Monday, August 6, 2018

FUN-MAZA-MASTI मेरी बहन और मेरी उत्तेजना-5

FUN-MAZA-MASTI


मेरी बहन और मेरी उत्तेजना-5


 ‘फ़चाफॅच’ का मादक संगीत सोनिया को चोदने पर नहीं निकलता था। हम दोनों अब पूरी तरह से मदहोश होकर मज़े की दुनिया में उतर चुके थे।
मैं नीचे से अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर उनकी चूचियों को दबाते हुए धक्का लगा रहा था। उनकी चूचियाँ एकदम कठोर हो गई थीं और निप्पल एकदम नुकीले।
मेरी मम्मी के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी थीं। वो सिसकते हुए बोल रही थीं “ओह बेटे, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हाँ हाँ, इसी तरह से ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ नीचे से, अपनी मम्मी की मदद करो चुदने में, इसी तरह से पेलो मादरचोद लंड को, इसी प्रकार से चोदो मुझे।”
“आह, सीईईई, मम्मी तुम्हारी चूत कितनी गर्म है, ओह मम्मी, लो अपनी चूत में मेरे लंड को, ऐसे ही लो, देखो ये लो मेरा लंड अपनी चूत में, मेरी सेक्सी मम्मी, बताओ मेरे लंड से चुदने में तुम्हें कैसा लग रहा है? क्या मेरा लौड़ा मजेदार हैं, डैडी से अच्छा है?”
हम दोनों की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी और ऐसा लग रहा था कि किसी भी पल मेरे लौड़े से गरम लावा निकल पड़ेगा।
“ओह, सीईईईई, तेरा लंड तेरे डैडी से भी ज्यादा मज़ा दे रहा है, और शायद मैं अपने ही बेटे के लंड को अपनी चूत में ले रही हूँ। इस बात ने मुझे अधिक उत्तेजित कर दिया है, पर जो भी हो मुझे मज़ा आ रहा है। साले मादरचोद तुझको भी तो मज़ा आ रहा होगा? और ज़ोर से पेल अपने लंड से मुझे, बहन की बुर चोदने वाले साले भड़ुए हरामी, और ज़ोर से मार, अपना पूरा लंड अपनी मम्मी की चूत में घुसा कर चोद।”
मुझे लगा कि मम्मी अब थक गई हैं इसलिए मैंने उसे अपनी बाँहो में कस लिया और उसे धक्का लगाने से रोकते हुए पलटने की कोशिश की। मम्मी मेरे मन की बात समझ गईं और उन्होंने मेरा साथ दिया। अब मम्मी नीचे थीं और मैं उनके ऊपर।
मैं और ज़ोर-ज़ोर से धक्का मारने लगा। केवल यह सोचने मात्र से कि मैं अपनी मम्मी को चोद रहा हूँ मेरे लंड को मोटाई शायद बढ़ गई थी और मैं अपने आप को बहुत ज्यादा उत्तेजित महसूस कर रहा था।
लंड को उनके चूत की तह तक पेलते हुए मैं अपने पेडू से उनकी चूत के भगनासे को भी रगड़ रहा था। मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से उनकी गीली चूत में पेल देता, मम्मी की चूचियों को दबाते हुए उनके चूतड़ों पर हाथ फेरते और मसलते हुए मैं बहुत तेज़ी के साथ उसे चोद रहा था।
मम्मी अब नीचे से अपनी पिछाड़ी को हवा में उछालते हुए अपने चूतड़ों को नचा-नचा कर मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसिया रही थीं “ओह चोद माँ के लौड़े, और ज़ोर से चोद, ओह मेरे चुद्दकड़ बेटे, सीईईई हरामजादे, और ज़ोर से पेल मेरी चूत को, ओह ओह सीईई बेटीचोद भी बनेगा तू एक ना एक दिन, सी ई हरामी बहन के लौड़े, बहन के यार, मादरचोद, ज़ोर-ज़ोर पेल लंड और चोद, मेरा अब निकल रहा हाईईई ओह सीईई भोसड़ी वाले सीईईई’ कहते हुए अपने दांतों को पीसते हुए और चूतड़ों को उचकाते हुए वो झड़ने लगीं।
मैं भी झड़ने वाला ही था इसलिए चिल्ला कर बड़बड़ाया, “साली छिनाल कुतिया, लण्डखोर, मम्मी, तेरी मम्मी को चोदूँ आह सीईईसीईई मेरा भी निकलेगा अब, ज़रा इन्तजारर कार्रररओ स्साली लिइईई” मगर तभी मेरे लंड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
ऐसा जबरदस्त अहसास सोनिया को पहली बार चोदने पर हुआ था। रात भी बहुत हो चुकी थी और इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद हम दोनों में से किसी को होश नहीं था।
मैं मम्मी के ऊपर से लुढ़क कर उनके बगल में लेट गया। मम्मी भी अपनी आँखों को बंद किए अपनी साँसों को संभालने में लगी हुई थीं। कुछ ही देर में हमारी आंख लग गई और फिर सुबह जब मैं उठा तो उनको देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मेरी अच्छी सुमीना, हाँ उनका नाम सुमीना था। और अपनी चूत में शराब की बोतल घुसेड़ कर अपने दोनों पैरों को फैला का चित्त लेटी हुई सो रही थीं।
मादरचोदी बहुत बड़ी चुदक्कड़ थी। उनके मम्मे एकदम कठोर ऊपर की तरफ ताजमहल के गुम्बद से खड़े थे। रात को हैंग ओवर के कारण मेरा सर दर्द सा कर रहा था।
मैंने देखा कि फ्रिज में दूसरी बोतल थी। बोतल खोली और नीट ही तीन लम्बी घूँट मारे। अब मुझे मुँह कड़वा सा लगा तो मैंने सिगरेट की डिब्बी से एक सिगरेट सुलगाई और अपने लंड को हिलाने लगा।
साली सुमीना की चूत में फंसी बोतल बड़ी सेक्सी लग रही थी। मैंने साथ लगे बाथरूम में जाकर फ्रेश होने के बाद ही कुछ करने की सोची। कुछ समय में मैं फ्रेश होकर आया।
अब व्हिस्की का सुरूर भी चढ़ने लगा था। मैंने आगे बढ़ कर सुमीना की चूत में से बोतल निकाली। बोतल भी ‘पक्क’ की आवाज से बाहर निकली। मुझे बहुत नशा सा छा रहा था। एक सिगरेट और जला के। मैंने उनकी चूत में उंगली डाल कर मजा लेने लगा, तभी सुमीना की नींद खुल गई।
मुझे उंगली करते देख कर वो सिसकारने लगी, बोली- मादरचोद, सुबह से ही चुदाई के मूड में दिख रहा हैं भड़वे। उधर तेरी बहन की चूत खाली नहीं थी, जो इधर मम्मी चोदने आ गया।
मैं भी सुरूर में था, सो कह दिया, “साली छिनाल, तेरी चूत में जो दम है, वो उस कुतिया में किधर है!
और यह कहते हुये मैंने सुमीना की चूत में अपनी उंगली जल्दी-जल्दी अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।
सुमीना की सिसिआहट तेज होने लगी, “उ ओ क्या कर रहा हैं मा.. दरर..चोद?…ल.ला सिगरेट इधर दे हरामी, एक सुट्टा मुझे भी लगाने दे मेरे चिकने भड़वे।”
मैंने अपना लौड़ा उनके मुँह में लगा दिया। सुमीना ने भी सिगरेट का एक गहरा कश लेकर धुंआ मेरे लंड के टोपे पर छोड़ते हुए टोपे पर अपनी जुबान फेरनी शुरू कर दी।
“हाय मेरे चुदक्कड़ लौड़े, तेरा लंड है या मूसल ! मेरे भोसड़े को ऐसे लौड़े की ही जरूरत थी। तेरे बाप का लंड भी अब थक चुका है। माँ का लौड़ा किसी काम का नहीं बचा।”
मैंने उनकी चुक?ुक को मसलते हुए पूछा- हाय मेरी जान सच-सच बताना, अपने खसम के अलावा कितने लौड़े चचोर चुकी हो?
मादरचोदी ने मेरी आखों में आँखें डाल कर नशीले अंदाज में कहा- कभी गिनती नहीं की मेरे चिकने लंड, पर मुझे तेरे लंड पर नजर बहुत दिन से थी। बहुत देर से पकड़ में आया है।
“हा हा हा… मेरी नौकरानी तेरे ऊपर बहुत दिन से नजर लगाए बैठी थी। आज जब तूने अपनी बहन की चूत में लंड घुसेड़ा उसी समय उसने मुझको फोन कर दिया था। हा हा हा..ले अब तू भी पी ले सिगरेट और जल्दी से मेरी खाज मिटा। मैं तुझको बहुत सी चूतें दिला दूँगी मेरे चिकने भड़वे।”
मुझे भी आग लग चुकी थी। मैंने भी सोचा कि अभी तो लंड का पानी निकालना है। इसकी और दूसरी चूतें बाद में मारूँगा। उसको सीधा लिटा कर उसकी चूत के मुँह पर अपना हथियार लगाया और घचाक से पूरा लौड़ा सुमीना की चूत में खो गया। सुमीना की हल्की सी चीख निकली, “ओ ओ ईई मादरचोद क्या फाड़ना है मेरी चूत? साले जरा धीरे-धीरे चोद। इतना तेज तो तेरे दादा ने नहीं चोदा था मुझे।
मैं सुन कर मन में सोचने लगा कि ‘हैं?’ इस कुतिया ने अपने दूसरे खसम के बाप का भी लंड खाया है।
मेरे लौड़े को अब सेक्स ने इतना घेर लिया था कि धकाधक उसकी चूत को रगड़ने में जुट गया।
करीब बीस मिनट उसको जबरदस्त तरीके से रगड़ कर जैसे ही झड़ने की हुआ, तभी सुमीना बोली, “अबे अंदर मत झड़ना अभी जरा रुक, मैं तुझको बताती हूँ कि क्या करना है?” और इतना कह कर…
मेरे लौड़े को अब सेक्स ने इतना घेर लिया था कि धकाधक उसकी चूत को रगड़ने में जुट गया।
करीब बीस मिनट उसको जबरदस्त तरीके से रगड़ कर जैसे ही झड़ने की हुआ, तभी सुमीना बोली, “अबे… अंदर मत झड़ना अभी जरा रुक, मैं तुझको बताती हूँ कि क्या करना है?”
और इतना कह कर उसने मुझसे कहा- लौड़े को अंदर डाले-डाले ही मेरे लिए एक पैग बना, और एक सिगरेट भी सुलगा।
मैंने उसके ऊपर चढ़े-चढ़े गिलास में व्हिस्की डाली और सोड़े की बोतल खोल कर उसमें थोड़ा सोड़ा मिलाया और उसको देने लगा तो वो बोली- अभी रख दे, पहले सिगरेट जला।
मैंने सिगरेट जलाई और खुद एक कश लगा कर उसकी चूत में और जोर से धक्का मारा।
वो किलकारी मार कर बोली- हाय मेरे राजकुमार चोद और जोर से चोद और अपने लौड़े का पानी मेरे नाश्ते के वास्ते रखना और अब चालू हो जा… झड़ने तक रुकना मत कुत्ते।
मैंने उसको सिगरेट दी और अपने दोनों हाथों से उसके दोनों कबूतर पकड़े और धक्कों की रेलम-पेल लगा दी और एक तेज आवाज के साथ मेरे लौड़े ने अपना लावा उगलने को तैयारी कर ली थी।
मैंने लंड खींचा और सुमीना के खुले मुँह में ठूंस दिया। यह कहानी आप अन्तर्वास ना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
‘आह…आह…’ करते हुए मेरा पूरा पानी झटके से पिचकारी छोड़ते हुये सुमीना के मुँह में नाश्ता बन कर जा रहा था और हरामजादी गड़प-गड़प करके पूरा माल निगल रही थी।
उसने मेरा पूरा हथियार अपने मुँह में खा लिया था और पूरा माल गटकने के बाद लौड़े को चाट-चाट कर साफ़ करके दारू का गिलास उठाया और एक झटके में पूरा गिलास पी गई।
उसका चेहरा तमतमा रहा था। सिगरेट के कश खींच कर ढेर सा धुआँ बाहर छोड़ा। उसके मुख पर तृप्ति के भाव आए जैसे बिल्ली ने ढेर सारी मलाई चाटी हो।
मैं भी निढाल हो कर चित्त पड़ा था और सुमीना सिगरेट के छल्ले उड़ा रही थी। उसने एक लार्ज पैग और बनाया और नीट ही खींच गई। उसकी दारू पीने की क्षमता वास्तव में बहुत थी।
उसकी आँखें लाल डोरे से भरी थीं, मैंने उसको ठकठकाया- दादा के लंड को कब खा लिया था तुमने?
बोली- एक लम्बी कहानी है, तुझको सुनाऊँगी जरूर। उसके लंड के बाद मुझे तेरा लौड़ा ही दमदार मिला मेरे चिकने भड़वे। चल जा और अब अपनी छिनाल बहन को उठा कर ला। आज उसको भी सुबह से दारु ही पिलाऊँगी।
मैंने कहा- हाँ, बियर तो वो पीती है पर व्हिस्की की नहीं मालूम पीती है कि नहीं?
मैं अपने कपड़े पहनने लगा तो सुमीना ने सिगरेट का धुंआ उड़ाते हुए खिलखिला कर बोला- क्यों बे भड़वे? उसको लंड दिखाने में क्या तेरी गांड फटती है। इधर आ मादरचोद में तेरे डंडे को पूरा खड़ा कर दूँ और तू फिर अपना खड़ा लौड़ा ले कर जाना। उसको जगा कर कहना कि चल तुझे तेरी माँ बुला रही है, चुदने के लिए। हा हा हा।
मैं उत्तेजित हो उठा कि अब ये साली मेरी बहन को भी मुझसे खुद के सामने चुदवाने का इरादा रखती है।
मैं उठा और उसके पास गया सुमीना ने मेरे लौड़े को लगभग खींचते हुये अपने मुँह में ले लिया और चपर-चपर करके चूसने लगी।
सिगरेट पी कर धुंआ मेरे लौड़े को सुंघाती रही। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मेरा हथियार मूसल की तरह खड़ा हो चुका था।
“अब जा मेरे चिकने भड़वे, जाकर अपनी उस छिनाल बहन को जगा कर ला, और सुन जैसे तू नंगा जा रहा है न, वैसे ही नंगा करके लाना उसको भी। जा मादरचोद अब फूट ले।
मैंने भी बड़े प्यार से हँस कर उस की चूची को एक बार जोर से भींचा और बहन के कमरे की तरफ अपना मूसल छाप लौड़ा हिलाते हुए चल दिया।
मैंने भी उसको पूरे मन से चोदने का मूड बना लिया था। दारु का सुरूर तो था ही। मेरे कमरे का दरवाजा खुला था।
मैंने अंदर जा कर देखा कि सोनू सो रही थी और उसकी नाईटी ऊपर को चढ़ी होने से उसकी गोरी-गोरी जाँघें अपनी मस्ती बिखेर रही थीं।
मैंने उसकी जाँघों को सहलाया और उसकी एक चूची को हौले से दबा कर उसको आवाज दी- सोनिया उठ !
वो बेसुध सो रही थी, दो-तीन बार आवाज देने पर वो जरा कुनमुनाई, तो मैंने उसके हाथ में अपना खड़ा लंड पकड़ा दिया।
अब वो जरा चौंकी, और उसने अपनी मस्त आँखें खोलीं, जैसे ही उसने मुझे नंगा देखा, एकदम से उठ कर बैठ गई।
बोली- भाई तुमको क्या हो गया है? कल की बात भूल गए क्या? और मम्मी किधर हैं? अभी उन्होंने देख लिया तो बवाल हो जाएगा।
मैंने कहा- अब कुछ नहीं होगा मेरी जान ! तू जल्दी से उठ और अपने कपड़े उतार, तुझे मैं मम्मी के सामने ही चोदूँगा और साली वो कुतिया सुमीना कुछ नहीं बोलेगी।
जैसे ही मैंने सुमीना कहा, उसकी आँखें हैरत से फट पड़ीं- क्या तू मम्मी का नाम लेता है, साले क्या हो गया तुझको?
मैंने कहा- तू उठ तो और जरा मेरे साथ चल तुझे सुमीना ने नंगा करके लाने को कहा है।
सोनिया ने जैसे ही यह सुना, उसकी गांड फट गई, वो डर गई और बोली- क्या हुआ? मुझे पहले बताओ न !
मैंने कहा- उसने कहा है कि उसको नंगा करके मेरे सामने लाओ। बस इस से आगे मैं तुमको कुछ नहीं बता सकता हूँ। अब तुम उठो नहीं तो वो कुतिया अभी आवाज देने ही वाली होगी।
मेरा इतना कहना था कि उसकी आवाज आ गई।
“किधर मर गया साला, अभी तक नहीं उठा पाया? क्या मैं आऊँ? सर के बाल पकड़ कर खींचती हुई लाऊँगी तुम दोनों को। जल्दी आओ !!”
सोनिया तो थर-थर काँपने लगी थी। जल्दी से उठ कर मेरे साथ चलने को हुई तो मैंने उसको फिर कहा अपने कपड़े उतारो।
वो कुछ कहती, मैंने एक झटके में उसकी नाईटी उतार कर फेंक दी। नीचे वो सिर्फ एक थोंग पहने हुई थी।
बड़ी हसीन माल लग रही थी, 34 साइज़ के उसके गुलाबी दूद्दू और लाल-लाल निप्पल तने से खड़े थे। मन तो हुआ कि यहीं दबोच लूँ।
पर अभी पूरा सर्कस बाकी था तो यह सोच कर मैंने भी कुछ नहीं किया और एक झटके उसकी चड्डी (थोंग) को खींच कर फाड़ दिया।
अब वो मेरे तरह नंगी थी। उसको नंगे होने से ज्यादा डर सुमीना का लग रहा था, वो चलने को तैयार ही नहीं दिख रही थी। मैं जबरन उसको अपनी गोद मैं उठाया और चल पड़ा सुमीना के कमरे की तरफ।
सोनिया की चूची मेरे मुँह के पास थी। मैंने दबा लिया उसके एक निप्पल को अपने होंठों से और चुभलाने लगा।
सोनिया कुछ नहीं बोल रही थी। मैं मम्मी के रूम में पहुँचा और सोनिया को उनके बिस्तर पर उतार दिया।
सोनिया ने जैसे ही मम्मी को नंगा अपनी चूत फैलाए सोफे पर बैठा देखा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी।
तभी सुमीना ने उसको बोला- ऐसे क्या देख रही है, साली कुतिया, क्या कभी खुद को नंगा नहीं देखा बहन की लौड़ी।
अब जब उसने सुमीना को गाली बकते सुना तो सोनिया की गांड फट गई। वो सहम कर…
सोनिया ने जैसे ही मम्मी को नंगी अपनी चूत फैलाए सोफे पर बैठा देखा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी।
तभी सुमीना ने उसको बोला- ऐसे क्या देख रही है साली कुतिया ! क्या कभी खुद को नंगी नहीं देखा बहन की लौड़ी?
अब जब उसने सुमीना को गाली बकते सुना तो सोनिया की गांड फट गई। वो सहम कर लेकिन बगैर डर के मम्मी की चूचियों को निहारने लगी, जिनको उसकी मम्मी अपने हाथों से मसल रही थीं और एक हाथ से सिगरेट का मजा ले रहीं थीं।
तभी सुमीना ने मुझ को इशारा किया, मैं जल्दी से उनके पास गया तो उन्होंने मेरे लौड़े को पकड़ कर अपने मुँह में गप से रख लिया और एक बार पूरा अंदर ले कर चूसा।
फिर लंड को निकाल कर सोनिया से बोली- चल इधर आ छिनाल मेरी चूत चाटने को बुलाया है तुझको, आ इधर आ हरामिन।
अब सोनिया सब कुछ समझ चुकी थी और तनिक मुस्कुरा कर उठी और मस्त सी अदा से मम्मी की चूत के पास आई।
मम्मी ने उसकी सख्त चूची को टटोला तो बोल पड़ीं, “वाह क्या माल है तू ! साली कितनों से चुद चुकी अभी तक?”
“ऊहुहूं मम्मी कैसी बात करती हो? मुझे शर्म आती है, मत पूछो न !”
मम्मी ने हँस कर कहा- अच्छा तो तुझको शर्म भी आती है, ले तेरी आज पूरी शर्म ख़त्म कर देती हूँ मैं। आज तू मेरे सामने अपने इस चोदू भैया का लवड़ा चचोर मेरी कुतिया।
और उसने मेरा लंड सोनिया के मुँह में लगा दिया और कहा- चूस हरामजादी और जब तक मैं तेरे लिए एक पैग बनाती हूँ दारू तो पीती है न? ले पी ले और इससे तेरी शर्म मेरी चूत में घुस जाएगी।
उसने दारू का गिलास बना कर सोनिया के होंठों से लगा दिया, और कमाल की बात थी कि सोनिया ने भी बड़ी अदा से दारू का एक बड़ा सा घूँट लिया और फिर मेरे लवड़े को अपने मुँह में भर लिया।
मुझे खूब मजा आ रहा था। दोनों माँ-बेटी मिल कर मुझसे नंगी होकर चुदने की कथा रच रही थीं।
सोनिया ने एक हाथ से लंड को सहलाया और दूसरे हाथ से सुमीना की चूत में उंगली डाल दी। मम्मी को मजा आने लगा उसने भी अपनी चूत फैला दी ताकि सोनिया मजे से उसकी चूत में भी सुरसुरी करती रहे।
दारू का गिलास सोनिया के मुँह से टिका दिया जिसे मेरी छिनाल बहन ने अपने हाथ में लेकर एक बार में पूरा गटक लिया और मस्ती में आ गई।
अब उसे किसी बात का भय ही नहीं रहा था सो उसने मम्मी से कहा- यार सुमीना, एक सिगरेट जला दो मेरे लिए।
सुमीना बोली- गुड सोनिया, तूने मुझे अपना यार बना लिया और सुन बे मादरचोद, मेरे चिकने भड़वे तू भी अब मुझे सुमीना ही कहना। मेरी जवानी को मम्मी कह कर ख़राब मत करना।
उसने सिगरेट जला कर सोनिया को दी, सोनिया ने बड़े ही सेक्सी अंदाज से सिगरेट को अपने होंठों में फंसाया और एक बड़ा सा कश लिया।
मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में आ गया हूँ। मेरा लौड़ा भी अब हाहाकार मचा रहा था।
मैंने रात की कसर निकालने की सोची और सोनिया को कहा- चल रानी अब घोड़ी बन जा तू दारू और सिगरेट मजा ले और मुझे तेरी चूत का बजा बजाने दे।
सुमीना बोली- हाँ ठीक है सोनिया तू एक काम कर मेरी चूत को चाट और दारू और सिगरेट के मजे ले। इसमें तीनों को गुड फील होगा।
वो दारू का गिलास फिर से भरने लगी तो मैंने कहा- अबे यार सुमीना तू अकेले इस को ही पिलाओगी? मेरा भी ध्यान रखो, एक नीट मेरे लिए भी बना दो।
सुमीना ने तीनों के गिलास बनाए। सोनिया ने सिगरेट मेरी तरफ बढ़ा दी, बोली- चल बे कुत्ते लगा सुट्टा और घुसेड़ अपने लौड़े को मेरी बुर में। इस माँ की लौड़ी सुमीना के चक्कर में रात को मेरी चूत को तेरे हथियार का पानी ही नहीं मिला था।
इस पर सुमीना गुर्राई- अच्छा साली छिनाल, मुझे गाली बकती है, तेरी चूत के चीथड़े न उड़वा दूँ तो कहना? मेरे पास बहुत बड़े-बड़े हल्लबी लंड हैं। मैं तो सोच रही थी कि तुझको घर में ही मजा लेने की छूट दूँ, पर मुझे लगता है तेरी चूत का बाजा बजवाना पड़ेगा। तुझ से तो मोटी कमाई भी हो जाएगी मेरी कट्टो। चल लगा, मेरे भोसड़े में अपना मुँह।
यह कहते हुए सुमीना ने सोनिया के बाल पकड़ कर उसके मुँह को अपनी चूत पर लगा दिया। सोनिया ने भी अपनी जीभ की नोक से सुमीना की क्लिट को चाटना शुरू कर दिया।
“आ आह आ… बढ़िया.. चूस और जरा जो..रर से चूस मेरी कट्टो।”
इधर मैंने भी सोनिया की चूत में अपना लंड लगाया और एक जोरदार धक्का लगा कर एक बार में ही अपना लंड आधे से ज्यादा उसकी गुलाबी चूत में पेल दिया।
“आ आ आईईईईया मा र दिया भाई तू तो मेरी चूत को माँ का भोसड़ा समझ कर ठूँस रहा है। अभी मेरी चूत को इतने जोर के धक्के खाने की आदत नहीं है। जरा धीरे से पेल राजा और बजा दे मेरी मुनिया का बाजा। आ हा आ।”
सुमीना अपनी चूत को चुसवाने में लीन और बहिनया अपनी मुनिया बजवाने में मस्त और मैं अपनी मस्ती में धकाधक अपने लंड-गाड़ी को दौड़ाए जा रहा था, पूरा झुक कर सोनिया की चूत चोदने में लगा था और सिगरेट को रख कर मैंने दोनों हाथों से सोनिया के लटकते आमों को पकड़ कर मसकना शुरू किया तो सोनिया सिसयाने लगी “उउउउ ओ मेरे चोदू भाई मसल मेरे निप्पललल मसललल आहा बड़ा मजजा आ रहा है।”
“इधर इस कोठे वाली सुमीना की चूत का पानी और उधर दारू का मजा साथ में सिगरेट के छल्ले और पीछे से तेरे लंड से मेरी चूत की बल्ले बल्ले।”
“आज की सुबह तो मेरे जिन्दगी की सबसे मजेदार सुबह हुई है लगा और जोर से धक्के और पिला दे मेरी मुनिया को अपना पानी। मर जाऊंगी आ ह लगा लगा।”
मैं भी उसकी मस्त बातों का रस लेकर उसकी एक चूची छोड़ कर सुमीना का एक पपीता पकड़ कर भींचने लगा। सुमीना भी मस्ती में थी और साली दारू के नशे ने तीनों को धुत्त कर दिया था।
अब सोनिया झड़ने लगी थी सो वो बोली- मैं तो गई भाई अब तू सुमीना की चूत बजा ले और सुन जब तेरा पानी निकले तो मुझको पीना है, मुझे ही पिलाना साले। इस माँ की लौड़ी के भोसड़े में न डाल देना। हा आअआ हफफ ईगई ईईई।”
सुमीना ने जल्दी से सोनिया को धक्का दिया और मेरा लंड अपनी चूत में फिट कर लिया। मुझे सुमीना की इस हरकत से बड़ा मजा आया।
सोनिया नीचे चित्त पड़ी हाँफ रही थी और सिगरेट के मजे लेने लगी, बोली- हा हा हा सुमीना डार्लिंग तेरी चूत में आग ज्यादा लग गई थी न? ले ले तू भी खा ले भाई का गधा छाप लौड़ा.. हा हा हा।
मैंने भी हँसते हुए सुमीना की चूत में अपना पिस्टन धकाधक करके पेलना शुरू कर दिया था पर एक बात थीं सोनिया की कसी चूत के सामने सुमीना की चूत तो वाकई भोसड़ा ही थी
मैंने सुमीना से कहा- ओए छिनाल जरा दारू छोड़ और अपनी चूत को टाइट कर।
सुमीना ने कहा- तू मुझे उठा कर पलंग पर ले चल वहाँ मजा आएगा।
मैंने भी उसको अपनी छाती से चिपका कर उठाया और सुमीना ने भी अपने दोनों पैर मेरी कमर से लपेट लिए और मुझे चूमने लगी। मुझे भी उसकी चूचियाँ अपनी छाती में बड़ी मस्त लग रही थीं।
मैंने भी उसकी जीभ को अपने मुँह में भर कर चचोरना शुरू किया तो उसकी कमर उछलना चालू हो गई। मैंने उसको उठाए-उठाए ही नीचे से धक्के लगाना चालू कर दिए।
वो इतनी भारी नहीं थी। फिर नशे में सब मजेदार लग रहा था।
अब उसको बिस्तर पर लिटाया और उसकी टाँगों को कैंची जैसा कर के उसकी चूत में अपना लंड आगे-पीछे किया तो साली सिसयाने लगी, “हाय मेरे चिकने भड़वे आज तक ऐसी टाइट चूत तो किसी ने नहीं की मेरे लाल कर दे आज मुझे झन्ड, ठोक-ठोककर अपना लंड, मिल गई मुझे मेरी मस्ती आअआ हाय लगा जोर से हए ओए मेरी कट्टो एक सिगरेट तो पिला मुझे और जरा एक पैग भी बना दे अभी अअहा आहा चोद मेरे राजकुमार।”
मैंने भी सोनिया को इशारा किया कि एक नीट मेरे लिए भी बनाना और उसने तीन नीट गिलास बना दिए। मुझे मेरा गिलास मेरे होंठों से लगा दिया और सिगरेट से खुद उसने एक सुट्टा लगाया।
मैंने भी उसके एक संतरे को पकड़ कर उस को अपने पास खींचा। गिलास एक झटके में खाली किया और सिगरेट उससे ले कर एक बड़ा सा सुट्टा लिया और सिगरेट सुमीना को दे दी।
धकाधक चुदाई जारी थी। खूब जोर-जोर से हिल रही थीं सुमीना की चूचियाँ।
‘वाह क्या नजारा था ! मेरी मम्मी मेरे लंड से बड़े मजे से चुद रही थीं, उसके बोबे खूब मचल रहे थे और उसके मुँह में सिगरेट फंसी थी, और छिनालों के जैसे आवाजें निकाल रही थीं।’
“हाय भड़वे चोद-चोद के भोसड़े को लाल नहीं किया तो तू मेरा लंड नहीं मादरचोद।”
सुमीना की आवाजें बता रही थीं कि वो अब झड़ने वाली है। चिचया रही थी कुतिया, “और जोर से हा हफ हफ आ आ मैं गई ईइइ”
अब मेरा मेरा लंड भी तैयार था सुमीना की फुहार से मेरा भी माल पिघल गया था। मैंने लंड खींच कर सोनिया के मुँह में लगा दिया, “आ आ अओं मेरा माल ल ल पी ले।”
मेरा लौड़ा उसने पकड़ कर माल को गटकना चालू कर दिया। मेरा लंड पिचकारी मार रहा था। और उसकी जुबान भी मेरे माल को चाट-चाट कर पूरा खाने में डटी थी। मैंने उसके सर को अपने हाथों से पकड़ा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
पूरा माल चाटने के बाद सुमीना, जो अब उठ कर बैठ गई थी ने मेरा लौड़ा लगभग छीनते हुए अपने होठों में दबा लिया।
कुछ बूंदे अभी भी बाकी थीं। सब चाट-चाट कर सुमीना ने साफ़ की और मजे से सिगरेट का धुंआ उड़ा रही थी।
मैं उसके हाथ से सिगरेट ले कर खुद पीने लगा। अब मुझे बहुत तेज नशा हो रहा था। हम तीनों बहुत थक चुके थे और नशे में भी धुत्त हो चुके थे।
अभी सुबह भी ठीक से नहीं हुई थी। सो मैं तो निढाल होकर मम्मी के बगल में ही पसर गया। सुमीना और सोनिया भी मेरे आजू-बाजू नंगी ही लेट गई।
दोनों हसीनाएं मेरे हाथ के ऊपर अपना सर रख कर और अपनी एक-एक टाँगों को मेरी टाँगों के ऊपर रख कर लेट गईं और हम तीनों ही जल्दी ही गहरी नींद में सो गए।
किसी के भी आने का अंदेशा भी नहीं था। मम्मी को आज ऑफिस नहीं जाना था और हम दोनों को एक दिन स्कूल न जाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था।
करीब 10 बजे तक हम सब गहरी नींद में सोये पड़े रहे, फिर मुझे कुछ खुमारी टूटने पर ऐसा लगा कि मेरे लंड को कोई सहला रहा है। मैंने अधखुली आँखों से देखा तो सुमीना मेरे हथियार को अपने हाथों से सहला रही थी।
मैंने भी उसकी चूची को अपनी मुट्ठी में भर लिया।
उसने मुझे चूमते हुए कहा- गुड मॉर्निंग मेरी जान।
मैंने भी उसको कहा- मॉर्निंग मम्मी। मुझे बड़ी भूख लगी है।
वो बोली- हाँ। तू सोनिया को उठा, जब तक मैं चाय-नाश्ता बनाती हूँ।
सुमीना ने बिस्तर छोड़ दिया और बाथरूम की तरफ अपनी कमर मटकाती चली गई।
अब मैंने सोनिया को अपने आगोश में भर लिया और उसको चूमा। वो भी कसमसा कर उठ गई। मेरी आँखों में प्यार से देख कर मुझ से और अधिक चिपक गई।
मैंने कहा- उठो, मम्मी चाय बनाने गई हैं।
“ऊ हूँ, अभी मुझे और सोना है।”
मैंने कहा- कुछ खा लो, फिर सो जाना ! चलो उठो, अपने कमरे में चलते हैं।
उसको जबरन मैंने अपनी गोद में उठा लिया और उसको अपने कमरे में लेकर चला गया।
सोनिया मेरी गोद से उतर कर वाशरूम की तरफ चली गई। मैंने भी एक जोर की अंगड़ाई ली और अपनी फेंची तलाशी और पहन कर रसोई की तरफ गया। पानी पिया और फिर बाद में सब लोग चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे।
सुमीना एक पैंटी और ओपन गाऊन पहने थी जिसमें से उसके बोबे दिख रहे थे और सोनिया ने भी फ्रॉक जैसा ओपन गाऊन ही पहना था। माँ की लौड़ी ने पैंटी भी नहीं पहनी थी।
तीनों रात की बात को याद करके मजे ले रहे थे।
तभी मेरी मम्मी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आई और मम्मी ने किसी को फोन लगाया।
“हैलो, हाँ हनी, कैसे हो? तुम्हारे लिए एक माल मिल गया है, अरे मेरी जान, कम उम्र ही है। हाँ, अब आप मेरा प्रमोशन पक्का रखियो, अरे जब आप कहो। इधर मेरे घर पर आ जाओ ! हाँ कोई प्रोब्लम नहीं है, मेरे हबी आउट ऑफ़ टाउन हैं। हाँ, बच्चे भी नहीं हैं। मैं भी बोर हो रही हूँ। क्या उसको भी लाओगे ! उसका टूल तो आउट ऑफ़ आर्डर है, हा ह अ हा हा ! ओके ले आना लाइव टेलीकास्ट ही देख लेगा, हा हा हा ! तो फिर पक्का रहा आज 8 बजे ! ओके ! डिनर पैक करवा लाना और हाँ कुछ ब्लैक डॉग का स्टॉक भी, हा हा हा ओके बाय हनी, लव यू एंड सी यू।”
अब उसने मुझसे कहा- रोहित, आज तुमको किसी और जगह सोना पड़ेगा। यह मेरा बॉस है इसको आज सोनिया की चूत दिलानी है, बस फिर मैं ही टेंडर हेड बन जाऊँगी।
“और हाँ तू चिंता मत कर, तेरे लिए भी एक सरप्राइज है। तुमको मेरी एक सहेली की चूत दिलवा देती हूँ। तू बस उसको ये मत बताना कि तू कौन है, ठीक है?”
मैंने हाँ में सर हिलाया। मम्मी नहाने चली गईं और हम दोनों भाई-बहन अपने कमरे में आ गए। मैंने अपना लोअर पहन लिया। क्योंकि अब कोई आ भी सकता था। करीब आधा घंटे बाद सोनिया की सहेली तनीषा का फोन आया।
उसने सोनिया से चहक कर पूछा- क्या हुआ मेरी जान? आज आई क्यों नहीं? आज तू आती तो मैं तुझको एक बहुत सेक्सी आइटम से मिलवाती। साला क्या मस्त गबरू जवान है? तू कल तो आएगी न?
सोनिया ने अनमने ढंग से उसको बोला- यार, मेरी मम्मी की तबियत जरा गड़बड़ है। हो सकता है, कल भी मैंने न आ पाऊँ। चल बाद में बात करती हूँ, कह कर सोनिया ने फोन काट दिया।
इतने में हमारी काम वाली सुषमा आ गई, उसने मम्मी को आवाज लगाई- मैडम जी ! किधर हो आप? क्या बनाना है, बताईए?
मैंने कहा- अभी रुको, वे नहा रही हैं, आती हैं, जब तू मेरा जूस निकाल दे।
बहुत बड़ी छिनाल थी साली आँखें मटका कर बोली- जूस तो निकाल दूँगी पर मुझे भी पिलाना।
मैं समझ तो गया था पर अब कोई डर तो था नहीं और उसकी असलियत भी मालूम थी। सो मैंने उसको पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और जरा आशिकाना अंदाज में कहा- तू निकाल तो मेरा जूस, पूरा तू ही पी लेना। चल चालू हो जा।
सुषमा की आँखें नशीली हो गई बोली- अच्छा सब कुछ मालूम पड़ गया मेरे बारे में, जो इतना खुल कर जुबान चलने लगी मेरे राजा!!
मैं मुस्कुरा दिया तो बोली- अभी निकालूँ या बाद में?
मैंने कहा- चल बाद में निकाल देना !
और उसकी एक चूची मसक दी।
“हाय दैया, बड़े मासूम दिखते हो पर हो पूरे चोदू राम।”
और उसने भी मेरा हथियार पकड़ कर खींच दिया। मैं गनगना कर रह गया, और फिर एक बार उसको अपने आगोश में भर जोरदार चुम्बन लिया और उसको छोड़ दिया।
वो भी मुस्कुरा कर रसोई में चली गई और जब दोपहर में सुमीना और सोनिया मार्किट चली गई थीं, तब मैं अपने कमरे में बैठा सिगरेट पी रहा था।
उसी समय सुषमा मेरे कमरे में आई और मुझे सिगरेट पीते देख कर बोली- हाय दैया तुम तो सिगरेट भी पीते हो!
मैंने कहा- आ जा, तू भी पी ले।
बहुत बड़ी छिनाल थी साली, बोली- न बाबा मुझे सिगरेट-विगरेट पीने का कोई शौक नहीं है।
ये कहते हुए मेरे पास आ गई। मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी गोद में खींच लिया और उसके कान में फुसफुसा कर कहा- तो क्या लंड पीने का शौक हैं तुझको।
वो कसमसा कर बोली- छोड़ो मुझे।
जबकि उसकी कोशिश छूटने की बिल्कुल नहीं थी, मैंने उसकी चूची पर अपना गाल रगड़ा तो उसकी आवाज निकली, “ऊऊँ क्या करते हो? घर का दरवाजा खुला है, कोई आ जाएगा।”
मैंने कहा- तो जा बंद करके आ जा आज तुझको लंड पिलाऊँगा।
शरमा कर बोली- धत्त, कैसे बोलते हो भैया जी।
वो गई और चुदासी सी अंगड़ाई लेते हुए वापिस आ गई। मेरा लंड भी तन्ना गया था साली को चोदने का पूरा मूड बन गया था।
मैंने उससे पूछा- क्यों, तू मम्मी की जासूस है?
उसने झेंपते हुए कहा- अब अभी ये सब छोड़ो।
मैंने कहा- फिर क्या करूं अभी? लौड़ा पिलाऊँ तुझे, आ साली।
मैंने उसकी साड़ी के एक छोर को पकड़ा और झटके से खींच दिया। उसके मस्त बूब्बू तने और भरे देख कर मेरा नशा बढ़ गया।
वो भी सीना ताने चुदने को तैयार खड़ी थी। मुझे तभी याद आया कि इसकी तो एक छोटी सी एक साल की बेटी भी है। इसका तो दूद्दू भी आता होगा। मुझे दूद्दू पीने का बड़ा मन था और उसके दोनों कबूतर दूध से फूल कर तने थे।
मैंने उससे पूछा- तेरे इन मम्मों में दूद्दू आता है क्या?
नशीली सी आवाज में बोली- मुझे नहीं मालूम, तुम खुद ही देख लो।
मैंने खड़े होकर उसके ब्लाउज को उतार दिया अंदर ब्रा नहीं पहने थी। एक चूची को जरा सा मसका तो उसके निप्पल ने दूध की कुछ बूंदे उगल दीं। मेरा तो दिल मचल गया।
उससे पूछा- दूध पिलायेगी?
उसने लजाते हुए नजरें झुका ली और बोली- हूँ।
बस मैंने उसके निप्पल पर अपने होंठों को लगा दिया और उसके निप्पल को जरा सा चूसा। उसके मीठे दूध की धार ने मेरी जुबान को तर कर दिया और उसकी भी एक सिसकारी निकल गई। उसने अपने हाथों से मेरा सर पकड़ कर अपनी चूची से सटाने की कोशिश की, और मैंने भी मस्ती से उसके निप्पल को अपने होंठों से दबा रखा था।
दूध की धार लगातार मेरे कंठ को भिगो रही थी।
सुषमा बोली- दूसरी दुकान में भी दूध मिलता है।
उसकी बात को सुन कर मुझे कुछ हँसी सी आई और उसकी दूसरी चूची के निप्पल को अपने होंठों से निचोड़ना चालू कर दिया।
वो मेरे सर को लगातार अपनी चूची की ओर ठेल रही थी। मैंने अपने हाथ से उसकी चूत को टटोला तो उसका पेटीकोट बीच में दिक्कत कर रहा था। मैंने उसके नाड़े को खींच दिया। पेटीकोट खुल कर नीचे गिर गया।
अब मेरी उंगली उसकी चूत में घुस गई, साली पानी से लिसलिसी हो गई थी और उसकी आँखें मुंद गई थीं। वो सिसिया रही थी और फुल मस्ती में आ चुकी थी।
मैंने उससे पूछा- कब से नहीं चुदी हो?
उसने कहा- तीन महीने हो गए।
जब मैंने कारण पूछा तो उसने बताया कि उसका पति बाहर गया है और उसकी चूत को लंड की बहुत जरूरत थी। सो उसने मेरा लंड पकड़ा है।
बोली- राजा अब देर न करो। मेरी सुरंग को खोद दो।
मैंने भी उसको चोदने का मन पक्का कर लिया था। मेरे मन में एक अभिलाषा थी, उसको पूरा करने की सोची।
मैंने उससे कहा- सुषमा डार्लिंग, क्या तुम अपने दूध से मेरे लंड को नहलाओगी?
उसने चहक कर कहा- क्यों नहीं मेरे राजा।
उसने मुझे बेड पर बैठा दिया फिर मेरे लौड़े को अपने एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से अपने एक बोबे की घुंडी का मुँह लंड के टोपे पर लगाया। अपने एक दूद्दू को जरा सा मसका कि एक पतली सी धार उसकी चूची से निकल कर मेरे लौड़े के टोपे पर पड़ी।
मेरा लंड उसके दूध से नहा उठा। उसको भी मजा आ रहा था। उसने लंड को अपने मुँह में गप कर लिया और खुद के दूध को मेरे लौड़े के साथ चचोरने लगी।
वो बार-बार ऐसा करती, अपने थन से लंडाभिषेक करती और उस दूध को लंड सहित चाटती।
मुझे बड़ा सुख मिल रहा था। मेरा लंड सरिये जैसा सख्त हो गया था और अब मुझे उसकी चूत खोदने का मेरा मतलब चोदने का मन होने लगा था।
मैंने सुषमा को उठाया और उसको बेड के किनारे पर लेटा दिया और उसकी टाँगे अपने कंधे पर रख लीं, फिर उसको एक आँख मार कर पूछा कि ‘पेलूँ’ !?!
वो चहक कर बोली- अब क्या लिख कर दे दूँ मेरे रज्जा !!
मैं उसकी इस अदा पर फिसल गया और अपना लंड उसके चूत के मुहाने पर रख कर एक जोरदार ठाप लगाई। मेरा आधे से ज्यादा लौड़ा उसके भोसड़े को चीरता हुआ अंदर पेवस्त हो गया था।
सुषमा की चीख निकल गई, “मा… मा र… दिया… या… या रे… बाबू… ऊ ऊ… जरा… धीरे करो आई… ई ई…”
मुझे उसकी चीखों ने और अधिक उत्तेजित कर दिया था। मैंने अपने लंड को बाहर खींच कर फिर से धक्का मारा, फिर धक्का और फिर धक्कों की चोट सुषमा की सुरंग पर पड़ने लगी।
रांड को मजा आने लगा था। कुतिया मुझसे बोली- आहा मेरे राजा धकाधक पेलते रहो, मेरी चूत की आग बहुत दिनों के बाद शांत हुई। आज मिला है कोई चोदू मर्द… आह… आह..आए… चोद मादरचोद… मुझे अपने बच्चे की अम्मा बना दे मेरे चोदू शेर!!
मैंने भी अपने धक्कों को जारी रखा अब मेरे मन में आया कि इसको अपने लौड़े की सवारी कराऊँ और उसके दुद्दू पीऊँ।
सो मैंने सुषमा की कमर में हाथ डाल कर उसको अपने कमर में लपेट कर उठाया।
उसने मुझसे पूछा- क्या करने का इरादा है?
मैं ने उसको बताया और घूम कर उसको अपने ऊपर लिया और मैं बेड पर लेट गया और उसको अपने ऊपर ले लिया।
सुषमा समझ गई कि अब उसको लुड़सवारी करनी है। उसने उचक कर अपनी चूत में मेरा हथियार भरा और मैंने उसके थन को पकड़ कर अपने मुँह की तरफ खींचा और उसके निप्पल से दूध की धार मेरे गले को तर करने लगी।
सुषमा की चूत बहुत पनिया गई थी। उसने मुझसे कहा- ऊपर आ जा, मैं जल्दी झड़ जाऊँगी।
मैंने हँसते हुए कहा- झड़ जाओ, मैं फिर तेरे ऊपर आकर तुमको चोद दूँगा।
और वही हुआ, अगले कुछ ही धक्कों में सुषमा का शरीर ऐंठने लगा।
सुषमा चीखने लगी, “ओ… ह ओ… ओ… मैं गई… ई… ई… ई…” और वो झड़ चुकी थी।
मैंने तनिक भी देर नहीं लगाई, तुरंत उसको पलट कर उसके ऊपर छा गया और खुद की स्पीड को बढ़ा कर सुषमा की रिसती चूत के रस से ही उसको दोबारा गरम कर के चुदाई को जारी रखना चाह रहा था।
पर उसकी हिम्मत शायद जवाब दे चुकी थी, और मैंने भी खुद को झड़ने का मन बना लिया चुदाई में एक बात का मुझे ज्ञान हुआ कि यदि खुद सोच लें कि अब झड़ना है, तो फिर लंड की कोई औकात नहीं है कि खड़ा रहे। उसकी रस धार छूट ही जाती है।
और वही हुआ, मैं भी उसकी चूत में ही अपना गर्म-गर्म लावा छोड़ने लगा। कुछ देर यूँ ही पड़े रहे हम दोनों फिर सुषमा ने उठ कर मेरा हथियार अपने पेटीकोट से पौंछा और खुद को भी साफ़ करके अपने कपड़े पहने और कमरे से निकल गई।












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