FUN-MAZA-MASTI
जीवन का रोमान्चक अनुभव
मामी किचन से निकल कर आई, पूछा- तुम कब आये? तुम्हारे मामा तो चले गये हैं !
तो मैंने कहा- कि उनसे बाहर ही मुलाकात हुई है।
तो मामी ने कहा- ठीक है। और सब घर में कैसे हैं ?
मैंने कहा- ठीक हैं, आप कभी आती ही नहीं हैं। मां बहुत याद करती है आपको।
तब उन्होंने अपनी मजबूरी बताई।
उसके बाद कहा- मैं खाना लगा देती हूँ, आप खा लीजिये।
मुझे खाना खिला कर वो बाथरुम में नहाने चली गई। उन्हें बाथरुम में जाते देखा तो मेरी नीयत खराब हो गई, मामी की चूत चोदने का मन करने लगा।
मामी बाथरुम में नहाने लगी। मेरा मन बैठे-बैठे नहीं लग रहा था। तो मैंने सोचा कि क्यों न झांककर देखा जाए।
यह सोचकर मैं बाथरुम की तरफ़ लपका। वहां मैंने दरवाजे की दरार से देखा कि मामी नंगे बदन नहा रही थी। यह देखकर मेरा लंड फ़ुफ़कार मारने लगा। मामी को अभी शादी हुए मात्र तीन साल ही हुए थे। उनका बदन अब भी गठीला था। क्या मस्त फ़िगर था। चुची अपने आकार में थी। नंगे बदन मामी तो गजब का माल लग रही थी। मैं तो देखते ही रह गया। मैंने देखा कि मामी अपने बदन को साबुन से धो रही थी। वो अपनी चुची पर साबुन लगा कर मल रही थी। अपने हाथों से चुची मलने के क्रम में कभी-कभी अपने मुँह से आवाज भी निकालती थी। ये सब देख मैं तो बेकाबू हो रहा था। मन कर रहा था कि अभी जाकर उनकी बुर में अपना तगड़ा लन्ड पेल दूँ। पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। उसके बाद मैंने उनकी चूत की ओर नजर दौड़ाई तो मुझे काफ़ी सफ़लता तो नहीं मिली पर उनकी रेशमी झाटों पर नजर पड़ने लगी, जो काफ़ी काली-काली नजर आ रही थी। उन काली-काली रेशमी झाटों से चूत काफ़ी सुन्दर लग रही थी । उनकी चूत देखने के बाद लगा कि मैं अभी जाकर उनकी चूत को चाटने लगूं लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। इतने में मामी नहकर बाहर निकलने वाली थी। तो मैं भी जाकर कमरे में बैठ गया।
फ़िर मैंने देखा कि मामी एक तौलिये लपेटे निकल कर अपने कमरे में चली गई।
फ़िर मैं उनके कमरे में झांककर देखने लगा। मामी ने कमरे में पहुँचते ही तौलिये को खोल दिया और सबसे पहले पैन्टी पहनी। गोरे-गोरे चूतड़ों पर काली पैन्टी खूब फ़ब रही थी।
मामी ने एकाएक पीछे मुड़ी तो मुझे कमरे के दरवाजे पर पाया। यह देख कर मेरी तो हवा निकल गई। मुझे कफ़ी डर लगने लगा। चूंकि मामी उस समय केवल पैन्टी में थी इसलिये चुची नग्न हवा में झूल रही थी।
मामी ने मेरी तरफ़ देखकर कहा- तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?
और उन्होंने पास रखे तौलिये को अपने चुची के ऊपर रख लिया। मामी ने कहा- अभी मैं तुम्हारे घर फ़ोन करके बताती हूँ !
मैं मामी के सामने हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगने लगा। मामी बोली- ठीक है जब तुमने मेरे सामान को देख ही लिया तो अब कहने से क्या फ़ायदा ! ऊपर से मेरी बदनामी भी होगी।
तब जाकर मेरा जान में जान आई। मामी ने कहा- यह बात किसी को मत बताना। अच्छा तुमने मेरे सामान को देखा पर तुम्हें भी अपने औजार को दिखाना पड़ेगा।
इतना जब मैंने मामी के मुँह से जब सुना तो मैं उनको देखता ही रह गया। मामी ने कहा- राजा ऐसे क्या देख रहे हो। दिखाओ ना अपना हथियार मुझे।
मैंने कहा- जब ऐसी बात है तो आप खुद ही देख लीजिये !
इतना सुनते ही मामी ने मेरे लन्ड को मेरे पैन्ट से बाहर निकाला। मेरा लन्ड तन कर फ़ुफ़कार मारने लगा। मामी के मुँह से बाप रे निकल गया तो मैंने पूछा- क्या हुआ।
तो उन्होंने कहा- कितना बड़ा लन्ड है।
तो मैंने कहा- क्या कभी ऐसा लन्ड नहीं देखा ?
तो मामी ने कहा- नहीं राजा ! तुम्हारे मामा का तो मुश्किल से तीन इन्च से ज्यादा का नहीं होगा। इतना कह्ते कह्ते मामी मेरे लन्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। ऐसा करने से मेरे शरीर में गजब की गुदगुदी होने लगी। मुझे अपना लन्ड चुसवाना अच्छा लग रहा था। अब मेरा भी मन उनके चुची दबाने का करने लगा। मैंने अपना हाथ उनके चुची पर जैसे ही रखा वो 16 साल की लड़की जैसे चिंहुकी। उनकी चुची में गजब का कठोरपन महसूस हुआ। मैं दोनों हाथों से उनके कबूतरों को दबा रहा था। वो मुझपर झुककर लन्ड को चूस रही थी। सच, मुझे काफ़ी मजा आ रहा था। मैंने उनके चुचियों को लाल कर दिया।
चूंकि मामी ने नहा कर केवल पैन्टी ही पहनी थी, उनका पूरा शरीर नग्न ही था। जब उन्होंने लन्ड को चूसकर कड़ा कर दिया तो मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उनको अपनी बाहों में उठाकर बेड पर पटक दिया। केवल पैन्टी में वो काफ़ी सेक्सी लग रही थी।
तब उन्होंने कहा- मेरे राजा, क्या इरादा है !
तो मैंने अपना इरादा बताते हुए उनकी पैन्टी को उनके शरीर से अलग कर दिया। उनकी चूत देखते ही मेरे लन्ड में खुजली होनी शुरु हो गई। क्या मस्त बुर थी। उनकी रेशमी झांटे काफ़ी काली-काली नजर आ रही थी। मन तो कर रहा था कि पूरा हाथ ही उनकी बुर में घुसा दूँ। अब मैंने उनको बिछावन पर लिटा दिया।
मामी ने भी रन्डी की तरह लेटते ही अपने दोनों टागों को फ़ैला दिया, इससे उनकी बुर के बीच की घाटी साफ़-साफ़ नजर आने लगी। मैंने भी देर ना करते हुए उस घाटी के बीच अपनी जीभ को डाल कर उनकी प्यारी बुर को पावरोटी की तरह चूसने लगा। मामी के मुँह से अब सित्कार निकलने लगी। मामी की बुर से रस टपक कर मेरे मुँह में जा रहा था। उनकी बुर का रस नमकीन लग रहा था। मामी के प्यारे से दाने को मैं चूस कर लाल कर चुका था।
अब मामी ने कहा- अब मत तड़पाओ राजा, जल्दी से मेरे चुनचुनाती बुर में अपना प्यारा सा लन्ड डाल दो।
मैं भी बिना देर करते हुए उनके जांघों के बीच में आ गया। मामी ने अपने दोनों पैर फ़ैला दिये जिससे उनकी बुर का वो लाल सुर्ख सुराख मुझे साफ़ साफ़ नजर आने लगा। मैंने उनके छेद पर अपने सुपाड़े को रखा और एक धक्का दिया। मामी अचानक चिंहुक उठी और बोलने लगी- धीरे धीरे नहीं कर सकते क्या ? मैं कहीं भागी जा रही हूँ? एक तो तुम्हारा इतना मोटा है कि बुर का भी चिथड़ा कर देगा।
मैंने देखा कि एक धक्के में करीब चार इन्च उनकी बुर में जा चुका था। कुछ देर बाद मामी भी अपनी गाण्ड उछाल कर मेरा साथ देने लगी। लगभग बीस मिनट तक हम दोनों इस तूफ़ान में मजे लेते रहे। उसके बाद मामी का गर्म पानी छुटने लगा। उसके बाद मेरा भी जवाब देने लगा, मैं उनकी प्यारी बुर में ही झड़ गया। फ़िर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे।
मामी को देखा कि वो आँखें बन्द किये मजे ले रही हैं। अब मैं बाथरुम की ओर जाने लगा अपने लन्ड को साफ़ करने के लिये। जैसे ही मैं उठा, मामी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने नंगे बदन पर खींच लिया। ऐसा करने से मैं उनकी चुची पर गिरा और उनकी चुची मेरे ओठों से सट गई। एक बार फ़िर मेरे लन्ड में कसाव आने लगा। मैंने अपना हाथ जैसे ही उनके बुर की तरफ़ रखना चाहा, वो पलट गई, जिससे मेरा हाथ उनके मखमली चूतड़ों पर चला गया। अब मैं उनके चुतड़ों को सहला रहा था। उन्होंने कहा- इस चूत को तो राजा तुमने शांत कर दिया लेकिन अब गाण्ड की खुजली कौन मिटाएगा मेरे राजा।
ऐसी बातें मामी के मुँह से सुनने के बाद मेरे शरीर में एक बार फ़िर लहर दौड़ गई। मामी ने मुझे क्रीम लाकर दी और कहा- लो मेरी गाण्ड पर लगा लो, नहीं तो मेरी गाण्ड का तुम भुरता ही बना दोगे। मैंने मामी की गुलाबी गाण्ड में क्रीम को अच्छी तरह लगा दिया तथा अपने लन्ड पर भी लगा लिया। मामी का गाण्ड काफ़ी सुन्दर लग रही थी। मामी की गाण्ड में मैंने जब उंगली डाली तो उन्हें काफ़ी अच्छा लगा।
अब मामी गाण्ड को मेरी तरफ़ करके कुतिया के जैसी हो गई। मैंने पीछे से अपने सुपाड़े को उनकी गाण्ड पर रखकर धक्का मारा, मामी के मुँह से उइ निकल गई। तो मैंने पूछा- क्या हुआ मामी ?
तो उन्होंने कहा- तुम अपना काम करो।
मैं फिर अगले झटके की तैयारी में लग गया और तुरन्त एक और करारा झटका दे डाला। इस बार मैंने देखा कि मामी के आँखों से पानी की कुछ बूंदें निकलने लगी पर मामी ने रुकने के लिये तक नहीं बोली, शायद वो गाण्ड का भरपूर मजा लेना चाहती थी। क्रीम के लग जाने से मामी की गाण्ड काफ़ी चिकनी हो गई थी। अब मामी को काफ़ी मजा आने लगा। करीब 15 मिनट तक मामी के गाण्ड चोदने के बाद मैंने उनकी गाण्ड में अपना गर्म वीर्य छोड़ दिया। गाण्ड और बुर चुदने के बाद मामी काफ़ी खुश लग रही थी। मामी ने रात को मुझे रुकने के लिये कहा और रात को भी चुदाई का सिलसिला चला।
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जीवन का रोमान्चक अनुभव
मैं एक लड़का हूँ। यह मेरे जीवन का काफ़ी रोमान्चक अनुभव था। इस घटना ने तो मेरे जीवन में एक मोड़ ला दिया।
उस दिन मैं सुबह उठा ही था कि मेरे पापा ने कहा- आज मामा के यहाँ जाना और यह कागज मामा को दे देना ।
उसके बाद मैं फ़्रेश होकर मामा के घर चल दिया। मेरे मामा का घर मेरे घर
से साठ कि. मी. की दूरी पर था। मुझे वहाँ जाने में दो घन्टे का समय लगा।
मैं जैसे ही घर पहुँचा तो देखा कि मामा जी कहीं जा रहे हैं। तो मैंने
उन्हें वो कागज दे दिया। वो बोले- तुम्हारी मामी जी किचन में है। जाकर मिल
लो, मैं बाहर जा रहा हूँ, हो सकता है कि रात को नहीं लौट पाऊं, सो तुम कल
ही घर जाना। उसके बाद मैंने घर में प्रवेश किया और मामी को आवाज लगाई।मामी किचन से निकल कर आई, पूछा- तुम कब आये? तुम्हारे मामा तो चले गये हैं !
तो मैंने कहा- कि उनसे बाहर ही मुलाकात हुई है।
तो मामी ने कहा- ठीक है। और सब घर में कैसे हैं ?
मैंने कहा- ठीक हैं, आप कभी आती ही नहीं हैं। मां बहुत याद करती है आपको।
तब उन्होंने अपनी मजबूरी बताई।
उसके बाद कहा- मैं खाना लगा देती हूँ, आप खा लीजिये।
मुझे खाना खिला कर वो बाथरुम में नहाने चली गई। उन्हें बाथरुम में जाते देखा तो मेरी नीयत खराब हो गई, मामी की चूत चोदने का मन करने लगा।
मामी बाथरुम में नहाने लगी। मेरा मन बैठे-बैठे नहीं लग रहा था। तो मैंने सोचा कि क्यों न झांककर देखा जाए।
यह सोचकर मैं बाथरुम की तरफ़ लपका। वहां मैंने दरवाजे की दरार से देखा कि मामी नंगे बदन नहा रही थी। यह देखकर मेरा लंड फ़ुफ़कार मारने लगा। मामी को अभी शादी हुए मात्र तीन साल ही हुए थे। उनका बदन अब भी गठीला था। क्या मस्त फ़िगर था। चुची अपने आकार में थी। नंगे बदन मामी तो गजब का माल लग रही थी। मैं तो देखते ही रह गया। मैंने देखा कि मामी अपने बदन को साबुन से धो रही थी। वो अपनी चुची पर साबुन लगा कर मल रही थी। अपने हाथों से चुची मलने के क्रम में कभी-कभी अपने मुँह से आवाज भी निकालती थी। ये सब देख मैं तो बेकाबू हो रहा था। मन कर रहा था कि अभी जाकर उनकी बुर में अपना तगड़ा लन्ड पेल दूँ। पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। उसके बाद मैंने उनकी चूत की ओर नजर दौड़ाई तो मुझे काफ़ी सफ़लता तो नहीं मिली पर उनकी रेशमी झाटों पर नजर पड़ने लगी, जो काफ़ी काली-काली नजर आ रही थी। उन काली-काली रेशमी झाटों से चूत काफ़ी सुन्दर लग रही थी । उनकी चूत देखने के बाद लगा कि मैं अभी जाकर उनकी चूत को चाटने लगूं लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। इतने में मामी नहकर बाहर निकलने वाली थी। तो मैं भी जाकर कमरे में बैठ गया।
फ़िर मैंने देखा कि मामी एक तौलिये लपेटे निकल कर अपने कमरे में चली गई।
फ़िर मैं उनके कमरे में झांककर देखने लगा। मामी ने कमरे में पहुँचते ही तौलिये को खोल दिया और सबसे पहले पैन्टी पहनी। गोरे-गोरे चूतड़ों पर काली पैन्टी खूब फ़ब रही थी।
मामी ने एकाएक पीछे मुड़ी तो मुझे कमरे के दरवाजे पर पाया। यह देख कर मेरी तो हवा निकल गई। मुझे कफ़ी डर लगने लगा। चूंकि मामी उस समय केवल पैन्टी में थी इसलिये चुची नग्न हवा में झूल रही थी।
मामी ने मेरी तरफ़ देखकर कहा- तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?
और उन्होंने पास रखे तौलिये को अपने चुची के ऊपर रख लिया। मामी ने कहा- अभी मैं तुम्हारे घर फ़ोन करके बताती हूँ !
मैं मामी के सामने हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगने लगा। मामी बोली- ठीक है जब तुमने मेरे सामान को देख ही लिया तो अब कहने से क्या फ़ायदा ! ऊपर से मेरी बदनामी भी होगी।
तब जाकर मेरा जान में जान आई। मामी ने कहा- यह बात किसी को मत बताना। अच्छा तुमने मेरे सामान को देखा पर तुम्हें भी अपने औजार को दिखाना पड़ेगा।
इतना जब मैंने मामी के मुँह से जब सुना तो मैं उनको देखता ही रह गया। मामी ने कहा- राजा ऐसे क्या देख रहे हो। दिखाओ ना अपना हथियार मुझे।
मैंने कहा- जब ऐसी बात है तो आप खुद ही देख लीजिये !
इतना सुनते ही मामी ने मेरे लन्ड को मेरे पैन्ट से बाहर निकाला। मेरा लन्ड तन कर फ़ुफ़कार मारने लगा। मामी के मुँह से बाप रे निकल गया तो मैंने पूछा- क्या हुआ।
तो उन्होंने कहा- कितना बड़ा लन्ड है।
तो मैंने कहा- क्या कभी ऐसा लन्ड नहीं देखा ?
तो मामी ने कहा- नहीं राजा ! तुम्हारे मामा का तो मुश्किल से तीन इन्च से ज्यादा का नहीं होगा। इतना कह्ते कह्ते मामी मेरे लन्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। ऐसा करने से मेरे शरीर में गजब की गुदगुदी होने लगी। मुझे अपना लन्ड चुसवाना अच्छा लग रहा था। अब मेरा भी मन उनके चुची दबाने का करने लगा। मैंने अपना हाथ उनके चुची पर जैसे ही रखा वो 16 साल की लड़की जैसे चिंहुकी। उनकी चुची में गजब का कठोरपन महसूस हुआ। मैं दोनों हाथों से उनके कबूतरों को दबा रहा था। वो मुझपर झुककर लन्ड को चूस रही थी। सच, मुझे काफ़ी मजा आ रहा था। मैंने उनके चुचियों को लाल कर दिया।
चूंकि मामी ने नहा कर केवल पैन्टी ही पहनी थी, उनका पूरा शरीर नग्न ही था। जब उन्होंने लन्ड को चूसकर कड़ा कर दिया तो मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उनको अपनी बाहों में उठाकर बेड पर पटक दिया। केवल पैन्टी में वो काफ़ी सेक्सी लग रही थी।
तब उन्होंने कहा- मेरे राजा, क्या इरादा है !
तो मैंने अपना इरादा बताते हुए उनकी पैन्टी को उनके शरीर से अलग कर दिया। उनकी चूत देखते ही मेरे लन्ड में खुजली होनी शुरु हो गई। क्या मस्त बुर थी। उनकी रेशमी झांटे काफ़ी काली-काली नजर आ रही थी। मन तो कर रहा था कि पूरा हाथ ही उनकी बुर में घुसा दूँ। अब मैंने उनको बिछावन पर लिटा दिया।
मामी ने भी रन्डी की तरह लेटते ही अपने दोनों टागों को फ़ैला दिया, इससे उनकी बुर के बीच की घाटी साफ़-साफ़ नजर आने लगी। मैंने भी देर ना करते हुए उस घाटी के बीच अपनी जीभ को डाल कर उनकी प्यारी बुर को पावरोटी की तरह चूसने लगा। मामी के मुँह से अब सित्कार निकलने लगी। मामी की बुर से रस टपक कर मेरे मुँह में जा रहा था। उनकी बुर का रस नमकीन लग रहा था। मामी के प्यारे से दाने को मैं चूस कर लाल कर चुका था।
अब मामी ने कहा- अब मत तड़पाओ राजा, जल्दी से मेरे चुनचुनाती बुर में अपना प्यारा सा लन्ड डाल दो।
मैं भी बिना देर करते हुए उनके जांघों के बीच में आ गया। मामी ने अपने दोनों पैर फ़ैला दिये जिससे उनकी बुर का वो लाल सुर्ख सुराख मुझे साफ़ साफ़ नजर आने लगा। मैंने उनके छेद पर अपने सुपाड़े को रखा और एक धक्का दिया। मामी अचानक चिंहुक उठी और बोलने लगी- धीरे धीरे नहीं कर सकते क्या ? मैं कहीं भागी जा रही हूँ? एक तो तुम्हारा इतना मोटा है कि बुर का भी चिथड़ा कर देगा।
मैंने देखा कि एक धक्के में करीब चार इन्च उनकी बुर में जा चुका था। कुछ देर बाद मामी भी अपनी गाण्ड उछाल कर मेरा साथ देने लगी। लगभग बीस मिनट तक हम दोनों इस तूफ़ान में मजे लेते रहे। उसके बाद मामी का गर्म पानी छुटने लगा। उसके बाद मेरा भी जवाब देने लगा, मैं उनकी प्यारी बुर में ही झड़ गया। फ़िर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे।
मामी को देखा कि वो आँखें बन्द किये मजे ले रही हैं। अब मैं बाथरुम की ओर जाने लगा अपने लन्ड को साफ़ करने के लिये। जैसे ही मैं उठा, मामी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने नंगे बदन पर खींच लिया। ऐसा करने से मैं उनकी चुची पर गिरा और उनकी चुची मेरे ओठों से सट गई। एक बार फ़िर मेरे लन्ड में कसाव आने लगा। मैंने अपना हाथ जैसे ही उनके बुर की तरफ़ रखना चाहा, वो पलट गई, जिससे मेरा हाथ उनके मखमली चूतड़ों पर चला गया। अब मैं उनके चुतड़ों को सहला रहा था। उन्होंने कहा- इस चूत को तो राजा तुमने शांत कर दिया लेकिन अब गाण्ड की खुजली कौन मिटाएगा मेरे राजा।
ऐसी बातें मामी के मुँह से सुनने के बाद मेरे शरीर में एक बार फ़िर लहर दौड़ गई। मामी ने मुझे क्रीम लाकर दी और कहा- लो मेरी गाण्ड पर लगा लो, नहीं तो मेरी गाण्ड का तुम भुरता ही बना दोगे। मैंने मामी की गुलाबी गाण्ड में क्रीम को अच्छी तरह लगा दिया तथा अपने लन्ड पर भी लगा लिया। मामी का गाण्ड काफ़ी सुन्दर लग रही थी। मामी की गाण्ड में मैंने जब उंगली डाली तो उन्हें काफ़ी अच्छा लगा।
अब मामी गाण्ड को मेरी तरफ़ करके कुतिया के जैसी हो गई। मैंने पीछे से अपने सुपाड़े को उनकी गाण्ड पर रखकर धक्का मारा, मामी के मुँह से उइ निकल गई। तो मैंने पूछा- क्या हुआ मामी ?
तो उन्होंने कहा- तुम अपना काम करो।
मैं फिर अगले झटके की तैयारी में लग गया और तुरन्त एक और करारा झटका दे डाला। इस बार मैंने देखा कि मामी के आँखों से पानी की कुछ बूंदें निकलने लगी पर मामी ने रुकने के लिये तक नहीं बोली, शायद वो गाण्ड का भरपूर मजा लेना चाहती थी। क्रीम के लग जाने से मामी की गाण्ड काफ़ी चिकनी हो गई थी। अब मामी को काफ़ी मजा आने लगा। करीब 15 मिनट तक मामी के गाण्ड चोदने के बाद मैंने उनकी गाण्ड में अपना गर्म वीर्य छोड़ दिया। गाण्ड और बुर चुदने के बाद मामी काफ़ी खुश लग रही थी। मामी ने रात को मुझे रुकने के लिये कहा और रात को भी चुदाई का सिलसिला चला।
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