FUN-MAZA-MASTI
मेरी बहन और मेरी उत्तेजना-2
दरवाज़ा हालाँकि हमने बंद कर दिया था पर हम दोनों में से किसी को उसको लॉक करने का ध्यान नहीं रहा। वासना की आग ने हमारे सोचने की शक्ति शायद खत्म कर दी थी।
मैंने ज़ोर से अपनी बहन को अपनी बाहों में कस लिया और उसके पूरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी।
उसने भी मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया था और उसकी कठोर चूचियाँ मेरी चौड़ी छाती में दब रही थीं। उसकी चूचियों के खड़े चूचुकों की चुभन को मैं अपने छाती पर महसूस कर रहा था।
उसकी कमर और जाँघें मेरी जाँघों से सटी हुई थीं और मेरा खड़ा लंड मेरी पैन्ट के अंदर से उसकी स्कर्ट पर ठीक उसकी बुर के ऊपर ठोकर मार रहा था।
मेरी प्यारी सोनू अपनी चूत को मेरे खड़े लण्ड पर पैन्ट के ऊपर से रगड़ रही थी। हम दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे और मैं अपनी बहन के पतले रसीले होंठों का चूसते हुए चूम रहा था।
उसके होंठों को चूसते और काटते हुए मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह में ठेल दिया, उसके मुँह के अंदर जीभ को चारों तरफ घुमाते हुए, उसकी जीभ से अपनी जीभ को चूसते हुए दोनों भाई-बहन एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे।
उसके हाथ मेरी पीठ पर से फिरते हुए मेरी चूतड़ों और कमर को दबाते हुए अपनी तरफ खींच रहे थे और मैं भी उसके चूतड़ों को दबाते हुए उसकी गांड की दरार में स्कर्ट के ऊपर से अपनी उंगली चला रहा था।
कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया और वो बिस्तर पर चली गई। उसने अपने घुटनों को बेड के किनारे पर जमा दिया और इस तरह से झुक गई जैसे कि वो बेड की दूसरी तरफ कोई चीज़ खोज़ रही हो। अपने घुटनों को बेड पर जमाने के बाद मेरी प्यारी बहन ने गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपने स्कर्ट को ऊपर उठा दिया।
इस प्रकार उसके खूबसूरत गोलाकार चूतड़ जो कि नाइलॉन की एक जालीदार कसी हुई पैंटी के अंदर क़ैद थे, दिखने लगे। उसकी चूत के उभार के ऊपर उसकी पैंटी एकदम कसी हुई थी और मैं देख रहा था कि चूत के ऊपर पैंटी का जो भाग था पूरी तरह से भीगा हुआ था।
मैं दौड़ कर उसके पास पहुँच गया और अपने चेहरे को उसकी पैंटी से ढकी हुई चूत और गाण्ड के बीच में घुसा दिया। उसके बदन की खुशबू और उसकी चूत के पानी और पसीने की महक ने मेरा दिमाग़ घुमा दिया और मैंने चूत के रस से भीगी हुई उसकी पैंटी को चाट लिया।
वो आनन्द से सिसकारियाँ ले रही थी और उसने मुझे पैंटी को निकाल देने का आग्रह किया।
मैंने उसकी चूत और गांड को कस कर चूमा और उसके मांसल चूतड़ों को अपने दांतों से काटा और उसके बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लंबी सांस लेकर अपने फेफड़ों में भर लिया।
मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और मैंने अपने पैंट और अंडरवीयर को खोल कर इसे आज़ादी दे दी।
बहना की मांसल कदली जाँघों को अपने हाथों से कस कर पकड़ते हुए मैं उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत चाटने लगा। पैंटी से रिस-रिस कर चूत का पानी निकल रहा था। और मैं पैंटी के साथ ही उसकी बुर को अपने मुँह में भरते हुए चूस चूस कर चाटने लगा।
पैंटी का बीच वाला भाग सिमट कर उसकी चूत और गांड की दरार में फंस गया था और मैं चूत चाटते हुए उसकी गांड पर भी अपना मुँह मार रहा था। मेरे ऐसा करने से बहन की उत्तेजना बढ़ गई थी और वो अपने कूल्हों को मटकाते हुए अपनी चूत और चूतड़ों को मेरे चेहरे पर रगड़ रही थी।
मैंने धीरे से अपनी बहन की पैंटी को उतार दिया। उसके खूबसूरत चिकने चूतड़ों को देख कर मेरे लंड को जोरदार झटका लगा।
उसके मैदे जैसी गोरे चूतड़ों की बीच की खाई में भूरे रंग की अनछुई गांड थी। एकदम किसी फूल की कली की तरह दिख रही थी, जिसे शायद किसी विशेष अवसर पर (जैसा कि सोनू ने प्रॉमिस किया था) मारने का मौका मुझे मिलने वाला था।
उसकी गांड के नीचे गुलाबी पंखुरियों वाली उसकी चिकनी चूत थी। सोनिया की चूत के होंठ फड़फड़ा रहे थे और भीगे हुए थे।
मैंने अपने हाथों को धीरे से उसके चूतडों और गांड की दरार में फिराया। फिर धीरे से हाथों को सरका कर उसकी बिना झांटों वाली चूत के छेद को अपनी उंगलियों से कुरेदते हुए सहलाने लगा।
मेरी उंगलियों पर उसकी चूत से निकला उसका रस लग गया था और मैंने उसे अपने नाक के पास ले जा कर सूँघा और फिर जीभ निकाल कर चाट लिया।
मेरी प्यारी बहन के मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थीं और उसने मुझसे कहा- भाई तुमने जी भर कर मेरे चूतड़ों और चूत को देख लिया है। इसलिए तुम अपना काम शुरू करो न !
मैं भी अब अधिक देर नहीं करना चाहता था और झुक कर मैंने उसकी चूत के होंठों पर अपने होंठों को जमाते हुए जीभ निकाल कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
उसकी बुर का रस नमकीन सा था और मैंने उसकी बुर के काँपते हुए होंठों को अपनी उंगलियों से खोल दिया और अपनी जीभ को कड़ा और नुकीला बना कर चूत की सुरंग में घुसा कर उसके भगनासा को कुरेदने लगा।
उसके छोटे से भगनासे को अपनी जुबान से सहलाने से ही सोनिया की बुर मचलने लगी। मैंने उसे अपने होंठों के बीच दबा लिया और अपनी जीभ से उसको चचोरने लगा।
बहना आनन्द और मज़े से सिसकारियाँ भरते हुए अपनी गांड को मटकाते हुए एक बहुत ज़ोर का धक्का अपनी चूत से मेरे मुँह की ओर मारा।
ऐसा लग रहा था जैसे मेरी जीभ को वो अपनी चूत में से निकाल देना चाहती हो। वो बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी और शायद उत्तेजना की पराकाष्ठा तक पहुँच चुकी थी।
मैं उसकी भगनासा को अपने अपने होंठों के बीच दबा कर चूसते हुए अपनी जीभ को अब उसके पेशाब करने वाले छेद में भी घुमा रहा था। उसके पेशाब की तीव्र गंध ने मुझे पागल बना दिया और मैंने अपनी दो उंगलियों की सहायता से उसकी पेशाब करने वाली छेद को थोड़ा फैला कर अपनी जीभ को उसमे तेज़ी से नचाने लगा।
मुझे ऐसा करने में मज़ा आ रहा था और सोनू भी अपनी पिछाड़ी को मटकाते हुए सिसकारियाँ ले रही थी, “ओह भाई, तुम बहुत सता रहे हो डार्लिंग ब्रदर ! इसी प्रकार से अपनी बहन की गरमाई हुई बुर को चाटते रहो चूसो। मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और मेरी चूत पानी छोड़ने ही वाली है। ओह भाई तुम कितना मजा दे रहे हो, ओहहह… चाटो… मेरी जान मेरे कुत्ते मेरे हरामी बालम !”
उसके मुँह से अनाप-शनाप बड़बड़ाना यह साबित कर रहा था कि मेरी चिकनी बहन अब अपनी चुदाई लीला की रौ में बहने लगी थी।
मैं अभी तक उसके भगनासे को अपने होंठों में दबाकर चूस रहा था। पर जब सोनिया की बेचैनी उसके मुँह से निकलने वाली आवाजों से सुनी तो मैंने सोचा कि आज इसको और तड़फ़ाते हैं।
उससे मैंने कहा- आज तू मुझको जब तक गन्दी-गन्दी गालियाँ न बकने लगे तब तक तेरी बुर को चचोरता रहूँगा साली। मेरी रंडी बहनिया, मेरी कुतिया और ऐसा कहते हुए मैंने अपनी जीभ उसकी बुर में ठेल दी।
जब सोनिया ने मेरी बात सुनी तो वो बोली- हाँ, माँ के लौड़े तुझे तो मैं इतनी गालियाँ बकूँगी हरामी कि तेरी माँ चुद जाएगी साले।”
वो अब बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी।
“मेरी जान तुम मुझे पागल बना रहे हो…! ओह मेरे चोदू सनम हाँ ऐसे… ही ऐसे ही चूसो मेरी चूत को…मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ा दो साली बहुत पानी छोड़ रही है… इसकी पुत्तियों को अपने मुँह में भर कर ऐसे ही चाटो मेरे राजा…!! ओह डियर बहुत अच्छा कर रहे हो तुम…! मेरी चूत के छेद में अपने जीभ को पेलो और अपने मुँह से चोद दो मुझे…!”
जब सोनिया ने मेरी बात सुनी तो वो बोली- हाँ, माँ के लौड़े ! तुझे तो मैं इतनी गालियाँ बकूँगी हरामी कि तेरी माँ चुद जाएगी साले।”
वो अब बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी- मेरी जान तुम मुझे पागल बना रहे हो… ओह मेरे चोदू सनम हाँ ऐसे… ही ऐसे ही चूसो मेरी चूत को… मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ा दो ! साली बहुत पानी छोड़ रही है… इसकी पुत्तियों को अपने मुँह में भर कर ऐसे ही चाटो मेरे राजा…!! ओह डियर बहुत अच्छा कर रहे हो तुम…! मेरी चूत के छेद में अपने जीभ को पेलो और अपने मुँह से चोद दो मुझे…!
सोनिया लगातार मुझे गालियाँ बके जा रही थी- हाय मेरे चोदू भाई ! मेरी बुर के होंठों को काट लो और अपनी जीभ को मेरे बुर में पेलो.. ओह मेरे चोदू भाई, ऐसे ही प्यार से मेरे डार्लिंग ब्रदर ऐसे ही ! ओह खा जाओ मेरी चूत को, चूस लो इसका सारा रस !
उसकी चूत इतनी रसीली हो गई थी कि मुझे लग रहा था कि इसका फव्वारा किसी भी क्षण छूट सकता है। उसके मुख से लगातार सीत्कारें निकल रहीं थीं, मुझे उसकी सीत्कारों को सुन कर बहुत ही मजा आ रहा था।
“ओह डियर, ओह चोदू मेरे भगनासे को ऐसे ही चचोरो कुत्ते, बहनचोद चूस, मादरचोद और कस कर अपनी जीभ को पेल… ओह सीई…ईईई मेरे चुदक्कड़ बलम, मेरा अब निकलने ही वाला है ! ओह… मैं गई..गई… गईई राजा… ओह बुरचोदू …देख मेरा निकल रहा है… हाय पी जा इसे ! ओह पी जा मेरी चूत से निकले रस को… ! सीईईई… भाई मेरे चूत से निकले स्वादिष्ट माल को पीईईई जा प्यारे भाई।” कहते हुए सोनू ने अपनी चूत से गर्म रज का झरना खोल दिया।
उसकी मखमली चूत से गाढ़ा द्रव निकलने लगा। वो मेरे चेहरे को अपनी चूत और चूतड़ों के बीच दबाए हुए बिस्तर पर गिर गई। उसकी चूत अभी भी फरफरा रही थी और उसके गांड में भी कम्पन हो रहा था।
मैंने उसकी चूत से निकले एक-एक बूँद रस को चाट लिया और अपने सिर को उसकी मांसल जाँघों के बीच से निकाल लिया।
मेरी बहन बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी। कमर के नीचे वो पूरी नंगी थी। झड़ जाने के कारण उसकी आँखें बंद थीं और उसके गुलाबी होंठ हल्के सा खुले हुए थे। वो बहुत गहरी साँसें ले रही थीं और उसने अपने एक पैर को घुटनों के पास से मोड़ा हुआ था और दूसरे पैर को फैलाया हुआ था।
उसके लेटने की यह स्थिति बहुत ही कामुक थी और इस स्थिति में उसकी सुनहरी गुलाबी चूत, उसकी भूरे रंग की गांड का छेद और उसके गुदाज चूतड़ मेरी आँखों के सामने खुले पड़े थे और मुझे अपनी ओर खींच रहे थे।
मेरा खड़ा लौड़ा अब दर्द करने लगा था। मेरे लंड का सुपारा एक लाल टमाटर के जैसा दिख रहा था और मेरे लंड को किसी छेद की सख़्त ज़रूरत महसूस हो रही थी।
मैं गहरी साँसें खींचता हुआ अपनी उत्तेजना पर काबू पाने की कोशिश कर रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मेरे हाथ मेरी बहन के नंगे चूतड़ों के साथ खेलने के लिए बेताब हो रहे थे और मैं अपने अन्डकोषों को सहलाते हुए सुपाड़े के छेद पर जमा हुए पानी की बूँदों को देखते हुए अपनी प्यारी सी नंगी बहन के बगल में बेड पर बैठ गया।
मेरे बेड पर बैठते ही सोनिया ने अपनी आँखें खोल दीं। ऐसा लग रहा था जैसे वो एक बहुत गहरी नींद के बाद जागी है।
जब उसने मुझे और मेरे खड़े लंड को देखा तो जैसे उसे सब कुछ याद आ गया और उसने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए मेरे खड़े लंड को अपने हाथों में भर लिया।
सोनू बोली- ओह माय लव, सच में तुमने मुझे बहुत सुख दिया। मैं बहुत दिनों के बाद इस प्रकार से झड़ी हूँ। ओह डियर तुम्हारा लंड तो एकदम लोहे की रॉड जैसा खड़ा है। मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि मेरे भाई का डंडा खड़ा होगा और उसे एक छेद की ज़रूरत होगी…
सोनिया ने मेरे लवड़े को अपने हाथों में पकड़ लिया और लगातार मुझसे प्यार जताने लगी।
“ओह डार्लिंग आओ…जल्दी आओ तुम्हारे लंड में खुजली हो रही होगी… मैं भी तैयार हूँ। भाई तुम्हारा खड़ा लंड देख कर मुझे भी उत्तेजना हो रही है और मेरी बुर भी अब फिर से खुजलाने लगी है।”
“ऐसा नहीं हैं सोनू, अगर इस समय तुम्हारी इच्छा नहीं हैं तो कोई बात नहीं है। मैं अपने लंड को हाथ से झाड़ लूँगा।”
“नहीं भाई तुम अपनी बहन के होते हुए ऐसा कभी नहीं कर सकते, अगर कुछ करना होगा तो मैं करूँगी। भाई मैं इतनी स्वार्थी नहीं हूँ कि अपने प्यारे भाई को ऐसे तड़पता हुआ छोड़ दूँ।” वो मुझसे बहुत प्रेम जाता रही थी और उसको लग रहा था कि मेरे लौड़े का पानी उसकी चूत नहीं निकला तो शायद मुझे बुरा लगेगा।
“आओ भाई चढ़ जाओ अपनी बहन की चूत पर और जल्दी से मेरी बुर चोद दो। चलो जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करें।”
मैंने उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्मन जड़ दिया और उसके मांसल मलाईदार चूतड़ों को अपने हाथों से मसलते उससे कहा- सोनू, तुम फिर से घुटनों के बल हो जाओ। मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ।
मेरी बात सुन कर मेरी प्यारी सिस्टर ने बिना एक पल गँवाए फिर से वहीं पोजीशन बना ली और घुटनों के बल होकर अपनी गांड को पीछे घुमा कर मुस्कुराते हुए मुझे अपनी बड़ी-बड़ी आँखों को नचाते हुए मुझे आमंत्रण दिया, उसने अपने पैरों को फैला कर अपने ख़ज़ाने को मेरे लिए पूरा खोल दिया। मैंने फिर से अपने चेहरे को उसकी जाँघों के बीच घुसा दिया और उसकी चूत को चिकना करने के लिए चाटने लगा। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को फैला कर उसकी गांड के छेद को चौड़ा कर दिया और अपनी एक उंगली को अपने थूक से गीला करा कर उसकी गांड में धकेलने की कोशिश करने लगा।
उसकी गांड बहुत टाइट थी, मगर मैं उसकी गांड को फिंगरयाता रहा। सोनू चिल्लाने नहीं लगी और सिसयाते हुए मुझे बोलने लगी, “ओह मेरे बहनचोद ब्रदर ! अब देर मत करो, मैं अब गर्म हो गई हूँ, अब जल्दी से अपनी इस छिनाल बहन को चोद दो और प्यास बुझा लो, ओह भाई जल्दी करो और अपने लंड को मेरी चूत में पेल दो।”
मैंने अपने खड़े लंड को उसकी गीली चूत के छेद के सामने लगा दिया और एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत में एक ही धक्के में पेल दिया।
ओह! क्या अद्भुत अहसास था ये, इसका वर्णन शब्दो में संभव नहीं हैं। उसकी रस से भरी पनियाई हुई चूत ने मेरे लंड को अपने गरम आगोश में ले लिया। उसकी मखमली चूत ने मेरे लंड को पूरी तरह से कस लिया।
उसके मुख से भी एक आह निकली- मादरचोद बिलकुल रांड समझ कर ठोक दिया अपना मूसल जैसा हथियार। मेरी फट जाएगी कुत्ते जरा धीरे नहीं पेल सकता था हरामी?
मैं हँसते हुए धक्के लगाने लगा। मेरी प्यारी सोनू बहन ने भी अपनी गांड को पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेना शुरू कर दिया।
हम दोनों भाई-बहन अब पूरी तरह से मदहोश होकर मज़े की दुनिया में उतर चुके थे। मैं आगे झुक कर उसकी कांख की तरफ से अपने हाथ को बाहर निकल कर उसकी गुदाज और मस्त चूचियों को उसके ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा।
उसकी चूचियाँ एकदम कठोर हो गयी थीं। उसकी ठोस संतरों को दबाते हुए मैं अब तेज़ी से धक्का लगाने लगा था और मेरी रांड बहनिया के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी थीं।
वो सिसकते हुए बोल रही थी, “ओह भाई, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हाँ हाँ और जोर से, इसी तरह से ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ भाई, इसी प्रकार से चोदो मुझे… आह… सीईईई।”
मेरे भी आनन्द की सीमा न थीं मैं भी सिसया रहा था, “हाय मेरी रंडी तुम्हारी चूत कितनी टाइट और गर्म हैं, ओह मेरी प्यारी बहन लो अपनी चूत में मेरे लंड को, ऐसे ही लो, देखो ये लो मेरा लंड अपनी चूत में ये लो फिर से लो, ले लो मेरी रानी बहन।”
मैं उसकी चूत की चुदाई अब पूरी ताक़त और तेज़ी के साथ कर रहा था। हम दोनों की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थीं और ऐसा लग रहा था कि किसी भी पल मेरे लौड़े से गरम लावा निकल पड़ेगा।
“ओह चोद, मेरे हरजाई कुत्ते भाई और ज़ोर से चोदो, ओह कस कर मारो और ज़ोर लगा कर धक्का मारो, ओह मेरा निकल जाएगा, सीईईईई, कुत्ते, और ज़ोर से चोद मुझे, बहन की बुर को चोदने वाले बहन के लौड़े हरामी, और ज़ोर से मारो, अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा कर छोड़ो कुतिया के पिल्ले…सीई…ईईई मेरा निकल जाएगा।”
मैं अब और ज़ोर-ज़ोर से धक्का मारने लगा। मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता।
सोनू के मम्मों को मसकते हुए उसके चूतड़ों पर अपनी छाती रगड़ते हुए मैं बहुत तेज़ी के साथ उसको चोद रहा था।
मेरी बहन अब किसी कुतिया की तरह से कुकिया रही थीं और अपने चूतड़ों को नचा-नचा कर आगे-पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसिया रही थी, “ओह चोद मेरे राजा… मेरे बहन के लंड… और ज़ोर से चोद… ओह… मेरे चुदक्कड़ बालम, सीईईई… हररामजादे भाई… और ज़ोर से पेल मेरी चूत को… ओह-ओह… सीईई… बहनचोद… मेरा अब निकल रहा… हाईई…ईईई ओह सीईई।”
मादक सीत्कारें भरते हुए अपनी दांतों को भींचते कर और चूतड़ों को उचकाते हुए वो झड़ने लगी।
मैं भी झड़ने वाला ही था। मेरे मुख से भी झड़ते समय की सिसकारियाँ निकल रही थी- ओह मेरी रांड… लण्डखोर… कुतिया… साली मेरे लिए रूक… मेरा भी अब निकलने ही वाला है… ओह… रानी मेरे लंड के पानी भी अपने बुर में ले… ओह ले… ओह सीईईई…
ठीक इसी समय मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी के ज़ोर से बोलने और चिल्लाने की आवाज़ सुन रहा हूँ और जब मैंने दरवाजे की तरफ मुड़ कर देखा तो ओह… यह मैं क्या देख रहा हूँ… मेरी अंदर की साँस अंदर ही रह गई।
सामने दरवाजे पर मेरी मम्मी खड़ी थीं। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था, वो क्रोध में अपने होंठों को काट रही थीं और अपने कूल्हे पर अपने हाथ को रख कर चिल्ला रही थीं।
उसका चिल्लाना तो एक पल के लिए हम दोनों भाई-बहनों को कुछ समझ में नहीं आया, थोड़ी देर बाद हमको उसकी स्पष्ट आवाज़ सुनाई दे रही थीं।
“ओह…! तुम दोनों एकदम अच्छे बच्चे नहीं हो, पापियों, खड़े हो जाओ, क्या मैंने तुम्हें यही शिक्षा दी थी, ओह… तुमने मेरा दिमाग़ खराब कर दिया, भाई-बहन हो कर… ये कुकर्म करते हो…!”
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
मेरी बहन और मेरी उत्तेजना-2
दरवाज़ा हालाँकि हमने बंद कर दिया था पर हम दोनों में से किसी को उसको लॉक करने का ध्यान नहीं रहा। वासना की आग ने हमारे सोचने की शक्ति शायद खत्म कर दी थी।
मैंने ज़ोर से अपनी बहन को अपनी बाहों में कस लिया और उसके पूरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी।
उसने भी मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया था और उसकी कठोर चूचियाँ मेरी चौड़ी छाती में दब रही थीं। उसकी चूचियों के खड़े चूचुकों की चुभन को मैं अपने छाती पर महसूस कर रहा था।
उसकी कमर और जाँघें मेरी जाँघों से सटी हुई थीं और मेरा खड़ा लंड मेरी पैन्ट के अंदर से उसकी स्कर्ट पर ठीक उसकी बुर के ऊपर ठोकर मार रहा था।
मेरी प्यारी सोनू अपनी चूत को मेरे खड़े लण्ड पर पैन्ट के ऊपर से रगड़ रही थी। हम दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे और मैं अपनी बहन के पतले रसीले होंठों का चूसते हुए चूम रहा था।
उसके होंठों को चूसते और काटते हुए मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह में ठेल दिया, उसके मुँह के अंदर जीभ को चारों तरफ घुमाते हुए, उसकी जीभ से अपनी जीभ को चूसते हुए दोनों भाई-बहन एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे।
उसके हाथ मेरी पीठ पर से फिरते हुए मेरी चूतड़ों और कमर को दबाते हुए अपनी तरफ खींच रहे थे और मैं भी उसके चूतड़ों को दबाते हुए उसकी गांड की दरार में स्कर्ट के ऊपर से अपनी उंगली चला रहा था।
कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया और वो बिस्तर पर चली गई। उसने अपने घुटनों को बेड के किनारे पर जमा दिया और इस तरह से झुक गई जैसे कि वो बेड की दूसरी तरफ कोई चीज़ खोज़ रही हो। अपने घुटनों को बेड पर जमाने के बाद मेरी प्यारी बहन ने गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपने स्कर्ट को ऊपर उठा दिया।
इस प्रकार उसके खूबसूरत गोलाकार चूतड़ जो कि नाइलॉन की एक जालीदार कसी हुई पैंटी के अंदर क़ैद थे, दिखने लगे। उसकी चूत के उभार के ऊपर उसकी पैंटी एकदम कसी हुई थी और मैं देख रहा था कि चूत के ऊपर पैंटी का जो भाग था पूरी तरह से भीगा हुआ था।
मैं दौड़ कर उसके पास पहुँच गया और अपने चेहरे को उसकी पैंटी से ढकी हुई चूत और गाण्ड के बीच में घुसा दिया। उसके बदन की खुशबू और उसकी चूत के पानी और पसीने की महक ने मेरा दिमाग़ घुमा दिया और मैंने चूत के रस से भीगी हुई उसकी पैंटी को चाट लिया।
वो आनन्द से सिसकारियाँ ले रही थी और उसने मुझे पैंटी को निकाल देने का आग्रह किया।
मैंने उसकी चूत और गांड को कस कर चूमा और उसके मांसल चूतड़ों को अपने दांतों से काटा और उसके बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लंबी सांस लेकर अपने फेफड़ों में भर लिया।
मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और मैंने अपने पैंट और अंडरवीयर को खोल कर इसे आज़ादी दे दी।
बहना की मांसल कदली जाँघों को अपने हाथों से कस कर पकड़ते हुए मैं उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत चाटने लगा। पैंटी से रिस-रिस कर चूत का पानी निकल रहा था। और मैं पैंटी के साथ ही उसकी बुर को अपने मुँह में भरते हुए चूस चूस कर चाटने लगा।
पैंटी का बीच वाला भाग सिमट कर उसकी चूत और गांड की दरार में फंस गया था और मैं चूत चाटते हुए उसकी गांड पर भी अपना मुँह मार रहा था। मेरे ऐसा करने से बहन की उत्तेजना बढ़ गई थी और वो अपने कूल्हों को मटकाते हुए अपनी चूत और चूतड़ों को मेरे चेहरे पर रगड़ रही थी।
मैंने धीरे से अपनी बहन की पैंटी को उतार दिया। उसके खूबसूरत चिकने चूतड़ों को देख कर मेरे लंड को जोरदार झटका लगा।
उसके मैदे जैसी गोरे चूतड़ों की बीच की खाई में भूरे रंग की अनछुई गांड थी। एकदम किसी फूल की कली की तरह दिख रही थी, जिसे शायद किसी विशेष अवसर पर (जैसा कि सोनू ने प्रॉमिस किया था) मारने का मौका मुझे मिलने वाला था।
उसकी गांड के नीचे गुलाबी पंखुरियों वाली उसकी चिकनी चूत थी। सोनिया की चूत के होंठ फड़फड़ा रहे थे और भीगे हुए थे।
मैंने अपने हाथों को धीरे से उसके चूतडों और गांड की दरार में फिराया। फिर धीरे से हाथों को सरका कर उसकी बिना झांटों वाली चूत के छेद को अपनी उंगलियों से कुरेदते हुए सहलाने लगा।
मेरी उंगलियों पर उसकी चूत से निकला उसका रस लग गया था और मैंने उसे अपने नाक के पास ले जा कर सूँघा और फिर जीभ निकाल कर चाट लिया।
मेरी प्यारी बहन के मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थीं और उसने मुझसे कहा- भाई तुमने जी भर कर मेरे चूतड़ों और चूत को देख लिया है। इसलिए तुम अपना काम शुरू करो न !
मैं भी अब अधिक देर नहीं करना चाहता था और झुक कर मैंने उसकी चूत के होंठों पर अपने होंठों को जमाते हुए जीभ निकाल कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
उसकी बुर का रस नमकीन सा था और मैंने उसकी बुर के काँपते हुए होंठों को अपनी उंगलियों से खोल दिया और अपनी जीभ को कड़ा और नुकीला बना कर चूत की सुरंग में घुसा कर उसके भगनासा को कुरेदने लगा।
उसके छोटे से भगनासे को अपनी जुबान से सहलाने से ही सोनिया की बुर मचलने लगी। मैंने उसे अपने होंठों के बीच दबा लिया और अपनी जीभ से उसको चचोरने लगा।
बहना आनन्द और मज़े से सिसकारियाँ भरते हुए अपनी गांड को मटकाते हुए एक बहुत ज़ोर का धक्का अपनी चूत से मेरे मुँह की ओर मारा।
ऐसा लग रहा था जैसे मेरी जीभ को वो अपनी चूत में से निकाल देना चाहती हो। वो बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी और शायद उत्तेजना की पराकाष्ठा तक पहुँच चुकी थी।
मैं उसकी भगनासा को अपने अपने होंठों के बीच दबा कर चूसते हुए अपनी जीभ को अब उसके पेशाब करने वाले छेद में भी घुमा रहा था। उसके पेशाब की तीव्र गंध ने मुझे पागल बना दिया और मैंने अपनी दो उंगलियों की सहायता से उसकी पेशाब करने वाली छेद को थोड़ा फैला कर अपनी जीभ को उसमे तेज़ी से नचाने लगा।
मुझे ऐसा करने में मज़ा आ रहा था और सोनू भी अपनी पिछाड़ी को मटकाते हुए सिसकारियाँ ले रही थी, “ओह भाई, तुम बहुत सता रहे हो डार्लिंग ब्रदर ! इसी प्रकार से अपनी बहन की गरमाई हुई बुर को चाटते रहो चूसो। मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और मेरी चूत पानी छोड़ने ही वाली है। ओह भाई तुम कितना मजा दे रहे हो, ओहहह… चाटो… मेरी जान मेरे कुत्ते मेरे हरामी बालम !”
उसके मुँह से अनाप-शनाप बड़बड़ाना यह साबित कर रहा था कि मेरी चिकनी बहन अब अपनी चुदाई लीला की रौ में बहने लगी थी।
मैं अभी तक उसके भगनासे को अपने होंठों में दबाकर चूस रहा था। पर जब सोनिया की बेचैनी उसके मुँह से निकलने वाली आवाजों से सुनी तो मैंने सोचा कि आज इसको और तड़फ़ाते हैं।
उससे मैंने कहा- आज तू मुझको जब तक गन्दी-गन्दी गालियाँ न बकने लगे तब तक तेरी बुर को चचोरता रहूँगा साली। मेरी रंडी बहनिया, मेरी कुतिया और ऐसा कहते हुए मैंने अपनी जीभ उसकी बुर में ठेल दी।
जब सोनिया ने मेरी बात सुनी तो वो बोली- हाँ, माँ के लौड़े तुझे तो मैं इतनी गालियाँ बकूँगी हरामी कि तेरी माँ चुद जाएगी साले।”
वो अब बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी।
“मेरी जान तुम मुझे पागल बना रहे हो…! ओह मेरे चोदू सनम हाँ ऐसे… ही ऐसे ही चूसो मेरी चूत को…मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ा दो साली बहुत पानी छोड़ रही है… इसकी पुत्तियों को अपने मुँह में भर कर ऐसे ही चाटो मेरे राजा…!! ओह डियर बहुत अच्छा कर रहे हो तुम…! मेरी चूत के छेद में अपने जीभ को पेलो और अपने मुँह से चोद दो मुझे…!”
जब सोनिया ने मेरी बात सुनी तो वो बोली- हाँ, माँ के लौड़े ! तुझे तो मैं इतनी गालियाँ बकूँगी हरामी कि तेरी माँ चुद जाएगी साले।”
वो अब बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी- मेरी जान तुम मुझे पागल बना रहे हो… ओह मेरे चोदू सनम हाँ ऐसे… ही ऐसे ही चूसो मेरी चूत को… मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ा दो ! साली बहुत पानी छोड़ रही है… इसकी पुत्तियों को अपने मुँह में भर कर ऐसे ही चाटो मेरे राजा…!! ओह डियर बहुत अच्छा कर रहे हो तुम…! मेरी चूत के छेद में अपने जीभ को पेलो और अपने मुँह से चोद दो मुझे…!
सोनिया लगातार मुझे गालियाँ बके जा रही थी- हाय मेरे चोदू भाई ! मेरी बुर के होंठों को काट लो और अपनी जीभ को मेरे बुर में पेलो.. ओह मेरे चोदू भाई, ऐसे ही प्यार से मेरे डार्लिंग ब्रदर ऐसे ही ! ओह खा जाओ मेरी चूत को, चूस लो इसका सारा रस !
उसकी चूत इतनी रसीली हो गई थी कि मुझे लग रहा था कि इसका फव्वारा किसी भी क्षण छूट सकता है। उसके मुख से लगातार सीत्कारें निकल रहीं थीं, मुझे उसकी सीत्कारों को सुन कर बहुत ही मजा आ रहा था।
“ओह डियर, ओह चोदू मेरे भगनासे को ऐसे ही चचोरो कुत्ते, बहनचोद चूस, मादरचोद और कस कर अपनी जीभ को पेल… ओह सीई…ईईई मेरे चुदक्कड़ बलम, मेरा अब निकलने ही वाला है ! ओह… मैं गई..गई… गईई राजा… ओह बुरचोदू …देख मेरा निकल रहा है… हाय पी जा इसे ! ओह पी जा मेरी चूत से निकले रस को… ! सीईईई… भाई मेरे चूत से निकले स्वादिष्ट माल को पीईईई जा प्यारे भाई।” कहते हुए सोनू ने अपनी चूत से गर्म रज का झरना खोल दिया।
उसकी मखमली चूत से गाढ़ा द्रव निकलने लगा। वो मेरे चेहरे को अपनी चूत और चूतड़ों के बीच दबाए हुए बिस्तर पर गिर गई। उसकी चूत अभी भी फरफरा रही थी और उसके गांड में भी कम्पन हो रहा था।
मैंने उसकी चूत से निकले एक-एक बूँद रस को चाट लिया और अपने सिर को उसकी मांसल जाँघों के बीच से निकाल लिया।
मेरी बहन बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी। कमर के नीचे वो पूरी नंगी थी। झड़ जाने के कारण उसकी आँखें बंद थीं और उसके गुलाबी होंठ हल्के सा खुले हुए थे। वो बहुत गहरी साँसें ले रही थीं और उसने अपने एक पैर को घुटनों के पास से मोड़ा हुआ था और दूसरे पैर को फैलाया हुआ था।
उसके लेटने की यह स्थिति बहुत ही कामुक थी और इस स्थिति में उसकी सुनहरी गुलाबी चूत, उसकी भूरे रंग की गांड का छेद और उसके गुदाज चूतड़ मेरी आँखों के सामने खुले पड़े थे और मुझे अपनी ओर खींच रहे थे।
मेरा खड़ा लौड़ा अब दर्द करने लगा था। मेरे लंड का सुपारा एक लाल टमाटर के जैसा दिख रहा था और मेरे लंड को किसी छेद की सख़्त ज़रूरत महसूस हो रही थी।
मैं गहरी साँसें खींचता हुआ अपनी उत्तेजना पर काबू पाने की कोशिश कर रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मेरे हाथ मेरी बहन के नंगे चूतड़ों के साथ खेलने के लिए बेताब हो रहे थे और मैं अपने अन्डकोषों को सहलाते हुए सुपाड़े के छेद पर जमा हुए पानी की बूँदों को देखते हुए अपनी प्यारी सी नंगी बहन के बगल में बेड पर बैठ गया।
मेरे बेड पर बैठते ही सोनिया ने अपनी आँखें खोल दीं। ऐसा लग रहा था जैसे वो एक बहुत गहरी नींद के बाद जागी है।
जब उसने मुझे और मेरे खड़े लंड को देखा तो जैसे उसे सब कुछ याद आ गया और उसने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए मेरे खड़े लंड को अपने हाथों में भर लिया।
सोनू बोली- ओह माय लव, सच में तुमने मुझे बहुत सुख दिया। मैं बहुत दिनों के बाद इस प्रकार से झड़ी हूँ। ओह डियर तुम्हारा लंड तो एकदम लोहे की रॉड जैसा खड़ा है। मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि मेरे भाई का डंडा खड़ा होगा और उसे एक छेद की ज़रूरत होगी…
सोनिया ने मेरे लवड़े को अपने हाथों में पकड़ लिया और लगातार मुझसे प्यार जताने लगी।
“ओह डार्लिंग आओ…जल्दी आओ तुम्हारे लंड में खुजली हो रही होगी… मैं भी तैयार हूँ। भाई तुम्हारा खड़ा लंड देख कर मुझे भी उत्तेजना हो रही है और मेरी बुर भी अब फिर से खुजलाने लगी है।”
“ऐसा नहीं हैं सोनू, अगर इस समय तुम्हारी इच्छा नहीं हैं तो कोई बात नहीं है। मैं अपने लंड को हाथ से झाड़ लूँगा।”
“नहीं भाई तुम अपनी बहन के होते हुए ऐसा कभी नहीं कर सकते, अगर कुछ करना होगा तो मैं करूँगी। भाई मैं इतनी स्वार्थी नहीं हूँ कि अपने प्यारे भाई को ऐसे तड़पता हुआ छोड़ दूँ।” वो मुझसे बहुत प्रेम जाता रही थी और उसको लग रहा था कि मेरे लौड़े का पानी उसकी चूत नहीं निकला तो शायद मुझे बुरा लगेगा।
“आओ भाई चढ़ जाओ अपनी बहन की चूत पर और जल्दी से मेरी बुर चोद दो। चलो जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करें।”
मैंने उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्मन जड़ दिया और उसके मांसल मलाईदार चूतड़ों को अपने हाथों से मसलते उससे कहा- सोनू, तुम फिर से घुटनों के बल हो जाओ। मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ।
मेरी बात सुन कर मेरी प्यारी सिस्टर ने बिना एक पल गँवाए फिर से वहीं पोजीशन बना ली और घुटनों के बल होकर अपनी गांड को पीछे घुमा कर मुस्कुराते हुए मुझे अपनी बड़ी-बड़ी आँखों को नचाते हुए मुझे आमंत्रण दिया, उसने अपने पैरों को फैला कर अपने ख़ज़ाने को मेरे लिए पूरा खोल दिया। मैंने फिर से अपने चेहरे को उसकी जाँघों के बीच घुसा दिया और उसकी चूत को चिकना करने के लिए चाटने लगा। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को फैला कर उसकी गांड के छेद को चौड़ा कर दिया और अपनी एक उंगली को अपने थूक से गीला करा कर उसकी गांड में धकेलने की कोशिश करने लगा।
उसकी गांड बहुत टाइट थी, मगर मैं उसकी गांड को फिंगरयाता रहा। सोनू चिल्लाने नहीं लगी और सिसयाते हुए मुझे बोलने लगी, “ओह मेरे बहनचोद ब्रदर ! अब देर मत करो, मैं अब गर्म हो गई हूँ, अब जल्दी से अपनी इस छिनाल बहन को चोद दो और प्यास बुझा लो, ओह भाई जल्दी करो और अपने लंड को मेरी चूत में पेल दो।”
मैंने अपने खड़े लंड को उसकी गीली चूत के छेद के सामने लगा दिया और एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत में एक ही धक्के में पेल दिया।
ओह! क्या अद्भुत अहसास था ये, इसका वर्णन शब्दो में संभव नहीं हैं। उसकी रस से भरी पनियाई हुई चूत ने मेरे लंड को अपने गरम आगोश में ले लिया। उसकी मखमली चूत ने मेरे लंड को पूरी तरह से कस लिया।
उसके मुख से भी एक आह निकली- मादरचोद बिलकुल रांड समझ कर ठोक दिया अपना मूसल जैसा हथियार। मेरी फट जाएगी कुत्ते जरा धीरे नहीं पेल सकता था हरामी?
मैं हँसते हुए धक्के लगाने लगा। मेरी प्यारी सोनू बहन ने भी अपनी गांड को पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेना शुरू कर दिया।
हम दोनों भाई-बहन अब पूरी तरह से मदहोश होकर मज़े की दुनिया में उतर चुके थे। मैं आगे झुक कर उसकी कांख की तरफ से अपने हाथ को बाहर निकल कर उसकी गुदाज और मस्त चूचियों को उसके ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा।
उसकी चूचियाँ एकदम कठोर हो गयी थीं। उसकी ठोस संतरों को दबाते हुए मैं अब तेज़ी से धक्का लगाने लगा था और मेरी रांड बहनिया के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी थीं।
वो सिसकते हुए बोल रही थी, “ओह भाई, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हाँ हाँ और जोर से, इसी तरह से ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ भाई, इसी प्रकार से चोदो मुझे… आह… सीईईई।”
मेरे भी आनन्द की सीमा न थीं मैं भी सिसया रहा था, “हाय मेरी रंडी तुम्हारी चूत कितनी टाइट और गर्म हैं, ओह मेरी प्यारी बहन लो अपनी चूत में मेरे लंड को, ऐसे ही लो, देखो ये लो मेरा लंड अपनी चूत में ये लो फिर से लो, ले लो मेरी रानी बहन।”
मैं उसकी चूत की चुदाई अब पूरी ताक़त और तेज़ी के साथ कर रहा था। हम दोनों की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थीं और ऐसा लग रहा था कि किसी भी पल मेरे लौड़े से गरम लावा निकल पड़ेगा।
“ओह चोद, मेरे हरजाई कुत्ते भाई और ज़ोर से चोदो, ओह कस कर मारो और ज़ोर लगा कर धक्का मारो, ओह मेरा निकल जाएगा, सीईईईई, कुत्ते, और ज़ोर से चोद मुझे, बहन की बुर को चोदने वाले बहन के लौड़े हरामी, और ज़ोर से मारो, अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा कर छोड़ो कुतिया के पिल्ले…सीई…ईईई मेरा निकल जाएगा।”
मैं अब और ज़ोर-ज़ोर से धक्का मारने लगा। मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता।
सोनू के मम्मों को मसकते हुए उसके चूतड़ों पर अपनी छाती रगड़ते हुए मैं बहुत तेज़ी के साथ उसको चोद रहा था।
मेरी बहन अब किसी कुतिया की तरह से कुकिया रही थीं और अपने चूतड़ों को नचा-नचा कर आगे-पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसिया रही थी, “ओह चोद मेरे राजा… मेरे बहन के लंड… और ज़ोर से चोद… ओह… मेरे चुदक्कड़ बालम, सीईईई… हररामजादे भाई… और ज़ोर से पेल मेरी चूत को… ओह-ओह… सीईई… बहनचोद… मेरा अब निकल रहा… हाईई…ईईई ओह सीईई।”
मादक सीत्कारें भरते हुए अपनी दांतों को भींचते कर और चूतड़ों को उचकाते हुए वो झड़ने लगी।
मैं भी झड़ने वाला ही था। मेरे मुख से भी झड़ते समय की सिसकारियाँ निकल रही थी- ओह मेरी रांड… लण्डखोर… कुतिया… साली मेरे लिए रूक… मेरा भी अब निकलने ही वाला है… ओह… रानी मेरे लंड के पानी भी अपने बुर में ले… ओह ले… ओह सीईईई…
ठीक इसी समय मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी के ज़ोर से बोलने और चिल्लाने की आवाज़ सुन रहा हूँ और जब मैंने दरवाजे की तरफ मुड़ कर देखा तो ओह… यह मैं क्या देख रहा हूँ… मेरी अंदर की साँस अंदर ही रह गई।
सामने दरवाजे पर मेरी मम्मी खड़ी थीं। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था, वो क्रोध में अपने होंठों को काट रही थीं और अपने कूल्हे पर अपने हाथ को रख कर चिल्ला रही थीं।
उसका चिल्लाना तो एक पल के लिए हम दोनों भाई-बहनों को कुछ समझ में नहीं आया, थोड़ी देर बाद हमको उसकी स्पष्ट आवाज़ सुनाई दे रही थीं।
“ओह…! तुम दोनों एकदम अच्छे बच्चे नहीं हो, पापियों, खड़े हो जाओ, क्या मैंने तुम्हें यही शिक्षा दी थी, ओह… तुमने मेरा दिमाग़ खराब कर दिया, भाई-बहन हो कर… ये कुकर्म करते हो…!”
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
No comments:
Post a Comment