Monday, August 6, 2018

FUN-MAZA-MASTI रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-11

FUN-MAZA-MASTI

रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-11

संगीता :- सुनील की बात सुन कर मन ही मन मुस्कराती है और फिर एक चुटी सुनील को कटती है कहा खो गये हो जनाब
सुनील :- एक दम से नींद से जगता है और बोलता है कही नहीं बस ऐसे ही कुछ सोच रहे है और फिर ऊपर से निचे तक देखते हुए बोलता है क्या बात है आज किसी का कत्ल करने का इरादा है?

संगीता :- सुनील को देखते हुए बोलती है है तो किसी के कत्ल का इरादा लेकिन लगता है उसका क़त्ल इतनी आशानी से नहीं होगा
सुनील :- अच्छा तुम को कैसे मालूम की उसका क़त्ल इतनी आशानी से नहीं होगा मेरे को तो लगता है की उसका क़त्ल हो चूका है

संगीता :- अच्छा चलो अच्छी ही बात हैअगर उसका क़त्ल हो गया है तो अब जनाब का दर्द कैसे है ?
सुनील :- अब पहले से अच्छा है कुछ दर्द की गोलिया ली थी उस से आराम है अब तुम जल्दी से चलो मेरे को घर छोड़ दो घर पर सब परेशान हो रहे होगे

संगीता :- चल फिर मैं तेरे को छोड़ कर आती हु उसके बाद मेरे को मेरी फ्रेंड के घर जाना है !
और फिर अपनी माँ को सुनील को उसके घर छोड़ के आने को बोल कर बहार निकल जाती है और अपनी स्कूटी को स्टार्ट करती है और तभी
सुनील :-बहार आता है और उसको स्कूटी को चलते देख उसको बोलता है चल पीछे बैठ मैं चलता हूँ

संगीता :- क्यों क्या पीछे बैठने में शर्म आती है तुम को ?
सुनील :- शर्म तो नहीं आ रही है लेकिन मेरे को डर लगता है कही तुम एक्सीडेंट न करदो अभी तो पैर ठीक भी नहीं हुआ है और तुम कही और से न तोड़ दो

संगीता :- सुनील को देखते हुए तोडुगी लेकिन टांग नहीं कुछ और तोडुगी !
सुनील :- को उसकी बात अच्छी तरह से नहीं सुनी थी बस इतना ही सुन पाया की संगीता कुछ बोल रही है लेकिन क्या बोल रही है उसका उसको नहीं मालूम और वो संगीता को बोलता है की क्या कहा तुमने अभी ?

संगीता:- कुछ नहीं और स्कूटी से निचे उतर जाती है लो जनाब अब चलो
सुनील :- आगे बढ कर स्कूटी को उससे लेता है और संगीता को पीछे बैठने को बोलता है

संगीता :- सुनील के पीछे बैठ जाती है और सुनील स्कूटी को लेकर अपने घर की तरफ निकल पड़ता है रस्ते में जगह जगह खड़े होने के कारण उसको बार बार break मरने पड़ते है जिस से संगीता के मोटे चुचे सुनील की पीठ में गड़ जाते है और संगीता भी इस चीज का फायदा उठा कर सुनील से चिपक के बैठ जाती है ऐसा करने से सुनील को bahut मजा आता है अब तक कोई भी सुनील से ऐसे चिपक के बैठता तो उसका लंड एक दम से पूरा सकत हो जाता है लेकिन संगीता में न जाने क्या बात थी की उसके सपर्श मात्र की वो सुख मिल रहा था जो अब तक कांता और लाली की चुदाई में भी उसको नहीं मिला था

संगीता :- क्या बात है जनाब किस के खयालो में खोये हो कुछ बोलोना
सुनील :- किसी के नहीं यार
संगीता :- तो तुम से एक बात पूछु ?
सुनील :- पूछो
संगीता :- तुम्हारी कोई प्रेमिका है सच सच बताना मेरे को
सुनील :- नहीं यार ऐसी हमारी किस्मत कहा है
संगीता :- मैं नहीं मानती की तुम्हारी कोई प्रेमिका नहीं है
सुनील :- तुम मनो या न मनो लेकिन मेरी कोई प्रेमिका नहीं है
संगीता :- अच्छा तुम किसी को चाहते हो और उसको नहीं पता हो ऐसी कोई है ?
सुनील :- थोडा सा उदास होते हुए नहीं ऐसी कोई नहीं है और अब आप इस बारे में कोई बात न करे तो ठीक रहेगा
संगीता :- ठीक है बाबा नहीं करती लेकिन इस से एक बात का तो पता चल गया है
सुनील :- किस बात का ?
संगीता :- इस बात का की तुम किसी से प्यार करते हो
सुनील :- तुम ये बात कैसे कह सकती हो ?
संगीता :- मैंने तुम से किसी से प्यार करने के बारे में पूछा तो तुम्हारा चहरा पहले से उतर गया है इस बात से अंदाजा लगाया है मैंने
सुनील :- थोडा सा और नाराज होते हुए नहीं ऐसी कुछ बात नहीं है
संगीता :- लगता है तुम मेरे को अपनी दोस्त नहीं मानते हो
सुनील :- नहीं यार मैं तुम को अपना अच्छा दोस्त मानता हूँ
संगीता :- अगर मानते तो मेरे से तुम जरुर बताते
सुनील :- कुछ नहीं बोलता बस उसकी बाते सुनता रहता है तभी उसका घर आ जाता है और स्कूटी रोकता है तो संगीता निचे उतर कर डोर बैल बजती है डोर बैल बजने कुछ देर बढ सुमित्रा दरवाजा खोलती है और दरवाजा खोलते ही प्रश्नों की बरसात कर देती है सुनील के ऊपर

सुनील :- माँ पहले अंदर तो चले फिर मैं तुम्हारे सभी प्रशनो के उतर देता हूँ पहले इस से मिलो ये है कांता आंटी की बेटी संगीता
संगीता:- नमस्ते आंटी
सुमित्रा :- नमस्ते बेटी बहुत बड़ी हो गयी है अब तो तू तेरे को छोटी सी थी तब देखा था चल बेटी अंदर चल के बात करते है
संगीता:- नहीं आंटी अभी मेरे को जाना होगा
सुमित्रा :- नहीं बेटी ऐसे कैसे जा सकती हो इतने दिनों के बढ तो हमारे घर आई हो
संगीता :- आंटी जी मैं फिर कभी आ जाउगी अभी मेरे को मेरी सहेली के घर जाना है
सुमित्रा :- नहीं बेटी ऐसे नहीं जाने दुगी और उसको पकड़ के जबरदस्ती से अंदर ले जाती है
अंदर जाते ही
सुमित्रा :- अच्छा बेटी ये बता क्या करती हो ?
संगीता :- बस आंटी जी अभी मैंने +२ किया है
सुमित्रा :- ठीक है बेटी तुम बैठो मैं चाय बना के लती हूँ और फिर सुमित्रा चाय बनाने रसोई में चली जाती है और सुनील और संगीता होल में सोफे पर बैठ जाते है सुनील संगीता की तरफ देखता है तो संगीता सुनील को मुह बना कर दिखाती है जैसे वो सुनील से बहुत नाराज हो
सुनील :- (मन ही मन क्या हुआ साली को जो अब तक तो अच्छी भली थी और अब मुह बना रही है ) और फिर उसका मन भी कुछ उदास सा हो जाता है और संगीता को बोलता है क्या हुआ तुम को अभी तक तो ठीक थी और अब अपने आप मुह क्यों फुलाए हुए हो
संगीता :- मेरा मुह तेरे को क्या मैं इसको फुलाऊ या बनाऊ तेरे को क्या पड़ी है ?
सुनील :- उसकी बात सुन कर चौक पड़ता है (बेहनचोद साली ये तो मेरे से खुंदक खाए बैठी है ) अरे यार कुछ तो बात हुयी है न जो तुम इस तरह से नाराज हो गयी हो मेरे से
संगीता :- तुम से क्यों नाराज होगी मैं नाराज दोस्तों से हुआ जाता है हर किसी से नहीं
सुनील :- (तेरी माँ को चोदु साली बड़ी तीखी मिर्च है ) क्या हम तुम्हारे दोस्त नहीं है

संगीता :- नहीं तुम दोस्त होते तो अपनी बात मेरे को बताते और फिर जल्दी से बहार निकल जाती है और अपनी स्कूटी को स्टार्ट कर के सुनील के घर से चली जाती है !

सुनील :- उसको रोकना चाहता है लेकिन कुछ बोलने से पहले ही चली जाती है ( माँ की लोडी बहुत नखरे वाली है साली लगता है मेरे बारे में जन कर ही रहेगी ) और तभी सुमित्रा रसोई से चाय बना कर आती है

सुमित्रा :- सुनील बेटा संगीता कहा गयी ?

सुनील :- माँ उसकी फ्रेंड का फोन आया था तो वो जल्दी में थी इस लिए चली गयी

सुमित्रा:- ठीक है बेटा अच्चा ये बता कहा लगी है तुम को चोट

सुनील :- kahi नहीं माँ thoda sa पैर मोड़ गया था

सुमित्रा :- अब कैसा है दिखा कहा से मोड़ा है ?

सुनील :- अपने घुटने को आगे कर के बोलता है यहाँ से

सुमित्रा :- चल बेटा मैं तुम्हारे घुटने को थोड़ी मालिस कर देती हूँ

सुनील :- नहीं माँ रहने दे अब पहले से अच्छा है !

सुमित्रा :- क्या रहने दे चल मैंने कहा है न की मालिस कर दुगी उस से जल्दी ठीक हो जायेगा !

सुनील :- सोच में पद जाता है की माँ तो साली पीछे ही पड़ गयी है इस को क्या मालूम की दर्द कहा हो रहा है ? और फिर उठ कर अपने रूम में चला जाता लेकिन जाते हुए वो अपनी टांगो को खोल कर चलता है क्यों की उसका लंड उसकी पेंट से रगड़ खाता है जिस से उसके लंड में जलन होती है

सुमित्रा :- अपने बेटे को ऐसे चलता देख सोच में पड़ जाती है की दर्द तो पैर में हो रहा है लेर्किन ये चल रहा है दोनों टांगो को खोल कर और फिर अपने बेटे के पीछे पीछे उसके रूम में जाती है

सुनील :- अपनी माँ को अपने रूम में देखता है और बोलता है माँ रहने दोन मैं ठीक हु
सुमित्रा :- आया है माँ रहने दो wala चल जल्दी से पेंट निकल abhi मालिस कर देती हु नहीं तो पेंट kharab हो jayegi

सुनील :- (teri माँ की chut साली आज मेरी गांड फाड़ के रहेगी ) सुनील कुछ नहीं बोलता बस अपने खयालो में ही खोया rhta है की मैं कैसे पांति निकालू साला निचे कच्छा भी नहीं पहन हुवा कैसे बोलू माँ को मैंने निचे कच्छा नहीं पहना है

सुमित्रा :- क्या सोच रहा है बेटा निकल न पेंट ?

सुनील :- माँ अगर तुम नहीं मानती हो तो ऐसे ही मालिस कर दो मैं पेंट को ऊपर कर लेता हु

सुमित्रा :- ठीक है बेटा तू नहीं मानता है तो अपनी पेंट को ऊपर कर ले

सुनील :- अपनी पेंट की एक टांगो को khich कर ऊपर कर लेता है माँ सोनल कहा है ?

सुमित्रा :- अपने बेटे के घुटने को मालिस karte हुए बेटा वो अभी तक स्कूल से कहा आई है

सुनील :- क्या माँ अभी तक नहीं आई है देखो स्कूल की छुट्टी २ बजे हो जाती है और अब तो ३:३० हो गया है और वो अभी तक घर नहीं आई है

सुमित्रा :- बेटा सोच तो मेरे को भी है एक तो तुम्हारे बापू के लिए हॉस्पिटल में खाना ले जाना है और ऊपर से तुम्हारी चोट अब मैं अकेली क्या करू कुछ समझ में नहीं आता और जवान बेटी अभी तक घर नहीं लोटी पता नहीं ये भगवान हमको किस जनम की सजा दे रहा है !

सुनील :- अपनी माँ की बात सुन कर एक दम से खड़ा हो जाता है माँ मैं उसको देख के आता हु तुम चिंता मत करो

सुमित्रा :- बेटा तुम आराम करो तुम को पहले ही चोट लगी है इस हालत में तुम कहा देखने जाओगे उसको

सुनील :- माँ इतनी चोट नहीं है की अपनी बहन को देखने नहीं जा सकता हूँ तुम बापू का खाना बनाओ तब तक मैं सोनल को खोज कर लता हूँ और ये बोल कर रूम से भर आ जाता है और अपनी मोटर साईकल स्टार्ट कर के सोनल के स्कूल की तरफ चल पड़ता है और स्कूल में जा कर देखता है तो स्कूल की छूटती हुए भी काफी टाइम हो चूका होता है और उसको वो स्कूल में नहीं मिलती फिर वो स्कूल के पीछे बने हुए पार्क में जाता है लेकिन वह भी उसको निराशा हिहाथ लगती है इस से सुनील बहुत जायदा परेशान हो जाता है और फिर उसकी कुछ फ्रेंड को फोन करता है लेकिन वो किसी के पास नहीं मिलती और वो थक हार कर घर की तरफ लोटने लगता है तभी उसके फोन की बैल बजती है वो फोन पर नंबर देखता है की फोन उसके माम्मा होता है












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