Saturday, April 14, 2012

सेक्सी कहानियाँ जीजा जी से चुदवाया--11



हिंदी सेक्सी कहानियाँ
जीजा जी से चुदवाया--11
गतांक से आगे.......................
वो मुझे फोन करते और और हमारी बाते काफी लम्बी चलती जिनमे वो बार बार मेरी चूत चाटने का जिक्र करते और मेरे खयालो में उनका चूत चाटना आ जाता और मेरी सांसे गरम हो जाती मुह से सिर्फ हु हु की आवाज़े निकलती और वे मुझे बातो से ही गर्म कर देते ! फिर फोन पर ही यहाँ वहा टच करने का कहते पर मुझे अपने हाथो से टच करना अच्छा नहीं लगता!पर मुझे अपने आप मज़ा लेने आता हे में तकिये को खड़ा करके या सोफे की किनारे पर अपनी चूत रगडती थोड़ी देर और मेरा स्खलन हो जाता ये स्टाइल मुझे बहुत पहले से आती थी पतिदेव तो साल छ महीने में आते थे तो कभी कभी चुदने का ख्याल आ ही जाता था तो ऐसे ही अपने को संतुष्ट कर लेती थी पर २-४ महीनो में एक बार !चुदने की मन में बहुत ज्यादा तब आती थी जब ऍम सी आने का टाइम आता पर में अपने को कंट्रोल में कर लेती थी !पर अब जीजाजी से रिश्ते बन गए तो ये तो रोज़ ही फोन पर सेक्सी बाते करते तो ८-१० दिनों में मुझे तकिये की सवारी करनी ही पड़ती !उन्हें भी ये बात पता चल गई इसलिए वो बात करते करते कहते अब तकिये को खड़ा करले और और थोडा चूत के दाने को तकिये पर रगड़ ले!

ऐसे ही बाते करते १५ दिन बीत गए ! तब जीजाजी ने कहा की दीपावली में वहा से कब रवाना होना हे मुझे बता देना ताकि में तुमसे एक बार वाही आके मिल लू और जो मेने तुम्हारे लिए मोबाइल और सिम ली हे वो तुम्हे दे सकू!तब मेने कहा में उस दिन ऑफिस से गाँव जाने के लिए निकलूंगी तो जीजाजी ने कहा अपने पापा और मम्मी को पहले मत बताना की इस दिन आउंगी मुझे ये बात समझ नहीं आई पर मेने कहा ठीक हे नहीं कहूँगी और उन्होंने कहा तो बस स्टेसन पर १२ बजे आ जाना मेने कहा ठीक हे में आ जाउंगी! साथ ही उन्होंने कहा की तुम मेहंदी लगा के आना मुझे तुम्हारे मेहंदी लगे हुए हाथ बहुत अच्छे लगते हे मेने कहा ठीक पर हम वहा थोड़ी देर ही मिल सकते हे फिर हम साथ ही बस में बैठकर आ जायेंगे आप अपना गाँव आये तब उतर जाना और में अपने गाँव आ जाउंगी जो उनके गाँव से थोडा आगे हे!उन्होंने कहा ठीक हे में १२ बजे बस स्टेशन पहुंची तो वो वहा थे ही नहीं मेने उनको फोन किया तो वो बोले में स्टेशन के बाहर पहुँच गया तुम भी इधर आ जाओ मेरे हाथ में जो बेग था उसमे काफी सामान था इसलिए में उसे मुश्किल से उठा कर चल रही थी पर बाहर जाते ही वे सामने मिल गए और मुझे देखते ही वो देखते ही रह गए मेने हरी साड़ी पहन रखी थी काजल बिंदी मेहंदी नेल पालिश यानि सब नखरे कर रखे थे मेने और में बहुत ही सुन्दर लग रही थी मुझे देख कर उनका मुह खुला की खुला रह गया था! और में अपनी सुन्दरता पर कुछ शरमाई और कुछ गर्व महशुश किया वे बोले कही में बेहोश नहीं हो जाऊ तुम मुझे इतनी सुन्दर लग रही हो मेने कहा ये मेरा बेग उठाओ इसका बोझ लगेगा तो होश आ जायेगा और में हंस पड़ी!मेरी खिलाहट सुन वे भी मुस्करा दिए!


फिर हम वहा से रवाना हुए तो मेने कहा अब हम कहा चल रहे हे तो उन्होंने कहा की मेने एक होटल में कमरा लिया हे वहा चल रहे हे मेने कहा आपका दिमाग ख़राब हे होटल में केसे चल सकते हे किसीने देख लिया तो ! वे बोले तुम चिंता मत करो यहाँ हमारे को कोई नहीं जानता और होटल में भी मेने पत्नी का कहा हे मेने कहा नहीं में होटल नहीं जाउंगी तो वो मिन्नते करके बोले एक बार चलो तो सही चाहे वहा रुकना मत ! में बेमन से उनके साथ रवाना हुई! हम एक सिटी बस में बेठे हम आमने सामने बेठे थे जीजाजी ने चश्मा पहन रखा था मेरे सामने देखते ही उन्होंने आँख मार दी मुझे अचानक एक पल के लिए तो गुस्सा अगया पर फिर याद आया की आँख मरने वाला तो मेरा आसिक हे फिर में मुश्कारा दी हाताल के सामने एक रेस्तरा था वहा हमने लस्सी पी मुझे वेसे भी भूक लगी हुई थी रेस्तरा वाले ने एक १० रूपये का सिक्का दिया जो जीजाजी ने मुझे दे दिया मेने पहली बार १० रूपये का सिक्का देखा था मुझे बड़ा सुन्दर लगा था जेसे सोने का हो!सड़क पार करते ही होटल था उसमे भी नीचे खाने का और फास्ट फ़ूड का और ऊपर रहने का होटल था उसमे खाश बात ये थी की फास्ट फ़ूड वाले रेस्तरा से ही होटल में जाने की लिफ्ट जीजाजी का कमरा तीसरी मंजिल पर था होटल ५ मनिल का था जिसमे रिप्सेसन दूसरी मंजिल पर था मुझे ये बड़ा अच्छा लगा की मुझे रिप्सेसन के सामने से नहीं जाना पड़ेगा हम दोनों लिफ्ट में चढ़े जीजाजी ने ३ नंबर का बटन दबा दिया ! लिफ्ट में हम दो ही थे लिफ्ट चलते ही जीजाजी मुझे पकड़ कर चूमने लगे मेने कहा में भागी नहीं जा रही हु यहाँ छोड़ दो कोई देख लेगा और जीजाजी ने मुझे छोड़ दिया फिर लेफ्ट रुकी और जीजाजी ने कमरे का गेट खोला और हम कमरे में पहुँच गए कमरा ऐसी का था ऐसी टीवी सब चल रहे थे बहुत ही शानदार कमरा था बड़ा सा पलंग टेबल कुर्सी अलमारी अटेच्ड लेट बाथ! में सीधे फ्रेश होने को बाथरूम में गुस गई

में बाथरूम से वापिस आई तब तक जीजाजी पलंग के पास खड़े थे! मेरे बाहर आते ही उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और अपने सीने से चिपका लिया !में भी किसी बेल की तरह उनसे लिपट गई हम खड़े खड़े जेसे एक दुसरे में समाना चाह रहे थे ! हम करीब २ मिनिट ऐसे ही एक दुसरे से चिपके खड़े रहे जीजाजी ने मुझे इतनी जोर से अपनी बाहों में भीच रखा था कि मेरी हड्डिया कद्क्दाने लगी थी ! आज हम पहली बार रौशनी में एक दुसरे कि बाहों में समाये थे इसलिए मुझे उनसे शर्म आ रही थी इसलिए में अपना मुह उनके सीने में छिपा रही थी और वे बार बार मेरा मुह ऊपर कर चूमने कि कोशिश कर रहे थे हम दोनों को एक दुसरे से चिपक कर खड़े होने में असीम सुख मिल रहा था जेसे कई जन्मो के बिछड़े प्रेमी प्रेमिका मिले हो फिर हम अलग हुए हमारे चेहरे से मिलने कि ख़ुशी फुट रही थी अलग होकर हम दोनों ने लम्बी और गहरी सांसे ली यानि इतनी देर जेसे हमारी सांसे ही रुक गई थी हम दोनों मुस्कुरा रहे थे ! कुछ शर्म आ रही थी तो नज़रे भी चुरा रहे थे और एक दुसरे को छिपी नजरो से देख रहे थे मेरे जीजाजी कि नजरो में मेरे लिए प्रंशसा और चाहत का भाव था और में भी उन्हें खुश हो कर देख रही थी मेरा विचार था कि में थोड़ी देर रुक कर गाँव चली जाउंगी!

फिर उन्होंने अपना बेग खोल कर अपनी लुंगी बाहर निकाली और अपने कपडे उतरने लगे उन्हें कुछ कपडे उतारते शर्म आ रही थी इस लिए मेने टीवी चालू कर लिया और उसमे फिल्म देखने लगी जो मेरी मनपसंद फिल्म जब वी मेट आ रही थी जीजाजी ने अपने कपडे वही हेंगर पर टांगे और बाथरूम में चले गए ! थोड़ी देर में वापिस आये और मेरे पास आकर पलंग पर बेठ गए! मुझे फिर से बाहों में लेकर चूमने लगे ! मेने शरारत से कहा इतनी अच्छी फिल्म आ रही देखने दो ना! वो मुझे अपनी तरफ झुकाते अभी इस से भी अच्छी फिल्म हम बनाते हे! मेने कहा रुको मेरी साड़ी में सलवटे पड़ जाएगी उन्होंने कहा ये बात तो सही हे फटाफट उतार देते हे और कुछ पलो में मेरी साड़ी जीजाजी के हाथ में थी

जीजाजी मेरी साड़ी को वार्डरोब में रख दी ! और मेरे बेग से मेरी सेक्सी मेक्सी निकाल कर मुझे देते हुए कहा चलो फटाफट ये पहन कर आओ! मेने कहा इसे पहननी क्या जरुरी हे ऐसे ही आ जाओ ना कोई भी पहनो उसे तो उतरना ही हे!पर उन्होंने कहा नहीं इसमें तुम बहुत सेक्सी लगती हो इसे ही पहन के आओ और नीचे पेटीकोट और चड्डी मत पहनना वेसे भी उनकी कोई जरुरत नहीं हे ऐसा कहते हुए उन्होंने जबरदस्ती मुझे पलंग से नीचे खड़ा कर दिया ! में मेक्सी लेकर बाथरूम में गई क्यूंकि उनके सामने मुझे शर्म आ रही थी और अपने कपडे चेंज किये पेटीकोट तो नहीं पहना पर चड्डी तो पहनी में बहार आई तब तक वे पलंग पर लेट गए थे और बेसब्री से मेरा इंतजार कर रहे थे ! में उनके पास गई तो उन्होंने अपनी बाहे उठा कर मेरा स्वागत किया में भी उनकी बाहों में समां गई!

अब वे मुझे बुरी तरह से चूम रहे थे ! उनके हाथ मेरे सरे शारीर पर घूम रहे थे ! मेरी मेक्सी कुछ ही पालो में मेरे कमर के पास पहुँच गई थी में शर्मा कर उसको बार बार नीचे करने की असफल कोशिश कर रही थी! उन्होंने मेरी पीठ की तरफ हाथ डाल कर मेरी ब्रेजरी के हुक खोलने की कोशिश कर रहे थे मेने कहा क्या हुआ ? आपसे एक हुक ही नहीं खुला उन्होंने कहा अभी खुल जायेगा खुलेगा नहीं तो टूट जायेगा ! मेने कहा तोडना मत प्लीज नहीं तो आपको दूसरी दिलानी पड़ जाएगी !में थोड़ी देर बिना हिले रही और उन्होंने उसे खोल दिया ! और मुझे सीधा करके मेरे स्तन दबाने लगे ! उन्होंने मेरी मेक्सी काफी ऊपर कर मेरे स्तनों को नंगा कर दिया जो छोटे छोटे नारंगी के आकर के थे! वे उन्हें सहला रहे थे उनकी भूरी गुन्डियो को अंगूठे और अंगुली से मसल रहे थे! मुझे भी आनंद आ रहा था मेरे मुह से सिस्कारिया निकाल रही थी मेने उन्हें कहा आपने कई बार मेरे स्तनों की मांग की थी अब ये आपके सामने हे क्या करना हे कर लो इनका!

वे मसलते हुए बोले हा बहुत तडफाया हे इन्होने जितना तो तेरी चूत ने भी नहीं तडफाया ! तो मेने हंस कर कहा तो क्या करोगे इनका कही उखाड़ मत लेने इनको! वे बोले इतनी प्यारी चीज को प्यार करूँगा और सीधे मेरे स्तनों पर मुह लगा दिया और उन्हें चूसने लगे! में सिहर गई और मेरे सारे शरीर में आनंद की तरंगे उठने लगी! वो बारी बारी से दोनों को चूस रहे थे एक चूसते तब तक दुसरे को हाथो से दबाते और फिर उन्होंने अपना मुह पूरा खोल कर मेरे सारे स्तन को मुह में भर लिया ! और उसे साँस के साथ और अन्दर खीचने लगे मेरा स्तन उनकी साँस के साथ उनके मुह में खीचा जा रहा था और मुझे आनंद आ रहा था आज वे और में बिना किसी दर से सेक्स कर रहे थे इसलिए बहुत ज्यादा आनंद आ रहा था ! मेने कहा अब इन्हें छोडो कोई और आपकी जीभ का इंतजार कर रहा हे! उन्होंने स्तन छोड़े फटाफट मेरी चड्डी उतारी और मेरे पाव खड़े कर उन्हें थोडा चोडा किया और सीधे मेरी चूत में अपना मुह घुसा दिया! में पहले से ही स्तन चूसा के garm हो गई थी अब मेरी किलकारिया निकल रही थी कमरे में ऐसी टीवी पंखे सब चल रहे थे और दरवाज़ा बंद था और साउंड प्रूफ भी था इसलिए में खुल कर आ...ह आ..ह कर रही थी उनके सधी हुई जीभ मेरी सवेंदना को जगा रही थी उनके चूत चूसने का ढंग निराला हे वे काफी फोरप्ले करते हे अपने पर उनका कंट्रोल गज़ब का हे !

थोड़ी देर में में स्खलित हो गई थी और मेने उनको रोक दिया पर उनका मन अभी चूत चाटने से भरा नहीं था इसलिए थोडा रुक कर फिर से अपनी जीभ मेरी चूत में घुसा दी मेरी सिस्कारिया फिर शुरू हो गई ! आज मुझे पता चला की बिना डर के सेक्स में कितना मज़ा आता हे ! वो फिर मेरी चूत को बुरी तरह से चूस रहे थे जेसे स्तन को मुह में भरा वेसे मेरी सारी चूत को काफी हद तक मुह में भर रहे थे! मुझे फिर आनंद की तरंगे मेरे बदन में महशुस हो रही थी मेने उन्हें कहा जाओ अपन मुह बाथरूम में धो कर आओ और कुल्ला भी कर के आओ बस बहुत हो गया ये चाटना और चुसना अब आगे की कार्यवाही करो! मेने जितनी देर चूत चटवाई मेक्सी को शर्म से अपने मुह पर रखी थी मुझे शर्म आ रही थी और जीजाजी आज ३-३ ट्यूबलाईट की रौशनी में आराम से मेरी चूत को देख रहे थे हालाँकि मेने उन्हें कई बार लाईट बंद करने कहा जिसे उन्होंने अनसुना कर दिया था!

वे बाथरूम में मुह धोने गए मेने दीवार पर टंगी घडी में टाइम देखा १ बजकर ५० मिनिट हुए थे कुछ ही पालो में जीजाजी आ गए अपनी लुंगी और चड्डी खोली और मेरी टांगे अपने कंधे पर ली अपने लंड के सुपारे को थोडा थुक से चिकना किया मेरी चिकनी चूत में सरका दिया में मेक्सी मुह पर ढके ढके ही कराह उठी आ...ह्ह्ह्हह थो...डा...धी...रे.. डालो दुखता हे ! उन्होंने सहमती जताते हुए मेरी गांड थपथपा दी ! और फिर उन्होंने मेरे चेहरे की तरफ देखा और बोले ये चेहरा क्यूँ ढक रही हो आज तो में चुदते हुए हुए तेरे चेहरे के भाव देखूंगा ! ऐसा कह कर मेरे चेहरे से जबरदस्ती मेक्सी को हटा दिया! मुझे उनके सामने देखने में शर्म आ रही थी इसलिए मेने पलंग पर पड़े होटल वाले टावल को अपने मुह पर ओढ़ लिया पर आज जीजाजी किसी समझोते के मुड में नहीं थे उन्होंने मुझ से चोदते चोदते ही टावल छिना और दूर सोफे पर फेंक दिया अब मेने अपनी आँखे बंद कर ली और जीजाजी मेरे गालो आँखों की बंद पलकों और होटों को चूमने लगे ! कमर उनकी लगातार चल रही थी अब मेरी चूत ने भी उनका लंड अडजस्ट कर लिया था इसलिए मुझे दर्द नहीं हो रहा था और दनादन अन्दर बहार हो रहा था! थोड़ी देर में उन्होंने आसन चेंज कर लिया मेरी टांगे सीधी कर दी और मेरे पेरो पर अपने पैर जमाकर कूद कूद कर मुझे चोदने लगे थोड़ी देर के बाद मुझे घोड़ी बनादी और पीछे से मेरी रगड़ पट्टी करने लगे फिर थोडा पलंग के किनारे पर घोड़ी बनाई और पलग से नीचे खड़े हो कर पीछे से चोदने लगे फिर वापिस मुझे पलंग पर सुला दिया और मेरी एक टांग उठा कर और दूसरी सीधी रख कर चोदने लगे!
क्रमशः.......................




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Raj sharma

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