Monday, August 6, 2018

FUN-MAZA-MASTI मेरी बहन और मेरी उत्तेजना-3

FUN-MAZA-MASTI


मेरी बहन और मेरी उत्तेजना-3




इसके आगे वो कुछ भी नहीं बोल पाईं। मैं एकदम भौंचक्का रह गया था और शीघ्रता से अपने लंड को अपनी बहन की चूत में से निकाल लिया।
मेरा लंड का पानी अभी नहीं निकला था, वो निकलने वाला ही था, पर बीच में मम्मी के आ जाने के कारण रुक गया था, इसलिए मेरा लंड दर्द कर रहा था।
मेरा दिमाग़ को अभी भी हमारी पूरी स्थिति की गंभीरता का अहसास शायद नहीं हुआ था। इसलिए मेरा लंड अभी भी खड़ा और उत्तेजित था।
अचानक से एक झटके के साथ उसमें से एक तेज धार के साथ पानी निकल गया। मेरे वीर्य की कुछ बूदें उछल कर सीधा मम्मी के ऊपर उसकी साड़ी और पेट पर जा गिरी।
ये सब कुछ एक क्षण के अंदर हो गया था। झड़ जाने के बाद शायद मेरे दिमाग़ में सामने खड़ी मेरी मम्मी कर डर हावी हुआ और मैं डर कर अपनी पैन्ट को खोजने लगा।
मैं अपनी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा था। मेरा लंड अब पानी छोड़ कर लटक गया था। मेरी बहन तेज़ी के साथ बिस्तर पर से उतर गई और अपनी स्कर्ट को उसने चूतड़ों पर चढ़ा लिया था।
मेरी मम्मी कुछ नहीं बोल पाई और मेरे वीर्य को अपने साड़ी और पेट पर से साफ करने लगीं।
“छी छी…” कहते हुए वो कमरे से बाहर बिना कोई शब्द बोले हम दोनों को अकेला छोड़ कर निकल गईं।
हम दोनों एकदम अचंभित हो कर कुछ देर वहीं पर खड़े रहे, फिर हमने अपने कपड़े पहन लिए। हम दोनों के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थीं कि हम कमरे से बाहर जा सके। मेरी बहन और मैं बहुत डरे हुए थे।
सोनिया ने कहा- चलो जो हुआ, सो हुआ, अब हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है। चलो, हम इस स्थिति का सामना करते हैं।
करीब एक घंटे के बाद हम दोनों नीचे गए और फ्रेश हो कर अपना लंच लिया। हम दोनों ठीक तरह से खा भी नहीं पा रहे थे। क्योंकि हमारे दिल में डर भरा हुआ था और हम नहीं जानते थे कि हमारे साथ क्या होने वाला है।
हम अपने कमरे में आ गए। मम्मी अपने कमरे में थीं।
हम दोनों ने थोड़ी देर तक पढ़ाई की, फिर नीचे उतर कर नौकरानी से मम्मी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि मम्मी अपने कमरे में हैं और उसने कहा है कि उनको डिस्टर्ब नहीं किया जाए।
तभी कॉल-बेल बजी, दरवाज़े पर डैडी के ऑफिस का चपरासी था जो पापा का सूटकेस लेने के लिए आया था। पापा शायद चार दिनों के लिए बाहर जा रहे थे।
मैंने हिम्मत करके मम्मी के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया और उनको इस बारे में बताया। मम्मी ने सामने रखे एक सूटकेस की ओर इशारा किया, मैंने चुपचाप उस सूटकेस को उठा लिया और बाहर आकर उसे चपरासी को दे दिया।
हम दोनों भाई-बहन ने डिनर लिया और सोनिया वापस कमरे में चली गई। मैं हिम्मत कर के मम्मी के कमरे की ओर चला गया। दरवाज़ खुला था और मैं सीधा मम्मी के पास इस तरह से गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं है।
उनसे पूछा- क्या आपने डिनर कर लिया है क्योंकि नौकरानी अब घर जाना चाहती है।
उनने कोई जवाब नहीं दिया और मैंने बाहर आकर नौकरानी को घर जाने के लिए कह दिया।
हम दोनों भाई-बहन अब भी अपने अंदर काफ़ी ग्लानि महसूस कर रहे थे और हमने एक दूसरे से कोई बातचीत भी नहीं की। चूँकि हमारा कमरा एक था इसलिए हम दोनों चुपचाप आकर सो गए।
बेड के एक छोर पर मैं और वो दूसरे छोर पर लेट गए। हम दोनों ने एक दूसरे को छुआ भी नहीं। दरवाज़ा भी खुला हुआ ही था।
रात के 12 बजे के आस पास अचानक मेरी नींद खुली। मुझे प्यास लगी थी। मुझे महसूस हुआ कि मेरी कमर के ऊपर कोई भारी चीज़ रखी है।
मैंने सोचा हो सकता है कि यह मेरी बहन का पैर हो। मगर जब मैंने उसे अपनी कमर के ऊपर से हटाने की कोशिश की, तो मुझे भारी महसूस हुआ और ऐसा लगा जैसे ये मेरी बहन के पैर नहीं हैं।
मेरी आँखें खुल गईं और कमरे की मद्धिम रोशनी में मैंने जो देखा उसने मेरे दिल की धड़कने बढ़ा दीं और मेरा गला सूख गया।
…ओह ये मैं क्या देख रहा था। मेरे और मेरी बहन के बीच में हमारी मम्मी सोई हुई थीं। एक पल के लिए तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया मगर फिर मैं टायलेट जाने के लिए बेड से नीचे उतर गया।
मैंने एक या दो कदम ही आगे बढ़ पाया था कि मम्मी की फुसफुसाहट भरी आवाज़ सुनाई दी- कहाँ जा रहे हो तुम?
“ओह मम्मी तुम जाग रही हो… मैं टायलेट जा रहा हूँ।”
“ठीक है, ज़रा इंतज़ार करो, मुझे भी वहीं जाना है।” कहते हुए वो बेड से नीचे उतर गईं।
जब वो खड़ी हो गईं तो मैंने उनको देखा, उनके बाल बिखरे हुए थे, केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहन रखा था और उनका गोरा चेहरा थोड़ा फूला हुआ लग रहा था। मगर फिर भी उसकी सुंदरता में कोई कमी नहीं आई थी।
जहाँ मैं खड़ा था, वहाँ तक आने के लिए जब वो चलने लगीं तो उनके कदम डगमगा गए और उनके मुँह से हल्की बू भी मुझे आती हुई लग रही थी।
मुझे लग रहा था शायद मम्मी ने घर में डैडी की शराब में से कुछ पी है। जो भी हो उनने मेरे नज़दीक आ कर अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और आगे बढ़ते हुए मुझे अपने से सटा लिया।
मैंने भी अपना एक हाथ उनकी कमर में डाल दिया। मेरे ऐसा करने से मेरे बदन में एक हल्की सिहरन सी हुई, इस बात से मैं इनकार नहीं कर सकता था।
मगर दोपहर की घटनाओं घटनाओं की रोशनी में इस समय इस तरह का कोई भी ख्याल मैं अपने दिमाग़ से कोसों दूर झटक देना चाहता था।
टायलेट की तरफ जाते हुए मम्मी का बदन मेरे बदन से रगड़ खा रहा था और उनकी एक चूची मेरे चेहरे पर दवाब डाल रही थी। इस सब से मेरे हाथ एकदम ठंडे हो गए थे और कमर से नीचे खिसक कर उसके पिछवाड़े पर चला गया।
टायलेट में पहुँच कर मम्मी ने लाइट ऑन कर दी। तेज चमकदार रोशनी में वो बहुत खूबसूरत रही थीं। गोरा चेहरा, तीखे नाक नक्श, बिखरे बाल, बड़ी बड़ी नशे के कारण गुलाबी हुई आँखें, और थोड़ा फूला हुआ चेहरा कुल मिला के उनको खूबसूरत ही बना रहे थे।
उनकी साँसे बहुत तेज चल रही थीं, जिसके कारण उनकी ब्लाउज में क़ैद चूचियाँ तेज़ी से उठ-बैठ रही थीं।
उनने मेरी ओर देखा और मुस्कुराते हुए मुझसे पेशाब करने के लिए कहा। मैं थोड़ा हिचकिचाया और मम्मी की ओर देखा तो वो मुस्कुराते हुए आगे बढ़ी और मेरे पीछे आ कर मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और मेरे पजामा के नाड़े को खोल कर उसे नीचे कर मुझे पेशाब करने के लिए कहा।
मुझे बहुत शर्म आ रही थी मगर साथ ही साथ मैं धीरे-धीरे उत्तेजित भी हो रहा था क्योंकि मम्मी का मांसल बदन मेरी पीठ से चिपका हुआ था। मुझे महसूस हुआ कि उनकी चूचियाँ मेरी पीठ से चिपकी हुईं हैं और मेरे चूतड़ उनके मांसल जाँघों के बीच के गड्ढे में उसकी चूत के ऊपर चिपके हुए हैं।
मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरे लिए पेशाब करना बहुत मुश्किल हो चुका था।
मम्मी ने अपनी गर्दन को मेरे कंधे पर रखते हुए अपने गाल को मेरे चेहरे से सटा दिया और रगड़ते हुए बोलीं- क्या हुआ, क्या तुम्हें पेशाब नहीं आ रही है? करो, दिखाओ मुझे तुम कैसे पेशाब करते हो? मैंने तुम्हें चोदते हुए तो देखा ही है।
मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था और मेरा लंड अब अपनी पूरी औकात पर आ गया था। यानि कि 7 इंच लंबा हो गया था।
मेरे लंड को देखते हुए उनने कहा- कितना बड़ा डंडा है तुम्हारा ! तुम्हारी उम्र के लिहाज से तो बहुत बड़ा है, लेकिन बहुत अच्छा है।
इतना कहते हुए उनने अपने मुँह से चटखारे की आवाज़ निकाली जैसे कि खाने की कोई बहुत स्वादिष्ट चीज़ उसे मिल गई हो।
उनने मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया। मैंने इस से बचने की कोशिश की मगर कोई फायदा नहीं हुआ।
जब मैंने उनकी ओर पलट कर देखा तो उनने सीधा मेरे होंठों पर अपने गरम मुलायम होंठ रख दिए और अपनी जीभ को मेरे मुँह में पेलने की कोशिश की।
मुझे उनके मुँह से शराब का टेस्ट महसूस हुआ। मम्मी मेरे लंड को थोड़ी देर तक सहलाती रही फिर बोलीं- ठीक है, अगर तुम पेशाब नहीं करना चाहते तो कोई बात नहीं। मुझे पेशाब आ रही है।
इतना कहते हुए वो मेरे आगे आईं और अपने पेटीकोट को ऊपर उठा कर घुटनों को मोड़ कर वहीं पर बैठ गईं।
ओह ! कितना कामुक दृश्य मेरी आँखों के सामने था !
उनके खूबसूरत गोलाकार चूतड़ जो कि सफेद संगमरमर के जैसे थे और भूरे रंग की खाई के द्वारा को अलग-अलग बाटें हुए थे और जिनके बीच में सिकुड़ा हुआ छोटा सा भूरे रंग का छेद को देखते ही मेरी आँखें फैल गईं।
मेरा मुँह और गला दोनों ही सूख गए जब मैंने उनकी चूत को पीछे से देखा। उनकी पेशाब करने की शर्रस्शर्र…शर्रस्शर्र… की आवाज़ ने मुझे और भी अधिक उत्तेजित कर दिया था।
थोड़ी देर तक पेशाब करने और मुझे इस खूबसूरत और दिल को घायल कर देने वाला नज़ारा दिखाने के बाद वो उठीं और पेटीकोट को नीचे करके मेरी ओर देखते हुए प्यार से मुस्कुराते हुए बोलीं- बेटे, अगर तुम्हें पेशाब लगी है, तो तुम कर लो। मैं अपने कमरे में जा रही हूँ और वहीं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी।
इतना कह कर वो बाथरूम से निकल गईं।
मैं थोड़ी देर तक वहीं खड़ा सोचता रहा, इस बीच मेरा लंड थोड़ा ढीला हो गया था। इसलिए मैंने पेशाब कर ली और अपने लंड को धोकर बाथरूम से निकल कर जब मैं मम्मी के कमरे में पहुँचा तो मैंने देखा कि डबल बेड पर मम्मी तकिये के सहारे पीठ टिका कर बैठी थीं।
उनके सामने एक छोटी टेबल पर गिलास में ड्रिंक्स रखा हुआ था। उनने इस समय अपने बालों को संवार लिया था। उन्होंने पेटीकोट नाभि से नीचे बाँधा हुआ था जिसके कारण उनका गोरा मांसल पेट और नाभि दिख रही थी।
उनके ब्लाउज का आगे का एक बटन खुला हुआ था जिसके कारण उनकी चूचियाँ एकदम बाहर की ओर निकली हुई दिख रही थीं।
मैं धीमे क़दमों से चलते हुए उनके पास पहुँचा।
उनने मुझे बेड पर बैठने का इशारा करते हुए पूछा- क्या तुम लोगे?
मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप उनकी तरफ देखता रहा तो उनने एक दूसरे गिलास में शराब डाल दी और थोड़ा मुस्कुराते हुए बोलीं- लो पी लो, इसको लेने के बाद तुम अच्छा महसूस करोगे और फिर हम दोनों आराम से बात कर सकेंगे।
मैंने देखा कि जब वे खुद ही मुझे ड्रिंक्स ऑफर कर रही हैं तो मैंने उसे उठा लिया ओर एक ही साँस में पी गया।
उन्होंने भी अपने गिलास को खाली कर दिया और फिर मेरी तरफ घूम कर बोलीं- तुम ऐसा कब से कर रहे हो?
मैं चुप रहा।
“देखो, मैं तुम्हें डांट तो नहीं रही, मगर फिर भी मैं कुछ पूछना चाहती हूँ कि तुम ऐसा कैसे कर सकते हो? क्या तुम्हें डर नहीं लगा?”
मैंने थोड़ा बात को घुमाने के इरादे से हिम्मत करके जवाब दिया, “तुम क्या बात कर रही हो? मम्मी मैं चाहता हूँ कि तुम थोड़ा खुल कर बताओ।”
“मुझे आश्चर्य है कि तुम दोपहर की घटना को इतनी जल्दी भूल गए, फिर भी मैं तुम से खुल कर पूछती हूँ कि तुम ऐसा, यानि कि अपनी बहन को कब से चोद रहे हो?”
मुझे ड्रिंक्स और उनके खुले व्यवहार ने कुछ साहसी बना दिया था, लेकिन मैंने डरने और शर्माने का नाटक किया और हल्के से बुदबुदाते हुए ‘हाँ…हूँ’ बोल कर चुप हो गया।
वो मुझे से लगातार पूछ रही थीं, “बताओ मुझे! क्या तुम्हें ज़रा भी शरम नहीं महसूस नहीं हुई या पाप का अहसास नहीं हुआ? अपनी बहन को चोदते हुए!!
मैंने अपना सिर नीचे झुका लिया और कोई जवाब नहीं दिया।
मैं मन ही मन सोच रहा था कि ना तो वो मेरी सगी बहन है और ना ही वो औरत जो इस समय मुझसे सवाल जवाब कर रही है, वो मेरी सगी माँ है।
वो मुझे से लगातार पूछ रही थीं, “बताओ मुझे ! क्या तुम्हें ज़रा भी शर्म नहीं महसूस नहीं हुई या पाप का अहसास नहीं हुआ? अपनी बहन को चोदते हुए?”
मैंने अपना सिर नीचे झुका लिया और कोई जवाब नहीं दिया।
तब उनने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे चेहरे को कोमलता से अपने हाथों में लेकर मेरी आँखों में झाँकते हुए कहा- बेटे, मुझे विस्तार से बताओ तुम दोनों के बीच ये सब कैसे हुआ?
मैंने बड़े ही मासूमियत के साथ उनसे माफी माँगी और उनकी आँखों में झाँकते हुए उनसे वादा लिया कि वो नाराज़ नहीं होंगीं।
उनके बाद मैंने पूरी कहानी सुनाई:
यह लगभग 3 महीने पहले की बात है। जब एक दिन अचानक मेरी नींद रात के करीब 12 या 12:30 के आस-पास खुली। मैं बाथरूम जाने के लिए उठा। बाथरूम से जब मैं वापस लौट रहा था, तब मैंने देखा कि आपके कमरे की लाइट जल रही थी और डोर थोड़ा सा खुला हुआ था। मैं कमरे में घुस कर पर्दे के पीछे छिप गया और देखने लगा।
“मैंने देखा कि तुम केवल पेटीकोट में ही कमरे के बाहर आ गई हो और तुम्हारी छातियाँ पूरी तरह से नंगी थीं। तुम अपने बालों का जूड़ा बनाते हुए सीधा बाथरूम के अंदर घुस गईं।”
“तुम्हारे खूबसूरत और नग्न बदन को देख कर मेरे पैर जैसे ज़मीन में गड़ गए थे, मेरा मुँह सूख गया और मेरी रीढ़ की हड्डी में एक कंम्पन दौड़ गई। तुम्हारी छातियाँ बड़े ही कामुक अंदाज़ में हिल रही थीं। मैं दम साधे तुम्हें देखता रहा। तुम बिना बाथरूम का दरवाजा बंद किए अपने पेटीकोट को ऊपर उठा कर पेशाब करने बैठ गईं। पेशाब करने के बाद तुम सीधा अपने कमरे में गईं और दरवाज़ा बंद कर दिया।”
“मैं हिम्मत करके तुम्हारे कमरे की खिड़की के पास चला गया। पिताजी बिस्तर पर तकिये के सहारे नंगे लेटे हुए थे और सिगरेट पी रहे थे। उनका डंडा लटका हुआ और भीगा हुआ लग रहा था। तुमने पिताजी के पास पहुँच कर कुछ कहा और उनके हाथ से सिगरेट ले ली।”
“अपने पेटीकोट को खोल कर फेंक दिया और अपने एक पैर को उनके चेहरे की दूसरी तरफ डाल दिया, आपका एक पैर अभी भी ज़मीन पर ही था ऐसा करके अपनी चूत को पिताजी के मुँह से लगा दिया। उन्होंने तुम्हारे खूबसूरत चूतड़ों को अपने हाथों में भर लिया और तुम्हारी चूत को चाटने लगे।”
“तुम बहुत खुश लग रही थीं और अपने एक हाथ से अपनी चूचियों को मसलते हुए सिगरेट भी पी रही थीं। कुछ देर बाद तुमने सिगरेट फेंक दिया और नीचे झुक कर पिताजी के डंडे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं।”
“कुछ ही देर में उनका डंडा खड़ा हो गया। तुमने डंडे को चूसना बंद कर दिया और अपने दोनों पैर को फैला कर पिताजी के ऊपर बैठ गईं। उनके डंडे को अपने हाथों से पकड़ कर तुमने उसे अपनी भोसड़ी में घुसा लिया और उनके ऊपर उछलने लगी।”
“तुम्हारे दोनों गोरे मुलायम चूतड़ मुझे साफ़-साफ़ उचकते हुये दिख रहे थे और उनके बीच का भूरा छेद भी अच्छी तरह से नज़र आ रहा था। पिताजी का डंडा बहुत तेज़ी के साथ तुम्हारी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था और पीछे से तुम्हारी खूबसूरत चूत में घुसता हुआ पिताजी का डंडा मुझे भी दिख रहा था।”
“मैंने ब्लू फिल्मों के बाद पहली बार ऐसा दृश्य देखा था। मेरे जीवन का यह अद्भुत अनुभव था। यह इतना रोमांचित कर देने वाला और वासना भड़का देने वाला दृश्य था कि मैं बता नहीं सकता।”
“यह सब कुछ देख कर मेरे पैर काँपने लगे थे और मेरा डंडा एकदम से खड़ा हो गया था। मेरे लिए बर्दाश्त कर पाना संभव नहीं था। एक ओर पिताजी तुम्हारी खूबसूरत पपीतों को मसल रहे थे और दूसरी तरफ मैं भी अपने लंड को मसलने लगा।”
यह कहानी में मम्मी को सुनाते-सुनाते मैं पूरी तरह से गर्म हो चुका था इसलिए मैंने नंगे शब्दों का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। मैंने अपने लिए एक पैग और बनाया।
मुझे पैग बनाते देख कर मम्मी बोलीं- एक मेरा भी बनाना और सुनो वो सिगरेट की डिब्बी उठाना जरा!
मैंने डिब्बी उठा कर मम्मी को दे दी। उनने एक सिगरेट अपने होंठों में फंसाई और लाइटर से उनको बड़ी अदा से सुलगा कर मुझसे व्हिस्की का गिलास ले लिया, सिप भरते हुए मुझे आँख से इशारा किया किया आगे सुनाओ।
मतलब उनकी भी सुरसुरी बढ़ने लगी थी। मैंने भी गिलास को उठा कर अपने मुँह से लगा कर लम्बा घूँट भरा और फिर मम्मी के हाथ से सिगरेट मांगी। उन्होंने बगैर किसी विरोध के सिगरेट मेरी ओर बढ़ा दी। मैंने भी एक कश खींचा और अपना मुँह ऊपर करके धुँआ उड़ा दिया और मम्मी को उनकी ही चुदाई की कथा कामुक अंदाज में सुनाने लगा।
मुझे अब अपने हाथ से अपने लंड को सहलाने में भी कोई हिचक नहीं हो रही थी। सो मम्मी के सामने ही अपने लौड़े को सहलाने लगा। वे मेरी इस हरकत को देख कर अपने ब्लाउज को ऊपर से ही सहलाने लगीं।
मैंने आगे सुनाना शुरू किया, “मैं आप दोनों की चुदाई देख कर बहुत ही गर्म होने लगा था और तुम पिताजी को गालियाँ बक रही थीं कि ‘मादरचोद भडुए ! चोद जोर-जोर से चोद साले अगर मुझे मजा नहीं आया तो मैं तेरी गांड डिल्डो से मारूंगी !’
और पिताजी भी चिल्ला रहे थे- ले कुतिया, मेरा पूरा लंड खा साली ! लौड़े की कितनी प्यासी है। बहन की लौड़ी को हाथी का लंड चाहिए। एक दिन तुमको मैं 4 काले विदेशियों के बड़े-बड़े लंडों से चुदवाऊँगा। हरामजादी ले मेरा पानी निकलने वाला है। तू बता तेरा हुआ या और खाएगी?”
‘मम्मी !’ तुमने भी सिसकारते हुए कहा- ‘हफ..हफ.. ओ मैं भी बस हो जाऊँगी… लगा दे आखिरी धक्के मादरचोद.. ठंडी कर दे मेरी चूत की आग…’
और फिर तभी तुम दोनों एक साथ झड़ गए।
ये सब देखते-देखते कुछ ही देर में मेरे लंड से भी पानी निकल गया। मैं अपने लंड को हाथ में पकड़े हुए वापस अपने बिस्तर में आ गया।”
इतना सुनाने के बाद में चुप हो गया और उनकी आँखों में झाँकने लगा।
“ये तो तुमने मेरी कहानी मुझे सुना दी, मैंने तुमसे पूछा था कि तुम्हारी बहन और तुम्हारे बीच नाज़ायज़ संबंध कैसे बना? बेटे मुझे उनके बारे में बताओ, मैं वो सब जानने को बहुत उत्सुक हूँ।”
“ओह मम्मी आगे की कहानी बताने में मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा, मैं थोड़ी शर्म भी महसूस कर रहा हूँ।”
“तुम बहुत शैतान हो, तुम्हें अपने मम्मी-पापा की चुदाई की कहानी बताने में कोई शर्म नहीं आई। मगर अपनी बहन के साथ की गई बेशर्मी की कहानी सुनाने में तुम्हें शर्म आ रही है। तुम एक दुष्ट पापी पुत्र हो। अब तुमको यदि मेरे साथ शराब और सिगरेट पीने में शर्म नहीं आ रही है? और क्या मुझको मेरी चुदाई की कहानी में भरपूर गालियाँ सुना कर शर्म नहीं आ रही है? तो क्या मैं अब तुमको गालियाँ दूँ माँ के लौड़े !!!”
मम्मी को अब नशा हो चला था। उनके मुख से गालियाँ सुन कर मैं भौंचक्का था।
“नहीं मम्मी ऐसा नहीं हैं, चलो मैं शॉर्ट में तुम्हें बता दूँ कि …”
“नहीं मुझे सारी कहानी विस्तार से बताओ और पूरी तरह से खुल कर बताओ कि कैसे तुमने अपनी बहन के साथ इतना बडा पाप किया। तुम्हें जब ऐसा करने में कोई शर्म नहीं आई तो फिर मुझे उस पाप की कहानी बताने में क्यों शर्म आ रही है?”
मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं था।
मैंने जब देखा कि मम्मी भी अब खुलने को आतुर हैं तो मैंने भी ठान लिया कि अब इनको सोनू की चुदाई की लीला सुना ही दूँ और मुझे दो पैग पीने के बाद नशा और मस्ती सी चढ़ने लगी थी। सो मैंने एक सिगरेट और सुलगाई और कश लेकर अपना लंड सहलाया और मम्मी से कहा- ओके ! अब आप सुनो !
और मैं सब कुछ बताने लगा:
“कमरे में मैंने देखा कि सोनिया गहरी नींद में सोई हुई थी और उसका नाइट-गाउन अस्त-व्यस्त हो गया था, उसकी खूबसूरत मांसल जाँघें और पैंटी में ढकी हुई उसकी गुलाबी बुर दिख रही थी। मैं उसके पास आकर उसके जाँघों पर हाथ फेरने लगा और उसकी पैंटी को ध्यान से देखने लगा।”
“उसकी पैंटी उसके चूत पर कसी हुई थी और ध्यान से देखने पर उसकी चूत की फांकें स्पष्ट दिख रही थीं। मेरा दिल कर रहा था कि मैं हाथ बढ़ा कर उसकी चूत को छू लूँ। मैंने उसके चेहरे की ओर एक बार ध्यान से देखा कि हो सकता है, वो जाँघों पर हाथ फेरने से जाग गई हो। मगर सोनू अब भी गहरी नींद में सो रही थी और उसकी चूचियाँ बहुत उभरी हुई सीधी तनी हुई दिख रही थीं और उसके साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं।”
“उसके नाइट्गाउन के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे और गोरी मुलायम चूचियाँ का ऊपरी भाग फ्लौरेसेंट लाइट की रोशनी में चमक रहे थे और मुझे अपनी ओर आमंत्रित कर रहे थे। वासना की आग में मैं अब अँधा हो चुका था। बहन की उभरी हुई चूचियों को देख कर मेरे हाथ बेकाबू होने लगे और मैं हाथ बढ़ा कर उन्हें हल्के-हल्के दबाने लगा। फिर मैंने धीरे से नाइट गाउन के सारे बटन खोल दिए और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके संतरों को दबाने और चूमने लगा।”
“मुझे अब ज़रा भी होश नहीं था ना ही मैं डर रहा था कि बहन जाग जाएगी। तभी बहन ने अपनी आँखें खोल दीं। मैं थोड़ा सा डरा मगर मैंने अपने हाथों को उसकी चूचियों पर से नहीं हटाया था। बहन ने अपनी आँखें खोल कर मुझे देखा और मुस्कुराते हुए मेरे सिर के पीछे अपने हाथों को रख कर मेरे होंठों को चूम लिया।”
“मुझे थोड़ा आश्चर्य तो हुआ पर तभी सिस्टर ने कहा कि ‘भाई क्या तुम मम्मी-पापा की चुदाई देख कर आ रहे हो?’
“सोनिया के ऐसे पूछने पर मैं चौंक गया और मैंने पूछा कि तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है?”
“वो इसलिए भाई क्योंकि तुम इतने ज्यादा उत्तेजित पहली बार लग रहे हो, मैं भी इतना ही उत्तेजित हो जाती थी जब मैं मम्मी पापा की चुदाई देख कर आती थी।”
“ओह सिस्टर, इसका मतलब है कि तुमने भी मम्मी और पापा की चुदाई देख…”
“यस ब्रदर, मैंने कई बार मम्मी-पापा का खेल देखा है और हर बार मैं उतना ही उत्तेजित हो जाती थी जितना आज तुम महसूस कर रहे हो। मगर मेरे पास बाथरूम में जाकर, उंगली या बैंगन से करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता था।”
“पापा जब भी यहाँ होते हैं, वो दोनों हमेशा आपस में प्यार करते हैं और खुल कर चुदाई करते हैं। मैंने उन दोनों का खेल बहुत बार देखा है इसलिए मैं अब तभी देखने जाती हूँ, जब पापा कुछ दिनों के छुट्टी के बाद घर वापस आते हैं। उस समय पापा बहुत भूखे होते हैं और वो और मम्मी दोनों मिल कर बहुत जबरदस्त चुदाई करते हैं।”
“वाओ सोनू, इसका मतलब तुम बहुत दिनों से मम्मी-पापा की चुदाई देख रही हो और यह भी जानती हो, किस दिन सबसे अच्छी चुदाई देखने को मिल सकती है। मगर उसके बाद तुम बैंगन का इस्तेमाल क्यों करती हो? क्या तुम्हारे मन में किसी आदमी के डंडे का उपयोग करने की इच्छा नहीं हुई?”
“भाई, मेरा तो बहुत मन करता था मगर मेरे पास कोई रास्ता नहीं था। क्योंकि मेरी सहेली तनीषा ने मुझे पहले ही बता दिया था कि बाहर के लड़कों के साथ बहुत सारे ख़तरे होते हैं फिर हमारा गर्ल्स स्कूल होने के कारण कोई बॉय-फ्रेंड बनाना बहुत ही मुश्किल हो गया था।”
“ओह सोनू मैं सच कह रहा हूँ आज के पहले मैंने ऐसा मजेदार खेल केवल ब्लू-फिल्मों में ही देखा था। यह मेरे जीवन की पहली घटना है और इसने मुझे बहुत ही रोमांचित और उत्तेजित कर दिया है, इसलिए कमरे में आते ही जब मैंने तुम्हारी नंगी जाँघें और पैंटी देखी तो मैं बेकाबू हो गया और तुम्हारी चूचियाँ दबाने लगा।”
“ओह भाई, मैं समझ सकती हूँ कि तुम बहुत गर्म हो गए होगे, तभी तुमने ऐसी हरकत की हैं। मैं देखना चाहूँगी कि तुम कितने बड़े हो गए हो।”
यह कह कर मेरी बहन उठ कर बैठ गई और उसने मेरे पजामे को खोल दिया और मेरा लंड, जैसा कि मम्मी तुम देख ही चुकी हो 7 इंच का है और उस समय पूरी तरह से खड़ा था। सोनू ने मुझको नंगा कर दिया। लंड फनफनाते हुए बाहर निकल आया। इसको देख कर सोनू के मुँह से एक किलकारी निकल गई।
वो मुस्कुराते हुए बोली, “बहुत प्यारा है भाई तुम्हारा लंड और काफ़ी बड़ा भी है, तुम्हारे लंड को देख कर मुझे लग रहा है कि तुम बहुत बड़े हो गए हो।”
फिर बहन नीचे झुक कर मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरे लिए यह पहला और अनोखा अनुभव था। मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी और गुदगुदी भी हो रही थी। मैंने उसके मुँह से लंड को बाहर खींचने की कोशिश की मगर बहन ने लंड के सुपारे को मुँह में भर कर चूसना जारी रखा हुआ था।
यह बड़ा ही आनन्ददायक क्षण था मेरे लिए, पहली बार मैं अपने लंड को चुसवा रहा था और वो भी मेरी प्यारी गुड़िया सी बहन के द्वारा, “ओह सोनू मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और मैंने ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया है।”
वो मेरे लौड़े को चचोरते हुए बोलती जा रही थी- चेतन मेरे भाई, तुम्हारा लंड सच में बहुत ही मजेदार है और मुझे चूसने में बहुत अच्छा लग रहा है। तुम्हारे इस खडे लंड को देखने और चूसने से मेरी पैंटी गीली महसूस हो रही है।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और लग रहा था कि मेरा फिर दुबारा से निकल जाएगा।
सोनिया बोली- मेरे भाई, तुम्हारा लंड सच में बहुत ही मजेदार है और मुझे चूसने में बहुत अच्छा लग रहा है। तुम्हारे इस खड़े लंड को देखने और चूसने से मेरी पैंटी गीली महसूस हो रही है।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और लग रहा था कि मेरा फिर दुबारा से निकल जाएगा। इसलिए मैंने सोनिया के बालों को पकड़ कर उसके मुँह को अपने लंड पर से हटा कर ऊपर उठा दिया और उसके होंठों पर को चूम लिया। बहन ने भी बहुत प्यार से मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच दबा लिया और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल दिया। हम दोनों करीब पाँच सात मिनट तक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।
कुछ देर बाद सोनू ने अपना चेहरा मेरे से अलग किया और बोली- ओह भाई यह बहुत ही रोमांचक है कि हम दोनों को इस तरह का मौका मिला, तुम और मैं अपनी चुदाई की आग को शांत करने के लिए दोनों जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करते हैं।










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