता है और टागों के बिच आ कर अपने लंड को कांता
की चूत पर रख के रगड़ने लगता है हा अहा अहाहा आहा आहा आह आहा आहा अहा आहा आहा आहा आह
अह साली रंडी क्या चूत है तेरी साली देख अब तेरे को कैसे चोदता हु मादरचोद रांड साली
कांता :- अपनी चूत को आगे बड़ा कर सुनील के लंड को अपने अंदर लेने की koshish करने लगती है और
निचे से गंद को ऊपर उठा उठा कर पटकने लगती है ह हा आहा आहा आहा आहा आह अह अहाआआआआ
राजा अब बाद दे अपना मोटा लंड मेरी चूत में राजा ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआआआआआअ
सुनील :- अपने लंड को चूत के chhed पर रख के और कांता के दोनों चूचो को पकड के
पूरी जोर से धका मरता है ये ले साली कुतिया ह अहा आहा अह आह आहा अह रंडी क्या चूत है तेरी साली ओह
ह अहा आहा आह हा अहाहाअहाह आह आहा आहा अहा आहा अह अ
कांता :- उयीईईईईईईईईईईईई माँ मर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र ग्यीईईईईईईईईईईईइ रॆऎऎऎऎऎए हरामी आराम से कुते सारी रात
चोद चोद कर चूत का भोसड़ा बना दिया ओह ह अह हा आहा अहा हा बहुत दर्द हो रहा है बेटा ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह
हा ह आह ह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़
सुनील :- चुप साली कुतिया और कांता की एक बात न सुनते हुए पूरी ताकत के साथ धक
धक् कर के कांता को छोड़ने लगता है ये ले और जोर से मादरचोद रांड साली ह ह ह हा हा आहा अहा आहा अह
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ आज तेरी चूत को फाड़ दुगा रंडी ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
कांता :- कुछ देर चुदते रहने के बाद अब उसको भी मजा आ जाता है और वो भी अपने चूचो को मसलते हुए
पूरी जोर जोर से गंद को उठा उठा कर सुनील के लंड से थप मिलाती है ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआआआ
बेटा चोद और जोर से चोद बेटा फाड़ दे मेरी चूत को पूरी ताकत से धका मार बेटा आआआआअ ऐसे ही चोदता
जा बेटा आआआआआआआआआ
सुनील :- ये ले जोर से कुतिया और कांता की हिप्स को जोर जोर से थापर मरते हुए अपने
स्पीड बड़ा देता है और इस्सी तरह से १५ मं बाद सुनील के लंड की नशे पूरी सकत हो जाती है और ४-५ धको
के बाद एक पूरी जोर से धका मरता है और उसके साथ ही सुनील अपने लंड की बरसात कांता की चूत में कर
देता है ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआअ
कुछ देर सुनील के बाद कांता के ऊपर से उठता है और नहाने के लिए बाथरूम में घुस जाता है
फिर कांता भी उठ कर सुनील के साथ बाथरूम में घुस जाती है और दोनों एक दुसरे को साबुन लगा कर और मसल मसल कर नहलाते है और फिर दोनों निचे होल में आ जाते है होल में लाली दोपहर का खाना बनाने के लिए सब्जी कट रही थी तभी लाली की नजर ऊपर से आते हुए सुनील और कांता पर पड़ती है ओर मन ही मन मुस्कराती है कांता उसकी मुस्कारहट को समझ के वो भी लाली की तरफ मुस्कराती है
कांता :- और सोफे पर बैठते हुए लाली दो कप चाय बना कर ले आ आज बदन बहुत दुःख रहा है
लाली :- कांता की बात सुन कर हा मैम साहेब सारी रात जो इतनी महन्त की है आपने
कांता :- लाली की तरफ देख कर हस्ती है और बोलती है मैंने रात को की है तो तुमने भी तो सुबह ही की है
लाली :- हा मैम साहेब क्या करती मैं सुबह सुबह साहेब हो चाय देने गयी तो साहेब का लंड गधे के लंड की तरह से खड़ा था तो उसको देख कर रहा नहीं गया लेकिन मैम साहेब आपने जो महन्त आपने की है उतनी मैंने कहा ही और मैं उतनी नहीं कर सकती ये तो तुम ही थी जो इतनी महन्त कर सकती हो और फिर दोनों हसने लग जाती है फिर लाली चाय बनाने किचन में चली जाती है तभी डोर बैल की आवाज आती है और कांता घडी की तरफ देखती है की २ बज गये है और फिर बोलती है संगीता आ गयी है शायद और उठ कर दरवाजा खोलने चली जाती है उसका अंदाजा ठीक था क्यों की सामने संगीता खड़ी थी
कांता :- आ गयी बेटी
संगीता :- अंदर आते हुए बोलती है हा माँ सुनील कहा है ?
कांता :- बेटी वो होल में बैठ कर टीवी देख रहा है
और फिर वो सीधा अपने रूम में चली जाती है और वह जा कर अपने कपडे बदलने लगती है अपनी शर्ट और टॉप को उतर के वो आईने के सामने खड़ी हो जाती है
और अपने चूचो को देखते है तो कभी अपनी चिकनी चूत के ऊपर से हाथ फेरते हुए अपने पुरे बदन को सहलाती है और फिर अपना फोन निकल कर उसके अपनी फोटो खीचने लगती है और अलग अलग तरीके से फोटो खिच कर अपनी ब्रा को उतारते हुए अपने चूचो के ऊपर से अपना हाथ ferti है jis से usko एक अजीब सा नशा छाने लगता है
और धीरे धीरे अपनी ब्रा को निकल कर एक तरफ फेक देते है और फिर से आइने में अपने आप को देखने लगती है
और अपने दोनों हाथ को ऊपर उठा कर आईने में अपने दोनों चूचो को बहार की तरफ निकलते है
और अपने हाथ से चुचोको सहलाने लगती है और फिर बरी बरी अपनी गर्दन को निचे कर के अपने पिंक निप्पल को जिह्वा लगा कर चाटने लगती है जिस से उसके मुह से सिस्कारी निकलने लगती है
और फिर एक हाथ को वो निचे की तरफ ले जाती है अपनी काछी को थोडासा साइड में कर के अपनी चूत को निहारने लगती है जो उसकी हरकतों से पानी छोड़ने लगती है उसको अपने छोटे छोटे बालो में छुपी हुयी चूत इतनी मस्त लगती है की कभी वो उसको नाख़ून लगा कर कुरेदती है तो कभी चूत के गुलाबी होठो को अपनी उंगलियों में ले कर मसल देती है तो कभी अपने पिंक दाने को ऊँगली रगडती है
संगीता अपनी चूत से खेलने में खो जाती है की उसको ये याद ही नहीं रहता है की निचे सुनील उसका इंतजार कर रहा है तभी उसको किसी के बोलने का अहसास होता है
कांता :- संगीता बेटी कहा हो तुम सुनील को घर जाना है वो तुम्हारा इंतजार कर रहा है
संगीता :- आई माँ और फिर जल्दी से अपने कपडे पहन कर निचे होल में आ जाती है
सुनील :- संगीता को देखता है तो देखता ही रहता है क्यों की संगीता ने काला टॉप और नीली सिकर्ट पहनी हुयी थी जिस में वो सब पर कयामत दहा रही थी
संगीता :- सुनील को ऐसे देखते हुए उसके पास आती है और बोलती है कहा खो गये हो जनाब ??
सुनील :- संगीता में इतना खो जाता हैकि संगीता क्या बोल रही है उसको कुछ नहीं मालूम होता बस उसके मुह में से अपने आप ही कुछ शब्द निकल जाते है
आखो में समाजों इस दिल में रहा करना,
तारो में हँसा करना फूलो खेल करना !
जब से तुम्हे देखा है जब से तुम्हे पाया है ,
कुछ होश नहीं मुझको एक नशा सा छाया है !
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