Monday, August 6, 2018

FUN-MAZA-MASTI रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-12

FUN-MAZA-MASTI

रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-12

सुनील :- हेल्लो माम्मा जी

माम्मा जी :- हा बेटा सुनील
सुनील :- हा माम्मा जी बोलो ?
माम्मा जी :- बेटा सुनील तुम सोनल की चिंता मत करना वो मेरे पास यहाँ हस्पताल में है
सुनील :- ठीक है मम्मा जी लेकिन उसको घर तो बता के आना था यहा हम सब कितने परेशान थे उसके न आने से

मम्मा जी :- बेटा वो तो घर ही आ रही थी लेकिन मैंने कुछ काम था इस लिए मैंने उसको सीधा यहाँ आने को बोल था
सुनील :- ओके मम्मा जी अब पिता जी तबोयत कैसे है ?
मम्मा जी :- बेटा उसकी तबियत पहले से अच्छी है अब कुछ दिन में उन को छुट्टी मिल जाएगी और बेटा आज रात को तुम अपने पिता जी के पास आ जाना क्यों की मेरे को गाव में जाना होगा और रात को तुमने ही यहाँ रूकना होगा

सुनील :- ठीक है मम्मा जी मैं आ जाउगा अब मैं घर जा कर माँ को बता देता हूँ की सोनल पिता जी पास हॉस्पिटल में वो भी बहुत चिंतित है सोनल के लिए और ये बोल कर सुनील फोन काट देता है !
और सीधा घर चला जाता है और फिर अपनी मोटर साईकल को खड़ा कर के घर के अंदर आता है तो घर में उसको अपनी माँ सुमित्रा देवी कही भी दिखाई नहीं देती है वो ये sochta है की माँ कही पड़ोस में तो नहीं गयी है ये ही सोच कर अपने रूम में जाने लगता है तभी उसको बाथरूम में से पानी गिरने की आवाज आती है पानी गिरने से वो समझ जाता है की सुमित्रा देवी नाहा रही है और ये मन में आते ही उसकी आखो के सामने उसको वोही दर्शय सामने आ जाता है जब कांता देवी उसकी माँ के साथ सेक्स कर रही थी लेकिन उसके आ जाने से वो कांता के साथ पूरी तरह से मस्ती नहीं कर पाई थी बस फिर क्या था सुनील जल्दी से साथ वाले रूम में घुस जाता है जहा बाथरूम का दूसरा दरवाजा था और उसमे एक छेद था सुनील उस छेद में अपनी आख लगा कर देखने लगता है



सुमित्रा देवी :- बाथरूम के अंदर बिना काछी के और एक पुरे गले की बनियान में है और अपने मोटे चूचो के ऊपर से हाथ फेर रही है और एक हाथ से अपनी चूत को मसल रही थी ऐसा करते हुए उसकी आखे बंद थी जिस से ये पता चल रहा था की इस समय सुमित्रा देवी अपनी एक अलग ही मस्ती में खोयी हुयी है और उसको खा क्याहो रहा है उस से कोई मतलब नहीं है इस समय तो बस उसको अपनी छुट को शांत करने वाला कोई चाहिए ये सब देखते ही सुनील का लंड एक दम से पूरा सकत हो जाता है और वो भी अपने लंड को बहार निकल कर आराम आराम से हिलाने लगता है
और उधर सुमित्रा देवी अब आराम आराम से अपनी बनियान को भी निकल देती है



और अपने मोटे चुचो को देखती है फिर उन पर हाथ फेर कर अपनी जिह्वा को चूचो के निप्पल पर से फेरने लगती है और फिर आईने के सामने खड़ी हो कर मुस्कराती है और अपने हाथ को फिर से आराम आराम से निचे की तरफ le जाती है और अपनी चूत पर रख देती है
उधर सुनील ये सब देख कर पूरा गर्म होता जा रहा था और लंड को दोनों हाथ से पकड के मुठ मरने लगता है



और सुमित्रा अपनी चूत को चूत के लिप्स को खोल कर अपनी ऊँगली से चूत के दन्ने को हिलाने लगती है और एक हाथ से अपनी चुचु को पूरी जोर जोर से मसलती है



और कुछ देर बाद सुमित्रा की आखे बंद हो जाती है और ससे जोर जोर से चलने लगती है और फिर उसका बदन दो चार झटके देता है और उसका देर सारा पानी चूत में से बहाने लगता है पानी निकलने के बाद सुमित्रा अपनी चूत को देखती है और फिर मन ही मन शांति की सास ले कर साबुन उठा कर अपने बदन पर लगाने लगती है और रगद रगद के अपने चूचो को धोती हियो और फिर साबुन को चूत पर लगाती है और चूत को रगड कर साफ कर के अपने तोलिये से अपने बदन को पूछने लगती है



और उधर सुनील अपनी माँ का नाम ले कर अपना हाथ पूरी जोर से हिलाने लगता है और फिर कुछ देर बाद उसका लंड भी पानी छोड़ देता है



और अपने लंड को एक कपडे से साफ़ कर के बहार आ कर होल में बैठ जाता है

और तभी सुमित्रा देवी एक तोलिये को अपने चूचो के ऊपर तक और निचे घुटनों तक लपेट कर और एक तोलिये को अपने भीगे बालो पर लपेट कर बहार आती है बहार आते ही वो वो सुनील को होल में बैठा देखती है



सुमित्रा देवी :- बेटा आ गया ?
सुनील :- अपनी माँ को देखता है की उसकी माँ कितनी सुंदर है वो उसको आज नंगा देखने पर पता चलता है हा माँ आगया और फिर बोलता है माँ सोनाली हॉस्पिटल में है मम्मा जी का फोन आया था की उन्होंने सोनाली को सीधा ही हॉस्पिटल में बुला लिया था इस लिए वो घर नहीं आई

सुमित्रा देवी :- हा बेटा मेरे को मालूम हो गया है तुम्हारे मम्मा जी ने मेरे को भी फोन कर दिया था तुम्हारे मम्मा जी का फोन आने पर ही मैं नहाने गयी थी और बेटा तुम भी जल्दी से तैयार हो जाओ
तुम को अपने पिता जी का खाना लेकर हॉस्पिटल में जाना है

सुनील :- ठीक है माँ और फिर अपने रूम में जाता है और अपने कपडे निकल कर बात रूम में नहाने घुस जाता और बाथरूम का दरवाजा पूरा बंद करने के बजाये थोडा सा ढाल लेता है क्यों की सुमित्रा तो अभी किचन में खाना बना रही इस लिए उसको किसी के आने का डर नहीं होता और नहाने से पहले वो अपने लंड को देखता है और उस पर उगे हुए बालो को देखता फिर सोचता है क्यों न माँ जब तक खाना बनाये तब तक वो अपने बालो को साफ कर ले और ये सोच कर वो अपने बालो को साफ करने लगता है और बल साफ करते हुए उसको कुछ देर हो जाती है तब तक सुमित्रा खाना बना कर सुनील को देखने उसके रूम में आती है क्यों की उसको रूम में घुसे हुए काफी टाइम हो गया था जैसे ही वो रूम का दरवाजा खोलती हैभी उसकी नजर सुनील के कपड़ो पर पड़ती है जिस से वो समझ जाती है की सुनील बाथरूम में नहा रहा है और वो उसका बहार निकलने का इंतजार करने लगती है



और उसके मैले कपड़ो को उठा कर उसके रूम को साफ करने लगती है तभी उसकी नजर सामने आईने पर पड़ती है जिस में से वो सुनील को नंगा देख कर चौक जाती है लेकिन तभी उसकी नजर सुनील के बड़े लंड पर पड़ती है जिस से देख कर वो हैरान हो जाती है की इतना बड़ा लंड इस उम्र में अगर इस उम्र में इतना बड़ा लंड है तो आगे क्या होगा वो सुनील के लंड को देखते देखते गर्म होने लगती है और उसका हाथ उसकी चूत पर चला जाता है उसकी चूत पानी छोड़ने लगती है वो हैरान थी की अभी कुछ देर पहले जिस चूत को उसने मुठ मर के शांत किया था वो फिर से गर्म हो रही है उसकी चूत इतनी जल्दी तो कभी राजबीर का लंड देख के भी गर्म नहीं हुयी जितनी जल्दी से अपने बेटे का लंड देख कर गर्म हो गयी है



और वह वही पर अपनी साड़ी को ऊपर कर के चूत को मसलने लगती है लेकिन उसको ये डर भी सता रहा होता है की कही उसका बेटा न आ जाये और उसको ऐसा करते देख कर क्या सोचेगा ये ख्याल उसके मन में आते ही वो अपने बेटे के रूम से बहार निकल जाती है और फिर अपने बेटेके लिए खाना लगाने लगती है कुछ देर में खाना लगा कर वो फिर से अपने बेटे को बुलाने उसके रूम में जाती और वो बिना ही दरवाजा नोक किये सीधा ही अंदर घुस जाती है और जैसे ही वो अंदर घुसती है तो को सामने का दर्शय देख के एक दम से पत्थर का बुत बन के खड़ी हो जाती है और ये ही हाल सुनील का होता है क्यों की सुनील बिना कपड़ो के एक दम से नंगा खड़ा थावो अपने कपडे पहने की तेयारी में था और तभी सुमित्रा रूम में घुसी थी इस लिए वो एक दुसरे को देख कर चौक जाते है फिर सुनील को होश आता है की वो एक दम से नंगा खड़ा है और जल्दी से तोलिये को उठा कर अपने लंड के सामने लगता है



और जोर से चीखता है
सुनील :- माँ ये क्या है कम से कम दरवाजा नोक कर के आती
सुमित्रा :- अपने बेटे को इस तरह से चीखता देख कर वो भी उस पर गुस्सा हो जाती है और बोलती है क्या तुम दरवाजा बंद कर के कपडे नहीं पहन सकता था जो मेरे ऊपर इतना चीख रहा है

सुनील :- अपने माँ को वापिस अपने ऊपर चीखते देख कुछ नरम होता है और बोलता है सॉरी माँ आगे से ऐसा नहीं होगा
सुमित्रा :- ठीक है जल्दी से निचे आजा तुम्हारा खाना लगा दिया है तुम खाना खा कर अपने पिता जी खाना ले जाना और अपनी बहन सोनल को घर जल्दी से भेज देना और ये बोल कर उसके रूम से निकल जाती है और मन ही मन सोचने लगती है की ये मेरे को क्या होगा था जो अपने बेटे पर ही चीखने लग गयी गलती तो मेरी ही थी जो बिना नोक किये मैं रूम में घुस गयी और उसको अपने ऊपर गुस्सा आने लगता है ये जो हुआ वो सब गलत हुआ है ऐसा नहीं होना था और मैं भी अपने बेटे को नंगा देखती रही और इन्ही सब के बारे में सोचते हुई वो खाने की टेबल पर बैठ के बेटे का इंतजार कर रही थी और तभी सुनील निचे आ कर टेबल पर बैठ जाता है लेकिन उसकी हिम्मत अपनी माँ से नजर मिलाने की नहीं थी क्यों की आज वो सब हो गया जिस का अंदाजा शायद दोनों माँ बेटे में से किसी को भी नहीं था और वो चुप चाप नज़ारे झुकाए टेबल पर बेठा रहता है और सुमित्रा भी अपने बेटे से नज़ारे चुरा कर उसको खाने की पलेट देती है और सुनील खाना खा कर अपने हाथ धोने लगता है और सुमित्रा बिना बोले ही टेबल पर खाने का टिफन रख देती है सुनील टिफिन लेकर हॉस्पिटल चला जाता है !













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